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सुबह 4 बजे राज्यसभा ने लगाई मणिपुर में राष्ट्रपति शासन पर मुहर, अमित शाह ने बताया सरकार का अगला प्लान

Dainik Jagran - National - April 4, 2025 - 8:58am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शुक्रवार तड़के सुबह करीब चार बजे राज्यसभा (Rajya Sabha) में मणिपुर (Manipur Violence) में राष्ट्रपति शासन की पुष्टि करने वाले सांविधिक संकल्प को पारित कर दिया गया। इसे एक दिन पहले लोकसभा में भी पारित कर दिया गया था।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने मणिपुर से संबंधित प्रस्ताव को पारित करने के लिए सदन में पेश किया था। इसके बाद उच्च सदन ने ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया। मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।

'सरकार की पहली चिंता मणिपुर में शांति स्थापित करना है'

गृह मंत्री अमित शाह ने सांविधिक संकल्प के संबंध में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुरूप दो महीने के अंदर ही इसे सदन में अनुमोदन के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की पहली चिंता मणिपुर में शांति स्थापित करने की है।

उन्होंने कहा कि पिछले चार महीनों में मणिपुर में एक भी मौत नहीं हुई है. हालांकि, उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि मणिपुर हिंसा में अब तक 260 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा में 260 लोग मरे हैं लेकिन, पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा में इससे ज्यादा लोग मरे थे।

मणिपुर मुद्दे पर न हो राजनीति- शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था, जिसके बाद राज्यपाल ने विधायकों से चर्चा की थी। बहुमत सदस्यों ने कहा था कि वो सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं। इसके बाद कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया।

अमित शाह ने मणिपुर में हालात बिगड़ने की पीछे एक अदालती फैसला को मूल कारण बताया है, जिसमें एक जाति को आरक्षण देने का जिक्र था। हालांकि, इस फैसले पर अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि मणिपुर में जल्दी शांति हो, पुनर्वास हो और लोगों के जख्मों पर मरहम लगाया जाए। उन्होंने विपक्ष से मणिपुर के मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की अपील भी की। उन्होंने सदन को ये भी बताया कि वो जल्द ही मणिपुर में दोनों समुदायों को एक साथ लाकर बातचीत भी करेंगे।

खड़गे ने की मणिपुर हिंसा की जांच की मांग

कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने मणिपुर हिंसा को लेकर जांच की मांग और श्वेत पत्र पेश करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इतनी हिंसा के बावजूद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक मणिपुर नहीं गए।

उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल पर जब जबरदस्त दबाव पड़ा तो वहां के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि मणिपुर में बीजेपी की डबल इंजन की सरकार बुरी तरह फेल रही।

Manipur Violence: 'दो साल से जल रहा मणिपुर, सरकार पूरी तरह फेल...', BJP पर जमकर बरसे खरगे; श्वेत पत्र लाने की मांग

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Manipur Violence: 'दो साल से जल रहा मणिपुर, सरकार पूरी तरह फेल...', BJP पर जमकर बरसे खरगे; श्वेत पत्र लाने की मांग

Dainik Jagran - National - April 4, 2025 - 8:16am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा (Rajya Sabha) में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने शुक्रवार को मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) की जांच की मांग की और केंद्र सरकार से सदन में श्वेत पत्र पेश करने को कहा।

खड़गे ने राज्यसभा में कहा, "दो साल से मणिपुर जल रहा है और सरकार हिंसा को रोकने में नाकाम रही है। 260 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और 60 हजार से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। परिवार बिखर गए हैं, फिर भी भाजपा चुपचाप देखती रही।"

'भाजपा पीएम मोदी को बचा रही है'

उन्होंने कहा, "मणिपुर की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है। जीएसटी संग्रह में गिरावट आई है। राज्य ने भयावह स्थिति देखी है। मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी और हिंसा के पहले दिन ही इस्तीफा दे देना चाहिए था।"

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को बचाने का काम कर रही है, लेकिन मणिपुर को नहीं। प्रधानमंत्री ने वहां जाने से इनकार कर दिया। क्या कारण है कि पीएम मोदी मणिपुर नहीं गए? पूरा मणिपुर जल रहा था, लेकिन पीएम मोदी वहां नहीं गए। उस दौरान वे कई विदेशी देशों में गए होंगे, लेकिन उन्होंने मणिपुर में कदम नहीं रखा।"

उन्होंने कहा, "राहुल गांधी मणिपुर गए और पीड़ितों से मिले। सुप्रीम कोर्ट के जज और एनजीओ मणिपुर गए, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं गए। उनको फुर्सत नहीं है।" कांग्रेस प्रमुख ने आगे दावा किया कि भाजपा के पास मणिपुर में शांति लाने की कोई योजना नहीं है।

खड़गे ने पीएम मोदी के चुनावी रैलियों पर उठाए सवाल

खड़गे ने कहा, "आप यहां क्या कर रहे हैं, कृपया मणिपुर में शांति स्थापित करें। प्रधानमंत्री के पास चुनावी रैलियों के लिए समय है, लेकिन मणिपुर के लिए नहीं। वे शांति स्थापित करने में विफल रहे। इसलिए, मैं जांच की मांग करता हूं और उन्हें श्वेत पत्र पेश करने की भी अनुमति देता हूं। मणिपुर में क्या चल रहा है, यह सभी को पता चल जाएगा। जब मणिपुर के लोग भोजन के लिए रो रहे थे, तो आपने कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।"

मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री से जल्द से जल्द मणिपुर का दौरा करने और वहां कानून-व्यवस्था की स्थिति को ठीक करने का आग्रह किया।

खड़गे ने धनखड़ पर सरकार से डरे होने का लगाया आरोप

राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को सदन में मणिपुर पर चर्चा के लिए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से अनुरोध करते हुए कहा, "आप सरकार से डरे हुए हैं...आपको हमारी रक्षा करनी चाहिए।"

मल्लिकार्जुन खड़गे को जवाब देते हुए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, "भारत का किसान और उसका बेटा किसी से नहीं डरता।" बता दें, इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के लिए राष्ट्रपति की घोषणा को राज्यसभा की मंजूरी के लिए प्रस्ताव पेश किया।

अमित शाह ने कहा, "यह सदन मणिपुर राज्य के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 356(1) के तहत राष्ट्रपति द्वारा 13 फरवरी, 2025 को जारी की गई घोषणा को मंजूरी देता है।"

क्या है मामला?

एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफे के बाद फरवरी से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन है। 13 फरवरी को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। बता दें, मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच हिंसा 3 मई, 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) की एक रैली के बाद भड़की थी।

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Bihar Weather: बिहार में बिगड़ने वाला है मौसम, आंधी-बारिश का अलर्ट जारी; इन 18 शहरों के लोग रहें सावधान

Dainik Jagran - April 4, 2025 - 7:29am

जागरण संवाददाता, पटना। Bihar Weather Today: पूर्वोत्तर असम और इसके आसपास हवा के चक्रवातीय परिसंचरण का क्षेत्र बना हुआ है। इनके प्रभाव से प्रदेश में आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है। हालांकि, इसकी वजह से अधिकतम व न्यूनतम तापमान में विशेष परिवर्तन की संभावना नहीं है।

इन जिलों में बारिश होने की संभावना

मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार, आठ अप्रैल को पश्चिमी विक्षोभ हिमालय व आसपास इलाकों को प्रभावित करेगा इसके फलस्वरूप पटना सहित नालंदा, जहानाबाद, गया, नवादा, बेगूसराय, शेखपुरा, जमुई, बांका में हल्की वर्षा को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है।

साथ ही मुंगेर, भागलपुर, खगड़िया, मधेपुरा, सहरसा, सुपौल, अररिया, पूर्णिया, किशनगंज व कटिहार में 40-50 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से हवा चलने के साथ गरज-तड़क के साथ कुछ स्थानों पर हल्की वर्षा को लेकर यलो अलर्ट जारी किया है।

पटना समेत कई जिलों के तापमान में इजाफा

अगले 24 घंटों के दौरान मौसम शुष्क बने होने के साथ कई स्थानों पर आंशिक रूप से बादल छाए रहने की संभावना है। गुरुवार को मधुबनी, अररिया, पूर्णिया, डेहरी को छोड़ कर पटना समेत शेष जिलों के अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई।

पटना का अधिकतम तापमान 36.6 डिग्री सेल्सियस और 38.8 डिग्री सेल्सियस के साथ खगड़िया में सर्वाधिक अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। पटना व आसपास इलाकों में मौसम शुष्क होने के साथ आंशिक बादल छाए रहे।

प्रमुख शहरों के तापमान में वृद्धि

बीते 24 घंटों के दौरान पटना सहित अधिसंख्य जिलों के अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। पटना के अधिकतम तापमान में दो डिग्री, वाल्मीकि नगर में तीन डिग्री, दरभंगा में 2.4 डिग्री, मुजफ्फरपुर में 1.5 डिग्री, जीरादेई में 1.7 डिग्री।

बेगूसराय में 1.1 डिग्री, समस्तीपुर में 1.9 डिग्री, वैशाली में 2.3 डिग्री, शेखपुरा में 1.1 डिग्री, जमुई में 1.1 डिग्री, सासाराम में 2.5 डिग्री, बक्सर में 5.3 डिग्री, भोजपुर में तीन डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई।

प्रमुख शहरों का तापमान शहर अधिकतम (तापमान डिग्री सेल्सियस में) न्यूनतम (तापमान डिग्री सेल्सियस में) पटना 36.6 22.0 गया 37.2 19.6 भागलपुर 36.2 20.2 मुजफ्फरपुर 36.2 19.0

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Waqf Bill: सरकार ने नए वक्फ बिल को बताया ऐतिहासिक, विपक्ष बोला- सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, यह असंवैधानिक विधेयक

Dainik Jagran - National - April 4, 2025 - 7:02am

 एएनआई, नई दिल्ली। शुक्रवार को राज्यसभा ने तीखी बहस के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पारित कर दिया। गुरुवार दोपहर से शुरू हुई बहस आधी रात के बाद भी जारी रही। अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने बताया कि 128 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया जबकि 95 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। वहीं, सरकार ने नए वक्फ बिल को ऐतिहासिक बताया तो विपक्ष बोला यह बिल असंवैधानिक है।

विधेयक से मुस्लिम समाज की महिलाओं और गरीबों का कल्याण होगा

राज्यसभा में पारित होने पर वक्फ बिल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि यह ऐतिहासिक है। इस विधेयक से मुस्लिम समाज की महिलाओं और गरीबों का कल्याण होगा। इसके साथ ही भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि इस चर्चा में न राहुल गांधी बोले, न प्रियंका गांधी बोलीं और न ही सोनिया गांधी बोलीं। यह पता नहीं चला कि वे इसके पक्ष में थे या विपक्ष में थे... सब जानते थे कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के हित में है।

राजद सांसद मनोज कुमार झा उठाए सवाल

वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि इस संसद में कृषि कानून भी पारित हुए थे। बहुत लंबी बहस हुई... लोगों के मन में अभी भी असंतुष्टि है, अगर उसे दूर नहीं किया तो इसका हश्र कृषि कानूनों जैसा न हो।

मल्लिकार्जुन खरगे बोले- नकारात्मक रुख अपनाया है

वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "...हमने विधेयक पर अपने विचार उनके (सरकार) सामने रखे। उन्होंने पहले से नकारात्मक रुख अपनाया है और वे इसे आगे बढ़ा रहे हैं।"

इस विधेयक की बहुत जरूरत थी - बी.एल. वर्मा

वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर केंद्रीय मंत्री बी.एल. वर्मा ने कहा, "...इस विधेयक की बहुत जरूरत थी जिससे आम और गरीब मुसलमान भी इसमें भाग ले सकें और उनके अधिकारों की रक्षा हो सके..."

AAP सांसद संजय सिंह ने बिल को बताया असंवैधानिक

वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर AAP सांसद संजय सिंह ने कहा, "आज बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के संविधान और लोकतंत्र की हत्या की गई है। संख्याबल के बल पर असंवैधानिक विधेयक पास किया गया है। AAP ने इसका विरोध किया..."

सांसद फौजिया खान बोली सुप्रीम कोर्ट में रद होगा यह कानून

वक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एससीपी) सांसद फौजिया खान ने कहा, "इस बिल को किसानों के बिल की तरह ही बुलडोज किया गया है...हम इसका विरोध जारी रखेंगे... वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संस्था है... यह असंवैधानिक बिल है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद भी हो जाएगा..."

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भगोड़े नित्यानंद का नया कारनामा, हिंदू राष्ट्र कैलासा बनाने के नाम पर बोलिविया में हड़पी जमीन

Dainik Jagran - National - April 4, 2025 - 7:02am

 न्यूयॉर्क टाइम्स, नई दिल्ली। कैलासा को दुनिया का पहला हिंदू राष्ट्र बताने वाले भगोड़े नित्यानंद के प्रतिनिधियों पर बोलिविया की जमीन कब्जाने का आरोप लगा है। पिछले सप्ताह, बोलीविया के अधिकारियों ने कहा कि कैलासा से जुड़े 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

नित्यानंद पर लगा है दुष्कर्म का आरोप

गौरतलब है कि दुष्कर्म का आरोपित नित्यानंद 2019 में भारत से भाग गया था। कुछ साल बाद उसने यूनाइटेड स्टेट्स आफ कैलासा बनाने की घोषणा की थी।

बोलिविया ने कहा कि कैलासा के प्रतिनिधियों ने अमेजन क्षेत्र की जमीन के लिए स्थानीय समूहों के साथ धोखाधड़ी से पट्टे हासिल की थी, हालांकि इन समझौतों को अमान्य घोषित कर दिया गया है और कैलासावासियों को निर्वासित कर दिया गया।

कैलासा नाम का कोई वास्तविक देश नहीं

चूंकि कैलासा नाम का कोई वास्तविक देश नहीं है इसलिए इन लोगों को उनके वास्तविक गृह देशों में, जिनमें भारत, अमेरिका, स्वीडन और चीन शामिल हैं में निर्वासित किया गया है। कैलासा निवासी होने का दावा करने वाले लोग बोलीविया में पर्यटक वीजा पर आए थे। उन्होंने देश के राष्ट्रपति लुइस आर्से के साथ तस्वीर खिंचवाने में सफल रहे।

कैलासा के लोगों ने किया जमीन का घोटाला

बोलीविया के विदेश मंत्रालय ने कहा, बोलीविया कथित राष्ट्र यूनाइटेड स्टेट्स आफ कैलासा के साथ राजनयिक संबंध नहीं रखता। यह घोटाला तब सामने आया जब बोलीविया के समाचार पत्र एल डेबर द्वारा की गई जांच में पता लगा कि कैलासा के लोगों ने अमेजन के मूल निवासियों के समूहों के साथ पट्टे पर हस्ताक्षर किए थे।

अमेजन के स्थानीय समूहों में से एक, बाउरे के नेता पेड्रो गुआसिको ने कहा कि कैलासा के दूतों के साथ उनका संपर्क पिछले वर्ष हुआ था, जब वे जंगल की आग के बाद मदद की पेशकश करने पहुंचे थे। नई दिल्ली के आकार से तीन गुना अधिक भूखंड के पट्टे को लेकर वार्ता हुई।

कैलासा के प्रतिनिधि मसौदा लेकर आए

बाउरे ने 25 साल के करार पर सहमति जताई, जिसके तहत उन्हें सालाना लगभग दो लाख डॉलर का भुगतान किया जाना था, लेकिन जब कैलासा के प्रतिनिधि मसौदा लेकर आए, तो उसमें एक हजार साल की अवधि थी और इसमें हवाई क्षेत्र का उपयोग और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी शामिल था।

हमारे क्षेत्र के संरक्षण और सुर

ग्वासिको ने कहा, हमने फिर भी हस्ताक्षर कर दिए। उन्होंने हमारे क्षेत्र के संरक्षण और सुरक्षा के लिए वार्षिक बोनस के रूप में फंड देने की पेशकश की, लेकिन यह पूरी तरह से झूठ था।

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