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NHRC ने मैला ढोने की प्रथा समाप्त करने के लिए राज्यों के लिखा पत्र, आठ हफ्ते में रिपोर्ट देने को कहा
पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पत्र लिखकर उनसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2023 के फैसले में जारी निर्देशों का तत्काल पालन सुनिश्चित करने को कहा है। इन निर्देशों का उद्देश्य हाथ से मैला ढोने की प्रथा और खतरनाक सीवर सफाई को खत्म करना है।
मानवाधिकार आयोग ने अधिकारियों को दिया आदेशमानवाधिकार आयोग ने गुरुवार को कहा कि उसने अधिकारियों को कई उपायों की सिफारिश की है, जिसमें निवारण सुनिश्चित करने के लिए मजबूत निगरानी प्रणाली की स्थापना भी शामिल है।
अधिकारियों ने बताया कि एनएचआरसी ने अधिकारियों से आठ सप्ताह के भीतर कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने को भी कहा है।
एनएचआरसी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की बात कहीखतरनाक कचरे की हाथ से सफाई की प्रथा को देखते हुए एनएचआरसी ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सभी मुख्य सचिवों और प्रशासकों को लिखे एक पत्र में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने ऐतिहासिक 2023 के फैसले (डॉ बलराम सिंह बनाम भारत संघ) में जारी किए गए 14 निर्देशों का तत्काल कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कहा है, जिसका उद्देश्य हाथ से मैला ढोने की प्रथा (मैनुअल स्कैवेंजिंग) और खतरनाक सीवर सफाई की अमानवीय और जाति-आधारित प्रथा को खत्म करना है।
हाथ से मैला ढोने की प्रथा मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन- एनएचआरसीआयोग ने कहा है कि यह प्रथा मानव अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है, विशेष रूप से कानून के समक्ष सम्मान और समानता के साथ जीने के अधिकार का।
इस्कॉन के संपत्ति विवाद मामले में आज फैसला सुनाएगा सुप्रीम कोर्ट, लंबे समय से चल रहा है केस
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को इस्कॉन बेंगलुरु की एक याचिका पर फैसला सुनाने की संभावना है, जिसमें कर्नाटक हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसने लंबे समय से चल रहे कानूनी विवाद में इस्कॉन मुंबई के पक्ष में निर्णय दिया था। यह विवाद बेंगलुरु के प्रसिद्ध हरे कृष्ण मंदिर और शैक्षणिक परिसर के नियंत्रण को लेकर है।
साढ़े दस बजे आएगा फैसलाजस्टिस एएस. ओका और जस्टिस आगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ ने पिछले साल 24 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, जस्टिस ओका शुक्रवार को सुबह 10:30 बजे फैसला सुनाएंगे। इस्कॉन बेंगलुरु ने दो जून, 2011 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने 23 मई, 2011 के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
वन भूमि की स्थिति की जांच के लिए एसआइटी गठित करें : सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों को यह पता लगाने के लिए एसआइटी गठित करने का निर्देश दिया कि क्या कोई आरक्षित वन भूमि गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए निजी क्षेत्र को आवंटित की गई है।
भूमि वन विभाग को सौंपने का निर्देशप्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को ऐसी भूमि का कब्जा वापस लेने और उसे वन विभाग को सौंपने का भी निर्देश दिया है।
भूमि का कब्जा वापस लेना व्यापक जनहित में नहीं होगापीठ ने कहा कि यदि यह पाया जाता है कि भूमि का कब्जा वापस लेना व्यापक जनहित में नहीं होगा, तो सरकारों को उक्त भूमि की कीमत उन व्यक्तियों, संस्थाओं से वसूलनी चाहिए, जिन्हें वह भूमि आवंटित की गई है। वसूली से प्राप्त राशि का इस्तेमाल वनों के विकास के लिए करना चाहिए।
पीठ ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र-शासित प्रदेशों के प्रशासकों को विशेष टीम गठित करने का भी निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे सभी हस्तांतरण आज से एक साल के भीतर हो जाएं।
पौधारोपण के लिए किया जाना चाहिए भूमि का इस्तेमालपीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसी भूमि का इस्तेमाल केवल पौधारोपण के लिए किया जाना चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने पुणे में आरक्षित वन भूमि से जुड़े मामले में दिए गए फैसले में यह निर्देश जारी किया।
'वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र को रोकने के लिए सख्त रुख की जरूरत'सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बड़े पैमाने पर शहरीकरण के कारण वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र में गिरावट को देखते हुए वनस्पतियों और जीवों के लिए खतरा पैदा हो गया है। इसके लिए दोषियों को सजा दिलाने के लिए अधिकारियों को सख्त रुख अपनाने की जरूरत है।
हालांकि, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि किसी आरोपित के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों के किसी भी तरह के उल्लंघन का तभी समर्थन किया जाना चाहिए जब अभियोजन पक्ष मानकों को पूरा करता हो।
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भारत में जोर पकड़ रहा तुर्किये और अजरबैजान का बहिष्कार, 30 फीसदी भारतीय पर्यटकों ने रद की बुकिंग
जेएनएन, नई दिल्ली। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान का समर्थन करने के कारण तुर्किये और अजरबैजान के बहिष्कार का अभियान लगातार जोर पकड़ रहा है। यह न केवल पर्यटन बल्कि उड़ान और व्यापार के क्षेत्रों में भी प्रभाव डाल रहा है।
धड़ाधड़ तुर्किए की बुकिंग हो रहीं रदवर्तमान में भारतीय पर्यटक इन दोनों देशों के लिए नई बुकिंग कराना तो दूर पहले से की गई बुकिंग को भी रद करा रहे हैं। टूरिस्ट कंपनियां भी नई बुकिंग नहीं ले रही हैं।
सुरक्षित विकल्पों को प्राथमिकता दे रहे लोगईजमाईट्रिप के अनुसार, तुर्किये की 22 प्रतिशत और अजरबैजान की 30 प्रतिशत बुकिंगग रद हो चुकी हैं। भारतीय पर्यटक अब जार्जिया, सर्बिया, ग्रीस, थाईलैंड और वियतनाम जैसे सुरक्षित विकल्पों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
ईजमाईट्रिप के सीईओ और सह-संस्थापक रिकान्त पिट्टी ने कहा कि युद्ध विराम के बाद की अनिश्चितताओं के कारण प्रभावित क्षेत्रों के लिए बुकिंग रोक दी गई है। साथ ही प्रभावित क्षेत्रों की गैर-आवश्यक यात्रा से बचने की सलाह दी गई है।
भारतीय पर्यटक नुकसान उठाकर भी तुर्किये एयरलाइंस से दूरी बना रहेभारतीय पर्यटक नुकसान उठाकर भी तुर्किये एयरलाइंस से दूरी बना रहे हैं। द इंडिजिनस फेडरेशन आफ टूरिज्म इंटेग्रिटी (टीफ्टी) के अध्यक्ष शैलेंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि लंबी दूरी के मामले में हवाई किराए में बड़ा अंतर है।
लुधियाना से हर वर्ष लगभग 5000 लोग तुर्किये की यात्रा के लिए बुकिंग करते थेतुर्किये एयरलाइंस से फिनलैंड का हवाई किराया 70,500 रुपये है, जबकि अन्य एयरलाइंस से यह एक लाख 3,500 रुपये है, फिर भी लोग दूसरी एयरलाइंस से बुकिंग करा रहे हैं। लुधियाना से हर वर्ष लगभग 5000 लोग तुर्किये की यात्रा के लिए बुकिंग करते थे, लेकिन अब सभी ने अपने टूर रद कर दिए हैं।
जालंधर और अमृतसर में भी यही स्थिति है। ट्रैवल एजेंटों के अनुसार, तुर्किये और अजरबैजान के लिए कोई नई बुकिंग नहीं की जा रही है। भारत में पर्यटन स्थलों की अपीलकई लोग अब तुर्किये और अजरबैजान की यात्रा को रद कर देश में ही घूमने की योजना बना रहे हैं।
35 सदस्यों के साथ तुर्किये की बुकिंग रददक्षिणी दिल्ली निवासी रजिंदर सिंह एक ला फर्म के सह-संस्थापक हैं। उन्होंने अपनी टीम के 35 सदस्यों के साथ तुर्किये की बुकिंग रद कर दी है और अब देश में यात्रा की योजना बना रहे हैं। नए घटनाक्रम ने उन्हें सोचने पर मजबूर किया है कि विदेश जाने की बजाय अपने देश के पर्यटन स्थलों को क्यों न बढ़ावा दें।
व्यापारिक बहिष्कार पर आज निर्णय लेगा कैटफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने तुर्किये और अजरबैजान के साथ व्यापार बंद करने पर निर्णय लेने के लिए शुक्रवार को दिल्ली में बैठक बुलाई है।
कैट के महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि जो भी देश भारत के खिलाफ है, उसके साथ व्यापार करने का कोई सवाल नहीं है। उन्होंने बताया कि भारत से तुर्किये को कई प्रमुख वस्तुएं निर्यात होती हैं, जबकि तुर्किये से भारत को कच्चा पेट्रोलियम, मशीनरी, और अन्य वस्तुएं आयात होती हैं।
मुस्लिम संगठनों ने भी बहिष्कार का किया समर्थनमुस्लिम संगठनों ने भी बहिष्कार का फैसला किया है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) और आल इंडिया इमाम आर्गेनाइजेशन (एआइआइओ) ने कहा है कि तुर्किये और अजरबैजान ने पाकिस्तान का समर्थन किया है, इसलिए सभी देशवासियों को एकजुट होकर इसका विरोध करना चाहिए।
पंजाब के व्यापारी नहीं करेंगे एक्सपोर्टपंजाब के व्यापारियों ने भी तुर्किये को हर वर्ष 500 करोड़ रुपये का एक्सपोर्ट न करने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि देश की एकता उनके लिए सर्वोपरि है, और वे इस घाटे को सहन करने के लिए तैयार हैं।
पंजाब से तुर्किये को 173 उत्पादों का निर्यात किया जाता है, जिसमें एंटीबायोटिक दवाएं, ट्रैक्टर, टायर ट्यूब, प्लास्टिक, स्टील उत्पाद, यार्न और ऑटो पार्ट्स शामिल हैं।
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशन (फियो) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एससी रल्हन ने कहा कि तुर्किये की कायराना हरकतों के खिलाफ देशभर में गुस्सा है। इसे देखते हुए तुर्किये के साथ कोई व्यापार नहीं किया जाएगा।
तुर्किये के साथ व्यापारनिर्यात : खनिज ईंधन और तेल, विद्युत मशीनरी और उपकरण, वाहन और उनके कलपुर्जे, कार्बनिक रसायन, फार्मास्यूटिकल उत्पाद, टैनिंग और रंगाई की वस्तुएं, प्लास्टिक, रबड़, कपास, मानव निर्मित फाइबर, लोहा और इस्पात, मशीनरी, पत्थर, प्लास्टर, तिलहन, कीमती पत्थर, ताजे सेब आदि।
आयात : विभिन्न प्रकार के मार्बल (ब्लाक और स्लैब), ताजा सेब, सोना, सब्जियां, चूना और सीमेंट, खनिज तेल, रसायन, प्राकृतिक या संवर्धित मोती, लोहा और इस्पात, फ्लैट स्टील उत्पाद, प्लास्टिक, टेक्सटाइल, मशीनरी।
अजरबैजान के साथ व्यापारनिर्यात: तंबाकू और उसके उत्पाद, चाय, काफी, अनाज, रसायन, प्लास्टिक, रबड़, कागज और पेपर बोर्ड, सिरेमिक उत्पाद।
आयात : कच्चा तेल, पशु चारा, जैविक रसायन, आवश्यक तेल और परफ्यूमरी, कच्ची खालें और चमड़ा
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'भारत ने दिखाया कि अहिंसक युद्ध कैसे लड़ा जाता है', भाजपा महासचिव राधा मोहन ने कही बड़ी बात
पीटीआई, बेंगलुरु। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत का प्रदर्शन किया।
पाकिस्तान में किसी निर्दोष की जान नहीं गईउन्होंने कहा कि दुनिया ने देखा कि पहलगाम में की गई हत्याओं का बदला लेने के लिए ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया। यह निर्धारित लक्ष्य को लेकर ही चला। पाकिस्तान में किसी निर्दोष की जान नहीं गई।
उन्होंने कहा कि हमने दुनिया को दिखाया कि युद्ध के दौरान महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत को कैसे लागू किया जाए। यह सबसे अहिंसक युद्ध था। हमने सिर्फ उन लोगों को निशाना बनाया, जिन्हें हम ढेर करना चाहते थे। दावा किया है कि एक भी निर्दोष व्यक्ति की जान नहीं गई।
नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को युद्ध की नई बारीकियां सिखाई- भाजपा सांसदभाजपा सांसद ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को युद्ध की नई बारीकियां सिखाई हैं। जब उनसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान के बारे में पूछा गया कि उन्होंने शांति स्थापित की है, तो अग्रवाल ने कहा कि केवल ट्रंप ही जानते हैं कि उन्होंने क्या किया है।
कहा कि 'जब कोई ट्रेन रेलवे स्टेशन पर रुकती है, तो कुछ बच्चे उतरते हैं और उसे धक्का देते हैं। जब ट्रेन फिर से चलती है, तो बच्चे चिल्लाते हैं कि उन्होंने ट्रेन को धक्का देकर चलाया। ट्रंप का व्यवहार प्लेटफार्म पर मौजूद बच्चों की तरह ही बचकाना है। भाजपा ट्रंप के हस्तक्षेप को खारिज करती है।
ट्रंप भारत के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए समस्याअग्रवाल ने कहा कि ट्रंप भारत के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका के लिए समस्या हैं। अग्रवाल ने याद दिलाया कि मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा था कि पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक ने अपने भारतीय समकक्ष से बात की थी।
दावा किया कि जब भारतीय डीजीएमओ ने कोई जवाब नहीं दिया तो पाकिस्तानी डीजीएमओ ने उन्हें दोबारा फोन किया और युद्ध रोकने के लिए उनसे विनती की तथा कहा कि अब बहुत हो गया।
भारत करने जा रहा बड़ी पहल... अंतरिक्ष में इंसानों के रहने के लिए तलाशी जाएंगी संभावनाएं, एक्सिओम-4 मिशन में होगा जैविक प्रयोग
जेएनएन, नई दिल्ली। अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में कई इतिहास रच चुका भारत अब अंतरिक्ष में इंसानों के रहने की संभावना तलाशने के लिए कमर कस चुका है। दुनिया में पहली बार भारत अंतरिक्ष में इंसानों के रहने की संभावना का अध्ययन करने के लिए जैविक प्रयोग करने वाला है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने पोस्ट किया, दुनिया में अपनी तरह की पहली ऐतिहासिक पहल के तहत भारत अंतरिक्ष में मानव जीवन की स्थिरता का अध्ययन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर जैविक प्रयोग करने जा रहा है।
एक्सिओम-4 मिशन के तहत होंगे प्रयोगभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) के सहयोग से एक्सिओम-4 मिशन के तहत ये प्रयोग किए जाएंगे। इस मिशन में भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला शामिल होंगे। यह परियोजना इसरो, नासा और डीबीटी की संयुक्त पहल है।
इसका उद्देश्य पृथ्वी की तुलना में अंतरिक्ष में विभिन्न शैवाल प्रजातियों के विकास मापदंडों और परिवर्तनों का विश्लेषण करना है। सरल शब्दों में कहें तो देखा जाएगा कि धरती पर जिस तरह से इन प्रजातियों का विकास होता है, उसकी तुलना में अंतरिक्ष में वे किस तरह विकसित होते हैं।
सूक्ष्म शैवाल प्रजातियों की पहचानमिशन के दौरान खाद्य माइक्रोएल्गी की तीन प्रजातियों की वृद्धि, आनुवंशिक गतिविधि पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का भी अध्ययन किया जाएगा। इससे अंतरिक्ष वातावरण में उपयोग के लिए सबसे उपयुक्त सूक्ष्म शैवाल प्रजातियों की पहचान करने में मदद मिलेगी।
दूसरे प्रयोग में यह पता लगाया जाएगा कि स्पाइरुलिना और साइनोकोकस जैसे साइनोबैक्टीरिया किस प्रकार बढ़ते हैं और यूरिया तथा नाइट्रेट आधारित पोषक माध्यमों का उपयोग करते हुए सूक्ष्मगुरुत्व में किस प्रकार प्रतिक्रिया करते हैं। इससे अंतरिक्षयात्रियों के लिए विश्वसनीय खाद्य स्त्रोत सुनिश्चित हो सकेगा। अंतरिक्ष में मांसपेशियों पर माइक्रोग्रैविटी के प्रभाव का भी अध्ययन किया जाएगा।
अब आठ जून को स्पेस स्टेशन जाएंगे शुभांशु शुक्ला- वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अब आठ जून को आईएसएस के सफर पर रवाना होंगे। एक्सिओम-4 मिशन के तहत ग्रुप कैप्टन शुभांशु के साथ अमेरिका, हंगरी और पोलैंड के अंतरिक्षयात्री भी होंगे। शुभांशु आईएसएस की यात्रा करने वाले पहले भारतीय होंगे।
- राकेश शर्मा 1984 में सोवियत संघ के सोयूज अंतरिक्षयान से अंतरिक्ष में गए थे। राकेश शर्मा भारत के पहले अंतरिक्षयात्री हैं। एक्सिओम-4 मिशन को 29 मई को लांच होना था, लेकिन इस मिशन में देरी हुई है। अब यह मिशन आठ जून को फ्लोरिडा के केनेडी स्पेस सेंटर से भारतीय समयानुसार शाम 6:41 बजे लांच किया जाएगा।
- अमेरिका स्थित वाणिज्यिक मानव अंतरिक्ष उड़ान कंपनी एक्सिओम स्पेस और नासा ने यह घोषणा की है। शुभांशु स्पेसएक्स के 'ड्रैगन' अंतरिक्षयान से उड़ान भरेंगे। वह आईएसएस में 14 दिन रहेंगे। इस दौरान वह इस दौरान वह सात प्रयोग करेंगे। इन प्रयोगों में भारत के पारंपरिक खाद्य पदार्थों जैसे कि मेथी और मूंग को अंतरिक्ष में अंकुरित करने का परीक्षण भी शामिल है।
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Supreme Court: 'देश में लोकतंत्र है, महाराजा की तरह व्यवहार न करें' सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में लगाई फटकार
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वैवाहिक विवाद में उलझे एक दंपती को फटकार लगाते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि वे 'महाराजा' की तरह व्यवहार न करें, क्योंकि देश में 75 साल से अधिक समय से लोकतंत्र कायम है। शीर्ष अदालत की यह टिप्पणी दंपती में शामिल एक पक्ष पर लक्षित थी, जो कथित तौर पर शाही वंश से ताल्लुक रखता है। न्यायालय ने मामले में अहंकार के टकराव को भी रेखांकित किया।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थता का सुझाव दियाजस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दंपती के वकीलों से अपने मुवक्किलों से बात करने और अदालत को उनकी मंशा से अवगत कराने का निर्देश दिया। पीठ ने चेतावनी दी कि अगर मध्यस्थता के माध्यम से कोई समाधान नहीं निकला तो वह तीन दिनों के भीतर कठोर आदेश पारित करने से नहीं हिचकिचाएगी।
महिला और पुरुष के अपने अपने दावेग्वालियर की रहने वाली महिला ने दावा किया कि वह बेहद प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखती है और पूर्वज छत्रपति शिवाजी महाराज की नौसेना में एडमिरल थे और उन्हें कोंकण क्षेत्र का शासक घोषित किया गया था। दूसरी ओर, उसके पति ने कहा कि वह सैन्य अधिकारियों के परिवार से आता है और मध्य प्रदेश में एक शैक्षणिक संस्थान का संचालन करता है।
रॉल्स रॉयस कार है विवाद की जड़भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की ओर से बड़ौदा की तत्कालीन महारानी के लिए ऑर्डर की गई 1951 मॉडल की प्राचीन हस्तनिर्मित क्लासिक रोल्स रायस कार, जो अपने मॉडल की एकमात्र कार है और जिसकी मौजूदा कीमत 2.50 करोड़ रुपये से अधिक है, मामले में विवाद की जड़ है। दोनों पक्षों की ओर से पेश वकीलों ने अदालत को बताया कि विवाद मुख्यत: धन पर केंद्रित है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा- ' हम जानते हैं कि मामले में केवल अहंकार के कारण समझौता नहीं हो पाया है। अगर विवाद पैसे को लेकर है तो उसे अदालत सुलझा सकती है, लेकिन इसके लिए पक्षों को आम सहमति पर पहुंचना होगा।'
पीठ ने सुनवाई अगले हफ्ते के लिए निर्धारित कर दीपीठ ने सुनवाई अगले हफ्ते के लिए निर्धारित कर दी। दंपती के बीच मध्यस्थता के लिए नियुक्त वरिष्ठ अधिवक्ता आर बसंत ने 22 अप्रैल को पीठ को सूचित किया था कि मामले में दोनों पक्ष स्वीकृत समाधान तक नहीं पहुंच सके हैं।
उन्होंने पीठ से दोनों पक्षों के बीच आपसी सहमति वाले समाधान की संभावना तलाशने के लिए एक अंतिम प्रयास का मौका देने का अनुरोध किया था। महिला ने आरोप लगाया है कि अलग रह रहे उसके पति और ससुराल वालों ने दहेज में रोल्स रॉयस कार और मुंबई में फ्लैट की मांग को लेकर उसे परेशान किया। हालांकि, उसके पति ने आरोप से इन्कार किया है।
महिला ने पति और उसके घरवालों पर लगाए आरोपमहिला की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जब प्रतिवादियों की मांगें पूरी नहीं हुईं तो उन्होंने शादी को मानने से इन्कार करना शुरू कर दिया और याचिकाकर्ता के खिलाफ झूठे एवं तुच्छ आरोप लगाने लगे तथा उसका चरित्र हनन शुरू कर दिया।
पति ने अलग रह रही पत्नीपति ने अलग रह रही पत्नी, उसके माता-पिता और रिश्तेदारों के खिलाफ विवाह प्रमाण पत्र तैयार करने में धोखाधड़ी और जालसाजी करने का मामला दर्ज कराया जबकि महिला ने दहेज उत्पीड़न और क्रूरता का मामला दर्ज कराया। हाई कोर्ट ने महिला की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह बाद में की गई कार्रवाई थी।
'वन भूमि की स्थिति की जांच के लिए SIT का किया जाए गठन' सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम आदेश
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों को यह पता लगाने के लिए एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया कि क्या कोई आरक्षित वन भूमि गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए निजी क्षेत्र को आवंटित की गई है।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह और जस्टिस के विनोद चंद्रन की पीठ ने राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों को ऐसी भूमि का कब्जा वापस लेने और उसे वन विभाग को सौंपने का भी निर्देश दिया है।
वसूली से प्राप्त राशि का प्रयोग वनों के विकास के लिए करेंपीठ ने कहा कि यदि यह पाया जाता है कि भूमि का कब्जा वापस लेना व्यापक जनहित में नहीं होगा, तो सरकारों को उक्त भूमि की कीमत उन व्यक्तियों, संस्थाओं से वसूलनी चाहिए, जिन्हें वह भूमि आवंटित की गई है। वसूली से प्राप्त राशि का इस्तेमाल वनों के विकास के लिए करना चाहिए।
पीठ ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और केंद्र-शासित प्रदेशों के प्रशासकों को विशेष टीम गठित करने का भी निर्देश दिया, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे सभी हस्तांतरण आज से एक साल के भीतर हो जाएं। पीठ ने स्पष्ट किया कि ऐसी भूमि का इस्तेमाल केवल पौधारोपण के लिए किया जाना चाहिए। शीर्ष न्यायालय ने पुणे में आरक्षित वन भूमि से जुड़े मामले में दिए गए फैसले में यह निर्देश जारी किया।
'वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र को रोकने के लिए सख्त रुखकी जरूरत'सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि बड़े पैमाने पर शहरीकरण के कारण वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र में गिरावट को देखते हुए वनस्पतियों और जीवों के लिए खतरा पैदा हो गया है। इसके लिए दोषियों को सजा दिलाने के लिए अधिकारियों को सख्त रुख अपनाने की जरूरत है।
हालांकि, जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि किसी आरोपित के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों के किसी भी तरह के उल्लंघन का तभी समर्थन किया जाना चाहिए जब अभियोजन पक्ष मानकों को पूरा करता हो।
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Indus Water Treaty: सिंधु जल संधि कब तक रहेगा स्थगित? विदेश मंत्री जयशंकर ने दिया सीधा जवाब
पीटीआई, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े एक्शन लिए। भारत ने सिंधु जल संधि को स्थगित कर दिया। इसके बाद भारत ने 7 मई की सुबह आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक हमले किए। इस हमले में पाकिस्तान और पीओजेके में आतंकियों के 9 ठिकाने पूरी तरीके से ध्वस्त हो गए।
इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान के साथ भारत के संबंध और व्यवहार पूरी तरह से द्विपक्षीय होंगे, जो कई वर्षों से राष्ट्रीय सहमति है और उस सहमति में "बिल्कुल कोई बदलाव नहीं है।
कब तक स्थगित रहेगी सिंधु जल संधि?दरअसल, एक कार्यक्रम के अवसर पर संवाददाताओं से बातचीत करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि सिंधु जल संधि तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन नहीं बंद कर देता।
विदेश मंत्री ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने पहलगाम हमले के अपराधियों को जवाबदेह ठहराने की आवश्यकता पर बल दिया था और 7 मई की सुबह हमने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से उन्हें जवाबदेह ठहराया।
उन्होंने कहा कि भारत ने 7 मई की सुबह आतंकवादी बुनियादी ढांचे पर सटीक हमले किए, जिसके बाद पाकिस्तान ने 8, 9 और 10 मई को भारतीय सैन्य ठिकानों पर हमला करने का प्रयास किया। पाकिस्तानी कार्रवाई का भारतीय पक्ष द्वारा कड़ा जवाब दिया गया। 10 मई को दोनों पक्षों के सैन्य अभियान महानिदेशकों (डीजीएमओ) के बीच वार्ता के बाद सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति बनने के साथ ही शत्रुता समाप्त हो गई।
केवल पीओके पर होगी बात: जयशंकरविदेश मंत्री ने कहा कि पानी के मुद्दे उठाए गए हैं। मैं फिर से जोर देता हूं कि सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान विश्वसनीय रूप से और अपरिवर्तनीय रूप से सीमा पार आतंकवाद को अपना समर्थन देना बंद नहीं कर देता। इसलिए, कभी-कभी, कश्मीर मुद्दे को उठाया जाता है। फिर से, कश्मीर पर चर्चा के लिए केवल एक ही बात बची है, वह है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना, हम पाकिस्तान के साथ इस पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। मैं अपनी स्थिति को बहुत स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं...सरकार की स्थिति बहुत, बहुत स्पष्ट है।
'पाकिस्तान को हमने भारी नुकसान पहुंचाया'विदेश मंत्री एस जयशंर ने कहा कि 10 मई की सुबह पाकिस्तान के कई एयरबेस पह सटीक निशाना साधा गया। विदेश मंत्री ने कहा कि सैटेलाइट से सामने आई तस्वीरें बताती हैं कि पाकिस्तान को कितना नुकसान हुआ है। पाकिस्तान को लेकर उन्होंने कहा कि लोग जो 7 मई को पीछे हटने के लिए तैयार नहीं थे, 10 मई को बातचीत करने और पीछे हटने के लिए तैयार थे। यह बहुत स्पष्ट है कि कौन गोलीबारी बंद करना चाहता था।
होंडुरास दूतावास के उद्घाटन के मौके पर जयशंकर ने कहा कि भारत के लिए यह बहुत अच्छी बात है कि यहां सीईएलएसी (लैटिन अमेरिकी और कैरेबियाई राज्यों का समुदाय) समूह के एक देश का नया दूतावास है।
उन्होंने कहा कि होंडुरास एक ऐसा देश है जहां व्यापार बढ़ रहा है, वे राजनीतिक रूप से हमारा समर्थन करते हैं। वे उन देशों में से एक थे जिन्होंने पहलगाम हमले के मामले में मजबूत एकजुटता व्यक्त की थी, इसलिए मैं इसकी बहुत सराहना करता हूं।
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Tahawwur Rana Case: तुषार मेहता, एसवी राजू... 5 वकीलों की टीम दिलाएगी तहव्वूर राणा को हर गुनाहों की सजा
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकवादी हमले के मामले में पाकिस्तानी मूल के कनाडाई आतंकवादी तहव्वुर हुसैन राणा के खिलाफ पैरवी के लिए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की अध्यक्षता में वकीलों की एक टीम नियुक्त की है। गृह मंत्रालय ने कहा कि यह नियुक्ति राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण अधिनियम, 2008 और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के तहत की गई है।
वकीलों की टीम में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के अलावा अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू, वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन और अधिवक्ता नरेंद्र मान शामिल हैं। यह टीम एनआइए की विशेष अदालतों, दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में तहव्वुर राणा मामले से संबंधित मुकदमों में पैरवी करेगी।
तहव्वुर हुसैन राणा और डेविड हेडली के खिलाफ चलाया जा रहा मुकदमादिल्ली में एनआइए कोर्ट में 26/11 मुंबई आतंकवादी हमलों के संबंध में तहव्वुर हुसैन राणा और डेविड कोलमैन हेडली के खिलाफ मुकदमा चलाया जा रहा है।
एनआइए ने वर्षों के निरंतर प्रयास के बाद अमेरिका से राणा का प्रत्यर्पण सुनिश्चित किया और यहां पहुंचने पर 10 अप्रैल को उसे गिरफ्तार कर लिया। राणा पर पाकिस्तान के आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा द्वारा 2008 में किए गए हमलों के पीछे की बड़ी साजिश में शामिल होने का आरोप है। इन हमलों में 166 लोग मारे गए थे और 238 से अधिक घायल हुए थे। उसे नौ मई को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था और एनआईए द्वारा हिरासत में पूछताछ के बाद तिहाड़ जेल भेज दिया गया है।
तेलंगाना में मिस वर्ल्ड प्रतिभागियों के पैर धुलवाने मचा बवाल, वीडियो हुआ वायरल; अब प्रदेश सरकार ने दी सफाई
पीटीआई, हैदराबाद। तेलंगाना के रामप्पा मंदिर में कुछ महिलाओं द्वारा मिस वर्ल्ड प्रतिभागियों के पैर धुलवाने में मदद करने का वीडियो सामने आने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। भाजपा व बीआरएस ने इसे तेलंगाना की महिलाओं का अपमान करार दिया है।
रामप्पा मंदिर गईं थीं मिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की प्रतिभागीमिस वर्ल्ड प्रतियोगिता की प्रतिभागी बुधवार को परंपरागत साड़ी में रामप्पा मंदिर गईं थीं। मंदिर में प्रवेश से पहले उन सभी के पैर धुलवाए गए थे, जिसमें कुछ स्थानीय महिलाओं ने उनकी मदद की थी।
बीआरएस ने इसे एक भयावह घटना बतायावीडियो पर बीआरएस ने इसे एक भयावह घटना बताते हुए कहा कि स्थानीय दलित, आदिवासी व आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को विदेशी मिस वर्ल्ड प्रतिभागियों के पैर धोने व पोंछने के लिए बाध्य किया गया। इससे पूरे प्रदेश में आक्रोश है और राज्य के आत्म-सम्मान को ठेस पहुंची है।
भाजपा-बीआरएस ने मुख्यमंत्री की आलोचना कीबीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने अपने एक्स हैंडल पर वीडियो को दोबारा पोस्ट करते हुए घटना के लिए मुख्यमंत्री की आलोचना की। तेलंगाना भाजपा प्रमुख व केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने भी एक्स पोस्ट पर कर कहा कि मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने महिलाओं के आत्म सम्मान व गरिमा को रौंद दिया है।
उन्होंने पोस्ट में आगे कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व को ईशनिंदा और हमारी नारीशक्ति की गरिमा, संस्कृति और आत्मसम्मान को समर्पित करने के लिए तेलंगाना की महिलाओं से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।
प्रदेश सरकार ने कही ये बातवहीं इन आलोचनाओं के जवाब में प्रदेश सरकार ने एक्स पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अतिथि देवो भव: के भाव के तहत यह वह परंपरा है, जिसका हम पालन करते हैं, जिसमें अंतरराष्ट्रीय अतिथियों को सर्वोच्च सम्मान दिया जाता है।
India-US Trade Deal: 'अभी तक कुछ भी तय नहीं', भारत-अमेरिका व्यापार समझौते पर क्या-क्या बोले एस जयशंकर
एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में TRF आतंकी संगठन के खिलाफ सबूत पेश करने का फैसला किया है। भारत की मांग है कि इस आतंकी संगठन पर बैन लगाया जाए।
TRF पर बैन लगाने के मामले पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, "इस मामले पर वास्तव में भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है। संयुक्त राष्ट्र के सदस्यों ने साफ तौर पर कहा है पहलगाम हमले के दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले।"
विदेश मंत्री ने भारत-पाकिस्तान सैन्य कार्रवाई पर कहा कि दुनिया ने देखा कि पाकिस्तान ने भारत पर हमला करने के लिए चीनी ड्रोन का इस्तेमाल किया। हालांकि, ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिल रहा है।
वहीं,जयशंकर ने एक बार फिर अमेरिका को इशारों-इशारों में बता दिया कि कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय है। इस मामले पर किसी भी तीसरे देश का दखल सही नहीं है।
हमारी सेना ने पाकिस्तान का जबरदस्त नुकसान किया: जयशंकरऑपरेशन सिंदूर पर जयशंकर ने कहा,"हमने आतंकवादी ढांचे को नष्ट किया। हमने पाकिस्तान को अगाह किया था कि हम आतंकवादी ढांचे पर हमला करने जा रहे हैं, न कि सेना पर और सेना के पास यह विकल्प है कि वह इस ऑपरेशन में हस्तक्षेप न करे। उन्होंने इस सलाह को न मानने का फैसला किया। पाकिस्तान ने भारत पर हमले किया। इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की। सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि हमने पाकिस्तान का कितना नुकसान किया और उन्होंने कितना कम नुकसान किया।"
सीजफायर को लेकर जयशंकर ने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि यह स्पष्ट है कि कौन गोलीबारी बंद करना चाहता था।
पाकिस्तान को गुलाम कश्मीर लौटाना ही होगा: विदेश मंत्रीपहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को भी स्थगित कर दिया है। इस मामले पर विदेश मंत्री ने कहा,"सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से नहीं रोका जाता।
विदेश मंत्री ने आगे कहा,"कश्मीर पर चर्चा के लिए केवल एक ही बात बची है, वह है पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय क्षेत्र को खाली करना; हम इस चर्चा के लिए तैयार हैं।"
'कोई भी व्यापार सौदा परस्पर लाभकारी होना चाहिए'भारत-अमेरिका के बीच चल रहे ट्रेड एग्रीमेंट पर भी विदेश मंत्री जयशंकर ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता चल रही है। ये जटिल वार्ताएं हैं। जब तक सब कुछ तय नहीं हो जाता, तब तक कुछ भी तय नहीं होता।
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि कोई भी व्यापार सौदा परस्पर लाभकारी होना चाहिए; इसे दोनों देशों के लिए कारगर होना चाहिए। व्यापार सौदे से हमारी यही अपेक्षा होगी। जब तक ऐसा नहीं हो जाता, इस पर कोई भी निर्णय जल्दबाजी होगी।
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'PAK सेना को कहा था दूर रहो', जयशंकर ने शहबाज सरकार के झूठ की खोली पोल; बोले- सैटेलाइट तस्वीरें बता रही सच्चाई
एएनआई, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने सात मई को ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) के जरिए पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर के 9 आतंकी ठिकानों पर जबरदस्त बमबारी की थी। इस कार्रवाई में 100 से ज्यादा आतंकी मारे गए।
ऑपरेशन सिंदूर को लेकर एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमने 9 आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किए। हमने पाकिस्तान को आगाह किया था कि हम आतंकवादी ढांचे पर हमला करने जा रहे हैं, न कि सेना पर और सेना के पास यह विकल्प है कि वह इस ऑपरेशन में हस्तक्षेप न करें। उन्होंने इस सलाह को न मानने का फैसला किया। पाकिस्तान ने भारत पर हमले किए। इसके बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई की।"
सैटेलाइट तस्वीरें बता रही पाकिस्तान की सच्चाई: जयशंकरऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन और मिसाइलों से हमला कर दिया। हालांकि, भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने पाकिस्तान के सभी ड्रोन और मिसाइल मार गिराए। इसके बाद भारत ने पाकिस्तान के कई सैन्य एयरबेस को तबाह कर दिए।
इस सैन्य कार्रवाई के बीच पाकिस्तान ने झूठी खबरें फैलाई कि पाकिस्तान की सेना ने भारत का बड़ा नुकसान किया है। पाकिस्तान के इस झूठे दावे पर जयशंकर ने कहा कि सैटेलाइट तस्वीरों से पता चलता है कि हमने पाकिस्तान का कितना नुकसान किया और उन्होंने कितना कम नुकसान किया।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले प्राइवेट सैटेलाइट कंपनी मैक्सार ने कुछ तस्वीरें जारी की है, जिसमें देखा जा सकता है कि भारत के हमलों में पाकिस्तानी एयरबेस को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है।
भारत ने पाकिस्तान के सैन्य एयरबेस को किया तबाहवायु सेना ने हवाई हमला करते हुए पाकिस्तान के रहीम यार खान एयरबेस पर जबरदस्त बमबारी की है। यह एयरबेस पाकिस्तान वायु सेना का प्रमुख केंद्र है। इतना ही नहीं, भारतीय वायु सेना ने चकवाल एयरबेस पर भी हमला किया।
सिंधु जल समझौता रहेगा स्थगित: एस जयशंकरपहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को भी स्थगित कर दिया है। इस मामले पर विदेश मंत्री ने कहा,"सिंधु जल संधि स्थगित है और तब तक स्थगित रहेगी जब तक पाकिस्तान द्वारा सीमा पार आतंकवाद को विश्वसनीय और अपरिवर्तनीय रूप से नहीं रोका जाता।
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ड्रोन ने बदला युद्ध का तरीका: भारत ने कब पहली बार जंग में इस्तेमाल किया था Drone?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। ड्रोन ने दुनिया भर में युद्ध का तरीका बदल दिया है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर पहुंच गया। भारतीय सेना ने पाकिस्तान में आतंकियों के ठिकाने तबाह किए तो पाकिस्तानी सेना ने सैकड़ों की संख्या में ड्रोन भेजकर हमले किए। पाकिस्तान के ड्रोन हमलों को भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम ने हवा में खत्म कर दिया।
अब सवाल यह है कि ड्रोन शब्द कैसे चलन में आया, ड्रोन किस तरह युद्ध लड़ने के तौर-तरीके बदल रहे हैं, दुनिया में पहली बार ड्रोन का कब इस्तेमाल हुआ और किस काम के लिए हुआ था? आइए हम आपको ड्रोन के बारे में सबकुछ बताते हैं...
- अभी हाल में भारत-पाकिस्तान तनातनी में दोनों देशों ने अपनी-अपनी ताकत दिखाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया। इससे पहले इजरायल-गाजा और रूस-यूक्रेन वॉर में भी ड्रोन का जमकर इस्तेमाल किया गया। इससे एक बात साफ हो गई है कि ड्रोन अब सिर्फ तकनीक नहीं हैं, अब ये युद्ध की दिशा बदलने वाला हथियार हैं।
- जिस भी देश की रक्षा प्रणाली में उन्नत तकनीक के ड्रोन भी शामिल हैं, उस देश की सेना कई गुना ताकतवर हो जाती है। जैसे पहले विश्व युद्ध में खाइयों की लड़ाई युद्ध रणनीति का हिस्सा थी, वैसे ही 21वीं सदी में ड्रोन युद्ध में प्रमुख हथियार बन चुके हैं। भविष्य के युद्ध की दिशा एआई, स्वार्म टेक्नोलॉजी और ड्रोन से तय होगी।
भारत का पहला स्वदेशी डिजाइन और डिवेलप्ट ड्रोन 'निशांत' था। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने ड्रोन 'निशांत' का 1995 में इसका परीक्षण किया था। भारतीय सेना की रिमोटली पायलेटेड व्हीकल (RPV) की जरूरत को पूरा करने के लिए 'निशांत' को बनाया गया था।
साल 1999 में कारगिल भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ गया था। तब पहली बार भारत ने इस ड्रोन का इस्तेमाल किया था। यह ड्रोन दुश्मन के इलाके के जानकारी एकत्रित करने और तोपखाने की आग को ठीक करने के लिए किया गया था।
इसके बाद भारत ने पंछी, लक्ष्य, रुस्तम, आर्चर, घातक और नेत्र समेत कई और ड्रोन बनाए। हालांकि, अभी भारत मुख्य रूप से इजरायली मूल के हिरोन मार्क-2, हैरोप और स्काई-स्ट्राइकर जैसे ड्रोन का इस्तेमाल करता है।
अभी हाल ही में भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी स्थलों और पाकिस्तानी वायु रक्षा प्रणालियों पर हमला करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया। हालांकि, ये स्पष्ट नहीं है कि कौन-सा ड्रोन इस्तेमाल किया।
अब युद्ध में क्यों अहम हैं ड्रोन?- ड्रोन की किसी भी सीमा पर त्वरित तैनाती की जा सकती है।
- UAV ड्रोन सटीक हमला करने में सक्षम हैं।
- मानव जीवन के लिए कम जोखिम तुलनात्मक रूप से कम लागत।
- रडार और निगरानी प्रणाली से छिपने में सक्षम।
द पावर एटलस और द ड्रोन डेटाबुक के अनुसार-
अमेरिका 13000 तुर्किए 1421 पोलैंड 1209 रूस 1050 जर्मनी 670 भारत 625 फ्रांस 591 ऑस्ट्रेलिया 557 दक्षिण कोरिया 518 फिनलैंड 412 ड्रोन शब्द व कंसेप्ट कब और कैसे आया?यह बात उस वक्त की है, जब भारत में अंग्रेजों के खिलाफ जंग शुरू भी नहीं थी। 19वीं सदी में इटली छोटे-छोटे राज्यों में बंटा था। इन राज्यों पर अलग-अलग शक्तियों का नियंत्रण था, जिनमें ऑस्ट्रियन साम्राज्य एक प्रमुख शक्ति थी।
1848-49 के बीच पूरे यूरोप में क्रांति की लहर उठी, जिसे स्प्रिंगटाइम ऑफ नेशंस (Springtime of Nations) कहा जाता है। लोगों ने अपनी आजादी के लिए लड़ना शुरू कर दिया। इटली आजादी और एकीकरण (Unification) के लिए आंदोलन चल रहा था।
1849 में वेनिस ने भी ऑस्ट्रिया के खिलाफ विद्रोह कर दिया। वेनिस के लोगों ने ऑस्ट्रिया से आजाद होने का प्रयास किया और एक अस्थाई सरकार बना ली। ऑस्ट्रिया ने सैन्य कार्रवाई कर आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया। जब वेनिस के आंदोलनकारियों ने हार नहीं मानी तो ऑस्ट्रियाई सेना ने वेनिस पर बैलून बम गिराए थे, जिसे दुनिया का पहला हवाई हमला माना जाता है।
20वीं सदी में ड्रोन तकनीक विकसित हो गई। आज से करीब 108 साल पहले, प्रथम विश्व युद्ध (साल 1917) के दौरान ब्रिटेन ने रेडियो कंट्रोल्ड एरियल टारगेट (Aerial Target) का टेस्ट किया। ब्रिटेन के टेस्ट के एक साल बाद 1918 में अमेरिका रेडियो कंट्रोल व्हीकल का परीक्षण किया। उसे केटरिंग बग (Kettering ‘Bug’) करार दिया गया। उस वक्त यह मानव रहित अनमैन्ड व्हीकल (UAV) का पहला उदाहरण था।
ड्रोन का पहली बार प्रयोग किस युद्ध में हुआ था?दूसरे विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन ने रिमोट से चलने वाली डीएच82बी क्वीन बी (Queen Bee) ड्रोन बनाया गया। ‘ड्रोन’ शब्द की उत्पत्ति इसी नाम से हुई है। यह किसी भी लक्ष्य की जानकारी लेने के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा था।
'क्वीन बी' को दुनिया का सबसे पहला आधुनिक ड्रोन माना गया था। 'क्वीन बी' का उपयोग ब्रिटेन के रॉयल एयर फोर्सेस में किया गया था। इस ड्रोन की सफलता के बाद ही अमेरिका ने अपना ड्रोन प्रोग्राम शुरू किया था।
अमेरिकी ड्रोन पहली बार युद्ध में कब उड़ाए गए?अमेरिका ने ब्रिटेन में ड्रोन के सफल होने के बाद अपने यहां ड्रोन बनाने शुरू कर दिए। अमेरिका ने वियतनाम वॉर के दौरान पहली बार छोटे रिमोट कंट्रोल ड्रोन 'रयान एक्यूएम 91' (Ryan AQM-91) का इस्तेमाल किया था। अमेरिकी आर्मी ने इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर उत्तरी वियतनाम में दुश्मन की जासूसी करने के लिए किया था। 'रयान एक्यूएम 91' दो कैमरों से लैस था।
क्या प्रीडेटर ड्रोन गेम चेंजर साबित हुआ?कोल्ड वॉर के दौरान जासूसी के लिए ड्रोन का जमकर इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि 90 के दशक में पहुंचने तक अमेरिका ने प्रीडेटर ड्रोन यानी एक तरह से मानव रहित हवाई विमान (UAV) विकसित कर लिया, जोकि मिसाइल लैस था। उसके बाद इस ड्रोन का इस्तेमाल बाल्कन युद्ध में किया गया था।
इस दिशा में सबसे बड़ा बदलाव साल 2000 में आया, जब अमेरिका ने प्रीडेटर ड्रोन को हेलफायर मिसाइल (Hellfire Missile) से लैस कर दिया। इसके बाद से यह ड्रोन दुश्मन के इलाके में सटीक हमला करने में सक्षम हो गया।
9/11 के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ अभियान में हेलफायर मिसाइल प्रीडेटर ड्रोन का बड़े लेवल पर इस्तेमाल किया। यह ड्रोन 24 घंटे उड़ान भरने में सक्षम था। एक समय तक ड्रोन तकनीक और ड्रोन इंडस्ट्री (Drone industry) पर अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल का कब्जा था। साल 2015 के बाद ड्रोन तकनीक वैश्विक हो गई।
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Source:
- ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की वेबसाइट - www.orfonline.org
- रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन - www.drdo.gov.in
क्या IAEA लगाएगा पाकिस्तान की परमाणु शक्ति पर 'पावर ब्रेक'? श्रीनगर से रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की बड़ी मांग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने श्रीनगर का दौरा किया। पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद उन्होंने घाटी पहुंचकर सेना के जवानों का हौसला बढ़ाया। इस दौरान पड़ोसी देश पाकिस्तान को कड़े लहजे में चेतावनी भी दे डाली।
राजनाथ ने कहा, '35-40 सालों से भारत सरहद पार से चलाए जा रहे आतंकवाद का सामना कर रहा है। आज भारत ने पूरी दुनिया के सामने स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद के खिलाफ हम किसी भी हद तक जा सकते हैं।'
पहलगाम में आतंकवादी घटना को अंजाम देकर भारत के माथे पर चोट पहुंचाने का काम किया। उन्होंने भारत के माथे पर वार किया, हमने उनकी छाती पर घाव दिए हैं। पाकिस्तान के जख्मों का इलाज इसी बात में है कि वह भारत विरोधी और आतंकवादी संगठनों को पनाह देना बंद करे, अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ न होने दे।
आतंकी खुद को सुरक्षित ना समझेऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी ने पाकिस्तान में छिपे आतंकी संगठनों और उनके आकाओं को भी यह साफ-साफ बता दिया है कि वो कहीं भी अपने आप को महफूज और सुरक्षित न समझें। अब वे भारतीय सेनाओं के निशाने पर हैं। दुनिया जानती है, हमारी सेनाओं का निशाना अचूक है और वो जब वो निशाना लगाते हैं तो गिनती करने का काम दुश्मनों पर छोड़ देते हैं।
परमाणु धमकियों से डरते नहींरक्षा मंत्री ने आगे कहा, 'हमने उनके न्यूक्लियर ब्लैकमेल की भी परवाह नहीं की है। पूरी दुनिया ने देखा है कि कैसे गैर जिम्मेदाराना तरीके से पाकिस्तान द्वारा भारत को अनेक बार एटमी धमकियां दी गई हैं। आज श्रीनगर की धरती से मैं पूरी दुनिया के सामने यह सवाल उठाना चाहता हूं कि क्या ऐसे गैर जिम्मेदार और दुष्ट राष्ट्र के हाथों में परमाणु हथियार सुरक्षित हैं? मैं मानता हूं कि पाकिस्तान के एटमी हथियारों को IAEA यानी (International Atomic Energy Agency) की निगरानी में लिया जाना चाहिए।'
क्या है IAEA?अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी यानी IAEA एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जो परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग को बढ़ावा देने और परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के लिए काम करता है। इस संस्था का गठन 29 जुलाई 1957 को हुआ था। इसका मुख्यालय विएना ऑस्ट्रिया में है।
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वियतनाम, थाईलैंड से कम हुआ चीन पर टैरिफ, भारत के साथ भी अंतर मामूली, भारत पर चीन से बेहतर डील का दबाव
एस.के. सिंह, नई दिल्ली। जिनेवा में दो दिनों की वार्ता के बाद अमेरिका और चीन ने 12 मई को अस्थायी ‘व्यापार युद्ध विराम’ (US-China Deal) का ऐलान किया। इसके तहत बुधवार, 14 मई से 90 दिनों के लिए दोनों देशों ने अधिकांश वस्तुओं पर टैरिफ में भारी कमी कर दी है। चीन से आयात पर अमेरिकी टैरिफ 145% से घटकर 30% हो गया है। चीन ने भी अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क को 125% से घटाकर 10% कर दिया है। हालांकि स्टील, एल्युमीनियम और ऑटोमोबाइल को इस ‘युद्ध विराम’ से बाहर रखा गया है।
इन 90 दिनों में दोनों देश व्यापार शर्तों पर बात करेंगे। टैरिफ घटाने के अलावा चीन कुछ नॉन-टैरिफ बाधाएं कम करेगा। इसमें क्रिटिकल रॉ मैटेरियल निर्यात की अनुमति देना शामिल है। अमेरिका ने भी समझौते से इतर, चीन से कम वैल्यू वाले (800 डॉलर तक) ईकॉमर्स आयात पर टैरिफ 120% से घटाकर 30% करने का निर्णय लिया है। विशेषज्ञ दोनों देशों के इस रोलबैक को उम्मीद से अधिक बता रहे हैं। वे इसे ग्लोबल सप्लाई चेन में एक टर्निंग पॉइंट के तौर पर भी देख रहे हैं।
चीन-अमेरिका डील का भारत पर असरअमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को जो रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा की थी (जिसे 9 अप्रैल को 90 दिनों के लिए स्थगित किया गया), उसमें अन्य देशों के साथ भारत पर 26%, वियतनाम पर 46% और थाईलैंड पर 36% टैरिफ लगाया गया था। दूसरी ओर चीन पर टैरिफ बढ़कर 145% हो गया था। ऐसे में ये देश चीन की तुलना में एडवांटेज की स्थिति में आ गए थे और अपने यहां मैन्युफैक्चरिंग हब का विस्तार करने की योजना पर काम कर रहे थे। बहुराष्ट्रीय कंपनियों की ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति के तहत इन देशों को हाल के वर्षों में निवेश का फायदा मिला है।
लेकिन नई डील के बाद स्थिति काफी बदल गई है। अब चीन पर 30% टैरिफ वियतनाम और थाईलैंड की तुलना में कम है। भारत के साथ भी सिर्फ 4% का अंतर रह गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जो कंपनियां चीन से बाहर अपनी सप्लाई चेन स्थापित करने की योजना बना रही थीं, वे फिलहाल आगे नहीं बढ़ेंगी। अमेरिका-चीन डील से भारत, वियतनाम और मेक्सिको जैसे देशों पर अमेरिका के साथ बेहतर डील करने का दबाव रहेगा।
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि अमेरिका एक बार फिर चीन की ओर झुक रहा है। यह भारत के सप्लाई चेन के लिए अच्छा नहीं है। वे कहते हैं, “भारतीय वस्तुओं पर अभी अमेरिका ने 10% टैरिफ लगा रखा है, जो चीनी आयात पर 30% टैरिफ से बहुत कम है। लेकिन भारत के पक्ष में जो विशाल टैरिफ अंतर था, वह तेजी से कम हो रहा है। थोड़े समय पहले ही अमेरिका ने चीनी वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाकर 145% तक कर दिया था। इससे चीन से निकलने की इच्छुक कंपनियों को आकर्षित करने में भारत को बड़ी बढ़त मिली थी। अब यह बढ़त कम हो गई है। वैश्विक निवेशकों के लिए संदेश स्पष्ट है- वॉशिंगटन फिर से बीजिंग के साथ जुड़ रहा है।”
श्रीवास्तव के अनुसार, “इस बदलाव से ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति कमजोर होने का जोखिम है, जिसके तहत कंपनियां अपनी मैन्युफैक्चरिंग चीन से निकाल कर भारत, वियतनाम और मेक्सिको में स्थानांतरित कर रही थीं।”
राष्ट्रपति ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान मार्च 2018 में चीन के साथ टैरिफ युद्ध शुरू किया था। तब भी व्यापार घाटा कम करने, मैन्युफैक्चरिंग को अमेरिका में वापस लाने और चीन की औद्योगिक प्रगति को धीमा करने का वादा किया गया था। ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसके विपरीत टैरिफ ने अमेरिकी बिजनेस को नुकसान पहुंचाया, उपभोक्ताओं के लिए महंगाई बढ़ गई, ग्लोबल सप्लाई चेन बाधित हुई तथा अमेरिका का व्यापार घाटा और बढ़ गया।
श्रीवास्तव के मुताबिक, “वही पैटर्न फिर दोहराया गया है। ट्रंप ने जनवरी 2025 में चाइनीज वस्तुओं पर टैरिफ बढ़ाना शुरू किया और इसे 245% तक ले गए। अब आर्थिक दबाव में उन्हें वापस ले रहे हैं। अब अमेरिका-चीन के बीच 660 अरब डॉलर की ट्रेड पाइपलाइन फिर खुल गई है और ग्लोबल सप्लाई चेन पर दबाव कम हुआ है।”
वे कहते हैं, “जैसे-जैसे टैरिफ गैप कम होता जाएगा, भारत, वियतनाम या मेक्सिको जैसी जगहों पर उत्पादन स्थानांतरित करने वाली कंपनियां चीन लौट सकती हैं। ‘चाइना प्लस वन’ रणनीति बिना शोर-शराबे के खत्म हो सकती है। जिस विविधीकरण के उद्देश्य से टैरिफ युद्ध शुरू किया गया था, वह भी रुक सकता है। इसके अलावा और कुछ नहीं बदला है। व्यापार असंतुलन को ठीक करने या अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को दोबारा खड़ा करने का कोई स्पष्ट रास्ता नहीं दिख रहा है। यह बस एक अल्पकालिक समाधान है।”
निर्यातकों के संगठन फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष एस.सी.रल्हन मानते हैं कि यह घटनाक्रम वैश्विक व्यापार स्थिरता के लिए मोटे तौर पर सकारात्मक है, लेकिन यह भारत के लिए चुनौतियां और अवसर दोनों प्रस्तुत करता है।
एक बयान में उन्होंने कहा, “टैरिफ में कमी से इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीनरी और रसायनों जैसे उच्च-मूल्य वाले क्षेत्रों में अमेरिका-चीन द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि होने की संभावना है। इससे दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे बाजारों में भारतीय निर्यातकों के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ सकती है, जहां भारत ने हाल ही में अमेरिका-चीन व्यापार व्यवधानों का लाभ उठाते हुए अपनी पैठ बनाई है।”
यह पूछने पर कि भारत और वियतनाम जैसे देश चीन-प्लस-वन रणनीति से जो लाभ उठा रहे थे, क्या वे चीन पर बढ़त खो देंगे, जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में विजिटिंग स्कॉलर और अशोका यूनिवर्सिटी में विशिष्ट फेलो अजय छिब्बर ने कहा, “हां, उन्हें जो लाभ होता, वह अब बहुत कम होगा।”
भारत के लिए क्या करना उचितGTRI के अजय श्रीवास्तव के अनुसार, कम निवेश वाले असेंबली ऑपरेशंस अभी भारत में ही रह सकते हैं, लेकिन वास्तविक औद्योगिक इकोसिस्टम के लिए जरूरी गहन मैन्युफैक्चरिंग रुक सकता है या वापस चीन जा सकता है। निवेशक चीन की तरफ अमेरिका के झुकाव पर नजर रख रहे हैं। जब तक भारत प्रतिस्पर्धात्मक लाभ हासिल नहीं कर लेता, तब तक वे यहां निवेश करने में संकोच करेंगे। उनकी राय में, “अमेरिका के साथ एक स्मार्ट ट्रेड डील करनी पड़ेगी जिससे भारत पर 10% टैरिफ का स्तर प्रस्तावित 26% तक न पहुंचे।”
अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) पर भारत की बात चल रही है। श्रीवास्तव के मुताबिक, “यह डील जल्दी होने की संभावना है। ट्रंप ने कहा है कि भारत अधिकतर वस्तुओं पर टैरिफ घटाने पर राजी हो गया है। ट्रंप हमेशा व्यापार घाटे के लिए भारत के ऊंचे टैरिफ को दोष देते रहे हैं। भारत समझौते के पहले दिन से ‘जीरो फॉर जीरो’ अप्रोच के तहत अमेरिका से 90% आयात को टैरिफ-मुक्त कर सकता है। ऑटोमोबाइल और कृषि को इससे बाहर रखा जा सकता है। लेकिन यह डील बराबरी की होनी चाहिए। दोनों पक्ष को टैरिफ समान रूप से खत्म करना चाहिए।”
श्रीवास्तव कहते हैं, “व्यापार नीति से परे भारत को उत्पादन लागत में कटौती, लॉजिस्टिक्स में सुधार और रेगुलेटरी व्यवस्था में बदलाव करना चाहिए। भविष्य में मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत में भारत को सार्थक लाभ के बिना ऑटोमोबाइल और फार्मास्यूटिकल्स जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को खोलने के दबाव का विरोध करना चाहिए।”
FIEO अध्यक्ष रल्हन का मानना है कि भारत इस बदलाव का लाभ उन क्षेत्रों में निर्यात मजबूत करने के लिए उठा सकता है जो अमेरिका-चीन व्यापार से अपेक्षाकृत अछूते हैं। इनमें फार्मास्युटिकल एपीआई, जेम्स और ज्वैलरी, इंजीनियरिंग सामान, कार्बनिक रसायन और आईटी-सक्षम सेवाएं शामिल हैं। रल्हन ने कहा कि भारत को अपने तरजीही व्यापार पहुंच को सुरक्षित करने और बढ़ाने के लिए अमेरिका के साथ सक्रिय रूप से जुड़ना चाहिए, एक विश्वसनीय वैकल्पिक सोर्सिंग गंतव्य के रूप में अपनी भूमिका पर जोर देना चाहिए।
विभिन्न देशों के साथ डील का अमेरिका पर प्रभावटैरिफ लगाते समय राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि इससे अमेरिका को अरबों डॉलर की आय होगी, जिससे अमेरिकी नागरिकों के लिए इनकम टैक्स कम किया जा सकेगा। लेकिन ट्रंप इंग्लैंड और चीन के साथ टैरिफ पर समझौता कर चुके हैं, कई देशों के साथ बात चल रही है, उससे उनका यह वादा पूरा होता नहीं लग रहा है। जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के अजय छिब्बर कहते हैं, “अमेरिका ने टैरिफ से कुछ राजस्व अर्जित करना शुरू कर दिया है। अप्रैल में करीब 16 अरब डॉलर मिले हैं। लेकिन हां, अगर आप ट्रेड डील करते हैं तो टैरिफ रेवेन्यू में उतना नहीं कमाएंगे। दूसरों को ज्यादा अमेरिकी उत्पाद खरीदने के लिए मजबूर करने से अमेरिका को लाभ हो सकता है।”
ट्रंप ने अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग वापस लाने का भी वादा किया था। लेकिन चीन के साथ डील के बाद इस पर भी सवाल उठ रहे हैं। छिब्बर के मुताबिक, “अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग में कुछ तो वृद्धि होगी, पर उतना नहीं जितना उन्होंने कहा है। अमेरिका कम लागत वाला मैन्युफैक्चरिंग उत्पादक नहीं बनने जा रहा है, लेकिन ऑटो जैसे हाइ-एंड उत्पादों का उत्पादन वहां बढ़ सकता है।”
डील का चीन पर प्रभावग्लोबल फर्म नेटिक्सिस रिसर्च (Natixis) में एशिया-प्रशांत क्षेत्र की चीफ इकोनॉमिस्ट एलिसिया गार्सिया हेरेरो (Alicia GARCIA HERRERO) के मुताबिक, “इस डील से चीन को मैन्युफैक्चरिंग रोजगार और फैक्टरियों की अत्यधिक उत्पादन क्षमता पर दबाव कम करने में मदद मिलेगी। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका पर निर्भरता कम करने के चीन के दूरगामी लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी चीन को थोड़ा वक्त मिल जाएगा।”
एलिसिया ने 90 दिनों के बाद चीन के लिए तीन संभावनाओं का आकलन किया है। अगर अमेरिका 10% रेसिप्रोकल टैरिफ जारी रखता है और 20% फेंटानिल टैरिफ खत्म करता है तो अमेरिका को चीन के निर्यात में 20% गिरावट आएगी और चीन की जीडीपी पर इसका प्रभाव -0.7% होगा। दूसरी संभावना में अगर अमेरिका 10% रेसिप्रोकल टैरिफ और 20% फैंटानिल टैरिफ, दोनों को जारी रखता है तो चीन का निर्यात 50% घट जाएगा तथा उसकी जीडीपी पर प्रभाव -1.6% का होगा। अगर 90 दिनों के बाद ट्रेड वॉर दोबारा शुरू होती है तो अमेरिका को चीन का निर्यात 80% घट जाएगा और चीन की जीडीपी पर इसका प्रभाव -2.5% का होगा।
एलिसिया बताती हैं, “अमेरिका के नजरिए से देखें तो यह समझौता टैरिफ के कारण महंगाई बढ़ने और सप्लाई चेन बाधित होने को दर्शाता है। ट्रंप प्रशासन ने स्थिति का आकलन करते हुए कम जोखिम वाली स्ट्रैटजी को चुना। हालांकि अमेरिका अब भी दीर्घकाल में सप्लाई चेन के विविधीकरण और चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति से हटा नहीं है।”
आगे क्या हैं संभावनाएंएलिसिया कहती हैं, “दोनों पक्ष एक दूसरे पर अविश्वास करते हैं और नतीजे (डील) पूरी तरह जरूरत आधारित हैं। ट्रंप को यह एहसास नहीं था कि चीन से अलगाव अमेरिकी अर्थव्यवस्था को इतना नुकसान पहुंचाएगा। चीन से अलगाव धीमी गति से ही किया जा सकता है, लेकिन ट्रंप का उद्देश्य नहीं बदलेगा। ट्रंप प्रशासन शायद पहले से कहीं अधिक आश्वस्त हो गया है कि विविधता लाने और मैन्युफैक्चरिंग में चीन पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता है।”
अजय छिब्बर कहते हैं, “चीन और अन्य देशों के साथ ट्रेड डील होने के बाद भी अमेरिकी टैरिफ पहले से अधिक होंगे। भारी आर्थिक और टैरिफ अनिश्चितता अब भी बनी रहेगी, क्योंकि ट्रंप टैरिफ को न केवल व्यापार युद्ध के लिए बल्कि ड्रग्स, माइग्रेशन जैसे अन्य मसलों में भी हथियार के रूप में प्रयोग करते हैं। इसका मतलब वैश्विक व्यापार कम होगा और वैश्विक विकास धीमा होगा।”
छिब्बर का आकलन है कि चीन-अमेरिका के बीच तय 90 दिनों के विराम में ट्रेड तेजी से बढ़ने की संभावना है, क्योंकि कंपनियां यह मान कर स्टॉक जमा करेंगी कि 90 दिनों बाद कोई सहमति नहीं बनने पर टैरिफ दोबारा बढ़ जाएंगे।
एलिसिया कहती हैं, “कुल मिलाकर देखा जाए तो दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच हुआ यह समझौता अल्पकालिक है। इससे दोनों देशों के बीच तनाव खत्म नहीं होगा, बल्कि दोनों को अपनी-अपनी रणनीति पर आगे बढ़ने के लिए समय मिल जाएगा। इस वजह से वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बनी रहेगी।”
India-Pak Conflict: बंद किए गए थे 32 एयरपोर्ट, सभी हवाई अड्डों से उड़ानें शुरू; केंद्रीय मंत्री ने श्रीनगर एयरपोर्ट का किया दौरा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारती ने पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई कर ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया था। इसके बाद पाकिस्तान ने भी जवाबी हमला करने की कोशिश की थी, जिसके भारतीय सेना और डिफेंस सिस्टम ने नाकाम कर दिया था।
सभी 32 हवाई अड्डों से परिचालन शुरूहालांकि, पाकिस्तान की तरफ से लगातार दागे जा रहे ड्रोन्स और मिसाइल की वजह से भारत ने सीमा से सटे 32 हवाई अड्डों को बंद कर दिया था। लेकिन अब स्थिति सामान्य होने के बाद भारत सरकार ने वापस से सभी एयरपोर्ट्स को खोल दिया है।
#WATCH | J&K: Civil Aviation Minister Ram Mohan Naidu Kinjarapu reviews the facilities at the Srinagar airport and also visits the city
He says, "The flight operations at Srinagar airport have resumed. I met the locals here who voiced that tourism should be encouraged. The… pic.twitter.com/uitCn3lwkI
पांच दिनों के बाद इन हवाई अड्डों से फिर से उड़ाने शुरू हो गई हैं। भारतीय विमानापत्तन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि 15 मई 2025 के सुबह 5.29 बजे तक नागरिक विमान परिचालन के लिए 32 हवाई अड्डों को अस्थायी रूप से बंद करने के लिए सूचना जारी की गई थी।
अब यह सूचित किया जाता है ये हवाई अड्डे अब तत्काल प्रभाव से नागरिक विमान परिचालन के लिए उपलब्ध हैं। यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे सीधे एयरलाइनों से उड़ान की स्थिति की जांच करें और नियमित अपडेट के लिए एयरलाइन की वेबसाइट पर जाकर जानकारी लें।
केंद्रीय मंत्री ने श्रीनगर एयरपोर्ट का किया दौराइसके साथ ही भारत के नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडु किंजरापु ने श्रीनगर हवाई अड्डे पर सुविधाओं की समीक्षा की और शहर का दौरा भी किया। उन्होंने कहा, "श्रीनगर हवाई अड्डे पर उड़ान संचालन फिर से शुरू हो गया है। मैंने यहां स्थानीय लोगों से मुलाकात की जिन्होंने कहा कि पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।"
ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा,"ऑपरेशन सिंदूर के साथ, हमने एक स्पष्ट संदेश दिया है कि हम आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता रखते हैं।"
'जाओ कर्नल सोफिया से माफी मांगो', MP के मंत्री को SC की फटकार; हाईकोर्ट ने भी FIR में गिनाईं खामियां
देश के नए चीफ जस्टिस बीआर गवई के सामने राष्ट्रपति के 14 सवाल, जानिए द्रौपदी मुर्मु ने सुप्रीम कोर्ट से क्या-क्या पूछा
माला दीक्षित, नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने विधेयकों पर मंजूरी के बारे में समय सीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को रेफरेंस भेजकर राय भी मांगी है। राष्ट्रपति ने 14 सवालों पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी है।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने आठ अप्रैल को तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा विधेयकों को लंबे समय तक रोके रखने के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। राज्य के विधेयकों पर मंजूरी के लिए राज्यपाल और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय कर दी थी। यह ऐतिहासिक फैसला न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और आर महादेवन की पीठ ने सुनाया था।
'क्या SC राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय कर सकता है'सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद से ही बहस छिड़ गई थी कि क्या सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय कर सकता है। जब संविधान में राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय नहीं है तो क्या सुप्रीम कोर्ट न्यायिक आदेश के जरिए समय सीमा तय कर सकता है। अब इन सवालों का जवाब राष्ट्रपति ने स्वयं संविधान के अनुच्छेद 143(1) के तहत प्राप्त शक्तियों में सुप्रीम कोर्ट को रेफरेंस (राष्ट्रपति प्रपत्र) भेज कर राय मांगी है। तय संवैधानिक व्यवस्था के मुताबिक राष्ट्रपति द्वारा भेजे गए रेफरेंस पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करती है और अपनी राय राष्ट्रपति को देती है।
राष्ट्रपति की ओर से सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए रेफरेंस में लगभग सभी सवाल संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 से संबंधित हैं, जो राज्य विधानमंडल से पास विधेयकों पर राज्यपाल और राष्ट्रपति की मंजूरी के बारे में हैं।
- जब राज्यपाल के समक्ष अनुच्च्छेद 200 के तहत कोई विधेयक मंजूरी के लिए पेश किया जाता है तो उनके पास क्या-क्या संवैधानिक विकल्प होते हैं।
- क्या राज्यपाल मंजूरी के लिए पेश किये गए विधेयकों में संविधान के तहत उपलब्ध सभी विकल्पों का प्रयोग करते समय मंत्रिपरिषद द्वारा दी गई सलाह और सहायता से बंधें हैं।
- क्या राज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 200 के तहत संवैधानिक विवेकाधिकार का प्रयोग करना न्यायोचित है।
- क्या संविधान का अनुच्छेद 361, राज्यपालों द्वारा अनुच्छेद 200 के तहत किये गए कार्यों के संबंध में न्यायिक समीक्षा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाता है।
- जब राज्यपाल द्वारा अनुच्छेद 200 की शक्तियों के इस्तेमाल के बारे में संविधान में कोई समय सीमा और तरीके निर्धारित नहीं हैं तो क्या न्यायिक आदेश की समय सीमा और तरीके तय किये जा सकते हैं।
- क्या राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 201 के तहत संवैधानिक विवेकाधिकार का प्रयोग करना न्यायोचित है।
- जब संविधान में राष्ट्रपति के लिए अनुच्छेद 201 में कार्य करने के लिए प्रक्रिया और समय सीमा तय नहीं है तो क्या न्यायिक आदेश के जरिए शक्तियों के इस्तेमाल के तरीके और समय सीमा तय की जा सकती है।
- जब राज्यपाल ने विधेयक को राष्ट्रपति की सहमति के लिए सुरक्षित रख लिया हो या अन्यथा, तो क्या राष्ट्रपति की शक्तियों को नियंत्रित करने वाली योजना के आलोक में राष्ट्रपति को संविधान के अनुच्छेद 143 के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट से सलाह लेनी चाहिए।
- क्या संविधान के अनुच्छेद 200 और 201 के तहत राज्यपाल और राष्ट्रपति के निर्णय, कानून के लागू होने के पहले के चरण में न्यायोचित हैं?
- क्या किसी विधेयक के कानून बनने से पहले उसकी विषय वस्तु पर न्यायिक निर्णय लेने की अनुमति न्यायालयों को है। क्या संवैधानिक शक्तियों के प्रयोग में राष्ट्रपति और राज्यपाल के आदेशों को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत किसी तरह प्रस्स्थापित (सब्टीट्यूट) किया जा सकता है।
- क्या राज्य विधान मंडल द्वारा बनाया गया कानून संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल की सहमति के बिना लागू कानून है।
- क्या संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के प्रविधान को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट की किसी भी पीठ के लिए यह जरूरी नहीं है कि वह पहले यह तय करे कि उसके समक्ष विचाराधीन मुद्दे में संविधान की व्याख्या का महत्वपूर्ण प्रश्न शामिल है और उसे विचार के लिए कम से कम पांच न्यायाधीशों की पीठ को भेजा जाना चाहिए।
- क्या सुप्रीम कोर्ट को संविधान के अनुच्छेद 142 में प्राप्त शक्तियां प्रक्रियात्मक कानून के मामलों तक सीमित हैं या 142 की शक्तियां संविधान या लागू कानून के मौजूदा प्रविधानों से असंगत या विपरीत आदेश पारित करने तक विस्तारित हैं।
- क्या सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच विवादों को हल करने के लिए अनुच्छेद 131 के तहत मुकदमे के अलावा किसी अन्य अधिकार क्षेत्र में विचार नहीं कर सकता। यानी क्या सुप्रीम कोर्ट को केंद्र और राज्य के विवादों को सिर्फ 131 के तहत दाखिल मुकदमे में ही सुनवाई का अधिकार है।
तय व्यवस्था के मुताबिक राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट को जो रेफरेंस भेजा है और राय मांगी है उस पर सुप्रीम कोर्ट की पांच न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करेगी और अपनी राय देगी।
तेलंगाना: महाराजगंज में तीन मंजिला बिल्डिंग में लगी आग, मौके पर पहुंची दमकलकर्मियों की टीम; 2 नाबालिग अस्पताल में भर्ती
एएनआई, तेलंगाना। तेलंगाना में हैदराबाद के महाराजगंज बेगम बाजार से तीन मंजिला इमारत में भीषण आग लगने की खबर सामने आई है। आग बुझाने के लिए अग्निशमन अभियान जारी है।
अग्निशमन कर्मियों ने एक महिला को बचाया है। इस मामले में एक अग्निशमन अधिकारी ने कहा, 'अभी तक हम आग लगने का कारण नहीं बता सकते। हमें संदेह है कि यह शॉर्ट सर्किट हो सकता है। यह आग इमारत की पहली मंजिल पर लगी थी।
#WATCH | Telangana: A massive fire broke out in a three-storey building in Maharajganj, Begum Bazar in Hyderabad today. Firefighting operations are underway to douse the fire. pic.twitter.com/Y71NP9mOeE
— ANI (@ANI) May 15, 2025बिल्डिंग में थे 8 लोगअग्निशमन अधिकारी ने आगे कहा, यह एक G+3 मंजिल की इमारत है। इसलिए, पूरी इमारत में आग लगी है। अग्निशमन अभियान चल रहा है। बताया जा रहा है रोबो सहित छह दमकल गाड़ियां यहां हैं जब हम इमारत में पहुंचे, तो इमारत में 8 लोग थे। हमने उन्हें अपनी सीढ़ियों से बचाया।
8 में से 2 नाबालिग थे। उन्हें इलाज के लिए पास के अस्पतालों में भेज दिया गया है। मुझे लगता है कि वे अब स्थिर हैं।
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वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट में टली सुनवाई, सॉलिसिटर जनरल बोले- बनी रहेगी यथास्थिति
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई 20 मई तक के लिए स्थगित कर दी।
केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उन्होंने वक्फ मामले में शीर्ष अदालत द्वारा पहचाने गए तीन मुद्दों पर विस्तृत जवाब दाखिल किया है।
केंद्र का जवाब
केंद्र द्वारा आश्वासन दिया गया कि वक्फ अधिनियम के प्रमुख प्रावधान जिनमें केंद्रीय वक्फ परिषद और वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना और वक्फ संपत्तियों को गैर-अधिसूचित करने के प्रावधान शामिल हैं, वह कुछ समय के लिए प्रभावी नहीं होंगे, यथास्थिति बनी रहेगी।
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तमिलनाडु: कुड्डालोर की फैक्ट्री में सीवेज टैंक में ब्लास्ट, 20 लोग घायल; कई घरों को नुकसान
एएनआई, तमिलनाडु। देर रात कुड्डालोर जिले के मुधुनगर के पास कुडीकाडु इलाके में एक फैक्ट्री में सीवेज टैंक फट गया। इस घटना में 20 लोग घायल हो गए। सभी घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
#WATCH | Tamil Nadu: 20 people injured and admitted to a hospital when a sewage tank at a factory exploded in Kudikadu area near Mudhunagar in Cuddalore district late last night. Houses in the area damaged as water leaked out of the tank and entered the village. More details… pic.twitter.com/SbiFVWNILf
— ANI (@ANI) May 15, 2025इसके साथ ही, टैंक फटने के बाद टैंक से पानी लीक होने और गांव में घुसने से इलाके के घरों को भी काफी नुकसान पहुंचा है। फिलहाल अधिक जानकारी का इंतजार है।
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