National News
दुबई में दो भारतीय श्रमिकों की हत्या, पाकिस्तानियों ने तलवार से हमला कर उतारा मौत के घाट
पीटीआई, हैदराबाद। दुनिया में सबसे सुरक्षित माने जाने वाले दुबई में दो भारतीयो की हत्या की खबर मिली है। पीटीआई के मुताबिक, दुबई में तेलंगाना के दो श्रमिकों की पाकिस्तानियों ने हत्या कर दी।
दो पीड़ितों के परिवार के सदस्यों ने मंगलवार को दावा किया कि दुबई की एक बेकरी में एक पाकिस्तानी नागरिक ने धार्मिक नारे लगाते हुए हमला किया। हमले में तेलंगाना के दो लोगों की मौत हो गई और तीसरा घायल हो गया।
एक बेकरी में काम करते थे पीड़ितएक मृतक के चाचा ए पोशेट्टी ने पीटीआई को बताया कि निर्मल जिले के सोन गांव के अष्टपु प्रेमसागर (35) की 11 अप्रैल को तलवार से हत्या कर दी गई। कथित घटना उस बेकरी में हुई जहां पीड़ित काम करते थे। पोशेट्टी ने बताया कि प्रेमसागर के परिवार में उनकी पत्नी और दो बच्चे हैं। उनके परिवार के सदस्यों को इस बारे में सूचित नहीं किया गया है।
भारत सरकार शव लाने में करेगी मददउन्होंने सरकार से उनके शव को भारत लाने में मदद करने का आग्रह किया। इस बीच, केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि दूसरे मृतक का नाम श्रीनिवास है जो निजामाबाद जिले का रहने वाला था। वहीं, हमले में घायल व्यक्ति की पत्नी भवानी ने निजामाबाद जिले में संवाददाताओं को बताया कि उसके पति सागर को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
केंद्रीय मंत्री रेड्डी ने जताया दुख, मदद का दिया आश्वासनकेंद्रीय मंत्री रेड्डी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दुबई में तेलंगाना के दो तेलुगु युवकों, निर्मल जिले के अष्टपु प्रेमसागर और निजामाबाद जिले के श्रीनिवास की नृशंस हत्या से गहरा सदमा लगा है। इस मामले पर माननीय विदेश मंत्री एस जयशंकर जी से बात की और उन्होंने शोक संतप्त परिवारों को पूर्ण सहायता और पार्थिव अवशेषों को तत्काल वापस लाने का आश्वासन दिया है।
उन्होंने जयशंकर को उनकी मदद के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि विदेश मंत्रालय भी इस मामले में शीघ्र न्याय सुनिश्चित करने के लिए काम करेगा। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों से बात की है और केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारी उनके संपर्क में हैं।
गुरुग्राम जमीन घोटाला: रॉबर्ट वाड्रा से आज भी पूछताछ करेगी ED, कांग्रेस देशभर में करेगी प्रदर्शन
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा से ईडी ने छह साल बाद छह घंटे तक पूछताछ की। गुरुग्राम के शिकोहपुर में 7.5 करोड़ रुपये में जमीन खरीदकर डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेचने के मामले में वाड्रा से मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत पूछताछ की गई। उन्हें बुधवार को फिर पूछताछ के लिए बुलाया गया है।
रॉबर्ट वाड्रा से पहले भी पूछताछ कर चुकी हैवाड्रा के खिलाफ ईडी दो अन्य मामलों बीकानेर जमीन घोटाला और संजय भंडारी से जुड़े लंदन के ब्रायंस्टन स्क्वायर में मकान खरीद की भी मनी लांड्रिंग के तहत जांच कर रही है। वाड्रा से वर्ष 2018 और 2019 में ईडी कई दौर की पूछताछ कर चुकी है। लेकिन, ईडी की कार्रवाई के खिलाफ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में विभिन्न याचिकाएं दाखिल होने के कारण आगे पूछताछ नहीं हो सकी।
ईडी के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अदालती विकल्प खत्म होने के बाद वाड्रा से पूछताछ शुरू की गई है। वैसे इस मामले में ईडी ने डीएलएफ से मिले 58 करोड़ रुपये में से अधिकांश को जब्त कर लिया है। इनमें वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हास्पीटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की संपत्तियां भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि जल्द ही घोटाले से जुड़े ओंकारेश्वर प्रोपर्टीज और डीएफएफ के अधिकारियों से भी पूछताछ होगी। इन सब से पूछताछ होने के बाद ईडी मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून की धाराओं से तहत वाड्रा व अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करेगी।
बीकानेर जमीन मामले में भी चल रही है जांचवाड्रा के खिलाफ बीकानेर में 65 हेक्टेयर जमीन खरीद घोटाले में भी ईडी जांच कर रही है। केवल 75 लाख रुपये में इस जमीन को बाद में एलीजेंसी फिनलीज को पांच करोड़ में बेचा गया था। ईडी इस मामले में 6.87 करोड़ रुपये की संपत्ति को अस्थायी रूप से जब्त कर चुकी है। इनमें स्काईलाइट हॉस्पीटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की एक अचल संपत्ति भी शामिल है।
इस मामले में ईडी नौ आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है। वाड्रा और उसकी कंपनी की भूमिका की जांच चल रही है। जल्द ही वाड्रा को इस मामले में भी पूछताछ के लिए समन किया जाएगा और उसके बाद उनके खिलाफ पूरक चार्जशीट दाखिल की जाएगी।
संजय भंडारी से जुड़े रॉबर्ट वाड्रा के तारलंदन में रह रहे और वहां की अदालत में प्रत्यर्पण के केस का सामना कर रहे संजय भंडारी के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच के दौरान लंदन के 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर के असली मालिक रॉबर्ड वाड्रा के होने के सबूत मिले थे। इस मामले की जांच अभी चल रही है और ईडी संजय भंडारी के प्रत्यर्पण और ब्रिटेन में भेजे गए लेटर रोगेटरी (एलआर) के जवाब का इंतजार कर रही है।
जांच के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा के नेतृत्व में गठित किया गया था आयोगजागरण संवाददाता के अनुसार, गुरुग्राम में रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को सस्ती दरों पर जमीन देने का घटनाक्रम साल 2008 का है। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी। भूपेंद्र सिंह हुड्डा मुख्यमंत्री थे।
भाजपा ने बना दिया था चुनावी मुद्दाभाजपा ने 2014 के विधानसभा चुनाव में वाड्रा को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए इसे चुनावी मुद्दा बना दिया था। इसकी जांच के लिए जस्टिस एसएन ढींगरा के नेतृत्व में आयोग भी गठित किया गया था, लेकिन तब जांच किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंची। इस संबंध में केस कई साल तक अदालत में भी चला। 2018 में इसी जमीन घोटाले में गुरुग्राम के खेड़की दौला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। इस आधार पर ईडी द्वारा जांच की जा रही है।
मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का भी नामईडी भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत अन्य आरोपितों को भी जांच के लिए बुला सकती है ईडी जिस एफआइआर के आधार पर जांच कर रही है, उसकी शुरुआत साल 2018 में हुई थी। गुरुग्राम के गांव तौरू के रहने वाले सुरेंद्र शर्मा ने गुरुग्राम के खेड़की दौला थाने में एक सितंबर 2018 को शिकायत दर्ज कराई। इसमें आरोप लगाया गया था कि वाड्रा की कंपनी ने कुछ अन्य लोगों के साथ मिलकर उन्हें धोखा दिया है। इस केस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी शामिल बताया जाता है।
कंपनी पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोपशिकायतकर्ता सुरेंद्र शर्मा का आरोप है कि वाड्रा की कंपनी और डीएलएफ के बीच हुई डील के बाद बदले में हुड्डा सरकार ने डीएलएफ को गुरुग्राम के वजीराबाद में 350 एकड़ जमीन का आवंटन किया। इसी मामले में ईडी वाड्रा की कंपनी पर वित्तीय अनियमितताओं की जांच कर रही है। ईडी इस केस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा समेत अन्य आरोपितों को भी जांच के लिए बुला सकती है।
यह भी पढ़ें- Land Deal Case में ED दफ्तर पहुंचे रॉबर्ट वाड्रा, बोले- मेरी आवाज को दबाने की कोशिश
Karnataka Caste Census: कर्नाटक में जाति जनगणना का विरोध, वोक्कालिगारा संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी
पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक में जाति आधारित जनगणना का विरोध तेज हो गया है। वोक्कालिगारा संघ ने दी आंदोलन की चेतावनी दी है। जाति आधारित जनगणना रिपोर्ट शुक्रवार को कैबिनेट के समक्ष पेश की गई थी। इस पर 17 अप्रैल को होने वाली विशेष कैबिनेट बैठक में चर्चा होगी।
नपिछड़े समुदायों के लिए आरक्षण बढ़ाने की मांगगौरतलब है कि इस रिपोर्ट में रिपोर्ट में पिछड़े समुदायों के लिए आरक्षण को मौजूदा 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 51 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है। सत्तारूढ़ कांग्रेस के कुछ नेताओं सहित राजनीतिक दलों ने भी इसे अवैज्ञानिक करार दिया है तथा नए सिरे से सर्वेक्षण की मांग की है। विभिन्न जातियों, विशेषकर प्रमुख वीरशैव-लिंगायत और वोक्कालिगा समुदायों के मंत्री अगली कैबिनेट के दौरान अपनी आपत्तियां रखने की तैयारी कर रहे हैं।
जाति जनगणना लागू हुई तो बड़े आंदोलन पर विचारवोक्कालिगा समुदाय के संगठन वोक्कालिगा संघ के अध्यक्ष केंचप्पा गौड़ा ने कहा कि अगर सरकार जाति जनगणना रिपोर्ट को लागू करती है बड़े आंदोलन पर विचार करेंगे। संघ ने समुदाय की जनसंख्या निर्धारित करने के लिए अपना स्वयं का सर्वेक्षण कराने की भी योजना बनाई है और इसके लिए सॉफ्टवेयर भी तैयार किया है।
संघ के निदेशक नेल्लीगेरे बाबू ने कहा कि वे मुख्यमंत्री सिद्दरमैया को संदेश देना चाहते हैं कि अगर उन्होंने जाति जनगणना रिपोर्ट लागू की तो उनकी सरकार गिर जाएगी। रिपोर्ट में लिंगायत समुदाय की जनसंख्या 66.35 लाख और वोक्कालिगा समुदाय की जनसंख्या 61.58 लाख बताई गई है। कई लिंगायत मंत्रियों और विधायकों ने भी आपत्ति जताई है।
राज्य में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 70 प्रतिशतसूत्रों के अनुसार जाति आधारित जनगणना से पता चला है कि राज्य में पिछड़ी जातियों की जनसंख्या 70 प्रतिशत है। अनुसूचित जातियों के लिए मौजूदा 17 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए मौजूदा सात प्रतिशत के साथ ओबीसी को 51 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने से राज्य का कुल आरक्षण 75 प्रतिशत हो जाएगा।
यह भी पढ़ें- सिद्दरमैया की बढ़ीं मुश्किलें, मुडा भूमि घोटाले में कोर्ट ने दिए जांच के आदेश
Murshidabad Violence: झारखंड की ओर पलायन कर रहे लोग, कई परिवारों को मालदा में रोका; राहत शिविर में ले रहे शरण
एएनआई, कोलकाता। वक्फ (संशोधन) अधिनियम को लेकर मुर्शिदाबाद में हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद कई परिवार विस्थापित हो गए हैं, जिनमें से कई झारखंड के पाकुड़ जिले में पलायन कर गए हैं, जबकि अन्य ने मालदा में स्थापित राहत शिविरों में शरण ली है। झारखंड के पाकुड़ में पलायन करने वाले एक बुजुर्ग व्यक्ति मुर्शिदाबाद हिंसा के दौरान अपनी आपबीती बताते हुए रो पड़े।
अचानक कुछ लोग आए और तोड़फोड़ शुरू कर दीएएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा कि मुझे वास्तव में नहीं पता कि क्या हुआ। मैंने सुबह अपनी दुकान खोली और बाहर बैठ गया। फिर कई लोग आए और उन्होंने दरवाजे पीटना शुरू कर दिया, ईंटें फेंकनी शुरू कर दीं और दरवाजे तोड़ दिए। मेरा टेलीविजन, मेरा शीशा, मेरा फर्नीचर, 2-3 अलमारियां और मेरा सारा पैसा घर पर ही था। हम परसों रात यहां आए हैं।
उपद्रवियों ने उनका घर-बार सब कुछ जला दियापुलिस व केंद्रीय बल की तैनाती के बावजूद मुर्शिदाबाद के हिंसाग्रस्त इलाकों सुती, धुलियान, जंगीपुर में लोग अभी भी खौफ में हैं। पीड़ितों का कहना है कि उपद्रवियों ने उनका घर-बार सब कुछ जला दिया। उन्हें डर है कि पुलिस व केंद्रीय बल के चले जाने के बाद उन पर फिर से हमला हो सकता है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने साधी चुप्पीअशांति के बाद, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार पर स्थिति बिगड़ने के बावजूद चुप रहने का आरोप लगाया है। सीएम योगी ने मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार पर हमला बोला है और आरोप लगाया है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार स्थिति बिगड़ने के बावजूद चुप रही है।
सीएम योगी ने कहा कि बंगाल जल रहा हैएक सभा को संबोधित करते हुए, सीएम योगी ने मुर्शिदाबाद में तत्काल केंद्रीय बलों की तैनाती का आदेश देने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय को भी धन्यवाद दिया। सीएम योगी ने कहा कि बंगाल जल रहा है। राज्य की मुख्यमंत्री चुप हैं। वह दंगाइयों को 'शांति का दूत' कहती हैं। लेकिन जो लोग केवल बल को समझते हैं, वे बातों से नहीं सुनते। धर्मनिरपेक्षता के नाम पर उन्होंने दंगाइयों को अशांति फैलाने की पूरी आजादी दे दी है। पिछले हफ्ते से पूरा मुर्शिदाबाद जल रहा है, फिर भी सरकार चुप है। ऐसी अराजकता पर नियंत्रण होना चाहिए।
उपद्रवियों ने स्थानीय लोगों के घरों में की तोड़फोड़बता दें कि पिछले दिनों वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान उपद्रवियों ने सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने के साथ स्थानीय लोगों के घरों में भी तोड़फोड़ की थी। वहीं दूसरी ओर दक्षिण 24 परगना के भांगड़ में पुलिस के साथ उपद्रवियों की झड़प के बाद अभी भी तनाव व्याप्त है।
यह भी पढ़ें- बांग्लादेशी जिहादी, विदेशी फंडिंग... कैसे रची गई थी हिंसा की प्लानिंग? खुफिया एजेंसियों ने खोले राज
हज यात्रा से पहले आई अच्छी खबर, सऊदी अरब ने बढ़ाया भारत का कोटा; प्राइवेट ऑपरेटरों को भी राहत
एएनआई, नई दिल्ली। सऊदी अरब ने भारत का हज कोटा बढ़ा दिया है। भारत सरकार के हस्तक्षेप के बाद सऊदी हज मंत्रालय ने प्राइवेट हज ऑपरेटरों को भी राहत दी है। 10 हजार हजयात्रियों को भेजने का प्राइवेट हज ऑपरेटरों का कोटा दस्तावेज में देरी के कारण रद हो गया था। इसे भारत सरकार के प्रयास के बाद बहाल कर दिया गया है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में हज कोटे में वृद्धि हुई है। 2014 में जब नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद संभाला था उस समय भारत का हज कोटा 1,36,020 था। सरकार के प्रयासों से भारत का कोटा धीरे-धीरे बढ़कर 2025 में 1,75,025 हो गया है।
हज यात्रा की सभी तैयारियां पूरीमंत्रालय ने कहा कि हज यात्रा की सभी आवश्यक तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस वर्ष हज यात्रा चार जून से नौ जून, 2025 के बीच होने की उम्मीद है। अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने एक्स पोस्ट किया कि भारत सरकार भारतीय मुसलमानों के लिए हज यात्रा को सुविधाजनक बनाने को उच्च प्राथमिकता देती है। निरंतर प्रयासों से भारत का हज कोटा 2014 में 136,020 से बढ़कर 2025 तक 175,025 हो गया है।
26 एचजीओ के तौर पर अग्रिम रूप से कोटा आवंटित- अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय भारतीय हज समिति के माध्यम से मुख्य कोटे के तहत चालू वर्ष में 1,75,025 कोटे में से 122,518 तीर्थयात्रियों के लिए व्यवस्था का प्रबंधन कर रहा है। सभी आवश्यक तैयारियां उड़ानें, परिवहन, मीना शिविर, आवास और सेवाएं पूरी कर ली गई हैं।
- शेष 52,507 कोटा प्राइवेट हज ग्रुप ऑपरेटर्स (एचजीओ) को आवंटित किया गया है। सऊदी मानदंडों के कारण मंत्रालय ने 800 से अधिक ऑपरेटरों को 26 एचजीओ के तौर पर अग्रिम रूप से कोटा आवंटित किया है।
- हालांकि, एचजीओ सऊदी अरब की निर्धारित समय-सीमा में पूरा करने में विफल रहे और बार-बार याद दिलाने के बावजूद मीना शिविरों, आवास और परिवहन के लिए आवश्यक अनुबंधों को अंतिम रूप नहीं दे सके। इसलिए उनका कोटा रद कर दिया गया था।
- भारत ने सऊदी अरब सरकार के साथ मंत्री स्तर पर बातचीत की ताकि सुविधाएं सुनिश्चित की जा सकें। सऊदी हज मंत्रालय अब सीएचजीओ के लिए हज पोर्टल फिर खोलने पर सहमत हो गया है। मंत्रालय ने सीएचजीओ को बिना किसी देरी के अपनी प्रक्रिया पूरी करने के लिए तत्काल निर्देश जारी किए हैं।
यह भी पढ़ें: '26/11 हमले के बाद बदल गया भारत-पाकिस्तान का रिश्ता', विदेश मंत्री जयशंकर ने आखिर ऐसा क्यों कहा?
यह भी पढ़ें: Waqf Property: तमिलनाडु के एक गांव को घोषित किया गया वक्फ की संपत्ति, ग्रामीणों को सता रही चिंता; अब होगी जांच
'26/11 हमले के बाद बदल गया भारत-पाकिस्तान का रिश्ता', विदेश मंत्री जयशंकर ने आखिर ऐसा क्यों कहा?
पीटीआई,आणंद। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा,"भारत बदला है। काश मैं यह कह पाता कि पाकिस्तान बदला है। दुर्भाग्य से वे कई तरह से अपनी बुरी आदतें अपनाए हुए हैं। मैं कहूंगा कि 26/11 मुंबई हमला एक निर्णायक मोड़ था। मुझे लगता है कि तब सभी राजनीतिक दलों समेत भारतीय जनता ने भी कहा- बस, बहुत हो गया।
उन्होंने आगे कहा कि 2014 के बाद जब सरकार बदली पाकिस्तान को एक सख्त संदेश दिया गया कि अगर आतंकी गतिविधियां कीं, तो उसका बुरा नतीजा होगा। इस दौरान हम आर्थिक और राजनीतिक रूप से विकसित हुए और दुनिया में हमारी स्थिति बेहतर हुई।
भारत सरकार पाकिस्तान के बारे में चर्चा नहीं करती: एस जयशंकरचरोतर यूनिवर्सिटी आफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में आयोजित एक कार्यक्रम में जहां जयशंकर ने बीते एक दशक में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत में आए महत्वपूर्ण परिवर्तन को स्वीकार किया। वहीं, उन्होंने कहा कि इसके उलट पाकिस्तान नहीं बदला है। भारत सरकार पाकिस्तान के बारे में अब ना के बराबर ही चर्चा करती है। विदेश मंत्री ने कहा कि अपने मूल्यवान समय को उनके लिए बेकार करने की जरूरत नहीं है।
वहीं, 2020 में गलवान घाटी में भारत-चीन संघर्ष को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने भारत की प्रतिक्रिया को लेकर कहा,"प्रधानमंत्री बिल्कुल स्पष्ट थे और उनके दिमाग में कोई दूसरा विचार नहीं था। सबसे पहली बैठक में यह घोषणा की गई कि हम जवाब देंगे। इसलिए फैसला लिया गया क्योंकि इसमें काफी भरोसा था। और सिस्टम भी समझ गया कि अब फैसला ले लिया गया है, इसलिए रास्ता तलाशो। और सिस्टम ने रास्ता खोजा।"
यह भी पढ़ें: 'कुछ लोग दावा करते हैं कि...', इशारों-इशारों में जयशंकर ने साधा निशाना; अमेरिका को भी खूब सुनाया
डिजिटल फ्रॉड करने वालों की अब खैर नहीं, CBI ने शुरू किया ऑपरेशन चक्र-V; करोड़ो की ठगी करने वाले चार गिरफ्तार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डिजिटल अरेस्ट कर करोड़ों की ठगी करने वाले बड़े गिरोह तक सीबीआइ (CBI) पहुंच गई है। फिलहाल इसके चार सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है। गिरोह के अन्य सदस्यों की सीबीआइ खोज रही है। यही कारण है कि गिरफ्तार आरोपितों के नाम उजागर नहीं हुआ है।
सीबीआइ ने इस पूरे ऑपरेशन का नाम 'आपरेशन चक्र-पांच' दिया है। सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार झुंझुनू में एक व्यक्ति को तीन महीने तक डिजिटल अरेस्ट कर 7.6 करोड़ रुपए की ठगी की जांच के दौरान देश भर में फैले इस गिरोह के नेटवर्क का पता चला।
पीड़ित को डराकर लूटे करोड़ों रुपयेगिरोह के सदस्यों ने विभिन्न एजेंसियों के अधिकारी बनकर पीड़ित को डराकर 42 बार में यह रकम वसूल की। राजस्थान सरकार के अनुरोध पर झुंझुनू साइबर पुलिस में दर्ज केस की जांच सीबीआइ ने अपने हाथ ली थी। फिलहाल जिन चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें दो मुंबई और दो मुरादाबाद के हैं।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, जांच के दौरान गिरोह द्वारा कई अन्य लोगों से इसी तरह से डिजिटल अरेस्ट कर ठगी के सुबूत मिल रहे हैं। उनके पास 25 हजार आइपी एड्रेस और लगभग 200 बैंक खाते मिले हैं। जिनकी जांच की जा रही है और इन आइपी एड्रेस से किस-किस को काल किया गया और बैंक खातों में किन-किन लोगों से पैसे ट्रांसफर कराये गए, उनका पता लगाया जा रहा है। इन लोगों के डिजिटल अरेस्ट होकर ठगी का शिकार होने की आशंका है।
सीबीआइ ने जांच में हाई टेक्नोलॉजी का किया इस्तेमालवरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, केस हाथ में लेने के बाद सीबीआइ ने व्यापक डेटा विश्लेषण और प्रोफाइलिंग से गहन जांच की। अपराधियों की पहचान करने के लिए उन्नत जांच तकनीकों का इस्तेमाल किया गया।
जांच के दौरान मिले सुरागों के आधार पर मुरादाबाद और संभल, मुंबई, जयपुर और बंगाल के कृष्णानगर में बारह स्थानों पर व्यापक तलाशी ली गई, जिसके परिणामस्वरूप इस संगठित अपराध गिरोह में शामिल चार व्यक्तियों की गिरफ्तारी हुई। तलाशी के दौरान बैंक खाते का विवरण, डेबिट कार्ड, चेक बुक, जमा पर्ची और डिजिटल डिवाइस साक्ष्य बरामद किये गए।
यह भी पढ़ें: Delhi News: फर्जी CBI और ED अधिकारी बन लोगों को लगा रहे थे चूना, पुलिस ने ऐसे धर दबोचा
तमिल-मराठी विवाद के बीच असम में अनिवार्य हुई असमिया भाषा, लेकिन इन जिलों को छूट
पीटीआई, गुवाहाटी। असम में बराक घाटी के तीन जिलों और बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र (बीटीआर) के पांच जिलों को छोड़कर पूरे राज्य में सभी आधिकारिक कार्यों में असमिया भाषा का इस्तेमाल अनिवार्य रूप से किया जाएगा।
15 अप्रैल असमिया नववर्ष 'बोहाग' से यह नियम लागू होगा। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि 'बोहाग' से असमिया पूरे असम में सभी सरकारी अधिसूचनाओं, आदेशों, अधिनियमों आदि के लिए अनिवार्य आधिकारिक भाषा होगी। बराक घाटी और बीटीआरआर जिलों में क्रमश: बंगाली और बोडो भाषाओं का उपयोग किया जाएगा।
सरकार कार्यालयों में असमिया भाषा अनिवार्यआधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, सभी सरकारी अधिसूचनाएं, कार्यालय ज्ञापन, अधिनियम, नियम, विनियम, योजना दिशानिर्देश, स्थानांतरण और पो¨स्टग आदेश अंग्रेजी और असमिया दोनों में जारी किए जाएंगे।
जारी की गई अधिसूचनाराज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह और राजनीतिक विभाग) अजय तिवारी की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि बराक घाटी के कछार, हैलाकांडी और श्रीभूमि जिलों में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बांग्ला भाषा का भी इस्तेमाल किया जाएगा।
इसी तरह, बीटीआर के तहत कोकराझार, चिरांग, बक्सा, उदलगुरी और तामुलपुर में आधिकारिक उद्देश्यों के लिए अंग्रेजी के अलावा बोडो भाषा का भी उपयोग किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: कटारा हत्याकांड: 'राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए', मेडिकल बोर्ड को लेकर SC ने दिल्ली और UP सरकार लगाई फटकार
यह भी पढ़ें: देश की पुलिस बल में महिलाओं की कितनी भागीदारी? चौंकाने वाली रिपोर्ट आई सामने
ईरान-अमेरिका की दोस्ती से भारत की बल्ले-बल्ले, पाकिस्तान की बढ़ जाएगी टेंशन? जानिए क्या है पूरा मामला
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु वार्ता का पहला दौर समाप्त हो चुका है। दोनों पक्षों ने कहा है कि जल्द ही वार्ता के दूसरे दौर की तारीख व स्थल भी तय किया जाएगा। इस बीच ईरान के आयातुल्लाह अली खामनेई ने भी वार्ता को अपना समर्थन दे दिया है। ऐसे में भारत भी इन सारी गतिविधियों पर नजर रखे हुए हैं।
इस महीने के अंत में ब्रिक्स संगठन के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन विदेश मंत्री एस जयशंकर की ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अर्घची के साथ मुलाकात भी संभव है। यही नहीं अगर सब कुछ ठीक रहा तो जुलाई, 2025 में होने वाली ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (ब्राजील) में पीएम नरेन्द्र मोदी और ईरान के राष्ट्रपति डॉ. मसूद पेजेशकियान के साथ बैठक कराने को लेकर भी दोनों देशों के अधिकारियों के बीच संपर्क है।
ईरान को लेकर कड़ा रवैया अख्तियार कर सकते हैं ट्रंपसूत्रों ने बताया कि, “ट्रंप प्रशासन ने दोबारा सत्ता में आने के कुछ ही दिनों बाद चाबहार को लेकर भारत की विकास सहायता पर भी परोक्ष तौर पर पाबंदी लगाने का संकेत दिया था। यह चिंता की बात थी क्योंकि पूर्व की बाइडन सरकार ने जब ईरान पर प्रतिबंध लगाया था तो चाबहार को उससे अलग रखा था। ऐसे में भारत को इस बात की आशंका थी कि ईरान को लेकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कड़ा रवैया अख्तियार कर सकते हैं। ऐसे में अमेरिका और ईरान के बीच सीधी वार्ता की शुरूआत ने माहौल बदल दिया है।''
ईरान के दक्षिणी पश्चिमी तट पर स्थित चाबहार पोर्ट भारत की अभी तक की सबसे महत्वाकांक्षी योजना है। इसके जरिए भारत ना सिर्फ पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में चीन की तरफ से निर्मित ग्वादर बंदरगाह को चुनौती पेश करने की मंशा रखता है बल्कि भारतीय उत्पादों को मध्य एशियाई व यूरोपीय बाजार में भेजने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहता है।
ईरान के साथ तेल आपूर्ति को लेकर भारत की बातचीत जारीवर्ष 2016 में भारत और ईरान के बीच तब 8 अरब डॉलर के निवेश को लेकर समझौता हुआ था। मई, 2024 में भारत व ईरान के बीच चाबहार पोर्ट पर एक और टर्मिनल के निर्माण के लिए समझौता हुआ था।
अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से इसकी प्रगति बहुत उल्लेखनीय नहीं है। भारत की तेल कंपनियों के सूत्रों ने भी बताया है कि ईरान के साथ तेल आपूर्ति को लेकर बातचीत जारी है। वैसे यह तभी संभव होगा जब अमेरिकी सरकार की तरफ से ईरान पर लगे प्रतिबंध हटाये जाए।
ऐसा पूर्व में जुलाई, 2015 में बराक ओबामा की सरकार ने किया था। तब भारतीय कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंध हटने के तकरीबन एक हफ्ते के भीतर ही पहला तेल सौदा कर लिया था। इस बार प्रतिबंध बहुत लंबा खींच गया है। पिछले कुछ समय से दोनों देशों के पेट्रोलियम सेक्टर में कोई खास संपर्क नहीं है। अब वह संपर्क फिर से स्थापित किया जा रहा है।
कभी ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश होता थातेल कंपनियों के सूत्रों का कहना है कि “जिस तरह से वैश्विक हालात अनिश्चित व अस्थिरत हैं उसमें भारत ईरान जैसे एक पुराने भरोसेमंद तेल आपूर्तिकर्ता देश के साथ निश्चित तौर पर कारोबार बढ़ाना चाहेगा।'' कभी ईरान भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता देश होता था। वर्ष 2018-19 में भारत ने ईरान से 12 अरब डॉलर मूल्य के कच्चे तेल की खरीद की थी।
अमेरिकी प्रतिबंध ने ईरान के पेट्रोलियम सेक्टर में बड़ी भूमिका निभाने की सोच रहे भारतीय कंपनियों के मंसूबों पर भी पानी फेर दिया है। अमेरिका व ईरान के बीच संबंधों में सुधार भारतीय कंपनियों को फिर से अपनी निवेश योजनाओं को आगे बढ़ाने का मौका दे सकता है।
यह भी पढ़ें: 'परमाणु सपना छोड़ो वरना झेलो हमला', ईरान को ट्रंप की सख्त चेतावनी; बोले- 'ये कट्टरपंथी लोग हैं'
कटारा हत्याकांड: 'राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए', मेडिकल बोर्ड को लेकर SC ने दिल्ली और UP सरकार लगाई फटकार
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को नितीश कटारा हत्याकांड मामले में सजा काट रहे विकास यादव की बीमार मां की जांच के लिए एक मेडिकल बोर्ड का गठन करने में देरी करने पर उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।
शीर्ष न्यायालय ने कहा कि राज्य को निष्पक्ष होना चाहिए। वर्ष 2002 में हुए हत्याकांड के मामले में 25 साल की जेल की सजा काट रहे यादव ने अपनी बीमार मां से मिलने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की थी।
मेडिकल बोर्ड के गठन का दिया गया था आदेशजस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा कि बीते दो अप्रैल को दिए गए आदेश के बाद गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल में भर्ती यादव की मां की सेहत की जांच के लिए मेडिकल बोर्ड का गठन करने में 10 दिन लग गए।
कोर्ट ने मांगा स्पष्टीकरणअदालत ने कहा कि जब तक बोर्ड गठित किया गया, उसकी मां अस्पताल से डिस्चार्ज हो गई थी। यादव के वकील ने कहा कि सोमवार को उसकी मां फिर से भर्ती हुई है। पीठ ने कहा कि आपने मेडिकल बोर्ड गठित करने में 10 दिन का समय लगा दिया। इसके लिए स्पष्टीकरण होना चाहिए। अब एम्स के मेडिकल सुपरिटेंडेंट द्वारा एक नए मेडिकल बोर्ड का गठन किया जाए और तुरंत जांच करके रिपोर्ट दाखिल करें।
यह भी पढ़ें: 'मीलॉर्ड, पतियों के लिए सिरदर्द बना ये कानून...', याचिकाकर्ता ने कोर्ट में किया विदेश का जिक्र तो SC ने लगा दी क्लास
यह भी पढ़ें: 'नवजात की चोरी पर रद हो अस्पताल का लाइसेंस', बच्चों की तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
सड़कों के घटिया निर्माण की क्या है वजह? DPR कंसल्टेंट ने बताई अंदर की बात; अफसर भी हैरान
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय तथा एनएचएआई के अफसरों की मौजूदगी में एक डीपीआर कंसल्टेंट ने कहा कि सड़क निर्माण की खराब गुणवत्ता का असली कारण सभी (अफसर, इंजीनियर, ठेकेदार) जानते हैं, लेकिन इसे दूर नहीं किया जा रहा है।
तीन दशक से डीपीआर कंसल्टेंसी करने के साथ ही नोएडा स्थित हाईवे इंजीनियर एकेडमी में इंजीनियरों को पढ़ाने वाले एमएस रावत के तेवर इतने तीखे थे कि उन्हें अपना प्रजेंटेशन जल्दी खत्म करना पड़ा। उनका प्रजेंटेशन 14 स्लाइड का था, लेकिन वह दसवीं स्लाइड से आगे नहीं बढ़ पाए। हाईवे निर्माण में उत्कृष्टता प्रदर्शित करने वालों को सम्मानित करने के लिए आयोजित समारोह में चर्चा के दौरान रावत की बातों का समर्थन दूसरे डीपीआर विशेषज्ञों ने भी किया।
दुनिया की सबसे खराब डीपीआर भारत में बनती हैकेंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी पिछले कई वर्षों से यह कहते रहे हैं कि दुनिया में सबसे खराब क्वालिटी की डीपीआर भारत में बनती हैं और इसके कारण समय और लागत दोनों काफी बढ़ जाते हैं। रावत ने इसी का हवाला देते हुए कहा कि एक समूह के रूप में डीपीआर कंसल्टेंट पूरी तरह फेल करार दिए गए हैं। इसलिए उनकी रेटिंग की जरूरत ही नहीं है। मंत्री का कोई भी सेमिनार डीपीआर को दोष दिए बिना नहीं बीतता है। लेकिन इसकी कोई बात नहीं करता कि निर्धारित एक साल में बनने वाली डीपीआर पांच साल तक क्यों चलती रहती है। 2017 वाली डीपीआर में 2025 तक काम हो रहा है।
भारतमाला परियोजना के डीपीआर में भी लगे सात सालउन्होंने केंद्र सरकार की सबसे महत्वपूर्ण भारतमाला परियोजना का उदाहरण देते हुए कहा कि इसमें भी सात साल से डीपीआर के मामले में कुछ नहीं बदला। जिस डीपीआर को सड़क निर्माण की रीढ़ की हड्डी और इंजीनियरों के लिए पवित्र पुस्तक माना जाता है, उस पर दस साल में खर्च 75 प्रतिशत कम हो गया है। डीपीआर को लेकर कामचलाऊ रवैये की यह वजह है। उस पर भी कंसल्टेंटों को पूरा पैसा नहीं मिलता है। 50 प्रतिशत राशि हासिल करने में पांच से छह साल तक लग जाते हैं।
रावत ने कहा कि इन सब हालात से अगस्त, 2021 में नितिन गडकरी को अवगत करा दिया गया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। एक अन्य डीपीआर कंसलटेंट रत्नाकर रेड्डी ने कहा कि डीपीआर में सबसे कम निविदा वाले नियम ने पूरी व्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है। बेंगलुरु में एक ऐसे कंसल्टेंट ने अविश्वसनीय कीमत पर टेंडर ले लिया जिसे उस क्षेत्र की कोई जानकारी नहीं थी। प्रतिस्पर्धात्मक निविदा के नाम पर प्रोजेक्टों की डीपीआर को लेकर सबसे अधिक गड़बड़ी हो रही है और यह डीपीआर की खराब क्वालिटी से लेकर निर्माण के घटिया स्तर की सबसे बड़ी वजह है।
यह भी पढ़ें: New Toll Policy: टोल पर आम आदमी को राहत, 3 हजार का वार्षिक पास; FASTag को लेकर होगी ये शर्त
यह भी पढ़ें: New Toll Policy: पूरे नेटवर्क में लगेंगे नए कैमरे, सेंसर पकड़ेगी स्पीड; नई टोल पॉलिसी में क्या है खास?
Monsoon Update: इस साल जमकर बरसेंगे बादल, सामान्य से अधिक बारिश की संभावना; IMD का नया अपडेट
पीटीआई, नई दिल्ली। उत्तर भारत में इस समय भीषण गर्मी लू का प्रकोप देखने को मिल रहा है। अप्रैल के महीने में ही तापमान में तेजी से बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। इस बीच मानसून को लेकर भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने अच्छी खबर दी है।
भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने मंगलवार को बताया कि इस मानसून में भारत में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है। वहीं, पूरे मौसम के दौरान अल नीनो की स्थिति की संभावना को खारिज कर दिया।
इस साल सामान्य से अधिक बारिश का अनुमानभारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के प्रमुख मृत्युंजय महापात्र ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत में चार महीने के मानसून मौसम (जून से सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है, तथा संचयी वर्षा दीर्घ अवधि औसत 87 सेमी का 105 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप में सामान्य से कम मानसून वर्षा से जुड़ी अल नीनो की स्थिति इस बार विकसित होने की संभावना नहीं है।
किसानों के लिए अच्छी खबर- भारत एक किसान प्रधान देश है। कृषि क्षेत्र के लिए मानसून महत्वपूर्ण है। कृषि देश की लगभग 42.3 प्रतिशत आबादी की आजीविका का आधार है। देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2 प्रतिशत का योगदान देता है।
- बता दें कि शुद्ध खेती वाले क्षेत्र का 52 प्रतिशत प्राथमिक बारिश प्रणाली पर निर्भर करता है। इसके अलावा देश भर में बिजली उत्पादन के अलावा पीने के पानी के लिए महत्वपूर्ण जलाशयों को फिर से भरने के लिए भी बारिश महत्वपूर्ण है।
- यही वजह है कि मानसून के मौसम में सामान्य बारिश की भविष्यवाणी देश के लिए एक बड़ी राहत की बात है। जलवायु वैज्ञानिकों का कहना है कि बारिश के दिनों की संख्या घट रही है जबकि भारी बारिश की घटनाएं (थोड़े समय में अधिक बारिश) बढ़ रही हैं। यही वजह है कि लगातार सूखे और बाढ़ आ रही हैं।
जानकारी दें कि देश के कुछ हिस्से पहले से ही भीषण गर्मी से जूझ रहे हैं। वहीं, मौसम विभाग ने बताया कि अप्रैल से जून की अवधि में काफी अधिक संख्या में लू चलने की संभावना है। माना जा रहा है कि तापमान में बढ़ोतरी और लू के कारण बिजली की मांग बढ़ने की संभावना है। इस बीच मानसून को लेकर आई अच्छी खबर ने लोगों को राहत दी है।
यह भी पढ़ें: Bihar Weather Today: अचानक बदला बिहार का मौसम, 4 जिलों के लिए रेड अलर्ट; तेज आंधी और बारिश मचाएगी तबाही
यह भी पढ़ें: Weather Update: दिल्ली से राजस्थान तक हीट वेव का अलर्ट, इन राज्यों में जमकर बरसेंगे बादल; क्या है IMD का अपडेट?
'मीलॉर्ड, पतियों के लिए सिरदर्द बना ये कानून...', याचिकाकर्ता ने कोर्ट में किया विदेश का जिक्र तो SC ने लगा दी क्लास
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दहेज उत्पीड़न और भरण-पोषण प्रावधानों को लिंग-तटस्थ यानी जेंडर न्यूट्रल बनाने के लिए दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि हम कानून नहीं बना सकते और इस पर विचार करना सांसदों का काम है।
दरअसल, मामला ये है कि घरेलू हिंसा और दहेज उत्पीड़न के मामलों में महिलाओं की सुरक्षा के लिए भारतीय कानून में सेक्शन 498A रखा गया है। इस कानून के तहत अगर पति या उसके परिवार वाले महिला को प्रताड़ित करते हैं, तो उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
कानून के जरिए पुरुषों को किया जा रहा परेशान: याचिकाकर्तायाचिकाकर्ता ने कोर्ट में दलील दी है कि इस कानून के जरिए पुरुषों को परेशान किया जा रहा है। याचिकाकर्ता की तर्क पर कोर्ट ने जवाब दिया कि 498A कानून समानता के खिलाफ नहीं है, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाया गया है, जो कि संविधान के आर्टिकल 15 के तहत पूरी तरह वैध है।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. के. सिंह इस मामले पर सुनवाई कर रहे थे। कोर्ट ने कहा कि अगर कुछ मामलों में इस कानून का दुरुपयोग हुआ है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि पूरे कानून को ही गलत मान लिया जाए। हर केस की जांच अलग से होनी चाहिए, और अगर कोई महिला इस कानून का गलत इस्तेमाल करती है, तो उस पर कार्रवाई की जा सकती है।
कानून बनाना न्यायालय का काम नहीं: कोर्टएनजीओ के वकील ने कहा कि भारत में घरेलू हिंसा के मामले केवल महिलाएं ही दर्ज करा सकती हैं, जबकि विदेशों में पति भी ऐसे मामले दर्ज करा सकते हैं और भरण-पोषण की मांग कर सकते हैं।
इस पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने वकील से कहा, "तो आप चाहते हैं कि हम कानून बनाएं। कानून बनाना न्यायालय का काम नहीं है। इस उद्देश्य के लिए सांसद इस पर विचार करने के लिए हैं। हम किसी प्रावधान को सिर्फ इसलिए नहीं हटा सकते क्योंकि उसके दुरुपयोग के उदाहरण हैं।"
याचिका में की गई प्रार्थनाओं पर सवाल उठाते हुए न्यायाधीश ने कहा, "हमें दूसरे देशों का अनुसरण क्यों करना चाहिए? हम अपनी संप्रभुता बनाए रखते हैं। हमें किसी दूसरे देश की नकल करने की जरूरत नहीं है। अगर हमारे कानून महिलाओं को सुरक्षा देते हैं, तो यह हमारी जरूरत और समाज की स्थिति को देखते हुए है।
यह भी पढ़े: 'नवजात की चोरी पर रद हो अस्पताल का लाइसेंस', बच्चों की तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
देश की पुलिस बल में महिलाओं की कितनी भागीदारी? चौंकाने वाली रिपोर्ट आई सामने
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत के पुलिस बल में महानिदेशक (डीजीपी) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) जैसे वरिष्ठ पदों पर 1,000 से भी कम महिलाएं हैं, जबकि पुलिस बल में कार्यरत सभी महिलाओं में से 90 प्रतिशत महिलाएं कांस्टेबल के पद पर कार्यरत हैं।
टाटा ट्रस्ट द्वारा शुरू की गई और कई सामाजिक संगठनों एवं डाटा भागीदारों द्वारा समर्थित इंडिया जस्टिस रिपोर्ट (आईजेआर)-2025 में इसकी जानकारी दी गई है। इस रिपोर्ट में चार क्षेत्रों - पुलिस, न्यायपालिका, जेल और कानूनी सहायता में विभिन्न राज्यों के प्रदर्शन को परखा गया।
इस मामले में कर्नाटक सबसे आगेरिपोर्ट के अनुसार, कानून लागू कराने में लैंगिक विविधता की आवश्यकता के बारे में बढ़ती जागरूकता के बावजूद एक भी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पुलिस बल में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के अपने लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया है। मंगलवार को जारी इस रिपोर्ट में न्याय प्रदान करने के मामले में 18 बड़े और मध्यम आकार के राज्यों में कर्नाटक को सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला राज्य बताया गया है। इस राज्य ने 2022 तक अपना स्थान बरकरार रखा।
960 महिलाएं आईपीएस रैंक मेंकर्नाटक के बाद आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल और तमिलनाडु का स्थान रहा। पांच दक्षिणी राज्यों ने विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर विविधता, बुनियादी ढांचे और स्टाफिंग के कारण दूसरे राज्यों से बेहतर प्रदर्शन किया। रिपोर्ट में पुलिस पदानुक्रम में लैंगिक असमानताओं को भी रेखांकित किया गया है। पुलिस में 2.4 लाख महिलाओं में से केवल 960 भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) रैंक में हैं, जबकि 24,322 गैर-आईपीएस अधिकारी जैसे उप अधीक्षक, निरीक्षक या उप-निरीक्षक पदों पर हैं।
IPS अधिकारियों की संख्या देश में कितनी है?भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों की संख्या 5,047 है। कांस्टेबल पद पर 2.17 लाख महिलाएं सेवा देती हैं। सबसे अधिक संख्या में महिला उपाधीक्षकों के मामले में मध्य प्रदेश शीर्ष पर है। यहां 133 महिला पुलिस उपाधीक्षक हैं। लगभग 78 प्रतिशत पुलिस स्टेशनों में अब महिला सहायता डेस्क हैं, 86 प्रतिशत जेल वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाओं से लैस हैं, और कानूनी सहायता पर प्रति व्यक्ति व्यय भी 2019 और 2023 के बीच लगभग दोगुना हो गया। इसी अवधि में जिला न्यायपालिका में महिलाओं की हिस्सेदारी भी बढ़कर 38 प्रतिशत हो गई।
बहरहाल, जिला न्यायपालिका में अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अनुसूचित जातियों (एससी) की हिस्सेदारी क्रमश: पांच प्रतिशत और 14 प्रतिशत पर कम बनी हुई है। पुलिस बल में एससी का हिस्सा 17 प्रतिशत और एसटी का 12 प्रतिशत है जो आनुपातिक प्रतिनिधित्व से कम है। कानूनी सहायता तक पहुंच के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी माने जाने वाले पैरालीगल वालंटियर्स (पीएलवी) में पिछले पांच वर्षों में 38 प्रतिशत की गिरावट आई है, अब प्रति लाख जनसंख्या पर केवल तीन पीएलवी उपलब्ध हैं।
देश भर की जेलों में केवल 25 मनोविज्ञानीरिपोर्ट में कहा गया है कि देश भर की जेलों में केवल 25 मनोविज्ञानी/मनोचिकित्सक उपलब्ध हैं। आईजेआर न्याय प्रणाली में गंभीर बुनियादी ढांचे और स्टाफ की कमियों को भी उजागर करता है। भारत में प्रति दस लाख लोगों पर सिर्फ 15 जज हैं, जो विधि आयोग की वर्ष 1987 की 50 जजों की सिफारिश से काफी कम है।
यह भी पढ़ें: 'नवजात की चोरी पर रद हो अस्पताल का लाइसेंस', बच्चों की तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
यह भी पढ़ें: 'महिला ने खुद मुसीबत को न्योता दिया', रेप पर इलाहाबाद HC की टिप्पणी पर फूटा SC का गुस्सा; दी नसीहत
'नवजात की चोरी पर रद हो अस्पताल का लाइसेंस', बच्चों की तस्करी पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बच्चों की तस्करी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार की लापरवाही पर नाराजगी जताई है। अदालत ने बाल तस्करी के मामलों से निपटने के तरीके को लेकर यूपी सरकार और इलाहाबाद हाईकोर्ट को फटकार लगाई है। अदालत ने बच्चों की तस्करी को रोकने और बाल तस्करी अपराधों से जुड़े मामलों से निपटने के लिए राज्य सरकारों के लिए व्यापक दिशा-निर्देश निर्धारित किए।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने कहा कि सभी राज्य सरकारें हमारी विस्तृत सिफारिशों पर गौर करें और भारतीय संस्थान द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का अध्ययन करें तथा उसे जल्द से जल्द लागू करें।
क्या बोला कोर्ट?न्यायालय ने निर्देश दिया कि सभी आरोपी आत्मसमर्पण करेंगे और उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाएगा और यह अनिवार्य किया कि आरोप तय होने के एक हफ्ते के अंदर आरोप तय किए जाएं। कोर्ट ने आगे कहा,
हाई कोर्ट को कम से कम ऐसी शर्तें लगानी चाहिए थीं, जिनमें आरोपियों को स्थानीय पुलिस स्टेशन में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी होती। हाई कोर्ट ने जमानत आवेदनों को लापरवाही से निपटाया और इसके कारण कई आरोपी फरार हो गए।
'यूपी सरकार ने क्यों नहीं की कोई अपील'अदालत ने आगे कहा, 'हम पूरी तरह से निराश हैं कि उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मामले को कैसे संभाला और कोई अपील क्यों नहीं की गई। कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई।'
बच्चा चोरी हो तो रद करें लाइसेंस- सुप्रीम कोर्ट ने बाल तस्करी के मामलों से निपटने के लिए सख्त निर्देश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई नवजात शिशु चोरी होता है तो अस्पतालों का लाइसेंस रद कर दिया जाना चाहिए।
- यदि कोई महिला अस्पताल में बच्चे को जन्म देने आती है और बच्चा चोरी हो जाता है, तो पहला कदम लाइसेंस निलंबित करना होना चाहिए।
- पीठ ने चेतावनी दी कि किसी भी प्रकार की लापरवाही को गंभीरता से लिया जाएगा तथा इसे न्यायालय की अवमानना माना जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाई कोर्ट को बाल तस्करी के मामलों में लंबित मुकदमों की स्थिति जानने का निर्देश दिया है। इसके बाद 6 महीने में मुकदमे को पूरा करने और दिन प्रतिदिन सुनवाई करने का निर्देश दिया जाएगा। बता दें कि कोर्ट ने यह आदेश उस मामले की सुनवाई के दौरान दिया जिसमें तस्करी करके लाए गए एक बच्चे को उत्तर प्रदेश के एक दंपत्ति को सौंप दिया गया था, जो बेटा चाहते थे।
पीठ ने कहा कि आरोपी दंपती बेटा चाहते थे और उन्होंने चार लाख रुपये में बच्चा खरीद लिया। जबकि वे जानते थे कि बच्चा चोरी करके लाया गया है। हाईकोर्ट ने भी जमानत आवेदनों पर संवेदनहीनता से कार्रवाई की। इसके चलते आरोपी फरार हो गए। कोर्ट ने कहा कि ऐसे आरोपी समाज के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं।
यह भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने चार दशक बाद बेटियों को दिलाया पिता की संपत्ति पर अधिकार, दत्तक पुत्र संबंधी दावा खारिज
कोच्चि: 25 फीट गहरी खाई में गिरी बस, पहिए में फंसने से एक बच्ची की मौत और कई घायल
पीटीआई, कोच्चि। केरल के कोच्चि में राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की एक बस ने कंट्रोल खो दिया, इस वजह से बड़ा हादसा हो गया। बस कंट्रोल खोने से सड़क किनारे 25 फीट की खड़ी चढ़ाई में गिर गई और साथ ही 15 साल की लड़की नीचे गिर गई, जिस वजह से उसकी मौत हो गई और लगभग 25 अन्य लोग घायल हुए हैं। अग्निशमन और बचाव अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी।
अग्निशमन अधिकारी ने इस मामले में कहा-उन्होंने कहा कि दुर्घटना में विंडशील्ड टूटने के बाद बस में बैठी लड़की पहले वाहन के सामने गिरी और फिर उसके अगले पहिये के नीचे फंस गई।
कैसी है घायलों की हालत?एर्नाकुलम जिले के कवलंगड पंचायत में स्थित दुर्घटनास्थल पर अग्निशमन और बचाव कर्मियों के पहुंचने के बाद ही उसे बस के नीचे से निकाला जा सका। अधिकारी ने कहा कि घायलों में से किसी की हालत गंभीर नहीं है।
बस में कुल 45 यात्री थे सवारजब दुर्घटना हुई, तब बस में 45 से अधिक यात्री थे। बस इडुक्की जिले के कुमिली से एर्नाकुलम जा रही थी। अधिकारी ने कहा कि बस का पिछला हिस्सा मोड़ पर सड़क किनारे की चारदीवारी से टकरा गया।
मेहुल चोकसी के प्रर्त्यपण की तैयारी में भारत, बेल्जियम जाएगी ED व CBI की टीम; राह में अब भी कई रोड़े
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी को भारत लाने की तैयारी है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम बेल्जियम जाएगी। माना जा रहा है कि दोनों एजेंसियों से दो से तीन अधिकारियों को बेल्जियम भेजा जा सकता है। यह अधिकारी प्रत्यर्पण प्रक्रिया के लिए दस्तावेज तैयार करेंगे और वहां की सरकार से समन्वय करेंगे।
ईडी और सीबीआई में बैठकेंइंडियन एक्सप्रेस ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि मेहुल चोकसी की गिरफ्तारी के बाद सीबीआई और ईडी में बैठकें आयोजित की गईं। बैठक में एजेंसियों के शीर्ष अधिकारियों ने पूरे घटनाक्रम पर चर्चा की। दोनों ही एजेंसियों की एक संयुक्त टीम जल्द अपने कानूनी सलाहकार के साथ बेल्जियम जाएगी। केस से जुड़े सभी दस्तावेजों को जाम किया जाएगा और वहां की सरकार से समन्वय किया जाएगा।
गिरफ्तारी के खिलाफ अपील की तैयारीमाना जा रहा है कि मेहुल चोकसी अपने प्रत्यर्पण को चुनौती देगा। इसका खुलासा उसके वकील विजय अग्रवाल ने किया। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा कि गिरफ्तारी के खिलाफ अपील दायर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मेडिकल आधार पर जमानत की अपील की जाएगी। मेहुल वहां कैंसर का इलाज करवा रहे हैं। इस कारण वह भाग भी नहीं सकते हैं। गिरफ्तारी पर उन्होंने कहा कि ये हर देश की प्रक्रिया है।
आसान नहीं होगा प्रत्यर्पणईडी ने लगभग 6 महीने पहले बेल्जियम के अधिकारियों को चोकसी के प्रत्यर्पण का अनुरोध भेजा था। गिरफ्तारी के बावजूद चोकसी को भारत लाना आसान नहीं होगा। वह अपने खिलाफ इंटरपोल से जारी रेड कॉर्नर नोटिस भी खारिज करवा चुका है। उसने दावा किया था कि भारतीय अधिकारियों ने उसे एंटीगुआ से अगवा करने की कोशिश की थी। मेहुल के पास एंटीगुआ की नागरिकता है।
संजय भंडारी केस का जिक्रमेहुल चौकसी के खिलाफ भारत के पास मजबूत सबूत हैं। मगर उसका प्रत्यर्पण बेल्जियम की अदालतों के निर्णय पर निर्भर होगा। दरअसल, भारत ने ब्रिटेन से कारोबारी संजय भंडारी के प्रत्यर्पण की कोशिश की थी। मगर लंदन की अदालत ने भारतीय जेलों की स्थिति और मानवाधिकार के तहत भंडारी के पक्ष में फैसला सुनाया था। अब मेहुल चोकसी के वकील विजय अग्रवाल ने भी कहा कि संजय भंडारी केस के बाद मेहुल का प्रत्यर्पण बेहद मु्श्किल होगा। अब यह देखना होगा कि बेल्जियम की अदालत भारतीय जेलों की स्थिति को कैसे देखती हैं।
एक साल से बेल्जियम में था चोकसी12 अप्रैल को बेल्जियम की पुलिस ने ईडी औरे सीबीआई के प्रत्यर्पण अनुरोध पर मेहुल चोकसी के गिरफ्तार किया था। वह यहां साल 2023 में आया था। मेहुल की पत्नी के पास बेल्जियम की नागरिकता भी है।
यह भी पढ़ें: बढ़ने लगा दिल्ली का तापमान, अगले तीन दिनों तक 'लू' का अलर्ट; पढ़ें IMD का ताजा अपडेट
यह भी पढ़ें: ट्रंप के टैरिफ के बाद यूरोप में सस्ते चीनी माल की भरमार, EU को सता रहा ये डर
दिल्ली-NCR में अगले चार दिन भयंकर गर्मी, पंजाब-हरियाणा समेत 7 राज्यों में लू का सितम; जानिए कहां होगी बारिश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिल्ली NCR सहित पूरे उत्तर भारत में गर्मी ने अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है। मौसम विभाग ने बदलते तापमान को लेकर लेटेस्ट अपडेट जारी किया है। दिल्ली में मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। मौसम विभाग ने 16 अप्रैल से लू चलने की संभावना जताई है।
इस दौरान तापमान 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। आईएमडी के मुताबिक दिल्ली में लोगों को इस बार गर्मी पिछले साल की तुलना में ज्यादा सताएगी।
दिल्ली में दिन के समय 10 से 15 किलोमीटर रफ्तर के साथ तेज हवाएं चल सकती हैं। वहीं, रात के समय न्यूनतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस तक रहने की संभावना है। दिल्ली NCR में अगले 4 दिन भयंकर गर्मी पड़ने की संभावना जताई है।
19 अप्रैल के बाद दिल्ली में गिरेगा तापमानरात में भी तेज हवाएं चल सकती हैं। 19 अप्रैल के बाद दिल्ली के तापमान में थोड़ी गिरावट आएगी। IMD के मुताबिक, 16 से 19 अप्रैल तक पूर्वी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर लू चलने की संभावना है।
पंजाब-हरियाणा समेत इन जगहों पर लू का अलर्ट15-17 अप्रैल के दौरान गुजरात 16-18 अप्रैल के दौरान पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी मध्य प्रदेश में भी लू चल सकती है। 16-17 अप्रैल के दौरान गुजरात और 16 अप्रैल को केरल और माहे में गर्म और आर्द्र मौसम रह सकता है। वहीं, 16-18 अप्रैल के दौरान पश्चिमी राजस्थान और 17-18 अप्रैल को पूर्वी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर रात में भी अत्यधिक गर्मी महसूस की जा सकती है।
बिहार-झारखंड में बदलेगा मौसम, तेज आंधी और बारिशअगले 24 घंटों में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में हल्की से मध्यम बारिश की संभवना है। वहीं, कर्नाटक, दक्षिण छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर भारत में हल्की बारिश हो सकती है। वहीं बिहार के पूर्वी हिस्से में ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है।
महाराष्ट्र में 2-3 डिग्री बढ़ेगी गर्मीबात करें अगर महाराष्ट्र के मौसम की तो मौसम विभाग के मुताबिक, महारष्ट्र में अगले 5 दिनों के दौरान अधिकतम तापमान में 2-3 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि होने की संभावना है और उसके बाद 2 दिनों के दौरान कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं होगा।
यह भी पढ़ें: Delhi Weather: बढ़ने लगा दिल्ली का तापमान, अगले तीन दिनों तक 'लू' का अलर्ट; पढ़ें IMD का ताजा अपडेट
गैस मीटरों के लिए सरकार ने बनाए नए नियम, उपभोक्ताओं को मिलेगी सटीक माप और सुरक्षा; जानें कैसे
पीटीआई, नई दिल्ली। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि सरकार ने सभी घरेलू, वाणिज्यिक और औद्योगिक गैस मीटर का कारोबार में इस्तेमाल किए जाने से पहले परीक्षण, सत्यापन और मुहर लगाने की जरूरत वाले नए नियमों का मसौदा तैयार किया है। कानूनी माप-विज्ञान (सामान्य) नियम, 2011 के तहत प्रस्तावित इन नियमों के मसौदे का उद्देश्य गैस की माप में सटीकता और विश्वसनीयता लाना, बिल से जुड़े विवादों को रोकना और उपभोक्ताओं को दोषपूर्ण उपकरणों से बचाना है।
उपभोक्ताओं को मिलेगी अधिक सुरक्षामंत्रालय ने बयान में कहा, "सत्यापित और मुहर लगे गैस मीटर अधिक शुल्क लेने या कम माप लेने से रोकेंगे, विवादों को कम करेंगे और दोषपूर्ण या हेराफेरी वाले उपकरणों के खिलाफ उपभोक्ताओं को गारंटीशुदा सुरक्षा प्रदान करेंगे।"
अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा ढांचाइसमें कहा गया है कि उपभोक्ताओं को उचित बिलिंग, बेहतर ऊर्जा दक्षता और मानकीकृत उपकरणों से कम रखरखाव लागत का लाभ मिलेगा। नियमों के मसौदे के तहत उपयोग किए जा रहे मीटर के दोबारा सत्यापन के प्रावधान भी किए गए हैं। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय विधिक माप-विज्ञान संगठन के मानकों के अनुरूप निर्माताओं और वितरण कंपनियों के लिए अनुपालन ढांचा स्थापित किया गया है।
यह भी पढ़ें: अमेरिकी टैरिफ के असर से 11.30 लाख करोड़ रुपये की निवेशक संपत्ति स्वाहा, BSE मानक सूचकांक में 2 प्रतिशत की गिरावट
'यहां तीन दिन तक रहेंगे तो कोई संक्रमण हो जाएगा', दिल्ली को लेकर नितिन गडकरी ने ऐसा क्यों कहा?
पीटीआई, मुंबई। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को दिल्ली के प्रदूषण को लेकर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में प्रदूषण का स्तर इतना अधिक है कि शहर में तीन दिन रहने से कोई संक्रमण हो सकता है।
उन्होंने एक शोध का हवाला देकर दावा किया कि दिल्ली में प्रदूषण के चलते लोगों की औसतन दस वर्ष जिंदगी घट रही है। गडकरी ने यहां एक कार्यक्रम में बताया कि प्रदूषण के कारण दिल्ली और मुंबई रेड जोन में हैं। वायु और जल प्रदूषण के संबंध में काफी काम किए जाने की जरूरत है।
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर काफी ज्यादा: गडकरीउन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण बहुत अधिक है। अगर आप तीन दिन तक दिल्ली में रहेंगे तो आपको कोई संक्रमण हो जाएगा। एक चिकित्सा निष्कर्ष के अनुसार, दिल्ली का प्रदूषण लोगों की औसत उम्र को दस वर्ष कम कर रहा है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बुनियादी ढांचों के विकास के साथ-साथ पर्यावरण संबंधित चिंताओं का समाधान भी राष्ट्रीय विकास के लिए अहम है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री ने कहा कि भारतीय समाज के लिए नैतिकता, अर्थव्यवस्था, पारिस्थितिकी और पर्यावरण महत्वपूर्ण हैं, लेकिन हमने पर्यावरण मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया है।
'जाम की समस्या का समाधान करने की जरूरत'गडकरी ने बताया कि हम करीब 22 लाख करोड़ रुपये मूल्य के जीवाश्म ईंधन का आयात करते हैं। प्रदूषण में पेट्रोल और डीजल का बड़ा योगदान है। सड़कों पर जाम की समस्या का समाधान करने की जरूरत है। वाहनों में ईंधन उपयोग में बदलाव करने की आवश्यकता है। मैं वैकल्पिक ईंधन का समर्थन करता हूं। मैं 22 लाख करोड़ रुपये के जीवाश्म ईंधन के आयात को बचाना चाहता हूं और 10-12 लाख करोड़ रुपये किसानों की जेब में डालना चाहता हूं।
यह भी पढ़ें: New Toll Policy: पूरे नेटवर्क में लगेंगे नए कैमरे, सेंसर पकड़ेगी स्पीड; नई टोल पॉलिसी में क्या है खास?
यह भी पढ़ें: 20, 30 या 40? किस उम्र में नौकरी खोने का ज्यादा खतरा? Startup Founder ने बता दी अंदर की बात
Pages
