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Rafale Deal: कांपेगा दुश्मन, भारत-फ्रांस 28 अप्रैल को साइन करेंगे 26 राफेल-मरीन जेट डील
एएनआई, नई दिल्ली। भारत और फ्रांस 28 अप्रैल को भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल-मरीन लड़ाकू विमानों की खरीद के लिए सबसे बड़े रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं। इस मौके पर फ्रांसीसी रक्षा मंत्री सेबास्टियन लेकोर्नू भी मौजूद रहेंगे।
राफेल-मरीन सौदा 64 हजार करोड़ में फाइनलरक्षा सूत्रों ने एएनआइ को बताया कि इस 63,000 करोड़ रुपये से अधिक के सौदे पर हस्ताक्षर के लिए दोनों पक्षों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहेंगे। सूत्रों ने यह भी बताया कि यह कार्यक्रम दक्षिण ब्लॉक में रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय के बाहर आयोजित किया जाएगा।
फ्रांसीसी मंत्री आएंगे भारतफ्रांसीसी मंत्री के रविवार शाम भारत पहुंचने की उम्मीद है और सोमवार देर शाम वह वापस वतन लौटेंगे। भारत ने इसी महीने नौ तारीख को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में फ्रांस के साथ 26 राफेल-मरीन लड़ाकू विमानों के लिए अपने सबसे बड़े रक्षा सौदे को मंजूरी दी थी।
भारत के पास पहले से ही 36 राफेल विमानों का बेड़ाभारतीय वायु सेना के पास पहले से ही एक अलग सौदे के तहत 36 राफेल विमानों का बेड़ा है। भारतीय वायु सेना के राफेल विमान अपने दो ठिकानों अंबाला और हाशिनारा से उड़ान भरते हैं। 26 राफेल-मैरीन विमानों के सौदे से राफेल विमानों की संख्या 62 हो जाएगी।
'सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करने की कोशिश', निशिकांत दुबे के बयान को लेकर BJP पर भड़का विपक्ष
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की चल रही समीक्षा के बीच शनिवार को न्यायपालिका पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की टिप्पणी से एक नया विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भाजपा पर जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट को निशाना बनाने और कमजोर करने का आरोप लगाया है।
केंद्र पर निशाना साधते हुए उन्होंने दावा किया कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग, मंत्री और भाजपा सांसद संस्था को कमजोर करने के प्रयास में सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ बोल रहे हैं। कांग्रेस केवल यही चाहती है कि सुप्रीम कोर्ट स्वतंत्र और तटस्थ तरीके से काम करे।
कोर्ट को निशाना बनाने का आरोपरमेश ने कहा, 'संविधान द्वारा सुप्रीम कोर्ट को दी गई शक्तियों को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट सिर्फ इतना कह रहा है कि कानून बनाते समय संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ मत जाओ। इसको निशाना बनाने के लिए जानबूझकर अलग-अलग आवाजें उठ रही हैं।'
उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांड, वक्फ कानून के बारे में बात की है और चुनाव आयोग का मुद्दा उसके समक्ष लंबित है।' अधिवक्ता एवं कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने भी सुप्रीम कोर्ट पर दिए गए भाजपा नेता निशिकांत दुबे के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सरकार का नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का होता है।
द्रमुख ने भी की आलोचना- खुर्शीद ने कहा, 'यह बहुत दुख की बात है कि अगर कोई सांसद सुप्रीम कोर्ट या किसी भी अदालत पर सवाल उठाता है। हमारी न्याय व्यवस्था में अंतिम फैसला सरकार का नहीं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट का होता है। अगर कोई इसे नहीं समझता है, तो यह बहुत दुख की बात है।'
- द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) नेता टीकेएस एलंगोवन ने भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि पार्टी सभी कानूनों के खिलाफ काम कर रही है। उन्होंने कहा, 'सुप्रीम कोर्ट देश के कानूनों की रक्षा के लिए है। सरकार बर्बर है क्योंकि वे किसी भी कानून का सम्मान नहीं करते हैं। वे जो चाहे करते हैं और संविधान के प्रविधानों को बदलने की कोशिश करते हैं।'
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'OIC के मंच का दुरुपयोग करना पाक की पुरानी आदत', PM मोदी के सऊदी दौरे से पहले भारत की खरी-खरी
एएनआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्रालय ने शनिवार को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के मंच का दुरुपयोग करने के लिए पाकिस्तान की आलोचना की। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने पत्रकार वार्ता के दौरान कहा-जहां तक पाकिस्तान द्वारा ओआईसी के दुरुपयोग की बात है, तो यह उसकी पुरानी आदत है।
उन्होंने कहा कि इसके खिलाफ हम नियमित रूप से बोलते रहे हैं और ओआईसी में अपने दोस्तों तथा भागीदारों के साथ भी इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। पाकिस्तान की गतिविधियों को धोखाधड़ी बताते हुए मिसरी ने कहा कि ओआईसी के अन्य सदस्यों के बीच इस्लामाबाद की इन हरकतों के बारे में एक निश्चित दृष्टिकोण है। लेकिन, हम अपने विचार साझा करना जारी रखेंगे।
उन्होंने कहा कि हम उनके ध्यान में लाएंगे कि पाकिस्तान द्वारा आदतन किए जाने वाले इन प्रयासों के बारे में वास्तव में क्या सोचते हैं। उल्लेखनीय है कि 57 देशों की सदस्यता वाला संगठन ओआईसी स्वयं को मुस्लिम जगत की सामूहिक आवाज कहता है।
पीएम मोदी करेंगे सउदी अरब की यात्राभारत और सउदी अरब के बीच रक्षा, कारोबार, ऊर्जा व सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए गठित रणनीतिक साझेदारी परिषद की दूसरी बैठक अगले हफ्ते होगी। बैठक की सह-अध्यक्षता पीएम नरेन्द्र मोदी और सउदी अरब के क्राउन प्रिंस व प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान करेंगे।
पीएम मोदी 22-23 अप्रैल, 2025 को सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। पीएम मोदी की तरफ से सउदी अरब के क्राउन प्रिंस के समक्ष भारत से जाने वाले हज यात्रियों की संख्या बढ़ाने का मुद्दा भी उठाया जाएगा। पीएम मोदी की यह तीसरी सउदी यात्रा होगी। इस बार की यात्रा में रक्षा और कारोबारी सहयोग दो प्रमुख एजेंडा होगा।
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अब और टैरिफ नहीं सहेगा भारत! अमेरिकी उपराष्ट्रपति के सामने पीएम मोदी उठाएंगे मु्द्दा; जानिए क्यों अहम है ये बैठक
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच मौजूदा शुल्क विवाद को लेकर अगले हफ्ते तीन स्तरों पर बातचीत होने जा रही है। सबसे पहले सोमवार को पीएम नरेन्द्र मोदी और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वांस के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक में यह मुद्दा उठेगा।
उसके बाद वाशिंगटन में दोनों देशों के वाणिज्य मंत्रालयों के बीच द्विपक्षीय कारोबारी समझौते (बीटीए) पर बात होगी। जबकि अगले साप्ताहांत वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और अमेरिका की ट्रेजरी सेक्रटरी (वित्त मंत्री के समकक्ष) स्काट बेसेंट के बीच होने वाली बैठक में भी भारत और अमेरिका के बीच कारोबारी संबंधों पर विमर्श होगा।
पीएम मोदी से साथ होगी वार्तामाना जा रहा है कि इन तीनों बैठकों से दोनों देशों के बीच कारोबार व निवेश से जुड़े संबंधों को लेकर जो अनिश्चितता बनी है, उसे दूर करने में मदद मिलेगी। अमेरिकी उपराष्ट्रपति वांस सोमवार (21 अप्रैल) को नई दिल्ली पहुंचेंगे और उसी दिन शाम को उनकी पीएम मोदी के साथ आधिकारिक वार्ता होगी।
फरवरी, 2025 में जब पीएम मोदी ने वाशिंगटन दौरे में उनसे मुलाकात की थी तब जेडी वांस ने ही भारत-अमेरिका के आर्थिक संबंधों को पूरा सहयोग देने की बात कही थी।
विश्व बैंक की बैठकों में हिस्सा लेगी वित्त मंत्री- वित्त मंत्री सीतारमण 20 अप्रैल को अमेरिका और पेरू की यात्रा पर जा रही हैं। अमेरिका में वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और विश्व बैंक की महत्वपूर्ण बैठकों में हिस्सा लेंगी। इसके बाद वह जी-20 के तहत वित्त मंत्रियों की एक अलग बैठक में भी हिस्सा लेंगी। इस दौरान उनकी अमेरिका के वित्त सचिव बेसेंट से द्विपक्षीय बैठक होगी। अमेरिका के बाद वह पेरू जाएंगी, जहां भारत-पेरू बिजनेस फोरम की बैठक की अध्यक्षता करेंगी।
- अमेरिका के वित्त सचिव से उनकी होने वाली वार्ता में टैरिफ से जुड़े मुद्दों के अलावा द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाकर 500 अरब डालर करने के एजेंडे पर भी बात होगी। वित्त मंत्री ने वर्ष 2025-26 के बजट में कई अमेरिकी उत्पादों पर शुल्कों में कटौती की थी। हालांकि इसके बावजूद अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 27 फीसद का आयात शुल्क लगाने का ऐलान कर दिया था। अभी इस पर 90 दिनों की रोक लगाई हुई है।
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Bluesmart Fraud: करोड़ों डॉलर की कंपनी, लेकिन अय्याशी ले डूबी... ब्लूस्मार्ट के मालिकों ने ऐसी क्या गलती कर दी?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। स्कूलों में एक कहावत पढ़ाई जाती है- अर्श से फर्श पर आना। अगर इस कहावत की तुलना इलेक्ट्रिक कैब सर्विस ब्लूस्मार्ट से करें, तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। सेबी के नोटिस के बाद गुरुवार को कंपनी ने अचानक से अपनी सर्विस बंद कर दी।
आरोप है कि प्रमोटर्स ने कंपनी के पैसों का इस्तेमाल अपनी अय्याशी और ऐशो आराम के लिए किया। कंपनी के फंड में से करीब 262 करोड़ रुपये कहां गायब हो गए, इसका कोई हिसाब नहीं है। खर्च दिखाया कुछ और, लेकिन किया कुछ और।
आज के एक्सप्लेनर में बात करेंगे ब्लूस्मार्ट कंपनी और इसे लेकर शुरू हुए विवाद की...
कैसे शुरू हुई ब्लूस्मार्ट?ब्लूस्मार्ट की पैरेंट कंपनी जेनसोल है। इसके मालिक अनमोल सिंह जग्गी ने देहरादून की यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज से एप्लाइड पेट्रोलियम इंजीनियरिंग में डिग्री ली थी। जग्गी ने पहले कुछ समय तक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की, लेकिन फिर स्टार्टअप शुरू करने का ख्याल आया।
नौकरी छोड़ी और भाई पुनीत सिंह जग्गी के साथ जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड की नींव रख दी। कंपनी का फोकस सोलर प्रोजेक्ट्स और व्हीकल लीजिंग पर था। इसके बाद 2019 में दोनों भाइयों ने मिलकर जेनसोल के बैनर तले ब्लूस्मार्ट मोबिलिटी की शुरुआत की।
क्या काम करती थी ब्लूस्मार्ट?जिस समय भारत में उबर और ओला का क्रेज था, उस वक्त ब्लूस्मार्ट जैसी कंपनी की शुरुआत करना वाकई एक चुनौती भरा फैसला था। ब्लूस्मार्ट की थीम इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को बढ़ावा देने की थी। साफ तौर पर कहें, तो कंपनी के बेड़े में सिर्फ इलेक्ट्रिक गाड़ियां ही थीं।
इस कंपनी को गुरुग्राम में महज 70 कारों के साथ शुरू किया गया था। लेकिन बाद में इसकी संख्या कई गुना बढ़ गई। 2023 में कंपनी ने पुणे में इलेक्ट्रिक व्हीकल की फैक्ट्री लगाई थी। फरवरी 2025 तक ब्लूस्मार्ट की वैल्यूएशन करीब ₹3,000 करोड़ हो गई थी।
फंड की नहीं हुई कभी कमीब्लूस्मार्ट को शुरुआत में ही एंजेल फंडिंग से 3 मिलियन डॉलर का बूस्ट मिला। हीरो मोटोकॉर्प, जीटो एंजेल नेटवर्क, माइक्रोमैक्स और दीपिका पादुकोण ने भी कंपनी में निवेश किया। कुछ समय बाद कंपनी ने टाटा मोटर्स और जियो-बीपी से टाइअप कर लिया, जिससे फ्लीट और चार्जिंग स्टेशन की संख्या में इजाफा हो गया।
ब्लूस्मार्ट को झोलाभर के फंड मिल रहे थे। मई 2022 में कंपनी ने 25 मिलियन डॉलर, मई 2023 में 42 मिलियन डॉलर उठाए। ब्लूस्मार्ट ने कई शहरों में विस्तार किया। जनवरी 2024 में कंपनी ने स्विस फर्म से 25 मिलियन और जुटाए। जुलाई में फिर से 200 करोड़ का फंड मिला। रिपोर्ट्स कहती हैं कि उबर ने ब्लूस्मार्ट को अक्वायर करने की भी पेशकश की थी।
कंपनी पर क्या लगे आरोप?- सेबी ने अंतरिम आदेश में कहा कि नई दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में आठ हजार से ज्यादा टैक्सी वाली ब्लूस्मार्ट की मूल कंपनी जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड लिस्टेड कंपनी है, लेकिन इसके मालिक अनमोल सिंह जग्गी और पुनीत सिंह जग्गी ने इसे निजी कंपनी की तरह चलाया।
- विवाद की मूल वजह जेनसोल को आईआरडीए और पीएफसी द्वारा दिए गए कर्ज का कथित दुरुपयोग है। कंपनी ने 977.75 करोड़ रुपये का ऋण लिया, जिसमें से 663.89 करोड़ केवल 6,400 इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए थे। जेनसोल वाहन खरीदकर ब्लूस्मार्ट को लीज पर दे देती थी।
- हालांकि, सेबी को दी गई जानकारी में जेनसोल ने माना कि इसने फरवरी तक 567.73 करोड़ देकर केवल 4,704 ईवी ही खरीदीं, जो ऋण लेते वक्त किए गए वादे के हिसाब से काफी कम थीं। जेनसोल को अपनी तरफ से 20 प्रतिशत हिस्सेदारी की रकम देनी थी, जिससे खरीदारी की कुल रकम 829.86 करोड़ हो जाती और इस हिसाब से 262.13 करोड़ रुपये की गड़बड़ी मिली।
- सेबी ने बैंक खातों की जांच की तो पता चला कि कई बार गो-आटो को ईवी खरीदारी के लिए भेजी गई रकम सीधे जेनसोल या अनमोल और पुनीत से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जुड़े खातों में वापस भेज दी गई। मालिकों ने कंपनी के फंड को अपने ऐशो आराम के लिए खर्च किया।
- इनमें गुरुग्राम के डीएलएफ कैमेलियाज में 43 करोड़ रुपये का लग्जरी फ्लैट खरीदना, अमेरिका से 26 लाख की गोल्फ किट मंगाना, घूमना-फिरना, रिश्तेदारों को पैसे भेजना, स्पा सेशन लेना और मालिकों को फायदा देने वाली उनकी दूसरी इकाइयों में निवेश करने के साथ लाखों का क्रेडिट कार्ड का भुगतान शामिल था।
- इसके अलावा 50 लाख रुपये अशनीर ग्रोवर के स्टार्टअप थर्ड यूनिकॉर्न में लगाए गए। 6.20 करोड़ अनमोल की मां और 2.98 करोड़ पत्नी के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किए गए। जेनसोल ने कहा है कि कंपनी सेबी के निर्देशों का पालन करेगी और जांच में पूरा सहयोग करेगी। गुरुवार को इसके शेयरों में करीब पांच प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और कंपनी के शेयर एक साल में 90 प्रतिशत तक गिर गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ब्लूस्मार्ट के लिए करीब 10 हजार से ज्यादा ड्राइवर काम करते थे। सेबी के नोटिस के बाद कंपनी ने अस्थायी तौर पर अपना संचालन बंद कर दिया है। यूजर्स को तो साफ तौर पर कह दिया गया है कि अगर संचालन दोबारा शुरू नहीं हुआ, तो उनके वॉलेट की रकम वापस कर दी जाएगी।
लेकिन कंपनी के लिए काम करने वाले ड्राइवरों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है। ड्राइवरों ने मांग की है कि उनकी कमाई और वादे के मुताबिक साप्ताहिक इंसेंटिव के 8 हजार रुपये तुरंत वापस किए जाएं। हालांकि कंपनी ने अभी तक इसे लेकर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
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नए अध्यक्ष से जातिगत समीकरण साधेगी बीजेपी, UP विधानसभा चुनाव से पहले बनाया खास प्लान
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर पीडीए फार्मूले से सपा प्रमुख अखिलेश यादव पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यकों को आकर्षित करने के प्रयास में जुटे हुए हैं तो भाजपा तमाम कार्यक्रमों और अभियानों के इतर प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति से भी जातीय समीकरण साधना चाहती है।
सूत्रों के अनुसार, आंबेडकर और संविधान के मुद्दे पर विपक्ष की मुखरता और सतत कमजोर होती बसपा को देख भाजपा के रणनीतिकारों की प्राथमिकता में दलित पर दांव लगाना है, लेकिन उपयुक्त चेहरे को लेकर उलझन है। चूंकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में कुछ ओबीसी वोट भी मुट्ठी से फिसला है, इसलिए इस पर पकड़ मजबूत करने की चुनौती समानांतर है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को दी कड़ी टक्करअटकलें हैं कि संगठन में जिस वर्ग का पलड़ा तुलनात्मक रूप से हल्का दिखेगा, उसकी भरपाई सरकार में प्रतिनिधित्व बढ़ाकर की जा सकती है। एकजुट अल्पसंख्यक के साथ दलित और पिछड़ों का जातीय गुलदस्ता सजाकर सपा-कांग्रेस गठबंधन ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को अच्छी चुनौती दी। विपक्ष फिर उसी प्रयास में है, इसलिए जातिगत जनगणना, संविधान और आंबेडकर के सम्मान के मुद्दों को अभी भी रणनीति में शामिल किए हुए है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि मोदी-योगी की डबल इंजन सरकार के सहारे भाजपा ने दलित और पिछड़ा वर्ग के लाभार्थियों के रूप में अपना वोटबैंक मजबूत बनाए रखा है, लेकिन राजनीति में संदेश का बड़ा महत्व माना जाता है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए भाजपा जातीय समीकरण साधने के मंथन में जुटी है।
लगातार दो बार ओबीसी वर्ग से बना बीजेपी प्रदेश अध्यक्षमहेंद्र नाथ पांडेय के बाद लगातार दो अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और भूपेंद्र चौधरी ओबीसी वर्ग से ही बनाए हैं। चौधरी पार्टी के 14वें अध्यक्ष हैं। इन चौदह में पांच ओबीसी और नौ सवर्ण पद संभाल चुके हैं, लेकिन दलित को एक बार भी मौका नहीं मिला है।
सूत्रों के अनुसार, अब चूंकि इस वर्ग पर राजनीतिक जोर बढ़ा है और दलितों का मोहभंग बसपा से काफी हो चुका है तो पार्टी रणनीतिकार इस वर्ग पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। ध्यान रहे कि मायावती जाटव बिरादरी से हैं और कुल करीब 22 प्रतिशत दलितों में सर्वाधिक जनसंख्या इसी वर्ग की है, जिसे लुभाने के प्रयास योगी मंत्रि मंडल में भी दिखते हैं।
योगी मंत्रिमंडल में नौ मंत्री दलित समाज से56 सदस्यीय टीम योगी में नौ मंत्री दलित हैं तो उनमें चार जाटव बिरादरी से ही हैं। हालांकि, संगठन की कमान संभालने के लिए उपयुक्त चेहरे का भी संकट है। इसी तरह दूसरे नंबर पर सबसे अधिक जोर पिछड़ा वर्ग पर है, क्योंकि इनकी आबादी 50 प्रतिशत से अधिक मानी जाती है। बेशक, इनमें बड़ी भागीदारी रखने वाली यादव बिरादरी पर सपा का मजबूत प्रभाव है, लेकिन ओबीसी की अन्य जातियों पर अब तक भाजपा की मजबूत पकड़ है।
लोकसभा चुनाव में सपा ने कुछ सेंध लगाईलोकसभा चुनाव में कुछ सेंध सपा ने लगाई है, लेकिन इस वर्ग के लिए भाजपा सरकार के काम, सरकार और संगठन में मजबूत प्रतिनिधित्व के अलावा भाजपा ने गठबंधन सहयोगियों के सहारे भी इस वर्ग को साधने का प्रयास किया है। रालोद, अपना दल एस, सुभासपा और निषाद पार्टी ओबीसी की अलग-अलग जातियों की ही राजनीति प्रमुखत: करती हैं। फिर भी दलित वर्ग में अध्यक्ष की तलाश सफल नहीं होती तो भाजपा का लगातार तीसरा अध्यक्ष ओबीसी से हो सकता है।
भाजपा के साथ सकारात्मक पहलू यह भी है कि जातियों के समायोजन के लिए उसके पास संगठन के साथ सरकार भी है। 56 सदस्यीय मंत्रि मंडल में सवर्ण और ओबीसी की हिस्सेदारी लगभग बराबर है। चार मंत्री और बनाए जा सकते हैं। अध्यक्ष बनाने में जिस वर्ग से पार्टी पीछे हटेगी, उसे सरकार में महत्वपूर्ण ओहदा देकर संदेश देने का प्रयास होगा, वह चाहे दलित हो, पिछड़ा हो या सवर्ण।
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TS EAPCET 2025 हॉल टिकट जारी, ऐसे डाउनलोड कर सकते हैं अपना एडमिट कार्ड
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना काउंसिल ऑफ हायर एजुकेशन ने टीएस ईएपीसीईटी (तेलंगाना स्टेट इंजीनियरिंग, कृषि और मेडिकल (फार्मेसी) कॉमन एंट्रेंस टेस्ट) 2025 के लिए हॉल टिकट (प्रवेश पत्र) जारी कर दिए हैं। इम्तिहान में शामिल होने वाले कैंडिडेट अपने प्रवेश पत्र आधिकारिक वेबसाइट eapcet.tsche.ac.in से डाउनलोड कर सकते हैं।
प्रवेश पत्र डाउनलोड करने के लिए कैंडिडेट को अपना रजिस्ट्रेशन नंबर, क्वालिफाइंग परीक्षा का हॉल टिकट नंबर और जन्म तारीख की जरूरत होगी।
प्रवेश पत्र के बिना इम्तिहान में प्रवेश नहींपरीक्षा केंद्र में प्रवेश पत्र लाना लाजमी है, बिना इसके कैंडिडेट्स को इम्तिहान में बैठने की इजाजत नहीं दी जाएगी। इसके साथ ही, कैंडिडेट्स को एक मूल फोटो पहचान पत्र भी लाना होगा।
एग्जाम का शेड्यूलकृषि और फार्मेसी (A&P) के लिए सीईटी 29 और 30 अप्रैल, 2025 को आयोजित होगी। वहीं, इंजीनियरिंग परीक्षा के प्रवेश पत्र 22 अप्रैल को जारी होंगे, और यह इम्तिहान 2, 3 और 4 मई, 2025 को होगा।
टीएस ईएपीसीईटी 2025 प्रवेश पत्र डाउनलोड कैसे करें?-
आधिकारिक वेबसाइट eapcet.tsche.ac.in पर जाएं।
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होमपेज पर "टीएस ईएपीसीईटी हॉल टिकट डाउनलोड" लिंक पर क्लिक करें।
- अपना रजिस्ट्रेशन नंबर, क्वालिफाइंग परीक्षा का हॉल टिकट नंबर और जन्म तारीख दर्ज करें।
- आपका टीएस ईएपीसीईटी 2025 प्रवेश पत्र स्क्रीन पर दिखाई देगा।
- प्रवेश पत्र डाउनलोड करें और परीक्षा के लिए सुरक्षित रखें।
टीएस ईएपीसीईटी 2025 के लिए ऑनलाइन आवेदन 1 मार्च, 2025 से शुरू हुए और बिना लेट फीस के 4 अप्रैल तक चले। आवेदन सुधार विंडो 6 से 8 अप्रैल तक खुली थी। 2,500 रुपये की लेट फीस के साथ आवेदन की आखिरी तारीख 18 अप्रैल थी।
कैंडिडेट्स को सलाह दी जाती है कि वह अपने प्रवेश पत्र समय पर डाउनलोड करें और इम्तिहान की तारीखों का खास ख्याल रखें। अधिक जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट देखें।
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'टैरिफ वार के झटके झेल भी लेंगे और उबर भी जाएंगे', अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने खास बातचीत में क्या-क्या कहा?
रुमनी घोष, नई दिल्ली। 'अमेरिका में रह रहे कुछ एनआरआई रिश्तेदार फोन करके अनुरोध कर रहे हैं कि पैरासिटामोल के चार पैकेट और एक आई-फोन ले आना...' प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य, जाने-माने अर्थशास्त्री और लेखक संजीव सान्याल का यह 'एक्स' पोस्ट अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ और फिर उसे 90 दिनों के लिए रोकने के बीच की अवधि में दुनियाभर में फैली अनिश्चितता को बड़े ही रोचक अंदाज में बयां करता है।
इसे पढ़कर चेहरे पर जो हल्की सी मुस्कुराहट उभरती है, वह तनावभरे माहौल को हल्का करने में मदद करती है। वहीं, शब्दों की गहराई सही समय पर उचित कदम उठाए जाने की ओर भी इशारा करती है।
बहरहाल, दोनों ही स्थितियों से साफ है कि इससे भारत के लिए एक ऐसा अवसर पैदा हो रहा है, जो पहले कभी भी नहीं रहा है। अपनी बेबाकी के लिए पहचाने जाने वाले संजीव सान्याल कहते हैं, कि मैं यह नहीं कहूंगा कि भारत को झटके नहीं लगेंगे..., लेकिन हम झेल भी लेंगे और उससे उबर भी जाएंगे।
इस वक्त भारत का एक ही लक्ष्य है-अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड समझौता । ... और यदि हमने सही समय पर कुछ ऐसे जरूरी कदम उठा लिए तो अमेरिका-चीन के बीच सुपर पावर बनने के लिए चल रहे संघर्ष के दौरान भारत को अपना बाजार तैयार करने का एक मौका मिल सकता है। यह मौका कैसे मिल सकता है? और इसके लिए भारत को क्या-क्या कदम उठाने पड़ेंगे?
इन सारे सवालों को लेकर दैनिक जागरण की समाचार संपादक रुमनी घोष ने उनसे विस्तार से बातचीत की। दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित छात्रवृत्तियों में से एक रोड्स स्कॉलरशिप लेकर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातकोत्तर कर लौटे सान्याल ने मल्टीनेशनल बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री के बतौर अपने करियर की शुरुआत की। वर्ष 2017 में वह वित्त मंत्रालय के प्रधान आर्थिक सलाहकार के रूप में नियुक्त हुए और उन्होंने भारत के आर्थिक सर्वेक्षण के छह संस्करण तैयार करने में मदद की।
वर्ष 2022 से वह प्रधान मंत्री आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए। उन्होंने जी-7 व आर्गनाइजेशन ऑफ इकोनॉमिक-कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) की बैठकों में भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू टैरिफ युद्ध किस दिशा में जा रहा है?
पहली बात यह याद रखिए कि मूलत: इसका भारत के साथ कोई लेना-देना नहीं है। यह वैश्विक आर्थिक ढांचा है...दूसरे विश्व युद्ध के बाद से इसी ढांचे पर दुनिया चल रही थी। यह ढांचा अब टूटने लगा है। आप इतिहास में झांकेंगे तो पाएंगे कि यह उथल-पुथल स्वाभाविक है। पहले और दूसरे विश्व युद्ध के पहले ब्रिटिश साम्राज्य के सामने जर्मनी, जापान और अमेरिका तीन शक्तियां उभरने लगीं।
युद्ध के बाद आर्थिक ढांचा टूटा और अमेरिका सामने आकर खड़ा हुआ। कुछ समय के लिए सोवियत संघ भी इस दौड़ में शामिल रहा, लेकिन वर्ष 1991 के बाद अमेरिका ने कब्जा कर लिया और हेजिमोन (सुप्रीम लीडर) बनकर उभरा। हालांकि अभी दुनिया को 'युद्ध' में तो नहीं उतरना पड़ा है, लेकिन पावर ट्रांजिशन (शक्ति स्थानांतरण) के दौर में टर्बुलेंस (अशांति) रहेगा। सभी पर असर पड़ेगा।
ट्रंप कभी टैरिफ लगा देते हैं, कभी रोक देते हैं? इतना कन्फ्यूशन (उलझन) और केयोस (घोर अव्यवस्था) क्यों?
ट्रंप की शैली से शायद दुनिया आश्चर्यचकित हैं, लेकिन अमेरिका की ओर से इस तरह की प्रतिक्रिया अपेक्षित था। इसे इस तरह से समझिए कि यह 'राइजिंग स्टार' को रोकने की कोशिश है। जो पहले नंबर पर काबिज है, वह अपनी जगह पर बने रहने की पुरजोर कोशिश करेगा। वहीं जो दूसरे नंबर पर है, वह पहले स्थान पर काबिज होने की कोशिश करेगा।
इससे पहले भी ऐसा हुआ है। पहले विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन के खिलाफ जर्मनी और अन्य देश इसी तरह से खड़े हुए थे। उसके पहले भी यह स्थिति बनी थी। नेपोलियन का दौर था। उस समय फ्रांस के सामने ब्रिटेन इसी तरह खड़ा हुआ था। अब फिर से 'ग्लोबल आर्डर' टूट रहा है। ऐसे में ट्रंप नहीं भी होते तो अमेरिका की ओर से कोई ओर इस कदम को उठाता।
यानी आप कहना चाह रहे हैं कि ट्रंप की शैली पर दुनिया सवाल उठा सकती है, लेकिन यह घटनाक्रम पहले से ही तय था? क्या माना जाए कि यह सबकुछ पहले से ही योजनाबद्ध तरीके से तय था?
बिलकुल। ट्रंप की शैली को लेकर दुनिया सवाल खड़े कर सकती है, लेकिन यह घटनाक्रम तय था। इसकी वजह से पूरी दुनिया में जो उथल-पुथल हो रहा है या आने वाले समय में होगा... वह भी तय है। यह सबकुछ योजनाबद्ध है या नहीं, इससे फर्क नहीं पड़ता। कभी न कभी दुनिया को इस स्थिति का सामना करना ही पड़ता।
बतौर अर्थशास्त्री आप लोगों ने कितने समय पहले यह भांप लिया था कि विश्वभर में इस तरह की स्थितियां बनेंगी?
यह दिखाई दे रहा था...धीरे-धीरे स्थितियां बन रही थीं। बाजार उस परिस्थिति तक पहुंच गया था कि इस समय यह होना ही था। ट्रंप के पहले कार्यकाल में भी टैरिफ लगाया गया था। बाइडन प्रशासन ने भी टैरिफ बढ़ाया।
ब्रिटेन के सामने उभरते हुए अमेरिका ने एक ढांचा तैयार किया था। उससे अमेरिका को फायदा हुआ और चीन जैसे देशों को भी उभरने का मौका मिला। बीते 30 साल में भारत की अर्थव्यवस्था में जो उभार आया, वह भी इसी ढांचे की वजह से था, लेकिन अब न तो यह अमेरिका के लिए कारगर साबित हो रहा था और न ही भारत जैसे देश के लिए। ऐसे में इसके टूटने पर अफसोस नहीं होना चाहिए। यदि अमेरिका अभी यह कदम नहीं उठाता तो चीन बहुत आगे निकल जाता और उसे रोकना असंभव हो जाता।
अब क्या होगा? अंत कैसे होगा?
अभी हम बहुत अनिश्चित परिस्थिति में हैं। बहुत कुछ हो सकता है। किस तरह से इसका अंत होगा, यह बताना बहुत मुश्किल है। चीन की प्रतिक्रिया पर काफी कुछ निर्भर करेगा। अमेरिका ने पुराना ढांचा तोड़ दिया है। नया ढांचा बनाने में वह सफल होगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं है। अमेरिका के ट्रेडिंग पार्टनर्स देशों का इस व्यवस्था के प्रति कितना लगाव होगा, इस पर भी बहुत कुछ निर्भर करेगा। इसमें भारत का भी एक बड़ा रोल है।
अभी तक तो भारत खामोश है... क्या हमने (भारत ने) कोई स्टैंड नहीं लिया है?
हमारा स्टैंड स्पष्ट है। भारत अमेरिका के साथ एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (मुक्त बाजार समझौता) करना चाहता है। इसके लिए दोनों देशों के बीच बात चल रही है और हम इसी पर ही ध्यान देंगे।
क्या चीन, भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा सकता है? हमारी प्रतिक्रिया क्या होगी?
नहीं। अभी भारत का एकमात्र लक्ष्य है अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट करना। दुनिया में सभी देशों के लिए यह उथल-पुथल है, लेकिन दूसरे देशों की तुलना में भारत पर इसका असर कम है।
फ्री ट्रेड का मतलब क्या? भारत और अमेरिका के बीच बिना टैक्स के व्यापार?
अमेरिका को जो भी चीजें हम निर्यात करते हैं तो उसमें से दो-तिहाई हिस्सा सेवाएं हैं। इस पर कोई टैक्स नहीं है। बचे हुए एक-तिहाई गुड्स में से फार्मास्यूटिकल्स और इलेक्ट्रानिक्स को हटा दिया गया है, यानी इन पर टैक्स नहीं है। ऐसे में बचे हुए गुड्स पर टैरिफ का दबाव फिलहाल बहुत सीमित रहेगा। मैं यह नहीं कहूंगा कि टैरिफ का भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
आने वाले समय में जब दुनियाभर में उथल-पुथल बढ़ेगी, तो भारत को भी झटका लगेगा, लेकिन यह झटका हमारी सहनशक्ति के भीतर होगा। हम उस झटके को झेल भी लेंगे और उससे उबर भी जाएंगे। हड़बड़ी की जरूरत नहीं है। जरूरी यह है कि हम अमेरिका के साथ फ्री ट्रेड पर ध्यान दें और उसमें ही आगे बढ़ें। ऐसा फ्री ट्रेड, जिसमें हमें भी फायदा हो और उन्हें भी।
भारत के अन्य कई देशों से भी व्यापार संबंध हैं। क्या उस पर असर नहीं होगा?
असर तो होगा। अन्य देशों से व्यापार करते वक्त हमें उनकी स्थितियों के आधार पर ही नीतियां तय करनी पड़ेंगी।
हमारे देश की अर्थव्यवस्था को दिशा और दशा तय करने वाले दो प्रमुख हस्तियों के दो अलग-अलग बयान हैं। एक ओर आरबीआइ गवर्नर संजय मल्होत्रा का कहना है टैरिफ के कारण उत्पन्न अनिश्चितता विकास के लिए नकारात्मक है। वहीं भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वीए नागेश्वरन का कहना है यह अनिश्चितता हमारे लिए अवसर भी लेकर आ सकती है? क्या दोनों टिप्पणियां विरोधाभासी नहीं है?
नहीं। कोई विरोधाभास नहीं है। बाजार में उथल-पुथल की वजह से लगने वाले झटकों से बचाव के लिए आरबीआइ को सतर्क रहना पड़ेगा। आरबीआइ का काम है कि वह 'शाक एब्जार्बर' बनकर रहे। सरकार का काम है कि इन स्थितियों की वजह से जो अवसर बन रहे हैं, उसका लाभ उठाना है।
अवसर के क्या मायने हैं?
अमेरिका और चीन या अन्य देशों के बीच जो सप्लाय चेन टूट गया है, उस मौके का फायदा उठाकर हमारे उद्योगपति और निर्यातक अमेरिका में निवेश करें। अमेरिका के उद्योगपतियों से यहां निवेश करवाएं। भारत के लिए एक नया बाजार तैयार करें। हम यूके के साथ भी फ्री ट्रेड एग्रीमेंट की तैयारी कर रहे हैं। यह भारतीय निर्यातकों के लिए एक बड़ा अवसर हो सकता है।...और सिर्फ उद्योगपति या निर्यातकों के लिए ही नहीं बल्कि नीति निर्माताओं, विज्ञानियों सहित हर क्षेत्र के लोगों को सोचना होगा। यानी 'आल आफ नेशन'... पूरे देश को एक साथ और एक दिशा में सोचना होगा।
आपने और आर्थिक सलाहकार परिषद ने सरकार को क्या सुझाव दिए हैं?
मैं प्रोसेस रिफार्म, यानी सरकारी प्रक्रियाओं में बदलाव के बारे सुझाव देता हूं। इनमें से एक है डी रेग्यूलेशन कमीशन, जो 'इज आफ डूइंग बिजनेस' पर काम करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पर कमेटी बनाए जाने की बात कही है। इस दौर में यह बहुत अहम है, ताकि व्यापार को बढ़ावा मिल सके।
पहले विश्वयुद्ध के बाद वर्ष 1929 में ग्रेट डिप्रेशन (विश्वव्यापी मंदी) शुरू हुआ था? यह मंदी 1939 तक चली थी। तब भी अमेरिकी टैरिफ जिम्मेदार था। क्या इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है?
वैश्विक मंदी आ सकती है...लेकिन मैं कहूंगा कि हमारे पास मौद्रिक और राजकोषीय क्षमता दोनों है। इसकी वजह से भारत मंदी की स्थिति से उबरने में काफी हद तक सक्षम है।
मंदी की बात आते ही लोग 1991 के दौर में पूर्व प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह द्वारा उठाए गए कदमों को याद कर रहे हैं। क्या वर्तमान में हम उतने ही तैयार हैं?
दोनों स्थितियों की कोई तुलना ही नहीं है। वर्ष 1991 में भारत की अर्थव्यवस्था 300 मिलियन डालर की थी और अभी हमारी अर्थव्यवस्था 4.3 ट्रिलियन डालर की है। हम कोविड जैसे बड़े 'इकोनमिक शाक' से बाहर आ गए हैं। सरकार की ओर से यह बता देना चाहता हूं कि हमारे पास बहुत विकल्प हैं। फारेन एक्सचेंज रिजर्व है। मानिटरी क्षमता है। अन्य भी विकल्प हैं। हम इससे उबर जाएंगे।
टैरिफ लागू होने की स्थिति में भारतीय निर्यातकों ने निर्यात ऋण बीमा का विस्तार करने की मांग की है, ताकि अमेरिकी बाजार में पकड़ बनाई रखी जा सके। आपकी राय?
उद्योगपति और निर्यातक यदि कोई मांग लेकर आते हैं, तो हम निश्चित रूप से उस पर गौर करेंगे। यह समय एक होकर मिलकर चलने का है।
एशियाई देशों पर कितना असर रहेगा?
इस उथल-पुथल से बहुत ही जटिल परिस्थितियां बन सकती हैं। हर देश की स्थिति अलग-अलग है। बांग्लादेश में तो आर्थिक और राजनीतिक परिस्थितियां दोनों अलग-अलग असर डालेंगी। वियतनाम की इकानामी चीन से बहुत जुड़ी हुई है। जब अमेरिका, चीन पर दबाव डालेगा तो उसका असर वियतनाम पर भी पड़ेगा। बहुत अनिश्चितता होगी। वह देश, जिसकी अर्थव्यवस्था बहुत ही लचीले ढंग से आगे बढ़ेगी, वह इस परिस्थिति से खुद को बाहर निकाल ले जाएगी।
मंदी से बचाव के लिए भारत सरकार को क्या कदम उठाना चाहिए?
हमें अपने माइक्रो इकानामिक सिस्टम (सूक्ष्म आर्थिक प्रणाली)को बरकरार रखना चाहिए। वैश्विक दबाव में उसका संतुलन नहीं बिगड़ना चाहिए। इसके अलावा फ्री ट्रेड पर जोर, इज आफ डूइंग बिजनेस सिस्टम (आसान व्यापार प्रणाली) को विकसित करना, जुडिशरी सिस्टम को तेज करना होगा। इंफोर्समेंट आफ कांट्रेक्ट बहुत धीमा व परेशानी भरा है। हालांकि यह दीर्घावधि प्लान है। इंफ्रास्ट्रक्चर में हमने बहुत काम किया है, लेकिन और ज्यादा सुधार की जरूरत है।
मंदी में आम आदमी और नौकरीपेशा लोग सबसे ज्यादा असहाय महसूस करते हैं। उन्हें नौकरी जाने या व्यवसाय डूबने का डर रहता है। उनकी सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम है?
देखिए, हमारे नेतृत्व द्वारा जो नीतियां बनाई जा रही हैं, वह इन परिस्थितियों में आम लोगों और नौकरीपेशा लोगों के लिए 'कुशन' का काम करेगी। पूरी कोशिश है कि भारत पर कम से कम असर हो।
आप कह रहे हैं कि भारतीय निवेशकों, निर्यातकों, उद्योगपतियों के लिए यह एक बड़ा अवसर है। भारत के पास यह अवसर कितने समय के लिए है और इसके लिए हमें क्या-क्या करना होगा?
सबसे पहले हर भारतीय को यह सोचना चाहिए कि यह उथल-पुथल हमेशा खराब नहीं होता है। मैं यह नहीं कहूंगा कि समस्या नहीं है, लेकिन यह हमारे लिए अवसर भी है। हमें इसे तलाशना होगा। इसके लिए पूरे देश को एक होकर आगे बढ़ना होगा।
चीन जितनी देर बाजार से बाहर है, उतनी देर भारत के उद्योपति और निवेशकों के लिए मौका है। यह स्थिति अनिश्चित काल के लिए नहीं रहेगी। पिछली बार जब इस तरह की स्थिति बनी थी, तब भारत की अर्थव्यवस्था इतनी छोटी थी कि हम उस दौड़ में ही नहीं थे। अब हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। अमेरिका और चीन के बीच छिड़ी टैरिफ वार में हमारे निर्यातकों के लिए बहुत बड़ा अवसर हो सकता है।
'सिर्फ कुछ समय के लिए ही चीन मैदान में नहीं होगा... उस दौरान ही भारत के लिए मौका है कि वह उस खाली जगह को घेरे। इसके लिए पूरे देश को एक होकर आगे बढ़ना होगा।'
भारत-अमेरिका के बीच होगा ट्रेड एग्रीमेंट, 19 चैप्टर में डील का मसौदा तैयार; वाशिंगटन में होगी बातचीत
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के लिए दोनों देशों द्वारा अंतिम रूप दिए गए संदर्भ की शर्तों (टीओआर) में लगभग 19 अध्याय शामिल हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इनमें वस्तु, सेवाओं और सीमा शुल्क सुविधा जैसे मुद्दों को शामिल किया गया है। वार्ता को और गति देने के लिए, प्रस्तावित भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) के लिए औपचारिक रूप से बातचीत शुरू करने से पहले कुछ मुद्दों पर मतभेदों को दूर करने के लिए एक भारतीय आधिकारिक दल अगले सप्ताह अमेरिका का दौरा कर रहा है।
भारत के मुख्य वार्ताकार, वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव राजेश अग्रवाल, दोनों देशों के बीच आमने-सामने की पहली वार्ता के लिए टीम का नेतृत्व करेंगे। अग्रवाल को 18 अप्रैल को अगले वाणिज्य सचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। वह एक अक्टूबर से पदभार ग्रहण करेंगे।
तीन दिवसीय वार्ता होगीअधिकारी ने कहा कि वाशिंगटन में अमेरिकी समकक्षों के साथ तीन दिवसीय भारतीय आधिकारिक टीम की वार्ता बुधवार (23 अप्रैल) से शुरू होगी। यह यात्रा एक उच्चस्तरीय अमेरिकी टीम के भारत दौरे के कुछ ही सप्ताह के भीतर हो रही है। यह बताती है कि बीटीए के लिए वार्ता गति पकड़ रही है।
पिछले महीने दोनों देशों के बीच वरिष्ठ अधिकारी स्तर की वार्ता हुई थी। दक्षिण और पश्चिम एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडनलिंच भारतीय अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण व्यापार चर्चा के लिए 25 से 29 मार्च तक भारत में थे।
शरद ऋतु तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने का रखा लक्ष्यदोनों पक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुल्क पर नौ अप्रैल को घोषित 90 दिन की रोक का उपयोग करना चाहते हैं। इससे पहले, 15 अप्रैल को वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने कहा था कि भारत अमेरिका के साथ जल्द से जल्द वार्ता को समाप्त करने का प्रयास करेगा।
उन्होंने कहा कि भारत ने अमेरिका के साथ व्यापार उदारीकरण का रास्ता अपनाने का फैसला किया है। दोनों पक्षों ने इस साल की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक समझौते के पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य रखा है, जिसका मकसद वर्तमान में लगभग 191 अरब डॉलर से 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है। व्यापार समझौते के तहत दो देश व्यापार होने वाली अधिकतम वस्तुओं पर सीमा शुल्क को काफी कम कर देते हैं और समाप्त कर देते हैं। वे सेवाओं में व्यापार को बढ़ावा देने और निवेश को बढ़ावा देने के लिए मानदंडों को भी आसान बनाते हैं।
भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है अमेरिका2021-22 से 2024-25 तक अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत के कुल वस्तु निर्यात में अमेरिका का लगभग 18 प्रतिशत, आयात में 6.22 प्रतिशत और द्विपक्षीय व्यापार में 10.73 प्रतिशत हिस्सा है। अमेरिका के साथ, भारत का 2024-25 में 41.18 अरब डॉलर का व्यापार अधिशेष (आयात और निर्यात के बीच का अंतर) था। 2023-24 में यह 35.32 अरब डॉलर, 2022-23 में 27.7 अरब डॉलर, 2021-22 में 32.85 अरब डॉलर और 2020-21 में 22.73 अरब डॉलर था।
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सऊदी अरब के दौरे पर जाएंगे पीएम मोदी, क्राउन प्रिंस ने दिया था न्योता; जानिए किन समझौतों पर लग सकती है मुहर
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। भारत और सउदी अरब के बीच रक्षा, कारोबार, ऊर्जा व सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए गठित रणनीतिक साझेदारी परिषद की दूसरी बैठक अगले हफ्ते होगी। बैठक की सह-अध्यक्षता पीएम नरेन्द्र मोदी और सउदी अरब के क्राउन प्रिंस व प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन सलमान करेंगे।
पीएम मोदी 22-23 अप्रैल, 2025 को सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे। पीएम मोदी की तरफ से सउदी अरब के क्राउन प्रिंस के समक्ष भारत से जाने वाले हज यात्रियों की संख्या बढ़ाने का मुद्दा भी उठाया जाएगा। पीएम मोदी की यह तीसरी सउदी यात्रा होगी। इस बार की यात्रा में रक्षा और कारोबारी सहयोग दो प्रमुख एजेंडा होगा।
मौजूदा वैश्विक माहौल पर होगी चर्चा- वैसे शीर्ष नेताओं के बीच होने वाली बैठक में मौजूदा वैश्विक माहौल को लेकर भी चर्चा होगी। पीएम मोदी की इस दौरे की सबसे खास पहलू रणनीतिक साझेदारी परिषद की दूसरी बैठक होगी। वर्ष 2019 में इस परिषद की स्थापना की गई थी। तब सउदी अरब ने भारत को दुनिया के उन सात देशों में शामिल किया था जिसके साथ वह रणनीतिक साझेदारी को मजबूत बनाने की बात कही थी।
- इस परिषद की पहली बैठक वर्ष 2023 में हुई थी। परिषद के तहत आपसी साझेदारी को मजबूत बनाने के अलग अलग क्षेत्र में कई तरह की समितियों का गठन किया गया है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि, 'इन समितियों की लगातार बैठकें हो रही थी। कारोबार, निवेश व रक्षा क्षेत्र में गठित समितियों की भी बैठकें हुई हैं। इसकी अब दोनों शीर्ष नेताओं के स्तर पर समीक्षा होगी।'
- जिस तरह से मध्य एशियाई क्षेत्र की स्थिति है उसमें भारत को उम्मीद है कि वह सउदी अरब को हथियारों की आपूर्ति करने में एक प्रमुख देश होगा। भारत के लिए सऊदी अरब की अहमियत इसलिए भी है कि यह देश इस्लामिक देशों के संगठन ओआईसी का एक मजबूत सदस्य है। पाकिस्तान इस संगठन में जिस तरह से भारत विरोधी मुद्दों को हवा देने की कोशिश करता है, उससे संतुलित करने के लिए भारत को सऊदी अरब की मदद चाहिए।
विदेश सचिव मिसरी ने कहा कि, 'पाकिस्तान की पुरानी आदत है कि वह ओआईसी का गलत इस्तेमाल करता है। हम उसकी आदतों को लेकर अपने दूसरे मित्र देशों को जानकारी देते रहते हैं।' उन्होंने यह भी बताया कि आगामी यात्रा में हज यात्रियों की संख्या बढ़ाने पर भी बात होगी। यह भारत की प्राथमिकता रही है कि हज यात्रा पर जाने वाला कोटा बढ़ाई जाए।
भारत को सउदी अरब के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने की काफी संभावनाएं दिख रही हैं। सउदी अरब को रक्षा उपकरणों के आपूर्तिकर्ता के तौर पर भारत स्थापित हो रहा है। लेकिन भारत दोनों देशों के रक्षा क्षेत्र के संस्थानों के बीच बेहतर संबंध को बढ़ावा देना चाहता है। ताकि दोनों देशों के भी ज्यादा सैन्य अभ्यास हो, उच्च स्तर पर दौरे हों।'
- विदेश सचिव विक्रम मिसरी
इस सतत कोशिश की वजह से ही भारत का कोटा 1.36 लाख से बढ़ कर 2.75 लाख हो चुका है। भारत इस मुद्दे को आगे भी सउदी सरकार के लोगों के समक्ष उठाती रहेगी। बताते चलें कि सउदी अरब में 27 लाख भारतीय रहते हैं। विदेशों में रहने वाले भारतीयों के मामले में सउदी अरब दूसरा सबसे बड़ा देश है। पीएम मोदी इस यात्रा के दौरान एक ऐसे फैक्ट्री का भी दौरा करेंगे जहां बड़ी संख्या में भारतीय श्रमिक काम कर रहे हैं।
निवेश पर सऊदी से करेंगे बातपीएम मोदी के इस दौरे में सऊदी अरब से होने वाले निवेश का मुद्दा भी उठाया जाएगा। वर्ष 2019 में सउदी अरब की तरफ से 100 अरब डॉलर का निवेश भारत में करने की घोषणा की गई थी। लेकिन बाद में सउदी अरब की तरफ से भारत में निवेश के माहौल को लेकर चिंता जताई गई है। इस बारे में विदेश सचिव मिसरी ने बताया कि, “सउदी अरब से भारत में निवेश की अपार संभावनाएं हैं। जो मुद्दे सउदी अरब की तरफ से उठाए गए थे, हम उन पर बहुत गंभीरता से विचार कर रहे हैं।'
कहा कि 'उन पर एक उच्चस्तरीय संयुक्त कार्य दल की तरफ से विचार किया जा रहा है। यह अक्टूबर, 2023 में गठित हुई थी। इस बारे में गठित कार्य दल की अध्यक्षता पीएमओ के प्रमुख सचिव पी के मिश्रा करते हैं। जबकि सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री दूसरे दल की अध्यक्षता करते हैं। इसकी कई बैठकें हो चुकी हैं। जिसमें निवेश के माहौल को लेकर काफी विमर्श हुआ है। अब सउदी अरब की ¨चताओं को दूर करने को लेकर उन्हें आश्वस्त कर रहे हैं।'
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होने वाली है अद्भुत खगोलीय घटना, आसमान में मिलकर स्माइली फेस बनाएंगे ग्रह; जानिए कैसे देख सकेंगे आप
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यूं जो तकता है आसमान को तू, कोई रहता है आसमान में क्या... मशहूर शायर जौन एलिया का ये शेर भले ही आज की रील वाली जनरेशन के लिए इतना मौजूं न हो, लेकिन सितारों की दुनिया में दिलचस्पी रखने वाले लोग इसकी गहराई जरूर नाप सकते होंगे।
आपका दिलचस्पी अंतरिक्ष और सितारों में भले ही हो या न हो, लेकिन प्रकृति की बेइंतहा खूबसूरती को आप नकार कतई नहीं सकते। प्रकृति अपने चाहने वालों को कभी न कभी ऐसा मौका दे ही देती है कि आप इसकी तारीफ किए बिना न रह पाए। एक ऐसा ही मौका 25 अप्रैल को भी आ रहा है, जब आप आसमान की तरफ तकने के मजबूर हो जाएंगे
25 अप्रैल को होगी खगोलीय घटनादरअसल 25 अप्रैल को एक रेयर परिस्थिति बन रही है, जब दो ग्रह और चांद आसमान में इस तरह मौजूद होंगे कि यह किसी स्माइल फेस की तरह दिखलाई देंगे। ये दोनों ग्रह शुक्र और शनि हैं। लाइवसाइंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ये खगोलीय घटना 25 अप्रैल की सुबह होगी।
इसे प्रत्यक्ष दर्शन के लिए आपको सूर्योदय से पहले पूर्व दिशा की ओर देखना होगा। इस दौरान शुक्र और शनि आसमान में दो आंखों की तरह दिखाई देंगे और पतला अर्धचंद्राकार चंद्रमा किसी चेहरे की मुंह की तरह दिखलाई देगा। चमकीले पिंडों का ये त्रिकोण किसी स्माइली चेहरे जैसा लग सकता है।
इस खगोलीय घटना को नग्न आंखों से भी आसानी से देखा जा सकता है। हालांकि एक अच्छा बैकयार्ड टेलीस्कोप या स्टारगेजिंग दूरबीन आपको इसकी डिटेल समझने में मदद कर सकता है। इसके पहले 2008 में भी आसमान में ऐसा ही नजारा दिखाई दिया था, जब शुक्र, बृहस्पति और चंद्रमा एक साथ आए थे।
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बांग्लादेश में हिंदू नेता की हत्या, भारत ने जताई कड़ी नाराजगी, मोहम्मद यूनुस को सुनाई खरी-खरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ लगातार अत्याचार किए जा रहे हैं। इस बीच उत्तरी बांग्लादेश में एक प्रमुख हिंदू अल्पसंख्यक नेता भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और हत्या की घटना सामने आई है।
इस घटना पर भारत ने गहरा दुख जताया है। इसके साथ ही बांग्लादेश की यूनुस सरकार को खरी-खरी भी सुनाई गई है। नई दिल्ली ने इस घटना की निंदा की और मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेशी अंतरिम सरकार पर अपने अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा करने में विफल रहने का आरोप लगाया।
विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयानबांग्लादेश में घटित इस घटना को लेकर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ट्वीट करते हुए लिखा कि हमने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यक नेता भाबेश चंद्र रॉय के अपहरण और उनकी नृशंस हत्या पर दुख व्यक्त किया है।
उन्होंने आगे लिखा कि यह हत्या अंतरिम सरकार के तहत हिंदू अल्पसंख्यकों के व्यवस्थित उत्पीड़न के पैटर्न का अनुसरण करती है, जबकि पिछली ऐसी घटनाओं के अपराधी दंड से बचकर घूमते हैं। हम इस घटना की निंदा करते हैं और एक बार फिर अंतरिम सरकार को याद दिलाते हैं कि वह बिना किसी बहाने या भेदभाव के हिंदुओं सहित सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा करने की अपनी जिम्मेदारी को पूरा करे।
हिंदू नेता की पीट-पीट कर हत्याबांग्लादेश में दिनाजपुर जिले में हिंदू नेता भाबेश चंद्र का अपहरण कर लिया गया और बेरहमी से पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई। भाबेश चंद्र अपने इलाके में हिंदू समुदाय के एक प्रमुख नेता थे। वह बांग्लादेश पूजा उत्सव परिषद की बिराल इकाई के उपाध्यक्ष भी थे।
उनकी पत्नी शांतना राय ने कहा कि गुरुवार को चार लोग दो मोटरसाइकिलों पर आए और भबेश का उनके घर से अपहरण कर लिया। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्होंने हमलावरों को भबेश को नरबारी गांव ले जाते हुए देखा, जहां उन्हें बेरहमी से पीटा गया।
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नौ मई को 6 घंटे के लिए बंद रहेगा मुंबई एयरपोर्ट, सामने आई ये बड़ी वजह
मुंबई, पीटीआई। छत्रपति शिवाजी महाराज अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (CSMIA) को देश के सबसे व्यस्त एयरपोर्ट्स में गिना जाता है। हर घंटे यहां कई फ्लाइट्स लैंड और टेकऑफ करती हैं। मगर CSMIA को लेकर बड़ी अपडेट सामने आ रही है। 9 मई को यह एयरपोर्ट 6 घंटों के लिए बंद रहेगा। मेंटेनेंस के चलते यह फैसला लिया गया है।
दरअसल हर साल मानसून आने से पहले मुंबई एयरपोर्ट (CSMIA) की मेंटेनेंस की जाती है। मानसून के दौरान मुंबई में भारी बारिश और बाढ़ देखने को मिलती है। ऐसे में मानसून आने से पहले इसका रख-रखाव होता है।
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6 महीने पहले जारी हुआ नोटिस
निजी एयरपोर्ट ऑपरेटर MIAL ने आज यानी शनिवार को इसकी जानकारी दीहै। मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट लिमिटेड (MIAL) ने बताया कि एयरपोर्ट से जुड़े सभी स्टाफ, कर्मचारियों और स्टेकहोल्डर्स को छह महीने पहले ही नोटिस जारी करते हुए इसकी सूचना दी जा चुकी है। 9 मई को मुंबई एयरपोर्ट की मेंटेनेंस होगी। यह काम 6 घंटे तक चलेगा।
11 से 5 बजे तक रहेगा बंद
मेंटेनेंस के दौरान कोई भी देश-विदेश की किसी फ्लाइट को एयरपोर्ट पर आने की अनुमति नहीं मिलेगी। हालांकि यात्रियों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए फ्लाइट्स का समय पुनर्निर्धारित कर दिया गया है। 9 मई को सुबह 11 बजे से शाम के 5 बजे तक एयरपोर्ट पूरी तरह से बंद रहेगा।
STORY | Mumbai airport will remain shut for 6 hours on May 8
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— Press Trust of India (@PTI_News) April 19, 2025मेंटेनेंस की प्रक्रिया
इन 6 घंटों के दौरान एयरपोर्ट के प्राइमरी रनवे (09/27) और सेकेंड्री रनवे (14/32) की सफाई की जाएगी। साथ ही इनकी मेंटेनेंस होगी। यह प्रक्रिया हर साल मानसून आने से पहले दोहराई जाती है। मेंटेनेंस के बाद विशेषज्ञों की टीम रनवे की जांच करती है, जिससे भारी बारिश के दौरान हवाई पट्टियों पर पानी जमा न हो और विमान सुरक्षित तरीके से लैंडिंग व टेकऑफ कर सके।
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'कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए', निशिकांत दुबे ने क्यों कही ये बात?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन कानून का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से सात दिनों में जवाब मांगा है। इस बीच झारखंड के गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि कानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिए।
रिजिजू ने कही थी ये बातनिशिकांत दुबे से पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएं दी थीं। रिजिजू ने कहा था कि विधायिका और न्यायपालिका को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।कल सरकार न्यायपालिका पर दखल देती है तो अच्छा नहीं होगा। शक्तियों का बंटवारा अच्छी तरह से परिभाषित है। गुरुवार को वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में लगभग एक घंटे तक सुनवाई हुई थी।
सात दिन में केंद्र को दाखिल करना होगा जवाबकोर्ट ने केंद्र को सात दिन के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा। केंद्र के जवाब के बाद याचिकाकर्ताओं को पांच दिन में अपना जवाब दाखिल करना होगा। मामले की अगली सुनवाई 5 मई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन कानून के कुछ प्राविधानों पर आपत्ति जताई है। हालांकि उसने अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों के प्रवेश, वक्फ बाय यूजर संपत्तियों में किसी तरह के बदलाव पर रोक लगा दी है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ भी कर चुके टिप्पणीइससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गुरुवार को कहा था कि भारत में ऐसी स्थिति नहीं हो सकती जहां न्यायपालिका राष्ट्रपति को निर्देश दे। संविधान का अनुच्छेद 142 न्यायपालिका के लिए लोकतांत्रिक ताकतों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बन गया है।
उन्होंने कहा कि हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास एकमात्र अधिकार अनुच्छेद 145 (3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है। वहां, पांच न्यायाधीश या उससे अधिक होने चाहिए। जब अनुच्छेद 145(3) था, तब सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या आठ थी। यानी आठ में 5 पांच... अब संख्या 30 है... इसमें पांच जजों की संख्या विषम है।
उपराष्ट्रपति का यह बयान तमिलनाडु राज्यपाल बनाम तमिलनाडु सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आया है। अपनी याचिका में तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल पर 10 विधेयकों को मंजूरी न देने का आरोप लगाया था।
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क़ानून यदि सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगा तो संसद भवन बंद कर देना चाहिये
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) April 19, 2025'बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाओ...',ममता के खिलाफ मिथुन चक्रवर्ती ने खोला मोर्चा; केंद्र से की सेना भेजने की मांग
एजेंसी, कोलकाता। वक्फ संशोधन अधिनियम पास होने के बाद से पश्चिम बंगाल में हालात बेकाबू हो चुके हैं। मुर्शिदाबाद समेत कई जिलों से हिंसा की दिल दहलाने वाली तस्वीर सामने आ रही है। इसी कड़ी में बॉलीवुड अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती ने पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है।
मीडिया से बातचीत के दौरान मिथुन चक्रवर्ती ने गृह मंत्री अमित शाह से गुजारिश की है कि पश्चिम बंगाल में 2 महीने के लिए सेना तैनात की जाए। इसके बिना राज्य में कभी निष्पक्ष चुनाव नहीं हो सकेंगे।
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राष्ट्रपति शासन लगाने की मांगसमाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत करते हुए मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि मैं केंद्र सरकार से कई बार बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की विनती कर चुका हूं। अब फिर से कर रहा हूं। राष्ट्रपति शासन नहीं भी लगता है तो कम से कम चुनाव के दौरान 2 महीने के लिए पश्चिम बंगाल में सेना की तैनाती जरूरी है।
पश्चिम बंगाल में सेना क्यों जरूरी?मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि पश्चिम बंगाल में चुनाव की तारीखों का एलान होने के बाद से लेकर रिजल्ट आने के 1 महीने बाद तक बंगाल में सेना तैनात रहनी चाहिए। सेना की मौजूदगी में ही यहां फ्री और फेयर इलेक्शन मुमकिन है। वहीं, अगर नतीजे बीजेपी के पक्ष में आते हैं तो सड़कों पर और भी ज्यादा कत्ल-ए-आम होगा, जिस पर काबू पाने के लिए सेना की मौजूदगी आवश्यक है।
Watch: BJP leader and actor Mithun Chakraborty on the imposition of President's Rule in Bengal says, "I’ve requested many times, and I’m still requesting the Home Minister. At the very least, please deploy the military inside for two months during the elections. If they are… pic.twitter.com/x64pF7j9Mi
— IANS (@ians_india) April 19, 2025 राज्य में भड़की हिंसाबता दें कि संसद में वक्फ अधिनियम पास होने के बाद 8 अप्रैल से पश्चिम बंगाल में हालात बिगड़ने शुरू हो गए। 8-12 अप्रैल के बीच शमशेरगंज, सूती, धुलियान और जंगीपुर में पथराव और आगजनी की अनगिनत घटनाएं देखने को मिली, जिसमें 3 लोगों की मौत हो गई थी।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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'भारतीय कंपनियों का चीन में स्वागत, व्यापार घाटा भी कम करने को तैयार', ट्रंप के झटके से बदले चीन के सुर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा लगभग 100 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। भारत की कोशिश है कि इसे कैसे कम किया जाए। इस बीच डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ से परेशान चीन ने ही भारत के सामने एक बड़ा ऑफर पेश किया है। चीन अब भारत के साथ व्यापार घाटे को कम करने को तैयार है। उसने भारत के साथ मिलकर काम करने की इच्छा व्यक्त की है।
भारत से मजबूत संबंध चाहता है चीनटाइम्स ऑफ इंडिया को दिए अपने पहले इंटरव्यू में चीन के राजदूत जू फेइहोंग ने कहा कि चीन भारत के साथ मजबूत संबंध चाहता है। हम भारत के व्यापार घाटे को भी कम करने को तैयार हैं। चीन में भारतीय निर्यात को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने यह भी उम्मीद जताई कि भारत में भी चीनी कंपनियों को उचित माहौल दिया जाएगा। जू फेइहोंग ने कहा कि प्रीमियम भारतीय प्रोडक्ट का चीनी बाजार में स्वागत है।
दोनों देशों को होगा लाभचीनी राजदूत ने आगे कहा कि दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंध लाभदायक होंगे। व्यापार घाटे पर कहा कि चीन ने कभी जानबूझकर व्यापार अधिशेष को नहीं बढ़ाया है। यह बाजार की प्रवृत्ति और बदलती आर्थिक स्थितियों के कारण होता है। मगर हम भारत के साथ व्यापार घाटे क कम करने को तैयार हैं।
चीन के बाजार में अपार संभावनाएंचीनी राजदूत ने शी चिनफिंग के हवाले से कहा कि चीन दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। यहां के विशाल मध्यम-आय वर्ग में निवेश और खपत की अपार संभावनाएं हैं। भारतीय व्यवसायों को इसका लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वित्त वर्ष में भारत से चीन ने मिर्च, लौह अयस्क और सूती धागे का आयात किया। भारत भी क्रमाश: 17%, 160% और 240% से अधिक निर्यात वृद्धि का गवाह बना।
उम्मीद- भारत भी देगा उचित माहौलजू फेइहोंग ने इंटरव्यू में कहा कि मुझे उम्मीद है कि भारत भी चीन की चिंताओं को गंभीरता से लेगा। चीन के उद्योगों के लिए निष्पक्ष, पारदर्शी और भेदभाव पूर्ण माहौल देगा। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय कंपनियां चीनी खरीदारों और उपभोक्ताओं से जुड़ने के लिए चाइना इंटरनेशनल इम्पोर्ट एक्सपो, चाइना- एशिया एक्सपो और चाइना इंटरनेशनल कंज्यूमर प्रोडक्ट्स एक्सपो जैसे प्लेटफार्मों का लाभ उठा सकती हैं।
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पाक और चीन सीमा पर घुसपैठ और तस्करी होगी नाकाम, लेजर एंटी-ड्रोन सिस्टम की बढ़ेगी संख्या
एएनआई, नई दिल्ली। पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तानी सेना के ड्रोनों को नष्ट किए जाने में मिली सफलता के बाद भारतीय सेना नौ और लेजर आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम खरीदने की तैयारी में है।
डीआरडीओ द्वारा विकसित किए गए ड्रोन सिस्टमभारतीय सेना पहले ही विशेषरूप से पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते ड्रोन के खतरे को लेकर डीआरडीओ द्वारा विकसित किए गए सात इंटिग्रेटेड ड्रोन डिटेक्शन एंड इंटरडिक्शन सिस्टम तैनात कर चुकी है।
पाकिस्तानी सेना के ड्रोन को हवा में नष्ट करने का माद्दाअधिकारियों के अनुसार, जम्मू क्षेत्र की पीर पंजाल श्रृंखला में सेना की एयर डिफेंस यूनिट ने लेजर आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम से हाल ही में पाकिस्तानी सेना के ड्रोन को हवा में नष्ट करते हुए गिरा दिया था।
पाकिस्तानी से आने वाले ये ड्रोन चीन के होते हैं। पड़ोसी देश अक्सर इनका इस्तेमाल हथियारों और नशीली दवाओं की तस्करी के अलावा एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निगरानी के लिए करता है।
आतंकरोधी और घुसपैठ रोकने की क्षमता मजबूत होगीरक्षा अधिकारियों ने बताया कि इन नए लेजर एंटी-ड्रोन सिस्टम को रक्षा मंत्रालय द्वारा स्वीकृत किए गए आपातकालीन अधिग्रहण योजना के तहत खरीदा जा रहा है। इससे जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना की आतंकरोधी और घुसपैठ रोकने की क्षमता मजबूत होगी।
दुश्मन ड्रोन को 800 मीटर दूरी गिरा देगायह नया सिस्टम दो किलोवाट के लेजर बीम से लैस है, जो दुश्मन ड्रोन को 800 मीटर से लेकर एक किलोमीटर दूर से ही गिरा सकता है।
लेजर आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित कियाभारत ने एक 30 किलोवाट क्षमता का और ताकतवर व विशाल लेजर आधारित एंटी-ड्रोन सिस्टम विकसित किया है, जो बड़े ड्रोन, विमान और यहां तक की क्रूज मिसाइलों को भी नष्ट कर सकता है। यह अगले दो वर्षों के भीतर तैनाती के लिए तैयार हो जाएगा।
दिल्ली में बारिश होने से मिली गर्मी से राहत, यूपी में आंधी-तूफान ने मचाई तबाही; अगले कई दिनों का अलर्ट जारी
पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली के कई इलाकों में शुक्रवार शाम को तेज हवाओं के साथ बारिश हुई, जिससे गर्मी से राहत मिली। आंकड़ों के अनुसार, नरेला, पीतमपुरा और मयूर विहार सहित मौसम निगरानी स्टेशनों ने 0.5 मिमी बारिश दर्ज की। मौसम विभाग के मुताबिक इस हफ्ते यूपी समेत दिल्ली हरियाणा और पंजाब आदि राज्यों में आंधी-तूफान के साथ बारिश होती रहेगी।
दिल्ली में बारिश के कारण तापमान में भी गिरावटमौसम विभाग ने कहा कि दिल्ली में आज भी बादल छाए रहेंगे। वहीं दिल्ली में बहुत हल्की बारिश हो रही है और 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल रही हैं। शहर भर में इसी तरह की तीव्रता के साथ हवाएं चलने की संभावना है। वहीं, बारिश के कारण तापमान में भी गिरावट आई।
आईएमडी के शनिवार के पूर्वानुमान के अनुसार, आकाश में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे और शाम तक हल्की बारिश या बूंदाबांदी की संभावना है। इसके साथ ही तूफान, बिजली और धूल भरी आंधी के साथ 40-50 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली हवाएं चलने का भी पूर्वानुमान है।
यूपी के कई जिलों में आंधी-तूफान, बिजली आपूर्ति ठपशनिवार को उत्तर प्रदेश के 40 से अधिक जिलों में आंधी-पानी और वज्रपात का प्रकोप देखने को मिला। शनिवार को यूपी के कई जिलों में चले आंधी की वजह से बिजली आपूर्ति ठप हो गई। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, नए पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण शुक्रवार रात और शनिवार को कई जिलों में गरज-चमक से साथ बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मेघ गर्जन के साथ वज्रपात का अलर्ट जारी किया गया है।
उत्तराखंड में कुछ स्थानों पर गरज के साथ बारिश होने की संभावनाशुक्रवार को मौसम विभाग के अनुसार अगले 24 घंटों में बागेश्वर, चमोली, देहरादून, पिथौरागढ़, रुद्र प्रयाग, टिहरी गढ़वाल, उत्तर काशी सहित उत्तराखंड के कुछ स्थानों पर गरज के साथ बारिश होने की संभावना है।
हिमाचल में होगी जोरदार बारिशआईएमडी ने आने वाले मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के कारण 18 अप्रैल से 21 अप्रैल के बीच हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में बारिश की भविष्यवाणी की थी। आईएमडी के अनुसार, एक मजबूत पश्चिमी विक्षोभ के राज्य पर प्रभाव पड़ने की उम्मीद है, जिसके परिणामस्वरूप अधिकांश क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भारी बारिश होगी।
राजस्थान में हीट वेव का अलर्ट
भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने प्रारंभिक पूर्वानुमान में अप्रैल के पहले हफ्ते से ही देश के कई हिस्सों में हीट वेव (लू) की चेतावनी जारी की थी। हालांकि, राजस्थान एवं गुजरात के कुछ हिस्से में ऐसा देखा भी गया, लेकिन पहाड़ों पर हिमपात ने शुक्रवार से फिर मौसम को पलट दिया।
उत्तर-पश्चिम भारत में आंधी-तूफान का अलर्टमौसम विभाग के ताजा पूर्वानुमान में देश के पश्चिमी हिस्से को 20 अप्रैल तक लू से मुक्ति मिलने की संभावना नहीं है। हिमालयी क्षेत्र एवं उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी क्षेत्रों में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा, गरज के साथ तूफान, बिजली चमकने एवं तेज हवाएं चलने की संभावना है। इस दौरान जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित, बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद एवं हिमाचल प्रदेश में कहीं-कहीं भारी वर्षा हो सकती है।
भारत की ताकत के आगे झुके पाकिस्तान-श्रीलंका, त्रिंकोमली में होने नौसैनिक अभ्यास को किया रद
पीटीआई, नई दिल्ली। त्रिंकोमली के सामरिक जलक्षेत्र में पाकिस्तान और श्रीलंका की नौसेनाओं के बीच सैन्य अभ्यास की योजना को भारत की आपत्ति के बाद रद कर दिया गया है। नई दिल्ली ने प्रस्तावित नौसैनिक अभ्यास के संबंध में कोलंबो को अपनी चिंताएं बताई थीं।
श्रीलंका- पाकिस्तान की नौसेनाओं ने यहां पर सैन्य अभ्यास करने की योजना बनाई थीगौरतलब है कि श्रीलंका के उत्तरपूर्वी तट पर स्थित त्रिंकोमली को हिंद महासागर क्षेत्र में, विशेष रूप से भारत के समुद्री सुरक्षा हितों के लिए महत्वपूर्ण है। सूत्रों ने बताया कि श्रीलंका- पाकिस्तान की नौसेनाओं ने त्रिंकोमली तट पर सैन्य अभ्यास करने की योजना बनाई थी।
भारत द्वारा श्रीलंका को इस अभ्यास पर अपनी आशंकाओं से अवगत कराने के बाद यह योजना आगे नहीं बढ़ सकी। संयुक्त अभ्यास की योजना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की कोलंबो यात्रा से कुछ सप्ताह पहले बनाई गई थी। इस बारे में श्रीलंका या पाकिस्तान की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है।
त्रिंकोमली दुनिया के सबसे बेहतरीन प्राकृतिक बंदरगाहों में से एकगौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत त्रिंकोमाली के ऊर्जा बुनियादी ढांचे के विकास में श्रीलंका को सहायता दे रहा है। त्रिंकोमली दुनिया के सबसे बेहतरीन प्राकृतिक बंदरगाहों में से एक है।
इस माह पीएम मोदी की कोलंबो यात्रा के दौरान, भारत, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने त्रिंकोमली को ऊर्जा केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए महत्वाकांक्षी समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसका उद्देश्य श्रीलंका को ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने और उसके आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद करना है।
भारत और श्रीलंका ने सैन्य सहयोग के लिए रक्षा समझौते पर भी हस्ताक्षर किए हैं। श्रीलंका पर चीन के प्रभाव बढ़ाने के प्रयासों से उत्पन्न चिंताओं के बीच भारत, श्रीलंका के साथ अपने समग्र सामरिक संबंधों को मजबूत कर रहा है।
चीनी युद्धपोत के आने पर भी नई दिल्ली ने चिंता जताईतीन वर्ष पहले भारत ने श्रीलंका को डोर्नियर समुद्री निगरानी विमान सौंपा था। अगस्त 2022 में हंबनटोटा बंदरगाह पर चीनी मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज युआन वांग के आने से भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक विवाद शुरू हो गया है। अगस्त 2023 में कोलंबो बंदरगाह पर एक अन्य चीनी युद्धपोत के आने पर भी नई दिल्ली ने चिंता जताई थी।
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर अब छलांग लगाने का समय, जनरल पांडे ने अग्निपथ योजना के बारे में कही ये बात
पीटीआई, नई दिल्ली। पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा है कि आधुनिकीकरण के लिए तेज गति से काम करने की जरूरत होती है, जबकि स्वदेशीकरण में समय लगेगा। अत: इस विरोधाभास के बीच संतुलन बैठाना अहम है।
जनरल पांडे ने इस बात पर भी जोर दिया कि रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अब धीरे-धीरे कदम उठाने के बजाय छलांग लगाने का समय आ गया है।
अग्निपथ योजना के रूप में एक महत्वपूर्ण सुधारमानेकशॉ सेंटर में आयोजित ''द वीक डिफेंस कान्क्लेव'' में अपने विशेष संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि सेनाओं में अग्निपथ योजना के रूप में एक महत्वपूर्ण सुधार लागू किया गया है। इसे बनाने, नियोजन और क्रियान्वयन में व्यापक अंतर-मंत्रालयी और अंतर-विभागीय परामर्श तथा अत्यंत जटिल प्रकृति के समन्वय की आवश्यकता थी।
आगे बोले कि मेरा मानना है कि इस योजना को और अधिक सुदृढ़ और परिष्कृत बनाने के लिए यह प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए। उन्होंने इस क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों और परिवर्तन के बीच मुख्य अंतर को भी स्पष्ट किया।
मौजूदा और भविष्य के सुधारों को गति देने के लिए सरकार ने 2025 को रक्षा मंत्रालय में 'सुधारों का वर्ष' घोषित किया है। इसका उद्देश्य सशस्त्र बलों को एकीकृत संचालन में सक्षम तकनीकी रूप से उन्नत सेना में बदलना है।
जनरल पांडे ने आधुनिकीकरण को लेकर कही ये बातअपने संबोधन में जनरल पांडे ने आधुनिकीकरण की दिशा में काम करते हुए रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हासिल करने के पहलू पर भी प्रकाश डाला।
जनरल पांडे ने 29वें सेना प्रमुख के रूप में सेवाएं दी हैंउन्होंने कहा कि आधुनिकीकरण के लिए गति की आवश्यकता होती है और यह समय की मांग है, लेकिन स्वदेशीकरण में समय लगेगा। मेरी राय में इस विरोधाभास में संतुलन बैठाना महत्वपूर्ण है। जनरल पांडे ने 29वें सेना प्रमुख के रूप में सेवाएं दी हैं। वह जून 2024 में सेवानिवृत्त हुए थे।
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