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Bihar Election: टिकट बंटवारे में कांग्रेस जिलाध्यक्षों की होगी अहम भूमिका, कैंडिडेट हारा तो तय होगी जिम्मेदारी

Dainik Jagran - April 4, 2025 - 10:27pm

राज्य ब्यूरो, पटना। अखिल भारतीय कांग्रेस का निर्णय है कि अब भविष्य में होने वाले लोकसभा, विधानसभा चुनावों में लड़ी जाने वाली सीट और टिकट बंटवारे में कांग्रेस के जिलाध्यक्षों से भी उनकी राय जानी जाएगी।

इस बाबत प्रदेश स्तर पर होने वाली बैठक में जिलाध्यक्षों को भी शामिल किया जाएगा और उनकी सलाह को प्रमुखता दी जाएगी।

प्रत्याशी के हार के लिए भी जिम्मेदारी तय होगी। इस व्यवस्था का पहला प्रयोग बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में होगा। इस प्रस्ताव को अहमदाबाद में 8-9 अप्रैल को आयोजित कांग्रेस महाधिवेशन में पारित कराया जाएगा।

यह निर्णय दिल्ली कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में कांग्रेस हाईकमान और जिलाध्यक्षों की बैठक में लिया गया। बैठक को राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत कांग्रेस के अन्य वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।

विभिन्न प्रदेशों से आए जिलाध्यक्षों को इस दौरान संकल्प, समर्पण और संघर्ष पथ पर चलने का प्रण दिलाया गया। बैठक में विभिन्न प्रदेशों के 862 जिलाध्यक्ष बैठक में शामिल रहे।

फिर प्रभावी होगी पुरानी व्यवस्था

इस दौरान सहमति बनी कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में जिस प्रकार चुनाव टिकट निर्धारण और बंटवारे में जिलाध्यक्षों से भी राय-मशविरा होता था, वह व्यवस्था एक बार फिर प्रभावी होगी।

इसके साथ ही जिलाध्यक्षों को जिम्मा दिया कि गया कि वे अपने क्षेत्र में महीने में कम से कम एक बैठक करें। जिसमें विधायक, पूर्व विधायक, सांसद, विधान पार्षद की भी उपस्थिति सुनिश्चित करें। जिसकी रिपोर्ट प्रदेश मुख्यालय और हाईकमान को भी भेजे।

इसके अलावा जिलाध्यक्षों को प्रखंड, बूथ और वार्ड कमेटी गठन का जिम्मा भी सौंपा गया। जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, उन्हें इस कार्य के लिए छह महीने का समय दिया गया है।

ऐसा नहीं होने पर जिलाध्यक्ष कार्य से मुक्त किए जाएंगे। बैठक में बिहार जिला के जिलाध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा, समस्तीपुर जिलाध्यक्ष अबु समीम और बांका जिला अध्यक्ष कंचना सिंह को बिहार के प्रतिनिधि के रूप में राहुल गांधी के सामने बात रखने का मौका मिला।

जिलाध्यक्षों को मिला टास्क

बिहार के जिलाध्यक्षों का यह टास्क भी मिला कि वे अभी से बूथ प्रबंधन, मतदाता सूची सत्यापन में जुट जाएं। अपने जिले में अधिक से अधिक लोगों से संवाद करें और उन्हें कांग्रेस शासनकाल के दौरान हुए कार्यों और इसकी नीतियों से लोगों को अवगत कराएं।

इंटरनेट मीडिया के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया से भी लगातार संवाद करने के निर्देश भी जिलाध्यक्षों को दिए गए। साथ ही फंड मैनेजमेंट, कांग्रेस की संपत्तियों की रक्षा का संकल्प भी जिलाध्यक्षों को दिलाया गया।

बिहार से गए जिलाध्यक्षों से कहा गया कि वे अभी से चुनावी तैयारियों में जुट जाएं और प्रत्येक महीने कम से एक बैठक करें। जिसकी रिपोर्ट प्रदेश मुख्यालय और हाईकमान को भी भेजे। बैठक में बिहार के प्रभारी कृष्णा अल्लावारू के साथ ही सभी जिलाध्यक्ष शामिल रहे।

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नकली पनीर बेचने वालों की खैर नहीं! प्रह्लाद जोशी ने स्वास्थ्य मंत्री को लिखी चिट्ठी, एक्शन लेने की अपील

Dainik Jagran - National - April 4, 2025 - 10:17pm

पीटीआई, नई दिल्ली। खाद्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा से देश भर के फास्ट फूड दुकानों, रेस्तरां और अन्य बाजारों में नकली और मिलावटी पनीर की बिक्री के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है।

स्वास्थ्य मंत्री को लिखे पत्र में जोशी ने कहा कि उपभोक्ताओं ने राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन पोर्टल पर कई शिकायतें दर्ज कराई हैं, जिसमें देशभर में नकली और मिलावटी पनीर की बिक्री की बात कही गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय से की अपील

जोशी ने कहा कि ऐसे नकली और मिलावटी खाद्य पदार्थों के सेवन से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं। उन्होंने स्वास्थ्य मंत्रालय से आवश्यक उपाय करने का अनुरोध किया, ताकि देश भर में खाद्य सुरक्षा मानकों का सख्ती से पालन किया जा सके।

जोशी ने कहा कि बाजार में नकली और मिलावटी पनीर की बिक्री के बढ़ते मामलों को लेकर चिंता बढ़ रही है। इन घटनाओं के कारण खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता और सुरक्षा को लेकर सार्वजनिक चिंता और शिकायतें बढ़ रही हैं, खासकर उन उपभोक्ताओं के बीच जो पोषण के प्राथमिक स्त्रोत के रूप में पनीर पर निर्भर हैं।

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वक्फ विधेयक पर संसद ने बनाया नया कीर्तिमान, टूट गया 44 साल पुराना रिकॉर्ड; केंद्रीय मंत्री ने बताया ऐतिहासिक

Dainik Jagran - National - April 4, 2025 - 10:00pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बजट सत्र के अंतिम दिन पक्ष-विपक्ष में भारी हंगामे के कारण सदन बाधित रहा और समय से पहले ही स्थगित करना पड़ा, लेकिन यह सत्र कई मायनों में कीर्तिमान बना दिया। दोनों सदनों में वक्फ संशोधन विधेयक पर बिना व्यवधान के स्वस्थ और सबसे लंबा विमर्श हुआ। राज्यसभा में 17 घंटे से ज्यादा और लोकसभा में 13 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई, जो इतिहास है।

इससे पहले किसी एक मुद्दे पर 1981 में 15 घंटे 51 मिनट की लंबी चर्चा का इतिहास है। सरकार का मानना है कि सत्र में सभी दलों के नेताओं ने नियमों एवं संवैधानिक परंपराओं का पालन करते हुए चर्चा में हिस्सा लिया, जो हमारे मजबूत लोकतंत्र का साक्षी है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने भी सत्र की सराहना की है।

ये बजट सत्र ऐतिहासिक: रिजिजू

सत्र की समाप्ति के बाद केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने प्रेस कान्फ्रेंस में बजट सत्र को ऐतिहासिक और लोकतंत्र के लिए बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में 17 घंटे 2 मिनट तक चर्चा हुई, जो संसदीय इतिहास में सबसे लंबी रही। यह तीन अप्रैल की सुबह 11 बजे से चार अप्रैल को तड़के 4:02 बजे तक चली।

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि इस सत्र की कार्य उत्पादकता लगभग 118 प्रतिशत रही और इस दौरान कुल 16 विधेयक पारित किए गए। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ ने ओम बिरला ने कहा कि बजट सत्र 31 जनवरी से चार अप्रैल तक चला। इस दौरान लोकसभा की 26 बैठकें हुईं, जो 160 घंटे 48 मिनट तक चलीं।

बजट पर चली 16 घंटे से अधिक चर्चा

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा 17 घंटे 23 मिनट तक चली, जिसमें 173 सदस्यों ने भाग लिया। इसी तरह बजट पर सामान्य चर्चा भी 16 घंटे 13 मिनट चली, जिसमें 169 सदस्यों ने भाग लिया।

जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा के विमर्श को संवाद और साझा उद्देश्य के आईने में ऐतिहासिक करार देते हुए कहा कि यह सत्र विधायी उपलब्धियों और एकता की भावना के लिए याद किया जाएगा। सदस्यों ने जवाबदेही के साथ अपनी बातें रखीं। हंगामे के बीच कार्यवाही अनिश्चितकाल तक स्थगित कर दी गई।

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टैरिफ वार के बीच ट्रंप ने किया नया एलान, फार्मा सेक्टर पर भी लगेगा टैक्स; शेयर बाजार पर दिखा असर

Dainik Jagran - National - April 4, 2025 - 9:52pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पारस्परिक शुल्क की घोषणा के दौरान ट्रंप सरकार ने फार्मास्युटिकल्स को शुल्क के दायरे से बाहर रखा था, जिससे इस सेक्टर को राहत मिलती दिखी थी। लेकिन इसके एक दिन बाद ही ट्रंप ने कहा कि जल्द ही फार्मा और सेमिकंडक्टर सेक्टर पर भी शुल्क लगाए जाएंगे।

इस पर फार्मा निर्यातकों का कहना है कि शुल्क लगने पर भी अमेरिका में भारत के फार्मा निर्यात में फिलहाल कोई कमी नहीं आएगी। इसका मुख्य असर यह होगा कि अमेरिका के लोग पहले की तुलना में अधिक महंगी दवाएं खरीदेंगे।

भारत, अमेरिका में मुख्य रूप से जेनेरिक दवाओं का निर्यात करता है। हालांकि ट्रंप के इस एलान के बाद शुक्रवार को सभी प्रमुख फार्मा कंपनियों के शेयर में 10 प्रतिशत तक की गिरावट देखी गई। इनमें अरविंदो, आईपीसीए लैब, लुपिन जैसी बड़ी कंपनियां शामिल हैं।

भारत दवाओं पर लगाता है 10 प्रतिशत टैरिफ

वर्तमान में अमेरिका, भारत से निर्यात होने वाली दवाओं पर कोई शुल्क नहीं लेता है, जबकि भारत, अमेरिका से आने वाली दवाओं पर 10 प्रतिशत का शुल्क लेता है। निर्यातकों का कहना है कि ऐसे में भारत की दवाओं पर अमेरिका में शुल्क लगाया जाना वाजिब है। भारत का फार्मा निर्यात सालाना लगभग 30 अरब डालर है और इनमें से 10 अरब डॉलर का निर्यात अमेरिका में किया जाता है। भारत से अमेरिका में 90 प्रतिशत जेनेरिक दवाओं का निर्यात होता है। फार्मा निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका जेनेरिक दवाओं का आयात तो करता है, लेकिन उत्पादन नहीं करता है।

उत्पादन शुरू करने और पूरी सप्लाई चेन बनाने में पांच साल लग जाएंगे। एक समय अमेरिका जेनेरिक दवाओं का निर्माता था, लेकिन अब वे कंपनियां बंद हो चुकी हैं। दूसरी बात यह है कि यूरोप के पास भी जेनेरिक दवाओं के उत्पादन की इतनी बड़ी क्षमता नहीं है कि एकदम से अमेरिका की जरूरत पूरी हो सके। इसलिए भारत का निर्यात प्रभावित नहीं होगा।

सेमिकंडक्टर पर ट्रंप ने लगाया टैरिफ तो क्या होगा?

ट्रंप की घोषणा के मुताबिक, सेमिकंडक्टर पर अगर शुल्क लगाया जाता है तो ताइवान की कंपनियां भारत की जगह अमेरिका में जाकर चिप बनाने का काम कर सकती हैं। ताइवान दुनिया का सबसे बड़ा चिप निर्माता देश है। अमेरिका में चिप बनाने पर उन्हें कोई शुल्क नहीं लगेगा और वे दुनिया के अन्य देशों में भी सप्लाई कर सकेंगे।

कार्पेट का निर्यात हो सकता है प्रभावित

कार्पेट निर्यातकों का कहना है कि अमेरिका की तरफ से भारत पर 26 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क लगाए जाने से कार्पेट यानी कालीन का निर्यात प्रभावित होगा, जिससे रोजगार पर फर्क पड़ सकता है। भारत का कार्पेट निर्यात बाजार लगभग 1.8 अरब डालर का है और इसमें लगभग 40 प्रतिशत हिस्सेदारी अमेरिका की है।

कार्पेट एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पूर्व चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने बताया कि अभी भारत के कार्पेट पर अमेरिका में 5-9 प्रतिशत का शुल्क लगता है, जो अब 26 प्रतिशत हो जाएगा। इससे भारतीय कार्पेट महंगे हो जाएंगे। तुर्किये पर अमेरिका ने 10 प्रतिशत तो यूरोपीय यूनियन पर 20 प्रतिशत का पारस्परिक शुल्क लगाया है। तुर्किये और बेल्जियम अमेरिका के कार्पेट बाजार में भारत को प्रतिस्पर्धा देते हैं। अब इनके कार्पेट अमेरिका में सस्ते होंगे।

अमेरिका के शुल्क पर चीन ने किया पलटवार

अमेरिका की ओर से शुल्क लगाए जाने के बाद चीन ने पलटवार किया है। उसने शुक्रवार को अमेरिका से आयातित सभी वस्तुओं पर 34 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगा दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बुधवार रात चीन पर 34 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की थी।

अमेरिका ने भारत पर शुल्क 27 से घटाकर 26 प्रतिशत किया

गुरुवार को इस बात को लेकर काफी असमंजस रहा कि भारत पर आखिर अमेरिका ने 26 प्रतिशत या 27 प्रतिशत शुल्क लगाया है। क्योंकि तीन अप्रैल को रात एक बजे जब ट्रंप एक चार्ट के साथ सभी देशों के पारस्परिक शुल्क की घोषणा कर रहे थे तब उसमें भारत के आगे 26 प्रतिशत शुल्क लिखा था और ट्रंप ने भी तब 26 प्रतिशत शुल्क कहा था।

बाद में अमेरिकी सरकार की अधिसूचना में इसे 27 प्रतिशत कर दिया गया। भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय की तरफ से जारी प्रेस विज्ञप्ति में 27 और 26 प्रतिशत दोनों का जिक्र था। हालांकि मंत्रालय ने 27 प्रतिशत को सही बताया था। अब ट्रंप सरकार ने इस 27 प्रतिशत को कम करते हुए अपनी अधिसूचना में 26 प्रतिशत कर दिया है। अन्य 15 देशों के शुल्क में भी एक-एक प्रतिशत की कमी की गई है।

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