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Chaita Navratri: 30 मार्च से चैत्र नवरात्र, देवी के प्रिय रंगों के अनुसार करें पूजन; यहां जानिए मुहूर्त
जागरण संवाददाता, पटना। सनातन धर्मावलंबियों के नवसंवत्सर, विक्रम संवत 2082 एवं शक्ति व भक्ति का प्रतीक चैत्र नवरात्र रविवार 30 मार्च को चैत्र शुक्ल प्रतिपदा में रेवती नक्षत्र व ऐंद्र के सुयोग में शुरू होगा। नवसंवत्सर के राजा एवं मंत्री दोनों ही सूर्य होंगे। ब्रह्म पुराण के मुताबिक, परम पिता ब्रह्मा ने इसी दिन सृष्टि की रचना की थी I
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का दिन पूजा-पाठ, यज्ञ, हवन, अनुष्ठान व अन्य धार्मिक कृत्य के लिए श्रेष्ठ होता है। नवरात्र को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक, आत्मशुद्धि व मुक्ति का आधार माना गया है।
आचार्य राकेश झा ने बताया कि चैत्र नवरात्र 30 मार्च रविवार को कलश स्थापना से शुरू होकर सात अप्रैल सोमवार को विजयादशमी के साथ संपन्न होगा। चैत्र नवरात्र में पंचमी तिथि के क्षय होने से यह नवरात्र नौ दिन का होगा। इस नवरात्र का आरंभ व समापन सर्वार्थ सिद्धि योग में हो रहा है। ऐसे शुभ संयोग में भगवती की उपासना करने से श्रद्धालुओं पर भगवान भास्कर व माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है।
अभीष्ट सिद्धि व सर्व मनोकामना शीघ्र पूर्ण करनेवाला यह समय है। नवरात्र के दौरान श्रद्धालु मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधिवत पूजा करेंगे। देवी मां की कृपा पाने हेतु लोग दुर्गा सप्तशती, कील, कवच, अर्गला, दुर्गा चालीसा, बीज मंत्र का जाप, भगवती पुराण आदि का पाठ करेंगे।
पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र में महानवमी:- चैत्र शुक्ल नवमी छह अप्रैल रविवार की सुबह 9:40 बजे तक पुनर्वसु नक्षत्र तथा इसके बाद पूरे दिन पुष्य नक्षत्र के युग्म संयोग में महानवमी का पर्व मनाया जाएगा।
- इसी दिन श्रद्धालु देवी दुर्गा के नवम स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा कर विशिष्ट भोग अर्पण, दुर्गा पाठ का समापन, हवन, कन्या पूजन व पुष्पांजलि करेंगे। रामनवमी का व्रत करने के साथ, पूजन व शोभा यात्रा भी इसी दिन निकलेगी।
- पुष्य नक्षत्र का संबंध माता लक्ष्मी से होने से इस दिन भूमि-भवन की खरीदारी, पूंजी निवेश, व्यवसाय या नौकरी की शुरुआत, वाहन, रत्न व आभूषण की खरीदी करना उत्तम रहेगा।
- 18 अप्रैल गुरुवार को चैत्र शुक्ल विजयादशमी में देवी की विधिवत विदाई, जयंती धारण कर नवरात्र व रामनवमी व्रतधारी पारण करेंगे।
चैत्र नवरात्र का पहला दिन रविवार होने से देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। हाथी पर भगवती के आगमन से पर्याप्त वर्षा, सुख-समृद्धि, आर्थिक उन्नति होती है। इससे देश, कृषि, पर्यावरण, जीव-जंतु एवं मनुष्य सभी को लाभ होगा। चैत्र शुक्ल विजयादशमी को सोमवार दिन होने से माता की विदाई महिष (भैंसे) पर होगी।
देवी के प्रिय रंगों के अनुसार करें पूजन:चैत नवरात्र में नौ दुर्गा के प्रिय रंगों के अनुसार, उनकी विशेष पूजा होगी। माता शैलपुत्री को पीले रंग का वस्त्र, फल, चंदन, पुष्प तो मां ब्रह्मचारिणी को हरा रंग, देवी चंद्रघंटा को पीला व हरा रंग, कुष्मांडा माता को नारंगी रंग, स्कंदमाता को श्वेत रंग, देवी कात्यायनी को लाल रंग, माता कालरात्रि को नीला रंग, महागौरी को गुलाबी रंग तथा देवी में नौवे स्वरूप में मां सिद्धिदात्री को बैंगनी रंग के वस्त्र, पुष्प, अबीर, चंदन एवं फल का भोग अर्पित होगा।
कलश स्थापना के शुभ मुहूर्त:- प्रतिपदा तिथि: दोपहर 02:24 बजे तक
- चर-लाभ-अमृत मुहूर्त: प्रातः 07:17 बजे से 11:54 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:29 बजे से 12:19 बजे तक
- शुभ योग मुहूर्त: दोपहर 01:27 बजे से 02:59 बजे तक
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Bihar Politics: पीके ही नहीं, अब केके भी बढ़ा रहे तेजस्वी की चिंता; बिहार में शुरू हुआ सियासी 'खेल'
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। तेजस्वी यादव की चिंता अभी तक जन सुराज पार्टी के सूत्रधार पीके (प्रशांत किशोर) बढ़ाए हुए थे, लेकिन अब केके (कृष्णा अल्लावरु और कन्हैया कुमार) भी छकाने लगे हैं। पीके की जुगत तो सीधे राजद के वोट बैंक में सेंध लगाने की है, जबकि केके संभावना वाली उन सीटों को झटकना चाह रहे, जिनसे कांग्रेस को राजद अभी तक वंचित रखे हुए है।
ऐसी लगभग चार दर्जन सीटें हैं, जिन पर राजद की संभावना कांग्रेस से गठजोड़ के बाद और मजबूत हो जाती है। इस मजबूती में कांग्रेस अपने जनाधार की छवि देख रही, जो उसे उन सीटों पर दावे के लिए बाध्य किए हुए है। बिहार कांग्रेस के प्रभारी का दायित्व मिलने के बाद से ही कृष्णा की बढ़ी सक्रियता राजद को बेचैन किए हुए है।
आरा में स्वामी सहजानंद सरस्वती के जयंती समारोह में वे स्पष्ट कह चुके हैं कि कांग्रेस विधानसभा का चुनाव ए-टीम की तरह लड़ेगी, वह राजद की बी-टीम नहीं। उनके इस बयान से पहले ही पटना में कन्हैया की प्रशंसा मेंं पोस्टर लग चुके थे। चर्चा है कि विधानसभा चुनाव में कन्हैया कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में होंगे।
लालू के कारण कन्हैया को दिल्ली जाना पड़ा!लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस बेगूसराय के मैदान में उतारना चाहती थी, लेकिन लालू प्रसाद की अनिच्छा के कारण दिल्ली जाना पड़ा। लालू नहीं चाहते कि तेजस्वी के सामने महागठबंधन में कोई दूसरा युवा चेहरा आगे हो। संयोग से कन्हैया के साथ कृष्णा भी युवा ही हैं। तेजस्वी की चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि विधानसभा की 70 सीटों की मांग कर चुकी कांग्रेस ''नौकरी दो यात्रा'' निकालने जा रही है। इसके सूत्रधार कृष्णा हैं तो नायक कन्हैया।
''नौकरी दो यात्रा'' 16 मार्च से 14 अप्रैल के बीच 20 जिलों से होकर गुजरेगी। कभी उन क्षेत्रों में कांग्रेस का मजबूत जनाधार था। समय के साथ उस जनाधार के अधिसंख्य सवर्ण भाजपा के साथ हो लिए और मुसलमान आदि राजद के। अनुसूचित जाति के साथ कांग्रेस उस वोट को दोबारा पाना चाहती है। महागठबंधन में सीट बंटवारे में भी उन क्षेत्रों में उसे अब तक हुई अपेक्षा की टीस है। ऐसे में इस यात्रा को राजद अधिक सीटों पर दावेदारी के लिए माहौल बनाने का उपक्रम मान रहा।
दरअसल, इस यात्रा के जरिये कांग्रेस का प्रयास शिक्षा, रोजगार और पलायन आदि मुद्दों पर जनमत बनाने का होगा। इन मुद्दों पर तेजस्वी भी मुखर हैं। समग्रता मेंं यह महागठबंधन की आवाज लग रही, लेकिन अंदरखाने की राजनीति वर्चस्व की है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर राजद के एक पदाधिकारी का कहना है कि कांग्रेस का यह उपक्रम सीट और समीकरण के साथ मुद्दों पर भी राजद से बढ़त लेने का है। फिर भी उन्हें इत्मीनान है कि समय रहते गठबंधन के पचड़े सुलझा लिए जाएंगे, अन्यथा विधानसभा चुनाव का हश्र उप चुनाव से भी बदतर होगा।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा की चार सीटों पर हुए उप चुनाव मेंं महागठबंधन उन तीन सीटों को भी गंवा बैठा था, जिन पर 2020 में उसे सफलता मिली थी। जसुपा के खाते में गए लगभग 10 प्रतिशत वोट ने महागठबंधन की मिट्टी पलीद कर दी थी।
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Bihar Bhumi: नीतीश सरकार को लगा बड़ा झटका, भूमि सर्वे के बीच सामने आई नई जानकारी से बढ़ेगी टेंशन
राज्य ब्यूरो, पटना। चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी भू लगान (Bihar Bhumi Lagan) उगाही का लक्ष्य पूरा नहीं होने जा रहा है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में 31 जनवरी तक चार सौ 35 करोड़ 78 लाख रुपये की उगाही हुई है। यह छह सौ करोड़ रुपये के लक्ष्य का 66.14 प्रतिशत है।
राशि के हिसाब से यह पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के चार सौ दस करोड़ पांच लाख रुपये से अधिक है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष का लक्ष्य ही साढ़े पांच सौ करोड़ रुपया रखा गया था। वह लक्ष्य का 74.55 प्रतिशत था।
90 प्रतिशत से ज्यादा टारगेट कभी हासिल नहीं हुआमंत्री की ओर से विधानसभा में प्रस्तुत वक्तव्य के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2017-18 से अबतक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग कभी शत प्रतिशत या 90 प्रतिशत तक भी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाया। हां, वित्तीय वर्ष 2017-18 में विभाग की उपलब्धि यह रही कि उगाही की कुल राशि 526 करोड़ रुपये थी।
यह छह सौ करोड़ के लक्ष्य का 87.81 प्रतिशत था। उससे उत्साहित होकर सरकार ने 2018-19 में लक्ष्य हजार करोड़ रुपया रख दिया। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर 476 करोड़ की वसूली हो पाई।
टारगेट फिक्स करने में विभाग ने दिखाया बड़ा दिलयह लक्ष्य का 47.68 प्रतिशत था। मगर लक्ष्य निर्धारित करने में विभाग ने बड़ा दिल दिखाया। उसने अगले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 11 सौ करोड़ का लक्ष्य तय कर दिया। यह बुरी तरह विफल हुआ। महज 208 करोड़ (18.97 प्रतिशत) की उगाही हो पाई।
2020-21 में लक्ष्य संशोधित कर 11 सौ करोड़ से सीधे पांच सौ करोड़ कर दिया गया। 253 करोड़ (50.66 प्रतिशत) की उगाही हुई। 2021-22 में 284 करोड़ (56.08 प्रतिशत) की उगाही हुई। लक्ष्य पांच सौ करोड़ था।
उसके अगले वित्तीय वर्ष 2022-23 में लक्ष्य पांच सौ करोड़ रुपया ही रखा गया। तीन सौ करोड़ (60.16 प्रतिशत) की उगाही हुई। 2023-24 में लक्ष्य साढ़े पांच सौ करोड़ रखा गया था।
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