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Updated: 1 hour 49 min ago

Chhath Puja 2024: आज छठ महापर्व का तीसरा दिन, व्रती डूबते सूर्य को देंगे अर्घ्य

November 7, 2024 - 8:15am

जागरण संवाददाता, पटना। लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन बुधवार को व्रतियों ने गंगा के पावन तट पर श्रद्धा एवं आस्था के साथ स्नान एवं खरना किया। काफी संख्या में व्रतियों ने अपने घरों में भी खरना किया। वहीं गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को छठव्रती पहला अर्घ्य प्रदान करेंगे। इसके बाद शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को छठ का दूसरा अर्ध्य दिया जाएगा। इसके साथ ही चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व समाप्त हो जाएगा।

गंगा घाट में छठ पर्व की तैयारियां

छठ महापर्व को लेकर राजधानी के गंगा घाट सहित तालाबों के किनारे भव्य तैयारी की गई है। छठव्रतियों ने दिनभर उपवास करने के बाद शाम को गंगा के पावन तट पर स्नान किया। गंगा किनारे व्रतियों के आने का सिलसिला दोपहर बाद से ही शुरू हो गया। नदी किनारे आने वाले अधिकांश लोग अपने-अपने वाहन से पहुंच रहे थे। इसके अलावा घाट पर बसे मोहल्ले के लोग पैदल की नदी की धारा तक पहुंच रहे थे।

पैदल गंगा घाट पहुंची महिलाएं

दीघा, कुर्जी, राजापुर, दुजरा, मंदिरी एवं गोलघर से काफी संख्या में महिला व्रती पैदल ही गंगा घाट पहुंची। पैदल जाने वाली महिलाएं छठी माई की गीत गाते हुए गंगा किनारे पहुंच रही थीं। नदी किनारे पहुंचने पर सबसे पहले व्रतियों ने आम की दातून से मुंह धोआ। उसके बाद नदी की धारा में स्नान करने का सिलसिला शुरू हुआ। हर-हर गंगे, हर-हर महादेव एवं जय छठी मईया की जय-जयकार के साथ नदी की धारा में व्रतियों ने डुबकी लगाई। जय छठी माईया की जय-जयकार से शाम को पूरा नदी तट गूंज उठा। पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया।

सूर्य भगवान को जल अर्पित कर बनाया खरना

स्नान के बाद व्रतियों ने भगवान भास्कर को जल अर्पित किया। उसके बाद कई व्रतियों ने नदी के घाट पर ही खरना का प्रसाद बनाकर ग्रहण किया। वहीं काफी संख्या में व्रतियों ने स्नान के बाद अपने घरों में गंगा का पानी लेते गए, जिससे खरना का प्रसाद बनाया गया। आज यानी गुरुवार को छठ महापर्व को पहला अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। इसके लिए घरों में तैयारी पूरी कर ली गई है। आज दिनभर उपवास के बाद शाम को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्ध्य प्रदान किया जाएगा। छठ महापर्व के आखिरी दिन शुक्रवार को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य प्रदान किया जाएगा। उसके बाद चार दिवसीय लोक आस्था का महापर्व का समापन होगा।

छठ महापर्व के तीसरे दिन सूर्यास्त का समय- शाम 05 बजकर 32 मिनट पर

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Bihar Weather Today : छठ पर्व पर ठंड करेगी परेशान या मौसम रहेगा सामान्य? जानें वेदर अपडेट

November 7, 2024 - 7:41am

जागरण संवाददाता, पटना। आज छठ महापर्व का तीसरा दिन है, आज अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ पर्व के तीसरे दिन मौसम शुष्क बना रहेगा। सुबह के समय कोहरा छाया रहेगा। गुरुवार को पटना का न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस के करीब दर्ज किया जाएगा। 19.0 डिग्री सेल्सियस के साथ किशनगंज, डेहरी, मोतिहारी व बांका में सर्वाधिक न्यूनतम तापमान वाले इलाके रहेंगे।

ठंड बढ़ने की संभावना नहीं

राजधानी समेत 13 जिलों में कोहरे का प्रभाव रहेगा। शेष जिलों में धुंध का प्रभाव रहेगा। बीते वर्ष की तुलना में इस बार तापमान में वृद्धि होने से ठंड का विशेष प्रभाव नहीं पडे़गा। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार उत्तर पूर्वी हवा का प्रवाह बने होने के कारण पटना सहित अधिसंख्य भागों में सुबह व शाम के समय धुंध का प्रभाव बना रहेगा।

उत्तरी भागों के तराई वाले इलाकों में मध्यम दर्जे का कोहरा छाए रहने की संभावना है। प्रदेश के 13 जिलों में सुबह के समय कोहरे का प्रभाव बना रहेगा। प्रदेश के पूर्णिया, पूर्वी व पश्विमी चंपारण, सारण, दरभंगा, सुपौल, अररिया, शिवहर, वैशाली, सीतामढ़ी, किशनगंज, सिवान, लखीसराय में हल्के कोहरे की संभावना है। प्रदेश का अधिकतम तापमान 29-31 डिग्री सेल्सियस के बीच जबकि न्यूनतम तापमान 20-22 डिग्री सेल्सियस के आसपास बना रहेगा।

दो से तीन दिनों के दौरान राज्य के रात्रि तापमान में कोई विशेष परिवर्तन की संभावना नहीं है। बुधवार को डेहरी, गया, जीरादेई, सुपौल, मधेपुरा, अररिया व किशनगंज को छोड़ कर पटना सहित शेष जिलों के न्यूनतम तापमान में थोड़ी गिरावट दर्ज की गई। पटना का न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस जबकि 19.0 डिग्री सेल्सियस के साथ किशनगंज, डेहरी, मोतिहारी एवं बांका में सबसे कम न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया।

मंगलवार को पटना सहित आसपास इलाकों में सुबह के समय हल्के धुंध का प्रभाव बन रहा। दिन में धूप निकलने से मौसम सामान्य रहा। पटना का अधिकतम तापमान 31.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

राज्य के प्रमुख शहरों का तापमान

पटना- अधिकतम तापमान 31 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस

गया- अधिकतम तापमान 30.4 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस

भागलपुर- अधिकतम तापमान 30.7 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.3 डिग्री सेल्सियस

मुजफ्फरपुर- अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस, न्यूनतम तापमान 22.6 डिग्री सेल्सियस

शहर की आबोहवा में घुल रहा जहर

धूल व धुएं के कारण जिले में फिर से AQI लेवल बढ़ने लगा है। बरसात के दौरान वातावरण पूरी तरह से स्वच्छ हो चुका था। नतीजतन एयर क्वालिटी इंडेक्स 40 से 50 के आसपास आ गया था। अक्टूबर तक यह कंट्रोल में थी। इधर बरसात बीतने, ठंड के दस्तक व सड़कों पर ट्रैफिक लोड बढ़ने के साथ ही हवा में प्रदूषण घुलने लगा है। ऐसी स्थिति में अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ सकती है।

140 के पार पहुंचा AQI

जानकारों की मानें तो एयर क्वालिटी इंडेक्स का स्तर बढ़कर 140 के स्तर को पार कर गया है। अगर समय रहते नहीं चेते तो वातावरण में प्रदूषण और बढ़ सकता है। इसका कारण बरसात बीतने के बाद धूप खिलना तथा धरती से नमी कम होने के कारण सड़कों पर धूल उड़ना है।

सड़कों की धूल की वजह से बढ़ रहा AQI

बेतरतीब विकास के लिए खोदी गई सड़कों से उड़ती धूल और वाहनों से निकलने वाला धुआं शहर की आबोहवा को खराब करने का सबसे बड़ा कारण है। धूल और वाहनों से निकलने वाले धुएं की वजह से शहर में वायु गुणवत्ता सूचकांक लगातार खराब चल रहा है। शहर के बीचोबीच से गुजर रही एनएच 27 पर एलिवेटेड कॉरिडोर के निर्माण पर लगातार काम होने के कारण इस इलाके की एयर क्वालिटी सबसे अधिक खराब है।

इसके अलावा धुआं, पराली जलाने, आग, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जित कार्बनिक तत्व, टूटी सड़कों से उड़ने वाली धूल से जिले की आबोहवा खराब हो रही है।

टूटी सड़कों से उडने वाली धूल तथा वाहनों से उत्सर्जित कार्बन की वजह से वातावरण दूषित होता है। इसके अलावा अन्य कई छोटे तत्व रहते हैं, जिनकी वजह से एक्यूआइ बढ़ जाता है। जिले में दीपावली पर शहर का एक्यूआइ 200 के करीब पहुंच गया था, लेकिन अगले कुछ दिनों में इसमें कमी आई है। वर्तमान समय में यह 140 के आसपास बना हुआ है।

पर्यावरण के जानकार कहते हैं कि वातावरण में कई तरह के हानिकारक कण होते हैं, जो वायु को प्रदूषित करते हैं। सबसे ज्यादा खतरनाक कण 2.5 एमएम पार्टीकुलेट मैटर होता है, जो एक बार हवा में पहुंच जाता है तो फिर खुद जमीन पर नहीं आता है। इससे स्मोग के साथ ही धुंध छाए रहने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा 10 एमएम पार्टीकुलेट एवं अन्य तत्व मिलकर हवा की सेहत खराब करते हैं।

बढ़ते प्रदूषण से दिल की बीमारी का खतरा

डॉ. मदन मोहन, पर्यावरणविद कहते हैं कि धूल और धुएं से दिल को सबसे अधिक खतरा रहता है। धूल व धुए के कारण आंख, नाक, कान से धूल शरीर में भर जाता है। कई दिनों तक आंखों में नमी कम हो जाती है और सांस भारी सी लगती है। नींद का चक्र पूरा नहीं होता जिससे दिल के लिए खतरा बढ़ जाता है।

बढ़ता AQI लोगों के लिए खतरनाक

AQI 0 से 50- बहुत अच्छा

AQI 51 से 100- सहनशील

AQI 101 से 150- बीमार लोगों के लिए खराब

AQI 151 से 200- सभी लोगों के लिए खराब

AQI 201 से 300- बेहद खराब

AQI 301 से 400- खतरनाक स्तर

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Gramin Bank IPO: बिहार में ग्रामीण बैंकों का होगा विलय, अपने शेयर को खुले बाजार में बेचेगी केंद्र सरकार

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Gramin Bank IPO: बिहार में ग्रामीण बैंकों का होगा विलय, अपने शेयर को खुले बाजार में बेचेगी केंद्र सरकार

November 6, 2024 - 8:37pm

विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। ग्रामीण बैंकों के विलय का एक बड़ा उद्देश्य आईपीओ जारी करना है। राशि जुटाने के लिए इन बैंकों मेंं केंद्र सरकार के शेयर की खुले बाजार में आईपीओ के जरिये बिक्री होगी। बिहार के दोनों ग्रामीण बैंकों (उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक) का विलय हो जाने के बाद आईपीओ आएगा। प्राप्त होने वाली राशि से नव-गठित ग्रामीण बैंक का कायाकल्प होगा।

वर्ष 1975 में ग्रामीण बैंक की स्थापना हुई थी और 2005 तक इनकी संख्या 196 थी। उनमें से अधिसंख्य घाटे में थे। समाधान सुझाने के लिए केंद्र सरकार ने व्यास समिति का गठन किया था। समिति के सुझाव पर तीन चरणों में ग्रामीण बैंकों का आपस में विलय हुआ। उसके बावजूद इनकी संख्या 43 रह गई है।

अब इन बैंकों के विलय के लिए राज्य सरकार और प्रायोजक व्यावसायिक बैंकों से वित्त मंत्रालय ने 15 नवंबर तक सहमति मांगी है। चौथे चरण के अंतर्गत विलय के बाद ग्रामीण बैंकों की संख्या मात्र 28 रह जाएगी। उल्लेखनीय है कि प्रारंभ में देश में 196 तथा बिहार में 22 ग्रामीण बैंक कार्यरत थे।

ग्रामीण बैंकों की सेहत में सुधार के लिए शेयर धारकों द्वारा समय-समय पर पूंजी दी जाती रही है। हालांकि, 2015 में केंद्र सरकार ने आगे पूंजी देने के बजाय ग्रामीण बैंकों को बाजार से पूंजी जुटाने का निर्देश दिया। इसके लिए ग्रामीण बैंक कानून-1976 में संशोधन कर केंद्र सरकार ने अपने 50 प्रतिशत में से 34 प्रतिशत शेयर आईपीओ के माध्यम से बेचने का प्रविधान किया।

हालांकि, छोटा आधार होने के कारण कोई भी ग्रामीण बैंक आईपीओ जारी नहीं कर सका। फलस्वरूप, ग्रामीण बैंक विलय प्रक्रिया के चौथे चरण में एक राज्य-एक ग्रामीण बैंक की परिकल्पना के तहत विलय की पहल चल रही है। इसके अंतर्गत बिहार के दोनों ग्रामीण बैंकों का विलय होना है। उल्लेखनीय है कि ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार 50 प्रतिशत, प्रायोजक बैंक 35 प्रतिशत और संबंधित राज्य सरकार 15 प्रतिशत अंशधारक होती है।

प्रायोजक बैंक में विलय भी एक विकल्प:

बैंकिंग व्यवसाय से जुड़े कई विशेषज्ञों का तर्क है कि एक-दूसरे में विलय कर देने मात्र से ग्रामीण बैंकों की समस्या दूर नहीं हो जानी है। इससे उनका नेटवर्क बड़ा हो जाएगा और उनकी पूंजी बड़ी हो जाएगी, लेकिन सम्मिलित रूप में देनदारी और घाटे का बोझ भी बढ़ेगा। ऐसे में ग्रामीण बैंकों का उनके प्रायोजक व्यावसायिक बैंक में विलय बेहतर विकल्प हो सकता है। उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक का प्रायोजक सेंट्रल बैंक है और दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का पंजाब नेशनल बैंक।

ग्रामीण बैंक और प्रायोजक बैंक की कार्यप्रणाली में अब कोई अंतर नहीं रह गया है। व्यावसायिक बैंक ग्रामीण साख में भी बहुमूल्य योगदान कर रहे हैं। ग्रामीण बैंक आपस में विलय के बाद भी ग्रामीण साख की आवश्यकता को पूरा नहीं कर पाते। इसलिए ग्रामीण बैंक का उनके प्रायोजक बैंक में विलय मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था के लिए बेहतर विकल्प है। - डीएन त्रिवेदी, राष्ट्रीय संयोजक, यूनाइटेड फोरम ऑफ ग्रामीण बैंक यूनियन्स

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Prashant Kishor: जसुपा के हाथ लगा राजद का 'सीक्रेट' डाटा? प्रशांत किशोर ने बता दी अंदर की बात

November 6, 2024 - 7:40pm

राज्य ब्यूरो, पटना। चाल, चरित्र और चेहरा का हवाला देते हुए जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने बुधवार को राजद (RJD) पर करारा कटाक्ष किया। राजद के सक्रिय सदस्यों का डाटा जसुपा के हाथ लगने की बात पर उन्होंने प्रश्नवाचक अंदाज में पूछा कि राजद कब से डाटा वाली पार्टी बन गई, वह तो लालटेन वाली पार्टी है।

पीके ने आगे कहा, यह सब पढ़ाई-लिखाई, डाटा क्या होता है, इसे कैसे स्टोर किया जाता है, यह राजद को कैसे पता होगा! राजद का काम तो लालटेन, दंगा, फसाद, और अपहरण-अपराध को शह देने का है। पढ़ाई-लिखाई और डाटा से उसका क्या लेना-देना! तरारी विधानसभा क्षेत्र में जन संवाद के बाद पीके ने पत्रकारों के समक्ष भाजपा को भी लपेटे में लिया।

उन्होंने कहा कि चाल, चरित्र, चेहरा, परिवारवाद और भाई-भतीजावाद की बात करने वाली पार्टी तरारी में पूरी तरह बेनकाब हो गई है। तरारी में भाजपा के प्रत्याशी ने उसके (भाजपा के) असली चेहरे को उजागर कर दिया है। इससे भाजपा की कथनी और करनी में अंतर की जानकारी सबको हो गई है।

विधानसभा चुनाव से पहले राजद में मचेगी भगदड़: प्रभाकर

भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रभाकर कुमार मिश्र का कहना है कि अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले ऐसी भगदड़ मचेगी कि राजद का नाम-ओ-निशान मिट जाएगा। मंगलवार को बयान जारी कर उन्होंंने कहा कि राजद में पहले ही कई दरारें आ चुकी हैं, अब सिर्फ टूटकर बिखरना बाकी है। 2025 के विधानसभा चुनाव में राजद की अब तक की सबसे बड़ी हार होने वाली है।

'नेताओं का लालू-तेजस्वी से मोहभंग'

खबरें आ रही हैं कि तेजस्वी के आईटी सेल से राजद के चार लाख से अधिक सक्रिय कार्यकर्ताओं का डाटा गायब हो गया है। दरअसल, राजद के नेताओं-कार्यकर्ताओं का लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव से मोहभंग हो चुका है। वे समझ चुके हैं कि राजद में उनका भविष्य नहीं। इसलिए वे विकल्प तलाश रहे हैं। जल्द ही वे दूसरे दलों का दामन थाम लेंगे।

नौकरी देने का झूठा श्रेय ले रहे हैं तेजस्वी: संतोष

हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्य सरकार में मंत्री डॉ. संतोष कुमार सुमन ने बीते दिनों कहा कि तेजस्वी यादव नौकरी देने का झूठा श्रेय लेने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजस्वी यादव को अपने माता-पिता के 15 साल के राज की 101 आपराधिक घटनाओं, 101 अपहरण कांडों, शिल्पी जैन और चम्पा विश्वास बलात्कार कांड जैसी शर्मनाक घटनाओं के साथ-साथ दलित विरोधी नरसंहारों की भी सूची जारी करनी चाहिए। जिनके परिवार में दो पूर्व मुख्यमंत्री सहित छह लोग रेलवे की नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में अभियुक्त हैं और जमानत पर हैं, वे किसी को नौकरी दिलाने का श्रेय कैसे लूट सकते हैं?

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पहल पर विभिन्न चरणों में लगभग पांच लाख शिक्षकों और अन्य सरकारी पदों पर जो नियुक्तियां हुईं , वह सरकार का फैसला था, किसी डिप्टी सीएम का नहीं।

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Patna Police Station Fire: पत्रकारनगर थाने में लगी आग, रेस्क्यू कर बचाए गए 50 पुलिसकर्मी

November 6, 2024 - 6:23pm

जागरण संवाददाता, पटना। हनुमान नगर स्थित पत्रकारनगर थाने में बुधवार की सुबह आग लग गई। शॉर्ट सर्किट से ग्राउंड फ्लोर मालखाना में लगी आग की लपटे चंद मिनट में उपरी मंजिल तक पहुंच गई। पांचवीं मंजिल तक धुआं फैलने से थाने में 50 से अधिक पुलिसकर्मी अंदर ही फंस गए। इधर, घटना की सूचना मिलने ही कंकड़बाग, सचिवालय और लोदीपुर फायर स्टेशन से दमकल की 25 गाड़ियां, एक हाइड्रोलिक प्लेटफार्म के साथ 75 दमकलकर्मी और पदाधिकारी पहुंच गए।

छत पर फंसे एक पुलिसकर्मी को हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म और पांच पुलिसकर्मियों को सीढ़ी से रेस्क्यू कर सुरक्षित बाहर निकाला गया, जबकि गेट और दरवाजा तोड़कर धुआं से घिरे 45 पुलिसकर्मियों को बाहर निकाला गया। आग से जब्त दर्जनों बाइक, कई छोटे सिलेंडर और अन्य वाहनों के साथ जरूरी कागजात जलकर राख हो गए।

अग्निशमन पदाधिकारी मनोज कुमार नट ने बताया कि प्रारंभिक जांच में शॉर्ट सर्किट से आग लगने की बात सामने आ रही है। सभी पुलिसकर्मियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। ढाई घंटे में आग पर पूरी तरह काबू पा लिया गया था। नुकसान का आकलन नहीं हो पाया है। सदर एसडीपीओ-1 अभिनव ने बताया कि थाना के पीछे मालखाने के सामान में आग लगी थी। दमकलकर्मियों और पुलिस की मदद से अंदर फंसे सभी पुलिसकर्मियों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। किसी पुलिसकर्मी या अन्य व्यक्ति के घायल होने की सूचना नहीं है।

धुआं भरने से अंदर फंस गए थे पुलिसकर्मी

घटना सुबह करीब दस बजे की है। पांच फ्लोर के इस थाने में गेट और पीछे के हिस्से में जब्त वाहनों को रखा गया है। थाना में बैरक और आवास भी है। घटना के समय थाने में पुलिस पदाधिकारी सहित 50 से अधिक जवान मौजूद थे। कोई खाना बना रहा था तो कोई तैयार हो रहा था। अचानक मालखाना में आग लग गई और लपटे उपर उठने पर पुलिसकर्मियों को इसकी जानकारी हुई।

ग्राउंड फ्लोर और पहली मंजिल पर मौजूद पुलिसकर्मी किसी तरह भागकर बाहर आए और अपने अन्य साथियों के बचाव में जुट गए। तब तक आग की लपटें उपर उठने लगी और पांचवीं मंजिल तक धुआं भर गया। इस वजह से दूसरे से लेकर पांचवें फ्लोर पर रहने वाले पुलिसकर्मी बिल्डिंग में ही फंस गए।

जो जिस हाल में था, भागकर आने लगा बाहर

आग की लपटे उठता देख आसपास के लोग जुट गए। थाना परिसर में अफरातफरी मची थी। कुछ पुलिसकर्मी आग बुझाने का प्रयास कर रहे थे तो आसपास के थाना से पहुंची पुलिस अंदर फंस पुलिसकर्मियों को बचाने में जुट गए। इस बीच छत पर एक जवान मदद की गुहार लगा रहा था।

इधर, वायरलेस पर थाने में आग की सूचना पर हाइड्रोलिक प्लेटफार्म और दमकल की गाड़ियां पहुंचने लगी। छत और सीढ़ी के रास्ते पुलिसकर्मियों को बाहर निकाला गया। धुआं भरने से कई पुलिसकर्मी राइफल और मैग्जीन तक बाहर नहीं निकाल पा रहे थे।

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By-Election In Bihar: कहीं बेटा तो कहीं बहू... उपचुनाव में परिवारवाद बन गया मुद्दा, बराबरी पर NDA और महागठबंधन

November 6, 2024 - 4:15pm

राज्य ब्यूरो, पटना। विधानसभा की चार सीटों पर हो रहे उपचुनाव में परिवारवाद पर राजनीतिक दलों की हाेशियारी जनता की पकड़ में आ गई है। परिवारवाद को बढ़ावा देने में एनडीए और महागठबंधन बराबरी पर हैं, इसलिए चुनाव प्रचार में जुटे दोनों गठबंधनों के नेता परिवारवाद पर बिना कुछ बोले हुए निकल जा रहे हैं। पिता के बाद पुत्र, बहू या पत्नी की उम्मीदवारी से दोनों गठबंधन के कार्यकर्ताओं में विक्षोभ है, प्रतिद्वंद्वी जिसे उभारने का प्रयास कर रहे हैं।

बेलागंज में 1990 से 2024 तक एक छोटी अवधि (1998-2000) को छोड़ कर राजद के सुरेंद्र यादव जनता दल और राजद के विधायक रहे। इस साल उनके सांसद बनने के बाद पुत्र विश्वनाथ कुमार सिंह राजद के उम्मीदवार हैं। राजद में टिकट के दावेदारों के बीच यह प्रश्न है कि इसबार विश्वनाथ चुनाव जीतते हैं तो अगले कई वर्षों तक किसी नए को अवसर नहीं मिलेगा।

राजद कार्यकर्ताओं के संशय को जदयू नेता और ग्रामीण कार्य मंत्री डॉ. अशोक चौधरी यह कह कर बल देते हैं कि जदयू को उपचुनाव में एक अवसर दीजिए। काम नहीं हुआ तो आम चुनाव में आप अलग निर्णय ले सकते हैं। हालांकि, बेलागंज में जदयू की उम्मीदवार मनोरमा देवी भी परिवारवाद का ही प्रतिनिधित्व करती हैं।

मनोरमा स्वयं विधान परिषद की सदस्य रह चुकी हैं। जदयू के दावेदार भी इस आशंका से मुक्त नहीं हैं कि अगर मनोरमा चुनाव जीतती हैं तो क्षेत्र एक बार फिर परिवारवाद की भेट चढ़ जाएगा।

रामगढ़ की भी वही गति

रामगढ़ में राजद के जगदानंद सिंह के पुत्र अजित सिंह उम्मीदवार हैं। जगदानंद सिंह 2009 में सांसद बने तो उन्होंने राजद के एक कार्यकर्ता अंबिका यादव को अवसर दिया। अंबिका चुनाव जीते। 2015 में हारे तो 2020 के विस चुनाव में उन्हें अवसर नहीं मिला। जगदानंद के बड़े पुत्र सुधाकर सिंह विधायक बने। अब वह सांसद हैं, उप चुनाव हो रहा है तो इसमें उनके छोटे भाई अजित सिंह को उम्मीदवार बनाया गया।

सबसे बड़ा परिवार

इमामगंज में जीतनराम मांझी की दो बार जीत हुई। वह गया के सांसद हैं। उनकी बहू दीपा मांझी उप चुनाव में हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा की उम्मीदवार हैं। लोकसभा, विधान परिषद और विधानसभा में इस समय मोर्चा के पांच सदस्य हैं। मांझी सांसद हैं। पुत्र संतोष सुमन विधान पार्षद हैं। समधन ज्योति देवी विधायक हैं। दीपा मांझी चुनाव जीतती हैं तो संसद-विधानसभा में पार्टी के सदस्यों की संख्या छह हो जाएगी, जिनमें चार मांझी के परिवार के सदस्य और रिश्तेदार होंगे। ईमामगंज में भी मांझी को कार्यकर्ताओं की महात्वाकांक्षा से जूझना पड़ रहा है।

पति-पत्नी के बाद पुत्र

तरारी और पूर्ववर्ती पीरो विस क्षेत्र में 2000 से 2020 तक छह चुनाव हुए। चार बार नरेंद्र कुमार पांडेय ऊर्फ सुनील पांडेय चुनाव जीते। एक बार दूसरे नम्बर पर रहे। एक बार उनकी पत्नी गीता पांडेय दूसरे नम्बर पर रहीं। अभी उनके पुत्र विशाल प्रशांत भाजपा उम्मीदवार हैं। भाजपा ही नहीं, जदयू के कार्यकर्ता भी विशाल की जीत में अपना बंद भविष्य देख रहे हैं। एनडीए में यह सीट जदयू की रही है।सुनील पांडेय एक बार समता पार्टी और तीन बार जदयू के विधायक रहे हैं।

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विश्वविद्यालयों के लिए बड़ी खबर, विकास की राशि खर्च नहीं करने पर होगी बजट में कटौती

November 6, 2024 - 3:08pm

जागरण संवाददाता, पटना/ भभुआ। राज्य के विश्वविद्यालयों में विकास मद में दी गई राशि को खर्च करने की गति धीमी है। इसीलिए सरकार द्वारा विभिन्न मदों में उपलब्ध कराए गए 3487 करोड़ रुपये के खर्च का ब्योरा देने में विश्वविद्यालय हिचक रहे हैं। शिक्षा विभाग ने कुलसचिवों को आगाह किया है कि वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर विकास मद की राशि सरेंडर करने वाले विश्वविद्यालयों पर कार्रवाई होगी।

साथ ही विकास मद की राशि खर्च नहीं करने वाले विश्वविद्यालयों के अगले वित्तीय वर्ष में उनके बजट में भी कटौती होगी। 15 विश्वविद्यालयों में आधारभूत संरचना के विकास के लिए उपलब्ध कराई गई राशि को खर्च करने का रिकार्ड ठीक नहीं है। यह राशि यूजीसी और बिहार सरकार से मिली है। शिक्षा विभाग मान रहा कि विश्वविद्यालयों में बेहतर वित्तीय प्रबंधन की कमी के कारण राशि खर्च नहीं हो रही।

शिक्षा विभाग ने पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 में 1250 करोड़ रुपये सरेंडर किए जाने पर कुलसचिवों को फटकार भी लगाई थी। इस वर्ष भी विकास मद में आवंटित राशि 4356 करोड़ रुपये खर्च में सुस्ती है। शिक्षा विभाग के मुताबिक वर्ष 2016-17 में विश्वविद्यालयों में विभिन्न योजनाओं में खर्च की रफ्तार ठीक थी तब विश्वविद्यालयों द्वारा सबसे कम 89 करोड़ रुपये राशि का सरेंडर किया था।

चालू वित्तीय वर्ष में पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय और तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय को छोड़कर शेष विश्वविद्यालयों में विकास मद की राशि खर्च करने की गति धीमी है। इतना ही नहीं, विश्वविद्यालयों ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में आवंटित राशि 3812.20 करोड़ खर्च का भी हिसाब नहीं दिया है।

साल 2016-17 से 2023 तक कुल आवंटित बजट साल  कुल बजट खर्च सरेंडर 2016-17  2031  2120   89   2017-18  2998.73 2852.15 146.57 2018-19  4497.13 3495.63 1001.50 2019-20  3671.82 3172.41 499.41 2020-21  3061.39 2657.67- 403.72 2021-22  3606.01 2363.38 1242.63 2022-23  3689.12 2439.12 1250 भभुआ: शिक्षिकाओं से प्रमाण पत्र को लेकर मांगा स्पष्टीकरण

जिले में बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से शिक्षक के पद पर नियुक्ति पाने वाली शिक्षिकाओं के ईडब्लूएस प्रमाण पत्र में कुछ कमी पाई गई है। इस आधार पर कुल दस शिक्षिकाओं से जिला शिक्षा पदाधिकारी ने स्पष्टीकरण मांगा है।

इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी सुमन कुमार शर्मा ने बताया कि जिले के विद्यालयों में बिहार लोक सेवा आयोग के द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। आवेदन के समय ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र अपलोड किया गया था। जिसके आधार पर विद्यालयों में शिक्षक पद पर नियुक्ति की गई।

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि सामान्य प्रशासन के दिशा-निर्देश में स्पष्ट अंकित है कि अविवाहित महिला की स्थिति में ईडब्लूएस का प्रमाण पत्र पिता के नाम से बनेगा और विवाहित की स्थिति में पति के नाम के स्थाई निवास से बनेगा।

जांच में पाया गाया कि विवाहित होते हुए नियम के विरुद्ध ई डब्लूएस प्रमाण पत्र पिता के नाम से बनवाया गया है। जिसके आधार नियुक्ति प्राप्त की गई है।

जिला शिक्षा पदाधिकारी ने कहा कि दस शिक्षिकाओं से स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन्होंने कहा कि संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर सेवा समाप्त करने के साथ वेतन की राशि वसूली करने की कार्रवाई होगी।

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Bihar RERA: स्वीकृत प्रोजेक्ट का विस्तार करने पर बिल्डरों को देना होगा अतिरिक्त शुल्क, 2 लाख रुपये लगेगा सरचार्ज

November 6, 2024 - 3:04pm

राज्य ब्यूरो, पटना। अब बिहार रेरा से स्वीकृत नक्शे से इतर प्रोजेक्ट का विस्तार करने पर बिल्डरों को अतिरिक्त शुल्क का भुगतान करना होगा। स्वीकृत परियोजना में यदि अतिरिक्त फ्लैट, दुकान, ऑफिस आदि का निर्माण किया जाता है, तो संख्या के अनुसार दो लाख रुपये से लेकर आठ लाख रुपये तक राशि जमा करनी होगी। इतना ही नहीं, परियोजना में फ्लैट बुक कराने वाले दो तिहाई आवंटियों की शपथ पत्र पर सहमति भी अनिवार्य होगी।

बिहार रेरा के आदेश के अनुसार, किसी परियोजना में अगर 20 की संख्या तक अतिरिक्त फ्लैट, दुकान या कार्यालय निर्माण पर अतिरिक्त दो लाख रुपये सरचार्ज लगेगा। इसी तरह, 21 से 40 तक अतिरिक्त फ्लैट, दुकान, कार्यालय, भूखंड के लिए चार लाख रुपये, 41 से 60 तक अतिरिक्त फ्लैट, दुकान, कार्यालय, भूखंड के लिए छह लाख रुपये और 60 से अधिक अतिरिक्त फ्लैट, दुकान, कार्यालय, भूखंड के लिए आठ लाख रुपये तक का सरचार्ज देना होगा।

बिल्डरों के लिए एक और निर्देश

प्राधिकरण ने निर्णय लिया है कि ऐसे मामलों में बिल्डरों को बुकिंग कराने वाले सभी आवंटियों का नाम, ई-मेल आईडी, पता और संपर्क नंबर जमा कराना होगा।

परियोजना में फ्लैट बुक कराने वाले दो तिहाई आवंटियों की शपथ पत्र पर सहमति जरूरी होगी। प्रमोटर हलफनामा देंगे कि आवंटियों के नाम और संख्या सही है तथा किसी भी विसंगति के लिए उन पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। बिल्डर को संशोधित नक्शा, भवन निर्माण का अनुमति प्रमाण पत्र और नए नक्शे के अनुसार उपलब्ध दुकान, फ्लैट, भूखंड, कार्यालय का संशोधित सेल एग्रीमेंट भी जमा कराना होगा।

वित्त विभाग में बनेगा क्लाइमेट फाइनेंस सेल

जलवायु परिवर्तन भविष्य में नाना प्रकार की चुनौतियों का कारण बनने वाला है। लक्षण अभी से दिखने लगे हैं। ऐसे में सरकार का प्रयास भविष्य मेंं होने वाले नुकसान को कम करने का है। उसके लिए वित्त विभाग में एक महत्वपूर्ण पहल हो रही है। वहां यथाशीघ्र क्लाइमेट फाइनेंस सेल की स्थापना होगी। उसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन से होने वाले नुकसान से निपटने के लिए विभिन्न विभागों के बीच आवश्यक वित्तीय समन्वय स्थापित करना है। इस सेल का मुख्य कार्य जलवायु से संबंधित परियोजनाओं की पहचान और उसके लिए वित्त की व्यवस्था करना होगा।

इस सेल में सरकारी कर्मियों के साथ विशेषज्ञ एजेंसियों की भी सेवा ली जाएगी, ताकि वित्त उपलब्ध कराने में उनकी सहायता ली जा सके। उल्लेखनीय है कि बिहार पहला राज्य है, जहां हरित बजट प्रस्तुत किया जाता है। इससे भी क्लाइमेट फाइनेंस से संबंधित तंत्र विकसित करने में सहायता मिली है।

वर्ष-प्रति-वर्ष हरित बजट प्रविधान में वृद्धि की जा रही है। इस वित्तीय वर्ष में चिह्नित योजनाओं के लिए हरित बजट आवंटन काफी बढ़ा है। इस मद में आवंटन की तुलना में व्यय का अनुपात भी उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है। वित्तीय वर्ष 2020-21 के 58 प्रतिशत की तुलना में 2021-22 में व्यय बढ़कर 88 प्रतिशत हो गया।

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'अगले जन्म में भी शारदा सिन्हा बनूं...', बिहार कोकिला की जिंदगी के अनकहे पन्ने; नम हो जाएंगी आपकी आंखें

November 6, 2024 - 2:18pm

कुमार रजत, पटना। 'बिहार कोकिला' शारदा सिन्हा से मैं बहुत बाद में मिला। पहले उनकी आवाज से मिला। याद भी नहीं कि पहली दफा उनकी आवाज कब सुनी थी। शायद छठ का ही महापर्व रहा होगा या कोई शादी-विवाह का अवसर। मगर जब से होश संभाला है, यह आवाज हमेशा से जानी-पहचानी लगी। जैसे अपने घर-आंगन की आवाज हो। जैसे मां की आवाज हो।

शारदा सिन्हा की बात सिन्हा साहब के बिना अधूरी है। सिन्हा साहब यानी उनके पति स्वर्गीय ब्रजकिशोर सिन्हा। वह उन्हें इसी नाम से पुकारती थीं। शारदा को बिहार कोकिला शारदा सिन्हा बनाने में सबसे बड़ा योगदान उनका ही रहा। वह खुद भी हर साक्षात्कार, हर मंच पर यह बात दुहराती रहीं। यह भी संयोग है कि पति के निधन के महज 45 दिन बाद ही उन्होंने भी देह त्याग दिया। जैसे ''हम आपके हैं कौन'' का अपना ही प्रसिद्ध गीत गाकर विदा ले रहीं हों- ''बाबुल जो तुमने सिखाया, जो तुमसे पाया...सजन घर ले चली... सजन घर मैं चली...। यादों के देकर साये, चली घर पराए... तुम्हारी लाडली।''

खुद नहीं किया छठ, कहतीं- गीत ही मेरा अर्घ्य

शारदा सिन्हा ने जो गाया ताउम्र उसे जिया भी इसलिए उनका गाया सच्चा लगता है, दिल में उतर जाता है। यह भी अजीब संयोग हैं कि दुनिया भर में छठ के गीतों का पर्याय शारदा जी ने खुद कभी छठ नहीं किया। वह कहतीं कि ''छठ के गीत ही मेरा अर्घ्य है। मुझे इस बात का संतोष है कि मेरे गीत लोगों को छठ से जोड़ते हैं। मैं इसे ही अपनी जवाबदेही की तरह लेती हूं। मेरी इच्छा है कि जब तक संभव है, मैं छठ गीत गाकर अपनी जिम्मेदारी निभाऊं।'' और उन्होंने इसे निभाया भी। कैंसर की जंग लड़ते हुए दिल्ली एम्स से ही उन्होंने अपना अंतिम छठ गीत रिलीज किया- दुखवा मिटाई छठी मइया...।

अगले जन्म में भी शारदा सिन्हा बनूं:

वर्ष 2016 में पटना में जागरण फिल्म फेस्टिवल के मंच पर उन्होंने अपने जीवन के कई संस्मरण साझा किए थे। उन्होंने कहा था कि जब मायके में पहली बार मंच पर गई तो गांव वालों ने इसे बिरादरी का अपमान बताया मगर पिता और घरवालों ने समर्थन किया। इसी तरह ससुराल में सास भी मंचीय कार्यक्रमों से नाखुश रहतीं मगर पति ने साथ दिया।

उन्होंने बताया था कि शादी के बाद एक व्यक्ति ने सिन्हा साहब से कहा- कैसे आदमी हो, जो अपनी पत्नी को नचाते-गवाते हो। इसके कुछ दिनों बाद ही जब जै-जै भैरवी असुर भयावनी गीत लोकप्रिय हुआ तो उसी व्यक्ति ने शारदा सिन्हा को देवी कहा। इसी साक्षात्कार में शारदा सिन्हा ने कहा था- अगला जन्म भी शारदा सिन्हा के रूप में लेना चाहती हूं।

छठ गीत सुनकर होती है सिहरन:

शारदा सिन्हा ने अपने साक्षात्कार में बताया कि था छठ गीत सुनकर उन्हें भी सिहरन होती है। उन्होंने बताया था कि सोना सटकोनिया हो दीनानाथ... गीत उनका पसंदीदा छठ गीत है। वह कहतीं कि वह खुद विंध्यवासिनी देवी के गीत रेडियो पर सुनती थीं। उन्होंने अपनी गुरु पन्ना देवी को याद कहते हुए कहा था कि पन्ना जी मुझसे कहती थीं कि शारदा, तुम्हारी आवाज में बहुत कसक है। तुम गाओ तो वाह नहीं, आह निकलनी चाहिए।

पटना के घाट पर हमहूं अरगिया देहब हे छठि मइयां...

शानदार साड़ी, माथे पर गोल लाल बिंदी, गले में लंबी माला और चेहरे पर मुस्कान। शारदा सिन्हा का ख्याल आते ही यह सारी चीजें याद आती हैं। उन्हें साड़ियों का बहुत शौक था। दिल्ली एम्स में अंतिम समय तक लाल बिंदी उनके माथे की शोभा बढ़ाती रही। अस्पताल में ऑक्सीजन सपोर्ट पर भी उन्होंने रियाज किया। इसका वीडियो भी शेयर किया था। वह खुद बेगम अख्तर और लता मंगेशकर के गीतों को पसंद करतीं।

कोविड के समय जब अस्पताल में रहीं तो लता जी का दर्द भरा गीत अपनी आवाज में रिकॉर्ड भी किया था- यूं हसरतों के दाग... मुहब्बत में धो लिए... यूं दिल से दिल की बात कहीं और रो लिए। शारदा सिन्हा अब नहीं रहीं। वह खनकती आवाज जो सिहरन पैदा करती थी... अब खामोश है मगर उन्होंने गीतों का जो खजाना दिया है... वह अनमोल है। पटना के घाट पर ही उनका अंतिम संस्कार होगा। फिर उनका ही छठ गीत याद आ रहा- पटना के घाट पर हमहूं अरगिया देहब हे छठि मइया... हम न जाइब दूसर घाट... देखब हे छठि मइया।

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छठ पर्व में यात्रियों को रेलवे का तोहफा, 8-22 नवंबर तक चलेंगी लंबी दूरी की 446 स्पेशल ट्रेनें

November 6, 2024 - 2:04pm

जागरण संवाददाता, पटना। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी सतीश कुमार ने मंगलवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा छठ महापर्व को लेकर यात्री सुविधा एवं सुरक्षा सहित अन्य तैयारियों की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक छत्रसाल सिंह एवं प्रमुख विभागाध्यक्ष शामिल हुए।

446 स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी

समीक्षा बैठक में अध्यक्ष ने बताया कि आठ नवंबर से 22 नवंबर तक इस वर्ष लंबी दूरी की 446 स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा। पिछले वर्ष इसी अवधि में 369 स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया गया था। आठ नवंबर को बरौनी, दरभंगा, दानापुर, गया, जयनगर, मुजफ्फरपुर, पटना, रक्सौल, सहरसा, समस्तीपुर एवं अन्य स्टेशनों से 35 स्पेशल ट्रेनें देश के विभिन्न महत्वपूर्ण स्टेशनों के लिए चलाई जाएंगी।

इसके अलावा पटना, दानापुर, राजेंद्र नगर टर्मिनल, सहरसा, मुजफ्फरपुर, दरभंगा सहित अन्य प्रमुख स्टेशनों पर यात्रियों के लिए होल्डिंग एरिया बनाया गया है। साथ ही ट्रेन के आवागमन की जानकारी सहज उपलब्ध हो सके इसके लिए स्टेशनों पर निरंतर उद्घोषणा की जा रही है।

सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

भीड़ नियंत्रण हेतु मुख्य स्टेशनों पर सीसीटीवी कैमरे से रेल सुरक्षा बलों द्वारा चौबीसों घंटे गहन निगरानी की व्यवस्था की गई है। साथ ही रेल सुरक्षा बल की खुफिया इकाइयों को विभिन्न स्रोतों से हर संभव खुफिया जानकारी एकत्र करने के लिए विशेष रूप से सक्रिय कर दिया गया है।

महिलाओं की सुरक्षा के लिए मेरी सहेली की तैनाती

राजकीय रेल पुलिस, स्थानीय पुलिस, केंद्रीय/राज्य के खुफिया विभागों के साथ निकट समन्वय रखा जा रहा है। महिला यात्रियों की सुरक्षा एवं मदद हेतु ट्रेनों एवं प्रमुख स्टेशनों पर आरपीएफ की अतिरिक्त महिला कांस्टेबलों की टीम मेरी सहेली की तैनाती की गई है।

पूर्व मध्य रेल में पहली बार राज्य सरकार से समन्वय स्थापित करते हुए भीड़ नियंत्रण हेतु दानापुर मंडल में 100, सोनपुर मंडल में 40 तथा समस्तीपुर मंडल में 50 होमगार्ड को विभिन्न स्टेशनों पर तैनाती की गयी है।

समस्तीपुर मंडल में आरपीएफ, जीआरपी, एनसीसी, स्काउट एंड गाइड के लगभग 1,000 लोगों को भीड़ नियंत्रण के लिए तैनात किया जाएगा। प्रमुख स्टेशनों पर बनाया गया मे आइ हेल्प यू केंद्र यात्रियों की सहायता हेतु सभी प्रमुख स्टेशनों पर मे आई हेल्प यू सहायता बूथ चौबीसों घंटे कार्यरत हैं। साथ ही चिकित्सा सहायता बूथ भी बनाए गए हैं। अंतिम क्षणों में प्लेटफार्म नहीं बदले जाएंगे।

यात्रा टिकट प्राप्त करने में दिक्कत ना हो इसके लिए प्रमुख स्टेशनों पर आवश्यकतानुसार अतिरिक्त टिकट काउंटर एवं एटीवीएम के लिए अतिरिक्त फैसिलिटेटर का प्रावधान किया गया है। नशाखुरानी की घटनाएं ना हों, इसके लिए ट्रेनों की निगरानी की जा रही है और ऐसे मामलों पर नियंत्रण के लिए विशेष सतर्कता बरती जा रही है।

स्टेशनों पर और ट्रेनों में पर्याप्त संख्या में आरपीएफ एवं जीआरपी की तैनाती की गई है। लंबी दूरी की ट्रेनों की सामान्य बोगियों में यात्रियों के चढ़ते समय धक्का-मुक्की न हो, इसके लिए आरपीएफ एवं जीआरपी द्वारा ज्यादा भीड़-भाड़ वाली ट्रेनों के सामान्य बोगियों में यात्रियों को कतारबद्ध तरीके से चढ़ाने की व्यवस्था की जा रही है ।

दानापुर मंडल के 73 ऐसे स्थलों को चिह्नित किया गया है, जहां रेलवे ट्रैक के आस-पास छठ घाट बनाए जाने की संभावना है। इसके मद्देनजर ऐसे सभी स्थलों पर सुरक्षा एवं निगरानी हेतु सुरक्षा बलों की तैनाती की जा रही है । इस दौरान इन स्थलों से गुजरने वाली ट्रेनों को नियंत्रित गति से चलाया जाएगा।

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बालू, गिट्टी और मिट्टी के लिए जारी होंगे 5 तरह के चालान; अवैध खनन को रोकने के लिए नीतीश सरकार ने लिया बड़ा फैसला

November 6, 2024 - 1:08pm

राज्य ब्यूरो, पटना। बालू के साथ ही गिट्टी और मिट्टी के अवैध कारोबार पर रोक के लिए सरकार अब पांच प्रकार के ई-चालान जारी करने की तैयारी में है।

ये ई-चालान किलोमीटर के आधार पर अलग-अलग श्रेणी में बांटकर जारी होंगे। इससे जहां बालू-गिट्टी और मिट्टी के अवैध कारोबार पर रोक लगा सकेगी। वहीं, सरकार के राजस्व में भी वृद्धि होगी।

ई-चालान को पांच श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव

खान एवं भू-तत्व विभाग की बड़ी परेशानी लघु खनिजों का अवैध कारोबार है। जिस पर रोक के लिए विभाग के स्तर पर कई प्रकार के उपाय किए गए हैं।

विभाग के सूत्रों ने बताया कि इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए विभाग ने ई-चालान को पांच श्रेणियों में बांटने का प्रस्ताव तैयार किया है।

प्रस्ताव के अनुसार ई-चालान शून्य से पांच किमी, पांच से 10 किमी, 10 से 50 किमी, 50 से सौ किमी और सौ से पांच सौ किमी के लिए जारी होंगे। ई-चालान को श्रेणी में बांटने से बालू, गिट्टी और मिट्टी पहुंचाने में जहां गाडिय़ों की कमी नहीं होगी। वहीं, गंतव्य तक इन लघु खनिजों को पहुंचाने में भी काफी कम वक्त लगेगा।

पोर्टल के माध्यम से जारी होते हैं ई-चालान

बता दें कि बंदोबस्तधारी के लिए बालू, गिट्टी और मिट्टी को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए ई-चालान अनिवार्य है। ई-चालान विभाग द्वारा तैयार किए गए खनन सॉफ्ट पोर्टल के माध्यम से जारी होते हैं।

अभी जो व्यवस्था है उसके अनुसार एक वाहन का ई-चालान जारी होने पर उसके चार घंटे बाद ही उस गाड़ी के लिए दोबारा चालान जारी करना पड़ता है। यदि गाड़ी को पांच किमी तक जाकर बालू, गिट्टी या मिट्टी पहुंचाना हो तब भी उस गाड़ी को दूसरी जगह की ढुलाई के लिए चार घंटे बाद ही ई-चालान जारी होता है।

नई व्यवस्था प्रभावी होने से वाहनों को नए चालान के लिए बेवजह का इंतजार नहीं करना होगा। लघु खनिज ढोने के लिए वाहनों की कमी भी नहीं होगी।

साथ ही कम से कम समय में लघु खनिज को गंतव्य तक पहुंचाया जा सकेगा। जिससे राजस्व वृद्धि बढऩा तय है ऐसा सरकार ने माना है। इस व्यवस्था को इसी वित्तीय वर्ष से प्रभावी करने की विभाग की तैयारी है।

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Sharda Sinha Final Rites Live: पटना पहुंच रहा शारदा सिन्हा का पार्थिव शरीर, बेटे ने कही भावुक करने वाली बात

November 6, 2024 - 9:01am

डिजिटल डेस्क, पटना। 'बिहार कोकिला' के नाम से मशहूर लोक गायिका शारदा सिन्हा का मंगलवार रात करीब 9.20 बजे निधन हो गया। बुधवार सुबह उनका पार्थिव शरीर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (आईजीआई) एयरपोर्ट पर पहुंचा। जहां से उन्हें पटना ला जा रहा है। उनका अंतिम संस्कार पटना में ही किया जाएगा।

शारदा सिन्हा एक गंभीर ब्लड कैंसर की बीमारी से जूझ रही थीं। जिसका नाम मल्टीपल मायलोमा बताया जा रहा है। इसका निदान 2018 में हुआ था। सोमवार को उनकी हालत बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें वेंट पर रखा गया था।

शारदा सिन्हा के बेटे अंशुमान सिन्हा ने उनके अंतिम संस्कार के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि उनका पार्थिव शरीर सुबह करीब 9.40 बजे पटना पहुंचेगा।

शारदा सिन्हा के बेटे ने क्या कहा? 

अंशुमान सिन्हा ने कहा, 'हमने तय किया है कि मेरी मां (शारदा सिन्हा) का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होगा, जहां मेरे पिता का अंतिम संस्कार हुआ था... इसलिए हम उनका पार्थिव शरीर पटना ले जाएंगे...'

अंशुमान सिन्हा ने बुधवार को कहा कि यह परिवार और उनके चाहने वालों के लिए दुख की घड़ी है, क्योंकि उन्होंने छठ पूजा के पहले ही दिन अंतिम सांस ली। अपनी मां को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी।

उन्होंने आगे कहा कि यह सभी के लिए सदमे से भरी बात है। मुझे यकीन है कि उनके चाहने वाले भी मेरी तरह दुखी होंगे। उनका मातृत्व उनके गीतों के साथ-साथ उनके व्यक्तित्व में भी साफ झलकता था। वह छठ पूजा के पहले दिन हमें छोड़कर चली गईं... वह हमेशा लोगों के दिलों में रहेंगी...

मनोज तिवारी ने बिहार सरकार से की बात

दूसरी ओर, भाजपा सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ किया जाएगा।उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा का निधन एक अपूरणीय क्षति है। उनके परिवार ने तय किया है कि उनका अंतिम संस्कार बिहार में ही होगा। प्रधानमंत्री मोदी ने भी इस पर दुख जताया है।

मनोज तिवारी ने आगे कहा कि मैंने बिहार सरकार से भी बात की है, उनका अंतिम संस्कार पूरे सम्मान के साथ होगा। यह मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है।

उन्होंने कहा था कि वह मेरे घर आएंगी, लेकिन अब यह वादा अधूरा रह जाएगा। वह हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी। भगवान उनके परिवार और उनसे प्यार करने वाले सभी लोगों को शक्ति प्रदान करें।

छठ पूजा उत्सव की शुरुआत 5 नवंबर को 'नहाय-खाए' की रस्म के साथ हुई थी। शारदा सिन्हा विशेष रूप से मधुर 'छठ महापर्व' गीतों के लिए जानी जाती हैं।

सभी नेताओं ने व्यक्त किया शोक

इस बीच, प्रधानमंत्री मोदी, लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और अन्य नेताओं सहित विभिन्न राजनीतिक बिरादरियों ने शोक व्यक्त किया है।

72 वर्षीय सिन्हा ने भोजपुरी, मैथिली और हिंदी लोक संगीत में बहुत योगदान दिया है और लोक संगीत की अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों के लिए जानी जाती हैं।

बिहार के पारंपरिक लोक संगीत और अपने प्रतिष्ठित छठ गीत में अपने योगदान के लिए जानी जाने वाली शारदा सिन्हा को इस क्षेत्र की सांस्कृतिक राजदूत माना जाता है।

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Sharda Sinha News: सहेलियों संग गा रही थीं शारदा सिन्हा, प्रधानाचार्य ने बुलाकर रिकॉर्ड कर लिया था गीत

November 6, 2024 - 8:18am

जागरण संवाददाता, पटना। बिहार की लोकप्रिय गायिका के रूप में अपनी पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा खास तहजीब, अनुशासन की पक्की व आर्दश बहू, बेटी होने के साथ एक अच्छे कलाकार के रूप में लोगों के दिलों में जगह बनाए रहीं।

सुपौल जिले के हुलास गांव में जन्मीं शारदा आठ भाइयों की इकलौती बहन थीं। बचपन से ही उन्हें संगीत व नृत्य में रूचि थी। मैथिली लोक गीत से उनका प्रेम प्रगाढ़ था। बेगूसराय के सिंहमा में ससुराल थी। वे समस्तीपुर महिला कालेज में संगीत की प्रोफेसर और एचओडी के रूप में कुछ वर्षों तक सेवारत रहीं।

संगीत में उनके योगदान के लिए 1991 में पद्मश्री और 2018 में पद्मभूषण से अलंकृत किया गया था। 2016 में सुपवो ना मिले माई.. और पहिले पहल छठी मैया.. जैसे छठ गीत के साथ उनकी लोकप्रियता में चार-चांद लगा।

पांच दशकों से बिहार की लोक गायन परंपरा की सशक्त हस्ताक्षर रहीं शारदा सिन्हा के गाए गीत आज भी लोगों के दिल-ओ-दिमाग में रचे बसे हैं।

परिवार का मिलता रहा सहयोग

उन्हें बचपन से ही संगीत, नृत्य में रूचि थी। उनके पिता सुखदेव ठाकुर शिक्षा विभाग में अधिकारी थे। संगीत के प्रति उनके लगन को देख कर पिता ने भारतीय नृत्य कला मंदिर में प्रवेश दिलाया था। स्कूल के दिनों में जब वे अपनी सहेलियों के साथ गीत गा रही थीं, वहीं चुपके से हरि उप्पल (उनके शिक्षक) उनका गीत सुन रहे थे।

शारदा को प्रधानाचार्य कार्यालय में बुला कर उस गीत को टेप रिकॉर्डर में रिकॉर्ड कर लिया था। वे कई बार कार्यक्रम के दौरान कहा करती थीं कि गायन के क्षेत्र में करियर को सक्रिय बनाने में उनके परिवार का सहयोग मिलता रहा। शास्त्रीय संगीत की शिक्षा के साथ मणिपुरी नृत्य को भी जानने का अवसर मिला।

उनका विवाह बेगूसराय के दियारा क्षेत्र सिहमा निवासी ब्रजकिशोर सिन्हा से हुआ था। सास को पसंद नहीं था मेरा गाना, पति देते थे हिम्मतशारदा सिन्हा कई बार बातचीत के दौरान बताती थीं कि भैया की शादी के बाद मेरी भी शादी की तैयारी होने लगी।

पिताजी ने शादी के पहले ही लड़के वालों को बता दिया था कि मुझे संगीत और नृत्य से खास लगाव है। किस्मत से मेरी तरह मेरे पति बृजकिशोर सिन्हा को भी गीतों से खास लगाव था। 1970 में जब शादी हुई और मैं अपने ससुराल बेगूसराय गई तो वहां का माहौल बिल्कुल अलग था।

वहां का रहन-सहन, तौर-तरीका के अलावा मैथिली भी अलग ढंग से बोली जाती थी। मेरा गाना सास को पसंद नहीं था। बाद के दिनों में स्थितियां बदलने के बाद सब कुछ सामान्य हो गया।

ससुराल में रहने के दौरान पहली बार तुलसीदास की रचना मोहे रघुवर की सुधि आई... गाकर सभी को सुनाया था। गाने के बाद सभी का आशीष मिला था। इसके बाद गीत गाने का सिलसिला आगे बढ़ता गया।

छठ गीतों के प्रति बढ़ता रहा आकर्षण

शारदा सिन्हा का छठ गीतों के प्रति आकर्षण छठ घाट से हुआ था। वे बताती थीं कि बचपन से ही उनके घर में नानी पटना आकर छठ करती थीं। गंगा नदी में अर्घ्य देने जाते थे। छठ गीतों के स्वर कानों में पड़ते तो एक अलग खिंचाव होता था। इस दौरान गांव घर में गाए जाने वाले छठ गीत लिखे और रिकॉर्ड करते गए।

डोमिनी बेटी सुप लेले ठार छे... अंगना में पोखरी खनाइब, छठी मैया अइथिन आज.. मोरा भैया गैला मुंगेर... गीत को 1978 में रिकॉर्ड किया गया था। पहली बार उगो हो सूरज देव भइल अरघ केर बेर.. को लोगों का खूब प्यार मिला था।

केलवा के पात पर उगे ला सुरूज देव... हो दीनानाथ... सोना साठ कुनिया हो दीनानाथ.. आदि गीत नानी व सासु मां से सुनी थीं। इसके बाद पहली पहल हम कईनी छठी मैया व्रत त्योहार.. आदि गीत गाए।

शारदा सिन्हा के लिए हृदय नारायण ने लिखे गीत

शहर के गीतकार हृदय नारायण झा ने बताया कि शारदा सिन्हा से 20-25 वर्षों से संबंध रहा। गीत के सिलसिले में उनसे मिलना होता था। उनके लिए चार भोजपुरी, पांच मैथिली, तीन विवाह गीत, तीन सावन भजन कुल मिला कर 15 गीत लिखे थे।

इसमें छठ गीत महिमा अपार छठी मैया.. सकल जगतारिणी हे छठी मैया... नदिया के तीरे-तीरे.. कार्तिक मास इंजोरिया... पहले पहल कइलि छठ मैया वरत तोहार.. आदि गीत लिखे गए थे।

इन गीतों को आवाज शारदा सिन्हा ने दी थी। मृत्यु से कुछ दिन पहले एम्स अस्तपाल से दुखवा मिटाई छठी मैया, रउए आसरा हमार... इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित किया गया था। उन्होंने उनके गीतों को आवाज देकर अमर कर दिया।

गले को ठंडा रखने के लिए खाती थीं पान

शारदा सिन्हा मृदुभाषी होने के साथ-साथ सामान्य जीवन व्यतीत करना पसंद करती थीं। उनके करीबी रहे हृदय नारायण ने बताया कि वे भोजन भी सामान्य रूप से करती थीं। बहुत कुछ खाने-पीने का शौक नहीं था। उन्हें जो भी मिलता था बड़े शौक से खाती थीं।

वे कार्यक्रम में जाने से पूर्व गले को ठंडा रखने के लिए पान खाती थीं। ऐसा नहीं था कि वे पान की आदी थीं। वैसे भी मिथिलांचल में पान मां भगवती को प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इस कारण भी उन्हें थोड़ा बहुत पान के प्रति लगाव रहता था।

वे साथ में पान की डिब्बिया लेकर जाती थीं। हृदय नारायण झा भरे शब्दों में कहते हैं कि शारदा सिन्हा की तबीयत कोरोना के बाद से खराब बनी रही। छठ गीत को लेकर जब उनके घर गया तो वे कहती थीं कि तबीयत पूरी तरह से ठीक हो जाए तो बहुत कुछ काम करना है।

आप इंतजार करें कि हम जल्द से जल्द पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के बाद आपके साथ मिलकर कार्य करें। उन्होंने 1974 में पहली बार भोजपुरी गीत गाना शुरू किया था। भोजपुरी के गायक भिखारी ठाकुर और महेंद्र मिश्र के लिखे गीत 1979 में जगदंबा घर में दियरा बार अइनी हो.. रिकॉर्ड किया गया था।

इसके लिए एचएमवी से आर्टिस्ट आफ द इयर का पुरस्कार मिला था। उन दिनों भोजपुरी में बड़ा सम्मान माना जाता था।

आंगन से आरंभ हुआ लोक गीतों का सफर

विभिन्न भाषाओं के गीतों को आवाज देने वाली शारदा सिन्हा ने अपने गीतों की शुरूआत भाई की शादी में गीत गा कर की थी।

उन्होंने स्वयं कहा था, पहली बार मैंने अपने भाई की शादी में गीत गाए थे। शादी में भाई से नेग मांगने को लेकर उन्होंने चुकैओ, हे दुलरुआ भैया, तब जहिया कोहबर आपन.. गीत गाए थे। इनके गीत को घर में खूब सम्मान मिला था।

फिल्मों में गाने का मिला था मौका

शारदा सिन्हा ने राजश्री प्रोडक्शन की सुपरहिट फिल्म हम आपके हैं कौन का गाना बाबुल जो तुमने सिखाया... ,मैंने प्यार किया का गाना कहे तोहसे सजना ये तोहरी सजानियां... जैसे गानों को अपनी आवाज दी थीं।

उन्होंने पहली बार बालीवुड अभिनेता सलमान खान की सुपरहिट फिल्म मैंने प्यार किया के लिए गीत गाया था। इनकी आवाज को लोगों ने खूब सराहा था। इसके अलावा गैंग्स आफ वासेपुर पार्ट टू और चार फुटिया छोकरे जैसी फिल्मों में अपनी आवाज दी।

अनुराग कश्यप की फिल्म गैंग्स आफ वासेपुर में तार बिजली से पतले हमार पिया, ओ री सासु बता तूने ये क्या किया... गीत काफी लोकप्रिय हुआ। शारदा सिन्हा 2009 में बिहार विधान सभा चुनाव की ब्रांड अंबेसडर भी रहीं। 1988 में मारीशस के 20वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने गायन की प्रस्तुति से सभी का दिल जीती थीं।

शारदा सिन्हा के चर्चित गीत
  • रामजी से पूछे जनकपुर के नारी
  • केलवा के पात पर उगेलन सुरुज देव
  • कांचहि बांस के बहंगिया
  • आन दिन उगइ छ हो दीनानाथ
  • कहे तोसे सजना तोहरी सजनिया
  • बाबुल जो तूने सिखाया जो तुमसे पाया
  • तार बिजली से पतले हमारे पिया
  • पनिया के जहाज से पलटनिया बनि अइह पिया
  • पिरितिया काहे ना लगवले
  • पटना से बैदा बोलाइ द
  • बताव चांद केकरा से कहां मिले जाला
कई पुरस्कार से हुईं थी सम्मानित
  • 1991 : पद्मश्री सम्मानित
  • 2001 : संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
  • 2006 : राष्ट्रीय अहिल्या देवी पुरस्कार
  • 2015 : बिहार सरकार की ओर से सम्मानित
  • 2018 : पद्मभूषण सम्मान से सम्मानित

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Chhath Puja 2024: छठ महापर्व का दूसरा दिन आज, जानें खरना पूजा और अर्घ्य देने का समय

November 6, 2024 - 7:56am

जागरण संवाददाता, पटना। नहाय-खाय के साथ शुरू हुए लोक आस्था के महापर्व छठ का आज दूसरा दिन है। चार दिवसीय महापर्व के पहले दिन व्रतियों ने गंगा घाटों पर स्नान के बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर महाव्रत का संकल्प लिया। इसके बाद व्रतियों ने अरवा चावल, चने की दाल, कद्दू की सब्जी और आंवले की चटनी समेत कई अन्य व्यंजन तैयार किए। इनका भोग लगाने के बाद व्रती समेत स्वजनों व इष्टमित्रों ने प्रसाद ग्रहण किया।

नहाय-खाय को लेकर राजधानी के गंगा घाटों समेत अन्य नदी घाटों पर सुबह से व्रतियों का जमावड़ा लगा रहा। वहीं बुधवार को खरना के बाद 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होगा। ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल चतुर्थी में ज्येष्ठा नक्षत्र व जयद योग में पहले दिन व्रतियों ने नहाय-खाय के साथ व्रत का शुभारंभ किया। बुधवार को व्रती कार्तिक शुक्ल पंचमी के सुकर्मा योग में खरना करेंगे।

गंगा घाटों पर व्रतियों की भीड़

सुबह से ही पटना के दीघा घाट, कृष्णा घाट समेत विभिन्न गंगा घाटों पर व्रतियों और श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ने लगी। गंगास्नान के बाद नहाय-खाय और खरना प्रसाद के लिए पीतल समेत अन्य धातुओं के बर्तन में जल लेकर सभी घर लौटे। ज्योतिष आचार्य पीके युग ने बताया कि चार दिवसीय महाअनुष्ठान में भगवान भास्कर और उनकी मानस बहन षष्ठी देवी (छठी मैया) की असीम कृपा श्रद्धालुओं को प्राप्त होती है। छठ व्रत करने से लोगों के स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पड़ता है। संतान प्राप्ति, स्वास्थ्य, सुख, शांति और समृद्धि के लिए श्रद्धालु नियम धर्म के साथ व्रत करते हैं।

गंगा घाटों पर गेहूं धोते व सुखाते दिखीं व्रती

मंगलवार को गंगा घाटों पर कई व्रती गेहूं धोते और सुखाते नजर आईं। अधिकतर श्रद्धालुओं ने घरों में गेहूं धोकर सुखाए, लेकिन कुछ लोग गंगा घाटों पर भी गेंहू सुखाते नजर आए। गंगा घाटों से लेकर घरों में छठ गीतों से माहौल भक्तिमय बना रहा। सुबह से ही गेहूं पिसवाने के लिए आटा मिलों पर लोगों का तांता लगा रहा। आटा चक्की वालों ने भी पवित्रता का पूरा ध्यान रखा है। मशीनों को धोया गया है। कई आटा चक्की वाले छठ प्रसाद का गेहूं निशुल्क पीसा है।

खरना प्रसाद ग्रहण कर व्रत का लेंगे संकल्प
  • कार्तिक शुक्ल पंचमी (छह नवंबर) बुधवार को पूर्वाषाढ़ नक्षत्र व सुकर्मा योग में छठ महापर्व के दूसरे दिन व्रती खरना करेंगी। खरना में ईख के कच्चे रस या गुड़, दूध और अरवा चावल से महाप्रसाद खीर बनाया जाएगा।
  • पर्व के तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी सात नवंबर गुरुवार को धृति योग, रवियोग व जयद योग में अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। मान्यता है कि अर्घ्य देने से मानसिक शांति, उन्नति व प्रगति होती है।
  • आठ नवंबर शुक्रवार को कार्तिक शुक्ल सप्तमी उत्तराषाढ़ नक्षत्र के साथ आनंद योग, सर्वार्थ सिद्धि योग व रवियोग के सुयोग में व्रती गंगा घाट, तालाब, पार्क व घरों की छत पर बने कृत्रिम घाटों पर उदीयमान सूर्य को दूध तथा जल से अर्घ्य देकर व्रत का समापन करेंगे। इसके साथ ही 36 घंटे से जारी निर्जला उपवास का पारण हो जाएगा।

महापर्व के विशेष मुहूर्त

  • खरना पूजा- शाम 5 बजकर 29 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक
  • अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने का समय- शाम 5 बजकर 5 मिनट तक
  • उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने का समय- 6 बजकर 2 मिनट से पहले
पटना में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
  • छठ महापर्व के दौरान राजधानी में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। बिहार पुलिस मुख्यालय के स्तर से पटना, औरंगाबाद समेत कई जिलों में अतिरिक्त पुलिस बलों की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसमें बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल (बीसैप) और केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों को भी लगाया गया है।
  • इसके अलावा प्रशिक्षु दारोगा और सिपाहियों की भी तैनाती की गई है। पुलिस मुख्यालय के स्टेट पुलिस कमांड सेंटर से केंद्रीयकृत मानीटरिंग की जा रही है।
  • पुलिस मुख्यालय के अनुसार, छठ पर पूरे राज्य में 35 कंपनी बीसैप और तीन कंपनी केंद्रीय अर्द्धसैनिक बल की प्रतिनियुक्ति की गई है। इसके साथ एसपी से डीएसपी स्तर के कुल 20 अफसरों को पटना जिले में लगाया गया है। वहीं डीएसपी स्तर के चार पदाधिकारियों को औरंगाबाद जिले में प्रतिनियुक्त किया गया है।
  • इसके अलावा बिहार पुलिस अकादमी से प्रशिक्षणरत 1275 दारोगा को अपने पैतृक जिलों में प्रतिनियुक्त किया गया है। पटना समेत अन्य महत्वपूर्ण जिलों में 2450 पीटीसी प्रशिक्षु सिपाहियों को लगाया गया है।
  • आपात परिस्थितियों से निपटने के लिए गोताखोर, एसडीआरएफ, क्विक रिस्पांस टीम, चिकित्सा शिविर, नर्सिंग स्टाफ, एंबुलेंस और अग्निशमन वाहन की व्यवस्था की गई है। अराजक और असमाजिक तत्वों की गतिविधियों पर निगरानी के लिए जिला पुलिस बल को लगातार गश्ती तथा चेकिंग करने का निर्देश दिया गया है। होटल, धर्मशाला तथा सार्वजनिक स्थलों की भी पुलिस निगरानी कर रही है।
  • पुलिस मुख्यालय ने लोगों से अपील की है कि वह किसी प्रकार के अफवाहों पर ध्यान न दें। फेसबुक, एक्स, इंस्टाग्राम, यूट्यूब जैसे इंटरनेट मीडिया का दुरुपयोग न करें। इनका दुरुपयोग रोकने के लिए मीडिया सेंटर के जरिए 24 घंटे निगरानी की जा रही है। 

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Bihar Weather: खरना के दिन कैसा रहेगा बिहार का मौसम? पटना में लोगों से सावधान रहने की अपील, पढ़ें IMD का ताजा अपडेट

November 6, 2024 - 7:20am

जागरण संवाददाता, पटना। राजधानी समेत प्रदेश का मौसम छठ के दौरान शुष्क बना रहेगा। उत्तरी भागों में सुबह के समय दक्षिणी भागों की तुलना में कोहरे का प्रभाव अधिक रहेगा। पटना सहित अधिसंख्य भागों में हल्की धुंध का प्रभाव बना रहेगा। तापमान में विशेष परिवर्तन की संभावना नहीं है।

बंगाल की खाड़ी से नमी युक्त पुरवा हवा के चलने से उत्तरी भागों के कुछ स्थानों पर बादलों की आवाजाही बनी रहेगी। जबकि पटना सहित शेष जिलों का मौसम शुष्क बना रहेगा। मंगलवार को पटना सहित 24 जिलों के अधिकतम तापमान में थोड़ी वृद्धि दर्ज की गई।

पटना का अधिकतम तापमान 30.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि 33.7 डिग्री सेल्सियस के साथ सीतामढ़ी (पुपरी) में सर्वाधिक अधिकतम तापमान दर्ज किया गया। वहीं, पटना समेत नौ जिलों के न्यूनतम तापमान में वृद्धि दर्ज की गई। पटना का न्यूनतम तापमान 23.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

19.0 डिग्री सेल्सियस के साथ किशनगंज में प्रदेश का सर्वाधिक न्यूनतम तापमान दर्ज हुआ। पटना व आसपास इलाकों में पुरवा के कारण मौसम सामान्य बने होने के साथ शाम में आंशिक बादल छाए रहे। 

चार दिनों तक आसमान में छाए रहेंगे हल्के बादल

डा. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के मौसम वैज्ञानिक डा. ए. सत्तार ने बताया कि आगामी चार दिनों तक उत्तर बिहार के जिलों में मौसम साफ रहने का अनुमान है। हालांकि हल्के बादल छाए रह सकते हैं। मौसम शुष्क रहेगा।

पूर्वानुमान की अवधि में अधिकतम तापमान 29 से 32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 19 से 22 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। मंगलवार को अधिकतम तापमान 31.0 डिग्री और न्यूनतम तापमान 21.3 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया, जो सामान्य से करीब 3 डिग्री अधिक है।

अगले चार दिनों में पूर्वी हवाएं 4-5 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने की संभावना है। मौसम को देखते हुए उन्होंने किसानों को कुछ सुझाव दिए। गेहूं और चना की बुआई की तैयारी के लिए खेतों के आसपास के मेड़, नालियों और रास्तों की सफाई करने को कहा गया है।

गोबर की सड़ी खाद 150-200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से खेतों में फैलाकर अच्छी तरह मिला देने की सलाह दी गई है। रबी मक्का की बुआई के लिए संकर किस्में जैसे शक्तिमान-1 सफेद, शक्तिमान-2 सफेद, शक्तिमान-3 पीला, शक्तिमान-4 पीला, शक्तिमान-5 पीला, गंगा-11 नारंगी पीला, राजेंद्र संकर मक्का-1 और राजेंद्र संकर मक्का-2 को अनुशंसित किया गया है।

खेतों की जुताई में 100-150 क्विंटल कम्पोस्ट, 60 किलोग्राम नाइट्रोजन, 75 किलोग्राम फॉस्फोरस और 50 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर के हिसाब से डालने की सलाह दी गई है।

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Sharda Sinha Death: शारदा सिन्हा के निधन से संगीत के एक युग का अंत, अश्विनी चौबे समेत कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया

November 6, 2024 - 6:49am

जागरण संवाददाता, पटना। सुप्रसिद्ध लोक गायिका 72 वर्षीय शारदा सिन्हा ने दिल्ली एम्स में अपनी आखिरी सांस ली। इस खबर ने देशभर में उनके शुभचिंतकों को झकझोर कर रख दिया। शारदा सिन्हा के गाये छठ गीत अभी हर तरफ बज रहे हैं और इस महापर्व के बीच में उनकी निधन की खबर से प्रशंसकों में मायूसी छायी है। पीएम मोदी समेत देश के बड़े नेताओं ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।

जदयू अतिपिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश सचिव प्रशांत भवेश कुमार कन्हैया ने अपनी गहरी दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के निधन का समाचार अत्यंत हृदय विदारक है। उन्होंने अपनी मधुर आवाज और लोक संगीत के माध्यम से न केवल बिहार बल्कि पूरे देश को गौरवान्वित किया। उनके गीतों में जो आत्मीयता और संस्कृति की झलक मिलती थी, वह अमूल्य थी।

उनके बिना संगीत जगत में एक अपूरणीय रिक्तता उत्पन्न हो गई है। उनके जाने से बिहार की लोक संस्कृति ने अपना एक अनमोल रत्न खो दिया है। उनके निधन पर भाजपा के नेता मुकेश राणा, आलोक सिंह, चंपा देवी, प्रियांशु कुमार, मुस्कान आदि ने गहरा दुख व्यक्त किया। इस मौके पर इनके निधन पर कहा कि अंगिका एवं छठ गीत की अपनी छाप छोड़ गई।

शोक संवेदना व्यक्त

पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने स्वर कोकिला पद्मभूषण शारदा सिन्हा के लंबे समय से चल रहे इलाज उपरांत उनके निधन पर गहरी शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित किया है। उनके साथ ही भाजपा के पूर्व प्रत्याशी रहे डॉ. अर्जित शाश्वत चौबे ने भी शारदा सिन्हा की मृत्यु होने पर शोक संवेदना व्यक्त किया है।

शारदा अब बौकुंठवासी

अश्विनि चौबे ने कहा की शारदा जी से पिछले 40 वर्षों का मेरा पारिवारिक संबंध रहा और एक पारिवारिक व्यक्ति के चले जाने का अपार कष्ट मुझे है। साथ ही बिहार सहित देशवासियों के लिए यह काफी दुःख का विषय है कि बिहार की आन, बान और शान अब बौकुंठवासी हो गई हैं। उनका जाना एक युग के अंत जैसा प्रतीत हो रहा है। पिछले पांच दशकों से लोक गीत का अलख संपूर्ण विश्व में जगाने वाली साक्षात सरस्वती स्वरूपा अब हमसे विदा हो गई।

बाबा केदार ने बुलाया अपनी शरण

चौबे ने कहा कि उनका इन्फेक्शन बढ़ जाने के कारण थोड़ी कठिनाई बढ़ी थी और उन्हें ऐम्स दिल्ली में वेंटीलेटर पर डालना पड़ा था। मैं लगातार उनके मुख्य चिकित्सकों एवं निदेशक एम्स दिल्ली से संपर्क में था और शारदा जी के पुत्र अंशुमान से भी जरूरी बिंदुओं पर बात हो रही थी। बाबा केदारनाथ ने शारदा जी को इस शारीरिक कष्ट से निजात दिलाकर अपने पास बुला लिया है।

लोक संगीत और संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति

भाजपा ने जताया शोक, बताया अपूरणीय क्षति राज्य ब्यूरो, जागरण, पटना : भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डा. दिलीप जायसवाल और उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि शारदा सिन्हा का जाना बिहार के लोक संगीत और संस्कृति के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने अपनी अद्वितीय आवाज़ से बिहार की लोक परंपराओं को संजोए रखा और उसे देश-विदेश में ख्याति दिलाई। उनके परिवार और उनके अनगिनत प्रशंसकों के प्रति अपनी संवेदनाएं प्रकट करते हुए नेता द्वय ने ईश्वर से प्रार्थना की कि दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार को इस कठिन समय में संबल प्रदान करें।

शोकाकुल राजद परिवार ने बताया अपूरणीय क्षति

राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह, प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन और एजाज अहमद ने शारदा सिन्हा के निधन पर गहरी शोक संवेदना प्रकट की है। कहा है कि उनके निधन से बिहार और लोक गायकी के क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है। इन्होंने छठ गीत के माध्यम से एक अलग पहचान बनाई थी। नेताओं ने कहा कि निकट भविष्य में इनकी भरपाई संभव नहीं। बिहार के लिए यह शोक का विषय है और राजद परिवार उनके प्रति भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है। भगवान से प्रार्थना है कि उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। साथ ही उनके स्वजनों सहित प्रशंसकों को इस दुःख को सहने की शक्ति दें।

संवेदना प्रकट करते जसुपा ने बताया बिहार कोकिला

जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर व कार्यवाहक अध्यक्ष मनोज भारती ने सुप्रसिद्ध लोक गायिका शारदा सिन्हा के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि शारदा सिन्हा का निधन पूरे देश और खासकर बिहार वासियों के लिए एक अपार दुख है। उनके गाए लोक गीतों ने बिहार की संस्कृति को एक अलग पहचान दी है। उनके गीतों से ही छठ महापर्व पूरा होता है। देश ने उनके योगदान के लिए उन्हें पद्मश्री और पद्मभूषण से भी नवाजा है। हम प्रार्थना करते हैं कि ईश्वर उनकी दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके स्वजनों और प्रशंसकों को इस दुख को सहन करने की शक्ति दें।

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JEE Advanced 2025: खुशखबरी! जेईई एडवांस में अब तीन अटेम्पट, आयु सीमा की गई निर्धारित

November 6, 2024 - 6:47am

जागरण संवाददाता, पटना। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) की प्रवेश परीक्षा जेईई एडवांस 2025 की वेबसाइट मंगलवार को जारी कर दी गई। अगले साल परीक्षा संचालन की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को दी गई है। वेबसाइट www.jeeadvance.com पर जारी सूचना में अभ्यर्थियों को बड़ी राहत दी गई है। 

अटेंप्ट बढ़ाने की वर्षों पुरानी मांग स्वीकार कर ली गई है। अब एक विद्यार्थी तीन वर्ष में तीन बार जेईई एडवांस में शामिल हो सकेंगे। अब तक जेईई एडवांस में अवसरों की संख्या अधिकतम दो प्रयास हुआ करती थी। अब हर वर्ष दो लाख से अधिक विद्यार्थियों को आईआईटी में प्रवेश के लिए एक और प्रयास करने का अवसर मिलेगा।2018 में इसके आयोजन की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को ही मिली थी।

छह वर्ष बाद मिलती है जिम्मेवारी

14 वर्षों के आंकड़ों के आधार पर हर छह वर्ष बाद रोटेशन में पुराने आईआईटी को एडवांस आयोजन की जिम्मेदारी दी जाती है। 2018 में इसके आयोजन की जिम्मेदारी आईआईटी कानपुर को ही मिली थी। दिल्ली, बाम्बे, खडगपुर, कानपुर, मद्रास, रूडकी व गुवाहाटी ने अब तक जेईई-एडवांस आयोजित करवाई है।

2.5 लाख अभ्यर्थियों को शामिल होने का मिलेगा अवसर 

जेईई मेन की रैंक के आधार पर श्रेष्ठ 2.50 लाख अभ्यर्थियों को एडवांस में शामिल होने का अवसर मिलेगा। इसमें 10 प्रतिशत ईडब्ल्यूएस, 27 प्रतिशत ओबीसी-एनसीएल, 15 प्रतिशत एससी, 7.5 प्रतिशत एसटी और 40.5 प्रतिशत ओपन कैटेगिरी की सीटें होंगी।

2023 में 12वीं करने वाले भी करेंगे आवेदन 

2025 के जेईई-एडवांस में वर्ष 2023, 2024 और 2025 में कक्षा 12वीं की परीक्षा देने वाले विद्यार्थी शामिल हो सकेंगे। 2022 या इससे पहले 12वीं या इसके समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले परीक्षा में शामिल होने योग्य नहीं होंगे। ऐसे विद्यार्थी जिन्होंने पूर्व में आईआईटी में जोसा काउंसिलिंग के दौरान प्रवेश ले रखा है, वे जेईई-एडवांस में शामिल नहीं हो सकेंगे, जबकि जेईई-मेन क्वालीफाई कर एनआइटी में प्रवेश ले चुके हैं, वह जेईई-एडवांस दे सकेंगे। जेईई-एडवांस 26 मई या दो जून, 2025 को संभावित है।

आवेदन के लिए एक अक्टूबर, 2000 के बाद जन्म तिथि होना अनिवार्य

इस वर्ष जेईई-एडवांस के लिए आयु सीमा भी तय की गई है। ऐसे विद्यार्थी जिनका जन्म एक अक्टूबर, 2000 के बाद का है। वह आवेदन कर परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। एससी-एसटी, पीडब्ल्यूडी अभ्यर्थियों को आयु सीमा में पांच वर्ष की रियायत दी गई है। इस श्रेणी के विद्यार्थी एक अक्टूबर, 1995 के बाद जन्म लिए हैं तो आवेदन कर परीक्षा में शामिल हो सकेंगे।

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Sharda Sinha Death: छठ में अनुपस्थिति का अहसास और गाढ़ा कर गईं स्वर कोकिला, कई फिल्मों में भी भरा संगीत

November 6, 2024 - 1:29am

प्रमोद कुमार सिंह, पटना। संगीत की दुनिया में शोकगीत। उग हे सुरुजदेव, आपकी उपासिका नहीं रहीं। गाते-गाते रुला गईं। स्वर कोकिला शारदा सिन्हा के जाते ही सुर, ताल, लय और राग सब जैसे रो रहे हैं। छठ गीतों की पर्याय रहीं शारदा जी नहाय-खाय के दिन ही क्या गईं, चहुंओर पहले से सुने-सुनाए जा रहे उनके गीत उनकी अनुपस्थिति का अहसास और गाढ़ा करने लगे। वे लोक में इस तरह रच बस गई हैं, नेपथ्य में उनके गीतों के बिना सूर्यदेव को अर्घ्य कभी पूरा नहीं होगा।

भक्ति रस उनके पोर-पोर में बसा

शारदा सिन्हा के व्यक्तित्व में कई भाषाओं का समाहार था। मैथिली, भोजपुरी, मगही तीनों भाषाओं को उन्होंने साधा और गाया। यही कारण है कि भौगोलिक सीमाओं को लांघ व्यापक क्षेत्र में उनकी व्याप्ति हुई। विद्यापति के गीत-जय-जय भैरवी असुर भयावनि हो या जगदंबा घर में दीयरा बार अइनीं हो या केलवा के पात पर उग हे सुरुजदेव...दशार्ते हैं कि भक्ति रस उनके पोर-पोर में बसा था। सरस्वती उनके कंठ में वास करती थी।

हारमोनियम पर थिरकतीं अंगुलियां

मैथिल संस्कृति में पगी शारदा जी जब भोजपुरी में गाती थीं तो नहीं लगता, वह भोजपुरी भाषी नहीं हैं। मुंह में पान की लाली, सामने हारमोनियम पर थिरकतीं अंगुलियां और कंठ से गूंजते गीत उनके संपूर्ण व्यक्तित्व को दिव्य आभा प्रदान करते थे। एक साक्षात्कार के दौरान इस दिव्य देवी के दर्शन की वह छवि आज पुन: साकार हो उठी। माथे पर पल्लू डाले साक्षात सरस्वती लग रही थीं। वाणी में माधुर्य ऐसा, जैसे शहद टपकता हो।

कई फिल्मों में उन्होंने गीत गाए

उनकी ख्याति ऐसी फैली की लोक से लेकर फिल्मी दुनिया तक छा गईं। मैंने प्यार किया के गीत-कहे तो से सजना...काफी लोकप्रिय हुआ था। इसके अलावा गैंग आफ वासेपुर का गीत-तार बिजली से पतले हमार पिया, चारफुटिया छोकरे जैसे कई फिल्मों में उन्होंने गीत गाए। एक से बढ़कर एक। जैसी सादगीपूर्ण जिंदगी, वैसे ही उनके गीत। कहीं भी अश्लीलता नहीं। गाईं तो बस गाती ही चली गईं।

छठी मईया ने बेटी को गोद में ले लिया

भोजपुरी गायक भरत शर्मा व्यास ने अत्यंत भावुक होकर कहा कि शारदा जी संगीत की दुनिया की साक्षात सरस्वती थीं। उन्होंने जो भी गाया, काफी साफ-सुथरा गाया। उनका जाना संगीत की दुनिया में एक बड़ी रिक्तता छोड़ गया। वह हमेशा गीतों में जिंदा रहेंगी। भोजपुरी गीतकार मनोज भावुक ने उनके प्रति श्रद्धंजलि अर्पित करते हुए कहा कि केवल जगदंबा घर में ही नहीं, भोजपुरी के हरेक घर में लोक राग और लोक रंग का दीया बारने में शारदा सिन्हा सफल रही हैं। छठ पूजा के अवसर पर उनका विदा होना ऐसा लग रहा है जैसे छठी मईया ने अपनी इस बेटी को अपनी गोद में ले लिया है।

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Sharda Sinha: शारदा सिन्हा ने 7 साल पहले ससुराल में गाया था ये गीत, अब सोशल मीडिया पर तेजी से हो रहा वायरल

November 6, 2024 - 1:04am

विद्या सागर, पटना। सात वर्ष पूर्व अपने ससुराल में स्वर कोकिला शारदा सिन्हा ने अपने गीत से लोगों को भाव विभोर किया था। मौका था बेगूसराय जिले के मंझौली में 18 मई 2017 को आयोजित जय मंगला काबर महोत्सव का।

ससुराल में अतिथि के रूप में पहुंची शारदा सिन्हा ने मंच पर मौजूद तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद के सम्मान में मैथिली के प्रसिद्ध कवि विद्यापति की जय जय भैरव असुर-भयाउनि गीत से लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया था।

मंच से उन्होंने पांच मिनट की प्रस्तुति दी थी। अपने सुरीले स्वर में जब उन्होंने जय-जय भैरव असुर-भयाउनि, पसुपति-भामिनि माया, सहज सुमति बर दिअहे गोसाउनि अनुगति गति तुअ पाया, बासर-रैनि सबासन सोभित चरन, चंद्रमनि चूड़ा, कतओक दैत्य मारि मुंह मेलल, कतन उगिलि करु कूड़ा गाया था।

कार्यक्रम में उन्हें सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। मंलगवार को उनके निधन की सूचना के बाद उनके इस गीत का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर तेजी से प्रसारित हो रहा है।

बता दें कि शरदा सिन्हा की शादी बेगूसराय जिले के मटिहानी प्रखंड के सिहमा गांव में वर्ष 1965 में ब्रजकिशोर सिन्हा से हुई थी।

इंटरनेट मीडिया पर याद कर रहे लोग
  • एम्स में अंतिम सांस लेने की सूचना के बाद से ही पद्म भूषण से सम्मानित शरदा सिन्हा से जुड़ी स्मृतियां लोग इंटरनेट मीडिया पर साझा कर रहे हैं।
  • उनके पैतृक गांव से लेकर ससुराल तक के लोग अपनी संवेदना के साथ उनके गीतों को शेयर कर ही रहे हैं, जहां कार्यक्रम में उन्होंने अपनी प्रस्तुति दी, वहां के लोग भी उनसे जुड़ी स्मृतियों को साझा कर शब्दांजलि दे रहे हैं।
छठ का स्वर अनंत में विलीन हो गया...

लाल दमकती बिंदिया, सिंदूर भरी मांग, चश्मे के पीछे चमकती मुस्कुराती बड़ी बड़ी अंखियां, माटी की खनक, मिजाज की ठसक, गरिमा और मातृत्व से लबालब आत्मीय मुस्कान.. फोन पर "कहो मालिनी, कैसी हो" आह.. अब कभी यह छलकता स्वर सुनने को नहीं मिलेगा। जिस युग में स्त्रियों का बाहर निकलना भी एक बड़ी बात थी, आपने कला जगत में स्त्रियों की उपस्थिति को सम्मान दिलाया, सबको सिखाया कि कलाकार यदि चाहे, तो अपनी कला के दम पर अपनी माटी अपनी बोली अपने अंचल अपनी संस्कृति का पर्याय बन सकता है। भारतीय संस्कृति, और भोजपुरी को शारदा सिन्हा दीदी ने जो उत्कर्ष और गरिमा प्रदान की उसका आकलन कर पाना असम्भव है। आप जहां रहेंगी, शारदा सी सबकी प्रार्थनाओं में रहेगी। अनंत की यात्रा के लिए आपका प्रस्थान शांतिमय हो। विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं। - मालिनी अवस्थी

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Sharda Sinha: नहीं रहीं 'बिहार कोकिला', भोजपुरी गायिका शारदा सिन्हा को 6 साल पहले मिला था पद्म सम्मान

November 6, 2024 - 12:48am

जागरण संवाददाता, पटना। Sharda Sinha Passes Away संगीत की देवी और 'बिहार की स्वर कोकिला' के रूप में अपनी पहचान बनाने वालीं पद्मश्री से सम्मानित शारदा सिन्हा का निधन दिल्ली के एम्स अस्पताल में मंगलवार की रात निधन हो गया। छठ गीतों को घर-घर तक पहुंचाने वाली 72 वर्षीय शारदा सिन्हा छठ महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय पर ही छठी मंईयां की गोद में निर्वाण को प्राप्त हुईं। वे 11 दिनों से एम्स में भर्ती थीं। वे बीते छह वर्षों से ब्लड कैंसर से जूझ रही थीं।

बीते दिनों उनकी तबीयत बिगड़ने पर 26 अक्टूबर को एम्स में भर्ती कराया गया था। मंगलवार की देर रात उनके बेटे अंशुमन सिन्हा ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट कर मां शारदा सिन्हा के निधन की जानकारी दी। उनके निधन से कला जगत में शोक की लहर है।

एक अक्टूबर 1952 को बिहार के सुपौल जिले के हुलसा गांव में शारदा सिन्हा का जन्म हुआ था। हिंदी, मैथली, भोजपुरी, बज्जिका समेत अन्य भाषाओं में कई सदाबहार गीत गाने वाले लोक गायिका को भारत सरकार की ओर से पद्मश्री व पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। गायिका शारदा सिन्हा को वर्ष 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

अस्पताल से व्रतियों के लिए जारी किया था गीत

महापर्व छठ के आरंभ होने से चार दिन पूर्व उन्होंने छठ गीत दुखवा मिटाई छठी मैया, रऊए आसरा हमार.. जारी किया था। एम्स अस्पताल से ही उनके बेटे ने गीत को इंटरनेट मीडिया पर जारी कर लोगों को छठ की शुभकामना दी थी। गायिका शारदा सिन्हा को वर्ष 2018 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।

शारदा सिन्हा द्वारा छठ पूजा पर आधारित गीत हो दीनानाथ.. को लोगों ने खूब पसंद किया था। बेमिसाल शख्सियत शारदा सिन्हा को बिहार कोकिला के अलावा भोजपुरी कोकिला, भिखारी ठाकुर सम्मान, बिहार रत्न, मैथिली विभूति सहित कई सम्मान मिले हैं। शारदा सिन्हा की बिगड़ते तबीयत को देखते हुए पीएम मोदी ने अंशुमन सिन्हा से कहा था कि वे बिल्कुल मजबूती से अपनी मां का इलाज कराएं।

पति के निधन से लगा था सदमा:

इसी वर्ष 22 सितंबर को शारदा सिन्हा के पति ब्रजकिशोर सिन्हा का 80 वर्ष की उम्र में ब्रेन हेम्ब्रेज के कारण निधन हो गया था। पति के निधन के बाद शारदा सिन्हा धीरे-धीरे कमजोर होते चली गईं थीं। तबीयत बिगड़ने के बाद शारदा सिन्हा को दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। अक्टूबर में जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, तो उनकी खाने-पीने की आदतों में भी समस्या आने लगी थी।

हिंदी सिनेमा में भी गूंजे शारदा के गीत

लोक गायकी के अलावा, शारदा सिन्हा ने हिंदी सिनेमा में भी अपनी आवाज से जादू बिखेरा। उन्होंने 1989 में फिल्म मैंने प्यार किया के गीत "काहे तोसे सजना" गाकर सबका दिल जीत लिया। इसके अलावा गैंग्स आफ वासेपुर में उनके गाए "तार बिजली" और हम आपके हैं कौन का "बाबुल जो तुमने सिखाया" जैसे गीत उनकी मधुर आवाज का प्रमाण हैं। इन गीतों ने उनकी लोकप्रियता में चार चांद लगा दिए।

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