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'मीटिंग-मीटिंग खेलने में...', सियासी अटकलों के बीच Vijay Sinha का 'पंचायत-2' वाला अंदाज, बिहार में गरमाई राजनीति
राज्य ब्यूरो, पटना। Bihar Politics News Hindi उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा (Vijay Sinha) ने कहा कि लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राजग की सरकार बनने जा रही है। यही नहीं, 1962 के बाद पहली बार कोई दल या गठबंधन लगातार तीसरी बार सत्तासीन होने जा रहा है।
उन्होंने कहा कि राजग के घटक केवल सत्ता के लोभ में एकसाथ जुटे हुए दल नहीं हैं, बल्कि भ्रष्टाचार मुक्त विकसित भारत की सोच रखने वाले एक-दूसरे के स्वाभाविक सहयोगी हैं।
सत्ता के स्वार्थ से भरे मंसूबे कभी सफल नहीं होने वाले- विजय सिन्हाBihar News विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए सिन्हा ने कहा कि तुक्के से पहले की अपेक्षा कुछ ज्यादा सीटें जीत लेने वाले आईएनडीआईए के नेता अपने लिए मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखते हुए मीटिंग-मीटिंग खेलने में लग गए हैं।
उन्होंने आगे कहा कि भ्रामक बयानबाजी के जरिए सरकार को लेकर संशय पैदा करने का असफल प्रयास कर रहे हैं। उनके सत्ता के स्वार्थ से भरे मंसूबे कभी सफल नहीं होने वाले हैं।
भाजपा कार्यालय में किया गया पौधारोपणविश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर बाढ़ के मलाही स्थित भाजपा कार्यालय में बुधवार को वृक्षारोपण का कार्य किया गया। इस अवसर पर भारतीय जनता पार्टी के जिला उपाध्यक्ष राजेश सिंह राजू भाजपा कार्यालय के प्रांगण में वृक्षारोपण किया।
मौके पर बख्तियारपुर के पूर्व विधायक रणविजय सिंह उर्फ लल्लू मुखिया, युवा भाजपा नेता ललन सिंह उर्फ लल्ला सहित कई कार्यकर्तागण उपस्थित रहे।
पर्यावरण दिवस के अवसर पर राजेश सिंह राजू ने पर्यावरण को बचाने तथा लोगों को भविष्य में हीट वेव्स की चपेट से बचने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को समय समय पर एक एक वृक्ष लगाने की बात कही।
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जागरण संवाददाता, पटना। Bihar Weather Today पूर्व पश्चिम ट्रफ रेखा पूर्वी उत्तरप्रदेश से बांग्लादेश तक बना हुआ है। इनके प्रभाव से प्रदेश के तराई वाले इलाकों में गरज-तड़क के साथ आंधी-पानी की चेतावनी है। जबकि, पटना सहित दक्षिणी व उत्तरी भागों के कुछ स्थानों पर उमस भरी गर्मी का प्रभाव बना रहेगा।
बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद व अरवल में उष्ण लहर चलने का पूर्वानुमान है। मौसम विज्ञान केंद्र पटना के अनुसार पटना सहित दक्षिण भागों में शुष्क पछुआ हवा का प्रवाह जारी है। इनके कारण दिन व रात में उमस वाली गर्मी परेशान करेगी। पटना व आसपास इलाकों में दोपहर बाद बादलों की आवाजाही बनी रहेगी।
दक्षिणी भागों के कुछ हिस्सों में हवा का कम दवाब बनने के कारण धूल भरी आंधी चलने का पूर्वानुमान है। बुधवार को राजधानी का अधिकतम तापमान 38.4 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। जबकि, 43.1 डिग्री सेल्सियस के साथ औरंगाबाद सबसे गर्म रहा।
इन इलाकों में हुई इतनी बारिशBihar News वहीं, बीते 24 घंटों के दौरान पश्चिम चंपारण के त्रिवेणी में 26.2 मिमी, बांका के बौसी में 24.6 मिमी, पश्चिम चंपारण के गौनाहा में 23.3 मिमी, बांका के कटोरिया में 14.4 मिमी, सीतामढ़ी के सुरसंड में 6.8 मिमी, बांका के अमरपुर में 4.4 मिमी, पूर्वी चंपारण के चटिया में 3.5 मिमी एवं मधुबनी के सौलीघाट में 2.6 मिमी वर्षा दर्ज की गई।
पटना व आसपास इलाकों में दिन में सूर्य के तल्ख तेवर बने रहे। शाम होते ही आंशिक बादल छाए रहने से उमस भरी गर्मी का प्रभाव बना रहा।
40 के ऊपर प्रमुख जिलों का तापमानगया का अधिकतम तापमान 41.9 डिग्री सेल्सियस, बक्सर में 42.8 डिग्री, भोजपुर में 41.7 डिग्री, नवादा में 41.3 डिग्री, राजगीर 40.1 डिग्री, अरवल 42.1 डिग्री, बिक्रमगंज 42.0 डिग्री, गोपालगंज 40.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।
प्रमुख शहरों का तापमान शहर अधिकतम न्यूनतमपटना 38.4 28.0
गया 41.9 27.0
भागलपुर 37.4 27.2
मुजफ्फरपुर 34.8 27.6
(तापमान डिग्री सेल्सियस में)
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Lok Sabha Election 2024 Result: गिरिराज से लेकर राजीव प्रताप रूडी तक... चुनाव जीतने में NDA के धुंरधंरों के छूटे पसीने
रमण शुक्ला, पटना। Bihar Lok Sabha Election 2024 Result बिहार में पिछले दो चुनावों की तुलना में इस बार जीत के लिए राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को विशेष परिश्रम करना पड़ा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अधिकाधिक जनसभाएं करनी पड़ीं, फिर भी जीत का अंतर इस बार अपेक्षाकृत कम ही रहा।
2019 में बिहार में जहां मोदी की 11 जनसभा हुई थीं। इस बार उनकी संख्या बढ़कर 15 हो गई। फिर भी भाजपा, जदयू व लोजपा के कई दिग्गजों के लिए कांटे की टक्कर रही है। आखिरी क्षण में जाकर संभलने तक चढ़ने-गिरने का क्रम चलता रहा।
संभवत: ऐसा सत्ता विरोधी प्रभाव के कारण हुआ हो, लेकिन 2019 की तरह इस बार की जीत सहज नहीं रही है। तीन सीटों (सारण, शिवहर और अररिया) पर राजग प्रत्याशी 30 हजार से कम मतों के अंतर चुनाव में विजयी हुए।
इसमें सारण से भाजपा के राजीव प्रताप रूडी को 13,661 मतों के अंतर से मिली जीत भी है। 2019 में रूडी 1, 38, 429 मतों से विजयी रहे थे। उससे पहले 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को 40,948 मतों से हराया था।
वहीं, मोदी सरकार के ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री रहे गिरिराज सिंह की जीत का अंतर घट गया। 2019 में गिरिराज 4,22,217 मतों से जीते थे। 2024 में वह अंतर 81,450 का रहा गया।
मुजफ्फरपुर में भाजपा का एक और रिकार्डबिहार में मुजफ्फरपुर की जीत सबसे बड़ी रही है। भाजपा के राजभूषण चौधरी ने कांग्रेस प्रत्याशी अजय निषाद को 2,34,927 मतों से हराकर रिकार्ड बनाया है। हालांकि, इस सीट पर भी 2019 की तुलना में जीत का अंतर घट गया। पिछली बार भाजपा के टिकट पर अजय निषाद ने राजभूषण को 4,09,988 मतों से शिकस्त दी थी। इस बार बदला बराबर हुआ है।
समस्तीपुर में लोजपा की बड़ी जीतसर्वाधिक मतों से जीत की सूची में समस्तीपुर दूसरे स्थान पर है। यह रिकार्ड लोजपा की शांभवी चौधरी के नाम पर दर्ज है। उन्होंने कांग्रेस के सन्नी हजारी को 1,87,251 मतों से हराया है। शांभवी मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री और पूर्व आइपीएस अधिकारी किशोर कुणाल की पुत्रवधू हैं।
रामप्रीत की रिकॉर्ड जीतझंझारपुर से जदयू सांसद रामप्रीत मंडल ने 1,84,169 मतों से वीआइपी के प्रत्याशी सुमन महासेठ को हराया है। सर्वाधिक मतों से जीत दर्ज कराने वाले वे तीसरे प्रत्याशी रहे। रामप्रीत की जीत के पीछे इस बार पूर्व मंत्री एवं जदयू के राज्यसभा सदस्य संजय झा की साख भी जुड़ी हुई थी।
30 हजार से कम मतों से जीते दिग्गजजदयू की लवली आनंद शिवहर से (29,143), भाजपा के प्रदीप सिंह अररिया से (20,094), कांग्रेस के मनोज राम सासाराम (19157) से 30 हजार से कम मतों से जीतने वाले सांसद हैं। इसमें लवली चर्चित चेहरा रही हैं।
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Modi 3.0 बनने से पहले ही Chirag Paswan का बड़ा बयान, क्या दिल्ली से मिल गया ऑफर?Nitish Kumar: इधर नीतीश कुमार दिल्ली गए, उधर विजय सिन्हा ने दे दिया बड़ा बयान; सियासी हलचल तेज
राज्य ब्यूरो, पटना। उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा ने कहा लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राजग की सरकार बनने जा रही है। यही नहीं, 1962 के बाद पहली बार कोई दल या गठबंधन लगातार तीसरी बार सत्तासीन होने जा रही है।
सिन्हा ने आगे कहा कि राजग के घटक केवल सत्ता के लोभ में एकसाथ जुटे हुए दल नहीं हैं बल्कि भ्रष्टाचार मुक्त विकसित भारत की सोच रखने वाले एक-दूसरे के स्वाभाविक सहयोगी हैं।
विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए सिन्हा ने कहा कि तुक्के से पहले की अपेक्षा कुछ ज्यादा सीटें जीत लेने वाले आइएनडीआइए के नेता अपने लिए मुंगेरीलाल के हसीन सपने देखते हुए मीटिंग-मीटिंग खेलने में लग गए हैं।
सिन्हा ने कहा कि विपक्ष के लोग भ्रामक बयानबाजी के जरिए सरकार को लेकर संशय पैदा करने का असफल प्रयास कर रहे हैं। उनके सत्ता के स्वार्थ से भरे मंसूबे कभी सफल नहीं होने वाले।
'बिना भेदभाव के जनता की सेवा कर रहे नीतीश'जदयू के विधान परिषद् के सदस्य प्रो. गुलाम गौस कहा कि चुनाव परिणाम नें यह साबित कर दिया है कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार की सार्थकता आज भी बरकरार है। इस चुनाव में अति पिछड़ों, दलितों, महिलाओं, युवाओं तथा अल्पसंख्यकों का जदयू को भरपूर समर्थन मिला।
प्रो. गौस ने पार्टी के विजयी सभी सांसदों तथा विशेष रूप से राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार को बधाई दी है।
उन्होंने कहा है कि बिहार में विकास के नाम पर जनता ने मतदान किया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जाति, धर्म तथा क्षेत्र का भेदभाव किये बिना जनता की सेवा कर रहे हैं।
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Rahul Gandhi: बिहार में राहुल गांधी ने ऐसा क्या किया? हार कर भी कमबैक कर गई कांग्रेस
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। Lok Sabha Elections Result 2024 । बिहार में घुटनों के बल रेंग रही कांग्रेस को इस चुनाव ने बड़ा संबल दिया है। पिछली बार से उसकी सीटें ही नहीं, प्राप्त मतों में भी वृद्धि हुई है।
सीटें तो उसे परंपरागत ही मिली हैं, लेकिन पूर्णिया में निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की सफलता से उन कोनों में भी उसके लिए आस जगी है, जहां पिछले चार दशक से वह एक अदद जीत के लिए तरस रही। यह आस इसलिए भी जीवंत हो सकती है, क्योंकि कांग्रेस को मिली सफलता अपने बूते की है।
इस बार कांग्रेस को पिछली बार से दो अधिक सीटें मिली हैं और 1.44 प्रतिशत अधिक वोट। यह राहुल गांधी (Rahul Gandhi) व मल्लिकार्जुन खरगे (Mallikarjun Kharge) की सधी रणनीति का प्रतिफल है। हालांकि, मतों में वृद्धि इतनी अप्रत्याशित भी नहीं कि माना जाए कि उसे आइएनडीआइए (बिहार में महागठबंधन) के घटक दलों के वोट एकमुश्त हस्तांतरित ही हो गए।
दरअसल, सहयोगी दलों का अस्तित्व उसी जन-जमीन पर है, जो कभी कांग्रेस का आधार हुआ करता था। राजद के माय (मुसलमान-यादव) समीकरण के मुसलमान कांग्रेस के परंपरागत मतदाता हैं। वैसे ही वाम दलों की राजनीति को दमदार बनाने वाले गरीब व दलित भी।
इन दोनों वर्गों के साथ सवर्ण समाज ने गुजरे दौर में कांग्रेस को जनाधार की एक पुख्ता जमीन मुहैया कराई थी। बाद में लालू प्रसाद आदि ने उसमें सेंध लगाने की शुरुआत कर दी।
मजबूत विकल्प देख सवर्ण राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की ओर आकृष्ट हो गए और छीना-झपटी में मुसलमानों व दलितों के मत बिखरते रहे। पसमांदा के मुद्दे मुसलमानों को लुभाने के लिए उछाले गए तो महादलित का वर्गीकरण कर वंचित वर्ग को आगे बढ़ाने का उपक्रम हुआ।
कांग्रेस विधायक दल के नेता डॉ. शकील अहमद खान का दावा है कि इस बार इन वर्गों ने अपनी पुरानी प्रतिबद्धता का ख्याल रखा। इसका कारण वे कांग्रेस के पांच न्याय व 25 गारंटियों के साथ संविधान के संरक्षा-सुरक्षा की प्रतिबद्धता बता रहे। कपिलदेव प्रसाद यादव का कहना है कि परंपरागत जनाधार के साथ पिछड़ा व अति पिछड़ा वर्ग को जोड़ने के प्रयास में भी कांग्रेस पीछे नहीं रहने वाली।
भागलपुर दंगे ने कांग्रेस को दिए थे गहरे जख्मभागलपुर दंगा ने कांग्रेस को बिहार में गहरा जख्म दिया। वह प्रदेश की सत्ता से बाहर तो हुई ही, लोकसभा चुनाव में भी उसकी उपलब्धि दो-तीन सीटों तक सिमटती चली गई। उसी बीच लालू-राबड़ी का राज रहा।
लालू ने तो कांग्रेस को हाफ और वाम दलों को साफ करने तक की बात चलाई थी। समय के फेर में राजनीति ने करवट ली तो कांग्रेस की रणनीति भी बदली। कांग्रेस लालू के साथ क्या हुई कि उनकी शरण में चली गई।
2009 में अकेले लड़ा था चुनाव2009 में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अनिल शर्मा ने अकेले दम चुनाव लड़ने का साहस किया, लेकिन सफलता दो सीटों पर सिमट कर रह गई। अलबत्ता मत प्रतिशत में जो उछाल आया, उसे कांग्रेस बाद के चुनावों में प्राप्त नहीं कर पाई।
अनिल शर्मा कांग्रेस छोड़ भाजपा में जा चुके हैं। यह क्षोभ जताते हुए कि राजद से गठबंधन में कांग्रेस लालू-राबड़ी के जंगल-राज व भ्रष्टाचार के आरोपों में हिस्सेदारी से कैसे इनकार कर सकती है।
कांग्रेस के प्रति जन-विश्वास में गिरावट का यही मूल कारण है। इस गिरावट से उसकी चुनावी संभावनाएं प्रभावित हुईं तो संगठन की जड़ें भी कमजोर होती गईं। सत्ता और चुनावी सफलता के लिए संगठन का मजबूत होना जरूरी है।
ऐसा रहा है कांग्रेस का प्रदर्शनपिछली बार तो किशनगंज ने लाज रख ली, अन्यथा कांग्रेस ही नहीं, महागठबंधन की भी झोली खाली रह जाती। 2019 में कांग्रेस एकमात्र सुपौल में सफल रही थी। जदयू प्रत्याशी को पराजित कर मो. जावेद विजयी हुए थे।
2014 में किशनगंज में मो. असरारूल हक और सुपौल में रंजीत रंजन को सफलता मिली थी। 2009 में भी सासाराम में मीरा कुमार और किशनगंज में मो. असरारूल हक को सफलता मिली थी।
उससे पहले 2004 में मधुबनी में शकील अहमद खान, औरंगाबाद में निखिल कुमार और सासाराम में मीरा कुमार सफल रही थीं।
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तेजस्वी के साथ फ्लाइट में ऐसा क्या हुआ? नीतीश को PM आवास में करने पड़ गए 'साइन', मच गई खलबली
राज्य ब्यूरो, पटना। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा से कम सीटें पाने के कारण छोटे भाई करार दिए गए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज 'किंग मेकर' की भूमिका में हैं। बुधवार को राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ एक ही विमान से दिल्ली क्या गए, राजनीतिक हलके में खलबली मच गई।
यह महज संयोग था कि विमान में आगे की सीट नीतीश की थी। पीछे की सीट पर तेजस्वी बैठे थे। तेजस्वी ने उठकर उनका अभिवादन किया। कुछ देर बाद इंटरनेट मीडिया पर एक तस्वीर तैरने लगी, जिसमें नीतीश और तेजस्वी अगल-बगल में बैठे नजर आ रहे थे।
इस प्रस्ताव पर नीतीश ने किए हस्ताक्षरनीतीश ने इस मुलाकात के बारे में मीडिया के सामने कोई टिप्पणी नहीं की। बाद में वे राजग की बैठक में शामिल हुए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में पारित प्रस्ताव पर उन्होंने हस्ताक्षर किया। कहा भी कि वह राजग के साथ हैं। जदयू के 12 सांसद हैं। किसी एक दल को पूर्ण बहुमत न मिलने के कारण केंद्र में सरकार बनाने के लिए नीतीश का समर्थन अपरिहार्य माना जा रहा है।
नीतीश के साथ टीडीपी के नेता चंद्रबाबू नायडू के 16 सांसदों को जोड़ कर दावा किया जा रहा है इन दोनों की मदद के बिना केंद्र में राजग की सरकार नहीं बन सकती है। अपने-अपने राज्यों को लेकर नीतीश और नायडू की मांग एक जैसी है। दोनों क्रमश: बिहार और आंध्र प्रदेश के विकास के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रहे हैं।
JDU सूत्रों ने क्या कहा?जदयू से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नीतीश कुमार बिहार के लिए विशेष दर्जा या विशेष पैकेज के अलावा राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित गणना कराने की मांग कर सकते हैं। जदयू के सूत्र नीतीश कुमार के आइएनडीआइए से जुड़ने की संभावना से साफ इनकार करते हैं। इस सच के बावजूद कि भाजपा विरोधी दलों को एक मंच पर लाने का श्रेय नीतीश कुमार को जाता है।
उन्होंने ही भाजपा के एक के मुकाबले विपक्ष का एक उम्मीदवार देने का फॉर्मूला दिया था। लेकिन, बाद के दिनों में उन्हें उपेक्षा का अहसास होने लगा। नीतीश कुमार ने स्वयं स्वीकार किया कि आएनडीआइए के नाम पर उनकी आपत्ति थी। भाजपा विरोधी दलों को एक मंच पर लाने का श्रेय नीतीश कुमार को दिया गया।
समर्थकों की अपेक्षा थी कि उन्हें संयोजक का पद दिया जाए। आइएनडीआइए में रहते हुए ही नीतीश ने कांग्रेस की भूमिका की आलोचना की थी। इसलिए राजग से अलग होकर आइएनडीआइए को सरकार बनाने में मदद करने की चर्चाएं जदयू की ओर से निर्मूल बताई जा रही हैं।
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Modi 3.0 बनने से पहले ही Chirag Paswan का बड़ा बयान, क्या दिल्ली से मिल गया ऑफर?
राज्य ब्यूरो, पटना। लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान ने लोकसभा चुनाव में बिहार में एनडीए को जीत दिलाने के लिए जनता को धन्यवाद दिया है। बुधवार को चिराग ने पत्रकारों से कहा कि एनडीए पूरी तरह से एकजुट है और उनकी पार्टी एनडीए का हिस्सा बनी रहेगी। बिहार की जनता ने हमारी पार्टी के सभी पांच उम्मीदवारों को जीत दिलायी है। इसके लिए हम जनता के प्रति आभार प्रकट करते हैं।
एक प्रश्न के उत्तर में चिराग पासवान ने कहा कि किसी को कोई ऑफर नहीं मिला है। हम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मजबूती से सरकार बनाएंगे। शपथ लेने की तैयारी है। ये सरकार पांच साल तक चलेगी।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को सही दिशा और नेतृत्व प्रदान कर रहे हैं और देश हर क्षेत्र में मजबूती से आगे बढ़ रहा है। वहीं, चिराग पासवान दिल्ली में एनडीए की बैठक में शामिल होने के लिए दिल्ली रवाना होने से पहले बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जाकर अपने सांसदों के साथ मुलाकात की।
क्यों बढ़ी भाजपा की टेंशन?बता दें कि 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा अपने दम पर बहुमत पाने में नाकामयाब रही है। भाजपा को इस बार सिर्फ 240 सीटों पर भी संतोष करना पड़ा है।
बिहार की बात करें तो यहां भाजपा और जदयू दोनों को ही 12-12 सीटें मिली है, वहीं चिराग पासवान की रालोसपा सभी 5 सीटें जीतने में कामयाब हैं।
किंगमेकर बने नीतीश और नायडूनई सरकार के गठन में नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और आंध्रप्रदेश के चंद्रबाबू नायडू की पार्टी टीडीपी की अहम भूमिका रहने वाली है। पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर भाजपा की इन दोनों दलों पर निर्भरता बढ़ सकती है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा भाजपा इन दोनों दिग्गज नेताओं के साथ कैसे सामंजस्य बना कर रखती है।
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दिल्ली में Modi 3.0 की तैयारी, इधर 'चाचा' को साथ लाने पर तेजस्वी का ऐसा रिएक्शन; आखिर क्या है माजरा?
दिल्ली में Modi 3.0 की तैयारी, इधर 'चाचा' को साथ लाने पर तेजस्वी का ऐसा रिएक्शन; आखिर क्या है माजरा?
राज्य ब्यूरो, पटना। पूर्व उप मुख्यमंत्री और बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि बिहार किंग मेकर बनकर उभर रहा है, इसलिए जिसकी भी सरकार बनने जा रही है उस सरकार से बिहार को बेरोजगारी हटाने, पलायन रोकने और उद्योग-धंधे लगाने समेत कई शर्तो पर समर्थन मिलना चाहिए।
तेजस्वी बुधवार को पटना से दिल्ली रवाना होने के पूर्व एयरपोर्ट से स्थानीय प्रेस से बात कर रहे थे। तेजस्वी यादव ने बिना नीतीश कुमार का नाम लिए कहा कि जो नई सरकार के गठन में किंग मेकर की भूमिका में हैं उन्हें कम से कम बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलाना चाहिए।
चाचा को साथ लाएंगे?हालांकि, इस दौरान तेजस्वी यादव 'चाचा को साथ लाएंगे' का जवाब वे टाल गए और बिना वहां से कुछ कहे ही आगे बढ़ गए।
इससे पहले, उन्होंने जाति आधारित गणना के बाद बढ़ाई गई आरक्षण की सीमा को लेकर कहा कि जाति आधारित गणना करने के बाद हम लोगों ने आरक्षण की सीमा बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया है। हमारी मांग थी कि आरक्षण का जो दायरा बढ़ाया गया है उसे संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।
जाति गणना की मांग उठाईसाथ ही उन्होंने केंद्र में गठित होने वाली नई सरकार से पूरे देश में जाति गणना कराने की मांग भी उठाई। नेता प्रतिपक्ष ने संबोधन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी हमले किए और कहा हम अयोध्या जीत गए। प्रधानमंत्री जो नफरत की बातें कहते थे। मुसलमान भाइयों के बार में सदैव जहर बोलते थे आज देखिए रामजी ने भी उन्हें सबक सिखा दिया।
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सुनील राज, पटना। लोकसभा चुनाव 2024 में तमाम कोशिशों के बाद भी राष्ट्रीय जनता दल उम्मीद के अनुसार सफल नहीं हो पाया। पार्टी को उम्मीद थी कि चुनाव परिणाम में बिहार में उसे कम से कम 12 से 15 सीटें मिलेगी। महंगाई, रोजगार, नौकरी जैसे मुद्दों के साथ मैदान में डटे तेजस्वी ने पार्टी और महागठबंधन की जीत के लिए मेहनत भी खूब की।
लगातार दो महीने भीषण गर्मी में एक से दूसरे क्षेत्र में पसीना बहाते रहे, बावजूद जनता ने राजद को चार सीटों पर समेट दिया। चार का यह आंकड़ा बीते 15 वर्षों से पार्टी के साथ साए की तरह चल रहा है और पीछा नहीं छोड़ रहा।
अगर ये किया होता '4' नंबर के फेस से आ जाते बाहरपार्टी के अंदर भी इस बात की चर्चा है कि पार्टी ने थोड़ी उदारता दिखाई होती और प्रत्याशी चयन में सावधानी रखी होती तो इस चुनाव चार के फेर से बाहर जरूरत आ जाते। राष्ट्रीय जनता दल का गठन होने के बाद वर्ष 2004 में पहली बार पार्टी ने लोकसभा की 22 सीटों पर जीत दर्ज कराई थी और लालू प्रसाद किंग मेकर तक बने। उन्हें यूपीए सरकार में रेल जैसा मंत्रालय तक मिला। परंतु राजद का यह स्वर्णिम दौर ज्यादा दिनों नहीं रहा।
2009 का लोकसभा चुनाव आते-आते राजद की जमीन काफी कमजोर हो चुकी थी। राजद और कांग्रेस की दोस्ती भी टूट चुकी थी। 2009 के चुनाव में लालू प्रसाद की राजद और रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी ने मिलकर चुनाव लड़ा। लेकिन 28 सीटों पर लडऩे के बाद भी राजद को सिर्फ चार सीटों पर समर्थन मिल पाया। पार्टी में चार का फेर यहीं से प्रारंभ हुआ।
2014 का लोकसभा चुनावइसके अगली बार 2014 में लालू की राजद ने कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने लकर चुनाव लड़ा। जदयू भी एनडीए से अलग थी। उसने भी अकेले चुनाव लड़ा। मोदी की पहली लहर में हुए इस चुनाव में एक बार फिर राजद महज चार सीटों पर सिमट गया। मधेपुरा, अररिया, भागलपुर और बांका सीटें ही उसकी झोली में आईं। लेकिन 2019 का दौर राजद के लिए और मुश्किल का दौर था।
2019 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर मोदी मैजिक चला और महागठबंधन में शामिल कांग्रेस ने ही अपना खाता खोला। राजद जैसा बड़ा क्षेत्रीय दल शून्य पर सिमट गया। जबकि एनडीए का प्रदर्शन शानदार रहा और उसे बिहार में 39 सीटें मिली। अब संपन्न हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर राजद चार के फेर से बाहर नहीं आ पाया।
राजद को इस चुनाव 26 सीटों पर चुनाव लड़ने का मौका मिला। लेकिन अंतिम समय में उसने तीन सीटें वीआइपी को सौंप दी। राजद ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा। लेकिन, यहां भी पार्टी मात्र चार सीट पर ही जीत प्राप्त कर पाई। चार का फेर यहां भी उस पर भारी रहा। हालांकि पार्टी के अंदर सीट बंटवारे में उदारता न दिखाने को लेकर दबी जुबान में चर्चा जोरों पर है।
पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता भी दबी जुबान में कहते हैं कि पार्टी और चार सीट जीत सकती थी। जिन सीटों को लेकर चर्चा है उसमें पहले नंबर पर पूर्णिया है तो इसके बाद के नंबर पर आती हैं वैशाली, सिवान और नवादा की सीटें।
राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं इन सीटों के लिए पार्टी से कई उम्मीदवारों ने दावा किया, लेकिन राजद प्रमुख लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव के आगे किसी का जोर चला नहीं। अगर इन चारों सीटों पर पार्टी ने थोड़ी उदारता दिखाई होती तो पार्टी के सांसद तो आठ होते ही बीते 15 वर्षो से चार का जो फेर लगा है उससे भी पार्टी मुक्त हो जाती।
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राज्य ब्यूरो, पटना। 18वीं लोकसभा के रण में राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) को पिछली बार यानी 2019 की तुलना में सीटों के नुकसान के साथ ही इस बार मत प्रतिशत भी घट गया। इसके बावजूद लोजपा के दोनों गुटों के साथ ही 'हम' प्रमुख जीतन राम मांझी एवं रालोमो को जोड़ने का राजग को लाभ मिला।
मतों के बिखराव को कहीं न कहीं राजग साधने में सफल रहा। यह बाद दीगर है कि रालोमो के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा चुनाव हार गए। कुशवाहा हारे ही नहीं, बल्कि तीसरे नंबर पर चले गए। वहीं, 2019 में राजग को जहां 54.32 प्रतिशत मत मिला था। इस बार घटकर 47.51 प्रतिशत पर आ गया।
ऐसे में राजग को 2019 की तुलना में 6.81 प्रतिशत मत का नुकसान हुआ है। फिर भी आइएनडीआइए (इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस) की तुलना में राजग को अबकी बार 11.46 प्रतिशत अधिक मत मिले है। वहीं, आइएनडीआइए को अबकी बार 36.05 प्रतिशत मिल मत मिला है।
2019 की तुलना में यह 4.81 प्रतिशत की वृद्धि है। पिछली बार महागठबंधन 31.24 प्रतिशत कुल मत मिला था।
दलवार मत प्रतिशतराजग में दलवार देखा जाए तो भाजपा को 20.52, जदयू को 18.52 एवं लोजपा (आर) को 6.47 प्रतिशत मत मिला है। वहीं, आइएनडीआइए में राजद- 22.14 प्रतिशत, कांग्रेस- 9.20 प्रतिशत, सीपीआइएमएल- 2.99 प्रतिशत, सीपीआइ 1.30 प्रतिशत, सीपीएम 0.87 प्रतिशत मत हासिल करने में सफल रहा है।
आइएनडीआइए में वाम दलों के उम्दा प्रदर्शन के कारण सीटों की संख्या भी बढ़ी। ऐसे में आइएनडीआइए के लिए हम और रालोसपा की तुलना में इस बार वामदल ज्यादा लाभकारी प्रमाणित हुए।
वोट शेयर में सबसे खास बात ये रही कि लालू यादव की पार्टी भले ही चुनाव में कुछ खास नहीं कर सकी, लेकिन वोट शेयर के मामले में राजद सबसे अव्वल रही।
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Bihar Teacher Bharti: लोकसभा चुनाव खत्म, अब नौजवान हो जाएं तैयार... 90 हजार शिक्षकों की भर्ती
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में 90 हजार और अध्यापकों की नियुक्ति की तैयारी हो रही है। इसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा तीसरी अध्यापक नियुक्ति पुनर्परीक्षा 27 जून से 30 जून तक संभावित है। शिक्षा विभाग तथा अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण विभाग के विद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्ति के लिए सहमति दी गई है।
इस बारे में विभाग ने बिहार लोक सेवा आयोग को पत्र लिखा है।
इन जिलों में होगी परीक्षाशिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, अध्यापकों की नियुक्ति को लेकर होने वाली परीक्षा की तैयारियों के बारे में जिन जिलों को निर्देश दिया गया है उनमें भोजपुर, बक्सर, रोहतास, नालंदा, गया, नवादा, जहानाबाद, औरंगाबाद, मुंगेर, लखीसराय, बेगूसराय, बांका, खगड़िया, भागलपुर, सहरसा, कटिहार, पूर्णिया, दरभंगा, समस्तीपुर, सीतामढ़ वैशाली, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सारण, सीवान एवं गोपालगंज शामिल हैं।
27 से 30 जूनसंबंधित जिलाधिकारियों को दिए गए निर्देश के अनुसार, पुनर्परीक्षा 27 से 30 जून एकल पाली में होगी। परीक्षा के सुचारू रूप से संचालन हेतु आयोग के मापदंड के अनुरूप शैक्षणिक संस्थानों का चयन कर परीक्षार्थियों के लिए सुविधापूर्वक बैठने हेतु लगभग दो वर्गमीटर- परीक्षार्थी का स्थान निर्धारित होना चाहिए।
यह भी सुनिश्चित करने को कहा गया है कि उक्त तिथि को कोई शिक्षण संबंधी कार्य या अन्य परीक्षाएं आयोजित नहीं होनी चाहिए।
बता दें कि पहली से पांचवीं, छठी से आठवीं, नौवीं से दसवीं और ग्यारहवीं से बारहवीं कक्षा के अध्यापकों की नियुक्ति के लिए तीसरी अध्यापक नियुक्ति परीक्षा 15 मार्च, 2024 को हुई थी, लेकिन पर्चा लीक होने का मामला उजागर होने के बाद परीक्षा रद्द कर दी गयी थी।
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Nitish Kumar: उधर Modi की सरकार बनाने की तैयारी, इधर JDU ने नीतीश कुमार को लेकर कर दिया बड़ा दावा
राज्य ब्यूरो, पटना। लोकसभा चुनाव में एनडीए की जीत के लिए जदयू ने जनता को धन्यवाद दिया है। जल संसाधन व संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि राज्य की जनता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में अटूट भरोसा जताते हुए एनडीए के पक्ष में खुलकर समर्थन किया।
उन्होंने कहा कि एनडीए की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसके लिए हम जनता के प्रति आभार प्रकट करते हैं, धन्यवाद देते हैं। इस जीत ने बिहार में 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव का रास्ता साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बिहार को नेतृत्व प्रदान करेंगे, यह राज्य की जनता भी चाहती है।
'2005 से ही जनता ने नीतीश कुमार के...'उन्होंने बुधवार को जदयू मुख्यालय में पत्रकारों से बातचीत में यह बात कही। विजय चौधरी ने कहा कि 2005 से ही जनता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व के प्रति भरोसा जताया है। करीब बीस साल से नीतीश कुमार राज्य के विकास के लिए रात-दिन मेहनत कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के नतीजों से स्पष्ट होता है कि जदयू का एनडीए के साथ जाने का फैसला यहां की जनता को पसंद आया। चुनाव नतीजे का बहुत बड़ा संदेश यह भी है कि नीतीश कुमार के विकास कार्यों की छाप आज भी जनता के मन में बरकरार है।
'सरकारी विरोधी फैक्टर नहीं दिखा'विजय चौधरी ने कहा कि इस चुनाव में हमारी पार्टी के प्रदर्शन को लेकर लोग तरह-तरह की बातें करते थे, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद अब विरोधियों की आंखें खुल गई है। पूरे चुनाव में बिहार में कहीं सरकार विरोधी फैक्टर नहीं दिखा।
उन्होंने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान सभी लोकसभा क्षेत्रों में हमें जाने का मौका मिला, लेकिन कहीं भी किसी ने नीतीश कुमार के काम और उनकी ईमानदारी पर कोई सवाल खड़े नहीं किये। पत्रकार सम्मेलन में प्रदेश जदयू अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा व कोषाध्यक्ष ललन सरार्फ समेत अन्य नेता मौजूद थे।
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Bihar Election Result 2024: हारकर भी रामकृपाल ने कायम रखा पुराना रिकॉर्ड, जीतकर भी रविशंकर प्रसाद इस मामले में पिछड़े
जागरण संवाददाता, पटना। Patlipura Lok Sabha Result 2024: पाटलिपुत्र संसदीय सीट से रामकृपाल यादव (Ram Kripal Yadav) ने अपना पुराना रिकॉर्ड लगभग कायम रखा है। रामकृपाल यादव को 2019 की तुलना में मात्र दो हजार वोट ही कम आए लेकिन वे हार गए। वहीं पटना साहिब से भाजपा के रविशंकर प्रसाद को 19 हजार वोट कम मिले। कांग्रेस प्रत्याशी अंशुल अविजित कुशवाहा 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा से 1.22 लाख वोट अधिक लाकर चुनाव हार गए।
रविशंकर प्रसाद को पिछली बार से कम वोट2019 में पटना साहिब से भाजपा के रविशंकर प्रसाद को 6.07 लाख वोट मिले थे। इस बार 5.88 लाख वोट लाकर विजयी हुए। रविशंकर प्रसाद इस बार वोट पाने के मामले में 2019 की तुलना में पिछड़ गए।
रामकृपाल ने कायम रखा पुराना रिकॉर्डपाटलिपुत्र से भाजपा के रामकृपाल को 5.09 लाख वोट मिला था। इस बार वे 5.06 लाख वोट पर सिमट गए। इनके खिलाफ मीसा भारती 5.84 लाख वोट लाकर पहली बार राजद को जीत दिलाने कामयाब हुई। 2019 में मीसा को 4.70 लाख वोट मिला था। पिछले चुनाव की तुलना में मीसा को 1.14 लाख अधिक वोट प्राप्त हुए।
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Nitish Kumar: 'अगर नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बने तो...', JDU के मंत्री का दावा; पटना से दिल्ली पहुंचा मैसेज
डिजिटल डेस्क, पटना। Lok Sabha Election 2024 लोकसभा चुनाव 2024 का परिणाम आने के बाद दिल्ली में सियासत तेज है। नरेंद्र मोदी ने नई सरकार के गठन से पहल प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा भी दे दिया है। नीतीश कुमार (Nitish Kumar) भी इस समय दिल्ली में मौजूद हैं। एनडीए आज देर शाम सरकार बनाने के लिए दावा पेश कर सकता है।
इस बीच नीतीश कुमार के मंत्री जमा खान (Bihar Minister Jama Khan) ने एक बयान देकर सियासी पारा हाई कर दिया है।
'नई सरकार नीतीश कुमार के लीडरशिप में...'बिहार सरकार में मंत्री जमा खान ने बड़ा दावा करते हुए कहा कि नई सरकार नीतीश कुमार के नेतृत्व में बननी चाहिए। जमा खान ने एक चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि अगर नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनेंगे तो एनडीए के साथ और दल भी जुड़ जाएंगे।
'हमारे जैसे बहुत सारे साथ यही चाहते हैं...'मंत्री जमा खान ने कहा कि नीतीश कुमार की खास बात है यह है कि वह सबको साथ लेकर चलते हैं। वह जात-पात नहीं करते। वो सभी धर्मों को लेकर साथ चलते हैं। नीतीश कुमार प्रधानमंत्री के लायक हैं। उन्होंने कहा, "हमारे जैसे बहुत सारे साथी यही चाहते हैं कि वो (नीतीश कुमार) हमारे नेता हैं और प्रधानमंत्री बनने के लायक हैं"।
बिहार सरकार में मंत्री जमा खान ने यह भी कहा कि हमने जमीनी स्तर पर हालात देखें हैं। कार्यकर्ता भी यही चाहते हैं। एनडीए के प्रचार में भी सभी की चाहत थी कि नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाना चाहिए।
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Nitish Kumar: नीतीश कुमार बढ़ाएंगे Modi की टेंशन? सबसे करीबी नेता ने दे दिया बड़ा संकेत
राज्य ब्यूरो, पटना। लोकसभा चुनाव की मतगणना खत्म हो चुकी है। इस बार भाजपा अकेले दम पर बहुमत पाने में नाकामयाब रही है। बिहार की बात करें तो यहां भाजपा और जदयू दोनों को ही 12-12 सीटें, लोजपा रामविलास को 5 और हम को एक सीट पर जीत मिली है।
केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के लिए जदयू का एनडीए में बना रहना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। ऐसे में नीतीश कुमार भाजपा के सामने कुछ शर्त रख सकते हैं।
केंद्र में नई सरकार को सहयोग के बदले नीतीश कुमार बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर सकते है। आमंत्रण मिलने पर पार्टी के सांसद केंद्र सरकार में शामिल भी हो सकते हैं।
पार्टी के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित गणना की मांग पुरानी है। संयोग है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी इसके समर्थक हैं। मोदी ने कभी राष्ट्रव्यापी जाति आधारित गणना का विरोध नहीं किया है। जदयू चाहेगा कि केंद्र की अगली सरकार जाति आधारित गणना कराए। संसाधनों के न्यायपूर्ण वितरण के लिए यह जरूरी है।
त्यागी ने कहा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जदयू की पुरानी मांग है। यह हमारी शर्त नहीं, बल्कि अपेक्षा है। हम उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री बिहार की इस मांग का सम्मान करेंगे।
त्यागी ने कहा कि राजग की अगली सरकार को समर्थन देने के लिए जदयू कोई शर्त नहीं रखने जा रहा है। लेकिन, यह भी सच है कि बिहार के तेज विकास के लिए विशेष दर्जा जरूरी है। इससे राज्य की आर्थिक स्थिति सुधरेगी। रोजगार और नौकरियों के नए अवसर सृजित होंगे, जो राज्य के लिए जरूरी है।
मालूम हो कि लोकसभा चुनाव के लिए जारी राजद के घोषणा पत्र में राज्य को विशेष दर्जा देने का वादा किया गया था। कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी जाति आधारित गणना कराने का वचन शामिल है।
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डिजिटल डेस्क, पटना। लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट आ चुके हैं। इसी के मद्देनजर दिल्ली में प्रधानमंत्री के आवास पर NDA की बैठक जारी है। इस बैठक में बिहार से नीतीश कुमार, LJPR के चिराग पासवान और HAM के जीतन राम मांझी भी मौजूद हैं। वहीं, बैठक में पहुंचने से पहले मांझी ने प्रधानमंत्री पद को लेकर अहम टिप्पणी की।
दरअसल, इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला है। बीजेपी (BJP) महज 240 सीटें ही ला सकी। वहीं, गठबंधन के घटक दलों के साथ सरकार बनाने का दावा कर सकती है। नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू को किंग मेकर के रूप में देखा जा रहा है। इसी सियासी हलचल पर मांझी का बयान आया है।
#WATCH दिल्ली: हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा(सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा, "एकदम स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे और हम पहले से ही उनका समर्थन कर रहे हैं, आज भी करते हैं। जहां PM मोदी रहेंगे वहां हम रहेंगे।"
RJD नेता तेजस्वी यादव के बयान पर… pic.twitter.com/d2PozRT79Y
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 5, 2024 'एकदम स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी...'दिल्ली में समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में बिहार के पूर्व CM मांझी ने कहा, "एकदम स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे और हम पहले से ही उनका समर्थन कर रहे हैं, आज भी करते हैं"।
उन्होंने कहा कि जहां PM मोदी रहेंगे वहां हम रहेंगे। RJD नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) के बयान पर उन्होंने कहा, "ऐसी कोई बात नहीं है, नरेंद्र मोदी ही प्रधानमंत्री बनेंगे।"
नीतीश-तेजस्वी के साथ होने की खबर पर मांझी का रिएक्शनबुधवार को नीतीश-तेजस्वी के साथ आने को लेकर भी खूब चर्चा होती रही। दरअसल, दोनों ही नेताओं को दिल्ली में अपनी-अपनी बैठक में शामिल होना था। दोनों सुबह फ्लाइट से साथ ही दिल्ली पहुंचे। उसका वीडियो भी सामने आया। दोनों एक-दूसरे के बगल में बैठे दिखे। वीडियो आते ही कयास लगाए जाने लगे।
इस पर भी जीतन राम मांझी का बयान आया है। सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ फ्लाइट में आने पर पूर्व सीएम जीतन राम मांझी ने कहा कि यह अटकलबाजी की बात है। हर हाल में हमलोग नरेंद्र मोदी के साथ हैं। दोनों के साथ आने की खबर अफवाह है।
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Misa Bharti: मीसा भारती ने लिया Lalu Yadav की हार का बदला, चाचा को हरा इस बड़े सपने को भी कर लिया पूरा
जागरण संवाददाता, पटना। लालू यादव की बेटी मीसा भारती का लोकसभा पहुंचने का सपना आखिरकार पूरा हो गया है। वह पाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र से जीत गई हैं। जीत से उत्साहित मीसा भारती ने पाटलिपुत्र की जनता को धन्यवाद दिया है।
मीसा ने कहा कि पाटलिपुत्र की जनता ने उन्हें ऋणी बना दिया है। ये ऋण वे चुका नहीं सकतीं हैं, लेकिन जिस उम्मीद से जनता ने चुना है उसपर खरा उतरने का प्रयास करूंगी। इस जीत में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू जी का अहम योगदान है।
पाटलिपुत्र लोकसभा सीट पर मीसा भारती ने एनडीए से भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव को 71 हजार 601 वोटों से हराया है। मीसा को 5 लाख 48 हजार 625 तो रामकृपाल यादव को 4 लाख 77 हजार 24 मत मिले।
ऊपर-नीचे होती रही सासेंपाटलिपुत्र लोकसभा सीट में 32 चक्र की मतगणना में अंत तक आगे-पीछे का खेल चलता रहा। प्रत्याशियों से समर्थकों तक की सांसें ऊपर-नीचे होती रहीं।
आखिर देरशाम मीसा भारती ने पिता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की 2009 में हुई हार का बदला ले लिया है। उन्होंने दो बार यहां से सांसद रहे एनडीए के भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव को 71 हजार 601 मतों से हरा दिया।
पाटलिपुत्र में 22 प्रत्याशी मैदान में थे और नोटा के तहत 5069 मत गिरे। इस क्षेत्र की दानापुर , मनेर, फुलवारी, मसौढ़ी, पालीगंज व बिक्रम विधानसभा क्षेत्र हैं। यहां पहले भी कड़ी टक्कर रहती थी। 2019 में 57.23 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। 25 उम्मीदवार थे। उस समय बीजेपी से तत्कालीन सांसद रामकृपाल यादव ने मीसा भारती को 39 हजार से अधिक वोटों से हराया था।
2014 में बीजेपी के राम कृपाल यादव को 3 लाख 83 हजार 262 और मीसा भारती को 3 लाख 42 हजार 940 वोट मिले थे। उस समय तीसरे स्थान पर जेडीयू के रंजन प्रसाद यादव रहे थे, जिन्हें 97 हजार 228 व सीपीआइएमएल प्रत्याशी रामेश्वर प्रसाद को 51 हजार 623 वोट मिले थे। इस प्रकार मीसा भारती से पहले के चुनावों के तुलना में रामकृपाल को अबतक के सबसे अधिक अंतर से हराया है।
पाटलिपुत्र में राजद की पहली जीत2008 में पहली पटना लोकसभा सीट को तोड़कर पटनासाहिब व पाटलिपुत्र में बांटा गया था। इसके बाद से यह पहली बार है, जब पाटलिपुत्र लोकसभा सीट में राजद के किसी प्रत्याशी ने जीत हासिल की है। इस सीट से पूर्व में मीसा भारती के पिता राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को भी जदयू के रंजन प्रसाद यादव ने भारी मतों से हराया था।
लालू-राबड़ी और तेजस्वी ने लगाया था जोरपाटलिपुत्र संसदीय क्षेत्र में बढ़े मतदान के बाद से कई जानकार इस रिजल्ट का कयास लगा रहे थे। ऐसा हुआ भी। कई राउंड की मतगणना में रामकृपाल को एकाध बार ही बढ़त मिली। मीसा भारती शुरू से बढ़त बनाए हुईं थीं। लगातार दो बार उनसे मात खा चुकी राजद प्रत्याशी ने इस बार पूरी जोर लगा दी थी।
मीसा भारती की जीत के लिए खुद पिता लालू यादव, मां राबड़ी देवी, भाई तेजस्वी और तेजप्रताप ने उनके लिए जोरदार प्रचार-प्रसार किया। राहुल गांधी ने भी सभा की, नतीजा हुआ की मीसा भारती वोटरों को रिझाने में सफल हुईं।
पटना साहिब से एक बार फिर रविशंकर की जीतपटना साहिब में एनडीए से भाजपा प्रत्याशी रविशंकर प्रसाद तो पाटलिपुत्र से आइएनडीआइए से राजद प्रत्याशी मीसा भारती ने चुनाव जीत लिया है। रविशंकर प्रसाद जहां 2019 में 2 लाख 84 हजार 657 वोटों से जीते थे, वहीं इस बार उन्होंने निकटतम प्रतिद्वंद्वी आईएडीआईए के कांग्रेस प्रत्याशी अंशुल अविजित कुशवाहा काे 1 लाख 53 हजार 846 मत से हराया। रविशंकर को 5 लाख 88 हजार 270 तो अंशुल को 4 लाख 34 हजार 424 वोट मिले।
पटना साहिब में रविशंकर दूसरी, भाजपा लगातार चौथी जीतहाईप्रोफाइल व कायस्थ बहुल सीट पटना साहिब हमेशा से भाजपा का गढ़ रही है। 2009 व 2014 में एनडीए के भाजपा प्रत्याशी शत्रुघ्न सिन्हा तो 2019 में रविशंकर प्रसाद रिकार्ड 2 लाख 84 हजार 657 मतों से विजयी रहे थे।
इसके पूर्व जब जिले में सिर्फ पटना लोकसभा सीट थी तो 2004 में यहां से राजद के टिकट पर रामकृपाल यादव चुनाव जीते थे और 2014 में भाजपा में शामिल हो गए थे। इसके पूर्व पटना लोकसभा सीट से भाजपा के डॉ. सीपी ठाकुर तीन बार लोकसभा पहुंचे थे।
इस बार रविशंकर प्रसाद को 5 लाख 88 हजार 470 तो अंशुल को 4 लाख 34 हजार 42 वोट मिले। यहां नोटा के तहत 5559 मतदान हुआ। यहां कुल 17 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे थे। यहां के छह विधानसभा क्षेत्रों में से बख्तियारपुर व फतुहा में लगातार कांग्रेस प्रत्याशी अंशुल बढ़त बनाए रहे। हालांकि, शहरी क्षेत्र पटना साहिब, कुम्हरार, दीघा व बांकीपुर के मतदाताओं ने रविशंकर को कड़े संघर्ष के बाद जिता दिया।
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Nitish Kumar: 'प्रधानमंत्री पद के लिए...', नीतीश का नाम लेकर Chirag Paswan का बड़ा बयान; सियासी पारा हाई!
डिजिटल डेस्क, पटना। Chirag Paswan On Nitish Kumar दिल्ली में हो रही NDA की बैठक को लेकर सियासी गलियारों में खूब चर्चा है। बैठक में बिहार से नीतीश कुमार, चिराग पासवान और मांझी मौजूद हैं। बैठक में पहुंचने से पहले लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक बयान दिया, जिसकी खूब चर्चा है।
चिराग पासवान ने कहा, "मेरे सीएम चट्टान की तरह मजबूती से एनडीए के साथ खड़े हैं... एनडीए एकजुट है। नीतीश कुमार ने गठबंधन के रूप में हमारे प्रदर्शन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है"।
#WATCH | Delhi: LJP (Ram Vilas) chief and Hajipur MP Chirag Paswan says, "My CM strongly stands with the NDA like a rock... NDA stands united. Nitish Kumar has played an important role in our performance as an alliance... We have handled Bihar very well and nitish Kumar has a big… pic.twitter.com/XUCz4Cg9Cg
— ANI (@ANI) June 5, 2024 'नीतीश को अहम भूमिका निभानी है...'लोजपा (रा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हमने बिहार को बहुत अच्छे से संभाला है और नीतीश कुमार को इसमें बड़ी भूमिका निभानी है। प्रधानमंत्री के चेहरे को लेकर चल रही चर्चाओं पर भी उन्होंने स्पष्ट जवाब दिया। चिराग ने कहा कि पीएम पद के लिए कोई वैकेंसी नहीं है। वहीं, कैबिनेट में कौन होगा इसका फैसला पूरी तरह से प्रधानमंत्री का होगा।
लोकसभा चुनाव 2024 के परिणामलोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम आ गए हैं। एनडीए को देश में 292 सीटें मिली हैं। बीजेपी अपने दम पर बहुमत का आंकड़ा क्रॉस नहीं कर सकी। वहीं, आईएनडीआईए गठबंधन को 234 सीटें मिली हैं। 17 सीटें अन्य को मिली हैं। इस सबके बीच दिल्ली में एनडीए की बैठक हो रही है।
चिराग पासवान की 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेटलोकसभा चुनाव परिणाम में चिराग पासवान का फिर उदय हुआ है। चिराग पासवान की पार्टी LJPR ने पांच सीटों (समस्तीपुर, जमुई, हाजीपुर, खगड़िया और वैशाली) पर चुनाव लड़ा और सभी जीती। चिराग ने खुद हाजीपुर सीट को जीतकर ये बता दिया कि उनके पास ही रामविलास पासवान की असली विरासत है।
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Misa Bharti: ' बस दो दिन रुक जाइए फिर...', चुनाव जीतते ही मीसा भारती का बड़ा एलान, बुरी तरह भड़क सकती है BJP
जागरण संवाददाता, पटना। Bihar Political News Today: पाटलिपुत्र लोकसभा सीट में 85 हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज करने वालीं मीसा भारती देर शाम चुनाव जीतने के बाद बड़ा एलान कर दिया। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को ही खुली चुनौती दे डाली। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी को इस बार किसी भी हालत में प्रधानमंत्री नहीं बनने दूंगी।
बस एक-दो दिन रुक जाइए...मीसा भारती चुनाव आयोग के दफ्तर में प्रमाणपत्र लेने पहुंची थीं। प्रमाणपत्र लेने के बाद जीत से गदगद डा. मीसा भारती ने कहा कि बस दो दिन रुक जाइए फिर आइएनडीआइए की सरकार ही बनेगी। मोदी को किसी हाल में तीसरी बार प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे। एक-दो दिन इंतजार करिए तस्वीर साफ हो जाएगी।
मेरी जीत पाटलिपुत्र के युवाओं, महागठबंधन के नेताओं और आमजन की जीतमीसा भारती ने कहा कि यह पाटलिपुत्र के युवाओं, महागठबंधन के नेताओं और आमजन की जीत है। उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र की जनता ने मुझे ऋणी बना दिया। मैं यह ऋण चुका तो नहीं सकती, लेकिन उन्होंने जिस उम्मीद से मुझे चुना है, मैं उस पर खरा उतरने का पूरा प्रयास करूंगी।
मीसा भारती की जीत में लालू प्रसाद का अहम योगदानइस जीत में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद का अहम योगदान है। उनके साथ भाई तेज प्रताप यादव, भाई विरेंद्र, रामानंद यादव भी थे। बताते चलें कि पाटलिपुत्र लोकसभा सीट में पहली बार किसी राजद प्रत्याशी ने जीत दर्ज कराई है।
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Lok Sabha Election Result: पुरानी पिच पर दौड़ पड़ी कांग्रेस, नए मैदान में लड़खड़ा गई; सिर्फ 33% स्ट्राइक रेट
राज्य ब्यूरो, पटना। महागठबंधन के नेतृत्वकर्ता राजद के एकतरफा निर्णय के कारण कांग्रेस इस बार अपनी कई परपंरागत सीटों को छोड़ते हुए नए मैदान में संघर्ष के लिए विवश थी। प्रचार के दौरान समन्वय की भी कमी रही। उसकी भरसक उपेक्षा हुई। इसके बावजूद अपने प्रदर्शन में सुधार करते हुए वह तीन सीटों पर सफल रही है।
यह 33 प्रतिशत से अधिक की स्ट्राइक रेट है। पूर्णिया में निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के विजय को भी कांग्रेस की सफलता मानें तो उसकी सीटें चार हो जाती हैं। ये चारों कांग्रेस की परंपरागत सीटें हैं और पिछले दो-तीन चुनावों से इनमें से तीन (किशनगंज, कटिहार, सासाराम) उसकी झोली में आती-जाती रही हैं।
पूर्णिया में पिछले दो चुनावों से वह निकटतम प्रतिद्वंद्वी रही है। हर बार की तरह इस बार भी कांग्रेस की सफलता अपने जनाधार के दम पर ही है। ऐसा पार्टी के दिग्गजों का दावा है, जो सामने मुखर होने से परहेज कर जाते हैं। सवर्ण, अनुसूचित जाति और मुस्लिम वर्ग में कांग्रेस का जनाधार रहा है। इस बार उसके खाते में आया सासाराम संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है।
किशनगंज और कटिहार में उसके दो मुस्लिम प्रत्याशी विजयी रहे हैं। उनमें से एक पूर्व केंद्रीय मंत्री तारिक अनवर हैं और दूसरे मो. जावेद। सासाराम में सफल रहे मनोज कुमार पिछली बार बसपा के टिकट पर मात खा गए थे। कांग्रेस में आते ही प्रत्याशी बन सफल रहने वाले वे नए उदाहरण हैं।
पिछली बार किशनगंज को जीत महागठबंधन की लाज एकमात्र कांग्रेस ने ही रखी थी। 2014 में वह जिन दो क्षेत्रों में सफल रही, उनमें सुपौल के साथ किशनगंज संसदीय क्षेत्र भी था। सुपौल में पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन विजयी रही थीं, जो अभी राज्यसभा की सदस्य हैं। 2009 में बिहार में कांग्रेस के मात्र दो प्रत्याशी सफल रहे थे।
सासाराम में मीरा कुमार और किशनगंज में मो. असरारूल हक। उससे पहले 2004 में मधुबनी, औरंगाबाद और सासाराम में सफलता मिली थी। 2004 से पहले की चुनावी उपलब्धि में आज के झारखंड का भी उल्लेख करना होता है, क्योंकि तब बिहार और झारखंड संयुक्त थे।
इस बार महागठबंधन में कांग्रेस को मात्र नौ सीटें मिली थीं। उनकी भी घोषणा 29 मार्च को हुई, तब तक पहले चरण के तहत चार संसदीय क्षेत्रों में नामांकन की तिथि निकल चुकी थी। वस्तुत: वह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की चालाकी थी, क्योंकि कांग्रेस की परंपरागत औरंगाबाद सीट पहले चरण की चुनावी प्रक्रिया के दायरे में थी और लालू उस मैदान से कांग्रेस को बेदखल करने की ठान रखे थे।
पूर्णिया के संदर्भ में लालू के एकतरफा निर्णय को कांग्रेस ने इस विवशता में स्वीकार किया, क्योंकि राजद की मंशा कटिहार को लेकर भी ठीक नहीं थी। राजद के राज्यसभा सदस्य रहे अशफाक करीम ऐसा बता चुके हैं। अंतत: सीटें तय हुईं तो प्रत्याशियों के नाम पर सर्व-सम्मति को लेकर पेच फंसता रहा। वह पेच सामाजिक समीकरण को लेकर ही था।
सामाजिक समीकरण के कारण उसने कई संसदीय क्षेत्रों में पुराने दावेदारों को दरकिनार करते हुए नई उम्मीदों पर दांव लगाया। उनमें समस्तीपुर में सन्नी हजारी तो नवागत ही थे और महाराजगंज में आकाश प्रसाद सिंह की उम्मीदवारी का एकमात्र आधार पिता डा. अखिलेश प्रसाद सिंह रहे।
भागलपुर में विधायक अजीत शर्मा अनुभवी प्रत्याशी थे, लेकिन मतदाताओं को साध नहीं पाए। मुजफ्फरपुर में अजय निषाद को भाजपा ने एंटी-इनकंबेंसी के कारण ही बेटिकट किया था। वह कांग्रेस की संभावना वाली सीट भी नहीं थी।
पटना साहिब में अंशुल अविजीत का नाम आखिरी क्षण में तय हुआ, तब तक भाजपा का प्रचार अभियान काफी आगे बढ़ चुका था। पश्चिम चंपारण में पूर्व विधायक मदन मोहन तिवारी अनुभवी प्रत्याशी तो थे, लेकिन सीमित दायरे के कारण संभावना कम थी। कांग्रेस के लिए उससे बेहतर बगल की वाल्मीकिनगर सीट थी, जहां वह उप चुनाव में लगभग 20 हजार मतों से पिछड़ गई थी।
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