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Sebi yet to clear HDB, Hero FinCorp IPOs; talk of breach of some rules

Business News - March 19, 2025 - 6:02am
Mumbai: The proposed initial public offerings (IPOs) of two large non-banking financial firms-HDB Financial Services and Hero FinCorp-are facing delays in securing approvals from the country's capital markets regulator.According to sources familiar with the matter, the Securities and Exchange Board of India has held back its green light for the much-awaited public issues so far, as share sales by these companies could have inadvertently ended up violating rules that govern unlisted companies.The application for Hero FinCorp's proposed IPO has been pending with Sebi for the past eight months while HDB's application has been pending for four months.While the exact nature of the alleged breach could not be ascertained, it could have involved the pre-IPO share sales of these companies, they said.The Companies Act restricts unlisted companies from adding more than 200 shareholders in a financial year. Also, such firms cannot sell shares through private placement to over 50 persons at a time. Similarly, shares issued through private placement to public shareholders in a span of six months would be considered a public offer.Sebi did not respond to ET's queries. HDFC Bank said its subsidiary, HDB Financial Services, has filed its draft red herring prospectus with Sebi and is awaiting final observations. "We believe that there is no non-compliance," said an HDFC Bank spokesperson.119184027A Hero Fincorp spokesperson denied non-compliance with the Companies Act. "We unequivocally state that the company has not raised capital beyond the prescribed threshold of 200 investors at any time following the applicability of the Companies Act, 2013."Securities lawyers said selling by existing shareholders, which could have led to a broad-basing of the investor base in a financial year, could also be a reason.Hero FinCorp, an associate of two-wheeler major Hero MotoCorp, filed its draft red herring prospectus for its ₹3,668 crore public issue. HDB Financial submitted its draft documents for a ₹12,500 crore IPO.According to the processing status of draft offer documents on the Sebi website, comments have been sought from other regulators and government agencies for Hero FinCorp. For HDB Financial, the status indicates that the last communication was either issued or received on February 14, 2025.HDB now has more than 41,409 public shareholders. In 2024, the company issued over 1.7 million shares to employees through stock option exercises. Shares of HDB Financial are currently trading at around ₹1,050 in the unlisted market. Reserve Bank of India's guidelines require HDB Financial to be listed by September 2025 as the firm has been classified as 'upper layer' under Scale Based Regulation for NBFCs for 2024-25.Hero FinCorp had 7,452 public shareholders holding a 20.42% stake in the company as of August 2024. The company's shares are trading at ₹1,400-1,450 in the unlisted market.Lawyers said the regulator could consider easing some of these rules to allow faster listing of companies in such instances."Regulators should move towards a materiality-based approach, where companies can justify that a prior sale was not intended to circumvent IPO eligibility and still be allowed to proceed with listing," said Sonam Chandwani, managing partner, KS Legal & Associates. "The current rigid framework, while ensuring compliance, often hinders capital market access for legitimate businesses, necessitating a structured relaxation mechanism where issuers can rectify violations within a specified timeframe without outright rejection of their IPO plans."
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Bihar: पीके बोले, लालू से सीखे कोई बच्चों की चिंता करना; मांझी ने कहा- तेजस्वी का परिवार कैंसर प्रोडक्ट

Dainik Jagran - March 19, 2025 - 6:00am

राज्य ब्यूरो, पटना। जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) ने मंगलवार को बयान जारी कर कहा कि बच्चों की चिंता करना कोई लालू प्रसाद से सीखे। बेटा (तेजस्वी यादव) नौवीं पास भी नहीं है, फिर भी लालू को चिंता है कि वह बिहार का राजा बन जाए।

उन्होंने आगे कहा, दूसरी तरफ बिहार के आम लोग हैं, जिनके बीए-एमए पास बच्चों को नौकरी नहीं मिल रही। हैरानी की बात यह कि आम लोगों को इसकी चिंता नहीं। अब भी बिहार के लोग जाति और धर्म में उलझे हुए हैं। बयान के बाद शाम में पीके एक इफ्तार पार्टी में सम्मिलित हुए।

जसुपा के विधान पार्षद आफाक अहमद और पूर्व विधान पार्षद रामबली चंद्रवंशी ने इसका आयोजन किया था। वहां मीडिया से बातचीत में पीके ने कहा कि अगर संसद से वक्फ संशोधन कानून पास होता है तो इसके लिए भाजपा के साथ नीतीश कुमार भी जिम्मेदार होंगे।

पीके ने कहा कि जदयू के पास इस कानून को पास होने से रोकने के लिए पर्याप्त संख्या है। जसुपा इस कानून के विरुद्ध है।

मांझी ने भी लालू परिवार को घेरा

हम के संरक्षक एवं केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने तेजस्वी यादव के बयान की निंदा करते हुए उन्हें और उनके परिवार को राजनीति से संन्यास लेने को कहा है।

मांझी ने मंगलवार को एक्स पर लिखा- जिस चुनाव आयोग के द्वारा आयोजित मतदान की प्रक्रिया से तेजस्वी यादव और उनके परिवार के लोग विधायक, सांसद बनें हैं अब उसी चुनाव आयोग को तेजस्वी यादव के द्वारा कैंसर बताना शर्मनाक है। यदि तेजस्वी जी की नजर में चुनाव आयोग कैंसर है तो तेजस्वी यादव और उनके परिवार के लोगों को कैंसर प्रोडक्ट माना जाएगा और ऐसे कैंसर प्रोडक्ट को राजनीति से संन्यास ले लेना चाहिए।

एनसीआरबी के नाम पर अपराध का फर्जी आंकड़ा परोस रहे तेजस्वी: नीरज

दूसरी ओर, जदयू के मुख्य प्रवक्ता एवं विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव की ओर से जारी अपराध के आंकड़े को चुनौती दी है। उन्होंने मंगलवार को कहा कि नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो ने 2025 के लिए अपराध का आंकड़ा जारी ही नहीं किया है। तेजस्वी किस आधार पर पिछले 20 साल के अपराध का आंकड़ा जारी कर रहे हैं। उसे एनसीआरबी का आंकड़ा बता रहे हैं।

मालूम हो कि सोमवार को तेजस्वी ने दावा किया था कि पिछले 20 वर्षों में 60 हजार लोगों की हत्या हुई है। वे इसे नेशलन क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो का आंकड़ा बता रहे थे। नीरज ने कहा कि एनसीआरबी की 2023 की रिपोर्ट में 2022 तक का ही आंकड़ा उपलब्ध है।

उन्होंने एनसीआरबी के आंकड़े के आधार पर कहा कि राज्य में 2006 से 2022 के बीच हत्या की 52, 249 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि स्टेट क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार 1990 से 2005 के बीच 67, 249 लोगों की हत्या हुई। इसका मतलब है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कार्यकाल में हत्या की वारदातें कम हुईं।

नीरज ने केंद्र ओर राज्य सरकार के अपराध रिकार्ड के हवाले से कहा कि 1990-2005 के बीच राज्य में पुलिसकर्मियों पर 5330 हमले हुए। इस क्रम में 1901 पुलिसकर्मी बलिदान हुए। 321 पुलिस थाने पर हमले हुए। नक्सली हमले की संख्या 2448 थी। 2006-2022 के बीच 1245 पुलिसकर्मियों पर हमले हुए।

317 पुलिसकर्मियों को जान गंवानी पड़ी। पुलिस थानों पर 210 हमले हुए। नक्सली हमलों की संख्या 753 रही। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष जनता को गुमराह कर रहे हैं। एनसीआरबी के नाम पर फर्जी आंकड़ा परोस रहे हैं।

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Manipur Violence: मणिपुर दौरे पर जाएंगे सुप्रीम कोर्ट के छह जज, राहत शिविरों का लेंगे जायजा

Dainik Jagran - National - March 19, 2025 - 5:30am

 पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई और पांच अन्य न्यायाधीशों का एक प्रतिनिधिमंडल 22 मार्च को जातीय हिंसा से प्रभावित मणिपुर में राहत शिविरों का दौरा करेगा।

राहत शिविरों का दौरा करेंगे

नालसा ने कहा कि जस्टिस गवई, जो नालसा के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं, शीर्ष कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत, विक्रम नाथ, एमएम सुंद्रेश, केवी विश्वनाथन और एन. कोटिस्वर सिंह के साथ मणिपुर हाई कोर्ट के द्विवार्षिक समारोह के अवसर पर राहत शिविरों का दौरा करेंगे।

50,000 से अधिक लोग विस्थापित

नालसा ने 17 मार्च को जारी बयान में कहा, ''तीन मई, 2023 की विनाशकारी सांप्रदायिक ¨हसा के लगभग दो वर्ष बाद, जिसके कारण सैकड़ों लोगों की जान चली गई और 50,000 से अधिक लोग विस्थापित हो गए, कई लोग पूरे मणिपुर में राहत शिविरों में शरण लिए हुए हुए हैं।''

आवश्यक राहत सामग्री वितरित की जाएगी

बयान में कहा गया है कि शीर्ष अदालत के जजों का दौरा इन प्रभावित समुदायों को कानूनी और मानवीय सहायता की निरंतर आवश्यकता को रेखांकित करता है। नालसा ने कहा कि इस दौरे के दौरान जस्टिस गवई इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम और उखरुल जिलों में नए कानूनी सहायता क्लीनिकों के अलावा राज्यभर में कानूनी सेवा शिविरों और चिकित्सा शिविरों का वर्चुअल उद्घाटन करेंगे। इस दौरान आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आइडीपी) को आवश्यक राहत सामग्री वितरित की जाएगी।

कांग्रेस ने किया स्वागत

कांग्रेस ने मणिपुर के राहत शिविरों का दौरा करने के सुप्रीम कोर्ट के जजों के फैसले का स्वागत किया है। कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने सुप्रीम कोर्ट के अगस्त, 2023 के फैसले को याद किया जिसमें उसने कहा था कि पूर्वोत्तर राज्य में संवैधानिक तंत्र पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।

जयराम रमेश ने सरकार की आलोचना की

सरकार की आलोचना करते हुए जयराम रमेश ने मणिपुर पर मोदी की ''चुप्पी'' पर सवाल उठाया। कहा, ''वह दुनियाभर में जाते हैं, असम जाते हैं, अन्य जगहों पर जाते हैं, लेकिन मणिपुर नहीं जाते हैं, जबकि राज्य के लोग उनके दौरे का इंतजार करते रहते हैं।''

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'डच कंपनियां पाकिस्तान को हथियार देना बंद करें', नीदरलैंड के रक्षा मंत्री रुबेन से राजनाथ सिंह की दो टूक

Dainik Jagran - National - March 19, 2025 - 5:30am

पीटीआई, नई दिल्ली। सीमा पार आतंकवाद पर चिंता जताते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड के रक्षा मंत्री रुबेन ब्रेकेलमैन्स से आग्रह किया कि डच कंपनियां पाकिस्तान को हथियार, मंच और तकनीकें देना बंद करें। सिंह ने यह भी कहा कि इन मंचों या तकनीकों से पाकिस्तान ने क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को भारी नुकसान पहुंचाया है।

सूत्रों का कहना है कि भारत दौरे पर आए नीदरलैंड के रक्षा मंत्री रुबेन ब्रेकेलमैन्स से मंगलवार को मुलाकात के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भारत-प्रशांत क्षेत्र, एआइ समेत विभिन्न तकनीकों और रक्षा सहयोग पर बातचीत की। उन्होंने इसके बाद एक्स पर पोस्ट में कहा कि वह दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने पर सहमत हैं।

डच कंपनियां पाकिस्तान को हथियार देना बंद करें : राजनाथ

राजनाथ सिंह ने नीदरलैंड के रक्षा मंत्री रुबेन से कहा कि पिछले कई दशकों में सीमा पार पाकिस्तान से किए जा रहे आतंकवाद के कारण भारत ने बहुत मुसीबतें उठाई हैं। इसलिए वह आग्रह करते हैं कि नीदरलैंड के रक्षा मंत्री डच कंपनियों को पाकिस्तान को हथियार और अन्य संसाधन मुहैया कराने से रोकें। जबकि नीदरलैंड के रक्षा मंत्री रुबेन ब्रेकेलमैन्स ने कड़े लहजे में यूक्रेन पर रूस के हमले का विरोध किया है।

उन्होंने इसकी निंदा करते हुए कहा कि वह अस्वीकार है और यह हर तरह से अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि रूस और यूरोप से बहुत अच्छे संबंध रखने वाला भारत एक शांतिपूर्ण प्रस्ताव में अपनी अहम भूमिका निभा सकता है।

यूक्रेन के सबसे बड़े समर्थकों में से एक नीदरलैंड

नीदरलैंड के रक्षा मंत्री ब्रेकेलमैन्स ने यूक्रेन का भरपूर समर्थन करते हुए उसे युद्ध में सैन्य समर्थन देते हुए उन्होंने कहा कि वह यूक्रेन के सबसे बड़े समर्थकों में से एक हैं। भविष्य में रूस के किसी हमले से बचने के लिए यूक्रेन की सैन्य सहायता बढ़ाने के साथ ही एक शांति समझौते के प्रस्ताव के लिए भी भारत का समर्थन जुटाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत और नीदरलैंड मुक्त व खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार के साझा हितों पर जोर देंगे। जबकि अंतरराष्ट्रीय कानून का आदर नहीं करने वाले चीन जैसे देशों से भी सावधान रहेंगे।

रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर हुई द्विपक्षीय बातचीत

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दिन में नीदरलैंड के रक्षा मंत्री रुबेन ब्रेकेलमैन्स के साथ नई दिल्ली में रक्षा क्षेत्र में सहयोग पर द्विपक्षीय बातचीत की। रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी करके कहा कि दोनों रक्षा मंत्रियों ने रक्षा, सुरक्षा, सूचनाओं के आदान-प्रदान, भारत-प्रशांत महासागर क्षेत्र और उभरती तकनीकों के क्षेत्र में गहन विचार-विमर्श किया।

रक्षा मंत्रालय के अनुसार नई दिल्ली में 17-19 मार्च को रायसीना डायलाग शामिल होने आए डच रक्षा मंत्री रुबेन ब्रेकेलमैन्स ने राजनाथ सिंह से रक्षा संबंधों पर गहन बातचीत की है।

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हरीश साल्वे ने 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' विधेयक का किया समर्थन , पूर्व जज ने इसे संविधान का उल्लंघन बताया

Dainik Jagran - National - March 19, 2025 - 2:38am

पीटीआई, नई दिल्ली। विधि क्षेत्र की दो प्रमुख हस्तियों हरीश साल्वे और एपी शाह ने संसद की एक समिति के समक्ष एक राष्ट्र- एक चुनाव को लेकर अलग-अलग विचार व्यक्त किए।

वरिष्ठ अधिवक्ता साल्वे ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून संवैधानिक आवश्यकताओं को पूरा करता है जबकि विधि आयोग के पूर्व अध्यक्ष एपी शाह ने इसे संविधान का उल्लंघन बताया और कहा कि इस विधेयक को कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

शाह ने कई बिंदुओं पर विधेयक को गलत ठहराया

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश शाह ने कई बिंदुओं पर विधेयक को गलत ठहराया, जिसमें राज्य विधानसभा चुनावों को स्थगित करने की सिफारिश करने के लिए चुनाव आयोग को दी गई शक्ति भी शामिल है।

कुछ सांसदों ने कहा कि शाह ने दावा किया कि यह विधेयक संविधान, लोकतांत्रिक सिद्धांतों और संघीय ढांचे का उल्लंघन करता है। हालांकि, साल्वे ने उन तर्कों को खारिज कर दिया कि एक राष्ट्र-एक चुनाव संबंधी विधेयक संविधान की बुनियादी संरचना और संघीय सिद्धांतों के खिलाफ है।

चौधरी ने बैठक को सकारात्मक बताया

उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव विधि और संविधान सम्मत है। विधेयक लोगों के मतदान के अधिकार पर अंकुश नहीं लगाता है। साल्वे और शाह दोनों से लगभग पांच घंटे की बैठक में भाजपा सांसद पीपी चौधरी की अध्यक्षता वाली समिति के सदस्यों ने अलग-अलग सवाल पूछे। चौधरी ने बैठक को सकारात्मक बताया। उन्होंने बताया कि जहां साल्वे को करीब तीन घंटे लगे वहीं शाह का सत्र दो घंटे में समाप्त हुआ।

साल्वे पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति के सदस्य भी थे, जिसने लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने की सिफारिश की थी।

एक साथ चुनावों से बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन की बचत होगी

शाह उन कानूनी विशेषज्ञों में शामिल थे जिनके विचार समिति द्वारा मांगे गए थे और माना जाता है कि उन्होंने एक राष्ट्र-एच चुनाव के प्रस्ताव पर अपनी असहमति व्यक्त की जबकि अधिकांश विशेषज्ञ इसके पक्ष में थे। शाह ने इस विचार का भी समर्थन नहीं किया कि एक साथ चुनावों से बड़ी मात्रा में सार्वजनिक धन की बचत होगी।

विधानसभा चुनाव पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए होने चाहिए

सूत्रों के अनुसार, शाह ने समिति को बताया कि विधानसभा चुनाव पूरे पांच साल के कार्यकाल के लिए होने चाहिए। विधेयक में प्रस्ताव है कि एक साथ चुनाव कराने संबंधी कानून के अधिसूचित हो जाने पर सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव अगले संसदीय चुनाव के साथ ही कराए जाएंगे, भले ही उनके कार्यकाल की अवधि कितनी भी शेष क्यों न हो।

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'बीमा कंपनियों को दावे की राशि दावेदार के खाते में भेजने का निर्देश दें', जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्यों दिया ये आदेश

Dainik Jagran - National - March 19, 2025 - 2:34am

 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अदालतों और न्यायाधिकरणों से कहा कि वे बीमा कंपनियों को निर्देश दें कि वे अनावश्यक देरी से बचने के लिए दावे की राशि सीधे दावेदारों के बैंक खातों में स्थानांतरित करें। जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने मोटर दुर्घटना दावा मामले में यह निर्देश दिए।

मुआवजे पर कोई विवाद नहीं

इसमें कहा गया है कि जहां मुआवजे पर कोई विवाद नहीं है, वहां बीमा कंपनियों द्वारा अपनाई जाने वाली सामान्य प्रक्रिया यह है कि वे इसे न्यायाधिकरण के समक्ष जमा करा देते हैं। उस प्रक्रिया का पालन करने के बजाय न्यायाधिकरण को सूचित करते हुए हमेशा दावेदार के बैंक खाते में राशि हस्तांतरित करने का निर्देश जारी किया जा सकता है।

एक बार जब राशि न्यायाधिकरण के समक्ष जमा हो जाती है, तो दावेदार को वापसी के लिए आवेदन करना पड़ता है। आम तौर पर दावेदारों को अपना पैसा 15-20 दिनों से पहले नहीं मिलता।

मामले पर फैसला सुनाते हुए पीठ ने न्यायाधिकरणों के समक्ष लंबित दावों की मांग करने वाले मोटर दुर्घटना मामलों की बढ़ती संख्या का भी उल्लेख किया। पीठ ने कहा कि 2022-23 के अंत तक न्यायाधिकरणों के समक्ष पूरे देश में 10,46,163 दावा मामले लंबित थे। 2019-20 के अंत तक यह संख्या 9,09,166 से बढ़ गई। तीन वर्षों के भीतर 1,36,997 मामलों की वृद्धि हुई।

सुप्रीम कोर्ट ने 1986 में नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में सजा बरकरार रखी

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को 1986 में एक नाबालिग लड़की के साथ दुष्कर्म के लिए ट्रायल कोर्ट द्वारा एक व्यक्ति को दी गई सजा को बरकरार रखा तथा पीड़िता और उसके परिवार के सदस्यों के जीवन के भयावह अध्याय के समापन के लिए चार दशक के लंबे इंतजार पर अफसोस जताया।

जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने राजस्थान राज्य द्वारा दायर अपील को स्वीकार कर लिया तथा हाई कोर्ट के जुलाई 2013 के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें व्यक्ति को बरी कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले से निपटने के हाई कोर्ट के तरीके पर आश्चर्य व्यक्त किया और अपने फैसले में पीड़िता का नाम आने पर नाराजगी जताई।

21 वर्षीय व्यक्ति को दोषी ठहराया और सात साल की जेल की सजा सुनाई

नवंबर 1987 में एक ट्रायल कोर्ट ने तत्कालीन 21 वर्षीय व्यक्ति को दोषी ठहराया और सात साल की जेल की सजा सुनाई। पीठ ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के पीछे मुख्य तर्क नाबालिग पीड़िता सहित अभियोजन पक्ष के गवाहों के बयान थे।

पीठ ने कहा कि यह सच है कि पीड़िता ने अपने खिलाफ अपराध के बारे में कुछ भी नहीं बताया है। घटना के बारे में पूछे जाने पर ट्रायल कोर्ट के जज ने दर्ज किया कि पीड़िता चुप थी और आगे पूछे जाने पर उसने केवल आंसू बहाए और इससे ज्यादा कुछ नहीं।

यह चुप्पी प्रतिवादी के लाभ के लिए नहीं हो सकती- कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हमारे विचार में इसे प्रतिवादी के पक्ष में एक कारक के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। पीड़िता के आंसुओं को उनके महत्व के अनुसार समझना होगा। यह चुप्पी प्रतिवादी के लाभ के लिए नहीं हो सकती है।

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EC: 'चुनाव आयोग वेबसाइट पर बूथ वार मतदान आंकड़ा प्रकाशित करने पर चर्चा को तैयार', ईसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा

Dainik Jagran - National - March 19, 2025 - 2:30am

 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को चुनाव आयोग के उस रुख पर विचार किया, जिसमें उसने अपनी वेबसाइट पर बूथवार मतदान का आंकड़ा अपलोड करने की मांग पर चर्चा करने की बात कही है। अदालत ने याचिकाकर्ताओं को 10 दिनों के भीतर चुनाव आयोग के समक्ष अपनी प्रस्तुति देने के लिए कहा है।

पीठ ने इस याचिका पर की सुनवाई

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा और एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफा‌र्म्स द्वारा 2019 में दायर जनहित याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी।

इन याचिकाओं में चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह लोकसभा और विधानसभा चुनावों में मतदान समाप्ति के 48 घंटे के भीतर अपनी वेबसाइट पर बूथवार मतदान का डाटा अपलोड करे।चुनाव आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस मुद्दे पर चर्चा करना चाहते हैं।

याचिकाकर्ता चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुति दे सकते हैं

उन्होंने कहा- ''अब एक नए मुख्य चुनाव आयुक्त हैं। याचिकाकर्ता उनसे मिल सकते हैं और इस मुद्दे को सुलझाया जा सकता है।'' चीफ जस्टिस ने कहा कि याचिकाकर्ता चुनाव आयोग के समक्ष प्रस्तुति दे सकते हैं और आयोग उन्हें सुनवाई का अवसर देगा। प्रस्तुति 10 दिनों के भीतर दी जाए।

सुनवाई के दौरान, एनजीओ की ओर से पेश अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि ईवीएम की गिनती और मतदान केंद्रों पर आने वाले व्यक्तियों की संख्या में भारी विसंगतियां थीं।

महुआ मोइत्रा की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने तर्क दिया कि दिन के अंत में 10 का मतदान अगले सुबह 50 कैसे हो गया, इसे समझाने की जरूरत है। मामले में अगली सुनवाई अब 28 जुलाई को होगी।

चुनाव आयोग अपने सॉफ्टवेयर में फर्जी वोटरों का पता लगाने को पेश करेगा नया विकल्प

तृणमूल कांग्रेस द्वारा फर्जी मतदाताओं का मुद्दा उठाए जाने के बीच चुनाव आयोग ने फर्जी मतदाताओं का पता लगाने के लिए अपने सॉफ्टवेयर में एक नया विकल्प पेश करने का फैसला किया है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि नए विकल्प से निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों (ईआरओ) को यह पता लगाने में मदद मिलेगी कि किसी विशेष वोटर आईकार्ड संख्या (ईपीआइसी नंबर) से कई नाम जुड़े हैं या नहीं। सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को इस फैसले के बारे में सूचित कर दिया गया है।

अधिकारी ने कहा कि सोमवार को राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को एक पत्र भेजा गया था, जिसमें उन्हें डुप्लीकेट ईपीआइसी नंबर को सही करने के लिए एक नए माड्यूल के बारे में बताया गया है।

मतदाता सूची में सुधार 21 मार्च तक पूरा करने का आदेश

बंगाल के कार्यवाहक मुख्य निर्वाचन अधिकारी दिव्येंदु दास ने सोमवार को जिलों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक वर्चुअल बैठक की और फैसले के बारे में जानकारी दी। कहा कि बंगाल की मतदाता सूची में सुधार 21 मार्च तक पूरा करने का आदेश दिया गया है।

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कोरोना में अधिक फीस लेने वाले यूपी के निजी स्कूलों की जांच के लिए बनी समिति, कोर्ट के आदेश को चुनौती दी

Dainik Jagran - National - March 19, 2025 - 2:25am

 पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश के 17 निजी स्कूलों की वित्तीय स्थिति की जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति गठित की। इन स्कूलों ने कोविड-19 महामारी के दौरान ली गई 15 प्रतिशत अतिरिक्त फीस को समायोजित करने या वापस करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।

तथ्यों और खातों की जांच की आवश्यकता

चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। आदेश में कहा गया है, इस मुद्दे पर प्रत्येक मामले में तथ्यों और खातों की जांच की आवश्यकता है।

इन परिस्थितियों में हम दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस जीपी मित्तल और चार्टर्ड अकाउंटेंट आदिश मेहरा की सदस्यता वाली एक समिति गठित करते हैं जो खातों की जांच करेगी और निर्दिष्ट अवधि के दौरान संबंधित स्कूलों की वित्तीय स्थिति के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

17 निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी

गौरतलब है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों को निर्देश दिया था कि वर्ष 2020-2021 के दौरान जब महामारी अपने चरम पर थी तो अभिभावकों द्वारा भुगतान की गई फीस का 15 प्रतिशत समायोजित करें या इसे वापस करें। इस आदेश को चुनौती देते हुए 17 निजी स्कूलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

बहरहाल, पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट ने प्रत्येक निजी स्कूल के तथ्यों और वित्तीय परिस्थितियों पर विचार किए बिना ''व्यापक ²ष्टिकोण'' अपनाया है और इसे लागू रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।

आपको प्रत्येक मामले पर गौर करना होगा

हाईकोर्ट के आदेश के बाबत चीफ जस्टिस ने कहा, ''आपको प्रत्येक मामले पर गौर करना होगा।'' निजी स्कूलों ने दलील दी कि महामारी के दौरान कुछ स्कूलों में कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतन में कटौती के अलावा मानव संसाधन का नुकसान भी हुआ।

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