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Kerala: लड़की ने चार महीने की चचेरी बहन की कर दी हत्या, जानें क्यों उठाया जानलेवा कदम

Dainik Jagran - National - March 19, 2025 - 1:23am

 आईएएनएस, कन्नूर। केरल के कन्नूर के पास 12 साल की एक लड़की ने एक कुएं में फेंककर अपनी चार महीने की चचेरी बहन की हत्या कर दी, यह बात उसने पुलिस के सामने कबूल कर ली है। सोमवार की रात को, तमिलनाडु के मूल निवासी मुथु और अक्कमल की चार महीने की बेटी यासिका लापता हो गई, जिसके बाद उसकी तलाश की गई।

मुथु के भाई की बेटी ने अपराध कबूल कर लिया

कुछ घंटों के बाद, यासिका का शव उसके घर के एक कुएं से निकाला गया। कई दौर की पूछताछ के बाद, नाबालिग आरोपी, मुथु के भाई की बेटी ने अपराध कबूल कर लिया। पिछले साल मुथु के भाई की मौत के बाद, 12 साल की लड़की उसके परिवार के साथ रह रही है। सुबह से ही पुलिस मुथु, उसकी भतीजी और अक्कमल से पूछताछ कर रही है, बाद में 12 साल की लड़की टूट गई।

पूछताछ के दौरान नाबालिग आरोपी ने खुलासा किया

मुथु और उसकी पत्नी कूड़ा बीनकर अपना गुजारा करते थे और जब दंपत्ति काम पर जाते थे तो मुथु की भतीजी यासिका की देखभाल करती थी। पूछताछ के दौरान नाबालिग आरोपी ने खुलासा किया कि यासिका के जन्म के बाद उसे लगा कि मुथु और अकम्मल का प्यार और स्नेह उनके नवजात शिशु पर आ गया है।

मुथु के पड़ोसी अजयकुमार ने कहा कि आरोपी हमेशा अपनी बहन के साथ यहां दिखाई देती थी और सामान खरीदने के लिए दुकान पर जाती थी। हम इस खबर को सुनकर स्तब्ध हैं।

एक अन्य पड़ोसी यूसुफ ने कहा, "मैं उसके चेहरे से समझ सकता था कि 12 वर्षीय बच्ची ने अपराध किया है। इसके अलावा, सोमवार को नाबालिग आरोपी ने कहा कि जब यासिका लापता हुई, तो वह शौच के लिए बाहर गई थी। जब लड़की से पूछा गया कि उसे वापस आने में कितना समय लगा, तो उसने कहा कि 10 मिनट। जब उसने इतना समय बताया, तो मुझे यकीन हो गया कि उसने अपराध किया है।"

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Business News - March 19, 2025 - 12:34am
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60 दिनों में हो जाएगा भारत के साथ FTA, न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने जताई उम्मीद

Dainik Jagran - National - March 19, 2025 - 12:16am

पीटीआई, नई दिल्ली। न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन ने मंगलवार को कहा कि वह 60 दिनों में भारत के साथ एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए उत्सुक हैं और इस कदम से दस सालों में द्विपक्षीय व्यापार में 10 गुना वृद्धि होने की उम्मीद है। लगभग 10 वर्षों के अंतराल के बाद भारत और न्यूजीलैंड ने रविवार को आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावित मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत फिर से शुरू करने का एलान किया है।

आइए रिश्ते को आगे बढ़ाएं: लक्सन

न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री 16 मार्च से चार दिवसीय यात्रा पर यहां आए हुए हैं। उद्योग संगठन फिक्की द्वारा आयोजित भारत-न्यूजीलैंड आर्थिक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए लक्सन ने कहा, ''आइए इस रिश्ते को आगे बढ़ाएं और मैं प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 60 दिनों के भीतर उस समझौते पर हस्ताक्षर करने की प्रतीक्षा कर रहा हूं।'' व्यापार विशेषज्ञों के अनुसार, वार्ता में मुश्किल बिंदु सेब, कीवी, डेयरी और वाइन जैसे कृषि उत्पादों पर शुल्क रियायतें होंगी।

10 साल में 10 गुना वृद्धि की संभावना

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि हमें अगले 10 सालों में 10 गुना वृद्धि हासिल करने की पूरी संभावना है। गोयल ने कहा, ''अगर हम पूरक अर्थव्यवस्था की भावना से काम करते हैं तो शायद ही कोई ऐसी चीज हो जिस पर हम एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा करें। कुछ संवेदनशील बिंदुओं पर हम बहुत आसानी से आगे बढ़ सकते हैं, क्योंकि आज दोनों देशों में विकास के अलग-अलग स्तर और समृद्धि है।''

बंदूक रखकर नहीं किया जा सकता समझौता

अमेरिका सहित विभिन्न देशों के साथ चल रही व्यापार वार्ता के बारे में गोयल ने कहा, 'मैंने हमेशा कहा है कि कोई भी मुक्त व्यापार समझौता कभी भी किसी के सिर पर बंदूक रखकर नहीं किया जाता है। इस संबंध में कोई भी समयसीमा या अंतिम तिथि नहीं हो सकती है, लेकिन आकांक्षी होना अच्छा है।'

2010 में शुरू हुई थी बातचीत

भारत और न्यूजीलैंड ने वस्तुओं, सेवाओं और निवेश में व्यापार को बढ़ावा देने के लिए अप्रैल, 2010 में व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (सीईसीए) पर बातचीत शुरू की। हालांकि, नौ दौर की चर्चाओं के बाद 2015 में वार्ता ठप हो गई थी।

थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआइ) के अनुसार, न्यूजीलैंड के साथ भारत के प्रस्तावित एफटीए से घरेलू कंपनियों को सीमित लाभ होगा, क्योंकि वे पहले से ही बड़ी संख्या में वस्तुओं के लिए उस बाजार में शुल्क मुक्त पहुंच का आनंद ले रहे हैं।

न्यूजीलैंड का औसत आयात शुल्क भारत के 17.8 प्रतिशत की तुलना में सिर्फ 2.3 प्रतिशत है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में 87.3 करोड़ डॉलर, जबकि 2022-23 में यह 1.02 अरब डॉलर था।

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Domestic gas consumption slows down

Business News - March 18, 2025 - 11:58pm
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SC: जजों के खिलाफ लोकपाल की सुनवाई मामले में रंजीत कुमार न्यायमित्र नियुक्त, हाईकोर्ट जज पर भ्रष्टाचार का आरोप

Dainik Jagran - National - March 18, 2025 - 11:30pm

 पीटीआई, नई दिल्ली। हाई कोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत पर लोकपाल के सुनवाई करने के मामले पर सुप्रीम कोर्ट 15 अप्रैल को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट स्वत: संज्ञान लेकर इस मामले पर सुनवाई कर रहा है।

जज के खिलाफ शिकायत सुनने पर नाराजगी जताई

सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार को इस मामले में न्यायमित्र नियुक्त किया है। इससे पहले सुनवाई में जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अभय ओक की पीठ ने सुनवाई के दौरान लोकपाल के हाई कोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत सुनने पर नाराजगी जताई।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 फरवरी को लोकपाल के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा था कि यह बहुत ही परेशान करने वाला है और न्यायपालिका की स्वतंत्रता से संबंधित है। पीठ ने उन न्यायाधीश के नाम का खुलासा करने पर भी रोक लगा दी है, जिनके खिलाफ लोकपाल ने शिकायत सुनी।

शिकायतकर्ता भी मंगलवार को पीठ के समक्ष पेश हुआ

लोकपाल से जज की शिकायत करने वाला शिकायतकर्ता भी मंगलवार को पीठ के समक्ष पेश हुआ और अपना लिखित बयान सौंपा। सालिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और बीएच मार्लापल्ले लोकपाल के अधिकार क्षेत्र के खिलाफ सुनवाई के दौरान दलीलें पेश की।

तुषार मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट के जज के खिलाफ शिकायत पर सुनवाई करना लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है और सिर्फ लोकपाल कानून के एक सेक्शन की जांच करने की जरूरत है। पीठ का कहना है कि हाई कोर्ट के जज संवैधानिक शक्ति हैं और लोकपाल उनके खिलाफ शिकायत नहीं सुन सकते।

क्या है पूरा मामला

दरअसल बीती 27 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एएम खानविलकर की अध्यक्षता वाले लोकपाल ने अपने आदेश में कहा कि लोकपाल एक्ट के तहत हाई कोर्ट के न्यायाधीश भी लोकपाल के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। लोकपाल ने यह टिप्पणी एक शिकायत पर सुनवाई करते हुए की।

शिकायत में आरोप लगाया गया कि एक निजी कंपनी से जुड़े मामले में हाई कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश ने अतिरिक्त जिला जज और एक अन्य हाई कोर्ट के जज को प्रभावित करने की कोशिश की। लोकपाल ने देश के मुख्य न्यायाधीश से इसे स्पष्ट करने की मांग की थी।

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शहरी सुधार की जमीन बनाएगा अर्बन चैलेंज फंड, हुडको ने किया आंध्र प्रदेश सरकार से हुआ समझौता

Dainik Jagran - National - March 18, 2025 - 11:30pm

 जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली शहरी विकास के लिए इस साल बजट में घोषित की गई अर्बन चैलेंज फंड योजना के प्रति राज्यों ने उत्साह दिखाया है और इसके लिए फंडिंग की जिम्मेदारी संभालने वाले हुडको को भरोसा है कि यह कार्यक्रम शहरों को बुनियादी रूप से मजबूत करेगा।

केंद्र सरकार 25 प्रतिशत की सहायता देगी

अर्बन चैलेंज फंड योजना के तहत शहरों में विकास के प्रोजेक्टों के लिए केंद्र सरकार 25 प्रतिशत की सहायता देगी और इतना ही पैसा राज्यों को देना है, जबकि बाकी 50 प्रतिशत राशि शहरी निकाय बैंक कर्ज, बांड अथवा पीपीपी मॉडल के जरिये खुद जुटाएंगे।

हुडको के सीएमडी संजय कुलश्रेष्ठ ने मंगलवार को कहा कि यह योजना राज्यों को सुधार के लिए प्रोत्साहित करने वाली है। कई राज्यों ने शुरुआती स्तर पर इसके प्रति रुचि प्रदर्शित की है और वे पानी-बिजली की ऑडिटिंग और मीटरिंग जैसे जरूरी सुधार भी कर रहे हैं।

नतीजे कई वर्षों में दिखेंगे

कुलश्रेष्ठ के मुताबिक यह सतत चलने वाली प्रक्रिया है और इसके नतीजे कई वर्षों में दिखेंगे। हुडको के जरिये इस योजना का वित्त पोषण किया जाएगा। पीएम आवास योजना (शहरी और ग्रामीण), स्मार्ट सिटी, अमृत, स्वच्छ भारत मिशन तथा जल जीवन मिशन जैसे कई महत्वपूर्ण केंद्रीय कार्यक्रमों में शामिल हुडको को इस साल बजट में घोषित की गई औद्योगिक श्रमिकों के लिए आवासीय योजना की भी जिम्मेदारी दी गई है।

पूरी परियोजना दो चरणों की है

कुलश्रेष्ठ ने बताया कि उनका संगठन आंध्र प्रदेश की नई राजधानी अमरावती के विकास के लिए 11,000 करोड़ रुपये का कर्ज देगा। 8352 वर्ग किमी क्षेत्र में बसाए जा रहे शहर के लिए कुल 67000 करोड़ रुपये खर्च किए जाने हैं। पूरी परियोजना दो चरणों की है।

एडीबी से 13500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया

पहले चरण में निर्माण लागत 29194 करोड़ रुपये है, जबकि दूसरे में 37,806 करोड़ खर्च होंगे। पहले चरण के लिए आंध्र प्रदेश ने कैपिटल रीजन डेवलपमेंट ऑथारिटी ने हुडको से 11,000 और विश्व बैंक तथा एडीबी से 13500 करोड़ रुपये का कर्ज लिया है।

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भाजपा ने विपक्ष को बताया 'औरंगजेब फैन क्लब', सुधांशु त्रिवेदी बोले- 'ये मुगल सम्राटों की करते हैं तारीफ'

Dainik Jagran - National - March 18, 2025 - 11:17pm

पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महाकुंभ पर दिए गए बयान के बाद लोकसभा में विपक्ष की आलोचना के जवाब में मंगलवार को भाजपा ने विपक्ष पर तीखा हमला किया। भाजपा ने विपक्ष को 'औरंगजेब फैन क्लब' कहकर तंज कसा, क्योंकि उन्होंने इस विशाल धार्मिक आयोजन में भाग नहीं लिया।

भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि ये वही लोग हैं जो मुगल सम्राट की महानता की प्रशंसा करते हैं। वे मोदी की महाकुंभ की प्रशंसा को सहन नहीं कर सके, जिसने भारतीयों को इस ऐतिहासिक और अभूतपूर्व क्षण में गर्व से भर दिया।

त्रिवेदी ने कहा कि कुछ नेता हर चीज में नकारात्मकता खोजते हैं, चाहे वह महाकुंभ जैसा भव्य और ऐतिहासिक आयोजन ही क्यों न हो। उन्होंने दावा किया कि 'औरंगजेब फैन क्लब' को छोड़कर सभी ने इस विशाल धार्मिक आयोजन में भाग लिया।

भाषा के नाम पर बांट रहा विपक्ष

राज्यसभा सदस्य ने कहा कि जो लोग सनातन धर्म को मिटाने के लिए समर्पित हैं, उन्हें इसमें कुछ भी अच्छा नहीं लगा और उन्होंने राम मंदिर के उद्घाटन के बाद भी वहां का दौरा नहीं किया। विपक्षी नेताओं पर तंज कसते हुए उन्होंने दावा किया कि वे क्षेत्र, भाषा और जाति के नाम पर समाज को विभाजित करने का काम करते हैं, लेकिन उनके प्रयास संगम में करोड़ों भक्तों के पवित्र स्नान के साथ धुल गए।

विकास की सराहना नहीं कर सकता विपक्ष

पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता संबित पात्रा ने कांग्रेस नेताओं राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित अन्य विपक्षी नेताओं पर आरोप लगाया कि वे भारत की प्रतिष्ठा और समाज में एकता को बढ़ाने वाले किसी भी विकास की सराहना नहीं कर सकते। पुरी के सांसद पात्रा ने कहा कि चाहे वह जी20 का आयोजन हो या भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था, इन नेताओं ने हमेशा आलोचना की।

उन्होंने कांग्रेस प्रवक्ता शमा मोहम्मद की भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान रोहित शर्मा पर की गई टिप्पणी का भी हवाला दिया, जबकि टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही थी और भारत ने चैंपियंस ट्राफी तक जीती। पात्रा त्रा ने कहा कि मोदी ने सदन में महाकुंभ के भव्य आयोजन और भारत की आध्यात्मिकता के बारे में बात की। सभी ने उन्हें सुना और उनकी प्रशंसा की।

नए भारत में विपक्ष के नेता को भी बोलने नहीं दिया जा रहा

राहुल नेता विपक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को कहा कि लोकतांत्रिक ढांचे के अनुसार विपक्ष के नेता को बोलने की अनुमति मिलनी चाहिए, लेकिन नए भारत में ऐसा नहीं हो रहा है। राहुल ने संसद के बाहर पत्रकारों से कहा कि वह भी महाकुंभ के मुद्दे पर सदन में बोलना चाहते थे। उन्होंने जोर दिया कि प्रधानमंत्री मोदी को प्रयागराज में 29 जनवरी को महाकुंभ में हुई भगदड़ में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देनी चाहिए थी।

पीएम की बातों का समर्थन करना चाहता था: राहुल

राहुल ने कहा कि मैं उनके कहे का समर्थन करना चाहता था। कुंभ हमारी परंपरा, इतिहास और संस्कृति है। मगर शिकायत यह भी थी कि उन्होंने उन लोगों को श्रद्धांजलि नहीं दी जिन्होंने महाकुंभ में भगदड़ में अपनी जान गंवाई।

उन्होंने यह भी कहा कि कुंभ में गए युवाओं को रोजगार की आवश्यकता है और प्रधानमंत्री को इस पर भी बोलना चाहिए। कांग्रेस की वायनाड की सांसद प्रियंका गांधी वॉड्रा ने भी कहा कि विपक्ष को सदन में बोलने की अनुमति मिलनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि विपक्ष की भी इस पर अपनी भावनाएं हैं और उसे अपनी राय व्यक्त करने देने में किसी को कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।

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तेलंगाना को राहुल गांधी ने बनाया मॉडल, कहा- अब देश में जाति जनगणना कोई नहीं रोक सकता; केंद्र से की बड़ी मांग

Dainik Jagran - National - March 18, 2025 - 11:06pm

संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। कांग्रेस के सामाजिक आधार के दायरे को विस्तार देने की रणनीति के पिछले कुछ अर्से से देश में जातीय जनगणना की आवाज बुलंद कर रहे लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी को तेलंगाना सरकार के ओबीसी आरक्षण बढ़ाने के विधानसभा में पारित बिल का साथ मिल गया है।

तेलंगाना की कांग्रेस सरकार के राज्य में जातीय जनगणना कराने के बाद ओबीसी आरक्षण को बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने के पारित प्रस्ताव को राहुल गांधी ने देश में सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में अपनाए जाने की पैरोकारी की है।

जाति जनगणना से ही उचित हक मिलेगा

कांग्रेस नेता ने तेलंगाना की इस पहल के सहारे केंद्र सरकार पर भी जातीय जनगणना कराए जाने का दबाव डालने की सियासत तेज करने के अपने इरादे साफ करते हुए कहा कि अब इसे कोई रोक नहीं सकता।

राहुल गांधी ने तेलंगाना में ओबीसी आरक्षण की सीमा बढ़ाने के पारित विधेयक का हवाला देते हुए जाति जनगणना के लिए केंद्र पर दबाव बनाने की अपनी रणनीति के तहत यह कहने से भी गुरेज नहीं किया कि जातिगत जनगणना से ही पिछड़े और वंचित समुदायों को उनका उचित हक मिल सकता है।

कांग्रेस का वादा पूरा: राहुल गांधी

तेलंगाना की रेवंत रेडडी सरकार द्वारा सोमवार को विधानसभा में ओबीसी आरक्षण बढ़ाने संबंधी बिल पारित किए जाने के बाद मंगलवार को नेता विपक्ष ने एक्स पर पोस्ट में इसे ओबीसी आरक्षण का कांग्रेस का वादा पूरा करने के रूप में पेश किया।

राहुल गांधी ने कहा ''राज्य में वैज्ञानिक तरीके से हुई जातिगत गिनती से मिली ओबीसी समुदाय की वास्तविक संख्या स्वीकार की गई और शिक्षा, रोजगार और राजनीति में उनकी समान भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए विधानसभा में 42 प्रतिशत आरक्षण का बिल पारित किया गया है। सामाजिक न्याय की दिशा में यह वाकई एक क्रांतिकारी कदम है जिसके द्वारा राज्य में आरक्षण पर से 50 प्रतिशत की दीवार भी गिरा दी गई है।"

आरक्षण की 50 फीसदी सीमा हटाने की मांग

राहुल गांधी कन्याकुमारी से कश्मीर तक की भारत जोड़ो यात्रा और मणिपुर से मुंबई की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के समय से ही कांग्रेस की राजनीति को सामाजिक न्याय के सियासी ट्रैक की ओर मोड़ चुके हैं। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान जातीय जनगणना पार्टी का एक बड़ा मुद्दा रहा।

नेता विपक्ष ने इसके बाद भी जातीय जनगणना को कांग्रेस पार्टी के राजनीतिक विमर्श के प्रमुख एजेंड़े में रखा है। इसीलिए तेलंगाना की ताजा पहल को तत्काल लपकते हुए राहुल गांधी ने केंद्र सरकार से एक बार फिर आरक्षण की वर्तमान 50 फीसद की अधिकतम सीमा की पाबंदी हटाने की मांग की।

तेलंगाना ने रास्ता दिखा दिया

कांग्रेस नेता ने अपने बयान में कहा कि जातिगत सर्वेक्षण के डेटा से हर समुदाय के सामाजिक और आर्थिक हालात का विश्लेषण कर ऐसी नीतियां बनाई जाएंगी जिनसे सबकी बेहतरी सुनिश्चित हो। तेलंगाना सरकार ने इसके लिए एक स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह भी बनाया है। उन्होंने कहा कि लगातार वे कह रहे कि एक्सरे यानि जातिगत जनगणना से ही पिछड़े और वंचित समुदायों को उनका उचित हक मिल सकता है।

तेलंगाना ने रास्ता दिखा दिया है। यही पूरे देश की जरूरत है और हम भारत में जाति जनगणना करवाकर रहेंगे। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी एक्स पोस्ट में कहा कि विधानसभा चुनाव में किया वादा हमने पूरा कर दिया है। सामाजिक न्याय के लिए उठाया गया बेहद जरूरी कदम है, जो आपको सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाएगा।

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