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पढ़ाई हो चुकी पूरी... मगर कैंपस प्लेसमेंट में क्यों आ रही दिक्कत, AI ने बढ़ाई टेंशन या कुछ और है कहानी?
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष 2025 में उद्योगों में होने वाली नियुक्ति में 11.1 प्रतिशत वृद्धि होने का अनुमान है। समग्रता में तो यह युवाओं के लिए अच्छा है, लेकिन कॉलेजों में इसी वर्ष पढ़ाई पूरी कर कैंपस प्लेसमेंट की आस संजोने वालों के लिए चुनौती बनी हुई है। इसका प्रमुख कारण यह है कि उद्योग जगत में सर्वाधिक मांग एक से पांच वर्ष तक अनुभव वालों की है।
14 फीसदी प्रेशर्स रखना चाहती है कंपनियांताजा रिपोर्ट में वर्ष 2025 के लिए नियुक्तियों की मांग का आकलन किया गया है। इसमें बताया गया है कि कंपनियां नई नियुक्तियों में फ्रेशर्स मात्र 14 प्रतिशत रखना चाहती हैं। इसमें भी कैंपस प्लेसमेंट के लिए अनुमान लगभग दस प्रतिशत है। महत्वपूर्ण यह भी है कि नियुक्ति प्रक्रिया में एआई का उपयोग कुछ ही समय में 38 प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।
इस सर्वे में सामने आए चौंकाने वाले आंकड़ेइंडिया हायरिंग इंटेंट सर्वे- 2025 भारत में रोजगार के बाजार की नब्ज टटोलता है। इसके निष्कर्ष बताते हैं कि सभी उद्योगों में एक से पांच वर्ष के अनुभव वाले उम्मीदवारों के बीच प्रतिभा की मांग सबसे अधिक है। इस वर्ग के अभ्यर्थियों की नियुक्ति के लिए 55.2 प्रतिशत कंपनियों ने सकारात्मक रुख दिखाया है।
सभी वर्गों में फ्रेशर्स की मांग घटीकुल नियुक्तियों में इस वर्ग की भागीदारी 47 प्रतिशत संभावित है। सभी अनुभव वर्गों में फ्रेशर्स की मांग कम है। सभी उद्योगों से औसतन 14 प्रतिशत नई नियुक्तियां फ्रेशर्स की होने की उम्मीद है। 26 प्रतिशत नई नियुक्तियां 6-10 वर्ष के अनुभव वाले उम्मीदवारों के अनुभव वर्ग से होने की उम्मीद है।
ऑटोमोटिव उद्योग में फ्रेशर्स की मांगयहां इसे इस रूप में नहीं देखा जा सकता कि अनुभव को ही हाथों-हाथ लिया जा रहा है, क्योंकि दस वर्ष से अधिक अनुभव रखने वालों की मांग तो फ्रेशर्स से भी कम आंकी गई है। हालांकि, कुछ उद्योग अभी भी फ्रेशर्स को काम पर रखने में रुचि दिखा रहे हैं। इनमें ऑटोमोटिव उद्योग 21 प्रतिशत नए कर्मचारियों के साथ सबसे आगे है। इसके विपरीत विनिर्माण उद्योग में फ्रेशर्स की सबसे कम मांग होने का अनुमान है, जिसमें केवल पांच प्रतिशत नए कर्मचारियों के इस समूह से आने की उम्मीद है।
बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज व इंश्योरेंस सेक्टर भी फ्रेशर्स को लेकर सकारात्मक है। इस क्षेत्र में 20 प्रतिशत नए कर्मचारी इस अनुभव वर्ग से आते हैं। फार्मा-हेल्थकेयर और आईटी जैसे अन्य उद्योगों में मांग क्रमश: नौ और 20 प्रतिशत नए कर्मचारी फ्रेशर्स होने की उम्मीद है। बाजार की इस डिमांड स्टोरी के लिए नियुक्ति प्रक्रिया का प्रचलन भी गौर करने लायक है।
जॉब पोर्टल पर अधिक विश्वासनियुक्ति के माध्यम की बात करें तो कंपनियां दस प्रतिशत नई नियुक्ति कैंपस प्लेसमेंट के माध्यम से करना चाहती हैं, जबकि सबसे अधिक विश्वास उन्हें जॉब पोर्टल पर है। दूसरे स्थान पर वह कंपनियों की आंतरिक अनुशंसा (इंटरनल रेफरल) पर विश्वास रखती हैं। इसी तरह आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के बढ़ते प्रभाव से रोजगार का बाजार भी अछूता नहीं है।
इंडिया स्किल्स रिपोर्ट का यह संस्करण संकेत देता है कि भर्ती प्रक्रिया में स्क्रीनिंग, मूल्यांकन, भर्ती अनुशंसा से लेकर साक्षात्कार में एआई के उपयोग में 38 प्रतिशत वृद्ध होने की संभावना है। बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज व इंश्योरेंस सेक्टर के 100 प्रतिशत नियोक्ताओं ने एआई पर विश्वास जताया है, जबकि आईटी में इसका दखल 67 प्रतिशत तक पहुंच चुका है।
अनुभव वर्ग और मांग
फ्रेशर्स 14 प्रतिशत 1 से 5 वर्ष 47 प्रतिशत 6 से 10 वर्ष 26 प्रतिशत 10 वर्ष या उससे अधिक 13 प्रतिशत नियुक्ति माध्यमप्रतिशत जॉब पोर्टल 37 प्रतिशत इंटरनल रेफरल 32.5 प्रतिशत सोशल मीडिया और नेटवर्क 13 प्रतिशत कैंपस प्लेसमेंट 10 प्रतिशत रिक्रूटमेंट एजेंसी 5 प्रतिशत कंपनी वेबसाइट 2.5 प्रतिशत
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Bihar Politics: चुनाव से पहले नीतीश सरकार ने शुरू की एक नई योजना! अशोक चौधरी बोले- अगले 2 साल में...
राज्य ब्यूरो, पटना। ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी ने सोमवार को विधानपरिषद में बताया कि विभाग के पास पांच हजार 495 पुल-पुलियों के निर्माण का प्रस्ताव है।
इनमें 600 पुलों का निर्माण इस वित्तीय वर्ष में पूरा होना है, जबकि 400 पुलों का निर्माण अगले वर्ष में किया जाएगा। वह सर्वेश कुमार के अल्पसूचित प्रश्न का जवाब दे रहे थे।
मंत्री ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्कता बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री सेतु योजना की शुरुआत की गई है। इसके लिए जिलों के प्रभारी मंत्री के माध्यम से प्रस्तावित पुलों की संख्या मांगी गई है।
इसके तहत सिर्फ दरभंगा जिले में 210 पुल-पुलियों का निर्माण किया जाना है। डॉ. अजय कुमार सिंह और राजीव कुमार के तारांकित प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने बताया कि सुपौल जिले में 156 पुल-पुलिया बनाए जाएंगे जबकि खगडि़या में 170 पथों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है।
चुनाव से पहले दुरुस्त होंगी ग्रामीण सड़कें, हटेगा अतिक्रमण- राज्य के सभी जिलों की ग्रामीण सड़कों को अतिक्रमण मुक्त करने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा।
- इसके लिए अप्रैल में पथ निर्माण के अलावा गृह विभाग के सचिव के साथ बैठक कर कार्ययोजना बनाई जाएगी।
- विधानपरिषद में डॉ. संजीव कुमार सिंह के प्रश्न के जवाब में मंत्री अशोक चौधरी ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चुनाव से पहले ग्रामीण सड़कों के गड्ढों को भरकर दुरुस्त करने का टास्क रखा गया है।
- वहीं, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने अब्दुल बारी सिद्दीकी के ध्यानाकर्षण के उत्तर में बताया कि मनरेगा में अनियमितता की जांच का निर्देश अधिकारियों को दिया गया है।
सोमवार को बिहार विधानसभा में सरकार की ओर से चालू वित्तीय 2024-25 के लिए 11,187 करोड़ 14 लाख 17 हजार रुपये का पेश तृतीय अनुपूरक बजट पारित हो गया।
इससे पहले उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने विधानसभा की दूसरी पाली में बिहार विनियोग विधेयक, 2025 पेश किया।
विपक्ष के बहिष्कार के उपरांत विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने उक्त विधेयक को सत्तापक्ष के बहुमत के आधार पर मंजूरी दी।
इससे पहले उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने सदन में कहा कि 2024-25 के लिए 11187 करोड़ का तृतीय अनुपूरक बजट है।
इसमें वार्षिक स्कीम मद में 9237 करोड़ और स्थापना एवं प्रतिबद्ध व्यय में 1949 करोड़ प्रविधान किया गया है। वहीं, राज्य स्कीम मद में सबसे अधिक 4974 करोड़ का प्रविधान किया गया है।
इसमें सबसे अधिक राशि मेडिकल कालेज अस्पताल, एनएनएम और जीएनएम स्कूल के निर्माण पर खर्च की जाएगी। जबकि केंद्रांश और राज्यांश मिलकार सबसे अधिक राशि प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 2293 करोड़ आवंटित किया गया है।
उन्होंने कहा कि वार्षिक स्कीम मध्य में केंद्रीय प्रायोजित स्कीम के तहत केंद्र का 1229 करोड़ और राज्य का 3034 करोड़ यानी कुल 4263 करोड़ प्रविधान किया गया है।
केंद्रीय प्रायोजित स्कीम में पीएम आवास योजना में 951 करोड़ केंद्र का अंश और राज्यांश 1340 करोड़ है। इसके अलावे आंगनबाड़ी पोषण-2 में 71.41 करोड़, वृद्धा अवस्था पेंशन के लिए 61.09 करोड़ आवंटित किया गया है।
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यूरोपियन यूनियन के ट्रेड में भारत का हिस्सा सिर्फ 2.2%, मुक्त व्यापार समझौते से इसे बढ़ाने की गुंजाइश
जागरण प्राइम, नई दिल्ली।
भारत और यूरोपियन यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौता पर सोमवार को फिर बातचीत शुरू हुई है। वैसे तो यूरोपियन यूनियन (ईयू) के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर चर्चा करीब डेढ़ दशक पुरानी है, लेकिन कई मुद्दों पर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पाने के कारण इसे अभी तक अंतिम रूप नहीं दिया जा सका है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की तरफ से टैरिफ का दबाव बढ़ने के बाद भारत के साथ ईयू भी निर्यात की संभावनाएं तलाश रहा है। इसलिए इस साल के अंत तक इसे अंतिम रूप दे दिए जाने की संभावना है।
हालांकि विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि समझौते को अंतिम रूप देना काफी जटिल काम है। यूरोपियन यूनियन चाहता है कि भारत कारों पर आयात शुल्क कम करे जो अभी 100% तक है। ईयू की मांग वाइन तथा व्हिस्की पर भी टैरिफ कम करने की है। भारत की मांग है कि फार्मास्यूटिकल, टेक्सटाइल तथा अपैरल पर ईयू व्यापार बाधाएं कम करे और भारत को बेहतर मार्केट एक्सेस प्रदान करे।
भारत-ईयू द्विपक्षीय कारोबारयूरोपियन यूनियन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वर्ष 2023-24 में भारत के कुल विदेश व्यापार (वस्तु आयात और निर्यात) में 12.3% हिस्सेदारी ईयू की थी। तुलनात्मक रूप से देखें तो भारत के कुल व्यापार में अमेरिका के हिस्सेदारी 10.7% और चीन की 10.6% थी। दूसरी तरफ, यूरोपियन यूनियन के लिए भारत नौवां सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वर्ष 2023 में ईयू के कुल ट्रेड में भारत का हिस्सा सिर्फ 2.2% था।
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2023-24 में भारत ने कुल 437 अरब डॉलर का मर्केंडाइज निर्यात किया था। इसमें से 75.92 अरब डॉलर का निर्यात यूरोपियन यूनियन को हुआ। यह अमेरिका को 77.51 अरब डॉलर के निर्यात के बाद सबसे अधिक है। भारत ने चीन को 16.65 अरब डॉलर का निर्यात किया। उस वर्ष ईयू से आयात 61.48 अरब डॉलर का हुआ। सबसे अधिक आयात चीन से 101.73 अरब डॉलर का और अमेरिका से 42.19 अरब डॉलर का हुआ। इस तरह कुल व्यापार (आयात और निर्यात) ईयू के साथ सबसे अधिक 137.4 अरब डॉलर का रहा।
एफटीए की संभावनाओं पर अमेरिका की जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी में इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक पॉलिसी में विशिष्ट विजिटिंग स्कॉलर डॉ. अजय छिब्बर जागरण प्राइम से कहते हैं, “ईयू भारत के सबसे बड़े निर्यात बाजारों में एक है। 2023 में भारत ने ईयू को 75.2 अरब डॉलर की वस्तुओं और 31.13 अरब डॉलर की सेवाओं का निर्यात किया। उस वर्ष ईयू का आयात करीब 2.8 लाख करोड़ डॉलर का था। इसलिए भारत के पास निर्यात बढ़ाने की गुंजाइश बहुत अधिक है। ईयू ने 2.8 लाख करोड़ डॉलर का निर्यात भी किया, जिसमें भारत को वस्तुओं का निर्यात 63.44 अरब डॉलर और सेवाओं का 31.35 अरब डॉलर का था। इस तरह देखें तो ईयू के लिए भारत बहुत छोटा बाजार है। लेकिन भारत काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है और अगर ट्रेड डील हो जाए तो वर्ष 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार 600 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।”
मुक्त व्यापार समझौते की अड़चनेंफरवरी के अंत में यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला वॉन डेर लायेन के नेतृत्व में एक बड़ा दल भारत आया था। भारत के साथ जल्दी एफटीए की उम्मीद जताते हुए लायेन ने कहा कि यह समझौता अपनी तरह का दुनिया का सबसे बड़ा समझौता होगा। लायेन के अनुसार सेमीकंडक्टर, क्लीन टेक्नोलॉजी और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऐसे सेगमेंट हैं जिन्हें ट्रेड एग्रीमेंट से फायदा होने की उम्मीद है। उस बैठक के बाद भारत सरकार ने भी कहा था कि ईयू के साथ साझेदारी बढ़ाई जाएगी और इसमें तेजी लाई जाएगी।
पिछले एक दशक में भारत और ईयू के बीच व्यापार लगभग 90% बढ़ा है। द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने के के बावजूद एफटीए पर सहमति नहीं बन पाई है। डॉ. अजय छिब्बर इसके कई कारण बताते हैं। वे कहते हैं, “कार, वाइन और बल्क कृषि उत्पादों पर भारत का टैरिफ बहुत अधिक है। निवेश सुरक्षा का समझौता अपर्याप्त है, सरकारी खरीद में भागीदारी का भी सवाल है। भारत के लिहाज से देखें तो ईयू ने लगभग 700 फार्मा प्रोडक्ट की बिक्री पर रोक लगा रखी है, जबकि भारत में उनका परीक्षण हो चुका है। डेटा सुरक्षा का मसला है जिसकी वजह से भारत आईटी से संबंधित सर्विसेज का निर्यात ईयू को नहीं कर सकता। इसके अलावा ईयू में काम करने के लिए भारतीय प्रोफेशनल के जाने, पेटेंट की एवरग्रीनिंग और कार्बन बॉर्डर एडजस्टमेंट मेकैनिज्म (CBAM) के मुद्दे हैं। सीबीएएम या कार्बन टैक्स के रूप में 20 से 35 प्रतिशत शुल्क लगने की संभावना है।”
भारत ने ईयू के पर्यावरण संबंधी नियमों पर भी आपत्ति जताई है। इसमें स्टील, एल्यूमिनियम और सीमेंट पर बॉर्डर कार्बन टैक्स शामिल है। यह टैक्स अगले साल लागू होने वाला है। भारत अपने स्किल्ड प्रोफेशनल्स के लिए ईयू में आसान एक्सेस चाहता है। इससे भारत के आईटी प्रोफेशनल्स को फायदा मिलेगा। यूरोप से आयात के मामले में भारत की चिंता कारों के साथ कृषि उत्पादों को लेकर भी है। ईयू में कृषि पर काफी सब्सिडी दी जाती है। यूरोप से सस्ता आयात होने पर भारतीय किसानों को नुकसान हो सकता है।
ईयू चाहता है कि भारत खासकर यूरोप की छोटी कंपनियों को निर्यात बढ़ाने के लिए बाधाएं हटाए, सर्विसेज के साथ सरकारी खरीद को विदेशी कंपनियों के लिए और खोले, ज्योग्राफिकल इंडिकेशन (जीआई) की रक्षा सुनिश्चित की जाए, जिन नियमों पर सहमति बने उनका पालन हो तथा निवेशकों को सुरक्षित निवेश का माहौल उपलब्ध कराया जाए। गौरतलब है कि भारत में यूरोपियन यूनियन की 6000 से अधिक कंपनियां बिजनेस कर रही हैं।
थिंक टैंक ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के फाउंडर अजय श्रीवास्तव कहते हैं, “भारत और यूरोपियन यूनियन के बीच एफटीए में मुख्य गतिरोध कृषि, ऑटोमोबाइल शुल्क और प्रोफेशनल्स की आसान मोबिलिटी को लेकर है। ईयू भारत से ऑटोमोबाइल आयात शुल्क कम करने की मांग कर रहा है, लेकिन भारत इसे लेकर सहज नहीं है। इसी तरह, भारत ईयू से प्रोफेशनल्स के लिए आसान मोबिलिटी (वर्क वीजा, परमिट आदि) की मांग कर रहा है, जिस पर अब तक आश्वासन नहीं मिला है। इसके अलावा, ईयू भारत से डेयरी उत्पादों पर शुल्क घटाने की मांग कर रहा है, जिसके लिए भारत तैयार नहीं है।”
समझौते की संभावना कितनीडॉ. छिब्बर कहते हैं, निश्चित रूप से ट्रंप की टैरिफ की धमकी इसके पीछे काम कर रही है। अगर ट्रंप के टैरिफ का दोनों पक्षों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है तो वे बातचीत के लिए आगे बढ़ेंगे। भारत इसी तरह की डील के लिए अमेरिका के साथ भी बात कर रहा है, लेकिन वहां भी अनेक अड़चनें हैं। अगर ईयू और भारत टैरिफ घटाने पर सहमत होते हैं तो उससे द्विपक्षीय वार्ता में काफी मदद मिलेगी। अभी यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन (ईएफटीए) के चार देशों- आइसलैंड, लीचटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड के साथ भारत का समझौता है जिस पर पिछले साल 10 मार्च को दस्तखत किए गए थे। उसमें द्विपक्षीय निवेश 100 अरब डॉलर से अधिक ले जाने की बात है। उस ट्रेड डील के नतीजे अच्छे रहे हैं।
वे कहते हैं, ईयू और भारत की ट्रेड एवं टेक्नोलॉजी काउंसिल को आगे का रास्ता तैयार करना होगा। कृषि दोनों पक्षों के लिए राजनीतिक और आर्थिक लिहाज से सबसे बड़ी बाधा होगी और इस पर सहमति बनाना आसान नहीं होगा। सीबीएएम पर सहमति बनाने के लिए भी अधिक समय की जरूरत पड़ेगी।
कैसे वार्ता तक सीमित रहा भारत-ईयू एफटीएवर्ष 2008 में एक ट्रेड इंपैक्ट एसेसमेंट हुआ था जिसमें बताया गया कि अगर भारत और यूरोपियन यूनियन के बीच फ्री ट्रेड एग्रीमेंट होता है तो इससे दोनों पक्षों को शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म में फायदा होगा। शॉर्ट टर्म में दोनों पक्षों का बिजनेस 3 अरब यूरो से 4.4 अरब यूरो तक बढ़ने की संभावना है।
उसके बाद भारत और ईयू के बीच एफटीए पर बातचीत शुरू हुई लेकिन 2013 में टूट गई। अप्रैल 2022 में यूरोपियन कमीशन की प्रेसिडेंट उर्सुला लायेन दिल्ली आई थीं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यूरोप का दौरा किया था। तब भी एफटीए पर तेजी लाने का फैसला हुआ था।
नौ साल तक बातचीत ठप रहने के बाद जून 2022 में दोनों पक्षों ने एफटीए पर बातचीत शुरू की थी। तब से नौ दौर की बातचीत हो चुकी है। उस समय एफटीए के अलावा इन्वेस्टमेंट प्रोटेक्शन एग्रीमेंट (आईपीए) और ज्योग्राफिकल इंडिकेटर एग्रीमेंट (जीआईए) पर भी वार्ता शुरू हुई थी।
जून 2022 में नए सिरे से वार्ता शुरू होने के बाद 23-27 सितंबर 2024 को नई दिल्ली में नौवें दौर की बातचीत हुई थी। अगले दौर की बातचीत 2025 की पहली तिमाही में ब्रसेल्स में होनी तय हुई थी। यूरोपियन कमीशन की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक उस वार्ता में मार्केट एक्सेस पर फोकस था, लेकिन कोई खास प्रगति नहीं हुई। टेक्सटाइल प्रोडक्ट, वुड और पेपर प्रोडक्ट, केमिकल प्रोडक्ट, बहुमूल्य धातु और इनके प्रोडक्ट पर मामूली प्रगति ही हुई। ज्यादातर मामलों में दोनों पक्षों की राय एक-दूसरे से काफी जुदा थी। ईयू की कंपनियों और उनके वस्तुओं पर मेक इन इंडिया नीति के प्रभाव पर भी बात कुछ खास नहीं बढ़ पाई।
बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य में भारत और यूरोपियन यूनियन, दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है। वस्तु और सेवा मिलाकर भारत से यूरोपियन यूनियन को करीब 100 अरब डॉलर का निर्यात होता है। लेकिन ईयू का वस्तुओं और सेवाओं का करीब 2.8 लाख करोड़ डॉलर का आयात करता है। इस तरह देखें तो भारत के लिए ईयू के बाजार में बिजनेस बढ़ाने की काफी गुंजाइश है। भारत हमेशा इस डील का इच्छुक रहा है क्योंकि ईयू एक विशाल बाजार है जिसमें भारत की पहुंच बहुत सीमित है।
दूसरी तरफ यूरोपियन यूनियन को भी भारत को जरूरत है। ईयू के प्रति अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का रवैया स्पष्ट है। अमेरिका को उसका निर्यात कम होगा, इसलिए उसे दूसरे बाजारों की तलाश है। भारत जल्दी ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन जाएगा। इस तरह ईयू के लिए भी भारत को निर्यात बढ़ाने के मौके बनेंगे।
डॉ. छिब्बर के अनुसार, “ईयू को सस्ती जेनरिक दवाओं, विमान और कारों के पार्ट्स, इलेक्ट्रिकल मशीनरी, हीरा तथा केमिकल के क्षेत्र में फायदा हो सकता है। भारत के लिहाज से देखें तो सस्ती स्पिरिट और डेयरी प्रोडक्ट का फायदा मिलेगा। साथ ही आईटी से संबंधित बैक ऑफिस कार्य के सौदे अधिक मिलेंगे।”
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत और ईयू दोनों दुनिया में बढ़ते संरक्षणवाद और ट्रेड टैरिफ के प्रभाव को कम करना चाहते हैं। बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव के कारण जो आर्थिक जोखिम पैदा हुए हैं, इस डील से उन्हें भी कम करने में मदद मिलेगी।
X faces third outage in a day
Air India: एअर इंडिया फ्लाइट का टॉयलेट जाम, वापस शिकागो लौटा विमान; एयरलाइन ने कहा- 'पैसे रिफंड होंगे'
एजेंसी, नई दिल्ली। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार सुबह बम की धमकी के बाद मुंबई से न्यूयॉर्क जाने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट वापस मुंबई लौट गई है। 320 से अधिक लोगों को लेकर जा रहा यह विमान सुरक्षित रूप से मुंबई उतरा और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अनिवार्य जांच की जा रही है।
एयर इंडिया का आया बयान
एयर इंडिया ने एक बयान में कहा, "आज 10 मार्च 2025 को मुंबई-न्यूयॉर्क (जेएफके) उड़ान भरने वाले एआई119 में उड़ान के दौरान संभावित सुरक्षा खतरे का पता चला। आवश्यक प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद, विमान में सवार सभी लोगों की सुरक्षा के हित में विमान को वापस मुंबई ले जाया गया।"
सूत्रों ने बताया कि विमान में बम होने की धमकी दी गई थी और विमान के एक शौचालय में एक नोट मिला था। एक सूत्र ने बताया कि बोइंग 777-300 ईआर विमान में 119 चालक दल के सदस्यों सहित 322 लोग सवार थे।
एअर इंडिया विमान का शौचालय जामवहीं एक अन्य मामले में एअर इंडिया के विमान ने गुरुवार को अमेरिका के शिकागो से दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन करीब 10 घंटे बाद विमान को वापस शिकागो लौटने के लिए मजबूर होना पड़ा। अमेरिकी मीडिया के अनुसार, शिकागो से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाले विमान में कथित तौर पर सभी शौचालय जाम हो गए थे। विमान के 12 में से 11 शौचालय काम नहीं कर रहे थे और सिर्फ बिजनेस क्लास का ही एक शौचालय चल रहा था।
अब घटना को लेकर एयरलाइन ने सफाई दी है। एअर इंडिया के प्रवक्ता ने बताया कि छह मार्च को शिकागो से दिल्ली के लिए उड़ान भरने वाली एआइ126 विमान तकनीकी समस्या के कारण शिकागो वापस लौट गया। शिकागो में उतरने पर, यात्रियों और चालक दल को आवासीय सुविधा प्रदान की गई। इसके बाद यात्रियों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई।
एयरलाइन ने ये भी बताया कि यात्रियों को उड़ान रद होने पर पैसे रिफंड कर दिए जाएंगे। एयरलाइन ने कहा कि उनके लिए यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा सर्वोपरि है। विमान में सवार 300 यात्रियों की परेशानी को देखते हुए विमान को वापस शिकागो ले जाया गया।
14 घंटे की यात्रा में मात्र पांच घंटे बाद ही यह समस्या उत्पन्न हो गई, जिसके कारण विमान को शिकागो के ओहारे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर वापस लौटना पड़ा। यात्रियों ने दावा किया कि उन्हें अपनी उड़ानों को पुनर्निर्धारित करने या पैसे वापस पाने के लिए बहुत मशक्कत करनी पड़ी।
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Bihar Jobs: 10000 से अधिक पदों पर भर्ती, 1 तक करें आवेदन; 14 अप्रैल से शुरू हो सकती है परीक्षा
जागरण संवाददाता, पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय (Bihar Minister Mangal Pandey) की पहल पर बिहार तकनीकी सेवा आयोग 10 हजार से अधिक पदों पर युद्धस्तर पर नियमित नियुक्ति की प्रक्रिया संपादित कर रहा है।
सोमवार को आयोग ने कीट संग्रहकर्ता, लैब-ईसीजी व एक्स-रे टेक्निशियन, ओटी असिस्टेंट के अलावा 3500 से अधिक विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति के लिए संभावित परीक्षा तिथि जारी कर दी है।
14 अप्रैल से शुरू हो सकती है परीक्षादो से तीन पालियों में परीक्षा संभावित है। इससे स्वास्थ्य विभाग व गृह विभाग कारा में स्वास्थ्यकर्मियों की नियुक्ति की जाएगी। आयोग के प्रभारी सचिव के पत्रानुसार 01-2025 कीट संग्रहकर्ता पद के लिए परीक्षा की संभावित तिथि 14 अप्रैल से है।
वहीं, 02-2025 प्रयोगशाला तकनीशियन, 03-2025 शल्य कक्ष सहायक, 04-2025 ईसीजी टेक्नीशियन एवं 05-2025 एक्स-रे टेक्नीशियन की परीक्षा 26 अप्रैल से होगी।
06-2025 से 18-2025 विज्ञापन संख्या से विभिन्न विभागों के विशेषज्ञ चिकित्सकों की परीक्षा की संभावित तिथि 27 अप्रैल घोषित की गई है।
एक अप्रैल तक कर सकते हैं आवेदन:स्वास्थ्य विभाग में 3500 से अधिक विशेषज्ञ चिकित्सकों समेत 10 हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति की जानी है। पैरा मेडिकल के अधिसंख्य पदों पर 1 अप्रैल तक बीटीएससी की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है।
पदनाम पदों की संख्या संभावित परीक्षा तिथि कीट संग्रहकर्ता 35 14 अप्रैल से लैब टेक्निशियन 2969 26 अप्रैल से शल्य कक्ष सहायक 1683 26 अप्रैल से ईसीजी टेक्निशियन 242 26 अप्रैल से एक्सरे टेक्निशियन 1240 26 अप्रैल से रेडियोलॉजिस्ट 184 27 अप्रैल से मनोरोग चिकित्सक 14 27 अप्रैल से स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ 542 27 अप्रैल से फिजिशियन 306 27 अप्रैल से पैथोलॉजिस्ट 75 27 अप्रैल से शिशु रोग विशेषज्ञ 617 27 अप्रैल से ऑर्थोपेडिक्स 124 27 अप्रैल से ईएनटी 83 27 अप्रैल से चर्म रोग विशेषज्ञ 86 27 अप्रैल से एनेस्थेटिस्ट 988 27 अप्रैल से जनरल सर्जन 542 27 अप्रैल से माइक्रोबायोलॉजिस्ट 19 27 अप्रैल से नेत्र रोग विशेषज्ञ 43 27 अप्रैल सेये भी पढ़ें- Bihar Jobs 2025: खुशखबरी! नीतीश सरकार ने 4500 पदों पर निकाली भर्ती, ऑनलाइन होगा एग्जाम
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Bihar Jobs: बिहार में नौकरियों की भरमार, नीतीश सरकार ने कर दी एक और बड़ी घोषणा; इस विभाग में होने जा रही भर्ती
राज्य ब्यूरो, पटना। शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि राज्य के सरकारी विद्यालयों में दिव्यांग बच्चों को पढ़ाने के लिए 7279 विशेष शिक्षकों की नियुक्ति जल्द होगी।
इसके लिए बिहार लोक सेवा आयोग को अधियाचना भेज दी गई है। इसी तरह अनुकंपा के आधार पर 6481 शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र शुरू की जाएगी।
वे सोमवार को बिहार विधानसभा में चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के तहत शिक्षा विभाग के तृतीय अनुपूरक बजट 1532 करोड़ 32 लाख 96 हजार रुपये पर हुए चर्चा के बाद सरकार की ओर से जवाब दे रहे थे।
हालांकि, विपक्ष ने सरकार के उत्तर का बहिष्कार किया। विपक्ष की गैरमौजूदगी में सदन में अनुपूरक बजट पारित हुआ।
12 केंद्रीय विद्यालयों को जमीन उपलब्ध कराएगी सरकारशिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि वर्तमान में राज्य में 50 केंद्रीय विद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें ऐसे 12 केंद्रीय विद्यालय हैं जिनके पास अपनी जमीन नहीं है।
ऐसे केंद्रीय विद्यालयों को बिहार सरकार द्वारा जमीन उपलब्ध करायी जाएगी। 358 प्रखंडों में डिग्री महाविद्यालय खोलने हेतु शिक्षा विभाग के स्तर से जल्द ही सारी प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।
वहीं नौ डिग्री महाविद्यालय पहले से स्थापित करने की प्रक्रियाधीन है। उन्होंने कहा कि इस साल अप्रैल में ही सभी बच्चों को पोशाक की राशि दी जाएगी।
यूनाइटेड नेशंस ने साइकिल माडल को अपनायाशिक्षा मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शिक्षा की मुख्यधारा से बालक-बालिकाओं को जोड़ने के लिए 2006-07 में पोशाक योजना शुरू की थी।
इससे स्कूली शिक्षा से बच्चों को जोड़ने में अभूतपूर्व कामयाबी मिली। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2008 में नौवीं कक्षा की लड़कियों के लिए साइकिल योजना शुरू की।
वर्ष 2010 में लड़कों के लिए भी साइकिल योजना शुरू की गई। बिहार में साइकिल योजना लागूृ किए जाने के बाद लड़कियों की पढ़ाई के प्रति बढ़े तेजी से रुझान हुआ।
इससे नारी शिक्षा को बढ़ावा देने और नारी सशक्तीकरण में क्रांतिकारी परिवर्तन हुआ। बिहार की साइकिल योजना पर अमेरिका के एक प्रोफेसर ने अध्ययन किया और यूनाइटेड नेशंस को अपनी रिपोर्ट दी।
यूनाइटेड नेशंस ने लड़कियों को शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ाने में साइकिल योजना की भूमिका की प्रशंसा की। इतना ही नहीं, यूनाइटेड नेशंस ने इस माडल के आधार पर अफ्रीका के जाम्बिया और कुछ अन्य देश में लड़कियों में शिक्षा के प्रति रुचि जगाने हेतु साइकिल स्कीम को लागू कराते हुए धनराशि भी उपलब्ध कराया।
इस साल से 29 हजार सरकारी विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षा होगी शुरूमंत्री सुनील कुमार ने कहा कि सरकारी विद्यालयों में तकनीकी शिक्षा से बच्चों को जोड़ा जा रहा है। इस वर्ष से कक्षा छह से आठ के 29 हजार मध्य विद्यालयों में कंप्यूटर की पढ़ाई प्रारंभ करायी जाएगी, ताकि हमारे बच्चों को शुरू से कंप्यूटर शिक्षा उपलब्ध हो।
सरकारी विद्यालयों में कंप्यूटर लैब की भी स्थापना की जा रही है। प्रोजेक्ट टेस्ट लर्निंग से बच्चों की पढ़ाई में अभूतपूर्व सुधार हुआ है।
विधायकों की अनुशंसा पर 563 विद्यालयों को जीर्णोद्धारमंत्री ने बताया कि शिक्षा विभाग के स्तर से हर विधायक से उनके क्षेत्र के दस-दस सरकारी विद्यालयों के जीर्णोद्धार के लिए सूची मांगी गई थी।
प्राप्त सूची के आधार पर विभाग द्वारा 563 विद्यालयों का जीर्णोद्धार कार्य कराया जा चुका है। शेष विद्यालयों को जीर्णोद्धार प्रक्रियाधीन है।
शिक्षा मंत्री ने दी जानकारी- 2005 से पहले शिक्षा का बजट चार हजार करोड़ से कुछ अधिक था
- 2025-26 में शिक्षा का बजट 60,964.87 करोड रुपये है
- राज्य के सरकारी विद्यालयों में 44 प्रतिशत महिला शिक्षक कार्यरत
- 2002 में राज्य में साक्षरता दर 47.5 प्रतिशत थी, 2023 में 80 प्रतिशत साक्षरता
- 2001 में 34 प्रतिशत महिलाएं थीं साक्षर, आज 74 प्रतिशत महिलाएं शिक्षित
- 2005 में उच्च शिक्षा में 1500 करोड़ बजट था, आज 5643 करोड़ का बजट
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बिहार विधानसभा में अचानक क्यों हुई कश्मीरी पंडितों की चर्चा? ओवैसी के विधायक को मंत्री ने दिया करारा जवाब
राज्य ब्यूराे, पटना। बिहार का विधानसभा बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान सदन में पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर जमकर हमलावर हो रहे हैं।
श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह विधानसभा में सोमवार काे अख्तरूल ईमान द्वारा लाए गए ध्यानाकर्षण में शब्दों पर उलझ गए। विधानसभा अध्यक्ष ने उन्हें कहा कि आप अपना उत्तर पढ़िए, तब वह अपने जवाब पर केंद्रित हुए।
दरअसल, अख्तरूल ईमान का प्रश्न बिहार से बाहर जाकर काम करने वाले मजदूरों से संबंधित था। उन्होंने इसे मजदूरों का बिहार से पलायन कहा था। उनके प्रश्न में एक जिक्र था कि अगर बिहारी मजदूर बाहर मरते हैं तो उनके लाश को लाने की क्या व्यवस्था है?
श्रम संसाधन मंत्री ने दिया जवाबश्रम संसाधन मंत्री ने कहा कि बिहार के मजदूर अगर बाहर के राज्य में काम करने जाते हैं तो यह पलायन नहीं। उसका नाम-पता तो यहीं का है। देश के किसी राज्य में कोई भी काम कर सकता है। पलायन तो कश्मीरी पंडिताें का था। इसी तरह उन्होंने लाश शब्द पर आपत्ति की और कहा कि लाश नहीं, पार्थिव शरीर कहिए।
श्रम संसाधन मंत्री ने कहा कि बिहारी मजदूर अगर किसी दूसरे राज्य में किसी दुर्घटना में मरते हैं तो उनके पार्थिव शरीर को उनके घर तक पहुंचाने की व्यवस्था सरकार द्वारा की जाती है। दिल्ली स्थित बिहार भवन में राज्य सरकार ने इसके लिए अधिकारी तैनात कर रखे हैं।
पटना के नियोजन भवन और दिल्ली के बिहार भवन के लिए टोल फ्री नंबर काम करता है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में इसके लिए 86 लाख रुपए की व्यवस्था की गयी है।
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