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Bihar Politics: राजद MLA रीतलाल के 11 ठिकानों पर छापे, 10.5 लाख कैश और जमीन के 14 डीड मिले

Dainik Jagran - April 11, 2025 - 10:05pm

जागरण संवाददाता, पटना। बिल्डर से रंगदारी मांगने पर पटना पुलिस ने एसटीएफ और एटीएस के साथ दानापुर से राजद विधायक रीतलाल यादव के 11 ठिकानों पर शुक्रवार की सुबह से देर शाम तक छापेमारी की। छापेमारी दल का नेतृत्व दानापुर एएसपी भानु प्रताप सिंह कर रहे थे। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए भारी संख्या में बल की तैनाती की गई।

आर्म्स डिटेक्टर से भी घरों की तलाशी ली गई। हालांकि, अवैध हथियार नहीं मिले। एएसपी ने बताया कि विधायक के ठिकानों से साढ़े 10 लाख नकद, साढे़ 77 लाख के ब्लैंक चेक, जमीन के 14 डीड, कई एग्रीमेंट पेपर, 17 चेकबुक, पांच स्टांप पेपर, छह पेन ड्राइव, वाकी-टाकी आदि बरामद हुए।

छह-सात ब्लैंक चेक और जमीन के दस्तावेज शिकायतकर्ता के आरोपों की पुष्टि कर रहे हैं। पूरे दिन हुई कार्रवाई के दौरान विधायक और उनके साथ प्राथमिकी में नामजद अभियुक्त फरार थे। मामले में विधि-सम्मत कार्रवाई की जा रही है।

विधायक के भाई पर बालू-गिट्टी की मनमानी कीमत वसूलने का आरोप

शास्त्री नगर थानांतर्गत पुनाईचक प्रोफेसर कॉलोनी में रहने वाले कुमार गौरव की जेनेक्स इको इंफ्रा प्रा. लि. नामक कंस्ट्रक्शन कंपनी है। इसमें राकेश रंजन और जियाउल्लाह साझेदार हैं। उन्होंने 2023 में खगौल थानांतर्गत कोथवां में 18 कट्ठे का भूखंड लेकर 38 फ्लैट बनाने का काम शुरू किया था।

विधायक के भाई पिंकू यादव ने बिल्डर से मुलाकात की और विधायक का आदेश बताते हुए धमकी दी कि निर्माण सामग्री यथा गिट्टी, बालू, ईंट आदि मुझसे ही लेना होगा। पिंकू कभी सामग्री की बिल नहीं देता था। बिल्डर के हिसाब से 19 लाख रुपये बकाया था, जबकि पिंकू 33 लाख देने का दबाव बना रहा था।

विधायक ने कॉल कर मिलने बुलाया, मांगी 50 लाख रंगदारी

पिछले वर्ष दीपावली से पहले विधायक ने बिल्डर को काल कर मिलने बुलाया और आवास पर जाने के बाद कहा कि उनके अनुसार चलना होगा, इसलिए भतीजे धीरज यादव को 33 लाख रुपये देना पड़ेगा। क्षेत्र में काम करने के लिए विधायक ने 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगी। रकम नहीं देने पर बुरा अंजाम भुगतने की धमकी दी। भयवश बिल्डर ने तत्काल चार लाख रुपये दिए और शेष राशि के लिए उन्हें जान से मारने की धमकी दी जा रही थी।

...और जमीन खरीदने पर फिर दी धमकी

विधायक की ओर से लगातार दबाव बनाए जाने को बिल्डर नजरअंदाज करते रहे। उन्होंने कोथवां में ही और 15 कट्ठा जमीन खरीदने का एग्रीमेंट कराया। इसके बाद ज्यादा धमकियां मिलने लगीं। तब कुमार गौरव ने गुरुवार को खगौल थाने में विधायक रीतलाल यादव, उनके भाई पिंकू यादव, भतीजा धीरज यादव, सुनील कुमार उर्फ सुनील महाजन व अन्य के विरुद्ध प्राथमिकी कराई।

वारंट लेने में देरी पर लीक हुई सूचना

सूत्रों के अनुसार, पुलिस को पुख्ता जानकारी दी गई थी कि विधायक के सहयोगियों के पास कौन-कौन से हथियार हैं और कहां रखे हैं? इस कारण भारी संख्या में पुलिस बल का इंतजाम किया गया था। शुक्रवार को पुलिस ने सर्च वारंट लेने के लिए न्यायालय से अनुरोध किया। इस प्रक्रिया में दो-तीन घंटे लग गए। सूत्र बताते हैं कि पुलिस कोर्ट के कर्मियों पर भी नजर रख रही है। अधिकारियों को यकीन है कि कोर्ट के ही किसी कर्मी ने पुलिसिया कार्रवाई से पूर्व सूचना लीक कर दी थी।

हाल में जेल से छूटा है पिंकू

पिछले वर्ष अगस्त में एम्स, पटना के मुख्य सुरक्षा अधिकारी पर दीघा-एम्स एलिवेटेड रोड के दक्षिणी छोर पर जानलेवा हमला हुआ था। उनपर फायरिंग की गई थी, जिसमें वे बाल-बाल बच गए थे। अधिकारी के बयान पर विधायक के भाई पिंकू के विरुद्ध प्राथमिकी हुई थी।

इस मामले में पुलिस ने शूटरों को दबोचने के बाद पिंकू की तलाश तेज की तो उसने अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया था। हाल में वह जमानत पर छूटकर आया है। वह एम्स में कुछ लोगों से रुपये लेकर गार्ड के तौर पर बहाल करने के लिए मुख्य सुरक्षा अधिकारी पर दबाव बना रहा था।

उन्होंने इनकार कर दिया था, जिस कारण पिंटू ने फायरिंग कराई थी। उसके ठिकाने से गार्ड की वर्दी और प्राथमिकी को पुष्ट करते साक्ष्य भी मिले थे।

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एयरफोर्स ने सुखोई से दागा 'गौरव', स्वदेशी ग्लाइड बम की 100 किमी है रेंज; दुश्मन के घर में घुसकर करेगा हमला

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 9:33pm

पीटीआई, नई दिल्ली। वायुसेना को जल्द ही ग्लाइड बम गौरव मिलने वाला है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने सुखोई विमान से लंबी दूरी के ग्लाइड बम गौरव का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

गौरव एक हजार किलोग्राम वर्ग का ग्लाइड बम है जिसे डीआरडीओ ने स्वदेशी तौर पर डिजाइन और विकसित किया गया है। रक्षा मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि आठ से 10 अप्रैल तक सुखोई-30 एमकेआइ विमान से लंबी दूरी के ग्लाइड बम (एलआरजीबी) 'गौरव' का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। यह लगभग 100 किलोमीटर की दूरी तक सटीकता के साथ लक्ष्य को भेदने में सफल रहा।

सशस्त्र बलों की क्षमताओं में होगी वृद्धि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गौरव के सफल विकास परीक्षणों के लिए डीआरडीओ, वायुसेना और संबंधित उद्योग भागीदारों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि लंबी दूरी के ग्लाइड बम के विकास से सशस्त्र बलों की क्षमताओं में काफी वृद्धि होगी।

उड़ते हुए लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम

मंत्रालय ने कहा कि इस प्रणाली को साझीदारों अडानी डिफेंस सिस्टम्स एंड टेक्नोलाजीज, भारत फोर्ज और विभिन्न एमएसएमई के सहयोग से साकार किया गया है। परीक्षण से इस हथियार को वायुसेना में शामिल करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है। ग्लाइड बम की रेंज सामान्य बम से काफी अधिक हो सकती है। विमान से छोड़े जाने के बाद यह हवा में ग्लाइडर की तरह उड़ते हुए लक्ष्य को निशाना बनाते हैं।

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अमेरिकी खुफिया विभाग की निदेशक तुलसी गबार्ड का EVM हैकिंग पर वीडियो वायरल, चुनाव आयोग बोला- हमारे पास अलग तकनीक

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 9:30pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में इस्तेमाल वाली इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन ( ईवीएम) ने भले ही अपने 43 साल के सफर में बड़ी-बड़ी अग्निपरीक्षाएं को पास किया और सब में खरी उतरी है लेकिन इसके बाद भी ईवीएम से जुड़ी किसी तरह की गड़बड़ी का जैसे जिक्र आता है, देश का एक वर्ग उत्साहित हो जाता है।

ताजा मामला अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया विभाग की निदेशक तुलसी गबार्ड के एक वीडियो से जुड़ा है, जिसमें अमेरिकी के इलेक्ट्रानिक वोटिंग सिस्टम को वह कमजोर बताती हैं और कहती हैं इसे हैक किया जा सकता है।

तुलसी की बातों को कांग्रेस के नेताओं ने बनाया आधार

तुलसी ने कहा कि इसके हैक होने के उनके पास कुछ तथ्य भी मौजूद है। यह बात उन्होंने भले ही अमेरिकी ईवीएम के संदर्भ में कही थी लेकिन इसे आधार बनाकर कांग्रेस से जुड़े नेता और समर्थक इसे इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करने लगे। कांग्रेस से राजस्थान से जुड़े नेता, महिला कांग्रेस से जुड़े कई नेताओं ने इस वीडियो साझा किया और कहा कि यह बात तो राहुल गांधी भी कहते है। अब इसके प्रमाण भी मिल गए है। इस मामले के तूल पकड़ते देख चुनाव आयोग के जुड़े अधिकारिक ने भी मोर्चा संभाला।

भारत और अमेरिका का ईवीएम अलग: चुनाव आयोग

आयोग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक तुलसी गबार्ड जिस ईवीएम की बात कर रही है वह अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली ईवीएम की बात है। दुनिया के कई देशों में मौजूदा समय में ऐसे मशीनें इस्तेमाल में ली जा रही है, जिसमें इंटरनेट या फिर दूसरे नेटवर्क का इस्तेमाल किया जाता है, जबकि भारत में ऐसा नहीं है। यहां इस्तेमाल होने वाली ईवीएम न तो हैक हो सकती है न ही इसे इंटरनेट या किसी दूसरे नेटवर्क से जोड़ा जा सकता है।

गौरतलब है कि देश में अब तक ईवीएम के जरिए पांच आम चुनाव और करीब 150 विधानसभाओं के चुनाव हो चुके है। इनके नतीजों से देश में 44 बार सत्ता में परिवर्तन हुआ है।

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रात में हमला... सुबह पहुंचे NSG कमांडो, तहव्वुर पर अब श्रेय लेने की होड़; तब जवाबी कार्रवाई में लाचार क्यों दिखा था भारत?

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 9:30pm

नीलू रंजन, जागरण, नई दिल्ली। तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण के बाद देश में श्रेय लेने की भी होड़ है। लेकिन हकीकत यह है कि आतंकी हमले के दौरान हर स्तर पर शीर्ष पदाधिकारियों व एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव और जवाबी कार्रवाई में देरी देखी गई थी। इसका नतीजा था कि रात को 9.30 बजे हुए आतंकी हमले के खिलाफ एनएसजी की कार्रवाई सुबह सात बजे शुरू हो सकी थी।

दरअसल 26 नवंबर 2008 को 9.30 बजे मुंबई में विभिन्न स्थानों पर आतंकी हमले शुरु हुए तो तत्कालीन मुख्यमंत्री विलासराव देखमुख केरल में थे। उन्हें शहर में प्रमुख स्थानों पर हमलों की जानकारी दी गई।

पूरी स्थिति की गंभीरता समझने के बाद उन्होंने 11 बजे रात में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री शिवराज पाटिल को फोन कर 200 एनएसजी कमांडो भेजने की मांग की। लेकिन मानेसर में रह रहे एनएसजी कमांडो को मुंबई ले जाने के लिए कोई विमान ही नहीं थी। इसके लिए जरूरी आईएल-76 विमान चंडीगढ़ में था।

देर रात दिल्ली पहुंचा आईएल-76 विमान

रात में पायलट को उठाकर इंधन भराकर विमान को दिल्ली भेजा गया, जो दो बजे मुंबई के लिए उड़ सका। आईए-76 विमान की स्पीड कम होने के कारण यह तीन घंटे में मुंबई पहुंचा और वहां से कमांडो को ताज होटल तक ले जाने में 40 मिनट लग गए। सुबह सात बजे आतंकियों के सफाए के लिए ऑपरेशन शुरू हो सका। ऑपरेशन के दौरान भी विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय का अभाव दिखता रहा।

होटल का ले-आउट भी काफी देर से मिला

दाउद गिलानी उर्फ डेविड कोलमैन हेडली की रेकी की वजह से आतंकी होटल के चप्पे-चप्पे से वाकिफ थे। वहीं, एनएसजी के पास होटल का ले-आउट तक नहीं पहुंचा। बीएमसी से काफी से देरी से ले-आउट प्लान मिल सका। इसके अलावा हमले की लाइव रिपोर्टिंग कर रहे न्यूज चैनलों के लिए सूचना-प्रसारण मंत्रालय की ओर से कोई निर्देश नहीं था। पाकिस्तान में बैठे आतंकी आका होटल के भीतर के आतंकियों के लाइव रिपोर्टिंग देखकर रणनीति समझा रहे थे।

रोकी गई चैनलों की लाइव रिपोर्टिंग

खुफिया एजेंसियों द्वारा उनकी बातचीत सुनने के बाद न्यूज चैनलों को लाइव रिपोर्टिंग रोकने का निर्देश जारी हो सका। यदि विभिन्न एजेंसियों के बीच आपसी तालमेल होता और तत्काल निर्णय लेकर उसके क्रियान्वयन के रास्ते खोजे जाते तो शायद बहुत सारी जाने बचायी जा सकती थी। आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तानी साजिश साबित करने के लिए एकमात्र जिंदा पकड़ा गया आतंकी अजमल कसाब ही था।

पाकिस्तान के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई

दाउद गिलानी मुंबई आकर रेकी करता रहा और हमले के एक हफ्ता पहले तहव्वुर राणा हापुड़, आगरा, दिल्ली, मुंबई से लेकर कोची तक घुमता रहा। लेकिन भारतीय एजेंसियों को इनके मंसूबों की भनक तक नहीं लगी। इन दोनों के मुंबई हमले की साजिश में शामिल होने का खुलासा भी उनकी अमेरिकी में गिरफ्तारी और अमेरिकी एजेंसियों की पूछताछ के बाद हुआ।

यही नहीं, इतने बड़े आतंकी हमले के बावजूद भी भारत की ओर से पाकिस्तान के खिलाफ किसी तरह की जवाबी कार्रवाई नहीं की गई और पाक सीमा के नजदीक कुछ महीनों तक सुरक्षा बलों की तैनाती के बाद उन्हें वापस बैरक में बुला लिया गया।

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Prashant Kishor: 'मेरे साथ दूसरी बार धोखा हुआ; 10 दिनों के अंदर...', भरी सभा में ये क्या बोल गए पीके

Dainik Jagran - April 11, 2025 - 9:24pm

राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार बदलाव रैली में शुक्रवार को प्रतीक्षारत जन-समूह के बीच तीन-चार घंटे देरी से पहुंचे प्रशांत किशोर (पीके) ने पहले क्षमायाचना की और उसके बाद सरकार पर बिफर पड़े। उस समय शाम के छह बज रहे थे और पटना के गांधी मैदान में अच्छी-खासी भीड़ जुट चुकी थी, लेकिन पीके संतुष्ट नहीं थे।

उन्होंने दावा किया कि रैली में जन सुराज पार्टी (जसुपा) के पांच लाख समर्थक आ रहे थे। दो लाख से अधिक लोगों को सरकार ने जहां-तहां रोक दिया। इस गर्मी में वे लोग भूखे-प्यासे परेशान रहे। मैं चार घंटे तक प्रशासन से याचना करता रहा, लेकिन लोगों को नहीं आने दिया गया।

पीके ने आगे कहा, सरकार समर्थकों को मेरे पास आने से रोक सकती है, लेकिन उनके घर-द्वार तक जाने से मुझे नहीं। अब दस दिनों के भीतर मैं बिहार बदलाव यात्रा पर निकलूंगा। एक-एक व्यक्ति से मिलूंगा। इस सरकार को उखाड़ फेंकना है। इस संकल्प के साथ उन्होंने जय बिहार का उद्धोष किया तो प्रत्युत्तर में मैदान गूंज उठा।

गांधी मैदान में सायं-काल में रैली का संभवत: यह पहला अवसर रहा। मंच के साथ 800 फीट लंबा रैंप भी बना था। पीके को उस पर चलते हुए भाषण देना था। बिहार में होने वाली किसी रैली में यह भी पहला प्रयोग रहा, लेकिन पीके जो बोले, वह मंच से ही। पीड़ा और क्षोभ का मिश्रित भाव उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था।

उन्होंने कहा कि रैली में पुलिस-प्रशासन ने पूरा अड़ंगा लगाया, जबकि मुख्य सचिव-डीजीपी और डीएम-एसपी सबको समय से पहले सूचित कर दिया गया था। सरकार ने मेरे साथ दूसरी बार धोखा किया है। युवाओं और छात्रों के मुद्दे पर मैं इसी गांधी मैदान में अनशन पर था। तब देर रात नीतीश कुमार के अफसर मुझे उठा ले गए और जेल में डाल दिया।

'मैं नहीं होता तो 2015 में ही...'

उन्होंने कहा कि न्यायालय के हस्तक्षेप से मैं बाहर आया। मैं नहीं होता तो 2015 में ही नीतीश राजनीतिक संन्यास ले चुके होते। अब बहुत हुआ। एक कहावत है कि जो शादी कराता है, वही श्राद्ध भी कराता है। नीतीश का राजनीतिक श्राद्ध जसुपा ही कराएगी।

अपने छह मिनट के उद्बोधन में पीके ने कहा कि वे लंबा नहीं बोलेंगे। अगले पांच घंटे तक जन-समूह के बीच रहेंगे और बातचीत करेंगे। खाने-पीने और घर तक लौटने की सारी व्यवस्था है। नीतीश के अफसरों के इस जंगल-राज को उखाड़ फेंकने का संकल्प कीजिए। अफसरशाही का खात्मा होकर रहेगा।

समर्थकों से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि नीतीश को उखाड़ फेंकना है। मोदी के बहकावे में नहीं आना और लालू का जंगल-राज तो चाहिए नहीं! अब जनता का राज चाहिए, इसके लिए बदलाव जरूरी है। कतरल-ध्वनि से जन-समूह ने उन्हें आश्वस्त किया।

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Bihar News: सभी जिलों में जाएगा 'बिहार जागरण गौरव यात्रा' रथ, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिखाई झंडी

Dainik Jagran - April 11, 2025 - 8:46pm

जागरण संवाददाता, पटना। 'दैनिक जागरण' के बिहार में प्रकाशन के 25 वर्ष पूरे होने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने झंडी दिखाकर शुक्रवार को 'बिहार जागरण गौरव यात्रा' रथ को रवाना किया। मुख्यमंत्री आवास एक अणे मार्ग में आयोजित कार्यक्रम में नीतीश कुमार ने जलती मशाल दैनिक जागरण के राज्य संपादक आलोक मिश्रा, पटना, मुजफ्फरपुर व भागलपुर यूनिट के संपादकीय प्रभारी क्रमश: अश्विनी कुमार सिंह, बृजेश दुबे व संदीप कुमार को सौंपी।

रथ सभी 38 जिलों में जाएगा। दैनिक जागरण के निदेशक सुनील गुप्ता ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का स्वागत अंगवस्त्र और स्मृति चिह्न देकर किया। मुख्यमंत्री ने स्मृति चिह्न के तौर पर दी गई बोधिवृक्ष के पत्ते की स्वर्णिम प्रतिकृति की प्रशंसा की। निदेशक ने मुख्यमंत्री को दैनिक जागरण के विभिन्न कार्यक्रमों से जुड़ी यादों का कोलाज भी भेंट किया।

इसमें दहेज, नशा, बाल विवाह आदि कुरीतियों पर दैनिक जागरण के अभियान से जुड़ी तस्वीरों को देखकर मुख्यमंत्री ने कहा कि लोगों को जागरूक करने में जागरण का अहम योगदान रहा है। खबर के साथ जागरण लोगों को जागरूक भी करता है। निदेशक ने जल संसाधन सह संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी को भी स्मृति चिह्न देकर स्वागत किया।

मुख्यमंत्री ने इस दौरान प्रकाशन की रजत जयंती पर प्रकाशित थांगका पेंटिंग को समर्पित काफी टेबल बुक 'सेक्रेड स्प्लेंडर', माता जानकी और प्रभु श्रीराम को समर्पित विशेष संकलन 'बिहार की जानकी, पाहुन प्रभु राम', राज्य के सभी जिलों के आयाम, धर्म के निशान व विकासगाथा पर आधारित स्मारिका 'बिहार यात्रा' तथा तिरहुत की संस्कृति के विविध रंगों का संग्रह 'तिरहुत-संस्कृति और प्रकृति के रंग' का विमोचन किया।

दैनिक जागरण बिहार, झारखंड व बंगाल के मुख्य महाप्रबंधक आनंद त्रिपाठी और स्थानीय संपादक आलोक मिश्रा ने मुख्यमंत्री को सभी विशेष संग्रहों के तथ्यों से अवगत कराया। बिहार जागरण गौरव यात्रा रथ सभी जिलों में जाकर राज्य के विकास में जागरण के योगदान का स्मरण कराएगा।

मौके पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार व डा. एस सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गोपाल सिंह, गृह विभाग के सचिव प्रणव कुमार, दैनिक जागरण परिवार के अनिल शंकर मित्तल, समीर गुप्ता, बंसत राठौर, प्रशांत कश्यप, विनोद श्रीवास्तव, मनोज गुप्ता, सरबनी भाटिया आदि मौजूद थीं।

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अब तारीख पर तारीख नहीं, तहव्वुर राणा को जल्द मिलेगी सजा; नए कानून का होगा असर

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 8:04pm

माला दीक्षित, नई दिल्ली। मुंबई हमले का मुख्य साजिशकर्ता तहव्वुर राणा अमेरिका से प्रत्यार्पित करके भारत लाया गया है। अब उस पर मुकदमा चलेगा और उसे सजा सुनाई जाएगी। लेकिन सवाल है कि इसमें कितना समय लगेगा। ऐसे में अगर पिछले साल लागू हुई भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में तय टाइम लाइन को देखा जाए तो पता चलता है कि तहव्वुर राणा के केस में तारीख पर तारीख का पेंच नहीं फंसेगा।

दरअसल, नए कानून में मुकदमों के त्वरित निपटारे को सुनिश्चित करने के लिए केस दर्ज होने से लेकर ट्रायल पूरा होने और फैसला सुनाने तक की टाइम लाइन तय है और राणा के ट्रायल पर इसका सकारात्मक असर होगा।

नए कानून का होगा असर

वैसे तो करीब पांच करोड़ मुकदमों के बोझ तले दबी न्यायपालिका को अक्सर देरी में न्याय के लिए निशाना बनाया जाता है। लेकिन इसी समस्या से निबटने के उपाय भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में किए गए हैं।

इसमें केस दर्ज करने से लेकर फैसला सुनाने और दया याचिका देने तक की टाइम लाइन तय करके यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया गया है कि अधिकतम तीन साल में हर केस का ट्रायल पूरा होकर फैसला आ जाए।

NIA की 18 दिन की हिरासत में भेजा गया राणा

एनआईए ने मुंबई हमले के मामले में तहव्वुर राणा के खिलाफ 2009 में ही एफआईआर दर्ज कर ली थी, लेकिन उसे भारत अब लाया जा सका है और अब उसका मुकदमा शुरू होगा। कोर्ट ने एनआईए को पूछताछ के लिए राणा की 18 दिन की कस्टडी दी है। केस में इसी जगह से नए कानून का रोल शुरू होगा जो कहता है कि किसी भी मुकदमे की 60 और 90 दिन के भीतर जांच पूरी करके अदालत में आरोपपत्र दाखिल करना होगा।

सीमित समय में राणा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना होगा

अगर जांच 90 दिन से ज्यादा जारी रखनी पड़े तो अधिकतम 180 दिन तक का समय मिल सकता है, लेकिन इसके लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होगी। ऐसे में इतना साफ है कि 180 की समय सीमा अंतिम समय सीमा है और इसी के भीतर राणा के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल करना होगा। अदालत के लिए भी टाइम लाइन है जो कहती है कि अदालत 14 दिन में केस पर संज्ञान लेगी और ज्यादा से ज्यादा 120 दिनों में केस ट्रायल पर आ जाना चाहिए।

राणा के मामले में ट्रायल जल्दी पूरा होने की उम्मीद
  • दस्तावेजों की प्रक्रिया पूरी करने की भी 30 दिन की समय सीमा तय है। जाहिर सी बात है कि तहव्वुर राणा को इतनी मुश्किल से प्रत्यार्पित करके लाया गया है तो उसका ट्रायल जल्दी चलेगा हो सकता है कि रोजाना हो। अगर ऐसा होता है तो बहुत जल्दी ट्रायल पूरा होने की उम्मीद होगी। नए कानून में ट्रायल पूरा होने के बाद अदालत के फैसला देने की भी टाइम लाइन तय है जो कहती है कि अदालत को ट्रायल पूरा होने के बाद 30 दिन में फैसला देना होगा।
  • अगर 30 दिन में फैसला नहीं दिया जाता है तो कोर्ट लिखित में उसका कारण दर्ज करेगा और अवधि को 45 दिन तक बढ़ाया जा सकता है। यानी सीमा रेखा खिंची है कि अदालत फैसला सुनाने में 45 दिन से ज्यादा की देरी नहीं कर सकती। कई बार मुकदमे में निचली अदालत से ट्रायल पूरा होकर जल्दी फैसला आ जाता है, लेकिन मामला अपील में हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में लटका रहता है।
  • तहव्वुर राणा के मामले में उम्मीद है कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी रफ्तार से निपटारा करेंगे। ऐसा मुंबई हमलों के मुख्य दोषी अजमल कसाब के केस को देख कर लगता है जिसमें हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने अपील निबटाने में ज्यादा समय नहीं लिया था। कसाब का मामला देखा जाए तो गिरफ्तारी से लेकर उसे फांसी दिये जाने तक चार वर्ष का समय लगा था।
  • अब उम्मीद की जाती है कि नए कानून में प्रक्रिया और त्वरित हो जाने से राणा के मुकदमे में इतना वक्त भी नहीं लेगेगा। नये कानून में दया याचिका का भी समय तय है। सुप्रीम कोर्ट से अपील खारिज होने के 30 दिन के भीतर दया याचिका दाखिल करनी होगी। तो अगर इन सारी चीजों को देखा जाए और कानून में तय समय सीमा का पालन किया जाता है तो तहव्वुर राणा का मुकदमा जल्दी निपटेगा और उसमें तारीख पर तारीख नहीं पड़ेगी।

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कौशल विकास केंद्र का नाम हेडगेवार पर रखे जाने पर बवाल, युवा कांग्रेस ने किया प्रदर्शन; पुलिस ने जबरन हटाया

Dainik Jagran - National - April 11, 2025 - 7:52pm

पीटीआई, पलक्कड़। केरल के पलक्कड़ में दिव्यांग व्यक्तियों के लिए एक कौशल विकास केंद्र के शिलान्यास समारोह में डीवाईएफआई और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। दिव्यांग केंद्र का नाम राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के संस्थापक केशव राव बलिराम हेडगेवार के नाम पर रखे जाने के विरोध में प्रदर्शन किया गया।

माकपा की युवा शाखा डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) और युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने दो तरफ से कार्यक्रम को बाधित करने की कोशिश की, वहीं पुलिस ने उन्हें रोकने का प्रयास किया। यह कार्यक्रम भाजपा शासित पलक्कड़ नगरपालिका द्वारा आयोजित किया गया था।

नगर पालिका अध्यक्ष ने किया बचाव

नगर पालिका अध्यक्ष प्रमिला शशिधरन ने सवाल किया कि नाम में क्या रखा है? उन्होंने कहा कि परियोजना के पीछे की मंशा दिव्यांगों की मदद करना है। उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के नाम पर स्टेडियम हैं।

हेडगेवार ने दिव्यांगों के लिए काम किया है तो केंद्र का नाम उनके नाम पर रखने में क्या गलत है? टीवी चैनलों पर दिखाए गए दृश्यों के अनुसार, डीवाईएफआई कार्यकर्ता मंच पर चढ़ गए, उन्होंने कार्यक्रम के बैनर को फाड़ दिया, नारे लगाए और माइक पोडियम को भी धक्का दे दिया।

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