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Waqf Law 2025: 'समावेशी शासन हो प्राथमिकता', नए वक्फ कानून का विरोध करने वालों से एक्सपर्ट ने पूछे कौन-से दो सवाल?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय संसद ने हाल ही में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पारित किया, जिसे 'उम्मीद' नाम दिया गया है। इस कानून को लाने का उद्देश्य भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार बताया गया। नए कानून का उद्देश्य वक्फ प्रशासन को आधुनिक बनाना, इस में पारदर्शिता लाना और लाखों एकड़ में फैली वक्फ संपत्तियों की देखरेख में लंबे समय से चली आ रही अक्षमताओं को दूर करना है।
हालांकि, इस कानून को विभिन्न मुस्लिम संगठनों और विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना का सामना भी करना पड़ रहा है, जो इस कानून को अल्पसंख्यक मामलों में सरकार का अतिक्रमण मानते हैं। सरकार को इस कानून की सफलता को सुनिश्चित करने के लिए समावेशी शासन और जनविश्वास को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इतिहास से पता चलता है कि भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले भी, वक्फ संपत्तियां अक्सर विभिन्न विवादों में उलझी रहती थीं। लेकिन आजादी के बाद इनमें और अधिक बढ़ोतरी देखने को मिली।
कुछ विवाद उन संपत्तियों से उत्पन्न हुए जिन पर वक्फ का दावा था, जबकि अन्य विवाद वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे और बिक्री से उत्पन्न हुए। जो लोग वक्फ संपत्तियों के साथ किसी भी रूप में जुड़े रहे हैं, वे यह भली भांति जानते हैं कि इन संपत्तियों का लाभ भारतीय मुस्लिम समाज के बड़े हिस्से तक नहीं पहुंचा।
वक्फ का क्या काम है?इस्लामी विद्वान रामिश सिद्दीकी बताते हैं कि वक्फ एक इस्लामिक परंपरा है, जिसने इस्लामिक सभ्यताओं में सामाजिक, आर्थिक और शहरी परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। वक्फ ने धार्मिक संस्थाओं से लेकर सामाजिक संस्थाओं दोनों का समर्थन करते हुए कल्याणकारी प्रविधान की आधारशिला के रूप में काम किया।
अलग-अलग समय और स्थानों में वक्फ की अद्भुत अनुकूलनशीलता इसे एक दीर्घकालिक विचार के रूप में दर्शाती है, जिसने व्यक्ति की आस्था और सामाजिक जिम्मेदारियों दोनों के बीच पुल का कार्य किया।
क्यों हो रहा वक्फ संशोधन कानून का विरोध?रामिश सिद्दीकी के मुताबिक, इस कानून की आलोचना करने वालों का मानना है कि यह वक्फ संपत्तियों पर मुस्लिमों के अधिकार को कमजोर कर सकता है, जबकि समर्थकों का तर्क है कि यह वक्फ में कुप्रबंधन और अतिक्रमण को रोकने में सहायक होगा। हालांकि, दोनों दृष्टिकोणों के सामने चुनौतियां हैं।
सवाल :1. सबसे पहले, नए कानून के आलोचकों से हमारा एक प्रश्न है कि क्या आम मुसलमानों का कभी इन वक्फ संपत्तियों पर कोई नियंत्रण था, या यह सिर्फ समुदाय के कुछ चुनिंदा लोगों के पास ही हमेशा रही?
2. दूसरे, वे लोग जो दावा करते हैं कि नए कानून से कुप्रबंधन और अतिक्रमण खत्म होगा, उनसे मेरा सवाल है कि भारत में कई कानून हैं लेकिन क्या कहीं भी भूमि अतिक्रमण पूरी तरह से समाप्त हो पाया?
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रामिश सिद्दीकी ने बताया, ''बाबा साहब भीमराव आंबेडकर ने एक बार कहा था कि संविधान केवल राज्य की संस्थाओं जैसे विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना प्रदान कर सकता है। लेकिन इन संस्थाओं कर वास्तविक क्षमता जिन कारकों पर निर्भर करती है, वे हैं- जनता और राजनीतिक दल। नए वक्फ कानून की सफलता इस पर निर्भर करेगी कि सरकार भरोसे की कमी को कैसे दूर करेगी, इसे निष्पक्ष तरीके से कैसे लागू करेगी।''
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ITI Admission 2025: आईटीआई में दाखिला लेने के लिए अब 17 अप्रैल तक करें आवेदन, परीक्षा तिथि में भी हुआ बदलाव
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (बीसीईसीईबी) ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान प्रतियोगिता प्रवेश परीक्षा (आईटीआई कैट) - 2025 के लिए परीक्षा तिथि में बदलाव किया गया है।
11 मई को आयोजित होने वाली परीक्षा अब 17 मई को आयोजित होगी। आवेदन भी अब सात अप्रैल से बढ़ाकर 17 अप्रैल तक लेने को लेकर अधिसूचना जारी की गई है।
बीसीईसीईबी के विशेष कार्य पदाधिकारी अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि आईटीआई में नामांकन के लिए आवेदन प्रक्रिया जारी है। इच्छुक अभ्यर्थी अब 17 अप्रैल तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
परीक्षा बिहार के सभी सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) में विभिन्न पाठ्यक्रमों में नामांकन के लिए आयोजित की जाएगी। परीक्षा 17 मई को होगी।
आवेदन और अन्य जानकारी के लिए अभ्यर्थी bceceboard.bihar.gov.in वेबसाइट पर जा सकते हैं। अनिल कुमार सिन्हा ने कहा कि ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया जारी है।
151 सरकारी आईटीआई में 32,828 सीटें उपलब्धबिहार में वर्तमान में 151 सरकारी आईटीआई संस्थान हैं, इनमें कुल 32,828 सीटें उपलब्ध हैं। इन सीटों पर विभिन्न ट्रेड्स में छात्रों को प्रवेश दिया जाता है। पिछले सत्र 2024-25 में लगभग 6,000 सीटें खाली रह गयी थीं।
इस बार सरकार कोशिश कर रही है कि अधिक से अधिक छात्रों को नामांकन का मौका मिले और सीटें खाली न रहें। सरकार ने अगले सत्र 2025-26 से आईटीआई सीटों की संख्या बढ़ाने की योजना बनायी है। इसके तहत 35,000 सीटें करने का लक्ष्य रखा गया है।
निजी आईटीआई में 50,000 से अधिक सीटें उपलब्ध हैं। राज्य में लगभग 500 से अधिक निजी आईटीआई संस्थान कार्यरत हैं, जहां विभिन्न ट्रेड्स में नामांकन लिया जाता है।
निजी आईटीआई संस्थानों में दाखिले के लिए भी बीसीईसीईबी परीक्षा का आयोजन करता है, जिसके माध्यम से मेरिट के आधार पर छात्रों को सीटें आवंटित की जाती हैं।
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Patna News: बिस्कोमान टावर बनेगा अत्याधुनिक IT पार्क, नीतीश सरकार ने चुनाव से पहले लिया अहम फैसला
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सूचना एवं प्रावैधिकी मंत्री कृष्ण कुमार मंटू ने सोमवार को बिस्कोमान भवन में राज्य की 10 नई स्टार्ट अप कंपनियों को निशुल्क आफिस स्पेस उपलब्ध कराया।
ये स्पेस बिस्कोमान टावर की नौवीं और 13वीं मंजिल पर स्थित है। उन्होंने आइटी सेक्टर के उद्यमियों को दफ्तर की चाबी भी सौंपी। इस मौके पर उन्होंने कहा कि बिहार
आइटी नीति-2024 के तहत पहले से ही निवेशकों को पूंजीगत निवेश और रोजगार सृजन के अवसर दिए जा रहे हैं।
इस नीति के तहत निवेशकों को पूंजी निवेश सब्सिडी, ब्याज अनुदान सब्सिडी, लीज रेंटल सब्सिडी, विद्युत बिल सब्सिडी, रोजगार सृजन सब्सिडी जैसे कई लाभ दिए जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए हमें स्टार्ट अप को बढ़ावा देना होगा।
आने वाले समय में बिस्कोमान टावर अत्याधुनिक आइटी पार्क का सेंटर बनेगा, जहां विभिन्न स्टार्टअप कंपनियों का दफ्तर बनेगा।
कार्यक्रम में विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह और विशेष सचिव अरविन्द कुमार चौधरी समेत कई लोग उपस्थित थे।
इस मौके पर उन्होंने हाईप्रोटेक इंडिया टेक्नोलाजी प्राइवेट लिमिटेड, ग्रीन स्टार्क इलेक्ट्रॉनिक्स प्रा. लिमिटेड, फ़्लो एपीआइज प्राइवेट लिमिटेड, सेवासिटी टेक्नोटाजी प्राइवेट लिमिटेड, स्कास टेक्नोलाजिज प्राइवेट लिमिटेड, आस्टोमवर्स इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड, मोमेंटम प्लस ऑनलाइन टेक्नोलाजी, पालीट्रॉपिक सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड, मकासा इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड और एचपीएफ वेंचर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारी मौजूद थे जिन्हें दफ्तर की चाबियां सौंपी गईं।
अब तक राज्य में चार हजार करोड़ के नये प्रस्तावराज्य में उद्यमिता एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए सूचना एवं प्रावैधिकी विभाग ने वर्ष 2024 में नई आईटी नीति लाई थी, जिसका असर अब पूरे बिहार में दिखने लगा है।
सरकार की नई आइटी नीति से न सिर्फ राज्य में चार हजार करोड़ रुपये के नए निवेश के प्रस्ताव मिले हैं बल्कि सरकार की इस पहल से राज्य के हजारों युवाओं को रोजगार से जोड़ने की मुहिम को एक नई रफ्तार भी मिली है।
विभाग के सचिव अभय कुमार सिंह ने बताया कि नई आइटी नीति के तहत सरकार स्टार्टअप कंपनियों को छह महीने के लिए निशुल्क आफिस स्पेस उपलब्ध कराती है।
इसके बाद इन कंपनियों के कार्यों की समीक्षा करके आवंटन अवधि को अगले छह महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है।
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Bihar: 'जो सवर्ण नहीं, वह सेकेंड क्लास सिटिजन हम गिराएंगे...'; बिहार में राहुल गांधी के नए बयान से सियासत तेज
राज्य ब्यूरो, पटना। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि अगर आप अपर कास्ट (सवर्ण) नहीं हैं, तो इस देश में सेकेंड क्लास सिटिजन (दूसरे दर्जे के नागरिक) हैं।
दलित, पिछड़े, आदिवासी, अल्पसंख्यक, महिलाएं और ईबीसी (आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग) सब इसमें शामिल है। सिस्टम ने आपको घेरकर रखा है।
जाति जनगणना समाज का एक्स-रे है, जिससे आपको वंचित रखा जा रहा है। यह क्रांतिकारी कदम है, इसलिए आरएसएस और भाजपा इसे रोकना चाहती है, मगर अब दुनिया की कोई शक्ति इसे नहीं रोक सकती है।
तेलंगाना में जाति जनगणना हुई, आंकड़े आए तो हमने आरक्षण बढ़ा दिया। यह डेटा मोदी जी आपको नहीं देना चाहते।
मैं मोदी जी से कहना चाहता हूं कि ये जो आपने 50 प्रतिशत आरक्षण की झूठी दीवार बनाई है इसे हटाइए, नहीं तो हम इसे गिराकर फेंक देंगे।
पटना में बोले राहुल गांधीपटना के श्रीकृष्ण मेमोरियल हाल में आयोजित संविधान सुरक्षा सम्मेलन में राहुल ने माना कि पूर्व में कांग्रेस से गलती हुई है।
उन्होंने कहा कि मैं पहला व्यक्ति हूं जो यह कहेगा कि बिहार में कांग्रेस को जो काम करना चाहिए था, जिस मजबूती और गति से करना चाहिए था, वह हमने नहीं किया। हम अपनी गलती से समझे हैं।
अब हम बिना रुके, पूरे शक्ति से कमजोर, गरीब, दलित, वंचितों, महिलाओं को लेकर आगे बढ़ेंगे। बिहार में कांग्रेस और गठबंधन की यही भूमिका है कि वह गरीब, दलित, ओबीसी, ईबीसी को आगे बढ़ाए।
मैंने और अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बिहार की टीम को साफ बता दिया है कि गरीब-पिछड़ी जनता को प्रतिनिधित्व दीजिए।
हम दलितों-महिलाओं के लिए राजनीति का दरवाजा खोलकर बिहार का चेहरा बदलना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में हमने कांग्रेस जिलाध्यक्षों की नई सूची जारी की।
पहले जिलाध्यक्षों की सूची में दो तिहाई अपर कास्ट के लोग थे मगर अब नई सूची में दो तिहाई ईबीसी, ओबीसी, दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक समाज के लोग हैं।
एनडीए सरकार अदाणी-अंबानी की राजनीति कर रही है, हम उन्हें हराने जा रहे हैं। इस देश को आजादी से लेकर अब तक बिहार ने दिशा दी है, फिर से बिहार की जनता यह काम करेगी।
संविधान 70-80 साल पुरानी किताब नहीं, हजारों साल की विचारधाराराहुल गांधी ने सम्मेलन में संविधान की प्रति दिखाते हुए कहा कि यह सिर्फ 70-80 साल पुरानी किताब नहीं, हजारों साल पुरानी विचारधारा है।
इसमें भगवान बुद्ध, गुरु नानक, महात्मा गांधी, बाबा साहेब आंबेडकर, कबीर जैसे महापुरुषों की सोच है। इसमें सावरकर की विचारधारा नहीं क्योंकि वह सच्चाई का सामना नहीं कर पाए।
संविधान हिंदुस्तान की सच्चाई का स्वर है। गांधी जी ने आत्मकथा लिखी- माई एक्सपेरिमेंट विद ट्रूथ (सच के साथ मेरे प्रयोग)। माई एक्सपेरिमेंट विद लाई (झूठ के साथ मेरे प्रयोग) नहीं लिखी, शायद मोदी जी लिख पाएंगे।
उन्होंने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति ने शेयर मार्केट की धज्जियां उड़ा दी है। फिर हाल में बैठे लोगों से सवाल किया- कितने लोग शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं?
गिने-चुने लोगों के हाथ उठाने पर कहा कि एक प्रतिशत भी नहीं। तेलंगाना में जाति गणना हुई तो ऐसी ही सच्चाई सामने आई।
वहां बैंक लोन लेने से लेकर बड़ी कंपनियों के मालिक, सीईओ, मैनेजमेंट टीम में एक भी ईबीसी, ओबीसी, दलित, आदिवासी नहीं मिले।
दूसरी तरफ मजदूरों की सूची में 95 प्रतिशत पिछड़े-आदिवासी और दलित हैं। इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार, डॉ शकील अहमद खां, अनिल जयहिंद, अंशुल अभिजीत, डॉ रतन लाल, ओम प्रकाश महतो, भागीरथ मांझी सहित विभिन्न दलित-वंचित समुदाय के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
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Trump Tariff: ट्रंप के टैरिफ से भारत को लगेगा बड़ा झटका? रिपोर्ट ने डराया, जानिए कितना होगा नुकसान
पीटीआई, नई दिल्ली। अमेरिकी शुल्क में वृद्धि के कारण इस वर्ष समुद्री सामान, सोना, इलेक्टि्रकल और इलेक्ट्रॉनिक जैसे क्षेत्रों से अमेरिका को भारत के वस्तु निर्यात में 5.76 अरब डॉलर की गिरावट आने के आसार हैं।
आर्थिक शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (जीटीआरआई) ने कहा कि इससे चुनिंदा उत्पाद खंडों में भारत की प्रतिस्पर्धी स्थिति कुछ नुकसान की भरपाई करने में सहायक साबित हो सकती है। वस्त्र, परिधान, सिरेमिक उत्पाद, अकार्बनिक रसायन और दवा क्षेत्रों में मामूली बढ़त देखी जा सकती है।
अमेरिका ने भारतीय वस्तुओं पर भी लगाया टैरिफअमेरिका ने दवा, सेमीकंडक्टर और कुछ ऊर्जा वस्तुओं को छोड़कर भारतीय वस्तुओं पर नौ अप्रैल से 26 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने का एलान किया है। 10 प्रतिशत मूल शुल्क पहले ही पांच से आठ अप्रैल के बीच लागू किए जा चुके हैं।
जीटीआरआई ने कहा कि विस्तृत व्यापार आंकड़ों और शुल्क अनुसूचियों का इस्तेमाल करते हुए विश्लेषण में अनुमान लगाया गया है कि 2025 में भारत से अमेरिका को होने वाले निर्यात में 5.76 अरब डॉलर या 6.41 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
इन उत्पादों में भारी कमी आने के आसारभारत ने 2024 में अमेरिका को 89.81 अरब डॉलर मूल्य का सामान निर्यात किया था। इसमें कहा गया, कई प्रमुख उत्पाद समूहों में कमी आने की संभावना है। मछली और 'क्रस्टेशियन' के निर्यात में 20.2 प्रतिशत, लोहे या इस्पात की वस्तुओं में 18 प्रतिशत, हीरे, सोने के उत्पादों में 15.3 प्रतिशत, वाहन व कलपुर्जों के निर्यात में 12.1 प्रतिशत और इलेक्टि्रकल, टेलिकॉम व इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में 12 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
प्लास्टिक, कालीन, पेट्रोलियम उत्पाद, कार्बनिक रसायन और मशीनरी जैसी अन्य श्रेणियों पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।
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पॉलिटेक्निक, जीएनएम, एएनएम और फार्मेसी में नामांकन के आवेदन शुरू, BCECEB ने जारी किया नोटिफिकेशन
जागरण संवाददाता, पटना। बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (बीसीईसीईबी) ने डिप्लोमा सर्टिफिकेट प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा (डीसीईसीई 2025) के लिए अधिसूचना जारी कर दी है। बीसीईसीईबी की वेबसाइट पर अभ्यर्थी 30 अप्रैल तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन शुल्क एक मई तक जमा करेंगे। आवेदन में किसी प्रकार की त्रुटि में सुधार दो से तीन मई तक होगा।
परीक्षा तिथि व प्रवेश पत्र जारी हाेने की तिथि बाद में घोषित होगी। सामान्य, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थी को आवेदन शुल्क 750 रुपये भुगतान करना होगा। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग कोटि के लिए परीक्षा शुल्क 480 रुपये की राशि परीक्षा शुल्क के रूप में देना होगा।
दो पाठ्यक्रम सूमूबों के लिए सामान्य, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के अभ्यर्थियों को 850 रुपये व अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, दिव्यांग कोटि के लिए 530 रुपये परीक्षा शुल्क देना होगा।
जो अभ्यर्थी तीनों पाठ्यक्रम समूहों के लिए आवेदन करना चाहते हैं वैसे सामान्य, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लोगों को 950 रुपये व अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व दिव्यांग कोटि के लिए परीक्षा शुल्क 630 रुपये देना होगा।
इंजीनियरिंग, पारा मेडिकल इंटर व माध्यमिक में होगा नामांकनइसके तहत पॉलिटेक्निक (अभियंत्रण), पारा मेडिकल (इंटर स्तरीय), पारा मेडिकल (माध्यमिक स्तरीय) में नामांकन होगा। इसके लिए अभ्यर्थी 30 अप्रैल तक आवेदन कर सकते हैं। पॉलिटेक्निक अभियंत्रण (पीई) की परीक्षा मई के अंतिम सप्ताह या जून के पहले सप्ताह में आयोजित हो सकती है।
इसके तहत पॉलिटेक्निक के 16170 सीटों, जीएनएम के 3524 व एएनएम के 7527, ड्रेसर के 690 सीटों पर नामांकन लिए जाएंगे। पारा मेडिकल (इंटर स्तरीय) पाठ्यक्रम में डिप्लोमा इन फार्मेसी, सैनिटरी इंस्पेक्टर, आप्थेमेलोजिकल असिस्टेंट, ओटी असिस्टेंट, लेब्रोरेट्री टेक्नीशियन, एक्स-रे टेक्नीशियन, आरथोटिक एवं प्रौस्थेटिक सहायक, जीएनएम, एएनएम, डेंटल मैकेनिक्स, डेंटल हाइजनिस्ट कोर्स में नामांकन होगा।
वहीं, एएनएम के 73 सरकारी संस्थानों में 4530 सीट व प्राइवेट के 129 संस्थानों के 2997 सीटों पर नामांकन होगा। वहीं, जीएनएम के 26 सरकारी संस्थानों में 1538 व प्राइवेट के 69 जीएनएम संस्थानों में 1968 सीटों पर नामांकन होगा। वहीं, पारा मेडिकल (माध्यमिक स्तरीय) के तहत ड्रेसर कोर्स में 690 सीट पर नामांकन होगा।
इसके साथ ही कुल 46 सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेजों के 16170 सीटों पर नामांकन होगा। वहीं, 16 प्राइवेट पॉलिटेक्निक के 5340 सीटों पर नामांकन होगा। यानी सरकारी व प्राइवेट पॉलिटेक्निक मिलाकर कुल 21,510 सीटों पर नामांकन होगा। डिप्लोमा इन फार्मेसी के 300 सीटों पर नामांकन होगा।
पॉलिटेक्निक में प्रवेश के लिए सवा दो घंटे की होगी परीक्षापॉलिटेक्निक प्रवेश के लिए परीक्षा दो घंटे 15 मिनट की होगी। इसमें भौतिकी, रसायन एवं गणित से प्रश्न पूछे जाएंगे। इसमें भौतिकी से 30 प्रश्न 150 अंक, रसायनशास्त्र के 30 प्रश्न 150 अंक, गणित के 30 प्रश्न 150 अंकों के पूछे जाएंगे। कुल 90 प्रश्न 450 अंकों के होंगे।
पारा मेडिकल (पीएम) में प्रवेश के लिए:पारा मेडिकल (इंटरमीडिएट स्तरीय-पीएम) के लिए 450 अंकों के 90 प्रश्न पूछे जाएंगे। इसमें सामान्य विज्ञान (भौतिकी, केमिस्ट्री, जीव विज्ञान) के 25 प्रश्न 125 अंकों के, अंकगणितीय योग्यता के 15 प्रश्न 75 अंकों के, हिंदी के 15 प्रश्न 75 अंकों के, अंग्रेजी के 15 प्रश्न 75 अंकों के और सामान्य ज्ञान के 20 प्रश्न 100 अंकों के पूछे जायेंगे। परीक्षा के लिए दो घंटे 15 मिनट का समय दिया जाएगा।
पारा मेडिकल (पीएमएम) में प्रवेश के लिए:पारा मेडिकल (माध्यमिक स्तरीय-पीएमएम) में 450 अंकों के 90 प्रश्न पूछे जाएंगे। इसमें भौतिकी के 20 प्रश्न 100 अंकों के, रसायनशास्त्र के 20 प्रश्न 100 अंकों के, गणित के 10 प्रश्न 50 अंकों के, जीव विज्ञान के 10 प्रश्न 50 अंकों के, हिंदी के 10 प्रश्न 50 अंकों के, अंग्रेजी के 10 प्रश्न 50 अंकों के, सामान्य ज्ञान के 10 प्रश्न 50 अंकों के पूछे जाएंगे। इसके लिए दो घंटे 15 मिनट का समय दिया जाएगा।
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कैसे बढ़ेगी कांग्रेस की इनकम? संपत्तियों के लिए बनाया ये प्लान; जानिए किसे मिली जिम्मेदारी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संगठन को गांव और वार्ड स्तर पर मजबूत करने के प्रयासों में जुटी कांग्रेस ने इसके बीच आने वाली आर्थिक चुनौतियों को भी गंभीरता से लिया है। पार्टी शीर्ष नेतृत्व का प्रयास है कि देशभर में जो भी कांग्रेस की संपत्तियां हैं, उनका सिरे से ब्योरा जुटाया जाए।
यह जिला और शहर अध्यक्षों से ही रिपोर्ट मांगी है कि किस संपत्ति का कैसे सदुपयोग किया जाए कि उससे आय की व्यवस्था हो और संगठन गतिविधियों को बिना मुश्किल संचालित किया जा सके। कई राज्यों में कांग्रेस लंबे समय से सत्ता से बाहर है। इसका राजनीतिक प्रभाव कमजोर संगठन के रूप में पड़ा तो काफी असर पार्टी की माली हालत पर भी पड़ा है।
संगठन को धरातल पर मजबूत करने में जुटा हाईकमानचुनाव लड़ने में आने वाली आर्थिक चुनौतियों को कई बार शीर्ष नेतृत्व ने व्यक्त किया है तो अक्सर बैठकों में राज्यों और जिलों के पदाधिकारियों ने भी इस ओर ध्यान आकृष्ट कराया है कि संगठन की गतिविधियों को सुचारु चलाने में पैसों की कमी आड़े आ रही है। अब चूंकि, कांग्रेस हाईकमान ने संगठन को धरातल पर मजबूत करने के लिए विशेष अभियान छेड़ रखा है तो आर्थिक संकट के पहलू को भी अपनी चिंताओं में शामिल किया है।
इसे दूर करने की दिशा में नेतृत्व क्या सोच रहा है, इसे पिछले दिनों हुई नवनियुक्त जिला और शहर अध्यक्षों के साथ हुई बैठक में भी साझा किया गया। बैठक में शामिल रहे सूत्र ने बताया कि कुछ अध्यक्षों ने मांग उठाई कि यदि शीर्ष नेतृत्व कुछ आर्थिक सहयोग करे तो संगठन के काम को तेजी से आगे बढ़ाने में सहूलियत होगी। इस पर मंचासीन एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि इसके लिए पार्टी ने कुछ विचार कर रखा है।
कांग्रेस की स्थानीय इकाइयों के पास हैं तमाम पुरानी संपत्तिदरअसल, देश भर में कांग्रेस की स्थानीय इकाइयों के पास बहुत सी पुरानी संपत्ति है। कुछ जिला व शहर अध्यक्षों ने गड़बड़ियां कर दी हैं। पार्टी हित न देखते हुए संपत्तियों को विवादित कर दिया या पुराने विवादों में साठगांठ कर प्रतिवादी को लाभ पहुंचा दिया। इसके अलावा बहुत सी बहुमूल्य संपत्ति का सही तरीके से उपयोग नहीं हो पा रहा है। वरिष्ठ पदाधिकारी ने जिला व शहर अध्यक्षों से कहा कि आप अपने क्षेत्र की कांग्रेस की सभी संपत्तियों का ब्योरा जुटाएं।
जो संपत्ति गैर विवादित हैं, उन्हें चिह्नित कर रिपोर्ट सौंपें कि उनका उपयोग किस तरह कर सकते हैं कि पार्टी को आय हो सके। जैसे परिसर बड़ा हो। कार्यालय के लिए पर्याप्त स्थान के अलावा भूमि बच रही हो तो उसका व्यावसायिक उपयोग कराया जा सकता है। इसी तरह विवादित संपत्तियों पर भी रिपोर्ट बनाएं, ताकि स्थानीय, राज्य या एआईसीसी की लीगल सेल से मशविरा कर उनका निस्तारण भी कराने के प्रयास किए जा सकें।
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राज्य ब्यूरो, पटना। वक्फ संशोधन कानून पर संसद और राज्यसभा में जदयू के समर्थन की वजहों पर पार्टी के मुस्लिम समाज से आने वाले नेता मुस्लिम बहुल इलाकों में जाकर बात करेंगे। पार्टी के स्तर पर इसकी तैयारी चल रही।
इसके अतिरिक्त, मुस्लिम समाज के लोगों के बीच इस विषय पर भी चर्चा होगी कि इस समाज के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने 19 वर्षों के कार्यकाल में क्या-क्या किया।
समर्थन की वजहों के साथ-साथ नीतीश का भरोसा बताएंगेजदयू नेताओं का कहना है कि वक्फ संशोधन कानून पर जदयू मुस्लिम इलाके में जाकर उनके बीच जो भ्रम है उसे दूर करने पर बात करेगा।
जदयू के अल्पसंख्यक नेताओं का कहना है कि हम अपनी उन पांच सुझावों को मान लिए जाने की चर्चा लोगों से करेंगे जो वक्फ संशोधन कानून को लेकर महत्वपूर्ण है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण यह है जमीन के मामले में राज्य सरकार का अधिकार बरकरार रहेगा। नए कानून में जमीन को लेकर राज्य सरकार का निर्णय ही माना जाएगा।
जदयू ने अपने सुझाव में यह बात कही थी कि नया कानून पूर्व की तारीख से प्रभावी नहीं हाेगा। इसके अलावा यह महत्वपूर्ण सुझाव को भी मान लिया गया कि अगर वक्फ की कोई संपत्ति निबंधित नहीं भी है और उस पर कोई धार्मिक भवन है तो उससे किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं की जाएगी।
इन सुझावों के मान लिए जाने से यह बात स्पष्ट है कि वक्फ की जमीन कोई छीन नहीं लेगा। इस पूरे अभियान के क्रम में नीतीश कुमार के भरोसे पर भी बात होगी।
यह बताया जाएगा कि नीतीश कुमार के रहते अल्पसंख्यक समाज के लोगों के साथ किसी तरह का अन्याय नहीं होगा। एक साथ कई अल्पसंख्यक नेता इस मुद्दे पर अलग-अलग इलाके में बहुत जल्द निकलेंगे।
नीतीश कुमार के कार्यकाल में अल्पसंख्यक समाज के लिए ली गई योजनाओं पर बातअल्पसंख्यक समाज के नेता मुस्लिम बहुल इलाकों में जाकर यह भी बताएंगे कि नीतीश कुमार के 19 वर्षों के शासनकाल में किस तरह से उनके लिए योजनाओं पर काम हुआ।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के शासनकाल में अल्पसंख्यक कल्याण के बजट में 282 गुना की बढ़ाेतरी हुई। कब्रिस्तानों की घेराबंदी व तालीमी मरकज सहित सशक्तिकरण काे लेकर शुरू योजनाओं पर बात करेंगे।
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