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मणिपुर में आतंकियों से हुई सुरक्षा बलों की मुठभेड़, हथियारों का जखीरा बरामद

Dainik Jagran - National - April 7, 2025 - 10:53am

पीटीआई, इंफाल। मणिपुर में सुरक्षा बलों और विद्रोहियों के बीच मुठभेड़ हुई है। सोमवार को पुलिस ने जानकारी दी है कि मणिपुर के थौबल जिले में प्रतिबंधित कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी संगठन के आतंकियों के साथ सुरक्षा बलों की संक्षिप्त मुठभेड़ हुई है। इसके बाद एक उग्रवादी शिविर से हथियार और गोला-बारूद बरामद किया गया है।

आतंकियों ने जवानों पर की फायरिंग

जानकारी के मुताबिक रविवार को सुरक्षा बल हेरोक पार्ट-3 इलाके में तलाशी अभियान चला रहे थे। तभी आतंकियों ने उन पर फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई के बाद आतंकी वहां से भाग निकले। बाद में सेना ने तलाशी अभियान चलाया तो आतंकियों का एक बड़ा कैंप मिला। यहां तलाशी लेने पर गोला-बारूद और हथियारों का जखीरा बरामद हुआ।

कैंप से सुरक्षा बलों को क्या-क्या मिला?

पुलिस के मुताबिक कैंप से एक सेल्फ-लोडिंग राइफल, एक मैगजीन, एक 12 बोर की सिंगल बैरल बंदूक, 7.62 मिमी के 21 कारतूस, 3 बुलेटप्रूफ जैकेट, 2 प्लेट, छद्म कपड़े, सीरिंज, दवाइयां और 3 चार पहिया वाहन मिले हैं।

एक आतंकी पकड़ा गया

उधर, पुलिस ने रविवार को इंफाल पश्चिम जिले के नागमपाल इलाके में केसीपी के एक आतंकी को पकड़ने में कामयाबी हासिल की है। आरोपित की पहचान वैखोम लवसन सिंह (31) के रूप में हुई है। वह जबरन वसूली जैसी अवैध गतिविधियों में शामिल था।

इंफाल पूर्व जिले में भी मिले हथियार

एक अन्य मामले में सुरक्षा बलों ने रविवार को इंफाल पूर्व जिले के पौराबी गांव के पास माकौ पहाड़ी क्षेत्र से एक .32 पिस्तौल, एक मैगजीन, एक खाली इंसास मैगजीन और कारतूस बरामद किए हैं।

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वक्फ संशोधन कानून का समर्थन पड़ा भारी, भाजपा नेता असकर अली के घर को भीड़ ने लगाई आग

Dainik Jagran - National - April 7, 2025 - 9:47am

पीटीआई, इंफाल। मणिपुर में भाजपा नेता को वक्फ संशोधन कानून का समर्थन करना भरी पड़ गया। भीड़ ने उनके घर को आग के हवाले कर दिया। पुलिस के मुताबिक मणिपुर में भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष असकर अली ने वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया था। इससे खफा भीड़ ने यह कदम उठाया है। घटना रविवार रात को थौबल जिले के लिलोंग में हुई है।

रात में घर के बाहर जुटी गुस्साई भीड़

अधिकारियों के मुताबिक असकर अली ने सोशल मीडिया पर वक्फ संशोधन कानून का समर्थन किया था। इसके बाद रविवार की रात लगभग नौ बजे गुस्साई भीड़ उनके घर के बाहर जुटी। देखते ही देखते भीड़ ने तोड़फोड़ शुरू कर दी। कुछ देर बाद घर को आग लगा दी।

पिछले बयान पर मांगी माफी

आगजनी की घटना के बाद असकर अली ने एक नया वीडियो जारी किया है। इसमें उन्होंने अपने पिछले बयान पर माफी मांगी। उन्होंने वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध भी किया।

प्रदर्शनकारियों के साथ सुरक्षा बलों की झड़प

उधर, इंफाल घाटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। पांच हजार से अधिक लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। लिलोंग में एनएच-102 पर जाम भी लगाया। अधिकारियों के मुताबिक थौबल के इरोंग चेसाबा में सुरक्षा बलों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प भी हुई है।

मुस्लिम बहुल इलाकों में बढ़ाई गई सुरक्षा

प्रदर्शनकारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। प्रदर्शन में शामिल साकिर अहमद ने कहा, "वक्फ संशोधन अधिनियम संविधान की भावना के खिलाफ है। मुस्लिम समुदाय इसे स्वीकार नहीं करेगा। अधिकारियों का कहना है कि इंफाल घाटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में सुरक्षा बढ़ा दी गई है। अतिरिक्त सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है।

वक्फ संशोधन विधेयक गुरुवार की रात लोकसभा और शुक्रवार को राज्यसभा से पारित किया गया था। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद अब यह कानून बन गया है। नए कानून का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को सुव्यवस्थित बनाना है।

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World Health Day: सही जानकारी नहीं मिलने से रोग बन रहे नासूर, डॉक्टर भी नहीं दे पा रहे मरीजों को समय

Dainik Jagran - April 7, 2025 - 9:44am

पवन कुमार मिश्र,पटना। पर्यावरणीय बदलाव, वायरस-बैक्टीरिया के रूपांतरण, अत्यधिक एंटीबायोटिक के इस्तेमाल, खराब जीवनशैली व खानपान, जनसंख्या में वृद्धि व शहरीकरण से रोगों का शिकंजा तो कसा ही है। अब नए-नए रोग भी सामने आ रहे हैं। जनसंख्या व डॉक्टरों का अनुपात अधिक होने से सरकारी हों या निजी डॉक्टर, मरीजों को एक-दो मिनट से अधिक का समय नहीं दे पा रहे हैं।

मरीजों को समय नहीं दे पा रहे डॉक्टर

देश में एनएमसी के पूर्व नाम एमसीआइ के मानक के अनुसार डॉक्टर को एक मरीज को कम से कम 10 मिनट परामर्श देना चाहिए। रोग की जटिलता व रोगी की हालत के अनुसार यह ज्यादा हो सकता है।

इसका नतीजा यह है कि डॉक्टर मरीज को दवा लेने का तरीका, खानपान-व्यायाम समेत अन्य ऐसे निर्देश नहीं दे पाते, जो दवा की प्रभावशीलता बढ़ाने और रोग को जल्द ठीक कर सकती हैं।

विश्व स्वास्थ्य दिवस सात अप्रैल की पूर्व संध्या पर ये बातें आइजीआइएमएस में फार्माकोलॉजी के विभागाध्यक्ष डॉ. हरिहर दीक्षित ने कहीं।

डॉ. दीक्षित ने कहा कि अस्थमा रोगी को डॉक्टर इन्हेलर तो लिख देते हैं, लेकिन उसे लेने का सही तरीका क्या है यह न तो डॉक्टर बताते हैं, न कंपाउंडर और न ही दवा दुकानदार। नतीजा मरीज को पूरा फायदा नहीं होता।

डॉ. हरिहर दीक्षित के अनुसार आइजीआइएमएस, एम्स जैसे अस्पतालों में सामान्य रोगियों की भीड़ कम कर इलाज की गुणवत्ता और बढा़ई जा सकती है। इसके लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर डॉक्टरों की उपलब्धता व उपचार की गुणवत्ता सुनिश्चित करनी होगी।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी मरीजों की संख्या को देखते हुए डाक्टरों की नियुक्ति की जाए ताकि हर रोगी को बेहतर उपचार के साथ बेहतर परामर्श मिले।

जन्म के साथ ही बेहतर स्वास्थ्य की नींव डालना जरूरी

एनएमसीएच में मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार सिन्हा के अनुसार जन्म के पहले घंटे में नवजात को मां का पीला-गाढ़ा दूध पिलाना, छह माह तक सिर्फ मां के दूध पर रखना।

इसके अलावा स्वास्थ्यप्रद जीवनशैली, नियमित व्यायाम, पौष्टिक खानपान, सोने व जागने का नियत समय, फालतू का तनाव हावी नहीं होने देना, साफ-सफाई व हाइजीन की आदतें बचपन से सिखाई जानी चाहिए।

बच्चों को कोई रोग नहीं होने पर भी स्वस्थ जीवनशैली व उन्हें कोई समस्या कभी महसूस होती हो तो उसके कारण जानने के लिए बीच-बीच में डॉक्टरों से काउंसलिंग करानी चाहिए। इससे एक गुण विकसित होगा और वे किसी भी रोग की शुरुआत में डॉक्टर के पास जाकर इलाज ले सकेंगे।

इस वर्ष मातृ-नवजात मृत्युदर कम करने पर जोर

एम्स पटना की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. इंदिरा प्रसाद के अनुसार, इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस की थीम स्वस्थ शुरुआत, आशापूर्ण भविष्य, मातृ एवं नवजात शिशु के स्वास्थ्य में सुधार पर केंद्रित है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, हर वर्ष लगभग तीन लाख महिलाएं गर्भावस्था या प्रसव के कारण जान गंवा देती हैं। 20 लाख से ज़्यादा बच्चे जीवन के पहले माह में मर जाते हैं और करीब 20 लाख ही मृत पैदा होते हैं। हर सात सेकेंड में लगभग एक रोकी जा सकने वाली मौत दुखद है।

राज्य में पहले से ही संस्थागत एवं सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिए घरेलू प्रसव मुक्त पंचायत का अभियान चलाया जा रहा है।

उच्च जोखिम वाली गर्भवतियों के उचित शल्य प्रबंधन के लिए प्रथम रेफरल इकाई को मजबूत किया जा रहा है। इसमें बदलाव तभी होगा जब महिलाओं को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रसव से पहले, दौरान और बाद में परिवार, डॉक्टर का नैतिक समर्थन मिलेगा।

विश्व स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य

विश्व स्वास्थ्य दिवस का उद्देश्य हर वर्ष सात अप्रैल को स्वास्थ्य का महत्व समझाने व वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान की पहल को विश्व स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।

इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की स्थापना की वर्षगांठ के रूप में भी जाना जाता है। इसका उद्देश्य दुनिया में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना एवं स्वास्थ्य सेवाओं को गुणवत्ता बनाने पर जोर देना है।

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