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'तमिलनाडु सरकार नाम तो भेजे, तत्काल सम्मान निधि देंगे', शिवराज ने कहा किसानों का चयन करना राज्यों का काम

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 9:57pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। तमिलनाडु के साथ नई शिक्षा नीति और हिंदी को लेकर छिड़े संग्राम के बीच ही अब केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आरोप लगाया है कि राज्य किसानों को सम्मान निधि दिलाने को लेकर गंभीर ही नहीं है।

तमिलनाडु के कृषि मंत्री एक बार भी बैठक में नहीं आए: शिवराज

संसद में उन्होंने बेलाग कहा कि उन्होंने दो बार तमिलनाडु को दौरा किया लेकिन वहां के कृषि मंत्री एक बार भी बैठक के लिए नहीं आए। राज्य किसानों को नाम भेजे तो सही, केंद्र तत्काल उन्हें सम्मान निधि देगी। राज्यों को इतना काम को करना ही पड़ेगा।

राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी निभाए: ​कृषि मंत्री

लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान मंगलवार को तमिलनाडु से जुड़े एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार सभी पात्र किसानों को पीएम किसान सम्मान निधि के तहत वार्षिक छह हजार रुपये देने के लिए तैयार है। अगर कोई छूट गया है तो राज्य सरकार की जिम्मेवारी है कि प्रक्रिया के तहत उन्हें शामिल कराएं।

तमिलनाडु में 14 हजार किसान

केंद्र सुनिश्चित करेगा कि उन्हें भी योजना के तहत मिलने वाली पिछली किस्तें भी मिलें। राज्य और केंद्र शासित प्रदेश योजना के दिशा-निर्देशों के तहत आर्थिक सहायता के लिए पात्र किसानों की पहचान करते हैं। उन्होंने कहा कि मेरी जानकारी में तमिलनाडु में लगभग 14 हजार किसान हैं, जो योजना के पात्र हो सकते हैं।

...तो एक दिन की देरी भी नहीं होगी

तमिलनाडु सरकार छानबीन करके नाम भेज दे तो दिल्ली से एक दिन की भी देरी नहीं होगी। तमिलनाडु में पात्र किसानों को जोड़ने के लिए एक और विशेष अभियान चलाने के लिए हम तैयार हैं। शिवराज ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का नाम लिए बिना कहा कि एक प्रधानमंत्री हुए थे, जो बहुत मजबूर थे।

'अब योजना का पूरा पैसा मिलता है'

कहते थे कि केंद्र से एक रुपये जाता है तो गांवों में सिर्फ 15 पैसा पहुंचता है। मगर अब ऐसा नहीं है। केंद्र से छह हजार जाता है तो किसानों के खाते में छह हजार ही पहुंचता है।

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ट्रंप ने एल्यूमीनियम पर लगाया 25% टैरिफ, कनाडा को दिया दोगुना झटका; भारत पर क्या होगा असर?

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 9:56pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका में सभी देशों से आने वाले स्टील और एल्युमीनियम पर 12 मार्च से 25 प्रतिशत का शुल्क लगेगा। यह घोषणा अमेरिका पहले ही कर चुका है। इस शुल्क बढ़ोतरी से भारत के स्टील व एल्युमीनियम निर्यात पर कोई खास अंतर नहीं पड़ेगा।

इन दोनों वस्तुओं का भारत अमेरिका में 1.5 अरब डॉलर से भी कम का निर्यात करता है। इस बात की जरूर आशंका जाहिर की जा रही है कि अमेरिका की इस शुल्क बढ़ोतरी नीति से चीन व अन्य देश भारत में स्टील उत्पाद बड़ी मात्रा में भेज सकते हैं। इससे हमारे घरेलू उद्योग के प्रभावित होने की आशंका है।

इन देशों से भारत में आयात होता है स्टील

चीन के अलावा भारत में वियतनाम, दक्षिण कोरिया, जापान और सिंगापुर जैसे देशों से स्टील के विभिन्न उत्पादों का आयात होता है। भारत को ये देश बड़े बाजार के रूप में देख रहे हैं। सरकार कई स्टील उत्पादों पर 15 प्रतिशत एंटी डंपिग ड्यूटी लगाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। स्टेनलेस स्टील, सीमलेस ट्यूब और पाइप चीन से आते हैं और इन पर एंटी डंपिंग ड्यूटी लगाई जा सकती है।

भारत में सालाना 14.5 करोड़ टन स्टील का उत्पादन

स्टील मंत्रालय के मुताबिक भारत सालाना 14.5 करोड़ टन स्टील का उत्पादन करता है। इनमें से सिर्फ 95,000 टन स्टील का निर्यात अमेरिका किया जाता है। इसलिए स्टील व एल्युमीनियम पर अमेरिका की शुल्क नीति से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।

कनाडा को अमेरिका ने दिया दोगुना झटका

अमेरिका ने कनाडा को दोहरा झटका दिया है। मंगलवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कनाडा से संयुक्त राज्य अमेरिका में आने वाले सभी स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर अपने नियोजित टैरिफ को दोगुना कर दिया।

ट्रंप के इस फैसले से कुल टैरिफ 50% हो गया है। बताया जा रहा है कि यह कदम ओंटारियो प्रांत द्वारा अमेरिका में आने वाली बिजली पर 25% टैरिफ लगाने के जवाब में उठाया गया है। बता दें कि डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट में इस बात की जानकारी दी है। टैरिफ के नए नियम बुधवार से लागू हो जाएंगे।

डोनाल्ड ट्रंप ने क्या कहा?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पोस्ट में लिखा कि कनाडा को विभिन्न अमेरिकी डेयरी उत्पादों पर 250% से 390% तक के अपने एंटी-अमेरिकन किसान टैरिफ को तुरंत हटाना चाहिए, जिसे लंबे समय से अपमानजनक माना जाता रहा है। मैं जल्द ही खतरे वाले क्षेत्र में बिजली पर राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा करूंगा। इसके साथ ट्रंप ने यह भी धमकी दी कि यदि कनाडा ने अन्य बड़े टैरिफ को समाप्त नहीं किया तो वे 2 अप्रैल से अमेरिका में आने वाली कारों पर टैरिफ में काफी वृद्धि कर देंगे।

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Business News - March 11, 2025 - 9:52pm
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'भारत हमेशा आपके साथ खड़ा है... मैं महाकुंभ का जल लाया हूं', मॉरीशस में और क्या-क्या बोले पीएम मोदी

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 9:51pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दो दिवसीय यात्रा पर मॉरीशस पहुंचे पीएम मोदी ने कहा कि भारत और मॉरीशस के बीच रिश्ते काफी गहरे हैं। भारत हमेशा मॉरीशस के साथ खड़ा है। मॉरीशस के संकट के समय भारत पहला साथी है। रक्षा क्षेत्र में दोनों देश साथ मिलकर काम कर रहे हैं।

भारत और मॉरीशस भविष्य की संभावनाओं से जुड़े हैं। पीएम मोदी ने भारत में जल्द गिरमिटिया कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का एलान किया। उन्होंने कहा कि इससे जुड़े आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। 

मॉरीशस देगा सर्वोच्च नागरिक सम्मान

पीएम मोदी ने कहा कि मॉरीशस के लोगों और यहां की सरकार ने मुझे अपना सर्वोच्च नागरिक सम्मान देने का फैसला लिया है। मैं आपके निर्णय को विनम्रता से स्वीकार करता हूं। ये भारत और मॉरीशस के ऐतिहासिक रिश्तों का सम्मान है। पीएम ने कहा कि मैं जब मॉरीशस आता हूं तो ऐसा लगता है कि अपनों के बीच ही तो आया हूं। यहां की हवा, मिट्टी और पानी में अपनेपन का एहसास है।

मॉरीशस परिवार जैसा

संकट के समय में भारत हमेशा मॉरीशस के साथ खड़ा रहा है। कोविड-19 के दौरान भारत एक लाख वैक्सीन और जरूरी दवाइयां पहुंचाने वाला पहला देश था। पीएम ने कहा कि मॉरीशस हमारे लिए एक परिवार जैसा है।

विजन सागर के केंद्र में मॉरीशस

पीएम ने कहा कि मॉरीशस सिर्फ एक साझेदार देश नहीं है। हमारे लिए मॉरीशस एक परिवार है। यह रिश्ता इतिहास, विरासत और मानवीय भावना में गहरा और मजबूत हुआ है। मॉरीशस भारत को व्यापक वैश्विक दक्षिण से जोड़ने वाला एक पुल है। एक दशक पहले 2015 में प्रधानमंत्री के तौर पर अपने पहले कार्यकाल में मैंने सागर विजन का एलान किया था। सागर का अर्थ क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास है। आज मॉरीशस इस विजन के केंद्र में है।

पीएम ने किया बिहार का जिक्र

पीएम मोदी ने कहा कि बिहार के साथ आपका भावुक संबंध भी मैं समझता हूं। दुनिया के अनेक हिस्से जब पढ़ाई-लिखाई से कोसों दूर थे, तब नालंदा जैसा ग्लोबल इंस्टीट्यूट बिहार में था। हमारी सरकार ने फिर से नालंदा यूनिवर्सिटी और नालंदा स्पिरिट को रिवाइव किया है। भारत में बिहार का मखाना आज बहुत चर्चा में है। आप देखेंगे कि वो दिन दूर नहीं जब बिहार का ये मखाना दुनिया भर में स्नैक्स मैन्यू का हिस्सा होगा।

अपने साथ महाकुंभ का पवित्र जल लाया हूं

अपने संबोधन में पीएम ने कहा कि मैं जानता हूं कि मॉरीशस के अनेक परिवार अभी-अभी महाकुंभ से लौटे हैं। दुनिया को आश्चर्य हो रहा है कि मानव इतिहास का सबसे बड़ा समागम था और उसमें मॉरीशस के लोग भी आए थे। मगर मॉरीशस के मेरे अनेक परिवारजन चाहते हुए भी एकता के इस महाकुंभ में नहीं पहुंच सके।

मुझे आपकी भावनाओं का ध्यान है। इसलिए मैं आपके लिए पवित्र संगम का और महाकुंभ के उसी समय का पवित्र जल साथ आया हूं। इस पवित्र जल को कल गंगा तालाब में अर्पित किया जाएगा।

मॉरीशस के पीएम और उनकी पत्नी को ओसीआई कार्ड

पीएम मोदी ने कहा कि मॉरीशस में प्रवासी भारतीयों की सातवीं पीढ़ी को ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया (OCI) कार्ड की पात्रता देने का फैसला किया गया है। मुझे मॉरीशस के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी को ओसीआई कार्ड देने का सौभाग्य मिला। इसी तरह मुझे मॉरीशस के प्रधानमंत्री और उनकी पत्नी को भी यही सम्मान देने में खुशी हो रही है।

मॉरीशस में मना राम मंदिर का जश्न

पीएम मोदी ने मॉरीशस में राम मंदिर का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि जब अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन हुआ। हमारा 500 साल का इंतजार खत्म हुआ तो भारत जैसा उत्सव मॉरीशस में भी देखने को मिला। तब आपकी भावनाओं को समझते हुए मॉरीशस ने आधे दिन की छुट्टी भी घोषित की थी। भारत और मॉरीशस के बीच आस्था का ये संबंध हमारी मित्रता का बहुत बड़ा आधार है।

27 साल पुरानी यात्रा को किया याद

पीएम मोदी ने कहा कि साल 1998 में अंतरराष्ट्रीय रामायण सम्मेलन के लिए मुझे यहां आने का अवसर मिला था। तब मैं किसी सरकारी पद पर भी नहीं था। एक सामान्य कार्यकर्ता के रुपये से यहां आया था। संयोग देखिए कि नवीन जी उस समय भी प्रधानमंत्री थे। अब जब मैं प्रधानमंत्री बना तो नवीन जी मेरे शपथ ग्रहण समारोह में हिस्सा लेने दिल्ली आए थे। प्रभु राम और रामायण के प्रति जो आस्था और भावना मैंने सालों पहले महसूस की थी... वह आज भी अनुभव करता हूं।

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त्रिभाषा फॉर्मूला की सिफारिश वैश्विक जरूरत, धर्मेंद्र प्रधान बोले- भाषा थोपी नहीं, मातृभाषा में ही शिक्षा देने की बात कही

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 9:10pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ( एनईपी ) के त्रिभाषा फॉर्मूले और तमिल भाषा के मुद्दे पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को साफ किया कि केंद्र सरकार किसी भी राज्य पर कोई भाषा नहीं थोप रही है बल्कि वह तो सभी राज्यों को पांचवीं कक्षा तक बच्चों को अनिवार्य रूप से मातृभाषा में ही शिक्षा देने की बात कह रही है।

जो लोग हम पर तमिल भाषा को कमजोर करने का आरोप लगा रहे है शायद उन्हें नहीं पता है कि केंद्र ने पिछले सालों में तमिल भाषा को आगे बढ़ाने के लिए काशी-तमिल व तमिल-सौराष्ट्र संगमम जैसे बड़े आयोजन किए है। प्रधान ने शिक्षा में एक विचारधारा को बढ़ाने के कांग्रेस के आरोपों पर भी जवाब किया और कहा कि यह सच है कि हम शिक्षा में एक विचारधारा को आगे बढ़ा रहे है लेकिन यह विचारधारा भारतीयता है।

नौकरियों में ज्यादा महत्व दिया

केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने मंगलवार को राज्यसभा में शिक्षा के कामकाज के मुद्दे पर हुई चर्चा के जवाब में यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि त्रिभाषा फॉर्मूले को वैश्विक जरूरत को देखते हुए शामिल किया गया। उन्होंने इस दौरान एक रिपोर्ट का भी हवाला देते हुए कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर उन्हें नौकरियों में ज्यादा महत्व दिया जाता है, जो लोगों बहुभाषी होते है।

स्टालिन सरकार को भी आईना दिखाया

उन्होंने इस दौरान द्रमुक और स्टालिन सरकार को भी आईना दिखाया और कहा कि जो लोग द्विभाषा फॉर्मूले की बात कर रहे है उन्हें शायद पता नहीं कि राज्य में तमिल भाषा में पढ़ाई करने वालों की संख्या में लगातार कम हो रही है। राज्यसभा में करीब छह घंटे चली इस चर्चा में भाजपा, कांग्रेस, द्रमुक , तृणमूल कांग्रेस, सपा, शिवसेना उद्धव गुट, आरजेडी आदि दलों के सदस्य शामिल थे। राज्यसभा में इस चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने की।

शिक्षकों के पदों में भारी कमी का मुद्दा

उन्होंने सरकार पर समग्र शिक्षा के तहत कुछ राज्यों पैसा न देने का आरोप लगाया। साथ ही स्कूलों और विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के पदों में भारी कमी का मुद्दा उठाया। उन्होंने सरकार पर शिक्षा पर एक विचारधारा को आगे बढ़ाने और उसमें सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। स्कूली की बुनियादी शिक्षा को लेकर शिक्षा और महिला बाल विकास मंत्रालय के बीच तालमेल न होने का मुद्दा भी उठाया।

शिक्षा व महिला बाल विकास मंत्रालय के बीच तालमेल

प्रधान ने अपने जवाब में कहा कि शिक्षा व महिला बाल विकास मंत्रालय के बीच पूरा तालमेल है। एनसीईआरटी की किताबों से गांधी जी के हत्यारे के बारे पढ़ाए जा इस विषय को हटाने पर भी उन्होंने स्पष्ट किया और कहा कि यह सावर्जनिक है। लेकिन जिस तरह उसके जरिए पूरे ब्राम्हण समाज को अपमानित करने की कोशिश थी वह गलत था। हम नहीं चाहते है कि किताबों में ऐसा कुछ भी पढ़ाया जाए जिससे समाज में वैमनस्य बढ़े।

किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी गई

प्रधान ने इस दौरान डीएमके सांसद कनिमोझी के आरोपों पर भी जवाब दिया और कहा कि तमिलनाडु के मुख्य सचिव ने 15 मार्च 2024 पत्र लिखकर कहा था कि वह पीएम-श्री स्कूल के लिए केंद्र के साथ एमओयू करना चाहते है। उन्होंने पत्र भी दिखाया। अब तमिलनाडु इससे पीछे हट रहा है। एनईपी के जरिए किसी पर कोई भाषा नहीं थोपी गई है। आप हमें गाली दे सकते है लेकिन तमिलनाडु की नई पीढ़ी सब देख रही है। वह अपने बेहतर भविष्य को जानती है कि क्या पढ़ने में बेहतर है और क्या नहीं।

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Holi Kab Hai 2025: कभी 14 तो कभी 15 मार्च, होली की डेट को लेकर दूर करें कन्फ्यूजन; ये है शुभ मुहूर्त

Dainik Jagran - March 11, 2025 - 8:33pm

जागरण संंवाददाता, पटना। होली की तारीख (Holi 2025 Date) लेकर इस बार लोगों में संशय की स्थिति है। मिथिला व बनारस पंचांग में 13 मार्च गुरुवार को होलिका दहन होगा। फाल्गुन शुक्ल की पूर्णिमा दो दिन होने से होलिका दहन के एक दिन बाद यानी 15 मार्च को होली का पर्व मनाया जाएगा।

फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत 13 मार्च गुरुवार को तथा स्नान-दान की पूर्णिमा 14 मार्च शुक्रवार को होगी। फाल्गुन पूर्णिमा गुुरुवार की सुबह 10.11 बजे से शुरू हो रहा है और भद्रा भी उसी समय से आरंभ हो रहा है। भद्रा गुरुवार की रात 10.47 बजे तक रहेगी। 14 मार्च शुक्रवार को पूर्णिमा तिथि दोपहर 11.22 बजे तक है।

ज्योतिष आचार्य पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि पूर्णिमा तिथि पर शिव वास योग के साथ बव करण शुभ योग बना रहेगा। ऐसे में भगवान शिव की पूजा से घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि होगी। ज्योतिष शास्त्र में होलिका दहन को लेकर नियम बताए गए हैं। होलिका दहन के दिन पूर्णिमा तिथि का होना, भद्रा से रहित समय और रात्रि का समय शुभ माना जाता है।

भद्रा में होलिका दहन करना वर्जित माना गया है। 13 मार्च की रात में पूर्णिमा तिथि विद्यमान रहेगी तथा भद्रा रात्रि के 10.47 बजे खत्म हो जाएगा। ऐसे में भद्रा समाप्ति के बाद उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में होलिका दहन होगा। शुक्रवार 14 मार्च को सूर्याेदयकालीन पूर्णिमा, स्नान-दान की पूर्णिमा, कुलदेवता को सिंदूर अर्पण किया जाएगा।

रोग-शोक निवृत्ति हेतु होलिका की होगी पूजा

होलिका दहन के दिन होलिका की पूजा में अक्षत, गंगाजल, रोली-चंदन, मौली, हल्दी, दीपक, मिष्ठान आदि से पूजन होगा। पूजन के बाद होलिका में गुड़, कर्पूर, तिल, धुप, गुगुल, जौ, घी, आम की लकड़ी, गाय के गोबर से बने उपले (गोइठा) डालकर सात बार परिक्रमा करने से परिवार की सुख-शांति, समृद्धि में वृद्धि, नकारात्मकता का ह्रास, रोग-शोक से मुक्ति व मनोकामना की पूर्ति होती है।

  • होलिका दहन की पूजा करने से होलिका की अग्नि में सभी दुःख, कष्ट, रोग-दोष जलकर खत्म हो जाते हैं।
  • होलिका के जलने के बाद उसमे चना या गेहूं की बाली को पकाकर प्रसाद स्वरूप ग्रहण करने से स्वास्थ्य अनुकूल, दीर्घायु, ऐश्वर्य में वृद्धि होती है।
  • होलिका दहन के भस्म को पवित्र माना गया है। होली के दिन संध्या बेला में भस्म का टीका लगाने से सुख-समृद्धि और आयु में वृद्धि होती है।

हाेलिका दहन के साथ भगवान से नई फसल की खुशहाली की कामना की जाती है। होलिका पूजन के दौरान मेष, वृश्चिक, सिंह, व वृष राशि वाले गुड़ की आहुति दें। मिथुन, तुला व कन्या कर्पूर की आहुति दें। कर्क राशि वाले गुगुल, धनु व मीन जौ और चने व मकर एवं कुंभ राशि वाले तिल को आहुति के रूप में होलिका में अर्पण करें।

शुभ नक्षत्रों के युग्म संयोग में 15 को होली

रंगोत्सव का पर्व होली उदय व्यापिनी चैत्र कृष्ण प्रतिपदा में मनाया जाता है। होली चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 15 मार्च शनिवार को मनाई जाएगी। इस दिन दो शुभ नक्षत्रों का युग्म संयोग रहेगा। होली के दिन सुबह 7:46 बजे तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र फिर हस्त नक्षत्र पूरे दिन विद्यमान रहेगा।

दोपहर 12.55 बजे के बाद वृद्धि योग रहेगा। शास्त्रोचित मत से होली में लाल, पीला व गुलाबी रंग का प्रयोग शुभ माना जाता है। रंगों के आगे द्वेष और बैर की भावनाएं फीकी पड़ जाती है।

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'फर्जी दस्तावेज से भारत में प्रवेश पर होगी कड़ी कार्रवाई', लोकसभा में पेश हुआ इमिग्रेशन बिल, विपक्ष ने किया विरोध

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 8:05pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने विपक्ष के एतराजों के बीच मंगलवार को आव्रजन और विदेशियों विषयक अधिनियम विधेयक 2025 लोकसभा में पेश कर दिया। इस विधेयक के जरिए सरकार आव्रजन और विदेशियों से संबंधित विभिन्न सेवाओं को सुव्यवस्थित करने के साथ देश में उनके प्रवेश, निकास और ठहरने की व्यवस्था से जुड़े नियमों का कठोरता से पालन कराना सुनिश्चित करेगी।

विपक्षी दलों ने विधेयक का यह कहते हुए विरोध किया कि वर्तमान सरकार असहमति के स्वरों और विचारों को बर्दाश्त नहीं करती इसलिए ऐसे लोगों के आने और जाने को रोकने के लिए यह बिल लेकर आई है। विधेयक में कई विधायी खामियां बताते हुए विपक्ष ने इसे संसदीय समिति को भेजे जाने की मांग भी की।

गृह राज्यमंत्री ने विपक्ष की आशंकाओं को किया खारिज

वहीं विधेयक पेश करते हुए गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने विपक्ष की आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा कि केंद्र सरकार के पास इस विषय पर कानून लाने के लिए संघ सूची के तहत सभी अधिकार हैं। गृह राज्यमंत्री ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना, आव्रजन प्रक्रियाओं को नियंत्रित करना और प्रवेश तथा ठहरने की शर्तों का उल्लंघन करने वाले विदेशियों पर सख्त दंड लगाना है।

'पर्यटकों का स्वागत, पर शांति और संप्रभुता कायम रहे'

उन्होंने कहा कि पर्यटकों का भारत में स्वागत है पर यह सुनिश्चित करना भी सरकार की जिम्मेदारी है कि देश की शांति और संप्रभुता कायम रहे। विधेयक के मसौदे में साफ कहा गया है कि राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या राष्ट्र की अखंडता के लिए खतरा पैदा करने वाले किसी भी विदेशी को भारत में प्रवेश या रहने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

विदेशियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य

इसमें प्रवाधान किया गया है कि भारत आने पर विदेशियों के लिए पंजीकरण अनिवार्य होगा। साथ ही उनकी आवाजाही, नाम परिवर्तन और संरक्षित तथा प्रतिबंधित क्षेत्रों में प्रवेश रोक रहेगा। शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम को अपने यहां पढ़ने या इलाज कराने आने वाले विदेशी नागरिकों की सूचना आव्रजन अधिकारियों को देनी होगी।

नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माने का प्रावधान

नियमों के उल्लंघन पर भारी जुर्माना का प्रावधान किया गया है जिसमें बिना वैध पासपोर्ट या वीजा भारत आने पर पांच साल तक की सजा और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है। जाली दस्तावेजों का इस्तेमाल करने वाले विदेशियों को दो से सात साल की जेल की और एक से लेकर 10 लाख रुपए तक का जुर्माना हो सकता है।

अवैध प्रवेश पर तीन साल की जेल, 3 लाख का जुर्माना

वहीं वीजा शर्तों का उल्लंघन करने या प्रतिबंधित क्षेत्रों में अवैध प्रवेश करने वालों विदेशियों को तीन साल की जेल तथा तीन लाख रुपए आर्थिक दंड भरना पड़ेगा। वैध दस्तावेजों के बगैर विदेशियों की भारत यात्रा कराने के लिए ट्रेवल एजेंटों को भी विधेयक के जरिए उत्तरदायी बनाते हुए ऐसा करने वालों को दंडि़त किया जाएगा तथा पांच लाख रुपए तक का जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।

आव्रजन अधिकारियों को विशेष अधिकार
  • इसके साथ ही किसी विदेशी को भारत में प्रवेश की इजाजत नहीं दी जाती है तो उसे तत्काल वापस बाहर निकाल भेजने की जिम्मेदारी भी ट्रेवल एजेंसी की होगी। विधेयक में आव्रजन अधिकारियों को बिना वारंट के व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का अधिकार भी देता है जिसके जरिए केंद्र सरकार विदेशियों की भारत में आवाजाही को नियंत्रित कर सकती है।
  • बिल में किसी व्यक्ति को देश छोड़ने से रोकने का भी प्रावधान है। ऐसा किसी जांच या प्रवर्तन एजेंसी द्वारा व्यक्ति की उपस्थिति की जरूरत को देखते हुए किया जा सकता है। भारत में विदेशियों का प्रवेश, रहना और बाहर निकलना वर्तमान में विदेशी पंजीकरण अधिनियम 1939 तथा विदेशी अधिनियम 1946 द्वारा शासित हैं।
विधेयक का विपक्ष ने किया विरोध, क्या बोले सांसद मनीष तिवारी?
  • विपक्ष ने इस विधेयक के सख्त प्रावधानों की चर्चा करते हुए इसे लोकसभा में पेश किए जाने का विरोध किया। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के कई प्रावधानों और विभिन्न कानूनों का उल्लंघन करता है। इसमें सबसे अहम संविधान प्रदत्त व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।
  • तिवारी ने कहा कि सरकार प्रस्तावित कानून के प्रावधानों का उपयोग उन लोगों को प्रवेश से वंचित करने के लिए कर सकती है जो वर्तमान सत्तारूढ़ व्यवस्था की विचारधारा के साथ तालमेल नहीं रखते हैं।
टीएमसी के सांसद सौगत रॉय ने कही ये बात

कांग्रेस सांसद ने विधायी कसौटी पर विधेयक के खरा नहीं उतरने की बात उठाते हुए इसे संसदीय समिति के पास भेजे जाने की वकालत भी की। तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने भी तिवारी की चिंताओं से सहमति जताते हुए कहा कि प्रस्तावित कानून विभिन्न क्षेत्रों में बाहर से आने वाली प्रतिभाओं को रोक सकता है।

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इस मामले में भारत से आगे निकला यूक्रेन, SIPRI की नई रिपोर्ट ने दुनिया को चौंकाया; रूस की बढ़ेगी टेंशन

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 8:02pm

पीटीआई, नई दिल्ली। रूस के साथ लंबे समय तक युद्ध में उलझा यूक्रेन वर्ष 2020-24 के दौरान हथियारों का आयात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश था। वर्ष 2015-19 के आंकड़ों की तुलना में यूक्रेन के आयात लगभग 100 गुना बढ़ गए। इंडिपेंडेंट ग्लोबल थिंकटैंक- स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) की एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है।

भारत के आयात में कमी आई

रिपोर्ट के अनुसार, इस अवधि (2020-24) के दौरान भारत हथियारों का आयात करने वाला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश था। बड़ी मात्रा में हथियारों का आयात 'चीन और पाकिस्तान दोनों से कथित खतरों' को दर्शाते हैं। हालांकि, वर्ष 2015-19 और वर्ष 2020-24 के बीच भारत के आयात में 9.3 प्रतिशत की कमी आई।

यूरोपीय देशों के हथियार आयात में 155 फीसदी का इजाफा

रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोपीय देशों के हथियारों के आयात में इसी अवधि के बीच 155 प्रतिशत की वृद्धि हुई, क्योंकि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण और अमेरिकी विदेश नीति के भविष्य पर अनिश्चितता के मद्देनजर कई देश यूक्रेन के साथ खड़े हो गए।

सोमवार को सिपरी द्वारा प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय ‌आर्म्स ट्रांसफर पर नए आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका ने वैश्विक हथियारों के निर्यात की अपनी हिस्सेदारी को 43 प्रतिशत तक बढ़ा दिया, जबकि रूस के निर्यात में 64 प्रतिशत की गिरावट आई।

35 देशों ने यूक्रेन को भेजे हथियार

यूक्रेन-रूस युद्ध फरवरी, 2022 में शुरू हुआ और वर्तमान में इसे हल करने और क्षेत्र में स्थायी शांति लाने के लिए कुछ देशों द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं। युद्ध शुरू होने के बाद कम से कम 35 देशों ने यूक्रेन में हथियार भेजे।

सिपरी ने एक बयान में कहा, ''यूक्रेन 2020-24 की अवधि में प्रमुख हथियारों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक बन गया। इसके आयात 2015-19 की तुलना में लगभग 100 गुना बढ़े।'' यूक्रेन को 2020-24 में वैश्विक हथियारों के आयात का 8.8 प्रतिशत मिला।

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'उपभोक्ता निकाय के सदस्यों को बिना देरी करें वेतन का भुगतान', सभी राज्य सरकारों को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

Dainik Jagran - National - March 11, 2025 - 7:37pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिया है कि वे मौजूदा नियमों के अनुसार राज्य और जिला उपभोक्ता निवारण निकायों के अध्यक्षों एवं सदस्यों के वेतन और भत्ते का तुरंत भुगतान करें।

जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने केंद्र सरकार को भी उपभोक्ता संरक्षण (राज्य आयोग और जिला आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के वेतन, भत्ते एवं सेवा की शर्तें) मॉडल नियम, 2020 में संशोधन करने पर भी विचार करने का निर्देश दिया।

सभी राज्य सरकारों को आदेश

पीठ उपभोक्ता मंचों के सदस्यों के वेतन और सेवा शर्तों से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बहरहाल, पीठ ने कहा, ''हम सभी राज्य सरकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देते हैं कि इन मामलों में उठाए गए विभिन्न विवादों पर बिना किसी पूर्वाग्रह के मौजूदा राज्य नियमों के अनुसार वेतन और भत्ते अध्यक्षों/सदस्यों को तुरंत दिए जाएं।''

अगर निर्णय नहीं लिया तो अनुच्छेद 142 का करेंगे इस्तेमाल

कोर्ट ने कहा कि यदि भारत सरकार की ओर से संभावित संशोधन पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो वह ''संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत शक्ति का प्रयोग करने पर विचार करेगी।'' गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पांच मार्च के आदेश में कहा था, ''यदि कुछ राज्य सरकारों द्वारा अनुपालन नहीं किया जाता है तो संबंधित पक्ष विद्वान न्यायमित्र को इस आशय का एक नोट सौंपने के लिए स्वतंत्र हैं ताकि कोर्ट उचित आदेश पारित कर सके।''

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