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ED Raid: 50 करोड़ का कुत्ता खरीदने वाले शख्स के घर पहुंची ईडी, छापेमारी में खुल गई शख्स की पोल
पीटीआई, बेंगलुरु। शेखी बघारने के लिए एक व्यक्ति ने इंटरनेट मीडिया पर दावा कर दिया कि उसने 50 करोड़ रुपये में दुनिया का सबसे महंगा कुत्ता विदेश से मंगाया है। यह दावा इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने के बाद जब यह जानकारी ईडी को हुई तो उस व्यक्ति के खिलाफ विदेशी मुद्रा विनिमय नियमों के उल्लंघन के संबंध में शिकायत दर्ज दी।
व्यक्ति इतना महंगा कुत्ता खरीदने में सक्षम नहीं- ईडीईडी की टीम उस व्यक्ति के घर पहुंच गई और छापेमारी की। हालांकि यह दावा झूठा साबित हुआ। ईडी ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। सूत्रों के अनुसार ईडी के अधिकारियों ने पाया कि वह व्यक्ति इतना महंगा कुत्ता खरीदने में सक्षम नहीं है।
सूत्रों के अनुसार जिस कुत्ते की तस्वीरें इंटरनेट मीडिया पर भी प्रसारित हुई थीं, वह कुत्ता उसके पड़ोसी का था। उसकी कीमत ''एक लाख रुपये भी नहीं थी। ईडी ने इस मामले में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत कोई जांच शुरू नहीं की है।
ईडी ने रामेश्वरम रिसार्ट के 60 कमरे और जमीन को लिया अपने कब्जे मेंपीटीआई, नई दिल्ली। ईडी ने तमिलनाडु के रामेश्वरम शहर में एक रिसार्ट के 60 कमरे और खाली जमीन को अपने कब्जे में ले लिया है। इसकी कीमत 30 करोड़ रुपये है। यह कार्रवाई इसके प्रमोटरों के खिलाफ मनी लांड्रिंग जांच के तहत की गई है। यह संपत्ति सेवन हिल्स पंबन आइलैंड रिसार्ट की है। यह मामला कोलकाता पुलिस द्वारा दोनों कंपनियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआइआर से जुड़ा है।
निवेशकों से धोखाधड़ी करने की साजिश रचीईडी के अनुसार, इन कंपनियों से जुड़े व्यक्तियों प्रसेनजीत दास, तुषार पटेल और शैलेश कुमार पांडे ने कई फर्जी फर्मों का उपयोग कर निवेशकों से धोखाधड़ी करने की साजिश रची। इसमें टीपी ग्लोबल एफएक्स के माध्यम से भारी मुनाफे का वादा किया गया था।
पीएम मोदी से मिला दाऊदी बोहरा प्रतिनिधिमंडल, वक्फ कानून का किया स्वागत
पीटीआई, नई दिल्ली। दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने संसद से पारित वक्फ संशोधन का स्वागत किया और इस कानून को पारित करवाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी का आभार जताया। इस कानून में इस समुदाय की प्रमुख मांगों को शामिल किया गया है।
अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू भी थे मौजूदप्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री के 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास' के दृष्टिकोण में विश्वास जताया। बैठक में उनके साथ अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू भी थे। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, दाऊदी बोहरा समुदाय के सदस्यों के साथ बैठक हुई! हमने बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की।
पीएम मोदी एक्स पर कही ये बातसंवाद के दौरान में दाऊदी बोहरा समुदाय के एक सदस्य ने मोदी को बताया कि वे 1923 से ही वक्फ नियमों से छूट की मांग कर रहे थे। उन्होंने नए कानून के जरिये अल्पसंख्यकों के भीतर अल्पसंख्यकों का खयाल रखने के लिए उनकी सराहना की।
दाऊदी बोहरा शिया मुसलमानों के बीच एक अल्पसंख्यक उपसमूह है। यह समुदाय विश्वभर के 40 से अधिक देशों में बसा है। दुनियाभर में दाऊदी बोहरा समुदाय का मार्गदर्शन उनके नेता अल-दाई-अल-मुतलक द्वारा किया जाता है।
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JEE Mains 2025: दूसरे चरण की अंतिम Answer Key अपलोड किया, फिर ढाई घंटे बाद ही NTA ने हटाई
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जेईई मेन की अस्थायी उत्तर कुंजी (प्रोवीजनल आंसर-की) को लेकर विवाद अभी थमा भी नहीं था कि गुरुवार शाम को नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) की ओर से जारी अंतिम उत्तर कुंजी (फाइनल आंसर की) को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है।
छात्रों का दावा है कि उनकी ओर से अस्थायी उत्तर कुंजी के जिन नौ से दस सवालों के गलत उत्तरों को चैलेंज किया गया था, उनमें से फिजिक्स के सिर्फ दो सवालों को छोड़ दें तो बाकी सभी को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं, अंतिम उत्तर कुंजी में कुछ और सवालों के जवाब गलत दिए गए हैं।
छात्रों का आक्रोश फूटाछात्रों का कहना था कि चैलेंज किए गए सवालों के जवाब के साथ उनकी ओर से पुख्ता तथ्य भी मुहैया कराए गए थे। छात्रों के मुताबिक गुरुवार शाम 6.27 बजे जैसे ही जेईई मेन के दूसरे चरण की अंतिम उत्तर कुंजी जारी हुई छात्रों का आक्रोश फूट पड़ा। छात्र इंटरनेट मीडिया पर एनटीए पर सवाल खड़ा करने लगे। यह क्रम करीब ढाई घंटे तक चला। इस बीच छात्रों ने अंतिम उत्तर कुंजी में कुछ और गलतियों को सामने रखा व इंटरनेट मीडिया पर इसे फ्लैश करने लगे। यह क्रम चल ही रहा था कि करीब नौ बजे एनटीए ने इसे अपनी वेबसाइट से हटा लिया।
इसके साथ ही जेईई मेन की अंतिम उत्तर कुंजी को लेकर भी और सवाल गहरा गए हैं। छात्रों का कहना है कि यदि ऐसी ही स्थिति रही तो उनके अंतिम रिजल्ट और कटआफ रैंक आदि जारी होने में भी देरी हो सकती है। इस बीच इस पूरे मामले पर एनटीए का पक्ष लेने की कोशिश की गई लेकिन देर रात तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है।
सारा काम-काज आउटसोर्सिंग के भरोसेसूत्रों की मानें तो नीट-यूजी में गड़बड़ी के बाद भी भले ही एनटीए में सुधार के बड़े दावे किए गए हों, लेकिन स्थिति अभी भी जस की तस बनी हुई है। एनटीए का प्रश्नपत्र तैयार करने से लेकर परीक्षा कराने तक का सारा काम-काज आउटसोर्सिंग के भरोसे ही है। जब तक इसे बंद नहीं किया जाएगा तब तक ऐसी स्थिति बनी रहेगी। गौरतलब है कि जेईई मेन के दूसरे चरण की यह परीक्षा अप्रैल में हुई थी।
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तमिलनाडु के मंदिरों को दान में मिला 1000 किलो सोना, पिघलाकर बनाई गई सोने की छड़; जानिए इस गोल्ड का क्या होता है
पीटीआई, चेन्नई। तमिलनाडु सरकार राज्य के 21 मंदिरों में श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए 1,000 किलो से ज्यादा सोने को पिघलाकर 24 कैरेट सोने की छड़ों में बदला गया है और इन्हें बैंकों में जमा कर दिया गया है।
इस निवेश से सरकार को हर साल करीब 17.81 करोड़ रुपये का ब्याज मिल रहा है, जिसका इस्तेमाल मंदिरों के विकास कार्यों में किया जा रहा है। राज्य सरकार की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि यह सारा सोना मुंबई स्थित सरकारी टकसाल में पिघलाया गया और फिर भारतीय स्टेट बैंक में स्वर्ण निवेश योजना के तहत जमा किया गया।
अरुलमिगु मरिअम्मन मंदिर का ज्यादा योगदानयह सोना वो था जो मंदिरों में चढ़ाया गया, लेकिन इसे किसी भी प्रकार के उपयोग में नहीं लाया गया था। हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ निधि विभाग के मंत्री पीके शेखर बाबू द्वारा विधानसभा में प्रस्तुत नीति नोट में कहा गया है कि निवेश से अर्जित ब्याज का उपयोग संबंधित मंदिरों के विकास के लिए किया जाता है।
इस योजना की निगरानी के लिए राज्य के तीन क्षेत्रों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की अध्यक्षता में तीन समितियां बनाई गई हैं, जो सोने के पिघलाने और निवेश की प्रक्रिया की निगरानी कर रही हैं। अब बात अगर 21 मंदिरों की तरफ से सबसे ज्यादा योगदान की करें तो तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में स्थित अरुलमिगु मरिअम्मन मंदिर, समयपुरम ने इस योजना में सबसे ज्यादा 424.26 किलोग्राम सोने का योगदान दिया।
सोना के बाद राज्य सरकार ने जानकारी दी है कि अब मंदिरों में अप्रयुक्त चांदी की वस्तुओं को भी इसी तरह पिघलाकर शुद्ध चांदी की छड़ों में बदलने की योजना बना रही है। इसके लिए सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चांदी गलाने वाली कंपनियों की मदद ली जा रही है।
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कब लॉन्च होगा स्टारलिंक? लाइसेंस के लिए भारत पहुंचे मस्क के अधिकारी, पीयूष गोयल से की मुलाकात
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत में जल्द से जल्द अपनी सेटेलाइट दूरसंचार सेवा शुरू करने को इच्छुक अमेरिकी कंपनी स्टारलिंक के समक्ष भारत सरकार ने साफ कर दिया है कि भारतीयों के डाटा सुरक्षा का मामला महत्वपूर्ण तथ्य है, जिसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता है।
अमेरिका के प्रसिद्ध उद्योगपति और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करीबी एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक के कुछ शीर्षस्थ अधिकारी भारत में है। एक दिन पहले उन्होंने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की थी। इस बैठक में स्टारलिंक की तरफ से आग्रह किया गया था कि भारत में सेटेलाइट आधारित दूरसंचार सेवा शुरू करने के लिए उसे लाइसेंस देने की प्रक्रिया तेज की जाए।
तीन अर्थ स्टेशन लगाने को इच्छुक है कंपनीदूसरी तरफ भारत ने डाटा सुरक्षा का मुद्दा सुनिश्चित करने पर जोर दिया। सरकारी सूत्रों ने बताया कि स्टारलिंक अधिकारियों ने सुरक्षा को लेकर आश्वासन दिया है और भारत में अपनी निवेश योजना के बारे में विस्तार से जानकारी दी है। स्टारलिंक की तरफ से बताया गया है कि वह भारत में अपनी सेवा की शुरुआत के लिए आरंभ में तीन अर्थ स्टेशन लगाने को इच्छुक हैं।
उक्त सूत्रों का कहना है कि अभी कई सारे मुद्दे हैं, जिन पर स्पष्टता नहीं आई है। सरकार अभी सेटेलाइट सेवाओं का देश के दूरसंचार उद्योग पर पड़ने वाले असर की भी अपने स्तर पर अध्ययन कर रही है। भारत का दूरसंचार उद्योग का बाजार बहुत बड़ा है, जो ना सिर्फ देश की सुरक्षा से जुड़ा है बल्कि इसमें करोड़ों लोगों को प्रत्यक्ष व परोक्ष तौर पर रोजगार मिला है। ऐसे में सेटेलाइट दूरसंचार सेवाओं से किस तरह का असर हो सकता है, इसका आकलन किया जा रहा है।
इसी तरह से विदेशी सेटेलाइट दूरसंचार सेवा कंपनी को लेकर सुरक्षा व रक्षा क्षेत्र की एजेंसियों के भी कुछ सवाल हैं, जिनका जवाब खोजा रहा है। सरकार चाहती है कि स्टारलिंक यहां दी जाने वाली सेवा के लिए पूरा ऑपरेशन स्टेशन यहीं पर स्थापित करे। ताकि घरेलू सुरक्षा एजेंसियों की नजर इस पर रहे। बताते चलें कि स्टारलिंक ने भारत की रिलायंस समूह की जियो के साथ यहां सेटेलाइट ब्रॉडबैंड सेवा शुरू करने का समझौता किया हुआ है।
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'टेंपल बाय यूजर नहीं तो क्यों हो वक्फ बाय यूजर', SC के वकील विष्णु शंकर जैन ने Waqf संपत्तियों पर उठाए सवाल
एएनआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने वक्फ घोषित संपत्तियों (वक्फ बाय यूजर) अवधारणा के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। कहा कि वक्फ बाई यूजर आधार पर अधिग्रहीत संपत्तियों को वापस लेने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।
विष्णु शंकर जैन ने कहा, दिल्ली में एक शिव मंदिर था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया। कहा गया कि भगवान शिव को संरक्षण की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा। यदि टेंपल बाई यूजर और चर्च बाई यूजर नहीं है, तो वक्फ बाई यूजर क्यों होना चाहिए? वक्फ बाई यूजर अवधारणा पर रोक लगे। वक्फ बाई यूजर ऐसी संपत्ति होती है जिसे दस्तावेज के बिना भी धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर वक्फ माना जाता है।
क्या है वक्फ बाई यूजर के आधार?सरल शब्दों में कहें तो भले ही संपत्ति का दस्तावेज न हो लेकिन वक्फ बाई यूजर के आधार पर उसे वक्फ संपत्ति माना जाता है क्योंकि कई वर्षों से उसका उपयोग वक्फ संपत्ति के तौर पर होता रहा है। जैन ने कहा कि संसद ने दोहराया है कि वे वक्फ संपत्ति घोषित सरकारी संपत्तियों को वापस लिया जाएगा। जैन ने सुझाव दिया कि वक्फ संशोधन कानून से संबंधित सभी मामलों को एक ही हाई कोर्ट में ले जाया जाना चाहिए तथा छह महीने के भीतर उनकी सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ का गठन किया जाना चाहिए।
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'इमरजेंसी के दौरान सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक बना रहा', उपराष्ट्रपति धनखड़ ने न्यायपालिका को लेकर और क्या-क्या कहा?
नीलू रंजन, जागरण। नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा संविधान के अनुच्छेदों का मनमानी व्याख्या कर कार्यपालिका की शक्तियों को कमजोर करने की बढ़ती प्रवृति पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने संविधान का अनुच्छेद 142 देश में लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बताया, जिसका इस्तेमाल न्यायपालिका रात-दिन कभी भी कर सकता है।
जस्टिस वर्मा के घर मिली नकदी को लेकर क्या बोले उपराष्ट्रपति?जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के घर मिले नोटों के मामले में अभी तक एफआइआर दर्ज नहीं होने को न्यायाधीशों को खुद को कानून से ऊपर करने का प्रमाण बना लिया। उन्होंने कहा कि आग लगने की घटना के बाद सात दिनों तक बात को दबाए रखा गया। मीडिया में सामने आने पर जले नोटों के फोटो और वीडियो जारी कर पारदर्शिता दिखाने की कोशिश की गई। लेकिन जांच शुरू नहीं हो सकी।
भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा जांच के लिए तीन सदस्य कमेटी के अधिकार पर सवाल उठाते हुए धनखड़ ने कहा कि कमेटी को जांच करने का क्या अधिकार है। यह समिति कानून सम्मत नहीं है। समिति सिर्फ सिफारिश कर सकती है। जांच करने का अधिकार सिर्फ कार्यपालिका को है और उसकी प्रक्रिया एफआइआर से शुरू होती है। लेकिन कार्यपालिका ऐसा नहीं कर सकती है, क्योंकि न्यायाधीशों ने खुद को सुरक्षित कर लिया है।
'सुप्रीम कोर्ट नहीं तय कर सकती है सीमा'राज्यसभा के प्रशिक्षुओं के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने साफ किया कि राष्ट्रपति के लिए सुप्रीम कोर्ट समय सीमा तय नहीं कर सकती है। राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद की गरिमा का ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल के फैसले में राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित कर न्यायापालिका ने कार्यपालिका और विधायिका दोनों के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण की सीमा पार कर दी है। उन्होंने साफ किया कि अनुच्छेद 143 का हवाला देकर राष्ट्रपति के लिए समय सीमा नहीं बांधी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करना अलग बात है। राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित करने को अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण बताते हुए उन्होंने कहा कि अब न्यायाधीश ही कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम भी करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे न्यायपालिका एक ऐसा सुपर संसद बन जाएगा, जिस पर देश का कोई कानून लागू नहीं होगा। सुपर संसद की तरह काम करने और बिल्कुल जवाबदेही नहीं होने का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा, संसद के हर चुनाव में उम्मीदवार को संपत्ति घोषित करनी होती है, लेकिन न्यायाधीशों पर यह अनिवार्यता लागू नहीं होती है।
जगदीप धनखड़ ने आजादी के बाद न्यायपालिका में लोकतांत्रिक मूल्यों के क्षरण और खुद को संविधान के असली संरक्षक बताने की प्रवृति पर भी आपत्ति जताई। धनखड़ के अनुसार संविधान की व्याख्या करने का अधिकार पांच जजों की संविधान पीठ को है। लेकिन जब यह व्यवस्था की गई थी, तब केवल आठ न्यायाधीश होते थे। अब 30 है। आठ में से पांच का मतलब है कि व्याख्या बहुमत द्वारा होगी। लेकिन अभी 30 में पांच के छोटे अल्पमत से संविधान की व्याख्या हो रही है।
सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक बना बैठा रहा: जगदीप धनखड़धनखड़ के अनुसार न्यायाधीश केशवानंद भारती केस में 1973 में संविधान के मूल ढांचे की व्याख्या कर खुद को संविधान का असली संरक्षक बताते फिरते हैं। लेकिन उसके दो साल ही आपातकाल की घोषणा कर संविधान प्रदत मूल अधिकारों को छिन लिया गया और सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक बना बैठा रहा।
धनखड़ ने संसद के दोनों सदनों द्वारा सर्वसम्मति से पारित किये गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग गठित करने के कानून को निरस्त करने और कोलेजियन प्रणाली द्वारा जजों की नियुक्ति का अधिकार खुद के पास करने को संविधान की भावना के खिलाफ बताया। उन्होंने जजों की नियुक्ति के मामले में संविधान सभा में हुई बहस और उसमें बाबा साहब भीमराव अंबेडेकर के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 124 में सिर्फ मुख्य न्यायाधीश से परामर्श की बात रखी गई थी। लेकिन इसकी मनमानी व्याख्या कर परामर्श को सहमति में परिवर्तित कर दिया गया।
उन्होंने लोकपाल द्वारा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को अधिकार क्षेत्र लेने पर सुप्रीम कोर्ट की त्वरित प्रतिक्रिया और स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी सुनवाई करने पर हैरानी जताई।
उन्होंने कहा कि दूसरे लोकतांत्रिक देशों ने न्यायापालिक के स्वत: संज्ञान लेने की बात नहीं है। उनके अनुसार न्यायपालिका की स्वतंत्रता किसी मामले में जांच और छानबीन के खिलाफ अभेद्य कवच नहीं हो सकता है। अभी तक एफआइआर क्यों नहीं।
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Indian Railways: पटना से ट्रेन में बैठ कर सकेंगे कश्मीर की वादियों की सैर, चिनाब पुल बनने से यात्रा हुई आसान
नीरज कुमार, पटना। बिहार से माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर है कि वे अब रेल मार्ग से कश्मीर की वादियों की भी सैर करेंगे।
भारतीय रेलवे ने चिनाब नदी एवं अंजी खंड पर पुल का निर्माण कर जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर को पटना सहित देश के अन्य भागों से जोड़ दिया है। इससे श्रद्धालु अब श्रीनगर तक आसानी से जा सकेंगे। इसका लाभ बिहार समेत देशभर के पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को मिलेगा।
रेलवे ने ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक नाम से यह प्रोजेक्ट तैयार किया है। चिनाब नदी पर बना पुल रियासी जिले में स्थित है।
अंजी खड्ड पुल।
रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है। चिनाब नदी पर बना रेल पुल 1,315 मीटर लंबा है। नदी तल से यह पुल 359 मीटर ऊंचा है। पुल की कुल लागत 1,486 करोड़ रुपये है। कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन ने इसे तैयार किया है। अगले 120 वर्षों के मद्देनजर इस पुल को तैयार किया गया है।
इसका आर्च 550 मीटर है। यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली आंधी को भी सहन कर सकता है। इस पुल के निर्माण में 28,660 मीट्रिक टन इस्पात लगा है। इस पुल के निर्माण में आईआईटी रुड़की एवं आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों ने योगदान दिया है।
पटना से जम्मू, उसके बाद श्रीनगर का करेंगे सैरपटना जंक्शन से श्रद्धालु या पर्यटक पहले जम्मू जाएंगे। उसके बाद वहां से रियासी स्थित चिनाब पुल होते हुए श्रीनगर जाएंगे। पटना से अर्चना एक्सप्रेस या हिमगिरी एक्सप्रेस से पर्यटक जम्मू जा सकते हैं।
वहां से पर्यटक वंदेभारत एक्सप्रेस से चिनाब पुल होते हुए श्रीनगर तक की यात्रा करेंगे। चिनाब पुल बनने के बाद पर्यटक श्रीनगर से रामेश्वरम तक रेलमार्ग से यात्रा कर सकते हैं।
अंजी में देश का पहला केबल आधारित रेल पुल तैयारजम्मू-कश्मीर के अंजी खंड में देश का पहला केबल आधारित रेलपुल तैयार किया गया है। यह पुल कटड़ा एवं रियासी को जोड़ रहा है। यह पुल तल से 331 मीटर की ऊंचाई पर बना है। अंजी पुल 725 मीटर लंबा है।
इसके 96 केबल स्थिरता सुनिश्चित करते हैं। इसके निर्माण में 8,200 मीट्रिक टन से अधिक स्टील का इस्तेमाल किया गया है।
ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का काम पूरा कर लिया गया है। इस रेल लाइन से आसपास के गांवों को विकास होगा। चिनाब रेलवे पुल के आसपास में बसे करीब 73 गांवों को भी 225 किमी सड़कों से जोड़ा गया है। चिनाब नदी पुल बन जाने से अब कश्मीर की घाटियों का भ्रमण व श्रीनगर आना-जाना और आसान हो जायेगा। - राजेश खरे, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी, उत्तरी रेलवे
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