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'टेंपल बाय यूजर नहीं तो क्यों हो वक्फ बाय यूजर', SC के वकील विष्णु शंकर जैन ने Waqf संपत्तियों पर उठाए सवाल

Dainik Jagran - National - April 17, 2025 - 11:37pm

एएनआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णु शंकर जैन ने वक्फ घोषित संपत्तियों (वक्फ बाय यूजर) अवधारणा के औचित्य पर सवाल उठाए हैं। कहा कि वक्फ बाई यूजर आधार पर अधिग्रहीत संपत्तियों को वापस लेने के लिए प्रयास किए जाने चाहिए।

विष्णु शंकर जैन ने कहा, दिल्ली में एक शिव मंदिर था, जिसे ध्वस्त कर दिया गया। कहा गया कि भगवान शिव को संरक्षण की आवश्यकता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को बरकरार रखा। यदि टेंपल बाई यूजर और चर्च बाई यूजर नहीं है, तो वक्फ बाई यूजर क्यों होना चाहिए? वक्फ बाई यूजर अवधारणा पर रोक लगे। वक्फ बाई यूजर ऐसी संपत्ति होती है जिसे दस्तावेज के बिना भी धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए दीर्घकालिक उपयोग के आधार पर वक्फ माना जाता है।

क्या है वक्फ बाई यूजर के आधार?

सरल शब्दों में कहें तो भले ही संपत्ति का दस्तावेज न हो लेकिन वक्फ बाई यूजर के आधार पर उसे वक्फ संपत्ति माना जाता है क्योंकि कई वर्षों से उसका उपयोग वक्फ संपत्ति के तौर पर होता रहा है। जैन ने कहा कि संसद ने दोहराया है कि वे वक्फ संपत्ति घोषित सरकारी संपत्तियों को वापस लिया जाएगा। जैन ने सुझाव दिया कि वक्फ संशोधन कानून से संबंधित सभी मामलों को एक ही हाई कोर्ट में ले जाया जाना चाहिए तथा छह महीने के भीतर उनकी सुनवाई के लिए संवैधानिक पीठ का गठन किया जाना चाहिए।

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'इमरजेंसी के दौरान सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक बना रहा', उपराष्ट्रपति धनखड़ ने न्यायपालिका को लेकर और क्या-क्या कहा?

Dainik Jagran - National - April 17, 2025 - 11:24pm

नीलू रंजन, जागरण। नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा संविधान के अनुच्छेदों का मनमानी व्याख्या कर कार्यपालिका की शक्तियों को कमजोर करने की बढ़ती प्रवृति पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने गहरी आपत्ति जताई है। उन्होंने संविधान का अनुच्छेद 142 देश में लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ परमाणु मिसाइल बताया, जिसका इस्तेमाल न्यायपालिका रात-दिन कभी भी कर सकता है।

जस्टिस वर्मा के घर मिली नकदी को लेकर क्या बोले उपराष्ट्रपति?

जगदीप धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के घर मिले नोटों के मामले में अभी तक एफआइआर दर्ज नहीं होने को न्यायाधीशों को खुद को कानून से ऊपर करने का प्रमाण बना लिया। उन्होंने कहा कि आग लगने की घटना के बाद सात दिनों तक बात को दबाए रखा गया। मीडिया में सामने आने पर जले नोटों के फोटो और वीडियो जारी कर पारदर्शिता दिखाने की कोशिश की गई। लेकिन जांच शुरू नहीं हो सकी।

भारत के मुख्य न्यायाधीश द्वारा जांच के लिए तीन सदस्य कमेटी के अधिकार पर सवाल उठाते हुए धनखड़ ने कहा कि कमेटी को जांच करने का क्या अधिकार है। यह समिति कानून सम्मत नहीं है। समिति सिर्फ सिफारिश कर सकती है। जांच करने का अधिकार सिर्फ कार्यपालिका को है और उसकी प्रक्रिया एफआइआर से शुरू होती है। लेकिन कार्यपालिका ऐसा नहीं कर सकती है, क्योंकि न्यायाधीशों ने खुद को सुरक्षित कर लिया है।

'सुप्रीम कोर्ट नहीं तय कर सकती है सीमा'

राज्यसभा के प्रशिक्षुओं के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जगदीप धनखड़ ने साफ किया कि राष्ट्रपति के लिए सुप्रीम कोर्ट समय सीमा तय नहीं कर सकती है। राष्ट्रपति के सर्वोच्च पद की गरिमा का ध्यान दिलाते हुए उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल के फैसले में राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित कर न्यायापालिका ने कार्यपालिका और विधायिका दोनों के अधिकार क्षेत्र में अतिक्रमण की सीमा पार कर दी है। उन्होंने साफ किया कि अनुच्छेद 143 का हवाला देकर राष्ट्रपति के लिए समय सीमा नहीं बांधी जा सकती है।

उन्होंने कहा कि इस फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करना अलग बात है। राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित करने को अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण बताते हुए उन्होंने कहा कि अब न्यायाधीश ही कानून बनाएंगे, कार्यपालिका का काम भी करेंगे। उन्होंने कहा कि इससे न्यायपालिका एक ऐसा सुपर संसद बन जाएगा, जिस पर देश का कोई कानून लागू नहीं होगा। सुपर संसद की तरह काम करने और बिल्कुल जवाबदेही नहीं होने का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विधानसभा, संसद के हर चुनाव में उम्मीदवार को संपत्ति घोषित करनी होती है, लेकिन न्यायाधीशों पर यह अनिवार्यता लागू नहीं होती है।

जगदीप धनखड़ ने आजादी के बाद न्यायपालिका में लोकतांत्रिक मूल्यों के क्षरण और खुद को संविधान के असली संरक्षक बताने की प्रवृति पर भी आपत्ति जताई। धनखड़ के अनुसार संविधान की व्याख्या करने का अधिकार पांच जजों की संविधान पीठ को है। लेकिन जब यह व्यवस्था की गई थी, तब केवल आठ न्यायाधीश होते थे। अब 30 है। आठ में से पांच का मतलब है कि व्याख्या बहुमत द्वारा होगी। लेकिन अभी 30 में पांच के छोटे अल्पमत से संविधान की व्याख्या हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक बना बैठा रहा: जगदीप धनखड़

धनखड़ के अनुसार न्यायाधीश केशवानंद भारती केस में 1973 में संविधान के मूल ढांचे की व्याख्या कर खुद को संविधान का असली संरक्षक बताते फिरते हैं। लेकिन उसके दो साल ही आपातकाल की घोषणा कर संविधान प्रदत मूल अधिकारों को छिन लिया गया और सुप्रीम कोर्ट मूकदर्शक बना बैठा रहा।

धनखड़ ने संसद के दोनों सदनों द्वारा सर्वसम्मति से पारित किये गए राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग गठित करने के कानून को निरस्त करने और कोलेजियन प्रणाली द्वारा जजों की नियुक्ति का अधिकार खुद के पास करने को संविधान की भावना के खिलाफ बताया। उन्होंने जजों की नियुक्ति के मामले में संविधान सभा में हुई बहस और उसमें बाबा साहब भीमराव अंबेडेकर के बयान का हवाला देते हुए कहा कि अनुच्छेद 124 में सिर्फ मुख्य न्यायाधीश से परामर्श की बात रखी गई थी। लेकिन इसकी मनमानी व्याख्या कर परामर्श को सहमति में परिवर्तित कर दिया गया।

उन्होंने लोकपाल द्वारा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच को अधिकार क्षेत्र लेने पर सुप्रीम कोर्ट की त्वरित प्रतिक्रिया और स्वत: संज्ञान लेते हुए इसकी सुनवाई करने पर हैरानी जताई।

उन्होंने कहा कि दूसरे लोकतांत्रिक देशों ने न्यायापालिक के स्वत: संज्ञान लेने की बात नहीं है। उनके अनुसार न्यायपालिका की स्वतंत्रता किसी मामले में जांच और छानबीन के खिलाफ अभेद्य कवच नहीं हो सकता है। अभी तक एफआइआर क्यों नहीं।

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Indian Railways: पटना से ट्रेन में बैठ कर सकेंगे कश्मीर की वादियों की सैर, चिनाब पुल बनने से यात्रा हुई आसान

Dainik Jagran - April 17, 2025 - 11:15pm

नीरज कुमार, पटना। बिहार से माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए अच्छी खबर है कि वे अब रेल मार्ग से कश्मीर की वादियों की भी सैर करेंगे।

भारतीय रेलवे ने चिनाब नदी एवं अंजी खंड पर पुल का निर्माण कर जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर को पटना सहित देश के अन्य भागों से जोड़ दिया है। इससे श्रद्धालु अब श्रीनगर तक आसानी से जा सकेंगे। इसका लाभ बिहार समेत देशभर के पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं को मिलेगा।

रेलवे ने ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक नाम से यह प्रोजेक्ट तैयार किया है। चिनाब नदी पर बना पुल रियासी जिले में स्थित है।

अंजी खड्ड पुल।

रेलवे के अधिकारियों का कहना है कि यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल है। चिनाब नदी पर बना रेल पुल 1,315 मीटर लंबा है। नदी तल से यह पुल 359 मीटर ऊंचा है। पुल की कुल लागत 1,486 करोड़ रुपये है। कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन ने इसे तैयार किया है। अगले 120 वर्षों के मद्देनजर इस पुल को तैयार किया गया है।

इसका आर्च 550 मीटर है। यह पुल 266 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलने वाली आंधी को भी सहन कर सकता है। इस पुल के निर्माण में 28,660 मीट्रिक टन इस्पात लगा है। इस पुल के निर्माण में आईआईटी रुड़की एवं आईआईटी दिल्ली के विशेषज्ञों ने योगदान दिया है।

पटना से जम्मू, उसके बाद श्रीनगर का करेंगे सैर

पटना जंक्शन से श्रद्धालु या पर्यटक पहले जम्मू जाएंगे। उसके बाद वहां से रियासी ​स्थित चिनाब पुल होते हुए श्रीनगर जाएंगे। पटना से अर्चना एक्सप्रेस या हिमगिरी एक्सप्रेस से पर्यटक जम्मू जा सकते हैं।

वहां से पर्यटक वंदेभारत एक्सप्रेस से चिनाब पुल होते हुए श्रीनगर तक की यात्रा करेंगे। चिनाब पुल बनने के बाद पर्यटक श्रीनगर से रामेश्वरम तक रेलमार्ग से यात्रा कर सकते हैं।

अंजी में देश का पहला केबल आधारित रेल पुल तैयार

जम्मू-कश्मीर के अंजी खंड में देश का पहला केबल आधारित रेलपुल तैयार किया गया है। यह पुल कटड़ा एवं रियासी को जोड़ रहा है। यह पुल तल से 331 मीटर की ऊंचाई पर बना है। अंजी पुल 725 मीटर लंबा है।

इसके 96 केबल स्थिरता सुनिश्चित करते हैं। इसके निर्माण में 8,200 मीट्रिक टन से अधिक स्टील का इस्तेमाल किया गया है।

ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक परियोजना का काम पूरा कर लिया गया है। इस रेल लाइन से आसपास के गांवों को विकास होगा। चिनाब रेलवे पुल के आसपास में बसे करीब 73 गांवों को भी 225 किमी सड़कों से जोड़ा गया है। चिनाब नदी पुल बन जाने से अब कश्मीर की घाटियों का भ्रमण व श्रीनगर आना-जाना और आसान हो जायेगा। - राजेश खरे, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी, उत्तरी रेलवे

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Bihar News: डोर-टू-डोर जा कर उपभोक्ताओं को Rooftop Solar के फायदों की दें जानकारी- ऊर्जा सचिव

Dainik Jagran - April 17, 2025 - 10:24pm

डिजिटल डेस्क, पटना। पीएम सूर्य घर योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए ऊर्जा सचिव एवं बीएसपीएचसीएल के सीएमडी पंकज कुमार पाल ने मुख्यालय एवं सभी क्षेत्रीय विद्युत अभियंताओं को निर्देश दिया।

ऊर्जा सचिव ने सभी संबंधित विद्युत आपूर्ति अंचल, प्रमंडल एवं सेक्शन स्तर पर लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया कि सभी विद्युत अधीक्षण अभियंता अपने-अपने अंचल में निर्धारित लक्ष्य के अनुसार योजना क्रियान्वयन की समीक्षा करेंगे।

पंकज कुमार पाल ने सूर्य घर योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक विशेष सेल बनाने का निर्देश दिया जिसकी अध्यक्षता मुख्य अभियंता करेंगे। साथ ही उन्होंने डोर-टू-डोर अभियान चलाने का भी निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि अधिक विद्युत खपत वाले उपभोक्ताओं से सीधा संपर्क स्थापित कर उन्हें सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के लाभ बताएं और यह भी बताएं कि इससे उनका बिजली बिल कैसे न्यूनतम हो सकता है। इस योजना के अंतर्गत खराब प्रदर्शन करने वाले अभियंताओं को सख्त हिदायत देते हुए उन्हें अपनी कार्यशैली में सुधार लाने का निर्देश दिया गया।

ज्ञात हो कि पीएम सूर्यघर योजना के तहत उपभोक्ताओं को 2 किलोवाट तक 30,000 रुपए प्रति किलोवाट, तीसरे किलोवाट के लिए 18,000 रुपए अतिरिक्त किलोवाट के लिए और तीन किलोवाट से अधिक के लिए 78,000 रुपए की सब्सिडी मिलेगी।

उन्होंने सभी अभियंताओं से कहा कि वे पीएम सूर्य घर योजना के क्रियान्वयन में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करें। प्रत्येक उपभोक्ता तक पहुंचकर उन्हें सौर ऊर्जा के दीर्घकालिक लाभ बताएं और आवेदन प्रक्रिया में सहयोग प्रदान करें। उन्होंने ये भी कहा कि लक्ष्य आधारित कार्य के साथ-साथ परिणाम पर भी पूरा फोकस रहे।

उन्होंने सभी क्षेत्रीय अभियंताओं को निर्देश दिया कि वे सप्ताह में दो दिन 'सौर ऊर्जा जन-जागरूकता दिवस' के रूप में मनाएं और अधिक से अधिक सौर संयंत्रों की स्थापना सुनिश्चित करें। उल्लेखनीय है कि राज्य में अब तक कुल 5683 निजी भवनों पर सौर संयंत्र अधिष्ठापित किए गए हैं जिससे 21 मेगावाट बिजली उत्पादित हो रही है। इस योजना के क्रियान्वयन से न केवल सौर ऊर्जा को प्रोत्साहन मिल रहा है बल्कि लोगों के बिजली बिल में भी अप्रत्याशित कमी आ रही है।

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'अप्रैल में केंद्र और राज्य मत्स्य योजनाओं को हर हाल में करें पूरा', समीक्षा बैठक मत्स्य निदेशक ने जारी किए आदेश

Dainik Jagran - April 17, 2025 - 10:21pm

डिजिटल डेस्क, पटना। मत्स्य निदेशालय ने केंद्र एवं राज्य योजनाओं को अप्रैल माह में हर हाल में पूर्ण करने का आदेश जारी कर दिया है। साथ ही एमआईएस पोर्टल पर प्राप्त आवेदनों की जांच करने के बाद मत्स्य प्रसार पदाधिकारी और मत्स्य विकास पदाधिकारी को अग्रेतर कार्रवाई के लिए जिला मत्स्य पदाधिकारी को भेजने का निर्देश दिया है।

पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के अंतर्गत आने वाले मत्स्य निदेशालय के निदेशक अभिषेक रंजन की अध्यक्षता में गुरुवार को एक समीक्षा बैठक की गई। इस बैठक में निदेशक ने मुजफ्फरपुर, शिवहर, कटिहार एवं अरवल जिलों के साथ-साथ राज्य एवं केंद्र प्रायोजित योजनाओं की भी समीक्षा की।

समीक्षा बैठक में मत्स्य निदेशक अभिषेक रंजन ने बताया कि प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के अंतर्गत मुजफ्फरपुर जिले में कुल 20.01 हेक्टेयर भूमि में नए तालाबों का निर्माण किया गया है। इसी तरह शिवहर जिले में 18.14 हेक्टेयर, कटिहार में 6.79 हेक्टेयर, अरवल में 7.13 हेक्टेयर भूमि पर तालाब के निर्माण का काम पूरा कर लिया गया है।

इस योजना के तहत मुजफ्फरपुर में 6.33 हेक्टेयर, शिवहर में 12.62 हेक्टेयर, कटिहार में 11.88 हेक्टेयर, अरवल में 0.35 हेक्टेयर तालाबों की मरम्मती का काम पूरा कर लिया गया है। वहीं राज्य योजनांतर्गत विशेष सहायता योजना के तहत मुजफ्फरपुर में 21.00 एकड़, शिवहर में 5.43 एकड़, कटिहार में 24.00 एकड़ और अरवल में 7.99 एकड़ में तालाब बनाए गए हैं।

मुख्यमंत्री चौर विकास योजना के तहत सात निश्चय-02 में मुजफ्फरपुर में 75.93 हेक्टेयर में और कटिहार में 51.54 हेक्टेयर में तालाब निर्माण का काम पूर्ण हो चुका है। इस समीक्षा बैठक में वित्तीय वर्ष 2022-23, 2023-24 एवं 2024-25 में उपरोक्त जिलों के द्वारा अबतक प्राप्त की गई उपलब्धियों पर भी चर्चा की गई। बैठक में मुजफ्फरपुर, शिवहर, कटिहार और अरवल जिले के मत्स्य विकास पदाधिकारी और मत्स्य प्रसार पदाधिकारी, परियोजना समन्वयक तथा अन्य पदाधिकारीगण उपस्थित थे।

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