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चीन की उड़ी नींद, भारत जापान मिलकर कर रहे जंगी सैन्य अभ्यास 'धर्म गार्जियन'
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत-जापान के बीच जापान के पूर्वी फूजी में चल रहा संयुक्त सैन्य अभ्यास 'धर्म गार्जियन' दोनों देशों के सैन्य रणनीतिक संबंधों की गहराई को नया आयाम दे रहा है। दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास की इस छठी कड़ी में भारत और जापान की सेनाओं का इस बार फोकस वर्तमान सुरक्षा परिदृश्य में शहरी क्षेत्रों में बढ़ रहे आंतकवाद निरोधी आपरेशन पर है।
वहीं वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य के मद्देनजर संयुक्त राष्ट्र शांति सुरक्षा मिशन से जुड़ी चुनौतियों में प्रभावशाली सैन्य अभियान का संचालन भी इस अभ्यास का अहम हिस्सा है। भारत-जापान का संयुक्त अभ्यास दोनों देशों के सामरिक रिश्ते के साथ-साथ क्वाड के लिए भी महत्वपूर्ण है। विशेषकर इस लिहाज से कि क्वाड देशों के बीच सैन्य और रणनीतिक सहयोग की पहल से चीन असहज होता रहा है।
असामान्य नहीं है मित्र देशों में संबंधवैश्विक सामरिक कूटनीति में मित्र देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास असामान्य नहीं है मगर भारत-जापान के बीच मैत्रीपूर्ण सामरिक रिश्तों पर चीन की हमेशा से तिरछी निगाहें रही है। विशेषकर क्वाड देशों का समूह अस्तित्व में आने के बाद इसके सदस्य राष्ट्रों के बीच द्विपक्षीय के साथ बहुपक्षीय सहयोग को लेकर चीन शुरू से आशंकित रहा है क्योंकि बीजिंग हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उसके प्रभाव को थामने की चुनौती के रूप में लेता है।
24 फरवरी को हुई जंगी अभ्यास की शुरुआतक्वाड में भारत और जापान के साथ अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। इस परिप्रेक्ष्य में संयुक्त सैन्य अभ्यास के अपने सामरिक निहितार्थ हैं। भारत-जापान के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास धर्म गार्जियन की शुरूआत बीते 24 फरवरी को हुई और यह नौ मार्च तक जापान के पूर्वी फूजी सैन्य प्रशिक्षण इलाके में चलेगा।
शहरी इलाकों और आतंकविरोधी अभियान पर फोकसइस सैन्य अभ्यास में दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संबंधों और सहयोग को कई स्तरों पर मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। सेना के अनुसार इस वर्ष के अभ्यास का प्राथमिक फोकस शहरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी अभियान है। वर्तमान सुरक्षा वातावरण में शहरी इलाकों में आतंकवाद विरोधी आपरेशन नई चुनौती के रूप में सामने आया है।
जंगी अभ्यास में निखार रहे रणनीतिइस लिहाज से अभ्यास में दोनों देशों के सैनिक अपनी रणनीति को निखार रहे हैं और जटिल शहरी परिस्थितियों में संचालन करने की अपनी क्षमता में सुधार कर रहे हैं। इसके साथ ही अभ्यास में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान का पारूप बनाया गया है जिसमें वास्तविक वैश्विक परिदृश्यों का स्वरूप दिखाते हुए बहुराष्ट्रीय सैन्य बलों के सामने आने वाली बहुआयामी चुनौतियों पर प्रकाश डाला गया है।
सैन्य क्षमता को मजबूत बना रहेजाहिर तौर पर दोनों देशों की सेनाएं ऐसे सुरक्षा वातावरण में चुनौतियों से निपटने का प्रभावी तरीका अपनाने का भी अभ्यास कर रही हैं। भारतीय सेना के मुताबिक जैसे-जैसे अभ्यास आगे बढ़ रहा है, दोनों पक्ष सामरिक अभ्यासों की एक श्रृंखला में भाग लेते युद्ध के अनुभवों को साझा कर रहे हैं। दोनों देशों के सैनिक अपनी क्षमताओं को मजबूत करते हुए गहन सहयोग को बढ़ावा दे रहे हैं।
सैन्य अभ्यास के साथ दोनों देशों में बढ़ेगी सांस्कृतिक समझअभ्यास को इस तरह डिजाइन किया गया है कि यह सुनिश्चित हो सके कि भारतीय और जापानी सेना भविष्य के शांति या मानवीय मिशनों में सहज रूप से सहयोग कर सकती हैं। सैन्य अभ्यास के साथ-साथ दोनों देशों के सैनिकों के बीच सांस्कृतिक समझ बनाने और सौहार्द को बढ़ावा देते हुए अपनी-अपनी सांस्कृतिक विरासतों को भी साझा कर रहे हैं।
जाहिर तौर पर भारत-जापान के सामरिक सहयोग को दोस्ती की गहराई के मजबूत बंधन में बांधने का लक्ष्य भी अभ्यास का हिस्सा है। सेना के अनुसार भारत-जापान के बीच यह सैन्य सहयोग न केवल उनकी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने में अहम है बल्कि क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को भी मजबूत करता है।
'अपनी ही दुकानों से दवा खरीदने पर मजबूर कर रहे प्राइवेट अस्पताल', अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से ये कहा?
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों के दवा दुकानों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की अधिक कीमतों के संबंध में निर्णय सरकार पर छोड़ दिया। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना सरकार का फर्ज है। राज्य मरीजों और उनके तीमारदारों का शोषण रोकने को लेकर उचित नीतिगत निर्णय लें।
हम दखल देंगे तो कामकाज में बाधा आ सकतीकोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया तो प्राइवेट अस्पतालों के कामकाज में बाधा हो सकती है और इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए ये टिप्पणियां की।
याचिका में आरोप लगाया गया कि प्राइवेट अस्पताल मरीजों और उनके तीमारदारों को अस्पताल परिसर में स्थित दवा दुकानों या उनसे संबद्ध दवा दुकानों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। इन अस्पतालों में संचालित दवा दुकानों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए अत्यधिक कीमतें वसूली जाती हैं।
स्वास्थ्य राज्य का विषयपीठ ने कहा कि स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य सरकारें अपनी स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए नियामक उपाय कर सकती हैं। अदालत ने इसे नीतिगत मुद्दा करार देते हुए कहा कि नीति निर्माताओं को इस मामले पर समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए और उचित दिशा-निर्देश तैयार करने चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मरीजों और उनके तीमारदारों का शोषण न हो और साथ ही, निजी संस्थाओं को स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रवेश करने से हतोत्साहित या अनुचित प्रतिबंध न लगाया जाए।
मरीजों के शोषण पर संवेदनशील हो सरकारेंशीर्ष अदालत ने कहा कि मरीजों और उनके तीमारदारों की मजबूरियों का अनुचित लाभ उठाकर उनका शोषण करने की कथित समस्या के बारे में राज्य सरकारों को संवेदनशील होना होगा। पीठ ने कहा कि संविधान के तहत सरकार का दायित्व है कि वह अपने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराए, लेकिन जनसंख्या वृद्धि के कारण उसे अपने लोगों की जरूरतों को पूरा करने के लिए प्राइवेट अस्पतालों की मदद लेनी पड़ी।
बेहतर स्वास्थ्य सुविधा संवैधानिक अधिकारपीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं का संवैधानिक अधिकार है। स्वास्थ्य क्षेत्र में प्राइवेट अस्पतालों के योगदान की सराहना करते हुए पीठ ने कहा कि न्यायालय द्वारा दिया गया कोई भी अनिवार्य निर्देश उनके कामकाज में बाधा उत्पन्न कर सकता है तथा इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है।
खास दुकान से दवा लेने की बाध्यता नहींअदालत ने केंद्र के इस रुख पर गौर किया कि मरीजों या उनके स्वजन पर अस्पताल की दवा दुकानों या किसी खास दुकान से दवाइयां, चिकित्सा उपकरण लेने की कोई बाध्यता नहीं है। पीठ ने हैरानी जताते हुए सवाल किया कि क्या केंद्र या राज्यों के लिए ऐसी नीति बनाना विवेकपूर्ण होगा जो प्राइवेट अस्पतालों की प्रत्येक गतिविधि को नियंत्रित करे।
2018 में सुनवाई पर सहमत हुआ था सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट 14 मई, 2018 को उस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हुआ था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दवा निर्माताओं के सहयोग और मिलीभगत से दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सामग्रियों की कीमतें बढ़ा दी गई थीं। याचिकाकर्ता के पिता ने दलील दी कि देशभर के अस्पतालों में मरीजों की मजबूरियों का फायदा उठाकर लोगों को अस्पताल परिसर स्थित दवा दुकानों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है।
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Trade War News: दुनिया में सबसे बड़े ट्रेड वॉर की शुरुआत, लेकिन भारत को होगा फायदा; जानिए कैसे
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। अत्याधुनिक काल में सबसे बड़े ट्रेड वॉर की शुरुआत मंगलवार को तकरीबन हो गई है। अमेरिकी प्रशासन ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की घोषणा पर अमल करते हुए मंगलवार को कनाडा, मैक्सिको और चीन से आयात होने वाले कई उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है।
अमेरिकी समयानुसार मंगलवार को कनाडा और मैक्सिको से स्टील, अल्यूमिनियम समेत कई धातुओं व अन्य उत्पादों के आयातों पर 25 फीसद का शुल्क लगेगा जबकि वहां से ऊर्जा उत्पादों के आयात पर 10 फीसद का टैक्स लगेगा।
कारोबारी युद्ध की नौबतइसके जबाव में कनाडा ने भी अमेरिका से होने वाले तकरीबन 155 डॉलर के आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगा दिया है। यह पहला मौका है जब किसी नाटो के दो सदस्य देशों के बीच कारोबारी युद्ध की नौबत आई है। पिछले हफ्ते वॉशिंगटन में राष्ट्रपति ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की के बीच सार्वजनिक बहसबाजी के बाद अमेरिका व नाटो के अन्य सदस्यों के बीच पहले से ही तलवॉरें खींची हुई हैं।
कैसा होगा ट्रेड वॉर का असर- ट्रेड वॉर की शुरुआत तनाव में और जहर घोलने का काम कर सकता है। ट्रेड वॉर सिर्फ नाटो तक सीमित नहीं है। चीन से होने वाले हर आयात पर भी प्रशासन ने 20 फीसद टैक्स लगाने की घोषणा की है।
- इसके बाद चीन ने अमेरिका से आयातित कई तरह के कृषि उत्पादों (चिकन, सोया, मक्का, बीफ) आदि पर 15 फीसद का अतिरिक्त शुल्क लगाने का ऐलान किया है।
- चीन ने वर्ष 2023 में अमेरिका से 33 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया था। इस पर असर पड़ना तय है। लेकिन इस कारोबारी युद्ध में ज्यादा घाटा चीन को होने की संभावना विशेषज्ञ मान रहे हैं।
वर्ष 2024 में चीन का अमेरिका को कुल निर्यात 437 अरब डॉलर का रहा था। अमेरिका व चीन के बीच प्रौद्योगिकी व कुछ दूसरे क्षेत्रों में कभी-कभार एक दूसरे की कंपनियों या उनके उत्पादों पर अंकुश लगाने की कोशिश हुई है लेकिन कृषि व दूसरे उत्पादों के निर्यात पर नीतिगत तरीके से शुल्क आयद नहीं किया गया है।
एक-दूसरे के हितों को नुकसानवैसे देखा जाए तो जी-20 संगठन (दुनिया के शीर्ष 20 अमीर देश) के चार देशों (अमेरिका, चीन, मैक्सिको और कनाडा) के बीच पहली बार एक दूसरे के आयात को महंगा करने के लिए सीधे शुल्क बढ़ाने का कदम उठाया गया है। कारोबारी स्तर पर एक दूसरे के हितों को नुकसान पहुंचाने का काम तब शुरू हुआ है जब भूराजनैतिक तौर पर काफी अस्थिरता है।
पश्चिम एशिया में हालात में काफी तनावपूर्णयूक्रेन-रूस युद्ध को लेकर अमेरिका की यूरोपीय देशों के साथ रिश्ते तलहटी में पहुंच चुके हैं। अमेरिका और रूस के एक दूसरे के करीब आने के संकेत हैं। पश्चिम एशिया में हालात में काफी तनावपूर्ण पहले से हैं। वैश्विक इकोनॉमी की स्थिति भी काफी नाजुक है।
दो देशों के बीच कारोबारी युद्ध समाप्त करने में अहम भूमिका निभाने वाला विश्व व्यापार संगठन (डब्लूटीओ) भी अपना प्रभाव गंवा चुका है। ऐसे में इस ट्रेड वॉर के लंबा खींचने की आशंका भी विशेषज्ञ जता रहे हैं।दुनिया के दो सबसे बड़ी आर्थिक ताकतों (अमेरिका व चीन) समेत चार प्रमुख देशों के बीच शुरू हुए इस ट्रेड वॉर का भारत पर सीधा तो नहीं लेकिन परोक्ष तौर पर कई तरह से असर पड़ने की बात जानकार मान रहे हैं।
सोच-समझकर आगे बढ़ेगा भारतवैश्विक कारोबार पर शोध एजेंसी जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव का कहना है कि अमेरिका का यह कदम भारत के लिए चेतावनी है। राष्ट्रपति ट्रंप की छवि पुराने कारोबारी समझौतों को रद्द करने की है। उन्होंने वर्ष 2018 में नाफ्टा को रद्द करके अमेरिका-कनाडा-मैक्सिको समझौता लागू किया था। ट्रंप इस तरह का कदम दूसरे देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) करने के लिए करते हैं। भारत ने अभी तक ट्रंप प्रशासन के इस दबाव को टाल कर रखा है। भारत को सोच विचार कर आगे कदम बढ़ाना चाहिए।
भारत को होगा फायदाभारत के वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल मंगलवार को वॉशिंगटन में हैं जहां उनकी दोनों देशों के बीच संभावित कारोबारी समझौते पर बात होने वाली है। निर्यातकों के संगठन फियो के आगामी अध्यक्ष एस सी रल्हन का कहना है कि अमेरिका व दूसरे देशों के बीच शुरु हुए ट्रेड वॉर से भारत के लिए कृषि, इंजीनीयिरंग, मशीन, गार्मेंट्स , रसायन व चमड़े के निर्यात के लिए ज्यादा अवसर खुलेंगे। भारत को इस अवसर का फायदा उठाने के लिए आगे आना चाहिए।
दोषी करार नेताओं के चुनाव लड़ने से जुड़े मामले पर SC में हुई सुनवाई, पढ़ें चुनाव आयोग ने क्या कहा?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा है कि वह दोषी ठहराए गए सजायाफ्ता नेताओं की सजा कम करने या समाप्त कर चुनाव लड़ने की अयोग्यता हटाए जाने के मामलों का ब्योरा पेश करे। कोर्ट ने आयोग को दो सप्ताह में ब्योरा देने को कहा है और उसके बाद याचिकाकर्ता के पास प्रतिउत्तर दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय होगा।
मंगलवार को न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने ये आदेश वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय की याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए।
दो वर्ष से ज्यादा की कैद होने पर नेता नहीं लड़ सकते छह वर्ष चुनावअश्वनी उपाध्याय की 2016 से लंबित याचिका में दोषी करार सजायाफ्ता नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। साथ ही चुनाव आयोग को मिली दोषी नेताओं की सजा कम करने और समाप्त करने की शक्ति पर भी सवाल उठाया गया है।
ज्ञातव्य हो कि मौजूदा कानून में दो वर्ष से ज्यादा की कैद होने पर सजा भुगतने के बाद छह वर्ष तक चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध होता है। जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 11 में चुनाव आयोग को सजा कम या समाप्त कर चुनाव लड़ने की अयोग्यता हटाने का विवेकाधिकार है। आयोग कारण दर्ज कर ऐसा कर सकता है।
हालांकि अश्वनी उपाध्याय की याचिका में विशेषतौर पर कानून की धारा 11 को चुनौती नहीं दी गई है लेकिन गैर सरकारी संगठन लोकप्रहरी की एक अन्य याचिका लंबित है, जिसमें इस धारा को चुनौती दी गई है। लोकप्रहरी की याचिका दूसरी पीठ के समक्ष विचाराधीन है।
कोर्ट ने मामले को सीजेआई के सामने पेश करने का दिया आदेशमंगलवार को सुनवाई के दौरान पीठ को बताया गया कि इसी तरह की एक याचिका लोकप्रहरी की भी एक अन्य पीठ के समक्ष लंबित है जिसके बाद कोर्ट ने दूसरी पीठ के समक्ष भी एक याचिका लंबित होने को देखते हुए मामले को चीफ जस्टिस के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है ताकि वे दोनों केसों को साथ संलग्न कर साथ सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने के बारे में उचित आदेश दे सकें।
मामले में कोर्ट की मदद कर रहे न्यायमित्र वरिष्ठ वकील विजय हंसारिया ने पीठ से कहा कि दोषी ठहराए गए सजायाफ्ता नेताओं की सजा कम या हटा कर अयोग्यता समाप्त करने का ब्योरा उपलब्ध नहीं है। यह ब्योरा मंगाया जाना चाहिए। जिसके बाद कोर्ट ने आयोग से ब्योरा पेश करने को कहा।
चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि उन्हें उन मामलों का ब्योरा देने में कोई परेशानी नही है जिनमें चुनाव आयोग ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सजा घटाई है या सजा समाप्त करके अयोग्यता की अवधि खत्म की है। लेकिन इस याचिका में धारा 11 की वैधानिकता को चुनौती नहीं दी गई है।
वहीं याचिकाकर्ता अश्वनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ वकील विकास सिंह ने कहा कि राजनीति के अपराधीकरण को रोकने की जरूरत है।दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने पर आजीवन प्रतिबंध के मामले में केंद्र सरकार ने हाल ही में दाखिल किये गए जवाब में याचिका में की गई मांग का विरोध किया था।
सरकार का कहना है कि दोषियों के चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का मामला संसद के अधिकार क्षेत्र में आता है।याचिका में की गई मांग एक प्रकार से कानून के पुनर्लेखन की मांग है। केंद्र ने ऐसी एक याचिका लोकप्रहरी की लंबित होने का जिक्र किया है।
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Vande Bharat: दिल्ली से पटना के बीच दौड़ेगी वंदे भारत, होली से पहले आ गया ताजा अपडेट; देखें रूट चार्ट
जागरण संवाददाता, पटना। भारतीय रेलवे की ओर से जल्द ही नई दिल्ली से पटना के बीच वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का परिचालन किया जा सकता है। इसके लिए तैयारी काफी जोर-शोर से शुरू हो चुकी है।
इसके लेकर बिहार के यात्री काफी उत्साहित हैं। वंदे भारत ट्रेन की यात्रा को लेकर लोगों में विशेष आकर्षण देखा जा रहा है। यह ट्रेन अब तक चलाई जाने वाली वंदे भारत ट्रेनों में सबसे लंबी दूरी तक चलने वाली ट्रेन होगी।
इस ट्रेन से समय की बचत होगी और इसमें आरामदायक सुविधाएं भी मिलेंगी। नई दिल्ली-पटना वंदे भारत एक्सप्रेस होली स्पेशल ट्रेन के रूप में चलाई जा सकती है। क्योंकि होली के अवसर पर दिल्ली से आने वाले यात्रियों का दबाव लगातार बढ़ते जा रहा है।
यहां देखें टाइम-टेबल और रूट चार्ट- इस ट्रेन का मार्ग लगभग तैयार कर लिया गया है। जानकारों का कहना है कि स्पेशल ट्रेन दिल्ली से सुबह साढ़े आठ बजे रवाना हो सकती है, जो रात आठ बजे पटना पहुंचेगी।
- वहीं वापसी में यह ट्रेन रात सात बजे पटना से रवाना होगी और सुबह साढ़े सात बजे दिल्ली पहुंचेगी।
- इस ट्रेन का ठहराव, आरा, बक्सर, डीडीयू, प्रयागराज एवं कानपुर हो सकता है।
- तेज रफ्तार एवं आरामदायक सुविधाओं से लैस होगी वंदे भारत ट्रेन। इस ट्रेन के दरवाजे स्वचालित होंगे। इसमें वाई-फाई की सुविधा दी गई है।
होली के अवसर पर भारतीय रेलवे ने स्पेशल ट्रेन चलाने का निर्णय लिया है। ये ट्रेन दानापुर से जबलपुर एवं पटना से जालना के बीच चलाई जाएंगी। इसके अलावा रानीकमलापति एवं कोटा, गया से आनंदविहार के मध्य चलाने का निर्णय लिया गया है।
जालना से पटना के बीच चलाई जाने वाली स्पेशल ट्रेन डीडीयू, प्रयागराज, कटनी, इटारसी, अकोला के रास्ते चलाई जाएगी। जालना से यह ट्रेन छह, दस एवं 15 मार्च को जालना से होली स्पेशल ट्रेन रवाना की जाएगी।
वहीं वापसी में यह ट्रेन आठ, बारह एवं 17 मार्च को चलाई जाएगी। जबलपुर से दानापुर के बीच चलने वाली ट्रेन डीडीयू, प्रयागराज, छिवकी एवं कटनी के रास्ते चलाई जाएगी। यह ट्रेन जबलपुर से 11 मार्च को एवं दानापुर से 12 मार्च को चलाई जाएगी।
देवरिया में नॉन इंटरलाकिंग कार्य के कारण कई ट्रेनों का बदला मार्गरेलवे द्वारा आधारभूत संरचना में विस्तार के क्रम में वाराणसी मण्डल के गोरखपुर कैण्ट-भटनी रेल खण्ड पर बैतालपुर-देवरिया सदर स्टेशन के मध्य नॉन-इंटरलॉक का कार्य किया जा रहा है।
इसको लेकर कुछ ट्रेनों के मार्ग में बदलाव किया गया है। कटिहार से छह मार्च को खुलने वाली कटिहार-अमृतसर एक्सप्रेस निर्धारित मार्ग सिवान-भटनी-गोरखपुर कैण्ट के स्थान पर परिवर्तित मार्ग सिवान-थावे-कप्तानगंज-गोरखपुर कैण्ट के रास्ते चलाई जायेगी।
मार्ग परिवर्तन के कारण इसका ठहराव देवरिया सदर स्टेशन पर नही रहेगा। वहीं नई दिल्ली से पांच मार्च को खुलने वाली नई दिल्ली-सहरसा एक्सप्रेस निर्धारित मार्ग गोरखपुर कैण्ट-भटनी-सिवान के स्थान पर परिवर्तित मार्ग गोरखपुर कैण्ट-कप्तानगंज-थावे-सिवान के रास्ते चलाई जायेगी।
मार्ग परिवर्तन के फलस्वरूप इस गाड़ी का ठहराव देवरिया सदर स्टेशन पर नही रहेगा। अमृतसर से पांच मार्च को खुलने वाली अमृतसर-सहरसा एक्सप्रेस निर्धारित मार्ग गोरखपुर कैण्ट-भटनी-सिवान के स्थान पर परिवर्तित मार्ग गोरखपुर कैण्ट-कप्तानगंज-थावे-सीवान के रास्ते चलाई जायेगी।
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Bihar Police: बक्सर में चौकी प्रभारी सस्पेंड, दो होमगार्डों की भी गई नौकरी; सामने आई बड़ी वजह
राज्य ब्यूरो, पटना। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने अवैध वसूली के मामले में वीर कुंवर सिंह जांच चौकी, बक्सर के प्रभारी सूरज कुमार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
इसके साथ ही अवैध वसूली करने वाले दोनों गृहरक्षकों की सेवा अनुशासनिक कार्रवाई की अनुशंसा के साथ वापस कर दी गई है।
दरअसल, 25 फरवरी को इंटरनेट मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें बक्सर के वीर कुंवर सिंह जांच चौकी पर अवैध वसूली का मामला सामने आया।
मामले का संज्ञान लेते हुए उत्पाद आयुक्त रजनीश कुमार सिंह ने एक्साइज इंटेलिजेंस ब्यूरो के उपायुक्त संजय कुमार और विशेष अधीक्षक आदित्य कुमार की संयुक्त टीम बनाकर बक्सर भेजा।
अवैध वसूली का सामने आया मामला- टीम की जांच में वायरल वीडियो में अवैध वसूली के आरोपी दोनों गृहरक्षक प्रथमदृष्टया दोषी पाए गए। इसके साथ ही चेकपोस्ट के प्रभारी पदाधिकारी को कर्तव्य में लापरवाही बरतने और अपने अधीनस्थों पर नियंत्रण नहीं रखने का दोषी पाया गया।
- जांच के क्रम में पाया गया कि चेकपोस्ट अभियोग पंजी को भी 19 जनवरी के बाद अपडेट नहीं किया गया है। इसके साथ ही वाहन पंजी भी दुरुस्त नहीं है।
- इस जांच रिपोर्ट के आधार पर उत्पाद आयुक्त रजनीश कुमार सिंह ने चौकी प्रभारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने और गृहरक्षकों की सेवा वापस करने का निर्देश जारी किया है।
करीब चार महीने पूर्व सारण के जिला प्रशासन ने अपने स्तर पर की गई छापामारी में बालू के अवैध कारोबार करने वाले कुछ लोगों को गिरफ्तार किया था और 15 लाख वर्गफीट बालू भी जब्त की थी।
जांच के क्रम में जिले में पदस्थापित खनिज विकास पदाधिकारी लाल बिहारी प्रसाद (भू-भौतिक शास्त्री) की मिली भगत की बात सामने आई थी।
इसके बाद 26 नवंबर को खनिज विकास पदाधिकारी लाल बिहारी प्रसाद सरकार ने निलंबित कर दिया। विभाग ने इस लापरवाही और सरकार को राजस्व नुकसान पहुंचाने के संबंध में उनसे जवाब मांगा था।
उन्होंने विभाग को अपना जवाब 20 जनवरी 2025 को दिया। लेकिन विभाग लाल बिहारी के जवाब से संतुष्ट नहीं हुआ।
अब इस मामले में विभाग ने आगे की कार्रवाई की और लाल बिहारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही करने का निर्णय लिया है।
उनसे पूछताछ की जिम्मेदारी सारण के अपर समाहर्ता को सौंपी गई है। लाल बिहारी से अपेक्षा की गई है कि वे बचाव और पक्ष संचालन पदाधिकारी के सामने रखेंगे।
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