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'राष्ट्रपति भी तीन महीने के भीतर राज्यों से आए विधेयकों पर करें फैसला', सुप्रीम कोर्ट ने दिया ऐतिहासिक फैसला
माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में पहली बार राष्ट्रपति के विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए समय सीमा तय कर दी है। कहा है कि राज्यपाल द्वारा राष्ट्रपति को विचार के लिए भेजे गए विधेयकों पर राष्ट्रपति को तीन महीने में निर्णय लेना होगा।
अगर इसमें कोई देरी होती है और राष्ट्रपति तय समय में निर्णय नहीं लेते तो इसका उचित कारण रिकार्ड किया जाएगा और संबंधित राज्य को बताया जाएगा। बिल को अनिश्चितकाल के लिए दबाकर बैठ जाने पर सर्वोच्च अदालत ने कहा है कि अनुच्छेद 201 में राष्ट्रपति के पास कोई पाकेट वीटो या पूर्ण वीटो नहीं है। अनुच्छेद 201 में शैल डिक्लेयर शब्द का इस्तेमाल किया गया है, जिसका मतलब है कि दो में से एक विकल्प को उन्हें चुनना होगा। या तो वह विधेयक को मंजूरी दें या फिर उस पर मंजूरी रोक लें।
राज्यपाल का कार्यालय लोकतांत्रिक परंपराओं के तहत करे कामसंवैधानिक योजना संवैधानिक अथारिटी को अपनी शक्तियों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं देती। सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले में विधेयकों पर सहमति के बारे में राज्यपाल और राष्ट्रपति को समय सीमा के दायरे में बांध दिया है। यदि राष्ट्रपति सहमति देने में देरी करते हैं, तो संबंधित राज्य सुप्रीम कोर्ट आ सकता है। राज्यपाल के कार्यालय को लोकतांत्रिक परंपराओं के अनुसार काम करना चाहिए।
तमिलनाडु सरकार ने उठाया था मुद्दायह ऐतिहासिक व्यवस्था न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला और आर महादेवन की पीठ ने आठ अप्रैल को तमिलनाडु सरकार की याचिका पर दिए फैसले में दी है। तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल आरएन रवि द्वारा लंबे समय तक 10 विधेयकों को दबा कर बैठे रहने और विधानसभा द्वारा उन विधेयकों को दोबारा पारित कर भेजे जाने पर राष्ट्रपति के विचारार्थ भेजने का मुद्दा उठाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 414 पृष्ठ के फैसले में राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए व्यवस्था तय की है। यह फैसला शुक्रवार की देर रात सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर अपलोड हुआ है।
कानून बन गए 10 विधेयक- फैसले में कोर्ट ने तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा रोक कर रखे गए 10 विधेयकों को राज्यपाल के समक्ष दोबारा विचार के लिए भेजने की तिथि से मंजूर घोषित किया है। यह पहला मौका है जब सर्वोच्च अदालत ने सीधे विधेयकों को मंजूर घोषित किया है। विधेयकों को राज्यपाल और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बगैर कोर्ट के आदेश से कानून की हैसियत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने विधेयकों को सीधे मंजूरी का फैसला संविधान के अनुच्छेद 142 में प्राप्त विशेष शक्तियों के तहत किया है।
- सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में राज्य विधानसभा से पारित विधेयकों को राज्यपाल द्वारा विचार के लिए राष्ट्रपति को भेजे जाने और राष्ट्रपति को अनुच्छेद 201 में मंजूरी देने की प्राप्त शक्तियों की विस्तृत व्याख्या की है।
- कोर्ट ने कहा है कि वैसे तो संविधान के अनुच्छेद 201 में राष्ट्रपति के निर्णय लेने के लिए कोई समय सीमा तय नहीं है, लेकिन फिर भी उन्हें तर्कसंगत समय में निर्णय लेना चाहिए। राष्ट्रपति को अनुच्छेद 201 में मिली शक्ति को तर्कसंगतता के सामान्य नियम से कोई छूट प्राप्त नहीं है।
- कहा कि प्रविधान की प्रकृति, सरकारिया कमीशन, पुंछी कमीशन की रिपोर्ट व गृह मंत्रालय का चार फरवरी, 2016 को जारी मैमोरेंडम को देखते हुए राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा विचार के लिए भेजे गए विधेयक पर तीन महीने के भीतर निर्णय लेना चाहिए। अगर यह तय समय सीमा पार हो जाए और देरी हो जाए तो उसके उचित कारण रिकार्ड किए जाने चाहिए और संबंधित राज्य को बताए जाने चाहिए।
कोर्ट ने फैसले में कहा है कि जब कभी राज्यपाल अनुच्छेद 200 के तहत मिली शक्ति का इस्तेमाल करते हुए किसी विधेयक को पूरी तरह असंवैधानिक होने के आधार पर रोक लेते हैं और राष्ट्रपति के विचार के लिए भेजते हैं तो राष्ट्रपति को इस संवैधानिक अदालत से गाइडेड होना चाहिए। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की जिम्मेदारी है कि वह कार्यपालिका और विधायिका की कार्रवाई की वैधता और संवैधानिकता तय करे। ऐसे में राष्ट्रपति को बुद्धिमानी से काम लेते हुए संविधान के अनुच्छेद 143 में सुप्रीम कोर्ट को रिफरेंस भेज कर राय लेनी चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि राज्यपाल के पास कोई पूर्ण वीटो नहीं है और यही नियम राष्ट्रपति पर भी लागू होता है।
पहले भी उठ चुका है विधेयकों को लटकाने का मामलावैसे तो सुप्रीम कोर्ट का फैसला तमिलनाडु के मामले में आया है, जिसमें राज्यपाल द्वारा लंबे समय तक विधेयकों को दबाए रखने और दोबारा पारित होकर आने पर राष्ट्रपति को भेजे जाने का मुद्दा तमिलनाडु सरकार ने उठाया था। लेकिन, यह पहला मौका नहीं है, जबकि ऐसा हुआ हो। गुजरात कंट्रोल ऑफ टेरोरिज्म एंड आर्गनाइज्ड क्राइम एक्ट (गुजकोका) भी लंबे समय तक राष्ट्रपति के पास लंबित रहा और चौथी बार भेजे जाने पर 2019 में बिल को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। जबकि यह बिल पहली बार 2003 में राष्ट्रपति को भेजा गया था।
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JEE Main 2025: NTA ने जारी की जेईई मेन 2025 सेशन 2 की Answer Key, ऐसे आपत्ति दर्ज करा सकते हैं स्टूडेंट्स
जागरण संवाददाता, पटना। राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) ने जेईई मेन (JEE Main) अप्रैल सत्र के लिए उत्तर कुंजी (answer key), प्रश्न पत्र (question paper) और उम्मीदवारों की रिकॉर्ड की गई प्रतिक्रियाएं (recorded responses) जारी कर दी हैं।
परिणाम और रैंक की घोषणाजेईई मेन अप्रैल सत्र का रिजल्ट (result) और ऑल इंडिया रैंक (All India Rank) 17 अप्रैल को घोषित किया जाएगा। उम्मीदवार आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध लिंक के माध्यम से 13 अप्रैल को रात 11:50 बजे तक अस्थायी आंसर-की (provisional answer key) के खिलाफ अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकते हैं।
परीक्षा विवरण
बीई-बीटेक के लिए दूसरे सत्र की परीक्षा दो से नौ अप्रैल तक आयोजित की गई थी, जिसमें 11 लाख से अधिक परीक्षार्थी शामिल हुए हैं। जेईई मेन का आयोजन कंप्यूटर आधारित किया गया है, एनटीए ने संबंधित पाली के प्रश्नपत्र और रिकॉर्डेड रिस्पांस के आधार पर परीक्षार्थियों से प्रोविजनल आंसर-की के विरुद्ध आपत्ति मांगी है।
आपत्ति प्रक्रियाविद्यार्थी रविवार की रात 11:50 बजे तक आंसर की के विरुद्ध प्रमाण के साथ आपत्ति दर्ज कराएंगे। प्रत्येक आपत्ति के लिए 200 रुपये शुल्क जमा कराना होगा। लिंक पर रजिस्ट्रेशन नंबर एवं पासवर्ड सबमिट करने पर प्रश्नपत्र एवं रिकॉर्डेड रिस्पांस डाउनलोड हो जाएगा।
डाउनलोड किए गए प्रश्नपत्र पर विद्यार्थी का नाम, एप्लीकेशन नंबर एवं रोल नंबर अंकित है। विशेषज्ञों के अनुसार, 75 प्रश्न अलग-अलग क्वेश्चन आईडी के रूप में प्रदर्शित हैं एवं उस प्रश्न का सही आंसर भी करेक्ट ऑप्शन आईडी के रूप में मिलेगा।
उत्तरों का मिलानविद्यार्थी इस क्वेश्चन आईडी और ऑप्शन आईडी को डाउनलोड किए गए प्रश्नपत्र से मिलाकर अपने उत्तरों की जांच कर सकते हैं। संशय की स्थिति में उसके सामने दिए गए चारों उत्तरों के ऑप्शन आईडी के विकल्पों में सही विकल्प को चुनकर चैलेंज कर सकते हैं।
प्रत्येक चैलेंज के लिए विद्यार्थी को 200 रुपये का प्रोसेसिंग फीस देना होगा। यह जमा नहीं कराने पर आपत्ति स्वीकार नहीं की जाएगी। विद्यार्थी एक या एक से अधिक प्रश्नों को भी चैलेंज कर सकते हैं। चैलेंज किए गए प्रश्नों से संबंधित दस्तावेज को स्कैन कर अपलोड भी करना है।
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Patna News: एक्शन में पटना डीएम, दाखिल-खारिज को लेकर 3 सीओ पर हो गई कार्रवाई; 1 थानेदार पर भी गिरी गाज
जागरण संवाददाता, पटना। जनशिकायत के मामले में जिलाधिकारी डा. चंद्रशेखर सिंह किसी कोताही के मूड में नहीं हैं। एक बार फिर उन्होंने चार पदाधिकारियों पर कार्रवाई की है।
लोक शिकायत के निष्पादन में शिथिलता बरतने को ले फुलवारीशरीफ तथा घोसवरी सीओ पर एक-एक हजार जुर्माना लगाने के साथ स्पष्टीकरण किया गया।
दानापुर अंचल अधिकारी तथा सुनवाई से अनुपस्थित रहने के कारण मसौढ़ी थानाध्यक्ष से भी जवाब-तलब किया गया है। थानेदार के मामले में अगली सुनवाई में वरीय पुलिस अधीक्षक स्वयं उपस्थित रहेंगे।
महीनों से लंबित है दाखिल-खारिज व परिमार्जन का मामलाएक मामला फुलवारीशरीफ के न्यू जगनपुरा निवासी आमोद बिहारी सिन्हा का था। उनकी शिकायत दाखिल-खारिज के संबंध में थी।
परिवादी ने सदर अनुमंडल लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी के समक्ष 11 नवंबर 2024 को ही परिवाद दायर किया था। लगभग छह महीने से भी मामला अंचल अधिकारी के स्तर पर ही लंबित है।
जिलाधिकारी ने कहा कि यह उनकी स्वेच्छाचारिता, शिथिलता तथा संवेदनहीनता को प्रदर्शित करता है। अंचल अधिकारी पर एक हजार रुपये का अर्थदंड लगाते हुए उनसे कारण-पृच्छा की गई।
दूसरा मामला घोसवरी के करकायन निवासी मुरारी मोहन का था। अपीलार्थी की शिकायत परिमार्जन का निष्पादन नहीं किए जाने के संबंध में थी। इस मामले में घोसवरी सीओ की रिपोर्ट भी स्पष्ट नहीं थी।
जिलाधिकारी ने कहा कि अंचल अधिकारी की यह कार्यशैली अत्यंत आपतिजनक है। असंवेदनशीलता, अस्पष्ट प्रतिवेदन तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी ने उनपर भी एक हजार अर्थदंड लगाते हुए स्प्ष्टीकरण मांगा।
ऐसा ही एक मामला बिक्रम प्रखंड के बाघाकोल निवासी दीपक कुमार का था। उन्होंने दाखिल-खारिज वाद के मामले में द्वितीय अपील में वाद दायर किया था। इसमें दानापुर के अंचल अधिकारी की उदासीनता सामने आई।
करीब पांच महीने से मामला उनके स्तर पर ही लंबित है। उन्होंने सीओ से स्पष्टीकरण के साथ सुनवाई की अगली तिथि में कार्रवाई प्रतिवेदन के साथ उपस्थित रहने का निर्देश दिया।
छह माह में भी थानेदार ने नहीं की एफआइआरबार-बार आवेदन एवं साक्ष्य देने के बावजूद एफआइआर दर्ज नहीं करने की शिकायत मसौढ़ी के नुरा गांव निवासी राहुल सिंह की थी। उन्होंने द्वितीय अपील में वाद दायर किया था।
जिलाधिकारी ने सुनवाई में पाया कि मसौढ़ी थानाध्यक्ष ने इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। आज की सुनवाई से भी वे अनुपस्थित थे। जिलाधिकारी ने कहा कि करीब छह महीना से परिवाद थानाध्यक्ष के स्तर पर ही लंबित है।
उन्होंने निर्देशों का अनुपालन नहीं किया है। लोक शिकायत के मामले में असंवेदनशीलता प्रदर्शित करने तथा शिकायत निवारण में विलंब के कारण जिलाधिकारी ने थानाध्यक्ष से स्पष्टीकरण किया।
सुनवाई की अगली तिथि से पूर्व परिवाद का नियमानुसार निवारण करने का निर्देश दिया। अगली सुनवाई में वरीय पुलिस अधीक्षक स्वयं उपस्थित रहेंगे।
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Air Pollution की वजह से शहरों में Acid Rain का खतरा, IMD की रिसर्च में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
पीटीआई, नई दिल्ली। पूरे देश में वर्षा जल पर नजर रखने वाले एक अध्ययन में पता चला है कि इलाहाबाद, विशाखापत्तनम और मोहनबाड़ी (असम) में अम्लीय वर्षा अधिक हो रही है, जबकि थार से उठने वाली धूल जोधपुर, पुणे और श्रीनगर में बारिश को अधिक क्षारीय बना रही है। अध्ययन में भारत के दस शहरों की वर्षा के पीएच मान का विश्लेषण किया गया।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (आइएमडी) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान की ओर से किए अध्ययन में अधिकांश निगरानी वाले स्थानों पर पीएच स्तरों में चिंताजनक गिरावट का पता चला है। यह इस बात की ओर इशारा करती है कि शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का वर्षा जल पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। अम्लीय (एसिडिक) और क्षारीय (अल्कलाइन) दोनों प्रकार की वर्षा के विषैले प्रभाव हो सकते हैं, जिससे जलीय और वनस्पति जीवन प्रभावित हो सकता है।
'कोई बड़ा नुकसान नहीं होता है'हालांकि विज्ञानियों ने कहा है कि अम्लीय वर्षा वर्तमान में हमारे क्षेत्र के लिए कोई बड़ा और तत्काल खतरा उत्पन्न नहीं कर रही है। पीएच जितना कम होगा, बारिश की अम्लता उतनी अधिक होगी। पीएच एक माप है जो 0 से 14 के पैमाने को इंगित करता है। कोई पदार्थ कितना अम्लीय या क्षारीय है इसके माध्यम से इसकी जानकारी होती है। इसमें सात का पैमाना न्यूट्रल है। 1987 से 2021 तक ग्लोबल एटमास्फियर वाच स्टेशनों पर किए अध्ययन में अधिकांश स्थानों पर समय के साथ पीएच में कमी पाई गई। हालांकि, टीम ने कहा कि थार रेगिस्तान से आने वाली धूल जोधपुर और श्रीनगर के वर्षा जल की अम्लीय प्रकृति का मुकाबला कर सकती है, जिससे इन शहरों में पीएच मान बढ़ सकता है।
धूल बन रही एसिड बारिश से प्रतिरोध की वजहविज्ञानियों ने कहा कि शुष्क मौसम के दौरान बारिश थोड़ी अधिक अम्लीय होती है। हालांकि, अध्ययन किए गए शहरों में से ज्यादातर में बारिश समय के साथ ज्यादा अम्लीय होती पाई गई। वाहनों और औद्योगिक गतिविधियों वाले शहरों में नाइट्रेट सबसे ज्यादा प्रभावी आवेशित कण पाया गया, जबकि जोधपुर, पुणे और श्रीनगर में कैल्शियम के आवेशित कण प्रमुख थे, जो धूल और मिट्टी के प्रभाव का संकेत हैं।
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Bihar Politics: केंद्र से मिल गया एक और गिफ्ट, बिहार आते ही PM मोदी 5.20 लाख लोगों को एकसाथ देंगे खुशखबरी
राज्य ब्यूरो, पटना। केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को एक दिवसीय बिहार दौरे में कई बैठक ली।
इस दौरान उन्होंने नीतीश सरकार के कई मंत्रियों एवं अधिकारियों के साथ बैठक के उपरांत 5.20 लाख प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास देने की घोषणा की।
मुख्य सचिवालय सभागार में हुई बैठक में शिवराज ने 24 अप्रैल को पंचायत राज दिवस पर मधुबनी में होने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कार्यक्रम की प्रशासनिक तैयारियों की जानकारी ली।
आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। साथ ही, केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने बिहार में ग्रामीण विकास की केंद्रीय योजनाओं की समीक्षा की।
सात माह में मिला 14 लाख आवासशिवराज सिंह ने बताया कि पिछले वर्ष सात लाख 90 हजार प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत बिहार के पात्र भाइयों-बहनों को दिए गए थे।
आवास प्लस की जो दो सूची बनी थी, उसमें से लगभग 5 लाख 20 हजार मकान अभी बचे थे। अब 5 लाख 20 हजार मकान और बिहार के कच्चे मकानों में रहने वाले भाई-बहनों को पक्के मकान बनाने के लिए दिए जाएंगे। इस प्रकार कुल मिलाकर 7-8 महीने में 14 लाख मकान बिहार के हमारे भाई-बहनों को मिल जाएगा।
24 अप्रैल को प्रधानमंत्री के हाथों जो नए स्वीकृत मकान हैं 5 लाख 20 हजार, उनके स्वीकृति पत्र और जो पहले से स्वीकृत मकान हैं, मकान बनाने के लिए जो अलग-अलग किस्तों में राशि दी जाती है, वो किस्त सिंगल क्लिक के माध्यम से खाते में डाली जाएगी।
योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयनउन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ग्रामीण विकास की हर योजना का यहां बहुत बेहतर और आदर्श क्रियान्वयन हो रहा है।
लखपति दीदी भी 3 लाख से ज्यादा यहां बन चुकी है। 20 लाख इसी वर्ष बनाने का लक्ष्य है, तो तेजी से हर कार्यक्रम को क्रियान्वित करने का आदर्श काम बिहार की सरकार कर रही है।
बैठक में केंद्रीय मंत्री राजीव ललन सिंह, उप मुख्यमंत्री द्वय सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के अतिरिक्त कई मंत्री एवं अधिकारी उपस्थित थे।
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स्टालिन की परेशानी बढ़ा सकती है BJP-AIADMK की दोस्ती, विधानसभा चुनाव का रोडमैप तैयार
अरविंद शर्मा, जागरण, नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश की तरह भाजपा ने तमिलनाडु में भी सत्ता का साझीदार बनने की गंभीर कसरत शुरू कर दी है। डेढ़ वर्ष पहले एनडीए का साथ छोड़कर लोकसभा का चुनाव लड़ने वाली अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIDMK) और अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर भाजपा ने विधानसभा चुनाव लड़ने का रोडमैप तैयार करने की पहल इसकी शुरूआत है।
2021 के विधानसभा चुनाव से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक तीन वर्षों के दौरान सत्तारूढ़ डीएमके के वोट में छह प्रतिशत से अधिक गिरावट आई है और अन्नाद्रमुक को साथ लेकर भाजपा को इसमें उम्मीद दिखती है। वजह यह भी कि इस दौरान भाजपा के वोट में करीब तीन गुना वृद्धि हुई।
राजग को तमिलनाडु में भी फायदा मिल सकता हैपिछले विधानसभा चुनाव में एआइएडीएमके के नेतृत्व में राजग गठबंधन को 39.71 प्रतिशत एवं डीएमके के नेतृत्व में सत्तारूढ़ एसपीए को 45.38 प्रतिशत वोट मिले थे। दोनों गठबंधनों के बीच का अंतर सिर्फ 5.67 प्रतिशत वोटों का था। इस बार गठबंधन में सहजता बनी रही तो आंध्र प्रदेश की तरह राजग को तमिलनाडु में भी फायदा मिल सकता है। वैसे डीएमके नेताओं के सनातन विरोधी बयानों को भी भाजपा तमिलनाडु के एक वोट बैंक को साधने का दांव चल स्टालिन की मुश्किल बढ़ा सकती है। एआइएडीएमके के साथ एक-दो अपवाद को छोड़ दें तो भाजपा का तमिलनाडु में उसके साथ पुराना राजनीतिक सहयोग का रिश्ता है।
2023 में भाजपा और एआईडीएमके का रास्ते हुए अलगएआइएडीएमके प्रमुख दिवंगत जयललिता ने वर्ष 1998 से ही राजग का साथ दिया। वर्ष 2021 का विधानसभा चुनाव भी भाजपा ने एआइएडीएमके के साथ गठबंधन में ही लड़ा था, लेकिन सत्ता के करीब तक नहीं पहुंच पाया था। इस बीच भाजपा ने जब तेजतर्रार अन्नामलाई के हाथ में कमान सौंपी तो दोनों दलों के बीच दूरियां इतनी बढ़ी कि सितंबर 2023 में दोनों दलों का रास्ता अलग-अलग हो गया। इसका नुकसान दोनों को हुआ और लोकसभा में सुपड़ा साफ हो गया। लोकसभा का सबक दोनों दलों को अब विधानसभा चुनाव में काम आ रहा है।
जयललिता सरकार में रह चुके हैं नए तामिलनाडु बीजेपी अध्यक्षभाजपा ने अन्नामलाई के बदले जयललिता के विश्वासपात्र रहे नयनार नागेंद्रन को प्रदेश संगठन की कमान देने का इरादा जाहिर कर गठबंधन का रास्ता प्रशस्त कर दिया। भाजपा में आने से पहले जयललिता सरकार में नागेंद्रन कई मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं। स्टालिन सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती डीएमके का घटता वोट प्रतिशत है। 2019 के लोकसभा चुनाव में 33.52 प्रतिशत वोट मिले थे, जो 2024 में 6.59 प्रतिशत घटकर 26.93 प्रतिशत पर आ गया।
हालांकि तब भी डीएमके को 22 सीटों और कांग्रेस को नौ सीटों पर जीत मिली। दूसरी तरफ अलग-अलग चुनाव लड़ रहे भाजपा और एडीएमएके को एक भी सीट नसीब नहीं हुई। मगर इस बार भाजपा की रणनीति अतिरिक्त वोटों का जुगाड़ करने की है। इसके लिए अमित शाह ने एआइएडीएमके के अतिरिक्त अन्य छोटे दलों के साथ भी दोस्ती का संकेत दिया है।
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मौसम का बदलेगा मिजाज, दिल्ली-यूपी में आंधी-तूफान; राजस्थान में लू की चेतावनी; पढ़ें अपने राज्य का हाल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Mausam Ki Jankari: दिल्ली एनसीआर में शुक्रवार शाम आई धूल भरी आंधी और छिटपुट बारिश के बाद तापमान में कमी देखने को मिली है। पिछले कुछ दिनों से जारी गर्मी के सितम से लोगों को राहत मिली है। हालांकि, इस बारिश ने किसानों को नुकसान पहुंचाया है।
इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने एक नया अपडेट दिया है। मौसम विभाग के अनुसार, आने वाले कुछ दिनों तक आंधी-तूफान और हल्की बारिश का सिलसिला देखने को मिलेगा। वहीं, उत्तर पश्चिम भारत और गुजरात में आगामी 15 अप्रैल से गर्मी की लहर दस्तक देगी।
आईएमडी ने हालिया जानकारी में बताया कि उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में 12 अप्रैल को तथा झारखंड में 15 अप्रैल को छिटपुट ओलावृष्टि की संभावना है।
पिछले 24 घंटों के मौसम का हालपिछले 24 घंटों में मौसम में भारी बदलाव देखने को मिला। शुक्रवार शाम को दिल्ली एनसीआर समेत सटे राज्यों में आंधी पानी और हल्की बूंदाबादी देखने को मिली। जिससे तापमान में काफी कमी देखने को मिली। IMD ने बताया कि पिछले 24 घंटों में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड़, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, मध्य प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर तूफानी हवाओं के साथ गरज के साथ बारिश हुईं। वहीं, ये सिलसिला आज और कल जारी रहने की संभावना है।
इन राज्यों में लू की चेतावनीमौसम विभाग ने कुछ राज्यों में लू को लेकर चेतावनी जारी की है। विभाग के ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 14 और 15 अप्रैल को पश्चिमी राजस्थान में अलग-अलग स्थानों पर लू चलने की संभावना है। वहीं, 16-18 अप्रैल के दौरान अलग-अलग स्थानों पर भीषण लू चलने की संभावना है।
विभाग के अपडेट में बताया गया कि 15-17 अप्रैल के दौरान गुजरात राज्य में अलग-अलग स्थानों पर लू चलने की संभावना है। 16-18 अप्रैल के दौरान पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पूर्वी राजस्थान, पश्चिमी मध्य प्रदेश में लू चलने की संभावना है।
इन क्षेत्रों में तूफान का अलर्ट- मौसम विभाग ने बताया कि अगले चौबीस घंटों में आंधी तूफान का सिलसिला कुछ राज्यों में जारी रह सकता है। मौसम विभाग का कहना है कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में गरज, बिजली और तेज हवाओं के साथ छिटपुट बारिश के होने की संभावना है। अगले 7 दिनों के दौरान पूर्वोत्तर और उससे सटे पूर्वी भारत में गरज, बिजली और तेज हवाओं के साथ छिटपुट बारिश संभावना है।
- उत्तर प्रदेश और पूर्वी राजस्थान, मध्य प्रदेश, में आने वाले कुछ समय तक धूल भरी आंधी चलने की संभावना है। इसके अलावा कुछ स्थानों पर हल्की से मध्य बारिश भी देखने को मिल सकती है।
- अगले 5 दिनों के दौरान केरल और माहे में गरज के साथ छिटपुट बारिश की संभावना है। अगले 3 दिनों के दौरान तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल, तेलंगाना, कर्नाटक, तटीय आंध्र प्रदेश और यनम, रायलसीमा में गरज के साथ हल्की बारिश की संभावना है।
दिल्ली एनसीआर के मौसम की बात करें तो यहां पर 12 और 13 अप्रैल को आंशिक रूप से बादल छाए रह सकते हैं। वहीं, इसके बाद तापमान में धीरे-धीरे बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। 14 और 15 अप्रैल के बाद एक बार फिर से एनसीआर में गर्मी का सितम देखने को मिल सकता है। इस दौरान तापमान 40 डिग्री सेल्सियस पार कर सकता है।
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Bihar News: सरकारी स्कूलों में बिना आधार के भी होगा बच्चों का नामांकन, ACS एस. सिद्धार्थ ने दी जानकारी
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सरकारी विद्यालयों में पहली कक्षा में बिना आधार कार्ड के भी बच्चों का नामांकन होगा। इस पर शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लिया है।
आवश्यक दस्तावेजआधार कार्ड नहीं रहने की स्थिति में जन्म प्रमाणपत्र या ऐसे ही दूसरे दस्तावेज अभिभावक को विद्यालय में देने होंगे। शिक्षक किसी भी बच्चे को नामांकन के बिना विद्यालय से वापस नहीं करेंगे।
शिक्षा विभाग की घोषणाशिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने शनिवार को शिक्षा की बात हर शनिवार कार्यक्रम में इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह जिला प्रशासन का दायित्व है कि वह नामांकन से संबंधित दस्तावेजों को देखें।
गर्मी की छुट्टियों में शिक्षाअपर मुख्य सचिव ने कहा कि हर गांव में कोई भी बच्चा बिना विद्यालय के नहीं रहे। शत-प्रतिशत बच्चों का नामांकन सुनिश्चित हो। गर्मी की होने वाली छुट्टी में बच्चे घर पर रहेंगे। उस दौरान बच्चों को प्रोजेक्ट बेस्ड शिक्षा दी जाए।
बच्चे के गांव में किस प्रकार के पेड़, चिड़िया, जानवर हैं। इसे प्रोजेक्ट में शामिल किया जाना चाहिए। बच्चों से उनके चित्र भी बनवाए जा सकते हैं। यानी, गर्मी की छुट्टी में बच्चों को घरों में दी जाने वाली शिक्षा में उनके परिवेश पर फोकस किया जाय।
प्रधानाध्यापकों को दिए जाएंगे हैंडबुकअपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकारी विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को हैंडबुक भी दिए जाएंगे। हैंडबुक के संचालन से संबंधित गाइडलाइन जारी होगी।
राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को गाइडलाइन तैयार करने के लिए कहा गया है। भविष्य में जब संसाधन जुटेंगे, तो पहली से पांचवीं कक्षा के बच्चों को भी कंप्यूटर की शिक्षा दी जाएगी।
कंप्यूटर शिक्षा का विस्तारप्राथमिक विद्यालयों को भी कंप्यूटर उपलब्ध कराये जाएंगे। वर्तमान में छठी कक्षा से कंप्यूटर की शिक्षा की व्यवस्था की गयी है। मध्य विद्यालयों में छठी से आठवीं कक्षा के बच्चों की कंप्यूटर की शिक्षा के लिए आईसीटी लैब है। माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में भी बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा दी जा रही है।
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