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Bihar Politics: बिहार चुनाव से पहले मांझी ने सीट को लेकर ठोक दिया दावा, नई डिमांड के बाद बढ़ा सियासी पारा
राज्य ब्यूरो, पटना। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (से.) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक रविवार को पार्टी संरक्षक जीतन राम मांझी के आवास पर आयोजित की गई।
बैठक की अध्यक्षता मंत्री और पार्टी अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन ने की। बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि पार्टी गठबंधन के तहत विधानसभा चुनाव में 25 से 30 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि 25-30 जिलों में सम्मेलन आयोजित किया जाएगा।
बैठक में संगठनात्मक मजबूती, इंटरनेट मीडिया को सक्रिय बनाने, पार्टी का यू-टयूब चैनल शुरू करने, हम सेना नाम प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की टीम बनाने और प्रत्येक जिले में सौ समर्पित कार्यकर्ताओं का चयन कर उन्हें प्रशिक्षण देने पर भी सहमति बनाई गई।
संतोष कुमार ने कहा कि पार्टी का स्थापना दिवस 20 मई को पटना में भव्य रूप से मनाया जाएगा। इस दौरान मांझी दर्पण नाम पार्टी स्मारिका का विमोचन भी किया गया।
बैठक में रामचंद्र प्रसाद सिंह, वीरेंद्र कुमार सिंह, देवेंद्र मांझी, श्याम सुंदर शरण, कौशलेंद्र कुमार, पम्पी शर्मा, रमेश सिंह, राजेश रंजन, शंकर मांझी, सहित दूसरे कई नेता उपस्थित रहे।
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IAS Transfer: बंदना बनीं समाज कल्याण विभाग की सचिव, बिहार में 3 IAS अफसरों का तबादला; 2 को मिला अतिरिक्त प्रभार
राज्य ब्यूरो, पटना। उद्योग विभाग की सचिव बंदना प्रेयसी को समाज कल्याण विभाग का सचिव बनाया गया है। वह बिहार राज्य महिला एवं बाल विकास निगम की प्रबंध निदेशक के अतिरिक्त प्रभार में भी रहेंगी।
वहीं, अपर मुख्य सचिव समाज कल्याण विभाग, हरजोत कौर बम्हारा को पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग का अपर मुख्य सचिव बनाया गया है।
सामान्य प्रशासन विभाग ने रविवार को तीन अधिकारियों के तबादले की अधिसूचना जारी की। दो अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
मिहिर कुमार सिंह को मिला अतिरिक्त प्रभारपथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह को उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
राजस्व पर्षद की सदस्य डॉ. सफीना एएन को मगध प्रमंडल के आयुक्त के रूप में पदस्थापित किया गया है। वह अपर महानिदेशक, बिपार्ड गया के अतिरिक्त प्रभार में भी रहेंगी।
बिहार भवन. नयी दिल्ली में स्थानिक आयुक्त के रूप में पदस्थापित कुंदन कुमार को आधारभूत संरचना विकास प्राधिकार (आइडा) के प्रबंध निदेशक काअतिरिक्त प्रभार दिया गया है।
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'दुष्कर्म के प्रयास' संबंधी फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई, इलाहाबाद HC के फैसले पर SC ने लगाई थी रोक
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को एक ऐसे मामले की सुनवाई करेगा जिसमें उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया था कि स्तनों को पकड़ना और पायजामे की डोरी तोड़ना दुष्कर्म के प्रयास के आरोप के लिए पर्याप्त नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित काज-लिस्ट के अनुसार, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ मंगलवार (15 अप्रैल) को पीडि़ता की मां की याचिका सहित इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू करेगी।
इलाहाबाद HC के फैसले पर SC ने लगाई थी रोकइलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के विवादित हिस्से पर रोक लगाते हुए जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने 26 मार्च को कहा था कि ऐसी टिप्पणियों से फैसला लिखने वाले की ओर से संवेदनशीलता की कमी और अमानवीय दृष्टिकोण का पता चलता है। पीठ ने कहा कि हमने 17 मार्च के उक्त फैसले और आदेश का अवलोकन किया है। हमें यह कहते हुए बहुत कष्ट हो रहा है कि विवादित आदेश में और विशेष रूप से पैराग्राफ 21, 24 और 26 में की गई कुछ टिप्पणियां फैसला लिखने वाले में संवेदनशीलता की कमी को दर्शाती हैं।
SC ने मामले में क्या कहा?पीठ ने यह भी कहा कि चूंकि पैराग्राफ 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं और पूरी तरह से असंवेदनशील एवं अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं, इसलिए हम उक्त टिप्पणियों पर रोक लगाने के लिए इच्छुक हैं। जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि विवादास्पद फैसला क्षणिक आवेग में नहीं दिया गया था, बल्कि आदेश सुरक्षित रखने के चार महीने बाद दिया गया था।
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Bihar Jobs 2025: शिक्षा विभाग में होगी एक और बंपर भर्ती, BPSC लेगा एग्जाम
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य के सरकारी विद्यालयों में शैक्षणिक गुणवत्ता की मॉनिटरिंग हेतु सहायक शिक्षा विकास पदाधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया जल्द शुरू होगी।
शिक्षा विभाग के स्तर से 1339 पदों नियुक्ति हेतु अधियाचना भेजने की कार्रवाई को अंतिम रूप से दिया जा रहा है। आयोग द्वारा अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा ली जाएगी। इसमें उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का साक्षात्कार लिया जाएगा।
अभ्यर्थियों की न्यूनतम योग्यता स्नातक बिहार शिक्षा प्रशासन संवर्ग नियमावली, 2025 के मुताबिक अभ्यर्थियों के लिए शैक्षणिक योग्यता किसी मान्यता विश्वविद्यालय से स्नातक या समकक्ष रखा गया है।
वहीं, न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष है। नियुक्ति में राज्य सरकार द्वारा लागू आरक्षण का प्रविधान भी प्रभावी होगा। न्यूनतम आयु की गणना संबंधित वर्ष की पहली अगस्त के आधार पर होगी। ये नियुक्तियां बिहार शिक्षा प्रशासन संवर्ग में प्राप्त होंगी।
सहायक शिक्षा विकास पदाधिकारी का पद मूल कोटि का होगा। इस पद पर नियुक्त होने वालों की प्रोन्नति शिक्षा विकास पदाधिकारी के पद पर होगी।
मेधा सूची के आधार पर वरीयता का निर्धारणसीधी भर्ती से नियुक्त सहायक शिक्षा विकास पदाधिकारियों का वरीयता निर्धारण आयोग के मेधा सूची के आधार किया जाएगा। सहायक शिक्षा विकास पदाधिकारी पद पर नियुक्त कर्मियों की परिवीक्षा अवधि योगदान की तिथि से एक वर्ष के लिए होगी।
परिवीक्षा अवधि में सेवा संतोषजनक नहीं पाए जाने की स्थिति में परिवीक्षा अवधि का विस्तार अगले एक वर्ष के लिए किया जा सकेगा। यदि विस्तारित अवधि में भी सेवा संतोषजनक नहीं पायी जाएगी, तो नियुक्ति प्राधिकार ऐसे कर्मी को सेवामुक्त कर सकेगा।
नियुक्त सहायक शिक्षा विकास पदाधिकारियों को यथा निर्धारित विभागीय परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य होगा। विभागीय परीक्षा के विषय पाठ्यक्रम एवं प्रक्रिया का निर्धारण राजस्व पर्षद द्वारा विभाग के परामर्श से किया जाएगा।
प्रोन्नति पर विचारार्थ न्यूनतम कालावधि एवं अन्य शर्त के वही होगी, जो राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाएगी।
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Bihar Politics: बिहार चुनाव को लेकर कांग्रेस पूरी तरह से एक्टिव, क्या नई रणनीति से RJD पर बन पाएगा दबाव?
सुनील राज, पटना। वैसे तो बिहार विधानसभा चुनावों की घोषणा में अभी वक्त है। लेकिन, कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने सहयोगी राजद पर दबाव की रणनीति के तहत पार्टी में केंद्रीय टीम के दिग्गजों को मोर्चा संभालने के लिए मैदान में उतार दिया है।
यूं तो पार्टी चार्जशीट कार्यक्रम के नाम पर बिहार में अपराध और विधि-व्यवस्था के मुद्दे पर एनडीए सरकार पर हमलावर है। लेकिन उसकी इस कवायद को सहयोगी दल खास कर राष्ट्रीय जनता दल दबाव से जोड़ा जा रहा है।
पिछले दो दशकों से राजद से गठजोड़ कर चुनाव मैदान में उतरने वाली कांग्रेस वैसे तो अपने दम पर अकेले मैदान में तो नहीं उतरेगी लेकिन, सीटों को लेकर दबाव में भी नहीं आएगी।
यही कारण है कि एक ओर जहां प्रदेश नेतृत्व में बदलाव किए गए, वहीं अभी से राजद पर दबाव की कोशिशें भी शुरू हो गई है।
दबाव बनाने का जिम्मा केंद्रीय स्तर के नेताओं को दिया गया है। केंद्रीय नेता यहां आकर जहां चुनाव की जमीन तैयार कर रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री फेस के मुद्दे पर भी खुलकर अपना पक्ष रख रहे हैं।
सूत्र बता रहे हैं कि राहुल गांधी के अलावा पार्टी के करीब दिग्गज 40 नेताओं को बिहार में उतारा जा रहा है। जो नाम सामने आए हैं।
उनमें रणदीप सुरजेवाला, मीरा कुमार, दिग्विजय सिंह, सचिन पायलट, अलका लांबा, सुप्रिया श्रीनेत्र, कन्हैया कुमार, कपिल सिब्बल, सलमान खुर्शीद, इमरान प्रतापगढ़ी, पवन खेड़ा, जयराम रमेश, जिग्नेश मेवाणी और कुमारी शैलेजा के नाम प्रमुख हैं।
इनमें से राहुल गांधी के तीन महीने में तीन दौरे हो चुके हैं। राहुल के अलावा सचिन पायलट, अलका लांबा, सुप्रिया श्रीनेत्र, कन्हैया, पवन खेड़ा और जिग्नेशन मेवाणी का दौरा हो भी चुका है। आने वाले महीनों में कई और वरिष्ठ कांग्रेस नेता बिहार का रुख करेंगे और कांग्रेस को मजबूत दिशा देंगे।
20 को बिहार आ सकते हैं कांग्रेस अध्यक्ष खरगेकांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे 20 अप्रैल को बिहार आ सकते है। जानकारी के अनुसार मल्लिकार्जुन 20 को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में पार्टी के अध्यक्ष, प्रभारी की मौजूदगी में प्रदेश नेताओं के साथ बैठक करेंगे।
पार्टी के सूत्रों की माने तो 19 को बक्सर में पार्टी की एक रैली प्रस्तावित है। इसमें भी खरगे शामिल हो सकते हैं परंतु यह कार्यक्रम अब तक तय नहीं हुआ है परंतु 20 का उनका दौरा करीब-करीब तय हो चुका है।
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New Toll Policy: टोल पर आम आदमी को राहत, 3 हजार का वार्षिक पास; FASTag को लेकर होगी ये शर्त
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस वे में टोल संबंधी समस्याओं का समाधान करने के लिए प्रस्तावित नई टोल नीति शुल्क में औसतन 50 प्रतिशत तक राहत देने के साथ ही लोगों को तीन हजार रुपये एकमुश्त खर्च में वार्षिक पास की सुविधा भी प्रदान करेगी। ये पास राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस वे के साथ ही राज्यों के एक्सप्रेस वे पर भी मान्य होंगे।
इसके लिए अलग से पास लेने की जरूरत नहीं होगी, बल्कि शुल्क फास्टैग अकाउंट के जरिये ही अदा किया जा सकता है। नई टोल नीति लगभग तैयार है और इसकी घोषणा कभी भी की जा सकती है। इसमें टोल गेटों को समयसीमा के भीतर समाप्त करने का संकल्प भी है।
तीन हजार के पास में साल भर दौड़ेगी कारनई टोल नीति टोल प्लाजाओं की व्यवस्थाओं के बजाय प्रति किलोमीटर निर्धारित शुल्क पर आधारित होगी। मोटे तौर पर सौ किलोमीटर के लिए एक कार को पचास रुपये का टोल शुल्क देना होगा। नई टोल नीति के निर्माण से जुड़े सूत्र के अनुसार, अभी मासिक पास ही जारी किए जाते हैं, जो स्थानीय लोगों को एक टोल प्लाजा पार करने में राहत देते हैं, लेकिन नई नीति में तीन हजार रुपये का वार्षिक पास हासिल कर कोई कार पूरे साल असीमित किलोमीटर की यात्रा कर सकती है और उसे किसी एक्सप्रेस वे अथवा हाइवे पर कोई शुल्क नहीं देना होगा।
इस फार्मूले के तहत होगी क्षति की भरपाईइसमें सबसे बड़ी अड़चन कंसेसनरों और कांट्रैक्टरों के मौजूदा अनुबंध थे, जिनमें इस तरह की सुविधा का कोई प्रविधान नहीं है। सूत्रों के अनुसार, उनकी आपत्तियों को दूर करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय क्षति की भरपाई करने पर सहमत हो गया है। यानी कंसेसनायर अपने टोल प्लाजा से गुजरने वाले वाहनों का डिजिटल रिकार्ड रखेंगे और उनके दावे और वास्तविक वसूली में जो अंतर होगा, उसकी भरपाई एक फार्मूले के अनुसार सरकार की ओर से की जाएगी।
पहले इस सुविधा पर किया गया विचारसूत्रों के अनुसार कंसेसनरों की आपत्ति, राज्यों में वाहनों की आयु सीमा के अलग-अलग नियमों और बैंकों की हिचक के कारण सरकार ने अब आजीवन पास जारी करने का विचार छोड़ दिया है। पहले लाइफटाइम पास के रूप में तीस हजार रुपये में 15 वर्ष तक वैध रहने वाला पास जारी करने के बारे में सोचा गया था, लेकिन इस पर सभी पक्षों की सहमति नहीं बनी। इसके लिए उपभोक्ताओं के आगे आने के आसार भी कम थे।
बैरियर फ्री इलेक्ट्रानिक टोलिंग की व्यवस्थानई टोल नीति बैरियर फ्री इलेक्ट्रानिक टोलिंग को बढ़ावा देने वाली है। सूत्रों के अनुसार इससे संबंधित तीन पायलट प्रोजेक्टों के सकारात्मक नतीजे मिले हैं। सटीकता का स्तर 98 प्रतिशत के आसपास पहुंच रहा है। बैंकों के साथ इस चिंता का भी समाधान कर लिया गया है कि अगर कोई वाहन टोल अदा किए बिना सड़क नेटवर्क से निकल जाता है, तो टोल की वसूली कैसे होगी। इसके लिए बैंकों को और अधिकार दिए जाएंगे। वे फास्टैग समेत पेमेंट के अन्य माध्यमों में न्यूनतम बैलेंस की शर्त लगा सकते हैं और अधिक पेनाल्टी थोप सकते हैं।
कहां से की जाएगी नई सुविधा की शुरुआत?नई टोल नीति निर्माण में सलाहकारों ने मंत्रालयों को बैंकों को वे साइड एमेनिटीज के स्वामित्व में हिस्सेदारी की सलाह भी दी है। इसकी शुरुआत दिल्ली-जयपुर हाईवे से किए जाने के आसार हैं। मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी के अनुसार बैरियर फ्री इलेक्ट्रानिक टोलिंग के लिए आटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉगनिशन सिस्टम (एएनपीआर) पूरे देश में इसी साल के अंत तक लागू हो जाएगा।
शुरुआत भारी वाहनों और खतरनाक सामग्री ले जाने वाले ट्रकों से की जाएगी। पूरे नेटवर्क की मैपिंग हो चुकी है, नई तकनीक-सेंसर और कैमरे सभी क्षेत्रों में लगाए जा रहे हैं। फास्टैग और एएनपीआर मिलकर नए जमाने की टोल प्रणाली की जरूरत को पूरा करेंगे।
टोल प्लाजा पर आगे-पीछे नहीं करनी पड़ेगी कार- केंद्र सरकार राज्यों से भी बात कर रही है कि वे इस प्रणाली में शामिल हों ताकि सभी तरह की सड़कों को इसमें कवर किया जा सके। अवैध-अक्रिय फास्टैग बड़ी समस्यासरकार के दावों के विपरीत टोल प्लाजा में भीड़भाड़ बनी रहने और लोगों को होने वाली असुविधा को दूर करने के लिए हाईवे प्रबंधन से जुड़े अधिकारियों ने पिछले 15 दिन में दो बार अपनी एजेंसियों, कंसेसनायरों और परियोजना निदेशकों के साथ बैठक की है।
- लोगों की यह सामान्य शिकायत रहती है कि गेट के करीब पहुंचने के बाद भी स्कैनर सही तरह काम नहीं करते हैं और उन्हें अपनी गाड़ीं आगे-पीछे करनी पड़ती है। यह समस्या उन टोल प्लाजा में भी आ रही है, जिनका स्वामित्व ग्लोबल एजेंसियों के पास है। उनका कहना है कि समस्या स्थानीय टेक्नोलॉजी की है। फास्टैग सही जगह न लगे या अनधिकृत हो जाने के कारण सेंसर को री-सेट होने में समय लगता है।
- सरकार ने पिछले साल एक वाहन, एक फास्टैग की नीति लागू की थी। इसके बाद एक करोड़ फास्टैग रद किए गए थे, लेकिन अभी इतने ही फास्टैग हैं जो अवैध या अक्रिय हो चुके हैं, लेकिन उन्हें या तो गाड़ियों से हटाया नहीं गया है या वे वाहन से लिंक बने हुए हैं। अधिकारियों ने टोल आपरेटरों से ऐसे वाहनों को चिह्नित करने के लिए कहा है।
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Bihar News: बिहार के स्कूलों में नैतिक शिक्षा पर दिया जाएगा विशेष ध्यान, जल्द जारी होगी गाइडलाइन
राज्य ब्यूरो, पटना। चालू शैक्षणिक सत्र में सरकार स्कूली बच्चों में नैतिक शिक्षा पर जोर देने जा रही है। सभी सरकारी प्रारंभिक, माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रार्थना सत्र के दौरान बच्चों को नैतिक शिक्षा दी जाएगी।
इस संबंध में शिक्षा विभाग द्वारा जल्द ही सभी सरकारी विद्यालयों को गाइडलाइन जारी किया जाएगा। बच्चों को नैतिक शिक्षा के बारे में क्या-क्या बताया जाएगा, इसके बारे में पुस्तिका प्रकाशित की जा रही है। शिक्षा विभाग का कहना है कि विद्यालयों के प्रार्थना सत्र में नैतिक शिक्षा को सबसे ऊपर रखा जाएगा।
शिक्षा विभाग द्वारा सभी सरकारी विद्यालयों में बच्चों को नैतिक शिक्षा देने के साथ-साथ सामुदायिक सहभागिता काे बढ़ावा देने का भी निर्णय लिया गया है।
शिक्षा विभाग का मानना है कि नैतिक शिक्षा सामाजिक विज्ञान का हिस्सा है। यह बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है और उन्हें एक बेहतर समाज का निर्माण करने में मदद करता है।
सरकारी विद्यालयों में सामुदायिक सहभागिता किस प्रकार बढ़ाई जाए, इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा गाइडलाइन तैयार किया जा रहा है।
बच्चों में नैतिक मूल्यों के विकास को प्राथमिकतागाइडलाइन में बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास पर जोर दिया जा रहा है। मसलन, नैतिक शिक्षा बच्चों को ईमानदारी, सम्मान, सहानुभूति, न्याय, और जिम्मेदारी जैसे नैतिक मूल्यों को समझने और अपनाने में मदद करती है। यह बच्चों के चरित्र निर्माण में मदद करती है और उन्हें सही और गलत के बीच अंतर करने में सक्षम बनाती है।
बच्चों को समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझने और उसे निभाने में मदद करती है। बच्चों में अनुशासन, धैर्य और बेहतर व्यवहार को बढ़ावा दिया जाएगा।
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