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अमेरिका के लिए कृषि उत्पादों का बाजार खोलने के पक्ष में नहीं भारत, EU और ब्रिटेन से भी आ सकता प्रेशर

Dainik Jagran - National - March 9, 2025 - 7:24pm

राजीव कुमार, नई दिल्ली। ट्रंप प्रशासन के दबाव के बावजूद भारत अमेरिका के लिए कृषि उत्पादों का बाजार खोलने के पक्ष में नहीं दिख रहा है। भारत की 70 करोड़ से अधिक आबादी अब भी कृषि पर निर्भर करती है और किसानों के लिए प्रतिस्पर्धा पैदा करना भारतीय अर्थव्यवस्था के हक में नहीं होगा।

अमेरिका के कृषि उत्पादों के लिए भारतीय बाजार को खोलने पर या उन उत्पादों पर शुल्क कम करने पर यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन भी ऐसा करने के लिए कह सकते हैं। इन दिनों यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के लिए भारत की वार्ता चल रही है। यूरोपीय यूनियन चीज व अन्य दुग्ध उत्पादों पर शुल्क कटौती की मंशा पहले ही जाहिर कर चुका है।

'कृषि उत्पाद संवेदनशील आइटम'

अमेरिका के वाणिज्य मंत्री हावर्ड लुटनिक ने भारत से कहा है कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता में कृषि उत्पादों पर शुल्क में कटौती के मुद्दे को शामिल किया जाना चाहिए। वाणिज्य मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक कृषि उत्पाद हमारे लिए संवेदनशील आइटम है। आस्ट्रेलिया के साथ एफटीए किया गया, लेकिन कृषि उत्पादों को शामिल नहीं किया गया। ब्रिटेन के साथ भी वार्ता में यह साफ कर दिया गया है कि कृषि संबंधी आइटम को एफटीए से दूर रखा जाएगा। ऐसे में अमेरिकी कृषि वस्तुओं पर शुल्क में कटौती की गुंजाइश नहीं दिख रही है।

सूत्रों के मुताबिक बादाम, पिस्ता, सेब और क्रेनबेरी जैसे आइटम पर शुल्क में कटौती की जा सकती है। अमेरिका के सेब पर अभी 50 प्रतिशत का शुल्क लगता है, इसमें भी बहुत कटौती की गुंजाइश कम है क्योंकि इससे हिमाचल और कश्मीर के किसान प्रभावित होंगे। लेकिन दुग्ध आइटम और अन्य खाने-पीने की चीजें जिससे देश के किसानों का हित प्रभावित हो सकता है, पर शुल्क में कटौती की संभावना नहीं दिख रही है। भारत कई कृषि व खाद्य आइटम पर अमेरिका से 100 प्रतिशत तक शुल्क वसूलता है।

भारत अमेरिका को इन खाद्य पदार्थों का करता है निर्यात

दूसरी तरफ भारत अमेरिका में अनाज, समुद्री उत्पाद, मांस, फल-सब्जी और कई प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सालाना छह अरब डॉलर से अधिक का निर्यात करता है। विदेश व्यापार विशेषज्ञों के मुताबिक भारत अमेरिका को कुछ कृषि पदार्थों पर शुल्क में छूट देता है तो कुछ दिनों के बाद अमेरिका अन्य कृषि वस्तुओं के शुल्क में छूट के लिए दबाव बना सकता है। चीन की तरफ से अमेरिकन सोयाबीन व अन्य खाद्य पदार्थों पर अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद अमेरिका इन पदार्थों के लिए भारत का दरवाजा खुलवाना चाहता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि शुल्क को लेकर अमेरिका के साथ किसी भी समझौते के दौरान ऑटोमोबाइल सेक्टर का भी ध्यान रखना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया ने 1980 के दशक में विदेशी पैसेंजर कार पर शुल्क को 45 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत कर दिया। नतीजा यह हुआ कि आस्ट्रेलिया में घरेलू कार का उद्योग तबाह हो गया। जिन औद्योगिक वस्तुओं पर शुल्क कम करने से हमारे घरेलू उद्योग को फर्क नहीं पड़ता, उन पर शुल्क को खत्म करने या कम करने में भारत को ही फायदा है।

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Patna News: नियोजित शिक्षकों को लेकर CM नीतीश ने कर दिया एक और बड़ा एलान, अब केवल 86 हजार...

Dainik Jagran - March 9, 2025 - 7:19pm

राज्य ब्यूरो, पटना। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को कहा कि राज्य में सरकारी शिक्षकों की कुल संख्या अब 5 लाख 65 हजार 427 हाे गयी है। बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में उत्तीर्ण 51.389 शिक्षकों को आज अलग-अलग जिलों में नियुक्ति पत्र दिया गया।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजधानी स्थित गांधी मैदान में 10 हजार शिक्षकों को नियुक्ति पत्र सौंपा। इस मौके पर उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, विजय सिन्हा, मंत्री विजय चौधरी, बिजेंद्र प्रसाद यादव, शिक्षा मंत्री सुनील कुमार और कई आला अधिकारी मौजूद थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी शिक्षकों से वह कहना चाहते हैं कि वे अच्छे से बच्चों को पढ़ाएं और उनका विकास करें। सभी बच्चे मन लगाकर पढ़ें और पढ़ाई में किसी तरह की बाधा नहीं हो इस पर लोग विशेष ध्यान रखें।

लोक सेवा आयोग ने बेहतर ढंग से की नियुक्तियां

बिहार लोक सेवा आयोग और शिक्षा विभाग ने शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया को निर्धारित समय पर बेहतर ढंग से पूरा किया है। इसके लिए वह उन्हें धन्यवाद देते हैं। हर वर्ष राज्य सरकार बजट का लगभग 22 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करती है। इसे और भी बढ़ाया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्व में शिक्षकों की काफी कमी थी। इस कारण वर्ष 2006-07 में पंचायत और नगर निकायों के माध्यम से बड़े पैमाने पर नियोजित शिक्षकों को नियुक्त किया गया। इनकी कुल संख्या 3.68 लाख है। इनमें 28 हजार नियोजित शिक्षक बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा परीक्षा में उत्तीर्ण होकर सरकारी शिक्षक बन गए।

शेष 3.40 शिक्षक नियोजित शिक्षक बन गए। इस पर हमने तय किया कि इन्हें बीपीएससी की परीक्षा नहीं देनी है। उन्हें अलग से परीक्षा देकर सरकारी शिक्षक बनने के लिए पांच अवसर दिए जाएंगे।

अब तक दो लाख शिक्षकों के लिए सक्षमता परीक्षा का आयोजन हो चुका है। सक्षमता परीक्षा के पहले चरण में 1.87 लाख, 818 नियोजित शिक्षक उत्तीर्ण हुए। वहीं, दूसरी सक्षमता परीक्षा में 66 हजार 143 उत्तीर्ण हुए। अब केवल 86 हजार 39 नियोजित शिक्षक बच गए हैं। इन्हें तीन मौके और दिए जाएंगे।

सभी के उत्थान को लेकर काम कर रही सरकार

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोगों ने आरंभ से ही सभी के उत्थान के लिए काम किया है। बड़ी संख्या में स्कूल खोले गए और कई स्कूलों में नए वर्ग कक्ष बनाए गए। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सभी पंचायतों में उच्च माध्यमिक विद्यालय खोले गए।

लड़के-लड़कियों के लिए 2006-07 में पोशाक योजना शुरू की गयी। वर्ष 2008 में नौवीं क्लास की लड़कियों के लिए साइकिल योजना शुरू की गयी। वर्ष 2010 में लड़कों के लिए भी साइकिल योजना शुरू की गयी। ग्रेजुएट होने पर लड़कियों को अब 25 हजार की जगह 50 हजार दिए जा रहे।

वहीं, 12 वीं पास होने पर 10 हजार रुपये की जगह 25 हजार रुपये दिए जा रहे। लड़कियां अब अच्छे ढंग से पढ़ रही हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, विकास आयुक्त प्रत्यय अमृत, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, कुमार रवि तथा शिक्षा विभाग के सचिव अजय यादव भी मौजूद थे।

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Bihar News: तमिलनाडु का नाम लेकर तेजस्वी ने बिहार में छेड़ दिया नया मुद्दा, चुनाव से पहले जदयू से कह दी यह बात

Dainik Jagran - March 9, 2025 - 6:54pm

राज्य ब्यूरो, पटना। पार्टी के प्रदेश कार्यालय के समक्ष रविवार को धरना देकर राजद ने सरकार से आरक्षण में वृद्धि से संबंधित कानून को प्रभावी बनाने की मांग की।

धरना में मुख्य वक्ता विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव रहे। ताल ठोकते हुए उन्होंने कहा कि हम तमिलनाडु की तर्ज पर 65 प्रतिशत आरक्षण को नौवीं अनुसूची में सम्मिलित कराकर ही दम लेंगे।

महागठबंधन सरकार ने आरक्षण-सीमा को 49.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया था। इसे नौवीं अनुसूची में सम्मिलित करने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा गया था। भाजपा और केंद्र सरकार द्वारा कोई पहल नहीं हुई।

इस कारण पिछड़ा, अति-पिछड़ा, अनुसूचित जाति-जनजाति को लगभग 16 प्रतिशत आरक्षण से वंचित होना पड़ रहा है। ऐसे में इन वर्गों को अब तक लगभग 50 हजार नौकरियों से हाथ धोना पड़ा है।

नियुक्ति-पत्र देने का आइडिया हमारा था- तेजस्वी

तेजस्वी ने कहा कि गांधी मैदान में नियुक्ति-पत्र देने का आइडिया हमारा था। उसकी नकल कर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज 51389 नियुक्ति-पत्र दिए हैं।

हालांकि, इसमें पिछड़ा, अति-पिछड़ा, अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग की 8222 नौकरियां सरकार खा गई। यह अन्याय है। आरक्षण का मामला अभी सर्वोच्च न्यायालय में है।

वकील के माध्यम से राजद इस मामले पर अपनी नजर बनाए हुए है। सड़क से सदन तक संघर्ष हो रहा है। हमारा संकल्प और प्रण है कि किसी भी कीमत पर आरक्षण को समाप्त नहीं होने देंगे।

अब्दुल बारी सिद्दिकी, शक्ति सिंह यादव, एजाज अहमद, सारिका पासवान, अरुण यादव, प्रमोद कुमार सिन्हा, रितु जायसवाल, अनिल कुमार साधु, भाई अरुण आदि धरना में उपस्थित रहे।

अध्यक्षता पटना के जिलाध्यक्ष व पूर्व विधायक दीनानाथ सिंह यादव ने की। मंच संचालन पटना महानगर अध्यक्ष महताब आलम ने किया।

हमने मुख्यमंत्री को दो बार चिट्ठी लिखी- तेजस्वी
  • तेजस्वी ने कहा कि हमारे समय में जो 3.5 लाख नियुक्तियां बकाया थीं, उसे ही आज ये लोग बांट रहे। बीपीएससी अभ्यर्थियों के मामले में न्याय के लिए हमने मुख्यमंत्री को दो बार चिट्ठी लिखी, लेकिन कोई उत्तर नहीं मिला।
  • लगता है कि उन्हें कुर्सी छोड़ जनहित के किसी दूसरे मामले से मतलब ही नहीं रहा। बिहार में गरीबी, पलायन, मंहगाई पर चर्चा नहीं हो रही।
जमीन हड़प कर नौकरी देने वाले युवाओं के हितैषी होने का दावा कर रहे : जदयू

उधर, जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने रविवार को नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा कि जमीन हड़प कर नौकरी देने वाले युवाओं का हितैषी होने का दावा कर रहे।

वहीं नीतीश कुमार की दूरदर्शी नीतियों के कारण बिहार मे सरकारी व निजी क्षेत्रों में निरंतर रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। रविवार को 51 हजार से अधिक शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया गया।

इसके लिए वह मुख्यमंत्री को बधाई देते हैं। जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार में अब तक लगभग 10 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी मिल चुकी है।

नीतीश कुमार का लक्ष्य है कि 2025 के चुनाव के पहले 12 लाख युवाओं को सरकारी नौकरी उपलब्ध करा देंगे। इसके अलावा 38 लाख रोजगार सृजन की दिशा में भी सरकार तेजी से अग्रसर है।

शिक्षक नियुक्ति की सबसे खास बात यह है कि कुल चयनित प्रारंभिक शिक्षकाें में 56 फीसद महिलाएं हैं। ये आंकड़े राज्य में महिला सशक्तिकरण का उत्कृष्ट उदाहरण भी पेश कर रहे।

राजद पर हमला बोलते हुए जदयू प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि जिन लोगों ने अपने शासनकाल में नौकरी देने के बजाए जंगल राज स्थापित कि.वे अब झूठा श्रेय बटोरकर जनता को बरगलाने की कोशिश कर रहे।

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Patna News: मिथिला को बाढ़ से मिलेगा छुटकारा, नीतीश सरकार का नया प्लान तैयार; कमला बराज पर आया नया अपडेट

Dainik Jagran - March 9, 2025 - 6:48pm

राज्य ब्यूरो, पटना। नेपाल सीमा पर अवस्थित जयनगर में अत्याधुनिक कमला बराज का निर्माण कार्य तेज गति से जारी है। जल संसाधन विभाग की इस महत्वाकांक्षी परियोजना का लगभग 56 प्रतिशत काम पूरा हो गया है।

इससे मिथिला को कमला नदी की बाढ़ से सुरक्षा के साथ मधुबनी जिला के बड़े परिक्षेत्र में नहरों के जरिए सिंचाई सुविधा सुनिश्चित होगी।

कमला वीयर सिंचाई योजना के अंतर्गत जयनगर में वर्ष 1974-75 में 292.50 मीटर लंबे वीयर का निर्माण कराया गया था। 2019 में 13 जुलाई को कमला में अप्रत्याशित बाढ़ की स्थिति बनी। उससे हुए नुकसान के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा स्थल निरीक्षण किया।

उनके निर्देश पर कमला वीयर से लगभग सौ मीटर डाउन-स्ट्रीम में 550 मीटर लंबे आधुनिक बराज के निर्माण की योजना तैयार की गई। इस योजना को वर्ष 2020 में स्वीकृति मिली और वर्ष 2021 में इसका कार्य प्रारंभ हुआ था।

कमला बराज का निर्माण होने से मधुबनी जिले के जयनगर, कलुआही, बासोपट्टी, लदनिया, खजौली और हरलाखी प्रखंडों के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी मिलेगा।

इस बराज में ऑटोमेटिक गेट लगाए जा रहे हैं, जिससे किसानों को नियंत्रित तरीके से सिंचाई हेतु जल उपलब्ध हो सकेगा। कमला वीयर सिंचाई योजना का कृष्य कमांड क्षेत्र (सीसीए) वर्तमान में 28384 हेक्टेयर है। कमला बराज का निर्माण पूरा होने और नहरों के पुनर्स्थापन के बाद इसका सीसीए बढ़कर 29559 हेक्टेयर हो जाएगा।

इस बराज के निर्माण से मिथिला बाढ़ से सुरक्षा के साथ जयनगर में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इस तरह यह परियोजना बाढ़ प्रबंधन में सुधार, क्षेत्र के किसानों की आय बढ़ाने और विकास को गति देने की दिशा में एक बड़ी पहल है।

कंगन घाट से दीदारगंज के बीच बन रहे पुल का निर्माण जल्द पूरा करें : नीतीश

वहीं, दूसरी ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को जेपी गंगा पथ के तहत कंगन घाट से दीदारगंज के बीच निर्माणाधीन पुल का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने निर्देश दिया कि पुल का निर्माण कार्य जल्द पूरा करें। इस मौके पर अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को यह जानकारी दी कि निर्माण कार्य तेजी से चल रहा।

इस महीने के अंत तक निर्माण कार्य को पूरा कर लिया जाएगा। साइट मैप के माध्यम से अधिकारियों ने जेपी गंगा पथ परियोजना के तहत रेलवे से हस्तांतरित जमीन पर पटना साहिब से पटना घाट पथ के निर्माण कार्य के बारे में भी जानकारी दी।

दीदारगंज- बख्तियारपुर-मोकामा पथ के चौड़ीकरण योजना के बारे में भी मुख्यमंत्री को बताया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि जेपी गंगा पथ का निर्माण दीदारगंज तक हो जाने से बिहारशरीफ, मोकामा और बेगूसराय तक जाने में समय की बचत होगी। लोगों को पटना शहर और पटना के बाहर कहीं भी आने-जाने में सहूलियत होगी।

सीएम ने कहा कि गंगा पथ परियोजना अपने आप में अद्भुत है। इससे यातायात में गतिशीलता आएगी और सहूलियत होगी।

निरीक्षण में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव दीपक कुमार, पथ निर्माण विभाग के अपर मुख्य सचिव मिहिर कुमार सिंह, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार, कुमार रवि, विशेष कार्य अधिकारी गोपाल सिंह, पटना के डीएम चंद्रशेखर सिंह और बिहार राज्य पुल निर्माण निगम के अध्यक्ष शीर्षत कपिल अशोक भी मौजूद थे।

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Bihar Politics: बिहार की सियासत में आने वाला है नया मोड़! PK की नई रणनीति से राजद में मच सकती है खलबली

Dainik Jagran - March 9, 2025 - 6:00pm

विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। इस बार जन सुराज पार्टी (जसुपा) के सूत्रधार प्रशांत किशोर (पीके) को आगे कर तेजस्वी यादव को उस राघोपुर में ही घेरे रखने की रणनीति बनाई जा रही, जहां से विधानसभा के पिछले दो चुनाव वे जीत चुके हैं।

जसुपा की यह रणनीति अभी प्रारंभिक चरण मेंं है, फिर भी राजद सजग हो गया है। दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) इसकी परिकल्पना मात्र से ही प्रफुल्लित हो रहा।

महागठबंधन में नेतृत्व को लेकर सर्व-सम्मति बन गई है, यह कहना जल्दबाजी होगी। अलबत्ता राजद में तेजस्वी को कोई चुनौती नहीं।

अब तो पार्टी के नाम-निशान पर भी उनका अधिकार सुप्रीमो लालू प्रसाद के बराबर हो गया है। मुख्यमंत्री पद के लिए वे राजद से एकमात्र चेहरा हैं।

पिछले चुनावों में पार्टी का प्रचार अभियान भी उन्हीं के बूते रहा है। ऐसे में तेजस्वी अगर अपने ही विधानसभा क्षेत्र में घिर जाते हैं तो विरोधी दलों के लिए शेष बिहार में राजद से लड़ाई और सहज हो जाएगी।

राजनीतिक गलियारे मेंं आकलन है कि इसी रणनीति के अंतर्गत पीके को राघोपुर के मैदान में उतारने का प्रयास है।

विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक अभ्यर्थियों से जसुपा अभी आवेदन ले रही। पीके स्वयं बता चुके हैं कि किसी कार्यकर्ता ने राघोपुर से उनके नाम का प्रस्ताव किया है।

पार्टी प्रवक्ता विवेक कुमार का कहना है कि जाति-संप्रदाय के दलदल मेंं धकेल दी गई बिहार की राजनीति मेंं पीके एक स्वच्छ विकल्प हैं।

उनकी उपस्थिति मात्र से ही पार्टियां बेकल हैं। वे जिस मैदान में होंगे, वहां से बाजी मारेंगे। हालांकि, अभी यह तय नहीं कि पीके चुनाव लड़ेंगे या नहीं और लड़ेंगे भी तो राघोपुर या किसी दूसरे क्षेत्र से!

राघोपुर का सामाजिक समीकरण इस दियारे में राजद को अपनी संभावना के लिए आश्वस्त करता है। हालांकि, 2010 में जदयू के सतीश कुमार यहां पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को मात दे चुके हैं।

उस चुनाव परिणाम से जसुपा व राजग का आकलन है कि राजद का यह यदुवंशी किला भी अभेद्य नहीं। लगभग 30 प्रतिशत यादव और 21 प्रतिशत राजपूत के साथ यहां अनुसूचित जाति में 12 प्रतिशत पासवान और आठ प्रतिशत रविदास मतदाता हैं।

इस भरोसे तेजस्वी यहां स्वयं को सुरक्षित पाते हैं। हालांकि, राजपूत और अनुसूचित जाति के मतोंं मेंं विभाजन की गुंजाइश के साथ अति-पिछड़ा वर्ग के भरोसे विरोधी खेमा भी उत्साहित है।

विधानसभा के पिछले चुनाव में लोजपा को मिले 24947 वोट इस उत्साह को कुछ और बढ़ा देते हैं। फिर भी राजद का भरोसा कायम है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी ही है।

वे कहते हैं कि पीके भी जानते हैं कि राघोपुर में क्या हश्र होना है। वहां से चुनाव लड़ने की चर्चा सुर्खियों में बने रहने का उनका एक इवेंट है।

राघोपुर में तेजस्वी के वोटों में उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है, जबकि निकटतम प्रतिद्वंद्वी के वोट घटे हैं। रही बात लोजपा की, तो उसे जितने वोट मिले, उससे अधिक मतों (38174) के अंतर से तेजस्वी पिछली बार विजयी रहे हैं।

ऐसा है राघोपुर का समीकरण  
  • 30 प्रतिशत यादव, 21 प्रतिशत राजपूत और 20 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता
  • 06 दशक से यादव समाज से विधायक, इनमें दो बार लालू और एक बार राबड़ी भी

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शादी के एक महीने बाद ही सैनिक पति की मौत, सेना में अधिकारी बन महिला ने पेश की मिसाल; गजब है सोनी बिष्ट की कहानी

Dainik Jagran - National - March 9, 2025 - 5:55pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शादी के केवल कुछ दिनों बाद अगर किसी महिला के पति की मौत हो जाए, तो उस महिला के लिए ये दुर्घटना किसी सदमे से कम नहीं होती है। जिस साथी के साथ किसी युवती ने साथ रहने की कसमें खाई हों और उसके साथ कोई अनहोनी हो जाए तो उस युवती के लिए बहुत बड़ी आपदा होती है।

हालांकि, इस विकट परिस्थिति में काफी कम लोग ऐसे होते हैं, जो अपने जीवन को फिर से शुरू कर पाते हैं। ऐसी ही एक मिसाल सामने आई है। इस महिला का नाम सोनी बिष्ट है, जो उत्तराखंड की रहने वाली हैं। इनकी कहानी अपने आप में किसी मिसाल से कम नहीं है।

शादी के एक महीने बाद पति की मौत

दरअसल, करीब दो साल पहले तक सोनी बिष्ट की जिंदगी भी सामान्य लड़कियों जैसे थीं। उन्होंने सामान्य तरीके से पढ़ाई-लिखाई की। इसके बाद साल 2023 में उनकी शादी हुई। सोनी के पति नीरज भंडारी 18 कुमाऊं रेजीमेंट में सैनिक थे। हालांकि, होनी को कुछ और ही मंजूर था। शादी के महज 34 दिनों बाद ही नीरज की एक हादसे में जान चली गई। शादी के केवल 34 दिनों बाद ही सोनी बिष्ट विधवा हो गईं।

पति के मौत के बाद सोनी का हौसला टूटने लगा। परिवार भी सदमे में था। हालांकि, विपरीत परिस्थितियों के बाद भी उन्होंने वह कर दिखाया, जो अब कई लोगों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है। पति की मौत के बाद सोनी बिष्ट ने अपने पति के सपने को पूरा किया। सोनी को कुमाऊं रेजिमेंट के ‘वीर नारी एंट्री' के बारे में जानकारी मिली।

पिता से मिला हौसला

इसके बाद सोनी का उनके पिता ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स बटालियन के सेवानिवृत्त सूबेदार कुंदन सिंह ने हौसला बढ़ाया। सेना के सहयोग और पिता के हौसले के कारण सोनी आज सेना में अधिकारी बन गई है। गत शनिवार को वे चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में पासिंग आउट परेड में शामिल हुईं।

सोनी बिष्ट ने क्या कहा?

अपने बारे में बताते हुए सोनी बिष्ट ने कहा कि जब मुझे कुमाऊं रेजिमेंट के अधिकारियों से वीर नारी एंट्री के बारे में पता चला, उसके बाद मेरे पिता ने मुझे यह रास्ता चुनने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि यह एक कठिन यात्रा थी। उन्होंने बताया कि विभिन्न परिस्थितियों के बाद भी विजय प्राप्त की। सोनी अब आर्मी ऑर्डनेंस कॉर्प्स में शामिल हो गईं हैं।

अब लेफ्टिनेंट बनीं सोनी

महिला दिवस के खास मौके पर सोनी बिष्ट भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बन गई हैं। उन्होंने ओटीए चेन्नई में पासिंग आउट परेड के बाद सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर अपना कार्यभार संभाला। सोनी को पहली तैनाती असम में मिली है। सोनी बिष्ट की ये कहानी कई लोगों के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है।

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'महाकुंभ के दौरान नहाने लायक था गंगा-यमुना का पानी', CPCB की नई रिपोर्ट में हुआ खुलासा

Dainik Jagran - National - March 9, 2025 - 5:23pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में बताया है कि महाकुंभ के दौरान गंगा औ यमुना नदी का पानी नहाने के लिए तय मानकों पर खरा उतरा है। ये रिपोर्ट नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को पेश की गई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि डेटा वेरिएबिलिटी के कारण स्टेटिस्टिकल एनालिसिस की दरकार थी।

रिपोर्ट में कहा कि स्टेटिस्कल एनालिसिस की जरूरत इसलिए थी क्योंकि अलग-अलग तारीखों में सैंपल जमा किए गए थे और ये सभी सैंपल विभिन्न जगहों से लिए गए थे।

सही आकलन में क्या थी दिक्कतें?

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कहा कि अलग अलग सैंपल की वजह से पूरी नदी के पानी के सही आकलन करना बेहद मुश्किल था। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने कहा है कि उसने महाकुंभ की शुरूआत के बाद से हर सप्ताह दो बार नदी के पानी की जांच और निगरानी की है।

रिपोर्ट में कहा गया कि 12 जनवरी से लेकर 28 फरवरी तक गंगा नदी की 5 जगहों और यमुना नदी की दो जगहों पर पानी की निगरानी की गई और इसके लिए विशेषज्ञों की एक कमिटी तैनात थी।

CPCB ने पिछले महीने गंगा की पानी का बताया था गंदा

17 फरवरी को CPCB ने एनजीटी के चेयरपर्सन जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की पैनल को बताया था कि महाकुंभ के दौरान कई स्थानों पर नहाने के लिए जल गुणवत्ता प्राथमिक मानकों पूरा नहीं करती है।

बोर्ड ने 17 फरवरी की रिपोर्ट में बताया था कि गंगा-यमुना की पानी में उच्च मात्रा में फीकल कोलीफार्म बैक्टीरिया (Fecal Bacteria)मिला है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में बताया गया था कि पानी में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 100 मिलीलीटर पानी में 2,500 यूनिट से बहुत ज्यादा मिली है।

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