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Pakistani man travels to India on an IndiGo flight, enjoys Vada Pav at Mumbai airport | Here’s how - Mint
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Chaitra Navratri 2025: कब से शुरू हो रही चैत्र नवरात्र? इस बार बन रहे हैं दुर्लभ संयोग, पढ़िए पंडितों की राय
जागरण संवाददाता, पटना। हिंदू धर्मावलंबियों के पवित्र चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में कई महत्वपूर्ण पर्व त्योहार होंगे। इसमें चैत्र नवरात्र, विक्रम संवत 2082 का आरंभ, चैती छठ, रामनवमी, कामदा एकादशी व्रत, चैत्र पूर्णिमा प्रमुख हैं।
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा 30 मार्च रविवार को रेवती नक्षत्र एवं ऐन्द्र योग में हिंदू नव संवतसर का आरंभ तथा वासंतिक नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू होगा।
नए संवत के प्रथम दिन रविवार होने से इस वर्ष के राजा एवं मंत्री सूर्य होंगे। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा जी ने इसी दिन सृष्टि का निर्माण किया था। पूरे नवरात्र के दौरान ग्रह-गोचरों का कई बार पुण्यकारी संयोग भी बनेगा, जो श्रद्धालुओं के लिए उत्तम सिद्ध होगा।
कलश स्थापना के साथ 30 मार्च से नवरात्रिचैत्र शुक्ल प्रतिपदा रविवार 30 मार्च को रेवती नक्षत्र और ऐन्द्र योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग में चैत्र मास का वासंतिक नवरात्र कलश स्थापना के साथ शुरू होगा।
माता के उपासक अपने सामर्थ्य के अनुसार देवी की भक्ति में सराबोर होंगे। मंदिरों तथा घरों में वेदमंत्र, घंटी, शंख, आरती, स्तुति आदि की ध्वनि सुनाई देगी।
चार अप्रैल शुक्रवार को मृगशिरा शोभन योग में मां दुर्गा की प्रतिमा का पट खुलेगा। चैत्र शुक्ल अष्टमी शनिवार पांच अप्रैल को महाअष्टमी का व्रत एवं छह अप्रैल को महानवमी में पाठ का समापन, हवन और कन्या पूजन होगा।
चैत्र शुक्ल दशमी को देवी की विदाई कर विजयादशमी का पर्व और जयंती धारण किया जाएगा। पंडित राकेश झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि चैत्र नवरात्र का पहला दिन रविवार होने से देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर होगा। इस दाैरान प्रदेश में प्रर्याप्त वर्षा, सुख-समृद्धि और आर्थिक क्षेत्रों में उन्नति के आसार हैं।
नहाय-खाय के साथ चैती छठ आरंभचैत्र शुक्ल चतुर्थी एक अप्रैल मंगलवार को भरणी नक्षत्र और सर्वार्थ सिद्धि योग एवं रवियोग के शुभ संयोग में नहाय-खाय के साथ लोक आस्था का महापर्व चैती छठ आरंभ होगा।
इस दिन व्रती गंगा स्नान करने के बाद अरवा चावल, चना दाल, कद्दू की सब्जी, आंवले की चासनी आदि ग्रहण कर चार दिवसीय इस महापर्व का संकल्प लेंगी।
2 अप्रैल को कृत्तिका नक्षत्र और प्रीति योग में व्रती पूरे दिन उपवास कर संध्या काल में खरना की पूजा के बाद प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला उपवास का संकल्प लेंगे।
चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि तीन अप्रैल को व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे। चार अप्रैल को सप्तमी तिथि में उदयीमान सूर्य को अर्घ्य देकर सूर्योपासना के महापर्व का समापन व्रती पारण के साथ करेंगे।
पुनर्वसु नक्षत्र के सुयोग में छह अप्रैल को रामनवमीचैत्र शुक्ल नवमी रविवार छह अप्रैल को पुनर्वसु नक्षत्र और सुकर्मा योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग में राम नवमी का त्योहार मनाया जाएगा।
इस दिन भगवान विष्णु के सातवें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम का प्राकट्य हुआ था। मंदिर और घरों में विशेष पूजा-अर्चना होगी। हनुमत ध्वज की स्थापना के बाद विधिवत पूजा किया जाएगा।
भजन-कीर्तन, रामचरितमानस, रामरक्षा स्रोत का पाठ होगा। भगवान राम का जन्मोत्सव मनाने से सुख, वैभव, सुखमय वैवाहिक जीवन, कीर्ति, यश, मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि एवं संतान की प्राप्ति होगी।
चैत्र मास के प्रमुख व्रत-त्योहारनव संवतसर, हिन्दू नववर्ष और चैत्र नवरात्र का आरंभ - रविवार 30 मार्च
चैती छठ का नहाय-खाय - 1 अप्रैल
खरना - 2 अप्रैल
सायंकालीन अर्घ्य - 3 अप्रैल
उदीयमान सूर्य को अर्घ्य और पारण - 4 अप्रैल
वासंतिक नवरात्रि के महाष्टमी व्रत - 5 अप्रैल
महानवमी व्रत, हवन और कन्या पूजन - 6 अप्रैल
रामनवमी और ध्वज पूजन - 6 अप्रैल
विजयादशमी - 7 अप्रैल
कामदा एकादशी - 8 अप्रैल
चैत्र पूर्णिमा -12 अप्रैल
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Bihar Politics: 'पति हटा तो आप CM बनीं', बिहार विधान परिषद में फिर भिड़े नीतीश कुमार और राबड़ी देवी
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधान परिषद में बुधवार को पहली पाली में कानून-व्यवस्था को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गया। पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के नेतृत्व में विपक्ष ने विधि-व्यवस्था पर सवाल उठाया और वेल में आकर नारेबाजी की।
इस दौरान पहले संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी और फिर खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने संज्ञान लेते हुए विपक्ष को आश्वासन दिया कि सरकार हर मामले की गंभीरता से जांच कर कार्रवाई सुनिश्चित कराएगी।
इसके बावजूद हंगामा शांत नहीं हुआ। हंगामा बढ़ता देख सभापति अवधेश नारायण सिंह ने विपक्षी सदस्यों को पहली पाली के लिए सदन से बाहर जाने को कहा। विपक्षी सदस्य थोड़ी देर के लिए बाहर भी गए और फिर वापस आकर सदन में बैठ गए।
केंद्रीय राज्यमंत्री नित्यानंद राय के संबंधियों की हत्या का मामला उठासदन की कार्यवाही शुरू होते ही राजद के अब्दुल बारी सिद्दीकी ने केंद्रीय राज्यमंत्री नित्यानंद राय के संबंधियों की हत्या और होली के दौरान हुई घटनाओं को लेकर विधि-व्यवस्था पर सवाल उठाया और सरकार से संज्ञान लेने की बात कही।
इसके बाद विपक्ष के सभी सदस्य खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। इस दौरान सत्ता पक्ष की ओर से नीरज कुमार, संजय सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि इनके कार्यकाल में 67 हजार से अधिक हत्याएं हुई हैं।
नीतीश कुमार ने राबड़ी देवी पर साधा निशानाविपक्ष के वेल में आने पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद खड़े हो गए। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से कहा- मैं आग्रह करता हूं कि आप सभी बैठ जाएं। हत्या की गंभीरता से जांच कराई जाएगी। आज ही अधिकारियों से पूछेंगे कि क्या कार्रवाई हुई। जो भी अपराधी होगा, उसको जांच कराकर सजा दिलाई जाएगी।
किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमलोग 19 साल से सारा काम कर रहे हैं, आप लोगों ने आजतक कोई काम नहीं किया। पहले कितना सामुदायिक झगड़ा होता था। आपलोग यहां सिर्फ पब्लिसिटी (प्रचार) के लिए बोल रहे हैं।
इसका कोई मतलब नहीं है। इस दौरान राबड़ी देवी की तरफ इशारा करते हुए सीएम ने कहा कि बैठिए न, आप क्या जानती हैं। इनके पति का सस्पेंशन हुआ तो आप सीएम बन गईं।
मंत्री संतोष सिंह बोले, मेरे बेटे का अपहरण हुआ तो राजद नेता ने मांगी फिरौतीविपक्ष के हंगामे के बीच ही श्रम संसाधन मंत्री संतोष कुमार सिंह ने सदन में कहा कि 2007 में मेरे बेटे का अपहरण हुआ था। इस दौरान राजद के एक बड़े नेता फिरौती मांगने आए थे। ये तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार थे कि मेरा बेटा सही-सलामत वापस आ गया।
ऐसे विपक्षी सदस्यों को अपराध पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है। शर्म आनी चाहिए। इस पर राबड़ी देवी ने प्रतिकार करते हुए कहा कि फिरौती तो अशोक चौधरी वसूलते हैं। अशोक चौधरी ने भी जवाब दिया- मंत्री जी ने कहा कि राजद के नेता फिरौती मांगने आए थे। यह बिहार था। नरसंहार होता था, आपलोग क्या रोक पाएं?
विपक्ष की अमर्यादित टिप्पणी, सभापति ने किया बाहरमुख्यमंत्री के भाषण के दौरान भी विपक्ष का हंगामा और टोका-टिप्पणी जारी रहने पर सभापति अवधेश नारायण सिंह ने विपक्षी सदस्यों को पहली पाली के लिए सदन से बाहर जाने का निर्देश दिया। इस दौरान सुनील कुमार सिंह अमर्यादित टिप्पणी करते हुए बाहर निकले।
इसके बाद सभापति ने सदन से पूछा कि क्या यह टिप्पणी आसन के लिए थी? नीरज कुमार ने कहा कि यह टिप्पणी बताती है कि यह जंगल के लोग हैं।
इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि आसन ने जब इस बात का संज्ञान लिया है, तो पूरी घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग देख लीजिए। अगर ये आसन के बारे में है, तो निश्चित रूप से संज्ञान लेना चाहिए। करीब पांच मिनट बाद ही सभी विपक्षी सदस्य सदन में बाहर आ गए।
सभापति ने कहा कि मैंने पहली पाली के लिए आपको बाहर जाने को कहा था। अमर्यादित टिप्पणी से मुझे तकलीफ हुई। मैं चौथी बार आसन पर बैठा हूं। अभी तक पक्षपात का आरोप नहीं लगा। इसके बाद अब्दुल बारी सिद्दीकी ने कहा कि हमने सुना नहीं, इसलिए वापस आ गए। हम इतने अनभिज्ञ नहीं कि आसन के खिलाफ बोलें।
उन्होंने कहा कि मैं विपक्ष की ओर से खेद जताता हूं। विपक्ष के खेद जताने के बाद सभापति ने इस मामले को विराम देते हुए इस मामले को सदन की कार्यवाही से हटाने का निर्देश दिया। संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी कहा कि खेद जताने के बाद अब प्रश्नकाल शुरू किया जाए।
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'पोर्न देखती है, मास्टरबेट करती है', पत्नी की शिकायत लेकर कोर्ट पहुंचा पति; जज बोले- ये तलाक का आधार नहीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम और बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर कोई महिला अकेले में पोर्न देखती है और मास्टरबेट करती है, तो ये पति के लिए क्रूरता नहीं है। दरअसल, एक फैमिली कोर्ट ने एक शख्स की तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट ने सही ठहराया है।
'पुरुषों का मास्टरबेट करना आम तो महिलाओं का क्यों नहीं'
जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन और जस्टिस आर. पूर्णिमा की बेंच ने फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा, जब पुरुषों का मास्टरबेट करना आम बात है तो फिर महिलाओं को गलत कैसे ठहराया जा सकता है।
कोर्ट ने कहा, पुरुष मास्टरबेट करने के बाद तुरंत सेक्स नहीं कर सकते हैं, लेकिन महिलाओं के साथ ऐसा नहीं है। तो ऐसे में ये साबित नहीं हुआ है कि मास्टरबेट करने की आदत से पति-पत्नी के रिश्ते पर बुरा असर पड़ेगा।
महिला के पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी मास्टरबेट करती है। इस पर कोर्ट ने जवाब देते हुए कहा कि महिला को इस बारे में जवाब देने के लिए कहना ही उसकी स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा। अगर शादी के बाद महिला किसी और के साथ यौन संबंध बनाती है, तो ये तलाक का आधार हो सकता है। लेकिन सिर्फ खुद को खुश करना तलाक का कारण नहीं हो सकता है।
कोर्ट ने कहा- ये क्रूरता नहीं
कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, "सिर्फ पोर्न देखना अपने आप में पति के साथ क्रूरता नहीं है। इसे देखने वाले की मानसिक सेहत पर असर पड़ सकता है, लेकिन, सिर्फ इतना ही काफी नहीं है। अगर पोर्न देखने वाला अपने साथी को भी इसे देखने के लिए मजबूर करता है, तो फिर वो क्रूरता होगी। अगर ये दिखाया जाता है कि इस लत की वजह से किसी के वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है, तो यह तलाक का कारण हो सकता है।"
दुष्कर्म के आरोपी की याचिका में लिखा सहमति से संबध, सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा- आपको कानून की ABCD पता है?
पीटीआई, नई दिल्ली। जमानत याचिका में बार-बार सहमति संबंध लिखना एक वकील को भारी पड़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने वकील को फटकार लगाई और कहा कि आपको कानून की एबीसीडी नहीं पता है। नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका में वकील ने बार-बार सहमति से संबंध का जिक्र कर रखा था।
इससे सुप्रीम कोर्ट की पीठ नाराज हो गई। पीठ वकील को यह बताना चाहती थी कि यदि पीड़िता नाबालिग है तो सहमति मायने नहीं रखती है। हालांकि बाद में वकील ने पीठ से माफी भी मांगी। इसके बाद शीर्ष अदालत ने पुलिस और अन्य को जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया।
पीठ ने पूछा- लड़की की उम्र क्या है?जस्टिस एन कोटिश्वर और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने गुरुवार को जमानत याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि याचिका पढ़ने के बाद हम मानसिक तौर से बीमार हो गए। आपने एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) में कम से कम 20 बार 'सहमति से संबंध' लिख रखा है। जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि लड़की की उम्र क्या है? याचिका में आपने खुद ही नाबालिग बता रखा है।
कानून की एबीसीडी नहीं पताजस्टिस सूर्यकांत ने वकील से कहा कि आपने हर पैराग्राफ में 'सहमति से संबंध' लिखा है। सहमति से संबंध से आपका क्या मतलब है? आपको कानून की एबीसीडी नहीं पता है। आप एसएलपी दाखिल क्यों कर रहे हैं।
ये लोग कैसे एओआर के लिए योग्य हैंसुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पूछा कि क्या आप एओआर (एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड) हैं? पीठ ने आगे कहा कि ये लोग (एओआर के लिए) कैसे योग्य हैं? आप को बुनियादी कानून की जानकारी नहीं है। 20 बार आपने 'सहमति से संबंध' लिख रखा है। कल को आप कहेंगे कि 8 महीने के बच्चे के साथ भी सहमति से संबंध थे।
क्या होते हैं एओआर?एओआर यानी एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड वे वकील होते हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में मामले और याचिका दाखिल करने का अधिकार होता है। सुप्रीम कोर्ट ही वकीलों के लिए एओआर परीक्षा का आयोजन करता है।
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Bihar: 'मोबाइल में देखकर...', RJD विधायक पर भड़के CM नीतीश कुमार; स्पीकर से कर दी ये मांग
राज्य ब्यूरो, पटना। प्रश्नकाल के दौरान विधानसभा में राजद विधायक कुमार कृष्ण मोहन उर्फ सुदय यादव द्वारा मोबाइल पर प्रश्न पढ़ते देख मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) गुस्से में आ गए।
अपनी सीट पर खड़े होकर उन्हाेंने विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव से यह आग्रह किया कि सदन में मोबाइल को प्रतिबंधित कीजिए। पहले लोग इसे लेकर नहीं आते थे। यह परामर्श दिया कि जो मोबाइल लेकर आए उसे बाहर निकाल दिया जाए।
'मोबाइल में देखकर क्यों बोलते हैं?'मुख्यमंत्री ने सुदय यादव की ओर देखते हुए कहा कि आप खुद बोलो। मोबाइल में देखकर क्यों बोलते हैं? मुख्यमंत्री ने कहा कि वह भी पहले खूब मोबाइल देखते थे पर अब हमने इसे छोड़ दिया है। यह भी नसीहत मुख्यमंत्री ने दी कि जान लीजिए दस साल में धरती खत्म हाे जाएगी।
महिला विधायक ने भी किया मोबाइल से परहेजमुख्यमंत्री के गुस्से का असर यह हुआ कि आम तौर पर मोबाइल से पढ़कर प्रश्न करने वाली एक महिला विधायक ने मोबाइल से परहेज करते हुए अपना प्रश्न कागज पर लिखकर पढ़ा।
बता दें कि मुख्यमंत्री ने सदन के बाहर पहले भी कई बार सरकारी कार्यक्रमों में अपने अधिकारियाें की इस बात पर सार्वजनिक रूप से क्लास लगाई थी कि वे मोबाइल पर व्यस्त थे। जनता दरबार में में भी यह वाकया एक बार आया था, जब मुख्यमंत्री ने मोबाइल पर लगे अधिकारी को डांट दिया था।
मोबाइल से 10 साल में दुनिया खत्म हो जाएगी- माननीय श्री श्री नीतीश कुमार
पर्यावरण के दृष्टिकोण से सदन को पेपरलेस बनाने की दिशा में प्रश्नों के ऑनलाइन उत्तर देने की व्यवस्था की गयी है। अगर किसी माननीय सदस्य को पूरक प्रश्न पूछना है तो उसे मोबाइल अथवा टैब से देखकर पूछना ही होगा… pic.twitter.com/iXUP6ukxRK
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) March 20, 2025तेजस्वी ने कहा- दुर्भाग्य है कि बिहार को...अब इस पूरे मामले पर तेजस्वी यादव ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक्स पर लिखा, मोबाइल से 10 साल में दुनिया खत्म हो जाएगी- माननीय श्री श्री नीतीश कुमार
पर्यावरण के दृष्टिकोण से सदन को पेपरलेस बनाने की दिशा में प्रश्नों के ऑनलाइन उत्तर देने की व्यवस्था की गयी है। अगर किसी माननीय सदस्य को पूरक प्रश्न पूछना है तो उसे मोबाइल अथवा टैब से देखकर पूछना ही होगा, लेकिन बिहार के कम्प्यूटर संबंधित निरक्षर मुख्यमंत्री को उससे भी दिक्कत है।
दुर्भाग्य है कि बिहार को ऐसे रूढ़िवादी कालग्रस्त मुख्यमंत्री मिले हैं जो टेक्नोलॉजी के साथ-साथ युवा, छात्र और महिला विरोधी है। निंदनीय!
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