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Pahalgam Attack: 'किसी भी देश के पास फूलप्रूफ खुफिया जानकारी नहीं होती', पहलगाम हमले पर सरकार के पक्ष में आए शशि थरूर
एएनआई, तिरुअनंतपुरम। Pahalgam Terror Attack: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले की वजह खुफिया जानकारियां जुटाने में असफलता हो सकती है। अगर सात अक्टूबर, 2023 के हमास के इजरायल पर किए आतंकी हमले से इसकी तुलना करें तो घटनाक्रम एक जैसा ही लगता है।
हमास ने किया था इजरालय पर हमलाहमास के हमले से अपनी सशक्त खुफिया तंत्र के लिए जाना जाने वाला इजरायल भी स्तब्ध रह गया था। इसलिए यह तय है कि किसी भी देश के पास फूलप्रूफ खुफिया जानकारी नहीं हो सकती है।
थरूर ने बोले- कुछ विफलताएं हुई हैंकांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री थरूर ने रविवार को कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए आतंकी हमले पर कहा कि कुछ विफलताएं हुई हैं। लेकिन हमारे पास विश्व में सर्वश्रेष्ठ खुफिया सेवा वाले देश इजरायल का भी उदाहरण है।
सिर्फ दो साल पहले सात अक्टूबर को इजरायली भी उन पर हुए हमले से स्तब्ध रह गए थे। कोई जवाब मांगने से पहले इजरायल युद्ध के अंत तक पहुंचने का इंतजार कर रहा है। इसीतरह हमें भी पहले मौजूदा संकट से पार होने के बाद ही सरकार से जवाब मांगना चाहिए।
शशि थरूर ने किया सरकार का समर्थनउन्होंने केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए कहा कि कई बार आतंकी हमलों को रोकने की सफलता पर ध्यान नहीं जाता लेकिन विफलता पर सबकी नजर होती है। उन्होंने कहा कि तुरंत दोषारोपण करने से अच्छा है कि मौजूदा संकट पर ध्यान दिया जाए। हम कभी नहीं जान पाएंगे जिन हमलों को होने से पहले ही सफलतापूर्वक रोक दिया गया।
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तमिलनाडु के नंगुनरी में आपस में भीड़ गई दो बेकाबू कार, हादसे में छह की मौत
पीटीआई, नंगुनरी। तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले के नंगुनरी शहर में रविवार को दो कारों के बीच हुई सीधी टक्कर में छह लोगों की मौत हो गई, जिनमें एक बच्चा और दो महिलाएं शामिल हैं। इसके अलावा, अन्य लोग घायल हो गए हैं। पुलिस के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब एक कार के चालक ने अपनी गाड़ी पर नियंत्रण खो दिया। कार ने मिडियन को पार कर दूसरी ओर जाकर दूसरी कार से टक्कर मार दी।
हादसे में तीन की मौके पर मौतहादसे में तीन लोग घटनास्थल पर ही मारे गए, जबकि तीन अन्य को नजदीकी सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। घायलों को स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
जिला कलेक्टर डॉ. आर. सुकुमार और अन्य वरिष्ठ अधिकारी स्थिति की समीक्षा करने के लिए तिरुनेलवेली मेडिकल कॉलेज अस्पताल पहुंचे। सुकुमार ने कहा कि इस हादसे की जांच की जा रही है।
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जिन पाकिस्तानियों ने नहीं छोड़ा भारत, उन पर क्या होगा एक्शन? ये है सजा का प्रावधान, जानिए कितना देना होगा जुर्माना
पीटीआई, नई दिल्ली। 22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाया। इस दौरान आतंकियों ने 26 लोगों को मौत के घाट उतार दिया। हमले के बाद पूरे देश में पाकिस्तान के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है। भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े एक्शन लिए हैं।
केंद्र सरकार ने एक्शन लेते हुए पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने का आदेश दे दिया। 26 अप्रैल से पहले पाकिस्तानियों को भारत से बाहर जाना था। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन किया और उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोई भी पाकिस्तानी नागरिक देश छोड़ने की निर्धारित समय सीमा से आगे भारत में न रहे।
भारत नहीं छोड़ने पर पाकिस्तानियों का क्या होगा?भारत सरकार द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर भारत छोड़ने में अगर कोई विफल रह जाता है, तो उसको गिरफ्तार किया जाएगा। इन लोगों पर मुकदमा भी चला जाएगा। प्रावधान के अनुसार, ऐसे लोगों को तीन साल तक की जेल की सजा या अधिकतम 3 लाख रुपये का जुर्माना या दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
बता दें कि SAARC वीजा रखने वालों के लिए भारत से बाहर जाने की अंतिम तिथि 26 अप्रैल थी। इसके अलावा मेडिकल वीजा रखने वालों के लिए यह समय सीमा 29 अप्रैल है। आगमन पर वीजा, व्यवसाय, फिल्म, पत्रकार, पारगमन, सम्मेलन, पर्वतारोहण, छात्र, आगंतुक, समूह पर्यटक, तीर्थयात्री और समूह तीर्थयात्री को रविवार तक भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है।
दरअसल, 4 अप्रैल को लागू हुए आव्रजन और विदेशी अधिनियम 2025 के अनुसार, निर्धारित समय से अधिक समय तक रहना, वीजा शर्तों का उल्लंघन करना या प्रतिबंधित क्षेत्रों में अनाधिकार प्रवेश करने पर तीन साल की जेल और 3 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
गृहमंत्री शाह ने की थी सभी राज्यों के सीएम से बातकेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गत शुक्रवार को देश के सभी राज्यों के सीएम से बात की थी। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्रियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोई भी पाकिस्तानी नागरिक देश छोड़ने की निर्धारित समय सीमा से आगे भारत में न रहे।
वहीं, मुख्यमंत्रियों के साथ शाह की टेलीफोन पर बातचीत के बाद, केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने मुख्य सचिवों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की और उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि जिन पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द किए गए हैं, वे तय समय सीमा तक भारत छोड़ दें।
भारत पाकिस्तान के रिश्तों में तनावगौरतलब है कि पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में तनाव आ गया है। भारत ने देश में रहे सभी पाकिस्तानियों का वीजा रद कर दिया है। इसके अलावा सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कई बड़े एक्शन लिए हैं। पाकिस्तान ने भी भारत को जवाबी कार्रवाई की गीदड़ भभकी दी है।
अधिनियम में क्या है प्रावधान?जानकारी दें कि अधिनियम में कहा गया है, जो कोई भी, (क) विदेशी होते हुए, भारत के किसी क्षेत्र में उस अवधि से अधिक अवधि के लिए रहता है, जिसके लिए उसे वीजा जारी किया गया था या धारा 3 के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए वैध पासपोर्ट या अन्य वैध यात्रा दस्तावेज के बिना भारत में रहता है या भारत या उसके अधीन किसी भाग में प्रवेश करने और रहने के लिए उसे जारी किए गए वैध वीजा की शर्तों का उल्लंघन करते हुए कोई कार्य करता है।
(ख) धारा 17 और 19 के अलावा इस अधिनियम के किसी अन्य प्रावधान का उल्लंघन करता है या इसके तहत बनाए गए किसी नियम या आदेश या इस अधिनियम के अनुसरण में दिए गए किसी निर्देश या अनुदेश या ऐसे आदेश या निर्देश या अनुदेश का उल्लंघन करता है, जिसके लिए इस अधिनियम के तहत कोई विशिष्ट दंड का प्रावधान नहीं है, तो उसे तीन साल तक की कैद या तीन लाख रुपये तक के जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
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क्या सरकार सेना की मदद के लिए मांग रही पैसा? वायरल पोस्ट में कितनी सच्चाई; रक्षा मंत्रालय ने बताई पूरी बात
एएनआई, नई दिल्ली। इन दिनों वाट्सएप पर एक भ्रामक संदेश प्रसारित हो रहा है, जिसमें भारतीय सेना के आधुनिकीकरण और युद्ध में घायल अथवा शहीद हुए सैनिकों के लिए एक विशेष बैंक खाते में धन दान देने की बात कही गई है।
इस संबंध में गलत तरीके से भेजे जा रहे संदेश में कैबिनेट के एक निर्णय का हवाला दिया गया है और अभिनेता अक्षय कुमार को इस प्रस्ताव के मुख्य आह्वानकर्ता के रूप में उद्धृत किया गया है।
रक्षा मंत्रालय ने दी सतर्क रहने की अपीलरक्षा मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि एक विशेष बैंक खाते में धन दान देने से संबंधित वाट्सएप पर भ्रामक संदेश प्रसारित किया जा रहा है। उक्त संदेश में खाते का गलत विवरण दिया गया है, जिसके कारण ऑलाइन दान अस्वीकृत हो रहा है। बयान में कहा गया है कि दान देने वाले लोगों को सतर्क रहना चाहिए और ऐसे धोखाधड़ी वाले संदेशों का शिकार नहीं बनना चाहिए।
सरकार ने युद्ध अभियानों के दौरान शहीद या दिव्यांग होने वाले सैनिकों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। सरकार ने वर्ष 2020 में 'सशस्त्र बल युद्ध हताहत कल्याण कोष' की स्थापना की थी, जिसका उपयोग थल सैनिकों/नौसैनिकों /वायुसैनिकों के परिवारों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए किया जाता है।
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Bihar News: केंद्र सरकार से इस काम के लिए नहीं मिली राशि, बिहार पर 3500 करोड़ रुपये हुआ उधार; निर्माण कार्य ठप
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार का केंद्र सरकार पर मनरेगा (महात्मा गांधी रोजगार गारंटी अधिनियम) के सामग्री मद का 3500 करोड़ रुपये से अधिक उधार हो गया है।
राशि के अभाव में अब कहीं काम प्रभावित होने लगा है तो कहीं कार्य ठप हो गया है। राशि समाप्त हुए वित्तीय वर्ष 2024-2025 की है।
इसे लेकर बिहार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने गत दिनों केंद्र सरकार को पत्र भी लिखा था। मंत्री ने राशि के अभाव में मनरेगा का काम ठप होने की ओर भी केंद्र सरकार का ध्यान आकृष्ट किया था।
साथ ही मनरेगा में बिहार की उपलब्धियां भी गिनाई थी। उल्लेखनीय है कि मनरेगा के माध्यम से पक्का काम के लिए सामग्री में मद केंद्र सरकार टिकाऊ संपत्तियां (जैसे कि सड़कें, पुल, बांध आदि) बनाने की स्वीकृति देती है।
इस योजना के तहत, विभिन्न प्रकार के काम किए जाते हैं, जैसे कि तालाब किनारे सीढि़यों का निर्माण आदि भी सम्मिलित है। मनरेगा में पिछले वर्ष सितंबर से ही भुगतान बंद है।
रिकॉर्ड 25 करोड़ मानव दिवस हुआ सृजितराज्यभर में बीते वित्तीय वर्ष 2024-25 में रिकार्ड 25 करोड़ दिवस का सृृजन हुआ है। इसकी डाटा भी इंट्री हो चुकी है।
मनरेगा से काम देने में गया जिला सबसे आगे है। वहीं, पूर्वी, चंपारण, रोहतास और समस्तीपुर में एक करोड़ से अधिक मानव दिवस का सृजन हुआ है। बीते वित्तीय वर्ष राज्य में 17 करोड़ मानव दिवस सृजन का लक्ष्य था।
सारण व शिवहर में कम मिला कामअरवल में 19 लाख से अधिक, बेगूसराय में 39 लाख भोजपुर में 42 लाख, गोपालगंज में 35 लाख, जहानाबाद में 33 लाख, सारण में 17 लाख, शिवहर में 17 लाख से अधिक काम मिला है। इन जिलों में भी लक्ष्य से अधिक काम मिला है।
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NEET Paper Leak: संजीव मुखिया ने पूछताछ में खोले कई अहम राज, पेपर लीक मामले में कुछ बड़े लोगों की उड़ेगी नींद!
राज्य ब्यूरो, पटना। लंबी लुक्का-छिपी के बाद गिरफ्त में आए पेपर लीक कांड के मास्टर माइंड संजीव मुखिया से पूछताछ में आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को कई ऐसी जानकारियां मिली हैं, जिससे आने वाले दिनों में कई बड़े लोगों की नींद उड़ने वाली है।
संजीव मुखिया ने अपराध का रास्ता क्यों चुना, किन परीक्षाओं में उसकी सेटिंग थी ऐसी तमाम जानकारियां उसने ईओयू को पूछताछ में दी है।
दरअसल, मुखिया अपनी पत्नी को राजनीतिक मुकाम दिलाकर बड़ी शख्सियत बनाना चाहता था इसकी वजह से उसने पेपर लीक जैसे आपराधिक रास्ते को चुना।
जनकारी के अनुसार, पूछताछ के दौरान सीबीआइ और झारखंड पुलिस के अधिकारी भी मौजूद रहे। पूछताछ के क्रम में रिमांड अवधि पूरी होने के बाद संजीव मुखिया को रविवार की रात ही वापस न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया।
सूत्रों ने बताया की संजीव मुखिया से और जानकारी मिलने की उम्मीद जांच एजेंसी को है इसलिए सोमवार को उसे वापस रिमांड पर लेने के प्रयास होंगे।
लगातार पूछताछ कर रहे हैं ईओयू के अधिकारीसंजीव मुखिया को गिरफ्तार करने के बाद ईओयू के अधिकारी उससे लगातार पूछताछ कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि संजीव मुखिया ने पूछताछ में दावा किया कि उनसे अपनी राजनीतिक पहुंच और सेंटिंग की बदौलत कई सफेदपोश और उनके स्वजनों को लाभ पहुंचाया।
कई लोगों के बच्चों को मेडिकल तक की परीक्षा भी पास कराई। संजीव मुखिया ने रेलवे भर्ती बोर्ड, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी में सेंटिग का दावा भी किया।
इस रास्ते को चुनने की वजह पूछने पर उसने स्पष्ट तौर पर स्वीकार किया कि वह अपनी पत्नी को राजनीतिक रूप से स्थापित करना चाहता था।
जिसके लिए उसे पैसों की दरकार थी और उसने पैसों के लिए पेपर लीक और सेंटिग के अवैध कारोबार का सहारा लिया और इसे विस्तार भी दिया।
तीन राज्यों में थी संजीव मुखिया की धमकउसने बताया कि बिहार, झारखंड से लेकर पश्चिम बंगाल तक की प्रतियोगी परीक्षाओं में उसकी धमक थी। उसने बिहार में सिपाही बहाली, शिक्षक भर्ती और नीट यूजी परीक्षाओं के पेपर लीक से संबंधित मामलों में कई नामों का उद्भेदन भी किया।
उसने यह जानकारी भी ईओयू टीम को दी कि फरारी के दौरान वह लाभार्थियों के घरों को अपना ठिकाना बनाता था। सीबीआइ ने जिस वक्त उसके ठिकाने पर छापा मारा उस वक्त वह बिहारशरीफ में ही रुका हुआ था। छिपने के लिए संजीव मुखिया ने पटना के पीरबहोर, अगमकुआं और बाढ़ इलाके में भी अपना ठिकाना बनाया था।
यहां बता दें कि मई 2024 में मेडिकल की प्रारंभिक परीक्षा से संबंधित नीट (यूजी) के प्रश्न पत्र लीक मामले की जांच सीबीआइ कर रही है। प्रश्न पत्र लीक की घटना झारखंड के हजारीबाग स्थित एक स्कूल से हुई थी, इसलिए झारखंड पुलिस की टीम भी पूछताछ में शामिल हुई।
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बिहार में 12 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है हेमंत की पार्टी! महागठबंधन के सामने रख दी लिस्ट, RJD की बढ़ी टेंशन
जागरण संवाददाता, पटना। महागठबंधन के भीतर सीटों की गुत्थी ऐसी उलझी है कि किसी दूसरे सहयोगी के लिए शायद ही गुंजाइश बने।
इस बीच झारखंड के सीमावर्ती विधानसभा क्षेत्रों में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) अपनी संभावना का आकलन करने लगा है।
इससे राजद की चिंता बढ़ी हुई है, क्योंकि उन क्षेत्रों से उसे इस बार बड़ी आशा है। ऐसे में प्रयास यह है कि झामुमो को किसी तरह बिहार से दूर रहने के लिए मना लिया जाए।
हालांकि, झारखंड के चुनाव में सहयोगी राजद ने जिस तरह दावेदारी की थी, उसे लेकर इसकी संभावना कम है कि झामुमो अपने कदम पीछे खींच ले।
राजद झारखंड में झामुमो का पुराना सहयोगी है। झामुमो को भी बिहार में ऐसी ही भूमिका की अपेक्षा रही है। उसके लिए वह एक दशक से प्रयासरत है, लेकिन बात कभी बनी नहीं।
विधानसभा के पिछले चुनाव में तो कटुता इस स्तर तक बढ़ी कि झामुमो ने राजनीतिक मक्कारी का आरोप लगाते हुए राजद से राजनीतिक रिश्ते की समीक्षा तक की चेतावनी दी थी।
तब उसका कहना था कि झारखंड सरकार में राजद के एकमात्र विधायक सत्यानंद भोक्ता को श्रम मंत्री बनाया गया, लेकिन राजद राजनीतिक शिष्टाचार भूल गया है।
तेजस्वी यादव का नेतृत्व पुराने दिनों को याद रखना नहीं चाहता। शिकायत लालू प्रसाद से भी हुई। यह कहते हुए कि झामुमो उनका आदर करता है, लेकिन प्रश्न यह कि लालू सामाजिक न्याय के अंतर्गत राजनीतिक भागीदारी की बात करते हैं, तो उनका यह सिद्धांत झामुमो के संदर्भ में क्यों गुम हो गया?
इस क्षोभ के साथ झामुमो ने सात सीटों (झाझा, चकाई, कटोरिया, धमदाहा, मनिहारी, पीरपैंती, नाथनगर) पर प्रत्याशी उतार दिए। कोई सफलता तो नहीं मिली, लेकिन चकाई और कटोरिया में उसने राजद का खेल बिगाड़ दिया।
झामुमो ने बिगाड़ दिया था खेलएक राजनीतिक दल के रूप में झामुमो ने 1980 के चुनाव से दांव आजमाना शुरू किया। झारखंड के गठन से पहले भी उसके हिस्से की सीटें दक्षिणी बिहार वाली ही हुआ करती थीं।
विभाजन के बाद उसे बिहार में एक बार चकाई में सफलता तो मिली, लेकिन उसे वह अगले चुनाव में दोहरा नहीं पाया। 2010 में यह सफलता सुमित कुमार सिंह के सहारे मिली थी, जो 2020 में वहां निर्दलीय विजयी रहे।
हालांकि, उनकी जीत मेंं झामुमो को मिले 16985 मतों की बड़ी भूमिका रही है। राजद की सावित्री देवी वहां मात्र 581 मतों से मात खाई थीं।
राजद से बलिदान की अपेक्षा2019 में राजद को झारखंड में सात सीटें मिली थीं। एकमात्र चतरा में सत्यानंद भोक्ता सफल रहे थे। 2024 में भी उसे सात सीटें मिलीं। वोट प्रतिशत में वृद्धि के साथ उनमें से चार में वह सफल रहा।
झारखंड सरकार में संजय यादव के रूप में हिस्सेदारी भी है। अब झामुमो इसका प्रतिदान झारखंड के सीमावर्ती एक दर्जन विधानसभा क्षेत्रों (तारापुर, कटोरिया, मनिहारी, झाझा, बांका, ठाकुरगंज, रूपौली, रामपुर, बनमनखी, जमालपुर, पीरपैंती और चकाई) के रूप में चाहता है। महागठबंधन में इनमें से अधिसंख्य पर अभी राजद की दावेदारी है।
झामुमो की पसंदीदा सीटेंतारापुर, कटोरिया, मनिहारी, बांका, पीरपैंती, रामपुर, ठाकुरगंज, रूपौली, बनमनखी, जमालपुर, झाझा, चकाई
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