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Bihar Politics: 4 मई को होने जा रही बिहार महागठबंधन की बड़ी बैठक, अब इन मुद्दों पर होगा RJD-Congress का फोकस
राज्य ब्यूरो, पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के दिन धीरे-धीरे नजदीक आ रहे हैं। इसके साथ ही तमाम दल अपनी तैयारियों को मुकम्मल रूप देने में जुट गए हैं।
आइएनडीआइए गठबंधन भी आगे बढ़ते हुए अपनी तैयारियों को चुनाव घोषणा के पूर्व अंतिम रूप देने में जुटा है। इस गठबंधन की अब तक तीन बैठकें हुई हैं।
जिसमें कई मुद्दों पर गठबंधन के सहयोगी दलों ने अपनी सहमति बना ली है। परंतु संयुक्त चुनावी घोषणा पत्र और मुद्दे जिन पर चुनाव लड़ा जाना है वे अब तक तय नहीं हैं।
जिसे देखते हुए आइएनडीआए के सहयोगी दलों ने आपसी सहमति से चार मई को एक बैठक बुलाई है। प्रस्तावित बैठक में राजद-कांग्रेस के साथ ही तीनों वाम दल और विकासशील इंसान पार्टी के तमाम जिलाध्यक्ष, महासचिव के साथ ही इनके विधायक, विधान पार्षद व सांसदों को आमंत्रित किया गया है।
24 अप्रैल को हुई थी बैठकबैठक की अध्यक्षता महागठबंधन कार्डिनेशन कमेटी के अध्यक्ष तेजस्वी यादव स्वयं करेंगे। सूत्रों के अनुसार बैठक में कार्डिनेशन कमेटी के सहयोग के लिए चार अन्य उप कमेटियों का गठन भी होगा।
जिस पर 24 अप्रैल की बैठक में करीब-करीब सहमति बनाई जा चुकी है। कांग्रेस ने तो उप कमेटियों में सदस्य पद के लिए नेताओं के नाम भी कार्डिनेशन कमेटी अध्यक्ष को सौंप दिए हैं।
कांग्रेस से मिली जानकारी के अनुसार आगामी बैठक में सबसे पहले चुनावी घोषणा पत्र पर सहयोगी दलों के साथ संवाद होगा।
जिन मुद्दों को घोषणा में शामिल किए जाने की संभावना दलों की ओर से जताई जा रही है उनमें सरकारी महकमों में नौकरी, रोजगार के साधन, गरीबों के लिए पक्का घर, महिला वर्ग के लिए माई-बहन मान योजना, सरकार गठन पर नागरिकों को दो सौ यूनिट मुफ्त बिजली, विधि-व्यवस्था की स्थिति पर नियंत्रण, खेतों को सिंचाई के लिए अतिरिक्त बिजली आपूर्ति, खेलों को बढ़ावा देने के लिए नई खेल नीति जैसे अनेक मुद्दे हैं।
इंटरनेट मीडिया पर भी सरकार की घेराबंदी की योजना बनेगीइसके अलावा बैठक में चुनाव मैदान के साथ इंटरनेट मीडिया पर भी सरकार की घेराबंदी की योजना बनेगी।
प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के साथ ही वेब पोर्टल मीडिया पर सरकार को घेरने के लिए सरकार की नीतियों को आधार बनाया जाएगा।
सूत्रों की माने तो जिन योजनाओं की घोषणा एनडीए सरकार के कार्यकाल में हुई उनका आकलन कर जनता को उनकी असलियत से भी अवगत कराने की योजना है।
विधि-व्यवस्था, बढ़ती महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य में गिरावट के साथ ही विशेष राज्य के दर्जे के मुद्दे पर भी सरकार की घेराबंदी की योजना पर बैठक में मुहर लगाई जाएगी।
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'सभी कानूनी सेवा समितियां अपना काम करेंगी', सुप्रीम कोर्ट जज दीपंकर दत्ता का पहलगाम हमले को लेकर बयान
एएनआई, नई दिल्ली। जम्मू और कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले पर सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस दीपंकर दत्ता ने शोक व्यक्त किया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रस्ताव पारित किया है कि सभी कानूनी सेवा समितियां अपना काम करेंगी।
ANI से बातचीत करते हुए, जस्टिस दत्ता ने कहा, "हम उन सभी परिवारों के साथ हैं जो इस हमले में शिकार हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रस्ताव लिया है। हम पीड़ितों के साथ हैं, जो भी NALSA या किसी अन्य कानूनी सेवा समिति के तहत किया जा सकता है, वे समितियां अपना काम करेंगी। हम भगवान से प्रार्थना करते हैं कि ऐसा घटना फिर से न हो।"
"अच्छे दिन की उम्मीद"दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस सौरभ बनर्जी ने उम्मीद जताई कि जल्दी ही अच्छे दिन आएंगे। उन्होंने कहा, "जो हुआ वह दुखद है। मुझे लगता है कि जल्द ही हम एक अच्छे दिन की शुरुआत देखेंगे, और हम देखेंगे कि हमारे कश्मीर के भाई-बहन वही विश्वास साझा करेंगे जो हम भारतीयों का है।"
हमले में मारे गए शुभम द्विवेदी के परिवार की मांगइस बीच, हमले के शिकार शुभम द्विवेदी के परिवार ने सरकार से उसे शहीद का दर्जा देने की अपील की। हमले की भयावहता को याद करते हुए द्विवेदी की पत्नी एशनाय ने दुख और चिंता व्यक्त की और कहा कि पीड़ितों के परिवारों को अक्सर भुला दिया जाता है, इसलिये उन्होंने शहीद का दर्जा देने की मांग की।
"लोग अक्सर पीड़ितों के परिवारों को भूल जाते हैं, जैसे पुलवामा हमले के पीड़ितों, 26/11 के हमले के पीड़ितों को... हम नहीं चाहते कि शुभम को भुला दिया जाए, और इसलिये मैं सरकार से अनुरोध करती हूं कि उसे शहीद का दर्जा दिया जाए।" शुभम द्विवेदी की पत्नी
आतंकी हमले का ब्योरा22 अप्रैल को आतंकवादियों ने जम्मू और कश्मीर के पहलगाम के बैसरन घाटी में पर्यटकों पर हमला किया, जिसमें 25 भारतीय नागरिकों और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई, जबकि कई अन्य घायल हो गए। यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद से घाटी में हुआ सबसे घातक हमला था।
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Bihar News: इस साल 1 लाख से अधिक छात्रों को गुड न्यूज देगी नीतीश सरकार, आ गया नया आदेश; DM का भी बढ़ा काम
राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना के क्रियान्वयन की गति और तेज होगी। साथ ही, हर जिले में इस योजना की निगरानी जिलाधिकारी के स्तर से करायी जाएगी।
आवेदकों को योजना के तहत शिक्षा ऋण मिलने में अनावश्यक विलंब नहीं हो, इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से सभी जिलाें को दिशा-निर्देश दिया गया है।
इस चालू वित्तीय वर्ष में सरकार ने एक लाख पांच हजार 456 विद्यार्थियों को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ देने का लक्ष्य रखा है।
इसके लिए शिक्षा विभाग ने बजट में 1023 करोड़ रुपये का प्रविधान किया है। इस योजना के अंतर्गत 12वीं कक्षा उत्तीर्ण छात्र या
छात्रा को चार प्रतिशत ब्याज दर पर चार लाख रुपये तक शिक्षा ऋण उपलब्ध कराया जाता है, जबकि महिला, ट्रांसजेंडर और दिव्यांग के लिए ब्याज की दर एक प्रतिशत तय है।
शिक्षा विभाग के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बताया कि राज्य सरकार ने सात निश्चय कार्यक्रम के तहत उच्च शिक्षा में जरूरतमंद विद्यार्थियों को शिक्षा ऋण के क्रियान्वयन में तेजी लाने का निर्देश दिया है।
अभी तक 3 लाख 69 हजार 162 विद्यार्थियों के लिए 10,920 करोड़ रुपये की ऋण स्वीकृति दी जा चुकी है। पिछले वित्तीय वर्ष-2024-25 में इस योजना में 85 हजार विद्यार्थियों को लाभ दिया जा चुका है।
इस बार एक लाख पांच हजार 456 विद्यार्थियों को योजना का लाभ देने का प्रस्ताव है। शिक्षा विभाग का कहना है कि उच्च शिक्षा पाने के इच्छुक छात्र-छात्राओं के भविष्य को संवारने के लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना बेहतर विकल्प साबित हो रही है।
इस योजना से शिक्षा ऋण लेकर छात्र हो या छात्रा मनचाहा पाठ्यक्रम में पढ़ाई कर सकते हैं। इसके जरिए आइआइटी और बीएड की पढ़ाई भी कर रहे हैं।
जिला निबंधन परामर्श केंद्र में आवेदन की सुविधाउच्च शिक्षा में पढ़ाई के इच्छुक कोई भी विद्यार्थी स्टूडेंट क्रेडिट योजना का लाभ ले सकते हैं। इसके लिए उन्हें जिला निबंधन परामर्श केंद्र जाकर आवेदन जमा करना होगा।
आवेदन के साथ आधार कार्ड, मैट्रिक और इंटर अंक प्रमाण पत्र, शिक्षा संबंधी प्रमाण पत्र, बैंक पासबुक, नामांकन प्रमाण पत्र, संस्थान से प्राप्त शुल्क विवरण, आवेदक के माता-पिता का आधार कार्ड और दो पासपोर्ट साइज फोटो, बिजली बिल, टेलीफोन वोटर आइडी कार्ड और प्रमाण पत्र के साथ आनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
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'बंटवारे के अनसुलझे सवालों का नतीजा', मणिशंकर अय्यर के बयान से कांग्रेस की बढ़ी मुश्किलें? BJP ने लगाया 'पाकिस्तान प्रेम' का आरोप
पीटीआई, नई दिल्ली। भाजपा ने पहलगाम हमले पर वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर की टिप्पणी को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधा है और उस पर 'आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र' को बचाने और 'पाकिस्तान के प्रति प्रेम' दिखाने का आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने शनिवार को एक पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान आश्चर्य जताते हुए कहा था कि क्या 22 अप्रैल को बैसरन के हरे-भरे पर्यटक स्थल पर हुआ आतंकवादी हमला 'विभाजन के अनसुलझे सवालों' का नतीजा था, जिसमें 26 लोग मारे गए थे।
कांग्रेस की नहीं आई कोई प्रतिक्रिया
भाजपा ने इसे कांग्रेस नेताओं और उनके परिजनों द्वारा की गई निंदनीय और अपमानजनक टिप्पणियों की कड़ी में शामिल किया है। भाजपा की तीखी टिप्पणियों पर कांग्रेस की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। अय्यर की टिप्पणियों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "अच्छा पुलिसवाला, बुरा पुलिसवाला, कांग्रेस का तुष्टिकरण पहलगाम आतंकी हमले पर भी जारी है!"
उन्होंने कहा, "रॉबर्ट वाड्रा और सिद्धारमैया के बाद अब मणिशंकर अय्यर ने पाकिस्तान और आतंकवादियों को दोषी ठहराने से इनकार कर दिया है!" उन्होंने आगे कहा, "26/11 के बाद से कांग्रेस में कुछ भी नहीं बदला है, अभी भी आतंकवादी पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा कर रही है, अभी भी पाकिस्तान के लिए प्यार दिखा रही है।
प्रदीप भंडारी ने कांग्रेस नेताओं पर साधा निशाना
प्रदीप भंडारी ने लिखा, "सिद्धारमैया का 'युद्ध के पक्ष में नहीं' और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा के पति रॉबर्ट वाड्रा का यह सुझाव कि पहलगाम में गैर-मुसलमानों पर हमला किया गया क्योंकि आतंकवादियों को लगता है कि देश में मुसलमानों के साथ 'बुरा व्यवहार'किया जा रहा है, जिसकी हर तरफ से आलोचना हो रही है। भाजपा ने वाड्रा पर तीखा हमला करते हुए उन पर आतंकवादियों की भाषा का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया और उनसे माफी की मांग की।
अपनी हालिया टिप्पणी में अय्यर ने कहा था कि देश के सामने पहले जो सवाल था और आज भी वही सवाल है कि क्या भारत में मुसलमान स्वीकार किए जाते हैं, उनका सम्मान किया जाता है।
उन्होंने हमले की निंदा करते हुए कहा, "लेकिन सच्चाई यह है कि बंटवारा हुआ और आज तक हम उस बंटवारे के परिणामों के साथ जी रहे हैं। क्या हमें ऐसे ही जीना चाहिए? क्या बंटवारे के अनसुलझे सवाल ही 22 अप्रैल को पहलगाम में हुई भयानक त्रासदी में झलकते हैं।"
प्रदीप भंडारी ने लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के परिवार से की मुलाकात
बता दें, प्रदीप भंडारी ने शुक्रवार को हरियाणा का दौरा किया था और लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के परिवार से मुलाकात की। परिवार से मिलने के बाद, भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि हमले में निर्दोष लोगों की जान जाने के लिए पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "मैंने शहीद लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के परिवार से मुलाकात की, जो पहलगाम में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा मारे गए एक बहादुर व्यक्ति थे। कोई भी शब्द उनकी पत्नी हिमांशी नरवाल और उनके शोकाकुल परिवार के दर्द को कम नहीं कर सकता, लेकिन यह बता दूं भारत माफ नहीं करेगा!"
भंडारी ने कहा, "पाकिस्तान आंसू की हर बूंद, खून की हर बूंद, हर निर्दोष जीवन की कीमत चुकाएगा, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा था 'मिट्टी में मिला देंगे'।"
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ऑफिस आने-जाने में कितना वक्त लगाते हैं प्रोफेशनल्स? इस दिन सबसे ज्यादा दफ्तर जाते हैं लोग; रिपोर्ट में खुलासा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बेंगलुरु, हैदराबाद और नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) में काम करने वाले हजारों प्रोफेशनल्स रोजाना दफ्तर पहुंचने में एक तरफ का सफर औसतन 45 से 55 मिनट का तय करते हैं। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इसका मतलब है कि कोई भी कर्मचारी अपनी जिंदगी का लगभग 5 प्रतिशत वक्त सिर्फ सफर में गुजार देता है।
सेक्टर और शहर के हिसाब से बदलता है सफर का समयMoveInSync की पहली तिमाही (Q1 2025) की रिपोर्ट बताती है कि बेंगलुरु में प्रोफेशनल्स औसतन 15 किलोमीटर का सफर 50 मिनट में तय करते हैं। खुदरा (Retail) क्षेत्र के कर्मचारियों को सबसे ज्यादा यानी लगभग 54 मिनट का समय लगता है, वहीं IT सेक्टर में काम करने वालों का सफर कुछ कम, करीब 46 मिनट में पूरा हो जाता है।
हैदराबाद में कर्मचारी औसतन 16 किलोमीटर का रास्ता 45 मिनट में तय करते हैं। यहां भी रिटेल सेक्टर के लोग सबसे ज्यादा वक्त तकरीबन 54 मिनट सफर में बिताते हैं।
एनसीआर में सफर और भी लंबा, हेल्थ केयर वर्कर को सबसे ज्यादा दिक्कतदिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा और फरीदाबाद समेत एनसीआर में सफर का औसत वक़्त 55 मिनट है, जिसमें कर्मचारी लगभग 22 किलोमीटर का फासला तय करते हैं। हेल्थकेयर क्षेत्र में काम करने वाले प्रोफेशनल्स को सफर में सबसे ज्यादा दिक्कत होती है, कई बार उन्हें ऑफिस पहुंचने में एक घंटे से भी ज्यादा वक्त लग जाता है।
भले ही हाइब्रिड वर्क मॉडल के चलते दफ्तर आने-जाने के दिन घटे हैं, लेकिन सफर का समय अब भी पेशेवरों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है।
कितने दिन ऑफिस आते हैं कर्मचारी?बेंगलुरु और हैदराबाद में प्रोफेशनल्स आमतौर पर हफ़्ते में दो से तीन दिन ऑफिस आते हैं, जबकि एनसीआर में थोड़ा ज़्यादा तीन से चार दिन हाज़िरी दी जाती है। सेक्टर के हिसाब से इसमें भी फर्फ है, इंडस्ट्रियल और एनर्जी सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी एनसीआर में हफ़्ते में चार से पांच दिन दफ्तर जाते हैं, जबकि रिटेल सेक्टर के कर्मचारी सिर्फ एक या दो दिन ही दफ्तर का रुख करते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, बुधवार अब सबसे लोकप्रिय दिन बन गया है जब तीनों शहरों में सबसे ज़्यादा कर्मचारी ऑफिस में मौजूद रहते हैं। इसके मुकाबले सोमवार और शुक्रवार को ऑफिस में कम भीड़ देखने को मिलती है।
भारत में GCCs का बढ़ता दायरा, बेंगलुरु, हैदराबाद और एनसीआर सबसे आगेपिछले पांच सालों में भारत में ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स (GCCs) की संख्या में 32% का इजाफा हुआ है। बेंगलुरु, हैदराबाद और एनसीआर इस विकास में सबसे आगे हैं, जो भारत को इस क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र बना रहे हैं।
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कितने पकिस्तानियों ने छोड़ा भारत? अब तक 600 से ज्यादा भारतीय आए वापस; आज अंतिम दिन
पीटीआई, नई दिल्ली। पिछले दो दिनों में अटारी-वाघा बॉर्डर के माध्यम से करीब 272 पाकिस्तानी नागरिक भारत छोड़कर जा चुके हैं। एक अधिकारी ने बतया कि रविवार को 100 और लोग इसी रास्ते से पाकिस्तान जा सकते हैं।
तो वहीं, पंजाब में स्थित अंतरराष्ट्रीय सीमा पार से पाकिस्तान से अभी तक 13 राजनयिकों और अधिकारियों सहित 629 भारतीय नागरिक वापस आ चुके हैं।
बता दें, 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को 'भारत छोड़ों' नोटिस जारी किया था और भारत छोड़ने की अंतिम तिथि 27 अप्रैल थी। मेडिकल वीजा में भारत आए लोगों के लिए अंतिम तिथि 29 अप्रैल है।
किन 12 श्रेणियों के वीजा धारकों को रविवार तक छोड़ना है भारत?
- आगमन पर वीजा
- व्यापार
- फिल्म
- पत्रकार
- पारगमन
- सम्मेलन
- पर्वतारोहण
- छात्र
- आगंतुक
- समूह पर्यटक
- तीर्थयात्री
हालांकि, दीर्घकालिक और राजनयिक या आधिकारिक वीजा रखने वालों को 'भारत छोड़ो' आदेश से छूट दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, 25 अप्रैल को 191 पाकिस्तानी नागरिक अटारी-वाघा सीमा के माध्यम से भारत से चले गए थे और 26 अप्रैल को 81 और बाहर निकल गए।
कुछ पाकिस्तानी विमानों के जरिए भी चले गए
अधिकारियों ने बताया कि 25 अप्रैल को 287 भारतीय पाकिस्तान से भारत आए और 26 अप्रैल को 13 राजनयिकों और अधिकारियों समेत कुल 342 भारतीय अटारी-वाघा सीमा के जरिए पाकिस्तान से लौटे। उन्होंने बताया कि कुछ पाकिस्तानी हवाईअड्डों के जरिए भी भारत से चले गए होंगे। उन्होंने बताया कि चूंकि भारत का पाकिस्तान के साथ सीधा हवाई संपर्क नहीं है, इसलिए वे अन्य देशों से होते हुए चले गए होंगे।
महाराष्ट्र में कितने पाकिस्तानी थे?
- अधिकारियों ने बताया कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा संख्या में पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं, जिनके पास अल्पकालिक वीजा है।
- इनकी संख्या करीब 1,000 है। राज्य के मंत्री योगेश कदम ने शनिवार को बताया कि अल्पकालिक वीजा वाले 1,000 पाकिस्तानी नागरिकों को भारत छोड़ने के लिए कहा गया है।
- महाराष्ट्र में करीब 5,050 पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं और उनमें से ज्यादातर लंबी अवधि के वीजा पर हैं।
- अधिकारियों ने बताया कि इनमें से करीब 2,450 नागपुर में, 1,100 ठाणे में, 390 जलगांव में, 290 नवी मुंबई में, 290 पिंपरी चिंचवाड़ में, 120 अमरावती में और 15 मुंबई में हैं।
दिलचस्प बात यह है कि अधिकारियों के अनुसार महाराष्ट्र में रह रहे 107 पाकिस्तानी नागरिकों का पता नहीं चल पाया है। तेलंगाना में पुलिस प्रमुख जितेन्द्र ने आधिकारिक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा कि राज्य में 208 पाकिस्तानी नागरिक रह रहे हैं, जिनमें से ज़्यादातर हैदराबाद में हैं। इनमें से 156 के पास लंबी अवधि का वीज़ा है, 13 के पास कम अवधि का वीज़ा है और 39 के पास मेडिकल और व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए यात्रा दस्तावेज़ हैं।
कहां कितने पाकिस्तानी नागरिक थे?
- दक्षिणी तटीय राज्य केरल में 104 पाकिस्तानी नागरिक थे, जिनमें से 99 दीर्घकालिक वीजा पर थे। शेष पांच, जो पर्यटक या चिकित्सा वीजा पर थे, देश छोड़ चुके हैं।
- मध्य प्रदेश में लगभग 228 पाकिस्तानी नागरिक थे, जिनमें से कई पहले ही देश छोड़ चुके हैं।
- ओडिशा में लगभग 12 पाकिस्तानियों की पहचान की गई है और उन सभी को देश छोड़ने के लिए निर्धारित समय सीमा का पालन करने के लिए कहा गया है।
- गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने कहा है कि राज्य में अल्पकालिक वीजा पर रह रहे तीन पाकिस्तानी नागरिकों को वापस जाने के लिए कहा गया है।
- सात पाकिस्तानी अल्पकालिक वीजा पर गुजरात में थे। पांच अहमदाबाद में और एक-एक भरूच और वडोदरा में।
यूपी डीजीपी ने दी जानकारी
इसके अलावा, पश्चिमी राज्य में 438 पाकिस्तानी नागरिक दीर्घकालिक वीजा पर हैं और इनमें हिंदू भी शामिल हैं जिन्होंने भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन किया है।
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक प्रशांत कुमार ने शनिवार को कहा कि राज्य में आने वाले सभी श्रेणी के पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया पूरी हो गई है, जिन्हें भारत छोड़ने का आदेश दिया गया है। डीजीपी ने कहा कि एक पाकिस्तानी नागरिक अभी भी राज्य में है और वह 30 अप्रैल को पाकिस्तान के लिए रवाना होगा।
गृह मंत्री ने सभी मुख्यमंत्रियों से की बात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को फोन किया और उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि कोई भी पाकिस्तानी नागरिक देश छोड़ने की निर्धारित समय सीमा से आगे भारत में न रहे।
मुख्यमंत्रियों के साथ शाह की टेलीफोन पर बातचीत के बाद केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन ने मुख्य सचिवों के साथ एक वीडियो कॉन्फ्रेंस की और उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि जिन पाकिस्तानी नागरिकों का वीजा रद कर दिया गया है, वे तय समय सीमा तक भारत छोड़ दें।
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