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हाई कोर्ट ने 2 महीने बाद की दी तारीख, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'अदालतों से जमानत मामले में ऐसी अपेक्षा नहीं की जाती'
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे जमानतों से संबंधित मामलों में लंबी तारीखें दें। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने यह टिप्पणी तब की, जब उसे बताया गया कि पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने चिकित्सा आधार पर अस्थायी जमानत की याचिका पर सुनवाई की तारीख दो महीने बाद निर्धारित की है।
बेटी की सर्जरी के लिए मांगी जमानतयाचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्होंने इस आधार पर अस्थायी जमानत के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था कि उनके मुवक्किल की दो साल की बेटी को तत्काल सर्जरी की जरूरत है। वकील ने दलील दी कि हाई कोर्ट ने 21 फरवरी को पारित अपने आदेश में मामले की सुनवाई 22 अप्रैल के लिए स्थगित कर दी थी।
हाई कोर्ट जाने की अनुमति दीपीठ ने कहा, स्वतंत्रता के मामलों में अदालतों से यह अपेक्षा नहीं की जाती कि वे मामले को इतनी लंबी तारीख तक रोके रखें। साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ता को शीघ्र सुनवाई के लिए हाई कोर्ट जाने की अनुमति दे दी। पीठ ने हाई कोर्ट से कहा कि वह सुनवाई की तारीख जल्दी तय कर दे और चिकित्सा आधार पर अस्थायी जमानत देने के संबंध में मामले की सुनवाई करे।
हाई कोर्ट ने खारिज किया था जल्दी सुनवाई का आवेदनयाचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि उन्होंने हाई कोर्ट में जल्दी सुनवाई के लिए आवेदन दायर किया था, लेकिन इसे खारिज कर दिया गया। जस्टिस गवई ने पूछा कि अब इस टिप्पणी के साथ क्या आपको लगता है कि हाई कोर्ट इसे खारिज कर देगा? पीठ ने कहा कि यदि वह याचिका पर नोटिस जारी करेगी तो प्रतिवादी जवाब देने के लिए समय मांगेगा और मामले में देरी हो सकती है।
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'मेरी सहनशक्ति खत्म, अब करूंगा निलंबन की कार्रवाई', गडकरी ने किन्हें बताया सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अपनी बेबाक टिप्पणी के लिए चर्चित केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने एक बार फिर सरकारी सिस्टम को कठघरे में खड़ा किया। तमाम प्रयासों के बावजूद देश में बढ़ रहे सड़क हादसों के लिए बतौर मंत्री स्वयं को जिम्मेदार मानते हुए उन्होंने दो टूक कहा कि इतने हादसों और मौतों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार सिविल इंजीनियर और सरकारी सिस्टम है।
उन्होंने कहा कि डीपीआर बहुत खराब बनती है। एक्सेस कंट्रोल रोड के कम्पाउंड वाल का कोई डिजाइन हमारे पास नहीं है। कम्पाउंड वाल ऐसी बनती है कि लात मारते ही गिर जाए। विभाग के अधिकारियों के प्रति अविश्वास जताते हुए गडकरी ने इंटरनेशनल रोड फेडरेशन से कहा कि रोड सेफ्टी, साइनेज और रोड मार्केटिंग का अंतरराष्ट्रीय स्तर का मॉडल तैयार कर दें, सरकार उसे अनिवार्य रूप से लागू कराएगी।
गडकरी ने बताया सड़क हादसों में सबसे ज्यादा मौतें भारत मेंइंटरनेशनल रोड फेडरेशन (इंडियन चैप्टर) द्वारा गुरुवार को आयोजित ग्लोबल रोड इन्फ्राटेक समिट में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने सबसे पहले भारत में हर साल होने वाले सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों का आंकड़ा साझा किया। इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया कि सड़क हादसों की वजह से सर्वाधिक मृत्यु भारत में होती हैं।
जनता को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं: गडकरीउन्होंने कहा कि इसके लिए जनता को जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। उनकी जिम्मेदारी सच बोलने की है। मंत्रालय के अपने अनुभव का तर्क देते हुए बोले कि इन हादसों के लिए सबसे अधिक जिम्मेदार सिविल इंजीनियर और खराब डीपीआर बनाने वाले हैं। सिविल इंजीनियरिंग की छोटी-छोटी गलतियों की वजह से सैकड़ों मौतें होती हैं। मन में आता है कि इन जिम्मेदारों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करवाकर हिरासत में लिया जाना चाहिए।
नौकरशाही पर लगाया लेटलतीफी का आरोप- सरकारी तंत्र की संवेदनशीलता पर प्रश्न खड़े करते हुए सड़क परिवहन मंत्री ने कहा कि नौकरशाही ऐसी है कि ब्लैक स्पॉट आदि जैसे मामलों पर तुंरत काम करना चाहिए, लेकिन वह सालों-साल इंतजार करते रहते हैं और दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
- सड़क बनाने वाली ठेकेदार कंपनियों पर भी आरोप लगाए कि वह सिर्फ पैसा बचाने के लिए काम करती हैं, लोगों के मरने से उन्हें फर्क नहीं पड़ता।
- इन ठेकेदारों और अधिकारियों के बीच सौहार्द्र का तंज कसते हुए बोले कि नीचे क्या चल रहा है, हमें पता ही नहीं चलता।
मंत्री ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण का नाम लिए बिना संकेत दिया कि विभाग की कार्यप्रणाली से वह बेहद नाराज हैं। कहा कि मुख्य अभियंता, परियोजना निदेशक और क्षेत्रीय अधिकारी बैठे रहते हैं और लोग सड़क हादसों में मरते रहते हैं। जब भी पूछा जाए तो कह देते हैं कि केंद्रीय कार्यालय को फाइल भेज दी है।
जिम्मेदारों पर होगी सख्त कार्रवाई: गडकरीमंत्री ने आरोप लगाया कि हमारे यहां सीजीएम नाम के एक ऐसे व्यक्ति बैठे हैं, जो सिर्फ चेयरमैन के कहने पर ही फाइल आगे बढ़ाते हैं। कहा कि अब मेरी सहनशक्ति खत्म हो चुकी है, इसलिए जिम्मेदारों के विरुद्ध निलंबन और बर्खास्तगी जैसी कार्रवाई करनी पड़ेगी।
Trump to order dismantling of Education Department: reports - The Hindu
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Bihar Bhumi: लैंड म्यूटेशन में बरती लापरवाही, नीतीश सरकार ने लिया एक्शन; 2 अफसरों पर गिरी गाज
जागरण टीम, पटना/मुजफ्फरपुर। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने काम में लापरवाही बरतने वाले दो अंचल अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई का निर्देश दिया है। बहादुरगंज एवं नवादा सदर के अंचलाधिकारियों पर लापरवाही का आरोप है।
सरावगी ने आमलोगों की परेशानियों को दूर करने के लिए सभी राजस्व कर्मचारियों को अपने पदस्थापन वाले पंचायत में रहने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि जिन राजस्व कर्मचारियों के जिम्मे एक से अधिक पंचायत है, उन्हें रोस्टर जारी कर उनका पंचायत में रहने का दिन तय किया जाय।
'अंचल कार्यालय स्तर पर बरती लापरवाही'मंत्री ने बताया कि नवादा के डीएम से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार नवादा सदर अंचल अंतर्गत दाखिल खारिज वाद संख्या 9425/23-24 में निहित खाता संख्या 122, खेसरा संख्या 791 में सन्निहित रकबा का दाखिल-खारिज जल संसाधन विभाग के नाम से करने के मामले में अंचल कार्यालय स्तर पर लापरवाही बरती गई।
किशनगंज में भी ऐसा ही मामलाइसी तरह किशनगंज के डीएम की रिपोर्ट में बताया गया कि बहादुरगंज के अंचल अधिकारी ने माह अगस्त 2024 से जनवरी 2025 तक दायर दाखिल खारिज आवेदनों में से 143 आवेदनों का निष्पादन 75 दिनों के बाद किया है।
उल्लेखनीय है कि दाखिल खारिज नियमावली के प्रावधानों के अनुसार, दाखिल खारिज आवेदनों का निष्पादन 35 दिनों के भीतर करना है। आपत्ति प्राप्त आवेदनों का निष्पादन भी 75 कार्यदिवस के भीतर करना है।
डीसीएलआर पूर्वी के कोर्ट में दाखिल-खारिज और भूमि विवाद के 5700 मामले लंबितडीसीएलआर पूर्वी के कोर्ट में दाखिल-खारिज और भूमि विवाद के 5756 वाद लंबित हैं। कुल 6507 दायर वादों में से मात्र 751 का ही निष्पादन किया गया। इसमें सितंबर से लेकर अब तक यानी पांच माह में सिर्फ 138 वादों का निपटारा ही डीसीएलआर पूर्वी कर सके। इसपर डीएम सुब्रत कुमार सेन ने संज्ञान लिया है। उन्होंने नाराजगी व्यक्त की है। इसे कर्तव्य और दायित्व के प्रति लापरवाही तथा उदासीनता का परिचायक बताया है।
इसी आधार पर उन्होंने डीसीएलआर पूर्वी से स्पष्टीकरण पूछा है। संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर प्रपत्र क गठित करने की चेतावनी दी है। बताया गया कि डीएम ने फरवरी में समीक्षा की थी। इस दौरान लंबित वादों की संख्या अधिक पाए जाने पर चिंता जताई और इसमें सुधार करने का निर्देश दिया था। इससे पूर्व मुख्य सचिव ने भी समीक्षा कर कोर्ट में लंबित मामलों का तेजी से निष्पादन करने को कहा था, लेकिन डीसीएलआर पूर्वी ने इसपर संज्ञान नहीं लिया।
उन्होंने निर्देशों का अनुपालन नहीं किया। इस दौरान डीएम ने दोबारा समीक्षा की तो पाया कि निष्पादन का कार्य जस का तस है। इसमें सुधार की जगह दिन प्रतिदिन गिरावट देखी गई। समीक्षा में निर्देशित करने के बाद भी फरवरी में दाखिल-खारिज के 30 और भूमि विवाद के मात्र दो मामलों का निष्पादन किया गया।
जाहिर है कि मुख्य सचिव और डीएम के निर्देश के बाद भी डीसीएलआर पूर्वी ने कार्यों का निष्पादन करने में रुचि नहीं ली। इसे लापरवाही और वरीय अधिकारियों के आदेश की अवहेलना का मामला बताते हुए डीएम ने उक्त कार्रवाई की है।
विवाद गहराता और न्याय मिलने में होती देरी:विदित हो कि सभी राजस्व न्यायालयों को ऑनलाइन कर दिया गया है। सप्ताह में चार दिन कोर्ट का कामकाज करने का विभागीय निर्देश है, लेकिन जो स्थिति सामने आई है, उससे स्पष्ट है कि जिम्मेदार इसमें लापरवाही बरत रहे हैं। विभागीय अधिकारियों के अनुसार, वाद लंबित रहने के कारण विवाद गहराता है और पीड़ितों को न्याय मिलने में देरी हो रही है।
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Sunil Chhetri comes out of retirement, will be back in the Indian football team from March 2025 - Hindustan Times
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सरकार ने की सख्ती तो 30 हजार लोगों ने खुद ही कर दिया विदेश में संपत्ति का खुलासा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगर विदेश में संपत्ति है तो भलाई इसी में है कि इसकी जानकारी सरकार को दे दें और उसके हिसाब से अपना इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) भरें। क्योंकि दुनिया के 125 देश भारत के साथ भारतीयों की वित्तीय संपत्ति व बैंक खाते की जानकारी साझा करने के लिए राजी हो गए हैं। पिछले साल सितंबर में 108 देशों ने वित्त मंत्रालय के साथ इस प्रकार की जानकारी साझा की।
इस आधार पर इनकम टैक्स विभाग ने उन टैक्सपेयर्स के लिए सख्ती से पहले जागरूकता अभियान चलाया ताकि वे अपनी मर्जी से अपनी विदेशी संपत्ति का खुलासा करते हुए रिवाइज्ड इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर दे। विदेश में संपत्ति रखने वाले 19,501 टैक्सपेयर्स को ई-मेल और एसएमई के माध्यम से उन्हें संपत्ति के खुलासे को लेकर संदेश भेजा गया।
टैक्सपेयर्स की विदेश में अच्छी खासी संपत्तिइन टैक्सपेयर्स की विदेश में अच्छी-खासी संपत्ति है या वहां के बैंकों में जमा रकम से उन्हें अच्छी आय हो रही है। इस प्रकार के अभियान का नतीजा यह हुआ 30,161 टैक्सपेयर्स ने यह स्वीकार लिया कि विदेश में उनकी संपत्ति है। सभी 30,161 टैक्सपेयर्स ने 29,208 करोड़ मूल्य की संपत्ति का खुलासा किया है।
1089 करोड़ की अतिरिक्त विदेशी आयइसके अलावा 1089 करोड़ की अतिरिक्त विदेशी आय की भी बात स्वीकारी है। 6,734 टैक्सपेयर्स ने तो अपना आवासीय पता बदलते हुए खुद का अनिवासी करार दे दिया है। वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक इन 30 हजार टैक्सपेयर्स में से 24,678 अपने आईटीआर की समीक्षा कर रहे हैं तो 5483 टैक्सपेयर्स मूल्यांकन वर्ष 2024-25 के लिए देरी के साथ अपना रिटर्न भर रहे हैं।
विदेशी संपत्ति बताने वालों की लगातार बढ़ रही संख्या- इनकम टैक्स विभाग के प्रयास से स्वैच्छिक रूप से अपनी विदेशी संपत्ति का खुलासा करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मूल्यांकन वर्ष 2021-22 में 60,000 टैक्सपेयर्स ने स्वैच्छिक आधार पर अपनी विदेशी संपत्ति का खुलासा किया था। मूल्यांकन वर्ष 2024-25 में 2,31,452 टैक्सपेयर्स ने विदेश में संपत्ति का स्वैच्छिक खुलासा किया है।
- विभागीय सूत्रों के मुताबिक किसी की अघोषित संपत्ति या आय का पता लगने पर विभाग पहले उन्हें खुद संपत्ति की घोषणा करने और उसके हिसाब से इनकम टैक्स चुकाने का मौका देता है। सरकार पहले टैक्सपेयर्स पर भरोसा और फिर उनकी पड़ताल की नीति अपना रही है।
टैक्स विशेषज्ञों के मुताबिक इनकम टैक्स विभाग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से आपकी हर आर्थिक गतिविधियों पर नजर रख रहा है। इस क्रम में अपनी आय व संपत्ति को छिपाने वालों को विभाग पहले अपनी गलती सुधारने का मौका देता है और उन्हें एसएमएस या ई-मेल से अलर्ट किया जाता है। जिन्हें विभाग का यह संदेश समझ में आ जाता है, वे समय रहते टैक्स के मामले को निपटा लेते हैं।
वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में हुआ सहस्त्रनाम स्त्रोत पारायण; स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी बोले, 'हमारा देश सनातन भूमि'
जेएनएन, हैदराबाद। हैदराबाद के श्रीनिवास नगर स्थित श्रीगिरी प्रसन्ना वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के प्रांगण में देश की प्रगति, विश्व शांति और गरीब कल्याण के ध्येय से देश के वरिष्ठ संत स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी की अध्यक्षता में श्री ललिता सहस्त्रनाम स्त्रोत पारायण हजारों सुहासिनी महिलाओं के द्वारा किया गया।
स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने उपस्थित सभी सुहासिनी महिलाओं का पूजन किया और सभी के बीच साड़ी का वितरण किया। स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने उपस्थित लोगों से कहा की हमारा देश सनातन भूमि है, यहाँ हमेशा धर्म की रक्षा होगी। दक्षिण और काशी का पुराना रिश्ता है हमे इसको हर क्षण जीवंत रखना है।
स्वामी अभिषेक बोले- भारत ऋषियों की भूमिस्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा की भारत ऋषियों की भूमि है, यहाँ हमेशा समृद्धि रहेगी। स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा की माता ललिता से भारत के प्रत्येक नागरिक के संरक्षण और प्रगति हेतु प्रार्थना करता हूँ।
स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा की भारत विश्व शक्ति के रूप में उभरे यही प्रत्येक नागरिक की आकांक्षा है। स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा की सनातन का ध्वज हिमालय से ऊँचा रहे और भारत माता के वैभव का डंका दुनिया भर में बजता रहे, इसके लिए सभी लोगों को खूब मेहनत करना होगा।
स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा की आज भारत की प्रतिष्ठा पूरी दुनिया में बढ़ी है। इस अवसर पर युवा चेतना के राष्ट्रीय संयोजक रोहित कुमार सिंह, डॉ. अनंत लक्ष्मी, सुधाकर शर्मा, कराटे कल्याणी, श्रीदेवी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।
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किन वजहों से टल रहा बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव? देरी के लिए क्या दिए जा रहे तर्क, यहां पढ़िए डिटेल
नीलू रंजन, जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जनवरी में होने वाले भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए अभी और इंतजार करना पड़ सकता है। राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव में देरी और 21 से 23 मार्च तक बेंगलुरू में होने जा रहे आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक को देखते हुए नए अध्यक्ष का चुनाव अप्रैल तक टलने की आशंका है।
प्रतिनिधि सभा की बैठक में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और संगठन महासचिव बीएल संतोष भी मौजूद रहेंगे। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए आधे से अधिक राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव होना जरूरी है। लेकिन अभी तक 12 राज्यों में ही प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो पाया है।
प्रदेश अध्यक्ष चुनावों के लिए नहीं तय की गई समय सीमाप्रदेश अध्यक्षों के चुनाव पूरा करने के लिए कोई समय-सीमा भी तय नहीं की गई है। यदि जल्दी भी प्रदेश अध्यक्षों के चुनाव कराये जाते हैं, तो उनकी तारीख तय करने और केंद्रीय पर्यवेक्षक भेजकर चुनाव संपन्न कराने में कम से कम 10-12 दिन का समय लग सकता है।
प्रदेश अध्यक्षों के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष का होगा चुनावपार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि आधे से अधिक राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू होगी, जिसे पूरा होने में लगभग 12-15 दिन लग जाएंगे। ऐसे में नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अप्रैल में ही संभव हो सकेगा।
आरएसएस की बैठक भी देरी की वजहराष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में आरएसएस की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक की वजह से देरी की आशंका जताई जा रही है। इस बैठक में भाजपा और आरएसएस के शीर्ष नेताओं के साथ-साथ 1500 से अधिक प्रतिनिधि मौजूद होंगे।
बेंगलुरु में होगी आरएसएस की बैठकइस बैठक की तैयारियों के सिलसिले में आरएसएस के वरिष्ठ अधिकारी 17 मार्च से ही बेंगलुरू में होंगे और 24 मार्च के बाद ही वापस लौट सकेंगे। वैसे तो राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर भाजपा और आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व के बीच कई दौर का संपर्क हो चुका है। लेकिन नए अध्यक्ष के चुनाव के पहले सलाह-मश्विरा की जरूरत पड़ेगी, जो 24 मार्च के बाद ही संभव हो सकेगा।
हिंदू नववर्ष का चुनाव से क्या कनेक्शन?वैसे नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में देरी के लिए एक तर्क हिंदू नववर्ष का दिया जा रहा है। हिंदू नववर्ष की शुरूआत चैत्र शुक्लपक्ष प्रतिपदा से होती है, जो इस साल 30 मार्च को है। महाकुंभ में 64 करोड़ लोगों से स्नान को हिंदू अस्मिता के जागरण से जोड़कर भाजपा अपने नए अध्यक्ष के चुनाव को जनवरी के बजाय हिंदू नव वर्ष के पहले महीने के साथ जोड़ना चाहती है।
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