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कंज्‍यूमर फोरम का नया टूल, AI की मदद से बढ़ाएगा कस्‍टमर की ताकत; पूरी प्रोसेस यहां समझें

Dainik Jagran - National - March 3, 2025 - 3:47pm

डिजिटल डेस्‍क, नई दिल्‍ली। AI Chatbot for Consumer Complaints & Legal Aid in India: यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का दौर है। जहां एक तरफ यह लोगों की जिंदगी आसान कर रहा है तो वहीं विशेषज्ञ भविष्य में इसके खतरों को लेकर आगाह भी कर रहे हैं। भारत में भी बड़ी संख्या में एआई यूजर हैं। यहां अब एआई का इस्तेमाल लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए किया जा रहा है।

कस्टमर सर्विस से लेकर पब्लिक पॉलिसी तक एआई चैटबॉट कई पारंपरिक क्षेत्रों को स्मार्ट बना रहे हैं।  सवाल कैसे? आइए उपभोक्ताओं की समस्याओं के आंकड़े से आपको बताते हैं। एआई के जरिये संचालित प्‍लेटफॉर्म ने शिकायतों की संख्या में दस गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है।

उपभोक्ता की समस्याएं सुलझाने वाले एआई चैटबॉट पर अब आईआईटी बॉम्‍बे (Indian Institute of Technology Bombay) और एनएलएसआईयू बेंगलुरु (National Law School of India University University, Bengaluru) भी काम कर रहे हैं।  

आईआईटी बॉम्‍बे और एनएलएसआईयू ने मेटा (फेसबुक) के लार्ज लैंग्‍वेज मॉडल लामा 3.1 की मदद से एक नया चैटबॉट 'ग्राहक न्याय' बनाया है। 

जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जेन एआई) पर आधारित  यह चैटबॉट शिकायत दर्ज कराने में मदद तो करता ही है। साथ ही यह  शिकायतकर्ता के लिए कानूनी दस्तावेज, नोटिस और आवेदन तैयार कराने में भी मदद करता है।

कितने समय में तैयार हुआ?

उपभोक्ता मंत्रालय अभी उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनने और उनको समाधान देने के लिए एआई का इस्‍तेमाल कर रहा है। इसका असर यह हुआ है कि डिजिटल शिकायतों की संख्या बढ़ गई। यह प्रोजेक्‍ट साल 2023 में पहली बार शुरू किया गया था।

किसने तैयार किया यह चैटबॉट?

आईआईटी बॉम्बे के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य और उनकी की टीम ने यह चैटबॉट तैयार किया। वहीं  एनएलएसआईयू बेंगलुरु के असिस्टेंट प्रोफेसर

डॉ. राहुल हेमराजानी और उनकी टीम ने कानूनी पहलुओं को जोड़ते हुए इस चैटबॉट को प्रशिक्षित किया।  डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य  और डॉ. राहुल हेमराजानी के इस प्रोजेक्ट में उपभोक्ता मंत्रालय नॉलेज पार्टनर था।

एआई से उपभोक्‍ता समस्याओं में क्‍या बदला?

अब सवाल आता है कि आखिर उपभोक्ताओं की समस्याओं में एआई से क्या बदला? आइए आपको बताते हैं..

  • दिसंबर, 2015 देश में जहां 12,553 उपभोक्ताओं की शिकायत दर्ज होती थीं, वहीं अब यह संख्‍या बढ़कर 1,55, 138 हो गई।
  • साल 2023 में इन शिकायतों के समाधान देने में औसतन 66.26 दिन लते थे, जबकि 2024 में यह अवधि घटकर 48 दिन रह गई।
  • जिन कंपनियों के खिलाफ शिकायतें अधिक होती हैं, उनको  'कन्वर्जेंस पार्टनर' बनाया जाता है। 2017 में ऐसी कंपनियों की संख्‍या 263 थी, जो कि अब  1,038 हो गई हैं। एआई बेस प्रोजेक्‍ट शुरू होने के बाद ये कंपनियां उपभोक्ताओं की समस्याओं को प्राथमिकता दे पा रही हैं।

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देश में कितने लोग सरकारी पोर्टल यूज नहीं कर पाते?

कुछ सर्वे पर नजर डाले तो समझ आता है कि देश में 53 प्रतिशत से अधिक लोग ऐसे हैं, जो सरकारी पोर्टल का उपयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसे में एआई चैटबॉट उनकी मदद करेगा। हाल ही में गपशप प्‍लेटफॉर्म ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के साथ मिलकर जागृति एआई चैटबॉट लॉन्च किया है।

बता दें कि कानून के क्षेत्र में एआई 'न्‍याय गुरु' देश का पहला एआई आधारित लीगल चैटबॉट है। यह लोगों को न सिर्फ ऑनलाइन कानूनी सलाह देता है, बल्कि कानूनी तौर पर उनके अधिकारों को समझने में मदद भी करता है।

ग्राहक न्याय' कैसे यूज करें?
  • उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
  • होमपेज पर चैटबॉट का आइकन दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें।
  • एआई चैटबॉट के निर्देशों का पालन कर अपनी शिकायत दर्ज करें। आवश्यक विवरण भरें।
  • चैटबॉट आपकी शिकायत के आधार पर कानूनी दस्तावेज, नोटिस या आवेदन तैयार करने में सहायता करेगा।
  • अपनी शिकायत की स्थिति जानने और समाधान प्राप्त करने के लिए पोर्टल पर लॉगिन कर चेक करें।
  • 'ग्राहक न्याय' का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान प्रदान करना है।

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Source: 

उपभोक्‍ता मामले विभाग:

  • https://consumeraffairs.nic.in/hi/
  • https://consumerhelpline.gov.in/public/contact
  • https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2086980

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Trump invites freed Israeli hostage

Business News - March 3, 2025 - 2:57pm
Categories: Business News

अवैध संबंध का शक और पत्नी की कर दी हत्या... केरल में पति बना हैवान, चाकू से हमला कर साथी को भी मौत के घाट उतारा

Dainik Jagran - National - March 3, 2025 - 2:34pm

डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। Kerala News केरल में एक हत्या का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां पथानामथिट्टा जिले के कलंजूर गांव में एक व्यक्ति ने चाकू से दो लोगों की हत्या कर दी। 

पत्नी पर करता था शक 

दरअसल, 32 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी पत्नी और उसके दोस्त को शक के आधार पर मौत के घाट उतार दिया। बैजू नाम के इस शख्स ने कथित तौर पर इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसे संदेह था कि दोनों का प्रेम-संबंध है। 

बैजू ने कथित तौर पर अपनी पत्नी वैष्णवी और उनके पड़ोसी विष्णु (32) के बीच मैसेज पर हुई चैट देखी और इसी बात ने उसे भड़का दिया।

पत्नी के दोस्त पर भी किया हमला

रिपोर्ट के अनुसार, कल रात बैजू और वैष्णवी के बीच झगड़ा हुआ और उसने उस पर हमला करने की कोशिश की। वह बचने के लिए विष्णु के घर भागी और उसने उसका पीछा किया और उस पर चाकू से हमला कर दिया। वैष्णवी की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद बैजू ने विष्णु पर चाकू से हमला कर दिया। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।

पुलिस ने मामला किया दर्ज

पुलिस ने बताया कि स्थानीय कूडल पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया गया है और बैजू को हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस की एक टीम ने आज सुबह ही घटनास्थल का दौरा किया, जहां उन्हें खून ही खून मिला। पुलिस ने कहा कि ये अपराध की क्रूर प्रकृति को दर्शाता है।

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Supreme Court: सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला, दृष्टिहीन लोग भी बन सकेंगे जज; रद्द हुआ ये पुराना नियम

Dainik Jagran - National - March 3, 2025 - 1:25pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दृष्टिहीन लोगों के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि दृष्टिहीन लोगों को भी न्यायिक सेवाओं में नियुक्ति का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि दृष्टिहीन लोग भी जज बन सकते हैं।

क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि, दिव्यांगता के आधार पर न्यायिक सेवाओं से किसी को भी बाहर नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा नियम को भी रद्द कर दिया है।

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा नियम को भी रद्द कर दिया है, जो दृष्टिहीन लोगों को न्यायिक सेवाओं में नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया में भाग लेने से रोक रहा था।

एक महिला ने दी थी चुनौती

मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा नियम को एक महिला द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गई थी। दरअसल, इस महिला का दृष्टिहीन बेटा न्यायपालिका में जाना चाहता था। जिस वजह से महिला ने कोर्ट को एक पत्र लिखा था।

'उसे वजन कम करने के लिए जेल में रहने दो...', वकील की अजीब दलील सुन भड़कीं सुप्रीम कोर्ट की जज; दिया ये आदेश

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