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आसमान से दुश्मन पर होगा तगड़ा वार, सेना को मिलेंगे 156 लड़ाकू हेलीकॉप्टर; 45 हजार करोड़ का है सौदा

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 2:30am

एएनआई, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल जल्द ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से थलसेना और वायु सेना के लिए 45,000 करोड़ रुपये के 145 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर खरीदने के सौदे को मंजूरी दे सकता है।

सीमाओं पर ऑपरेशन के लिए इन हेलीकॉप्टरों का होगा उपयोग

सूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर ऑपरेशन के लिए इन हेलीकॉप्टरों को खरीदने के मामले को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है। यह देश में रोजगार सृजन और एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।

सूत्रों ने बताया कि एचएएल को पिछले साल जून में 156 हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर के लिए निविदा मिली थी। विचार-विमर्श के बाद यह परियोजना अब अंतिम मंजूरी के लिए तैयार है। 156 हेलीकॉप्टरों में से 90 थलसेना के लिए होंगे, जबकि 66 भारतीय वायु सेना के लिए होंगे। इस संयुक्त खरीद के लिए भारतीय वायुसेना प्रमुख एजेंसी है।

हेलीकॉप्टर को प्रचंड के नाम से भी जाना जाता है

हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को प्रचंड के नाम से भी जाना जाता है। यह दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है जो 5,000 मीटर (16,400 फीट) की ऊंचाई पर उतर सकता है और उड़ान भर सकता है। इसकी यही खासियत इसे सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालन के लिए आदर्श बनाता है।

प्रचंड हवा से जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को दागने में भी सक्षम है और दुश्मन के हवाई रक्षा अभियानों को नष्ट कर सकता है। सरकार आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत मेक इन इंडिया के माध्यम से रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के इरादे पर जोर दे रही है।

स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के लिए सबसे बड़ा ऑर्डर

सरकार ने 83 हल्के लड़ाकू विमान सहित स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के लिए सबसे बड़ा ऑर्डर दिया है। साथ ही 97 और विमानों का आर्डर करने की प्रक्रिया में है और इसके लिए बातचीत पूरी हो चुकी है।

65 प्रतिशत रक्षा उपकरण भारत में हो रहे निर्मित

सरकार ने घोषणा की है कि अब 65 प्रतिशत रक्षा उपकरण भारत में निर्मित होते हैं जबकि पूर्व में 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे। यह भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। 'मेक इन इंडिया' पहल के बाद से भारत का रक्षा उत्पादन बहुत तेज गति से बढ़ा है।

2023-24 में यह 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। रक्षा मंत्रालय द्वारा मंगलवार को साझा की गई फैक्ट शीट में बताया गया है कि भारत के विविध निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (डीओ-228) एयरक्राफ्ट, चेतक हेलीकॉप्टर, फास्ट इंटरसेप्टर बोट्स और हल्के टारपीडो शामिल हैं।

विशेष रूप से बिहार में बने जूतों का इस्तेमाल अब रूसी सेना द्वारा किया जा रहा है। यह तमाम चीजें भारत की उच्च निर्माण क्षमताओं को दर्शाती हैं

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तमिलनाडु में भाषा विवाद के बीच अमित शाह से मिले पलानीस्वामी, भाजपा-अन्नाद्रमुक में गठबंधन की चर्चा तेज

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 2:30am

 पीटीआई, नई दिल्ली। अन्नाद्रमुक महासचिव और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की। ऐसा कहा जा रहा है कि अन्नाद्रमुक राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के साथ दोबारा गठबंधन कर सकती है। यह जानकारी सूत्रों ने दी।

तमिलनाडु में हिंदी थोपे जाने समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई

सूत्रों के अनुसार, अन्नाद्रमुक के नेता ने शाह के साथ तमिलनाडु में हिंदी थोपे जाने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने इस पर अपनी पार्टी के विचारों को साझा किया। तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने भाजपा के राज्य नेतृत्व के साथ कुछ मतभेदों के बाद 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सितंबर 2023 में नाता तोड़ लिया था।

इससे पहले अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। उन्हें भाजपा की तमिलनाडु इकाई के प्रमुख के. अन्नामलाई की आक्रामक राजनीतिक शैली से उत्पन्न स्थिति से अवगत कराया था। अन्नाद्रमुक नेताओं ने द्रविड़ नेता सीएन अन्नादुरई पर की गई टिप्पणी के लिए अन्नामलाई से माफी मांगने या उन्हें हटाने की मांग की थी।

अन्नामलाई ने अन्नाद्रमुक की आलोचना कम कर दी है

अन्नामलाई ने पिछले कुछ समय से अन्नाद्रमुक की आलोचना कम कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि अन्नाद्रमुक और भाजपा में फिर से गठबंधन होता है तो वे राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक नीत आइएनडीआइए गठबंधन को कड़ी चुनौती देंगे। विगत कुछ वर्षों में राज्य में अन्नाद्रमुक के वोट शेयर में गिरावट आई है।

स्टालिन के हिंदी थोपने के बयान से उनका गुप्त एजेंडा आया सामने : अन्नामलाई

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के आरोपों को खारिज करते हुए राज्य भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लेखित तीन भाषा नीति का उद्देश्य छात्रों को कई भाषाएं सीखने का अवसर प्रदान करना है। यह ¨हदी थोपने का प्रयास नहीं है।

एक्स पर अन्नामलाई ने कहा कि नीति को हिंदी थोपने के प्रयास के रूप में गलत तरीके से पेश कर मुख्यमंत्री ने डीएमके के छिपे हुए एजेंडे को सामने ला दिया है। उनकी बातों से लगता है कि केवल वे लोग ही कई भाषाएं सीख सकते हैं जिनके पास पैसा है।

अन्नामलाई ने कही ये बात

स्कूल शिक्षा विभाग के नीति नोट का हवाला देते हुए अन्नामलाई ने बताया कि तमिलनाडु सरकार ने स्वयं संस्कृत और अन्य भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण धन आवंटित किया था।

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एक देश-एक चुनाव बिल संविधान की किसी विशेषता को प्रभावित नहीं करता, अटार्नी जनरल ने संसदीय समिति के सामने रखे विचार

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 2:30am

 पीटीआई, नई दिल्ली। अटार्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी ने मंगलवार को एक संसदीय समिति को बताया कि एक देश-एक चुनाव के विधेयक संविधान की किसी भी विशेषता को प्रभावित नहीं करते और कानून की दृष्टि से सही हैं।

प्रस्तावित कानूनों में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं

सूत्रों ने बताया, संसद की संयुक्त समिति के समक्ष पेश हुए कुछ विधि विशेषज्ञों ने संविधान संशोधन विधेयक के कुछ पहलुओं पर कुछ सदस्यों की चिंताओं को साझा किया, लेकिन वेंकटरमणी ने कहा कि प्रस्तावित कानूनों में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है।

विपक्षी दलों ने विधेयकों की आलोचना करते हुए उन्हें संविधान का उल्लंघन करने वाला बताया है। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान में दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष डीएन पटेल ने अपने प्रस्तुतीकरण में ''एक देश-एक चुनाव'' प्रस्ताव के सकारात्मक पहलुओं के साथ-साथ चुनौतियों पर भी चर्चा की।

यह अवधारणा राष्ट्र के लिए अच्छी है

उन्होंने कहा कि यह अवधारणा राष्ट्र के लिए अच्छी है, लेकिन किसी भी प्रस्तावित कानून में हमेशा सुधार किया जा सकता है। पटेल ने नीतिगत निरंतरता, दीर्घकालिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बेहतर शासन, राजनीतिक दलों के प्रदर्शन का बेहतर आकलन करने की स्थिति में लोगों का जानकारी के साथ मतदान और लागत में कमी को सकारात्मक पहलू बताया।

हालांकि उन्होंने चुनौतियों में राज्य की स्वायत्तता पर संभावित प्रभाव के साथ संघवाद की चिंताओं व क्षेत्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दों के हावी होने के जोखिम को शामिल किया। उन्होंने कहा कि राज्यों के चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ कराने के लिए कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह विचार मौजूदा विधेयकों का हिस्सा नहीं है।

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने किया सवाल

जब पटेल ने एक साथ चुनाव के वैश्विक चलन का उल्लेख किया तो कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल किया कि क्या स्वीडन और बेल्जियम जैसे देशों की तुलना भारत से की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लाभों के बारे में सभी दावे ज्यादातर अनुमान हैं, क्योंकि कोई अध्ययन नहीं किया गया है।

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पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को मिली अहम जिम्मेदारी, नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 12:47am

पीटीआई, नई दिल्ली। पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को मंगलवार को नीति आयोग का पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किया गया। एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी।

झारखंड कैडर के 1982 बैच के आईएएस अधिकारी

झारखंड कैडर के 1982 बैच के आईएएस अधिकारी गौबा ने 2019 से अगस्त 2024 तक पांच साल तक देश के शीर्ष नौकरशाह के रूप में कार्य किया।

अधिसूचना में कही ये बात

अधिसूचना में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने राजीव गौबा, आईएएस (जेएच:1982) सेवानिवृत्त को तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्यों के लिए लागू समान नियमों और शर्तों पर नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दी है।

गौबा ने केंद्रीय गृह सचिव, शहरी विकास मंत्रालय में सचिव और झारखंड के मुख्य सचिव के रूप में भी कार्य किया है।

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सामाजिक सुरक्षा कवच कमजोर होने के विकसित देशों की धौंस को जल्द बंद करेगा भारत, मोदी सरकार ने बनाया मास्टर प्लान

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 12:05am

संजय मिश्र, नई दिल्ली। सामाजिक सुरक्षा के वैश्विक मानकों पर भारत के खरा न उतरने की दलील देकर विदेश में नौकरी करने वाले भारतीयों के भविष्य निधि फंड न देने से लेकर मुक्त व्यापार समझौते में सामाजिक सुरक्षा का प्रविधान हटा देने की विकसित देशों की धौंसगिरी अब ज्यादा लंबी नहीं चल पाएगी। भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज बीते कुछ वर्षों में दोगुनी बढ़त के साथ 48.8 प्रतिशत हो गया है।

इसके बाद केंद्र सरकार ने देशभर में जारी सामाजिक सुरक्षा की तमाम योजनाओं का डाटा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) के मानकों के अनुरूप एकत्र करने का अभियान शुरू किया है।

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने आइएलओ के साथ मिलकर सामाजिक सुरक्षा के आंकड़े जुटाने के इस अभियान में अब तमाम राज्यों में लागू सामाजिक सुरक्षा तथा कल्याण योजनाओं के डाटा को भी इसमें शामिल करने की पहल शुरू करने का फैसला किया है।

संगठित आंकड़ों के अभाव का फायदा उठे रहे अमेरिका जैसे देश

सरकार का मानना है कि भारत की सामाजिक सुरक्षा का कवरेज वर्तमान में 65 प्रतिशत है लेकिन संगठित आंकड़ों के अभाव में अमेरिका तथा अन्य विकसित देश इसका फायदा उठाने का प्रयास करते हैं। केंद्र सरकार की स्कीमों के अलावा राज्यों में महिलाओं, वृद्धों, विधवाओं को पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। लेकिन राज्यों की ऐसी पहल देश के सामाजिक सुरक्षा कवरेज के आंकड़ों का हिस्सा नहीं है।

इसके मद्देनजर ही श्रम मंत्राल ने आइएलओ के साथ मिलकर एक व्यापक डाटा-पुलिंग-एक्सरसाइज शुरू किया है। इसमें आधार को 34 प्रमुख केंद्रीय योजनाओं जैसे मनरेगा, ईपीएफओ, ईएसआइसी, अटल पेंशन योजना और पीएम-पोषण आदि में लाभार्थियों की पहचान के लिए इस्तेमाल किया गया। कुल 200 करोड़ रिकार्ड का विश्लेषण कर इसके विशिष्ट लाभार्थियों की पहचान की गई। श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि इस अध्ययन के अनुसार भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में है। इनमें से 48.8 प्रतिशत लोगों को नकद लाभ मिल रहे हैं।

आइएलओ के मानक आंकड़ों के हिसाब से 2021 के 24.4 प्रतिशत के मुकाबले भारत का सामाजिक सुरक्षा कवच 2024 में 48.8 प्रतिशत हो गया। यह वृद्धि इसलिए हुई क्योंकि अब उन सभी केंद्रीय योजनाओं को भी शामिल किया गया है, जिन्हें पहले नहीं गिना गया था। सुरक्षा मानकों की कसौटी पर खरा न उतरने को आधार बनाकर मुक्त व्यापार समझौते से सामाजिक सुरक्षा कवच के प्रविधान हटाए जाने के संबंध में पूछे जाने पर मंडाविया ने कहा कि अमेरिका जैसे देशों में भी वहां नौकरी करने वाले भारतीयों के भविष्य निधि के फंड यहां आने के बाद नहीं दिए जाते।

इसलिए मंत्रालय ने राज्यों में चलाई जा रही सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं का आंकड़ा आइएलओ के मानकों के अनुरूप जुटाने को लेकर चर्चा शुरू कर दी है।

उन्होंने कहा कि कई राज्यों में महिलाओं, विधवाओं, वृद्धों को नकद राशि हर महीने देने की योजनाएं चल रही हैं। केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना से इतर 16 राज्यों में संपूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा योजना लागू है। 12 करोड़ लोगों को आवास दिया जा चुका है और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है। खाद्य सुरक्षा जैसी योजनाओं के लाभ भी इसमें शामिल नहीं किए गए हैं।

राज्यों के साथ आंकड़े जुटाने को लेकर हुई बैठक

मंडाविया ने कहा कि यदि इन पहलुओं को जोड़ा जाए तो भारत की वास्तविक सामाजिक सुरक्षा कवरेज 65 प्रतिशत से अधिक होगी। जबकि, विकसित देशों में सामाजिक सुरक्षा 60 से लेकर 90 प्रतिशत तक है।

राज्यों के साथ आंकड़े जुटाने की इस पहल के तहत पहले चरण में 19 मार्च को एक हाइब्रिड बैठक हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों का चयन किया गया है।

इन राज्यों से केंद्र स्तर पर डाटा एकत्र कर सत्यापन और मिलान किया जाएगा। श्रम मंत्री ने कहा कि जेनेवा में आइएलओ की अगली बैठक में सामाजिक सुरक्षा के भारत के आंकड़ों को शामिल करने का मुद्दा वे स्वयं उठाएंगे।

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Bihar Politics: बिहार चुनाव को लेकर दिल्ली में हुई कांग्रेस की बैठक, RJD के साथ गठबंधन पर हो गया फाइनल फैसला

Dainik Jagran - March 25, 2025 - 11:33pm

राज्य ब्यूरो, पटना। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को दिल्ली में कांग्रेस मुख्यालय इंदिरा भवन में बिहार कांग्रेस के नेताओं के साथ उच्च स्तरीय बैठक की।

बैठक में केसी वेणुगोपाल, मीरा कुमार, तारिक अनवर, रंजीत रंजन, कृष्णा अल्लावारू, राजेश कुमार के साथ डा. अखिलेश प्रसाद सिंह, डॉ. शकील अहमद, मदन मोहन झा समेत दूसरे नेता शामिल रहे।

बैठक में सहमति बनी है कि पार्टी बिहार में राजद व महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी और भाजपा-जदयू को पराजित करेगी।

बैठक में खरगे ने बिहार के नेताओं को टास्क सौंपा कि चुनावी वर्ष में पार्टी के नेता मुख्यालय से बाहर निकलें और जिले और विधानसभा क्षेत्र में समय बिताएं। जनता से संवाद करें। उन्होंने जोर दिया कि जनता के बीच जाए बगैर और उनकी समस्याओं को समझे बिना चुनाव में जीत संभव नहीं।

क्या बोले राहुल गांधी?

राहुल गांधी ने कहा कि युवाओं के पलायन, रोजगार, नौकरी, अपराध, भ्रष्टाचार को लेकर पार्टी नेता मुखर हो और प्रत्येक प्लेटफार्म पर इन मुद्दों को उठाएं। बैठक के दौरान उन्होंने बिहार के राजनीतिक हालातों पर भी पार्टी नेताओं से बात की।

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे ने नेताओं से कहा कि लोग आपसी बैर भूलकर संगठन की मजबूती के लिए कार्य करें और चुनाव जीतने के लक्ष्य के साथ अपनी तैयारियों में जुट जाएं।

बैठक में प्रो रामजतन सिन्हा, सुशील पासी, शाहनवाज आलम, देवेंद्र यादव, डॉ जावेद, मनोज कुमार, चंदन यादव, पूनम पासवान, तौकीर आलम सहित सभी विधायक और बिहार के वरिष्ठ नेतागण मौजूद रहें।

कांग्रेस बिहार में एकला चलो की राह पर है : राजेश लिलौटिया
  • अखिल भारतीय कांग्रेस अनुसूचित जाति (एससी) विभाग के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेश लिलौटिया पटना में आयोजित दलित युवा संवाद कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे गए हैं।
  • कार्यक्रम का आयोजन कांग्रेस के एससी विभाग ने किया है। पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान राजेश लिलौठिया ने कहा कि कांग्रेस बिहार में एकला चलो की राह पर है।
  • कांग्रेस ने बिहार में बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में पूरे अपने कार्यकर्ताओं और पूरे विंग को लगा दिया है। एक तरफ दिल्ली में राहुल गांधी बड़े नेताओं के साथ बैठक कर रहे हैं।
  • वहीं कल, कांग्रेस पटना में दलित सम्मेलन करने जा रही है। उन्होंने चिराग पासवान पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग दलित की राजनीति करते हैं, लेकिन भाजपा की गोद में जाकर बैठ गए हैं।
  • फिर ये दलित की राजनीति कैसे कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी हमेशा चुनाव हो या चुनाव नहीं हो दलितों के लिए खड़ी रहती है और आगे भी खड़ी रहेगी।

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ESIC कर्मचारियों को मिली बड़ी सौगात, अब आयुष्मान भारत पैनल अस्पतालों में भी होगा इलाज

Dainik Jagran - National - March 25, 2025 - 10:15pm

संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। आयुष्मान भारत पैनल में शामिल देश भर के 24000 से अधिक अस्पतालों में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के लाभार्थी संगठित क्षेत्र के कामगारों तथा उनके आश्रितों को इलाज की सुविधा जल्द मिलेगी।

श्रम मंत्रालय ने ईएसआईसी के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर तथा सुलभ बनाने के लिए आयुष्मान भारत पैनल के अस्पतालों में ईएसआईसी योजना के लाभार्थियों को कैशलेस इलाज की सुविधा का रास्ता खोलने के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है। सामाजिक सुरक्षा के साथ संगठित क्षेत्र के कामगारों तथा उनके आश्रितों के स्वास्थ्य चुनौतियों का बेहतर समाधान निकालने के लिए आयुष्मान भारत के अस्पतालों को ईएसआईसी से जोड़ने का यह निर्णय लिया जा रहा है।

अब कामगारों को मिलेगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधा

आयुष्मान भारत पैनल में शामिल अस्पतालों को ईएसआईसी से जोड़े जाने के प्रस्ताव की पुष्टि करते हुए केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि दूर-दराज तथा छोटे शहरी इलाकों में संगठित क्षेत्र के कामगारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए श्रम मंत्रालय की ओर से वे जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय करेंगे। ईएसआईसी के तहत मार्च 2024 तक 3.72 करोड़ संगठित क्षेत्र के कामगार हैं और उनके आश्रितों को मिलाकर कुल 14.44 करोड़ लाभार्थी कवर किए गए हैं।

क्या बोले केंद्रीय मंत्री?

मंडाविया ने कहा कि वर्तमान आंकड़ों के अनुसार एक कामगार के परिवार की औसत संख्या 3.88 है। इस हिसाब से लाभार्थियों की संख्या 14 करोड़ से ज्यादा है। चूंकि आयुष्मान भारत पैनल में शामिल अस्पतालों को स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार के मानकों के हिसाब से पैनल में सूचीबद्ध किया है, इसलिए ईएसआईसी से इन्हें जोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है।

श्रम मंत्रालय के इस फैसले के बाद संगठित क्षेत्र के कामगारों-लाभार्थियों के लिए देश के करीब 31000 सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज का रास्ता खुल जाएगा जिसमें 150 से अधिक ईएसआईसी के अस्पताल तथा 1600 डिस्पेंसरी भी शामिल हैं।

लाभार्थियों के चिकित्सा खर्च की सीमा नहीं होगी

श्रम मंत्री ने साफ किया कि ईएसआईसी के तहत आयुष्मान भारत पैनल में शामिल अस्पतालों में इलाज के लिए किसी तरह की कैपिंग नहीं होगी। यानि लाभार्थियों के लिए चिकित्सा खर्च पर कोई सीमा नहीं होगी और सारा खर्च ईएसआइसी वहन करेगा। आयुष्मान भारत के तहत पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है और वर्तमान में करीब 60 करोड़ लोगों को केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ मिल रहा है।

UP के इन 15 जिलों के कामगारों को भी मिलेगी सुविधा
  • ईएसआईसी के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं के लाभ से वंचित उत्तरप्रदेश के 15 जिलों के संगठित क्षेत्र के कामगारों को इस दायरे में लाने की श्रम मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दी।
  • केंद्र सरकार के इस फैसले के साथ ही अब उत्तरप्रदेश के 75 में से 74 जिले ईएसआईसी की स्वासथ्य सुविधाओं के दायरे में आ गए हैं। सूबे का अब केवल एक जिला बांदा अब ईएसआईसी सुविधा के दायरे से बाहर है।
  • केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने ईएसआईसी के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं का कवरेज बढ़ाने की दिशा में उत्तरप्रदेश के 15 जिलों को दायरे में लाए जाने को अहम करार दिया। उनके अनुसार देश के 689 जिलों में ईएसआइसी योजना पूरी या आंशिक तौर पर अधिसूचित है। जबकि 104 जिलों में अब तक यह योजना लागू नहीं थी।
  • उत्तरप्रदेश के 15 जिलों को शामिल किए जाने के बाद अब देश में 89 जिले ईएसआईसी सुविधा के लिए अधिसूचित नहीं हैं और श्रम मंत्रालय अगले दो साल में बाकी बचे इन जिलों में ईएसआईसी कवरेज में लाया जाएगा। उत्तरप्रदेश में अब कुल 74 जिलों में पूर्ण रूप क्रियान्वयन के बाद इसका सूबे में संगठित क्षेत्र के कामागारों तथा उनके परिवारों को स्वास्थ्य सुविधा का फायदा मिलेगा। लाभार्थियों की यह संख्या करीब 1.16 करोड़ है।
  • ईएसआईसी कवरेज के लिए अधिसूचित उत्तरप्रदेश के 15 जिलों के नाम: अंबेडकर नगर, औरैया, बहराईच, गोंडा, हमीरपुर, जालौन, कन्नौज, महाराजगंज, महोबा, पीलीभीत, सिद्धार्थनगर, शामली, प्रतापगढ़, कासगंज और श्रावस्ती
क्या है ईएसआईसी?

ईएसआइसी एक बहुआयामी सामाजिक सुरक्षा योजना है। यह योजना संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। योजना के तहत बीमारी, मातृत्व और विकलांगता की स्थिति में बीमित कर्मचारियों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा मिलती है। देश भर में ईएसआईसी के 150 से ज्यादा अस्पताल हैं। यहां सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों तक का इलाज होता है।

ईएसआई के लिए कौन पात्र है?

ईएसआई के तहत उन कर्मचारियों को कवरेज मिलता है, जिनका मासिक वेतन 21,000 रुपये प्रति माह या इससे कम है। दिव्यांग कर्मचारियों के लिए यह सीमा 25,000 रुपये है। पात्र कर्मचारियों को ईएसआईसी योजना में नामांकित करना नियोक्ता की जिम्मेदारी होती है।

कर्मचारी और नियोक्ता करते हैं योगदान ईएसआई योजना एक स्व वित्त पोषित कार्यक्रम है। इसके लिए नियोक्ता और कर्मचारी दोनों योगदान करते हैं। इसमें कर्मचारी अपने वेतन का 1.75 प्रतिशत और नियोक्ता कर्मचारी के वेतन का 4.75 प्रतिशत के बराबर योगदान करता है।

नौकरी बदलने पर नहीं बदलता बीमा नंबर

इस योजना की एक विशेषता यह है कि जब तक कर्मचारी ईएसआई वेतन सीमा के अंदर रहता है, तब तक उसका बीमा नंबर वही रहता है। नौकरी बदलने से कर्मचारी की बीमा स्थिति प्रभावित नहीं होगी और उसका बीमा नंबर वही रहता है।

ईएसआइ के फायदे?

बीमित कर्मचारी और उसके परिवार को पूरी चिकित्सा देखभाल की सुविधा मिलती है-बीमित कर्मचारी या उसके परिवार के इलाज पर खर्च की कोई सीमा नहीं है।

  • 120 रुपये मासिक प्रीमियम पर रिटायर कर्मचारी और जीवनसाथी को भी मिलती है इलाज की सुविधा।
  • हर वर्ष अधिकतम 90 दिनों की बीमारी की अवधि के दौरान वेतन का 70 प्रतिशत नकद मुआवजा मिलता है।
  • महिलाओं को प्रसव/ गर्भावस्था के दौरान 26 सप्ताह के लिए मातृत्व अवकाश मिलता है।
  • वेतन के 90 प्रतिशत की दर से अस्थाई विकलांगता का लाभ मिलता है।
  • कर्मचारी की काम के दौरान मौत होने पर आश्रितों को वेतन के 90 प्रतिशत की दर से मिलता है मासिक भुगतान।
  • 4.81 करोड़ है ईएसआइ लाभों के लिए बीमित कर्मचारियों की संख्या।
  • 22.93 लाख संस्थान पंजीकृत हैं ईएसआईसी के तहत 165 है ईएसआई अस्पतालों की संख्या।

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