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'मौत से पहले दिए संदिग्ध बयान पर दोषी ठहराना असुरक्षित', SC ने पत्नी की हत्या के आरोपी पति को किया बरी

Dainik Jagran - National - March 12, 2025 - 8:02pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रमाणित साक्ष्य के अभाव में मृत्युपूर्व संदिग्ध बयान के आधार पर किसी को दोषी ठहराना सुरक्षित नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने इसके साथ अपनी पत्नी की हत्या के मामले में एक व्यक्ति को बरी कर दिया है।

मौत से पहले दिया गया बयान अहम

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि मृत्यु पूर्व दिया गया बयान महत्वपूर्ण साक्ष्य होता है और केवल इसी के आधार पर दोषसिद्धि की जा सकती है, क्योंकि आपराधिक कानून में इसका अत्यधिक महत्व है। पीठ ने कहा, 'हालांकि, इस बात का विश्वास मृत्युपूर्व बयान की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और मामले में संपूर्ण तथ्यों पर विचार करने के बाद ही किया जाना चाहिए।'

पति को अदालत ने किया बरी

शीर्ष अदालत ने सितंबर 2008 में पत्नी को जलाकर हत्या करने के मामले में दोषी ठहराए गए व्यक्ति को बरी कर दिया। पीठ ने कहा कि निचली अदालत ने उसकी पत्नी के मृत्युपूर्व बयान के आधार पर उसे दोषी ठहराया था। पीठ ने कहा कि ऐसे मामलों में सावधानीपूर्वक कार्य करने की आवश्यकता है। जांच में दहेज उत्पीड़न के पहलू को भी खारिज कर दिया गया था।

महिला ने दिए थे अलग-अलग बयान

अभियोजन पक्ष के अनुसार, पति द्वारा आग लगाने के तीन सप्ताह बाद महिला की अस्पताल में मौत हो गई थी। यह दंपती अपने नाबालिग बेटे के साथ तमिलनाडु के तूतीकोरिन में रहता था।

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि अस्पताल में महिला ने पुलिस को बताया था कि किचन में दुर्घटनावश आग लग गई थी। हालांकि तीन दिन बाद पुलिस ने महिला का एक और बयान दर्ज किया था। इसमें उसने दावा किया था कि उसके पति ने मिट्टी का तेल डालकर आग लगाई थी।

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Bihar Bhumi: जमीन मालिकों के लिए खुशखबरी, बढ़ सकती है डेक्लेरेशन और वंशावली जमा करने की तारीख

Dainik Jagran - March 12, 2025 - 7:47pm

राज्य ब्यूरो, पटना। राज्य में जमीन सर्वे (Bihar Land Survey) को लेकर पोर्टल पर स्वघोषणा और वंशावली अपलोड किया जाना है, लेकिन प्रमंडलों से सर्वर में गड़बड़ी की सूचना मिल रही है। इसके मद्देनजर सर्वर की गड़बड़ी की रिपोर्ट प्रमंडलों से मंगायी जा रही है। उसके बाद तिथि बढ़ायी जाने के संबंध में निर्णय लिया जाएगा। अभी इसकी अंतिम तिथि 31 मार्च 2025 तय है।

बिहार में भूमि सर्वे की प्रक्रिया दिसंबर 2026 तक पूरी करने का लक्ष्य रखा गया है। अगर भूमि सर्वे, दाखिल खारिज या राजस्व संग्रहण आदि कार्यों में भ्रष्टाचार संबंधित शिकायत मिली तो भ्रष्ट कर्मचारियों और पदाधिकारियों के साथ बिचौलिए पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। ऐसे मामलों में सरकार के तंत्र के माध्यम से नजर रखी जा रही है।

बुधवार को राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने यह बात विधानसभा में कही। वे वर्ष 2025-26 के विभागीय बजट मांग पर चर्चा के उपरांत उत्तर दे रहे थे। सरकार के उत्तर से असंतुष्ट विपक्ष ने बहिष्कार किया। विधानसभा अध्यक्ष नंदकिशोर यादव ने सदन की सहमति से विभाग का 1955 करोड़ 98 लाख 70 हजार रुपये का बजट मंजूरी दी।

जनशिकायतों पर 153 मामलों में की गई कार्रवाई

उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में अंचलाधिकारी और राजस्व अधिकारी के विरुद्ध 775 शिकायतें मिली थी, जिसमें से 153 पर कार्रवाई की जा चुकी है और 322 पर कार्रवाई की जा रही है। ऐसे में कुछ बिचौलिए और अधिकारी लोभवश भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे सकते हैं। ऐसे लोगों को मैं चेतावनी देना चाहता हूं कि मेरी नजर ऐसे भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों पर भी है और सरकारी तंत्र बिचौलिए पर भी सतत निगरानी कर रहा है।

3559 राजस्व कर्मचारी व 402 अमीन की नियुक्ति जल्द

मंत्री संजय सरावगी ने कहा कि जिला स्तरीय संवर्ग में राजस्व कर्मचारी के कुल 8463 पद स्वीकृत है। इसके विरुद्ध 4904 कर्मी कार्यरत है, जबकि 3559 पद रिक्त है। इन रिक्तियों पर नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी करने हेतु बिहार राज्य कर्मचारी आयोग को अधियाचना भेजी गई है।

इसी तरह 1802 अमीन के पद स्वीकृत है जिसके विरुद्ध 1400 अमीन कार्यरत हैं। शेष 402 रिक्त पदों पर अमीन की नियुक्ति प्रक्रियाधीन है। वर्ष 2023 में कुल 1761 अमीनों की नियुक्ति की गयी।

कर्मचारी और अधिकारियों की कमी दूर करने लिए तैयारी

उन्होंने कहा कि बिहार राजस्व सेवा के तहत मूल कोटि के पद राजस्व अधिकारी एवं समकक्ष ग्रेड में स्वीकृत बल 1603 के विरूद्ध वर्तमान में कार्यरत बल 906 है। इस वित्तीय वर्ष में कुल 168 अभ्यर्थियों को राजस्व अधिकारी एवं समकक्ष पद पर नियुक्त किया गया है। बीपीएससी की 70वीं संयुक्त प्रतियोगिता परीक्षा के लिए 287 पदों कीअधियाचना की गयी है।

जल्द शुरु होगा ऑनलाइन कांप्लेन मैनेजमेंट सिस्टम

मंत्री ने कहा कि आनलाइन दाखिल-खारिज, ऑनलाइन भू-लगान, ऑनलाइन भू-स्वामित्व प्रमाण-पत्र, परिमार्जन प्लस पोर्टल, आनलाइन जमाबंदी, ई-मापी, भूमि पर अवभार अभिलेखन से सम्बन्धित पोर्टल का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। रेखाचित्र भूमि दाखिल-खारिज संबंधित पोर्टल, ऑनलाइन कांप्लेन मैनेजमेंट सिस्टम और काल सेंटर का कार्य प्रारंभ जल्द ही कर दिया जाएगा।

1.32 करोड़ मामलों का निष्पादन

मंत्री ने कहा कि सात फरवरी 2025 तक आनलाइन माध्यम से दाखिल खारिज के लिए 1.35 करोड़ याचिकाएं दायर की गईं, जिनमें 1.32 करोड़ मामलों का निष्पादन किया गया। जो कुल निष्पादन का 98.03 प्रतिशत है। शेष याचिकाओं के निष्पादन की कार्रवाई की जा रही है। छह फरवरी 2025 तक डिजिटाइज्ड जमाबंदी पंजी में सुधार के लिए कुल प्राप्त 12.06 लाख शिकायतों में से 9.42 लाख शिकायतों का निपटारा किया जा चुका है।

गजेटियर कम एटलस ऑफ वाटर बॉडीज ऑफ बिहार का होगा प्रकाशन

मंत्री ने कहा कि जल-जीवन-हरियाली कार्यक्रम के तहत जल के संरक्षण हेतु जल निकायों से संबंधित गजेटियर कम एटलस आफ वाटर बाडीज आफ बिहार का प्रकाशन करने का निर्णय लिया गया है। इसमें राज्य के जल स्त्रोतों के वैज्ञानिक मानचित्रण के साथ ही संबंधित जिलों के ऐतिहासिक, भौगोलिक, सामाजिक एवं आर्थिक गतिविधियों का विवरण रहेगा।

हाईलाइटर
  • 20 अगस्त 2024 में 45 हजार राजस्व गांवों में भूमि सर्वे की प्रक्रिया हुई शुरू
  • अभी तक भूमि सर्वेक्षण की मियाद जुलाई 2026 तक तय थी
  • अभी 31 मार्च 2025 तक वंशावली एवं स्व-घोषणा के आवेदन की तिथि है
  • अगस्त 2024 से शुरू हुआ बिहार में भूमि सर्वेक्षण का काम
  • सभी 537 अंचलों में ऑनलाइन दाखिल-खारिज एवं आवेदन से दस्तावेज जमा करने की व्यवस्था
  • रैयतों को मिले राहत, भूमि विवाद कम करने की दी जा रही प्राथमिकता

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Silver ETFs gain traction as AUM crosses Rs 13,500 cr within 3 years of launch

Business News - March 12, 2025 - 7:41pm
Silver exchange traded funds (ETFs) have gained massive popularity since the introduction back in 2021 with the AUM (assets under management) crossing Rs 13,500 crore mark as of January 2025. There are about 12 Silver ETFs with more than 6 lakh investor folios, according to Zerodha fund house.An ETF is a type of investment fund that trades on stock exchanges, similar to individual stocks. It typically holds a diversified portfolio of assets such as stocks, bonds, or commodities, and aims to track the performance of a specific index, sector, or asset class. ETFs offer investors liquidity, diversification, and lower fees compared to traditional mutual funds, making them a popular choice for both passive and active investment strategies.The strong growth in demand for Silver ETFs was on the back of strong demand for the metal itself, which has reportedly outpaced its supply.According to the estimates by ‘The Silver Institute’, the overall industrial demand for Silver has increased by more than 55% driven by its applications across various industries, including automotive, technology, pharmaceuticals, and solar energy.Silver is both a valuable commodity and a crucial component in various industries, including solar energy and automotive manufacturing. Its diverse applications range from industrial uses to jewellery, digital photography and investments.The metal is also used in manufacturing and industrial fabrication since it does not corrode and has good thermal properties.Talking about the historical transaction volumes of Silver ETFs, Vaibhav Jalan, CBO of Zerodha Fund House said, “The increasing transaction volumes of silver ETFs are a clear indication of growing investor interest."These ETFs offer an alternative to physical silver ownership, addressing concerns about storage, security, and insurance while providing access to silver's price movements,” he said.As investors seek diversification and exposure to commodities, Silver ETFs provide a simple and hassle free way to take exposure to this precious metal."Silver has the potential to play a role in both investment portfolios and modern industries. Silver ETFs are a valuable tool to diversify one’s portfolios and capitalize on the metal's unique characteristics," Vishal Jain of Zerodha Fund House said.
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PM Awas Yojana: नीतीश सरकार ने 6 लाख परिवारों को होली से पहले दी खुशखबरी, पीएम आवास की 3 किस्त जारी

Dainik Jagran - March 12, 2025 - 7:28pm

राज्य ब्यूरो, पटना। प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष (2024-25) में बिहार को कुल 790648 आवास का लक्ष्य निर्धारित है। उसके विरुद्ध 6,21,020 परिवारों के लिए आवास की स्वीकृति दी जा चुकी है।

उनमें से 238693 को पहली किस्त, 190410 को दूसरी किस्त और 16514 को तीसरी किस्त की राशि जारी हो चुकी है। बुधवार को विधानसभा में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने इसकी जानकारी दी।

अमरेंद्र प्रताप सिंह के तारांकित प्रश्न के उत्तर में मंत्री ने बताया कि राज्य में प्रतिदिन औसतन 326 प्रधानमंत्री आवासों का निर्माण किया जा रहा है। समय-सीमा के अंदर आवास पूर्ण करने पर ग्रामीण आवास सहायकों को 600 रुपये प्रोत्साहन स्वरूप दिए जाते हैं। ग्रामीण आवास सहायक अपने मूल पदस्थापित पंचायत में बुधवार को और अतिरिक्त प्रभार वाले पंचायत में शुक्रवार को आवास दिवस का आयोजन करते हैं।

उन्होंने बताया कि जिन्हें आवास आवंटित है और और वे किन्हीं कारणों से घर से बाहर हैं तो पदाधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि उनका फोन नंबर आदि का पता लगाएं। संपर्क होने के बाद उन्हें बुलाकर आवास निर्माण की पहल होगी। वैसे लाभुक, जिनका निधन आवास आवंटित होने के बाद हो गया है, वह आवंटन उनके आश्रितों के नाम पर कर दिया जाएगा।

19495 के विरुद्ध नीलाम-पत्र:

श्रवण कुमार ने बताया कि राशि लेकर समय से आवास बनाने वाले 82441 लाभुकों के विरुद्ध सफेद नोटिस जारी हुआ है। 67733 लाभुकों के विरुद्ध लाल नोटिस और 19495 के विरुद्ध नीलाम-पत्र दाखिल किया गया है।

पांच वर्षों के दौरान 41822 आवास अपूर्ण:

मंत्री ने बताया कि पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान 41822 आवास अपूर्ण हैं। वित्तीय वर्ष 2016-17 से लेकर 2021-22 तक प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत बिहार में 3701138 आवासों का लक्ष्य मिला था। उनमें से अभी तक 3700696 आवासों की स्वीकृति दी गई है।

3699740 आवास के लिए पहली किस्त और 3668581 के लिए दूसरी किस्त दी जा चुकी है। 3651824 आवासों के निर्माण के लिए तीसरी किस्त की राशि जारी कर दी गई है।

पंचायत तकनीकी सहायक के वेतनमान पर विचार हेतु समिति गठित

पंचायत तकनीकी सहायक के मानदेय के संदर्भ में विचार के लिए ग्रामीण विकास विभाग के स्तर पर एक समिति गठित की गई है। इस समिति की रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद सरकार उचित निर्णय लेगी। ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बुधवार को विधानसभा में यह जानकारी दी।

डुमरांव के विधायक अजीत कुमार सिंह के तारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए श्रवण ने बताया कि पंचायत तकनीकी सहायक बिहार ग्रामीण विकास सोसायटी (बीआरडीएस) के अंतर्गत नियोजित हैं। पंचायत तकनीकी सहायक, ग्रामीण आवास पर्यवेक्षक और लेखापाल को एल-8 में रखा गया है।

वर्तमान में बीआरडीएस के अंतर्गत कार्यरत पदाधिकारियों और कर्मियों के मानदेय पुनरीक्षण का काम प्रक्रियाधीन है। इसके साथ ही फरवरी, 2025 से पंचायत तकनीकी सहायकों के वेतन से कर्मचारी भविष्य निधि की राशि की कटौती भी हो रही।

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Latest lending rates in March 2025

Business News - March 12, 2025 - 5:46pm
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मार्च में ही हीटवेव का रेड अलर्ट, इस साल लम्बा रह सकता है गर्मी का मौसम

Dainik Jagran - National - March 12, 2025 - 5:35pm

नई दिल्ली, विवेक तिवारी। मौसम विभाग के मुताबिक मार्च के दूसरे सप्ताह में ही देश के कुछ हिस्सों में हीटवेव जैसी स्थिति बन गई है। गुजरात और राजस्थान के कुछ इलाकों में अधिकतम तापमान 40 से 42 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच रहा है। वहीं ओडिशा, विदर्भ, कोंकण और गोवा के अलग-अलग इलाकों में भी गर्म हवाएं चल रही हैं। 13 और 14 तारीख को विदर्भ में और 13-15 मार्च को ओडिशा में हीटवेव चलने की आशंका है। गुजरात के कुछ हिस्सों में हीटवेव को लेकर रेड अलर्ट भी घोषित किया गया है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के मुताबिक पिछली गर्मियों में भारत में (सभी राज्यों में अलग अलग दिनों को जोड़ कर) 536 हीटवेव के दिन दर्ज किए गए थे, जो 14 वर्षों में सबसे अधिक थे। वहीं हाल में देश के दस बड़े शहरों में किए गए अध्ययन में दावा किया गया है कि एक दशक में हर साल हीटवेव से औसतन 1116 मौतें हुईं। वैज्ञानिकों के मुताबिक हर साल बढ़ती गर्मी से आने वाले दिनों में हेल्थ इमरजेंसी जैसे हालात पैदा होंगे। इसके लिए हमें अभी से तैयारी करनी होगी। मौसम वैज्ञानिक इस साल गर्मी का मौसम लम्बा रहने की संभावना भी जता रहे हैं। देश के कई इलाकों में लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है।

गुजरात के कच्छ में नमक के कारोबार से जुड़े कारोबारी भरत रावल कहते हैं कि कच्छ में अचानक से तापमान 40 से 42 डिग्री तक पहुंच गया। इससे काफी मुश्किलें बढ़ गई हैं। ये असामान्य है। तापमान में आए इस बदलाव से बहुत से लोगों को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गुजरात के कई जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है। सुबह 11 बजे ही तापमान 38 से 39 डिग्री के करीब पहुंच जा रहा है। राजस्थान के कारोबारी और लघु उद्योग भारती के अध्यक्ष घनश्याम जी ओझा कहते हैं कि बाड़मेर और जैसलमेर में तापमान पहले ही 40 डिग्री के करीब पहुंच चुका है। वहीं राजस्थान के ज्यादारत हिस्सों में तापमान 37 से 38 डिग्री तक पहुंच रहा है। पिछले कुछ सालों से मार्च में इतना तापमान दर्ज किया जा रहा है। ये साफ तौर पर जलवायु परिवर्तन की ओर इशारा करता है। तापमान पर लगाम लगाने के लिए बड़े पैमाने पर नीति बनाने की जरूरत है।

वैज्ञानिकों को अपने अध्ययन में हीटवेव के प्रभाव के चलते दैनिक मृत्यु दर बढ़ने के पर्याप्त सबूत मिले हैं। लम्बे समय तक हीटवेव रहने पर मृत्यु दर में तेज वृद्धि देखी जाती है। अध्ययन में शामिल एनआरडीसी इंडिया के लीड, क्लाइमेट रेजिलिएंस एंड हेल्थ, अभियंत तिवारी कहते हैं कि हमने 2008 से 2019 के बीच देश के दस बड़े शहरों में अध्ययन किया। हमने पाया कि हर साल औसतन 1116 लोगों की हीटवेव के चलते जान गई। उन्होंने कहा कि हर साल बढ़ती गर्मी आने वाले समय में बड़ी मुश्किल पैदा कर सकती है। हमें इसके लिए आज से ही तैयारी करनी होगी। हीटवेव जैसी स्थिति में आम लोगों को राहत पहुंचाने के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है। वहीं दीर्घकालिक योजना पर भी काम करना होगा। बढ़ती गर्मी का असर इंसानों के साथ ही पशु-पक्षियों, इंडस्ट्री, अर्थव्यवस्था सभी पर पड़ता है। ऐसे में तत्काल उठाए जाने वाले कदमों में गर्मी को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य सुविधाएं सुनिश्चित करनी होंगी। बच्चे, बूढ़े और ऐसे लोग जिन्हें विशेषतौर पर देखभाल की जरूरत है, उनका ख्याल रखना होगा। दीर्घकालिक योजनाओं के तहत हमें ग्रीन कवर बढ़ाना होगा, जलाशयों की संख्या बढ़ानी होगी, कंक्रीट के इस्तेमाल को घटाना होगा। शहरों में गर्मियों में अर्बन हीटलैंड बन जाते हैं, वहां तापमान कम करने के लिए कदम उठाने होंगे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की पूर्व मुख्य वैज्ञानिक और स्वास्थ्य मंत्रालय की सलाहकार सौम्या स्वामीनाथन के मुताबिक भारत में हीटवेव से होने वाली मौतों पर पुख्ता आंकड़े नहीं हैं। ऐसे में भारत में गर्मी से संबंधित मौतों की संख्या संभवतः कम बताई जा रही है। उन्होंने कहा कि हीटवेव मृत्यु दर में बढ़ोतरी का बड़ा कारण बन रही है। भारत में व्यावहारिक रूप से हर कोई अब जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदनशील है, चाहे वह अत्यधिक गर्मी हो या वेक्टर जनित बीमारियाँ। भारत की 80 प्रतिशत से अधिक आबादी अब जलवायु-संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त है, जिनमें सांस संबंधी बीमारियों से लेकर कुपोषण तक शामिल हैं।

पांच दिन लगातार हीटवेव रहने पर 33.3 फीसदी तक बढ़ जाती हैं मौतें

भारत सहित दुनिया के कई वैज्ञानिकों की ओर से 'भारत में मृत्यु दर पर हीटवेव का प्रभाव' विषय पर 10 बड़े शहरों के डेटा पर अध्ययन किया गया। इन शहरों में दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद, पुणे, वाराणसी, शिमला और कोलकाता शामिल हैं। वैज्ञानिकों ने पाया कि किसी शहर में हीटवेव जैसी स्थितियां एक दिन दर्ज होती हैं तो दैनिक मृत्यु दर में 12.2% की वृद्धि होती। यदि हीटवेव की स्थिति लगातार दो दिन बनी रही तो दैनिक मृत्यु दर 14.7% तक बढ़ जाती है। तीन दिन लगातार हीटवेव रहने पर ये 17.8% तक बढ़ जाती है। लगातार पांच दिनों तक अत्यधिक गर्मी की स्थिति दर्ज की जाती है तो मृत्यु दर 33.3% तक बढ़ सकती है। भारत सरकार की ओर से संसद में 2023 में दिए गए आंकड़ों के मुताबिक 2023 में आंध्र प्रदेश, बिहार, दिल्ली, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में लू या हीटवेव से मौतें हुई। सबसे ज्यादा मौतें केरल में दर्ज की गईं। 2023 में 30 जून तक लू से 120 मौतें दर्ज की गईं, जो देश में ऐसी मौतों की सबसे ज्यादा संख्या है।

भारत में आने वाले समय में बढ़ सकती है मुश्किल

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में रामित देबनाथ और उनके सहयोगियों द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, भारत के कुल हिस्से का 90 फीसदी हीटवेव को लेकर बेहद खतरनाक जोन हैं। दिल्ली में रहने वाले सभी लोग हीटवेव के इस डेंजर जोन में हैं। रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में हीटवेव की वजह से देश में लोगों की कार्यक्षमता 15 फीसदी तक घट सकती है। यह 480 मिलियन लोगों के जीवन की गुणवत्ता कम कर सकती है। वहीं 2050 तक हीटवेव से निपटने के लिए सकल घरेलू उत्पाद का 2.8 प्रतिशत खर्च करना पड़ सकता है।

बढ़ रहे हीटवेव भरे दिन

इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंट और कनाडा की संस्था इंटरनेशनल डेवलपमेंट रिसर्च सेंटर की ओर से दिल्ली और राजकोट के लिए हीटवेव दिनों का विश्लेषण किया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2018 में दिल्ली में 49 दिनों तक हीट वेव दर्ज की गई जो 2019 में बढ़ कर 66 दिनों तक पहुंच गई जो एक साल में लगभग 35% की वृद्धि को दर्शाता है। वहीं 2001 से 2010 के आंकड़ों पर नजर डालें तो हीट वेव के दिनों में 51% की वृद्धि दर्ज हुई। राजकोट की बात करें तो 2001-10 के बीच कुल 39 दिन हीट वेव दर्ज की गई। वहीं ये संख्या 2011 से 2021 के बीच बढ़ कर 66 दिनों तक पहुंच गई।

इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंट के डिप्टी डायरेक्टर रोहित मगोत्रा के मुताबिक 21वीं सदी में हीट वेव की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ने की संभावना है। हाल ही में आई 6 वीं आईपीसीसी रिपोर्ट में पृथ्वी की सतह के 2.0 डिग्री फ़ारेनहाइट (1.1 डिग्री सेल्सियस) के आसपास गर्म होने पर चेतावनी दी गई है। इससे भविष्य में वैश्विक औसत तापमान और हीटवेव में वृद्धि होगी।

जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स जर्नल में छपे शोध के मुताबिक भारत और अन्य उष्णकटिबंधीय देशों में इस साल गर्मी के मौसम में तापमान और आर्द्रता के रिकॉर्ड तोड़ने की 68 प्रतिशत संभावना है। वहीं उत्तरी भारत में इस बार रिकॉर्ड गर्मी और उमस झेलने की संभावना 50 फीसद से ज्यादा है। वैज्ञानिकों ने वेट बल्ब तापमान के डेटा पर किए गए शोध के आधार पर ये दावा किया है। वेट-बल्ब तापमान की गणना हवा के तापमान और आर्द्रता के आधार पर की जाती है। यह मापता है कि गर्म और आर्द्र परिस्थितियों में पसीने से हमारा शरीर कितनी अच्छी तरह ठंडा होता है। गर्म-आर्द्र वातावरण में 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर गीले बल्ब का तापमान अपरिवर्तनीय गर्मी के चलते तनाव का कारण बन सकता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक गर्मी को लेकर उन्हें जिस तरह के परिणाम मिले हैं उस आधार पर इस साल हमें ज्यादा गर्म मौसम के लिए तैयार रहना होगा। वहीं पशुधन और फसलों की रक्षा के लिए भी समय रहते उचित कदम उठाने की जरूरत है। इस अध्ययन में शामिल कैलिफोर्निया बर्कले यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर विलियम बूस कहते हैं कि अल नीनो गर्मी और नम हवा को ऊपरी वायुमंडल में पंप करता है जो पृथ्वी की भूमध्य रेखा के चारों ओर फैल जाती है। वैश्विक औसत तापमान में लगातार वृद्धि अल नीनो के प्रभावों को बढ़ाती है। उन्होंने पिछले 45 साल के उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की गर्मी के आंकड़ों का भी इस्तेमाल अपने शोध में किया है। उन्होंने कहा कि 2023 के अंत में बेहद मजबूत अल नीनो' से पता चलता है कि उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में औसत दैनिक अधिकतम वेट-बल्ब तापमान लगभग 26.2 डिग्री सेल्सियस तक रह सकता है, जिसमें 68 प्रतिशत संभावना है कि इस क्षेत्र में 2024 की गर्मी के रिकॉर्ड टूट सकते हैं।

हीटवेव का ऐलान इन स्थितियों में होता है

आईएमडी का कहना है कि हीट वेव तब होता है, जब किसी जगह का तापमान मैदानी इलाकों में 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में 37 डिग्री सेल्सियस और पहाड़ी क्षेत्रों में 30 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। जब किसी जगह पर किसी ख़ास दिन उस क्षेत्र के सामान्य तापमान से 4.5 से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक तापमान दर्ज किया जाता है, तो मौसम एजेंसी हीट वेव की घोषणा करती है। यदि तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस अधिक है, तो आईएमडी इसे 'गंभीर' हीट वेव घोषित करता है। आईएमडी हीट वेव घोषित करने के लिए एक अन्य मानदंड का भी उपयोग करता है, जो पूर्ण रूप से दर्ज तापमान पर आधारित होता है। यदि तापमान 45 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है, तो विभाग हीट वेव घोषित करता है। जब यह 47 डिग्री को पार करता है, तो 'गंभीर' हीट वेव की घोषणा की जाती है।

जलवायु परिवर्तन के चलते पूरी दुनिया में गर्मी बढ़ी है। मौसम वैज्ञानिक समरजीत चौधरी कहते हैं कि पूरी दुनिया में जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम में बदलाव देखा जा रहा है। इस साल अब तक मिले डेटा के मुताबिक गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के कई हिस्सों में गर्मी समय से पहले ज्यादा हो चुकी है। वहीं इस साल गर्मी के मौसम की अवधि भी ज्यादा रहने की संभावना है। कई अध्ययन इस बात की आशंका जता रहे हैं कि आने वाले दिनों में गर्मी और बढ़ेगी। वहीं एक्सट्रीम वेदर कंडीशन देखने को मिलेगी। ऐसे में हालात की गंभीरता को देखते हुए कदम उठाए जाने की जरूरत है। आईआईटी गांधीनगर में सिविल इंजीनियरिंग के चेयर प्रोफेसर विमल मिश्रा के मुताबिक अल नीनो जैसी परिस्थितियां बनी हुई हैं। ऐसे में सर्दियों के तुरंत बाद गर्म वसंत या गर्म तापमान देखने को मिलेगा। यूरोप की कोपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा के मुताबिक मार्च 2024-फरवरी 2025 के दौरान तापमान 1990-2020 के औसत से 0.71 डिग्री सेल्सियस अधिक और पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.59 डिग्री सेल्सियस अधिक था।

हीट वेव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। इससे आपकी जान भी जा सकती है। दिल्ली मेडिकल काउंसिल की साइंफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर नरेंद्र सैनी के मुताबिक हमारे शरीर के ज्यादातर अंग 37 डिग्री सेल्सियस पर बेहतर तरीके से काम करते हैं। जैसे जैसे तापमान बढ़ेगा इनके काम करने की क्षमता प्रभावित होगी। बेहद गर्मी में निकलने से शरीर का तापमान बढ़ जाएगा जिससे ऑर्गन फेल होने लगेंगे। शरीर जलने लगेगा। शरीर का तापमान ज्यादा बढ़ने से दिमाग, दिल सहित अन्य अंगों की काम करने की क्षमता कम हो जाएगी। यदि किसी को गर्मी लग गई है तो उसे तुरंत किसी छाया वाले स्थान पर ले जाएं। उसके पूरे शरीर पर ठंडे पानी का कपड़ा रखें। अगर व्यक्ति होश में है तो उसे पानी में इलेक्ट्रॉल या चीनी और नमक मिला कर दें। अगर आसपास अस्पताल है तो तुरंत उस व्यक्ति को अस्पताल ले जाएं।

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