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UPI down: Digital transactions disrupted due to outage; NPCI says problem resolved - The Hindu
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गैर-NEP राज्यों का फंड रोकने पर संसदीय समिति ने बताया अनुचित, तमिलनाडु, केरल और बंगाल के आवंटन पर रोक
पीटीआई, नई दिल्ली। एक संसदीय समिति ने कहा है कि पीएम-श्री स्कूल योजना लागू करने पर सहमति नहीं जताने वाले राज्यों का पैसा रोकना न्यायोचित नहीं है। समिति ने यह टिप्पणी 2,100 करोड़ से अधिक राशि रोकने को लेकर केंद्र और तमिलनाडु के बीच जारी वाकयुद्ध के बीच की है। तमिलनाडु ने त्रि-भाषा फार्मूले पर आपत्ति जताते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने से इनकार कर दिया था।
शिक्षा, महिलाओं, बच्चों, युवा व खेल मामलों पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि शिक्षा मंत्रालय को सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) के धन आवंटन का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एनईपी-2020 या पीएम-श्री योजना स्वीकार नहीं करने वाले किसी भी राज्य को नुकसान न हो।
एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले कुछ राज्यों पर सीमित ने लिया संज्ञान
बुधवार को राज्यसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है, पीएम-श्री योजना लागू करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले कुछ राज्यों को एसएसए की धनराशि नहीं जारी करने पर समिति ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। इस योजना के तहत बंगाल के लिए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक, केरल के लिए 859.63 करोड़ और तमिलनाडु के लिए 2,152 करोड़ रुपये की धनराशि लंबित है।
समिति ने इस बात पर भी संज्ञान लिया है कि 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में से 33 ने पीएम-श्री के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं और योजना को क्रियान्वित व एनईपी आदर्श विद्यालय विकसित कर रहे हैं ताकि राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन व पाठ्यक्रम में समानता लाई जा सके। समिति ने सिफारिश की है कि विभाग संबंधित राज्यों के साथ आम सहमति से मुद्दे का समाधान करे और लंबित धनराशि को प्राथमिकता के आधार पर जारी करे।
समिति ने क्या कहा?
विभाग ने भी समिति को सूचित किया है कि पीएम-श्री एनईपी के तहत मॉडल स्कूल योजना है और एसएसए एनईपी के लक्ष्यों को हासिल करने का कार्यक्रम है। पीएम-श्री के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले राज्यों को एसएसए की धनराशि रोकने के पीछे यही कारण लगता है। लेकिन समिति ने कहा कि यह कारण तथ्यात्मक एवं न्यायोचित नहीं है।
समिति ने कहा कि केरल, तमिलनाडु व बंगाल जैसे राज्यों ने राष्ट्रीय औसत से अधिक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) के साथ मजबूत शैक्षणिक परिणाम प्रदर्शित किया है। लेकिन धनराशि रोकने एवं एसएसए की धनराशि के ट्रांसफर में देरी ने उनकी स्कूली ढांचे, अध्यापकों के प्रशिक्षण व छात्रों की मदद में आगे की प्रगति में बाधा पैदा की है। लिहाजा इन राज्यों को अध्यापकों व अन्य कर्मियों को अपने पास से वेतन देने पर मजबूर होना पड़ा है।
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रामनवमी पर रामेश्वरम जाएंगे पीएम मोदी, पंबन ब्रिज का करेंगे उद्घाटन
एजेंसी, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छह अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर रामेश्वरम स्थित रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी नए पंबन ब्रिज का भी उद्घाटन करेंगे। नया पंबन ब्रिज 1914 में बने पुराने ब्रिज की जगह लेगा, जिसे जंग की समस्या के कारण 2022 में बंद कर दिया गया था।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नवंबर 2024 में एक्स पर भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज के बारे में पोस्ट किया था। उन्होंने कहा था कि 1914 में निर्मित पुराने पंबन रेल पुल ने 105 वर्षों तक मुख्य भूमि को रामेश्वरम से जोड़ा। दिसंबर 2022 में जंग लगने के कारण इसे बंद कर दिया गया। इसके स्थान पर अब आधुनिक न्यू पंबन ब्रिज तैयार हो रहा है, जो कनेक्टिविटी के एक नए युग की शुरुआत करेगा।
यह पुल 2.5 किलोमीटर से ज्यादा लंबा है और इसे रेल विकास निगम लिमिटेड ने 535 करोड़ रुपये की लागत से बनाया है।वैष्णव ने एक्स पर लिखा था कि इसे तेज गति से चलने वाली ट्रेनों और बढ़े हुए ट्रैफिक को संभालने के लिए डिजाइन किया गया है। नया पंबन ब्रिज सिर्फ काम का नहीं है, यह प्रगति का प्रतीक है, जो लोगों और जगहों को आधुनिक इंजीनिय¨रग से जोड़ता है।
टीबी मुक्त भारत के लिए तैयार हुआ मजबूत आधार: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 100 दिवसीय सघन अभियान ने 'टीबी मुक्त भारत' के लिए मजबूत आधार तैयार किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति देखी जा रही है। भारत जहां इस वर्ष दुनिया के सबसे घातक संक्रमण टीबी को खत्म करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को देश में टीबी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए प्रयासरत लोगों की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मैं उन सभी की सराहना करता हूं जो टीबी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत कर रहे हैं और टीबी मुक्त भारत में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि यह प्रयास जमीनी स्तर पर गति पकड़ रहा है, जिससे एक स्वस्थ भारत सुनिश्चित हो रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की टिप्पणियों को साझा करते हुए कही, जिसमें उन्होंने स्थानीय और सामुदायिक पहल की मदद से टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत द्वारा की गई प्रगति और इसे जन आंदोलन बनाने पर बात की। भारत का लक्ष्य वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक टीबी को खत्म करना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में 100 दिनों का गहन टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया था, जिसका समापन 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस पर हुआ।
ईडी के पूर्व निदेशक मिश्रा पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद में सदस्य नियुक्त
केंद्र सरकार ने ईडी के पूर्व निदेशक संजय कुमार मिश्रा को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद(ईएसी-पीएम) का पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किया है। सरकार द्वारा कई बार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके बढ़ाए गए कार्यकाल में कटौती की थी और मिश्रा 15 सितंबर 2023 तक ईडी के निदेशक रहे। मिश्रा ने ईडी के निदेशक के रूप में पांच वर्षों का दूसरा सबसे लंबा कार्यकाल पूरा किया था। मंगलवार को जारी एक आदेश में बताया गया कि 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आइआरएस) अधिकारी मिश्रा प्रधानमंत्री द्वारा उनकी नियुक्ति को मंजूरी दिए जाने के बाद परिषद के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में सेवा देंगे।
आदेश के मुताबिक, मिश्रा को पदभार ग्रहण करने की तिथि से भारत सरकार के सचिव के पद और वेतन पर नियुक्त किया गया है। यह पुनर्नियुक्त सरकारी अधिकारियों पर लागू सामान्य नियमों और शर्तों के अनुसार है। आर्थिक सलाहकार परिषद एक स्वतंत्र निकाय है, जिसका गठन भारत सरकार विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक और संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिए किया गया है। इसके वर्तमान अध्यक्ष अर्थशास्त्री सुमन बेरी हैं। नवंबर, 2024 में परिषद के पूर्व अध्यक्ष बिबेक देबराय की मृत्यु के बाद इस निकाय में एक पद रिक्त हो गया था।
(यह खबर एएनआई और आईएएनएस द्वारा प्रकाशित की गई है)
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देशभर में UPI डाउन: PhonePe, Paytm और Google Pay पर आउटेज की शिकायत; लोगों को पेमेंट करने में परेशानी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में वित्तीय लेन-देन में भारी रुकावट के चलते भारत भर के UPI यूजर्स ने बड़े पैमाने पर UPI आउटेज की शिकायत की है। यूजर्स के अनुसार, PhonePe, Paytm और Google Pay ने बुधवार शाम को काम करना बंद कर दिया।
डाउनडिटेक्टर डेटा से यह भी पता चला है कि बुधवार को शाम 7 बजे के बाद 1300 से अधिक लोगों ने UPI आउटेज की शिकायत की है।
यूपीआई को मैनेज करने वाली NPCI ने आउटेज को लेकर बयान जारी किया है। NPCI ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "NPCI को अस्थायी तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण UPI में आंशिक गिरावट आई। इसे अब समाधान किया गया है और प्रणाली स्थिर हो गई है। असुविधा के लिए खेद है।"
NPCI had faced intermittent technical issues owing to which UPI had partial decline. The same has been addressed now and the system has stabilised. Regret the inconvenience.
— NPCI (@NPCI_NPCI) March 26, 2025UPI (Unified Payments Interface) डाउन होने की स्थिति में ये विकल्प अपनाएं:
- UPI डाउन होने पर कुछ देर इंतजार करें। अक्सर UPI सर्वर में अस्थायी समस्या होती है, जो कुछ समय बाद ठीक हो जाती है। कुछ मिनट या घंटे बाद दोबारा कोशिश करें।
- अलग UPI ऐप से ट्रांजैक्शन करें। अगर आप Google Pay इस्तेमाल कर रहे हैं, तो PhonePe, Paytm, BHIM UPI या बैंक की UPI ऐप से ट्रांजैक्शन करने की कोशिश करें।
- IMPS/NEFT का इस्तेमाल करें। अगर UPI काम नहीं कर रहा है, तो आप नेट बैंकिंग से IMPS, NEFT, या RTGS के जरिए पैसे भेज सकते हैं।
- कैश या डेबिट कार्ड से पेमेंट करें। अगर तुरंत पेमेंट करना जरूरी है, तो नकद पैसे दें या फिर डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें।
यह भी पढ़ें: कुणाल कामरा को दोबारा समन, महाराष्ट्र विधानसभा में पेश हुआ विशेषाधिकार हनन का नोटिस
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महंगाई में कमी और निजी निवेश से अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती, वित्त मंत्रालय ने और क्या बताया?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय का मानना है कि वैश्विक रूप से जारी भू-राजनीतिक अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में हो रहे लगातार उतार-चढ़ाव से घरेलू व वैश्विक दोनों ही स्तर पर आर्थिक विकास के प्रभावित होने की आशंका है। इन सबके बीच सकारात्मक बात यह है कि घरेलू स्तर पर महंगाई कम हो रही है और निजी निवेश बढ़ रहा है जो आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में विकास की रफ्तार के लिए मददगार साबित होगा।
इस साल फरवरी में खुदरा महंगाई दर 3.6 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है और कृषि उत्पादन के अनुमानों को देखते हुए आने वाले महीनों में भी खाद्य और खुदरा महंगाई दर नियंत्रण में रहेंगी। वहीं, वित्त वर्ष 2004 के बाद पहली बार चालू वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी में निजी हिस्सेदारी 61.49 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2003-04 में जीडीपी में निजी हिस्सेदारी 61.50 प्रतिशत थी।
बेरोजगारी दर में आ रही कमीआगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट में पेश विकास की कई कार्ययोजना, वित्तीय प्रोत्साहन के साथ वित्तीय अनुशासन व सरकार के सुधार कार्यक्रम से वैश्विक चुनौतियों के बीच विकास की गति को जारी रखने में मदद मिलेगी।
बुधवार को जारी मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोजगारी दर में भी कमी आ रही है। गत वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में बेरोजगारी दर 6.5 प्रतिशत थी जो चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.4 प्रतिशत रही।
सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने क्या कहा?कई सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने कहा है कि आने वाले महीनों में कंपनियां अधिक लोगों को नई नौकरी की पेशकश करने जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक व्यापार युद्ध, विभिन्न देशों की शुल्क नीति से वैश्विक व्यापार के लिए जोखिम बढ़ गया है जिससे निवेश के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित हो रहा है। इसका नतीजा है कि भारतीय निर्यात की बढ़ोतरी में नरमी दिख रही है।
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मतदाता सूची की गड़बड़ियों को तुरंत निपटाएं IRO और BLO, नहीं तो होगी कार्रवाई; चुनाव आयोग का सख्त आदेश
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों से जूझ रहे चुनाव आयोग ने इसे त्रुटिरहित बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है। जिसमें निर्वाचन पंजीयन अधिकारी ( ईआरओ) और बूथ लेवल अधिकारियों ( बीएलओ )को निर्देश दिया है कि वह मतदाता सूची से जुड़ी गड़बड़ियों को तुरंत निपटाए। यदि इनमें किसी भी तरह शिकायत मिलती है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीएलओ भी होंगे शामिलआयोग ने इसके साथ बीएलओ सहित चुनाव से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत भी की है। आयोग ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहली बार बीएलओ को भी शामिल किया गया है। वहीं इसके पहले चरण में बिहार, पश्चिम बंगाल सहित आधा दर्जन राज्यों पर फोकस किया है। आयोग ने इस दौरान बीएलओ व ईआरओ से कहा है कि वह मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने की तय प्रक्रियाओं का पालन करें।
मतादाताओ की शिकायतों को किया जाएगा निपटारासाथ ही घर-घर जाकर मतदाता सूची में दर्ज नामों को सत्यापित भी करें। इस दौरान मतदाताओं की ओर से मिलने वाली किसी भी तरह की शिकायत का मौके पर निपटारा करें। आयोग ने बीएलओ को उनकी भूमिका की समझायी है।
साथ ही उन्हें इस काम में मदद के तैयार किए गए तकनीकी एप्लीकेशन आदि के इस्तेमाल पर भी जोर दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस दौरान राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया है, वह ईआरओ पद के लिए एसडीएम स्तर के अधिकारी को तैनाती दें।
साथ ही ईआरओ से भी कहा है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले अधिकारी को ही बीएलओ के रूप में तैनाती दें ,साथ ही ये कोशिश करें कि वे उसी मतदान केंद्र के निवासी हों।
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- Supreme Court refuses urgent FIR hearing in Delhi HC judge cash haul case, lists it for later date The Indian Express
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असंवेदनशील और अमानवीय... सुप्रीम कोर्ट ने 'ब्रेस्ट छूना रेप नहीं...' वाले इलाहाबाद HC के फैसले पर लगाई रोक
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के बारे में इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले में की गई टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्हें असंवेदनशील और अमानवीय करार देते हुए उन पर रोक लगा दी है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धातों से अनभिज्ञ हैं और यह असंवेदनशील तथा अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। इसीलिए उन पर रोक लगाई जाती है। मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही सर्वोच्च अदालत ने मामले में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और हाई कोर्ट में पक्षकार आरोपितों को नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने 15 अप्रैल को अगली सुनवाई तय करते हुए अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सालिसिटस जनरल तुषार मेहता से सुनवाई में मदद करने का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट की टिप्पणियों पर रोक लगाने का मतलब है कि संबंधित केस में अभियुक्त न्यायिक कार्यवाही में लाभ पाने के लिए उनका उपयोग नहीं कर सकेंगे।
संबंधित मामले में अभियुक्तों ने 11 वर्ष की नाबालिग से दुष्कर्म के कथित अपराध में निचली अदालत द्वारा जारी सम्मन को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
नाबालिग का वक्ष छूना दुष्कर्म नहीं: हाई कोर्टहाई कोर्ट ने आदेश में कहा था कि नाबालिग का वक्ष छूना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म या दुष्कर्म का प्रयास नहीं है। यह महिला की गरिमा पर हमला का मामला तो बनता है लेकिन इसे दुष्कर्म का प्रयास नहीं कह सकते। हाई कोर्ट ने विशेष जज के सम्मन आदेश को संशोधित कर दिया था।
इस विवादित फैसले को वी द वोमेन आफ इंडिया संस्था ने 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जिसके बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए यह सुनवाई शुरू की है।न्यायमूर्ति बीआर गवई व न्यायमूर्ति अगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ ने मामले पर बुधवार को सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश दिये। जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया सालिसिटर जनरल ने कहा कि हाई कोर्ट के इस फैसले पर उनकी गंभीर आपत्ति है।
यह मामला न्यायाधीश की असंवेदनशीलता प्रदर्शित करता है: कोर्टकोर्ट में अटार्नी जनरल भी मौजूद थे। पीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और यह पूरी तरह से न्यायाधीश की असंवेदनशीलता प्रदर्शित करता है। जस्टिस गवई ने कहा कि हमें न्यायाधीश के खिलाफ ऐसे कठोर शब्दों का प्रयोग करने के लिए खेद है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हाई कोर्ट ने यह आदेश सुनवाई के दौरान तत्काल सुना दिया हो।
मामले में 13 नवंबर 2024 को फैसला सुरक्षित हुआ और करीब चार महीने बाद फैसला सुनाया गया। इससे स्पष्ट है कि फैसला लिखने वाले न्यायाधीश ने सोच समझ कर फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सामान्य तौर पर वे इस स्तर पर रोक आदेश जारी नहीं करते लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों से अनभिज्ञ हैं तथा असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं इसलिए उन टिप्पणियों पर रोक लगाई जाती है।
जस्ट राइट्स फार चिलंड्रन संस्था ने अलग से दायर की याचिकाकोर्ट ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश और हाई कोर्ट में पक्षकार रहे आरोपितों को नोटिस भी जारी किया। उत्तर प्रदेश के एडीशनल एडवोकेट जनरल शरण देव सिंह ठाकुर ने प्रदेश सरकार की ओर से नोटिस स्वीकार किया। इस मामले में जस्ट राइट्स फार चिलंड्रन संस्था ने भी पीड़िता की ओर से पैरवी के लिए अलग से याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को भी मुख्य मामले के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दिया है।
सालिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मास्टर आफ रोस्टर हैं उचित होता कि कुछ कदम उठाए जाते। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस आदेश को तत्काल इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजे जो तुरंत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया है कि वह इस मामले को देखें और जैसा उचित हो कदम उठाएं।
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Bihar News: शराब तस्करों से सांठ-गांठ में महिला मद्यनिषेध ASI निलंबित, वायरल ऑडियो क्लिप से अब खतरे में पड़ी नौकरी
राज्य ब्यूरो, पटना। मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग ने अवैध शराब कारोबारियों से सांठ-गांठ और वायरल ऑडियो क्लिप मामले में मुजफ्फरपुर में पदस्थापित मद्यनिषेध की सहायक अवर निरीक्षक (एएसआइ) सोनी महिवाल को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
इस बाबत बुधवार को उत्पाद आयुक्त रजनीश कुमार सिंह ने आदेश जारी कर दिया है। दोषी महिला पदाधिकारी के खिलाफ आरोप पत्र गठित कर विभागीय कार्रवाई जल्द शुरू करने का निर्देश भी दिया गया है।
यह पूरा मामला एक वायरल ऑडियो क्लिप से जुड़ा है। इस ऑडियो क्लिप में एएसआइ सोनी महिवाल के द्वारा दिलीप साह पर दबाव बनाने और फंसाने की धमकी दी जा रही है।
विभाग ने ऑडियो क्लिप की सत्यता के साथ शराब कारोबारी के साथ महिला एएसआइ की संलिप्तता की जांच कराई जिसमें प्रथमदृष्टया वह दोषी पाई गई।
सोनी महिवाल ने माना- ऑडियो क्लिप में उनकी ही आवाज- विभाग के अनुसार, जांच के दौरान महिला एएसआइ सोनी महिवाल ने भी स्वीकार किया है कि वायरल ऑडियो क्लिप में उनकी ही आवाज है।
- पीडि़त दिलीप साह ने भी इस ऑडियो की पुष्टि करते हुए बताया कि पिछले साल विश्वकर्मा पूजा से पहले महिला एएसआइ से शराब के संबंध में बातचीत हुई थी।
- मुजफ्फरपुर डीएम की जांच रिपोर्ट में यह भी अंकित है, सोनी महिवाल ने बातचीत के दौरान वरीय पदाधिकारी के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग किया है।
- डीएम की अनुशंसा पर ही विभाग ने महिला मद्यनिषेध एएसआइ सोनी महिवाल को निलंबित करने की कार्रवाई की है।
मुजफ्फरपुर जिले के विभिन्न थानों की पुलिस द्वारा चलाए गए विशेष अभियान में अलग-अलग मामलों के 19 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। इसमें शराब के केसों में सात समेत अन्य मामलों के आरोपित शामिल है।
अभियान के दौरान 13 लीटर देसी व करीब एक लीटर अंग्रेजी शराब जब्त की गई है। इसके अलावा विभिन्न मामलों में कोर्ट से जारी 33 वारंटों का निष्पादन किया गया है।
वहीं, वाहन जांच अभियान के दौरान यातायात नियम का उल्लंघन करने के मामले में एक लाख छह हजार पांच सौ रुपये का जुर्माना किया गया है। वरीय पुलिस अधीक्षक कार्यालय से जारी प्रेस विज्ञिप्त में इसकी जानकारी दी गई है।
वरीय पुलिस अधिकारियों का कहना है कि संगीन मामलों में शामिल आरोपितों की गिरफ्तारी को लेकर लगातार विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत सभी आरोपितों की गिरफ्तारी की गई है।
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'सभी संस्थानों को नियंत्रण के साथ काम करने की जरूरत', जज के घर से नकदी बरामदगी के मुद्दे पर बोले जगदीप धनखड़
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से मिली बेहिसाब नोटों की गड्डियों को लेकर खड़े हुए विवाद पर संसद में चर्चा की उठ रही मांग के बीच राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका एक-दूसरे के खिलाफ नहीं हैं।
सभी संस्थानों को नियंत्रण और संतुलन के साथ काम करने की जरूरत है। धनखड़ ने यह टिप्पणी बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही की। इस दौरान उन्होंने पूरे सदन को मंगलवार को राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ विधायिका और न्यायपालिका के अधिकारों को लेकर हुई चर्चा की जानकारी दी।
बैठक में विचार- विमर्श सर्वसम्मति से हुआ: जगदीप धनखड़उन्होंने बताया कि बैठक में नेता सदन जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद थे। हालांकि उन्होंने कहा कि इस चर्चा के विस्तार में जाने की जरूरत नहीं। बैठक में विचार- विमर्श सर्वसम्मति से हुआ। सभी ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई और मिलकर काम करने की जरूरत बताई है। वैसे भी यह मुद्दा दो संस्थानों के बीच का नहीं है।
सदन के नेता व विपक्ष के नेता दोनों ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर अपने-अपने दलों व सहयोगियों के साथ बात करेंगे। साथ ही जो भी फैसला होगा उससे उन्हें अवगत कराएंगे। इसके बाद आगे की योजना तैयार की जाएगी।
गौरतलब है कि न्यायाधीश वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने का मामला सामने आने पर धनखड़ ने इस पर चिंता जताई है। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की ओर से इस घटना से जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक किए जाने और जांच के आदेश दिए जाने पर खुशी भी जताई थी।
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