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ग्रामीण विकास योजनाओं की सुस्त चाल, खर्च न हुआ 34.82 प्रतिशत बजट

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 12:39am

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए हर वर्ष बजट चाहे भरपूर दिया जा रहा है, लेकिन धरातल पर योजनाएं अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रही हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ग्रामीण विकास की केंद्रीय वित्त पोषित योजनाओं के लिए वर्ष 2024-25 में बजट का जो संशोधित अनुमान रखा गया था, उसमें से 34.82 प्रतिशत पैसा खर्च ही नहीं हो सका है।

मंत्रालय के इसके कई कारण बताए हैं, लेकिन समिति ने चिंता जताते हुए सरकार को धरातल पर सक्रिय क्रियान्वयन और सतत निगरानी की नसीहत दी है। संसदीय समिति ने पाया है कि 2024-25 के संशोधित बजट में आवंटित 1,73,804.01 करोड़ रुपये के मुकाबले वास्तविक व्यय केवल 1,13,284.55 करोड़ रुपये रहा, जो संशोधित अनुमान चरण में आवंटित राशि से 34.82 प्रतिशत कम है।

वित्तीय समीक्षा के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का 15,825.35 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का 3,545.77 करोड़ रुपये, नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम का 1,813.34 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का 2,583.16 करोड़ रुपये, मनरेगा का 1,627.65 करोड़ और दीनदयाल उपाध्याय- ग्रामीण कौशल्य योजना का 1,313.43 करोड़ रुपया वर्ष 2024-25 में खर्च नहीं हो सक।

इसके साथ ही सिफारिश की गई है कि सभी हितधारकों के परामर्श से त्रैमासिक और मासिक व्यय योजनाएं पहले ही तैयार कर लें और सुनिश्चित कर लिया जाए कि योजना कार्यान्वयन के प्रत्येक चरण में पर्याप्त धन उपलब्ध रहे।समिति ने यह भी कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ग्रामीण विकास विभाग के कुल बजटीय आवंटन में 2.27 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है, जो कि 1,88,754.53 करोड़ रुपये है, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 1,84,566.19 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।

यह मामूली वृद्धि ग्रामीण प्रगति की सतत गति के लिए पर्याप्त नहीं है। यह भी देखा गया है कि डीएवाइ-एनआरएलएम को छोड़कर, मनरेगा, पीएमजीएसवाइ, पीएमएवाइ-जी और एनएसएपी जैसी प्रमुख योजनाओं के लिए धन को लगभग स्थिर रखा गया है। ऐसे में सरकार को ध्यान रखना होगा कि ग्रामीण विकास की कोई भी योजना धन की कमी या लक्षित योजनाओं के कार्यान्वयन की धीमी गति के कारण बाधित न हो।

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भारत-अमेरिका में कारोबारी समझौते पर गहन विमर्श, जयशंकर बोले- 'व्यापक होगा असर'

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 12:33am

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबारी समझौते (बीटीए) को लेकर वार्ता नई दिल्ली में शुरू हो गई। वार्ता का यह दौर इस सप्ताह शुक्रवार तक चलने वाली है और बहुत संभव है कि दो अप्रैल, 2025 से पहले दोनों देशों के बीच उक्त कारोबारी समझौते को लेकर सहमति बन जाए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल से ही भारत पर पारस्परिक टैक्स लगाने की धमकी दी हुई है।

दोनों देशों के बीच शुरू हुई वार्ता को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई बयान अभी नहीं आया है, लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के साथ बीटीए पर काफी गहन विमर्श हो रहा है। अमेरिका के अलावा भारत ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ मुक्त कारोबारी समझौता (एफटीए) करने के लिए बात कर रहा है। इन तीनों समझौतों का काफी व्यापक आर्थिक असर होगा।

एशिया सोसाइटी की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि भारत पहली बार तीन बड़ी आर्थिक शक्तियों के साथ कारोबारी समझौता करने के लिए बातचीत कर रहा है। अभी तक भारत ने अपने भौगोलिक क्षेत्र के पूर्वी हिस्से में स्थित देशों (जापान, दक्षिण कोरिया, आसियान व आस्ट्रेलिया) के साथ ही मोटे तौर पर कारोबारी समझौता किया है।

पहले जिन देशों (जापान, दक्षिण कोरिया व आसियान) के साथ एफटीए किए गए, वे भारत के लिए प्रतिस्प‌र्द्धी भी रहे हैं और इन समझौतों का अनुभव भारत के लिए बहुत फायदे का नहीं रहा। लेकिन, अब जिन तीन देशों के साथ ट्रेड समझौते के लिए विमर्श शुरू हुआ है, वहां ज्यादा संभावनाएं हैं। इन देशों के साथ होने वाले समझौतों का ना सिर्फ बड़ा आर्थिक असर होगा, बल्कि दूसरे क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ेगा।

ट्रंप के पहले कार्यकाल के अंत में भी भारत व अमेरिका के बीच एक सीमित दायरे वाले कारोबारी समझौते पर बातचीत काफी आगे बढ़ गई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से भारत पर पारस्परिक कर लगाने की बार-बार धमकी देने के बावजूद जयशंकर मानते हैं कि ट्रंप सरकार की नीतियां कई तरह से भारत के लिए लाभकारी होंगी।

पहला, राष्ट्रपति ट्रंप पूर्व की सरकारों से ज्यादा रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत के साथ सहयोग करने को तैयार हैं। इससे दोनों देशों के बीच बेहतर गुणवत्ता वाले रक्षा संबंध स्थापित होंगे।

दूसरा, नई अमेरिकी सरकार की ऊर्जा नीतियां भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए काफी सकारात्मक हैं। ट्रंप की नीतियां वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर बनाती हैं।

तीसरा, बड़ी प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर अमेरिका का बढ़ता फोकस भी भारत के लिए सही साबित होगा। बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां मोबलिटी व सप्लाई चेन की संवेदनशीलता को पहचानती हैं।--

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संसद: बैंक अकाउंट में चार नॉमिनी वाला विधेयक राज्यसभा में भी पारित, ध्वनिमत से मिली मंजूरी

Dainik Jagran - National - March 27, 2025 - 12:16am

 पीटीआई, नई दिल्ली। संसद ने बुधवार को बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया। इसके तहत बैंक खाताधारकों को अधिकतम चार नामित व्यक्ति (नॉमिनी) रखने की अनुमति होगी। इसे राज्यसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। लोकसभा ने दिसंबर 2024 में ही इस विधेयक को पारित कर दिया था।

ये किया गया बदलाव

इस विधेयक में एक और बदलाव बैंक में किसी व्यक्ति के 'पर्याप्त हित' शब्द को फिर से परिभाषित करने से संबंधित है। सीमा को मौजूदा पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये करने की मांग की गई है, जो लगभग छह दशक पहले तय की गई थी।

इस विधेयक में सहकारी बैंकों में निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) के कार्यकाल को आठ वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का भी प्रविधान है, ताकि इसे संविधान (97वां संशोधन) अधिनियम, 2011 के अनुरूप बनाया जा सके।

इस संशोधन के लागू होने के बाद केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक को राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में सेवा करने की अनुमति मिल जाएगी। इसमें वैधानिक लेखा परीक्षकों को दिए जाने वाले पारिश्रमिक का निर्णय लेने में बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने का भी प्रविधान है।

इस संशोधन का उद्देश्य बैंकों के लिए विनियामक अनुपालन के लिए रिपोर्टिंग तिथियों को दूसरे और चौथे शुक्रवार के बजाय हर महीने की 15वीं और आखिरी तारीख को पुनर्परिभाषित करना भी है।

अनूठा होगा बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक : वित्त मंत्री

राज्यसभा में विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि संशोधन पांच अलग-अलग अधिनियमों को प्रभावित करेंगे, जिससे यह अनूठा होगा।

उन्होंने कहा, ''यह इसलिए भी अनूठा है क्योंकि आठ टीमों ने संशोधनों पर काम किया, जिससे बजट भाषण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक बदलाव सुनिश्चित हुए।'' उन्होंने कहा कि भले ही एनपीए में भारी कमी आई है, लेकिन सरकार जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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गैर-NEP राज्यों का फंड रोकने पर संसदीय समिति ने बताया अनुचित, तमिलनाडु, केरल और बंगाल के आवंटन पर रोक

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 10:25pm

पीटीआई, नई दिल्ली। एक संसदीय समिति ने कहा है कि पीएम-श्री स्कूल योजना लागू करने पर सहमति नहीं जताने वाले राज्यों का पैसा रोकना न्यायोचित नहीं है। समिति ने यह टिप्पणी 2,100 करोड़ से अधिक राशि रोकने को लेकर केंद्र और तमिलनाडु के बीच जारी वाकयुद्ध के बीच की है। तमिलनाडु ने त्रि-भाषा फार्मूले पर आपत्ति जताते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने से इनकार कर दिया था।

शिक्षा, महिलाओं, बच्चों, युवा व खेल मामलों पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि शिक्षा मंत्रालय को सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) के धन आवंटन का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एनईपी-2020 या पीएम-श्री योजना स्वीकार नहीं करने वाले किसी भी राज्य को नुकसान न हो।

एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले कुछ राज्यों पर सीमित ने लिया संज्ञान

बुधवार को राज्यसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है, पीएम-श्री योजना लागू करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले कुछ राज्यों को एसएसए की धनराशि नहीं जारी करने पर समिति ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। इस योजना के तहत बंगाल के लिए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक, केरल के लिए 859.63 करोड़ और तमिलनाडु के लिए 2,152 करोड़ रुपये की धनराशि लंबित है।

समिति ने इस बात पर भी संज्ञान लिया है कि 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में से 33 ने पीएम-श्री के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं और योजना को क्रियान्वित व एनईपी आदर्श विद्यालय विकसित कर रहे हैं ताकि राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन व पाठ्यक्रम में समानता लाई जा सके। समिति ने सिफारिश की है कि विभाग संबंधित राज्यों के साथ आम सहमति से मुद्दे का समाधान करे और लंबित धनराशि को प्राथमिकता के आधार पर जारी करे।

समिति ने क्या कहा?

विभाग ने भी समिति को सूचित किया है कि पीएम-श्री एनईपी के तहत मॉडल स्कूल योजना है और एसएसए एनईपी के लक्ष्यों को हासिल करने का कार्यक्रम है। पीएम-श्री के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले राज्यों को एसएसए की धनराशि रोकने के पीछे यही कारण लगता है। लेकिन समिति ने कहा कि यह कारण तथ्यात्मक एवं न्यायोचित नहीं है।

समिति ने कहा कि केरल, तमिलनाडु व बंगाल जैसे राज्यों ने राष्ट्रीय औसत से अधिक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) के साथ मजबूत शैक्षणिक परिणाम प्रदर्शित किया है। लेकिन धनराशि रोकने एवं एसएसए की धनराशि के ट्रांसफर में देरी ने उनकी स्कूली ढांचे, अध्यापकों के प्रशिक्षण व छात्रों की मदद में आगे की प्रगति में बाधा पैदा की है। लिहाजा इन राज्यों को अध्यापकों व अन्य कर्मियों को अपने पास से वेतन देने पर मजबूर होना पड़ा है।

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रामनवमी पर रामेश्वरम जाएंगे पीएम मोदी, पंबन ब्रिज का करेंगे उद्घाटन

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 10:07pm

एजेंसी, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छह अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर रामेश्वरम स्थित रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी नए पंबन ब्रिज का भी उद्घाटन करेंगे। नया पंबन ब्रिज 1914 में बने पुराने ब्रिज की जगह लेगा, जिसे जंग की समस्या के कारण 2022 में बंद कर दिया गया था।

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नवंबर 2024 में एक्स पर भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज के बारे में पोस्ट किया था। उन्होंने कहा था कि 1914 में निर्मित पुराने पंबन रेल पुल ने 105 वर्षों तक मुख्य भूमि को रामेश्वरम से जोड़ा। दिसंबर 2022 में जंग लगने के कारण इसे बंद कर दिया गया। इसके स्थान पर अब आधुनिक न्यू पंबन ब्रिज तैयार हो रहा है, जो कनेक्टिविटी के एक नए युग की शुरुआत करेगा।

यह पुल 2.5 किलोमीटर से ज्यादा लंबा है और इसे रेल विकास निगम लिमिटेड ने 535 करोड़ रुपये की लागत से बनाया है।वैष्णव ने एक्स पर लिखा था कि इसे तेज गति से चलने वाली ट्रेनों और बढ़े हुए ट्रैफिक को संभालने के लिए डिजाइन किया गया है। नया पंबन ब्रिज सिर्फ काम का नहीं है, यह प्रगति का प्रतीक है, जो लोगों और जगहों को आधुनिक इंजीनिय¨रग से जोड़ता है।

टीबी मुक्त भारत के लिए तैयार हुआ मजबूत आधार: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 100 दिवसीय सघन अभियान ने 'टीबी मुक्त भारत' के लिए मजबूत आधार तैयार किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति देखी जा रही है। भारत जहां इस वर्ष दुनिया के सबसे घातक संक्रमण टीबी को खत्म करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को देश में टीबी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए प्रयासरत लोगों की सराहना की।

प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मैं उन सभी की सराहना करता हूं जो टीबी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत कर रहे हैं और टीबी मुक्त भारत में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि यह प्रयास जमीनी स्तर पर गति पकड़ रहा है, जिससे एक स्वस्थ भारत सुनिश्चित हो रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की टिप्पणियों को साझा करते हुए कही, जिसमें उन्होंने स्थानीय और सामुदायिक पहल की मदद से टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत द्वारा की गई प्रगति और इसे जन आंदोलन बनाने पर बात की। भारत का लक्ष्य वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक टीबी को खत्म करना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में 100 दिनों का गहन टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया था, जिसका समापन 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस पर हुआ।

ईडी के पूर्व निदेशक मिश्रा पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद में सदस्य नियुक्त

केंद्र सरकार ने ईडी के पूर्व निदेशक संजय कुमार मिश्रा को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद(ईएसी-पीएम) का पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किया है। सरकार द्वारा कई बार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके बढ़ाए गए कार्यकाल में कटौती की थी और मिश्रा 15 सितंबर 2023 तक ईडी के निदेशक रहे। मिश्रा ने ईडी के निदेशक के रूप में पांच वर्षों का दूसरा सबसे लंबा कार्यकाल पूरा किया था। मंगलवार को जारी एक आदेश में बताया गया कि 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आइआरएस) अधिकारी मिश्रा प्रधानमंत्री द्वारा उनकी नियुक्ति को मंजूरी दिए जाने के बाद परिषद के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में सेवा देंगे।

आदेश के मुताबिक, मिश्रा को पदभार ग्रहण करने की तिथि से भारत सरकार के सचिव के पद और वेतन पर नियुक्त किया गया है। यह पुनर्नियुक्त सरकारी अधिकारियों पर लागू सामान्य नियमों और शर्तों के अनुसार है। आर्थिक सलाहकार परिषद एक स्वतंत्र निकाय है, जिसका गठन भारत सरकार विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक और संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिए किया गया है। इसके वर्तमान अध्यक्ष अर्थशास्त्री सुमन बेरी हैं। नवंबर, 2024 में परिषद के पूर्व अध्यक्ष बिबेक देबराय की मृत्यु के बाद इस निकाय में एक पद रिक्त हो गया था।

(यह खबर एएनआई और आईएएनएस द्वारा प्रकाशित की गई है)

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देशभर में UPI डाउन: PhonePe, Paytm और Google Pay पर आउटेज की शिकायत; लोगों को पेमेंट करने में परेशानी

Dainik Jagran - National - March 26, 2025 - 9:36pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में वित्तीय लेन-देन में भारी रुकावट के चलते भारत भर के UPI यूजर्स ने बड़े पैमाने पर UPI आउटेज की शिकायत की है। यूजर्स के अनुसार, PhonePe, Paytm और Google Pay ने बुधवार शाम को काम करना बंद कर दिया।

डाउनडिटेक्टर डेटा से यह भी पता चला है कि बुधवार को शाम 7 बजे के बाद 1300 से अधिक लोगों ने UPI आउटेज की शिकायत की है।

यूपीआई को मैनेज करने वाली NPCI ने आउटेज को लेकर बयान जारी किया है। NPCI ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "NPCI को अस्थायी तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण UPI में आंशिक गिरावट आई। इसे अब समाधान किया गया है और प्रणाली स्थिर हो गई है। असुविधा के लिए खेद है।"

NPCI had faced intermittent technical issues owing to which UPI had partial decline. The same has been addressed now and the system has stabilised. Regret the inconvenience.

— NPCI (@NPCI_NPCI) March 26, 2025

UPI (Unified Payments Interface) डाउन होने की स्थिति में ये विकल्प अपनाएं:

  • UPI डाउन होने पर कुछ देर इंतजार करें। अक्सर UPI सर्वर में अस्थायी समस्या होती है, जो कुछ समय बाद ठीक हो जाती है। कुछ मिनट या घंटे बाद दोबारा कोशिश करें।
  • अलग UPI ऐप से ट्रांजैक्शन करें। अगर आप Google Pay इस्तेमाल कर रहे हैं, तो PhonePe, Paytm, BHIM UPI या बैंक की UPI ऐप से ट्रांजैक्शन करने की कोशिश करें।
  • IMPS/NEFT का इस्तेमाल करें। अगर UPI काम नहीं कर रहा है, तो आप नेट बैंकिंग से IMPS, NEFT, या RTGS के जरिए पैसे भेज सकते हैं।
  • कैश या डेबिट कार्ड से पेमेंट करें। अगर तुरंत पेमेंट करना जरूरी है, तो नकद पैसे दें या फिर डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें।

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