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Samsung Electronics co-CEO passes away
फ्लाइट का टिकट खरीदने पर देनी होगी यह सुविधा, DGCA ने एयरलाइंस को 27 मार्च तक की दी डेडलाइन
एएनआई, नई दिल्ली। नागरिक विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने यात्रियों की सुविधा के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। डीजीसीए ने सभी एयरलाइनों को निर्देश दिया गया है कि वे टिकट बुक होने के बाद नागरिक उड्डयन मंत्रालय पर उपलब्ध यात्री चार्टर का ऑनलाइन लिंक यात्री को (एसएमएस/वाट्सएप) मैसेज के रूप में भेजें ताकि यात्रियों को उनके अधिकारों के बारे में जानकारी मिल सके।
इस लिंक में यात्रियों के अधिकारों, नियमों और शिकायत निवारण की पूरी जानकारी होगी, जिससे उन्हें किसी भी समस्या के समाधान में आसानी हो। यह जानकारी एयरलाइन की वेबसाइट और टिकट पर भी प्रमुखता से होनी चाहिए।
27 मार्च तक लागू करने को कहाविमानन नियामक ने विमान सेवा देने वाली कंपनियों को यात्रियों से जुड़े नियमों और ग्राहकों के अधिकारों से संबंधित प्रविधानों का प्रचार-प्रसार करने का निर्देश दिया है। डीजीसीए ने इस संबंध में सात मार्च को सभी एयरलाइंस को पत्र भेजा और इसे 27 मार्च 2025 तक लागू करने की बात कही गई है।
डीजीसीए के आदेश के बाद सभी एयरलाइन कंपनियों ने अपने सिस्टम में बदलाव करना शुरू कर दिए है। स्पाइसजेट ने इस प्रक्रिया को लागू कर दिया है और यात्रियों को उनके अधिकारों की जानकारी टिकट बुकिंग के साथ भेजी जा रही है।
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'अदालत को ही धोखा दे रहे', पेंशन योजना लागू नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को लगाई फटकार
एएनआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजाब में 1996 की पेंशन लाभ योजना को लागू करने में पंजाब सरकार की निष्क्रियता पर कड़ी आपत्ति व्यक्त की। जस्टिस अभय एस. ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकार इस योजना को लागू करने में विफल रही तो अदालत खुद लाभार्थियों को मौद्रिक लाभ प्रदान करेगी।
कोर्ट ने कहा कि कई मौकों पर आश्वासन देने के बावजूद पंजाब सरकार इस संबंध में कार्रवाई करने में विफल रही है। जस्टिस ओका ने नाराजगी जताते हुए कहा, 'राज्य को इसका जवाब देना चाहिए। हम इस बात को नजरअंदाज नहीं कर सकते कि राज्य सरकारें अदालतों के साथ कैसा व्यवहार कर रही हैं।
1 अप्रैल को होगी अगली सुनवाईअदालत ने कहा कि हम इस बात को दर्ज करेंगे कि राज्य के किसी भी अधिकारी पर भरोसा नहीं किया जा सकता। राज्य ने अदालत को धोखा दिया है। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने पंजाब की ओर से पेश वकील को प्रदेश सरकार से निर्देश लेने का आदेश दिया और मामले की अगली सुनवाई एक अप्रैल तय की।
शीर्ष अदालत ने इस वर्ष पांच मार्च को पंजाब के मुख्य सचिव को 1996 की पेंशन लाभ योजना को लागू करने में विफल रहने और इसे लागू करने की वचनबद्धता का उल्लंघन करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया था।
शीर्ष अदालत पंजाब प्राइवेटली मैनेज्ड एफिलिएटेड एंड पंजाब गवर्नमेंट एडेड कॉलेजेस पेंशनरी बेनिफिट्स स्कीम, 1996 को लागू नहीं करने को लेकर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
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वन नेशन-वन इलेक्शन पर अभी लंबा चलेगा मंथन, अटॉर्नी जनरल से भी परामर्श करेगी JPC; जानिए अभी कितना वक्त लगेगा
पीटीआई, नई दिल्ली। एक राष्ट्र, एक चुनाव विधेयक पर विस्तृत विचार-विमर्श के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से परामर्श करेगी।
संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने कहा कि वेंकटरमणी और दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष और दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीएन पटेल संसदीय समिति के समक्ष एक साथ चुनाव कराने संबंधी विधेयक पर मंगलवार को अपने विचार व्यक्त करेंगे।
कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श जारीचौधरी ने बताया कि समिति कई कानूनी विशेषज्ञों से परामर्श कर रही है। विशेषज्ञों की मूल्यवान राय समिति को सिफारिशें तैयार करने में मदद करेगी। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा इस समिति का कार्यकाल बढ़ा सकती है, क्योंकि समिति को अपना काम पूरा करने के लिए और समय की जरूरत होगी।
समिति को संसद के इस सत्र के अंतिम सप्ताह के पहले दिन अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया था। यह समयसीमा चार अप्रैल को समाप्त हो रही है।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश यूयू ललित और रंजन गोगोई, प्रसिद्ध न्यायविद हरीश साल्वे और दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एपी शाह ने समिति के समक्ष पेश होकर प्रस्तावित कानून से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर सदस्यों के सवालों के जवाब दिए हैं।
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जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट भेजने का विरोध, आज से बार एसोसिएशन करेगा अनिश्चितकालीन हड़ताल
जेएनएन, नई दिल्ली। सरकारी आवास से बेहिसाब नकदी मिलने के बाद जांच का सामना कर रहे दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लेने के साथ ही उनको मूल न्यायालय इलाहाबाद हाई कोर्ट भेज दिया गया है। दूसरी तरफ इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने जस्टिस वर्मा को भेजे जाने के कोलेजियम के फैसले के विरोध में मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की घोषणा की है।
दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय द्वारा जारी नोटिस पर सोमवार को हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार (लिस्टिंग) की तरफ से नोट जारी किया गया। इसमें कहा गया कि हालिया घटनाक्रम को देखते हुए जस्टिस वर्मा से न्यायिक कार्य वापस लिया जा रहा है। जस्टिस यशवंत वर्मा अब तक जस्टिस हरीश वैद्यनाथन शंकर के साथ दो सदस्यीय पीठ का हिस्सा थे।
हाईकोर्ट भेजने के फैसले की पुष्टिइस बीच, प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने सोमवार को जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजने के अपने निर्णय की पुष्टि की। शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक प्रस्ताव में जस्टिस वर्मा को वापस भेजने को लेकर केंद्र सरकार से की गई सिफारिश सार्वजनिक की गई।
प्रस्ताव में कहा गया है- 'सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने 20 मार्च और 24 मार्च को आयोजित बैठकों में दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट में वापस भेजने की सिफारिश की है।' सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को कहा था कि दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आंतरिक जांच शुरू की है और उन्हें इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजने का प्रस्ताव अलग है।
पहले ही शुरू हो गई थी जांच- सुप्रीम कोर्ट के बयान में कहा गया है कि जस्टिस वर्मा के आवास पर हुई घटना के संबंध में गलत सूचना और अफवाह फैलाई जा रही है। जानकारी मिलने पर जस्टिस उपाध्याय ने आंतरिक जांच प्रक्रिया, साक्ष्य और सूचना जुटाने का काम शुरू कर दिया है। बताया जा रहा है कि जस्टिस उपाध्याय ने 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम की बैठक होने से पहले ही जांच शुरू कर दी थी।
- नकदी की कथित बरामदगी 14 मार्च की रात को करीब 11 बजकर 35 मिनट पर जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने के बाद हुई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम द्वारा जस्टिस यशवंत वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट वापस भेजने संबंधी निर्णय के विरोध में मंगलवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है।
सोमवार शाम बार के अध्यक्ष अनिल तिवारी तथा महासचिव विक्रांत पांडेय ने कार्यकारिणी की आपात बैठक के बाद यह जानकारी दी। पदाधिकारियों ने कहा कि बदली परिस्थिति के कारण आपातकालीन बैठक में हुए निर्णय के क्रम में मंगलवार से अग्रिम सूचना तक हम अधिवक्तागण न्यायिक कार्य से विरत रहेंगे।
इससे पूर्व दोपहर को भोजनावकाश के बाद लाइब्रेरी में हुई आमसभा में जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलाए जाने के साथ-साथ ही उनके सरकारी आवास में नकदी जलने के मामले की सीबीआइ तथा ईडी के अलावा अन्य एजेंसियों से जांच कराने का प्रस्ताव पारित किया गया। यह भी मांग की गई कि न्यायाधीश के रूप में यशवंत वर्मा द्वारा लिए गए निर्णयों की समीक्षा की जानी चाहिए। बार एसोसिएशन ने दोहराया है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट भ्रष्ट और दागी न्यायाधीशों का डंपिंग ग्राउंड नहीं है।
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सेना को मिलेंगी ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें, 800 किमी से अधिक है रेंज; कैबिनेट कमेटी से जल्द मिलेगी मंजूरी
एएनआई, नई दिल्ली। भारतीय थलसेना और वायु सेना को जल्द ही 800 किमी से अधिक की दूरी पर स्थित लक्ष्यों को भेदने में सक्षम ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें मिलेंगी। घातक क्षमता वाली इन अत्याधुनिक मिसाइलों से रक्षा बलों की ताकत में महत्वपूर्ण वृद्धि होगी।
रक्षा सूत्रों ने बताया कि इनमें से करीब 250 मिसाइलों के अधिग्रहण के प्रस्ताव को रक्षा अधिग्रहण परिषद ने मंजूरी दे दी है। अब इसे अंतिम मंजूरी के लिए सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति के पास ले जाया जाएगा।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में किया जाएगा तैनातउन्होंने कहा कि इन मिसाइलों को रेगिस्तान और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा। पहले इन मिसाइलों की मारक क्षमता 300 किलोमीटर के आसपास हुआ करती थी, लेकिन अब इनकी क्षमता में काफी वृद्धि की गई है और ये 800 किलोमीटर तक के लक्ष्य को भेद सकती हैं।
सूत्रों ने कहा कि ब्रह्मोस क्रूज मिसाइलों के लिए दोनों सेनाओं की ओर से दिया गया प्रस्ताव भारतीय नौसेना को मिलने वाली मिसाइलों का ही एक दोहरा ऑर्डर है। गौरतलब है कि ब्रह्मोस भारतीय शस्त्र निर्माण उद्योग में सबसे सफल संयुक्त उपक्रमों में से एक रहा है, भले ही इसका अधिकांश हिस्सा रूस द्वारा निर्मित किया जाता है।
भारतीय पक्ष शस्त्र प्रणाली के प्रमुख भागों के स्वदेशीकरण की दिशा में काम कर रहा है और निजी क्षेत्र के उद्योग के समर्थन से कुछ क्षेत्रों में सफलता भी हासिल की है। रूसी समर्थन से इस मिसाइल को फिलीपींस को सफलतापूर्वक निर्यात किया जा रहा है और अधिक देश इसमें रुचि दिखा रहे हैं।
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Kunal Kamra Controversy: 'पार्टी तय नहीं करेगी कि मैं क्या बोलूंगा', विवाद के बाद कुणाल कामरा का पहला रिएक्शन
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कॉमेडियन कुणाल कामरा (Kunal Kamra) ने उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को लेकर टिप्पणी की थी, जिसपर महाराष्ट्र में सियासी हंगामा मच गया। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राजनेताओं पर व्यंग करना कोई अपराध नहीं है, लेकिन पद का सम्मान किया जाना चाहिए।
एकनाथ शिंदे पर बयान दिए जाने के बाद बीएमसी के अधिकारियों की टीम ने हैबिटेट स्टूडियो के एक हिस्से को ढहा दिया। इसी स्टूडियो में कामरा ने उप मुख्यमंत्री पर टिप्पणी की थी। शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने भी हैबिटेट स्टूडियो में तोड़-फोड़ की थी
तोड़फोड़ पर क्या बोले कुणाल कामरा?इसी बीच इस कुणाल कामरा ने तोड़फोड़ को लेकर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। कुणाल कामरा ने पोस्ट करते हुए लिखा, उस भीड़ के लिए जिसने यह तय किया कि हैबिटेट पर हमला किया
मनोरंजन स्थल केवल एक मंच है। सभी प्रकार के शो के लिए यह एक स्थान है। हैबिटेट (या कोई अन्य स्थल) मेरी कॉमेडी के लिए जिम्मेदार नहीं है, न ही उसके पास इस बात पर कोई शक्ति या नियंत्रण है कि मैं क्या कहता हूं या करता हूं। न ही कोई राजनीतिक दल ये तय कर सकता है कि मैं क्या बोल रहा हूं।
एक कॉमेडियन के शब्दों के लिए किसी स्थल पर हमला करना उतना ही मूर्खतापूर्ण है जितना कि आप टमाटर ले जा रहे ट्रक को सिर्फ इसलिए पलट दें क्योंकि आपको परोसा गया बटर चिकन पसंद नहीं आया।
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कुणाल कामरा ने क्या कहा था?स्टैंडअप कॉमेडियन ने मुंबई के खार स्थित यूनीकांटीनेटल होटल के हैबिटेट स्टूडियो में पूर्व मुख्यमंत्री एवं वर्तमान उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को गद्दार कहते हुए उनपर हिंदी फिल्म दिल तो पागल है के एक गाने की पैरोडी बनाकर गाई थी। इस कविता के वायरल होने के बाद शिवसेना शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं ने उक्त स्टूडियो में जाकर जमकर तोड़फोड़ की।
B'desh Army Chief warns of terror attacks
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3 साल में रैंगिंग के कारण 51 छात्रों की मौत, मेडिकल कॉलेज बन रहे हॉटस्पॉट; रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
पीटीआई, नई दिल्ली। देश भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में वर्ष 2020 से 2024 के दौरान रैगिंग के कारण से 51 छात्रों की मौत हो गई। यह संख्या कोचिंग हब कोटा में इसी अवधि के दौरान छात्रों की आत्महत्या के आंकड़ों के बराबर है।
सोसाइटी अगेंस्ट वायलेंस इन एजुकेशन नामक संस्था द्वारा प्रकाशित 'स्टेट ऑफ रैगिंग इन इंडिया 2022-24' रिपोर्ट में इस तथ्य को उजागर किया गया है। रिपोर्ट में मेडिकल कॉलेजों को भी रैगिंग की शिकायतों के लिए हाटस्पॉट के रूप में पहचाना गया है।
मेडिकल कॉलेजों में अधिक मामलेरिपोर्ट में कहा गया है, 'मेडिकल कॉलेज चिंता का एक विशेष क्षेत्र हैं, क्योंकि 2022-24 के दौरान कुल शिकायतों का 38.6 प्रतिशत मेडिकल कॉलेज से ही संबंधित है, जबकि गंभीर शिकायतों का 35.4 प्रतिशत और रैगिंग से संबंधित मौतों का 45.1 प्रतिशत हिस्सा है। कुल छात्रों का केवल 1.1 प्रतिशत ही रैगिंग से संबंधित है। आंकड़ों से यह भी पता चला है कि इस अवधि के दौरान रैगिंग के कारण 51 छात्रों की जान चली गई, जो कोटा में दर्ज 57 छात्रों की आत्महत्याओं से लगभग बराबर है।'
लेखकों ने दावा किया कि शिकायतों की संख्या रिपोर्ट में दी गई संख्या से कहीं अधिक थी। रिपोर्ट में कहा गया है, 'ऐसा नहीं है कि पूरे भारत में तीन वर्षों में केवल 3,156 रैगिंग की शिकायतें दर्ज की गईं। ये केवल राष्ट्रीय एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर दर्ज की गई शिकायतें हैं। बड़ी संख्या में शिकायतें सीधे कॉलेजों में दर्ज की जाती हैं, और अगर मामला गंभीर है तो सीधे पुलिस में भी दर्ज की जाती हैं।'
शिकायत दर्ज नहीं कराते पीड़ित- रिपोर्ट में कहा गया है, 'ऐसे सभी मामले एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन पर उपलब्ध आंकड़ों में नहीं दर्शाए गए और इसलिए इस रिपोर्ट में भी नहीं दर्शाए गए हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि गंभीर रैगिंग की वास्तविक घटनाएं शैक्षणिक संस्थानों में अभी भी बहुत अधिक होंगी क्योंकि केवल कुछ ही पीड़ित आगे आकर रिपोर्ट करने का साहस जुटा पाते हैं, अन्य लोग शिकायत करने के बाद अपनी सुरक्षा के डर से चुपचाप रहते हैं।'
- रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि पीड़ितों की पहचान की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन को गुमनाम शिकायतें स्वीकार करनी चाहिए। इसमें कहा गया है, 'कॉलेजों को समर्पित सुरक्षा गार्डों के साथ एंटी-रैगिंग स्क्वाड स्थापित करना चाहिए। इनके संपर्क विवरण नए छात्रों के साथ साझा किए जाने चाहिए। छात्रावासों में सीसीटीवी फुटेज की निगरानी सुरक्षा कर्मियों, एंटी-रैगिंग समितियों और अभिभावकों द्वारा की जानी चाहिए।'
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अवामी एक्शन कमेटी के खिलाफ UAPA के तहत कार्रवाई कर सकेंगे राज्य, गृह मंत्रालय ने घोषित किया है गैरकानूनी संगठन
नई दिल्ली, एएनआई। राज्य अब यूएपीए के तहत अवामी एक्शन कमेटी के खिलाफ कार्रवाई कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों को अवामी एक्शन कमेटी (एएसी) के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने का सोमवार को अधिकार दे दिया।
एएसी को गैरकानूनी संगठन घोषित किया गया है। भारत के राजपत्र में जारी और प्रकाशित अधिसूचना के माध्यम से, केंद्र ने राज्यों को यूएपीए की धारा सात और आठ को लागू करने के लिए अधिकृत किया। इसमें प्रतिबंधित संगठन से जुड़ी संपत्तियों को जब्त करने और उसकी गतिविधियों को प्रतिबंधित करने की शक्ति शामिल है।
गृह मंत्रालय ने जारी की अधिसूचनागृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है, यूएपीए की धारा 42 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार निर्देश देती है कि उक्त अधिनियम की धारा सात और आठ के तहत उसके द्वारा प्रयोग की जाने वाली सभी शक्तियों का प्रयोग राज्य सरकारों द्वारा भी किया जाएगा।
क्या है इस कदम का उद्देश्य?इस कदम का उद्देश्य राज्य स्तर पर त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित करना है, जिससे आतंकी संगठन एएसी की गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार के प्रयासों को बल मिलेगा। यह निर्णय उन राज्यों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जहां एएसी सक्रिय है। 11 मार्च को गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर स्थित एएसी को यूएपीए के तहत गैरकानूनी संगठन घोषित कर दिया तथा इस संगठन पर अगले पांच वर्षों के लिए प्रतिबंध लगा दिया।
अवामी एक्शन कमेटी पर लगा है प्रतिबंधउमर फारूक के नेतृत्व वाली अवामी एक्शन कमेटी जम्मू-कश्मीर में अलगाववाद को बढ़ावा देने के लिए आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने और भारत विरोधी दुष्प्रचार फैलाने में संलिप्त रही है। इससे पहले गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना में उमर फारूक और अन्य सदस्यों सहित अवामी एक्शन कमेटी के नेताओं के खिलाफ राष्ट्र विरोधी भाषणों, हिंसा भड़काने और पथराव की घटनाओं में कथित संलिप्तता के लिए दर्ज कई मामलों का हवाला दिया गया था।
इसमें राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा 2018 में एएसी प्रवक्ता आफताब अहमद शाह और 11 अन्य के खिलाफ देश के खिलाफ साजिश के लिए दायर आरोपपत्र का हवाला दिया गया।
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