National News
मतदाता सूची की गड़बड़ियों को तुरंत निपटाएं IRO और BLO, नहीं तो होगी कार्रवाई; चुनाव आयोग का सख्त आदेश
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। मतदाता सूची में गड़बड़ी के आरोपों से जूझ रहे चुनाव आयोग ने इसे त्रुटिरहित बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है। जिसमें निर्वाचन पंजीयन अधिकारी ( ईआरओ) और बूथ लेवल अधिकारियों ( बीएलओ )को निर्देश दिया है कि वह मतदाता सूची से जुड़ी गड़बड़ियों को तुरंत निपटाए। यदि इनमें किसी भी तरह शिकायत मिलती है तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी होगी।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में बीएलओ भी होंगे शामिलआयोग ने इसके साथ बीएलओ सहित चुनाव से जुड़े अधिकारियों व कर्मचारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम की शुरूआत भी की है। आयोग ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहली बार बीएलओ को भी शामिल किया गया है। वहीं इसके पहले चरण में बिहार, पश्चिम बंगाल सहित आधा दर्जन राज्यों पर फोकस किया है। आयोग ने इस दौरान बीएलओ व ईआरओ से कहा है कि वह मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने की तय प्रक्रियाओं का पालन करें।
मतादाताओ की शिकायतों को किया जाएगा निपटारासाथ ही घर-घर जाकर मतदाता सूची में दर्ज नामों को सत्यापित भी करें। इस दौरान मतदाताओं की ओर से मिलने वाली किसी भी तरह की शिकायत का मौके पर निपटारा करें। आयोग ने बीएलओ को उनकी भूमिका की समझायी है।
साथ ही उन्हें इस काम में मदद के तैयार किए गए तकनीकी एप्लीकेशन आदि के इस्तेमाल पर भी जोर दिया है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने इस दौरान राज्य सरकारों को भी निर्देश दिया है, वह ईआरओ पद के लिए एसडीएम स्तर के अधिकारी को तैनाती दें।
साथ ही ईआरओ से भी कहा है कि वह अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले अधिकारी को ही बीएलओ के रूप में तैनाती दें ,साथ ही ये कोशिश करें कि वे उसी मतदान केंद्र के निवासी हों।
यह भी पढ़ें: निखारे जाएंगे चुनाव प्रक्रिया से जुड़े एक करोड़ से अधिक अधिकारी-कर्मचारी, बूथ स्तर से शुरू होगा अभियान
असंवेदनशील और अमानवीय... सुप्रीम कोर्ट ने 'ब्रेस्ट छूना रेप नहीं...' वाले इलाहाबाद HC के फैसले पर लगाई रोक
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म के बारे में इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक फैसले में की गई टिप्पणियों पर कड़ी आपत्ति जताते हुए उन्हें असंवेदनशील और अमानवीय करार देते हुए उन पर रोक लगा दी है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट के आदेश में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धातों से अनभिज्ञ हैं और यह असंवेदनशील तथा अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। इसीलिए उन पर रोक लगाई जाती है। मामले पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही सर्वोच्च अदालत ने मामले में केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार और हाई कोर्ट में पक्षकार आरोपितों को नोटिस जारी किया है।
कोर्ट ने 15 अप्रैल को अगली सुनवाई तय करते हुए अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी और सालिसिटस जनरल तुषार मेहता से सुनवाई में मदद करने का आग्रह किया है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाई कोर्ट की टिप्पणियों पर रोक लगाने का मतलब है कि संबंधित केस में अभियुक्त न्यायिक कार्यवाही में लाभ पाने के लिए उनका उपयोग नहीं कर सकेंगे।
संबंधित मामले में अभियुक्तों ने 11 वर्ष की नाबालिग से दुष्कर्म के कथित अपराध में निचली अदालत द्वारा जारी सम्मन को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
नाबालिग का वक्ष छूना दुष्कर्म नहीं: हाई कोर्टहाई कोर्ट ने आदेश में कहा था कि नाबालिग का वक्ष छूना और उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म या दुष्कर्म का प्रयास नहीं है। यह महिला की गरिमा पर हमला का मामला तो बनता है लेकिन इसे दुष्कर्म का प्रयास नहीं कह सकते। हाई कोर्ट ने विशेष जज के सम्मन आदेश को संशोधित कर दिया था।
इस विवादित फैसले को वी द वोमेन आफ इंडिया संस्था ने 20 मार्च को सुप्रीम कोर्ट के संज्ञान में लाया जिसके बाद स्वत: संज्ञान लेते हुए यह सुनवाई शुरू की है।न्यायमूर्ति बीआर गवई व न्यायमूर्ति अगस्टिन जार्ज मसीह की पीठ ने मामले पर बुधवार को सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश दिये। जैसे ही मामला सुनवाई के लिए आया सालिसिटर जनरल ने कहा कि हाई कोर्ट के इस फैसले पर उनकी गंभीर आपत्ति है।
यह मामला न्यायाधीश की असंवेदनशीलता प्रदर्शित करता है: कोर्टकोर्ट में अटार्नी जनरल भी मौजूद थे। पीठ की अगुवाई कर रहे न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि यह बहुत गंभीर मामला है और यह पूरी तरह से न्यायाधीश की असंवेदनशीलता प्रदर्शित करता है। जस्टिस गवई ने कहा कि हमें न्यायाधीश के खिलाफ ऐसे कठोर शब्दों का प्रयोग करने के लिए खेद है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हाई कोर्ट ने यह आदेश सुनवाई के दौरान तत्काल सुना दिया हो।
मामले में 13 नवंबर 2024 को फैसला सुरक्षित हुआ और करीब चार महीने बाद फैसला सुनाया गया। इससे स्पष्ट है कि फैसला लिखने वाले न्यायाधीश ने सोच समझ कर फैसला दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि सामान्य तौर पर वे इस स्तर पर रोक आदेश जारी नहीं करते लेकिन हाई कोर्ट के आदेश के पैराग्राफ 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों से अनभिज्ञ हैं तथा असंवेदनशील और अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं इसलिए उन टिप्पणियों पर रोक लगाई जाती है।
जस्ट राइट्स फार चिलंड्रन संस्था ने अलग से दायर की याचिकाकोर्ट ने केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश और हाई कोर्ट में पक्षकार रहे आरोपितों को नोटिस भी जारी किया। उत्तर प्रदेश के एडीशनल एडवोकेट जनरल शरण देव सिंह ठाकुर ने प्रदेश सरकार की ओर से नोटिस स्वीकार किया। इस मामले में जस्ट राइट्स फार चिलंड्रन संस्था ने भी पीड़िता की ओर से पैरवी के लिए अलग से याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को भी मुख्य मामले के साथ सुनवाई के लिए संलग्न करने का आदेश दिया है।
सालिसिटर जनरल मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मास्टर आफ रोस्टर हैं उचित होता कि कुछ कदम उठाए जाते। पीठ ने सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह इस आदेश को तत्काल इलाहाबाद हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजे जो तुरंत हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से आग्रह किया है कि वह इस मामले को देखें और जैसा उचित हो कदम उठाएं।
यह भी पढ़ें: यूपी के दो पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक, जानें UP पुलिस से सु्प्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
'सभी संस्थानों को नियंत्रण के साथ काम करने की जरूरत', जज के घर से नकदी बरामदगी के मुद्दे पर बोले जगदीप धनखड़
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से मिली बेहिसाब नोटों की गड्डियों को लेकर खड़े हुए विवाद पर संसद में चर्चा की उठ रही मांग के बीच राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका एक-दूसरे के खिलाफ नहीं हैं।
सभी संस्थानों को नियंत्रण और संतुलन के साथ काम करने की जरूरत है। धनखड़ ने यह टिप्पणी बुधवार को सदन की कार्यवाही शुरू होने के साथ ही की। इस दौरान उन्होंने पूरे सदन को मंगलवार को राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ विधायिका और न्यायपालिका के अधिकारों को लेकर हुई चर्चा की जानकारी दी।
बैठक में विचार- विमर्श सर्वसम्मति से हुआ: जगदीप धनखड़उन्होंने बताया कि बैठक में नेता सदन जेपी नड्डा और विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद थे। हालांकि उन्होंने कहा कि इस चर्चा के विस्तार में जाने की जरूरत नहीं। बैठक में विचार- विमर्श सर्वसम्मति से हुआ। सभी ने इस मुद्दे पर अपनी चिंता जताई और मिलकर काम करने की जरूरत बताई है। वैसे भी यह मुद्दा दो संस्थानों के बीच का नहीं है।
सदन के नेता व विपक्ष के नेता दोनों ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर अपने-अपने दलों व सहयोगियों के साथ बात करेंगे। साथ ही जो भी फैसला होगा उससे उन्हें अवगत कराएंगे। इसके बाद आगे की योजना तैयार की जाएगी।
गौरतलब है कि न्यायाधीश वर्मा के घर से भारी मात्रा में नकदी मिलने का मामला सामने आने पर धनखड़ ने इस पर चिंता जताई है। हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की ओर से इस घटना से जुड़ी सारी जानकारी सार्वजनिक किए जाने और जांच के आदेश दिए जाने पर खुशी भी जताई थी।
यूपी के दो पत्रकारों की गिरफ्तारी पर रोक, जानें UP पुलिस से सु्प्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उत्तर प्रदेश पुलिस को निर्देश दिया कि वह आलेख लिखने व एक्स पर कुछ पोस्ट करने के लिए दर्ज चार एफआईआर के सिलसिले में दो पत्रकारों को चार और हफ्तों तक गिरफ्तार न करे। जस्टिस एमएम सुंद्रेश व जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने अपने पूर्व के आदेश की अवधि बढ़ा दी और राज्य पुलिस को आदेश दिया कि वह पत्रकारों अभिषेक उपाध्याय व ममता त्रिपाठी के विरुद्ध चार और हफ्तों तक कोई दंडात्मक कदम न उठाए।
इस बीच दोनों पत्रकार उत्तर प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर अपने विरुद्ध दर्ज एफआईआर को रद कराने के लिए कानूनी उपायों का सहारा ले सकते हैं। उपाध्याय ने एक आलेख में उत्तर प्रदेश में जिम्मेदार पदों पर तैनात एक खास जाति के लोगों को चिह्नित किया था। वहीं, ममता त्रिपाठी के विरुद्ध उनकी कुछ पोस्ट के संबंध में कई एफआईआर दर्ज की गई थीं। शीर्ष अदालत की पीठ ने उपाध्याय एवं त्रिपाठी दोनों की याचिकाओं का निपटारा कर दिया।
इलाहाबाद हाई कोर्ट मामले पर सुप्रीम कोर्टप्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम ने दो वकीलों को इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। सुप्रीम कोर्ट से जारी बयान में कहा है कि 25 मार्च को कोलेजियम की बैठक में अधिवक्ता अमिताभ कुमार राय और राजीव लोचन शुक्ला को जज बनाने के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम में प्रधान न्यायाधीश खन्ना के अलावा जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ शामिल थे।
पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना मनुष्य की हत्या से भी गंभीर मामला है। न्यायालय ने अवैध रूप से काटे गए प्रत्येक पेड़ के लिए एक व्यक्ति पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। जस्टिस अभय एस ओका और उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने यह टिप्पणी उस व्यक्ति की याचिका को खारिज करते हुए की, जिसने संरक्षित ताजमहल परिक्षेत्र में 454 पेड़ काट डाले थे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पर्यावरण के मामले में कोई दया नहीं होनी चाहिए। बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी जघन्य है। बिना अनुमति के काटे गए 454 पेड़ों से जो हरित क्षेत्र था, उसी तरह का हरित क्षेत्र फिर से उत्पन्न करने में कम-से-कम 100 वर्ष लगेंगे। अदालत ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की वह रिपोर्ट स्वीकार कर ली है, जिसमें शिवशंकर अग्रवाल नामक व्यक्ति द्वारा मथुरा-वृंदावन में डालमिया फार्म में 454 पेड़ काटने के लिए प्रति पेड़ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई थी।
अग्रवाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि उन्होंने गलती स्वीकार कर ली है, लेकिन न्यायालय ने जुर्माना राशि कम करने से इनकार कर दिया। बताते चलें, ताज ट्रेपेजियम जोन उत्तर प्रदेश में आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा तथा राजस्थान के भरतपुर जिले के करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है।
शीर्ष अदालत ने अपने 2019 के उस आदेश को भी वापस ले लिया, जिसमें ताज ट्रेपेजियम जोन के भीतर गैर-वन और निजी भूमि पर पेड़ों को काटने के लिए अनुमति प्राप्त करने की आवश्यकता को हटा दिया गया था। पीठ ने कहा कि अग्रवाल को निकटवर्ती स्थल पर पौधारोपण करने की अनुमति दी जानी चाहिए तथा उसके खिलाफ दायर अवमानना याचिका का निपटारा फैसले के अनुपालन के बाद ही किया
कर्नाटक 'हनी-ट्रैप' मामले पर सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कर्नाटक के एक मंत्री और अन्य नेताओं से जुड़े कथित 'हनी-ट्रैप' के प्रयास की सीबीआई जांच कराने की याचिका खारिज कर दी। जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की तीन जजों की पीठ ने सामाजिक कार्यकर्ता बिनय कुमार सिंह द्वारा दायर जनहित याचिका को खारिज कर दिया।
याचिका में यह भी मांग की गई थी कि जांच की निगरानी या तो सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाए या फिर सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा की जाए। याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील बरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि मीडिया में बताए गए आरोपों के पीछे के लोगों के खिलाफ गहन जांच की जरूरत है।
याचिका में कहा गया है कि कुछ स्वार्थी तत्वों द्वारा जजों को 'हनी ट्रैप' में फंसाना न्यायपालिका की स्वतंत्रता और कानून के शासन के लिए गंभीर खतरा है। याचिका में कहा गया कि 21 मार्च, 2025 को विभिन्न मीडिया आउटलेट्स ने कर्नाटक राज्य विधानमंडल यानी विधान सौधा में परेशान करने वाले आरोपों की रिपोर्टें चलाईं कि राज्य का मुख्यमंत्री बनने का इच्छुक एक व्यक्ति कई लोगों को हनी ट्रैप में फंसाने में सफल रहा है, जिनमें जज भी शामिल हैं।
(यह खबर समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा प्रकाशित की गई है)
नई करेंसी की प्लानिंग कर रहा भारत, चीन और रूस! डॉलर को लेकर अमेरिका ने ब्रिक्स देशों पर लगाया बड़ा आरोप
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बार नहीं बल्कि कम से कम तीन सार्वजनिक मंचों पर आधिकारिक तौर पर यह बात बोल चुके हैं कि भारत की ब्रिक्स संगठन के साथ मिल कर अंतरराष्ट्रीय काराबोर से अमेरिकी डॉलर को बाहर करने की कोई मंशा नहीं है, लेकिन यह बात अमेरिका की नई सत्ता को अभी तक समझ नहीं आई है।
ब्रिक्स कर रहा डि-डॉलराइजेशन की कोशिश: अमेरिकामंगलवार को अमेरिका की खुफिया विभाग की तरफ से जारी सालाना रिपोर्ट ( यह रिपोर्ट संभावित अमेरिकी हितों के समक्ष उत्पन्न संभावित खतरों को लेकर होती है) में यह बात दोहराई गई है कि रूस, भारत, चीन की सदस्यता वाला संगठन ब्रिक्स की तरफ से डि-डॉलराइजेशन (अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी डॉलर के इस्तेमाल को कम करने या खत्म करने की प्रक्रिया) की कोशिश की जा रही है। वैसे इसके लिए रूस की नीति को मुख्य तौर पर जिम्मेदार ठहराया गया है लेकिन रिपोर्ट में भारत का भी नाम है।
अभी तक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ही इस मुद्दे को उठाते रहे हैं। वैसे अमेरिका के इस रूख को लेकर भारत बहुत ज्यादा गंभीर भी नहीं दिखता।
विदेश मंत्रालय ने बताया है कि 24-25 मार्च, 2025 को भी ब्रिक्स संगठन के सदस्य देशों के बीच 10वीं नीतिगत योजना बैठक हुई है। बैठक ब्राजील में हुई जिसमें भारत, रूस, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका के अलावा हाल ही में संगठन में शामिल नये सदस्य देशों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया है।
भविष्य को लेकर ब्रिक्स सदस्यों ने बनाई योजनाइसमें मुख्य तौर पर ब्रिक्स को एक संस्था के तौर पर विकसित करने के विषय पर विमर्श किया गया है। साथ ही हाल के विस्तार के बाद संगठन का भावी एजेंडा व प्राथमिकता क्या होनी चाहिए, इस पर भी विमर्श किया गया है। विदेश मंत्रालय के अलावा अंतरराष्ट्रीय कारोबार की मौजूदा स्थिति, आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस गवर्नेंस और बहुदेशीय शांति सुरक्षा फ्रेमवर्क में बदलाव जैसे दूसरे मुद्दे भी बैठक में उठे।
अमेरिका पर संभावित खतरे को लेकर जारी की गई रिपोर्टइन विषयों से संबंधित कुछ फैसले इस साल के शिखर सम्मेलन में होने की संभावना है। अमेरिका पर संभावित खतरे विषय पर तैयार रिपोर्ट तुसली गबार्ड के कार्यालय ने जारी की है। तुलसी गबार्ड अमेरिका की खुफिया एजेंसी की निदेशक हैं। हाल ही में गबार्ड ने भारत की यात्रा की थी।
बहरहाल, इस सालाना रिपोर्ट में रूस को अमेरिका के लिए सबसे बड़े खतरे के तौर पर चिन्हित किया गया है। इसके मुताबिक, “रूस की तरफ से पश्चिमी देशों की केंद्रीय भूमिका वाली अंतरराष्ट्रीय संगठनों जैसे संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में गड़बड़ी फैलाने की कोशिश हो रही है।
ब्राजील, भारत, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका की सदस्या वाला ब्रिक्स डि-डॉलरलाइजेशन की नीति को आगे बढ़ा रहे हैं।'' वैसे पूरी रिपोर्ट में भारत के लिए एकमात्र अच्छी बात यह है कि इसमें लश्कर-ए-तैयबा जैसे भारत विरोधी आंतकी संगठन को अमेरिका के लिए भी खतरा के तौर पर चिन्हित किया गया है। संभव है कि इन संगठनों के खिलाफ अमेरिकी एजेंसी का दबाव आने वाले दिनों में और देखने को मिले।
शख्स ने 454 पेड़ों को काटा, अब हर पेड़ के बदले देना होगा 1 लाख का जुर्माना; SC ने कहा- ये हत्या से भी बुरा कृत्य
पीटीआई, नई दिल्ली। पेड़ों की अवैध कटाई एक शख्स को भारी पड़ गई। सुप्रीम कोर्ट ने उस पर काटे गए हर पेड़ के बदले 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। व्यक्ति ने अपनी गलती मान ली है। उसने शीर्ष अदालत से जुर्माना कम करने की मांग की। मगर अदालत ने इसे ठुकरा दिया। इस शख्स ने कुल 454 पेड़ काटे थे। मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना इंसान की हत्या से भी बदतर कृत्य है।
दोबारा पेड़ तैयार करने में 100 साल लगेंगेन्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने ताज संरक्षित क्षेत्र में 454 पेड़ों को काटने वाले शख्स की याचिका को खारिज कर दिया और मामले में सख्त टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि पर्यावरण के मामले में कोई दया नहीं होनी चाहिए। बड़ी संख्या में पेड़ों को काटना किसी इंसान की हत्या से भी बदतर है। शीर्ष अदालत ने कहा कि बिना अनुमति के काटे गए 454 पेड़ों से बने हरित क्षेत्र को दोबारा बनाने में कम से कम 100 साल लगेंगे।
सीईसी ने की थी भारी जुर्माने की सिफारिशशीर्ष अदालत ने केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति (CEC) की रिपोर्ट को भी स्वीकार कर लिया है। रिपोर्ट में मथुरा-वृंदावन स्थित डालमिया फार्म में 454 पेड़ काटने वाले शिव शंकर अग्रवाल पर प्रति पेड़ एक लाख रुपये का जुर्माना लगाने की सिफारिश की गई थी।
पौधारोपण की अनुमति दी जाएवरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने अग्रवाल का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि याची ने अपनी गलती स्वीकार कर ली है। मगर अदालत ने जुर्माना राशि कम करने से मना कर दिया। अदालत ने कहा कि अग्रवाल को पास के स्थल पर पौधारोपण करने की अनुमति दी जानी चाहिए। यह भी कहा कि उनके खिलाफ दायर अवमानना याचिका का निपटारा अनुपालन के बाद ही किया जाएगा।
2019 का फैसला लिया वापससुप्रीम कोर्ट ने 2019 में पारित अपना आदेश भी वापस ले लिया। इसमें ताज ट्रेपेजियम जोन के भीतर गैर-वन और निजी भूमि पर पेड़ों को काटने के लिए पूर्व अनुमति लेने आवश्यकता को हटा दिया गया था।
यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ के पूर्व CM भूपेश बघेल के खिलाफ CBI का एक्शन, रायपुर और भिलाई में आवास पर छापामारी
यह भी पढ़ें: 'मेरे पति को लड़को में इंटरेस्ट है...' स्वीटी बूरा ने दीपक हुड्डा पर लगाए गंभीर आरोप, मारपीट वाले Video पर भी दी सफाई
रेल यात्रियों के लिए खुशखबरी, ट्रेन में छूटा हुआ सामान मिलेगा वापस; ये वेबसाइट करेगी मदद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पश्चिमी रेलवे (डब्ल्यूआर) की लॉस्ट एंड फाउंड वेबसाइट ऑनलाइन हो गई है। रेलवे के एक प्रवक्ता ने बताया कि ट्रेनों और रेलवे परिसरों में मिलने वाले सामान, पर्स, हैंडबैग, डिब्बे और अन्य सामान अब फोटोज के साथ पश्चिम रेलवे के पोर्टल पर अपलोड किए जाएंगे।
ताकि यात्रियों के लिए उन्हें पहचानना और हासिल करना आसान हो जाए।पश्चिम रेलवे के प्रवक्ता ने इसकी जानकारी दी है।
इस वेबसाइट पर करें चेकपश्चिम रेलवे के प्रवक्ता ने कहा, 'भारतीय रेलवे में पहली बार रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) पश्चिम रेलवे की वेबसाइट पर खोए/छोड़े गए सामान की डिटेल अपलोड की गई है, जो पश्चिम रेलवे (Western Railway Official) के होम पेज पर उपलब्ध है।
हमने इसे 'ऑपरेशन अमानत' नाम दिया है और इसके तहत खोए हुए सामान की वापसी सुनिश्चित की गई है।
'असली मालिकों को वापस मिलें सामान'ऑपरेशन अमानत के माध्यम से, आरपीएफ सक्रिय रूप से ऐसे खोए हुए सामान का पता लगाता है और यह सुनिश्चित करता है कि अवे अपने असली मालिकों को वापस मिल जाएं।'
क्या है ऑपरेशन अमानत?रेलवे के प्रवक्ता ने कहा, 'ऑपरेशन 'अमानत' के तहत आरपीएफ ने अपने कर्तव्य से आगे बढ़कर जरूरतमंद यात्रियों की मदद की है और उनके खोए या छूटे सामान मोबाइल फोन, लैपटॉप, आभूषण, नकदी आदि जैसी कीमती वस्तुओं को बरामद कर यात्रियों को लौटाया है। अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के दौरान 9.4 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य के 4700 सामान यात्रियों को लौटाए गए हैं।
यात्रियों को मिला फायदाखोए हुए बैग को वापस पाने के सबसे बड़े मामलों में से एक, जो 16 फरवरी, 2025 को हुआ था, सब-इंस्पेक्टर योगेश कुमार जानी ने कांस्टेबल हनुमान प्रसाद चौधरी के साथ ट्रेन नंबर 12479 सूर्यनगरी सुपरफास्ट एक्सप्रेस में कोच बी4 की सीट नंबर 15 के नीचे एक मेहंदी रंग का बैग पाया, जब वे बांद्रा टर्मिनस के प्लेटफॉर्म नंबर 5 पर चेकिंग कर रहे थे।
बैग को आरपीएफ पोस्ट लाया गया। बैग की जांच-पड़ताल करने पर, उसमें एक मोबाइल फोन, कपड़े और कीमती आभूषणों से भरा एक पॉलीथीन बैग मिला।
जानें यात्रियों का अनुभवउसी दिन, एक व्यक्ति अपने खोए हुए बैग की तलाश में बांद्रा स्टेशन पर रेलवे कार्यालय पहुंचा। उसने बताया कि वह अपने दो छोटे बच्चों और अन्य सामान के साथ ट्रेन से जोधपुर से बांद्रा टर्मिनस आया था।
उसने कहा कि उसने अपना एक बैग कोच बी4 (सीट नंबर 15, 24) में छोड़ दिया था। फिर उसने 139 पर कॉल किया। यात्री ने अपना बैग पहचाना, जिसे उसके सामने खोला गया और चेक किया गया। बरामद सामान की कुल कीमत 15,83,000 रुपये थी। बैग और सभी सामान सुरक्षित रूप से उसे सौंप दिया गया। यात्री ने आरपीएफ बांद्रा टर्मिनस और हेल्पलाइन के काम की सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया।
9000 दमकल कर्मी... 130 से ज्यादा हेलीकॉप्टर, मगर नहीं बुझ रही दक्षिण कोरिया में लगी भीषण आग; अब तक 16 की मौत
एपी, सियोल। दक्षिण कोरिया के जंगलों में भीषण आग लगी है। अब तक इसमें 16 लोगों की जान जा चुकी है। और 19 लोग झुलसे हैं। शुष्क मौसम और तेज हवाओं ने आग को और प्रचंड बना दिया है। 1300 साल पुराना बौद्ध मंदिर भी जलकर राख हो गया है।
भीषण आग ने अभी तक 43000 एकड़ जमीन को अपनी चपेट में ले लिया है। प्रशासन ने अंडोंग समेत अन्य शहरों और कस्बों के लोगों को अपने घर खाली करने का आदेश दिया है। दमकल कर्मी आग बुझाने में जुटे हैं। मगर अभी पूरी तरह से सफलता नहीं मिली है।
पांच जगह लगी भीषण आगदक्षिण कोरिया में पांच अलग-अलग स्थानों पर जंगल में भीषण आग लगी है। कोरिया वन सेवा के मुताबिक शनिवार को सानचियोंग में आग की चपेट में आने से चार दमकल कर्मियों की जान गई है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री हान डक-सू ने आग को रोकने के लिए हरसंभव प्रयास करने करने की बात कही है। उन्होंने लोगों से भी सतर्कता बरतने को कहा है।
5500 लोगों को घर छोड़ना पड़ाअंडोंग और उसके पड़ोसी उइसियोंग व सानचियोंग काउंटियों तथा उल्सान शहर के 5500 से ज्यादा लोगों को अपने घरों को छोड़ना पड़ा है। दक्षिण कोरिया के आंतरिक एवं सुरक्षा मंत्रालय के मुताबिक आग ने यहां सबसे भीषण रूप धारण कर रखा है। उइसोंग काउंटी में लगी आग तेजी से आगे फैल रही है। अब अंडोंग और उइसोंग काउंटी के अधिकारियों ने कई गांवों और अंडोंग विश्वविद्यालय के पास रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने का आदेश दिया है।
130 हेलीकॉप्टर आग बुझाने में जुटेअधिकारियों का कहना है कि दमकल कर्मियों ने काफी हद तक आग बुझा दी थी। मगर शुष्क मौसम और तेज हवाओं के कारण आग ने दोबारा प्रचंड रूप धारण कर लिया। आग बुझाने में लगभग 9,000 दमकल कर्मी, 130 से अधिक हेलीकॉप्टर और सैकड़ों वाहनों की मदद ली जा रही है।
7वीं शताब्दी का मंदिर नष्टकोरिया हेरिटेज सर्विस के अधिकारियों के मुताबिक उइसोंग में लगी आग ने 1300 साल पुराने बौद्ध मंदिर गौंसा को तबाह कर दिया है। इस मंदिर लकड़ी का बना था। इसे 7वीं शताब्दी में बनाया गया था। हालांकि यहां किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। मंदिर तक आग पहुंचने से पहले ही भगवान बुद्ध की प्रतिमा और कुछ राष्ट्रीय धरोहरों को निकाल लिया गया था।
2600 कैदियों को दूसरी जगह भेजा जा रहाआग की वजह से योंगदेओक शहर में सड़कों को बंद कर दिया गया है। चार गांवों के लोगों से अपने घरों को छोड़ने को कहा गया है। चेओंगसोंग काउंटी की एक जेल से लगभग 2600 कैदियों को दूसरी जगह भेजा जा रहा है। हालांकि दक्षिण कोरिया के न्याय मंत्रालय ने अभी इसकी पुष्टि नहीं की।
यह भी पढ़ें: दिल्ली में भारी वाहनों की आवाजाही के लिए नियामक उपाय करे सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
यह भी पढ़ें: दिल्ली में प्रचंड गर्मी की एंट्री, यूपी-राजस्थान में भी बढ़ेगा तापमान; मानसून में होगी देरी
Weather News: दिल्ली में प्रचंड गर्मी की एंट्री, यूपी-राजस्थान में भी बढ़ेगा तापमान; मानसून में होगी देरी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। धीरे धीरे दिल्ली समेत समूचे उत्तर भारत में गर्मी पड़ने लगी है। यूपी से लेकर दिल्ली तक कई जगहों पर तापमान 30 डिग्री पहुंच गया है। पूरे दिन धूप निकलने के कारण तापमान काफी तेजी से बढ़ा है। दिल्ली में मंगलवार इस सीजन का सबसे गर्म दिन रहा। राष्ट्रीय राजधानी में अधिकतम तापमान 37 डिग्री से ऊपर चला गया। मौसम विभाग के अनुसार, भीषण गर्मी के बीच बुधवार को यह 38 से 40 डिग्री तक पहुंच सकता है।
बिहार, राजस्थान, यूपी, हरियाणा में बढ़ेगी गर्मीआने वाले सप्ताह में बिहार, राजस्थान, यूपी, हरियाणा-पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र समेत दक्षिण भारत में लगातार तापमान बढ़ रहा है, जिससे भीषण गर्मी की एंट्री होने वाली है। हालांकि, सप्ताह के अंत तक पश्चिमी विक्षोभ के एक्टिव होने से बादलों की आवाजाही के साथ हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है।
पहाड़ी राज्यों में बदलेगा मौसममौसम विभाग के मुताबिक, पहाड़ी राज्यों में मौसम तेजी से बदलेगा। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में 26 मार्च को हल्की से मध्यम बारिश और ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी हो सकती है। वहीं, तमिलनाडु केरल में भारी की संभावना जताई गई है।
दिल्ली में आज साफ रहेगा मौसममौसम विभाग ने दिल्ली में बुधवार को आसमान साफ रहने का अनुमान जताया है। अधिकतम तापमान 39 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने की संभावना है, जबकि न्यूनतम तापमान 18 डिग्री के आसपास रहने की संभावना है। इस बीच, दिल्ली की वायु गुणवत्ता "खराब" श्रेणी में बनी रही।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, बुधवार को शाम 4 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 234 था। दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने सुधार की भविष्यवाणी की है। शहर की वायु गुणवत्ता बुधवार से "मध्यम" श्रेणी में जाने का अनुमान है, जहाँ अगले दो दिनों तक इसके बने रहने की संभावना है।
लू करेगी परेशानकाउंसिल ऑन एनर्जी, एनवायरनमेंट एंड वाटर (सीईईडब्ल्यू) का दावा है कि इस बार की गर्मियों के दौरान दिल्ली एनसीआर सहित देशभर में लू वाले दिनों की संख्या 15 से 20 प्रतिशत तक का इजाफा हो सकता है। मौसम विभाग से मिले इनपुट के आधार पर सीईईडब्ल्यू ने एक विश्लेषण जारी कर यह भी कहा कि वर्षा में बहुत ज्यादा अनिश्चितता दिखाई दे रही है, जैसे मानसून में भी देरी हो रही है। इसीलिए लू का प्रभाव बढ़ रहा है, प्रभावित हीट आइलैंड भी बढ़ रहे हैं। यहां तक कि लू का ओवरऑल सीजन बढ़ रहा है।
यह भी पढ़ें- इस गर्मी में बढ़ेगी 'हीटवेव' की मार, देशभर में 15-20% तक बढ़ सकते हैं लू वाले दिन
TMC सांसद ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह को कहा 'दलाल', भाजपा ने कहा- माफी मांगो
पीटीआई, नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कैलाश बनर्जी ने मंगलवार को कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर अमीरों के लिए 'दलाल' के रूप में काम करने का आरोप लगाया और बंगाल के लिए लंबित केंद्रीय धनराशि को लेकर केंद्र सरकार की आलोचना की। भाजपा ने तुरंत पलटवार किया। कृषि राज्य मंत्री भगीरथ चौधरी ने बंगाल के सांसद से चौहान के खिलाफ अपमानजनक भाषा के लिए माफी की मांग की।
भाजपा पर लगाया भेदभाव का आरोपसंसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि मनरेगा और पीएमएवाईजी जैसी योजनाओं के तहत बंगाल के लिए केंद्रीय धनराशि पिछले तीन वर्षों से लंबित है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र राज्य के साथ भेदभाव कर रहा है क्योंकि भाजपा वहां सरकार बनाने में विफल रही है।
बंगाल के सेरामपुर से सांसद बनर्जी ने आरोप लगाया कि शिवराज चौहान अमीरों के लिए 'दलाल' हैं। वह गरीबों के लिए काम नहीं करते और इसी कारण उन्हें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद से हटा दिया गया। उन्होंने कई बार अपने 'दलाल' वाले बयान को दोहराया।
स्पीकर को कार्यवाही को 12 बजे तक स्थगित करना पड़ाइससे पूर्व मंगलवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान, डीएमके और तृणमूल कांग्रेस के सांसदों ने ग्रामीण रोजगार योजना मनरेगा के लिए कुछ राज्यों को भुगतान में कथित देरी के खिलाफ विरोध किया, जिससे स्पीकर को कार्यवाही को 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
बनर्जी ने कहा कि केंद्र ने पिछले तीन वर्षों से बंगाल को धनराशि नहीं दी हैबनर्जी ने कहा कि केंद्र ने पिछले तीन वर्षों से धनराशि नहीं दी है और 25 लाख फर्जी जाब कार्ड का हवाला दिया है। उन्होंने कहा कि भाजपा की 2021 के विधानसभा चुनावों में हार के कारण बंगाल को धनराशि नहीं मिली।
बनर्जी को असंसदीय भाषा के लिए माफी मांगनी चाहिएकृषि राज्य मंत्री भगीरथ चौधरी ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बनर्जी को असंसदीय भाषा के लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी 'सबका साथ, सबका विकास' के सिद्धांत पर काम कर रहे हैं। सरकार ने लोकसभा में कहा कि मनरेगा धनराशि जारी करने में किसी राज्य के साथ भेदभाव नहीं किया गया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जल्द ही लंबित बकाया जारी की जाएगी।
यह भी पढ़ें- 'बंगाल में फंड का हुआ दुरुपयोग, तमिलनाडु को मिले यूपी से भी अधिक पैसे', मनरेगा पर और क्या बोले केंद्रीय मंत्री?
आसमान से दुश्मन पर होगा तगड़ा वार, सेना को मिलेंगे 156 लड़ाकू हेलीकॉप्टर; 45 हजार करोड़ का है सौदा
एएनआई, नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल जल्द ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) से थलसेना और वायु सेना के लिए 45,000 करोड़ रुपये के 145 हल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर खरीदने के सौदे को मंजूरी दे सकता है।
सीमाओं पर ऑपरेशन के लिए इन हेलीकॉप्टरों का होगा उपयोगसूत्रों ने बताया कि रक्षा मंत्रालय चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर ऑपरेशन के लिए इन हेलीकॉप्टरों को खरीदने के मामले को मजबूती से आगे बढ़ा रहा है। यह देश में रोजगार सृजन और एयरोस्पेस पारिस्थितिकी तंत्र के विस्तार की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
सूत्रों ने बताया कि एचएएल को पिछले साल जून में 156 हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर के लिए निविदा मिली थी। विचार-विमर्श के बाद यह परियोजना अब अंतिम मंजूरी के लिए तैयार है। 156 हेलीकॉप्टरों में से 90 थलसेना के लिए होंगे, जबकि 66 भारतीय वायु सेना के लिए होंगे। इस संयुक्त खरीद के लिए भारतीय वायुसेना प्रमुख एजेंसी है।
हेलीकॉप्टर को प्रचंड के नाम से भी जाना जाता हैहल्के लड़ाकू हेलीकॉप्टर को प्रचंड के नाम से भी जाना जाता है। यह दुनिया का एकमात्र अटैक हेलीकॉप्टर है जो 5,000 मीटर (16,400 फीट) की ऊंचाई पर उतर सकता है और उड़ान भर सकता है। इसकी यही खासियत इसे सियाचिन ग्लेशियर और पूर्वी लद्दाख के अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में संचालन के लिए आदर्श बनाता है।
प्रचंड हवा से जमीन और हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों को दागने में भी सक्षम है और दुश्मन के हवाई रक्षा अभियानों को नष्ट कर सकता है। सरकार आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत मेक इन इंडिया के माध्यम से रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के इरादे पर जोर दे रही है।
स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के लिए सबसे बड़ा ऑर्डरसरकार ने 83 हल्के लड़ाकू विमान सहित स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के लिए सबसे बड़ा ऑर्डर दिया है। साथ ही 97 और विमानों का आर्डर करने की प्रक्रिया में है और इसके लिए बातचीत पूरी हो चुकी है।
65 प्रतिशत रक्षा उपकरण भारत में हो रहे निर्मितसरकार ने घोषणा की है कि अब 65 प्रतिशत रक्षा उपकरण भारत में निर्मित होते हैं जबकि पूर्व में 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे। यह भारत की आत्मनिर्भरता को दर्शाता है। 'मेक इन इंडिया' पहल के बाद से भारत का रक्षा उत्पादन बहुत तेज गति से बढ़ा है।
2023-24 में यह 1.27 लाख करोड़ रुपये के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है। रक्षा मंत्रालय द्वारा मंगलवार को साझा की गई फैक्ट शीट में बताया गया है कि भारत के विविध निर्यात पोर्टफोलियो में बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (डीओ-228) एयरक्राफ्ट, चेतक हेलीकॉप्टर, फास्ट इंटरसेप्टर बोट्स और हल्के टारपीडो शामिल हैं।
विशेष रूप से बिहार में बने जूतों का इस्तेमाल अब रूसी सेना द्वारा किया जा रहा है। यह तमाम चीजें भारत की उच्च निर्माण क्षमताओं को दर्शाती हैं
तमिलनाडु में भाषा विवाद के बीच अमित शाह से मिले पलानीस्वामी, भाजपा-अन्नाद्रमुक में गठबंधन की चर्चा तेज
पीटीआई, नई दिल्ली। अन्नाद्रमुक महासचिव और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के पलानीस्वामी ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से दिल्ली में मुलाकात की। ऐसा कहा जा रहा है कि अन्नाद्रमुक राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा के साथ दोबारा गठबंधन कर सकती है। यह जानकारी सूत्रों ने दी।
तमिलनाडु में हिंदी थोपे जाने समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुईसूत्रों के अनुसार, अन्नाद्रमुक के नेता ने शाह के साथ तमिलनाडु में हिंदी थोपे जाने समेत कई मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने इस पर अपनी पार्टी के विचारों को साझा किया। तमिलनाडु में मुख्य विपक्षी दल अन्नाद्रमुक ने भाजपा के राज्य नेतृत्व के साथ कुछ मतभेदों के बाद 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले सितंबर 2023 में नाता तोड़ लिया था।
इससे पहले अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेताओं ने भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा से मुलाकात की थी। उन्हें भाजपा की तमिलनाडु इकाई के प्रमुख के. अन्नामलाई की आक्रामक राजनीतिक शैली से उत्पन्न स्थिति से अवगत कराया था। अन्नाद्रमुक नेताओं ने द्रविड़ नेता सीएन अन्नादुरई पर की गई टिप्पणी के लिए अन्नामलाई से माफी मांगने या उन्हें हटाने की मांग की थी।
अन्नामलाई ने अन्नाद्रमुक की आलोचना कम कर दी हैअन्नामलाई ने पिछले कुछ समय से अन्नाद्रमुक की आलोचना कम कर दी है। ऐसा माना जा रहा है कि यदि अन्नाद्रमुक और भाजपा में फिर से गठबंधन होता है तो वे राज्य में सत्तारूढ़ द्रमुक नीत आइएनडीआइए गठबंधन को कड़ी चुनौती देंगे। विगत कुछ वर्षों में राज्य में अन्नाद्रमुक के वोट शेयर में गिरावट आई है।
स्टालिन के हिंदी थोपने के बयान से उनका गुप्त एजेंडा आया सामने : अन्नामलाईतमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के आरोपों को खारिज करते हुए राज्य भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने स्पष्ट किया है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उल्लेखित तीन भाषा नीति का उद्देश्य छात्रों को कई भाषाएं सीखने का अवसर प्रदान करना है। यह ¨हदी थोपने का प्रयास नहीं है।
एक्स पर अन्नामलाई ने कहा कि नीति को हिंदी थोपने के प्रयास के रूप में गलत तरीके से पेश कर मुख्यमंत्री ने डीएमके के छिपे हुए एजेंडे को सामने ला दिया है। उनकी बातों से लगता है कि केवल वे लोग ही कई भाषाएं सीख सकते हैं जिनके पास पैसा है।
अन्नामलाई ने कही ये बातस्कूल शिक्षा विभाग के नीति नोट का हवाला देते हुए अन्नामलाई ने बताया कि तमिलनाडु सरकार ने स्वयं संस्कृत और अन्य भाषाओं को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण धन आवंटित किया था।
एक देश-एक चुनाव बिल संविधान की किसी विशेषता को प्रभावित नहीं करता, अटार्नी जनरल ने संसदीय समिति के सामने रखे विचार
पीटीआई, नई दिल्ली। अटार्नी जनरल (एजी) आर. वेंकटरमणी ने मंगलवार को एक संसदीय समिति को बताया कि एक देश-एक चुनाव के विधेयक संविधान की किसी भी विशेषता को प्रभावित नहीं करते और कानून की दृष्टि से सही हैं।
प्रस्तावित कानूनों में किसी संशोधन की आवश्यकता नहींसूत्रों ने बताया, संसद की संयुक्त समिति के समक्ष पेश हुए कुछ विधि विशेषज्ञों ने संविधान संशोधन विधेयक के कुछ पहलुओं पर कुछ सदस्यों की चिंताओं को साझा किया, लेकिन वेंकटरमणी ने कहा कि प्रस्तावित कानूनों में किसी संशोधन की आवश्यकता नहीं है।
विपक्षी दलों ने विधेयकों की आलोचना करते हुए उन्हें संविधान का उल्लंघन करने वाला बताया है। हालांकि, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश और वर्तमान में दूरसंचार विवाद निपटान एवं अपीलीय न्यायाधिकरण के अध्यक्ष डीएन पटेल ने अपने प्रस्तुतीकरण में ''एक देश-एक चुनाव'' प्रस्ताव के सकारात्मक पहलुओं के साथ-साथ चुनौतियों पर भी चर्चा की।
यह अवधारणा राष्ट्र के लिए अच्छी हैउन्होंने कहा कि यह अवधारणा राष्ट्र के लिए अच्छी है, लेकिन किसी भी प्रस्तावित कानून में हमेशा सुधार किया जा सकता है। पटेल ने नीतिगत निरंतरता, दीर्घकालिक नीतियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए बेहतर शासन, राजनीतिक दलों के प्रदर्शन का बेहतर आकलन करने की स्थिति में लोगों का जानकारी के साथ मतदान और लागत में कमी को सकारात्मक पहलू बताया।
हालांकि उन्होंने चुनौतियों में राज्य की स्वायत्तता पर संभावित प्रभाव के साथ संघवाद की चिंताओं व क्षेत्रीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दों के हावी होने के जोखिम को शामिल किया। उन्होंने कहा कि राज्यों के चुनावों को लोकसभा चुनावों के साथ कराने के लिए कुछ विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है, लेकिन यह विचार मौजूदा विधेयकों का हिस्सा नहीं है।
कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने किया सवालजब पटेल ने एक साथ चुनाव के वैश्विक चलन का उल्लेख किया तो कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने सवाल किया कि क्या स्वीडन और बेल्जियम जैसे देशों की तुलना भारत से की जा सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि एक साथ चुनाव कराने के लाभों के बारे में सभी दावे ज्यादातर अनुमान हैं, क्योंकि कोई अध्ययन नहीं किया गया है।
पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को मिली अहम जिम्मेदारी, नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त
पीटीआई, नई दिल्ली। पूर्व कैबिनेट सचिव राजीव गौबा को मंगलवार को नीति आयोग का पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किया गया। एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर इसकी जानकारी दी।
झारखंड कैडर के 1982 बैच के आईएएस अधिकारीझारखंड कैडर के 1982 बैच के आईएएस अधिकारी गौबा ने 2019 से अगस्त 2024 तक पांच साल तक देश के शीर्ष नौकरशाह के रूप में कार्य किया।
अधिसूचना में कही ये बातअधिसूचना में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने राजीव गौबा, आईएएस (जेएच:1982) सेवानिवृत्त को तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्यों के लिए लागू समान नियमों और शर्तों पर नीति आयोग के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दी है।
गौबा ने केंद्रीय गृह सचिव, शहरी विकास मंत्रालय में सचिव और झारखंड के मुख्य सचिव के रूप में भी कार्य किया है।
इस खबर को लगातार अपडेट किया जा रहा है। हम अपने सभी पाठकों को पल-पल की खबरों से अपडेट करते हैं। हम लेटेस्ट और ब्रेकिंग न्यूज को तुरंत ही आप तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रारंभिक रूप से प्राप्त जानकारी के माध्यम से हम इस समाचार को निरंतर अपडेट कर रहे हैं। ताजा ब्रेकिंग न्यूज़ और अपडेट्स के लिए जुड़े रहिए जागरण के साथ।
सामाजिक सुरक्षा कवच कमजोर होने के विकसित देशों की धौंस को जल्द बंद करेगा भारत, मोदी सरकार ने बनाया मास्टर प्लान
संजय मिश्र, नई दिल्ली। सामाजिक सुरक्षा के वैश्विक मानकों पर भारत के खरा न उतरने की दलील देकर विदेश में नौकरी करने वाले भारतीयों के भविष्य निधि फंड न देने से लेकर मुक्त व्यापार समझौते में सामाजिक सुरक्षा का प्रविधान हटा देने की विकसित देशों की धौंसगिरी अब ज्यादा लंबी नहीं चल पाएगी। भारत का सामाजिक सुरक्षा कवरेज बीते कुछ वर्षों में दोगुनी बढ़त के साथ 48.8 प्रतिशत हो गया है।
इसके बाद केंद्र सरकार ने देशभर में जारी सामाजिक सुरक्षा की तमाम योजनाओं का डाटा अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आइएलओ) के मानकों के अनुरूप एकत्र करने का अभियान शुरू किया है।
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने आइएलओ के साथ मिलकर सामाजिक सुरक्षा के आंकड़े जुटाने के इस अभियान में अब तमाम राज्यों में लागू सामाजिक सुरक्षा तथा कल्याण योजनाओं के डाटा को भी इसमें शामिल करने की पहल शुरू करने का फैसला किया है।
संगठित आंकड़ों के अभाव का फायदा उठे रहे अमेरिका जैसे देशसरकार का मानना है कि भारत की सामाजिक सुरक्षा का कवरेज वर्तमान में 65 प्रतिशत है लेकिन संगठित आंकड़ों के अभाव में अमेरिका तथा अन्य विकसित देश इसका फायदा उठाने का प्रयास करते हैं। केंद्र सरकार की स्कीमों के अलावा राज्यों में महिलाओं, वृद्धों, विधवाओं को पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं का लाभ मिल रहा है। लेकिन राज्यों की ऐसी पहल देश के सामाजिक सुरक्षा कवरेज के आंकड़ों का हिस्सा नहीं है।
इसके मद्देनजर ही श्रम मंत्राल ने आइएलओ के साथ मिलकर एक व्यापक डाटा-पुलिंग-एक्सरसाइज शुरू किया है। इसमें आधार को 34 प्रमुख केंद्रीय योजनाओं जैसे मनरेगा, ईपीएफओ, ईएसआइसी, अटल पेंशन योजना और पीएम-पोषण आदि में लाभार्थियों की पहचान के लिए इस्तेमाल किया गया। कुल 200 करोड़ रिकार्ड का विश्लेषण कर इसके विशिष्ट लाभार्थियों की पहचान की गई। श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि इस अध्ययन के अनुसार भारत की 65 प्रतिशत जनसंख्या कम से कम एक सामाजिक सुरक्षा योजना के दायरे में है। इनमें से 48.8 प्रतिशत लोगों को नकद लाभ मिल रहे हैं।
आइएलओ के मानक आंकड़ों के हिसाब से 2021 के 24.4 प्रतिशत के मुकाबले भारत का सामाजिक सुरक्षा कवच 2024 में 48.8 प्रतिशत हो गया। यह वृद्धि इसलिए हुई क्योंकि अब उन सभी केंद्रीय योजनाओं को भी शामिल किया गया है, जिन्हें पहले नहीं गिना गया था। सुरक्षा मानकों की कसौटी पर खरा न उतरने को आधार बनाकर मुक्त व्यापार समझौते से सामाजिक सुरक्षा कवच के प्रविधान हटाए जाने के संबंध में पूछे जाने पर मंडाविया ने कहा कि अमेरिका जैसे देशों में भी वहां नौकरी करने वाले भारतीयों के भविष्य निधि के फंड यहां आने के बाद नहीं दिए जाते।
इसलिए मंत्रालय ने राज्यों में चलाई जा रही सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं का आंकड़ा आइएलओ के मानकों के अनुरूप जुटाने को लेकर चर्चा शुरू कर दी है।
उन्होंने कहा कि कई राज्यों में महिलाओं, विधवाओं, वृद्धों को नकद राशि हर महीने देने की योजनाएं चल रही हैं। केंद्र सरकार की आयुष्मान योजना से इतर 16 राज्यों में संपूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा योजना लागू है। 12 करोड़ लोगों को आवास दिया जा चुका है और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मिल रहा है। खाद्य सुरक्षा जैसी योजनाओं के लाभ भी इसमें शामिल नहीं किए गए हैं।
राज्यों के साथ आंकड़े जुटाने को लेकर हुई बैठकमंडाविया ने कहा कि यदि इन पहलुओं को जोड़ा जाए तो भारत की वास्तविक सामाजिक सुरक्षा कवरेज 65 प्रतिशत से अधिक होगी। जबकि, विकसित देशों में सामाजिक सुरक्षा 60 से लेकर 90 प्रतिशत तक है।
राज्यों के साथ आंकड़े जुटाने की इस पहल के तहत पहले चरण में 19 मार्च को एक हाइब्रिड बैठक हुई, जिसमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्यों का चयन किया गया है।
इन राज्यों से केंद्र स्तर पर डाटा एकत्र कर सत्यापन और मिलान किया जाएगा। श्रम मंत्री ने कहा कि जेनेवा में आइएलओ की अगली बैठक में सामाजिक सुरक्षा के भारत के आंकड़ों को शामिल करने का मुद्दा वे स्वयं उठाएंगे।
यह भी पढ़ें: बांग्लादेश में अब श्रमिकों पर गहराया संकट, कई कपड़ा फैक्ट्रियों पर लटका ताला; हाईवे जाम कर किया प्रदर्शन
ESIC कर्मचारियों को मिली बड़ी सौगात, अब आयुष्मान भारत पैनल अस्पतालों में भी होगा इलाज
संजय मिश्र, जागरण, नई दिल्ली। आयुष्मान भारत पैनल में शामिल देश भर के 24000 से अधिक अस्पतालों में कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) के लाभार्थी संगठित क्षेत्र के कामगारों तथा उनके आश्रितों को इलाज की सुविधा जल्द मिलेगी।
श्रम मंत्रालय ने ईएसआईसी के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर तथा सुलभ बनाने के लिए आयुष्मान भारत पैनल के अस्पतालों में ईएसआईसी योजना के लाभार्थियों को कैशलेस इलाज की सुविधा का रास्ता खोलने के प्रस्ताव को अंतिम रूप दे दिया है। सामाजिक सुरक्षा के साथ संगठित क्षेत्र के कामगारों तथा उनके आश्रितों के स्वास्थ्य चुनौतियों का बेहतर समाधान निकालने के लिए आयुष्मान भारत के अस्पतालों को ईएसआईसी से जोड़ने का यह निर्णय लिया जा रहा है।
अब कामगारों को मिलेगी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाआयुष्मान भारत पैनल में शामिल अस्पतालों को ईएसआईसी से जोड़े जाने के प्रस्ताव की पुष्टि करते हुए केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि दूर-दराज तथा छोटे शहरी इलाकों में संगठित क्षेत्र के कामगारों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। इस प्रस्ताव को अमलीजामा पहनाने के लिए श्रम मंत्रालय की ओर से वे जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय करेंगे। ईएसआईसी के तहत मार्च 2024 तक 3.72 करोड़ संगठित क्षेत्र के कामगार हैं और उनके आश्रितों को मिलाकर कुल 14.44 करोड़ लाभार्थी कवर किए गए हैं।
क्या बोले केंद्रीय मंत्री?मंडाविया ने कहा कि वर्तमान आंकड़ों के अनुसार एक कामगार के परिवार की औसत संख्या 3.88 है। इस हिसाब से लाभार्थियों की संख्या 14 करोड़ से ज्यादा है। चूंकि आयुष्मान भारत पैनल में शामिल अस्पतालों को स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार के मानकों के हिसाब से पैनल में सूचीबद्ध किया है, इसलिए ईएसआईसी से इन्हें जोड़ने में कोई दिक्कत नहीं है।
श्रम मंत्रालय के इस फैसले के बाद संगठित क्षेत्र के कामगारों-लाभार्थियों के लिए देश के करीब 31000 सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज का रास्ता खुल जाएगा जिसमें 150 से अधिक ईएसआईसी के अस्पताल तथा 1600 डिस्पेंसरी भी शामिल हैं।
लाभार्थियों के चिकित्सा खर्च की सीमा नहीं होगीश्रम मंत्री ने साफ किया कि ईएसआईसी के तहत आयुष्मान भारत पैनल में शामिल अस्पतालों में इलाज के लिए किसी तरह की कैपिंग नहीं होगी। यानि लाभार्थियों के लिए चिकित्सा खर्च पर कोई सीमा नहीं होगी और सारा खर्च ईएसआइसी वहन करेगा। आयुष्मान भारत के तहत पांच लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा है और वर्तमान में करीब 60 करोड़ लोगों को केंद्र सरकार की इस योजना का लाभ मिल रहा है।
UP के इन 15 जिलों के कामगारों को भी मिलेगी सुविधा- ईएसआईसी के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं के लाभ से वंचित उत्तरप्रदेश के 15 जिलों के संगठित क्षेत्र के कामगारों को इस दायरे में लाने की श्रम मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी कर दी।
- केंद्र सरकार के इस फैसले के साथ ही अब उत्तरप्रदेश के 75 में से 74 जिले ईएसआईसी की स्वासथ्य सुविधाओं के दायरे में आ गए हैं। सूबे का अब केवल एक जिला बांदा अब ईएसआईसी सुविधा के दायरे से बाहर है।
- केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने ईएसआईसी के तहत स्वास्थ्य सुविधाओं का कवरेज बढ़ाने की दिशा में उत्तरप्रदेश के 15 जिलों को दायरे में लाए जाने को अहम करार दिया। उनके अनुसार देश के 689 जिलों में ईएसआइसी योजना पूरी या आंशिक तौर पर अधिसूचित है। जबकि 104 जिलों में अब तक यह योजना लागू नहीं थी।
- उत्तरप्रदेश के 15 जिलों को शामिल किए जाने के बाद अब देश में 89 जिले ईएसआईसी सुविधा के लिए अधिसूचित नहीं हैं और श्रम मंत्रालय अगले दो साल में बाकी बचे इन जिलों में ईएसआईसी कवरेज में लाया जाएगा। उत्तरप्रदेश में अब कुल 74 जिलों में पूर्ण रूप क्रियान्वयन के बाद इसका सूबे में संगठित क्षेत्र के कामागारों तथा उनके परिवारों को स्वास्थ्य सुविधा का फायदा मिलेगा। लाभार्थियों की यह संख्या करीब 1.16 करोड़ है।
- ईएसआईसी कवरेज के लिए अधिसूचित उत्तरप्रदेश के 15 जिलों के नाम: अंबेडकर नगर, औरैया, बहराईच, गोंडा, हमीरपुर, जालौन, कन्नौज, महाराजगंज, महोबा, पीलीभीत, सिद्धार्थनगर, शामली, प्रतापगढ़, कासगंज और श्रावस्ती
ईएसआइसी एक बहुआयामी सामाजिक सुरक्षा योजना है। यह योजना संगठित क्षेत्र में कर्मचारियों को सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा प्रदान करती है। योजना के तहत बीमारी, मातृत्व और विकलांगता की स्थिति में बीमित कर्मचारियों और उनके परिवारों को स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा मिलती है। देश भर में ईएसआईसी के 150 से ज्यादा अस्पताल हैं। यहां सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों तक का इलाज होता है।
ईएसआई के लिए कौन पात्र है?ईएसआई के तहत उन कर्मचारियों को कवरेज मिलता है, जिनका मासिक वेतन 21,000 रुपये प्रति माह या इससे कम है। दिव्यांग कर्मचारियों के लिए यह सीमा 25,000 रुपये है। पात्र कर्मचारियों को ईएसआईसी योजना में नामांकित करना नियोक्ता की जिम्मेदारी होती है।
कर्मचारी और नियोक्ता करते हैं योगदान ईएसआई योजना एक स्व वित्त पोषित कार्यक्रम है। इसके लिए नियोक्ता और कर्मचारी दोनों योगदान करते हैं। इसमें कर्मचारी अपने वेतन का 1.75 प्रतिशत और नियोक्ता कर्मचारी के वेतन का 4.75 प्रतिशत के बराबर योगदान करता है।
नौकरी बदलने पर नहीं बदलता बीमा नंबरइस योजना की एक विशेषता यह है कि जब तक कर्मचारी ईएसआई वेतन सीमा के अंदर रहता है, तब तक उसका बीमा नंबर वही रहता है। नौकरी बदलने से कर्मचारी की बीमा स्थिति प्रभावित नहीं होगी और उसका बीमा नंबर वही रहता है।
ईएसआइ के फायदे?बीमित कर्मचारी और उसके परिवार को पूरी चिकित्सा देखभाल की सुविधा मिलती है-बीमित कर्मचारी या उसके परिवार के इलाज पर खर्च की कोई सीमा नहीं है।
- 120 रुपये मासिक प्रीमियम पर रिटायर कर्मचारी और जीवनसाथी को भी मिलती है इलाज की सुविधा।
- हर वर्ष अधिकतम 90 दिनों की बीमारी की अवधि के दौरान वेतन का 70 प्रतिशत नकद मुआवजा मिलता है।
- महिलाओं को प्रसव/ गर्भावस्था के दौरान 26 सप्ताह के लिए मातृत्व अवकाश मिलता है।
- वेतन के 90 प्रतिशत की दर से अस्थाई विकलांगता का लाभ मिलता है।
- कर्मचारी की काम के दौरान मौत होने पर आश्रितों को वेतन के 90 प्रतिशत की दर से मिलता है मासिक भुगतान।
- 4.81 करोड़ है ईएसआइ लाभों के लिए बीमित कर्मचारियों की संख्या।
- 22.93 लाख संस्थान पंजीकृत हैं ईएसआईसी के तहत 165 है ईएसआई अस्पतालों की संख्या।
यह भी पढ़ें: EPFO Rules: अब UPI और ATM से निकल जाएगा PF का पैसा, जानिए कब से शुरू होगी सुविधा
यह भी पढ़ें: 'बंगाल में फंड का हुआ दुरुपयोग, तमिलनाडु को मिले यूपी से भी अधिक पैसे', मनरेगा पर और क्या बोले केंद्रीय मंत्री?
कैसी है Sonu Sood की पत्नी की हालत? अस्पताल ने दिया बड़ा अपडेट; कार एक्सीडेंट में घायल हुई थीं एक्टर की पत्नी
एएनआई, मुंबई। सोनू सूद की पत्नी, सोनाली सूद मुंबई-नागपुर हाईवे पर एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गईं। 24 मार्च को सानाली का एक्सीडेंट हुआ था। कार में सोनाली सूद, उनकी बहन का बेटा और एक महिला थी। सेनाली की कार एक ट्रक से टकरा गई। इसके बाद सोनाली सूद को नागपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया।
#UPDATE | Sonu Sood's wife, Sonali Sood, her sister and nephew were brought to the Emergency Department of Max Hospital, Nagpur at approximately 10:30 PM last night. All three patients were conscious upon arrival and had stable vital signs. They had sustained multiple abrasions… https://t.co/Fv7zZdBJUs
— ANI (@ANI) March 25, 2025 खतरे से बाहर हैं सोनाली सूदमंगलवार रात को अस्पताल की ओर से जानकारी दी गई कि सोनाली सूद को इमरजेंसी डिपार्टमेंट से बाहर निकाला गया। वहीं, उनके भतीजे को प्राथमिक उपचार के बाद छुट्टी दे दी गई। सोनू सूद की पत्नी सोनाली सूद और उनकी बहन निगरानी में हैं और उनकी हालत में सुधार हो रहा है। उनकी हालत स्थिर है। दोनों की हालत स्थिर है। सोनू सूद और सोनाली ने 25 सितंबर 1996 में शादी की थी।
यह भी पढ़ें: बाल-बाल बचीं Sonu Sood की पत्नी सोनाली, हाइवे पर ट्रक से हुआ कार का भयंकर एक्सीडेंट
CNG को लेकर मोदी सरकार का मास्टर प्लान तैयार, PNG के लिए बनाई ये रणनीति; जानिए किसे मिलेगा फायदा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पूरे देश खास तौर पर दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को साफ-स्वच्छ ईंधन देने की सरकार की मुहिम आने वाले दिनों में और तेज होने वाली है। यह मुहिम है देश के ज्यादातर रसोई को पाइपलाइन वाली नेचुरल गैस (पीएनजी) से जोड़ने की और देश के अधिकांश इलाके में सीएनजी चालित वाहनों के लिए उपयुक्त ईंधन उपलब्ध कराने की। अभी देश के सिर्फ 1.4 करोड़ घरों को ही पीएनजी से जोड़ा गया है।
पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने वर्ष 2030 तक 12 करोड़ घरों को पीएनजी से जोड़ने की रणनीति बनाई है। कोशिश यह होगी कि वर्ष 2035 तक कम से कम 15 करोड़ घरों में एलपीजी सिलेंडर लाने या उन्हें रिफिल करने की झंझट खत्म हो जाए। इसका एक बड़ा हिस्सा दूसरी व तीसरी श्रेणी के शहरों या इन शहरों के आस-पास स्थित ग्रामीण इलाके भी लाभान्वित होंगे।
कब तक शहर के बाहर तक मिल सकेगा पीएनजी कनेक्शनपेट्रोलियम मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि वर्ष 2027-28 से महानगरों व बड़े शहरों से बाहर पीएनजी कनेक्शन देने का काम बहुत ही तेजी से विस्तार होगा। दूसरी तरफ, सीएनजी को लेकर सरकार की यह योजना है कि वर्ष 2034 तक सीएनजी स्टेशनों की संख्या मौजूदा 7,525 से बढ़ा कर 18,336 की जाए। उक्त जानकारी पिछले हफ्ते पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने लोकसभा में दी है।
साथ ही पेट्रोलियम व नेचुरल गैस विनियामक बोर्ड (पीएनजीआरबी) की तरफ से गठित उच्चस्तरीय समिति की 21 फरवरी, 2025 को जारी एक रिपोर्ट में भी दी गई है। उक्त समिति ने देश के प्राकृतिक गैस सेक्टर में ढांचागत सुविधाओं का विस्तार करने, देश में प्राकृतिक गैस के उपभोग को बढ़ाने और इस क्षेत्र में देशी-निवेश बढ़ाने के लिए पीएनजीआरबी नियम, 2008 में कई तरह से संशोधन के भी सुझाव दिए हैं।
समिति की रिपोर्ट में मिले कई संकेत- सरकार के जवाब और उक्त समिति की रिपोर्ट से यह भी संकेत मिलता है कि देश में सीएनजी व पीएनजी के विस्तार की अभी तक की जो रफ्तार है उसमें काफी तेजी लानी होगी। अगर पीएनजी की बात करें तो एक दशक से भी ज्यादा समय में अभी डेढ़ करोड़ घरों में भी इसकी पहुंच नहीं हो पाई है। पीएनजीआरबी ने देश को 307 भौगोलिक हिस्सों में बांटा है जहां प्राकृतिक गैस नेटवर्क का विस्तार किया जाना है।
- पेट्रोलियम मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश की 70 फीसदी आबादी को प्राकृतिक गैस की सुविधा देने के लिए 407 जिलों में गैस नेटवर्क लगाना होगा। इसके लिए कुल 1.20 लाख करोड़ रुपये निवेश करने की जरूरत होगी।
- पीएम नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2030 तक देश की इकोनमी में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी मौजूदा 6-7 फीसद से बढ़ा कर वर्ष 2030 तक 15 फीसद करने का लक्ष्य रखा है। इसे तभी हासिल किया जा सकेगा कि जब देश के दूर-दराज के इलाकों में तेजी से सीएनजी व पीएनजी पाइपलाइन का नेटवर्क पहुंऐ।
- सरकारी डाटा के मुताबिक पीएनजीआरबी ने उक्त लक्ष्य के लिए देश में 33,475 किलोमीटर लंबे नेटवर्क लगाने का ठेका दिया है। इसमें से 24,945 किलोमीटर का काम पूरा हो चुका है और शेष हिस्से पर काम जारी है। एक बार काम पूरा हो जाने के बाद तेजी से कनेक्शन दिए जा सकेंगे।
यह भी पढ़ें: ESIC कामगारों को मिली बड़ी सौगात, अब आयुष्मान भारत पैनल अस्पतालों में भी होगा इलाज
यह भी पढ़ें: EPFO Rules: अब UPI और ATM से निकल जाएगा PF का पैसा, जानिए कब से शुरू होगी सुविधा
One Nation One Election पर बनी समिति का कार्यकाल बढ़ा, 2029 तक एक साथ चुनाव कराने पर सरकार का जोर
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा एवं राज्य विधानसभाओं के चुनावों को साथ-साथ कराने पर विचार करने के लिए बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति के कार्यकाल को विस्तार दे दिया गया है। अब संबंधित विधेयक पर समिति अपना प्रतिवेदन मानसून सत्र के अंतिम सप्ताह तक सौंप सकती है।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भाजपा सांसद एवं पूर्व विधि राज्यमंत्री पीपी चौधरी के नेतृत्व में 39 सदस्यीय समिति का गठन किया है। इसके तहत देशभर में वर्ष 2029 तक एक साथ चुनाव कराने का रास्ता तैयार करने का सरकार का लक्ष्य है। सरकार का मानना है कि एक साथ चुनाव कराने से समय और संसाधन दोनों की बचत होगी।
लोकसभा में मंगलवार को प्रश्नकाल के बाद संबंधित प्रस्ताव को पीपी चौधरी ने रखा, जिसे ध्वनिमत से पास कर दिया गया।
समिति को एक देश-एक चुनाव से जुड़े दो विधेयकों 'संविधान (129वां संशोधन)' एवं 'संघ-राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन)' पर विचार करना है। इनमें पहला संविधान संशोधन विधेयक है तथा दूसरा संघ राज्य क्षेत्र विधि (संशोधन) विधेयक है।
रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी समिति ने तैयार किया है रिपोर्टइनका मकसद चुनावी प्रक्रिया में समय और संसाधनों की बर्बादी से बचाव करना है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्चस्तरीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर समिति ने इन दोनों प्रस्तावों को तैयार किया है। को¨वद समिति ने भी अपने प्रतिविदेन में एक राष्ट्र-एक चुनाव के सिद्धांत का समर्थन किया है।
विधेयक के पारित होने पर चुनावी प्रक्रिया में बड़े बदलाव हो सकते हैं। आजादी के बाद 1951 से 1967 तक लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव साथ-साथ ही कराए जाते थे, लेकिन उसके बाद इसमें विचलन हो गया, जो अभी तक चला आ रहा है।
यह भी पढ़ें: वन नेशन-वन इलेक्शन पर अभी लंबा चलेगा मंथन, अटॉर्नी जनरल से भी परामर्श करेगी JPC; जानिए अभी कितना वक्त लगेगा
PM Kisan Yojana: किसानों को बांटे गए 3.68 लाख करोड़ रुपये, शिवराज सिंह चौहान बोले- 'कृषि मशीनीकरण पर सरकार का जोर'
पीटीआई, नई दिल्ली। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मंगलवार को लोकसभा को बताया कि सरकार ने 2019 में लांच की गई महत्वाकांक्षी योजना पीएम-किसान के तहत अपात्र किसानों से 416 करोड़ रुपये वसूले हैं। उन्होंने एक लिखित जवाब में कहा कि केंद्र सरकार ने योजना की शुरुआत से अब तक 19 किस्तों में किसानों को 3.68 लाख करोड़ रुपये से अधिक का वितरण किया है।
चौहान ने यह भी कहा कि सरकार ने भारत में कृषि मशीनरी की स्थिति पर अध्ययन करने का जिम्मा भोपाल स्थित केंद्रीय कृषि इंजीनियरिंग संस्थान (सीआइएई) को सौंपा है।
कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देना सरकार का जोरउन्होंने कहा कि सरकार का जोर कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने और छोटे एवं सीमांत किसानों और उन क्षेत्रों तक इसकी पहुंच बढ़ाने पर है जहां बिजली की उपलब्धता कम है।
गौरतलब है कि पीएम-किसान योजना फरवरी, 2019 में शुरू की गई थी। इसके तहत किसानों के आधार से जुड़े बैंक खातों में डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (डीबीटी) मोड के माध्यम से तीन समान किस्तों में प्रति वर्ष 6,000 रुपये का वित्तीय लाभ हस्तांतरित किया जाता है।
बहरहाल, चौहान ने कहा, ''देश भर में अब तक अपात्र लाभार्थियों से 416 करोड़ रुपये की राशि वसूल की गई है।''
उन्होंने बताया कि पीएम-किसान योजना शुरू में एक विश्वास-आधारित प्रणाली पर शुरू हुई थी, जहां लाभार्थियों को राज्यों द्वारा स्व-प्रमाणन के आधार पर पंजीकृत किया गया था। शुरुआत में कुछ राज्यों के लिए आधार कार्ड की अनिवार्यता में भी ढील दी गई थी।
बाद में इस समस्या से निपटने के लिए पीएफएमएस (पब्लिक फाइनेंशियल मैनेजमेंट सिस्टम), यूआइडीएआइ और आयकर विभाग के साथ एकीकरण सहित कई तकनीकी हस्तक्षेप शुरू किए गए। यह सुनिश्चित करने के लिए कि लाभ केवल पात्र लाभार्थियों को ही जारी किया जाए, भूमि सीडिंग, आधार-आधारित भुगतान और ईकेवाईसी को अनिवार्य कर दिया गया है।
चौहान ने कहा कि जो किसान इन अनिवार्य मानदंडों को पूरा नहीं करते थे, उनका लाभ रोक दिया गया। उन्होंने कहा, ''जब ये किसान अपनी अनिवार्य आवश्यकताओं को पूरा कर लेंगे तो उन्हें योजना का लाभ और उनकी देय किस्तें, यदि कोई होंगी, तो मिल जाएंगी।''
काश्तकार/पट्टाधारक किसान और राज्य सरकारें : कृषि राज्य मंत्रीरामनाथ ठाकुर ने कहा कि राज्य सरकारें यह फैसला कर सकती हैं कि काश्तकार और पट्टेधारक किसानों को अपने किसान रजिस्ट्री में शामिल किया जाए या नहीं। डिजिटल कृषि मिशन के तहत राज्य किसान रजिस्ट्री, किसानों को सरकारी लाभों तक पहुंचने के लिए एक विशिष्ट किसान आइडी प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। अपने लिखित उत्तर में ठाकुर ने कहा कि राज्य किसान रजिस्ट्री में महिला किसानों सहित सभी भूमिधारक किसान शामिल हैं। सरकार ने 2,817 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ डिजिटल कृषि मिशन को मंजूरी दी है।
भारत-अमेरिका और गैर-टैरिफ बाधाओं पर ध्यान : वाणिज्य और उद्योग राज्य मंत्रीजितिन प्रसाद ने एक लिखित उत्तर में कहा कि भारत और अमेरिका प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते में बाजार पहुंच बढ़ाने, आयात शुल्क और गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने और आपूर्ति श्रृंखला एकीकरण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा भारत पर अब तक पारस्परिक शुल्क लागू नहीं किया गया है। सरकार पारस्परिक रूप से लाभकारी और निष्पक्ष तरीके से द्विपक्षीय व्यापार संबंधों को बढ़ाने और व्यापक बनाने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत जारी रखे हुए है।
यह भी पढ़ें: बेहद मनमोहक होता है चैत का महीना, खिल उठते हैं आम के बौर; खेतों में लहराती है फसल
Pages
