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'कठिन समय में काम करने के लिए मार्गदर्शन देता है संविधान', SC के जज कोटिस्वर सिंह की मणिपुर के लोगों से खास अपील
पीटीआई, इंफाल। सुप्रीम कोर्ट के जज कोटिस्वर सिंह ने रविवार को कहा कि यदि लोग संविधान का पालन करें तो मणिपुर में चुनौतियों से निपटा जा सकता है। वहीं, जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि संवैधानिक तरीकों से सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। जब संवाद होता है तो समाधान पहुंच में होता है।
जस्टिस गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की टीम शनिवार से मणिपुर के दो दिवसीय दौरे पर है। टीम में शामिल जस्टिस कोटिस्वर सिंह ने मणिपुर हाई कोर्ट की स्थापना की 12वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि मणिपुर एक छोटा राज्य है, लेकिन सौभाग्य से हमारे पास संविधान है जो हमें कठिन समय में काम करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।
देश को मजबूत करने के लिए करें कामउन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की टीम ने शनिवार को चूड़चंदपुर और बिष्णुपुर जिलों के दौरे के दौरान लोगों में काफी उत्साह और आशा देखी। चुनौतियां भी हैं जिनसे संवैधानिक मूल्यों का पालन करके निपट सकते हैं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे देश को मजबूत बनाने के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास करें और इसे कमजोर करने वाला कोई काम न करें।
जस्टिस गवई ने कहा,
संवैधानिक तरीकों से हर चीज का समाधान किया जा सकता है। अगर बातचीत होगी तो समाधान दूर नहीं होगा। राहत शिविरों में रह रहे लोग अपने घर लौटना चाहते हैं। मुझे यकीन है कि राज्यपाल के प्रयासों से मणिपुर में जल्द ही शांति और सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।
जज ने कहा कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने तय किया था कि मणिपुर की यात्रा के दौरान वे उन लोगों से बातचीत करेंगे जो पिछले दो वर्षों से संघर्ष के कारण पीडि़त हैं। हमने चूड़चंदपुर और बिष्णुपुर में राहत शिविरों का दौरा किया और दोनों समुदायों से बातचीत की। एक बात जो हम समझ पाए, वह यह है कि हर कोई शांति की बहाली चाहता है। किसी की भी मौजूदा स्थिति जारी रखने में दिलचस्पी नहीं है। हम सभी संवैधानिक तरीकों से राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए एकजुट होकर काम कर सकते हैं।
मणिपुर में शांति प्रयासों में हुई प्रगति : मेघवालकेंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से वार्ता में कहा कि मणिपुर की स्थिति में सुधार हो रहा है। शांति बहाली की प्रक्रिया में प्रगति हुई है और आगे भी इस दिशा में काम किए जाने की जरूरत है।
राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद इस मामले पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की गई और शांति बहाल करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। केंद्र सरकार राज्य में जल्द ही शांति वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से नकदी मिलने के मामले पर मेघवाल ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच कर रहा है.. समिति की रिपोर्ट आने दीजिए.. हम उसके बाद बात करेंगे।''
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कांग्रेस ने वक्फ संशोधन बिल को संविधान पर हमला बताया, BJP पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद वक्फ संशोधन बिल इसी सत्र में लाने की सरकार की तैयारियों के बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस विधेयक को देश के संविधान पर हमला बताते हुए आरोप लगाया है कि प्रस्तावित कानून के जरिए हमारे सदियों पुराने सामाजिक सद्भाव के बंधनों को भाजपा लगातार नुकसान पहुंचाने में जुटी हुई है। साथ ही कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया है कि यह विधेयक दुष्प्रचार और पूर्वाग्रह पैदा करके अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने के भाजपा के प्रयासों का भी हिस्सा है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को वक्फ संशोधन बिल पर पार्टी का रूख साफ करते हुए बयान जारी कर कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर करना है जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा की गारंटी देते हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी लाभ की खातिर समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में रखने के लिए अल्पसंख्यक समुदायों की परंपराओं और संस्थाओं को बदनाम करने का भाजपा का रूख उसकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।
विपक्षी सांसदों के सुझावों को दरकिनार करने का आरोप
जयराम रमेश ने वक्फ बिल पर गठित जेपीसी की रिपोर्ट में विपक्षी सांसदों के सुझावों को दरकिनार किए जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि वक्फ संशोधन बिल 2024 मुख्य रूप से पांच कारणों की वजह से गंभीर रूप से दोषपूर्ण है। पहला पूर्ववर्ती कानूनों के तहत वक्फ प्रबंधन के लिए बनाए गए सभी संस्थानों की स्थिति, संरचना और अधिकार को सुनियोजित तरीके से कम करने का प्रयास किया गया है। ताकि अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी धार्मिक परंपराओं और धार्मिक संस्थाओं के प्रशासनिक अधिकार से वंचित किया जा सके।
कांग्रेस महासचिव ने दूसरी त्रुटि गिनाते हुए कहा कि अपनी भूमि को कौन वक्फ मकसदों के लिए दान कर सकता है, इसे तय करने में जानबूझकर अस्पष्टता लायी गई है और इस वजह से वक्फ की परिभाषा ही बदल गई है। तीसरा दोष यह है कि देश की न्यायपालिका द्वारा लंबे समय से निर्बाध चली आ रही परंपरा के आधार पर विकसित किए गए “वक्फ-बाई-यूजर'' की अवधारणा को समाप्त किया जा रहा है।
'अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए जा रहे'
चौथी बात यह है कि वक्फ प्रशासन को कमजोर करने के लिए बिना किसी कारण के मौजूदा कानून के प्रावधानों को हटाया जा रहा है। साथ ही वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों को बचाने के लिए अब कानून में और अधिक सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं।
पांचवी त्रुटि गिनाते हुए जयराम ने कहा कि वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों और उनके पंजीकरण से जुड़े मामलों में कलेक्टर और राज्य सरकार के अन्य नामित अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों के पास अब किसी की शिकायत पर या वक्फ संपत्ति के सरकारी संपत्ति होने के आरोप मात्र पर अंतिम निर्णय होने तक किसी भी वक्फ की मान्यता रद्द करने का अधिकार होगा।
कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह याद रखना आवश्यक है कि 428 पृष्ठों की रिपोर्ट को संयुक्त संसदीय समिति में बिना किसी विस्तृत अनुच्छेद-दर-अनुच्छेद चर्चा के संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन कर जबरन पारित कर दिया गया।
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RSS के 100 वर्ष: राष्ट्र निर्माण की नई रणनीति, नए संकल्प; क्या क्या बोले सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के अंतिम दिन मीडिया से बातचीत के दौरान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की।
उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को किया और समाज से उनके बलिदान से प्रेरणा लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि देश की आज़ादी के लिए दिए गए उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता और हर नागरिक को उनके संघर्ष से सीख लेनी चाहिए।
महारानी अब्बक्का को किया यादहोसबोले ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में रानी अब्बक्का को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि यह भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक) के छोटे से राज्य उल्लाल की बहादुरी से रक्षा की और विदेशी ताकतों को चुनौती दी। भारत सरकार ने 2003 में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया और 2009 में एक गश्ती पोत का नाम उनके नाम पर रखा। उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए उनके साहस और नेतृत्व से प्रेरणा लेने की अपील की।
संघ के 100 वर्षों का सफर और आगे की योजनाएंदत्तात्रेय होसबोले ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि इस वर्ष विजयादशमी के दिन संघ 100 वर्ष पूरे कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ इस उपलब्धि को केवल जश्न के रूप में नहीं देखता, बल्कि इसे आत्मचिंतन और पुनःसमर्पण का अवसर मानता है। संघ तीन प्रमुख बातों पर केंद्रित रहेगा
1. आत्मविश्लेषण और सुधार
2. समाज के समर्थन को स्वीकार करना
3. राष्ट्र सेवा के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करना
संघ के शताब्दी वर्ष में होंगी विशेष गतिविधियांसंघ ने अपनी शताब्दी के अवसर पर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की योजना बनाई है:
विजयादशमी 2025 से होगी शुरुआत
विजयादशमी 2025 को संघ के गणवेश में स्वयंसेवकों के नगर और खंड स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे।
घर-घर संपर्क अभियान
नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक तीन सप्ताह तक संघ का साहित्य वितरित किया जाएगा और "हर गांव, हर बस्ती-घर-घर" अभियान के तहत व्यापक जनसंपर्क किया जाएगा।
हिंदू सम्मेलन और सामाजिक सद्भाव बैठकें
हर मंडल या बस्ती में हिंदू सम्मेलन आयोजित होंगे, जिनमें समाज में एकता और समरसता का संदेश दिया जाएगा। इसके अलावा, शहर स्तर पर सामाजिक सद्भावना बैठकों का आयोजन किया जाएगा, जहां भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत बनाए रखने और आधुनिक जीवन के संतुलन पर चर्चा होगी।
राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका
संघ युवाओं को विशेष रूप से जोड़ने के लिए 15-30 वर्ष के आयु वर्ग के लिए कार्यक्रम तैयार करेगा। इन कार्यक्रमों का फोकस राष्ट्र निर्माण, सेवा कार्य और समाज में सकारात्मक बदलाव पर होगा।
राष्ट्रीय मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोणवक्फ कानून को निरस्त करने की हिंदू संगठनों की मांग पर दत्तात्रेय होसबोले जी ने कहा कि वक्फ द्वारा जमीन के अतिक्रमण से कई किसान प्रभावित हैं। सरकार इस समस्या के समाधान पर काम कर रही है और इसमें जो भी त्रुटियां हैं, उन्हें दूर किया जाना चाहिए।
औरंगज़ेब पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राष्ट्र और समाज की बेहतरी के लिए जो लोग प्रेरणास्रोत हैं, उन्हें ही आदर्श माना जाना चाहिए, न कि वे जो असहिष्णुता के प्रतीक रहे हैं। उन्होंने मानसिक उपनिवेशवाद के खतरे को रेखांकित करते हुए कहा कि 1947 में राजनीतिक आज़ादी मिली, लेकिन मानसिक उपनिवेशवाद अब भी एक वास्तविकता है, जिसे खत्म करना ज़रूरी है।
मणिपुर की स्थिति और हिंदू समाज का नवजागरणमणिपुर की स्थिति पर होसबोले जी ने कहा कि सरकार अपने आकलन के आधार पर कदम उठा रही है और संघ का मत यही है कि हर संभव प्रयास किए जाएं ताकि वहां स्थिति सामान्य हो सके और लोग शांति से रह सकें।
संघ के पिछले 100 वर्षों के एजेंडे पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संघ का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज का नवजागरण रहा है। उन्होंने माना कि अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों के कारण यह कार्य चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन संघ की शाखाएं और गतिविधियां इसे दूर करने के लिए लगातार काम कर रही हैं।
संघ का लक्ष्य-एक संगठित और सशक्त राष्ट्रदत्तात्रेय होसबोले जी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि संघ केवल संगठन नहीं, बल्कि एक विचारधारा है जो समाज को जोड़ने और सशक्त बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ अपनी गतिविधियों को और व्यापक बनाने का संकल्प लेता है ताकि राष्ट्र के पुनर्निर्माण में हर नागरिक की भूमिका सुनिश्चित हो।
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असम में कक्षा 11वीं की परीक्षाएं रद, पेपर लीक की खबर के बाद बोर्ड ने लिए लिया फैसला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पूर्वोत्तर राज्य असम में राज्य बोर्ड की कक्षा 11वीं की 24 मार्च से 29 मार्च तक होने वाली सभी परीक्षाओं को रद कर दिया गया है। इस बात की जानकारी शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने दी है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य के कई स्थानों से परीक्षा पेपर लीक होने की खबरें सामने आई हैं।
इन खबरों का संज्ञान लेते हुए कक्षा 11वीं की 24 मार्च से 29 मार्च तक होने वाली सभी परीक्षाओं को रद करने का फैसला लिया गया है। आने वाले दिनों में अधिकारी नई तारीखों का एलान करेंगे।
शिक्षा मंत्री ने दी जानकारीसोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने कहा कि गणित का पेपर लीक हो गया क्योंकि राज्य भर में तीन सरकारी संस्थानों सहित 18 स्कूलों ने निर्धारित परीक्षा से एक दिन पहले सुरक्षा सील तोड़ दी। उन्होंने एक अन्य पोस्ट में कहा कि प्रश्नपत्र लीक होने और प्रोटोकॉल के उल्लंघन की खबरों के कारण, एचएस प्रथम वर्ष की परीक्षा 2025 (24-29 मार्च से निर्धारित) के शेष विषयों को रद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इसी तरह से नियमों का उल्लंघन करने वाले तीन अन्य स्कूलों के खिलाफ भी कार्रवाई करेगी।
21 मार्च को गणित का पेपर हुआ लीक
- जानकारी दें कि इससे पहले असम राज्य विद्यालय शिक्षा बोर्ड (एएसएसईबी) का 21 मार्च को होने वाला उच्चतर माध्यमिक प्रथम वर्ष का गणित का पेपर भी लीक हो गया था।
- इस पेपर लीक के बाद अधिकारियों ने सभी परीक्षाओं रद करने का फैसला लिया था। अब कक्षा 11वीं की 24 मार्च से होने वाली सभी परीक्षाओं को रद कर दिया गया।
- बता दें कि कक्षा 11वीं की सभी विषयों की परीक्षाएं छह मार्च से शुरू हुईं और 29 मार्च तक होने वाली थीं।
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'भ्रष्ट हो चुकी न्यायपालिका, दबाव में...', दिल्ली HC जज मामले को लेकर संजय राउत ने BJP पर साधा निशाना
एएनआई, नई दिल्ली। शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के आवास से मिली भारी नकदी को लेकर केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा' के दावे पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस तरह की घटनाएं उन्हीं के शासन में हो रही हैं।
जज के घर से मिला 15-20 करोड़ कैश
रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस वर्मा के घर से 15 से 20 करोड़ रुपये की नकदी बरामद हुई है। राउत ने इसे देश की न्यायपालिका पर गहरा धब्बा बताते हुए कहा कि यह न्याय व्यवस्था के भीतर मौजूद भ्रष्टाचार और दबाव की पोल खोलता है।
रविवार को एक प्रेस वार्ता में राउत ने कहा, "सीजेआई ने इस मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनाई है और दिल्ली पुलिस कमिश्नर द्वारा जस्टिस वर्मा के घर से कैश जलाने का वीडियो भी जारी किया गया है।"
"यह घटना किसके शासन में हो रही है? प्रधानमंत्री मोदी, जो कहते थे 'ना खाऊंगा, ना खाने दूंगा' उनके शासन में!" संजय राउत, शिवसेना (यूबीटी)
"इतनी नकदी तो एक दिन की कमाई लगती है"
संजय राउत ने दावा किया कि जस्टिस वर्मा के आवास से मिली नकदी किसी एक दिन की कमाई जैसी प्रतीत होती है। उन्होंने कहा, "मैं दिल्ली में था जब इस खबर का खुलासा हुआ। यह एक गंभीर मामला है, खासकर जब यह राष्ट्रीय राजधानी की न्यायपालिका से जुड़ा हो।"
शिवसेना (यूबीटी) नेता ने इस मुद्दे पर न्यायपालिका की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाए। उन्होंने आरोप लगाया कि न्यायपालिका दबाव में काम कर रही है और इसी कारण सुप्रीम कोर्ट में उनकी पार्टी को न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा, "यही कारण है कि सुप्रीम कोर्ट ने 40 बागी विधायकों को सुरक्षा दी, जो असंवैधानिक सरकार का समर्थन कर रहे थे।"
बीजेपी नेता नलिन कोहली की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील और बीजेपी नेता नलिन कोहली ने इस घटना पर पारदर्शिता की मांग की। उन्होंने कहा कि इस एक मामले को लेकर पूरी न्यायपालिका की साख पर सवाल उठाना सही नहीं है।
उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि शुरुआती बरामदगी के बाद नकदी का क्या हुआ, इस पर स्पष्टता नहीं है। उन्होंने कहा, "रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि दिल्ली हाई कोर्ट के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जब घर का दौरा किया तो वहां से नकदी गायब थी।"
सुप्रीम कोर्ट ने जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस देवेंद्र कुमार उपाध्याय द्वारा तैयार की गई जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक कर दिया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह मामला गहराई से जांच का विषय है।
जस्टिस यशवंत वर्मा ने इन आरोपों को साजिश करार दिया और कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य का इस नकदी से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा कि जिस कमरे में आग लगी थी और जहां यह कैश मिला, वह मुख्य इमारत का हिस्सा नहीं था, बल्कि एक बाहरी स्टोररूम था।
मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय ने जस्टिस वर्मा को निर्देश दिया है कि वे अपने फोन की सभी संचार सामग्री को सुरक्षित रखें, ताकि जांच में कोई बाधा न आए।
आग लगने के बाद सामने आया मामला
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के घर आग लगने की घटना के दौरान फायर ब्रिगेड को यह नकदी मिली। जब दमकल कर्मियों ने आग बुझाई, तो उन्हें वहां भारी मात्रा में नकदी दिखाई दी। उस समय जस्टिस वर्मा अपने घर पर मौजूद नहीं थे।
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बेंगलुरू में उत्सव के दौरान बड़ा हादसा, भीड़ के ऊपर गिरा 100 फीट ऊंचा रथ; एक की मौत और कई घायल
एएनआई, बेंगलुरु। बेंगलुरु ग्रामीण के अनेकल में एक उत्सव के दौरान एक दुखद घटना घटी, जब 100 फीट का रथ गिर गया, जिससे एक व्यक्ति की मौत हो गई और एक अन्य व्यक्ति घायल हो गया। पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी।
बेंगलुरु ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक (एसपी) सीके बाबा ने बताया कि यह घटना शनिवार शाम करीब 6 बजे हुई।
एसपी बेंगलुरु ग्रामीण ने कहा, "बेंगलुरु ग्रामीण के अनेकल में एक उत्सव के दौरान 100 फीट का रथ गिर गया। एक व्यक्ति की मौत हो गई और दूसरे का अस्पताल में इलाज चल रहा है।"
घटना के बारे में विस्तृत जानकारी का इंतजार है क्योंकि अधिकारी मामले की जांच कर रहे हैं।
कैसे घटी घटना?
जानकारी के मुताबिक बेंगलुरु के अनेकल के पास होसुर में गांव के एक मेले में मद्दुरम्मा देवी जात्रे में देवी प्रतिमा लेकर जा रहा एक 100 फीट का रथ भीड़ के ऊपर गिर गया। बताया जा रहा है कि श्रद्धालु इस रथ को खींच रहे थे, तभी एक जगह जाकर यह 100 फीट ऊंचा रथ लोगों पर गिर गया।
रथ गिरने पर उस पर चढ़े और आस-पास चल रहे लोगों में अफरा-तफरी मच गई। इस हादसे में लोग घायल हुए हैं और एक शख्स की मौत हो गई है। बचाव कार्य जारी है।
केरल के किसान के पास है दुनिया की सबसे छोटी बकरी, महज इतना सा है कद; गिनीज बुक में भी नाम दर्ज
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केरल के एक किसान के पास दुनिया की सबसे छोटी बकरी है और ये रिकॉर्ड अब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है। गिनीज बुक में इस बकरी को दुनिया की सबसे छोटी जिंदा बकरी के रूप में मान्यता मिली है।
कितना है इस बकरी का साइज?
पीटर लेनू इस छोटी बकरी के मालिक हैं। उन्होंने कहा, उन्हें पता था कि उनकी बकरी करुम्बी काफी छोटी है। लेकिन जब आसपास के लोगों ने उन्हें कि वो इसका नाम रिकॉर्ड बुक में दर्ज कराने की कोशिश करें, तब उन्होंने इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया। गिनीज बुक के मुताबिक, इस बकरी का जन्म 2021 में हुआ था और वो पूरी तरह से विकसित होने के बाद भी उसकी हाइट सिर्फ 1 फुट 3 इंच है।
बताया जाता है कि ये बकरी कनाडाई पिग्मी प्रजाती की बकरी है, जो अपने छोटे कद और अनुवांशिक बौनेपन से पहचानी जाती है। इन बकरियों में आमतौर पर उनके पैर 21 इंच से ज्यादा नहीं बढ़ते हैं।
गर्भवती है करुम्बी
फिलगाल ये छोटी बकरी गर्भवती है और कुछ ही समय में उसके बच्चे होने वाले हैं। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि उसके बच्चे भी उसी की तरह होंगे और वो भी कोई नया रिकॉर्ड बना सकता है। पीटर लेनू ने बताया कि करुम्बी काफी मिलनसार है और वो तीन अन्य नर बकरे, नौ मादा बकरियों और दस छोटे बच्चों के साथ रहती है।
रिश्तेदार ने दिया गिनीज बुक का सुझाव
किसान पीटर ने बताया कि उसके एक रिश्तेदार ने उन्हें ये सुझाव दिया था कि वो इस बकरी का नाम गिनीज बुक में दर्ज कराए। उन्हें लगा था कि इसमें जीतने की संभावना है और फिर वो अपने जानवरों के डॉक्टर के पास ले गया, जिसके बाद करुम्बी और उसके बच्चे की ऊंचाई और सेहत की जांच की गई।
जब इस बात की पुष्टि हो गई कि वो पूरी तरह से ठीक है और पूरी तरह से विकसित है, लेकिन फिर भी छोटे कद की है, तो वो बहुत खुश हो गए। पीटर लेनू ने कहा कि वो अपनी बकरी का काफी अच्छे से देखभाल करेंगे और उनको करुम्बी के बच्चों के जन्म लेने का इंतजार है।
न्यायिक कामकाज से हटाए गए जस्टिस वर्मा, सुप्रीम कोर्ट ने जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर डाली; जले नोटों की तस्वीरें भी जारी
जेएनएन, नई दिल्ली। भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के सरकारी आवास से कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में कड़ा रुख अख्तियार किया है। उन्होंने जस्टिस वर्मा के खिलाफ आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है।
रिपोर्ट मिलने के बाद आंतरिक जांच का आदेशसीजेआइ ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से रिपोर्ट मिलने के बाद आंतरिक जांच का आदेश दिया और उनसे जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य नहीं सौंपने के लिए कहा। यानी जस्टिस वर्मा के खिलाफ न सिर्फ तीन न्यायाधीशों की कमेटी जांच करेगी, बल्कि उनसे न्यायिक कार्य भी वापस ले लिया जाएगा।
#WATCH | The Supreme Court released the inquiry report filed by Delhi High Court Chief Justice Devendra Kumar Upadhyaya into the controversy relating to High Court Justice Yashwant Varma. In his report, the Delhi High Court Chief Justice said that he is of the prima facie opinion… pic.twitter.com/1xgMh8xWNW
— ANI (@ANI) March 22, 2025 जले नोटों की तस्वीरें भी जारीशीर्ष अदालत ने जस्टिस उपाध्याय की जांच रिपोर्ट वेबसाइट पर डाल दी है, जिसमें जले नोटों की तस्वीरें देखी जा सकती हैं। दूसरी तरफ जस्टिस वर्मा ने कहा है कि घर के स्टोररूम में न तो मैंने और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कभी नकदी रखी थी।
जस्टिस वर्मा पर लगे आरोपों की जांच के लिए आंतरिक जांच प्रक्रिया अपनाते हुए सीजेआइ ने जो तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की है, उसमें पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शील नागू, हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जीएस संधावालिया और कर्नाटक हाई कोर्ट की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं।
एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार देर रात अपनी वेबसाइट पर जस्टिस वर्मा के आवास पर कथित रूप से भारी मात्रा में नकदी मिलने की पूरी जांच रिपोर्ट अपलोड कर दी। जांच रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा के आवास पर होली की रात को आग बुझाने के अभियान के वीडियो और फोटो भी शामिल हैं, जिस दौरान नकदी मिली थी।
भारतीय मुद्रा के चार से पांच अधजले ढेर पाए गए थेजस्टिस उपाध्याय द्वारा प्रस्तुत 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय मुद्रा के चार से पांच अधजले ढेर पाए गए थे।
घटना की रिपोर्ट, उपलब्ध सामग्री और जस्टिस वर्मा के जवाब की जांच करने पर मुझे पता चला कि पुलिस आयुक्त ने 16 मार्च को अपनी रिपोर्ट सौंपी। इसमें जस्टिस वर्मा के आवास पर तैनात गार्ड का हवाला देते हुए कहा गया कि जिस कमरे में आग लगी थी, वहां से मलबा और अन्य आंशिक रूप से जली हुई वस्तुएं 15 मार्च की सुबह हटा दी गई थीं।
पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकताजस्टिस उपाध्याय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मेरे द्वारा की गई जांच में प्रथम दृष्टया बंगले में रहने वाले लोगों, नौकरों, माली और सीपीडब्ल्यूडी कर्मियों के अलावा किसी अन्य व्यक्ति द्वारा कमरे में प्रवेश की संभावना नहीं दिखती है। इसे देखते हुए मैं प्रथम दृष्टया इस राय पर हूं कि पूरे मामले की गहन जांच की आवश्यकता है। जस्टिस उपाध्याय ने घटना के संबंध में साक्ष्य और जानकारी एकत्र करने के लिए आंतरिक जांच की थी।
जले हुए नोट अगले दिन किसने हटाए- सुप्रीम कोर्ट ने पूछा सवालजस्टिस उपाध्याय की ओर से जस्टिस वर्मा को लिखे पत्र में कहा गया कि वह पूरे प्रकरण के चलते न तो अपने मोबाइल से डाटा डिलीट करें और न ही मोबाइल नष्ट करें। 21 मार्च को लिखे गए इस पत्र में जस्टिस वर्मा से धन के स्त्रोत के बारे में जानकारी मांगी गई थी। साथ ही पूछा गया था कि जले हुए नोट अगले दिन किसने हटाए?
वर्मा को 22 मार्च को दोपहर 12 बजे तक यह जानकारी देने के लिए कहा गया था। बताते चलें, गत 14 मार्च को रात करीब साढ़े 11 बजे जस्टिस वर्मा के दिल्ली स्थित सरकारी आवास पर आग लगने के बाद अग्निशमन विभाग आग बुझाने पहुंचा। तभी कथित तौर पर बड़ी मात्रा में नकदी मिलने की खबर सामने आई थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी तस्वीरों में बड़ी मात्रा में जले नोटों को देखा जा सकता है।
जस्टिस वर्मा ने कहा, नकदी से मेरा या मेरे परिवार का कोई संबंध नहींजस्टिस वर्मा ने कहा है कि घर के स्टोररूम से बरामद नकदी से उनका या परिवार का कोई संबंध नहीं है। स्टोररूम में न तो मैंने और न ही मेरे परिवार के किसी सदस्य ने कोई नकदी रखी थी। मैं इस बात का खंडन करता हूं कि नकदी हमारी थी। यह विचार या सुझाव कि यह नकदी हमारे द्वारा रखी गई होगी यह पूरी तरह से बेतुका है।
प्रेस में बदनाम करने से पहले कुछ जांच की होतीआगे कहा कि यह सुझाव कि कोई व्यक्ति स्टाफ क्वार्टर के पास एक खुले, इजी-एक्सेसबल और आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले स्टोररूम में या आउट हाउस में नकदी स्टोर कर सकता है, अविश्वसनीय है। यह एक ऐसा कमरा है, जो मेरे रहने के क्षेत्र से पूरी तरह से अलग है। एक चारदीवारी मेरे रहने वाले हिस्से को उस आउट हाउस से अलग करती है। मैं केवल यही कहना चाहता हूं कि मीडिया ने मुझ पर आरोप लगाने और प्रेस में बदनाम करने से पहले कुछ जांच की होती।
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नौसेना का स्वदेशी फ्रिगेट 'तवस्या' गोवा शिपयार्ड में लॉन्च, अत्याधुनिक हथियार प्रणाली से लैस
पीटीआई, पणजी। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल) द्वारा निर्मित प्रोजेक्ट 1135.6 श्रेणी दूसरे युद्धपोत (फ्रिगेट) 'तवस्या' को शनिवार को लांच किया गया। इस कार्यक्रम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ, नौसेना कमांडर वाइस एडमिरल संजय जे सिंह और अन्य वरिष्ठ नौसैनिक व सरकारी अधिकारी उपस्थित रहे।
युद्धपोत का शुभारंभ नीता सेठ द्वारा किया गयायुद्धपोत का शुभारंभ नीता सेठ द्वारा किया गया। 'तवस्या' नाम महाभारत के महान योद्धा भीम की गदा से प्रेरित है, जो भारतीय नौसेना की अटूट शक्ति और बढ़ती ताकत का प्रतीक है। इस युद्धपोत का निर्माण भारत में ही किया गया है।
इससे 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को मजबूती मिलेगी। गोवा शिपयार्ड लिमिटेड और रक्षा मंत्रालय के बीच 25 जनवरी 2019 को दो प्रोजेक्ट 1135.6 फालो आन युद्धपोतों के निर्माण का अनुबंध हुआ था।
तवस्या का लॉन्च भारतीय नौसेना के लिए बड़ी छलांगसेठ ने लॉन्च के अवसर पर कहा कि यह लॉन्च भारत के नौसेना इतिहास में एक निर्णायक क्षण है, जो हमारी तकनीकी क्षमताओं और आत्मनिर्भरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है।" उन्होंने जहाज पर विभिन्न प्रणालियों के सफल स्थानीयकरण का जिक्र करते हुए कहा कि तवस्या का लॉन्च भारतीय नौसेना के लिए न केवल एक कदम आगे है, बल्कि भारत की रणनीतिक रक्षा महत्वाकांक्षाओं के लिए एक बड़ी छलांग है।
पहले युद्धपोत 'त्रिपुत' को 23 जुलाई 2024 को लांच किया गयापहले युद्धपोत 'त्रिपुत' को 23 जुलाई 2024 को लांच किया गया था। ये युद्धपोत सतह, पानी के नीचे और हवाई हमलों से निपटने के लिए डिजाइन किए गए हैं। 'तवस्या' और 'त्रिपुत' की लंबाई लगभग 125 मीटर है। इनका कुल भार लगभग 3600 टन है और अधिकतम गति 28 नाट्स तक जा सकती है।
देश की सामरिक क्षमता में वृद्धि होगीये युद्धपोत स्टील्थ फीचर्स, अत्याधुनिक हथियार प्रणाली और आधुनिक प्लेटफार्म प्रबंधन प्रणालियों से लैस हैं। इस परियोजना के तहत स्वदेशी उपकरण, हथियार और सेंसर लगाए जा रहे हैं, जिससे रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार सृजन होगा और देश की सामरिक क्षमता में वृद्धि होगी।
Manipur: सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों का दल पहुंचा मणिपुर, हिंसा पीड़ितों से की मुलाकात
पीटीआई, चूड़चंदपुर। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई ने उम्मीद जताई है कि जातीय संघर्ष से त्रस्त मणिपुर में ''मौजूदा मुश्किल दौर'' कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की सहायता से जल्द खत्म हो जाएगा और राज्य देश के बाकी हिस्सों की तरह समृद्ध होगा।
जस्टिस बीआर गवई ने सभी समुदायों से शांति की अपील कीशनिवार को जस्टिस गवई ने मणिपुर का दौरा करने वाले सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों के एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया। उन्होंने लोगों से शांति और सद्भाव बहाल करने के लिए मिलकर काम करने का आह्वान किया।
मई, 2023 से इंफाल घाटी स्थित मैतेई और आसपास के पहाड़ों पर स्थित कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 250 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के अपने पद से इस्तीफा देने के पांच दिन बाद 13 फरवरी को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।
चूड़चंदपुर जिले में एक राहत शिविर का दौरा कियाअधिकारियों ने बताया कि जस्टिस गवई ने सुप्रीम कोर्ट के जज विक्रम नाथ, एमएम सुंदरेश और केवी विश्वनाथन के साथ चूड़चंदपुर जिले में एक राहत शिविर का दौरा किया और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों से मुलाकात की।
बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट के जजों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल और मैतेई समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह कुकी बहुल चूड़चंदपुर नहीं गए क्योंकि वहां वकीलों के एक संगठन ने इस पर आपत्ति जताई थी। जस्टिस सिंह ने अपनी यात्रा का समापन बिष्णुपुर जिले में किया।
एक कानूनी सहायता क्लिनिक का भी वर्चुअल उद्घाटन कियाजजों के प्रतिनिधिमंडल ने चूड़चंदपुर जिलान्तर्गत लामका इलाके में स्थित मिनी सचिवालय से एक कानूनी सेवा शिविर, एक चिकित्सा शिविर और एक कानूनी सहायता क्लिनिक का भी वर्चुअल उद्घाटन किया। इस अवसर पर मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जस्टिस डी कृष्णकुमार और जस्टिस गोलमेई गैफुलशिलू भी मौजूद थे।
सभा को संबोधित करते हुए जस्टिस गवई ने कहा, ''हमारा देश विविधता में एकता का सच्चा उदाहरण है। भारत हम सभी का घर है। हम जानते हैं कि आप सभी एक कठिन दौर से गुजेर रहे हैं। लेकिन, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका - सभी के सहयोग से यह दौर थोड़े समय में ही समाप्त हो जाएगा।''
हमारा संविधान एक महान दस्तावेज है- जस्टिस गवईउन्होंने कहा, ''हमारा संविधान एक महान दस्तावेज है। जब हम अपने देश की तुलना अपने पड़ोसी देशों से करेंगे तो हमें एहसास होगा कि हमारे संविधान ने हमें मजबूत और एकजुट रखा है। संविधान पर विश्वास रखें..एक दिन मणिपुर में पूरी तरह शांति लौट आएगी और राज्य पूरे देश की तरह समृद्ध होगा।''
जस्टिस गवई ने राज्य के लोगों से शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया। वह राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं।
सिद्धांत बहुत महत्वपूर्णउन्होंने कहा कि प्राधिकरण ने आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों को राहत सामग्री उपलब्ध कराने के लिए पहले दी गई 1.5 करोड़ रुपये की राशि के अतिरिक्त 2.5 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। उन्होंने कहा, ''लोगों को सशक्त करने के उद्देश्य से एक न्यायपूर्ण समाज के लिए न्याय, स्वास्थ्य सेवा और अवसरों तक पहुंच के सिद्धांत बहुत महत्वपूर्ण होते हैं।''
कतर में हिरासत में लिया गया भारतीय नागरिक, विदेश मंत्रालय ने कहा- हम संपर्क में हैं
पीटीआई, नई दिल्ली। कतर में एक भारतीय नागरिक को हिरासत में लिया गया है। भारतीय तकनीकी कंपनी में काम करने वाले भारतीय नागरिक अमित गुप्ता के खिलाफ आरोपों का अभी पता नहीं चल पाया है।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय दूतावास को अमित गुप्ता को कतर के अधिकारियों की ओर से हिरासत में लिए जाने की जानकारी है। यह मामला कतर की सरकार की तरफ से चल रही एक जांच से जुड़ा हुआ है।
अधिकारियों के संपर्क में भारतीय दूतावासवहीं विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, कतर में भारतीय दूतावास अमित गुप्ता के परिवार, उनके वकील और कतर के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है। भारतीय दूतावास इस मामले में पूरी तरह नजर बनाए हुए है।
इस मामले में सरकार ने भरोसा दिलाया है कि इस मामले को नजदीकी से देखा जा रहा है और अमित गुप्ता को न्याय दिलाने के लिए सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। बताया जा रहा है कि गुप्ता कतर में आईटी फर्म के साथ करीब 10 साल से काम कर रहा था और कतर के अधिकारियों ने उसे जनवरी की शुरुआत में हिरासत में लिया था।
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48 हजार करोड़ की धोखाधड़ी मामले में ED का एक्शन, पर्ल्स ग्रुप के पूर्व प्रमुख का दामाद गिरफ्तार
एएनआई, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 48,000 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में पर्ल्स समूह के पूर्व प्रमुख दिवंगत निर्मल सिंह भंगू के दामाद हरसतिंदर पाल सिंह को गिरफ्तार किया है। ईडी ने शनिवार को एक बयान में इस आशय की जानकारी दी।
ईडी के दिल्ली क्षेत्रीय कार्यालय ने 21 मार्च को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रविधानों के तहत हरसतिंदर को पीएसीएल लिमिटेड के मामले में गिरफ्तार किया।
1996 में हुई पीएसीएल लिमिटेड की स्थापना
पीएसीएल लिमिटेड को ''पर्ल्स'' के नाम से भी जाना जाता है। यह एक रियल एस्टेट कंपनी है जिसकी स्थापना 1996 में हुई थी और निवेशकों से कथित रूप से अवैध रूप से धन एकत्र करने के लिए इसे जांच का सामना करना पड़ा था। इसके कारण भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने उस पर प्रतिबंध लगा दिया था।बहरहाल, हरसतिंदर पाल सिंह को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विशेष अदालत के समक्ष पेश किया गया, जिसने उसे ईडी की हिरासत में भेज दिया है।
48 हजार करोड़ का चूना लगाया?
ईडी ने पीएसीएल इंडिया लिमिटेड, पीजीएफ लिमिटेड, निर्मल सिंह भंगू और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 120-बी और 420 के तहत केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी (एफआइआर) के आधार पर जांच शुरू की।
ईडी ने एक बयान में कहा, ''वे निवेशकों को धोखा देने के लिए फर्जी निवेश योजनाओं के संचालन में शामिल थे। इन योजनाओं के माध्यम से पीएसीएल और उसके निदेशकों ने निवेशकों को लगभग 48,000 करोड़ रुपये का चूना लगाया।''
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निखारे जाएंगे चुनाव प्रक्रिया से जुड़े एक करोड़ से अधिक अधिकारी-कर्मचारी, बूथ स्तर से शुरू होगा अभियान
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और त्रुटिरहित बनाने को लेकर पूरी ताकत से जुटे चुनाव आयोग ने कुछ और नए कदम उठाए है। जिसमें चुनाव से किसी न किसी रूप में जुड़े देश भर के एक करोड़ से अधिकारियों और कर्मचारियों को निखारने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा।
एक विशेष डिजिटल प्रशिक्षण दिया जाएगाइन सभी को अपने काम-काज को बेहतर तरीके से करने के लिए क्षमता निर्माण से जुड़ा एक विशेष डिजिटल प्रशिक्षण दिया जाएगा। ताकि वह चुनाव से जुड़े कामों को त्रुटिरहित तरीके से और तय समय में पूरा कर सकें।
चुनाव आयोग की जिम्मेदारी संभालने के बाद मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के निर्देश पर इस दिशा में पहल तेज हुई है। इसे लेकर तैयारियां शुरू हो गई है। आयोग का मानना है कि चुनाव को त्रुटिरहित बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि देशभर में चुनाव की जिम्मेदारी संभालने वाले लोगों को उनकी भूमिका और दायित्वों को लेकर ठीक ढंग से प्रशिक्षित किया जाए।
प्रशिक्षण जल्द ही बूथ स्तर से शुरू होगाआयोग के मुताबिक प्रशिक्षण जल्द ही बूथ स्तर से शुरू होगा। जो जिला व राज्य स्तर पर अलग चरणों में आयोजित होगा। पिछले महीने भर में चुनाव आयोग ने चुनाव सुधार को लेकर कई और कदम उठाए है। इनमें मतदाता सूची की गड़बड़ियों व दोहराव को खत्म करने के लिए मतदाता पहचान पत्र को आधार से जोड़ने और यूनिक ईपिक नंबर प्रदान करने जैसी अहम पहल शामिल है।
गौरतलब है कि मौजूदा समय में देश में साढ़े दस लाख से अधिक मतदान केंद्र है। चुनाव के दौरान प्रत्येक केंद्र पर औसतन छह से सात कर्मचारियों की तैनाती दी जाती है। वहीं सभी मतदान केंद्र पर एक-एक बूथ लेवल आफीसर (बीएलओ) होता है, जो पूरे समय वह मतदाता सूची को संशोधित करने का काम करता है।
चुनाव आयोग के निर्देश पर 31 मार्च तक ईआरओ, डीईओ और सीईओ को बुलानी है बैठकचुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की दिशा में उठाए गए कदमों में चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों के साथ संवाद को भी आगे बढ़ाया है। इस दिशा में शनिवार को ही देश के सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में निर्वाचन पंजीयन अधिकारी (ईआरओ) ने राजनीतिक दलों के साथ चार हजार से अधिक बैठकें की है।
जिसमें सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि और बूथ लेवल एजेंट आदि मौजूद थे। इस दौरान राजनीतिक दलों की मतदाता सूची सहित चुनावी प्रक्रिया से जुड़ी शिकायतों और सुझावों को सुना गया।
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के निर्देश पर 31 मार्च 2015 तक देश भर की सभी विधानसभाओं, जिला और राज्य स्तर पर राजनीतिक दलों के साथ बैठकें आयोजित की जानी है। इस दिशा में संवाद शुरू कर दिया गया है।
राजनीतिक दलों के साथ होगी आयोग की बैठकआयोग के मुताबिक राजनीतिक दलों के साथ विधानसभा जैसी 788 जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ) के साथ और 36 बैठकें राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश में राज्य निर्वाचन अधिकारी ( सीईओ) के साथ होनी है। बैठक में सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को अनिवार्य रूप से आमंत्रित करने के निर्देश दिए गए है।
पत्नी के साथ बेल्जियम में छिपा है मेहुल चोकसी, अब स्विटजरलैंड भागने की तैयारी; प्रत्यर्पण की कोशिश में जुटा भारत
पीटीआई, नई दिल्ली। भगोड़ा कारोबारी मेहुल चोकसी वर्तमान में बेल्जियम के एंटवर्प में अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ रह रहा है। उसने वहां रेजिडेंसी कार्ड हासिल कर लिया है।
कैरेबियाई क्षेत्र की रिपोर्ट देने वाले मीडिया आउटलेट एसोसिएटेड टाइम्स ने कहा कि भारतीय अधिकारियों ने बेल्जियम के अधिकारियों से भारत में उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया शुरू करने का अनुरोध किया है।
पहले एंटीगुआ में रह रहा था चोकसीभारतीय अधिकारियों द्वारा रिपोर्ट की तत्काल कोई पुष्टि नहीं की गई। 13,500 करोड़ रुपये के बैंक ऋण धोखाधड़ी मामले में भारत में वांछित चोकसी के बारे में माना जाता है कि वह बेल्जियम जाने से पहले एंटीगुआ और बारबुडा में रह रहा था।
उसकी पत्नी प्रीति बेल्जियम की नागरिक है। मीडिया आउटलेट ने बताया कि चोकसी वर्तमान में देश में 'एफ रेजीडेंसी कार्ड' हासिल करके अपनी पत्नी प्रीति चोकसी के साथ बेल्जियम के एंटवर्प में रह रहा है।
झूठे दस्तावेज दिखाकर पाई रेजीडेंसी- रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चोकसी ने भारत में प्रत्यर्पण से बचने के लिए बेल्जियम में निवास प्राप्त करने के लिए भ्रामक और मनगढ़ंत दस्तावेज दिए। रिपोर्ट में सूत्रों का हवाला देते हुए कहा गया है कि चोकसी ने बेल्जियम के अधिकारियों को झूठे घोषणापत्र और जाली दस्तावेज सौंपे और अपनी आवेदन प्रक्रिया में अपनी राष्ट्रीयता को गलत तरीके से प्रस्तुत किया, भारत और एंटीगुआ की अपनी मौजूदा नागरिकता के विवरण का खुलासा करने में विफल रहा।
- इसमें कहा गया है कि वह कथित तौर पर एक प्रसिद्ध कैंसर अस्पताल में चिकित्सा उपचार के आधार पर स्विट्जरलैंड जाने की योजना बना रहा है। चोकसी और उसके भतीजे नीरव मोदी ने कथित तौर पर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का उपयोग करके सरकारी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से 13,500 करोड़ रुपये का सार्वजनिक धन निकाला।
- लंदन की जेल में बंद नीरव मोदी अदालतों द्वारा बार-बार जमानत देने से इनकार करने के बाद भारत में अपने प्रत्यर्पण का विरोध कर रहा है। मई 2021 में, चोकसी एंटीगुआ से लापता हो गया था, लेकिन बाद में उसका पता चल गया था।
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CBI ने Sushant Singh Rajput केस में दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट, 2020 में फ्लैट में मिला था एक्टर का शव
पीटीआई, नई दिल्ली। सीबीआई ने बालीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की कथित आत्महत्या के मामले में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी है। अधिकारियों ने शनिवार को इस आशय की जानकारी देते हुए बताया कि सीबीआई ने मुंबई की एक विशेष अदालत के समक्ष अपने निष्कर्ष प्रस्तुत किए हैं, जो अब तय करेगी कि रिपोर्ट को स्वीकार किया जाए या केंद्रीय एजेंसी द्वारा आगे की जांच का आदेश दिया जाए।
गौरतलब है कि 14 जून, 2020 को मुंबई के उपनगर बांद्रा में सुशांत अपने अपार्टमेंट की छत से लटके पाए गए थे। वह 34 वर्ष के थे। केंद्रीय एजेंसी ने बिहार पुलिस से जांच का जिम्मा संभाला था जिसने सुशांत के पिता केके सिंह द्वारा पटना में दर्ज कराई गई शिकायत पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज किया था।
सीबीआई कर रही थी मामले की जांचसीबीआई को दी गई अपनी निर्णायक चिकित्सा-कानूनी राय में, एम्स के फोरेंसिक विशेषज्ञों ने मामले में किए गए जहर देने और गला घोंटने के दावों को खारिज कर दिया था। सीबीआई ने सुशांत की कथित गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती और उनके करीबी लोगों के बयान दर्ज किए थे और सुशांत के मेडिकल रिकार्ड एकत्र किए थे।
बिहार पुलिस को दी गई अपनी शिकायत में सुशांत के पिता ने आरोप लगाया था कि रिया चक्रवर्ती ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ मिलकर उनके बेटे के पैसे का दुरुपयोग किया। इस आरोप का रिया ने टेलीविजन साक्षात्कारों में खंडन किया था।
टीवी शो से एक्टर ने करियर की शुरुआतजानकारी दें कि सुशांत सिंह राजपूत ने मनोरंजन जगत में अपने करियर की शुरुआत 'किस देश में है मेरा दिल' जैसे टीवी शो से की और एकता कपूर की 'पवित्र रिश्ता' से की थ। उन्होंने इसके बाद बड़े पर्दे पर कदम रखा। इसके बाद एक्टर ने 'काई पो चे', 'एमएस धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी', 'शुद्ध देसी रोमांस', डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी!', 'छिछोरे' और दिल बेचारा जैसी फिल्मों में काम किया। उन्होंने इन फिल्मों के माध्यम से काफी लोकप्रियता हासिल की।
दिशा सालियान के पिता ने खटखटाया कोर्ट का दरवाजाइस बीच सुशांत सिंह की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मौत से संबंधित मामले में, उनके पिता सतीश सालियान ने अपनी बेटी की मौत की जांच और आदित्य ठाकरे सहित अन्य के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
बता दें कि दिशा 8 जून, 2020 को मृत पाई गई थीं। एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की मौत से कुछ दिन पहले दिशा की मौत हुई थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने रिट याचिका को सूचीबद्ध कर दिया है और 2 अप्रैल को मामले की सुनवाई करेगा।
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भारत की जीडीपी 10 साल में दोगुनी, BJP नेता अमित मालवीय बोले- ये मील का पत्थर
आईएएनएस, नई दिल्ली। भाजपा नेता अमित मालवीय ने अपने एक्स पोस्ट पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आंकड़ों को साझा किया है। आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी 2015 में 2.1 ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2025 में अनुमानित 4.3 ट्रिलियन डॉलर हो गई है, जो 105 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि को दर्शाता है।
IMF की रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, विकास का यह ग्राफ भारत को वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में स्थापित करता है जो 2025 में जापान और 2027 तक जर्मनी से आगे निकल जाएगा।
अमित मालवीय ने पीएम मोदी को लेकर क्या कहा?
मालवीय ने अपने पोस्ट में लिखा, "भारत ने एक उल्लेखनीय आर्थिक उपलब्धि हासिल की है। इसने 2015 में अपने सकल घरेलू उत्पाद को 2.1 ट्रिलियन डालर से दोगुना करके 2025 में 4.3 ट्रिलियन डॉलर कर दिया है, जो किसी भी अन्य प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में 105 प्रतिशत की चौंका देने वाली वृद्धि है। यह असाधारण उपलब्धि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्णायक नेतृत्व और उनकी सरकार के अथक प्रयासों का प्रमाण है।"
India has achieved a remarkable economic milestone, doubling its GDP from $2.1 trillion in 2015 to $4.3 trillion in 2025—a staggering 105% growth unmatched by any other major global economy. This extraordinary achievement is a testament to the decisive leadership of Prime… pic.twitter.com/aZYeuRgK1F
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 22, 2025अमित मालवीय ने आगे लिखा है कि सक्रिय आर्थिक नीतियों, साहसिक संरचनात्मक सुधारों और व्यापार करने में आसानी पर निरंतर ध्यान केंद्रित करके, मोदी सरकार ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के स्थान पर पहुंचा दिया है - एक ऐसा सम्मान जो स्वतंत्रता के बाद से किसी भी पिछली सरकार को हासिल नहीं हुआ था। आज, ये परिवर्तनकारी पहल न केवल भारत के आर्थिक विस्तार को आगे बढ़ा रही हैं, बल्कि इसे पारंपरिक वैश्विक महाशक्तियों से आगे भी ला रही हैं, जो वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत दे रही हैं।
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बेंगलुरु में मूसलाधार बारिश से विमानों की उड़ान पर असर, चेन्नई की ओर डायवर्ट हुई 10 फ्लाइट; चेतावनी जारी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बेंगलुरु में हो रही मूसलाधार बारिश ने शहर की रफ्तार को थाम दिया है। हवाई उड़ानें बाधित हैं, सड़कों पर जलभराव है और ट्रैफिक जाम ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
एयरपोर्ट जाने वाली कई उड़ानों को दूसरी जगहों की ओर मोड़ना पड़ा, जिससे यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
10 उड़ानों का मार्ग बदला, एयरलाइंस ने दी चेतावनी
हवाईअड्डा अधिकारियों के अनुसार, कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू की ओर जाने वाली कम से कम 10 उड़ानों को भारी बारिश की वजह से चेन्नई की ओर मोड़ दिया गया है।
इंडिगो एयरलाइंस ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म "X" पर पोस्ट करते हुए कहा कि प्रतिकूल मौसम की वजह से उनकी कई उड़ानें प्रभावित हो रही हैं। एयरलाइन ने कहा, "हम मौसम की स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और यात्रियों को समय-समय पर अपडेट देते रहेंगे।"
#6ETravelAdvisory: Unfavourable weather conditions in #Bengaluru continue to impact flights. We're closely monitoring the weather & will keep you informed with timely updates. Check your flight status https://t.co/CjwsVzFWky & rebooking options here https://t.co/KpeDADNuCa. pic.twitter.com/SbhnmOBHfs
— IndiGo (@IndiGo6E) March 22, 2025यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे अपनी फ्लाइट की स्थिति को नियमित रूप से जांचते रहें। यदि कोई अपनी यात्रा योजना बदलना चाहता है, तो वे फ्लेक्सिबल रीबुकिंग विकल्पों का लाभ उठा सकते हैं या रिफंड के लिए आवेदन कर सकते हैं।
एयर इंडिया ने भी दी चेतावनी
टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया ने भी कहा कि खराब मौसम के कारण बेंगलुरू हवाईअड्डे पर यातायात प्रभावित हो रहा है। एयरलाइन ने यात्रियों से अनुरोध किया कि वे हवाईअड्डे पर जाने से पहले अपनी उड़ान की स्थिति की जांच कर लें ताकि किसी भी परेशानी से बचा जा सके।
बारिश की वजह से शहर की कई सड़कें जलमग्न हो गई हैं, जिससे यातायात की स्थिति बदतर हो गई है। खासकर व्यस्त इलाकों में लंबा ट्रैफिक जाम लगा हुआ है।
बेंगलुरु यातायात पुलिस ने बताया कि हंसमारनहल्ली इलाके में भारी जलभराव के कारण अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे की ओर जाने वाला ट्रैफिक बुरी तरह प्रभावित हो गया है।
#ImportantUpdate
Due to adverse weather conditions in Bengaluru, flight operations are currently impacted, resulting in air traffic congestion. We advise all our passengers to check their flight status here- https://t.co/6ajUZVdGTe before proceeding to the airport.
हर साल बारिश में बिगड़ती है बेंगलुरू की स्थिति
बेंगलुरु शहर में बारिश के दौरान ट्रैफिक जाम कोई नई बात नहीं है। बारिश होते ही शहर की प्रमुख सड़कें जलभराव का शिकार हो जाती हैं, जिससे रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती है। ट्रैफिक और बुनियादी ढांचे की खस्ता हालत को लेकर लोग सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं।
सरकार और प्रशासन ने कहा है कि वे स्थिति को जल्द सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यात्रियों को अभी भी सतर्क रहने और अपनी यात्रा योजनाओं को सोच-समझकर बनाने की सलाह दी गई है।
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परिसीमन के खिलाफ हल्ला बोल! चेन्नई में JAC की बैठक में बनी रणनीति, अब क्या करने वाला है विपक्ष?
एएनआई, चेन्नई। विपक्ष की जॉइंट एक्शन कमेटी ने शनिवार को परिसीमन के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से पारदर्शिता और स्पष्टता की कमी पर चिंता व्यक्त की गई।
जेएसी ने सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से किसी भी परिसीमन एक्सरसाइज पर पारदर्शिता की मांग की और 1971 की जनगणना वाली जनसंख्या के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर रोक को अगले 25 वर्षों तक बढ़ाने के लिए कहा।
प्रक्रिया को पारदर्शी करने की मांगजेएसी द्वारा पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि 'लोकतंत्र को बेहतर बनाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा किए गए किसी भी परिसीमन एक्सरसाइज को पारदर्शी तरीके से किया जाना चाहिए, ताकि सभी राज्यों के राजनीतिक दलों, राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों को इसमें विचार-विमर्श, चर्चा और योगदान करने का अवसर मिल सके।'
इसमें कहा गया है, 'इस तथ्य को देखते हुए कि 42वें, 84वें और 87वें संविधान संशोधनों के पीछे विधायी मंशा उन राज्यों को संरक्षण/प्रोत्साहित करना था, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण उपायों को प्रभावी ढंग से लागू किया है और राष्ट्रीय जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य अभी तक हासिल नहीं हुआ है।'
आवश्यक संवैधानिक संशोधन लागू करने की मांग- प्रस्ताव के मुताबिक, '1971 की जनगणना वाली जनसंख्या के आधार पर संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों पर रोक को अगले 25 वर्षों तक बढ़ाया जाना चाहिए।' तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की अगुआई वाली जेएसी ने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि वह उन राज्यों को दंडित न करे, जिन्होंने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया है।
- जेएसी ने कहा कि 'जिन राज्यों ने जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम को प्रभावी ढंग से लागू किया है और परिणामस्वरूप जिनकी जनसंख्या में कमी आई है, उन्हें दंडित नहीं किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार को इस उद्देश्य के लिए आवश्यक संवैधानिक संशोधन लागू करना चाहिए।'
- इसके अलावा, जेएसी ने संकल्प लिया कि बैठक में प्रतिनिधित्व करने वाले विभिन्न राज्यों के राजनीतिक दल परिसीमन मुद्दे पर उचित विधान सभा प्रस्ताव लाएंगे।
संकल्प में कहा गया है कि एसी समन्वित जनमत जुटाने की रणनीति के माध्यम से अपने-अपने राज्यों के नागरिकों के बीच पिछले परिसीमन अभ्यासों के इतिहास और संदर्भ और प्रस्तावित परिसीमन के परिणामों के बारे में जानकारी प्रसारित करने के लिए आवश्यक प्रयास भी करेगा।
इसके अतिरिक्त, जेएसी ने संकल्प लिया कि सांसद केंद्र सरकार द्वारा ऊपर वर्णित सिद्धांतों के विपरीत किसी भी परिसीमन एक्सरसाइज को करने के किसी भी प्रयास का मुकाबला करेंगे। प्रस्ताव में कहा गया है कि सांसदों की कोर कमेटी चल रहे संसदीय सत्र के दौरान भारत के माननीय प्रधान मंत्री को उपरोक्त पंक्तियों पर एक संयुक्त प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करे। स्टालिन ने कहा कि निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन पर अगली बैठक हैदराबाद, तेलंगाना में होगी।
बेंगलुरु में मार्च में ही बढ़ रहे सनबर्न के मामले, क्या है इसके पीछे का कारण और कैसे किया जा सकता इससे बचाव?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अपने ठंडे मौसम के लिए जाना जाने वाला शहर बेंगलुरु इन दिनों कड़ी तेज धूप की मार झेल रहा है। शहर में तेज धूप की वजह से लोगों में सनबर्न के मामले देखे जा रहे हैं। लोग तेज गर्मी और धूप से परेशान नजर आ रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, शहर में कथित तौर पर सनबर्न की घटनाओं में वृद्धि देखी जा रही है। बेंगलुरु में सनबर्न आमतौर पर अप्रैल के महीने में दिखाई देते थे, लेकिन इस बार मार्च में ही मामले सामने आने लगे हैं।
डॉक्टर ने क्या दी सलाह?
अपोलो क्लिनिक की डॉ. सफिया तनीम ने बताया कि हर हफ्ते 10 सनबर्न और 20 सन एलर्जी के मामले सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा, "जब UV किरणें त्वचा पर पड़ती है, तो वे रिएक्टव ऑक्सीजन स्पीशीज के नाम से जाने जाने वाले इनफ्लेमेटरी को सक्रिय करती हैं। इससे जलन, सूजन और कई मामलों में चकत्ते हो जाते हैं।"
उन्होंने कहा, आम तौर पर सनबर्न के मामले अप्रैल और मई में सबसे ज्यादा होते हैं, लेकिन इस साल हमने देखा कि मामले फरवरी में ही सामने आ रहे हैं। सनबर्न जल्दी शुरू हो गए इसके पीछे ग्लोबल वॉर्मिंग और बढ़ता तापमान कारण हो सकते हैं। वायु प्रदूषण भी एक कारण है, जिससे त्वचा की जलन बढ़ रही है।
एस्टर सीएमआई अस्पताल की डॉ. शिरीन फर्टाडो के अनुसार, ऐसे मामलों में 50% की वृद्धि हुई है। सनबर्न और सन एलर्जी के दैनिक मामले एक या दो से बढ़कर पांच हो गए हैं, और आगे भी इसमें वृद्धि की उम्मीद है।
सनबर्न: क्या करें और क्या न करें
- ब्रॉड-स्पेक्ट्रम सनस्क्रीन लगाएं और डॉक्टर की सलाह के अनुसार हर दो घंटे में दोबारा लगाएं
- अतिरिक्त सुरक्षा के लिए चौड़े किनारे वाली टोपी, UV-सुरक्षात्मक धूप का चश्मा और धूप से सुरक्षित कपड़े पहनें
- प्रतिदिन 2-3 लीटर पानी पीकर और इलेक्ट्रोलाइट्स का सेवन करके हाइड्रेटेड रहें
- जल-संतुलन बनाए रखने के लिए तरबूज, खीरा और संतरे जैसे पानी से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करें
- पूरे दिन ठंडा और आरामदायक रहने के लिए सांस लेने योग्य सूती कपड़े पहनें
- बादल वाले दिनों में सनस्क्रीन लगाना न भूलें
- गीले कपड़ों में बहुत देर तक न रहें
- कान, गर्दन, पैर और हाथों के पीछे सनस्क्रीन लगाएं
जलवायु परिवर्तन के चलते तेजी से पिघल रहे ग्लेशियर, भविष्य में बढ़ेगा विनाशकारी बाढ़ का खतरा
नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन के चलते बढ़ी गर्मी से ग्लेशियर्स को काफी नुकसान पहुंचा है। पश्चिमी हिमालय में सुत्री ढाका ग्लेशियर पर जून 2024 में बर्फ की गहराई में 50% से अधिक की गिरावट आई। राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) के वैज्ञानिकों की ओर किए गए अध्ययन में इसे बड़ी चिंता बताया गया। वहीं एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि हिमायल की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट के ऊपरी हिस्से में हिम आवरण 150 मीटर तक घट गया है। से 2024-2025 में सर्दियों के मौसम के दौरान बर्फ जमने में आई कमी का संकेत है। सेटेलाइट से प्राप्त तस्वीरों के जरिए किए गए अध्ययन में वैज्ञानिकों ने तेजी से घटते ग्लेशियरों को लेकर चिंता जताई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि आने वाले समय में ग्लेशियरों के पिघलने में तेजी आ सकती है। ऐसे में भविष्य में विनाशकारी बाढ़ का खतरा बढ़ेगा। वहीं हिमालय के बर्फ भंडारों पर निर्भर जल संसाधन और पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ सकता है।
ग्लेशियरों के पिघलने के कारण ग्लेशियल झीलों में अधिक पानी जमा कर सकता है और ग्लेशियल झील के फटने से बाढ़ (जीएलओएफ) से संबंधित खतरों का जोखिम काफी हद तक बढ़ा सकता है। एनसीपीओआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक परमानंद शर्मा, जो हिमालयी हिमनद अध्ययन में विशेषज्ञ हैं, कहते हैं कि ग्लेशियरों के पिघलने से डाउनस्ट्रीम जल उपलब्धता पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा और समुद्र का स्तर बढ़ेगा। ग्लेशियरों के लगातार गर्म होने और तेजी से पिघलने के कारण, हिमालयी क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में ग्लेशियरों का क्षेत्र और मात्रा तेजी से कम हो रही है। बर्फ और ग्लेशियर क्षेत्रों में ये बदलाव कई बारहमासी नदियों के जल बजट पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं जो भारत के प्रमुख आबादी वाले क्षेत्र की आजीविका के लिए महत्वपूर्ण हैं।"
अमेरिका स्थित निकोल्स कॉलेज में पर्यावरण विज्ञान के प्रोफेसर और ग्लेशियर का अध्ययन करने वाले ग्लेशियोलॉजिस्ट मौरी पेल्टो ने अपने इस अध्ययन में बताया है कि अक्तूबर 2023 से जनवरी 2025 की शुरुआत तक नासा के सेटेलाइट से प्राप्त चित्रों का विश्लेषण करने पर पाया गया है कि 2024 और 2025 में माउंट एवरेस्ट पर तेजी से बर्फ कम होती देखी गई। दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर माउंट एवरेस्ट पर बर्फ में कमी ये दर्शाती हे कि जलवायु खतरनाक स्तर पर गर्म होता जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक तापमान इतना बढ़ गया है कि बर्फ गल पर पानी नहीं बन रही बल्कि सीधे वाष्प में परिवर्तित हो जा रही है। ऐसे में बर्फ के सीधे वाष्प में बदलने से प्रतिदिन 2.5 मिमी बर्फ तक का नुकसान हो रहा है। दिसंबर 2024 में नेपाल में सामान्य से 20-25 फीसदी अधिक बारिश हुई, जबकि पहले मौसम काफी गर्म बना रहा। जनवरी 2025 में लगातार गर्म परिस्थितियां बनी रहीं, जिससे दिसंबर की शुरुआत से फरवरी 2025 की शुरुआत तक तेजी से बर्फ गलने से ऊंची हिम रेखाएं दिखनें लगीं।
जीबी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन इंवायरमेंट के पूर्व वैज्ञानिक डॉक्टर जेसी कुनियाल कहते हैं कि बढ़ते जलवायु परिवर्तन के कारण जंगलों में आग के मामले बढ़े हैं। इससे हवा में ब्लैक कार्बन का स्तर बढ़ा है। ये ब्लैक कार्बन हवा के साथ ग्लेशियर तक पहुंच रहा है। ब्लैक कार्बन ग्लेशियर की सतह पर जमा हो कर उसका तापमान तेजी से बढ़ा देता है। इससे भी ग्लेशियरों की गलने की गति में इजाफा हुआ है। वहीं पहाड़ों पर बढ़ती गाड़ियां भी ब्लैक कार्बन के उत्सर्जन का एक बड़ा कारण हैं।
एक दशक मे 2 मिलीमीटर घटी बर्फबारी
नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर और इसरो के वैज्ञानिकों के रिसर्च गेट में छपे एक अध्ययन के मुताबकि हिमालय पर्वतमाला के दो अलग-अलग भौगोलिक स्थानों, नुब्रा और भागीरथी घाटियों पर तीस वर्षों (1991-2020) के बर्फबारी के आंकड़ों पर नजर डालने पर पता चलता है कि 1991 से 2020 के बीच नुब्रा बासिन में बर्फबारी में हर 10 साल में 2 मिलीमीटर की कमी दर्ज की गई है। ये घाटियाँ काराकोरम और महान हिमालय पर्वतमाला के अंतर्गत आती हैं। जलवायु परिवर्तन के चलते दोनो घाटियों में बर्फबारी में तो कमी आई है लेकिन बारिश बढ़ी है। अध्ययन में पाया गया कि पिछले तीन दशकों में दिसंबर के महीने में काफी उतार चढ़ाव देखा गया है। डीआरडीओ के वैज्ञानिक एम. आर. भूटियानी ने अपने एक शोध में अगले 120 सालों में उत्तर-पश्चिमी हिमालय में अधिकतम तापमान 3 डिग्री तक बढ़ने की संभावना जताई है। तापमान में इस वृद्धि से पहाड़ों की जलवायु में बदलाव आएगा। ऐसे में आने वाले समय में बर्फबारी में और कमी देखी जा सकती है।
हिमांचल में लगातार घट रही बर्फबारी
हिमाचल प्रदेश के राज्य जलवायु परिवर्तन केंद्र (HIMCOSTE), (GHCAG), और अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र (SAC-ISRO) की ओर से तैयार की गई एक रिपोर्ट में कहा गया है पिछले एक दशक में, हिमाचल प्रदेश में बर्फबारी की अनियमित, असंगत और घटती प्रवृत्ति देखी जा रही है। जलवायु परिवर्तन के कारण बर्फबारी और वर्षा के पैटर्न में भी बदलाव आया है। रिपोर्ट के मुताबिक 2021-22 की तुलना में 2022-2023 की सर्दियों में हिमाचल प्रदेश में बर्फ से ढके कुल क्षेत्र में लगभग 14.05% की कमी देखी गई है। वहीं हिमांचल प्रदेश का औसत अधिकतम और न्यूनतम तापमान लगातार बढ़ रहा है। रिपोर्ट के वैज्ञानिकों ने कहा है कि पर्वतीय पर्यावरण में घटता बर्फ का आवरण चिंता का विषय है। इससे जलविद्युत, जल स्रोतों, पेयजल, पशुधन, जंगलों, खेतों और बुनियादी ढांचे पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है।
नेनों प्लास्टिक ने बढ़ाया खतरा
हाल ही में चीन की एकेडमी ऑफ साइंस और कॉलेज ऑफ अर्थ एंड इनवायरमेंटल साइंस के शोधकर्ताओं ने अपने शोध में पाया कि सामान्य तौर ग्लेशियर में जमी बर्फ पर जब सूरज की रौशनी पड़ती है तो वो उसे 100 फीसदी परावर्तित कर देता है। लेकिन जब बर्फ के ऊपर जब प्लास्टिक के छोटे कण जमा हो जाते हैं तो सूरज की रौशनी को सोख लेते हैं। इससे ग्लेशियर में तापमान बढ़ता है और वो गलने लगता है। हवा के साथ ग्लेशियर तक पहुंच रहे ये प्लास्टिक के छोटे कण आकार में पांच मिलिमीटर से भी छोटे होते हैं। चीन के शोधकर्ताओं को आर्कटिक, आल्प्स, तिब्बत, एंडीज और अंटार्कटिका में माइक्रोप्लास्टिक के कण मिले हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक माइक्रोप्लास्टिक के असर को जानने के लिए अभी और शोध किए जाने की जरूरत है।
इन परिवर्तनों ने बड़े पैमाने पर जल संसाधनों और जल विज्ञान चक्र को प्रभावित किया है। संभावना जताई जा रही है कि 21वीं सदी में तिब्बती पठारों में जमा ग्लैशियर 21 फीसदी तक गल सकते हैं, इसके चलते यहां से निकलने वाली नदियों में ग्लेशियर में आने वाले पानी मात्रा में आने वाले समय में 28 फीसदी तक की कमी देखी जा सकती है। एक अध्ययन के मुताबिक 1960s से 2000 के बीच तब्बत में स्थित Nam Co Lake के करीब जमे ग्लेशियर को तेजी से गलाने में माइक्रोप्लास्टिक की हिस्सेदारी 8 फीसदी की रही। प्लास्टिक के छोटे कणों के चलते यहां का तापमान ढाई डिग्री तक बढ़ गया। माइक्रोप्लास्टिक के अलावा ब्लैक कार्बन के चलते भी ग्लेशियर तेजी से गल रहे हैं। आर्टिक के कुछ हिस्सों में ब्लैक कार्बन के चलते जुलाई से सितम्बर के बीच बर्फ के गलने की गति एक से तीन फीसदी तक बढ़ गई।
सीएसई के एक्स्पर्ट सिद्धार्थ सिंह ने कहा कि प्लास्टिक से होने वाला प्रदूषण आज बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। प्लास्टिक के छोटे कणों का प्रकृति पर किस तरह का असर पड़ रहा है इस पर अभी शोध किए जाने की जरूरत है। प्लास्टिक के नैनो कण पानी के साथ वाष्प बन कर बादलों तक पहुंच रहे हैं। हाल ही अंटार्टिक में गिरने वाली ताजा बर्फ में भी माइक्रोप्लास्टिक के कण मिले हैं।
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