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इलाहाबाद HC के फैसले पर केंद्रीय मंत्री ने उठाए सवाल, स्वाति मालीवाल बोलीं-'शर्मनाक और बिल्कुल गलत'

Dainik Jagran - National - March 21, 2025 - 1:46pm

पीटीआई, नई दिल्ली। राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस फैसले को "शर्मनाक" और "बिल्कुल गलत" बताया जिसमें कहा गया है कि किसी महिला को गलत तरीके से पकड़ना और 'पजामा' का नाड़ा तोड़ना बलात्कार के अपराध के बराबर नहीं है।

मालीवाल ने क्या प्रतिक्रिया दी?

मालीवाल ने इस तरह के फैसले से समाज में जाने वाले संदेश पर सवाल उठाया। उन्होंने संसद के बाहर संवाददाताओं से कहा, "यह "बेहद शर्मनाक और बिल्कुल गलत है। वे समाज को क्या संदेश देना चाहते हैं कि एक छोटी लड़की के साथ इस तरह की हरकत की जा सकती है और फिर भी इसे बलात्कार नहीं माना जाएगा?"

मालीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से तुरंत हस्तक्षेप करने और ऐसी न्यायिक फैसलों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में बिना देरी किए हस्तक्षेप करना चाहिए और सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।"

केंद्रीय मंत्री ने जताई कड़ी आपत्ति

स्वाति मालीवाल ही नहीं, केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने भी सुप्रीम कोर्ट से इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। लोकसभा के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वह फैसले से पूरी तरह असहमत हैं और उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले का संज्ञान लेने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, "मैं इस फैसले के पूरी तरह खिलाफ हूं और सुप्रीम कोर्ट को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। सभ्य समाज में इस तरह के फैसले के लिए कोई जगह नहीं है। कहीं न कहीं इसका समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और हम इस मामले पर आगे चर्चा करेंगे।"

क्या था हाई कोर्ट का फैसला?

  • इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाबालिग के वक्ष का स्पर्श और वस्त्र का नाड़ा तोड़ने को दुष्कर्म के प्रयास की जगह ‘गंभीर यौन उत्पीड़न’ माना।
  • न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने कासगंज के स्पेशल जज (पोक्सो कोर्ट) का समन आदेश संशोधित कर दिया है और नए सिरे से समन करने का आदेश दिया है।
  • हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि आरोपितों के खिलाफ धारा 354-बी आइपीसी (निर्वस्त्र करने के इरादे से हमला या आपराधिक बल का प्रयोग) के मामूली आरोप के साथ पोक्सो अधिनियम की धारा 9/10 (गंभीर यौन हमला) के तहत मुकदमा चलाया जाए।

क्या है मामला?

बता दें, यह मामला उत्तर प्रदेश के कासगंज में 11 वर्षीय लड़की से जुड़ा है, जिस पर 2021 में दो लोग पवन और आकाश ने हमला किया था। आरोपियों ने उसको गलत तरीके से पकड़ा, उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे एक पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास किया था। जब उसकी चीखें सुनकर लोग वहां पहुंचे तो आरोपी वहां से भाग गए थे।

'प्राइवेट पार्ट को टच करना और नाड़ा तोड़ना दुष्कर्म नहीं...', इलाहाबाद हाई कोर्ट का अहम निर्णय

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विदेशी जेलों में बंद हैं 10 हजार से ज्यादा भारतीय, 49 को मिली मौत की सजा; सरकार ने सामने रखे आंकड़े

Dainik Jagran - National - March 21, 2025 - 1:24pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद में विदेशों में बंद भारतीयों के मुद्दे पर बात की। उन्होंने कहा, वर्तमान में 10,000 से अधिक भारतीय विभिन्न विदेशी जेलों में बंद हैं और उनमें से 49 को मौत की सजा सुनाई गई है। 

विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने लिखित जवाब में बताया, सबसे ज्यादा 2,633 भारतीय सऊदी अरब में कैद हैं, जबकि दूसरे नंबर पर 2,518 संयुक्त अरब अमीरात में कैद हैं। सरकार विदेशी जेलों में बंद भारतीय नागरिकों सहित विदेशों में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा,संरक्षा और कल्याण को उच्च प्राथमिकता देती है।

नेपाल में 1 हजार से ज्यादा भारतीय 
  • विदेश में भारतीय मिशन/केंद्र सतर्क रहते हैं और स्थानीय कानूनों के उल्लंघन या कथित उल्लंघन के लिए विदेशी देशों में भारतीय नागरिकों को जेल में डाले जाने की घटनाओं पर बारीकी से नजर रखते हैं।
  • मंत्री की तरफ से प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, नेपाल में तीसरे नंबर पर सबसे अधिक 1,317 भारतीय हैं जो इस हिमालयी देश में बंद हैं।
  • जिन अन्य देशों की जेलों में बड़ी संख्या में भारतीय बंद हैं, उनमें कतर के 611, कुवैत 387, मलेशिया 338 पाकिस्तान 266, चीन के 173 शामिल हैं।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका 169, ओमान के148 रूस और म्यांमार 27 कैद हैं।
2020 में 25 भारतीयों को मौत की सजा

आंकड़ों के अनुसार, 2020 से कुवैत में 25 भारतीयों को फांसी की सजा दी गई है। यह उन देशों में सबसे अधिक है जहां मौत की सजा पाए दोषियों को रखा जाता है। इसके बाद सऊदी अरब में नौ, जिम्बाब्वे में सात, मलेशिया में पांच और जमैका में एक व्यक्ति को फांसी दी गई।

मंत्रालय ने कहा कि यूएई ने वहां मारे गए भारतीयों की संख्या का खुलासा नहीं किया है, लेकिन 2020 और 2024 के बीच किसी भी भारतीय को फांसी नहीं दी गई। इस साल फरवरी में यूएई में तीन भारतीयों को फांसी दी गई, जिनमें उत्तर प्रदेश की एक नर्स और केरल का एक व्यक्ति शामिल है।

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'शारीरिक संबंध बनाना है तो देने पड़ेंगे 5000, आत्महत्या की धमकी...',पत्नी की डिमांड से परेशान पति ने उठाया ये कदम

Dainik Jagran - National - March 21, 2025 - 12:52pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली।  बेंगलुरु से एक अजीबों-गरीब मामला सामने आया है। एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपनी ही पत्नी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। उनका आरोप है कि उनकी पत्नी रोज उनके साथ रहने के लिए ₹5000 मांगती है। यह मामला सामने आते ही सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया है। 

शख्स ने आरोप में कहा, उसकी पत्नी उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए पैसे मांगती थी। रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीकांत नामक व्यक्ति ने वैवाहिक साइट के जरिए मुलाकात के बाद अगस्त 2022 में बिंदुश्री से शादी की थी। अब श्रीकांत अपनी पत्नी मानसिक रूप से प्रताड़ित है।

'शादी से पहले खाते में ट्रांसफर किए थे 3 लाख'

उसने आरोप लगाया कि शादी से पहले ही बिंदुश्री की मां ने पैसों की मांग की थी। उसने दावा किया कि उसने अपनी सास के खाते में ₹3 लाख ट्रांसफर किए थे और शादी के खर्च में मदद के लिए ₹50,000 भेजे थे।

श्रीकांत ने यह भी दावा किया कि उनकी पत्नी ने दो साल से ज्यादा समय से शादीशुदा होने के बावजूद उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने से इनकार कर दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि पत्नी ने उनके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए प्रतिदिन 5,000 रुपये मांगे थे। उन्होंने कहा कि जब वह उसके करीब आने की कोशिश करते तो वह आत्महत्या की धमकी देकर और मौत के नोट छोड़कर उन्हें ब्लैकमेल करती थी।

मीटिंग में करती थी डांस

श्रीकांत ने आरोप लगाया कि जब वह घर से काम करते थे तो उनकी पत्नी बहस करके या नाचकर उनकी मीटिंग में बाधा डालती थी और इस वजह से उन्हें अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा। अपनी शिकायत में उन्होंने कहा कि उन्होंने सबूत के तौर पर पेश करने के लिए इस तरह के व्यवहार के वीडियो रिकॉर्ड किए हैं।

पत्नी ने भी लगाया बड़ा आरोप

श्रीकांत द्वारा अपने साथ उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराने के बाद, उनकी पत्नी ने भी जवाबी शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने अपने पति और उनके परिवार पर घरेलू हिंसा का आरोप लगाया। उसने श्रीकांत के भाई पर आरोप लगाया कि उसने कहा, उसे गर्भवती कर दो ताकि वह घर न छोड़े। वह आखिरकार अपने माता-पिता के घर चली गई, लेकिन अपने पति के साथ सुलह की उम्मीद में वापस लौट आई।

अब क्या होगा आगे?

पुलिस ने पति-पत्नी को पूछताछ के लिए बुलाया है। श्रीकांत ने बताया कि मनोचिकित्सक ने दोनों को आपसी सहमति से तलाक लेने की सलाह दी है, जिस पर बिंदुश्री भी राजी हो गई हैं।

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एआई के बढ़ते उपयोग से कोडिंग और प्रोग्रामिंग में भारतीय नौकरियां पर पड़ेगा असर, बनानी होगी नई रणनीति

Dainik Jagran - National - March 21, 2025 - 12:19pm

 नई दिल्ली, अनुराग मिश्र।

एक तरफ जहां दुनियाभर में इस बात की पुरजोर वकालत की जा रही है कि एआई के आगमन से आईटी इंडस्ट्री में नया बूम आ जाएगा तो दूसरी तरफ गलाकाट प्रतिस्पर्धा से भरे बाजार और बढ़ती कानूनी दुविधाओं से जूझते हुए, भारतीय आईटी कंपनियां अपने मार्जिन को बचाने के लिए 'दबाव' महसूस कर रही हैं और अपने मुनाफे में सुधार के लिए तेजी से ऑटोमेशन प्लेटफार्मों की ओर झुक रही हैं। दुनिया के बड़े टेक्नोलॉजी दिग्गजों के भी इसे लेकर अपने-अपने मत हैं। आईबीएम की एग्जीक्यूटिव चेयरमैन गिन्नी रोमेटी का कहना है कि "कुछ लोग इसे कृत्रिम बुद्धिमत्ता कहते हैं, लेकिन हकीकत यह है कि यह तकनीक हमें बेहतर बनाएगी। इसलिए मुझे लगता है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता के बजाय हम अपनी बुद्धिमत्ता को बढ़ाएंगे।" एलन मस्क, जो भविष्य की तकनीकों पर अरबों डॉलर खर्च करने के लिए जाने जाते हैं, मानवता के लिए इसे सबसे बड़ा खतरा बताते हैं।

मौजूदा समय में एआई के विकास के साथ भारतीय आईटी क्षेत्र एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। एक्सपर्ट मानते हैं कि नई तकनीकों को अपनाने और एकीकृत करने की क्षमता ही तय करेगी कि क्या ये कंपनियां संभावित खतरों को विकास के अवसरों में बदल सकती हैं ? इसे लेकर अधिकतर कंपनियां और टेक दिग्गज आशान्वित हैं। वह मानते हैं कि मौजूदा घटनाक्रम ऐसे भविष्य का संकेत देते हैं जहां एआई न केवल आईटी कंपनियों की क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि उन्हें इनोवेशन और मार्केट में नेतृत्व करने के नए रास्ते भी खोलेगा।

आईटी क्षेत्र न केवल एक प्रमुख नियोक्ता है, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता भी है। यह जीडीपी में 7% का योगदान करता है और कुल निर्यात का लगभग एक-चौथाई हिस्सा इसी से आता है। हालांकि, एआई के ऑटोमेशन की क्षमता, दक्षता के संदर्भ में आशाजनक है, लेकिन इससे आर्थिक संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव भी हो सकते हैं। कैपिटल इकोनॉमिक्स के अनुसार, यदि एआई इस क्षेत्र में मानव नौकरियों को पूरी तरह से प्रतिस्थापित कर देता है, तो अगले दशक में भारत की जीडीपी वृद्धि दर में लगभग एक प्रतिशत की गिरावट हो सकती है।

एआई दुनिया भर में अर्थव्यवस्थाओं और उद्योगों में बदलाव ला रहा है। भारत के विकसित भारत 2047 के विजन और समावेशी विकास हासिल करने के क्रम में एआई महती भूमिका निभा रहा है। अर्थव्यवस्था में 500 बिलियन डॉलर का योगदान करने की क्षमता के साथ, AI कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शहरी नियोजन जैसे क्षेत्रों में क्रांति ला सकता है। एआई न केवल इनोवेशन में बड़ा योगदान दे रहा है, बल्कि भारत की सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों को हल करने के लिए एक रणनीतिक टूल साबित हो रहा है।

तमाम संभावनाओं के बीच एआई को लेकर चुनौतियां भी बनी हुई हैं। भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी स्किल गैप और असमानताओं से जूझ रही है। भारत सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम में कहा कि वैश्विक तकनीकी महाशक्ति बनने के लिए, हमें स्वास्थ्य, शिक्षा, स्मार्ट शहरों और कृषि में चौथी औद्योगिक क्रांति प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने के लिए सभी हितधारकों से सहयोग की आवश्यकता है।

टैग्सलैब के संस्थापक हरिओम सेठ कहते हैं कि भारतीय आईटी क्षेत्र में स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप एआई आधारित समाधानों को बनाने की अपार संभावनाएं हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, कृषि और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में क्षेत्रीय स्तरों पर समाधान दिए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए दूरदराज के क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, वहां एआई के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बढ़ाई जा सकती है। कृषि में छोटे किसानों को एआई की सहायता से सटीक कृषि तकनीकों का प्रदर्शन करके लाभान्वित किया जा सकता है।

डिजिटल एमिनेंट के संस्थापक मुकुल राज शर्मा कहते हैं कि उभरती अर्थव्यवस्थाएं आमतौर पर कृषि, विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला वाले टास्क को पूरा करने के लिए कई तरह की परेशानियों से जूझती हैं। भारतीय आईटी कंपनियां एआई-आधारित समाधान विकसित करके इन क्षेत्रों में क्रांति ला सकती हैं। देश की बड़ी आबादी अभी भी बैंकिंग सेवाओं से वंचित है या उन्हें सीमित पहुंच प्राप्त है। भारतीय आईटी कंपनियां एआई का उपयोग करके इन लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचा सकती हैं। एआई का उपयोग करके संदिग्ध लेनदेन की पहचान और रोकथाम की जा सकती है, जिससे डिजिटल भुगतान प्रणाली में विश्वास बढ़ेगा और इसका व्यापक उपयोग संभव होगा।

अमेरिका में एक तिहाई आईटी प्रोग्रामर्स की नौकरी खतरे में

हाल के वर्षों में, अमेरिका में प्रोग्रामर्स की संख्या में उल्लेखनीय कमी देखी गई है, जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन के बढ़ते प्रभाव को दर्शाती है। अमेरिकी श्रम सांख्यिकी ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में प्रोग्रामर्स की संख्या में लगभग 27% की गिरावट आई है, जो मुख्यतः ChatGPT जैसे AI टूल्स के आगमन के साथ मेल खाती है।

भारतीय आईटी उद्योग पर प्रभाव

भारतीय आईटी उद्योग में बड़ी संख्या में प्रोग्रामर्स कार्यरत हैं, और अमेरिका में आई इस गिरावट से भारतीय आईटी नौकरियों पर संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं। AI और ऑटोमेशन के बढ़ते उपयोग से कोडिंग और प्रोग्रामिंग से संबंधित कार्यों की मांग में कमी आ सकती है, जिससे भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए चुनौतियां उत्पन्न हो सकती हैं। आईटी पेशेवरों को AI, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिटिक्स, और साइबर सुरक्षा जैसे उभरते क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रदान करना आवश्यक है। इससे वे बदलते तकनीकी परिदृश्य में प्रासंगिक बने रह सकते हैं। कंपनियों को अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाना चाहिए ताकि वे नई तकनीकों के विकास और कार्यान्वयन में अग्रणी बन सकें।

कानूनी ढांचों और अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखने की आवश्यकता

कापी मशीन के हेड ऑफ मार्केटिंग अनुराग दास कहते हैं कि भारत में फिलहाल एआई के लिए कोई एकीकृत कानूनी ढांचा नहीं है। इस कारण से कारोबार में अनिश्चितता का माहौल बनता है। इसके विपरीत, यूरोपीय संघ में एआई अधिनियम मौजूद है, जिसका फायदा कंपनियों को काम करने में मिलता है। इसके बनिस्पत भारत में एआई नियमों में अनिश्चितता का असर इनोवेशन पर पड़ सकता है, क्योंकि कारोबारी बिना स्पष्ट दिशानिर्देशों के भारी-भरकम निवेश करने से हिचकिचाते हैं। एआई एल्गोरिदम डेटा-आधारित होते हैं। भारत का पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल, जिसका उद्देश्य व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा है, कई बार विलंबित और संशोधित हुआ है। इस बिल में शामिल प्रावधान जैसे कि डेटा लोकलाइजेशन, सहमति, क्रॉस-बॉर्डर डेटा ट्रांसफर, ये सभी प्रावधान एआई के विकास और उपयोग को काफी हद तक प्रभावित कर सकते हैं। खासकर उन व्यवसायों पर इसका अधिक असर पड़ सकता है, जो अंतरराष्ट्रीय डेटा सेट पर निर्भर हैं। इसके अलावा, संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा को संभालने वाले एआई सिस्टम के साथ पीडीपी बिल को कैसे एकीकृत किया जाएगा, इस पर भी गंभीर चिंताएं बनी हुई हैं।

40 फीसद काम कर रहा है एआई

हरिओम सेठ के अनुसार विभिन्न अनुमानों के अनुसार, भारत में आईटी पेशेवरों द्वारा किए जाने वाले लगभग 40-50% कार्य एआई के माध्यम से ऑटोमेटेड किए जा सकते हैं। इनमें मुख्य रूप से सॉफ्टवेयर टेस्टिंग, डेटा एंट्री, और कस्टमर हेल्प जैसी प्रक्रियाएं शामिल हैं। एआई के कारण कुछ भूमिकाएं समाप्त हो रही हैं। साथ ही, एआई डेवलपमेंट, डेटा साइंस और एआई कंसल्टिंग में नई नौकरियां उत्पन्न हो रही हैं। ईवाई इंडिया की रिपोर्ट 'भारत का एआई आइडिया: 2025 में कहा गया है कि भारतीय उद्योगों में 24% कार्य पूरी तरह से स्वचालित किए जा सकते हैं, जबकि 42% कार्य एआई की सहायता से अधिक प्रभावी बनाए जा सकते हैं। इससे ज्ञान आधारित क्षेत्रों में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए प्रति सप्ताह 8 से 10 घंटे का अतिरिक्त समय उपलब्ध हो सकता है। उद्योगों के संदर्भ में, सेवा क्षेत्र में सबसे अधिक उत्पादकता वृद्धि की संभावना है क्योंकि इसमें श्रम की हिस्सेदारी अधिक है। इसके विपरीत, विनिर्माण और निर्माण क्षेत्रों में एआई का अपेक्षाकृत कम प्रभाव देखने को मिलेगा।

आईटी सेक्टर का वर्तमान जॉब मार्केट

नैस्कॉम की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय आईटी क्षेत्र में लगभग 4.5 मिलियन पेशेवर कार्यरत हैं, जिसकी वृद्धि दर 7-8% प्रति वर्ष है। 2025 तक इस क्षेत्र का राजस्व 350 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। मैकेंजी की एक रिपोर्ट का अनुमान है कि भारत में आईटी पेशेवरों द्वारा किए जाने वाले लगभग 50-60% कार्यों को एआई और अन्य तकनीकों का उपयोग करके स्वचालित किया जा सकता है। इसके परिणामस्वरूप पिछले दो वर्षों में इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हुई हैं।

एआई ने आईटी क्षेत्र में कई नौकरियों की जगह ले ली है। इन बदलाव की सफलता दर मिश्रित रही है। गार्टनर की एक रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में लगभग 30% एआई परियोजनाएं डेटा क्वालिटी के मुद्दों, विशेषज्ञता की कमी और अपर्याप्त बुनियादी ढांचे जैसे विभिन्न कारणों से अपेक्षित परिणाम देने में विफल रहीं। हालांकि, सफल एआई कार्यान्वयन से उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि और बचत हुई है। उदाहरण के लिए, एक्सेंचर के एक अध्ययन में पाया गया कि आईटी क्षेत्र में एआई-संचालित ऑटोमेशन से परिचालन लागत में 30-40% की कमी आ सकती है।

एआई कंप्यूटर और सेमीकंडक्टर इंफ्रास्ट्रक्चर

भारत अपनी बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था का समर्थन करने के लिए तेजी से एक मजबूत एआई कंप्यूटिंग और सेमीकंडक्टर बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है। 2024 में इंडिया एआई मिशन की मंजूरी के साथ, सरकार ने एआई क्षमताओं को मजबूत करने के लिए पांच वर्षों में 10,300 करोड़ रुपये आवंटित किए। इस मिशन का एक प्रमुख फोकस 18,693 ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (GPU) से लैस एक उच्च-स्तरीय सामान्य कंप्यूटिंग सुविधा बनाना है। इससे भारत वैश्विक स्तर पर सबसे व्यापक AI कंप्यूटर इन्फ्रास्ट्रक्चर बना सकता है। यह क्षमता ओपन-सोर्स AI मॉडल डीपसीक की तुलना में लगभग नौ गुना और चैटजीपीटी द्वारा संचालित क्षमता का लगभग दो-तिहाई है।

जेनरेटिव एआई का उभार

व्यूहा मेड के सीईओ और सीओओ धृतिमान मलिक कहते हैं कि भारत की आईटी सर्विसेज के बदलाव के केंद्र में है जनरेटिव एआई। यह भारतीय टेक सेक्टर को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है। सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में जनरेटिव एआई का तेजी से बढ़ना एक बड़ा फैक्टर है। यह तकनीक उन व्यक्तियों को भी सक्षम बनाती है, जिनके पास सीमित कोडिंग अनुभव है। कुछ ही दिनों में एप्लिकेशन विकसित किया जा सकता है। यह कार्य पहले महीनों तक आउटसोर्स करना पड़ता था। सॉफ्टवेयर विकास में यह निस्संदेह महत्वपूर्ण है, और इसके दूरगामी प्रभाव हैं।

आउटसोर्सिंग मॉडल को चुनौती

मलिक कहते हैं कि एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है, जहां एआई में निपुण फ्रीलांसर प्रमुख आईटी कंपनियों की तुलना में काफी कम दरों पर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। यह केवल व्यावसायिक संरचना में बदलाव नहीं है। यह स्टार्टअप्स की इनोवेशन क्षमता का प्रमाण भी है, जिससे वे स्थापित कंपनियों को चुनौती दे रहे हैं। हालांकि, आईटी दिग्गजों ने वर्षों में जो मजबूत नेटवर्क बनाए हैं, उन्हें तुरंत समाप्त करना आसान नहीं होगा। एआई के उपयोग में निष्पक्षता और पक्षपात से जुड़े नैतिक प्रश्न भी महत्वपूर्ण हैं। यह आवश्यक है कि एआई सिस्टम का उपयोग जिम्मेदारीपूर्वक किया जाए।

भारत में अभी तक एआई नियामक ढांचा नहीं

सेठ कहते हैं कि भारत में अभी तक एक व्यापक एआई नियामक ढांचा नहीं है। इससे एआई व्यवसायों और इसके विकास में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। एआई सिस्टम से संबंधित डेटा की सुरक्षा और एआई द्वारा होने वाली संभावित हानियों के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करना एक महत्वपूर्ण चुनौती है।

उभरते अवसर, जहां हम बढ़त बनाए रखेंगे

तमाम चुनौतियों के बारे में बात करने के बाद, भारतीय आईटी सेक्टर भी इसे अवसर के तौर पर ले सकता है। अक्सर कहा जाता है कि हर संकट एक अवसर भी होता है। आइए देखें कि इस अफरा-तफरी भरे समय में हम किन संभावित अवसरों का लाभ उठा सकते हैं।

सस्ते समाधान के साथ ग्लोबल साउथ हमारे नए बाजार हो सकते हैं

भारतीय आईटी इंडस्ट्री ने दशकों तक अपनी सेवाओं को विकसित देशों मुख्य रूप से अमेरिका और यूरोप को प्रदान करके वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है। हालांकि, आज की दुनिया में तकनीकी परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) ने इसमें एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एआई सक्षम समाधान भारत के आईटी सेक्टर को केवल विकसित देशों तक सीमित रखने के बजाय ग्लोबल साउथ अफ्रीका, दक्षिण एशिया, लैटिन अमेरिका और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं में नए अवसरों की ओर ले जा सकते हैं।

भारत की विस्तृत सर्विस डिस्ट्रीब्यूशन क्षमताएं और तकनीकी कौशल इसे उभरते बाजारों में सुलभ, किफायती और उच्च गुणवत्ता वाले समाधान प्रदान करने में सक्षम बनाते हैं। ये क्षेत्र तेजी से डिजिटलीकरण की ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन कई बार अत्यधिक महंगे पश्चिमी समाधान उनके लिए सुलभ नहीं होते। भारत के पास कम लागत पर एआई-समर्थित टेक्नोलॉजी प्लेटफॉर्म बनाने की क्षमता है, जो शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, वित्त और ई-कॉमर्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकते हैं। इसके अतिरिक्त, भारत सरकार की नीतियां, जैसे "मेक इन इंडिया" और "डिजिटल इंडिया", एआई और आईटी इनोवेशन को बढ़ावा दे रही हैं। भारतीय कंपनियां अब न केवल कस्टमाइज़्ड सॉल्यूशंस विकसित कर सकती हैं, बल्कि इन्हें स्थानीय जरूरतों के हिसाब से ढालकर उभरते बाजारों में तेजी से अपना सकती हैं। एआई के नेतृत्व में भारतीय आईटी उद्योग के लिए ग्लोबल साउथ एक नया व्यापारिक क्षितिज बन सकता है। सही रणनीति और निवेश के साथ, भारत उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक प्रमुख टेक्नोलॉजी पार्टनर के रूप में अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है।

भारतीय शिक्षा प्रणाली में एआई के साथ क्रांति लाई जा सकती है: भारत को एआई सक्षम शिक्षा सेवाओं में भारी निवेश करना शुरू करना चाहिए ताकि हमारी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक का समाधान किया जा सके। यह स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र पर भी लागू होता है।

कौशल मजबूत कर उच्च वेतन सुनिश्चित करना: बड़ी समस्या है कि अधिक प्रतिभाशाली और सक्षम लोगों का वेतन बढ़ता रहेगा और कम वेतन पाने वाले लोग सबसे अधिक प्रभावित हो सकते हैं। इस प्रवृत्ति का मुकाबला करने के लिए, हमें लोगों को कौशल बढ़ाना चाहिए।

विकास का समय, लागत और प्रयास बहुत कम हो जाएगा: कोड/सॉफ्टवेयर विकसित करने का समय तेजी से कम हो जाएगा। Github के लिए को-पायलट और अन्य IDE सपोर्टिंग Ai टूल के साथ, अधिक से अधिक कोडर्स की आवश्यकता तेजी से कम हो सकती है। कम कोड और प्रोडक्टाइजेशन/SaaS आदि के साथ, कस्टम कोड विकसित करने की आवश्यकता लगातार कम होती गई।

डेटा प्रोसेसिंग के कामों में लाभकारी साबित होगा एआई

नियमित कार्यों को ऑटोमेटेड करने की AI की क्षमता कॉल सेंटर और बुनियादी डेटा प्रोसेसिंग जैसे क्षेत्रों में विशेष रूप से प्रभावशाली है। उदाहरण के लिए, चैटजीपीटी जैसे AI टूल के लांच होने के बाद से लेखन कार्यों की आय में गिरावट देखी गई है। यह बदलाव केवल आईटी तक ही सीमित नहीं है, बल्कि ग्राफिक डिज़ाइन जैसे रचनात्मक क्षेत्रों को भी प्रभावित करता है, जहां AI ने उत्पादन की लागत और समय को कम करके पारंपरिक भूमिकाओं को कम करना शुरू कर दिया है।

उदाहरण के लिए, इंफोसिस ने अपने संचालन में एआई डिवाइस का इस्तेमाल किया है, जिससे कथित तौर पर कुछ विकास कार्यों के लिए आवश्यक समय में 30% तक की कमी आई है।

भविष्य की चिंताएं

आईटी क्षेत्र में एआई का बढ़ता उपयोग भारत में काम के भविष्य को लेकर कई चिंताएं पैदा करता है। कुछ प्रमुख मुद्दे जिन पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है, वे हैं:

1. नौकरी विस्थापन: आईटी क्षेत्र में नौकरियों के ऑटोमेशन से महत्वपूर्ण नौकरी विस्थापन हो सकता है, विशेष रूप से एंट्री लेवल और मीडियम लेवल के पेशेवरों के लिए।

2. स्किल गैप: भारतीय आईटी क्षेत्र में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और संबंधित तकनीकों की मांग तेजी से बढ़ रही है। कंपनियां अब मशीन लर्निंग (ML), डेटा एनालिटिक्स, क्लाउड कंप्यूटिंग, और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखने वाले पेशेवरों की तलाश कर रही हैं। हालांकि, मौजूदा शिक्षा प्रणाली कई बार इंडस्ट्री की नवीनतम आवश्यकताओं के साथ तालमेल नहीं रख पाती, जिससे एक महत्वपूर्ण स्किल गैप पैदा हो रहा है।

इसके अतिरिक्त, नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (NASSCOM) की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वर्ष 2026 तक एआई और डेटा साइंस में करीब 14-16 लाख पेशेवरों की आवश्यकता होगी, लेकिन मौजूदा शिक्षा प्रणाली केवल एक तिहाई आवश्यक स्किल्स को पूरा कर पा रही है।

3. डेटा की गुणवत्ता और नियामक ढांचा: एआई मॉडल की सटीकता और विश्वसनीयता इस पर निर्भर करती है कि उन्हें प्रशिक्षित करने के लिए किस गुणवत्ता के डेटा का उपयोग किया गया है। यदि डेटा अधूरा, गलत, पक्षपाती या असंगत होता है, तो इससे एआई मॉडल में भी पूर्वाग्रह आ सकता है। ऐसे पक्षपाती एआई मॉडल न केवल गलत निर्णय लेते हैं, बल्कि वे सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को भी बनाए रख सकते हैं या उन्हें बढ़ा सकते हैं। भारत में एआई के लिए स्पष्ट नियामक ढांचे का अभाव व्यवसायों और व्यक्तियों दोनों के लिए अनिश्चितता और जोखिम पैदा कर सकता है।

4. आईटीईएस और बीपीओ को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है: बीपीओ (बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग) उद्योग मुख्य रूप से टेक्स्ट, वॉयस और दस्तावेज़ प्रसंस्करण को संभालने के बारे में है। एलएलएम आधारित समाधानों का इस सेगमेंट पर सबसे मजबूत प्रभाव होगा। जैसे-जैसे कंपनियां अपने वर्कफ़्लो में एआई-सक्षम उपकरणों को एकीकृत करेंगी, उत्पादकता बढ़ेगी और सेवा दरें घटेंगी। इससे भारतीय बीपीओ कंपनियों के लिए मूल्य प्रतिस्पर्धा की चुनौती बढ़ जाएगी। हरिओम सेठ कहते हैं कि मैकेंजी ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक भारत में लाखों नौकरियां स्वचालित हो सकती हैं, जिनमें आईटीईएस/बीपीओ क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित होगा। ऐसे में पूरी तरह से स्वचालन के बजाय "ह्यूमन-इन-द-लूप" दृष्टिकोण अपनाना होगा, जहां जटिल मामलों को इंसानों द्वारा प्रबंधित किया जाए और सरल कार्यों को एआई संभाले।

5. हमारे उद्योग को नए उपकरणों और मानसिकता के साथ तैयार होना होगा: भारतीय आईटी क्षेत्र को इन क्षमताओं का लाभ उठाने और प्रतिस्पर्धी बनने के लिए बड़ी मात्रा में एआई इनेबल डिवाइस, सिस्टम और प्रक्रियाएं विकसित करनी होंगी। परंपरागत रूप से हमारी ताकत इनोवेशन के बजाय प्रक्रियाओं में रही है। यदि भारतीय आईटी कंपनियां एआई-इंटीग्रेटेड वर्कफ़्लो में निवेश नहीं करतीं, तो प्रतिस्पर्धी देश (जैसे – वियतनाम, फिलीपींस) वैश्विक बाजार में अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि भारतीय आईटी उद्योग को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे बने रहने के लिए एआई इनेबल डिवाइस, देशी इनोवेशन, और डिजिटल चेंज को अपनाने की आवश्यकता है। यदि कंपनियां समय रहते अपनी रणनीति में बदलाव नहीं करतीं, तो उन्हें विदेशी एआई डिवाइस पर निर्भर रहना पड़ेगा। इसका प्रतिकूल प्रभाव होगा। इससे न केवल लागत बढ़ेगी, बल्कि वैश्विक बाजार में उनकी पकड़ भी कमजोर हो सकती है।

6. गुणवत्ता पहलू : आईटी क्षेत्र में एआई-संचालित समाधानों की गुणवत्ता चिंता का विषय रही है। कैपजेमिनी की एक रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में लगभग 70% एआई-संचालित समाधानों को गुणवत्ता में सुधार करना होगा। इन चिंताओं को दूर करने के लिए, कई भारतीय आईटी कंपनियां एआई अनुसंधान और विकास में भारी निवेश कर रही हैं, साथ ही अपने कर्मचारियों को एआई और संबंधित प्रौद्योगिकियों में प्रशिक्षण और कौशल प्रदान कर रही हैं।

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सरकारी ठेकों में अल्पसंख्यक कोटा देने पर कर्नाटक विधानसभा में बवाल, BJP विधायकों ने बिल की कॉपी फाड़कर स्पीकर पर फेंकी

Dainik Jagran - National - March 21, 2025 - 11:51am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी ठेकों में 4 फीसदी का आरक्षण देने वाला बिल पास हो गया है। इसके बाद से सदन में हंगामा शुरू हो गया। साथ ही BJP विधायकों ने बिल की कॉपी फाड़कर स्पीकर पर फेंक दी है।

इसके साथ ही मंत्रियों और विधायकों के वेतन से जुड़ा बिल भी पारित हो गया है। सदन के अंदर भारी हंगामा होने के बाद विधानसभा की कार्यवाही को 01:30 बजे तक स्थगित कर दिया गया है।

विधेयक की प्रति फाड़कर स्पीकर की तरफ फेंकी

भाजपा विधायकों ने 4 फीसदी वाले कोटा विधेयक की प्रतियों फाड़कर उसे स्पीकर की तरफ फेंक दिया। भाजपा इस विधेयक को 'असंवैधानिक' बताकर इसका विरोध कर रही है। पार्टी का कहना है कि वो इस विधेयक को कानूनी रूप से चुनौती देगी। विधेयक को पारित किए जाने के खिलाफ बीजेपी विधायक नारेबाजी करते हुए स्पीकर  के तरफ आए। दूसरी तरफ कांग्रेस का कहना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यक समुदाय को सामाजिक न्याय और आर्थिक अवसर देगा।

#WATCH | Ruckus erupts in Karnataka Assembly as BJP MLAs enter the Well of the House and also tear and throw papers before the Speaker's chair

(Video source: Karnataka Assembly) pic.twitter.com/giejoDxCXF

— ANI (@ANI) March 21, 2025 मंत्रियों की सैलरी में बंपर बढ़ोतरी

बताया गया है कि मुख्यमंत्री की सैलरी को ₹75,000 से बढ़कर 1.5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है। वहीं मंत्रियों की सैलरी ₹60,000 से बढ़कर 1.25 लाख रुपये कर दिया जाएगा। बताया जा रहा है कि विधायकों की सैलरी ₹40,000 से बढ़ाकर 80,000 रुपये करने का प्रस्ताव है।

पूर्व विधायकों के मेडिकल भत्ते में बढ़ोतरी

इसके साथ ही पूर्व विधायकों का मेडिकल भत्ता ₹5,000 से बढ़कर 20,000 रुपये किया जाएगा। क्षेत्रीय यात्रा भत्ता ₹60,000 से बढ़कर 80,000 कर दिया जाएगा। इसके लिए ट्रेन और हवाई टिकट का सालाना भत्ता ₹2.5 लाख से बढ़कर 3.5 लाख रुपये करने का प्रस्ताव है।

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दिल्ली हाईकोर्ट के जज के बंगले में लगी आग तो निकला नोटों का भंडार, अब CJI ने लिया एक्शन

Dainik Jagran - National - March 21, 2025 - 11:25am

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को फिर से इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने की सिफारिश करने का फैसला किया है। इस फैसले के बाद काफी ज्यादा हड़कंप मच गया और बातें चलने लगी कि आखिर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम को ये फैसला क्यों लेना पड़ा?

पुलिस को मिला पैसों का भंडार

अब सूत्रों के मुताबिक ये जानकारी सामने आई है कि, पिछले दिनों जस्टिस यशवंत वर्मा के सरकारी आवास में आग लगने की घटना घट गई थी। जिसके बाद पुलिस को वहां से पैसों का भंडार मिला था। हालांकि, जब पैसे मिले थे उस वक्त जस्टिस वर्मा अपने आवास में नहीं थे, वो शहर से बाहर थे।

जस्टिस वर्मा के आवास से भारी मात्रा में कैश मिलने की बात सीजेआई संजीव खन्ना की अगवाई वाले सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम को पता चली। कॉलेजियम ने इसलिए जस्टिस यशवंत वर्मा को फिर से इलाहाबाद भेजने का फैसला किया।

सूत्रों के मुताबिक जब जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लगी तो घर वालों ने पुलिस और फायर ब्रिगेड को इसकी सूचना दी थी। आग बुझाने के बाद किन-किन चीजों का नुकसान हुआ है, इसका आंकलन करने पुलिस अंदर गई तो वहां से भारी मात्रा में कैश मिला। इसके बाद रिकॉर्ड में पैसों का भंडार मिलने की बात दर्ज की गई।

CJI ने गंभीरता से लिया मामला

पुलिस अधिकारियों ने इस बात की सूचना अपने शीर्ष अधिकारियों को दी, फिर ये बाद सरकार के उच्च अधिकारियों से होते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना तक पहुंच गई। सीजेआई ने इस गंभीरता से लेते हुए कार्रवाई के लिए कॉलेजियम की बैठक बुलाई। फिर दिल्ली से बाहर ट्रांसफर किए जाने पर कॉलेजियम की सहमती बनी।

सूत्रों के मुताबिक, कॉलेजियम की बैठक में कुछ जजों ने कहा कि यदि इस तरह की गंभीर घटना को तबादले के साथ छोड़ दिया जाता है, तो इससे न केवल न्यायपालिका की छवि धूमिल होगी, बल्कि संस्थान में लोगों का अटूट विश्वास भी खत्म हो जाएगा। उनका मानना था कि संबंधित जज को इस्तीफा देने के लिए कहा जाना चाहिए।

क्या है प्रक्रिया?

दरअसल, संवैधानिक न्यायालय के जजों के खिलाफ भ्रष्टाचार, गलत काम और न्यायिक अनियमितता के आरोपों से निपटने के लिए 1999 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा आंतरिक प्रक्रिया तैयार की गई थी।

इसके मुताबिक शिकायत मिलने पर सीजेआई संबंधित जज से जवाब मांगेंगे और जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर मामले की गहन जांच की आवश्यकता होगी। इसके बाद आंतरिक जांच समिति का गठन होगा, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के एक जज और अन्य हाई कोर्ट के दो मुख्य जज शामिल होंगे।

Justice Joymalya Bagchi: कौन हैं जस्टिस बागची, जो बने सुप्रीम कोर्ट के 33वें जज; 2031 में संभालेंगे CJI का कार्यभार

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अवैध ई-रिक्शा पर चलेगा सरकार का चाबुक, बिना रजिस्टर्ड 40 हजार रिक्शों के लिए आने वाले हैं नए नियम; लागू होगा रेटिंग सिस्टम

Dainik Jagran - National - March 21, 2025 - 9:06am

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शहरों और गांवों में परिवहन की सुविधा के साथ मुसीबत भी बने ई-रिक्शा की संख्या 50 लाख से अधिक हो सकती है, लेकिन सरकारी आंकड़ों में पिछले पांच साल में 16 लाख ई रिक्शा का पंजीकरण हुआ है। इनमें दिल्ली में डेढ़ लाख पंजीकृत ई रिक्शा हैं।

एक अनुमान है कि सड़कों पर जो ई रिक्शा चल रहे हैं, उनमें 40 प्रतिशत ई रिक्शा का संचालन अवैध तरीके से किया जा रहा है। दिल्ली के परिवहन विभाग के एक अधिकारी के अनुसार मोटे तौर पर संभवत: 40,000 ई रिक्शा अवैध रूप से चल रहे हैं।

2020 में 70 हजार ई रिक्शा का रजिस्ट्रेशन

2020 में केवल 70,000 ई रिक्शा का रजिस्ट्रेशन हुआ था, जबकि अगले दो सालों में इनकी संख्या चार लाख पहुंच गई। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की ओर से गत दिवस लोकसभा में दिए गए जवाब में कहा गया है कि जनवरी 2020 से दिसंबर 2024 तक 16,18,941 ई रिक्शा का पंजीकरण हुआ है।

सरकार से पूछा गया था कि क्या देश में ई रिक्शा की अनुचित तरीके से बिना रोकटोक मैन्युफैक्चरिंग हो रही है।मंत्रालय ने जानकारी दी कि पूरे देश में 740 ई रिक्शा निर्माण इकाइयां पंजीकृत हैं। केंद्रीय मोटर वाहन नियमों के मुताबिक ई रिक्शा के प्रोटोटाइप को मंजूर कराना आवश्यक है।

ई रिक्शा संचालन में इन्फोर्समेंट की जिम्मेदारी किसकी?

मंत्रालय ने कहा है कि ई रिक्शा संचालन में इन्फोर्समेंट की जिम्मेदारी राज्य सरकारों की है। केंद्रीय स्तर पर मंत्रालय ने बैटरी संचालित रिक्शा के प्रस्तावित मानकों और सुरक्षा आकलन के लिए रेटिंग सिस्टम तैयार करने के उद्देश्य से एक तकनीकी समित का गठन किया है। यह रेटिंग सिस्टम कारों के लिए बनाए गए न्यू कार एसेसमेंट प्रोग्राम (एनसीएपी) के अनुरूप होगा।

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चीन-पाकिस्तान जैसे दुश्मन हो जाएं सावधान, भारत सरकार ने 54 हजार करोड़ के सैन्य उपकरणों की खरीद को दी मंजूरी

Dainik Jagran - National - March 21, 2025 - 2:54am

पीटीआई, नई दिल्ली। भारत सरकार ने गुरुवार को 54 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत के तमाम सैन्य उपकरणों की खरीद प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की स्वीकृति दे दी।

तीनों सेनाओं की ताकत को मजबूती देने के लिए इनमें समयपूर्व हवाई हमले की चेतावनी और नियंत्रण (एईडब्ल्यूएंडसी) की अत्याधुनिक विमान प्रणाली, स्वदेशी वरुणास्त्र टारपीडो और टी-90 टैंक के ज्यादा ताकतवर इंजन समेत कई साजो-सामान शामिल हैं।

खरीद प्रस्तावों को स्वीकृति दी

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद (डीएसी) ने इन खरीद प्रस्तावों को स्वीकृति दी। रक्षा मंत्रालय के अनुसार, डीएसी ने पूंजी अधिग्रहण प्रक्रिया यानी खरीदारी के विभिन्न चरणों की समयसीमा को कम करने के दिशानिर्देशों को भी स्वीकृति दी है, जिससे यह प्रक्रिया ज्यादा तेज, असरदार और कुशल हो जाए।

खरीदारी प्रक्रिया को ज्यादा असरदार बनाने का निर्णय '2025 को सुधारों के वर्ष' के रूप में मनाने की रक्षा मंत्रालय की पहल के अनुरूप है।

विमान प्रणाली से वायुसेना की ताकत में इजाफा होगा

मंत्रालय ने बताया कि एईडब्ल्यूएंडसी विमान प्रणाली से वायुसेना की ताकत में इजाफा होगा। इससे लड़ाई के पूरे तरीके बदल सकते हैं और विभिन्न हथियारों वाली प्रणालियों से लड़ाई में ताकत कई गुणा बढ़ जाएगी।

जबकि सेना में टी-90 टैंक के लिए मौजूदा 1,000 एचपी के इंजन की जगह 1,350 एचपी इंजन का अपग्रेड, विशेष रूप से ऊंचाई वाले इलाकों में वजन की तुलना में ताकत का अनुपात बढ़ाने से युद्ध के मैदान में इन टैकों की रफ्तार बढ़ाएगा।

मंत्रालय के अनुसार, भारतीय नौसेना के लिए जहाज से छोड़ी जा सकने वाली पनडुब्बी-रोधी टारपीडो वरुणास्त्र काफी महत्वपूर्ण साबित होगी। स्वदेश में बनी इस टारपीडो की ज्यादा संख्या पनडुब्बियों के खतरे से नौसेना को मजबूत बनाएगी।

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अमृत भारत स्टेशन योजना: पीपीपी मॉडल के तहत 15 रेलवे स्टेशनों का होगा पुनर्विकास, रेल मंत्री ने संसद में दी जानकारी

Dainik Jagran - National - March 21, 2025 - 2:50am

 पीटीआई, नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए विभिन्न मॉडलों की खोज की है। वर्तमान में 1,337 में से 15 स्टेशनों को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल पर पुनर्विकास के लिए चिन्हित किया गया है।

वैष्णव ने कहा कि परियोजना निर्माण एक जटिल प्रक्रिया

रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने गुरुवार को एक लिखित उत्तर में सवालों का जवाब देते हुए लोकसभा में कहा कि मध्य प्रदेश में रानी कमलापति स्टेशन को पीपीपी मॉडल के तहत विकसित और चालू किया गया है। वैष्णव ने कहा कि परियोजना निर्माण एक जटिल प्रक्रिया है। इस स्तर पर पीपीपी के बारे में विशिष्ट विवरण नहीं दिया जा सकता है।

अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 1,337 स्टेशनों की पहचान की गई

रेल मंत्री ने कहा कि अब तक स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 1,337 स्टेशनों की पहचान की गई है और मंत्रालय ने पीपीपी सहित स्टेशनों के विकास के विभिन्न मॉडलों की खोज की है।

उन्होंने कहा कि स्टेशन पुनर्विकास योजना में दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निरंतर आधार पर स्टेशनों के विकास की परिकल्पना की गई है।

एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में रेल मंत्री ने कहा कि ट्रेन संख्या 12537/12538 मुजफ्फरपुर-प्रयागराज रामबाग एक्सप्रेस वाया बनारस का परिचालन पिछले साल दो दिसंबर से 26 फरवरी तक कोहरे के कारण अस्थायी रूप से बंद था और इसे तीन मार्च से फिर से शुरू किया गया है।

राज्य सरकार से भूमि का हस्तांतरण बहुत धीमा

साथ ही एक अन्य प्रश्न के लिखित जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे ने बेंगलुरु उपनगरीय रेल परियोजना के लिए के-राइड लिमिटेड को भूमि आवंटित की है, लेकिन राज्य सरकार से भूमि का हस्तांतरण बहुत धीमा है।

वैष्णव ने कहा कि वर्तमान में कर्नाटक द्वारा नियुक्त एक अंशकालिक प्रबंध निदेशक इस परियोजना की देखरेख कर रहे है, लेकिन एक पूर्णकालिक एमडी की आवश्यकता है जो रेलवे प्रौद्योगिकी से परिचित हो।

पीएम स्वनिधि योजना से 30.97 लाख महिला स्ट्रीट वेंडर्स को हुआ फायदा

सरकार ने लोकसभा को बताया कि पीएम स्वनिधि से 30.97 लाख महिला स्ट्रीट वेंडर्स को लाभ मिला है, जो इस योजना के तहत कुल लाभार्थियों का 45 प्रतिशत है।

एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केन्द्रीय आवास एवं शहरी मामलों के राज्य मंत्री तोखन साहू ने बताया कि 69 प्रतिशत (लगभग 43.68 लाख) लाभार्थी हाशिये पर पड़े समुदायों ओबीसी, एससी और एसटी से हैं। पीएम स्वनिधि योजना एक जून, 2020 को शुरू की गई थी, जिसका उद्देश्य देश भर के स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी जमानत के कार्यशील पूंजी ऋण की सुविधा प्रदान करना था, जिनका व्यवसाय कोविड के कारण प्रभावित हुआ था।

80 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों को मिल रहा है नल का पानी

देश के लगभग 15.53 करोड़ या 80.20 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास नल का पानी की आपूर्ति होने की सूचना है, जबकि आठ राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों ने अपने सभी घरों में यह सुविधा उपलब्ध करा दी है।

जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने एक प्रश्न के जवाब में लोकसभा को बताया कि अगस्त 2019 में जल जीवन मिशन की घोषणा के समय 3.23 करोड़ (16.71 प्रतिशत) ग्रामीण परिवारों के पास नल के पानी के कनेक्शन होने की सूचना थी। मिशन के तहत लगभग 12.29 करोड़ अतिरिक्त ग्रामीण परिवारों को नल जल कनेक्शन प्रदान किए गए हैं।

अमृतसर और उसके आसपास के क्षेत्रों में एयरलाइनों ने जीपीएस हस्तक्षेप की रिपोर्ट दी

सरकार ने कहा कि नवंबर 2023 और फरवरी 2025 के बीच सीमावर्ती क्षेत्र में ज्यादातर अमृतसर और जम्मू क्षेत्रों में 465 जीपीएस हस्तक्षेप और स्पूफिंग की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

नेविगेशन सिस्टम में हेरफेर करने का प्रयास

नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने लोकसभा को बताया कि कई एयरलाइनों ने रिपोर्ट दी है कि अमृतसर और उसके आसपास के क्षेत्रों में उड़ान भरने वाले विमानों में जीपीएस, जीएनएसएस व्यवधान आ रहा है। सामान्यत:, जीपीएस, स्पूफिंग और जैमिंग से तात्पर्य झूठे संकेत देकर यूजर के नेविगेशन सिस्टम में हेरफेर करने के प्रयासों से है।

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कर्नाटक में माननीयों की बल्ले-बल्ले, 100% बढ़ेगी सीएम, मंत्रियों और विधायकों की सैलरी

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 11:45pm

एएनआई, बेंगलुरु। कर्नाटक की आर्थिक हालत खराब है। सरकार चलाने के लिए फंड जुटाने में मुश्किल आ रही है। बिजली उपभोक्ताओं पर बोझ डाला जा रहा है। वहीं कर्नाटक सरकार ने मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों का वेतन 100 प्रतिशत बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। सरकार ने इससे संबंधित दो संशोधन विधेयकों को मंजूरी दे दी है।

बताया जा रहा है कि विधेयकों में मुख्यमंत्री का वेतन 1,50,000 रुपये प्रति माह, मंत्री का वेतन 1,25,000 रुपये प्रति माह और विधायकों और एमएलसी का वेतन हजार रुपये प्रति माह करने का प्रस्ताव है। गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने बढ़ते खर्चों का हवाला देते हुए बढ़ोतरी को उचित ठहराया।

वेतन बढ़ाने में कुछ भी गलत नहीं: एमबी पाटिल

मंत्री एमबी पाटिल ने भी प्रस्ताव का बचाव करते हुए कहा कि विधायकों के वेतन और भत्ते बढ़ाने में कुछ भी गलत नहीं है। स्वतंत्र समिति की सिफारिश पर यह निर्णय लिया गया है। वहीं राज्य की वित्तीय चुनौतियों को मद्देनजर वेतन बढ़ोतरी को लेकर सवाल भी उठाए जा रहे हैं।

बिजली उपभोक्ताओं को झटका

कर्नाटक में बिजली उपभोक्ताओं को अधिक बिजली बिल चुकाना होगा। कर्नाटक विद्युत विनियामक आयोग (केईआरसी) ने बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी कर उपभोक्ताओं को झटका दिया है। एक अप्रैल से बिजली पर प्रति यूनिट 36 पैसे अतिरिक्त अधिभार या सरचार्ज के रूप में देना होगा। यह कदम केईआरसी द्वारा बिजली आपूर्ति कंपनियों (ईएससीओएम) को पेंशन और ग्रेच्युटी (पीएंडजी) योगदान में सरकार का हिस्सा उपभोक्ताओं से वसूलने की अनुमति देने के बाद उठाया गया है।

भाजपा ने फैसले का किया विरोध

भाजपा ने इस फैसले जनविरोधी करार देते हुए विरोध किया है। सरचार्ज एक अप्रैल 2025 से वित्त वर्ष 2027-28 तक लागू रहेगा। राज्य भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि जब से कर्नाटक में जनविरोधी कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है, उसने जो एकमात्र गारंटी लागू की है वह महंगाई है। एक तरफ सरकार गारंटी (लोकलुभावन) योजनाएं लागू करने का दावा करती है, जबकि दूसरी तरफ लोगों पर महंगाई का बोझ डाल रही है।

मंत्री का दावा- 85 फीसदी आबादी पर नहीं पड़ेगा असर

आईएएनएस के अनुसार चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने कहा है कि बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी का असर 85 प्रतिशत आबादी पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्हें गृह ज्योति योजना के तहत 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलती है।

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Kerala: वार्ता विफल होने के बाद आशा कार्यकर्ताओं ने तेज किया विरोध प्रदर्शन, भूख हड़ताल पर बैठी

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 11:30pm

पीटीआई, तिरुअनंतपुरम। केरल में राज्य सरकार के साथ वार्ता विफल रहने के बाद आशा कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को प्रदर्शन तेज कर दिया और अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी।

इस बीच राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जार्ज आशा कार्यकर्ताओं (मान्यता प्राप्त सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता) के मानदेय में वृद्धि की मांग किए जाने का मुद्दा उठाने और इसपर राज्य के रुख से केंद्र को अवगत कराने के लिए गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंचीं, लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के साथ बैठक नहीं हो सकी।

वीना जार्ज ने नड्डा से मिलने का समय मांगा था

वीना ने कहा कि नड्डा से मिलने का समय मांगा था। जब भी हमें समय मिलेगा, मैं उनसे मिलूंगी। इस बीच, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ विधायकों ने प्रदर्शनकारी आशा कार्यकर्ताओं के साथ एकजुटता व्यक्त करने के लिए सचिवालय तक मार्च किया।

दिल्ली में संवाददाताओं से बात करते हुए जॉर्ज ने कहा कि केरल हाउस के स्थानिक आयुक्त के माध्यम से एक पत्र भेजा गया था, जिसमें बृहस्पतिवार के लिए नड्डा के साथ बैठक का अनुरोध किया गया था, लेकिन शायद वह व्यस्त थे।

एक बार फिर बैठक के लिए समय मांगा

जॉर्ज ने कहा कि मैंने उनके मंत्रालय को दो अभ्यावेदन प्रस्तुत किए हैं। एक बार फिर बैठक के लिए समय मांगा गया है। जब भी मुझे बैठक के लिए समय दिया जाता है, मैं उनसे मुलाकात करूंगी। जॉर्ज ने यह भी कहा कि उन्होंने पहले नड्डा से मुलाकात की थी और आशा कार्यकर्ताओं के मानदेय के मुद्दे को उठाया था, जिसमें वृद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया गया था।

सकारात्मक हस्तक्षेप का आश्वासन दिया

जॉर्ज ने कहा कि उन्होंने (नड्डा) इस मामले में सकारात्मक हस्तक्षेप का आश्वासन दिया था। जॉर्ज ‘आशा’ कार्यकर्ताओं के मानदेय में वृद्धि की मांग किये जाने का मुद्दा उठाने और इस पर राज्य के रुख से केंद्र को अवगत कराने के लिए बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजधानी पहुंची थीं।

सात हजार रुपये से बढ़ाकर 21 हजार रुपये करने की मांग

आशा कार्यकर्ताओं 10 फरवरी से सचिवालय के बाहर विरोध प्रदर्शन कर रही हैं, जो सेवानिवृत्ति के बाद के लाभों और मानदेय को मौजूदा सात हजार रुपये से बढ़ाकर 21 हजार रुपये करने की मांग कर रही हैं।

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EC: मतदाता सूची को अपडेट करने की प्रक्रिया मजबूत की जाएगी, चुनाव आयोग ने लिए अहम फैसले

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 11:30pm

 पीटीआई, नई दिल्ली। मतदाता सूचियों की शुद्धता पर जारी बहस के बीच चुनाव आयोग ने गुरुवार को कहा कि मतदाता सूची को नियमित रूप से अपडेट करने की प्रक्रिया को जन्म-मृत्यु पंजीकरण अधिकारियों के साथ करीबी समन्वय से मजबूत बनाया जाएगा।

अधिकारियों के साथ किया जाएगा करीबी समन्वय

चुनाव आयोग ने एक बयान में कहा कि मतदाता सूची और आधार को जोड़ने पर यूआइडीएआइ और आयोग के विशेषज्ञों के बीच तकनीकी चर्चा जल्द शुरू होगी। साथ ही कहा, चूंकि एक मतदाता सिर्फ निर्धारित मतदान केंद्र पर ही मतदान कर सकता है, अन्य कहीं नहीं, आयोग ने देशभर में डुप्लीकेट नाम हटाने और इस दशकभर पुराने मुद्दे को तीन महीने में खत्म करने का संकल्प लिया है।

राजनीतिक दलों के साथ चुनाव आयोग की चर्चाओं में यह स्पष्ट किया गया कि मसौदा मतदाता सूची में नाम शामिल करने या हटाने का काम जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 में सभी राजनीतिक दलों के लिए उपलब्ध दावे व आपत्तियां दाखिल करने के लिए प्रासंगिक कानूनी प्रविधानों के तहत अपील प्रक्रिया द्वारा नियंत्रित होगा।

चुनाव आयोग ने कही ये बात

ऐसी अपीलें नहीं होने पर निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी (ईआरओ) द्वारा तैयार सूची ही मान्य होगी। चुनाव आयोग ने स्मरण कराया कि जनवरी में स्पेशल समरी रिवीजन एक्सरसाइज पूरी होने के बाद सिर्फ 89 फ‌र्स्ट अपील और सिर्फ एक सेकेंड अपील दायर की गई थी।

आयोग ने यह भी कहा कि उसने चुनाव प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए साहसिक कदम उठाए हैं। निचले स्तर पर मुद्दों का समाधान करने के लिए लगभग 5,000 चुनाव अधिकारी 31 मार्च तक राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें करेंगे।

अधिकारियों को डिजिटल ट्रेनिंग भी दी जाएगी

इन अधिकारियों में राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी और निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी शामिल हैं। आयोग ने कहा कि लगभग एक करोड़ चुनाव अधिकारियों की निरंतर क्षमता वृद्धि के लिए डिजिटल ट्रेनिंग की योजना भी बनाई गई है।

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पाकिस्तान में हिंदू समेत अन्य अल्पसंख्यक सुरक्षित नहीं, केंद्र सरकार ने संसद में कहा- अत्याचार के मामले बढ़े

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 11:23pm

पीटीआई, नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को संसद में कहा कि पाकिस्तान में हिंदुओं सहित विभिन्न अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ अत्याचार के मामले बढ़े हैं। विदेश राज्य मंत्री कीर्तिवर्धन सिंह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि क्या सरकार को इस बात की जानकारी है कि पड़ोसी देश पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के खिलाफ हिंसा और भेदभाव के कारण अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय सिंध प्रांत से लगातार पलायन कर रहा है।

अत्याचार के कारण पलायन की मजबूरी

जवाब में मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ अत्याचार की खबरें आई हैं, जिनमें हिंदू समुदाय के सदस्य भी शामिल हैं। धमकी, अपहरण, उत्पीड़न, जबरन धर्मांतरण और जबरन विवाह जैसी घटनाएं समय-समय पर सामने आई हैं, जो उन्हें पलायन करने के लिए मजबूर करती हैं।

एक अन्य प्रश्न के लिखित जवाब में कीर्तिवर्धन सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय तेल खरीद पर भारत का फैसला विभिन्न कारकों पर आधारित है, जिसमें देश के राष्ट्रीय हित सबसे ऊपर हैं। राज्यसभा में विदेश मंत्रालय से पूछा गया कि क्या यह सच है कि अमेरिका ने भारत को रूस से तेल नहीं लेने के लिए कहा है और इसके लिए समयसीमा तय की है।

मोदी की जून 2023 में हुई अमेरिकी यात्रा पर 22 करोड़ रुपये खर्च हुए

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जून 2023 में हुई अमेरिका यात्रा पर 22 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए थे। विदेश राज्यमंत्री पबित्र मार्गेरिटा ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। खरगे ने सरकार से पूछा था कि पिछले तीन वर्षों में प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं की व्यवस्था पर भारतीय दूतावासों द्वारा कुल कितना खर्च किया गया है।

उन्होंने होटल व्यवस्था, सामुदायिक स्वागत, परिवहन व्यवस्था और अन्य विविध व्यय जैसे प्रमुख मदों के अंतर्गत किए गए यात्रा-वार व्यय का विवरण भी मांगा। इसके जवाब में मार्गेरिटा ने प्रधानमंत्री द्वारा 2022, 2023 और 2024 में किए गए विदेश यात्राओं पर देश-वार खर्च के आंकड़ों को साझा किया। उनकी इन यात्राओं में उनके साथ जाने वाले सुरक्षा और मीडिया प्रतिनिधिमंडल शामिल थे।

जापान यात्रा पर 17 करोड़ खर्च

आंकड़ों के अनुसार, जून 2023 में प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा पर 22,89,68,509 रुपये का खर्च हुआ था, जबकि सितंबर 2024 में इसी देश की यात्रा पर 15,33,76,348 रुपये खर्च हुए थे। ये आंकड़े मई 2022 में जर्मनी की यात्रा से लेकर दिसंबर 2024 में कुवैत यात्रा तक 38 से अधिक यात्राओं से संबंधित थे। मई 2023 में प्रधानमंत्री की जापान यात्रा से संबंधित आंकड़ों के अनुसार उस पर 17,19,33,356 रुपये खर्च हुए थे, जबकि मई 2022 में नेपाल यात्रा पर 80,01,483 रुपये खर्च हुए थे।

म्यांमार में फंसे नागरिकों को वापस लाने की कोशिश

मंत्री ने अपने जवाब में 2014 से पहले के वर्षों के कुछ आंकड़े भी साझा किए। एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में मार्गेरिटा ने कहा कि भारत फर्जी नौकरी के लालच में म्यांमार भेजे गए अपने नागरिकों की रिहाई और स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में थाईलैंड के माई सोत से भारतीय वायुसेना के विमान से 549 भारतीयों को वापस लाया गया है।

लोकपाल जांच निदेशक और अभियोजन निदेशक की नियुक्ति करेगा

सरकार ने संसद में बताया कि जांच निदेशक और अभियोजन निदेशक के दो प्रमुख पदों को लोकपाल द्वारा भरा जाना अभी बाकी है। राज्यसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लोकपाल और लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के प्रावधानों के तहत जांच निदेशक और अभियोजन निदेशक की नियुक्ति, लोकपाल द्वारा की जानी होती है।

एक अन्य प्रश्न के उत्तर में जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सीबीआई ने इंटरपोल अलर्ट के आधार पर मादक पदार्थ ले जाने के संदेह में पिछले वर्ष विशाखापत्तनम बंदरगाह पर एक शिपिंग कंटेनर को रोका था, जिसमें सूखा खमीर पाया गया था। इसके साथ ही एक और प्रश्न के जबाब में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने ऑनलाइन प्रणाली सीपीजीआरएएमएस पर एक महीने में एक व्यक्ति द्वारा दर्ज की जाने वाली शिकायतों की संख्या सीमित कर दी है, ताकि बार-बार होने वाली शिकायतों पर लगाम लगाई जा सके। केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण एवं निगरानी प्रणाली (सीपीजीआरएएमएस) नागरिकों को ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा देती है।

2018 से नियुक्त 715 हाई कोर्ट जजों में से 22 अनुसूचित जाति के

2018 से नियुक्त 715 हाई कोर्ट के जजों में से 22 अनुसूचित जाति के हैं, 16 अनुसूचित जनजाति श्रेणी के हैं, 89 ओबीसी श्रेणी के हैं और 37 अल्पसंख्यक हैं। राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट और 25 हाई कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्तियां संविधान के प्रविधानों के तहत की जाती हैं, जिसमें किसी भी जाति या वर्ग के व्यक्तियों के लिए आरक्षण का प्रविधान नहीं है।

अब तक अमेरिका से 588 पुरावशेष भारत वापस लाए गए

सरकार ने संसद को बताया कि अब तक अमेरिका से 588 पुरावशेष भारत वापस भेजे जा चुके हैं, जिनमें से 297 2024 में प्राप्त हुए। केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि भारतीय पुरावशेषों की तस्करी को रोकने के लिए अमेरिका के साथ सांस्कृतिक संपदा समझौते (सीपीए) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। समझौता निवारक प्रकृति का है, इसलिए इसमें कोई समयसीमा या लक्ष्य संख्या नहीं है।

अमृतसर और उसके आसपास के क्षेत्रों में एयरलाइनों ने जीपीएस हस्तक्षेप की रिपोर्ट दी

सरकार ने कहा कि नवंबर 2023 और फरवरी 2025 के बीच सीमावर्ती क्षेत्र में ज्यादातर अमृतसर और जम्मू क्षेत्रों में 465 जीपीएस हस्तक्षेप और स्पूफिंग की घटनाएं दर्ज की गई हैं। नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने लोकसभा को बताया कि कई एयरलाइनों ने रिपोर्ट दी है कि अमृतसर और उसके आसपास के क्षेत्रों में उड़ान भरने वाले विमानों में जीपीएस, जीएनएसएस व्यवधान आ रहा है। सामान्यत:, जीपीएस, स्पूफिंग और जैमिंग से तात्पर्य झूठे संकेत देकर यूजर के नेविगेशन सिस्टम में हेरफेर करने के प्रयासों से है।

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PM मोदी के अमेरिकी दौरे पर खर्च हुए थे 22 करोड़ रुपये, नेपाल यात्रा में आया कितना खर्चा?

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 11:18pm

पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जून 2023 में हुई अमेरिका यात्रा पर 22 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए थे। विदेश राज्यमंत्री पबित्र मार्गेरिटा ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे की ओर से पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।

खरगे ने सरकार से पूछा था कि पिछले तीन साल में प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं की व्यवस्था पर भारतीय दूतावासों द्वारा कुल कितना खर्च किया गया है। उन्होंने होटल व्यवस्था, सामुदायिक स्वागत, परिवहन व्यवस्था और अन्य विविध व्यय जैसे प्रमुख मदों के अंतर्गत किए गए यात्रा-वार व्यय का विवरण भी मांगा।

2022, 2023 और 2024 में पीएम की विदेश यात्रा पर कितना खर्च?

इसके जवाब में मार्गेरिटा ने प्रधानमंत्री द्वारा 2022, 2023 और 2024 में किए गए विदेश यात्राओं पर देश-वार खर्च के आंकड़ों को साझा किया। उनकी इन यात्राओं में उनके साथ जाने वाले सुरक्षा और मीडिया प्रतिनिधिमंडल शामिल थे। आंकड़ों के अनुसार, जून 2023 में प्रधानमंत्री की अमेरिका यात्रा पर 22,89,68,509 रुपये का खर्च हुआ था, जबकि सितंबर 2024 में इसी देश की यात्रा पर 15,33,76,348 रुपये खर्च हुए थे।

ये आंकड़े मई 2022 में जर्मनी की यात्रा से लेकर दिसंबर 2024 में कुवैत यात्रा तक 38 से अधिक यात्राओं से संबंधित थे। मई 2023 में प्रधानमंत्री की जापान यात्रा से संबंधित आंकड़ों के अनुसार उस पर 17,19,33,356 रुपये खर्च हुए थे, जबकि मई 2022 में नेपाल यात्रा पर 80,01,483 रुपये खर्च हुए थे।

2014 से पहले के भी आंकड़े किए पेश

मंत्री ने अपने जवाब में 2014 से पहले के वर्षों के कुछ आंकड़े भी साझा किए। एक अन्य प्रश्न के लिखित उत्तर में मार्गेरिटा ने कहा कि भारत फर्जी नौकरी के लालच में म्यांमार भेजे गए अपने नागरिकों की रिहाई और स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है। हाल ही में थाईलैंड के माई सोत से भारतीय वायुसेना के विमान से 549 भारतीयों को वापस लाया गया है।

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'48 विधायक हनी ट्रैप में फंसे', कांग्रेस के मंत्री ने किया खुलासा, बोले- 'मैं भी शिकायत करूंगा...'

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 10:53pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) मंत्री सतीश जरकीहोली ने कहा है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के करीबी माने जाने वाले कॉर्पोरेशन मंत्री केएन राजन्ना को दो बार हनी ट्रैप का निशाना बनाया गया। हालांकि, हनी ट्रैप की कोशिश नाकाम रही। राज्य के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बताया कि पुलिस में मामला दर्ज कर इसकी गहराई से जांच की जाएगी।

केएन राजन्ना ने कहा कि सिर्फ उन्हें ही नहीं, बल्कि पिछले 20 सालों में 48 विधायकों को इस तरह से निशाना बनाया गया है। गुरुवार को विधानसभा में बोलते हुए राजन्ना ने कहा, "ऐसी चर्चा है कि तुमकुरु के एक मंत्री हनी ट्रैप का शिकार हुए हैं। तुमकुरु से हम दो ही लोग हैं, एक मैं हूं और दूसरे गृह मंत्री हैं।"

"यह कोई नई चर्चा नहीं है। 48 सदस्य ऐसे हैं जो इसके पीड़ित बताए जा रहे हैं। उनमें से कई ने हाईकोर्ट से स्टे भी ले लिया है। दोनों तरफ ऐसे लोग हैं और अब मेरा नाम भी लिया जा रहा है। मैं गृह मंत्री से अपील करता हूं कि इस मामले की गहनता से जांच की जाए। जरूरत पड़ी तो मैं खुद शिकायत दर्ज कराने को तैयार हूं। कम से कम हमें तो पता चले कि इसका निर्देशक कौन है और अभिनेता कौन है।" केएन राजन्ना, मंत्री

हर राजनीतिक दल के नेता हो चुके हैं शिकार: सतीश जरकीहोली

मंत्री ने यह भी बताया कि यह कोई नया मामला नहीं है, बल्कि कर्नाटक में इस तरह की घटनाएं पहले भी होती रही हैं। मंत्री ने आगे कहा, "यह सिलसिला बीते 20 सालों से जारी है। कांग्रेस, भाजपा और जेडीएस हर राजनीतिक दल के नेता इसका शिकार हुए हैं।"

जरकीहोली ने कहा कि उन्होंने संबंधित अधिकारियों से इस मामले में शिकायत दर्ज करने और जांच शुरू करने की मांग की है। 

"हमने पीड़ित से कहा है कि वह खुलकर सामने आए और आधिकारिक रूप से शिकायत दर्ज कराए। तभी पूरी हकीकत उजागर हो सकेगी और इंसाफ मुमकिन हो पाएगा।" सतीश जरकीहोली, मंत्री, लोक निर्माण विभाग, कर्नाटक

गौरतलब है कि हनी ट्रैप जैसे मामलों में राजनीति और सत्ता से जुड़े कई नाम सामने आते रहे हैं। सरकार की ओर से मामले की निष्पक्ष जांच का भरोसा दिया गया है, ताकि सच सामने आ सके और दोषियों पर उचित कार्रवाई हो सके।

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ऑनलाइन अश्लील सामग्री पर केंद्र सरकार सख्त, 24 घंटे में सोशल मीडिया प्लेटफार्म से हटाना होगा; उल्लंघन पर होगा एक्शन

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 10:26pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्रालय का कहना है कि नए आईटी नियमों के तहत ऑनलाइन अश्लील फोटो-वीडियो और हानिकारक सामग्री को शीघ्रता के हटाना अनिवार्य है। इलेक्ट्रॉनिक्स व आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने संसद को बताया कि नए आईटी नियम के तहत इंटरमीडिएरिज को 24 घंटे के भीतर किसी भी ऐसे सामग्री को हटाना होगा जो पहली दृष्टि में किसी व्यक्ति के निजी हिस्से को दर्शाती है।

किसी व्यक्ति को पूरी तरह से या आंशिक रूप से नग्न दिखाती है या ऐसे व्यक्ति को किसी यौन क्रिया या व्यवहार करते हुए दर्शाती है।

अश्लील सामग्री दिखाने पर सजा का प्राविधान

शिकायतकर्ता अपनी शिकायत पर सोशल मीडिया इंटरमीडिएरिज के शिकायत अधिकारी द्वारा की गई कार्रवाई पर संतुष्ट नहीं होने पर अपील कमेटी में भी जा सकता है। आईटी एक्ट 2000 में इलेक्ट्रॉनिक रूप से अश्लील सामग्री दिखाने पर सजा का प्रविधान किया गया है।

अगर अश्लील सामग्री नहीं हटाई तो मिलने वाली छूट खत्म होगी

एक्ट के तहत सोशल मीडिया इंटरमीडिएरिज अपने प्लेटफार्म पर अश्लील सामग्री को रोकने में असमर्थ पाए जाते हैं तो इंटमीडिएरिज के तहत उन्हें मिलने वाली छूट समाप्त हो जाएगी। अगर कोई इंटरमीडिएरिज मैसेजिंग की सेवा प्रदान करता है तो मूल मैसेज का सृजन कहां से हुआ, इसका पता लगाने में इंटरमीडिएरिज को सक्षम होना चाहिए। ताकि बलात्कार, यौन उत्पीड़न या यौन चित्रण से जुड़े मैसेजिंग के सृजनकर्ता का पता आसानी से चल सके।

बच्चों तक पहुंच प्रतिबंधित करना होगा

मंत्रालय के मुताबिक आईटी नियम 2021 के तहत ओटीटी प्लेटफार्म या क्यूरेटेड ऑनलाइन प्रकाशकों के लिए आचार संहिता तय किए गए हैं। इस संहिता के अंतर्गत ओटीटी प्लेटफार्म को निर्दिष्ट आयु व उपयुक्त श्रेणी में सामग्री को वर्गीकृत करने के साथ अनुचित सामग्री तक बच्चों की पहुंच को प्रतिबंधित करना आवश्यक है।

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कर्नाटक में बिजली हुई महंगी, BJP ने उठाए सवाल, मंत्री बोले- '85% लोगों पर नहीं पड़ेगा असर'

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 10:01pm

पीटीआई, बेंगलुरु। कर्नाटक में बिजली उपभोक्ताओं को अधिक बिजली बिल चुकाना होगा। कर्नाटक विद्युत विनियामक आयोग (केईआरसी) ने बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी कर उपभोक्ताओं को झटका दिया है।

एक अप्रैल से बिजली पर प्रति यूनिट 36 पैसे अतिरिक्त अधिभार या सरचार्ज के रूप में देना होगा। यह कदम केईआरसी द्वारा बिजली आपूर्ति कंपनियों (ईएससीओएम) को पेंशन और ग्रेच्युटी (पीएंडजी) योगदान में सरकार का हिस्सा उपभोक्ताओं से वसूलने की अनुमति देने के बाद उठाया गया है।

भाजपा ने फैसले को बताया जनविरोधी

भाजपा ने इस फैसले जनविरोधी करार देते हुए विरोध किया है।18 मार्च के केईआरसी आदेश में कहा गया है कि कर्नाटक सरकार के आदेश के बाद, आयोग ने ईएससीओएम को अपने उपभोक्ताओं से पेंशन और ग्रेच्युटी योगदान के सरकारी हिस्से को 'पीएंडजी सरचार्ज' के रूप में समान रूप से वसूलने की अनुमति दी है। सरचार्ज एक अप्रैल 2025 से वित्त वर्ष 2027-28 तक लागू रहेगा।

'85 फीसदी आबादी पर नहीं पड़ेगा बढ़ी कीमतों का असर'

राज्य भाजपा अध्यक्ष बीवाई विजयेंद्र ने कहा कि जब से कर्नाटक में ''जनविरोधी'' कांग्रेस सरकार सत्ता में आई है, उसने जो एकमात्र गारंटी लागू की है वह ''महंगाई'' है। एक तरफ सरकार गारंटी (लोकलुभावन) योजनाएं लागू करने का दावा करती है, जबकि दूसरी तरफ लोगों पर महंगाई का बोझ डाल रही है।

आइएएनएस के अनुसार चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने कहा है कि बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी का असर 85 प्रतिशत आबादी पर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्हें गृह ज्योति योजना के तहत 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलती है।

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'पोर्न देखती है, मास्टरबेट करती है', पत्नी की शिकायत लेकर कोर्ट पहुंचा पति; जज बोले- ये तलाक का आधार नहीं

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 3:51pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मद्रास हाई कोर्ट ने एक अहम और बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर कोई महिला अकेले में पोर्न देखती है और मास्टरबेट करती है, तो ये पति के लिए क्रूरता नहीं है। दरअसल, एक फैमिली कोर्ट ने एक शख्स की तलाक की अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसे हाई कोर्ट ने सही ठहराया है।

'पुरुषों का मास्टरबेट करना आम तो महिलाओं का क्यों नहीं'

जस्टिस जी.आर. स्वामीनाथन और जस्टिस आर. पूर्णिमा की बेंच ने फैसला सुनाया है। उन्होंने कहा, जब पुरुषों का मास्टरबेट करना आम बात है तो फिर महिलाओं को गलत कैसे ठहराया जा सकता है।

कोर्ट ने कहा, पुरुष मास्टरबेट करने के बाद तुरंत सेक्स नहीं कर सकते हैं, लेकिन महिलाओं के साथ ऐसा नहीं है। तो ऐसे में ये साबित नहीं हुआ है कि मास्टरबेट करने की आदत से पति-पत्नी के रिश्ते पर बुरा असर पड़ेगा।

महिला के पति ने आरोप लगाया था कि उसकी पत्नी मास्टरबेट करती है। इस पर कोर्ट ने जवाब देते हुए कहा कि महिला को इस बारे में जवाब देने के लिए कहना ही उसकी स्वतंत्रता का उल्लंघन होगा। अगर शादी के बाद महिला किसी और के साथ यौन संबंध बनाती है, तो ये तलाक का आधार हो सकता है। लेकिन सिर्फ खुद को खुश करना तलाक का कारण नहीं हो सकता है।

कोर्ट ने कहा- ये क्रूरता नहीं

कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा, "सिर्फ पोर्न देखना अपने आप में पति के साथ क्रूरता नहीं है। इसे देखने वाले की मानसिक सेहत पर असर पड़ सकता है, लेकिन, सिर्फ इतना ही काफी नहीं है। अगर पोर्न देखने वाला अपने साथी को भी इसे देखने के लिए मजबूर करता है, तो फिर वो क्रूरता होगी। अगर ये दिखाया जाता है कि इस लत की वजह से किसी के वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ रहा है, तो यह तलाक का कारण हो सकता है।"

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दुष्कर्म के आरोपी की याचिका में लिखा सहमति से संबध, सुप्रीम कोर्ट ने वकील से पूछा- आपको कानून की ABCD पता है?

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 3:39pm

पीटीआई, नई दिल्ली। जमानत याचिका में बार-बार सहमति संबंध लिखना एक वकील को भारी पड़ गया। सुप्रीम कोर्ट ने वकील को फटकार लगाई और कहा कि आपको कानून की एबीसीडी नहीं पता है। नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका में वकील ने बार-बार सहमति से संबंध का जिक्र कर रखा था।

इससे सुप्रीम कोर्ट की पीठ नाराज हो गई। पीठ वकील को यह बताना चाहती थी कि यदि पीड़िता नाबालिग है तो सहमति मायने नहीं रखती है। हालांकि बाद में वकील ने पीठ से माफी भी मांगी। इसके बाद शीर्ष अदालत ने पुलिस और अन्य को जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया।

पीठ ने पूछा- लड़की की उम्र क्या है?

जस्टिस एन कोटिश्वर और जस्टिस सूर्यकांत की पीठ ने गुरुवार को जमानत याचिका पर सुनवाई की। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि याचिका पढ़ने के बाद हम मानसिक तौर से बीमार हो गए। आपने एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) में कम से कम 20 बार 'सहमति से संबंध' लिख रखा है। जस्टिस सूर्यकांत ने पूछा कि लड़की की उम्र क्या है? याचिका में आपने खुद ही नाबालिग बता रखा है।

कानून की एबीसीडी नहीं पता

जस्टिस सूर्यकांत ने वकील से कहा कि आपने हर पैराग्राफ में 'सहमति से संबंध' लिखा है। सहमति से संबंध से आपका क्या मतलब है? आपको कानून की एबीसीडी नहीं पता है। आप एसएलपी दाखिल क्यों कर रहे हैं।

ये लोग कैसे एओआर के लिए योग्य हैं

सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने पूछा कि क्या आप एओआर (एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड) हैं? पीठ ने आगे कहा कि ये लोग (एओआर के लिए) कैसे योग्य हैं? आप को बुनियादी कानून की जानकारी नहीं है। 20 बार आपने 'सहमति से संबंध' लिख रखा है। कल को आप कहेंगे कि 8 महीने के बच्चे के साथ भी सहमति से संबंध थे।

क्या होते हैं एओआर?

एओआर यानी एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड वे वकील होते हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में मामले और याचिका दाखिल करने का अधिकार होता है। सुप्रीम कोर्ट ही वकीलों के लिए एओआर परीक्षा का आयोजन करता है।

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दिल्ली के तीन मंदिरों पर चलेगा बुलडोजर? याचिका पर SC ने कहा- हाईकोर्ट जाइए

Dainik Jagran - National - March 20, 2025 - 12:17pm

एएनआई, नई दिल्ली। मयूर विहार फेज 2 में तीन मंदिरों, पूर्वी दिल्ली काली बाड़ी समिति, श्री अमरनाथ मंदिर संस्था, श्री बद्री नाथ मंदिर की समितियों ने 19 मार्च, 2025 को जारी डीडीए के ध्वस्तीकरण नोटिस को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट जाने को कहा

सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने के बाद शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से दिल्ली हाई कोर्ट जाने को कहा है।। वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि बुधवार रात 9 बजे अधिकारियों द्वारा सार्वजनिक नोटिस चिपकाया गया था और बताया गया था कि 20 मार्च, 2025 को सुबह 4 बजे मंदिरों को ध्वस्त कर दिया जाएगा।

Supreme Court refuses to entertain plea of temples and asks them to approach the Delhi High Court.

— ANI (@ANI) March 20, 2025

याचिका में कहा गया है कि डीडीए के किसी भी अधिकारी या किसी भी धार्मिक समिति द्वारा मंदिरों को सुनवाई का कोई अवसर नहीं दिया गया।

याचिका में कहा गया है कि मंदिर 35 साल पुराने हैं और डीडीए ने खुद काली बाड़ी समिति मंदिर को मंदिर के सामने की जमीन पर दुर्गा पूजा आयोजित करने की अनुमति दी थी।

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