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न बिजली कटौती का डर और न ज्‍यादा बिल की टेंशन, पढ़ें उन तीन गांव की कहानी जो सौर ऊर्जा से ला रहे बदलाव

Dainik Jagran - National - April 22, 2025 - 2:34pm

टीम जागरण, नई दिल्‍ली। पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों ने पूरा परिदृश्य ही बदल दिया। कभी बिजली कटौती बड़ी समस्या रहती थी, लेकिन सौर ऊर्जा ने इससे भी मुक्ति दिला दी।  इससे ऊर्जा की आवश्यकता तो पूरी हो ही रही है, आय का जरिया भी बना है। छोटे बड़े हर स्तर पर भी लोग सौर ऊर्जा का उपयोग कर रहे हैं। शहर के साथ ही सुदूर गांवों में भी इससे घर रोशन हो रहे हैं। विश्व पृथ्वी दिवस पर आइए पढ़ें सौर ऊर्जा से आ रहे सकारात्मक बदलावों की कहानी...

कहानी नंबर-1

रूफटॉप सोलर प्लांट से बन रही बिजली, परिसर भी हो रहा ठंडा

अमृतसर: पर्यावरण संरक्षण के लिए वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने के लिए अमृतसर जिले में राधा स्वामी सत्संग ब्यास परिसर में लगाया गया विशाल रूफटॉप सोलर पावर प्लांट एक मिसाल बन गया है।

इस संयंत्र की क्षमता 11.5 मेगावाट है और यह हर साल लगभग 1.50 करोड़ यूनिट जीरो कार्बन से बनी बिजली का उत्पादन कर रहा है। 42 एकड़ के परिसर में आठ अलग-अलग स्थानों पर यह संयंत्र फैला हुआ है। करीब 46,000 से अधिक सोलर मॉड्यूल इसकी छत पर लगे हैं।

इस विशाल परियोजना को टाटा पावर सोलर ने डिजाइन और निर्माण किया है। इसमें टियर-1 मल्टी- क्रिस्टलाइन मॉड्यूल्स का उपयोग किया गया है, जो 25 वर्षों तक उच्च दक्षता के साथ काम करने की गारंटी देते हैं।

छत की ऊंचाई लगभग सात मीटर है। छतों की संरचना, तापमान के उतार- चढ़ाव, तेज हवा और रखरखाव को ध्यान में रखते हुए विशेष वेंटिलेशन गैप तैयार किया गया है, जिससे तापमान में 12 डिग्री की कमी आती है।

इसके अतिरिक्त अंडर डेक इंसुलेटेड जे-शीट रूफिंग का उपयोग करके गर्मी को रोका गया है, जिससे सत्संग भवन का भीतरी वातावरण ठंडा रहता है। इस प्लांट से पूरे परिसर के लिए पर्याप्त बिजली का उत्पादन होता है।

अमृतसर में राधा स्वामी सत्संग परिसर में बना सोलर रूफटॉप प्लांट। जागरण 

इस पहल से क्‍या बदला?

सालाना 1.50 करोड़ यूनिट बिजली उत्पादन का सीधा अर्थ है कि यह संयंत्र प्रतिवर्ष हजारो टन कार्बन उत्सर्जन को रोकता है। साथ ही यह नजदीकी क्षेत्रों को हरित ऊर्जा की आपूर्ति में भी मदद करता है। साल 2016 में बने इस संयंत्र की लागत 1983 करोड़ रुपये है।

कहानी नंबर-2

बिजली का खर्च नहीं, गांव के सभी घर सौर ऊर्जा से रोशन

मुरादाबाद: बिजली का खर्च कम करने के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिए सोलर गांव के रूप में मुरादाबाद के हिमायूंपुर गांव की अपनी अलग पहचान बन गई है।

युवा प्रधान अभिषेक चौधरी की पहल से गांव के सभी 270 घर सौर ऊर्जा से रोशन हो रहे हैं। 50 सोलर पंप के साथ तीन आटा चक्की भी सौर ऊर्जा से संचालित की जा रही हैं।

हिमायूंपुर गांव के पंचायत घर में 30 किलोवाट का सोलर पैनल लगा रखा है, जिससे पंचायत घर के साथ 26 घरों को भी बिजली की सप्लाई दी जा रही है सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन करके ग्राम पंचायत करीब सवा लाख रुपये प्रति वर्ष आय भी कर रही है। सोलर गांव के रूप से चयन के लिए प्रदेश सरकार ने गांव केंद्र सरकार के लिए नामित किया है।

जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर दूरी पर स्थित हिमायूंपुर ग्राम पंचायत की आबादी करीब 2200 है। यह पंचायत ऊर्जा आत्मनिर्भरता का एक प्रेरणादायक उदाहरण बन चुकी हैं। गांव में 83 प्रतिशत घर और सभी सार्वजनिक व निजी संस्थान सौर ऊर्जा से संचालित हैं।

मुरादाबाद के हिमायूपुर गांव के पंचायत भवन पर लगा सोलर सिस्टम। जागरण 

कैसे हुई शुरुआत?

ग्राम प्रधान अभिषेक चौधरी के मुताबिक, गांव में ज्यादातर लोगों का बिजली का बिल अधिक आता था।  वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊर्जा संरक्षण अभियान से प्रेरित होकर गांव को सोलर गांव बनाने के लिए लोगों को जागरूक किया। ग्रामीणों ने खुद भी सोलर पैनल लगवाए।

कहानी नंबर- 3

सीतापुर की वृंदावन कॉलोनी का हर घर बनाता है अपनी बिजली

सीतापुर: सीतापुर पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त बनाए रखने में सरकार की प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना कारगर साबित हो रही है। सीतापुर की वृंदावन कॉलोनी इसकी नजीर बनी हुई है, जहां सभी 46 घरों में सोलर प्लांट लगा है।

यह कॉलोनी विद्युत ऊर्जा के मामले में पूरी तरह से आत्मनिर्भर है। पूरी कॉलोनी का बिजली का बिल शून्य है, कुछ घर तो बड़े प्लांट लगाकर कमाई भी कर रहे हैं।

करीब पांच वर्ष पहले कॉलोनी में अभय मिश्र ने नेडा के सहयोग से अपने घर पर पहला सोलर प्लांट लगवाया था। अब कॉलोनी के कुछ लोगों ने घर की जरूरत से ज्यादा क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट लगा रखे हैं। वह इससे आमदनी भी कर रहे हैं।

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राजीव मेहरोत्रा ने बताया कि उनके घर में तीन किलोवाट से ही काम चल जाता है, जबकि सोलर प्लांट पांच किलोवाट का लगा है। ऐसे में उन्हें बिजली विभाग से पैसा मिलता ही है।

आशुतोष बाजपेयी ने बताया कि जब से प्रधानमंत्री सूर्य घर योजना का लाभ लिया है, तबसे बिजली बिल का झंझट ही खत्म हो गया है। नेडा के परियोजना अधिकारी कमलेश मिश्रा बताते हैं कि वृंदावन कॉलोनी में शिविर लगाकर लोगों को जागरूक किया था। इसके बाद छह महीने में ही पूरी कॉलोनी योजना से संतृप्त हो गई है।

सीतापुर की वृंदावन कॉलोनी में लगाए गए सौर ऊर्जा प्‍लांट। जागरण

बिजली बचाने के भी पूरे इंतजाम

वृंदावन कॉलोनी के लोग विद्युत उत्पादन के साथ उसकी बचत करने में भी आगे है। सभी घरों में कम ऊर्जा की खपत वाले विद्युत उपकरण लगे है। रोशनी के लिए लोगो ने एलईडी बल्ब लगे हैं। वहीं, टीवी, फ्रिज, एसी आदि उपकरण भी अच्छी रेटिंग के लगे हैं।

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(इनपुट- राजिंदर रिखी/मोहसिन पाशा/दुर्गेश द्विवेदी)

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'संसद ही सर्वोच्च, इससे ऊपर कोई नहीं...', निशिकांत दुबे विवाद के बीच जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान

Dainik Jagran - National - April 22, 2025 - 2:20pm

एजेंसी, नई दिल्ली। भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की सुप्रीम कोर्ट पर विवादित टिप्पणी के बीच उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का बड़ा बयान सामने आया है। उपराष्ट्रपति ने संविधान में निर्धारित भारतीय सरकार के ढांचे के भीतर न्यायपालिका के अधिकार क्षेत्र पर एक बार फिर सवाल उठाया है।

सांसद ही संविधान के अंतिम मालिक

जगदीप धनखड़ ने कहा कि संसद सर्वोच्च है और सांसद ही संविधान के अंतिम मालिक है। उनसे ऊपर कोई प्राधिकारी नहीं हो सकता।

दिल्ली विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि एक प्रधानमंत्री जिसने आपातकाल लगाया था, उसे 1977 में जवाबदेह ठहराया गया था। इसलिए, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि संविधान लोगों के लिए है और यह इसकी सुरक्षा का भंडार है।

VIDEO | Speaking at an event in Delhi University, Vice-President Jagdeep Dhankhar (@VPIndia) said, "A prime minister, who imposed Emergency, was held accountable in 1977. Therefore, let there be no doubt about it - Constitution is for the people and it's a repository of… pic.twitter.com/mjXt84tLcS

— Press Trust of India (@PTI_News) April 22, 2025

सुप्रीम कोर्ट पर उठाए थे सवाल

बता दें कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहले भी सुप्रीम कोर्ट पर सवाल खड़े किए थे। दरअसल, तमिलनाडु विधानसभा से पारित कई विधेयकों के राज्यपाल के पास लंबित होने के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उपराष्ट्रपति धनखड़ ने सवाल खड़े किए थे। 

धनखड़ ने कहा था कि अब सुप्रीम कोर्ट देश के राष्ट्रपति को आदेश दे रहा है, इससे बुरा क्या होगा। उन्होंने कहा था कि अदालत ने फैसला सुनाया है कि अगर बिल पर राष्ट्रपति ने तय समयसीमा में फैसला नहीं लिया तो विधेयकों को अपने आप लागू माना जाएगा। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि संसद को अदालत ही चलाना चाहती है। 

वहीं, उपराष्ट्रपति ने संविधान के आर्टिकल 142 का जिक्र करते हुए कहा था कि इसके तहत अदालत के हाथ परमाणु लग गया है। दरअसल, इस आर्टिकल के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट जनहित में कोई भी फैसला ले सकता है, जो पूरे देश पर लागू होता है। 

संसद ही सुप्रीम

धनखड़ ने आगे कहा कि निर्वाचित सांसद ही संविधान को लेकर अंतिम स्वामी हैं। संविधान में संसद से ऊपर किसी प्राधिकारी की कल्पना नहीं की गई है। संसद सर्वोच्च है और ऐसी स्थिति में यह देश के प्रत्येक व्यक्ति जितना ही सुप्रीम है।

बता दें कि हाल ही में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा वक्फ कानून को लेकर टिप्पणी की आलोचना की थी और कहा था कि अगर ऐसा ही है तो संसद को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने कहा था कि जब सुप्रीम पावर कोर्ट के पास ही है तो संसद की क्या जरूरत है।

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'मेरे बेटे को न्याय दो' IAF ऑफिसर पर हमला करने वाले शख्स की मां ने लगाई गुहार, क्यों दर्ज करवाई FIR?

Dainik Jagran - National - April 22, 2025 - 2:06pm

बेंगलुरु, पीटीआई। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक IAF ऑफिसर का वीडियो वायरल हो रहा था। इस वीडियो में IAF अफसर ने कुछ लोगों पर गंभीर मारपीट का आरोप लगाया था। वीडियो के आधार पर पुलिस ने आरोपियों को हिरासत में ले लिया। हालांकि, अब उसी आरोपी ने IAF ऑफिसर के खिलाफ शिकायत दर्ज करवा दी है।

IAF ऑफिसर ने लगाया था आरोप

भारतीय वायु सेना (IAF) के विंग कमांडर शिलादित्य बोस ने बेंगलुरु से सोशल मीडिया पर वीडियो शेयर करते हुए कहा था कि वो अपनी पत्नी के साथ एयरपोर्ट जा रहे थे। तभी बाइक पर सवार अज्ञात लोगों ने उनकी गाड़ी को जबरन रुकवाया। आरोपी कन्नड़ में बात कर रहे थे। उन्होंने शिलादित्य पर हमला किया और लगातार गालियां देते रहे। शिलादित्य के बयान पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली थी।

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विकास ने क्या कहा?

मामले पर कार्रवाई करते हुए पुलिस ने आरोपी विकास कुमार को हिरासत में ले लिया। विकास कुमार बेंगलुरु में एक सॉफ्टवेयर कंपनी के कॉल सेंटर में टीम हेड हैं। विकास का कहना है कि दोनों ने एक-दूसरे पर हमला किया था। हालांकि, वीडियो में खुद को बेगुनाह दिखाने के लिए IAF ऑफिसर ने सिर्फ एक तरफा पक्ष रखा। विकास के अनुसार, उसकी शिलादित्य से किसी बात पर बहस हो गई थी। ऐसे में शिलादित्य ने विकास को मारना शुरू कर दिया। शिलादित्य की पत्नी ने भी उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी।

विकास की मां ने लगाई न्याय की गुहार

अब विकास ने बेंगलुरु के भारतीय न्याय संहिता के तहत बैयापन्नाहल्ली पुलिस स्टेशन में शिलादित्य के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई है। विकास की मां ज्योति ने भी वीडियो जारी करते हुए बेटे के लिए न्याय की मांग की है। उन्होंने कहा कि सारा दोष मेरे बेटे पर डाल देना पूरी तरह से गलत है। सेना में अधिकारी होने के बावजूद उन्होंने मेरे बेटे को डराया धमकाया, मारा और उसकी बाइक भी डैमेज कर दी।

विकास की मां का बयान

विकास की मां ने कहा कि इतना सबकुछ होने के बाद अगर हम पुलिस में शिकायत दर्ज करवाते तो मामला बढ़ सकता था। इसलिए हमने सोचा जाने दो। मगर अब उन्होंने ही इसे इतना बड़ा मामला बना दिया है। वो मेरे बेटे को परेशान कर रहे हैं। मैं अपने बेटे के लिए न्याय की मांग करती हूं।

क्या था पूरा मामला?

विकास के अनुसार, वो रास्ते से गुजर रहा था। तभी कार में बैठी IAF ऑफिसर की पत्नी ने विकास पर टिप्पणी की। विकास उनसे पूछ बैठा कि मैडम क्या कह रही हैं? इसी बात पर दोनों की कहासुनी हुई और मामला यहां तक पहुंच गया। पुलिस का कहना है कि हम CCTV फुटेज खंगाल रहे हैं। इस मामले में पुलिस के पास कई वीडियो हैं और हम मामले की जांच कर रहे हैं।

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