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Bihar News: '3588 करोड़ रुपये बकाया', राजद ने नीतीश सरकार पर लगाया मजदूरों का हक मारने का आरोप
राज्य ब्यूरो, पटना। राजद ने एक बार फिर रोजगार के मुद्दे पर प्रदेश की नीतीश सरकार पर हमला बोला है। राजद ने आरोप लगाया कि मनरेगा मजदूरों की बकाया राशि का भुगतान नहीं करके सरकार पलायन बढ़ाने का उपक्रम कर रही है। इसके साथ ही राजद ने अपराध, भ्रष्टाचार एवं आरक्षण के मुद्दे पर भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा।
3588 करोड़ बकाया का नहीं हुआ भुगतानमनरेगा मजदूरों की बकाया राशि और सामग्री मद में दिसंबर 2024 के बाद अब तक 3588 करोड़ रुपये बकाया का भुगतान नहीं हुआ है। बुधवार को प्रेस-वार्ता कर पार्टी की प्रदेश इकाई के मुख्य प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने प्रदेश सरकार पर हमला बोला है।
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान पर कसा तंजप्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बिहार आकर बड़ी-बड़ी बातें की, लेकिन किसानों और मजदूरों के संबंध में उन्होंने कुछ नहीं बोला। सरकार को गरीबों की आह से डरना चाहिए।
मजदूरों की पारिश्रमिक देने में असमर्थ सरकार : राजदप्रेस-वार्ता में प्रवक्ता एजाज अहमद, सारिका पासवान, मधु मंजरी, अरुण कुमार यादव व आरजू खान भी उपस्थित रहे। शक्ति ने प्रश्न किया कि बिहार सरकार कोई एक काम बताएं, जो जन-हित में हो। उन्होंने आरोप लगाया कि मजदूरों की पारिश्रमिक देने में असमर्थ सरकार विकास कैसे कर रही है, यह स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है।
महागठबंधन शासन में तेजस्वी यादव ने किया विकासइसके साथ ही राजद नेताओं ने राज्य में अपराध, भ्रष्टाचार एवं आरक्षण को लेकर भी एनडीए सरकार पर जमकर निशाना साधा। इसी के साथ उन्होंने महागठबंधन शासन-काल में हुए कामों का श्रेय तेजस्वी यादव को दिया।
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Bihar Politics : आरजेडी विधायक रीतलाल यादव ने दानापुर कोर्ट में किया सरेंडर, भेजे गए बेऊर जेल
जागरण संवाददाता, पटना। Ritlal Yadav: लालू यादव के सबसे करीबी विधायकों में से एक रीतलाल यादव और उनके छोटे भाई ने दानापुर कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर बेऊर जेल भेज दिया गया।
उनके ऊपर बिल्डर से रंगदारी मांगने का आरोप था। साथ ही साथ धमकी देने का भी आरोप लगा था। उनके साथ दो अन्य लोगों ने भी सरेंडर किया है। इन सभी ने व्यवहार न्यायालय के एसीजीएम 5 के न्यायालय में आत्म समर्पण किया।
वकील बोले- बिल्डर ने झूठा मुकदमा दर्ज करवाया थारीतलाल यादव के वकील के मुताबिक किसी बिल्डर ने उन पर रंगदारी का झूठा आरोप लगाया था। पुलिस को उसी मामले में उनकी तलाश थी। जैसे ही उन्हें पता चला कि पुलिस उन्हें तलाश कर रही है, उन्होंने स्वेच्छा से कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया, साथ ही अन्य लोगों को भी जिन्हें आरोपी बनाया गया था।
जमानत याचिका दायर नहीं की गई है। शायद हम एक-दो दिन में इसे दायर करेंगे। मामला झूठा है। यह रंगदारी का मामला नहीं हो सकता। विधायक रीतलाल यादव के साथ पिंकू यादव, चिक्कू और श्रवण ने भी आज आत्मसमर्पण कर दिया है।
रीतलाल और उनके सहयोगियों पर लगे गंभीर आरोपरीतलाल यादव और उनके सहयोगियों के खिलाफ फर्जी दस्तावेज बनाने, रंगदारी मांगने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में शिकायत दर्ज कराई गई थी।
पुलिस ने 11 अप्रैल को उससे संबंधित 11 स्थानों पर तलाशी ली और करीब 10.5 लाख रुपये, 77.5 लाख रुपये के खाली चेक, भूमि हड़पने के 14 दस्तावेज और समझौते, 17 चेकबुक और पांच स्टांप, छह पेन ड्राइव और वॉकी-टॉकी बरामद किए।
कौन हैं रीतलाल यादव?- रीतलाल यादव पटना जिले के कोथवा गांव के रहने वाले हैं
- अभी दानापुर विधानसभा से आरजेडी विधायक हैं
- रीतलाल यादल लालू यादव के काफी करीबी माने जाते हैं
- साल 2016 में जेल में रहते हुए रीतलाल यादव MLC बने थे
- रीतलाल यादव पर भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा की हत्या के आरोप लगे थे
- रेलवे ठेकेदार की हत्या के मामले में भी चर्चा में आए थे रीतलाल यादव
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Bihar Election 2025: पटना में महागठबंधन की अहम बैठक आज, सीट शेयरिंग सहित इन मुद्दों पर होगी चर्चा
राज्य ब्यूरो, पटना। गुरुवार दोपहर एक बजे से राजद के प्रदेश कार्यालय में महागठबंधन की एक महत्वपूर्ण बैठक होनी है। इसमें उन मुद्दों पर आगे की रणनीति तय होगी, जिन पर मंगलवार को नई दिल्ली में चर्चा हो चुकी है। इसके अलावा चुनावी रणनीति से जुड़े कुछ वैसे मुद्दों पर भी सहमति बनेगी, जिन पर बाद में राजद और कांग्रेस आलाकमान की सहमति ली जाएगी।
सकारात्मक रही बैठकनई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव की वार्ता सकारात्मक रही है। मुख्यमंत्री के पद पर संशय के बावजूद कांग्रेस ने भी स्पष्ट कर दिया है कि विधानसभा चुनाव तेजस्वी यादव के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा।
चुनावी रणनीति पर चर्चाऐसे में पटना की बैठक के एजेंडा में चुनावी रणनीति है। एक सुर के लिए उन मुद्दों पर सहमति बनाई जाएगी, जिनसे सभी घटक दलों की संभावना जुड़ी है। इसके अलावा घटक दल अपनी संभावना और अपेक्षा वाली सीटों के संदर्भ में भी चर्चा करेंगे।
बैठक में ये नेता हो सकते हैं शामिलबैठक में सभी घटक दलों के राज्य-स्तरीय नेताओं की उपस्थिति होगी। राजद की ओर से अब्दुल बारी सिद्दीकी, मनोज झा, संजय यादव सहित तेजस्वी यादव भी बैठक में सहभागी हो सकते हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी कृष्णा अल्लावारु, प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार और विधानसभा में पार्टी नेता डॉ. शकील अहमद की उपस्थिति होनी है।
तीनों वाम दलों (भाकपा, माकपा, माले) के प्रदेश सचिवों के साथ वरीय नेता विचार-विमर्श करेंगे। विकासशील इंसान पार्टी के संरक्षक मुकेश सहनी तो रहेंगी ही, रालोजपा के अध्यक्ष पशुपति पारस के भी प्रतिनिधित्व की संभावना व्यक्त की जा रही।
हालांकि, यह अंतिम रूप से तय नहीं। उल्लेखनीय है कि अभी महागठबंधन में छह घटक दल (राजद, कांग्रेस, वीआइपी, भाकपा, माकपा, माले) हैं।
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वक्फ कानून पर SC से मिलेगी सरकार को राहत या लगेगी रोक? पढ़ें 'सुप्रीम' सुनवाई में अभी तक क्या-क्या हुआ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत में वक्फ कानून को लेकर बुधवार को सुनवाई हुई, जो करीब 70 मिनट तक चली। इस दौरान वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी ने केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वक्फ कानून के खिलाफ याचिका दायर करने वाले याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलीलें रखीं, वहीं केंद्र सरकार ने भी कानून के बचाव में अपना पक्ष रखा। इस दौरान सर्वोच्च न्यायालय ने वक्फ कानून को लेकर केंद्र सरकार से तीखे सवाल भी किए। आज भी इस मामले पर सुनवाई होने वाली है, फिर तस्वीर साफ हो जाएगी।
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में तमाम तरह की दलीलें दी गई और तर्क पेश किया गया। बुधवार को सुनवाई के दौरान क्या-क्या हुआ, ये जानने से पहले जानते हैं कि आखिर क्यों कल सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करने से खुद को रोक लिया? क्यों अंतरिम आदेश से पहले कोर्ट ने सुनवाई जारी रखने का निर्णय लिया?
बुधवार को कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
- वक्फ कानून से जुड़े तीन संसोधनों को लेकर बुधवार को अंतरिम आदेश आ सकता था।
- पहला मुद्दा- वक्फ बाय यूजर संपत्तियों का डिनोटिफेकेशन।
- दूसरा मुद्दा- वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना।
- तीसरा मुद्दा- वक्फ प्रोपर्टी के विवाद में कलेक्टर को मिले अधिकार।
- केंद्र सरकार ने अंतरिम आदेश जारी करने से पहले अपनी दलीलें सुनने की अपील की।
- वक्त की कमी के चलते सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून की सुनवाई आगे बढ़ा दी।
बुधवार को सर्वोच्च न्यायालय में वक्फ कानून को लेकर करीब 70 मिनट तक सुनवाई चली। इससे एक बात साफ हो गई कि इस कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश जारी करेगा। लेकिन अभी तक यह साफ नहीं है कि आखिर अंतरिम आदेश में क्या होगा। क्या सुप्रीम कोर्ट वक्फ कानून पर रोक लगाएगा?
CJI ने केंद्र से पूछे तीखे सवाल
वक्फ कानून को लेकर 70 मिनट तक हुई सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल किए। इससे तस्वीर थोड़ी साफ हो गई है कि आज सुनवाई के बाद वक्फ कानून के तीन संसाधनों को लेकर कोर्ट का अंतरिम आदेश आ जाए।
वक्फ कानून को लेकर क्या-क्या दलीलें दी गई?
बुधवार को सुनवाई के दौरान सबसे पहले कपिल सिब्बल ने कहा, "ये इतना आसान नहीं है, वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाया गया है, अब ये तीन सौ साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेंगे, यहां समस्या है।" इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "वक्फ बाय यूजर क्यों हटाया गया, कई पुरानी मस्जिदें हैं। 14वीं और 16वीं शताब्दी की मस्जिदें हैं, जिनके पास रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहीं होगी। ऐसी संपत्तियों को कैसे रजिस्टर्ड किया जाएगा।"
अदालत ने आगे कहा, "ऐसे वक्फ को खारिज कर देने पर विवाद ज्यादा लंबा चलेगा। हम ये जानते हैं कि पुराने कानून का कुछ गलत इस्तेमाल हुआ, लेकिन कुछ सही वक्फ संपत्तियां हैं। इगर इसे खत्म करेंगे तो समस्या होगी।"
सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर तुषार मेहता ने कहा कि अगर कोई संपत्ति वक्फ प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर्ड है तो वह वक्फ की संपत्ति ही रहेगी। किसी को रजिस्ट्रेशन से रोका नहीं गया है। 1923 में जो पहला कानून आया था उसमें भी सपत्ति का पंजिकरण अनिवार्य था। 1954, 1995 में भी अनिवार्य था। 2013 में बदलाव किया गया, उसमें भी रजिस्ट्रेशन अनिवार्य था।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछे तीखे सवाल
- पहला सवाल- अगर कोई संपत्ति बाय यूजर है और वो रजिस्टर्ड नहीं है तो उसका क्या होगा?
- दूसरा सवाल- संपत्ति का विवाद में होने का मतलब क्या है?
- तीसरा सवाल- ब्रिटिश के पहले रजिस्ट्रेशन का प्रावधान नहीं था, ऐसे में क्या होगा?
- चौथा सवाल- अगर कोई संपत्ति वक्फ बाय यूजर है तो उस स्थिति में क्या होगा?
कोर्ट के सवालों का केंद्र सरकार ने दिया जवाब
- पहला जवाब- कलेक्टर उसकी जांच करेगा और पता चलता है कि वो सरकारी संपत्ति है तो रेवेन्यू रिकॉर्ड में उसे सही किया जाएगा।
- दूसरा जवाब- अगर किसी को कलेक्टर के फैसले से समस्या है तो वो ट्रिब्यूनल में जा सकता है।
आज भी जारी रहेगी सुनवाई
बुधवार को सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल किए गए। कोर्ट ने नए कानून के तहत कलेक्टर को दिए गए अधिकारों को लेकर भी सवाल खड़े किए। अब आज इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर से सुनवाई होगी और केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के सवालों का जवाब देगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आखिर वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट क्या अंतरिम आदेश जारी करता है।
Waqf Law: आज भी वक्फ कानून पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, अंतरिम आदेश पर टिकी देश की नजरें
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Bihar News: बिहटा-मनेर मार्ग को लेकर नीतीश सरकार ने दे दी बड़ी खुशखबरी, जेपी गंगा पथ तक का सफर हो जाएगा आसान
जितेंद्र कुमार, पटना। Digha-Koilwar Expressway: दीघा से कोईलवर तक जेपी गंगा पथ के 36 किलोमीटर विस्तार के पहले बिहटा से दानापुर वाया मनेर पुराने एनएच-30 का चौड़ीकरण किया जाएगा। दानापुर के शाहपुर से बिहटा चौराहा तक 22 किलोमीटर लंबे इस मार्ग की चौड़ाई 14 मीटर करने के लिए डीपीआर तैयार कर लिया गया है।
अन्य सड़क परियोजनाओं की योजनामानसून से पहले गोला रोड के साथ दीघा-खगौल नहर रोड को भी 14 मीटर चौड़ी करने की योजना है। मुख्यमंत्री की प्रगति यात्रा के दौरान घोषित सड़क परियोजनाओं का डीपीआर तैयार कर लिया गया है। पटना पश्चिम पथ प्रमंडल को तीन बड़ी सड़क परियोजनाओं की कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बिहटा मार्ग का चौड़ीकरणदानापुर कैंट के बाद शाहपुर से मनेर होते बिहटा चौराहा तक 22 किलोमीटर सड़क के चौड़ीकरण पर 70 करोड़ खर्च आने की संभावना है। इस मार्ग के चौड़ीकरण से बक्सर और आरा की ओर से सीधे दानापुर, दीघा और जेपी गंगा पथ से सुगम संपर्क हो जाएगा।
यह जेपी गंगा पथ के कोईलवर तक विस्तार होने तक नया विकल्प होगा। दानापुर-बिहटा एलिवेटेड रोड के निर्माण कार्य से बक्सर की ओर से पटना के रास्ते में जाम की बाधा दूर होने की उम्मीद है।
गोला रोड चौड़ीकरण पर 20 करोड़ का डीपीआरदानापुर में नेहरू मार्ग (बेली रोड) से गोला रोड तक चौड़ाई बढ़ाकर 14 मीटर करने के लिए निविदा की प्रक्रिया मई तक पूरा कर ली जाएगी। निर्माण कार्य के लिए अस्थाई अतिक्रमण को हटाने के लिए सीमांकन का कार्य पूरा कर लिया गया है।
वर्तमान में यह सड़क 7.5 मीटर चौड़ी है। चौड़ीकरण के बाद सात-सात मीटर के दो लेन हो जाएंगे तो इस क्षेत्र में जाम की समस्या का निदान हो जाएगा। सड़क विस्तार में नाले को भी आवागमन के लिए उपयोगी बनाने का प्रविधान डीपीआर में किया गया है।
इस परियोजना पर 20 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। सड़क के दोनों ओर फुटपाथ और बीच में डिवाइडर बनाया जाएगा ताकि दोनों लेन में निर्बाध आवागमन हो सके।
खगौल नहर रोड चौड़ीकरण को हटेगा स्कूलखगौल आरओबी से दीघा तक सोन नहर रोड की चौड़ाई बढ़ाकर 14 मीटर किया जाएगा। इस योजना पर 70 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। निर्माण कार्य के लिए चुलहाईचक और कोथवां मौजे में नहर किनोर निर्मित प्राथमिक विद्यालय को तोड़कर दूसरे भवन में स्थानांतरित किया जाएगा।
नहर किनारे अतिक्रमण को हटाकर फोरलेन बनाया जाएगा। मई तक इस परियोजना का कार्य आरंभ करने के लिए जमीन की मापी कर ली गई है। अतिक्रमण को चिह्नित कर जिला प्रशासन इसे हटाने की तैयारी कर रहा है।
दानापुर-मनेर रोड, गोला रोड और खगौल नहर रोड परियोजना का कार्य समय पर पूरा कराने के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। निविदा को अंतिम रूप देते ही कार्य आरंभ कराया जाएगा। तीनों परियोजना में जमीन की कोई बाधा नहीं होगी। सरकारी जमीन पर अस्थाई अतिक्रमण को समय रहते लोग नहीं खाली करेंगे तो नोटिस देकर हटाया जाएगा ताकि लोकहित का कार्य समय पर पूरा हो।
डॉ. चंद्रशेखर सिंह, जिलाधिकारी, पटना।
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