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एहतियातन हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, नगालैंड सरकार और हाई कोर्ट का आदेश किया खारिज
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एहतियातन हिरासत को सख्त उपाय बताते हुए ड्रग्स मामले में एक जोड़े को दिए गए नगालैंड सरकार के आदेश को खारिज कर दिया।
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जार्ज मसीह ने कहा कि दिमाग लगाए बिना जारी किए गए हिरासत के यह गुप्त आदेश गलत हैं। पीठ ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें अशरफ हुसैन चौधरी और उसकी पत्नी अदालियू चावांग की एनडीपीएस एक्ट, 1988 की धारा 3(1) के तहत हिरासत के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी गई थी।
अदालत ने एहतियाती हिरासत पर कही ये बात
पीठ ने कहा, ''एहतियातन हिरासत एक सख्त उपाय है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति (जिसके खिलाफ ना कोई मुकदमा चला और ना ही उसे दोषी ठहराया गया) को निश्चित अवधि तक हिरासत में बंद करके रखा जा सकता है, ताकि उस व्यक्ति द्वारा प्रत्याशित आपराधिक गतिविधि को रोका जा सके।''
पीठ ने कहा कि भले ही एहतियातन हिरासत को संविधान के अनुच्छेद 22(3)(बी) द्वारा मंजूरी दी गई है, लेकिन अनुच्छेद 22 में इसके लिए पालन किए जाने वाले कड़े मानदंड भी दिए गए हैं। 1988 का अधिनियम ऐसा ही एक कानून है जिसे संसद द्वारा एनडीपीएस सामग्री की अवैध तस्करी को रोकने के लिए एहतियातन हिरासत में रखने के लिए लागू किया गया था।
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केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन का मौका, 7 मार्च से होंगे ऑनलाइन आवेदन; सिर्फ 14 दिनों का मौका
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों में नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 में प्रवेश को लेकर विद्यालय संगठन ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत पहली कक्षा और बालवाटिका एक व तीन में प्रवेश के लिए सात मार्च से ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। आवेदन की अंतिम तारीख 21 मार्च होगी।
इस दौरान कक्षा एक में प्रवेश की उम्र छह वर्ष और बालवाटिका एक में प्रवेश की उम्र तीन से चार वर्ष की होगी। जबकि बालवाटिका दो में चार से पांच वर्ष की और बालवाटिका तीन में प्रवेश की उम्र पांच से छह वर्ष की होगी।
अधिसूचना की गई जारीकेंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने बुधवार को इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही देश भर के सभी केंद्रीय विद्यालयों को निर्देश दिया है, कि वह प्रवेश को लेकर छह मार्च तक विज्ञापन जारी कर दें। संगठन ने यह इसके साथ ही यह भी साफ किया है कि बालवाटिका में प्रवेश के लिए उन्हीं विद्यालयों के लिए आवेदन लिए जाएंगे, जहां बालवाटिका की कक्षाएं संचालित होती है।
31 मार्च 2025 से होगी उम्र की गणनासभी कक्षाओं में प्रवेश के लिए निर्धारित उम्र की गणना 31 मार्च 2025 के अनुसार की जाएगी। संगठन ने इस दौरान साफ किया है कि बालवाटिका दो व तीन के साथ दूसरी कक्षा व उससे ऊपर की कक्षाओं में प्रवेश सीटों के खाली होने पर ही लिए जाएंगे।
बालवाटिका दो और कक्षा दो व उससे ऊपर की कक्षाओं में पंजीयन की प्रक्रिया दो अप्रैल 2025 से 11 अप्रैल 2025 के बीच ऑफलाइन तरीके से होगी। इनमें कक्षाओं में सीटों के खाली होने की जानकारी ऑनलाइन मुहैया कराई जाएगी।
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SpaceX aims for Thursday Starship test flight - The Economic Times
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राज्यों में नए जमीनी चेहरों को कमान सौंपने का दांव खेल रही कांग्रेस, 12 मार्च को हाईकमान की बड़ी बैठक
संजय मिश्र, जागरण नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीदों की नई राह पर लौटी कांग्रेस इसके बाद बीते सात महीने के दौरान हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगे तगड़े झटके से उबरने के लिए संगठन के ढांचे को दुरूस्त करने की कोशिश करती दिख रही है।
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में पिछले महीने हुउ फेरबदल से लेकर हाल के दौरान राज्यों के संगठन में हुए बदलाव इसका साफ संकेत दे रहे हैं जहां नामचीन नेताओं की जगह पार्टी ने जमीनी नए चेहरों को संगठन की बागडोर सौंपी है।
राज्यों के संगठन को पुनर्जीवित करने की कवायददरअसल राज्यों में संगठन को पुनर्जीवित किए जाने को ही पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत विकल्प के रूप में उभरने का आधार मान रही है। ओडिसा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बडे़ नाम की जगह जमीनी नेताओं को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया जाना इसका संकेत है।
नए चेहरों को आगे लाने का प्रयोग कर रहा कांग्रेस हाईकमान- लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सियासी संजीवनी को हरियाणा, महाराष्ट्र तथा दिल्ली के चुनावी पराजयों ने मुरझा दिया है। इसीलिए राज्यों के संगठन की कमान चुस्त-दुरूस्त करने की बेचैनी दिखाई दे रही है और कांग्रेस हाईकमान नए चेहरों को आगे लाने का प्रयोग करता दिख रहा है।
- महाराष्ट्र और ओडिसा के हाल में नियुक्त हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की राजनीतिक पृष्ठभूमि इसी ओर इशारा कर रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस के नए अध्यक्ष हर्षवर्द्धन सकपाल सूबे की राजनीति के नामी चेहरे नहीं मगर जमीनी स्तर जुझारू संघर्ष के लिए जाने जाते हैं।
ओडिशा कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए पूर्व सांसद भक्त चरण दास के पास राजनीतिक अनुभव है और वे गुटीय सियासत में उलझने की बजाय हाईकमान की रीति-नीति के प्रति प्रतिबद्ध हैं। बीजद के सत्ता से बाहर होने और नवीन पटनायक की उम्र संबंधी चुनौतियों को देखते हुए कांग्रेस ओडिसा में भविष्य में अपनी संभावनाएं देखने लगी है और इसके मद्देनजर भक्त चरण दास पर दांव लगाया गया है।
तेलंगाना में जमीनी पकड़ वाले नेता को बनाया अध्यक्षतेलंगाना में कांग्रेस सत्ता में है और राजनीतिक अस्तित्व का संकट नहीं है मगर सूबे में जाति जनगणना कराए जाने के बाद ओबीसी की राजनीति जिस तरह गरम होने लगी है उसको देखते हुए ही पार्टी ने जमीनी पकड़ रखने वाले ओबीसी नेता महेश कुमार गौड़ को कुछ समय पहले प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है।
बंगाल: अधीर की तरह हाईप्रोफाइल नेता नहीं हैं शुभंकर- लोकसभा चुनाव में बंगाल में हुई दुर्दशा के बाद अधीर रंजन चौधरी की जगह शुभंकर सरकार को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई है। वे अधीर की तरह हाईप्रोफाइल नहीं हैं मगर प्रदेश कार्यकर्ताओं के बीच उनकी मध्यमार्गी नेता के रूप में पहचान जरूर है।
- पिछले विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त को देखते हुए कांग्रेस संगठन को दुरूस्त करने के साथ-साथ ममता बनर्जी संग भविष्य में सहयोग की संभावनाओं का द्वार खोले रखना चाहती है। इस लिहाज से आक्रामक अधीर की जगह मध्यमार्गी सरकार पार्टी के लिए मुफीद हैं।
- बिहार में साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। राजद से गठबंधन में कांग्रेस अब पिछलग्गू की भूमिका में नहीं रहना चाहती। बिहार के नए कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलवारू की सक्रियता इसका संकेत दे रही है।वर्तमान बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह की पुरानी राजद पृष्ठभूमि के कारण पार्टी का एक बड़ा वर्ग लालू हितैषी मानता है।
- वैसे 12 मार्च को हाईकमान ने बिहार के नेताओं की बैठक बुलाई है उसके बाद ही बिहार में नेतृत्व की दुविधा की तस्वीर खत्म होगी। किशोर कुमार झा जैसे बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कम से कम 100 सीटों पर लड़ने की पैरोकारी करते हुए साफ कहते हैं कि जब तक बराबरी की हिस्सेदारी नहीं होगी सूबे में पार्टी बड़ी ताकतवर राजनीतिक भूमिका हासिल नहीं कर पाएगी।
वैसे झारखंड तथा दिल्ली में जमीनी नेताओं को संगठन की बागडोर सौंपे जाने का कुछ हद तक पार्टी को सकारात्मक संकेत भी मिला है। झारखंड में अध्यक्ष बदल कर पार्टी ने विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या कायम रखी तो दिल्ली में चाहे तीसरी बार खाता नहीं खुला हो मगर कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा जो आम आदमी पार्टी की हार का एक बड़ा फैक्टर बना। आप की हार के बाद कांग्रेस दिल्ली की भविष्य की सियासत में अपनी संभावनाएं देखने लगी है।
RRB Exam: पेपर लीक के बाद मंत्रालय का बड़ा फैसला, आरआरबी करेगा रेलवे की सभी प्रमोशन परीक्षाओं का आयोजन
पीटीआई, नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) को सभी विभागीय पदोन्नति परीक्षाएं एक केंद्रीकृत कंप्यूटर आधारित परीक्षा के माध्यम से आयोजित करने के लिए कहा है।
1.17 करोड़ रुपये नकद जब्तयह निर्णय ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही सीबीआइ ने उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में पूर्व मध्य रेलवे के 26 रेलवे अधिकारियों को विभागीय परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और छापेमारी के दौरान 1.17 करोड़ रुपये नकद जब्त किए थे।
रेलवे बोर्ड ने बुधवार को एक उच्च स्तरीय बैठक कीमंत्रालय के निर्णय से पहले विभागीय पदोन्नति परीक्षाएं रेलवे मंडलों और जोन द्वारा आंतरिक रूप से आयोजित की जाती थीं और हाल में इन परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और अनुचित साधनों के प्रयोग के कई आरोप सामने आए थे।
रेल मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि रेलवे बोर्ड ने बुधवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी विभागीय पदोन्नति परीक्षाएं आरआरबी और केंद्रीकृत परीक्षा सीबीटी के माध्यम से होंगी। इसमें कहा गया है कि सभी क्षेत्रीय रेलवे परीक्षा के लिए एक कैलेंडर बनाया जायेगा।
सभी परीक्षाएं कैलेंडर के आधार पर ही आयोजित की जाएंगीसभी परीक्षाएं कैलेंडर के आधार पर ही आयोजित की जाएंगी। मंत्रालय ने कहा कि हाल के वर्षों में आयोजित पारदर्शी और निष्पक्ष परीक्षाओं के अपने लंबे अनुभव को ध्यान में रखते हुए आरआरबी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसने कहा कि परीक्षा केंद्रों में अभ्यर्थियों की जांच और तलाशी मेटल डिटेक्टर से की जाती है।
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रेलवे की कंपनी IRFC जल्द बनेगी महारत्न, कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन लगातार अच्छा हो रहा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नवरत्न बनने के बाद रेलवे की पीएसयू कंपनी (इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन) महारत्न बनने की दौड़ में शामिल हो गई है। दो दिन पहले ही इसे मिनीरत्न से प्रोन्नत कर नवरत्न का दर्जा दिया गया है।
आईआरएफसी का शुद्ध लाभ 6,400 करोड़ रुपयेपिछले वित्त वर्ष तक आईआरएफसी का कुल राजस्व 26,600 करोड़ रुपये है जबकि शुद्ध लाभ 6,400 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह देश की तीसरी बड़ी सरकारी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) बन गई है।
आईआरएफसी के सीएमडी मनोज कुमार दुबे ने बुधवार को बताया कि 2018 में इस कंपनी को मिनी रत्न का दर्जा मिला था। सात वर्ष में नवरत्न बन गई। अब महारत्न का दर्जा हासिल करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि कंपनी के नए स्वरूप में आने के बाद रेलवे से जुड़ी परियोजनाओं के सामने अब वित्तीय संकट नहीं आएगा, क्योंकि कंपनी को पहले की तुलना में वित्तीय एवं संचालन की स्वतंत्रता मिलेगी, जिससे कारोबार का विस्तार होगा।
अभी देश में 14 कंपनियों को महारत्न का दर्जाअभी देश में 26 कंपनियों को नवरत्न और 14 कंपनियों को महारत्न का दर्जा है। महारत्न का दर्जा उन्हें मिलता है, जो पहले से नवरत्न और वित्तीय रूप से सशक्त होती हैं। तीन वर्ष तक पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा शुद्ध लाभ और कम से कम 25 हजार करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर होना चाहिए। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में सूचीबद्ध भी होनी चाहिए। आईआरएफसी इनमें कई शर्तें पूरी करती है। कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन लगातार अच्छा हो रहा है।
प्रीमियम ट्रेनों की स्वामित्व इसी कंपनी के पासदुबे ने बताया कि 80 प्रतिशत यात्री ट्रेनें एवं मालगाडि़यों का वित्तपोषण इसी कंपनी की ओर से किया जाता है। नवरत्न दर्जा मिलने से कंपनी के वित्तीय अधिकारों में वृद्धि हुई है। प्रीमियम ट्रेनों वंदे भारत और शताब्दी का स्वामित्व इसी कंपनी के पास है। इंजन, वैगन और कोच का भी स्वामित्व है, जिन्हें 30 वर्षों की लीज पर रेलवे को दिया गया है। रेलवे को विभिन्न योजनाओं में यह कंपनी वित्तीय मदद करती है। इसमें और तेजी आएगी।
रेलवे की फंडिंग व्यवस्था में किया जा रहा विस्तारकंपनी के गिर रहे शेयरों के बारे में पूछे जाने पर मनोज दुबे ने कहा कि धैर्य रखने की जरूरत है। कंपनी का मुनाफा लगातार बढ़ रहा है। अभी इसके लगभग 55 लाख शेयर होल्डर हैं। कंपनी को जनवरी 2021 में 26 रुपये के आईपीओ मूल्य पर स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया था, जो अब बढ़कर लगभग 120 रुपये हो गया है।
रेलवे को प्रत्येक वर्ष चार लाख करोड़ रुपये की जरूरतरेलवे की फंडिंग व्यवस्था में विस्तार किया जा रहा है। रेलवे को प्रत्येक वर्ष चार लाख करोड़ रुपये की जरूरत होती है, जिसमें रेलवे का अपना बजट 2.5 लाख करोड़ का होता है। शेष के लिए आईआरएफसी पर निर्भरता है।
Ranya Rao Arrest: पूरे शरीर पर चिपका रखे थे सोने के बिस्किट, सिक्योरिटी को ऐसे देती थी चकमा
जेएनएन, नई दिल्ली। सोना तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव बेल्ट और कपड़ों में छिपाकर सोने की तस्करी करती थी। इसके लिए उसने खास जैकेट बना रखा था। मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के अनुसार, रान्या संदेह से बचने के लिए अपने डीजीपी पिता के नाम का इस्तेमाल करती थी। वह पिक-अप के लिए पुलिसकर्मियों को बुलाती थी, जो फिर उसे एयरपोर्ट से घर ले जाते थे।
अधिकारियों ने बताया कि जांच की जा रही है कि क्या उससे जुड़ा कोई पुलिसकर्मी सोने की तस्करी में शामिल था। रान्या कर्नाटक के डीजीपी रैंक के अधिकारी रामचंद्र राव की सौतेली बेटी है। रामचंद्र इस समय कर्नाटक राज्य पुलिस आवास और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं।
बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर रान्या की गिरफ्तारी के बाद की गई छापेमारी में रान्या के बेंगलुरु के फ्लैट से करोड़ों रुपये की नकदी और सोना जब्त किया गया।
14 किलोग्राम सोने के साथ किया गया गिरफ्तार
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) के अधिकारियों ने रान्या को एयरपोर्ट पर 14.8 किलोग्राम सोने की तस्करी करते हुए उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह सोमवार रात दुबई से अमीरात की उड़ान से बेंगलुरु पहुंचीं। उसके पास से जब्त की गई सोने की छड़ों की कीमत 12.56 करोड़ रुपये है। रान्या लगातार दुबई की यात्रा कर रही थी। इस कारण डीआरआई अधिकारी अभिनेत्री की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे।
डीआरआई अधिकारियों के अनुसार, 14.2 किलोग्राम सोना हाल के दिनों में बेंगलुरु हवाईअड्डे पर सबसे बड़ी जब्ती में से एक है। रान्या की गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों ने बुधवार को बेंगलुरु के लावेल रोड स्थित उसके फ्लैट पर छापे मारे, जहां वह अपने पति के साथ रहती हैं। तलाशी में 2.06 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण और 2.67 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई। वहां उसने कथित तौर पर किराये के रूप में 4.5 लाख रुपये का भुगतान किया था। मामले में अब तक 17.29 करोड़ रुपये की जब्ती की गई है। इस बीच कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा, जांच जारी है। डीआरआइ को पूछताछ पूरी करने दीजिए। मैंने अपने विभाग से इस पर गौर करने के लिए कहा है।
पिता ने बेटी से किया खुद को अलग
रामचंद्र राव ने यह कहते हुए खुद को रान्या से दूर कर लिया है कि रान्या की शादी के बाद से वे संपर्क में नहीं है। वह अपने पति के साथ रहती है। उन्होंने कहा, "कानून अपना काम करेगा। मेरा करियर बेदाग रहा है। जब यह बात मीडिया के माध्यम से मेरे संज्ञान में आई तो मैं स्तब्ध रह गया। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।"
रामचंद्र राव ने पहली पत्नी की मृत्यु के बाद एक महिला से शादी की थी जिसकी पहली शादी से दो बेटियां हैं। रान्या उनमें से एक है।"
15 दिनों में चार बार की दुबई यात्रा
सूत्रों ने बताया कि पिछले 15 दिनों में रान्या के चार बार दुबई जाने और बेंगलुरु लौटने के बाद डीआरआइ ने अभिनेत्री के बारे में जानकारी जुटाई। वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, खुफिया जानकारी के बाद डीआरआई ने बेंगलुरु के केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर 12.56 करोड़ रुपये मूल्य की सोने की छड़ें ले जा रही 33 साल की भारतीय महिला (रान्या) को रोका। वह तीन मार्च को अमीरात की फ्लाइट से दुबई से बेंगलुरु पहुंची थी। बताया जाता है रान्या के साथ आए दो लोग ब्रीफकेस में तस्करी का सोना ले जा रहे थे। वह सुरक्षा जांच लगभग पूरी कर ली थी और बाहर निकलने ही वाली थे कि डीआरआई टीम ने उसे रोककर तलाशी ली। जांच करने पर 14.2 किलोग्राम वजन की सोने की छड़ें मिलीं जिसे उसने अपने शरीर में छिपा रखा था। गौरतलब है कि डीआरआइ वित्त मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
न्यायिक हिरासत में भेजी गईं रान्या
न्यायिक हिरासत में भेजा गया रान्या को सीमा शुल्क अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया। उसे मंगलवार को विशेष अदालत में पेश किया गया। जज ने उसे 18 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। रान्या ने फिल्म में कन्नड़ सुपरस्टार सुदीप के खिलाफ मुख्य अभिनेत्री के रूप में काम किया है। उन्होंने अन्य दक्षिण भारतीय भाषा की फिल्मों में भी अभिनय किया है।
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तेलंगाना सुरंग हादसा: रेस्क्यू ऑपरेशन में क्या रोबोट की ली जा सकती मदद? एक्सपर्ट टीम संभावना तलाशने में जुटी
पीटीआई, नगरकुरनूल। तेलंगाना के नगरकुरनूल में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) के निर्माणाधीन खंड के ढहने के बाद पिछले 12 दिन से सुरंग में फंसे आठ लोगों के बचाव का अभियान बुधवार को तेज गति से जारी है। बचाव अभियान के तहत वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए स्थानों पर मानव उपस्थिति का पता लगाने के लिए खोदाई की जा रही है।
रोबोटिक्स की टीम पहुंचीवहीं, रोबोटिक्स कंपनी की एक टीम आंशिक रूप से ध्वस्त एसएलबीसी सुरंग के अंदर गई, जहां लोग फंसे हुए हैं। राज्य सरकार बचाव अभियान में रोबोट के इस्तेमाल की संभावना तलाश रही है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी बचाव दलों के साथ भूकंप संबंधी अध्ययन करने के लिए सुरंग के अंदर गए हैं।
रोबोट काम कर सकेंगे या नहीं... टीम जांच कर रहीएक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद स्थित रोबोटिक्स कंपनी की टीम ने जांच की कि क्या रोबोट सुरंग के अंदर गहराई तक जा सकता है और क्या यह वहां काम कर सकता है, क्योंकि वहां आर्द्रता अधिक है। उन्होंने कहा कि टीम बताएगी कि रोबोट काम कर सकते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि दूसरी बात यह है कि जब भविष्य में सुरंग में परियोजना से संबंधित काम फिर से शुरू होगा तो चट्टानों की संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए रोबोट शुरुआती खोज कर सकते हैं।
टीबीएम को काटने की कोशिशअधिकारियों के अनुसार, टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के अंतिम हिस्सों को गैस कटर का उपयोग करके काटा जाएगा और 'लोको ट्रेन' में सुरंग से बाहर लाया जाएगा। एसएलबीसी परियोजना सुरंग में 22 फरवरी से इंजीनियर और मजदूर समेत आठ लोग फंसे हुए हैं और एनडीआरएफ, भारतीय सेना, नौसेना और अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञ उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
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दिल्ली में पल्ला से ओखला के बीच 22 किमी लंबाई में 80 फीसदी यमुना प्रदूषित, क्या है सबसे बड़ा कारण?
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। यमुना नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए फिर से किए जा रहे प्रयासों के बीच संसदीय समिति ने नदी संरक्षण के लिए स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी तय करने की जरूरत जताई है।
समिति का यह विचार इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकारी एजेंसियों ने यह माना है कि इस नदी के प्रदूषण का कारण बन रहे दूषित जल में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी म्युनिसिपल वेस्ट यानी नगरीय अपशिष्ट की है। यह समस्या इसलिए ज्यादा गंभीर हो जाती है, क्योंकि इसके निदान के लिए किसी एक विभाग अथवा अफसर की जिम्मेदारी तय नहीं है।
यमुना में प्रदूषण के कारणों की निगरानी की जिम्मेदारी तय हो- इसी आधार पर यह सुझाव भी दिया गया है कि यमुना के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारणों के निदान के लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाया जाए और उसकी निगरानी के लिए किसी की जिम्मेदारी तय की जाए। जल संसाधन और नदियों के पुनर्जीवन के मामले में संसद की स्थायी समिति ने जब यमुना के हालात पर चर्चा की तो नगरीय निकायों की भूमिका का मुद्दा प्रमुखता से उठा।
- इन राज्यों के बोर्डों ने रखे अपने पक्ष
- उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने अपने-अपने पक्ष रखे, यमुना में गिरने वाले नालों की संख्या और उनके लिए लगे एसटीपी की संख्या गिनाई तभी यह सामने आया कि सारे नालों से गिरने वाले दूषित जल का तो विवरण ही नहीं है।
उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के हिस्से में कुल 137 ड्रेन हैं, लेकिन केवल 35 का हिसाब-किताब है। इनमें से 17 में पूरी तरह घरेलू सीवेज बहता है। हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों के अनुसार, वैसे तो कोई नगरीय दूषित जल सीधे यमुना में नहीं जाता, लेकिन नगरीय सीमा में चार नाले ऐसे हैं जिनका पानी यमुना में जाता है।
दिल्ली में 9 ड्रेन वाटर ट्रीटमेंट के दायरे मेंसंबंधित निकाय समिति और जलशक्ति विभाग ने सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं। यही स्थिति हरियाणा की भी है, जिसकी दो ड्रेन बड़ी मात्रा में अपना दूषित जल यमुना में उड़ेल रही हैं। जहां तक दिल्ली की बात है तो यमुना को दूषित कर रहीं कुल 22 ड्रेन में से केवल नौ को पूरी तरह ट्रीटमेंट के दायरे में लिया जा सका है, दो को आंशिक तौर पर और बाकी बिना रोक-टोक के हैं।
पल्ला से ओखलीा के बीच यमुना सबसे ज्यादा प्रदूषितसारे आंकड़ों और तस्वीर को देखने के बाद समिति ने कहा कि दिल्ली में हालात खास तौर पर चिंताजनक हैं। पल्ला और ओखला के बीच का 22 किलोमीटर का हिस्सा पूरी यमुना का केवल दो प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन नदी का 75-80 प्रतिशत प्रदूषण यहीं पर है।
प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करनी होगी। अधिकारों और भूमिका की ओवरलै¨पग हो रही है। दो हजार से ज्यादा अवैध बस्तियां समस्या को कई गुना बढ़ा रही हैं और हैरानी की बात है कि लोग सीवेज सिस्टम से जुड़ने के लिए उत्साहित नजर नहीं आते।
750 कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछींइन दो हजार अवैध कालोनियों में 750 में से ही सीवर लाइन बिछाई जा सकी है। कहीं डीडीए की अड़चन है, कहीं राजस्व विभाग की तो कहीं वन विभाग की मंजूरी का इंतजार करना पड़ रहा है। बुनियादी जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड की है, लेकिन उसके पास प्रवर्तन की शक्तियां नहीं हैं।
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