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Bihar Politics: आईपीएस अफसरों को भी लुभाती है राजनीति, एक और अधिकारी की पॉलिटिक्स में एंट्री

Dainik Jagran - April 16, 2025 - 8:26pm

राज्य ब्यूरो, पटना। सियासत की चकाचौंध सिर्फ नेताओं को नहीं, बल्कि पुलिस सेवा के अफसरों को भी रास आती है। यही वजह है कि सेवा की अवधि समाप्त होने या फिर ऐच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर राजनीति में प्रवेश करने वाले अफसरों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ रही है।

बुधवार को रेल सुरक्षा बल के आईजी रैंक के अधिकारी मो. नुरुल होदा ने मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी की सदस्यता लेकर राजनीति में कदम रखा है।

लांडे ने बनाई 'हिंद सेना'

नुरूल होदा अकेला नाम नहीं है। कुछ दिन पूर्व ही आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे (Shivdeep Lande) ने वीआरएस लेकर राजनीति में कदम रखा और अपनी पार्टी 'हिंद सेना' का गठन किया है।

करुणा सागर ने 2020 में ज्वाइन की थी राजद

असम कैडर के आईपीएस अधिकारी आनंद मिश्रा ने पिछली बार ही राजनीति में प्रवेश किया था। इनके अलावा, तमिलनाडु के पुलिस महानिदेशक पद से सेवानिवृत्त होने के बाद करुणा सागर ने 2020 के चुनाव में राजद की सदस्यता ग्रहण की थी।

सुनील कुमार बन गए मंत्री

वर्तमान शिक्षा मंत्री सुनील कुमार डीजी पद से मुक्त होने के बाद राजनीति में आए और जदयू के साथ अपनी नई पारी की शुरुआत की। फिलहाल वे मंत्री है।

इसी प्रकार, पटना के एसएसपी रहे डॉ. अजय कुमार ने वीआरएस लेकर कांग्रेस के साथ अपनी पारी शुरू की थी। फिलहाल वे झारखंड कांग्र्रेस के पूर्व अध्यक्ष के रूप में कांग्रेस में ही काम कर रहे हैं।

गुप्तेश्वर पांडेय ने भी की जोर आजमाइश, मगर...

इन अधिकारियों के अलावा बिहार पुलिस में महानिदेशक गुप्तेश्वर पांडेय ने भी राजनीति में काफी जोर आजमाइश की परंतु उन्हें विशेष सफलता नहीं मिली।

पूर्व डीजीपी डीपी ओझा ने भी बेगूसराय से राजनीति में किस्मत आजमाई थी परंतु चुनाव जीत नहीं पाए। इन अधिकारियों के अलावा निखिल कुमार, ललित विजय ऐसे अधिकारी रहे हैं तो खाकी छोड़कर चुनावी रण में उतरे और मंत्री पद तक पहुंचे।

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अमेरिका के टैरिफ से घुटनों पर आया ड्रैगन! अब भारत में इंवेस्ट करेंगी चीनी कंपनियां, मानसरोवर यात्रा पर होगा बड़ा एलान

Dainik Jagran - National - April 16, 2025 - 8:07pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच कारोबारी युद्ध तेज हो गया है। ऐसे में भारत समेत अन्य पड़ोसी देशों के साथ संबंधों को लेकर भी ड्रैगन के रुख में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। चीन सरकार ने इस साल एक जनवरी से नौ अप्रैल, 2025 तक ना सिर्फ 85 हजार भारतीयों को वीजा दिया है, बल्कि और ज्यादा भारतीयों को चीन भ्रमण के लिए अपने वीजा नियमों को आकर्षित बनाने की भी घोषणा की है।

यही नहीं द्विपक्षीय वार्ताओं में भारतीय अधिकारियों को चीन ने यह संकेत भी दिया है कि वह दोनों देशों की राजधानियों के बीच जल्द से जल्द हवाई संपर्क स्थापित करने को इच्छुक है और इस बारे में भारतीय एजेंसियों को तेजी दिखानी चाहिए। इसी वर्ष से मानसरोवर यात्रा की शुरुआत तक करने की पूर्व में बनी सहमति को भी अगले एक-दो दिनों के भीतर ही लागू करने को लेकर घोषणा किये जाने की तैयारी है।

भारत से एक्सपोर्ट करेंगी चीनी कंपनियां

इसी बीच बुधवार को चीन की स्मार्ट फोन निर्माता कंपनी रीयलमी ने भारत की इलेक्ट्रोनिक निर्माता कंपनी ऑप्टीमस इलेक्ट्रोनिक्स के साथ मिलकर आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस ऑथ थग्स (एआईओटी) भारत में उत्पाद बनाने और भारत को अपने उत्पादों के लिए एक प्रमुख निर्यात स्त्रोत स्थल के तौर पर स्थापित करने की घोषणा की है।

चीन की कुछ मोबाइल निर्माता कंपनियां पहले से ही यहां एसेंबलिंग करने लगी हैं लेकिन यह पहला मौका है, जब चीन की किसी कंपनी ने भारत को अपने उत्पादों के निर्माण व वैश्विक निर्यात स्थल के तौर पर चिन्हित करने का फैसला है। रीयलमी और ऑप्टीमस ने कहा है कि वह भारत में सालाना 50 लाख उत्पादों (स्मार्टफोन, स्मार्टवॉच, टैब्स आदि) का निर्माण करेंगी और दो हजार लोगों को रोजगार देंगी।

भारतीयों को आसानी से मिल रहा वीजा
  • बाजार के सूत्रों का कहना है कि चीन की शिओमी और ओप्पो जैसी दूसरी कंपनियां भी भारत में अपने मैन्यूफैक्चरिंग बेस को ज्यादा विस्तार करने की तैयारियों में हैं। बहरहाल, चीन की कंपनियों की इन तैयारियों से भारत सरकार की मेक इन इंडिया कार्यक्रम को बल मिलना तय है।
  • सूत्रों ने बताया है कि चीन सरकार ने भारत स्थित अपने दूतावास की संख्या भी धीरे-धीरे बढ़ानी शुरू कर दी है। अब भारतीय नागरिकों के लिए वीजा लेने की प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है। चीनी दूतावास से साक्षात्कार के लिए पहले से आवेदन लेने की बाध्यता समाप्त कर दी गई है। वीजा फीस में भी कटौती की गई है।
  • चीन सरकार की तरफ से यह सकारात्मक कदम तब उठाया गया है, जब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को सामान्य बनाने की लगातार कोशिश हो रही है। वर्ष 2020 से पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के घुसपैठ से उत्पन्न हुई स्थिति को समाप्त करने के लिए अक्टूबर, 2024 में पीएम नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी चिनफिंग की बैठक में बनी सहमति को धीरे-धीरे करके लागू किया जा रहा है। इसमें मानसरोवर यात्रा को शुरू करने और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान सेवा की शुरुआत करने पर भी काम हो रहा है।

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Bihar: चुनावी चौसर पर दांव आजमाने आए नए मोहरे, PK और RCP के बाद शिवदीप लांडे और IP गुप्ता की एंट्री

Dainik Jagran - April 16, 2025 - 8:05pm

विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। विधानसभा के पिछले दो चुनावों की परिस्थिति एक-दूसरे से बिल्कुल भिन्न थी। अलबत्ता एक समानता तटस्थ मतदाताओं को लेकर रही, जो आमने-सामने के दोनों गठबंधनों से इतर तीसरे विकल्प की तलाश में थे। उनकी संख्या 20-25 प्रतिशत रही है।

उन्हीं एक चौथाई मतदाताओं के बूते चुनावी चौसर पर इस बार भी नए मोहरे उछलने लगे हैं। पिछले सात महीनों में चार नए दलों का गठन हो चुका है, जो विधानसभा चुनाव में दांव आजमाएंगे।

जातीय और क्षेत्रीय आधार पर दलों के बनने-बिगड़ने की परंपरा प्राय: हर चुनाव में रही है, लेकिन इस बार जोर-जोश कुछ अधिक ही है। ऐसा तब जबकि इक्का-दुक्का उदाहरण को छोड़ शेष प्रयोग बहुत सफल नहीं रहे। बहरहाल नवगठित दलों में एकमात्र जन सुराज पार्टी (जसुपा) ही तनिक दमदार प्रतीत हो रही।

4 सीटों पर उपचुनाव में मिले 10 प्रतिशत वोट

विधानसभा की चार सीटों पर हुए उपचुनाव में 10 प्रतिशत मत पाकर उसने इसका आभास भी कराया है। उससे पहले रूपौली के उपचुनाव में निर्दलीय शंकर प्रसाद की जीत में उसकी रणनीति का बड़ा योगदान रहा है। शेष तीनों दल (आसा, हिंद सेना और आईआईपी) भी उसी की तरह प्रभावी हों, इस पर संशय है।

2020 में 0.3 प्रतिशत वोट पाने वाली पुष्पम प्रिया की प्लूरल्स पार्टी इसका प्रमाण है। वह जिन 102 सीटों पर मैदान में थी, उनमें से मात्र तीन में तीसरे स्थान पर रही। तब 212 पार्टियां मैदान मेंं थीं। आमने-सामने के गठबंधन (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और महागठबंधन) को 74.49 प्रतिशत मत के साथ 235 सीटें मिली थीं।

पान के कारोबार और कताई-बुनाई के काम से जुड़े तांती-ततवा समाज में अपना भविष्य देख रही इंडियन इन्किलाब पार्टी (आईआईपी) का प्रभाव अनिश्चित है। इक्का-दुक्का सीटों पर आईआईपी समाज विशेष के दृष्टिकोण को थोड़ा-बहुत प्रभावित कर सकती है, क्योंकि आधार जनसंख्या 18-20 लाख से अधिक नहीं।

लांडे पर बाहरी का ठप्पा

हिंद सेना का गठन करने वाले महाराष्ट्र के मूल निवासी शिवदीप लांडे (Shivdeep Lande) पर तो पहले से ही बाहरी का ठप्पा लगा हुआ है। बचे आरसीपी सिंह के लिए 2005 का दृष्टांत उचित होगा। तब रामविलास पासवान के साथ मिलकर रंजन यादव ने राजद को काफी नुकसान पहुंचाया था।

उससे पहले तक वे लालू के विश्वस्तों में हुआ करते थे। संभव है कि आरसीपी सिंह भी जदयू के लिए ऐसी मंशा रखते हों, लेकिन इसके लिए उन्हें विरोधी गठबंधन के साथ समन्वय बनाना होगा। उसकी संभावना नहीं के बराबर है।

नई चौकड़ी

जसुपा: 02 अक्टूबर, 2024 को चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने जसुपा का गठन किया। पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और जनसंख्या के अनुपात में विभिन्न समाज-वर्ग को टिकट मिलना है।

आसा: पूर्व केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह ने 31 अक्टूबर, 2024 को आसा का गठन किया। 140 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी है। सात प्रतिशत की जनसंख्या वाले कुर्मी-कुशवाहा का आसरा है।

हिंद सेना: सितंबर, 2024 में शिवदीप वामनराव लांडे ने आईजी के पद से त्यागपत्र दिया था। 08 अप्रैल, 2025 को उन्होंने हिंद सेना के गठन की घोषणा की। पार्टी सभी सीटों पर लड़ेगी और लांडे भी प्रत्याशी होंगे।

आईआईपी: कांग्रेस से त्यागपत्र देकर अखिल भारतीय पान महासंघ के अध्यक्ष इंजीनियर आईपी गुप्ता ने 13 अप्रैल को आईआईपी का गठन किया। सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर चुके हैं।

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US sues Maine over transgender policy

Business News - April 16, 2025 - 7:44pm
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क्या है 'Waqf By User' संपत्ति, जिसका कोर्टरूम में बार-बार जिक्र करते रहे सिंघवी?

Dainik Jagran - National - April 16, 2025 - 7:31pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ कानून (Waqf Law) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज करीब दो घंटे तक सुनवाई चली। कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी सरीखे वकीलों ने इस कानून के खिलाफ कई दलीलें दी। वहीं, अभिषेक मनु सिंघवी लगातार 'वक्फ बाय यूजर' संपत्ति का जिक्र कर रहे थे।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट में दलील दी कि देशभर में 8 लाख वक्फ संपत्तियां हैं, जिनमें से आधी यानी 4 लाख से अधिक प्रॉपर्टी ‘वक्फ बाई यूजर’ के तौर पर रजिस्टर है। सिंघवी ने आगे दलील दी और इस बात को लेकर चिंता जताई कि वक्फ अधिनियम में किए गए संशोधन के बाद इन संपत्तियों पर खतरा उत्पन्न हो गया है।

अब ये जान लेते हैं कि आखिर ये 'वक्फ बाई यूजर' का मतलब क्या है, जिसका जिक्र सिंघवी बार-बार कोर्ट रूम में कर रहे थे?

दरअसल, 'Waqf By User' एक परंपरा है, जिसमें कोई संपत्ति लंबे समय तक इस्लामिक धार्मिक या परोपकारी उद्देश्यों के लिए प्रयुक्त होने के कारण वक्फ मानी जाती है, भले ही उसके पास लिखित दस्तावेज या रजिस्ट्री न हो।

कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने सवाल उठाया कि आखिर सरकार ने क्‍लॉज के साथ छेड़छाड़ क्‍यों की?

वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा,‘वक्फ बाय यूजर’ वक्‍फ की एक शर्त है। इसको ऐसे समझिए कि मेरे पास एक प्रॉपर्टी है और मैं चाहता हूं क‍ि वहां एक अनाथालय बनवाया जाए, तो इसमें समस्‍या क्‍या है? मेरी जमीन है, मैं उस पर बनवाना चाहता हूं, ऐसे में सरकार मुझे रजिस्टर्ड कराने के ल‍िए क्‍यों कहेगी? इस पर सीजेआई ने कहा, अगर आप वक्‍फ का रजिस्ट्रेशन कराएंगे तो रिकार्ड रखना आसान होगा।

'फर्जी दावों से बचने के ल‍िए रज‍िस्‍ट्रेशन कराना जरूरी'

कपिल सिब्बल और सिंघवी की दलीलों पर जस्टिस विश्वनाथन ने जवाब द‍िया,"कानून के मुताबिक, फर्जी दावों से बचने के ल‍िए रजिस्ट्रेशन कराना जरूरी है। इसल‍िए वक्‍फ डीड बनवाना होगा।

इस पर सिब्बल ने तर्क द‍िया। उन्होंने कहा, यह इतना आसान नहीं है। वक्फ सैकड़ों साल पहले बनाए गए थे। सरकार 300 साल पुरानी संपत्ति की वक्फ डीड मांगेगी। आखिर लोग कहां से लाएंगे। यही समस्या है। बता दें कि गुरुवार को ‘वक्फ बाय यूजर’ पर ही सुनवाई होगी, जिसमें सरकार की ओर से दलील पेश की जाएंगी।

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