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महिला दिवस पर महिलाएं संभालेंगी पीएम मोदी का सोशल मीडिया अकाउंट, जीवन यात्राएं साझा करने का अनुरोध
पीटीआई, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना इंटरनेट मीडिया अकाउंट आधी आबादी को सौंपने का फैसला लिया है। उन्होंने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी।
पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा कि मैं नमो एप ओपन फोरम पर बहुत ही प्रेरणादायक जीवन यात्राएं साझा होते देख रहा हूं, जिसमें से कुछ महिलाओं को आठ मार्च को महिला दिवस पर मेरे डिजिटल इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स को संभालने के लिए चुना जाएगा। मैं ऐसी और भी जीवन यात्राएं साझा करने का महिलाओं से अनुरोध करता हूं।
पीएम ने किया था ये एलानपीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा था कि ये सफल महिलाएं उनके इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर अपने काम और अनुभव के बारे में बात करेंगी। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना करते हुए कहा था कि आइए हम महिलाओं की अदम्य भावना का जश्न मनाएं और उसका सम्मान करें।
पहले भी पीएम ने किया था ये ऐलानप्रधानमंत्री ने आठ मार्च, 2020 को इसी तरह के एक कदम के तहत अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट अलग-अलग क्षेत्रों की सात अग्रणी महिलाओं को सौंपे थे। एक्स, यूट्यूब और इंस्टाग्राम सहित अन्य प्लेटफार्म पर करोड़ों फालोअर्स के साथ मोदी इंटरनेट मीडिया पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले वैश्विक नेताओं में से एक हैं।
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शादी के 2 साल बाद हुई दुल्हन की मौत, सास-ससुर को हाईकोर्ट से मिली जमानत तो सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में जारी दहेज हत्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही अदालतों से कहा कि ऐसे मामलों में जमानत मंजूर करने से पहले परिस्थितियों की गहराई से जांच की जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि दहेज हत्या के मामलों में अदालतों को इतने घृणित अपराध के सामाजिक पहलुओं पर विचार करते हुए सोच-समझकर ही कोई फैसला लेना चाहिए। चूंकि यह अपराध हमारे समाज के जड़ों की गहराई तक पैंठ रखता है और समानता पर सवाल खड़े करता है।
सास-ससुर की जमानत रदजस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की खंडपीठ ने सोमवार को दहेज हत्या के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से मंजूर मृतका के सास-ससुर की जमानत को रद करते हुए कहा कि अपने ससुराल में शादी के कुछ ही समय बाद मारी जाने वाली युवती के मामले में न्यायिक जांच की आवश्यकता है। खासकर तब जब इस बात के दस्तावेजी साक्ष्य हैं कि उसे शादी के बाद दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित किया जाता रहा है।
सास-ससुर को आत्मसमर्पण करना होगाउल्लेखनीय है कि जनवरी, 2024 में विवाहिता अपने ससुराल में शादी के दो साल बाद मृत पाई गई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि दहेज के लिए उसके सास-ससुर उसका उत्पीड़न और क्रूरता करते थे। अदालत ने आरोपित सास-ससुर को स्थानीय अदालत या पुलिस प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा है।
न्यायपालिका को सतर्क रहना चाहिएकोर्ट ने कहा कि आईपीसी में दहेज हत्या की धारा 304बी के तहत इस अपराध को बहुत गंभीर प्रकृति का माना गया है। इसके जरिये षड्यंत्र करके अपराध को अंजाम दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधों में न्यायिक आदेश के जरिये सामाजिक संदेश जाना चाहिए कि जब एक नवविवाहिता की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में होती है तो न्यायपालिका को मामले की गंभीरता को समझते हुए और सतर्क रहना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील ने दी आत्महत्या की धमकी, पीठ ने कहा- 7 मार्च तक माफी मांगे नहीं तो...
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक असामान्य स्थिति देखने को मिली, जब न्यायालय के समक्ष उपस्थित एक वकील ने धमकी दी कि यदि आपराधिक मामले में उसकी याचिका स्वीकार नहीं की गई तो वह आत्महत्या कर लेगा। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने वकील से कहा कि वह सात मार्च तक लिखित माफीनामा दाखिल करें अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें।
बिना शर्त माफी मांगेसोमवार सुबह जब याचिका (रमेश कुमारन और अन्य बनाम पुलिस निरीक्षक और अन्य) पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता बार के सदस्य रमेश कुमारन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से उपस्थित हुए और कहा कि अगर प्रतिवादी संख्या दो के खिलाफ एफआईआर रद कर दी जाती है तो वे आत्महत्या कर लेंगे। यह सुनकर सुनवाई कर रही पीठ पहले स्तब्ध हो गई, इसके बाद उनसे बिना शर्त माफी मांगने को कहा।
आप अदालत को धमकी कैसे दे सकते हैं?जस्टिस ओका ने कहा कि आप अदालत को कैसे धमकी दे सकते हैं कि अगर हम आपकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करेंगे तो आप आत्महत्या कर लेंगे? आप एक वकील हैं.. हम बार काउंसिल से आपका लाइसेंस निलंबित करने और एफआइआर दर्ज करने के लिए कहेंगे। इसके बाद वकील ने कथित तौर पर अपना वीसी लिंक बंद कर दिया। हालांकि, दोबारा वीसी के जरिए पेश हुए वकील रमेश कुमारन ने कहा मैं दिल से माफी मांगता हूं। मैं भावुक हो गया था।
सात मार्च को अगली सुनवाईइस पर जस्टिस ओका ने कहा कि हम सात मार्च तक लिखित माफी चाहते हैं। मामले की अगली सुनवाई सात मार्च को होगी। कुमारन ने राघवेंद्रन नामक व्यक्ति के खिलाफ एक आपराधिक मामले में अदालत का रुख किया था। इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से क्रास एफआईआर दर्ज की गई थी।
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'मई में होगी एशियाई शेरों की गणना', पीएम मोदी का बड़ा एलान; तमिलानाडु को भी मिला तोहफा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में वन्यजीवों की तेजी से बढ़ती आबादी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुशी जताई और कहा है कि यह देश के लिए गर्व का विषय है। इसके साथ ही उन्होंने वन्यजीवों के बेहतर प्रबंधन और मानव के साथ उनके बढ़ते संघर्ष को थामने के लिए देश में एक्सीलेंस सेंटर बनाने का एलान किया है।
यह सेंटर तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित सलीम अली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र (एसएसीओएन) में स्थापित होगा। तमिलनाडु को साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह पीएम की ओर से बड़ा तोहफा मिला है।
एशियाई शेरों की गणना की घोषणायही नहीं, इस दौरान पीएम ने इसी वर्ष मई में एशियाई शेरों की गणना कराने की भी घोषणा की। इससे पहले सुबह मोदी ने गिर में टाइगर सफारी का आनंद लिया। उन्होंने एक पोस्ट में कहा कि सामूहिक प्रयासों के कारण एशियाई शेरों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हुई है और एशियाई शेरों के आवास को संरक्षित करने में आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और महिलाओं के योगदान सराहनीय है।
पीएम मोदी ने किए अन्य बड़े एलानप्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को गुजरात के गीर अभयारण्य में आयोजित सातवीं राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में देश में वन्यजीवों की स्थिति और उनसे जुड़े प्रोजेक्टों की समीक्षा की है। इसके साथ ही कई बड़े ऐलान भी किए हैं।
पीएम ने ली चीता प्रोजेक्ट की जानकारीपीएम ने बोर्ड की बैठक में चीता प्रोजेक्ट की प्रगति की भी जानकारी ली और देश में चीतों को आने वाली नई खेप को अब मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य और गुजरात के बन्नी स्थित घास के मैदानों में बसाने को मंजूरी दी है। चीतों की पहली दो खेप को अभी मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में रखा गया है। जहां उनका कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। बैठक में वन्यजीवों के साथ मानव के संघर्ष को थामने के लिए सेंटर खोलने के ऐलान को काफी अहम माना जा रहा है।
वैसे भी देश में यह समस्या दिनों-दिन काफी गंभीर रूप ले रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में अकेले हाथियों के साथ संघर्ष में हर साल छह सौ से अधिक लोगों की मौतें हो रही है, जबकि करीब सौ हाथियों को भी इस संघर्ष और आपसी झगडे में जान गंवानी पड़ रही है।
डॉल्फिन की संख्या में उत्तर प्रदेश शीर्ष परदेश में डॉल्फिन की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। जो दो हजार से बढ़कर अब 6327 हो गई है। आठ राज्यों में डॉल्फिन को लेकर कराए गए व्यापक सर्वेक्षण ने यह जानकारी सामने आयी है। पीएम मोदी ने सोमवार को गीर में इस सर्वेक्षण रिपोर्ट को जारी किया है। डॉल्फिन की बढ़ी संख्या में नदियों की सुधर रही सेहत से जोड़कर देखा जाता है।
माना जाता है कि स्वच्छ नदियों में ही डॉल्फिन का विकास होता है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में डॉल्फिन मुख्य रूप से गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों में पाई जाती हैं। वर्ष 2020 में शुरू किए गए प्रोजेक्ट डॉल्फिन के बाद यह सफलता मिली है। भारत में डाल्फिन की मीठे पानी की दो प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें गंगा डॉल्फिन और सिधु डॉल्फिन है। यह सर्वेक्षण आठ राज्यों की 28 नदियों में 8,507 किमी के क्षेत्र में किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 2,397 डॉल्फिन पायी गई है जबकि बिहार में 2,220 और पश्चिम बंगाल में 815 डॉल्फिन मिली है। वहीं असम में 635, झारखंड में 162, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 95 डॉल्फिन दर्ज की गईं। पंजाब में सबसे कम सिर्फ तीन डॉल्फिन पाई गईं।
पीएम ने बैठक में किए कुछ और अहम ऐलान- गीर में शेरों की बढ़ती आबादी को देखते हुए उसके पास बरडा अभयारण्य को भी उनके नए ठिकाने के रूप में विकसित किया जाएगी। पीएम ने इस लेकर मंजूरी दी है। इसके साथ एशियाई शेरों के इस साल सर्वेक्षण को भी मंजूरी दी गई है।
- ग्रेड इंडियन बस्टर्ड ( सोनचिरैया) के संरक्षण, घडियाल संरक्षण के नए प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी गई है। देश में मौजूदा समय में सोनचिरैया विलुप्त होने की कगार पर है।
- गीर में शेरों और तेंदुओं के बेहतर रहवास और विकास की सफल कहानी का दस्तावेजीकरण करने को भी मंजूरी दी गई है।
- जूनागढ़ में वन्यजीवों के रेफरल सेंटर की भी आधारशिला पीएम ने रखी है। जहां देश भर के गंभीर रूप से बीमार व घायल वन्यजीवों की उपचार किया जाएगा।
- वन्यजीवों के संरक्षण में अपने पुराने तौर-तरीकों और पद्धतियों का भी दस्तावेजीकरण करने को मंजूरी दी गई है।
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आखिर क्यों अधिक कर्ज ले रही महिलाएं, पिछले पांच साल में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी; रिपोर्ट पर नहीं होगा यकीन
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत में कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या पिछले पांच सालों में 22 प्रतिशत की चक्रवृद्धि दर से बढ़ी है। इनमें से अधिकांश अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से संबंध रखती हैं।
दरअसल, नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम द्वारा 'भारत की वित्तीय विकास की कहानी में महिलाओं की भूमिका संबंधी' एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कर्ज का एक बड़ा हिस्सा महिलाओं ने उपभोग मांग को पूरा करने के लिया। इसकी तुलना में महिलाओं ने कारोबार के लिए उन्होंने कम कर्ज लिया।
लोन लेने में इन राज्यों की महिलाएं आगेनीति आयोग ने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित उत्तरी और मध्य भारत के राज्यों में पिछले पांच वर्षों के दौरान कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या में सबसे अधिक चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की गई।
क्या कहती है रिपोर्ट?रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में कारोबार के लिए कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या कुल कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या की तुलना में केवल तीन प्रतिशत है जबकि व्यक्तिगत वित्त उत्पादों जैसे पर्सनल लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन, होम लोन के लिए 42 प्रतिशत और सोने के बदले कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या 38 प्रतिशत थी।
व्यावसायिक खातों की संख्या में इजाफारिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 से व्यावसायिक उद्देश्य के लिए खोले गए खातों की संख्या में 4.6 गुना वृद्धि हुई है। सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने कहा कि भारत में अधिक महिलाएं कर्ज लेना चाहती हैं और सक्रिय रूप से अपने क्रेडिट स्कोर की निगरानी कर रही हैं। दिसंबर 2024 तक, 2.7 करोड़ महिलाएं अपने कर्ज की निगरानी कर रही थीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 42 प्रतिशत अधिक है। यह महिलाओं के बीच बढ़ती वित्तीय जागरूकता को संकेत देता है।
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'दूसरी श्वेत क्रांति की ओर बढ़ रहा देश', गृहमंत्री शाह ने कहा- डेयरी सेक्टर से हो सकता है गांव से पलायन की समस्या का समाधान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने डेयरी (दुग्ध उत्पादन) सेक्टर के विकास को गांव से पलायन की समस्या का अहम विकल्प बताया। गृहमंत्री शाह ने डेयरी सेक्टर के लिए दुग्ध उत्पादन के अलावा गोबर प्रबंधन, चारा प्रबंधन, मरे हुए पशुओं के अवशेषों के प्रबंधन के साथ-साथ कार्बन क्रेडिट का लाभ किसानों तक पहुंचाने के लिए सहकारिता मॉडल के आधार पर वैज्ञानिक बनाने की जरूरत पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाली अधिकांश आबादी सीमांत किसानों की है और उन्हें समृद्ध बनाने के लिए गांव से ग्लोबल की यात्रा, समूह से सफलता का विश्वास और फार्म से फैक्ट्री तक पूरी श्रृंखला विकसित करना जरूरी है।
अमित शाह ने किसानों को लेकर कही बड़ी बातदिल्ली में आयोजित 'डेयरी क्षेत्र में सस्टेनेबिलिटी और सर्कुलरिटी पर कार्यशाला' का उद्घाटन करते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में सक्रिय डेयरी में उपभोक्ता से आने वाले पैसे का 75 फीसद हिस्सा किसानों के पास जाता है, जबकि कॉरपोरेट क्षेत्र में सक्रिय डेयरियों में किसानों को 32 फीसद ही जाता है।
उन्होंने देश के हर किसान के लिए इस अंतर को कम करने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि फिलहाल डेयरी सेक्टर में 23 राज्यस्तरीय सहकारिता संघ सक्रिय हैं, श्वेत क्रांति-दो में इसे सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंचाना होगा। इसी तरह से मौजूदा 28 मार्केटिग करने वाली डेयरियों की संख्या तीन गुना बढ़ाने होगी। उन्होंने देश के 80 फीसद जिलों को डेयरी सहकारिता से जोड़ने का लक्ष्य दिया।
बायोगैस योजना को मिले बढ़ावासहकारिता डेयरी से जुड़े किसानों से गोबर खरीदकर बायोगैस के उत्पादन के लिए किये गए समझौतों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें उन किसानों को भी शामिल करना होगा, जो सहकारिता से जुड़े डेयरी को दूध नहीं बेचते हैं। सभी किसानों को गोबर खरीद से जोड़ने से बायोगैस बनाने की योजना को बढ़ावा मिलेगा और किसानों को भी इसका फायदा होगा। इसी तरह से उन्होंने सहकारिता से साथ निजी डेयरियों में दूध सप्लाई करने वाले सभी किसानों से मृत पशुओं के हड्डी, चमड़े जैसे अवशेषों को खरीदने और उन्हें बड़े उद्योगों के बेचने का तंत्र विकसित करने पर भी जोर दिया।
इससे निजी डेयरी की ओर जा रहे किसानों को सहकारिता डेयरी से जोड़ने में मदद मिलेगी। उन्होंने राष्ट्रीय डेयरी डवलपमेंट बोर्ड और नाबार्ड को डेयरी क्षेत्र में उपयोग होने वाली सभी मशीनों के शत-प्रतिशत उत्पादन भारत में करने के लिए जरूरी कदम उठाने को कहा।
सहकारिता संघों के बीच सहयोग बढ़ाने पर जोरउन्होंने कहा कि डेयरी सेक्टर की सभी संभावनाओं को शत-प्रतिशत खोजने के लिए समग्र दृष्टिकोण से काम करना होगा। अमित शाह ने सहकारिता संघों के बीच सहयोग बढ़ाने पर भी जोर दिया। इसके लिए उन्होंने गुजरात में 93 फीसद सहकारी संस्थाओं के खाते सहकारी बैंकों में खुलने का उदाहरण दिया। पूरे देश में इसे अपनाने से सहकारी बैंक भी मजबूत होंगे और सहकारी संस्थाओं के आसानी से धन भी उपलब्ध हो जाएगा। उन्होंने नाबार्ड को गुजरात में पशुपालकों के लिए शुरू किये गए माइक्रो एटीएम के सफल माडल को देश के हर जिले में पहुंचाने को कहा।
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कंज्यूमर फोरम का नया टूल, AI की मदद से बढ़ाएगा कस्टमर की ताकत; पूरी प्रोसेस यहां समझें
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। AI Chatbot for Consumer Complaints & Legal Aid in India: यह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का दौर है। जहां एक तरफ यह लोगों की जिंदगी आसान कर रहा है तो वहीं विशेषज्ञ भविष्य में इसके खतरों को लेकर आगाह भी कर रहे हैं। भारत में भी बड़ी संख्या में एआई यूजर हैं। यहां अब एआई का इस्तेमाल लोगों की समस्याओं को सुलझाने के लिए किया जा रहा है।
कस्टमर सर्विस से लेकर पब्लिक पॉलिसी तक एआई चैटबॉट कई पारंपरिक क्षेत्रों को स्मार्ट बना रहे हैं। सवाल कैसे? आइए उपभोक्ताओं की समस्याओं के आंकड़े से आपको बताते हैं। एआई के जरिये संचालित प्लेटफॉर्म ने शिकायतों की संख्या में दस गुना से अधिक बढ़ोतरी हुई है।
उपभोक्ता की समस्याएं सुलझाने वाले एआई चैटबॉट पर अब आईआईटी बॉम्बे (Indian Institute of Technology Bombay) और एनएलएसआईयू बेंगलुरु (National Law School of India University University, Bengaluru) भी काम कर रहे हैं।
आईआईटी बॉम्बे और एनएलएसआईयू ने मेटा (फेसबुक) के लार्ज लैंग्वेज मॉडल लामा 3.1 की मदद से एक नया चैटबॉट 'ग्राहक न्याय' बनाया है।
जेनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जेन एआई) पर आधारित यह चैटबॉट शिकायत दर्ज कराने में मदद तो करता ही है। साथ ही यह शिकायतकर्ता के लिए कानूनी दस्तावेज, नोटिस और आवेदन तैयार कराने में भी मदद करता है।
कितने समय में तैयार हुआ?उपभोक्ता मंत्रालय अभी उपभोक्ताओं की शिकायतें सुनने और उनको समाधान देने के लिए एआई का इस्तेमाल कर रहा है। इसका असर यह हुआ है कि डिजिटल शिकायतों की संख्या बढ़ गई। यह प्रोजेक्ट साल 2023 में पहली बार शुरू किया गया था।
किसने तैयार किया यह चैटबॉट?आईआईटी बॉम्बे के कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट में प्रोफेसर डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य और उनकी की टीम ने यह चैटबॉट तैयार किया। वहीं एनएलएसआईयू बेंगलुरु के असिस्टेंट प्रोफेसर
डॉ. राहुल हेमराजानी और उनकी टीम ने कानूनी पहलुओं को जोड़ते हुए इस चैटबॉट को प्रशिक्षित किया। डॉ. पुष्पक भट्टाचार्य और डॉ. राहुल हेमराजानी के इस प्रोजेक्ट में उपभोक्ता मंत्रालय नॉलेज पार्टनर था।
एआई से उपभोक्ता समस्याओं में क्या बदला?अब सवाल आता है कि आखिर उपभोक्ताओं की समस्याओं में एआई से क्या बदला? आइए आपको बताते हैं..
- दिसंबर, 2015 देश में जहां 12,553 उपभोक्ताओं की शिकायत दर्ज होती थीं, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 1,55, 138 हो गई।
- साल 2023 में इन शिकायतों के समाधान देने में औसतन 66.26 दिन लते थे, जबकि 2024 में यह अवधि घटकर 48 दिन रह गई।
- जिन कंपनियों के खिलाफ शिकायतें अधिक होती हैं, उनको 'कन्वर्जेंस पार्टनर' बनाया जाता है। 2017 में ऐसी कंपनियों की संख्या 263 थी, जो कि अब 1,038 हो गई हैं। एआई बेस प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद ये कंपनियां उपभोक्ताओं की समस्याओं को प्राथमिकता दे पा रही हैं।
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देश में कितने लोग सरकारी पोर्टल यूज नहीं कर पाते?कुछ सर्वे पर नजर डाले तो समझ आता है कि देश में 53 प्रतिशत से अधिक लोग ऐसे हैं, जो सरकारी पोर्टल का उपयोग नहीं कर पाते हैं। ऐसे में एआई चैटबॉट उनकी मदद करेगा। हाल ही में गपशप प्लेटफॉर्म ने उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के साथ मिलकर जागृति एआई चैटबॉट लॉन्च किया है।
बता दें कि कानून के क्षेत्र में एआई 'न्याय गुरु' देश का पहला एआई आधारित लीगल चैटबॉट है। यह लोगों को न सिर्फ ऑनलाइन कानूनी सलाह देता है, बल्कि कानूनी तौर पर उनके अधिकारों को समझने में मदद भी करता है।
ग्राहक न्याय' कैसे यूज करें?- उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं।
- होमपेज पर चैटबॉट का आइकन दिखाई देगा। इस पर क्लिक करें।
- एआई चैटबॉट के निर्देशों का पालन कर अपनी शिकायत दर्ज करें। आवश्यक विवरण भरें।
- चैटबॉट आपकी शिकायत के आधार पर कानूनी दस्तावेज, नोटिस या आवेदन तैयार करने में सहायता करेगा।
- अपनी शिकायत की स्थिति जानने और समाधान प्राप्त करने के लिए पोर्टल पर लॉगिन कर चेक करें।
- 'ग्राहक न्याय' का उद्देश्य उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना और उनकी समस्याओं का त्वरित समाधान प्रदान करना है।
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Source:
उपभोक्ता मामले विभाग:
- https://consumeraffairs.nic.in/hi/
- https://consumerhelpline.gov.in/public/contact
- https://pib.gov.in/PressReleaseIframePage.aspx?PRID=2086980
अवैध संबंध का शक और पत्नी की कर दी हत्या... केरल में पति बना हैवान, चाकू से हमला कर साथी को भी मौत के घाट उतारा
डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। Kerala News केरल में एक हत्या का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां पथानामथिट्टा जिले के कलंजूर गांव में एक व्यक्ति ने चाकू से दो लोगों की हत्या कर दी।
पत्नी पर करता था शकदरअसल, 32 वर्षीय व्यक्ति ने अपनी पत्नी और उसके दोस्त को शक के आधार पर मौत के घाट उतार दिया। बैजू नाम के इस शख्स ने कथित तौर पर इसलिए हत्या कर दी क्योंकि उसे संदेह था कि दोनों का प्रेम-संबंध है।
बैजू ने कथित तौर पर अपनी पत्नी वैष्णवी और उनके पड़ोसी विष्णु (32) के बीच मैसेज पर हुई चैट देखी और इसी बात ने उसे भड़का दिया।
पत्नी के दोस्त पर भी किया हमलारिपोर्ट के अनुसार, कल रात बैजू और वैष्णवी के बीच झगड़ा हुआ और उसने उस पर हमला करने की कोशिश की। वह बचने के लिए विष्णु के घर भागी और उसने उसका पीछा किया और उस पर चाकू से हमला कर दिया। वैष्णवी की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद बैजू ने विष्णु पर चाकू से हमला कर दिया। अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने मामला किया दर्जपुलिस ने बताया कि स्थानीय कूडल पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कर लिया गया है और बैजू को हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस की एक टीम ने आज सुबह ही घटनास्थल का दौरा किया, जहां उन्हें खून ही खून मिला। पुलिस ने कहा कि ये अपराध की क्रूर प्रकृति को दर्शाता है।
Supreme Court: सर्वोच्च न्यायालय का ऐतिहासिक फैसला, दृष्टिहीन लोग भी बन सकेंगे जज; रद्द हुआ ये पुराना नियम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दृष्टिहीन लोगों के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि दृष्टिहीन लोगों को भी न्यायिक सेवाओं में नियुक्ति का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि दृष्टिहीन लोग भी जज बन सकते हैं।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि, दिव्यांगता के आधार पर न्यायिक सेवाओं से किसी को भी बाहर नहीं किया जा सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा नियम को भी रद्द कर दिया है।
जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा नियम को भी रद्द कर दिया है, जो दृष्टिहीन लोगों को न्यायिक सेवाओं में नियुक्ति के लिए चयन प्रक्रिया में भाग लेने से रोक रहा था।
एक महिला ने दी थी चुनौती
मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा नियम को एक महिला द्वारा कोर्ट में चुनौती दी गई थी। दरअसल, इस महिला का दृष्टिहीन बेटा न्यायपालिका में जाना चाहता था। जिस वजह से महिला ने कोर्ट को एक पत्र लिखा था।
आसानी से मिलेगा आयुष्मान योजना का लाभ, बिना लाइन में लगे OPD की पर्ची; क्या है आभा आईडी जो बदलेगा हेल्थ सिस्टम- पढ़ें सब कुछ
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। Abha Health Card: भारत में अलग-अलग योजनाओं को लेकर अलग-अलग कार्ड बनाए जाते हैं। इन दिनों भारत आभा कार्ड को लेकर काफी चर्चा में है, अब आपको आगे इसके बारे में विस्तार से बताते हैं। क्या है आभा कार्ड कैसे मिलता है इसका फायदा आइए जानते हैं।
आभा कार्ड आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत लॉन्च किया गया है। यानी यह एक तरह का हेल्थ कार्ड है। आभा कार्ड में 14 डिजिट का नंबर होता है। इस पर मेडिकल रिकॉर्ड और प्रिस्क्रिप्शन डिजिटली स्टोर कर सकते हैं।
आयुष्मान भारत योजना की सुविधाओं का उठा सकते लाभयह एक तरह से बाकी पहचान पत्रों के कार्ड के तरह ही काम करता है यानी की इस कार्ड के नंबर से आप आयुष्मान भारत योजना के तहत मिलने वाली सुविधाएं ले सकते हैं। इन्हें वेबसाइट या एप के जरिए कभी भी देख सकते हैं।
अब आपको बताते हैं, आभा आईडी कैसे बनाई जाती है:- नेशनल हेल्थ अथॉरिटी की वेबसाइट abha.abdm.gov.in पर जाएं।
- होम पेज पर आपको क्रिएट आभा नंबर का ऑप्शन दिखेगा। इस पर क्लिक करें।
- अपनी पहचान के सत्यापन के लिए आधार नंबर या ड्राइविंग लाइसेंस चुनें।
- चयन के अनुसार आपसे आधार या मोबाइल नंबर मांगा जाएगा। इसे भरें।
- ओटीपी दर्ज करें और सबमिट करें।
- मांगी गई डिटेल भर दें। आईडी तैयार हो जाएगी।
- आयुर्वेद व होम्योपैथी जैसी आयुष इलाज सुविधाओं में भी मान्य है।
इससे बीमा योजनाओं व सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों से जुड़ सकते हैं। अधिकतर सरकारी अस्पतालों में बिना लाइन में लगे ओपीडी पर्ची भी बना सकते हैं। पूरे भारत में सत्यापित डाक्टरों, अस्पताल एवं स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को आभा हेल्थ आईडी कार्ड देकर उनसे सभी मेडिकल रिकार्ड जैसे लैब रिपोर्ट, प्रिस्क्रिप्शन, अस्पताल के भर्ती एवं डिस्चार्ज के विवरण, एमआरआई रिपोर्ट आदि साझा करें।
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कहीं बारिश, तो कहीं गर्मी का अलर्ट... अगले 24 घंटे में तेजी से बदलेगा मौसम, इन राज्यों के लिए जारी हुई वॉर्निंग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीते 2-3 दिनों से मौसम का मिजाज थोड़ा बदला-बदला है। पश्चिम बंगाल, सिक्किम, तमिलनाडु, असम व मेघालय समेत देश के कई हिस्सों में हो रही बारिश ने मौसम में ठंडक की वापसी करा दी है। दिल्ली में भी तापमान में 2.4 डिग्री सेल्सियस की गिरावट दर्ज की गई।
हालांकि अगले 24 घंटे में उत्तर पश्चिम भारत में अधिकतम तापमान में 2 डिग्री की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। लेकिन इसके बाद पश्चिमी विक्षोभ के कारण तापमान फिर से 2 से 4 डिग्री तक नीचे आ सकता है। मध्य भारत और महाराष्ट्र रीजन में अगले 2 दिन तापमान पहले जैसा बना रहेगा, लेकिन उसके बाद इसमें भी गिरावट देखने को मिलेगी।
जम्मू-हिमाचल में गरजेंगे बादलमौसम विभाग के मुताबिक, जम्मू क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश में सोमवार को गरज के साथ आंधी-तूफान आने के संभावना है। इन इलाकों में अगले 24 घंटे में भयंकर बारिश हो सकती है। वहीं पंजाब में ओले गिरने की भी संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग ने जम्मू, हिमाचल प्रदेश और पंजाब के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। उत्तराखंड में भी बारिश का यलो अलर्ट जारी किया गया है। इसके अलावा अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय और नगालैंड समेत पूर्वोत्तर के राज्यों में बारिश का अलर्ट है।
विदर्भ में सबसे अधिक तापमान- बीते 24 घंटे में मध्य यूपी, पूर्वी राजस्थान, सौराष्ट्र, कच्छ, पश्चिमी मध्य प्रदेश, असम और मेघालय में अधिकतम तापमान में गिरावट आई है। मैदानी इलाकों की बात करें, तो महाराष्ट्र के विदर्भ के अकोला में अधिकतम तापमान 38.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो सबसे ज्यादा था।
- पश्चिमी विक्षोभ के कारण देश के कई हिस्सों में सोमवार को भारी बारिश होने की संभावना है। पश्चिमी हिमालयी रीजन में 4 मार्च तक भारी बर्फबारी भी देखने को मिल सकती है। वहीं कोस्टल कर्नाटक के कुछ स्थानों पर अगले 24 घंटे में हीटवेव की स्थिति बन सकती है।
बीते कुछ समय में मौसम तेजी से बदल रहा है। दोपहर में धूप के कारण तापमान ज्यादा हो जा रहा है, तो वहीं सुबह और शाम को ठंडक बनी रह रही है। मौसम में इतनी तेजी से हो रहे बदलाव के कारण बीमारियां भी बढ़ने लगी हैं। अस्पतालों में हर रोज सर्दी, खांसी और बुखार के मरीज पहुंच रहे हैं।
ऐसे मौसम में शरीर में पानी की कमी भी हो जाती है, जिससे डिहाइड्रेशन, सिर दर्द और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे मौसम में तली-भुनी चीजों से परहेज करना चाहिए। शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए खूब पानी पीना चाहिए और लक्षण दिखने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
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नौ दिन बाद भी नहीं निकल पाए तेलंगाना सुरंग हादसे में फंसे लोग, जानें कहां आ रही है समस्या
पीटीआई, नगरकुरनूल। तेलंगाना सुरंग हादसे में पिछले नौ दिनों से फंसे आठ लोगों को अभी तक सुरक्षित निकालना संभव नहीं हो पाया है। घटनास्थल से गाद हटाने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं और बचाव कर्मियों एवं उपकरणों की तैनाती बढ़ा दी गई है।
बचाव कार्य अंतिम चरण में है, लेकिन लगातार पानी का रिसाव एक बड़ी बाधा बना हुआ है। मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने कहा कि सुरंग के अंदर फंसे लोगों के सटीक स्थान की अभी तक कोई जानकारी नहीं है। सरकार बचाव अभियान में तेजी लाने के प्रयास कर रही है।
जल्द ठीक होगी कन्वेयर बेल्टरविवार को उन्होंने दुर्घटना स्थल का दौरा किया। बाद में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि क्षतिग्रस्त कन्वेयर बेल्ट की मरम्मत के बाद बचाव अभियान में तेजी आएगी। गाद ले जाने में मदद करने वाली कन्वेयर बेल्ट के सोमवार तक ठीक हो जाने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा, 'बचाव कर्मी इस बात को पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं कि सुरंग के अंदर लोग और मशीन कहां फंसी हैं। उनके पास प्रारंभिक अनुमान है, लेकिन पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है।' सरकार ने बचाव अभियान का नेतृत्व करने वाले अधिकारियों को सुझाव दिया है कि यदि आवश्यक हो, तो बचाव कर्मियों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए सुरंग के अंदर रोबोट का उपयोग करें। सरकार पीड़ित परिवारों की सहायता करने के लिए तैयार है।
700 कर्मचारी बचाव कार्य में जुटे- रविवार को एक अधिकारी ने कहा कि सुरंग ढहने से क्षतिग्रस्त कन्वेयर बेल्ट की सोमवार तक मरम्मत होने की उम्मीद है। एक बार मरम्मत हो जाने के बाद सुरंग से कीचड़ और मलबे को हटाना आसान हो जाएगा।
- केंद्र और राज्य सरकार की 18 एजेंसियों के करीब 700 कर्मचारी बचाव कार्य में लगे हुए हैं। प्रत्येक शिफ्ट में कम से कम 120 कर्मचारी बचाव कार्य कर रहे हैं। उधर, भाजपा के कुछ विधायकों ने भी स्थिति का आकलन करने के लिए दुर्घटनास्थल का दौरा किया है।
- पार्टी विधायक महेश्वर रेड्डी ने कहा कि यह दुर्घटना मौजूदा और पिछली राज्य सरकारों के कुप्रबंधन के कारण हुई है। उनकी लापरवाही के कारण ही यह आपदा आई है। राज्य सरकार ने कई मुद्दों की उपेक्षा की है, जिसके कारण अब आठ श्रमिकों का जीवन दांव पर लग गया है।
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कर्नाटक में बदल जाएगा मुख्यमंत्री? डीके शिवकुमार को सीएम बनाने की अटकलें तेज, समर्थन में उतरे विधायक
पीटीआई, उडुप्पी। कर्नाटक में सत्तारुढ़ कांग्रेस में अंदरुनी विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। साल के अंत में होने वाले नेतृत्व परिवर्तन को लेकर लगातार अटकलें लगाई जा रही हैं। इस बीच कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं ने डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने के समर्थन किया है।
विधायक बसवराजू वी शिवगंगा ने रविवार को दावा किया कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार दिसंबर तक राज्य के मुख्यमंत्री बन जाएंगे। शिवगंगा ने जोर देकर कहा कि शिवकुमार इस साल दिसंबर से अगले 7.5 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में काम करेंगे, क्योंकि पार्टी यहां अगला विधानसभा चुनाव भी जीतने जा रही है।
वीरप्पा मोइली ने भी किया समर्थनउन्होंने कहा कि आप लोग इसे लिख लीजिए, यह दिसंबर तक हो जाएगा। अगर आप चाहें तो मैं आपको खून से भी लिखकर दे सकता हूं कि शिवकुमार दिसंबर तक मुख्यमंत्री बन जाएंगे।
वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने कहा कि कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार को राज्य का मुख्यमंत्री बनने से कोई नहीं रोक सकता, क्योंकि यह एक सुलझा हुआ मामला है। पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि शिवकुमार का सीएम पद संभालना केवल समय की बात है, क्योंकि ऐसा होना तय है।
सेप्सिस ले रहा शिशुओं की जान, एंटीबायोटिक दवाएं भी बेअसर; एम्स की स्टडी में चौंकाने वाला खुलासे
राज्य ब्यूरो, जागरण, नई दिल्ली। देश के जिला अस्पतालों में बहु दवा प्रतिरोधी (एमडीआर) जीवाणुओं का संक्रमण शिशुओं में सेप्सिस का बड़ा कारण बन रहा है। एम्स द्वारा किए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि जिला अस्तपालों के एसएनसीयू (स्पेशल नियोनेटल न्यू बार्ड केयर यूनिट) में भर्ती 3.2 प्रतिशत शिशु सेप्सिस संक्रमण से पीड़ित होते हैं। 36.6 प्रतिशत शिशुओं की मौत हो जाती है।
सेप्सिस होने का बड़ा कारण (एमडीआर) जीवाणुओं का संक्रमण है, जिसके इलाज में एंटीबायोटिक दवाएं भी बेअसर पाई गईं। सेप्सिस एक जानलेवा स्थिति है।
जिला अस्पतालों में हुआ अध्ययनयह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय मेडिकल जर्नल द लांसेट ग्लोबल हेल्थ में प्रकाशित हुआ है। अध्ययन में शामिल डॉक्टरों ने जिला अस्पतालों में दवा प्रतिरोधी संक्रमण की रोकथाम के उपाय करने और एंटीबायोटिक दवाओं का सही इस्तेमाल को बढ़ावा दिए जाने की सिफारिश की है।
एम्स के पीडियाट्रिक विभाग के नियोनेटोलॉजी के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. जीवा शंकर ने बताया कि बड़े अस्पतालों में शिशुओं में सेप्सिस संक्रमण को लेकर पहले अध्ययन हुए हैं लेकिन जिला अस्पतालों में इस तरह का अध्ययन नहीं हुआ था।
50 प्रतिशत बच्चों में सेप्सिस के लक्षण- जिला अस्पतालों में शिशुओं में सेप्सिस संक्रमण की दर पता लाने के लिए यह अध्ययन किया गया। इसलिए देश के अलग-अलग हिस्सों के पांच जिला अस्पतालों में भर्ती 6,612 नवजात शिशुओं के ब्लड सैंपल लेकर बड़े अस्पतालों में ब्लड कल्चर जांच कराई गई। इनमें तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश व असम के अस्पताल शामिल थे।
- शिशुओं का औसत वजन ढाई किलोग्राम था। 50 प्रतिशत बच्चों में सेप्सिस के लक्षण पाए गए। लेकिन कल्चर जांच में 3.2 प्रतिशत शिशुओं में यह संक्रमण पाया गया। इससे पीडि़त शिशुओं में मृत्यु दर 36.6 प्रतिशत रही। सेप्सिस के संक्रमण का कारण मुख्य रूप से तीन जीवाणु पाए गए।
- 22.9 प्रतिशत शिशु क्लेबसिएला निमोनिया, 14.8 शिशु ई.कोलाई और 11.7 प्रतिशत शिशुओं को एंटोरोबैक्टर का संक्रमण था। 75 से 88 प्रतिशत एमडीआर जीवाणु से संक्रमित थे। कल्चर जांच में तीन तरह की एंटीबायोटिक दवाओं सेफालोस्पोरिन, कार्बापेनम और अमिनोग्लाइकोसाइड्स के प्रति प्रतिरोधकता पाई गई।
ये दवाएं इलाज में बेअसर पाई गईं। अध्ययन में कहा गया है कि सेप्सिस के संक्रमण से हर वर्ष दुनिया भर में पांच लाख 50 हजार शिशुओं की मौत हो जाती है। इसमें से एक चौथाई मौतें भारत में होती हैं। देश भर के जिला अस्पतालों में मौजूद 979 एसएनसीयू में हर वर्ष दस लाख से अधिक शिशु भर्ती होते हैं।
एसएनसीयू में भर्ती होने वाले करीब 40 प्रतिशत शिशुओं को एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती है। एसएनसीयू की सुविधा से संपन्न ज्यादातर जिला अस्पतालों में ब्लड कल्चर जांच की सुविधा नहीं होती। इस वजह से बिना ब्लड कल्चर जांच के ही सेप्सिस के संदेह व लक्षण के आधार पर एंटीबायोटिक दवाएं शुरू कर दी जाती है। इसलिए जिला अस्पतालों में एंटीबायोटिक के सही इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
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Telangana: ATM में घुसे नकाबपोश, 4 मिनट में उड़ा ले गए 30 लाख; पुलिस की टीमें तलाश में जुटीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना में एटीएम से लूट की ऐसी घटना सामने आई है, जिसके बारे में सुनकर हर कोई हैरान है। यहां एटीएम लूटने के लिए घुसे नकाबपोश बदमाश महज 4 मिनट के अंदर 30 लाख रुपये लेकर फरार हो गए।
पुलिस को शक है कि आरोपियों ने पहले भी किसी एटीएम को निशाना बनाने की कोशिश की है। अब उनकी तलाश की जा रही है। लेकिन पैसे लूटने की स्पीड ने हर किसी को सोचने पर मजबूर कर दिया है।
सिक्योरिटी सिस्टम के तार काटेघटना तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले की है। यहां स्टेट बैंक के एटीएम में तीन नकाबपोश बदमाश घुसे। इसमें से एक ने पहले सीसीटीवी कैमरे पर स्प्रे किया, जिससे घटना कैद न हो पाए। इसके बाद उन्होंने एटीएम के सिक्योरिटी सिस्टम के तार काट दिए।
घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है। इसमें देखा जा सकता है कि देर रात 1:56 बजे बदमाश एटीएम के अंदर दाखिल होते हैं। इसके बाद वह गैस कटर और आयरन रॉड से एटीएम को काटना शुरू करते हैं।
4 मिनट में खाली कर दिया एटीएम- इस दौरान एक व्यक्ति एटीएम के बाहर खड़ा होकर पहरा दे रहा होता है। वीडयो में देखा जा सकता है कि महज 4 मिनट के अंदर वे पूरे एटीएम को काटकर अलग कर देते हैं और उसमें रखे 30 लाख रुपये लेकर फरार हो जाते हैं।
- पुलिस को शक है कि ये गैंग हरियाणा का हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुल 5 लोग वारदात में शामिल हैं। तीन ने मिलकर एटीएम काटा, एक व्यक्ति बाहर पहरा दे रहा था और एक व्यक्ति कार में उनका इंतजार कर रहा था। पुलिस आरोपियों की तलाश में जुटी है।
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'2047 तक नशा मुक्त होगा भारत', गृहमंत्री शाह ने कहा- 'तस्करों को दंडित करने में नहीं छोड़ेंगे कसर'
पीटीआई, नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि मोदी सरकार उन मादक पदार्थ तस्करों को दंडित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है, जो पैसे के लालच में युवाओं को नशे की अंधेरी खाई में धकेल रहे हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार नशा मुक्त भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। सरकार मादक पदार्थों के खतरे से लड़ना जारी रखेगी। एक आधिकारिक विज्ञप्ति में शाह के हवाले से कहा गया है कि रणनीति के साथ की गई गहन व पूर्ण जांच के परिणामस्वरूप देशभर में 12 विभिन्न मामलों में अदालतों ने 29 मादक पदार्थ तस्करों को दोषी ठहराया है।
भारत को नशा मुक्त बनाने का प्रयासबयान में कहा गया कि यह सफलता सरकार द्वारा अपनाए गए सख्त रवैये का प्रमाण है। मोदी सरकार की मादक पदार्थों के खिलाफ बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करने की नीति के तहत नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने यह महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। ये दोषसिद्धियां अदालतों में दायर मामलों में सफल अभियोजन सुनिश्चित करने के लिए एनसीबी के समर्पण का उदाहरण हैं। गृह मंत्रालय ने कहा है कि शाह के मार्गदर्शन में एनसीबी 2047 तक नशा मुक्त भारत के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए अथक प्रयास कर रहा है।
गृहमंत्री अमित शाह ने दो इमारतों का किया स्वागतगृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को गुजरात के मेहसाणा जिले के पिलवई गांव में एक स्कूल ट्रस्ट के विद्या भवन और सांस्कृतिक भवन का उद्घाटन किया और एक धार्मिक समारोह में भी भाग लिया। उन्होंने सुंदरलाल मंगलदास शाह सांस्कृतिक भवन और अनिलचंद्र गोकलदास शाह विद्या भवन का उद्घाटन किया, जिसे सेठ गिरधरलाल चुन्नीलाल हाई स्कूल ट्रस्ट द्वारा पूर्व छात्रों की स्मृति में बनाया गया है।
छात्रों से भी गृहमंत्री ने की बातगृहमंत्री अमित शाह ने इसके बाद विद्या भवन में एक कक्षा, कंप्यूटर लैब आदि का दौरा किया और छात्रों के साथ बातचीत की। इसके बाद ट्रस्ट द्वारा उनका अभिनंदन किया गया। गृह मंत्री ने अपने बेटे एवं अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद के अध्यक्ष जय शाह और अन्य स्वजन के साथ पिलवई स्थित भगवान गोवर्धननाथजी के मंदिर में पूजा-अर्चना भी की। शाह और उनके स्वजन नवनिर्मित मंदिर में भगवान गोवर्धननाथजी की मूर्ति स्थापित किए जाने के अवसर पर आयोजित धार्मिक समारोह में मौजूद थे।
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शशि थरूर की टिप्पणियों के बीच राहुल गांधी ने कहा, 'केरल कांग्रेस के नेता एकजुट हैं'
पीटीआई, नई दिल्ली। तिरुअनंतपुरम से कांग्रेस सांसद शशि थरूर की ओर से हाल के दिनों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिका यात्रा और केरल में औद्योगिक विकास के लिए माकपा सरकार की सराहना के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह की अटकलों को विराम देते हुए संसद में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि पार्टी के केरल के नेता एकजुट हैं।
गौरतलब है कि कुछ कुछ सप्ताह पहले एक अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित थरूर के लेख ने प्रदेश कांग्रेस में हलचल मचा दी थी। इसमें उन्होंने पीएम मोदी की तारीफों के पुल बांध दिए। मोदी की अमेरिका यात्रा पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा था कि ट्रंप-मोदी की मुलाकात में 'बड़ी चिंताओं' पर विमर्श किया गया। इससे थरूर की अपनी ही पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं की नाराजगी बढ़ गई थी।
कांग्रेस में केरल के नेता एकजुट हैं?
बहरहाल, अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने और भावी योजनाओं पर मंथन करने के उद्देश्य से शुक्रवार को पार्टी मुख्यालय 'इंदिरा भवन' में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने केरल के नेताओं से विचार-विमर्श किया था। इसके बाद ही राहुल की यह टिप्पणी आई है कि पार्टी के केरल के नेता एकजुट हैं।
बैठक के बाद केरल के नेताओं द्वारा मीडिया को दी गई बाईट की तस्वीर फेसबुक पर पोस्ट करते हुए राहुल गांधी ने लिखा कि वे एकजुट हैं..बदलाव की प्रतिबद्धता के साथ आगे की उज्ज्वल यात्रा एवं प्रगति के लिए एकजुट हैं। उनकी पोस्ट के साथ हैशटैग 'टीम केरल' भी लिखा था।
तीन घंटे चली बैठक
पार्टी मुख्यालय में करीब तीन घंटे तक चली बैठक में अनुशासन, एकता और राज्य संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, बैठक में राहुल ने कहा कि नेताओं को राजनीतिक रणनीति के बारे में बहुत सावधान रहना चाहिए और ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहिए या कहना चाहिए जो पार्टी लाइन के अनुरूप न हो।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी की केरल इकाई को मजबूत करने के लिए अनुशासन, एकता सुनिश्चित करने और रिक्त पदों को भरने पर जोर दिया। बैठक में खरगे और राहुल गांधी के अलावा एआइसीसी महासचिव केसी वेणुगोपाल, वायनाड सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा, केरल कांग्रेस प्रमुख के. सुधाकरन, केरल विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) के नेता वीडी सतीशन, तिरुवनंतपुरम सांसद शशि थरूर और एआइसीसी की केरल प्रभारी दीपा दासमुंशी समेत कई अन्य लोग मौजूद थे।
കെപിസിസി പ്രസിഡന്റ് കെ.സുധാകരന് എംപിയുടെ പ്രസ്താവന
എഐസിസി അധ്യക്ഷന് ശ്രീ മല്ലികാര്ജുന് ഖര്ഗെയുടെയും, ലോക്സഭാ പ്രതിപക്ഷ നേതാവ് ശ്രീ രാഹുല് ഗാന്ധിയുടെയും നേതൃത്വത്തില് എഐസിസി ആസ്ഥാനത്ത് നടന്ന ചര്ച്ചയില് ഇടതുമുന്നണി സര്ക്കാരിന്റെ ദുര്ഭരണത്തെ താഴെയിറക്കുന്നതിന്…
क्या बोलीं दीपा दासमुंशी?
बैठक के बाद दासमुंशी ने कहा, ''हमें अपने आलाकमान से स्पष्ट संकेत मिला है कि कांग्रेस भावनात्मक और राजनीतिक रूप से केरल के लोगों से बहुत जुड़ी हुई है। लोग बदलाव की तलाश में हैं, इसलिए हमें ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए जिससे केरल के लोगों का अपमान हो। यह स्पष्ट संकेत है और यदि कोई भी व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से कुछ भी कहता है तो हम कड़ी कार्रवाई करेंगे क्योंकि हमें केरल के लोगों का अपमान करने का कोई अधिकार नहीं है।''
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यूक्रेन युद्ध विराम पर दूसरा खाका तैयार, अमेरिका के सामने नया शांति समझौता पेश करेंगे यूरोपीय देश
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शुक्रवार को व्हाईट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के बीच हुई तीखी बहस के बाद जो स्थिति बनी है उसे संभालने में यूरोपीय देशों की तरफ से सक्रियता बढ़ गई है।
अमेरिका ने जहां इस मामले में गेंद पूरी तरह से यूक्रेन के पाले में डाल दी है वहां राष्ट्रपति जेलेंस्की अभी लंदन में हैं। ब्रिटेन के पीएम किएर स्टार्मर के साथ उनकी बेहद गर्मजोशी भरे माहौल में मुलाकात हुई है।
यूरोपीय देशों के नेता पहुंचे लंदनजेलेंस्की से मुलाकात करने और आगे की रणनीति बनाने के लिए यूरोपीय देशों के नेता लंदन पहुंच रहे हैं। अभी इस प्रकरण पर यूरोपीय देशों की अगुवाई ब्रिटेन कर रहा है। पीएम स्टार्मर ने कहा है कि यूक्रेन, ब्रिटेन व फ्रांस नये शांति समझौते का प्रारूप तैयार कर रहे हैं जिसे अमेरिका को दिया जाएगा।
बहरहाल, इस पूरे प्रकरण ने रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत के आधिकारिक रवैये को सही साबित किया है कि इसे वार्तालाप व कूटनीति से ही दूर किया जाना चाहिए। आज वाशिंगटन से लेकर लंदन तक कूटनीतिक सक्रियता बढ़ी हुई है।
रविवार को दोपहर फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रों भी लंदन पहुंच गये हैं। इसके अलावा जर्मनी, डेनमार्क, नीदरलैंड, नार्वे, पोलैंड, स्पेन, कनाडा, फिनलैंड, स्वीडेन, चेक, रोमानिया, तुर्की के विदेश मंत्री, नाटो के महासचिव, यूरोपीय आयोग की प्रेसिडेंट उर्सुला लेयेन भी वहां पहुंच रही है।
यूरोपीय देशों की इस बैठक में क्या होगा?बताया जा रहा है कि यूरोपीय देशों की इस बैठक में रूस और यूक्रेन के बीच होने वाले शांति समझौते के प्रस्ताव को पारित किया जाएगा। इस प्रस्ताव में रूस की तरफ से इस बात की गांरटी मांगी जाएगी कि वह भविष्य में यूक्रेन पर कोई सैन्य हमला नहीं करेगा। रूस की तरफ से हमला होने की स्थिति में यूरोपीय देशों को भी जवाबी कार्रवाई करने का अधिकार होगा। इसके साथ ही यूरोपीय देशों की तरफ से यूक्रेन की सैन्य ताकत को बढ़ाने को लेकर भी नई घोषणा किये जाने की संभावना है। यूरोपीय देशों के नेताओं की तरफ से ऐसे संकेत दिए गए हैं।
ब्रिटेन के पीएम से मिले जेलेंस्कीपीएम स्टार्मर ने राष्ट्रपति जेलेंस्की से शनिवार को मुलाकात से पहले जो बयान दिया था और रविवार को लंदन में यूरोपीय नेताओं से बैठक से पहले जो बयान दिया है वह उनके रूख में आ रही नरमी को भी बताया है।
बीबीसी को दिए गए एक साक्षात्कार में उन्होंने कहा है कि उन्हें राष्ट्रपति ट्रंप पर भरोसा है कि वह रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करना और वहां स्थाई शांति स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने अमेरिका के समर्थन को बहुत जरूरी बताते हुए कहा है कि इसके बगैर यूक्रेन में स्थाई शांति स्थापित नहीं हो सकती।
शांति योजना के बारे में ब्रिटेन कर रहा फ्रांस से बातशांति योजना के बारे में ब्रिटेन अभी फ्रांस के साथ वार्ता कर रहा है, इसे बारे में आगे अमेरिका से बात की जाएगी। इसी तरह से लंदन पहुंचने से पहले यूरोपीय आयोग की राष्ट्रपति उर्सुला लेयेन ने यूक्रेन को पूरा समर्थन देने की बात दोहराते हुए कहा है कि ताकत से ही शांति की राह निकलेगी। कमजोरी से और ज्यादा युद्ध होगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि यूक्रेन में स्थाई शांति के लिए यूरोपीय संघ की तरफ से मदद दी जाती रहेगी।
फ्रांस के राष्ट्रपति भी पहुंचे लंदनलंदन रवाना होने से पहले फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने स्थिर शांति की बात की है लेकिन उन्होंने रूस के आक्रामक व्यवहार में कमी आने को लेकर अपनी आशंका भी जताई है। एक मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा है कि रूस को अगर अभी नहीं रोका गया तो वह यूक्रेन के पश्चिमी हिस्से की तरफ बढ़ेगा और दूसरे पड़ोसी देशों जैसे मालदोवा, रोमानिया या अन्य देशों पर भी हमला कर सकता है।
भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आईउधर, इस पूरे प्रकरण पर भारत की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि इस महीने के मध्य में यूक्रेन-रूस विवाद नई दिल्ली में एक गंभीर चर्चा का केंद्र बनेगा। विदेश मंत्रालय की तरफ से आयोजित होने वाले रायसीना डायलॉग -2025 कार्यक्रम में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के अलावा फ्रांस, ब्रिटेन, जर्मनी व कई यूरोपीय देशों की सरकारों के वरिष्ठ मंत्रियों के हिस्सा लेने की संभावना है।
कूटनीतिक जानकार मान रहे हैं कि वर्ष 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही तटस्थ रहने की भारतीय कूटनीति पूरी तरह से सटीक साबित हो रही है।
रूस से अलग होने का भारत पर दबाव बनाने वाला देश अमेरिका अब रूस के साथ खरा है। भारत ने हमेशा से कहा है कि यूक्रेन और रूस के बीच के तनाव को कूटनीति और वार्ता से ही खत्म किया जा सकता है। अब जबकि शांति स्थापित करने के लिए वाशिंगटन से लेकर लंदन तक कूटनीतिक गतिविधियां चल रहीं हैं।
विश्व के 40 फीसदी छात्रों को अपनी भाषा में नहीं मिल रही शिक्षा, UNESCO की रिपोर्ट में खुलासा
पीटीआई, नई दिल्ली। UNESCO की वैश्विक शिक्षा निगरानी (जीईएम) टीम ने कहा है कि वैश्विक आबादी के 40 प्रतिशत लोगों के पास उस भाषा में शिक्षा हासिल करने की सुविधा नहीं है, जिसे वे बोलते या समझते हैं।
विभिन्न देशों में घरेलू भाषा की भूमिका के बारे में समझ बढ़ने के बावजूद नीतिगत पहल सीमित बनी हुई है। इस मामले में घरेलू भाषाओं का उपयोग करने की शिक्षकों की सीमित क्षमता, घरेलू भाषाओं में पाठ्य सामग्री की अनुपलब्धता और सामुदायिक विरोध जैसी कुछ चुनौतियां शामिल हैं।
रिपोर्ट में सामने आई जानकारीजीईएम अधिकारियों ने कहा कि कुछ निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह आंकड़ा 90 प्रतिशत तक है। 25 करोड़ से अधिक शिक्षार्थी इससे प्रभावित हैं। उन्होंने राष्ट्रों से बहुभाषी शिक्षा नीतियां और तौर-तरीके लागू करने की सिफारिश की, जिसका लक्ष्य सभी शिक्षार्थियों को लाभ पहुंचाने वाली शैक्षिक प्रणाली बनाना हो। यूनेस्को की टीम ने 'लैंग्वेज मैटर : ग्लोबल गाइडेंस ऑन मल्टीलिंग्वल एजुकेशन' नामक एक रिपोर्ट जारी की है।
करोड़ों लोगों को भाषा संबंधी बाधाओं परेशानीइसमें कहा गया है कि प्रवास बढ़ने के साथ-साथ भाषाई विविधता एक वैश्विक वास्तविकता बनती जा रही है। विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि के शिक्षार्थियों वाली कक्षाएं अधिक आम होती जा रही हैं। 3.1 करोड़ से अधिक विस्थापित युवा शिक्षा में भाषा संबंधी बाधाओं का सामना कर रहे हैं।
कब जारी की गई रिपोर्टयह रिपोर्ट 25वें अंतराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर जारी की गई है। इस मौके पर मातृभाषाओं के उपयोग को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए किए गए समर्पित प्रयासों का जश्न मनाया गया। यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है, जब भारत राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को लागू करने की प्रक्रिया में है, जो बहुभाषी शिक्षा की वकालत करती है।
हालांकि, स्कूली शिक्षा में त्रि-भाषा फार्मूले का कुछ राज्यों ने विरोध किया है। जीईएम टीम के एक वरिष्ठ सदस्य ने पीटीआई को बताया कि आज वैश्विक स्तर पर 40 प्रतिशत लोग उस भाषा में शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रहे जिसे वे धाराप्रवाह बोलते और समझते हैं। इससे एक अरब से अधिक विद्यार्थी प्रभावित हैं।
गणित सीखने के स्तर में भी आई गिरावटध्यान देने वाली बात यह है कि इस दशक के दौरान पढ़ने और गणित सीखने दोनों के स्तर में तेजी से गिरावट आई है। इस अवधि में युवाओं के जीवन पर प्रौद्योगिकी का व्यापक प्रभाव पड़ा है। कोरोना महामारी से भी छात्र प्रभावित हुए हैं। इसके साथ ही भाषाई कारणों से वंचित शिक्षार्थियों पर इसका प्रभाव असंगत रहा है।
वोटर लिस्ट से जुड़ेंगे मोबाइल नंबर और ई-मेल, नाम कटने पर तुरंत आएगा मैसेज; जानिए क्या है चुनाव आयोग का प्लान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव हों या विधानसभा के। राजनीतिक दलों की ओर से मतदाता सूची से नाम काटने एवं जोड़ने को लेकर हाल में जिस तरह से आरोपों की बाढ़ आई है उससे निपटने के लिए चुनाव आयोग मुस्तैदी से जुट गया है।
जो अहम कदम उठाने के संकेत मिले हैं, उनमें मतदाता सूची को अनिवार्य रूप से मोबाइल और ईमेल से जोड़ने की तैयारी है। ताकि मतदाता सूची से नाम कटने या जुड़ने पर मतदाताओं को तुरंत ही इसकी जानकारी मुहैया कराई जा सके।
देश भर में इसे लेकर व्यापक अभियान चलाने की तैयारी है। मतदाता सूची में अभी किसी का नाम कटने पर उसे नोटिस भेजकर जानकारी देने की व्यवस्था है, लेकिन अधिकतर मामलों में उस पते पर व्यक्ति के न मिलने से वह नोटिस पहुंचता ही नहीं है। या बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) इस पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति कर चुप बैठ जाता है।
मोबाइल पर मिलेगी वोटर लिस्ट में नाम जुड़ने की जानकारीआयोग से जुड़े उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो मोबाइल और ईमेल के अपडेट होने से मतदाता सूची से नाम कटने से जुड़ी जानकारी न मिलने जैसी सारी समस्या खत्म हो जाएगी। आयोग की ओर से नाम सूची से हटाने या जोड़ने के साथ ही मोबाइल पर तुरंत संदेश पहुंच जाएगा। खास बात यह है कि इनमें जिस वजह से नाम मतदाता सूची से हटाया गया उसकी भी जानकारी मिल जाएगी। ऐसे में यदि मतदाता इससे संतुष्ट नहीं है तो वह तुरंत उच्च स्तर पर उसे चुनौती भी दे सकेगा।
आयोग इस मुद्दे पर चार व पांच मार्च को नई दिल्ली में होने वाली सभी राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) की बैठक में भी चर्चा करेगा। माना जा रहा है कि इस चर्चा में ही इसके अमल का रोडमैप तैयार हो सकता है।
देश में कुल 99 करोड़ मतदातासूत्रों की मानें तो देश के लगभग 99 करोड़ मतदाताओं में से करीब 65 करोड़ मतदाताओं के मोबाइल व ईमेल आयोग के पास पहले से मौजूद हैं। इनमें से ज्यादातर मतदाताओं ने नाम जुड़ने के लिए आवेदन करने के साथ ही इसे दर्ज करा दिया है, जबकि बाकी मतदाताओं की ओर स्वैच्छिक रूप से अपना आधार नंबर दिए जाने से चुनाव आयोग के पास यह ब्योरा मौजूद है।
ऐसे में आयोग का फोकस बाकी बचे करीब 34 करोड़ मतदाताओं को लेकर है, जिनके मोबाइल और ईमेल जुटाए जाने हैं। गौरतलब है कि अभी आयोग को ऐसे मामलों से जूझना होता है जब बूथ पर मतदान के लिए पहुंचने के बाद लोगों को पता चलता है कि उनका नाम मतदाता सूची में नहीं है।
मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने के क्या हैं नियम- मतदाता सूची में नाम जोड़ने और हटाने के नियम काफी सख्त हैं। नाम जोड़ने के लिए फार्म-6 भरना होता है। इसके साथ ही इस बात के प्रमाण प्रस्तुत करने होते हैं कि व्यक्ति उस क्षेत्र में इस पते पर रहता है। साथ ही उसका मतदाता सूची में कहीं दूसरी जगह नाम नहीं है।
- इनमें अधिकतर 18 वर्ष के नए मतदाता होते हैं। जबकि नाम हटाने के लिए फार्म-7 भरना होता है। इसमें नाम हटाने के सही कारण देने होते हैं। यह फार्म किसी भी राजनीतिक दल की ओर से दिया जाता है। जिसकी बीएलओ जांच करता है और यदि संबंधित व्यक्ति उस पते पर नहीं रहता है तो फिर उसके वोटर लिस्ट में जिस जगह से नाम है तो उसे हटा देता है।
- फार्म-8 तब भरना होता है जब आप किसी एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में शिफ्ट हो रहे हैं या फिर अपने नाम, पते, मोबाइल नंबर आदि को अपडेट या सुधार करना चाहते है तो इसे बीएलओ को देकर ठीक करा सकते हैं। जैसे ही जानकारी अपडेट होगी, आपको संदेश मिल जाएगा।
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