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एहतियातन हिरासत को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, नगालैंड सरकार और हाई कोर्ट का आदेश किया खारिज
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एहतियातन हिरासत को सख्त उपाय बताते हुए ड्रग्स मामले में एक जोड़े को दिए गए नगालैंड सरकार के आदेश को खारिज कर दिया।
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जार्ज मसीह ने कहा कि दिमाग लगाए बिना जारी किए गए हिरासत के यह गुप्त आदेश गलत हैं। पीठ ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें अशरफ हुसैन चौधरी और उसकी पत्नी अदालियू चावांग की एनडीपीएस एक्ट, 1988 की धारा 3(1) के तहत हिरासत के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी गई थी।
अदालत ने एहतियाती हिरासत पर कही ये बात
पीठ ने कहा, ''एहतियातन हिरासत एक सख्त उपाय है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति (जिसके खिलाफ ना कोई मुकदमा चला और ना ही उसे दोषी ठहराया गया) को निश्चित अवधि तक हिरासत में बंद करके रखा जा सकता है, ताकि उस व्यक्ति द्वारा प्रत्याशित आपराधिक गतिविधि को रोका जा सके।''
पीठ ने कहा कि भले ही एहतियातन हिरासत को संविधान के अनुच्छेद 22(3)(बी) द्वारा मंजूरी दी गई है, लेकिन अनुच्छेद 22 में इसके लिए पालन किए जाने वाले कड़े मानदंड भी दिए गए हैं। 1988 का अधिनियम ऐसा ही एक कानून है जिसे संसद द्वारा एनडीपीएस सामग्री की अवैध तस्करी को रोकने के लिए एहतियातन हिरासत में रखने के लिए लागू किया गया था।
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केंद्रीय विद्यालय में एडमिशन का मौका, 7 मार्च से होंगे ऑनलाइन आवेदन; सिर्फ 14 दिनों का मौका
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्रीय विद्यालयों में नए शैक्षणिक सत्र 2025-26 में प्रवेश को लेकर विद्यालय संगठन ने अधिसूचना जारी कर दी है। इसके तहत पहली कक्षा और बालवाटिका एक व तीन में प्रवेश के लिए सात मार्च से ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे। आवेदन की अंतिम तारीख 21 मार्च होगी।
इस दौरान कक्षा एक में प्रवेश की उम्र छह वर्ष और बालवाटिका एक में प्रवेश की उम्र तीन से चार वर्ष की होगी। जबकि बालवाटिका दो में चार से पांच वर्ष की और बालवाटिका तीन में प्रवेश की उम्र पांच से छह वर्ष की होगी।
अधिसूचना की गई जारीकेंद्रीय विद्यालय संगठन (केवीएस) ने बुधवार को इसे लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही देश भर के सभी केंद्रीय विद्यालयों को निर्देश दिया है, कि वह प्रवेश को लेकर छह मार्च तक विज्ञापन जारी कर दें। संगठन ने यह इसके साथ ही यह भी साफ किया है कि बालवाटिका में प्रवेश के लिए उन्हीं विद्यालयों के लिए आवेदन लिए जाएंगे, जहां बालवाटिका की कक्षाएं संचालित होती है।
31 मार्च 2025 से होगी उम्र की गणनासभी कक्षाओं में प्रवेश के लिए निर्धारित उम्र की गणना 31 मार्च 2025 के अनुसार की जाएगी। संगठन ने इस दौरान साफ किया है कि बालवाटिका दो व तीन के साथ दूसरी कक्षा व उससे ऊपर की कक्षाओं में प्रवेश सीटों के खाली होने पर ही लिए जाएंगे।
बालवाटिका दो और कक्षा दो व उससे ऊपर की कक्षाओं में पंजीयन की प्रक्रिया दो अप्रैल 2025 से 11 अप्रैल 2025 के बीच ऑफलाइन तरीके से होगी। इनमें कक्षाओं में सीटों के खाली होने की जानकारी ऑनलाइन मुहैया कराई जाएगी।
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राज्यों में नए जमीनी चेहरों को कमान सौंपने का दांव खेल रही कांग्रेस, 12 मार्च को हाईकमान की बड़ी बैठक
संजय मिश्र, जागरण नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में उम्मीदों की नई राह पर लौटी कांग्रेस इसके बाद बीते सात महीने के दौरान हुए तीन राज्यों के विधानसभा चुनावों में लगे तगड़े झटके से उबरने के लिए संगठन के ढांचे को दुरूस्त करने की कोशिश करती दिख रही है।
अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में पिछले महीने हुउ फेरबदल से लेकर हाल के दौरान राज्यों के संगठन में हुए बदलाव इसका साफ संकेत दे रहे हैं जहां नामचीन नेताओं की जगह पार्टी ने जमीनी नए चेहरों को संगठन की बागडोर सौंपी है।
राज्यों के संगठन को पुनर्जीवित करने की कवायददरअसल राज्यों में संगठन को पुनर्जीवित किए जाने को ही पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत विकल्प के रूप में उभरने का आधार मान रही है। ओडिसा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में बडे़ नाम की जगह जमीनी नेताओं को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया जाना इसका संकेत है।
नए चेहरों को आगे लाने का प्रयोग कर रहा कांग्रेस हाईकमान- लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली सियासी संजीवनी को हरियाणा, महाराष्ट्र तथा दिल्ली के चुनावी पराजयों ने मुरझा दिया है। इसीलिए राज्यों के संगठन की कमान चुस्त-दुरूस्त करने की बेचैनी दिखाई दे रही है और कांग्रेस हाईकमान नए चेहरों को आगे लाने का प्रयोग करता दिख रहा है।
- महाराष्ट्र और ओडिसा के हाल में नियुक्त हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों की राजनीतिक पृष्ठभूमि इसी ओर इशारा कर रही है। महाराष्ट्र कांग्रेस के नए अध्यक्ष हर्षवर्द्धन सकपाल सूबे की राजनीति के नामी चेहरे नहीं मगर जमीनी स्तर जुझारू संघर्ष के लिए जाने जाते हैं।
ओडिशा कांग्रेस के अध्यक्ष बनाए गए पूर्व सांसद भक्त चरण दास के पास राजनीतिक अनुभव है और वे गुटीय सियासत में उलझने की बजाय हाईकमान की रीति-नीति के प्रति प्रतिबद्ध हैं। बीजद के सत्ता से बाहर होने और नवीन पटनायक की उम्र संबंधी चुनौतियों को देखते हुए कांग्रेस ओडिसा में भविष्य में अपनी संभावनाएं देखने लगी है और इसके मद्देनजर भक्त चरण दास पर दांव लगाया गया है।
तेलंगाना में जमीनी पकड़ वाले नेता को बनाया अध्यक्षतेलंगाना में कांग्रेस सत्ता में है और राजनीतिक अस्तित्व का संकट नहीं है मगर सूबे में जाति जनगणना कराए जाने के बाद ओबीसी की राजनीति जिस तरह गरम होने लगी है उसको देखते हुए ही पार्टी ने जमीनी पकड़ रखने वाले ओबीसी नेता महेश कुमार गौड़ को कुछ समय पहले प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया है।
बंगाल: अधीर की तरह हाईप्रोफाइल नेता नहीं हैं शुभंकर- लोकसभा चुनाव में बंगाल में हुई दुर्दशा के बाद अधीर रंजन चौधरी की जगह शुभंकर सरकार को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई है। वे अधीर की तरह हाईप्रोफाइल नहीं हैं मगर प्रदेश कार्यकर्ताओं के बीच उनकी मध्यमार्गी नेता के रूप में पहचान जरूर है।
- पिछले विधानसभा तथा लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त को देखते हुए कांग्रेस संगठन को दुरूस्त करने के साथ-साथ ममता बनर्जी संग भविष्य में सहयोग की संभावनाओं का द्वार खोले रखना चाहती है। इस लिहाज से आक्रामक अधीर की जगह मध्यमार्गी सरकार पार्टी के लिए मुफीद हैं।
- बिहार में साल के अंत में होने वाले चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बदले जाने को लेकर ऊहापोह की स्थिति है। राजद से गठबंधन में कांग्रेस अब पिछलग्गू की भूमिका में नहीं रहना चाहती। बिहार के नए कांग्रेस प्रभारी कृष्णा अलवारू की सक्रियता इसका संकेत दे रही है।वर्तमान बिहार प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह की पुरानी राजद पृष्ठभूमि के कारण पार्टी का एक बड़ा वर्ग लालू हितैषी मानता है।
- वैसे 12 मार्च को हाईकमान ने बिहार के नेताओं की बैठक बुलाई है उसके बाद ही बिहार में नेतृत्व की दुविधा की तस्वीर खत्म होगी। किशोर कुमार झा जैसे बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के कम से कम 100 सीटों पर लड़ने की पैरोकारी करते हुए साफ कहते हैं कि जब तक बराबरी की हिस्सेदारी नहीं होगी सूबे में पार्टी बड़ी ताकतवर राजनीतिक भूमिका हासिल नहीं कर पाएगी।
वैसे झारखंड तथा दिल्ली में जमीनी नेताओं को संगठन की बागडोर सौंपे जाने का कुछ हद तक पार्टी को सकारात्मक संकेत भी मिला है। झारखंड में अध्यक्ष बदल कर पार्टी ने विधानसभा में अपनी सीटों की संख्या कायम रखी तो दिल्ली में चाहे तीसरी बार खाता नहीं खुला हो मगर कांग्रेस का वोट प्रतिशत बढ़ा जो आम आदमी पार्टी की हार का एक बड़ा फैक्टर बना। आप की हार के बाद कांग्रेस दिल्ली की भविष्य की सियासत में अपनी संभावनाएं देखने लगी है।
RRB Exam: पेपर लीक के बाद मंत्रालय का बड़ा फैसला, आरआरबी करेगा रेलवे की सभी प्रमोशन परीक्षाओं का आयोजन
पीटीआई, नई दिल्ली। रेल मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम के तहत रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) को सभी विभागीय पदोन्नति परीक्षाएं एक केंद्रीकृत कंप्यूटर आधारित परीक्षा के माध्यम से आयोजित करने के लिए कहा है।
1.17 करोड़ रुपये नकद जब्तयह निर्णय ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले ही सीबीआइ ने उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में पूर्व मध्य रेलवे के 26 रेलवे अधिकारियों को विभागीय परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया था और छापेमारी के दौरान 1.17 करोड़ रुपये नकद जब्त किए थे।
रेलवे बोर्ड ने बुधवार को एक उच्च स्तरीय बैठक कीमंत्रालय के निर्णय से पहले विभागीय पदोन्नति परीक्षाएं रेलवे मंडलों और जोन द्वारा आंतरिक रूप से आयोजित की जाती थीं और हाल में इन परीक्षाओं में भ्रष्टाचार और अनुचित साधनों के प्रयोग के कई आरोप सामने आए थे।
रेल मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया कि रेलवे बोर्ड ने बुधवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी विभागीय पदोन्नति परीक्षाएं आरआरबी और केंद्रीकृत परीक्षा सीबीटी के माध्यम से होंगी। इसमें कहा गया है कि सभी क्षेत्रीय रेलवे परीक्षा के लिए एक कैलेंडर बनाया जायेगा।
सभी परीक्षाएं कैलेंडर के आधार पर ही आयोजित की जाएंगीसभी परीक्षाएं कैलेंडर के आधार पर ही आयोजित की जाएंगी। मंत्रालय ने कहा कि हाल के वर्षों में आयोजित पारदर्शी और निष्पक्ष परीक्षाओं के अपने लंबे अनुभव को ध्यान में रखते हुए आरआरबी को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसने कहा कि परीक्षा केंद्रों में अभ्यर्थियों की जांच और तलाशी मेटल डिटेक्टर से की जाती है।
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रेलवे की कंपनी IRFC जल्द बनेगी महारत्न, कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन लगातार अच्छा हो रहा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नवरत्न बनने के बाद रेलवे की पीएसयू कंपनी (इंडियन रेलवे फाइनेंस कॉर्पोरेशन) महारत्न बनने की दौड़ में शामिल हो गई है। दो दिन पहले ही इसे मिनीरत्न से प्रोन्नत कर नवरत्न का दर्जा दिया गया है।
आईआरएफसी का शुद्ध लाभ 6,400 करोड़ रुपयेपिछले वित्त वर्ष तक आईआरएफसी का कुल राजस्व 26,600 करोड़ रुपये है जबकि शुद्ध लाभ 6,400 करोड़ रुपये से ज्यादा है। यह देश की तीसरी बड़ी सरकारी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) बन गई है।
आईआरएफसी के सीएमडी मनोज कुमार दुबे ने बुधवार को बताया कि 2018 में इस कंपनी को मिनी रत्न का दर्जा मिला था। सात वर्ष में नवरत्न बन गई। अब महारत्न का दर्जा हासिल करने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि कंपनी के नए स्वरूप में आने के बाद रेलवे से जुड़ी परियोजनाओं के सामने अब वित्तीय संकट नहीं आएगा, क्योंकि कंपनी को पहले की तुलना में वित्तीय एवं संचालन की स्वतंत्रता मिलेगी, जिससे कारोबार का विस्तार होगा।
अभी देश में 14 कंपनियों को महारत्न का दर्जाअभी देश में 26 कंपनियों को नवरत्न और 14 कंपनियों को महारत्न का दर्जा है। महारत्न का दर्जा उन्हें मिलता है, जो पहले से नवरत्न और वित्तीय रूप से सशक्त होती हैं। तीन वर्ष तक पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा शुद्ध लाभ और कम से कम 25 हजार करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर होना चाहिए। साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में सूचीबद्ध भी होनी चाहिए। आईआरएफसी इनमें कई शर्तें पूरी करती है। कंपनी का वित्तीय प्रदर्शन लगातार अच्छा हो रहा है।
प्रीमियम ट्रेनों की स्वामित्व इसी कंपनी के पासदुबे ने बताया कि 80 प्रतिशत यात्री ट्रेनें एवं मालगाडि़यों का वित्तपोषण इसी कंपनी की ओर से किया जाता है। नवरत्न दर्जा मिलने से कंपनी के वित्तीय अधिकारों में वृद्धि हुई है। प्रीमियम ट्रेनों वंदे भारत और शताब्दी का स्वामित्व इसी कंपनी के पास है। इंजन, वैगन और कोच का भी स्वामित्व है, जिन्हें 30 वर्षों की लीज पर रेलवे को दिया गया है। रेलवे को विभिन्न योजनाओं में यह कंपनी वित्तीय मदद करती है। इसमें और तेजी आएगी।
रेलवे की फंडिंग व्यवस्था में किया जा रहा विस्तारकंपनी के गिर रहे शेयरों के बारे में पूछे जाने पर मनोज दुबे ने कहा कि धैर्य रखने की जरूरत है। कंपनी का मुनाफा लगातार बढ़ रहा है। अभी इसके लगभग 55 लाख शेयर होल्डर हैं। कंपनी को जनवरी 2021 में 26 रुपये के आईपीओ मूल्य पर स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध किया गया था, जो अब बढ़कर लगभग 120 रुपये हो गया है।
रेलवे को प्रत्येक वर्ष चार लाख करोड़ रुपये की जरूरतरेलवे की फंडिंग व्यवस्था में विस्तार किया जा रहा है। रेलवे को प्रत्येक वर्ष चार लाख करोड़ रुपये की जरूरत होती है, जिसमें रेलवे का अपना बजट 2.5 लाख करोड़ का होता है। शेष के लिए आईआरएफसी पर निर्भरता है।
Ranya Rao Arrest: पूरे शरीर पर चिपका रखे थे सोने के बिस्किट, सिक्योरिटी को ऐसे देती थी चकमा
जेएनएन, नई दिल्ली। सोना तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कन्नड़ अभिनेत्री रान्या राव बेल्ट और कपड़ों में छिपाकर सोने की तस्करी करती थी। इसके लिए उसने खास जैकेट बना रखा था। मामले की जांच कर रहे अधिकारियों के अनुसार, रान्या संदेह से बचने के लिए अपने डीजीपी पिता के नाम का इस्तेमाल करती थी। वह पिक-अप के लिए पुलिसकर्मियों को बुलाती थी, जो फिर उसे एयरपोर्ट से घर ले जाते थे।
अधिकारियों ने बताया कि जांच की जा रही है कि क्या उससे जुड़ा कोई पुलिसकर्मी सोने की तस्करी में शामिल था। रान्या कर्नाटक के डीजीपी रैंक के अधिकारी रामचंद्र राव की सौतेली बेटी है। रामचंद्र इस समय कर्नाटक राज्य पुलिस आवास और बुनियादी ढांचा विकास निगम लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हैं।
बेंगलुरु अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर रान्या की गिरफ्तारी के बाद की गई छापेमारी में रान्या के बेंगलुरु के फ्लैट से करोड़ों रुपये की नकदी और सोना जब्त किया गया।
14 किलोग्राम सोने के साथ किया गया गिरफ्तार
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआइ) के अधिकारियों ने रान्या को एयरपोर्ट पर 14.8 किलोग्राम सोने की तस्करी करते हुए उस समय गिरफ्तार किया गया था जब वह सोमवार रात दुबई से अमीरात की उड़ान से बेंगलुरु पहुंचीं। उसके पास से जब्त की गई सोने की छड़ों की कीमत 12.56 करोड़ रुपये है। रान्या लगातार दुबई की यात्रा कर रही थी। इस कारण डीआरआई अधिकारी अभिनेत्री की गतिविधियों पर नजर रख रहे थे।
डीआरआई अधिकारियों के अनुसार, 14.2 किलोग्राम सोना हाल के दिनों में बेंगलुरु हवाईअड्डे पर सबसे बड़ी जब्ती में से एक है। रान्या की गिरफ्तारी के बाद अधिकारियों ने बुधवार को बेंगलुरु के लावेल रोड स्थित उसके फ्लैट पर छापे मारे, जहां वह अपने पति के साथ रहती हैं। तलाशी में 2.06 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण और 2.67 करोड़ रुपये की नकदी जब्त की गई। वहां उसने कथित तौर पर किराये के रूप में 4.5 लाख रुपये का भुगतान किया था। मामले में अब तक 17.29 करोड़ रुपये की जब्ती की गई है। इस बीच कर्नाटक के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने कहा, जांच जारी है। डीआरआइ को पूछताछ पूरी करने दीजिए। मैंने अपने विभाग से इस पर गौर करने के लिए कहा है।
पिता ने बेटी से किया खुद को अलग
रामचंद्र राव ने यह कहते हुए खुद को रान्या से दूर कर लिया है कि रान्या की शादी के बाद से वे संपर्क में नहीं है। वह अपने पति के साथ रहती है। उन्होंने कहा, "कानून अपना काम करेगा। मेरा करियर बेदाग रहा है। जब यह बात मीडिया के माध्यम से मेरे संज्ञान में आई तो मैं स्तब्ध रह गया। मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी।"
रामचंद्र राव ने पहली पत्नी की मृत्यु के बाद एक महिला से शादी की थी जिसकी पहली शादी से दो बेटियां हैं। रान्या उनमें से एक है।"
15 दिनों में चार बार की दुबई यात्रा
सूत्रों ने बताया कि पिछले 15 दिनों में रान्या के चार बार दुबई जाने और बेंगलुरु लौटने के बाद डीआरआइ ने अभिनेत्री के बारे में जानकारी जुटाई। वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, खुफिया जानकारी के बाद डीआरआई ने बेंगलुरु के केंपेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर 12.56 करोड़ रुपये मूल्य की सोने की छड़ें ले जा रही 33 साल की भारतीय महिला (रान्या) को रोका। वह तीन मार्च को अमीरात की फ्लाइट से दुबई से बेंगलुरु पहुंची थी। बताया जाता है रान्या के साथ आए दो लोग ब्रीफकेस में तस्करी का सोना ले जा रहे थे। वह सुरक्षा जांच लगभग पूरी कर ली थी और बाहर निकलने ही वाली थे कि डीआरआई टीम ने उसे रोककर तलाशी ली। जांच करने पर 14.2 किलोग्राम वजन की सोने की छड़ें मिलीं जिसे उसने अपने शरीर में छिपा रखा था। गौरतलब है कि डीआरआइ वित्त मंत्रालय के अधीन कार्य करता है।
न्यायिक हिरासत में भेजी गईं रान्या
न्यायिक हिरासत में भेजा गया रान्या को सीमा शुल्क अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया। उसे मंगलवार को विशेष अदालत में पेश किया गया। जज ने उसे 18 मार्च तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया। रान्या ने फिल्म में कन्नड़ सुपरस्टार सुदीप के खिलाफ मुख्य अभिनेत्री के रूप में काम किया है। उन्होंने अन्य दक्षिण भारतीय भाषा की फिल्मों में भी अभिनय किया है।
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तेलंगाना सुरंग हादसा: रेस्क्यू ऑपरेशन में क्या रोबोट की ली जा सकती मदद? एक्सपर्ट टीम संभावना तलाशने में जुटी
पीटीआई, नगरकुरनूल। तेलंगाना के नगरकुरनूल में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) के निर्माणाधीन खंड के ढहने के बाद पिछले 12 दिन से सुरंग में फंसे आठ लोगों के बचाव का अभियान बुधवार को तेज गति से जारी है। बचाव अभियान के तहत वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए स्थानों पर मानव उपस्थिति का पता लगाने के लिए खोदाई की जा रही है।
रोबोटिक्स की टीम पहुंचीवहीं, रोबोटिक्स कंपनी की एक टीम आंशिक रूप से ध्वस्त एसएलबीसी सुरंग के अंदर गई, जहां लोग फंसे हुए हैं। राज्य सरकार बचाव अभियान में रोबोट के इस्तेमाल की संभावना तलाश रही है। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक भी बचाव दलों के साथ भूकंप संबंधी अध्ययन करने के लिए सुरंग के अंदर गए हैं।
रोबोट काम कर सकेंगे या नहीं... टीम जांच कर रहीएक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हैदराबाद स्थित रोबोटिक्स कंपनी की टीम ने जांच की कि क्या रोबोट सुरंग के अंदर गहराई तक जा सकता है और क्या यह वहां काम कर सकता है, क्योंकि वहां आर्द्रता अधिक है। उन्होंने कहा कि टीम बताएगी कि रोबोट काम कर सकते हैं या नहीं। उन्होंने कहा कि दूसरी बात यह है कि जब भविष्य में सुरंग में परियोजना से संबंधित काम फिर से शुरू होगा तो चट्टानों की संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए रोबोट शुरुआती खोज कर सकते हैं।
टीबीएम को काटने की कोशिशअधिकारियों के अनुसार, टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) के अंतिम हिस्सों को गैस कटर का उपयोग करके काटा जाएगा और 'लोको ट्रेन' में सुरंग से बाहर लाया जाएगा। एसएलबीसी परियोजना सुरंग में 22 फरवरी से इंजीनियर और मजदूर समेत आठ लोग फंसे हुए हैं और एनडीआरएफ, भारतीय सेना, नौसेना और अन्य एजेंसियों के विशेषज्ञ उन्हें सुरक्षित बाहर निकालने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं।
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दिल्ली में पल्ला से ओखला के बीच 22 किमी लंबाई में 80 फीसदी यमुना प्रदूषित, क्या है सबसे बड़ा कारण?
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। यमुना नदी को प्रदूषण से मुक्त कराने के लिए फिर से किए जा रहे प्रयासों के बीच संसदीय समिति ने नदी संरक्षण के लिए स्थानीय निकायों की जिम्मेदारी तय करने की जरूरत जताई है।
समिति का यह विचार इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरकारी एजेंसियों ने यह माना है कि इस नदी के प्रदूषण का कारण बन रहे दूषित जल में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी म्युनिसिपल वेस्ट यानी नगरीय अपशिष्ट की है। यह समस्या इसलिए ज्यादा गंभीर हो जाती है, क्योंकि इसके निदान के लिए किसी एक विभाग अथवा अफसर की जिम्मेदारी तय नहीं है।
यमुना में प्रदूषण के कारणों की निगरानी की जिम्मेदारी तय हो- इसी आधार पर यह सुझाव भी दिया गया है कि यमुना के प्रदूषण के लिए जिम्मेदार कारणों के निदान के लिए समयबद्ध कार्यक्रम बनाया जाए और उसकी निगरानी के लिए किसी की जिम्मेदारी तय की जाए। जल संसाधन और नदियों के पुनर्जीवन के मामले में संसद की स्थायी समिति ने जब यमुना के हालात पर चर्चा की तो नगरीय निकायों की भूमिका का मुद्दा प्रमुखता से उठा।
- इन राज्यों के बोर्डों ने रखे अपने पक्ष
- उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों ने अपने-अपने पक्ष रखे, यमुना में गिरने वाले नालों की संख्या और उनके लिए लगे एसटीपी की संख्या गिनाई तभी यह सामने आया कि सारे नालों से गिरने वाले दूषित जल का तो विवरण ही नहीं है।
उदाहरण के लिए उत्तर प्रदेश के हिस्से में कुल 137 ड्रेन हैं, लेकिन केवल 35 का हिसाब-किताब है। इनमें से 17 में पूरी तरह घरेलू सीवेज बहता है। हिमाचल प्रदेश के अधिकारियों के अनुसार, वैसे तो कोई नगरीय दूषित जल सीधे यमुना में नहीं जाता, लेकिन नगरीय सीमा में चार नाले ऐसे हैं जिनका पानी यमुना में जाता है।
दिल्ली में 9 ड्रेन वाटर ट्रीटमेंट के दायरे मेंसंबंधित निकाय समिति और जलशक्ति विभाग ने सुधार के लिए कोई कदम नहीं उठाए हैं। यही स्थिति हरियाणा की भी है, जिसकी दो ड्रेन बड़ी मात्रा में अपना दूषित जल यमुना में उड़ेल रही हैं। जहां तक दिल्ली की बात है तो यमुना को दूषित कर रहीं कुल 22 ड्रेन में से केवल नौ को पूरी तरह ट्रीटमेंट के दायरे में लिया जा सका है, दो को आंशिक तौर पर और बाकी बिना रोक-टोक के हैं।
पल्ला से ओखलीा के बीच यमुना सबसे ज्यादा प्रदूषितसारे आंकड़ों और तस्वीर को देखने के बाद समिति ने कहा कि दिल्ली में हालात खास तौर पर चिंताजनक हैं। पल्ला और ओखला के बीच का 22 किलोमीटर का हिस्सा पूरी यमुना का केवल दो प्रतिशत हिस्सा है, लेकिन नदी का 75-80 प्रतिशत प्रदूषण यहीं पर है।
प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करनी होगी। अधिकारों और भूमिका की ओवरलै¨पग हो रही है। दो हजार से ज्यादा अवैध बस्तियां समस्या को कई गुना बढ़ा रही हैं और हैरानी की बात है कि लोग सीवेज सिस्टम से जुड़ने के लिए उत्साहित नजर नहीं आते।
750 कॉलोनियों में सीवर लाइन बिछींइन दो हजार अवैध कालोनियों में 750 में से ही सीवर लाइन बिछाई जा सकी है। कहीं डीडीए की अड़चन है, कहीं राजस्व विभाग की तो कहीं वन विभाग की मंजूरी का इंतजार करना पड़ रहा है। बुनियादी जिम्मेदारी दिल्ली जल बोर्ड की है, लेकिन उसके पास प्रवर्तन की शक्तियां नहीं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने IAS अधिकारियों पर IPS और IFS पर दबदबा दिखाने को लेकर की कड़ी टिप्पणी, केंद्र ने क्या कहा?
एएनआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि IAS अधिकारी अक्सर IPS और IFS अधिकारियों पर अपना दबदबा दिखाने की कोशिश करते हैं।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने यह टिप्पणी उत्तराखंड सरकार की ओर से प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) निधि के कथित दुरुपयोग पर सुनवाई के दौरान की। पीठ कैंपा निधि का उद्देश्य वनरोपण एवं वन संसाधनों के संरक्षण को बढ़ावा देना है।
कैग रिपोर्ट में अनियमितताएं आईं सामने
कैग रिपोर्ट में पता चला है कि उत्तराखंड सरकार में 2019-2022 के दौरान कैंपा निधि में कई अनियमितताएं दिखीं, जिसमें आइफोन, लैपटाप, फ्रिज, कूलर की खरीद और कार्यालय की मरम्मत के अलावा कथित रूप से अदालती मामलों से लड़ने और निजी खर्चों के लिए भी कैंपा निधि का इस्तेमाल किया गया।
पीठ ने कहा कि सरकारी वकीलों और न्यायाधीशों के रूप में अपने अनुभव से पता है कि आईएएस अफसर, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों पर अपनी श्रेष्ठता दिखाते हैं। और यह प्रवृत्ति सभी राज्यों में हमेशा से एक मुद्दा बना रहा है, जिससे आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों में नाराजगी है।
IAS अपने दबदबा IPS, IFS पर दिखाते हैं: जस्टिस बीआर गवई
जस्टिस गवई ने कहा, ''तीन साल तक सरकारी वकील और 22 वर्षों तक न्यायाधीश के रूप में मैं अपने तजुर्बे के आधार पर आपको बता सकता हूं कि आईएएस अफसर, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों पर अपना दबदबा दिखाना चाहते हैं। सभी राज्यों में हमेशा संघर्ष होता है। आइपीएस और आईएफएस में हमेशा यह नाराजगी बनी रहती है कि एक ही कैडर का हिस्सा होने के बावजूद, आइएएस क्यों खुद को वरिष्ठ मानते हैं।''
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने क्या कहा?
इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को आश्वासन दिया कि वह प्रयास करेंगे कि अधिकारियों के बीच इस तरह के आंतरिक संघर्ष सुलझ जाएं। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आईफोन और लैपटाप खरीदने जैसी अस्वीकार्य गतिविधियों के लिए कैंपा फंड का इस्तेमाल करने पर चिंता जताते हुए संबंधित राज्य के मुख्य सचिव को हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।
पीठ ने कहा कि कैंपा निधि का इस्तेमाल हरित क्षेत्र को बढ़ाने के लिए किया जाना है। अस्वीकार्य गतिविधियों में इसका उपयोग और ब्याज ना जमा किया जाना गंभीर चिंता का विषय है। पीठ पर्यावरण संरक्षण और वनों के संरक्षण पर 1995 की जनहित याचिका, टीएन गोदावर्मन थिरुमुलपाद बनाम भारत संघ पर सुनवाई कर रही थी।
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सीएम MK स्टालिन ने केंद्र से सरकारी दफ्तरों से हिंदी हटाने की मांग की, तमिल को आधिकारिक भाषा बनाने की अपील
एएनआई, चेन्नई। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार के कार्यालयों से राजभाषा हिंदी को हटाने की बेतुकी मांग रख दी है। उनका कहना है कि भाजपा के फैसलों के चलते ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा कि हिंदी को थोपने के बजाय तमिल को 'आधिकारिक' भाषा बनाया जाए। उन्होंने आरोप लगाया कि सेंगोल की तरह सांकेतिक तरीके अपनाने के बजाय तमिलनाडु के विकास को वरीयता दी जाए।
सीएम स्टालिन ने बुधवार को एक्स पर पोस्ट में केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि वह तमिल संस्कृति का समर्थन करने का केवल दावा करते हैं। अगर भाजपा यह दावा करती है कि माननीय पीएम को तमिल से सच में प्रेम है। अगर ऐसा है तो वह उनके कामकाज में क्यों नहीं झलकता है।
"पीएम मोदी को तमिल के समर्थन में कदम उठाने चाहिए। वह ठोस कदम उठाते हुए केंद्र सरकार के कार्यालयों से हिंदी को बेदखल करें और उसकी जगह तमिल को 'आधिकारिक' भाषा बनाएं। हिंदी के साथ वह तमिल को आधिकारिक भाषा बनाएं और संस्कृत जैसी मृत भाषा के बजाय तमिल पर अतिरिक्त धन व्यय करें। तमिलनाडु में संस्कृत और हिंदी को बढ़ावा देने के बजाय तमिल पर खर्च करें।" सीएम एम के स्टालिन
52.83 करोड़ लोग बोलते हैं हिंदी
उल्लेखनीय है कि 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भारत में 121 भाषाएं और 270 मातृ भाषाएं हैं। भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची के अनुसार इन 121 भाषाओं में से हिंदी, बांग्ला, मराठी, तमिल सहित केवल 22 भारतीय भाषाओं को ही देश की आधिकारिक भाषा का दर्जा हासिल है। हिंदी देश की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भारतीय भाषा है जिसे 52.83 करोड़ लोग बोलते हैं। दूसरे शब्दों में कुल आबादी के 43.63 प्रतिशत लोग हिंदी बोलते हैं। दूसरी व तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषाओं में क्रमश: बांग्ला और मराठी हैं।
हिंदी पर स्टालिन कर रहे पाखंड: अन्नामलाई
तमिलनाडु में भाजपा अध्यक्ष के.अन्नामलाई ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन पर पलटवार करते हुए कहा कि वह हिंदी के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर बार-बार प्रहार करके पाखंड कर रहे हैं। हमारी तमिल भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए आपने अब तक क्या किया है यह बताने के बजाय आप बहानेबाजी करके दूसरे विषयों की ओर भाग रही हैं।
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बोफोर्स मामले में नया मोड़, CBI ने अमेरिका को लिखी चिट्ठी; हर्शमैन को लेकर मांगी जानकारी
पीटीआई, नई दिल्ली। बोफोर्स रिश्वत कांड की जांच में खुलासा हो सकता है। सीबीआई ने निजी जांचकर्ता माइकल हर्शमैन को खोजने और पूछताछ करने के लिए अमेरिका को एक न्यायिक अनुरोध भेजा है। निजी जासूस माइकल हर्शमैन ने 1980 के दशक के 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स रिश्वत घोटाले के बारे में महत्वपूर्ण डिटेल्स भारतीय एजेंसियों के साथ साझा करने की इच्छा व्यक्त की थी।
अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। फेयरफैक्स समूह के प्रमुख हर्शमैन 2017 में निजी जासूसों के एक सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत आए थे। अपने प्रवास के दौरान, वे विभिन्न मंचों पर दिखाई दिए, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने घोटाले की जांच को पटरी से उतार दिया था और कहा कि वे सीबीआई के साथ डिटेल साझा करने के लिए तैयार हैं।
हर्शमैन ने किया था बड़ा दावाहर्शमैन ने एक इंटरव्यू में दावा किया था कि उन्हें 1986 में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा विदेशों में भारतीयों द्वारा मुद्रा नियंत्रण कानूनों के उल्लंघन और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच और भारत के बाहर ऐसी संपत्तियों का पता लगाने के लिए नियुक्त किया गया था और उनमें से कुछ बोफोर्स सौदे से संबंधित थे।
- सीबीआई ने हर्शमैन की नियुक्ति से संबंधित दस्तावेज और यदि उनके द्वारा कोई रिपोर्ट प्रस्तुत की गई थी,
- उससे संबंधित दस्तावेज मांगने के लिए वित्त मंत्रालय से भी संपर्क किया, लेकिन उस समय के रिकॉर्ड एजेंसी को उपलब्ध नहीं कराए जा सके।
- एजेंसी ने कई इंटरव्यू में हर्शमैन के दावों पर ध्यान दिया और 2017 में एलान किया कि मामले की उचित प्रक्रिया के अनुसार जांच की जाएगी।
लेटर रोटेटरी की आवश्यकता इसलिए पड़ी क्योंकि 8 नवंबर, 2023, 21 दिसंबर, 2023, 13 मई, 2024 और 14 अगस्त, 2024 को अमेरिकी अधिकारियों को भेजे गए पत्रों और अनुस्मारकों से कोई जानकारी नहीं मिली। लेटर रोटेटरी एक लिखित अनुरोध है जो एक देश की अदालत द्वारा किसी आपराधिक मामले की जांच या अभियोजन में सहायता प्राप्त करने के लिए दूसरे देश की अदालत को भेजा जाता है।
सीबीआई ने 1990 में दर्ज किया था मामलासीबीआई ने 1990 में मामला दर्ज किया था, तीन साल बाद स्वीडिश रेडियो चैनल ने आरोप लगाया था कि बोफोर्स ने सौदे को हासिल करने के लिए भारत के राजनेताओं और रक्षा अधिकारियों को रिश्वत दी थी। इन आरोपों ने राजीव गांधी सरकार के लिए एक बड़ा घोटाला खड़ा कर दिया और प्रतिद्वंद्वी दलों ने कांग्रेस को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल किया।
यह घोटाला स्वीडिश फर्म बोफोर्स के साथ 400 155 मिमी फील्ड हॉवित्जर की आपूर्ति के लिए 1,437 करोड़ रुपये के सौदे में 64 करोड़ रुपये की रिश्वत के आरोपों से संबंधित है, जिसने कारगिल युद्ध के दौरान भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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दिल्ली-NCR में तेज हवाओं ने बढ़ाई ठंड, राजस्थान में भी गिरा पारा; पढ़ें IMD का लेटेस्ट अपडेट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में इस वक्त तेजी से मौसम का मिजाज बदल रहा है। उत्तर भारत के तमाम राज्यों को तेज हवाओं का सामना करना पड़ रहा है, पश्चिमी विक्षोभ के एक्टिव होने से पहाड़ी राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भीषण बर्फबारी और बारिश होने से तापमान में गिरावट दर्ज की गई, जिससे एक बार फिर कड़ाके की सर्दी का एहसास हो रहा है।
वहीं IMD ने मौसम को लेकर लेटेस्ट अपडेट जारी किया है। मैदानी इलाके हरियाणा-पंजाब, दिल्ली-एनसीआर में बादलों की आवाजाही हो सकती है। मैदानी इलाकों में 5 से 8 मार्च 2025 तक मौसम साफ बना रहेगा।
पंजाब, हरियाणा और दिल्ली के मैदानी इलाकों में पहले ही मौसम सुहावना हो गया है। पहाड़ों पर बर्फबारी और बारिश के कारण दिल्ली-एनसीआर समेत मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं चल रही हैं।
यूपी में कैसा रहेगा मौसमबात करें अगर यूपी के मौसम की तो यूपी में ठंड और कोहरा लगभग खत्म हो चुका है। अब दिन में तेज धूप से गर्मी महसूस हो रही है,लेकिन शाम को ठंडी हवाएं मौसम को सुहाना बना रही हैं। आज 20-30 किमी/घंटे की रफ्तार से तेज हवा चलने की संभावना है।
बिहार में बढ़ रही गर्मीबिहार में अब ठंड पूरी तरह खत्म हो चुकी है। कई जिलों में तापमान 30 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। आज वहां बड़े बदलाव की संभवना नहीं है। 8-9 मार्च को कुछ इलाकों में हल्की बारिश हो सकती है, लेकिन गर्मी का असर जारी रहेगा।
इस सप्ताह के दौरान उत्तर भारत में मौसम की स्थिति बदलने की संभावना है। निचले स्तरों पर तेज हवाएं चलेंगी। अगले 3 दिनों तक अधिकतम तापमान में मामूली गिरावट होने की संभावना है। 8 और 9 मार्च के आसपास एक ताजा मौसम प्रणाली के आगमन के साथ, प्रचलित हवा का पैटर्न एक बार फिर बदल जाएगा और निचले स्तर पर अशांत हो जाएगा।
राजस्थान में ठंडी हवाओं का असरराजस्थान में मौसम लगातार बदल रहा है। दिन में धूप का प्रकोप तेज रहता है, लेकिन रात में ठंडी हवाएं चल रही हैं, जिससे तापमान में गिरावट दर्ज की गई है। 6 मार्च तक ठंडी हवाओं का असर रहेगा, लेकिन 7 मार्च के बाद तापमान तेजी से बढ़ सकता है।
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Aravali Green Project: अरावली ग्रीन परियोजना से सुधरेगा इकोसिस्टम, पहले चरण में आठ लाख हेक्टेयर क्षेत्र पर होगा काम
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्र ने अपनी महत्वाकांक्षी अरावली ग्रीन वाल परियोजना के पहले चरण में आठ लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बिगड़े हुए इकोसिस्टम को सुधारने की योजना बनाई है। इस परियोजना के तहत उत्तर पश्चिम भारत में अरावली पर्वत श्रृंखला के चारों ओर हरित बफर क्षेत्र विकसित करना है। यह पहल भारत के जलवायु लक्ष्य को हासिल करने में अहम होगी।
सरकार अनुमानित 16,053 करोड़ रुपये खर्च कर सकती हैअरावली जीर्णोद्धार की कार्ययोजना के अनुसार सरकार पहले चरण में सरकार अनुमानित 16,053 करोड़ रुपये खर्च कर सकती है। इस परियोजना का उद्देश्य भूक्षरण और थार रेगिस्तान के पूर्व की ओर विस्तार को नियंत्रित करना है।
गुजरात से दिल्ली तक 700 किलोमीटर तक फैली अरावली पर्वतमाला मरुस्थलीकरण के विरुद्ध प्राकृतिक अवरोध का काम करती है, जो थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकती है तथा दिल्ली, जयपुर और गुरुग्राम जैसे शहरों की रक्षा करती है।
भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावलीभारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावली, चंबल, साबरमती और लूनी जैसी महत्वपूर्ण नदियों का स्त्रोत है। इसके जंगल, घास के मैदान और आर्द्रभूमि लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की प्रजातियों को आश्रय देते हैं।
हालांकि, वनों की कटाई, खनन और अतिक्रमण के कारण मरुस्थलीकरण की स्थिति भयावह होती जा रही है, भूजल को नुकसान पहुंच रहा है, झीलें सूख रही हैं तथा वन्यजीवों को जीवित रखने की इस क्षेत्र की क्षमता कम हो रही है।
2023 में 'अरावली ग्रीन वॉल' पहल शुरूइन समस्याओं से निपटने के लिए सरकार ने मार्च 2023 में 'अरावली ग्रीन वॉल' पहल शुरू की। इस परियोजना का उद्देश्य गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में 64.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में पांच किलोमीटर चौड़ी पट्टी के रूप में हरित पट्टी बफर जोन स्थापित करना है।
इस बफर जोन के अंतर्गत आने वाली करीब 42 प्रतिशत (27 लाख हेक्टेयर) जमीन क्षरित है। इसके मुताबिक कुल क्षरित भूमि का 81 प्रतिशत राजस्थान में, 15.8 प्रतिशत गुजरात में, 1.7 प्रतिशत हरियाणा में तथा 1.6 प्रतिशत दिल्ली में है। भूमि क्षरण ऐसी प्रक्रिया है जिसमें भूमि की उत्पादक क्षमता कम हो जाती है।
2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को उपजाऊ बनाया जाएगापरियोजना के पहले चरण में 8,16,732 हेक्टेयर दर्ज वन क्षेत्र को बहाल किया जाएगा। इसमें दिल्ली में 3,010 हेक्टेयर, गुजरात में 5,677 हेक्टेयर, हरियाणा में 3,812 हेक्टेयर और राजस्थान में 99,952 हेक्टेयर शामिल हैं। इसके तहत 2.5 से 3 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त अवशोषण क्षमता का विकास होगा तथा 2030 तक 2.6 करोड़ हेक्टेयर बंजर भूमि को पुन: उपजाऊ बनाया जाएगा।
Weather: दिल्ली-एनसीआर में ठंडी हवाओं ने बढ़ाई ठिठुरन, पहाड़ों पर हिमपात और वर्षा जारी; जानें यूपी-बिहार का हाल
जागरण टीम, नई दिल्ली। बीते एक हफ्ते से पहाड़ी राज्यों में हिमपात और वर्षा का दौर जारी है। मंगलवार को इसका असर दिल्ली-एनसीआर में भी दिखाई दिया। हल्के बादल छाने के साथ ही तेज हवाओं का असर दिखा। इस कारण शाम तक तापमान भी काफी गिर गया।
बर्फबारी से जनजीवन प्रभावितवहीं पर्वतीय राज्यों विशेषकर जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में मंगलवार को हुई हिमपात और वर्षा के साथ कहीं कहीं ओलावृष्टि भी हुई। इससे आम जनजीवन भी प्रभावित हुआ। इसी के साथ पहाड़ों पर हिमपात के लिए यूपी में भी ठंडी हवा चल रही है और बिहार में आज आंशिक रूप से कई जिलों में बादल छाए रहेंगे।
पहाड़ों पर हल्का हिमपात, जम्मू-श्रीनगर हाईवे खुलाकश्मीर में ताजा बर्फबारी व बारिश के चलते अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे बने रहने से ठंड का प्रकोप बना रहा। इधर, जम्मू में दिनभर धूप छाई रही। वहीं सोमवार देर शाम को रामबन जिला में पहाड़ से पत्थर व मलबा गिरने से बंद हुआ जम्मू-श्रीनगर हाईवे मंगलवार सुबह दस बजे खोल दिया गया।
मौसम विभाग के अनुसार बुधवार को मौसम के मिजाज शुष्क बने रहेंगे। 10 से 12 मार्च को कश्मीर में फिर हिमपात व बारिश की संभावना जताई है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव के चलते सोमवार तड़के से कश्मीर में गुलमर्ग समेत उच्च पर्वतीय इलाकों में बर्फबारी व श्रीनगर समेत सभी निचले इलाकों में बारिश शुरू हुई थी। यह सिलसिला मंगलवार को दूसरे दिन भी रुक रुककर जारी रहा।
शिमला व कांगड़ा में ओलावृष्टिहिमाचल के मनाली समेत लाहुल स्पीति में छह दिन से हिमपात का क्रम जारी है। मंगलवार को रोहतांग सहित ऊंची चोटियों पर लगभग एक फीट हिमपात हुआ। किन्नौर जिले के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में भी हिमपात हुआ। कांगड़ा और शिमला में ओलावृष्टि हुई है। सप्ताह के भीतर रोहतांग दर्रे सहित बारालाचा, शिंकुला व कुंजम दर्रे में छह फीट से अधिक हिमपात हो चुका है।
नौ मार्च से पश्चिमी विक्षोभ फिर सक्रिय होगासीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने लाहुल के पर्यटन स्थल सिस्सू को मनाली से जोड़ते हुए छह दिन बाद एकतरफा सड़क बहाल कर दी है। मौसम विभाग के अनुसार आठ मार्च तक मौसम साफ रहेगा। नौ मार्च से पश्चिमी विक्षोभ फिर सक्रिय होगा। कांगड़ा जिले के तहत डाडासीबा तहसील की बह पंचायत के वार्ड पांच में मंगलवार दोपहर चार मकानों पर बिजली गिरी। इस दौरान युवती समेत दो घायल हो गए और लाखों रुपये का नुकसान हुआ है।
चारधाम समेत उच्च हिमालय में बर्फबारीउत्तराखंड में मंगलवार को बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री, हेमकुंड साहिब, हर्षिल, पिथौरागढ़ के मुनस्यारी में बर्फबारी हुई। इस कारण उत्तरकाशी में गंगोत्री राजमार्ग सुक्की टाप से आगे बाधित हो गया है। पिथौरागढ़ में बर्फबारी के कारण अवरुद्ध चीन सीमा तक जाने वाला तवाघाट-लिपुलेख राजमार्ग आज चौथे दिन भी नहीं खोला जा सका।
निचले पर्वतीय क्षेत्रों में दोपहर तक वर्षा हुई। वर्षा और बर्फबारी के कारण पर्वतीय क्षेत्रों में ठिठुरन बढ़ गई। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार बुधवार को आसमान साफ रहने और चटख धूप से पारे में वृद्धि होने का अनुमान है।
'वनतारा' में पीएम मोदी ने शावकों को पिलाया दूध, बब्बर शेर संग खिंचाई फोटो; देखें तस्वीरें
पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वन्यजीव संरक्षण, बचाव और पुनर्वास की अनूठी पहल 'वनतारा' को सराहा है। उन्होंने रविवार को गुजरात के जामनगर जिले में पशु बचाव, संरक्षण और पुनर्वास केंद्र 'वनतारा' का उद्घाटन किया और एशियाई शेर के शावकों को दुलारा। उन्होंने शावकों को दूध भी पिलाया।
पीएम ने अनंत अंबानी को बधाई दीपीएम मोदी ने कई लुप्तप्राय जानवरों के साथ वक्त बिताया। उन्होंने 'वनतारा' में किए जा रहे अद्भुत काम के लिए अनंत अंबानी को बधाई दी और विश्व स्तरीय बचाव और पुनर्वास केंद्र स्थापित करने के उनके प्रयासों की प्रशंसा की। पीएम ने वनतारा में विभिन्न सुविधाओं के बारे में जाना। वह 'वनतारा' में वन्यजीव अस्पताल भी गए और पशु चिकित्सा सुविधाओं को देखा जो एमआरआइ, सीटी स्कैन, आइसीयू और अन्य सुविधाओं से लैस हैं।
तीन हजार एकड़ क्षेत्र में फैला वनताराप्रधानमंत्री ने अपने इस दौरे से जुड़ी कई तस्वीरें भी साझा कीं। करीब तीन हजार एकड़ क्षेत्र में फैला वनतारा, रिलायंस इंडस्ट्रीज के जामनगर रिफाइनरी कांप्लेक्स में है। यह दो हजार से अधिक प्रजातियों और 1.5 लाख से अधिक बचाए गए लुप्तप्राय और संकटग्रस्त जानवरों का घर है।
'वनतारा' नामक अनूठी वन्यजीव संरक्षणपीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, 'वनतारा' नामक अनूठी वन्यजीव संरक्षण, बचाव और पुनर्वास पहल का उद्घाटन किया, जो पारिस्थितिकी स्थिरता और वन्यजीव कल्याण को बढ़ावा देती है। मैं इस प्रयास के लिए अनंत अंबानी और उनकी पूरी टीम की सराहना करता हूं। वनतारा जैसा प्रयास वाकई सराहनीय है, यह हमारे सदियों पुराने लोकाचार का जीवंत उदाहरण है कि हम उन जीव-जंतुओं की भी रक्षा करते हैं, जो इस पृथ्वी पर हमारे साथ रहते हैं।
पीएम मोदी ने कहा कि 'वनतारा' में उन्होंने एक हाथी को देखा, जो तेजाब हमले का शिकार हुआ था। उन्होंने कहा, हाथी का इलाज किया जा रहा था। अन्य हाथी भी थे, जिन्हें उनके महावतों ने अंधा कर दिया था। एक अन्य हाथी को तेज रफ्तार ट्रक ने टक्कर मार दी थी।
जानवरों की देखभाल के लिए बधाई देता हूंपीएम ने कहा, लोग इतने लापरवाह और क्रूर कैसे हो सकते हैं? आइए हम इस तरह की गैरजिम्मेदारी को खत्म करें और जानवरों के प्रति दया का भाव रखें। मैं वनतारा की टीम को ऐसे कई जानवरों की देखभाल के लिए बधाई देता हूं।
Supreme Court: अंतिम सांस तक जेल में रहेगा नाबालिग बच्चों का हत्यारा, कोर्ट ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदला
पीटीआई, नई दिल्ली। अपने दो नाबालिग बच्चों की हत्या करने वाले एक पूर्व बैंक मैनेजर की मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने कम करते हुए ''ईश्वर द्वारा प्रदत्त अंतिम सांस तक'' उसे जेल में ही रहने का आदेश दिया।
13 फरवरी को उसकी सजा को बरकरार रखाजस्टिस संजय करोल और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने रमेश ए. नाइका की मौत की सजा के खिलाफ अपील को स्वीकार करते हुए 13 फरवरी को उसकी सजा को बरकरार रखा।
पीठ ने कहा, ''अपीलकर्ता-दोषी की हत्याओं के लिए सजा बरकरार रखी जाती है। लेकिन, अब उसे कोई छूट नहीं दी जाएगी और उसे जेल में ही अपने प्राकृतिक अंत की प्रतीक्षा करनी होगी।''
नाइका का कोई आपराधिक इतिहास नहीं थासुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नाइका जो एक पूर्व बैंक मैनेजर है, उसका कोई आपराधिक इतिहास नहीं था। कोर्ट ने इस अपराध को ''दुर्लभतम'' मानते हुए कहा कि ट्रायल कोर्ट ने सभी परिस्थितियों पर विचार नहीं किया।
पीठ की ओर से फैसला लिखने वाले जस्टिस करोल ने कहा, ''हमें एक पल के लिए भी यह नहीं समझना चाहिए कि अपराध की बर्बरता और दो बच्चों की असहायता पर हमने विचार नहीं किया, या हमने किसी भी तरह से इस तरह के घृणित कृत्य को माफ कर दिया है।''
नाइका ने अपनी साली को एक अलग जाति के व्यक्ति से प्यार करने के कारण और अपनी सास को भी ''बिना किसी गलती के'' मार डाला था। इन मामलों में भी उसे अलग-अलग दोषी ठहराया गया था और सजा सुनाई गई।
ये है मामलाबहरहाल, अभियोजन पक्ष के अनुसार, नाइका और उसकी पत्नी दोनों ही क्रमश: सोलापुर और मैंगलोर में बैंक मैनेजर थे और उनके दो बच्चे थे। एक 10 साल का बेटा और साढ़े तीन साल की बेटी। 16 जून, 2010 को उसने अपनी साली और सास की हत्या कर दी थी और उनके शवों को पैतृक गांव में अपने घर के सेप्टिक टैंक में फेंक दिया था और फिर अगले दिन मैंगलोर आ गया। वह अपने बच्चों को शहर घुमाने के बहाने टैक्सी में ले गया और एक बगीचे में जाकर उन्हें पानी की टंकी में डुबो दिया।
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'झूठी शिकायतों के दबाव में न आएं', पद संभालने के बाद सीईओ सम्मेलन में और क्या बोले CEC ज्ञानेश कुमार
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राजनीतिक दलों की ओर से मतदाता सूची में गड़बड़ी को लेकर लगातार लगाए जा रहे नए-नए आरोपों के बीच चुनाव आयोग ने मंगलवार को सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के चुनावी प्रक्रिया से जुड़े शीर्ष अधिकारियों को निर्देश दिए है, कि वह राजनीतिक दलों के साथ नियमित बैठकें करें।
साथ ही उनके और से उठाए जा रहे मुद्दों को तत्परता से निपटाएं। आयोग ने यह निर्देश ऐसे समय दिए है, जब तृणमूल कांग्रेस की नेता व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मतदाता सूची में गड़बड़ी के मुद्दे को लेकर मुखर है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने मंगलवार को सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ( सीईओ) के दो दिन के सम्मेलन को संबोधित करते हुए ये निर्देश दिए हैं।
बैठक में मौजूद थे सभी राज्यों के डीईओबैठक में सभी राज्यों के जिला निर्वाचन अधिकारी (डीईओ ) और प्रत्येक राज्य से एक-एक मतदाता पंजीयन अधिकारी ( ईआरओ ) भी मौजूद थे। आयोग ने सभी राज्यों के सीईओ से 31 मार्च तक इस मुद्दे पर अमल रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।
पद संभालने के बाद पहली बार सीईओ सम्मलेन में बोले आयुक्तमुख्य चुनाव आयुक्त की जिम्मेदारी संभालने के बाद ज्ञानेश कुमार पहली बार सभी राज्यों के सीईओ सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने राज्यों के सीईओ व डीईओ से कहा है कि मुद्दों को निपटाने में तय नियम प्रक्रियाओं का पालन किया जाए।
झूठी शिकायतों पर दबाव में न आएंआयोग ने इस दौरान बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ) और चुनाव से जुड़े दूसरे अधिकारियों को इस बात के लिए प्रशिक्षित करने के निर्देश दिए है, कि वह झूठी शिकायतों पर बिल्कुल भी दबाव में न आएं। साथ ही मतदाताओं के साथ शालीनता के साथ पेश आएं।
28 अलग अलग हितधारकों की पहचानमुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) के साथ चुनाव आयुक्त डॉ. सुखबीर सिंह संधू व डा विवेक जोशी ने सीईओ के साथ कई विषयों पर बातचीत की। जिससे चुनाव सुधारों से जुड़ी पहले भी शामिल है। इस दौरान चुनाव प्रक्रिया से जुड़े 28 अलग-अलग हितधारकों की पहचान की गई है।
पांच मार्च को दिया जाएगा विषयों का ब्यौराजिनमें सीईओ, डीईओ व ईआरओ के साथ राजनीतिक दल, उम्मीदवार, मतदान एजेंट आदि शामिल हैं। बैठक में अलग-अलग सत्रों में प्रत्येक हितधारकों की क्षमता निर्माण की प्रक्रिया को और मजबूती देने पर विमर्श हुआ है। सम्मेलन के अंतिम दिन पांच मार्च को विमर्श में अंतिम रूप दिए गए विषयों का ब्यौरा दिया जाएगा।
गोगोई की पत्नी मामले में बढ़ रहा विवाद, सीएम हिमंत बोले- भारत में ISI की भूमिका की जांच में इंटरपोल की लेंगे मदद
पीटीआई, गुवाहाटी। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई की ब्रिटिश पत्नी और पाकिस्तानी नागरिक से जुड़े मामले को लेकर विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने पाकिस्तानी नागरिक अली तौकीर शेख के भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण मेंसाथ ही, मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में आइएसआइ की भूमिका की जांच के लिए अगर जरूरत पड़ी तो भारत सरकार इंटरपोल जैसी अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की मदद ले सकती है। इस संबंध में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को भी जानकारी दे दी गई है।
गौरतलब है कि सरमा और भाजपा लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गोगोई पर हमला करते रहे हैं और आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी पत्नी के आइएसआइ और पाकिस्तानी नागरिक अली तौकीर शेख से संबंध हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री ने कहा कि जांच अभी शुरुआती चरण में है।
मामला बहुत संवेदनशीलउन्होंने संवाददाताओं से कहा कि मामला बहुत संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि सरकार आने वाले दिनों में इसे यथासंभव आगे बढ़ाएगी। राज्य पुलिस ने 17 फरवरी को असम और भारत के आंतरिक मामलों पर इंटरनेट मीडिया पर की गई टिप्पणियों के संबंध में पाकिस्तानी नागरिक के खिलाफ मामले की जांच के लिए एक एसआइटी का गठन किया था।
पाकिस्तान योजना आयोग के सलाहकार और गोगोई की ब्रिटिश पत्नी एलिजाबेथ कोलबर्न के पूर्व सहयोगी शेख पर विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि एसआइटी ने पाकिस्तानी नागरिक से संबंधित बहुत सारी प्रारंभिक जानकारी हासिल की है। गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास है।
उन्होंने कहा कि जब वह भारत आए थे, तो उनके साथ पाकिस्तान के कई लोग थे। यहां तक कि पाकिस्तान के अटार्नी जनरल जैसे लोग भी भारत आए और लोगों की नजरों से दूर रहने के लिए छोटे होटलों में रुके। यह पूरा दौरा 2018 तक जारी रहा।
भारत में आइएसआइ या पाकिस्तानी सरकार का प्रभाव?उन्होंने दावा किया कि शेख 18-20 बार भारत आए, असम के बारे में ट्वीट और टिप्पणियां कीं और असमिया लोगों के संपर्क में थे। उन्होंने कहा कि हमें एक असमिया महिला का नाम मिला है, जिसका पति जेएनयू में काम करता है और वे दोनों इस शख्स के संर्पक में थे। जांच किसी एक व्यक्ति पर केंद्रित नहीं है, लेकिन ऐसा देखा गया है कि भारत में आइएसआइ या पाकिस्तानी सरकार का प्रभाव है।
गोगोई ने लगाया आरोपगोगोई ने आरोप लगाया है कि भाजपा उन्हें और उनके परिवार को बदनाम करने की हरसंभव कोशिश कर रही है और उन्होंने कहा कि वह उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे।
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गेमिंग की लत पर कैसे पा सकते हैं कंट्रोल? IIT दिल्ली और एम्स ने मिलकर रिसर्च में निकाला समाधान
मनीष तिवारी, नई दिल्ली। समयसीमा और आत्मनियंत्रण का तरीका आनलाइन गेमिंग की लत का प्रभाव कम करने में एक हद तक सहायक हो सकता है। केंद्र सरकार की पहल पर आईआईटी दिल्ली और एम्स के एक साझा अध्ययन में यह निष्कर्ष व्यक्त किया गया है और इसके साथ ही इस पहलू को और अधिक स्पष्ट रूप से प्रमाणित करने के लिए व्यापक शोध की जरूरत रेखांकित की गई है।
आइआइटी दिल्ली के एआइ विशेषज्ञ तपन के. गांधी और एम्स के बिहेवियरल हेल्फ एक्सपर्ट यतन पाल सिंह बलहारा ने मंगलवार को इस शोध के नतीजों की जानकारी देते हुए कहा कि उन्होंने आल इंडिया गेमिंग फेडरेशन से उनके प्लेटफार्मों से जुड़कर इस विषय पर विस्तृत अध्ययन करने की अनुमति मांगी है, जिससे आनलाइन और रियलटाइम मनी गेमिंग की लत के शिकार लोगों को इससे बचाने के कुछ और रास्ते तलाशे जा सकें।
बच्चों और किशोरों पर ऑनलाइन गेमिंग का ज्यादा असरयतन पाल ने कहा कि पिछले दो-तीन साल में आनलाइन गेमिंग में फंसकर पैसा और समय गंवाने के साथ ही अपनी मानसिक-मनोवैज्ञानिक स्थिति खराब करने वाले लोगों की संख्या बहुत बढ़ी है। इनमें बच्चे और किशोर भी शामिल हैं।
सरकार ने टूल के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए कहाआइआइटी दिल्ली और एम्स के अध्ययन को अपनी तरह की पहली स्टडी बताया जा रहा है। तपन के. गांधी ने कहा कि हम आनलाइन गेमिंग के दूसरे पहलुओं का अध्ययन कर रहे थे, जब हमसे सरकार के अफसरों ने टाइम लिमिट और वालेंटरी सेल्फ एक्स्लूजन (वीएसए) यानी खुद ही कुछ अवधि के लिए खेल से अलग होने के टूल के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए कहा गया।
8300 भारतीय गेमरों पर किया गया अध्ययनआनलाइन गेमिंग वाली कंपनियां अपने प्लेटफार्म में ये टूल उपलब्ध कराती हैं और इसे स्वनियमन मान लिया गया है। तपन गांधी के अनुसार 8300 भारतीय गेमरों पर किए गए इस अध्ययन में उनकी टाइम लिमिट और वीएसई के साथ प्रतिदिन जमा किए जाने वाले धन, खेलों की संख्या, कुल पैसे, जीत और हार का विश्लेषण किया गया।
डाटा के साथ काम करने पर मिलता है सार्थक समाधानयह सामने आया कि दोनों टूल की मदद से गेम खेलने के समय और उनके खर्च में उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई। गेमिंग व्यवहार में सर्वाधिक जोखिम वाले खिलाडि़यों में सबसे अधिक बदलाव देखने को मिला। तपन के. गांधी ने कहा कि यह छोटे साइज का अध्ययन है, लेकिन अगर हमें गेमिंग कंपनियों के डाटा के साथ काम करने को मिलता है तो एक सार्थक समाधान प्रस्तुत किया जा सकता है।
20 फीसदी इंटरनेट यूजर्स को लग चुकी है लतनीति-निर्धारकों को आनलाइन गेमिंग, खासकर जिनमें पैसा भी शामिल है, पर नियंत्रण और नियमन के नए तौर-तरीके तय किए जा सकते हैं। एम्स के यतन पाल सिंह के अनुसार आनलाइन गेमिंग की लत के शिकार लोगों की संख्या के लिए कोई आकलन अभी नहीं है, लेकिन यह तथ्य है कि इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले 20 प्रतिशत लोग इसके लती हो चुके हैं।
आनलाइन गेमिंग पर बनेगा सेंटर आफ एक्सीलेंसएआइ के साथ ही ब्रेन मैपिंग के एक्सपर्ट तपन गांधी ने बताया कि आइआइटी दिल्ली में आनलाइन गेमिंग पर केंद्रित एक सेंटर आफ एक्सीलेंस की स्थापना की तैयारी चल रही है। यह अपनी तरह का पहला सेंटर होगा, जो केवल गेमिंग और उसके प्रभाव-दुष्प्रभाव के अध्ययन पर केंद्रित होगा। इसके लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है।
प्राइवेट बिल्डरों से जुटी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई, अदालतने कहा- रेरा की कार्यप्रणाली निराशाजनक
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के कामकाज की आलोचना करते हुए इसे 'निराशाजनक' करार दिया। प्राइवेट बिल्डरों से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ को वरिष्ठ अधिवक्ता के परमेश्वर ने बताया कि रेरा कानून वास्तव में अपने क्रियान्वयन में विफल रहा है।
विभिन्न हितधारकों को प्रभावित करती है परियोजना विफलउन्होंने रियल एस्टेट क्षेत्र को प्रभावित करने वाले डोमिनो प्रभाव की ओर इशारा किया और कहा कि यदि किसी बिल्डर की एक परियोजना विफल होती है, तो उसकी अन्य परियोजनाएं भी विफल हो जाती हैं और अदालतें विफल परियोजना से संबंधित मामलों पर फैसला नहीं कर सकती हैं। माहिरा होम्स वेलफेयर एसोसिएशन से संबंधित मामले में पेश हुए परमेश्वर ने कहा कि यदि परियोजना विफल होती है, तो यह विभिन्न हितधारकों को प्रभावित करती है।
रियल एस्टेट क्षेत्र में कोर्ट के हस्तक्षेप की मांगउन्होंने रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए नियामक तंत्र को मजबूत करने में कोर्ट के हस्तक्षेप की मांग की। जस्टिस सूर्यकांत ने परमेश्वर की दलीलों से सहमति जताते हुए कहा कि रेरा के तहत विनियामक प्राधिकरण का कामकाज निराशाजनक है, लेकिन उन्होंने कहा कि राज्य नए नियंत्रक उपाय का विरोध कर सकता है। भू-संपदा (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 को संसद द्वारा रियल एस्टेट क्षेत्र को विनियमित करने और आवास परियोजनाओं में निवेश करने वाले घर खरीदारों के पैसे की रक्षा के लिए अधिनियमित किया गया था।
प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों, तीमारदारों का शोषण रोकने पर फैसला लें राज्य : सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट अस्पतालों के दवा दुकानों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों की अधिक कीमतों के संबंध में निर्णय सरकार पर छोड़ दिया। कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराना सरकार का फर्ज है। राज्य मरीजों और उनके तीमारदारों का शोषण रोकने को लेकर उचित नीतिगत निर्णय लें।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर इस पर कोर्ट ने निर्देश दिया तो प्राइवेट अस्पतालों के कामकाज में बाधा हो सकती है और इसका व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की पीठ ने एक जनहित याचिका का निपटारा करते हुए ये टिप्पणियां की।
दवा दुकानों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूरयाचिका में आरोप लगाया गया कि प्राइवेट अस्पताल मरीजों और उनके तीमारदारों को अस्पताल परिसर में स्थित दवा दुकानों या उनसे संबद्ध दवा दुकानों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर करते हैं। इन अस्पतालों में संचालित दवा दुकानों में दवाओं और चिकित्सा उपकरणों के लिए अत्यधिक कीमतें वसूली जाती हैं।