Dainik Jagran - National
IB ऑफिसर आत्महत्या मामले में नया मोड़, सहकर्मी के खाते में ट्रांसफर होती थी सैलरी; पुलिस कर रही तलाश
आईएनएस, तिरुअनंतपुरम। केरल के तिरुअनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर इमिग्रेशन विभाग में काम करने वाली 24-वर्षीय इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) अधिकारी मेघा की आत्महत्या के मामले में पुलिस ने जांच तेज कर दी है।
पुलिस उसके सहकर्मी और मित्र सुकांत सुरेश की शिद्दत से तलाश कर रही है। मेघा का शव 24 मार्च को तिरुअनंतपुरम में रेलवे ट्रैक के पास मिला था। पुलिस ने दोनों के कॉल रिकार्ड खंगालने के बाद पाया कि ट्रेन के सामने कूदकर आत्महत्या करने से कुछ सेकंड पहले मेघा और सुरेश के बीच चार बार कॉल हुई थी।
सहकर्मी को देती थी सैलरीरात को काम करने के बाद मेघा अपने घर लौटने के बजाय अपने कार्यस्थल के पास रेलवे ट्रैक पर आत्महत्या करने चली गई। बाद में मेघा के पिता मधुसूदनन ने बताया कि दोनों एक-दूसरे के काफी करीब थे। मेघा के बैंक रिकॉर्ड से पता चला कि उसकी सारी तनख्वाह सुरेश के खाते में जाती थी और वह कभी-कभार उसके खर्च के लिए पैसे भेजता था।
जिस समय उसने आत्महत्या की, उसके बैंक खाते में मात्र 80 रुपये शेष थे, क्योंकि उसने फरवरी का अपना वेतन सुरेश के खाते में ट्रांसफर कर दिया था। पिता द्वारा पुलिस को सुरेश के बारे में सूचित किए जाने के बाद से पुलिस उसे खोजने की कोशिश कर रही है क्योंकि उसका फोन और उसके परिवार के सदस्यों के भी फोन बंद पाए गए हैं।
मलप्पुरम में उसके घर पहुंची पुलिस टीम को वहां ताला लगा मिलने के बाद उन्हें बैरंग लौटना पड़ा। इस बीच, ऐसी खबरें सामने आई हैं कि सुरेश केरल हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर करने जा रहा है।
यह भी पढ़ें: दिल्ली पुलिस में रिटायर्ड हेड कांस्टेबल ने की आत्महत्या, दोस्तों पर लगाए गंभीर आरोप; जानें पूरा मामला
ईद पर UP और राजस्थान में लहराए फिलिस्तीनी झंडे, नमाजियों ने बांधी काली पट्टी
जागरण टीम, नई दिल्ली: ईद-उल-फितर पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, बिहार व राजस्थान सहित कई राज्यों में नमाजियों ने काली पट्टी बांधकर वक्फ बिल के संशोधन का विरोध किया। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश के मेरठ और सहारनपुर और राजस्थान के बारां में फलस्तीन का झंडा लहराया गया।
मुरादाबाद में पुलिस से नोकझोंक के बाद नमाजियों ने जमकर हंगामा किया। अलबत्ता, ज्यादातर राज्यों में ईद का त्योहार उत्साह के साथ मनाया गया। छिटपुट झड़प के बीच ईद की नमाज शांतिपूर्वक संपन्न हुआ।
सहारनपुर में मुस्लिम समुदाय ने लहराए फलस्तीन का झंडाइस अवसर पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी रही। संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया। उत्तर प्रदेश में ड्रोन और सीसीटीवी से छतों की निगरानी की गई। सहारनपुर में मुस्लिम समुदाय ने जुलूस निकालकर फलस्तीन का झंडा लहराते हुए समर्थन में नारे लगाए।
कई नमाजियों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर वक्फ संशोधन बिल का विरोध जताया। इससे पहले नमाज पढ़ने के लिए ईदगाह जाने के दौरान कई स्थान पर नमाजियों की पुलिस से झड़प हुई।
मेरठ में ईदगाह में नमाज पढ़ने से पहले फलस्तीन में शांति की अपील करते हुए हाथ में बैनर लेकर सांकेतिक प्रदर्शन किया गया। यह पोस्टर मस्जिद के अंदर जाते और आते लोगों को दिखाया जा रहा था।
मुरादाबाद में पुलिस से नोकझोंकमुरादाबाद में अधिकारियों ने ईदगाह का मैदान भरने की बात कहकर नमाजियों को रोका तो उनकी पुलिस से नोकझोंक हो गई। नमाजियों ने मैदान में जगह होने की बात कहते हुए हंगामा करना कर दिया। हालात बिगड़ते नजर आए तो अधिकारियों ने भारी पुलिस बल के साथ मोर्चा संभाला। आनन-फानन में दोबारा से नमाज पढ़ा कराकर किसी तरह माहौल को शांत किया गया। इसे लेकर नमाजियों ने नारेबाजी भी की।
संभल में रही भारी सुरक्षा संभल शाही ईदगाह में 50 हजार से अधिक लोगों ने नमाज पढ़ी। मुस्लिम समाज के कुछ लोगों ने ईदगाह पर नमाजियों पर पुष्पवर्षा भी की। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस-पीएसी, आरएएफ व आरआरएफ की 10 कंपनियां तैनात रहीं। आगरा में नौ बजे ताजमहल में नमाज पढ़ी की गई। इस मौके पर ताजमहल में प्रवेश निश्शुल्क रहा। अलीगढ़ में कुछ नमाजियों ने काली पट्टी बांधकर नमाज पढ़ी। हाथरस में धर्मगुरुओं ने समझाकर काली पट्टियां उतरवा दीं।
अखिलेश का सवाल- यह तानाशाही है या आपातकालसपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को पुलिस पर उन्हें ईद के त्योहार में शामिल होने से रोकने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल किया कि यह तानाशाही है या आपातकाल? ईद उल फितर के मौके पर लखनऊ की ऐशबाग ईदगाह पहुंचे अखिलेश ने नमाजियों को ईद की मुबारकबाद देने के बाद कहा कि उन्होंने कभी इतनी बैरिकेडिंग नहीं देखी।
बोले कि जब मैं ईदगाह आ रहा था तो पुलिस ने मुझे जान-बूझकर रोका। जब उन्होंने पुलिसकर्मियों से पूछा कि ऐसा क्यों किया जा रहा है तो किसी के पास कोई जवाब नहीं था। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने भी ईदगाह पहुंच कर सभी को ईद की मुबारकबाद दी। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक भी ऐशबाग ईदगाह पहुंचे।
ईदगाह मार्ग पर गेरू डालने पर हियुवा ने किया प्रदर्शनबिजनौर जिले के शेरकोट नगर पालिका क्षेत्र में ईदगाह को जाने वाले मार्ग पर पालिका द्वारा चूने के साथ गेरू रंग भी डाला गया। इसकी जानकारी होने पर हिंदू युवा वाहिनी (हियुवा) के कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया। प्रदर्शन कर ईओ का पुतला फूंका। सीओ को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग की है।
यह भी पढ़ें: Kishanganj News: ईद पर किशनगंज में बवाल, नमाज पढ़ने को लेकर आपस में भिड़े बिहार और बंगाल के लोग; चली लाठियां
पत्नी का गला रेता और सूटकेस में बंद कर दी लाश... आरोपी ने अब तक नहीं बताई हत्या की वजह; पुलिस फिर करेगी पूछताछ
आईएएनएस, बेंगलुरु। बेंगलुरु में अपनी पत्नी का गला रेतकर उसकी लाश को सूटकेस में ठूंसने के आरोपी इंजीनियर को पुलिस हिरासत में लेने की तैयारी कर रही है। आरोपी 36 वर्षीय राकेश राजेंद्र खेडकर फिलहाल बेंगलुरु सेंट्रल जेल में बंद है।
कर्नाटक पुलिस ने शनिवार को पुणे के एक अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद उसे हिरासत में ले लिया। शनिवार रात को उसे मजिस्ट्रेट के सामने उसके घर पर पेश किया गया और उसके बाद उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।
हत्या का सटीक मकसद नहीं बतायामामले की जांच कर रही हुलीमावु पुलिस ने अब उसे मंगलवार को पूछताछ के लिए हिरासत में लेने की तैयारी की है। प्रारंभिक जांच से पता चला है कि आरोपी ने गुस्से में आकर यह अपराध किया। हालांकि, उसने अभी तक अपनी 32 वर्षीय पत्नी गौरी राजेंद्र खेडकर की हत्या के पीछे का सटीक मकसद नहीं बताया है।
पुलिस का कहना है कि आरोपी को पछतावा है और वह ज्यादातर चुप रहता है। एक बार जब वे उसे हिरासत में ले लेंगे, तो उन्हें उम्मीद है कि अपराध का सही मकसद और अपराध को कैसे अंजाम दिया गया, इसका पता चल जाएगा।
जांच के अनुसार, 19 मार्च को राकेश ने बेंगलुरु स्थित घर में अपनी पत्नी गौरी का गला रेता और पेट में चाकू घोंप दिया। इसके बाद उसने उसके पैर मोड़कर शव को ट्राली बैग में भर लिया। घर को फिनाइल से साफ करने के बाद उसने बैग को टॉयलेट रूम के पास रख दिया और फरार हो गया।
कौन हैं MA बेबी जो बन सकते हैं माकपा के महासचिव? ये दो नाम भी चर्चा में
आईएएनएस, तिरुवनंतपुरम। मदुरई में दो अप्रैल से शुरू होने वाली 24वीं माकपा पार्टी कांग्रेस में कुछ ही घंटे बचे हैं। पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व पांच दिवसीय सम्मेलन से पहले नए महासचिव पर आम सहमति बनाने का प्रयास कर रहा है। माकपा के पार्टी सम्मेलन को पार्टी कांग्रेस कहा जाता है।
एमए. बेबी को चुना जा सकता है पार्टी का महासचिवबताया जा रहा है कि केरल से केंद्रीय समिति के वरिष्ठतम सदस्य एमए. बेबी को पार्टी का महासचिव चुना जा सकता है। बेबी पोलित ब्यूरो के सदस्य भी हैं। इस पद के लिए महाराष्ट्र के किसान नेता अशोक धवले और बंगाल के वरिष्ठ नेता मोहम्मद सलीम के नाम की भी चर्चा चल रही है। इस बार बेबी पर खास नजर होगी, क्योंकि 1992 में दिग्गज नेता ईएमएस नम्पूतिरिपाद के पद से हटने के बाद से केरल से कोई भी पार्टी महासचिव नहीं बना है।
केरल के सीएम के साथ नहीं रहा अच्छा तालमेलहालांकि बेबी के महासचिव बनने में एक अड़चन यह है कि बेबी का केरल के मुख्यमंत्री विजयन से अच्छा तालमेल नहीं है। यह भी देखना होगा कि पार्टी सेवानिवृत्त पोलित ब्यूरो सदस्यों में से किसी को सेवा विस्तार देगी या नहीं, क्योंकि पार्टी संविधान के अनुसार, 75 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले सभी लोगों को पार्टी के सभी पदों से हटना पड़ता है। छूट और सेवा विस्तार पाने वाले एकमात्र व्यक्ति विजयन हैं।
इन नामों की भी चर्चा तेजविजयन धवले के पक्ष में भी नहीं हैं। हालांकि पासा बेबी के पक्ष में पूरी तरह से झुका हुआ है, लेकिन यह देखना बाकी है कि पार्टी कांग्रेस बेबी के पक्ष में जाएगी या विजयन के आगे झुक जाएगी। जहां तक सलीम की बात है तो वह पहले ही अपने गृह राज्य में ही रहने तथा पार्टी के लिए काम करने की इच्छा जताई है।
बंगाल में माकपा तीन दशक से अधिक समय तक सत्ता में थी, लेकिन ममता बनर्जी तथा भाजपा के मजबूत होने के कारण इस समय लगभग बिखर गई है। विजयन के अलावा, जो लोग पहले ही 75 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं उनमें वर्तमान प्रभारी महासचिव प्रकाश करात और उनकी पत्नी वृंदा करात, माणिक सरकार, सुभाषिनी अली, सूर्यकांत मिश्रा और जी. रामकृष्णन शामिल हैं।
यह भी पढ़ें: BIMSTEC शिखर सम्मेलन में शिरकत करेंगे पीएम मोदी, बैठक में अगले पांच वर्षों का एजेंडा होगा तय
17 किलो सोना चुराया, लेकिन नहीं छोड़ा एक भी सबूत... पुलिस ने इस तरह गिरोह को पकड़ा
आईएएनएस, दावणगेरे। कर्नाटक पुलिस अक्टूबर 2024 में दावणगेरे जिले के न्यामती स्टेट बैंक में चोरी के मामले को उजागर करते हुए छह लोगों को गिरफ्तार किया है और और चोरी हुए सोने को भी बरामद कर लिया है।
पुलिस ने बताया कि तमिलनाडु के मदुरई जिले के एक गांव में कुएं से 17 किलोग्राम से अधिक चोरी किया गया सोना बरामद किया है, जिसकी कीमत 13 करोड़ रुपये है। यह मामला पुलिस के लिए एक चुनौती था, क्योंकि गिरोह ने फिंगरप्रिंट, सीसीटीवी फुटेज, टोल डेटा और फोन डेटा जैसे कोई सुबूत छोड़े बिना इस घटना को अंजाम दिया था।
जांच तकनीक का किया इस्तेमालदावणगेरे के पुलिस अधीक्षक उमा प्रशांत की देखरेख में एएसपी वर्गीस, ग्रामीण के पुलिस उपाधीक्षक बी.एस. बसवराज और न्यामती पुलिस स्टेशन के निरीक्षक रवि एनएस के नेतृत्व में विभिन्न टीमों का गठन किया गया।
इसके बाद आरोपियों का पता लगाने के लिए टीम द्वारा जांच तकनीकों का इस्तेमाल किया गया। हाल ही में टीम को कुछ तकनीकी सुबूत मिले, जिससे पता चला कि इस घटना में तमिलनाडु के लोग शामिल थे। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार किया।
मनी हाइस्ट देखता था आरोपी- दावणगेरे के पूर्वी रेंज के आईजीपी डॉ. बीआर रविकांत गौड़ा ने बताया कि दावणगेरे पुलिस को सोना चोरी के मामले में बड़ी सफलता मिली है। पुलिस ने 13 करोड़ रुपये मूल्य का लगभग 17 किलोग्राम सोना बरामद किया गया है। 26 अक्टूबर, 2024 को हुई चोरी के मामले में छह आरोपितों विजय कुमार, अजय कुमार, अभिषेक, मंजूनाथ, चंद्रू और परमानंद को गिरफ्तार किया गया है।
- इस घटना की योजना विजय कुमार ने बनाई थी। वह मनी हाइस्ट जैसी टीवी सीरीज और बैंक चोरी और डकैतियों से निपटने वाली अन्य फिल्मों से प्रेरित था। इसके अलावा, उसने घटना को अंजाम देने के लिए यूट्यूब का भी सहारा लिया।
यह भी पढ़ें: फैक्ट्री से चोरी का सोना बेचकर मेरठ में होटल खोलने का था प्लान, कारीगर और उसके दो साथी गिरफ्तार
कौन हैं PM मोदी की नई पर्सनल सेक्रेटरी निधि तिवारी, पहले भी प्रधानमंत्री के साथ किया काम; विदेश नीति में निभाया अहम रोल
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आईएफएस अधिकारी निधि तिवारी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निजी सचिव नियुक्त किया गया है। इस बात की जानकारी कार्मिक मंत्रालय ने एक आदेश जारी करते हुए दिया है।
29 मार्च को जारी आदेश में कहा गया है कि कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने निधि तिवारी की निजी सचिव के रूप में नियुक्ति को मंजूरी दे दी है।
निधि पहले भी कई अहम जिम्मेदारियां निभा चुकी हैं, जिसमें वो प्रधानमंत्री के साथ काम कर चुकी हैं।
आइए जानें आखिर निधि तिवारी (Nidhi Tiwari) कौन हैं और अभी क्या करती हैं....
कौन हैं निधि तिवारी (Who is Nidhi Tiwari)निधि तिवारी 2014 बैच की भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) अधिकारी हैं। तिवारी वर्तमान में प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में उप सचिव के रूप में कार्यरत हैं। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग द्वारा नियुक्त आईएफएस निधि तिवारी जनवरी 2023 से कार्यरत हैं।
नवंबर 2022 में आईएफएस अधिकारी निधि प्रधानमंत्री कार्यालय में अवर सचिव के रूप में शामिल हुईं और जनवरी 2023 से वह प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में डिप्टी सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत हैं।
वाराणसी से है खास कनेक्शनयूपीएससी परीक्षा की तैयारी के दौरान निधि तिवारी वाराणसी में सहायक आयुक्त (वाणिज्य कर) के पद पर कार्यरत थीं। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा में 96वीं रैंक हासिल की थी और वह उत्तर प्रदेश के वाराणसी के महमूरगंज की रहने वाली हैं।
अजीत डोभाल को करती थीं रिपोर्टआईएफएस निधि तिवारी ने विदेश मंत्रालय (एमईए) में निरस्त्रीकरण और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के प्रभाग में भी काम किया है। विदेश मंत्रालय का यह प्रभाग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल को रिपोर्ट करता है।
आईएफएस निधि तिवारी प्रधानमंत्री मोदी की निजी सचिव बनने से पहले तीन साल से अधिक समय तक प्रधानमंत्री कार्यालय में कार्यरत रहीं। निधि तिवारी से पहले पीएम मोदी के पास दो निजी सचिव थे, जिनके नाम हार्दिक सतीशचंद्र शाह और विवेक कुमार थे।
क्या काम करेंगी निधि, कितना होगा वेतननिधि तिवारी पीएम मोदी के कार्यक्रमों का समन्वयन, बैठकों का आयोजन और सरकारी विभागों के कामकाज में तालमेल बिठाएंगी। मंत्रालय के अनुसार, निधि को मैट्रिक्स स्तर 12 के मुताबिक वेतन मिलेगा।
राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखा पत्र, इस टेंडर को रद करने की कर दी मांग; जानिए पूरा मामला
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर केरल, गुजरात और अंडामान एवं निकोबार द्वीप समूह के तटों पर अपतटीय खनन की अनुमति देने वाले टेंडरों को रद करन की मांग की है।
राहुल गांधी ने अपने पत्र के माध्यम से कहा कि ये टेंडर समुद्री जीवन के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि बिना किसी कठोर आकलन के निजी क्षेत्रों को टेंडर देना चिंताजनक हो सकता है। इससे तट पर रहने वाले और अपना पारंपरिक व्यवसाय करने वालों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
राहुल गांधी ने पत्र में क्या लिखा?लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में कहा कि मैं केरल, गजरात और अंडामान निकोबार के तटों पर अपतटीय खनन की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की कड़ी निंदा करता हूं।
बता दें कि राहुल गांधी ने कहा कि वह उस तरीके का विरोध कर रहे हैं, जिसमें पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन किए बिना अपतटीय खनन के लिए टेंडर जारी किए गए। राहुल गांधी ने लिखा कि लाखों मछुआरों ने अपनी आजीविका और जीवन शैली पर पड़ने वाले इसके प्रभाव के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त की है।
रविवार को सार्वजनिक किए गए पत्र में लोकसभा के नेता पीएम मोदी को संबोधित करते हुए कहा कि मैं केरल, गुजरात और अंडामान निकोबार द्वीप समूह में अपतटीय खनन की अनुमति देने के केंद्र सरकार के फैसले की निंदा करता हूं। राहुल गांधी ने आगे कहा कि यह अपतटीय खनन लाखों मछुआरों की आजीविका को प्रभावित करेगा और हमारे विविध समुद्री जीवन को अपूरणीय क्षति पहुंचाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार को अपने फैसले को तुरंत वापस लेना चाहिए।
'तटीय समुदाय के लोग कर रहे प्रदर्शन'राहुल गांधी ने कहा कि खनन के लिए केंद्र सरकार ने परमिशन दे दी है। इसके विरोध में तटीय समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। इसकी अनुमति बिना किसी पर्यावरणीय प्रभाव को ध्यान को रखते हुए दी गई है, जो काफी गलत है। राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा है कि उन क्षेत्रों में रहने वाले मछुआरों ने अपनी आजीविका और जीवन शैली पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंता व्यक्त की है।
ध्यान देने वाली बात है कि राहुल गांधी ने दावा किया कि केरल विश्वविद्यालय द्वारा किए गए एक सर्वे के अनुसार इस अपतटीय खनन से विशेष रूप से कोल्लम में मछलियों के प्रजनन पर विनाशकारी प्रभाव पड़ सकता है। वहीं, इसके अलावा केरल में करीब 11 लाख लोग मछली पकड़ने के व्यवसाय पर ही निर्भर हैं। यब उनका पारंपरिक व्यवसाय है।
'सरकार रद करे जारी किए सभी टेंडर'राहुल गांधी ने अपने पत्र में लिखा कि इस खनन के कारण होने वाला कोई भी नुकसान हमें अपूरणीय क्षति पहुंचा सकता है। हमारे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के क्षरण ने चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रभाव को और बढ़ा दिया है। जो चिंताजनक है। सरकार जानबूझकर ऐसी गतिविधियों को हरी झंडी दे रही है। राहुल ने कहा कि मैं केंद्र सरकार से आग्रह करता हूं कि अपतटीय खनन को ब्लॉक करने के लिए सभी प्रकार के टेंडरों को रद करने का काम करे।
यह भी पढ़ें: 'शिक्षा का व्यावसायिक, सांप्रदायिक व केंद्रीयकरण हो रहा', मोदी सरकार पर सोनिया गांधी का हमला
यह भी पढ़ें: 'बारिश की बूंदों को बचाएं', मन की बात के 120वें एपिसोड में बोले पीएम मोदी; भाखड़ा नंगल डैम का दिया उदाहरण
असम के पूर्व गृह मंत्री की इकलौती बेटी ने दूसरी मंजिल से लगाई छलांग, अस्पताल पहुंचते ही हो गई मौत
पीटीआई, गुवाहटी। असम के पूर्व गृह मंत्री भृगु कुमार फुकन की इकलौती बेटी ने खुदकुशी कर ली है। पुलिस ने जानकारी दी है कि घर की दूसरी मंजिल से छलांग लगाकर आत्महत्या की है। मौके से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। भृगु कुमार फुकन का निधन साल 2006 में हो चुका है। उनकी 28 वर्षीय बेटी अपनी मां के साथ रहती थी।
मां के साथ रहती थी उपासनापुलिस अधिकारी ने बताया कि उपासना फुकन (28) ने रविवार को गुवाहाटी के खरघुली इलाके में अपने घर की दूसरी मंजिल से छलांग लगा दी। यहां वे अपनी मां के साथ रहती थी। घटना के बाद तुरंत उन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उपासना को मृत घोषित कर दिया। पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमने अप्राकृतिक मौत का मामला दर्ज कर लिया है। मामले की जांच की जा रही है।
पहले भी की खुदकुशी की कोशिशपुलिस ने बताया कि शुरुआती जांच में पता चला है कि वह लंबे समय से मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रही थी। उपासना का इलाज भी चल रहा था। पुलिस के मुताबिक उपासना ने पहले भी खुदकुशी की कोशिश की थी। मगर इस बार मां घर के काम में व्यस्त थी। मौका देखते ही उपासना ने दूसरी मंजिल से छलांग लगा दी।
1958 में गृह मंत्री बने थे भृगु कुमार फुकनपुलिस अधिकारी ने बताया कि घर से कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है। उपासना के पिता भृगु कुमार फुकन 1985 में असम गण परिषद (AGP) की पहली सरकार में गृह मंत्री बने थे। भृगु कुमार फुकन असम समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में भी शामिल थे।
कृषि मंत्री ने जताया शोकअसम के कृषि मंत्री और एजीपी अध्यक्ष अतुल बोरा ने एक्स पर लिखा कि मैं ऐतिहासिक असम आंदोलन के प्रमुख नेता और असम के पूर्व गृह मंत्री दिवंगत भृगु कुमार फुकन की बेटी उपासना फुकन के असामयिक और दुर्भाग्यपूर्ण निधन से बहुत दुखी हूं। दुख की इस घड़ी में मैं शोक संतप्त परिवार के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं। ईश्वर से उनकी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करता हूं। ओम शांति!"
हेल्पलाइन (Helpline): यदि आप भी किसी तरह की मानसिक परेशानी से जूझ रहे हैं या फिर ऐसी समस्या झेल रहे किसी शख्स को आप जानते हैं तो नीचे दी गई जानकारी मददगार साबित हो सकती है। सरकार की हेल्पलाइन के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क किया जा सकता है।
केंद्र सरकार की आधिकारिक वेबसाइट: https://telemanas.mohfw.gov.in/home
डॉक्टरी सलाह लेने के लिए टोल फ्री नंबर पर डायल करें: 18008914416
मानसिक स्वास्थ्य सहायता और संसाधनों तक पहुंचने के लिए टेली मानसिक वेबसाइट (https://telemanas.mohfw.gov.in/home) से एप भी डाउनलोड कर सकते हैं
यह भी पढ़ें: अब मोदी सरकार की 'वैक्सीन कूटनीति' के फैन हुए शशि थरूर, बोले- भारत ने अपनी सॉफ्ट पावर को बढ़ाया
यह भी पढ़ें: साहिल-मुस्कान से मिले मेरठ सांसद अरुण गोविल, 'श्रीराम' ने भेंट की रामायण; कही ये बात
भारत की 46% वर्कफोर्स कृषि क्षेत्र में, इसलिए कृषि आयात बढ़ने पर बड़ी आबादी के लिए बढ़ेगी मुश्किल
एस.के. सिंह, नई दिल्ली।
अमेरिका के दक्षिण और मध्य एशिया मामलों के सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच की अगुवाई में अमेरिकी टीम पिछले हफ्ते भारत में थी। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की 2 अप्रैल से रेसिप्रोकल टैरिफ लगाने की धमकियों के बीच भारतीय अधिकारियों ने इस टीम के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर बात की। आगे अलग-अलग सेक्टर के लिए बातचीत होनी है। खबरों के मुताबिक इस बातचीत में कृषि उत्पादों पर भी चर्चा हुई। भारत ने बोरबॉन ह्विस्की पर आयात शुल्क पहले ही 150% से घटाकर 100% किया था। अब बादाम, अखरोट, क्रैनबेरी (करौंदा), पिस्ता, मसूर पर भी आयात शुल्क कम किया जा सकता है। इनके बदले भारत अमेरिका को चावल और फलों का निर्यात बढ़ाना चाहता है।
दरअसल, ट्रेड वॉर के कारण अमेरिका से सबसे अधिक कृषि आयात करने वाला चीन उस पर धीरे-धीरे निर्भरता कम कर रहा है। इसलिए अमेरिका अपने उत्पाद बेचने के लिए नए बाजार तलाश रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की पिछली साझा बैठक में की गई घोषणा के मुताबिक दोनों देश अक्टूबर तक द्विपक्षीय व्यापार समझौते को अंतिम रूप देंगे। इस बीच, यूरोपियन यूनियन के साथ कई वर्षों से बंद पड़ी मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता भी नए सिरे से शुरू हुई है। इसे भी इसी साल अंतिम रूप देने का लक्ष्य है। अमेरिका और यूरोप भारत के सबसे बड़े व्यापारिक साझीदारों में हैं। उनके साथ हमारा कृषि व्यापार भी बहुत होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन व्यापार वार्ताओं में भारत को अपने कृषि क्षेत्र को संरक्षित रखने की पुरानी नीति से नहीं हटना चाहिए।
विशेषज्ञों के अनुसार, कृषि आयात आसान बनाने पर भारतीय किसानों के लिए विकसित देशों के भारी-भरकम सब्सिडी पाने वाले किसानों के साथ मुकाबला करना मुश्किल हो जाएगा। पिछले सप्ताह, 18 मार्च को अमेरिका के राष्ट्रीय कृषि दिवस पर कृषि मंत्री ब्रूक रोलिंस ने घोषणा की कि उनका मंत्रालय इमरजेंसी कमोडिटी असिस्टेंट प्रोग्राम (ECAP) के तहत फसल वर्ष 2024 के लिए किसानों को सीधे 10 अरब डॉलर (लगभग 85,000 करोड़ रुपये) की मदद जारी करेगा। उन्होंने कहा, “किसान ऊंची लागत तथा बाजार में अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं, और ट्रंप प्रशासन ने तय किया है कि किसानों को जरूरी मदद बिना देरी के मिले। कृषि मंत्रालय (USDA) इस मदद राशि को प्राथमिकता के आधार पर भुगतान करना चाहता है ताकि बढ़ते खर्च से निपटने के लिए तथा अगले सीजन से पहले किसानों के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन हो।”
अमेरिकी कृषि मंत्रालय के अनुसार 2022 में वहां 34 लाख किसान थे। मार्च 2025 की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक वहां 2024 में कुल 18.8 लाख खेत थे और कुल जोत 87.6 करोड़ एकड़ थी। खेत का औसत आकार 466 एकड़ था।
सिर्फ कृषि दिवस पर घोषित मदद राशि और किसानों की संख्या का सामान्य अनुपात देखें तो अमेरिका के हर किसान को 2.5 लाख रुपये मिलेंगे। तुलनात्मक रूप से भारत में किसानों को साल में मात्र 6,000 रुपये किसान सम्मान निधि के तहत मिलते हैं। भारतीय किसानों को उर्वरक, फसल बीमा, फसल कर्ज आदि पर सब्सिडी भी मिलती है, लेकिन तुलनात्मक रूप से अमेरिका और यूरोप में कृषि सब्सिडी बहुत ज्यादा है। हर अमेरिकी किसान को वहां की सरकार साल में 26 लाख रुपये से ज्यादा की मदद देती है।
कृषि पर टैरिफ में अंतरभारत-अमेरिका ट्रेड वार्ता में एक अहम मसला कृषि का है। अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि आयात पर शुल्क कम करे। रेसिप्रोकल टैरिफ के तहत ट्रंप ने विभिन्न देशों के आयात पर उतना ही शुल्क लगाने की धमकी दी है जितना दूसरे देश अमेरिका से आयात पर लगाते हैं। रिसर्च ग्रुप ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनीशिएटिव (GTRI) के संस्थापक और विदेश व्यापार नीति के विशेषज्ञ अजय श्रीवास्तव जागरण प्राइम से कहते हैं, “भारत का औसत कृषि टैरिफ 37.7% और अमेरिका का 5.3% है। कागज पर यह अंतर बहुत बड़ा लग सकता है, लेकिन हकीकत थोड़ा अलग है। अमेरिका जटिल और अपारदर्शी टैरिफ भी लगाता है, जिससे वहां कृषि को संरक्षण बढ़ जाता है। इस लिहाज से देखें तो टैरिफ का वास्तविक अंतर जितना दिखता है उतना है नहीं।”
श्रीवास्तव के मुताबिक, अमेरिका को भारत का कृषि निर्यात कैलेंडर वर्ष 2024 में 5.7 अरब डॉलर का था। इसमें सबसे अधिक श्रिंप और प्रॉन का 2.2 अरब डॉलर, बासमती-गैर बासमती चावल का 38.6 करोड़ डॉलर, शहद का 14.13 करोड़ डॉलर, सब्जियों के एक्सट्रैक्ट का 39.92 करोड़ डॉलर, इसबगोल का 14.84 करोड़ डॉलर, अरंडी के तेल का 10.62 करोड़ डॉलर और काली मिर्च का 18 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ।
पिछले साल अमेरिका से भारत ने 1.9 अरब डॉलर का कृषि आयात किया। इसमें बादाम का 86.56 करोड़ डॉलर, अखरोट का 2.45 करोड़ डॉलर, ब्राजील नट का 13 करोड़ डॉलर, पिस्ता का 12.96 करोड़ डॉलर, इथाइल अल्कोहल का 43.95 करोड़ डॉलर, सेब का 3.81 करोड़ डॉलर और मसूर का 6.45 करोड़ डॉलर का आयात किया गया।
कृषि निर्यात में भारत की निर्भरता अधिकक्रिसिल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर पुशन शर्मा बताते हैं, कृषि कमोडिटी में अमेरिका, भारत का बड़ा साझेदार है। कैलेंडर वर्ष 2024 में भारत ने कुल 38.3 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया। इसमें अमेरिका का हिस्सा 6% था। इसी अवधि में भारत के कृषि निर्यात में अमेरिका का हिस्सा 8% रहा। अमेरिका ने पिछले साल कुल 222 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात किया, जिसमें भारत का हिस्सा 2% था।
कृषि उत्पादों के मामले में अमेरिका और भारत की एक दूसरे पर निर्भरता समान नहीं है। भारत के कृषि आयात में अमेरिका पांचवें स्थान पर है जबकि भारत सबसे अधिक कृषि निर्यात अमेरिका को ही करता है।
अमेरिका के संभावित टैरिफ वृद्धि से भारतीय निर्यात को नुकसान हो सकता है। कुछ प्रोडक्ट ऐसे हैं जिनके भारत के निर्यात में अमेरिका का हिस्सा तो अधिक है, लेकिन उस प्रोडक्ट के अमेरिका के कुल आयात में भारत का हिस्सा ज्यादा नहीं है। अर्थात अमेरिका उन प्रोडक्ट का दूसरे देशों से भी बड़ी मात्रा में आयात करता है। इनमें श्रिंप और प्रॉन, प्राकृतिक शहद और बेकरी प्रोडक्ट शामिल है। अगर अमेरिका रेसिप्रोकल टैरिफ लगाता है तो इनका निर्यात अधिक प्रभावित होगा।
कुछ प्रोडक्ट ऐसे भी हैं जिनमें अमेरिका के आयात में भारत का हिस्सा तो अधिक है, लेकिन भारत के उस वस्तु के कुल निर्यात में अमेरिका का हिस्सा ज्यादा नहीं है। अर्थात उस वस्तु का भारत दूसरे देशों को भी काफी निर्यात करता है। इनमें मिल्ड राइस और अरंडी का तेल भी शामिल हैं। इनमें टैरिफ का जोखिम कम है क्योंकि इनके निर्यात में भारत अमेरिका पर अधिक निर्भर नहीं है।
छोटे किसानों के लिए आजीविका का सवालसोनीपत स्थित जिंदल स्कूल ऑफ गवर्मेंट एंड पब्लिक पॉलिसी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अवनींद्र नाथ ठाकुर कहते हैं, “भारत में 46% वर्कफोर्स कृषि पर निर्भर है, और उनमें भी लगभग 88% छोटे और सीमांत किसान हैं। उनके लिए यह रोजगार से ज्यादा आजीविका का सवाल है।”
इसलिए श्रीवास्तव की राय में “बिना सावधानी बरते कृषि पर टैरिफ घटाना भारत के कृषि क्षेत्र के लिए विनाशकारी होगा। 70 करोड़ से अधिक भारतीय आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं। खासकर डेयरी, मीट, अनाज और दाल जैसे संवेदनशील कमोडिटी का सस्ता और सब्सिडी वाला आयात बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की आमदनी प्रभावित होगी। गांव वालों की स्थिति पहले ही कमजोर है, वह और खराब होगी।”
वे कहते हैं, “अमेरिका के किसानों को सब्सिडी और बीमा का बहुत फायदा मिलता है, जो आमतौर पर उनकी उत्पादन लागत से अधिक होता है। दूसरी तरफ भारत के ज्यादातर किसान छोटी जोत वाले हैं। उनके पास संसाधन भी सीमित होते हैं। वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और जन वितरण प्रणाली (पीडीएस) जैसी सरकारी स्कीमों पर काफी निर्भर रहते हैं। टैरिफ कम करने पर न सिर्फ ये किसान प्रभावित होंगे, बल्कि करोड़ों गरीब परिवारों की खाद्य सुरक्षा भी कमजोर होगी।”
प्रो. अवनींद्र के अनुसार, “अमेरिका और यूरोपीय देश पहले ही कृषि पर बहुत सब्सिडी देते हैं। उनके प्रोडक्ट पहले ही डंप-कीमत पर होते हैं। वे देश ऐसा कर सकते हैं क्योंकि कृषि पर उनकी जीडीपी और रोजगार की निर्भरता बहुत कम है। भारत के लिए ऐसा करना संभव नहीं है क्योंकि हमारी आधी वर्कफोर्स कृषि में लगी हुई है।” अमेरिका की आबादी 34 करोड़ है। इस लिहाज से वहां की सिर्फ एक प्रतिशत आबादी कृषि में है।
प्रो. अवनींद्र कहते हैं, “छोटे और सीमांत किसानों को शायद ही बाजार मूल्य मिलता हो। उनके पास उपज को अपने पास रखने की क्षमता नहीं होती, इसलिए उन्हें अपनी उपज को तत्काल बेचना होता है। भारत के ज्यादातर किसान फसल की कटाई के बाद डिस्ट्रेस सेलिंग करते हैं।”
आयात शुल्क घटाने के प्रभाव पर प्रो. अवनींद्र कहते हैं, भारत में पोल्ट्री की डिमांड बढ़ रही है जिसमें मक्का और सोयाबीन फीड के तौर पर प्रयोग किया जाता है। आने वाले समय में पोल्ट्री के साथ मक्का और सोयाबीन की डिमांड भी ज्यादा होगी। अभी देश में मक्के की खेती बढ़ रही है। अगर इस पर आयात शुल्क कम किया गया तो इससे वे किसान प्रभावित होंगे जो गेहूं-धान की पारंपरिक खेती छोड़कर इसे अपना रहे हैं। हाल के वर्षों में भारत कपास के निर्यातक से इसका आयातक बन गया है। अगले कुछ वर्षों में कपास की मांग तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। अगर अमेरिका से बड़े पैमाने पर कपास आयात होने लगा तो भारतीय किसानों पर उसका बहुत बुरा असर होगा।
रेसिप्रोकल टैरिफ का असरजीटीआरआई का आकलन है कि रेसिप्रोकल टैरिफ का सबसे अधिक असर मछलियां, मीट तथा अन्य प्रोसेस्ड सी-फूड पर होगा। पिछले वर्ष भारत से अमेरिका को इनका 2.58 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। इसमें टैरिफ का अंतर 27.83% का है। भारत से अमेरिका को श्रिंप का बड़े पैमाने पर निर्यात होता है। लेकिन इतना टैरिफ लगने पर यह प्रतिस्पर्धी नहीं रह जाएगा। प्रोसेस्ड फूड, चीनी तथा कोकोआ का निर्यात एक अरब डॉलर से अधिक का होता है और इनमें भी 24.99% टैरिफ का अंतर है। इतना टैरिफ बढ़ने से भारतीय स्नैक्स और कन्फेक्शनरी प्रोडक्ट अमेरिका में महंगे हो जाएंगे।
पिछले साल अनाज, फल-सब्जियां तथा मसालों का 1.91 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था और इनमें टैरिफ का अंतर 5.72% का है। भारतीय निर्यात पर इतना टैरिफ लगने से चावल और मसाले का निर्यात प्रभावित हो सकता है। डेयरी प्रोडक्ट में टैरिफ का अंतर 38.23% का है। अगर इतना टैरिफ बढ़ा तो घी, बटर और मिल्क पाउडर का 18.5 करोड़ डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा और भारतीय प्रोडक्ट का मार्केट शेयर भी कम हो जाने की आशंका रहेगी।
पिछले वित्त वर्ष भारत से खाद्य तेलों का 19.97 करोड़ डॉलर का निर्यात हुआ और इसमें टैरिफ अंतर 10.67% का है। टैरिफ से अमेरिका में भारतीय नारियल और सरसों तेल महंगे हो जाएंगे। अल्कोहल और स्पिरिट आदि पर टैरिफ का अंतर 122% और एनिमल प्रोडक्ट पर 27% से अधिक है, हालांकि भारत से अमेरिका को इनका निर्यात अधिक नहीं होता है। तंबाकू और इसके उत्पादों का निर्यात प्रभावित नहीं होगा क्योंकि इन पर भारत की तुलना में अमेरिका अधिक टैरिफ लगाता है।
यूरोपियन यूनियन के साथ एफटीए वार्तायूरोपियन यूनियन (ईयू) के साथ मुक्त व्यापार समझौते में कृषि बड़ा मुद्दा रहा है। ईयू भारत पर चीज और स्किम्ड मिल्क पाउडर (SMP) पर टैरिफ घटाने का दबाव डालता रहा है, जबकि भारत ने ऊंचे टैरिफ की मदद से घरेलू डेयरी इंडस्ट्री को बचा रखा है। 2023-24 में भारत ने ईयू को 4.3 अरब डॉलर का निर्यात किया और 2.5 अरब डॉलर का आयात हुआ। भारतीय वस्तुओं पर ईयू में औसतन 15.2% टैरिफ लगता है जबकि भारत वहां से आने वाले कृषि उत्पादोंपर औसतन 42.7% टैरिफ लगाता है।
क्रिसिल के पुशन शर्मा के मुताबिक भारत ने कैलेंडर वर्ष 2024 में यूरोपियन यूनियन से एक अरब डॉलर का कृषि आयात किया जबकि भारत का निर्यात लगभग 33 लाख डॉलर का रहा। अगर मुक्त व्यापार समझौता होता है तो ईयू से कृषि आयात बढ़ने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि एफटीए से खासकर डेयरी इंडस्ट्री और शराब निर्माताओं पर अधिक प्रभाव पड़ेगा। अल्कोहलिक पेय पदार्थों पर आयात शुल्क कम होने से यूरोप से इनका आयात बढ़ेगा और घरेलू निर्माताओं के लिए प्रतिस्पर्धा सघन होगी। दूध के सबसे बड़े उत्पादक भारत की डेयरी इंडस्ट्री को ईयू से सस्ते मिल्क प्रोडक्ट के आयात की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इन प्रोडक्ट में मिल्क एल्बुमिन, लैक्टोज और ह्वे शामिल हैं। इनके विपरीत खाद्य तेल क्षेत्र को कम प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। भारत खाद्य तेलों के आयात पर काफी निर्भर है। यूरोप से सनफ्लावर और ऑलिव ऑयल का आयात होगा तो कुछ सेगमेंट में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी तो कुछ में बहुत मामूली फर्क पड़ेगा।
ईयू की नॉन-टैरिफ बाधाएं भारत के लिए समस्याईयू का कृषि टैरिफ सिस्टम काफी जटिल है और यह दोनों पक्षों की बातचीत में आड़े आती रही है। जीटीआरआई के अनुसार, ईयू 915 कृषि वस्तुओं पर नॉन-एडवैलोरम टैरिफ लगाता है इससे वहां इन वस्तुओं के आयात पर शुल्क काफी बढ़ जाता है। इसके अलावा सैनिटरी और फाइटो-सैनिटरी नियम तथा टेक्निकल बैरियर टू ट्रेड (टीबीटी) जैसे नॉन-टैरिफ बाधाओं की वजह से भारतीय कृषि उत्पादों के लिए यूरोप के बाजार में पैठ बनाना मुश्किल होता है। अगर ईयू ने टैरिफ घटा दिया तो भी वहां का रेगुलेटरी ढांचा भारतीय किसानों और निर्यातकों के लिए बड़ी समस्या रहेगी।
यूरोप के वाइन निर्माता भारतीय बाजारों में अधिक पहुंच चाहते हैं। यहां यूरोपियन वाइन पर 150% आयात शुल्क लगता है। यूरोप चाहता है कि भारत इसे पूरी तरह खत्म करे या घटाकर 30-40% तक ले आए। ऑस्ट्रेलिया के साथ इकोनामिक कोऑपरेशन एंड ट्रेड एग्रीमेंट (ECTA) के तहत भारत ने 10 साल में वाइन आयात पर शुल्क घटाकर 50% करना तय किया है। यूरोप के साथ भी ऐसा कुछ संभव है। हालांकि भारतीय वाइन निर्माता इसका विरोध करेंगे क्योंकि आयात सस्ता होने पर उनके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
भारत में कृषि को संरक्षण नियमों के मुताबिकश्रीवास्तव के मुताबिक, “भारत वैश्विक व्यापार नियमों के मुताबिक ही अपने कृषि क्षेत्र को संरक्षण देता है। विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) विकासशील देशों को खाद्य सुरक्षा और ग्रामीण आजीविका को संरक्षण देने के उपाय अपनाने की अनुमति देता है। पहले भी भारत ट्रेड डील में कृषि को विशेष ट्रीटमेंट देने की बात करता रहा है और हमें इसे जारी रखना चाहिए।”
वे कहते हैं, “चुनौती सिर्फ टैरिफ की नहीं बल्कि ढांचागत संतुलन की भी है। अमेरिका और यूरोप में कृषि को काफी सब्सिडी मिलती है। वहां की कृषि व्यवस्था काफी मैकेनाइज्ड है। भारत में कृषि श्रम सघन है और बड़ी मुश्किल से किसानों को मुनाफा हो पाता है। इन किसानों को भारी-भरकम सब्सिडी पाने वाले अमेरिकी किसानों के साथ रेस लगाने के लिए कहना साइकिल और ट्रेन के बीच रेस लगाने जैसा होगा।”
भारत के लिए क्या करना उचितप्रो. अवनींद्र के अनुसार, “भारत में मक्का, सोयाबीन, कपास की डिमांड बढ़ने वाली है। इसलिए हमें अपने किसानों को इंसेंटिव देना चाहिए कि वे इन फसलों की खेती बढ़ाएं। रिसर्च और डेवलपमेंट के जरिए उनकी उत्पादकता बढ़ाने की कोशिश की जानी चाहिए ताकि भारतीय किसान अधिक से अधिक उत्पादन करें। अगर आयात की अनुमति दी गई तो भारतीय किसान कभी बढ़ती हुई मांग की ओर नहीं जाएंगे और फसलों का विविधीकरण नहीं हो सकेगा।”
वे कहते हैं, “ट्रेड वार्ता में भारत को अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए। खाद्य सुरक्षा और किसानों की आजीविका का हवाला देना चाहिए। निर्यात का विविधीकरण भी बहुत जरूरी है। हमें कच्ची फसलों की जगह प्रोसेस्ड फूड के निर्यात की ओर भी बढ़ना चाहिए। प्रोसस्ड फूड की कीमत अच्छी मिलेगी उसका बाजार भी बड़ा होता है।”
श्रीवास्तव के मुताबिक, “भारत की प्राथमिकता अपनी खाद्य प्रणाली के संरक्षण, किसानों की आय की सुरक्षा और ग्रामीण स्थिरता सुनिश्चित करने की होनी चाहिए, बजाय इसके कि हम असमानता को बढ़ावा देने वाले व्यापार उदारीकरण में तेजी लाएं। व्यापार वार्ता आपसी सम्मान और वास्तविकता के आधार पर होनी चाहिए। भारत को संवाद के लिए खुला रहना चाहिए, साथ ही किसानों, खाद्य सुरक्षा और भविष्य के मसले पर दृढ़ भी रहना चाहिए।”
हालांकि पुशन शर्मा की दलील है कि अमेरिका के रेसिप्रोकल टैरिफ और यूरोप के साथ एफटीए का प्रभाव हर क्षेत्र में समान नहीं रहेगा। प्रॉन, श्रिंप और शहद की मांग अगर अमेरिका में कम होती है तो घरेलू मांग बढ़ाकर और दूसरे देशों को निर्यात करके उसकी भरपाई की जा सकती है। गन्ना (अल्कोहलिक पेय इंडस्ट्री का कच्चा माल), अनाज (बेकरी प्रोडक्ट का कच्चा माल) और डेयरी किसानों पर भी ज्यादा असर नहीं होगा क्योंकि इन उत्पादों के कई तरह के इस्तेमाल होते हैं और इनकी सप्लाई अनेक घरेलू तथा विदेशी मैन्युफैक्चरर को होती है। भारत के साथ अमेरिका और यूरोपियन यूनियन के बीच कृषि कमोडिटी में व्यापार को देखते हुए इस बात की संभावना कम है कि ट्रेड वार्ता से इन्हें अलग रखा जाएगा। भारत के पास कृषि कमोडिटी की विविध रेंज है। इनमें अल्फांसो आम और बासमती चावल जैसी यूनिक वैरायटी हैं। ये भारत को बड़ा अवसर प्रदान करती हैं।
'कानून को विज्ञान और तकनीक का लेना होगा सहारा', NFSU के कार्यक्रम में बोले जस्टिस कोटिश्वर सिंह
जेएनएन, गांधीनगर। गुजरात के गांधीनगर स्थित राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (NFSU) के 'न्याय अभ्युदय- टेक्नो-लीगल फेस्ट' के समापन समारोह में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह पहुंचे। इस दौरान उन्होंने कहा कि न्याय प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाने की खातिर कानून को विज्ञान और तकनीक का सहारा लेना चाहिए।
बुनियादी सुविधाओं का किया दौराजस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने उत्कृष्टता केन्द्र (सीओई) समेत विभिन्न अत्याधुनिक बुनियादी सुविधाओं का भी दौरा किया। उन्होंने एनएफएसयू के स्वदेशी उत्पादों को भी देखा। उन्होंने अपने संबोधन में कानून की प्रासंगिकता बनाए रखने और उसे समय की बदलती जरूरतों के अनुरूप ढालने की आवश्यकता पर बल दिया।
न्याय प्रणाली को मजबूत करना होगाजस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह ने कहा कि मौजूदा समय में कानून को वैज्ञानिक सटीकता के साथ जोड़ने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में उन्होंने फोरेंसिक क्षेत्र में एनएफएसयू के प्रयासों की सराहना की और कहा कि अकेले कानून अधूरा है। न्याय प्रदान करने की प्रणाली को और मजबूत बनाने के लिए कानून को विज्ञान और तकनीक का सहारा लेना चाहिए। इससे न केवल कार्यकुशलता बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि न्याय भी अधिक कुशल बनेगा।
अपनी पिछली यात्रा को किया यादउन्होंने एनएफएसयू की अपनी पिछली यात्रा को भी याद किया और एनएफएसयू के शैक्षिक, अनुसंधान, जांच, प्रशिक्षण जैसे कार्यों की सराहना की। एनएफएसयू को देशभर में विशेष स्थान दिलाने के लिए कुलपति डॉ. जेएम व्यास के दूरदर्शी प्रयासों को भी सराहा।
कार्यक्रम में पहुंची ये हस्तियांकार्यक्रम का आयोजन एनएफएसयू में स्कूल ऑफ लॉ और फोरेंसिक जस्टिस एंड पॉलिसी स्टडीज ने किया। समापन समारोह में गुजरात हाई कोर्ट के न्यायाधीश इलेश जे. वोरा, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति सोनिया गोकानी, सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति केजे ठाकर, पूर्व जस्टिस वीपी पटेल और एनएफएसयू के कुलपति डॉ. जेएम व्यास मंच पर मौजूद रहे।
दो प्रतियोगिताओं का भी आयोजनसमापन समारोह में प्रो. एसओ जुनारे ने स्वागत भाषण पढ़ा। वहीं स्कूल ऑफ लॉ, फोरेंसिक जस्टिस एंड पॉलिसी स्टडीज के डीन एवं एनएफएसयू-दिल्ली के परिसर निदेशक प्रो. पूर्वी पोखरियाल ने कार्यक्रम रिपोर्ट पेश की। कार्यक्रम में एसएलएफजेपीएस, एनएफएसयू जर्नल ऑफ लॉ एंड आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एनएफएसयू जर्नल ऑफ फोरेंसिक जस्टिस के समाचार पत्र भी लॉन्च किए गए।
कार्यक्रम के तहत तृतीय राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी मूट कोर्ट प्रतियोगिता और राष्ट्रीय ट्रायल एडवोकेसी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। इनमें देशभर की 61 टीमों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत में गुजरात राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष डॉ. जज कौशल जे. ठाकर ने गुजरात सरकार की ओर से धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।
यह भी पढ़ें: अब मोदी सरकार की 'वैक्सीन कूटनीति' के फैन हुए शशि थरूर, बोले- भारत ने अपनी सॉफ्ट पावर को बढ़ाया
यह भी पढ़ें: अगले हफ्ते जम्मू-कश्मीर आएंगे अमित शाह, कठुआ एनकाउंटर के बाद अहम होगा गृहमंत्री का दौरा
'शिक्षा का व्यावसायिक, सांप्रदायिक व केंद्रीयकरण हो रहा', मोदी सरकार पर सोनिया गांधी का हमला
आईएएनएस, नई दिल्ली। सोनिया गांधी ने शिक्षा प्रणाली पर केंद्र की मोदी सरकार की जमकर आलोचना की। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार शिक्षा के क्षेत्र में तीन सी (C) पर काम कर रही है। सरकार केंद्रीयकरण, व्यावसायीकरण और सांप्रदायिकरण पर जुटी है। शिक्षा के क्षेत्र में इसके घातक परिणाम होंगे। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने समाचार पत्र में लिखे सोनिया गांधी के लेख को सोशल मीडिया पर साझा किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति की आलोचनाअपने लेख में सोनिया गांधी ने लिखा कि केंद्र राज्य सरकारों को समग्र शिक्षा अभियान के तहत मिलने वाले अनुदान को रोककर पीएम-श्री योजना को लागू करने का दबाव बना रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की आलोचना की और कहा कि इस हाई-प्रोफाइल राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने देश के बच्चों और युवाओं की शिक्षा के प्रति बेहद उदासीन सरकार की वास्तविकता को छिपा दिया है।
केंद्रीयकरण से शिक्षा को अधिक नुकसानचिंता जाहिर करते हुए सोनिया गांधी ने लिखा कि पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में सत्ता का केंद्रीकरण, शिक्षा में निवेश का व्यावसायीकरण, निजी क्षेत्र को आउटसोर्सिंग और पाठ्यपुस्तकों, पाठ्यक्रम और संस्थानों का सांप्रदायिकरण किया है। सोनिया गांधी का मानना है कि केंद्रीकरण का सबसे अधिक नुकसानदायक असर शिक्षा के क्षेत्र में हुआ है।
राज्यों से बात नहीं करती केंद्र सरकारसोनिया गांधी ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड की बैठक सितंबर 2019 के बाद से नहीं हुई है। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार राज्य सरकारों से बात नहीं करती है। उनके मुद्दों पर विचार भी नहीं करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बदलाव और लागू करते वक्त भी केंद्र ने राज्यों से एक भी बार बात करना उचित नहीं समझा। यह इस बात का सबूत है कि केंद्र अपने अलावा किसी अन्य की आवाज पर ध्यान नहीं देता है। सोनिया गांधी का आरोप है कि संविधान की समवर्ती सूची से जुड़े विषय पर भी चर्चा नहीं की गई।
धमकाने वाली प्रवृत्ति भी बढ़ीअपने लेख में सोनिया गांधी ने लिखा कि संवाद की कमी के साथ-साथ धमकाने की भी प्रवृत्ति बढ़ी है। उन्होंने पीएम-श्री योजना का जिक्र किया और कहा कि शिक्षा प्रणाली का तेजी से व्यावसायीकरण किया जा रहा है। इसकी झलक राष्ट्रीय शिक्षा नीति में दिखती है।
2014 से देशभर में 89,441 सरकारी स्कूलों को बंद और एकीकृत होते देखा गया है। वहीं 42,944 अतिरिक्त निजी स्कूलों की स्थापना हुई है। सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि देश के गरीबों को सार्वजनिक शिक्षा से बाहर कर दिया गया है। उन्हें बेहद मंहगी और निजी स्कूल व्यवस्था के हाथों में धकेल दिया गया है।
सांप्रदायिकरण पर सरकार का जोरसोनिया गांधी का आरोप है कि सरकार का तीसरा जोर सांप्रदायिकरण पर है। शिक्षा व्यवस्था के माध्यम से नफरत पैदा की जा रही है और उसे बढ़ावा दिया जा रहा है। यह भाजपा और संघ के दीर्घकालिक वैचारिक प्लान का हिस्सा है। एनसीईआरटी के पाठ्यक्रमों में बदलाव किया जा रहा है। महात्मा गांधी की हत्या और मुगल भारत से जुड़े पाठों को हटा दिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि विश्वविद्यालयों में सरकार की विचारधारा के अनुकूल लोगों को नियुक्त किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: ईद की नमाज को लेकर बवाल! मेरठ में पुलिस से झड़प तो मुरादाबाद और सहारनपुर में तनातनी, अखिलेश बोले- ये तानाशाही है
यह भी पढ़ें: मेरठ में ईद की नमाज के बाद दो पक्षों में झड़प, कई राउंड फायरिंग; आधा दर्जन से अधिक घायल
6 राज्यों में खूब चलेगी आंधी, बरसेंगे बादल... मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट; पढ़िए Weather Report
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मार्च का महीना खत्म होने जा रहा है। आमतौर पर होली के बाद तापमान में बढ़ोतरी होने लगती है, लेकिन शायद ये किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि मार्च की गर्मी मई-जून का अहसास कराएगी। देश के कई हिस्सों में मार्च में ही तापमान 40 के पार चला गया है।
मौसम विभाग ने पहले ही अप्रैल को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है। इसके मुताबिक, अप्रैल की गर्मी इस बार रिकॉर्ड तोड़ने वाली है। हालांकि आने वाले दिनों में कुछ राज्यों में बारिश का अलर्ट जारी किया गया है।
तेज हवा से भी नहीं पड़ा असरबीते 24 घंटे में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और असम में काफी तेज हवाएं चलीं। इन हवाओं ने धूप में निकलने वालें लोगों को फौरी तौर पर तो राहत दे दी, लेकिन झुलसाने वाली गर्मी से इतनी आसानी से राहत नहीं मिलने वाली। पश्चिम बंगाल में तो काफी गर्म हवाएं चल रही हैं।
हर रोज अधिकतम तापमान दर्ज होने का रिकॉर्ड टूट रहा है। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव, महाराष्ट्र के चंद्रपुर और ओडिशा के संबलपुर में सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान दर्ज किया गया, जो 42 डिग्री सेल्सियस रहा।
आंधी-तूफान के साथ होगी बारिश- मौसम विभाग के मुताबिक, छत्तीसगढ़ के दक्षिणी हिस्से से तमिलनाडु तक निम्न दबाव की रेखा बनी हुई है। वहीं बंगाल की खाड़ी और नगालैंड में चक्रवात संचालन बना हुआ है। मौसम विभाग ने महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में 3 अप्रैल तक बिजली चमकने, आंधी-तूफान और ओलावृष्टि के साथ भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।
- 31 मार्च को गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा, अरुणाचल प्रदेश और नगालैंड में वज्रपात की संभावना जताई गई है। 1, 2 और 3 अप्रैल को मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, आंध्र प्रदेश समेत देश के कई हिस्सों में बिजली चमकने की संभावना है।
मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी हिमालीय क्षेत्र, मध्य भारत, पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर भारत समेत दक्षिणी प्रायद्वीप और महाराष्ट्र में 3 अप्रैल में तापमान में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं होगा। लेकिन उत्तर पश्चिम भारत में 5 से 7 डिग्री की बढ़ोतरी तापमान में होगी।
वहीं गुजरात में 1 अप्रैल तक तापमान में 2 से 3 डिग्री की बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा बिहार में भी 1 अप्रैल तक तापमान में 2 से 3 डिग्री की बढ़ोतरी होगी।
यह भी पढ़ें: हरियाणा के मौसम में तेजी से बदलाव, पहाड़ों की तरफ से आ रही ठंडी हवाओं से तापमान में गिरावट
Eid-ul-Fitr 2025: आज ईद मना रहा देश, महाराष्ट्र से लेकर बंगाल तक सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश भर में आज ईद का त्यौहार मनाया जाएगा। रविवार को ईद का चांद दिखने के बाद से ही लोगों में हर्षोल्लास का माहौल था। बता दें कि शव्वाल महीने के पहले दिन ईद-उल-फितर मनाया जाता है। इसे मीठी ईद भी कहते है।
ईद के मौके पर देश भर में सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद रखी गई है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने देशवासियों को ईद की मुबारकबाद दी है। सीएम योगी ने कहा कि ईद का त्योहार हमें त्याग, प्रेम और सेवा की भावना को आत्मसात करने की प्रेरणा देता है।
श्रीनगर के ईदगाह में नहीं होगी नमाजजम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डॉ. दरक्षां अंद्राबी ने घोषणा की है कि निर्माण कार्य के चलते इस साल श्रीनगर के ऐतिहासिक ईदगाह में ईद की नमाज नहीं होगी। उन्होंने कहा कि हजरतबल दरगाह और जम्मू-कश्मीर के अन्य दरगाहों, मस्जिदों में सामूहिक नमाज के लिए व्यवस्था की गई है। महाराष्ट्र और बंगाल में ईद पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है।
वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिमों से अनुरोध किया है कि ईदगाह के इमाम और मस्जिद के इमाम से अपील है कि ईद की नमाज का खुसूसियत के साथ एहतमाम करें। मौलाना ने हदीस का हवाला देते हुए कहा कि पैगंबर इस्लाम ने फरमाया कि अच्छा मुसलमान वह है, जिसके हाथ पैर जुबान से किसी को तकलीफ ना पहुंचे, इसलिए सड़कों पर नमाज ना पढ़ी जाए।
ट्रैफिक किया जाएगा डायवर्ट- नोएडा पुलिस ने ईद उल फितर के मद्देनजर आज सुबह चार घंटे तक उद्योग मार्ग पर जामा मस्जिद के आसपास वाहनों के डायवर्जन का प्लान तैयार किया है। इसके लिए गोल चक्कर चौक, संदीप पेपर मिल, हरौला चौक, बांस बल्ली मार्केट तिराहा, सेक्टर 8, 10, 11, 12 चौक, झुंडपुरा चौक, सेक्टर 6 पुलिस चौकी तिराहा, कस्बा कासना में ऐच्छर चौक और दादरी कस्बा तिराहे पर शिवनादर विश्वविद्यालय की ओर से यातायात डायवर्जन रहेगा।
- वहीं मेरठ में ईदगाह पर अतिरिक्त सुरक्षा बढ़ा दी गई है। सात थाना प्रभारी, तीन सीओ तथा एसपी सिटी खुद मौजूद रहेंगे। इसके अलावा अर्धसैनिक बल, आरएएफ की एक कंपनी को भी लगा दिया गया है। नमाज अदा करने की वीडियो भी बनाई जाएगी, ताकि सड़क पर नमाज अदाकर माहौल बिगाड़ने वालों पर कार्रवाई हो सके। वीडियो को आधार बनाकर पुलिस संबंधित थानों में मुकदमा भी दर्ज करेगी।
जानकारों की मानें तो रमजान महीने के दौरान बंदा अल्लाह पाक के बेहद करीब रहता है। इस दौरान बंदे की तक़रीब अल्लाह से होती है। अल्लाह के करीब रहने और उनकी रहमत पाने के लिए रमजान के दौरान पांचों वक्त की नमाज अदा की जाती है। वहीं, ईद के मौके पर नमाज अदा कर खुदा से इबादत की जाती है। ऐसा करने से बंदे को खुदा का शबाब मिलता है।
ईद के मौके पर नमाज अदा करने के बाद इमाम लोगों को उपदेश देते हैं। इस समय इमाम लोगों को रोजे रखने के फायदे और रमजान महीने का धार्मिक महत्व बताते हैं। लोग एक दूसरे के गले लगते हैं। इस समय लोग एक दूसरे को ईद की बधाइयां देते हैं। फिर एक दूसरे के घर पर जाते हैं। सभी लोग मिलकर पूरी-पकवान, सेवई और विभिन्न प्रकार के लजीज व्यंजनों का लुत्फ उठाते हैं।
यह भी पढ़ें: इस बार ईद पर नहीं मिलेगी छुट्टी, यूपी में इन कर्मचारियों को आना पड़ेगा दफ्तर
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
डंकी रूट से अमेरिका भेजने वाला एक आरोपी गिरफ्तार, NIA ने खोला कच्चा-चिट्ठा; मारपीट का भी आरोप
पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार को कुख्यात डंकी रूट के माध्यम से एक व्यक्ति को अवैध रूप से अमेरिका भेजने में कथित रूप से शामिल एक प्रमुख आरोपी को गिरफ्तार किया।
माना जाता है कि डंकी शब्द गधा शब्द से उत्पन्न हुआ है, जो एक अवैध मार्ग को संदर्भित करता है, जिसे अप्रवासी उचित दस्तावेज के बिना संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों में प्रवेश करने के लिए अपनाते हैं। उनकी जोखिम भरी और कठिन यात्रा आमतौर पर मानव तस्करी सिंडिकेट द्वारा सुगम बनाई जाती है।
अमेरिका जाने के लिए 45 लाख दिएएक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर निवासी आरोपी गगनदीप सिंह उर्फ गोल्डी को एनआईए ने गिरफ्तार किया है। इसमें कहा गया है कि गोल्डी को पंजाब के तरनतारन जिले के एक पीड़ित ने अवैध इमीग्रेशन के लिए कथित तौर पर लगभग 45 लाख रुपये का भुगतान किया था।
एनआईए द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि पीड़ित को दिसंबर 2024 में डंकी मार्ग से अमेरिका भेजा गया था। उसे 15 फरवरी को अमेरिकी अधिकारियों द्वारा भारत निर्वासित किया गया था और उसके बाद उसने आरोपी एजेंट के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी।
13 मार्च को एनआईए ने शुरु की थी जांचयह मामला मूल रूप से पंजाब पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था और बाद में 13 मार्च को एनआईए ने इसे अपने हाथ में ले लिया। एनआईए की जांच में पता चला कि गोल्डी, जिसके पास लोगों को विदेश भेजने के लिए लाइसेंस या कानूनी परमिट या पंजीकरण नहीं था, ने डंकी मार्ग का इस्तेमाल किया और पीड़ित को स्पेन, अल साल्वाडोर, ग्वाटेमाला और मैक्सिको के रास्ते अमेरिका भेजा।
बयान में कहा गया है कि गोल्डी के सहयोगियों ने पीड़ित के साथ मारपीट की और उसका शोषण किया, साथ ही उसके पास मौजूद डॉलर भी छीन लिए। लोकसभा में एक प्रश्न का उत्तर देते हुए केंद्रीय विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने 28 मार्च को कहा था कि जनवरी 2025 से अब तक कुल 636 भारतीय नागरिकों को अमेरिका से भारत भेजा गया है।
यह भी पढे़ं: क्या है डंकी रूट? सिर पर कफन बांधकर चलते हैं लोग; फिर जंगलों को पार कर मेक्सिको होते हुए ऐसे पहुंचते हैं अमेरिका
'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग' बना Yoga Day 2025 का थीम, पीएम मोदी ने की घोषणा
पीटीआई, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को घोषणा की कि इस वर्ष के अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम 'एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य के लिए योग' है। उन्होंने कहा कि यह दिन एक भव्य उत्सव का रूप ले चुका है।
अपने मासिक मन की बात रेडियो प्रसारण में स्वस्थ विश्व जनसंख्या के लिए भारत के दृष्टिकोण को साझा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हम योग के माध्यम से पूरी दुनिया को स्वस्थ बनाना चाहते हैं।
योग दिवस में 100 दिन से भी कम वक्तप्रधानमंत्री ने कहा कि फिटनेस के साथ-साथ गिनती करना भी एक आदत बनती जा रही है, उन्होंने लोगों के ऐसे उदाहरण दिए, जिसमें वे एक दिन में उठाए गए कदमों, खपत की गई कैलोरी और बर्न की गई कैलोरी की संख्या पर नजर रखते हैं।
उन्होंने कहा, 'इन सब के बीच एक और उल्टी गिनती शुरू होने वाली है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की उल्टी गिनती। अब योग दिवस के लिए 100 दिन से भी कम समय बचा है। अगर आपने अभी तक योग को अपने जीवन में शामिल नहीं किया है, तो अभी करें। अभी भी देर नहीं हुई है।'
10 साल पहले हुई थी शुरुआत- 10 साल पहले मनाए गए पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, 'अब यह दिन योग के एक भव्य उत्सव का रूप ले चुका है। यह भारत की ओर से मानवता को दिया गया एक ऐसा अनमोल तोहफा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए बहुत उपयोगी होने वाला है।'
- प्रधानमंत्री ने कहा, 'हम सभी के लिए यह गर्व की बात है कि आज हमारे योग और पारंपरिक चिकित्सा के बारे में पूरी दुनिया में जिज्ञासा बढ़ रही है। बड़ी संख्या में युवा योग और आयुर्वेद को स्वास्थ्य के बेहतरीन माध्यम के रूप में अपना रहे हैं।'
- चिली का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि दक्षिण अमेरिकी देश में आयुर्वेद तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। पीएम ने कहा कि पिछले साल ब्राजील की अपनी यात्रा के दौरान मैंने चिली के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। आयुर्वेद की लोकप्रियता के बारे में हमारी काफी चर्चा हुई थी।
- दुनिया भर में आयुष प्रणालियों की तेजी से बढ़ती लोकप्रियता और प्रमुख हितधारकों के योगदान को स्वीकार करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे सोमोस इंडिया नामक एक टीम के बारे में पता चला है। स्पेनिश में इसका मतलब है- हम भारत हैं। यह टीम लगभग एक दशक से योग और आयुर्वेद को बढ़ावा दे रही है। उनका ध्यान उपचार के साथ-साथ शैक्षिक कार्यक्रमों पर भी है। वे योग और आयुर्वेद से जुड़ी जानकारी का स्पेनिश में अनुवाद भी करवा रहे हैं।'
मोदी ने कहा, 'अगर हम पिछले साल की ही बात करें तो उनके असंख्य कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों में लगभग 9,000 लोगों ने भाग लिया था। मैं इस टीम से जुड़े सभी लोगों को उनके प्रयासों के लिए बधाई देता हूं।' प्रधानमंत्री ने सभी से योग को अपनी दिनचर्या में शामिल करने और समग्र स्वास्थ्य के लिए देश के पारंपरिक ज्ञान पर गर्व करने की भी अपील की।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र ने योग के अभ्यास के अनेक लाभों के बारे में दुनिया भर में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया। इसे पहली बार 2015 में मनाया गया था।
यह भी पढ़ें: 21 जून को ही क्यों मनाते हैं योग दिवस, जानें इस दिन का इतिहास और महत्व
'बारिश की बूंदों को बचाएं', मन की बात के 120वें एपिसोड में बोले पीएम मोदी; भाखड़ा नंगल डैम का दिया उदाहरण
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। गर्मियां शुरू हो चुकी हैं। बारहमासी हो चुकी पेयजल समस्या इन दिनों अपने चरम पर हो जाती है। भारतीय नववर्ष और चैत्र नवरात्र के साथ ही गुड़ी पाड़वा, रोंगाली बिहू, पोइला बोइशाख, नवरेह व ईद की शुभकामनाएं देते हुए रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 'मन की बात' के 120वें एपिसोड में इसी समस्या के निदान को केंद्र बिंदु में रखा।
गर्मी के मौसम में जल संरक्षण के महत्व को समझाते हुए उन्होंने 'कैच द रेन' अभियान का उल्लेख किया। कहा- पिछले सात-आठ वर्षों में इसके तहत देशभर में 1,100 करोड़ क्यूबिक मीटर से अधिक जल का संरक्षण हुआ है।
24.24 लाख जल निकायों का सर्वेक्षणपीएम ने कहा कि जलशक्ति मंत्रालय और विभिन्न स्वयंसेवी संस्थाएं इस दिशा में सक्रिय हैं। देश में हजारों कृत्रिम तालाब, चेक डैम, बोरवेल रीचार्ज और कम्युनिटी सोक पिट का निर्माण हो रहा है। अभियान के तहत पहली बार 24.24 लाख जल निकायों का सर्वेक्षण किया गया है। उन्होंने कहा कि बारिश की बूंदों को बचाकर हम बहुत सारा पानी बर्बाद होने से रोक सकते हैं।
भाखड़ा नंगल डैम का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि इस बांध में जमा पानी गोबिंद सागर झील का निर्माण करता है, जो 90 किलोमीटर लंबी है। इस झील में भी नौ-दस अरब घन मीटर से ज्यादा पानी संरक्षित नहीं हो सकता है, जबकि देशवासियों ने अपने छोटे-छोटे प्रयासों से देश के अलग-अलग हिस्सों में 11 अरब घन मीटर पानी का संरक्षण कर लिया।
टेक्सटाइल वेस्ट की भी चर्चाउन्होंने कर्नाटक के गडग जिले में पुनर्जीवित की गई दो झीलों का उल्लेख करते हुए कहा कि यह सामुदायिक प्रयासों का उत्कृष्ट उदाहरण है। मोदी ने टेक्सटाइल वेस्ट की चर्चा करते हुए कहा कि दुनियाभर में पुराने कपड़ों को जल्द से जल्द हटाकर नए कपड़े लेने का चिंताजनक चलन जोर पकड़ रहा है। इससे टेक्सटाइल वेस्ट बढ़ रहा है।
एक शोध में सामने आया है कि एक प्रतिशत से भी कम टेक्सटाइल वेस्ट को नए कपड़ों में री-साइकिल किया जाता है। भारत दुनिया का तीसरा ऐसा देश है, जहां सबसे ज्यादा टेक्सटाइल वेस्ट निकलता है, यानी चुनौती बड़ी है। प्रधानमंत्री ने इससे निपटने के लिए चल रहे प्रयासों को सराहा। कहा- पानीपत टेक्सटाइल री-साइक्लिंग के ग्लोबल हब के रूप में उभर रहा है। बेंगलुरु भी इनोवेटिव टेक साल्यूशंस से अपनी पहचान बना रहा है।
पीएम के संबोधन की बड़ी बातें- दैनिक जीवन में फिटनेस जरूरी है। फिट इंडिया कार्निवल तथा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस जैसी पहल सराहनीय है।
- स्कूलों में गर्मी की छुट्टियां भी कुछ हफ्तों में शुरू होंगी। छात्रों के लिए यह अपने कौशल को निखारने का समय है।
- दिल्ली में इनोवेटिव आइडिया के रूप में पहली बार फिट इंडिया कार्निवाल का आयोजन किया गया। आप भी अपने क्षेत्रों में इस तरह के आयोजन करें।
- केरल में जन्मे रैपर सूरज चेरुकट, जिन्हें हनुमानकाइंड के नाम से जाना जाता है, का हालिया गीत 'रन इट अप' सराहनीय है। यह भारत की पारंपरिक संस्कृति को बढ़ावा देने के साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहा है।
- खेलो इंडिया पैरा गेम्स में खिलाड़ियों ने अपनी प्रतिभा से सबको हैरान कर दिया। हरियाणा, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के खिलाड़ियों को पहला, दूसरा और तीसरा स्थान हासिल करने के लिए शुभकामनाएं। हमारे दिव्यांग खिलाड़ियों ने 18 राष्ट्रीय कीर्तिमान बनाए, जिनमें से 12 तो महिला खिलाड़ियों के नाम रहे।
यह भी पढ़ें: क्या है MY BHARAT कैलेंडर? गर्मी की छुट्टियों के लिए किया गया तैयार; पीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में किया जिक्र
भारत-अमेरिका व्यापार समझौते के तहत पहले फेज में Goods पर होगा फोकस, अगले चरण में Services पर होगी बात
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत पहले चरण में वस्तु और अगले चरण में सेवाओं पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। दोनों पक्षों ने इस साल की शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) तक पहले चरण को पूरा करने का लक्ष्य रखा है।
उन्होंने इस समझौते के तहत आने वाले हफ्तों में क्षेत्र-विशिष्ट वार्ता आयोजित करने का फैसला किया है। दोनों देशों के बीच यह बातचीत अमेरिका द्वारा दो अप्रैल को भारत सहित अपने प्रमुख व्यापारिक साझेदारों पर पारस्परिक टैरिफ लगाने की धमकी के बाद हुई है।
चार दिनों की वार्ता हुई खत्मभारत और अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच चार दिनों की वार्ता 29 मार्च को दिल्ली में संपन्न हुई। इसके बाद आने वाले हफ्तों में चर्चा करने का निर्णय लिया गया है। सूत्रों ने कहा कि समझौते का पहला चरण वस्तु के क्षेत्रों पर केंद्रित हो सकता है और सेवाओं से संबंधित मुद्दे दूसरे चरण में सामने आ सकते हैं।
समझौते को दो चरणों में अंतिम रूप दिया जाएगा।अमेरिकी अधिकारियों का एक दल प्रस्तावित समझौते की रूपरेखा और संदर्भ की शर्तों को अंतिम रूप देने के लिए यहां आया था। इसका उद्देश्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करना है। इस दल की अगुवाई दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडनलिंच ने की।
डोनाल्ड ट्रंप ने पीएम मोदी को कहा था स्मार्टउल्लेखनीय है कि आधिकारिक स्तर की इस वार्ता को तब एक नई ऊर्जा मिली, जब 28 मार्च को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को ''बहुत स्मार्ट व्यक्ति'' बताया और इस बात पर जोर दिया कि टैरिफ वार्ता ''भारत और अमेरिका के बीच बहुत अच्छी तरह से काम करेगी''।
यह भी पढ़ें: अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स में अब ऐसे पैदा की जाएगी बिजली, जानें क्या है कोल्ड फ्यूजन तकनीक
अंतरिक्ष में सैटेलाइट्स में अब ऐसे पैदा की जाएगी बिजली, जानें क्या है कोल्ड फ्यूजन तकनीक
पीटीआई, नई दिल्ली। अंतरिक्ष में सेटेलाइट्स की उम्र बढ़ाने, उन्हें निर्बाध ऊर्जा प्रदान करने, उनके भार में कमी लाने और स्वच्छ ऊर्जा स्त्रोत प्रदान करने के उद्देश्य से विज्ञानी अब कोल्ड फ्यूजन तकनीक पर काम कर रहे हैं। हैदराबाद स्थित स्टार्ट-अप 'हाइलेनर टेक्नोलाजीज' जल्द ही अंतरिक्ष में बिजली उत्पन्न करने के लिए इस तकनीक का प्रदर्शन करने की योजना बना रहा है। इसका उद्देश्य पृथ्वी की कक्षा में सेटेलाइट्स के जीवन को बढ़ाना और उनका वजन कम करना है। साथ ही अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशन को सक्षम बनाने और सौर ऊर्जा या अन्य ऊर्जा स्त्रोतों पर निर्भरता कम करने का भी इसका महत्वपूर्ण उद्देश्य है।
हाइड्रोजन फ्यूजन से पैदा होती है बिजलीहाइलेनर टेक्नोलाजीज ने कम ऊर्जा वाले परमाणु रिएक्टर (एलईएनआर) का परीक्षण करने के लिए एक अन्य नवोदित फर्म टेकमी2स्पेस सेटेलाइट्स के साथ समझौता किया है। एलईएनआर बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन फ्यूजन का उपयोग करता है। कोल्ड फ्यूजन की अनूठी विशेषता यह है कि यह फ्यूजन रिएक्शन के लिए खपत की गई बिजली के मुकाबले अधिक बिजली उत्पन्न करता है।
हाइलेनर टेक्नोलाजीज के संस्थापक और सीईओ सिद्धार्थ दुराइराजन ने बताया, ''प्रत्येक 100 वाट की इनपुट ऊर्जा के लिए एलईएनआर 178 वाट की आउटपुट थर्मल ऊर्जा उत्पन्न करता है।''
दुराइराजन ने कहा कि परीक्षण एवं प्रक्षेपण के लिए कंपनी ने स्काईरूट और इसरो के छोटे उपग्रह प्रक्षेपण यान और ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) बुक किया है। उन्होंने कहा, ''हमारा उत्पाद तैयार है। हम प्रक्षेपण मंच की प्रतीक्षा कर रहे हैं। इसलिए उनकी प्रक्षेपण तिथियों के आधार पर ही हमारे उत्पाद वहां होंगे।''
गौरतलब है कि टेकमी2स्पेस अंतरिक्ष में कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रहा है। इसका उपयोग अंतरिक्ष में डाटा केंद्रों को संचालित करने के लिए किया जा सकता है। उन्होंने कहा, ''क्यूबसैट पर ग्राफिक्स प्रोसे¨सग यूनिट (जीपीयू) बहुत अधिक गर्मी उत्पन्न करते हैं। हम उस गर्मी का दोहन करने और इसे सेटेलाइट में उपयोग करने योग्य ऊर्जा के रूप में परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे हैं। इससे अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशन और आफ-ग्रिड बिजली समाधानों के लिए नई संभावनाएं खुल सकती हैं।''
टेकमी2स्पेस के फाउंडर ने क्या कहा?टेकमी2स्पेस के संस्थापक रौनक कुमार सामंत्रे ने कहा कि उनकी कंपनी एलईएनआर सहित कई ऊर्जा प्रौद्योगिकियों की तलाश कर रही है ताकि कंप्यूट-केंद्रित सेटेलाइट्स में गर्मी निष्कर्षण और संभावित पुन: उपयोग के लिए प्रभावी तरीकों का आकलन किया जा सके। हाइलेनर के पास अपनी कम ऊर्जा परमाणु रिएक्टर तकनीक के लिए सरकार से प्राप्त पेटेंट है। यह तकनीक अंतरिक्ष अनुप्रयोगों के लिए गर्मी पैदा करने, कई अनुप्रयोगों के लिए भाप उत्पादन, वैश्विक स्तर पर ठंडे क्षेत्रों में कमरे को गर्म करने, और घरेलू एवं औद्योगिक आवश्यकताओं के लिए प्रेरण (इंडक्शन) हीटिंग के लिए इनपुट इलेक्टि्रसिटी में वृद्धि करती है।
दुराइराजन ने कहा कि सौर पैनल, बैटरी और अन्य उपकरणों की मदद से बिजली के उपभोग की वजह से किसी भी सेटेलाइट का भार 40-60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। हाइलेनर का कोल्ड फ्यूजन डिवाइस और टेकमी2स्पेस का आफ-ग्रिड बिजली समाधान अंतरिक्ष में सेटेलाइट्स को बिजली समाधान प्रदान करने तथा अंतरिक्ष में लंबी अवधि के मिशन का प्रयास कर रहा है। अंतरिक्ष में डाटा सेंटर बहुत जल्द एक वास्तविकता बन जाएंगे।
यह भी पढ़ें: खरीफ फसल के लिए मिलता रहेगा सस्ता फर्टिलाइजर, 37 हजार करोड़ की सब्सिडी को हरी झंडी
'एक ही पद पर लंबे समय तक न रहें अधिकारी', संसद समिति ने की सिफारिश; रिपोर्ट में लिखा- इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा
पीटीआई, नई दिल्ली। कार्मिक, लोक शिकायत, विधि एवं न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने कहा है कि अधिकारियों के लंबे समय तक एक ही पद पर बने रहने से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। लिहाजा नीति के अनुसार तत्काल सभी तबादले किए जाने चाहिए और कोई भी अधिकारी किसी भी मंत्रालय में निर्धारित समय सीमा से अधिक नहीं रहे।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) से संबंधित अनुदान मांगों (2025-26) पर 27 मार्च को संसद में पेश अपनी 145वीं रिपोर्ट में समिति ने कहा कि सभी अधिकारियों के लिए एक रोटेशन नीति रही है, लेकिन इसे पूरी तरह लागू नहीं किया जा रहा।
8-9 साल से तैनात हैं अधिकारीऐसे भी अधिकारी हैं जो अनुकूल मंत्रालयों या स्थानों पर आठ-नौ वर्षों से अधिक समय से तैनात हैं, खासकर आर्थिक एवं संवेदनशील मंत्रालयों में। ये अधिकारी संगठन प्रमुखों के चार-पांच बार बदल जाने के बावजूद अपने पद पर बने हुए हैं। इस प्रवृत्ति का आंकलन किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे उदाहरण भी सामने आए हैं जिनमें अधिकारियों ने अपनी पोस्टिंग में इतनी चतुराई का इस्तेमाल किया है कि उनका पूरा करियर एक ही मंत्रालय में रहा है। इस तरह की खामियों को तत्काल दूर किया जाना चाहिए।
समिति ने कामकाज की समीक्षा की- समिति ने यह टिप्पणी केंद्रीय सचिवालय सेवाओं (सीएसएस) और केंद्रीय सचिवालय आशुलिपिक सेवाओं (सीएसएसएस) के कामकाज की समीक्षा करते समय की, जो केंद्रीय सचिवालय के कामकाज का मुख्य आधार हैं।
- रिपोर्ट में कहा गया है, 'समिति के संज्ञान में लाया गया है कि खासकर सीएसएस एवं सीएसएसएस में सभी राजपत्रित अधिकारियों को संवेदनशील और गैर-संवेदनशील पोस्टिंग के आधार पर रोटेट किया जाता है।'
- इसके मुताहिक, 'संवेदनशील स्थानों पर अधिकारियों को तीन वर्षों के बाद बदल दिया जाता है। इसी तरह मंत्रालयों को भी आर्थिक और गैर-आर्थिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है। वित्त मंत्रालय में ऐसे विभाग हैं जिन्हें आर्थिक और गैर-आर्थिक के रूप में वर्गीकृत किया गया है।'
यह भी पढ़ें: 'UPSC परीक्षा के तुरंत बाद जारी हो आंसर की', संसदीय समिति ने दिया सुझाव; कहा- देरी से मनोबल गिरता है
गंगा नदी में प्रदूषण का मामला, बिहार सरकार को राहत; NGT के जुर्माना वाले आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें बिहार सरकार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया था। एनजीटी ने गंगा नदी के प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण से संबंधित मामले में अपने निर्देशों का पालन नहीं करने और उचित सहायता नहीं करने के लिए बिहार सरकार पर यह जुर्माना लगाया था।
एनजीटी ने पिछले साल 15 अक्टूबर को पारित अपने आदेश में बिहार के मुख्य सचिव को गंगा नदी में प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए उठाए गए कदमों के बारे में उसे अवगत कराने के लिए वीडियो कांफ्रेंस के जरिये अपने समक्ष पेश होने का भी निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में हुई मामले की सुनवाईजस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने एनजीटी के आदेश को चुनौती देने वाली बिहार सरकार की याचिका पर सुनवाई की। पीठ ने इस मामले में केंद्र और अन्य हितधारकों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर याचिका पर जवाब मांगा है।
गंगा में प्रदूषण के रोकथाम पर काम कर रहा NGTएनजीटी गंगा नदी के प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण के मुद्दे पर विचार कर रहा है। इस मामले को राज्यवार तरीके से देखा जा रहा है, जिसमें वे सभी राज्य और जिले शामिल हैं जहां से गंगा और उसकी सहायक नदियां बहती हैं। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा था कि उसने पहले बिहार में गंगा और उसकी सहायक नदियों के जल की गुणवत्ता के मुद्दे पर विचार किया था।
यह भी पढ़ें: Circle Rate को लेकर सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, बोला- वैज्ञानिक तरीके से तय होने चाहिए रेट
यह भी पढ़ें: Waqf Bill: पीछे हटने को तैयार नहीं केंद्र सरकार, अमित शाह बोले- संसद के इसी सत्र में पेश होगा वक्फ विधेयक