Dainik Jagran - National
गिल्ली-डंडा, कबड्डी, खो-खो और कंचे...स्कूलों में फिर खेले जाएंगे पारंपरिक भारतीय खेल, शिक्षा मंत्रालय ने बनाई योजना
अरविंद पांडेय, जागरण, नई दिल्ली। यदि आप स्कूलों में पढ़ रहे है और अब तक गिल्ली-डंडा, कंचे, कबड्डी, लगड़ी, गुट्टी और राजा मंत्री-चोर सिपाही जैसे खेलों से परिचित नहीं है तो जल्द ही आपको इन परंपरागत प्राचीन भारतीय खेलों से परिचित होने का मौका मिल सकता है।
आधुनिकता और तकनीक के इस दौर में तेजी से लुप्त हो रहे इन परंपरागत भारतीय खेलों को बचाने को लेकर शिक्षा मंत्रालय ने एक नई मुहिम शुरू की है। जिसमें देश की नई पीढ़ी को इन भारतीय खेलों से स्कूली स्तर पर ही जोड़ा जाएगा। इनमें ऐसे परंपरागत खेलों को अधिक अहमियत दी जाएगी, जो समूहों में खेले जाते है।
सामाजिक जुड़ाव की भावना विकसित करने में मिलेगी मददमाना जा रहा है कि इससे बच्चों में सामाजिक जुड़ाव की भावना विकसित करने में मदद मिलेगी। देश के अलग-अलग हिस्सों में प्राचीन समय से खेले जाने वाले करीब 75 भारतीय खेलों को अब तक इस पहल के तहत चिन्हित किया गया है। इनमें खो-खो, लगड़ी, कबड्डी व गिल्ली-डंडा जैसे ऐसे खेल भी शामिल है, जो अलग-अलग नामों से देश के कई हिस्सों में और दुनिया के दूसरे देशों में खेले जाते है।
मंत्रालय फिलहाल कबड्डी की तर्ज पर इन खेलों के लिए एक स्टैंडर्ड नियम-कायदे बनाने में जुटा है। इसमें इन खेलों से जुड़े विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। अब तक कबड़ी, गिल्ली-डंडा, खो-खो और लगोरी या पिट्ठू जैसे खेलों के नियम कायदे व इसे खेलते हुए वीडियो अपलोड भी किए जा चुके है।
बाकी खेलों को लेकर भी ऐसी तैयारी चल रही है। मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक इस पहल के पीछे मकसद बच्चों को इन खेलों के जरिए भारतीय जड़ों से परिचित कराना शामिल है। इसका एक ढांचा तैयार किया जा रहा है। इन खेलों से जुड़े देश भर के प्रतिभाशाली लोगों की पहचान की जा रही है।
फिजिकल टीचर को ट्रेनिंग देने की तैयारीस्कूलों में तैनात खेल व व्यायाम शिक्षकों को इससे जुड़ा प्रशिक्षण देने की तैयारी भी की जा रही है। स्कूलों से इसका ब्यौरा मांगा है। इसके साथ ही इन खेलों के प्रति रुझान बढ़ाने के लिए देश भर में इससे जुड़ी प्रतियोगिताएं आयोजित करने जैसी पहल शामिल है। शिक्षा में भारतीय ज्ञान परंपरा को बढ़ावा देने की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में की गई पहल को इससे जोड़कर देखा जा रहा है।
यह भी पढ़ें: अन्न भंडार भरने में जुटी केंद्र सरकार, दलहन खरीद पर जोर; चना खरीद को भी मंजूरी
अन्न भंडार भरने में जुटी केंद्र सरकार, दलहन खरीद पर जोर; चना खरीद को भी मंजूरी
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। किसान हित में केंद्र सरकार ने सभी राज्य सरकारों से किसी भी हाल में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर फसलों की खरीदारी नहीं करने का आग्रह किया है। सरकार का सबसे अधिक जोर दलहन खरीद पर है, क्योंकि दाल का बफर स्टाक अभी न्यूनतम स्तर पर पहुंच चुका है और ऐसी स्थिति में अगले चार वर्षों के भीतर दलहन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य आसान नहीं है।
कीमतों पर नियंत्रण रखते हुए देश की विशाल आबादी को दाल की आपूर्ति के लिए बफर स्टाक में कम से कम 35 लाख टन दाल होनी चाहिए, ताकि दाम बढ़ने की स्थिति में बाजार में हस्तक्षेप किया जा सके। मगर बफर स्टाक में मानक से अभी आधी मात्रा में ही दाल उपलब्ध है। इसलिए केंद्र सतर्क है।
'उपभोक्ताओं की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध केंद्र सरकार'कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दावा किया कि केंद्र सरकार किसानों के साथ उपभोक्ताओं की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है।दालों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने, किसानों को अत्यधिक खेती के लिए प्रोत्साहित करने एवं दलहन आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत राज्यों के उत्पादन के सौ प्रतिशत अरहर, उड़द और मसूर खरीद को मंजूरी दी है। बजट में भी अपनी आवश्यकता के अनुसार दलहन उत्पादन का संकल्प जताया जा चुका है। इसके लिए अगले चार वर्षों तक उक्त तीनों तरह की दालों की सारी उपज की खरीदारी की जाएगी।
चालू खरीफ मौसम में उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक एवं तेलंगाना में अरहर खरीद को मंजूरी दी गई है। बिहार एवं उत्तर प्रदेश में अरहर की कीमत अभी एमएसपी से अधिक चल रही है। इसलिए यहां खरीदारी की रफ्तार सुस्त है। कर्नाटक में खरीद की अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 120 दिन कर दिया गया है। यहां अब एक मई तक अरहर की खरीद हो सकती है। आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं तेलंगाना में नेफेड एवं एनसीसीएफ के जरिए पौने दो लाख किसानों से अभी तक 2.46 लाख टन अरहर की खरीदारी हो चुकी है।
रबी मौसम के दौरान चना खरीद को भी मंजूरीकृषि मंत्री ने बताया कि दाल भंडार को समृद्ध करने के लिए रबी मौसम के दौरान चना खरीद को भी मंजूरी दी गई है। पीएम-आशा योजना को 2025-26 तक बढ़ाया गया है। इसके तहत किसानों से एमएसपी पर दालों एवं तिलहनों की खरीद होती रहेगी। चालू रबी मौसम में चने की खरीदारी के लिए कुल स्वीकृत मात्रा 27.99 लाख टन है।
तेलहन की कमी को देखते हुए 28.28 लाख टन सरसों की भी खरीदारी होगी। दाल उत्पादक प्रमुख राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात शामिल हैं। मसूर की कुल स्वीकृत मात्रा 9.40 लाख टन है। सरकार ने किसानों को पंजीकरण और प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नेफेड और एनसीसीएफ पोर्टलों का उपयोग सुनिश्चित किया है।
यह भी पढ़ें: लंच-डिनर पर 5% और आइसक्रीम खाई तो 18% जीएसटी, स्लैब में बदलाव की मांग; क्या कम होंगीं टैक्स दरें?
लंच-डिनर पर 5% और आइसक्रीम खाई तो 18% जीएसटी, स्लैब में बदलाव की मांग; क्या कम होंगीं टैक्स दरें?
राजीव कुमार, नई दिल्ली। अगर आप रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं तो पांच प्रतिशत, लेकिन खाने के बाद आइसक्रीम खा लिया तो 18 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। रोटी खाएंगे तो अलग, पराठा खाएंगे तो अलग जीएसटी। कोई ग्राहक एक रोटी और दो पराठा खा ले तो बिल बनाने में दुकानदार परेशान होगा और बिल देखकर ग्राहक भी। रेस्टोरेंट में एसी चल रहा हो या नहीं अगर रेस्टोरेंट को एसी रेस्टोरेंट का दर्जा प्राप्त है तो किसी भी फूड आइटम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगेगा।
कपड़ा खरीदने जाएंगे तो 1000 रुपये से कम वाले पर अलग जीएसटी तो उनसे अधिक वाले पर अलग। फुटवियर में भी यही हाल है। खुले में फूड आइटम पर कोई टैक्स नहीं तो उसे पैक्ड रूप में दे दिया तो टैक्स लग जाएगा। जीएसटी में विसंगतियों के ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं। इन भ्रांतियों की वजह से व्यापारी कई बार गलती कर बैठते हैं और उन्हें पेनाल्टी या अन्य रूप में इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। ग्राहक भी खुद को ठगा महसूस करते हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अब जीएसटी की इन विसंगतियों को दूर करने के साथ जीएसटी की दरों में भी कमी लाने की जरूरत है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, जीएसटी काउंसिल की कुछ बैठकों में इस इस प्रकार की विसंगतियों को दूर करने को लेकर चर्चाएं तो हुईं, लेकिन जीएसटी कलेक्शन और राजनीतिक मजबूरियों की वजह से कोई फैसला नहीं हो सका। जैसे पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में शामिल करने पर चर्चाएं तो कई बार हुईं, लेकिन कोई फैसला नहीं हो सका।
चार नहीं, तीन स्लैब होने चाहिएकेंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के पूर्व चेयरमैन विवेक जोहरी कहते हैं, जीएसटी के लिए सबसे जरूरी चीज है कि सभी खाद्य पदार्थों के लिए एक प्रकार की जीएसटी दर होनी चाहिए व अन्य दरों को भी तार्किक बनाने की जरूरत है। चार स्लैब (5,12,18 और 28) की जगह तीन स्लैब होने चाहिए।
डेलायट के पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) हरप्रीत सिंह कहते हैं, जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने से मुकदमेबाजी में भारी कमी आएगी। जीएसटी स्लैब कम होने से भारत विकसित देशों की श्रेणी में शामिल हो जाएगा। साथ ही, जीएसटी की रिटर्न प्रणाली और इनपुट टैक्स क्रेडिट नीति में भी बदलाव की जरूरत है।
जीएसटी काउंसिल की आगामी बैठक में जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने और कई आइटम की दरों में कमी पर चर्चा शुरू हो सकती है, लेकिन माना जा रहा है कि राज्य राजस्व में कमी की आशंका से दर कम करने पर राजी नहीं होंगे।
GST दरों में कमी से क्या घट जाएगा राजस्व?अप्रत्यक्ष कर विशेषज्ञ एवं डेलायट के पार्टनर एम.एस. मनी के मुताबिक, यह सोचना गलत है कि जीएसटी दरों में कमी से राजस्व संग्रह में कमी आएगी। दर कम होने से वस्तुएं सस्ती होंगी, जिससे खपत बढ़ेगी। खपत बढ़ने से मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार बढ़ेंगे। जाहिर है इससे राजस्व भी बढ़ेगा।
कांग्रेस नेता व छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम तथा बिक्री कर मंत्री टी.एस. सिंह देव भी मानते हैं कि उपभोक्ताओं के लिए जीएसटी टैक्स की दरों को कम करने की जरूरत है। वह कहते हैं कि चूंकि राज्य अपने राजस्व में कमी से समझौता नहीं करेंगे, इसलिए जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने या स्लैब में बदलाव के दौरान राजस्व व उपभोक्ता के बीच का रास्ता निकालना होगा।
जानकार भी कहते हैं कि राजस्व बढ़ने पर राज्यों को वित्तीय रूप से कोई नुकसान नहीं होगा क्योंकि राज्यों को एसजीएसटी के साथ केंद्र के जीएसटी से भी हिस्सेदारी मिलती है।
यह भी पढ़ें- 'जब तक पुराने नियम समझते हैं, तब तक...', व्यापारियों के लिए क्यों झंझट बना GST?
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?विशेषज्ञों का कहना है कि पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी में लाने के लिए केंद्र सरकार को पहल करनी होगी। राज्यों के भरोसे छोड़ने पर पेट्रोलियम कभी भी जीएसटी के दायरे में नहीं आ पाएगा। आने वाले महीने में जीएसटी दर बदलाव पर चर्चा शुरू हो सकती है।
बिहार के उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी के मुताबिक, जीएसटी स्लैब में बदलाव को लेकर बनाए गए मंत्रियों के समूह (जीओएम) ने अभी अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री को नहीं सौंपी है। चौधरी इस जीओएम के अध्यक्ष हैं और उनके मुताबिक जल्द ही वे वित्त मंत्री को रिपोर्ट सौंपने वाले हैं।
डिफेंस कॉलोनी आरडब्ल्यूए को सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 40 लाख हर्जाना देना होगा
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी की आरडब्ल्यूए (रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन) को लोधी काल के स्मारक शेख अली की गुमटी से छह दशक पुराने अवैध कब्जे के हर्जाने के तौर पर 40 लाख रुपये पुरातत्व विभाग को देने को कहा है।
15वीं सदी का यह स्मारक पुरातत्व विभाग की देखरेख में होने के बावजूद डिफेंस कॉलोनी की आरडब्ल्यूए के कब्जे में है। इस मामले पर अगली सुनवाई आठ अप्रैल को होनी है।
पुरातत्व विभाग को मिलेगी हर्जाने की रकमजस्टिस सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की खंडपीठ ने इस अवधि की लागत को माफ करने से इनकार कर दिया है। खंडपीठ ने कहा कि उचित यही होगा कि आरडब्लूए 40 लाख रुपये का हर्जाना दिल्ली सरकार से संबद्ध पुरातत्व विभाग को दे दे।
यह विभाग इस स्मारक की देखरेख और मरम्मत का काम करता है। इससे पहले सर्वोच्च अदालत ने कहा था कि आरडब्ल्यूए बताए कि क्यों न स्मारक पर अवैध कब्जे के लिए उस पर हर्जाना लगाया जाए। साथ ही स्मारक के मूल स्वरूप की बहाली के लिए पुरातत्व विभाग को एक कमेटी गठित करने को कहा गया है।
एएसआई को अदालत की फटकारअदालत ने दिल्ली में कला और सांस्कृतिक विरासत के लिए भारतीय राष्ट्रीय न्यास की पूर्व संयोजक स्वपना लिडिल को स्मारक के सर्वे और निगरानी के लिए नियुक्त किया है। उल्लेखनीय है कि खंडपीठ ने नवंबर, 2024 में एएसआइ को इस स्मारक में आरडब्लूए का कार्यालन होने पर फटकार लगाई थी।
यह भी पढ़ें: यूपी समेत उत्तरी राज्यों में दक्षिण के नंदिनी दूध ने दी दस्तक, हाथरस के प्लांट में हो रही पैकेजिंग
राहुल गांधी पर टिप्पणी को लेकर विपक्ष हुआ गोलबंद, संयुक्त पत्र सौंप स्पीकर से की शिकायत
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की टिप्पणियों का सत्तापक्ष की ओर से राजनीतिकरण करने पर गंभीर सवाल उठाते हुए स्पीकर से मुलाकात की। बिरला से गुरूवार को हुई इस मुलाकात में विपक्षी नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने सदन में राहुल गांधी को बोलने का मौका नहीं दिए जाने पर अपना क्षोभ जाहिर करते हुए इस संबंध में एक पत्र भी सौंपा।
विपक्षी दलों ने इस पत्र में नेता प्रतिपक्ष को बोलने का अवसर नहीं देने से लेकर लोकसभा उपाध्यक्ष का अब तक चुनाव नहीं कराए जाने से लेकर विपक्ष के सांसदों का माइक बंद करने जैसे आठ मुद्दों को उठाया है।
स्पीकर को सौंपे गए पत्र में क्या आरोप लगाए?विपक्ष की ओर से स्पीकर को सौंपे गए पत्र में कार्य मंत्रणा समिति के निर्णयों की अनदेखी, स्थगन प्रस्ताव नोटिस को पूरी तरह निष्क्रिय बना दिए जाने, सदस्यों के निजी विधेयकों और प्रस्तावों की उपेक्षा, बजट और अनुदान मांगों पर चर्चा में प्रमुख मंत्रालयों को शामिल न करना, नियम 193 के तहत बेहद कम चर्चाएं करना और सदन में मसले उठाने के दौरान विपक्षी सदस्यों के माइक्रोफोन बंद कर दिए जाने जैसे विषय उठाए गए हैं। इसमें कहा गया है कि जब भी विपक्षी सांसद कोई मुद्दा उठाते हैं तो उनके माइक्रोफोन बंद कर दिए जाते हैं और इसके विपरीत सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्री या सांसद जब भी बोलना चाहते हैं तो तुरंत उन्हें बोलने की अनुमति दी जाती है।
विपक्ष के आरोप?विपक्ष के अनुसार सदन में यह एकतरफा नियंत्रण लोकतांत्रिक बहस की भावना को कमजोर करता है। स्पीकर से विपक्षी नेताओं की इस मुलाकात में लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता गौरव गोगोई, द्रमुक के ए राजा, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, शिवसेना यूबीटी नेता अरविंद सावंत, एनसीपी (एसपी) की सुप्रिया सुले के साथ राजद, आईयूएमएल, एमडीएमके और आरएसपी के भी नेता शामिल थे।
गौरव गोगोई ने प्रतिनिधिमंडल की स्पीकर से मुलाकात के बाद कहा कि विपक्षी नेताओं के संयुक्त हस्ताक्षर का पत्र बिरला को सौंपा गया है जिसमें हमने सदन के संचालन में नियमों-परंपराओं की धज्जियां उड़ाए जाने पर अपनी सामूहिक चिंता और निराशा व्यक्त की है।
स्पीकर की ओर से नियम 349 का संदर्भ लेकर नेता विपक्ष पर टिप्पणी के संदर्भ में उन्होंने कहा कि वह किस विशिष्ट घटना का उल्लेख कर रहे थे, यह स्पष्ट नहीं है। साथ ही हमने स्पीकर का ध्यान आकृष्ट किया कि किस तरह उनकी टिप्पणी का इस्तेमाल कर दुष्प्रचार और राजनीति की जा रही है।
विपक्षी नेताओं ने किस परंपरा का दिया हवाला?विपक्षी नेताओं के पत्र में परंपरा का हवाला देते हुए कहा गया है कि जब भी नेता प्रतिपक्ष खड़े होते हैं, तो उन्हें बोलने की अनुमति दी जाती है। मगर मौजूदा सरकार बार-बार विपक्ष के नेता को बोलने का अवसर देने से इनकार कर रही है और यह पिछली प्रथाओं से अलग है जब टकराव की स्थिति में भी विपक्ष के नेता की बात सुनी जाती थी।
लोकसभा उपाध्यक्ष का पद 2019 से ही रिक्त होने को अभूतपूर्व बताते हुए कहा गया है कि सदन की तटस्थता और कामकाज में उपाध्यक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, फिर भी सरकार चुनाव कराने में विफल रही है। स्थगन प्रस्ताव के संबंध में शिकायत की गई है कि इसे अब पूरी तरह नजरअंदाज या सरसरी तौर पर खारिज कर विपक्षी सांसदों को तत्काल सार्वजनिक मुद्दे उठाने से वंचित किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: भारत की भूमि स्वामित्व योजना के कायल हुए कई बड़े देश, 22 देशों के प्रतिनिधि भारत से सीखने आ रहे ये गुर
चीन की ब्रह्मपुत्र बांध परियोजना पर नजर रख रही सरकार, कीर्ति वर्धन बोले- देश के हितों की रक्षा सर्वोपरि
पीटीआई, नई दिल्ली। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने गुरुवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ब्रह्मपुत्र नदी से संबंधित सभी घटनाक्रमों पर सावधानीपूर्वक नजर रख रही है, जिसमें चीन द्वारा जलविद्युत परियोजना बनाने की योजना भी शामिल है। सरकार देश के हितों की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठा रही है।
सिंह ने कहा कि भारत सरकार अपने हितों की रक्षा के लिए सीमा पार नदियों के मुद्दे पर चीन के साथ संपर्क में बनी हुई है। उन्होंने आगे कहा कि ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों में रहने वाले भारतीय नागरिकों के जीवन और आजीविका की रक्षा के लिए 'निवारक और सुधारात्मक उपाय' किए जा रहे हैं।
भारतीय अप्रवासियों की वापसी'अप्रवासियों की वापसी को वायुसेना या चार्टर्ड विमान का इस्तेमाल नहीं' विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गेरिटा ने तृणमूल सांसद साकेत गोखले द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि विदेश मंत्रालय ने वर्ष 2020 से किसी भी देश से भारतीय अप्रवासियों की वापसी के लिए किसी भी भारतीय वायुसेना, चार्टर्ड या वाणिज्यिक नागरिक विमान का इस्तेमाल नहीं किया है।
देशों का विवरण भी पूछा गयाविदेश मंत्रालय से उन सभी उदाहरणों का विवरण मांगा गया था जब मंत्रालय ने 2020 से अब तक अन्य देशों से निर्वासित भारतीय अप्रवासियों की वापसी के लिए वायु सेना के विमान या चार्टर्ड या वाणिज्यिक नागरिक विमान का इस्तेमाल किया है। उन देशों का विवरण भी पूछा गया था जिन्होंने 2020 से भारतीय अप्रवासियों को निर्वासित करने के लिए सैन्य विमानों का इस्तेमाल किया है।
नागरिक-उन्मुख वेब अनुप्रयोगों में बड़ी संभावनाएंउल्लेखनीय है कि सरकार ने पहले अपने जवाब में कहा था कि 2009 से 2024 तक कुल 15,564 भारतीय नागरिकों को अमेरिका द्वारा भारत निर्वासित किया गया है। एआई-आधारित उपकरणों के उपयोग पर प्रतिबंध नहीं: मंत्री केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने एक लिखित उत्तर में कहा कि किसी भी सरकारी विभाग द्वारा एआई-आधारित उपकरणों के उपयोग और अपनाने पर कोई विशेष प्रतिबंध नहीं है क्योंकि यह एक उभरती हुई तकनीक है जिसमें नागरिक-उन्मुख वेब अनुप्रयोगों में बड़ी संभावनाएं हैं।
हालांकि, सरकारी अधिकारियों से अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी डिजिटल तकनीक या प्लेटफार्म का उपयोग करते समय सार्वजनिक सूचना की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करने के लिए उचित परिश्रम और सावधानी बरतें।
'हमारे संबंधों की नींव है बलिदान', PM मोदी की मोहम्मद यूनुस को चिट्ठी; बांग्लादेश को याद दिलाया मुक्ति संग्राम
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में हालात बेहद अस्थिर बने हुए हैं। इस बीच बांग्लादेश की सरकार के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिट्ठी लिखी है। पीएम मोदी ने बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस पर ये चिट्ठी लिखी है।
पीएम मोदी ने इस चिट्ठी में इतिहास का जिक्र किया और 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम की अटूट भावना को भारत-बांग्लादेश के मजबूत संबंधों की नींव बताया, और बांग्लादेश को उसकी स्थापना में भारत की भूमिका की याद दिलाई।
पीएम ने लिखा,
'मैं बांग्लादेश के राष्ट्रीय दिवस के अवसर पर आपको और बांग्लादेश के लोगों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं। 'यह दिन हमारे साझा इतिहास और बलिदानों का प्रमाण है, जिसने हमारी द्विपक्षीय साझेदारी की नींव रखी है। बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम की भावना हमारे संबंधों के लिए मार्गदर्शक बनी हुई है, जो कई क्षेत्रों में फली-फूली है और हमारे लोगों को ठोस लाभ पहुंचा रही है।
बिम्सटेक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे दोनों नेतापीएम मोदी ने कहा कि हम शांति, स्थिरता और समृद्धि के लिए अपनी साझा आकांक्षाओं और एक-दूसरे के हितों और चिंताओं के प्रति आपसी संवेदनशीलता के आधार पर इस साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोनों नेता 3-4 अप्रैल को बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। ढाका ने द्विपक्षीय बैठक की मांग की है, जबकि भारत अब तक इस मुद्दे पर चुप रहा है।
भारत ने बांग्लादेश को याद दिलाया इतिहासभारत की पुरानी सहयोगी शेख हसीना के नेतृत्व वाली आवामी लीग सरकार को देशव्यापी आंदोलन के बाद गिराए जाने और पूर्व प्रधानमंत्री को भारत भागने पर मजबूर होने के बाद दोनों देशों के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद बनी अंतरिम सरकार का नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता और अर्थशास्त्री मुहम्मद यूनुस कर रहे हैं।
अल्पसंख्यकों पर हमलों की खबरों के बीच भारत ने बांग्लादेश के साथ अपनी चिंताएं साझा की हैं। ढाका ने कहा है कि हमले सांप्रदायिक नहीं, बल्कि राजनीति से प्रेरित हैं।
युनूस ने जताई थी पीएम मोदी से मिलने की इच्छामोहम्मद यूनुस बैंकॉक में होने वाली BIMSTEC समिट में पीएम मोदी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करना चाहते हैं। हालांकि भारत ने अभी तक जवाब नहीं दिया है। इतना ही नहीं युनूस चीन जाने से पहले भारत आना चाहते थे, लेकिन उन्हें भाव नहीं मिला।
यह भी पढ़ें: PM मोदी से मुलाकात की इच्छा जाहिर कर जिनपिंग से मिलने पहुंचे मोहम्मद यूनुस, क्या है दोनों नेताओं का प्लान?
दिल्ली में अभी से अप्रैल जैसी गर्मी, पारा 40 के पार; यूपी-बिहार से लेकर राजस्थान तक लू का खतरा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश के कई राज्यों में कल तेज गर्मी रही, मौसम विभाग के अनुसार आज दिल्ली में गर्मी और परेशान कर सकती है। दिल्ली का अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने का अनुमान है। अन्य राज्यों में भी मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है, मौसम विभाग ने मौसम को लेकर अपडेट जारी किया है।
वहीं आज दिल्ली में हवा भी चल सकती है, जिससे तापमान में एक डिग्री की गिरावट आएगी। 30 मार्च से एक अप्रैल के बीच अधिकतम तापमान 35 से 38 और न्यूनतम तापमान 15 से 19 डिग्री तक रह सकता है। दिल्ली के पीतमपुरा और रिज में तो कल तापमान 40 डिग्री को पार कर गया।
यूपी-बिहार में गर्म हवा चलने के आसारइसके अलावा यूपी, बिहार, राजस्थान और मध्य भारत में भी आने वाले दिनों में तेज गर्म हवाएं चलने के आसार हैं। जिससे लू का खतरा बढ़ने की संभावना है। वहीं पहाड़ी राज्यों में भी मौसम का मिजाज बदला हुआ है। एक नए पश्चिमी विक्षोभ से इन राज्यों के मौसम में बदलाव नजर आएगा। यहां पर बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई गई है।
As per IMD, maximum temperature in Delhi rose to 40.5°C yesterday (26/03/25) pic.twitter.com/R4T7URZAN2
— ANI (@ANI) March 27, 2025 महाराष्ट्र में भीषण गर्मी- महाराष्ट्र में तेज गर्मी पड़ेगी, इसके कई राज्यों में भीषण गर्मी का अलर्ट है। महाराष्ट्र के अकोला जिले में भयंकर गर्मी पड़ना का अलर्ट है।
- पंजाब और हरियाणा में आज तेज हवाएं चलने के आसार हैं।
- दक्षिण भारत में भीषण गर्मी का दौर जारी है, खासकर तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में तापमान 39-40 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है।
- चेन्नई और बेंगलुरु में भी तापमान सामान्य से अधिक बना हुआ है, जिससे लोगों को तेज धूप और उमस का सामना करना पड़ रहा है।
- मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में कुछ इलाकों में लू चल सकती है, जिससे सावधानी बरतने की जरूरत है।
हिमाचल प्रदेश में आज बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई जा रही है। पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से प्रदेश के मौसम में बदलाव देखने को मिलेगा। आज किन्नौर, लाहौल-स्पीति, मंडी, कुल्लू, शिमला, सोलन, सिरमौर और चंबा जैसे मध्य और ऊंचाई वाले जिलों में बारिश और बर्फबारी की संभावना है।
राजस्थान के इन इलाकों में चलेंगी तेज हवाएंमौसम विभाग ने राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर जैसे पश्चिमी जिलों में दक्षिण-पश्चिम से तेज हवाएं चलने के आसार जताए हैं। जिसकी रफ्तार 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे तक रह सकती है। वहीं प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में गर्मी का प्रभाव बना रह सकता है। पंजाब और हरियाणा में आज तेज हवाएं चलने के आसार हैं। वहां धूल भरी आंधी चलने की भी संभावना जताई जा रही है।
यह भी पढ़ें: Bihar Weather Today: मार्च में ही तेवर दिखा रही गर्मी, तापमान तोड़ेगा रिकॉर्ड; IMD ने जारी किया अलर्ट
Nitin Gadkari: विभिन्न कारणों से देशभर में अटकी 637 परियोजनाएं, नितिन गडकरी ने संसद में बताई बड़ी वजह
पीटीआई, नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने राज्यसभा में एक जवाब में कहा कि भारतमाला परियोजना योजना के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं सहित 637 परियोजनाओं में मुख्य रूप से भूमि अधिग्रहण संबंधी मुद्दों और ठेकेदारों के समक्ष आने वाली वित्तीय कठिनाइयों जैसे कारणों से देरी हो रही है।
637 परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी- गडकरीगडकरी ने राज्यसभा में एक जवाब में कहा कि अप्रत्याशित घटनाओं के अलावा निर्माण सामग्री की कमी आदि के कारण भी परियोजनाओं में देरी हुई है। ''भारतमाला परियोजना योजना के अंतर्गत आने वाली परियोजनाओं सहित 637 परियोजनाओं के क्रियान्वयन में देरी हुई है।''
इन चुनौतियों से निपटने और परियोजना निष्पादन में तेजी लाने के लिए सरकार ने विभिन्न पहल की हैं।इसके अलावा, अगर देरी ठेकेदार की वजह से होती है, तो हर्जाना लगाया जाता है और देरी के कारण कोई अतिरिक्त लागत नहीं आती है। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी विलंबित परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रही है।
साइबर अपराधों से निपटने को संयुक्त साइबर समन्वय दलकेंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने कहा कि केंद्र ने साइबर अपराधों और साइबर अपराध हाटस्पाट से निपटने वाली विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय बढ़ाने के लिए सात संयुक्त साइबर समन्वय दल गठित किए हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (आई4सी) ने डिजिटल गिरफ्तारी के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले 3,962 से अधिक स्काइप आइडी और 83,668 वाट्सएप अकाउंट की सक्रिय रूप से पहचान की है और उन्हें ब्लॉक किया है।
दो लाख ग्राम पंचायतें ब्राडबैंड कनेक्टिविटी के लिए तैयारपंचायती राज राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल ने बुधवार को कहा कि ग्रामीण भारत को किफायती हाइ-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराने के उद्देश्य से एक परियोजना के तहत दो लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को सेवा के लिए तैयार किया गया है।
बघेल ने एक लिखित उत्तर में राज्यसभा को सूचित किया कि देश की सभी ग्राम पंचायतों को ब्राडबैंड सेवाएं प्रदान करने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा भारतनेट परियोजना को चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।
यह भी पढ़ें- ट्रंप ने विदेशी कारों पर 25 प्रतिशत भारी टैरिफ की घोषणा की, दुनियाभर के ऑटो सेक्टर में मची खलबली
मानवाधिकार पर बनी लघु फिल्म दूध गंगा-वेलीज डाइंग लाइफलाइन को पहला पुरस्कार, जानें दूसरे और तीसरे स्थान पर कौन रहा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बुधवार को 2024 में मानवाधिकारों पर लघु फिल्मों की प्रतियोगिता में सात सर्वश्रेष्ठ फिल्मों को पुरस्कृत किया। इंजीनियर अब्दुल रशीद भट की फिल्म 'दूध गंगा-वेलीज डाइंग लाइफलाइन' को पहला पुरस्कार मिला है।
एनएचआरसी को देश भर से कुल 303 प्रविष्टियां प्राप्त हुईंयह फिल्म इस बात पर चिंता जताती है कि कैसे दूध गंगा नदी में विभिन्न अपशिष्टों के प्रवाहित होने से यह प्रदूषित हुई और घाटी के लोगों की भलाई के लिए इसके जीर्णोद्धार की आवश्यकता है। यह फिल्म अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में हैं तथा फिल्म के सारे शीर्षक अंग्रेजी में हैं। एनएचआरसी को देश भर से कुल 303 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं थीं।
दूसरा पुरस्कार आंध्र प्रदेश के कदारप्पा राजू की 'फाइट फॉर राइट्स' को मिला है। यह फिल्म बाल विवाह और शिक्षा के मुद्दे को उठाती है। तीसरा पुरस्कार आर रविचंद्रन द्वारा बनाई गई 'गॉड' को मिला है। इस मूक फिल्म में एक बूढ़े नायक के माध्यम से पेयजल का मूल्य बताया गया है।
चार लघु फिल्मों को विशेष उल्लेख प्रमाण पत्र भी प्रदान किया गया। इनमें तेलंगाना के हनीश उंद्रमतला की 'अक्षराभ्यासम', तमिलनाडु के आर सेल्वम की 'विलायिला पट्टाधारी' (एन एक्सपेंसिव ग्रेजुएट), आंध्र प्रदेश के मदका वेंकट सत्यनारायण की 'लाइफ आफ सीता' और आंध्र प्रदेश के लोटला नवीन की 'बी ए ह्यूमन' हैं।ये पुरस्कार दिल्ली में एनएचआरसी परिसर में आयोजित समारोह में दिए गए।
देश के विभिन्न हिस्सों से 300 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुईइस अवसर पर एनएचआरसी अध्यक्ष जस्टिस वी रामसुब्रमण्यन ने संबोधन में कहा कि आयोग का उद्देश्य मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के प्रति जागरूकता पैदा करना है। मानव अधिकारों पर लघु फिल्म प्रतियोगिता पिछले एक दशक से इस उद्देश्य को बहुत प्रभावी ढंग से पूरा कर रही है। 2015 में जब यह प्रतियोगिता शुरू हुई थी तब केवल 40 प्रविष्टियां प्राप्त हुईं थीं और अपने 10वें वर्ष 2024 में देश के विभिन्न हिस्सों से 300 से अधिक प्रविष्टियां प्राप्त हुई।
ये लोग रहे उपस्थितइससे पता चलता है कि मानवाधिकार जागरूकता के साथ इस आयोजन ने कश्मीर से कन्याकुमारी तक लोगों के बीच कितनी लोकप्रियता हासिल की है। इस मौके पर एनएचआरसी सदस्य न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी, विजया भारती सयानी और महासचिव भरत लाल आदि उपस्थित थे।
दुर्घटना वाले दिन औसत बिक्री से 11 प्रतिशत अधिक बिके प्लेटफॉर्म टिकट, नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे पर बोले रेल मंत्री
पीटीआई, नई दिल्ली। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर 11,099 प्लेटफार्म टिकट बिके। उस दिन स्टेशन पर भगदड़ मची थी जिसमें 18 यात्रियों की मौत हो गई थी, और यह प्रतिदिन औसत बिक्री से केवल 11 प्रतिशत अधिक है।
टीएमसी सांसद ने पूछा सवालबुधवार को लोकसभा में एक लिखित जवाब में रेल मेंत्री ने कहा कि मौजूदा प्लेटफार्म की क्षमता इस भार को वहन करने के लिए पर्याप्त है। अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद अधिकारी दीपक ने पिछले छह महीनों के साथ-साथ 15 फरवरी को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से प्लेटफार्म टिकटों की बिक्री का ब्योरा मांगते हुए यह मुद्दा उठाया।
वैष्णव ने कहा, ''व्यक्तियों को प्लेटफॉर्म टिकट जारी करने का उद्देश्य मुख्य रूप से बुजुर्ग, मरीज, महिला यात्री आदि टिकट धारकों को प्लेटफॉर्म क्षेत्र के अंदर ले जाना है।'' उन्होंने कहा, ''प्लेटफॉर्म टिकट जारी होने के समय से केवल दो घंटे के लिए वैध होता है और इन टिकटों को जारी करना प्लेटफॉर्म पर बैठने की जगह की क्षमता के अनुसार सीमित होता है।''
16 लाख लोगों को परोसा जाता है ट्रेन में खानाउन्होंने कहा कि सितंबर, 2024 से फरवरी, 2025 के दौरान नई दिल्ली स्टेशन से प्रतिदिन बिकने वाले प्लेटफॉर्म टिकटों की औसत संख्या 9,958 थी। लोकसभा में ही उन्होंने बताया कि ट्रेनों में प्रतिदिन 16 लाख भोजन परोसा जाता है। एक लिखित जवाब में उन्होंने कहा कि भारतीय रेलवे के नेटवर्क पर प्रतिदिन औसतन 16 लाख भोजन परोसा जाता है, ताकि सुचारू और निर्बाध सेवाएं सुनिश्चित की जा सकें।
उधर, वैष्णव ने राज्यसभा में कहा कि रेलवे भर्ती बोर्ड (आरआरबी) को पिछली प्रणाली में कथित अनियमितताओं के कारण विभागीय परीक्षा आयोजित करने के लिए कहा गया था। रेल मंत्रालय ने हाल ही में एक आदेश जारी किया था जिसके माध्यम से उसने सभी विभागीय पदोन्नति परीक्षाओं को रद कर दिया था और आरआरबी को भविष्य में ऐसी सभी परीक्षाएं आयोजित करने के लिए कहा था।
नवरत्न के दर्जे से हितधारकों का विश्वास बढ़ेगा : रेल मंत्रीवैष्णव ने कहा कि आइआरसीटीसी और आइआरएफसी को नवरत्न का दर्जा दिए जाने से बाजार की धारणा, हितधारकों का विश्वास और सबसे महत्वपूर्ण बात, कर्मचारियों का मनोबल और प्रेरणा बढ़ेगी।
कांग्रेस सांसद विजय वसंत ने भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (आइआरसीटीसी) और भारतीय रेलवे वित्त निगम (आइआरएफसी) को नवरत्न का दर्जा दिए जाने का मुद्दा उठाया और उनके वित्तीय प्रदर्शन के बारे में विस्तृत जानकारी मांगी, जिसके कारण उन्हें नवरत्न का दर्जा दिया गया। उन्होंने अन्य मुद्दों के अलावा यह भी पूछा कि क्या इससे उनके संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ने की उम्मीद है।
रेल मंत्री ने कहा, ''आइआरसीटीसी और आइआरएफसी का परिचालन से राजस्व क्रमश: 17 प्रतिशत और 14 प्रतिशत से अधिक की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ा है, जबकि पिछले पांच वर्षों के दौरान नेटवर्थ, ब्याज, मूल्य और कर से पहले की कमाई और कर के बाद लाभ क्रमश: 20 प्रतिशत और 10 प्रतिशत से अधिक चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर के साथ बढ़ा है।''
अंतरिक्ष कानून के मसौदे की गहन जांच की जा रही : जितेंद्र सिंहप्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि अंतरिक्ष कानून के मसौदे की गहन जांच की जा रही है क्योंकि यह इस क्षेत्र के लिए पहला विधेयक है। ''इस क्षेत्र में पहला विधेयक होने के कारण, सरकार में इसकी गहन जांच की जा रही है और सभी उचित प्रक्रियाएं पूरी होने के बाद इसे पेश किया जाएगा।''
भारत में अंतरिक्ष गतिविधियों को विनियमित करने और बढ़ावा देने के लिए कानूनी ढांचा स्थापित करने के लिए ''अंतरिक्ष गतिविधि विधेयक'' पर पहली बार 2017 में चर्चा की गई थी - विशेष रूप से इस क्षेत्र में निजी खिलाडि़यों पर केंद्रित।
पिछले वर्ष अक्टूबर से भारत-चीन संबंधों में हुआ कुछ सुधार, जयशंकर ने रिश्तों पर कही बड़ी बात
पीटीआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को कहा कि पिछले वर्ष अक्टूबर से भारत और चीन के बीच संबंधों में कुछ सुधार हुआ है। दोनों देश इसके विभिन्न पहलुओं पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि 2020 में जो हुआ, वह उन मुद्दों से निपटने का तरीका नहीं था। भविष्य में भी दोनों देशों के बीच मुद्दे उठेंगे, लेकिन संघर्ष के बिना भी उनसे निपटने के तरीके हैं।
द्विपक्षीय संबंधों को फिर कायम करने की कोशिशबुधवार को एशिया सोसाइटी के क्यूंग-वा कांग के साथ बातचीत में जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन 2020 में की गई कार्रवाइयों से हुए नुकसान को कम करने और द्विपक्षीय संबंधों को फिर कायम करने की कोशिश कर रहे हैं।
हमने 1962 में चीन के साथ युद्ध किया थाउन्होंने कहा, ''हमने 1962 में चीन के साथ युद्ध किया था। उसके बाद हमें राजदूत को वापस भेजने में 14 वर्ष लग गए। भारत के प्रधानमंत्री को उस देश का दौरा करने में 12 वर्ष और लगे। 1988 से भारत और चीन के बीच एक समझ बनी जिसके आधार पर संबंधों को फिर बनाया गया। हम सीमा मुद्दों में से अधिकांश को हल नहीं कर सके, लेकिन हमने एक रिश्ता बनाया और उसका प्रबंधन किया।''
जयशंकर ने कहा कि सीमा मुद्दे का समाधान खोजने के लिए बातचीत चल रही थी। अगर हम 1988 को 2020 तक का शुरुआती बिंदु मानें तो सीमावर्ती क्षेत्रों में घटनाएं तो हुईं, लेकिन रक्तपात नहीं हुआ। 2020 से 45 वर्ष पहले आखिरी रक्तपात हुआ था। उन्होंने 2020 में भारत-चीन के बीच सीमा पर गतिरोध को याद किया, जिसमें भारत की ओर से सैन्य कार्रवाई शामिल थी। कहा, यह गतिरोध एलएसी पर पूर्वी लद्दाख में चीन की सैन्य कार्रवाई से शुरू हुआ था।
दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तनाव पैदा कियाइस घटना ने दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी तनाव पैदा किया। यह सिर्फ रक्तपात नहीं था। यह लिखित समझौतों की अवहेलना थी क्योंकि यह वह स्याह क्षेत्र नहीं है जिसके बारे में हम बात कर रहे हैं। यानी जिस पर सहमति बन गई थी, उसकी शर्तों से हटना बहुत महत्वपूर्ण था। विदेश मंत्री ने कहा कि यह मुद्दा अभी पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है और यह अवधि (2020 से 2025) भी दोनों देशों में से किसी के हित में नहीं रही।
कैलास मानसरोवर यात्रा बहाली पर आगे बढ़ी बातभारत और चीन के विदेश मंत्रालयों के बीच बुधवार को बी¨जग में आधिकारिक परामर्श बैठक हुई। इसके बाद विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत-चीन ने 2025 में कैलास मानसरोवर यात्रा फिर से शुरू करने के तौर-तरीकों पर और प्रगति की है।
विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) गौरांगलाल दास ने चीनी विदेश मंत्रालय के एशियाई मामलों के विभाग के महानिदेशक लियू जिनसोंग के साथ यह बैठक की। इस दौरान दोनों पक्षों ने संबंधों को स्थिर बनाने और पुनर्निर्माण के लिए जनवरी, 2025 में विदेश सचिव और चीनी उप विदेश मंत्री के बीच बैठक में सहमति वाले विशिष्ट कदमों के साथ-साथ रणनीतिक निर्देशों को लागू करने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की।
आगे अहम मु्द्दों पर होगी बातचीतविदेश मंत्रालय ने बयान में कहा, ''दोनों पक्ष लोगों के बीच आदान-प्रदान को और सुविधाजनक बनाने एवं बढ़ावा देने के प्रयासों को जारी रखने पर सहमत हुए, जिनमें सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने, मीडिया व थिंक-टैंकों के बीच बातचीत और राजनयिक संबंधों की स्थापना की 75वीं वर्षगांठ मनाना शामिल है। दोनों पक्षों ने 2025 में कैलास मानसरोवर यात्रा फिर शुरू करने के तौर-तरीकों पर और प्रगति की है।''
चरणबद्ध तरीके से वार्ता तंत्र को बहाल करने पर चर्चा कीबयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने इस वर्ष निर्धारित वार्ता व गतिविधियों का भी जायजा लिया। चरणबद्ध तरीके से वार्ता तंत्र को बहाल करने पर चर्चा की, ताकि एक-दूसरे के हितों व चिंताओं के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान दिया जा सके तथा संबंधों को अधिक स्थिर व पूर्व अनुमानित मार्ग पर ले जाया जा सके। इससे पहले मंगलवार को दोनों देशों ने परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के तहत बातचीत की थी।
UGC ने लॉन्च किया अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम, रोजगार क्षमता होगी मजबूत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) से आग्रह किया है कि वे स्नातक छात्रों के लिए अप्रेंटिसशिप एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (एईडीपी) लागू करें, ताकि छात्र अपनी पढ़ाई के साथ-साथ व्यावहारिक प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें और रोजगार के अवसर बढ़ा सकें।
यूजीसी के अनुसार, एईडीपी का मुख्य मकसद छात्रों की रोजगार क्षमता को बढ़ाना, परिणाम आधारित शिक्षा पर जोर देना, उच्च शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के बीच संबंध मजबूत करना, और उद्योगों में कौशल अंतर को कम करना है।
तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में छात्रों को कम से कम एक सेमेस्टर और अधिकतम तीन सेमेस्टर तक अप्रेंटिसशिप करनी होगी। चार वर्षीय पाठ्यक्रम में यह अवधि न्यूनतम दो सेमेस्टर और अधिकतम चार सेमेस्टर की होगी।
पात्रता मानदंडकोई भी उच्च शिक्षा संस्थान एईडीपी कार्यक्रम पेश कर सकता है, यदि वह निम्नलिखित में से किसी एक शर्त को पूरा करता है:
- राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की विश्वविद्यालय श्रेणी में रैंकिंग।
- राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद (NAAC) से वैध ग्रेड या स्कोर।
- यूजीसी द्वारा निर्दिष्ट मानदंडों का अनुपालन करते हुए NAAC द्वारा वैध बुनियादी प्रत्यायन।
उच्च शिक्षा संस्थान प्रशिक्षुता अधिनियम, 1961 और प्रशिक्षुता नियम, 1992 के अनुरूप वजीफे के साथ, प्रशिक्षुता को सुविधाजनक बनाने के लिए कंपनियों के साथ सहयोग कर सकते हैं। वे राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (NATS) पोर्टल के माध्यम से भी एईडीपी को लागू कर सकते हैं, जहां वजीफे को प्रशिक्षुता प्रशिक्षण बोर्ड (BOAT) या व्यावहारिक प्रशिक्षण बोर्ड (BOPT) के साथ साझेदारी में सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाएगा।
पूर्व शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) दिशानिर्देशयूजीसी ने पूर्व शिक्षा की मान्यता (आरपीएल) के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश भी जारी किए हैं, जो व्यक्तियों के मौजूदा ज्ञान, कौशल और अनुभव का मूल्यांकन करने के लिए एक औपचारिक तंत्र है, ताकि उच्च शिक्षा योग्यता के साथ सहज एकीकरण हो सके। इन पहलों का मकसद छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना और उन्हें उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार करना है, जिससे उनकी रोजगार क्षमता में वृद्धि हो सके।
यह भी पढ़ें: ग्रामीण विकास योजनाओं की सुस्त चाल, खर्च न हुआ 34.82 प्रतिशत बजट
ग्रामीण विकास योजनाओं की सुस्त चाल, खर्च न हुआ 34.82 प्रतिशत बजट
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ग्रामीण विकास योजनाओं के लिए हर वर्ष बजट चाहे भरपूर दिया जा रहा है, लेकिन धरातल पर योजनाएं अपेक्षित गति नहीं पकड़ पा रही हैं। ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि ग्रामीण विकास की केंद्रीय वित्त पोषित योजनाओं के लिए वर्ष 2024-25 में बजट का जो संशोधित अनुमान रखा गया था, उसमें से 34.82 प्रतिशत पैसा खर्च ही नहीं हो सका है।
मंत्रालय के इसके कई कारण बताए हैं, लेकिन समिति ने चिंता जताते हुए सरकार को धरातल पर सक्रिय क्रियान्वयन और सतत निगरानी की नसीहत दी है। संसदीय समिति ने पाया है कि 2024-25 के संशोधित बजट में आवंटित 1,73,804.01 करोड़ रुपये के मुकाबले वास्तविक व्यय केवल 1,13,284.55 करोड़ रुपये रहा, जो संशोधित अनुमान चरण में आवंटित राशि से 34.82 प्रतिशत कम है।
वित्तीय समीक्षा के अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का 15,825.35 करोड़ रुपये, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का 3,545.77 करोड़ रुपये, नेशनल सोशल असिस्टेंस प्रोग्राम का 1,813.34 करोड़ रुपये, राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का 2,583.16 करोड़ रुपये, मनरेगा का 1,627.65 करोड़ और दीनदयाल उपाध्याय- ग्रामीण कौशल्य योजना का 1,313.43 करोड़ रुपया वर्ष 2024-25 में खर्च नहीं हो सक।
इसके साथ ही सिफारिश की गई है कि सभी हितधारकों के परामर्श से त्रैमासिक और मासिक व्यय योजनाएं पहले ही तैयार कर लें और सुनिश्चित कर लिया जाए कि योजना कार्यान्वयन के प्रत्येक चरण में पर्याप्त धन उपलब्ध रहे।समिति ने यह भी कहा है कि वित्त वर्ष 2025-26 के लिए ग्रामीण विकास विभाग के कुल बजटीय आवंटन में 2.27 प्रतिशत की मामूली वृद्धि हुई है, जो कि 1,88,754.53 करोड़ रुपये है, जबकि वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 1,84,566.19 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
यह मामूली वृद्धि ग्रामीण प्रगति की सतत गति के लिए पर्याप्त नहीं है। यह भी देखा गया है कि डीएवाइ-एनआरएलएम को छोड़कर, मनरेगा, पीएमजीएसवाइ, पीएमएवाइ-जी और एनएसएपी जैसी प्रमुख योजनाओं के लिए धन को लगभग स्थिर रखा गया है। ऐसे में सरकार को ध्यान रखना होगा कि ग्रामीण विकास की कोई भी योजना धन की कमी या लक्षित योजनाओं के कार्यान्वयन की धीमी गति के कारण बाधित न हो।
भारत-अमेरिका में कारोबारी समझौते पर गहन विमर्श, जयशंकर बोले- 'व्यापक होगा असर'
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय कारोबारी समझौते (बीटीए) को लेकर वार्ता नई दिल्ली में शुरू हो गई। वार्ता का यह दौर इस सप्ताह शुक्रवार तक चलने वाली है और बहुत संभव है कि दो अप्रैल, 2025 से पहले दोनों देशों के बीच उक्त कारोबारी समझौते को लेकर सहमति बन जाए। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल से ही भारत पर पारस्परिक टैक्स लगाने की धमकी दी हुई है।
दोनों देशों के बीच शुरू हुई वार्ता को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई बयान अभी नहीं आया है, लेकिन विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को कहा कि अमेरिका के साथ बीटीए पर काफी गहन विमर्श हो रहा है। अमेरिका के अलावा भारत ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के साथ मुक्त कारोबारी समझौता (एफटीए) करने के लिए बात कर रहा है। इन तीनों समझौतों का काफी व्यापक आर्थिक असर होगा।
एशिया सोसाइटी की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि भारत पहली बार तीन बड़ी आर्थिक शक्तियों के साथ कारोबारी समझौता करने के लिए बातचीत कर रहा है। अभी तक भारत ने अपने भौगोलिक क्षेत्र के पूर्वी हिस्से में स्थित देशों (जापान, दक्षिण कोरिया, आसियान व आस्ट्रेलिया) के साथ ही मोटे तौर पर कारोबारी समझौता किया है।
पहले जिन देशों (जापान, दक्षिण कोरिया व आसियान) के साथ एफटीए किए गए, वे भारत के लिए प्रतिस्पर्द्धी भी रहे हैं और इन समझौतों का अनुभव भारत के लिए बहुत फायदे का नहीं रहा। लेकिन, अब जिन तीन देशों के साथ ट्रेड समझौते के लिए विमर्श शुरू हुआ है, वहां ज्यादा संभावनाएं हैं। इन देशों के साथ होने वाले समझौतों का ना सिर्फ बड़ा आर्थिक असर होगा, बल्कि दूसरे क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ेगा।
ट्रंप के पहले कार्यकाल के अंत में भी भारत व अमेरिका के बीच एक सीमित दायरे वाले कारोबारी समझौते पर बातचीत काफी आगे बढ़ गई थी। अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से भारत पर पारस्परिक कर लगाने की बार-बार धमकी देने के बावजूद जयशंकर मानते हैं कि ट्रंप सरकार की नीतियां कई तरह से भारत के लिए लाभकारी होंगी।
पहला, राष्ट्रपति ट्रंप पूर्व की सरकारों से ज्यादा रक्षा प्रौद्योगिकी में भारत के साथ सहयोग करने को तैयार हैं। इससे दोनों देशों के बीच बेहतर गुणवत्ता वाले रक्षा संबंध स्थापित होंगे।
दूसरा, नई अमेरिकी सरकार की ऊर्जा नीतियां भारत की ऊर्जा सुरक्षा के लिए काफी सकारात्मक हैं। ट्रंप की नीतियां वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर बनाती हैं।
तीसरा, बड़ी प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर अमेरिका का बढ़ता फोकस भी भारत के लिए सही साबित होगा। बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियां मोबलिटी व सप्लाई चेन की संवेदनशीलता को पहचानती हैं।--
संसद: बैंक अकाउंट में चार नॉमिनी वाला विधेयक राज्यसभा में भी पारित, ध्वनिमत से मिली मंजूरी
पीटीआई, नई दिल्ली। संसद ने बुधवार को बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित कर दिया। इसके तहत बैंक खाताधारकों को अधिकतम चार नामित व्यक्ति (नॉमिनी) रखने की अनुमति होगी। इसे राज्यसभा ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। लोकसभा ने दिसंबर 2024 में ही इस विधेयक को पारित कर दिया था।
ये किया गया बदलावइस विधेयक में एक और बदलाव बैंक में किसी व्यक्ति के 'पर्याप्त हित' शब्द को फिर से परिभाषित करने से संबंधित है। सीमा को मौजूदा पांच लाख रुपये से बढ़ाकर दो करोड़ रुपये करने की मांग की गई है, जो लगभग छह दशक पहले तय की गई थी।
इस विधेयक में सहकारी बैंकों में निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) के कार्यकाल को आठ वर्ष से बढ़ाकर 10 वर्ष करने का भी प्रविधान है, ताकि इसे संविधान (97वां संशोधन) अधिनियम, 2011 के अनुरूप बनाया जा सके।
इस संशोधन के लागू होने के बाद केंद्रीय सहकारी बैंक के निदेशक को राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में सेवा करने की अनुमति मिल जाएगी। इसमें वैधानिक लेखा परीक्षकों को दिए जाने वाले पारिश्रमिक का निर्णय लेने में बैंकों को अधिक स्वतंत्रता देने का भी प्रविधान है।
इस संशोधन का उद्देश्य बैंकों के लिए विनियामक अनुपालन के लिए रिपोर्टिंग तिथियों को दूसरे और चौथे शुक्रवार के बजाय हर महीने की 15वीं और आखिरी तारीख को पुनर्परिभाषित करना भी है।
अनूठा होगा बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक : वित्त मंत्रीराज्यसभा में विधेयक पर बहस का जवाब देते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि संशोधन पांच अलग-अलग अधिनियमों को प्रभावित करेंगे, जिससे यह अनूठा होगा।
उन्होंने कहा, ''यह इसलिए भी अनूठा है क्योंकि आठ टीमों ने संशोधनों पर काम किया, जिससे बजट भाषण के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक बदलाव सुनिश्चित हुए।'' उन्होंने कहा कि भले ही एनपीए में भारी कमी आई है, लेकिन सरकार जानबूझकर कर्ज न चुकाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
गैर-NEP राज्यों का फंड रोकने पर संसदीय समिति ने बताया अनुचित, तमिलनाडु, केरल और बंगाल के आवंटन पर रोक
पीटीआई, नई दिल्ली। एक संसदीय समिति ने कहा है कि पीएम-श्री स्कूल योजना लागू करने पर सहमति नहीं जताने वाले राज्यों का पैसा रोकना न्यायोचित नहीं है। समिति ने यह टिप्पणी 2,100 करोड़ से अधिक राशि रोकने को लेकर केंद्र और तमिलनाडु के बीच जारी वाकयुद्ध के बीच की है। तमिलनाडु ने त्रि-भाषा फार्मूले पर आपत्ति जताते हुए नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) लागू करने से इनकार कर दिया था।
शिक्षा, महिलाओं, बच्चों, युवा व खेल मामलों पर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय स्थायी समिति ने सिफारिश की है कि शिक्षा मंत्रालय को सर्वशिक्षा अभियान (एसएसए) के धन आवंटन का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एनईपी-2020 या पीएम-श्री योजना स्वीकार नहीं करने वाले किसी भी राज्य को नुकसान न हो।
एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले कुछ राज्यों पर सीमित ने लिया संज्ञान
बुधवार को राज्यसभा में प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है, पीएम-श्री योजना लागू करने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले कुछ राज्यों को एसएसए की धनराशि नहीं जारी करने पर समिति ने गंभीरता से संज्ञान लिया है। इस योजना के तहत बंगाल के लिए 1,000 करोड़ रुपये से अधिक, केरल के लिए 859.63 करोड़ और तमिलनाडु के लिए 2,152 करोड़ रुपये की धनराशि लंबित है।
समिति ने इस बात पर भी संज्ञान लिया है कि 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में से 33 ने पीएम-श्री के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं और योजना को क्रियान्वित व एनईपी आदर्श विद्यालय विकसित कर रहे हैं ताकि राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन व पाठ्यक्रम में समानता लाई जा सके। समिति ने सिफारिश की है कि विभाग संबंधित राज्यों के साथ आम सहमति से मुद्दे का समाधान करे और लंबित धनराशि को प्राथमिकता के आधार पर जारी करे।
समिति ने क्या कहा?
विभाग ने भी समिति को सूचित किया है कि पीएम-श्री एनईपी के तहत मॉडल स्कूल योजना है और एसएसए एनईपी के लक्ष्यों को हासिल करने का कार्यक्रम है। पीएम-श्री के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले राज्यों को एसएसए की धनराशि रोकने के पीछे यही कारण लगता है। लेकिन समिति ने कहा कि यह कारण तथ्यात्मक एवं न्यायोचित नहीं है।
समिति ने कहा कि केरल, तमिलनाडु व बंगाल जैसे राज्यों ने राष्ट्रीय औसत से अधिक सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) के साथ मजबूत शैक्षणिक परिणाम प्रदर्शित किया है। लेकिन धनराशि रोकने एवं एसएसए की धनराशि के ट्रांसफर में देरी ने उनकी स्कूली ढांचे, अध्यापकों के प्रशिक्षण व छात्रों की मदद में आगे की प्रगति में बाधा पैदा की है। लिहाजा इन राज्यों को अध्यापकों व अन्य कर्मियों को अपने पास से वेतन देने पर मजबूर होना पड़ा है।
यह भी पढ़ें: देशभर में UPI डाउन: PhonePe, Paytm और Google Pay पर आउटेज की शिकायत; लोगों को पेमेंट करने में परेशानी
रामनवमी पर रामेश्वरम जाएंगे पीएम मोदी, पंबन ब्रिज का करेंगे उद्घाटन
एजेंसी, नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छह अप्रैल को रामनवमी के अवसर पर रामेश्वरम स्थित रामनाथस्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना करेंगे। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी नए पंबन ब्रिज का भी उद्घाटन करेंगे। नया पंबन ब्रिज 1914 में बने पुराने ब्रिज की जगह लेगा, जिसे जंग की समस्या के कारण 2022 में बंद कर दिया गया था।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नवंबर 2024 में एक्स पर भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट रेलवे सी ब्रिज के बारे में पोस्ट किया था। उन्होंने कहा था कि 1914 में निर्मित पुराने पंबन रेल पुल ने 105 वर्षों तक मुख्य भूमि को रामेश्वरम से जोड़ा। दिसंबर 2022 में जंग लगने के कारण इसे बंद कर दिया गया। इसके स्थान पर अब आधुनिक न्यू पंबन ब्रिज तैयार हो रहा है, जो कनेक्टिविटी के एक नए युग की शुरुआत करेगा।
यह पुल 2.5 किलोमीटर से ज्यादा लंबा है और इसे रेल विकास निगम लिमिटेड ने 535 करोड़ रुपये की लागत से बनाया है।वैष्णव ने एक्स पर लिखा था कि इसे तेज गति से चलने वाली ट्रेनों और बढ़े हुए ट्रैफिक को संभालने के लिए डिजाइन किया गया है। नया पंबन ब्रिज सिर्फ काम का नहीं है, यह प्रगति का प्रतीक है, जो लोगों और जगहों को आधुनिक इंजीनिय¨रग से जोड़ता है।
टीबी मुक्त भारत के लिए तैयार हुआ मजबूत आधार: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 100 दिवसीय सघन अभियान ने 'टीबी मुक्त भारत' के लिए मजबूत आधार तैयार किया है। प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि टीबी के खिलाफ भारत की लड़ाई में उल्लेखनीय प्रगति देखी जा रही है। भारत जहां इस वर्ष दुनिया के सबसे घातक संक्रमण टीबी को खत्म करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को देश में टीबी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने के लिए प्रयासरत लोगों की सराहना की।
प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि मैं उन सभी की सराहना करता हूं जो टीबी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत कर रहे हैं और टीबी मुक्त भारत में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह उल्लेखनीय है कि यह प्रयास जमीनी स्तर पर गति पकड़ रहा है, जिससे एक स्वस्थ भारत सुनिश्चित हो रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा की टिप्पणियों को साझा करते हुए कही, जिसमें उन्होंने स्थानीय और सामुदायिक पहल की मदद से टीबी के खिलाफ लड़ाई में भारत द्वारा की गई प्रगति और इसे जन आंदोलन बनाने पर बात की। भारत का लक्ष्य वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले यानी 2025 तक टीबी को खत्म करना है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने पिछले साल दिसंबर में 100 दिनों का गहन टीबी मुक्त भारत अभियान शुरू किया था, जिसका समापन 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस पर हुआ।
ईडी के पूर्व निदेशक मिश्रा पीएम की आर्थिक सलाहकार परिषद में सदस्य नियुक्त
केंद्र सरकार ने ईडी के पूर्व निदेशक संजय कुमार मिश्रा को प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद(ईएसी-पीएम) का पूर्णकालिक सदस्य नियुक्त किया है। सरकार द्वारा कई बार मिश्रा के कार्यकाल को बढ़ाए जाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने उनके बढ़ाए गए कार्यकाल में कटौती की थी और मिश्रा 15 सितंबर 2023 तक ईडी के निदेशक रहे। मिश्रा ने ईडी के निदेशक के रूप में पांच वर्षों का दूसरा सबसे लंबा कार्यकाल पूरा किया था। मंगलवार को जारी एक आदेश में बताया गया कि 1984 बैच के भारतीय राजस्व सेवा (आइआरएस) अधिकारी मिश्रा प्रधानमंत्री द्वारा उनकी नियुक्ति को मंजूरी दिए जाने के बाद परिषद के पूर्णकालिक सदस्य के रूप में सेवा देंगे।
आदेश के मुताबिक, मिश्रा को पदभार ग्रहण करने की तिथि से भारत सरकार के सचिव के पद और वेतन पर नियुक्त किया गया है। यह पुनर्नियुक्त सरकारी अधिकारियों पर लागू सामान्य नियमों और शर्तों के अनुसार है। आर्थिक सलाहकार परिषद एक स्वतंत्र निकाय है, जिसका गठन भारत सरकार विशेष रूप से प्रधानमंत्री को आर्थिक और संबंधित मुद्दों पर सलाह देने के लिए किया गया है। इसके वर्तमान अध्यक्ष अर्थशास्त्री सुमन बेरी हैं। नवंबर, 2024 में परिषद के पूर्व अध्यक्ष बिबेक देबराय की मृत्यु के बाद इस निकाय में एक पद रिक्त हो गया था।
(यह खबर एएनआई और आईएएनएस द्वारा प्रकाशित की गई है)
देशभर में UPI डाउन: PhonePe, Paytm और Google Pay पर आउटेज की शिकायत; लोगों को पेमेंट करने में परेशानी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में वित्तीय लेन-देन में भारी रुकावट के चलते भारत भर के UPI यूजर्स ने बड़े पैमाने पर UPI आउटेज की शिकायत की है। यूजर्स के अनुसार, PhonePe, Paytm और Google Pay ने बुधवार शाम को काम करना बंद कर दिया।
डाउनडिटेक्टर डेटा से यह भी पता चला है कि बुधवार को शाम 7 बजे के बाद 1300 से अधिक लोगों ने UPI आउटेज की शिकायत की है।
यूपीआई को मैनेज करने वाली NPCI ने आउटेज को लेकर बयान जारी किया है। NPCI ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, "NPCI को अस्थायी तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसके कारण UPI में आंशिक गिरावट आई। इसे अब समाधान किया गया है और प्रणाली स्थिर हो गई है। असुविधा के लिए खेद है।"
NPCI had faced intermittent technical issues owing to which UPI had partial decline. The same has been addressed now and the system has stabilised. Regret the inconvenience.
— NPCI (@NPCI_NPCI) March 26, 2025UPI (Unified Payments Interface) डाउन होने की स्थिति में ये विकल्प अपनाएं:
- UPI डाउन होने पर कुछ देर इंतजार करें। अक्सर UPI सर्वर में अस्थायी समस्या होती है, जो कुछ समय बाद ठीक हो जाती है। कुछ मिनट या घंटे बाद दोबारा कोशिश करें।
- अलग UPI ऐप से ट्रांजैक्शन करें। अगर आप Google Pay इस्तेमाल कर रहे हैं, तो PhonePe, Paytm, BHIM UPI या बैंक की UPI ऐप से ट्रांजैक्शन करने की कोशिश करें।
- IMPS/NEFT का इस्तेमाल करें। अगर UPI काम नहीं कर रहा है, तो आप नेट बैंकिंग से IMPS, NEFT, या RTGS के जरिए पैसे भेज सकते हैं।
- कैश या डेबिट कार्ड से पेमेंट करें। अगर तुरंत पेमेंट करना जरूरी है, तो नकद पैसे दें या फिर डेबिट कार्ड/क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करें।
यह भी पढ़ें: कुणाल कामरा को दोबारा समन, महाराष्ट्र विधानसभा में पेश हुआ विशेषाधिकार हनन का नोटिस
महंगाई में कमी और निजी निवेश से अर्थव्यवस्था को मिलेगी मजबूती, वित्त मंत्रालय ने और क्या बताया?
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय का मानना है कि वैश्विक रूप से जारी भू-राजनीतिक अस्थिरता और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वस्तुओं की कीमतों में हो रहे लगातार उतार-चढ़ाव से घरेलू व वैश्विक दोनों ही स्तर पर आर्थिक विकास के प्रभावित होने की आशंका है। इन सबके बीच सकारात्मक बात यह है कि घरेलू स्तर पर महंगाई कम हो रही है और निजी निवेश बढ़ रहा है जो आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में विकास की रफ्तार के लिए मददगार साबित होगा।
इस साल फरवरी में खुदरा महंगाई दर 3.6 प्रतिशत के स्तर पर आ गई है और कृषि उत्पादन के अनुमानों को देखते हुए आने वाले महीनों में भी खाद्य और खुदरा महंगाई दर नियंत्रण में रहेंगी। वहीं, वित्त वर्ष 2004 के बाद पहली बार चालू वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी में निजी हिस्सेदारी 61.49 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2003-04 में जीडीपी में निजी हिस्सेदारी 61.50 प्रतिशत थी।
बेरोजगारी दर में आ रही कमीआगामी वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट में पेश विकास की कई कार्ययोजना, वित्तीय प्रोत्साहन के साथ वित्तीय अनुशासन व सरकार के सुधार कार्यक्रम से वैश्विक चुनौतियों के बीच विकास की गति को जारी रखने में मदद मिलेगी।
बुधवार को जारी मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि बेरोजगारी दर में भी कमी आ रही है। गत वित्त वर्ष 2023-24 की तीसरी तिमाही में बेरोजगारी दर 6.5 प्रतिशत थी जो चालू वित्त वर्ष की समान अवधि में 6.4 प्रतिशत रही।
सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने क्या कहा?कई सर्वे रिपोर्ट के आधार पर मंत्रालय ने कहा है कि आने वाले महीनों में कंपनियां अधिक लोगों को नई नौकरी की पेशकश करने जा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक व्यापार युद्ध, विभिन्न देशों की शुल्क नीति से वैश्विक व्यापार के लिए जोखिम बढ़ गया है जिससे निवेश के साथ अंतरराष्ट्रीय व्यापार प्रभावित हो रहा है। इसका नतीजा है कि भारतीय निर्यात की बढ़ोतरी में नरमी दिख रही है।
यह भी पढ़ें: UPI Down in India: PhonePe, Paytm और Google Pay पर आउटेज की शिकायत, लोगों को पेमेंट करने में परेशानी