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मोदी सरकार के चार फैसले जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ले गया विपक्ष, जानें अदालत ने क्या आदेश दिया
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 को संसद के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है। लोकसभा और राज्यसभा में बिल पर देर रात तक चर्चा की गई। हालांकि विपक्षी सांसदों के विरोध के बावजूद बिल पारित हो गया और इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है। अब असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद ने वक्फ बिल की संवैधानिक वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
अदालत में याचिका दाखिल कर कहा गया है कि यह बिल मुस्लिम समुदाय के मौलिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन करते हैं। ऐसा नहीं है कि पहली बार केंद्र सरकार के किसी फैसले के खिलाफ विपक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हो। इसके पहले अनुच्छेद 370, ट्रिपल तलाक समेत कई मु्द्दों पर अदालत का दरवाजा खटखटाया गया।
आइए आपको बताते हैं कि केंद्र के कौन-कौन से विषय सुप्रीम कोर्ट पहुंचे और उन पर क्या फैसला आया…
अनुच्छेद 370:- सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा।
- अदालत ने निर्देश दिया कि चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाने चाहिए।
- अदालत ने यह भी आदेश दिया कि सरकार को जल्द से जल्द जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए।
- सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए राजनीतिक चंदा जुटाने पर तत्काल रोक लगा दी थी। अदालत ने इसे असंवैधानिक करार दिया था।
- कोर्ट ने एसबीआई को बॉन्ड से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने का आदेश दिया था।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इलेक्टोरल बॉन्ड को अज्ञात रखनासूचना के अधिकार और अनुच्छेद 19 (1) (ए) का उल्लंघन है।
- सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए नागरिकता (संशोधन) अधिनियम पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था।
- अदालत ने 4-1 के फैसले से सिटिजनशिप एक्ट की धारा 6A की वैधता को भी बरकरार रखा था।
- यह मामला अभी भी अदालत में विचाराधीन है।
- मुस्लिम महिलाओं (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अभी जारी है।
- अदालत ने केंद्र सरकार से पूछा है कि कानून लागू होने के बाद अब तक कितने मामले दर्ज किए गए हैं।
- चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि कानून में केवल तलाक देने को ही अपराध घोषित कर दिया गया है, जो एक गंभीर सवाल खड़ा करता है।
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Annamalai: 'नए अध्यक्ष की रेस में नहीं...' क्या अन्नामलाई छोड़ेंगे तमिलनाडु BJP अध्यक्ष का पद?
पीटीआई, कोयंबटूर। तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष अन्नामलाई के लिए कयास लगाए जा रहे हैं वह अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। इस बीच शुक्रवार को उन्होंने कहा कि वह पार्टी में नए प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में नहीं हैं।
अन्नामलाई ने कहा कि पार्टी में किसी तरह की प्रतिस्पर्धा की कोई गुंजाइश नहीं होती और यह पद सर्वसम्मति से तय किया जाता है।
'मैं प्रदेश अध्यक्ष पद की रेस में नहीं'
कोयंबटूर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान जब अन्नामलाई से पूछा गया कि क्या वह तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के पद के उम्मीदवार हैं, तो उन्होंने कहा, "मैं नए प्रदेश अध्यक्ष पद की दौड़ में नहीं हूं। मैं किसी भी प्रतिस्पर्धा में नहीं पड़ता।"
अन्नामलाई से यह भी पूछा गया कि क्या AIADMK 2026 विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी के साथ गठबंधन करने की शर्त के रूप में उन्हें पद से हटवाना चाहती है? इस पर उन्होंने कहा कि वह इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। हालांकि, उन्होंने यह जरूर कहा कि बीजेपी आने वाले दिनों में अच्छा प्रदर्शन करेगी और नए अध्यक्ष के चुनाव के वक्त इस पर बात होगी।
वक्फ विधेयक पर दिया बड़ा बयानअन्नामलाई ने वक्फ विधेयक का स्वागत करते हुए कहा कि इससे गरीब मुसलमानों को फायदा पहुंचेगा। उन्होंने दावा किया कि 1913 से 2013 तक देशभर में 18 लाख एकड़ जमीन वक्फ के अधीन थी, लेकिन 2013 से 2025 के बीच 21 लाख एकड़ और जुड़ गई है। यानी अब कुल 39 लाख एकड़ जमीन वक्फ के अधीन हो गई है।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के तिरुचेंदुरई में पूरे शहर को वक्फ घोषित कर दिया गया था और मंदिरों की जमीन को भी वक्फ संपत्ति बताने की कोशिश की गई थी। लेकिन संशोधन विधेयक से अब इन सभी विवादित मामलों का समाधान निकल आया है।
वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण का आरोपअन्नामलाई ने दावा किया कि कई जगहों पर वक्फ की संपत्तियों पर अवैध कब्जा कर लिया गया है। उन्होंने कहा, "पिछले साल वक्फ की 126 करोड़ रुपए की आय हुई थी। लेकिन कई जगहों पर कब्जा होने के कारण आय में गिरावट आई है। अब चार साल इंतजार करिए और देखिए कि वक्फ कितना पैसा कमाएगा और यह गरीब मुसलमानों को मिलेगा।"
टीवीके के विरोध पर तंजवक्फ विधेयक के खिलाफ अभिनेता विजय की पार्टी टीवीके के विरोध प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए अन्नामलाई ने कहा कि क्या उन्होंने इस मुद्दे पर संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष कोई आधिकारिक आपत्ति दर्ज कराई थी? उन्होंने कहा, "टीवीके आखिर विरोध किस चीज़ का कर रही है? कानून में क्या गलत है? उन्हें खुद भी नहीं पता कि वे किस चीज़ का विरोध कर रहे हैं।"
एनईईटी मुद्दे पर डीएमके को घेराअन्नामलाई ने डीएमके सरकार पर एनईईटी परीक्षा को लेकर "नाटक" करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अब यह मामला पूरी तरह से खत्म हो चुका है। राष्ट्रपति द्वारा राज्य के विधेयक को खारिज कर दिए जाने के बाद अब डीएमके सरकार के पास कोई विकल्प नहीं बचा है।
उन्होंने डीएमके सरकार को चुनौती देते हुए कहा, "अगर आपमें हिम्मत है तो सुप्रीम कोर्ट जाइए। लेकिन डीएमके सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी, क्योंकि एनईईटी परीक्षा को लागू करने का फैसला भी सुप्रीम कोर्ट ने ही दिया था।"
मुरुगन मंदिर के अभिषेक पर विवादमरुदामलाई भगवान मुरुगन मंदिर में हुए अभिषेक समारोह पर अन्नामलाई ने कहा कि जिस तरह से यह आयोजन हुआ, उससे यह संदेह पैदा हुआ कि यह 'कुंभाभिषेकम' था या "डीएमके सम्मेलन"। उन्होंने आरोप लगाया कि जबकि आम भक्तों को अनुमति नहीं दी गई, डीएमके के 750 खास लोगों को विशेष दर्शन पास दिए गए।
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एएनआई, नई दिल्ली। वक्फ बिल (Waqf Bill) का रास्ता लगभग साफ हो चुका है। दोनों सदनों से बिल पारित हो चुका है। राज्यसभा में बिल के पक्ष में 128 वोट पड़े। वहीं, लोकसभा में बिल के समर्थन में 288 वोट पड़े। गौरतलब है कि एनडीए गठबंधन के सभी घटक दलों ने बिल पर सहमति जाहिर की है।
वहीं, विपक्षी आईएनडीआई गठबंधन ने इस बिल को असंवैधानिक करार दिया है। कांग्रेस ने बिल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का मन भी बना लिया है।
इसी बीच देशभर के कई राज्यों में मुस्लिम समुदाय द्वारा बिल का विरोध हो रहा है। बंगाल, गुजरात समेत कई राज्यों में मुस्लिम समुदाय के लोगों ने बिल की खिलाफत की है।
कोलकाता में संयुक्त मंच के बैनर तले मुस्लिम संगठन वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
#WATCH | West Bengal: Members of the Muslim community take to the streets in Kolkata to protest against the Waqf Amendment Bill. pic.twitter.com/pKZrIVAYlz
— ANI (@ANI) April 4, 2025#WATCH | Kolkata: Muslim organisations, under the banner of Joint Forum for Waqf Protection, are holding protests against the Waqf Amendment Bill. pic.twitter.com/gyLv2iBwjQ
— ANI (@ANI) April 4, 2025गुजरात के अहमदाबाद में विभिन्न मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
#WATCH | Ahmedabad: Various Muslim organisations hold protests against the Waqf Amendment Bill. pic.twitter.com/viavsuqf3D
— ANI (@ANI) April 4, 2025तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में टीवीके महासचिव एन आनंद वक्फ संशोधन विधेयक पर केंद्र सरकार की निंदा करने के लिए एक विरोध प्रदर्शन में भाग लेते हैं।
#WATCH | Chennai, Tamil Nadu | TVK General Secretary N Anand participates in a protest to condemn the union government over the Waqf Amendment Bill. pic.twitter.com/Tmv1xpdS4E
— ANI (@ANI) April 4, 2025बेंगलुरु में मुस्लिम संगठनों ने वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
#WATCH | Bengaluru, Karnataka: Muslim organisations hold protests against the Waqf Amendment Bill. pic.twitter.com/EV9Ba9rROC
— ANI (@ANI) April 4, 2025 यह बिल अधिकार देने के लिए, छीनने के लिए नहीं: ऑल इंडिया मुस्लिम जमातबता दें कि कई मुस्लिम संगठन इस बिल के समर्थन भी कर रहे हैं। ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने वक्फ विधेयक को लेकर अपना समर्थन किया और मुस्लिम समुदाय को आश्वासन दिया कि इस कानून से समुदाय की संपत्तियों, मस्जिदों, दरगाहों, ईदगाहों या कब्रिस्तानों को कोई खतरा नहीं है। उन्होंने कहा, "यह विधेयक अधिकार देने के लिए है, उन्हें छीनने के लिए नहीं।"
(एएनआई इनपुट से)
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'ये एतिहासिक क्षण है', Waqf Bill पारित होने पर बोले PM मोदी- लंबे समय से हाशिये पर रहे लोगों को सहारा मिलेगा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल पर संसद की मुहर लग गई है। लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी वक्फ संशोधन बिल 2025 पारित हो गया। अब इसको लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहला रिएक्शन सामने आया है। पीएम मोदी ने ने इसे एतिहासिक क्षण बताया है।
पीएम मोदी ने कहा-
वक्फ (संशोधन) विधेयक का संसद के दोनों सदनों से पारित होना सामाजिक-आर्थिक न्याय, पारदर्शिता और समावेशी विकास के लिए हमारे सामूहिक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण क्षण है। पीएम मोदी ने आगे कहा-इससे खास तौर पर उन लोगों को मदद मिलेगी, जो लंबे समय से हाशिये पर रहे हैं और उन्हें आवाज और अवसर दोनों से वंचित रखा गया है।
पीएम ने जताया आभारसंसदीय और समिति चर्चाओं में भाग लेने वाले सभी सांसदों का आभार, जिन्होंने अपने विचार व्यक्त किए और इन कानूनों को मजबूत बनाने में योगदान दिया। संसदीय समिति को अपने बहुमूल्य सुझाव भेजने वाले अनगिनत लोगों का भी विशेष आभार। एक बार फिर, व्यापक बहस और संवाद के महत्व की पुष्टि हुई है।
उन्होंने आगे लिखा, 'अब हम ऐसे युग में प्रवेश करेंगे जहां ढांचा अधिक आधुनिक और सामाजिक न्याय के प्रति संवेदनशील होगा। व्यापक रूप से हम प्रत्येक नागरिक की गरिमा को प्राथमिकता देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसी तरह हम एक मजबूत, अधिक समावेशी और अधिक दयालु भारत का निर्माण भी कर सकते हैं।'
दोनों सदनों में पड़े कितने वोट?राज्यसभा में बिल पर चर्चा पूरी होने के बाद देर रात 2 बजे के बाद वोटिंग कराई गई। इस दौरान सत्ता पक्ष बिल पास कराने में सफल रहा। वक्फ संशोधन बिल के पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े। इस तरह 12 घंटे से ज्यादा की चर्चा के बाद रात 2.32 बजे राज्यसभा से वक्फ विधेयक पारित हो गया। वहीं राज्य सभा में बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े, जबकि विरोध में 232 वोट पड़े।
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सुबह 4 बजे राज्यसभा ने लगाई मणिपुर में राष्ट्रपति शासन पर मुहर, अमित शाह ने बताया सरकार का अगला प्लान
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। शुक्रवार तड़के सुबह करीब चार बजे राज्यसभा (Rajya Sabha) में मणिपुर (Manipur Violence) में राष्ट्रपति शासन की पुष्टि करने वाले सांविधिक संकल्प को पारित कर दिया गया। इसे एक दिन पहले लोकसभा में भी पारित कर दिया गया था।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने मणिपुर से संबंधित प्रस्ताव को पारित करने के लिए सदन में पेश किया था। इसके बाद उच्च सदन ने ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया। मणिपुर में 13 फरवरी को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया था।
'सरकार की पहली चिंता मणिपुर में शांति स्थापित करना है'
गृह मंत्री अमित शाह ने सांविधिक संकल्प के संबंध में कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुरूप दो महीने के अंदर ही इसे सदन में अनुमोदन के लिए लाया गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की पहली चिंता मणिपुर में शांति स्थापित करने की है।
उन्होंने कहा कि पिछले चार महीनों में मणिपुर में एक भी मौत नहीं हुई है. हालांकि, उन्होंने इस बात को स्वीकारा कि मणिपुर हिंसा में अब तक 260 लोगों की मौत हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में जातीय हिंसा में 260 लोग मरे हैं लेकिन, पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा में इससे ज्यादा लोग मरे थे।
मणिपुर मुद्दे पर न हो राजनीति- शाह
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था, जिसके बाद राज्यपाल ने विधायकों से चर्चा की थी। बहुमत सदस्यों ने कहा था कि वो सरकार बनाने की स्थिति में नहीं हैं। इसके बाद कैबिनेट ने राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा की, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया।
अमित शाह ने मणिपुर में हालात बिगड़ने की पीछे एक अदालती फैसला को मूल कारण बताया है, जिसमें एक जाति को आरक्षण देने का जिक्र था। हालांकि, इस फैसले पर अगले ही दिन सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि मणिपुर में जल्दी शांति हो, पुनर्वास हो और लोगों के जख्मों पर मरहम लगाया जाए। उन्होंने विपक्ष से मणिपुर के मुद्दे पर राजनीति नहीं करने की अपील भी की। उन्होंने सदन को ये भी बताया कि वो जल्द ही मणिपुर में दोनों समुदायों को एक साथ लाकर बातचीत भी करेंगे।
खड़गे ने की मणिपुर हिंसा की जांच की मांग
कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने मणिपुर हिंसा को लेकर जांच की मांग और श्वेत पत्र पेश करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इतनी हिंसा के बावजूद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अभी तक मणिपुर नहीं गए।
उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ दल पर जब जबरदस्त दबाव पड़ा तो वहां के मुख्यमंत्री को इस्तीफा देने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि मणिपुर में बीजेपी की डबल इंजन की सरकार बुरी तरह फेल रही।
Manipur Violence: 'दो साल से जल रहा मणिपुर, सरकार पूरी तरह फेल...', BJP पर जमकर बरसे खरगे; श्वेत पत्र लाने की मांग
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा (Rajya Sabha) में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने शुक्रवार को मणिपुर हिंसा (Manipur Violence) की जांच की मांग की और केंद्र सरकार से सदन में श्वेत पत्र पेश करने को कहा।
खड़गे ने राज्यसभा में कहा, "दो साल से मणिपुर जल रहा है और सरकार हिंसा को रोकने में नाकाम रही है। 260 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं और 60 हजार से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए हैं। परिवार बिखर गए हैं, फिर भी भाजपा चुपचाप देखती रही।"
'भाजपा पीएम मोदी को बचा रही है'
उन्होंने कहा, "मणिपुर की अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई है। जीएसटी संग्रह में गिरावट आई है। राज्य ने भयावह स्थिति देखी है। मणिपुर के तत्कालीन मुख्यमंत्री बीरेन सिंह को नैतिक जिम्मेदारी लेनी चाहिए थी और हिंसा के पहले दिन ही इस्तीफा दे देना चाहिए था।"
कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "भाजपा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) को बचाने का काम कर रही है, लेकिन मणिपुर को नहीं। प्रधानमंत्री ने वहां जाने से इनकार कर दिया। क्या कारण है कि पीएम मोदी मणिपुर नहीं गए? पूरा मणिपुर जल रहा था, लेकिन पीएम मोदी वहां नहीं गए। उस दौरान वे कई विदेशी देशों में गए होंगे, लेकिन उन्होंने मणिपुर में कदम नहीं रखा।"
उन्होंने कहा, "राहुल गांधी मणिपुर गए और पीड़ितों से मिले। सुप्रीम कोर्ट के जज और एनजीओ मणिपुर गए, लेकिन प्रधानमंत्री नहीं गए। उनको फुर्सत नहीं है।" कांग्रेस प्रमुख ने आगे दावा किया कि भाजपा के पास मणिपुर में शांति लाने की कोई योजना नहीं है।
खड़गे ने पीएम मोदी के चुनावी रैलियों पर उठाए सवाल
खड़गे ने कहा, "आप यहां क्या कर रहे हैं, कृपया मणिपुर में शांति स्थापित करें। प्रधानमंत्री के पास चुनावी रैलियों के लिए समय है, लेकिन मणिपुर के लिए नहीं। वे शांति स्थापित करने में विफल रहे। इसलिए, मैं जांच की मांग करता हूं और उन्हें श्वेत पत्र पेश करने की भी अनुमति देता हूं। मणिपुर में क्या चल रहा है, यह सभी को पता चल जाएगा। जब मणिपुर के लोग भोजन के लिए रो रहे थे, तो आपने कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।"
मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री से जल्द से जल्द मणिपुर का दौरा करने और वहां कानून-व्यवस्था की स्थिति को ठीक करने का आग्रह किया।
खड़गे ने धनखड़ पर सरकार से डरे होने का लगाया आरोप
राज्यसभा के नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को सदन में मणिपुर पर चर्चा के लिए राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से अनुरोध करते हुए कहा, "आप सरकार से डरे हुए हैं...आपको हमारी रक्षा करनी चाहिए।"
मल्लिकार्जुन खड़गे को जवाब देते हुए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, "भारत का किसान और उसका बेटा किसी से नहीं डरता।" बता दें, इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में राष्ट्रपति शासन के लिए राष्ट्रपति की घोषणा को राज्यसभा की मंजूरी के लिए प्रस्ताव पेश किया।
अमित शाह ने कहा, "यह सदन मणिपुर राज्य के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 356(1) के तहत राष्ट्रपति द्वारा 13 फरवरी, 2025 को जारी की गई घोषणा को मंजूरी देता है।"
क्या है मामला?
एन बीरेन सिंह के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफे के बाद फरवरी से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन है। 13 फरवरी को संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। बता दें, मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच हिंसा 3 मई, 2023 को ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ मणिपुर (ATSUM) की एक रैली के बाद भड़की थी।
Waqf Bill: सरकार ने नए वक्फ बिल को बताया ऐतिहासिक, विपक्ष बोला- सुप्रीम कोर्ट जाएंगे, यह असंवैधानिक विधेयक
एएनआई, नई दिल्ली। शुक्रवार को राज्यसभा ने तीखी बहस के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 पारित कर दिया। गुरुवार दोपहर से शुरू हुई बहस आधी रात के बाद भी जारी रही। अध्यक्ष जगदीप धनखड़ ने बताया कि 128 सदस्यों ने विधेयक के पक्ष में मतदान किया जबकि 95 सदस्यों ने इसके खिलाफ मतदान किया। वहीं, सरकार ने नए वक्फ बिल को ऐतिहासिक बताया तो विपक्ष बोला यह बिल असंवैधानिक है।
विधेयक से मुस्लिम समाज की महिलाओं और गरीबों का कल्याण होगाराज्यसभा में पारित होने पर वक्फ बिल पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री भागीरथ चौधरी ने कहा कि यह ऐतिहासिक है। इस विधेयक से मुस्लिम समाज की महिलाओं और गरीबों का कल्याण होगा। इसके साथ ही भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने कहा कि इस चर्चा में न राहुल गांधी बोले, न प्रियंका गांधी बोलीं और न ही सोनिया गांधी बोलीं। यह पता नहीं चला कि वे इसके पक्ष में थे या विपक्ष में थे... सब जानते थे कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के हित में है।
राजद सांसद मनोज कुमार झा उठाए सवालवक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर राजद सांसद मनोज कुमार झा ने कहा कि इस संसद में कृषि कानून भी पारित हुए थे। बहुत लंबी बहस हुई... लोगों के मन में अभी भी असंतुष्टि है, अगर उसे दूर नहीं किया तो इसका हश्र कृषि कानूनों जैसा न हो।
मल्लिकार्जुन खरगे बोले- नकारात्मक रुख अपनाया हैवक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर राज्यसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "...हमने विधेयक पर अपने विचार उनके (सरकार) सामने रखे। उन्होंने पहले से नकारात्मक रुख अपनाया है और वे इसे आगे बढ़ा रहे हैं।"
इस विधेयक की बहुत जरूरत थी - बी.एल. वर्मावक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर केंद्रीय मंत्री बी.एल. वर्मा ने कहा, "...इस विधेयक की बहुत जरूरत थी जिससे आम और गरीब मुसलमान भी इसमें भाग ले सकें और उनके अधिकारों की रक्षा हो सके..."
AAP सांसद संजय सिंह ने बिल को बताया असंवैधानिकवक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर AAP सांसद संजय सिंह ने कहा, "आज बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर के संविधान और लोकतंत्र की हत्या की गई है। संख्याबल के बल पर असंवैधानिक विधेयक पास किया गया है। AAP ने इसका विरोध किया..."
सांसद फौजिया खान बोली सुप्रीम कोर्ट में रद होगा यह कानूनवक्फ संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित होने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एससीपी) सांसद फौजिया खान ने कहा, "इस बिल को किसानों के बिल की तरह ही बुलडोज किया गया है...हम इसका विरोध जारी रखेंगे... वक्फ बोर्ड एक धार्मिक संस्था है... यह असंवैधानिक बिल है और इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और यह सुप्रीम कोर्ट द्वारा रद भी हो जाएगा..."
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भगोड़े नित्यानंद का नया कारनामा, हिंदू राष्ट्र कैलासा बनाने के नाम पर बोलिविया में हड़पी जमीन
न्यूयॉर्क टाइम्स, नई दिल्ली। कैलासा को दुनिया का पहला हिंदू राष्ट्र बताने वाले भगोड़े नित्यानंद के प्रतिनिधियों पर बोलिविया की जमीन कब्जाने का आरोप लगा है। पिछले सप्ताह, बोलीविया के अधिकारियों ने कहा कि कैलासा से जुड़े 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
नित्यानंद पर लगा है दुष्कर्म का आरोपगौरतलब है कि दुष्कर्म का आरोपित नित्यानंद 2019 में भारत से भाग गया था। कुछ साल बाद उसने यूनाइटेड स्टेट्स आफ कैलासा बनाने की घोषणा की थी।
बोलिविया ने कहा कि कैलासा के प्रतिनिधियों ने अमेजन क्षेत्र की जमीन के लिए स्थानीय समूहों के साथ धोखाधड़ी से पट्टे हासिल की थी, हालांकि इन समझौतों को अमान्य घोषित कर दिया गया है और कैलासावासियों को निर्वासित कर दिया गया।
कैलासा नाम का कोई वास्तविक देश नहींचूंकि कैलासा नाम का कोई वास्तविक देश नहीं है इसलिए इन लोगों को उनके वास्तविक गृह देशों में, जिनमें भारत, अमेरिका, स्वीडन और चीन शामिल हैं में निर्वासित किया गया है। कैलासा निवासी होने का दावा करने वाले लोग बोलीविया में पर्यटक वीजा पर आए थे। उन्होंने देश के राष्ट्रपति लुइस आर्से के साथ तस्वीर खिंचवाने में सफल रहे।
कैलासा के लोगों ने किया जमीन का घोटालाबोलीविया के विदेश मंत्रालय ने कहा, बोलीविया कथित राष्ट्र यूनाइटेड स्टेट्स आफ कैलासा के साथ राजनयिक संबंध नहीं रखता। यह घोटाला तब सामने आया जब बोलीविया के समाचार पत्र एल डेबर द्वारा की गई जांच में पता लगा कि कैलासा के लोगों ने अमेजन के मूल निवासियों के समूहों के साथ पट्टे पर हस्ताक्षर किए थे।
अमेजन के स्थानीय समूहों में से एक, बाउरे के नेता पेड्रो गुआसिको ने कहा कि कैलासा के दूतों के साथ उनका संपर्क पिछले वर्ष हुआ था, जब वे जंगल की आग के बाद मदद की पेशकश करने पहुंचे थे। नई दिल्ली के आकार से तीन गुना अधिक भूखंड के पट्टे को लेकर वार्ता हुई।
कैलासा के प्रतिनिधि मसौदा लेकर आएबाउरे ने 25 साल के करार पर सहमति जताई, जिसके तहत उन्हें सालाना लगभग दो लाख डॉलर का भुगतान किया जाना था, लेकिन जब कैलासा के प्रतिनिधि मसौदा लेकर आए, तो उसमें एक हजार साल की अवधि थी और इसमें हवाई क्षेत्र का उपयोग और प्राकृतिक संसाधनों का दोहन भी शामिल था।
हमारे क्षेत्र के संरक्षण और सुर
ग्वासिको ने कहा, हमने फिर भी हस्ताक्षर कर दिए। उन्होंने हमारे क्षेत्र के संरक्षण और सुरक्षा के लिए वार्षिक बोनस के रूप में फंड देने की पेशकश की, लेकिन यह पूरी तरह से झूठ था।
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Waqf Bill: वक्फ विधेयक पर संसद की मुहर, दोनों सदनों में आसानी से हुआ पास; कानून बनने से अब एक कदम दूर
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वक्फ विधेयक पर संसद ने अपनी मुहर लगा दी है। लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी गुरुवार को 12 घंटे से अधिक चली मैराथन बहस के बाद इसे पारित कर दिया गया। विधेयक के समर्थन में 128 और विरोध में 95 वोट पड़े।
विधेयक पर विपक्ष की ओर से कई संशोधन पेश किए गएविधेयक पर विपक्ष की ओर से कई संशोधन पेश किए गए, जिसे सदन ने खारिज कर दिया। दोनों सदनों से पारित होने के बाद इसे तुरंत ही राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। उनकी मंजूरी मिलते ही यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। विधेयक पारित करने के लिए लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी आधी रात के बाद तक कार्यवाही चली।
राज्यसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा का जवाब देते हुए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा कि वक्फ बोर्ड एक वैधानिक निकाय है और इसे धर्मनिरपेक्ष होना चाहिए। फिर भी हमने इसमें गैर-मुस्लिमों की संख्या सीमित कर दी है। वक्फ विधेयक से मुसलमानों को हम नहीं डरा रहे, बल्कि विपक्षी पार्टियां डरा रही हैं।
वक्फ बोर्ड असंवैधानिक नहीं हैउन्होंने पूछा कि मुसलमानों में गरीबी ज्यादा है, तो उन्हें गरीब किसने बनाया? आपने बनाया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जो सबका साथ, सबका विकास की बात की है, वही तो संविधान की भावना है। वक्फ बोर्ड असंवैधानिक नहीं है।
राज्यसभा में विधेयक को लेकर वैसे तो भारी हंगामा और विपक्ष के कड़े विरोध की उम्मीद थी, लेकिन लोकसभा में विधेयक पारित होने और सरकार की ओर से विधेयक को मुस्लिमों के हित में होने को लेकर जिस तरह के तर्क दिए गए, उससे शायद विपक्ष के हौसले थोड़े पस्त थे। यही वजह थी कि सदन में विधेयक पेश होने के दौरान विपक्ष ने किसी तरह की टोकाटाकी या शोरशराबे से भी परहेज किया।
विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष की अधिकांश सीटें खाली दिखींइतना ही नहीं, विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष की अधिकांश सीटें खाली दिखीं, जबकि सत्ता पक्ष की सीटें खचाखच भरी हुई थीं। इस दौरान लोकसभा की तरह राज्यसभा में भी सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह मोर्चा संभाले दिखे।
चर्चा के दौरान उन्होंने कई बार खड़े होकर न सिर्फ हस्तक्षेप किया, बल्कि विपक्ष को आईना भी दिखाया। ट्रिब्यूनल पर बोल रहे कांग्रेस सांसद नासिर हुसैन को उन्होंने बीच में टोका और कहा कि अब तक ट्रिब्यूनल के फैसले को चुनौती नहीं दी जा सकती थी। नए विधेयक में हम इसे लेकर आए हैं।
जेपी नड्डा ने विपक्ष पर बोला हमलाभाजपा अध्यक्ष और सदन के नेता जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने अपने शासनकाल में मुस्लिम महिलाओं को दोयम दर्जे की नागरिक बना दिया था। मिस्त्र, सूडान, बांग्लादेश और सीरिया जैसे मुस्लिम देशों में कई साल पहले तत्काल तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने एक दशक तक सत्ता में रहने के दौरान मुस्लिम महिलाओं के लिए कुछ नहीं किया। इससे पहले राज्यसभा में विधेयक पेश करते हुए रिजीजू ने विपक्ष के उन आरोपों को खारिज कर दिया कि मुस्लिमों के अधिकार छीने जा रहे हैं।
रिजीजू ने विधेयक की खूबियां गिनाईंउन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस कानून का उद्देश्य मुस्लिम महिलाओं को सशक्त बनाना और सभी मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की रक्षा करना है। कहा कि यह विधेयक मुस्लिमों के खिलाफ बिल्कुल नहीं है, बल्कि उनका उत्थान करने वाला है। रिजीजू ने जहां विधेयक की खूबियां गिनाईं, वहीं विपक्ष की ओर से फैलाए जा रहे दुष्प्रचार का भी जवाब दिया।
यह विधेयक गरीब व पिछड़े मुस्लिमों के लिएकहा कि यह विधेयक गरीब व पिछड़े मुस्लिमों और उनके परिवारों के विकास का रास्ता खोलने वाला है। इसलिए इसका नाम उम्मीद रखा गया है। उन्होंने उम्मीद (यूनीफाइड वक्फ मैनेजमेंट इम्पावरमेंट, इफिशिएंसी एंड डेवलपमेंट) का पूरा नाम भी पढ़कर बताया। कहा कि वैसे भी जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी देश को विकसित बनाने की बात करते हैं, तो उससे मुस्लिम अलग नहीं हैं।
वक्फ बोर्डों पर मनमाने व्यवहार का आरोपरिजीजू ने वक्फ बोर्डों पर मनमाने व्यवहार का आरोप लगाया और कहा कि दिल्ली के भीतर मौजूद शहरी विकास मंत्रालय व दिल्ली विकास प्राधिकरण की 123 संपत्तियों पर वक्फ अपना दावा कर रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि कल वक्फ संसद भवन पर भी दावा पेश कर दे। उन्होंने केरल और तमिलनाडु के कुछ और उदाहरण भी गिनाए।
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Waqf Amendment Bill: राज्यसभा से भी पास हुआ वक्फ संशोधन विधेयक, पक्ष में पड़े 128 वोट विपक्ष में 95
पीटीआई, नई दिल्ली। वक्फ बिल लोकसभा से आसानी से पारित होने के बाद राज्यसभा से भी आसानी से पारित हो गया। बिल के पक्ष में 128 और विपक्ष में 95 वोट पड़े। इस दौरान, इसने बिल का विरोध करने वाले दलों की कमजोरी को उजागर कर दिया।
बिल पर करीब 13 घंटे तक चर्चा चलीराज्यसभा में इस बिल पर करीब 13 घंटे तक चर्चा चली। यह विधेयक लोकसभा में करीब 12 घंटे तक चली मैराथन बहस के बाद पारित हुआ था। अब विधेयक को कानून बनने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पास उनकी मंजूरी के लिए भेजा जाना आवश्यक होगा।
जेपी नड्डा ने वक्फ अधिनियम से निपटने के तरीके को लेकर कांग्रेस पर कड़ा प्रहार किया और आरोप लगाया कि कांग्रेस ने इस कानून को इस तरह से बनाया है जिससे कथित तौर पर भू-माफियाओं को मदद मिल रही है।
जेपी नड्डा ने कांग्रेस पर बोला हमलागुरुवार को उच्च सदन में बोलते हुए जेपी नड्डा ने वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का जोरदार बचाव किया और राष्ट्रीय हितों की रक्षा और वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने के लिए सुधार की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया, जिससे गरीब मुसलमानों का कल्याण होना चाहिए।
ओम बिरला ने कही ये बातलोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को कहा कि विधायी प्रारूपण किसी भी कानून की आत्मा है और उन्होंने कानून में स्पष्टता और सरलता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कानून समाज और लोगों को लंबे समय तक प्रभावित करते हैं; उन्हें आम लोगों के लिए समझने में स्पष्ट और सरल होना चाहिए।
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वक्फ बिल से मुस्लिमों के धार्मिक कार्यों पर असर नहीं, पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा ने किया विधेयक का समर्थन
एएनआइ, नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने लोकसभा में नए वक्फ संशोधन बिल, 2025 की सराहना करते हुए कहा कि इससे मुस्लिम धार्मिक रीति-रिवाजों पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
देवगौड़ा ने खुलकर नए वक्फ बिल का पूरा समर्थन कियाएक आधिकारिक बयान के अनुसार राज्यसभा में वयोवृद्ध नेता और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने खुलकर नए वक्फ बिल का पूरा समर्थन किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह मुसलमानों के धार्मिक कार्यों में किसी भी तरह से दखल नहीं देता है। लेकिन संशोधन बिल राजस्व और प्रशासनिक मामलों से कड़ाई से निपटता है। यह बात याद रखना जरूरी है।
बोर्ड फिलहाल 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करता हैउन्होंने विधेयक को स्पष्ट करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड की परिसंपत्तियों को प्रशासनिक रूप से नियमित करने का उद्देश्य है। बोर्ड फिलहाल 8.7 लाख संपत्तियों को नियंत्रित करता है जबकि देश भर में ऐसी कुल 9.4 लाख संपत्तियां हैं। कुप्रबंधन के चलते ऐसी संपत्तियों की कुल कीमत 1.2 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित संपत्ति हो गई है।
विधेयक से गरीब मुसलमानों की रक्षा होगीउन्होंने कहा कि इस विधेयक से गरीब मुसलमानों की रक्षा उनके ही तबके के अमीरों से की जाती है। उनके साथ न्याय हो इसके लिए संशोधन बिल को संविधान की मूल भावना के अनुरूप ढाला गया है। देवगौड़ा ने कहा कि सरकार का यह दायित्व है कि वह मुसलमानों समेत सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करे। मुसलमान नागरिक भी इस देश के अन्य नागरिकों जैसे ही हैं।
देवगौड़ा ने बिल की पारदर्शिता की सराहना कीउन्होंने वक्फ संपत्तियों के कुप्रबंधन को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह सरासर संवैधानिक सिद्धांतों का उल्लंघन है। 'एक बार वक्फ तो हमेशा के लिए वक्फ' इससे मेल नहीं खाता है। देवगौड़ा ने बिल की पारदर्शिता की सराहना करते हुए कहा कि यह वक्फ संपत्तियां अब सामुदायिक सेवा के लिए काम आएंगी।
श की शांति और सौहार्द को न बिगाड़े सरकार- खरगेखरगे ने अपील के रूप में सरकार को चेताया भी कि वह देश की शांति और सौहार्द को न बिगाड़े। बिल पर उच्च सदन में चर्चा में देर शाम भाग लेते हुए खरगे ने कहा कि यह विधेयक असंवैधानिक और भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ है। इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाने के बजाय सरकार को बिल वापस ले लेना चाहिए।
खरगे ने यह आरोप भी लगाया कि सरकार इसके बहाने वक्फ की जमीनें हथियाने की कोशिश कर रही है। ये जमीनें कारपोरेट समूहों को दी जाएंगी। खरगे ने यह भी कहा कि अल्पसंख्यकों के कल्याण के लिए चलाई जाने वाली कुछ योजनाओं को बंद कर दिया गया है।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कर दी भविष्यवाणीचर्चा के दौरान कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी ने तो यह भविष्यवाणी कर दी कि अगर यह विधेयक पारित होकर कानून बनता है तो अगले कुछ वर्षों में न्यायपालिका से खारिज हो जाएगा। सिंघवी की इस बात से गहरी आपत्ति व्यक्त करते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि यह दावा करना संसद की सर्वोच्चता और संप्रभुता पर सवाल खड़े करना है और एक संसद सदस्य को ऐसा नहीं करना चाहिए।
Telangana: तेलंगाना में रैगिंग के आरोप में मेडिकल के तीन छात्र निलंबित, पीड़ित से मांगा UPI पिन
पीटीआई, हैदराबाद। तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले के सरकारी मेडिकल कॉलेज के तीन छात्रों को एमबीबीएस प्रथम वर्ष के एक छात्र की रैगिंग करने के आरोप में निलंबित कर दिया गया है।
छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरूकॉलेज की प्रिंसिपल ने गुरुवार को बताया कि बुधवार को एंटी रैगिंग समिति की बैठक के बाद तीन छात्रों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई। आरोपितों में तृतीय वर्ष के एक और द्वितीय वर्ष के दो छात्र शामिल हैं।
छात्रावास से निष्कासित आरोपीकॉलेज के अधिकारियों ने बताया कि एंटी रैगिंग कमेटी ने तीनों छात्रों पर जुर्माना भी लगाया है। उन्हें कॉलेज में शैक्षणिक गतिविधियों से प्रतिबंधित कर दिया है तथा एक से तीन महीने के लिए छात्रावास से निष्कासित कर दिया है। पुलिस ने तीनों छात्रों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
जूनियर छात्र ने इन सीनियर छात्रों पर 25 मार्च को संस्थान के छात्रावास के कमरे में रैगिंग करने का आरोप लगाया था। पुलिस को दी गई शिकायत में प्रथम वर्ष के एमबीबीएस छात्र ने दावा किया कि सीनियरों ने उसे अपमानित किया। एक सीनियर ने उसे बेल्ट से पीटा और थप्पड़ मारे।
सीनियरों ने उसका यूपीआइ पिन भी मांगासीनियरों ने उसका यूपीआइ पिन भी मांगा और जब उसने मना कर दिया तो उन्होंने उसे फिर से पीटा। तीनों छात्रों ने उसे एयर चेयर के लिए भी मजबूर किया। एयर चेयर में इस प्रकार बैठना होता है मानो किसी अदृश्य कुर्सी पर बैठना
'स्टारलिंक को बर्गेनिंग चिप की तरह इस्तेमाल करे भारत सरकार', अमेरिका के भारत पर टैरिफ लगाने पर राघव चड्ढा का सुझाव
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा में गुरुवार को एक महत्वपूर्ण चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने भारत में अमेरिकी कंपनी स्टारलिंक की एंट्री और अमेरिका की तरफ से भारतीय सामान पर लगाए गए टैरिफ को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। चड्ढा ने स्टारलिंक को मंजूरी देने से पहले राष्ट्रीय सुरक्षा, डेटा गोपनीयता और इसके संभावित दुरुपयोग जैसे मुद्दों पर सरकार का रुख स्पष्ट करने की मांग की है। यह चर्चा उस समय हुई जब भारत सरकार स्टारलिंक को देश में ब्रॉडबैंड सेवाओं के लिए लाइसेंस देने की तैयारी कर रही है।
सरकार ने गूगल टैक्स किया माफराघव चड्ढा ने अपने सवालों को बेहद जोरदार तरीके से संसद में रखते हुए कहा कि भारत ने हमेशा अमेरिका के प्रति अपनी दोस्ती और वफादारी दिखाई है। हाल ही में वित्त मंत्री द्वारा फाइनेंस एक्ट में संशोधन कर गूगल टैक्स यानी और इक्विलाइजेशन लेवी को हटाने का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि इससे अमेरिकी कंपनियों जैसे मेटा, अमेजन और गूगल को फायदा मिला, लेकिन भारत को लगभग 3000 करोड़ रुपये के राजस्व का घाटा हुआ। लेकिन इसके बावजूद, ट्रंप प्रशासन ने भारतीय सामानों पर 26 फीसदी का टैरिफ लगा दिया, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। चड्ढा ने इसे भारत के लिए नुकसानदायक बताते हुए कहा कि इससे हमारी जीडीपी पर 50 से 100 बेसिस पॉइंट्स का असर पड़ सकता है।
भारत-अमेरिका के रिश्तों पर कसा तंजराघव चड्ढा ने कहा, "हमने अमेरिका का दिल जीतने के लिए सब कुछ किया। लेकिन बदले में अमेरिका ने 26 फीसदी टैरिफ लगाकर भारतीय अर्थव्यवस्था को झटका दिया। उन्होंने भारत-अमेरिका के रिश्तों पर तंज कसते हुए कहा, "अच्छा सिला दिया तूने मेरे प्यार का, यार ने ही लूट लिया घर यार का।"
स्टारलिंक को "बर्गेनिंग चिप" की तरह करें इस्तेमालराघव चड्ढा ने सुझाव दिया कि भारत सरकार को एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक को दी जाने वाली मंजूरी रोकनी चाहिए और उसका इस्तेमाल अमेरिका से फिर से टैरिफ को लेकर बातचीत में "बर्गेनिंग चिप" के तौर पर करना चाहिए।
ड्रग तस्करों के पास से मिला था स्टारलिंकअपने भाषण के दौरान सांसद राघव चड्ढा ने स्टारलिंक को लेकर कुछ चिंताजनक घटनाओं का भी हवाला दिया। उन्होंने कहा कि यूक्रेन युद्ध के दौरान एलन मस्क ने खुद सोशल मीडिया पर कहा था कि "स्टारलिंक यूक्रेनियन आर्मी की रीढ़ है, अगर मैं इसे बंद कर दूं तो पूरी फ्रंटलाइन धराशायी हो जाएगी।"
उन्होंने कहा कि भारत को भी इससे सतर्क रहना चाहिए क्योंकि भारत की संप्रभुता और सुरक्षा सर्वोपरि है। उन्होंने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा कि कुछ महीने पहले अंडमान में 6000 किलो सिंथेटिक ड्रग्स की जब्ती के दौरान यह पाया गया कि म्यांमार के ड्रग तस्करों ने नेविगेशन के लिए स्टारलिंक सैटेलाइट इंटरनेट का इस्तेमाल किया था।
वहीं, जब भारत सरकार ने इस बारे में डेटा और डिवाइस की जानकारी स्टारलिंक से मांगी, तो कंपनी ने डेटा प्राइवेसी लॉ का हवाला देकर जानकारी देने से इनकार कर दिया।
कैसे निपटेगी भारत सरकारराघव चड्ढा ने पूछा, "जब एक विदेशी कंपनी भारत के कानून और सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग नहीं करती, तो ऐसे में सरकार क्या योजना बना रही है?" उन्होंने सरकार से दो प्रमुख सवाल पूछे – पहला, सरकार स्टारलिंक जैसी कंपनियों से आने वाले प्रतिरोध से कैसे निपटेगी? और दूसरा, सरकार सैटेलाइट स्पेक्ट्रम के संभावित दुरुपयोग से कैसे निपटेगी?
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि वे हर उस मुद्दे को सदन में उठाते रहेंगे, जो भारतीय हितों और भारत की आर्थिक संप्रभुता को प्रभावित करता है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका सवाल किसी कंपनी के खिलाफ नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा, संप्रभुता और डेटा नीति की मजबूती के लिए है।
40 करोड़ की सोने की तस्करी में शामिल थीं अभिनेत्री रान्या राव और साहिल जैन, कुछ यूं रचा पूरा खेल
पीटीआई, बेंगलुरु। राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) ने कहा कि गोल्ड बिजनेसमैन साहिल सकारिया जैन ने अभिनेत्री रान्या राव को 40.14 करोड़ रुपये मूल्य के 49.6 किलोग्राम तस्करी के सोने को ठिकाने लगाने में अहम भूमिका निभाई थी।
डीआरआई के रिमांड नोट के अनुसार, जैन ने न केवल अवैध लेनदेन में मदद की, बल्कि तस्करी ऑपरेशन से जुड़े हवाला मनी ट्रांसफर में भी रान्या का सहयोग किया। साहिल जैन को सोना तस्करी मामले में रान्या की मदद करने के आरोप में 26 मार्च को गिरफ्तार किया गया था। उसे सात अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
साहिल जैन ने किया कबूलडीआरआई ने कहा कि साहिल जैन ने स्वीकार किया है कि उसने रान्या राव को हवाला के पैसे की लगभग 38.39 करोड़ रुपये दुबई और 1.7 करोड़ रुपये बेंगलुरु में हस्तांतरित करने में मदद की। एजेंसी ने आगे कहा कि चार मार्च को रान्या के घर से जब्त की गई 2.67 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी संभवत: हवाला का पैसा था जो उसे दुबई में सोना खरीदने और बेंगलुरु में बेचने से लाभ के रूप में मिला था।
हर लेनदेन पर कमीशन लेता था साहिलडीआरआइ ने कहा कि जैन ने प्रत्येक लेनदेन के लिए 55 हजार रुपये का कमीशन प्राप्त करने की बात स्वीकार की। डीआरआइ ने कहा कि साहिल जैन के दो मोबाइल फोन और एक लैपटाप से प्राप्त सुबुत सोना तस्करी में उसकी भूमिका को और पुष्ट करते हैं।
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Waqf Bill: मुस्लिम बस्तियों में 'फैक्ट फाइल', संसद से मंजूरी के बाद वक्फ पर क्या है BJP का नया प्लान?
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक संसद से पास होने के बाद राजनीति के मैदान में इस मुद्दे को गर्माए जाने के साफ संकेत दिखाई दे रहे हैं। मुस्लिम मतों की राजनीति करने वाले विपक्षी दल जहां इसे भाजपा के विरुद्ध भुनाने की तैयारी में हैं तो भाजपा ने भी कमर कस ली है। ऐतिहासिक ट्रिपल तलाक कानून के सहारे मुस्लिम महिलाओं का कुछ विश्वास जीतने वाला भगवा खेमा अब संशोधित वक्फ कानून का इस वर्ग की महिलाओं के साथ ही गरीब और पिछड़े (पसमांदा) मुस्लिमों पर 'मोहिनी अस्त्र' के रूप में प्रयोग करेगा।
नए-पुराने कानून का जिक्र कर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के बीच जाएगी भाजपापुराने और नए कानून की फैक्ट फाइल लेकर भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा अल्पसंख्यक बस्तियों में जाएगा। संसद के दोनों सदनों में दिखा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर घंटों चर्चा हुई। विपक्ष ने गंभीरता से इसमें हिस्सा तो लिया, लेकिन अधिकतर नेता विधेयक के तकनीकी बिंदुओं पर तर्क-वितर्क करने की बजाए न सिर्फ भाजपा को मुस्लिम विरोधी घोषित करने के प्रयास में रहे, बल्कि खुलकर भाजपा को मुस्लिम विरोध बताया भी। इस प्रतिक्रिया के लिए भाजपा पहले से तैयार थी। यही कारण है कि सरकार ने जहां कानून के प्रविधानों पर काम किया, वहीं संगठन ने इसके प्रभाव की राजनीतिक बिसात बिछाने पर दिमाग दौड़ाया।
I.N.D.I.A के रूप में एक छतरी के नीचे संघर्ष कर रहे कांग्रेस, सपा, डीएमके, राजद, एनसीपी और टीएमसी जैसे दलों की आंखें एकजुट मुस्लिम मतों के अपने पक्ष में मजबूत होने की संभावना को लेकर चमक रही हैं तो भाजपा का दावा है कि इनके चेहरों से नकाब हटाना अब अधिक आसान होगा।
भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि वक्फ के मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की भाजपा की पूरी तैयारी है। निर्णय किया गया है कि यह विधेयक संसद से पारित होने वाली तिथि तीन अप्रैल को वक्फ आजादी दिवस के रूप में घोषित किया जाएगा। इस संदेश के साथ ही भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के 65 हजार पदाधिकारी और 38 लाख सदस्यों को मैदान में उतारने का प्रयास होगा।
मुस्लिम समाज को भरोसे में लेने की भाजपा की कोशिश?मोर्चा के कार्यकर्ता मुस्लिम बस्तियों में बेदारी मुहिम यानी जगाने वाला अभियान चलाएंगे। वह बताएंगे कि किस तरह लाखों-करोड़ों रुपये की वक्फ संपत्ति का दुरुपयोग अब तक कुछ माफिया कर रहे थे। सारे तथ्य सामने रखेंगे कि इस संपत्ति से कितनी आय हो सकती थी और उससे कैसे मुस्लिम समाज का भला होता। चूंकि, कानून में संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड में महिलाओं के साथ ही पिछड़े मुसलमानों की भागीदारी का रास्ता भी खुल रहा है तो यह भी बताया जाएगा कि भाजपा ने गरीब-पिछड़े मुसलमानों के लिए कितना बड़ा काम किया है।
मोर्चा अध्यक्ष का दावा है कि तीन तलाक कानून ने मुस्लिम महिलाओं की जिंदगी बदली, सरकार की योजनाओं में गरीब मुस्लिमों को लाभ मिला, जिसकी वजह से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति उनका विश्वास बढ़ा है। इसी तरह से वक्फ संशोधन विधेयक भी मुस्लिम वोटबैंक की राजनीति करने वाले विपक्षी दलों को बेनकाब कर संदेश देगा कि भाजपा बिना भेदभाव उनके हित के लिए भी काम कर रही है।
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सुप्रीम कोर्ट के 30 जज ने पब्लिक कर दी अपनी संपत्ति, इतने न्यायधीशों की घोषणा अब भी बाकी; इस वजह से लिया गया फैसला
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने फिर एक कदम बढ़ाया है। प्रधान न्यायाधीश सहित सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सभी 33 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा करने और ब्योरा सार्वजनिक करने का निर्णय लिया है।
इतना ही नहीं प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित 30 न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति का ब्योरा मुख्य न्यायाधीश को दे दिया है। तीन न्यायाधीशों के नाम अभी नहीं आए हैं। इसे सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर अपलोड किया जा सकता है कि क्योंकि सार्वजनिक करने का विकल्प स्वैच्छिक रखा गया है।
फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर लिया गया फैसलाफिलहाल केवल उन न्यायाधीशों के नाम सार्वजनिक किए गए हैं जिन्होंने संपत्ति का ब्यौरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने फुल कोर्ट मीटिंग में प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया है। हाई कोर्ट के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के घर से कथित तौर पर भारी मात्रा में नगदी मिलने के विवाद के बाद सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों द्वारा पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए संपत्ति की सार्वजनिक घोषणा करने का लिया गया यह निर्णय महत्वपूर्ण है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जबकि सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों ने संपत्ति घोषणा का और उस घोषणा को स्वैच्छिक रूप से वेबसाइट पर अपलोड करने का निर्णय लिया हो।
2009 में भी लिया गया था ऐसा फैसला2009 में भी सुप्रीम कोर्ट ने फुल कोर्ट मीटिंग में ऐसा ही महत्वपूर्ण निर्णय लिया था और उस समय भी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति की घोषणा की थी और उसे सार्वजनिक भी किया गया था, हालांकि संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक थी।
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट वेबसाइट पर बताया गया है कि फुल कोर्ट मीटिंग में प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना सहित सुप्रीम कोर्ट के सभी न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित करने का प्रस्ताव पारित किया है। पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि पद ग्रहण करने के बाद न्यायाधीश अपनी संपत्ति प्रधान न्यायाधीश को घोषित करेंगे। जब भी महत्वपूर्ण संपत्ति अर्जित करेंगे तब भी उसकी घोषणा की जाएगी। संपत्ति की घोषणा प्रधान न्यायाधीश भी करेंगे।
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वक्फ बिल पारित होने पर केरल के लोगों ने मनाया जश्न, कहा- कांग्रेस और लेफ्ट ने नहीं उठाई आवाज
पीटीआई, कोच्चि। मुनंबम के निवासी उस समय खुशी से झूम उठे जब लोकसभा ने वक्फ संशोधन विधेयक को पारित किया। लोकसभा में बुधवार-गुरुवार मध्यरात्रि के बाद विधेयक पारित होने के तुरंत बाद मुनंबम तटीय क्षेत्र के लगभग 600 परिवारों ने पटाखे फोड़े।
मुनंबम भू संरक्षण समिति के बैनर तले 173 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे इन लोगों ने नरेन्द्र मोदी जिंदाबाद जैसे नारे लगाए और उम्मीद जताई कि नया कानून लागू होने के बाद यह मुद्दा सुलझ जाएगा। इन प्रदर्शनकारियों में अधिकतर ईसाई हैं।
मुनंबम समुदाय में खुशीसमिति के संयोजक जोसेफ बेनी ने उम्मीद जताई कि विधेयक लागू होने पर उन्हें अपनी संपत्तियों पर राजस्व अधिकार मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि संसद में केरल के निर्वाचन क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व कर रहे कांग्रेस और वाममोर्चा के सांसद मुनंबम समुदाय की चिंताओं को आवाज देने में विफल रहे, जिससे लोगों को दुख हुआ है।
एर्नाकुलम जिले के चेराई और मुनंबम गांवों में निवासियों ने आरोप लगाया है कि वक्फ बोर्ड उनके भूमि और संपत्ति पर अवैध रूप से स्वामित्व का दावा कर रहा है, जबकि उनके पास पंजीकृत दस्तावेज और भूमि कर भुगतान रसीदें हैं।
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ओवैसी और मसूद को मानहानि का नोटिस भेंजेंगे नसीरूद्दीन चिश्ती, वक्फ संशोधन विधेयक को इस मुस्लिम नेता ने बताया ऐतिहासिक
जागरण टीम, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर बौद्ध, ईसाई और पसमांदा समेत समाज के अन्य वर्गों ने ऐतिहासिक, आपसी भाईचारा को बढ़ाने और लोकतंत्र को मजबूत करने वाला बताया है। भारतीय बौद्ध संघ, द चर्च आफ नार्थ इंडिया व राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज जैसे संगठनों ने कहा कि विधेयक से वक्फ के मनमाने असंवैधानिक अधिकारों पर लगाम लगेगी।
भारतीय बौद्ध संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष भंते संघप्रिय राहुल ने कहा कि विधेयक से वक्फ बोर्ड की दादागीरी पर लगाम लगाई जा सकेगी। उसके कब्जे में जा रही बौद्ध संपत्तियों को बचाया जा सकेगा। अहमदाबाद के कालूपुर में बौद्धों के बुद्ध विहार समेत महाराष्ट्र तथा उत्तर प्रदेश में ऐसी कई बौद्ध संपत्तियां हैं, जिसे अपना बताते हुए वक्फ बोर्ड ने कब्जा कर लिया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकारों ने वोट बैंक के लिए वक्फ को असाधारण शक्तियां दीं। पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने पाकिस्तान जाने वाले मुसलमानों की जमीनों को वक्फ को सौंप दिया, जबकि देश में आए हिंदुओं की जमीनों को पाकिस्तान ने अपने कब्जे में लिया।
द चर्च आफ नार्थ इंडिया ने क्या कहा?द चर्च आफ नार्थ इंडिया (सीएनआइ) के प्रवक्ता प्रांजल मसीह ने कहा कि मौजूदा वक्फ कानून देश के संविधान को चुनौती दे रहा था। अगर वक्फ ने किसी की भी संपत्ति पर दावा कर दिया तो जिसकी जमीन है उसे वक्फ ट्रिब्यूनल में साबित करना पड़ता था कि दावे वाली जमीन उसकी है। अब ऐसे मामलों में न्याय की उम्मीद रहेगी।
राष्ट्रवादी मुस्लिम पसमांदा महाज के अध्यक्ष आतिफ रशीद ने कहा कि संशोधन विधेयक से भू माफिया और मुस्लिम समाज के ठेकेदारों से मुक्ति मिलेगी। अब विधेयक पारित होने पर पिछड़ी, अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से आने वाले अशराफ मुस्लिम समाज के साथ जरूरतमंद महिलाओं व बच्चों को लाभ मिलेगा।
वक्फ बोर्ड में सिर्फ मुकदमेबाजीबिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने संशोधन विधेयक का समर्थन करते वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए। अलीगढ़ में मंगलायतन विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित करने के बाद मीडिया से बातचीत में उन्होंने इसमें संशोधन को जरूरी बताया। उन्होंने कहा कि मंत्री रहते वक्फ बोर्ड में मुकदमों के अलावा कुछ नहीं देखा। वहां कोई काम नहीं होता था। बोर्ड की इतनी संपत्ति फिर भी भत्ता, वेतन तक देने के लिए पैसा नहीं? पैसा कहां गया? कहीं न कहीं गड़बड़ है।
वक्फ की जमीनों को बचाने के लिए भी जरूरी है कानून: गुलाम नबीजम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी के अध्यक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वक्फ की जमीनों को बचाने के लिए कानून जरूरी है। जमीन जिस मकसद के लिए वक्फ को दी जाती है, उसका लाभ मिले। वक्फ की जिस जमीन पर कब्जा है, वह हटना चाहिए।
ओवैसी व मसूद को मानहानि का नोटिस भेंजेंगे नसीरूद्दीन चिश्तीअजमेर दरगाह के दीवान सैयद जैनुअल आबेदीन ने वक्फ संशोधन विधेयक पारित होने पर खुशी जताते हुए कहा कि यह आवश्यक था। कुछ लोग कह रहे हैं कि इससे मस्जिद, कब्रिस्तान और खानकाहें छिन जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है। दरगाह दीवान के पुत्र और आल इंडिया सुफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष नसीरूद्दीन चिश्ती ने एआइएमआइएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद इमरान मसूद को मानहानि का नोटिस भेजने की बात कही है। दरअसल, ईद के दिन नसीरूद्दीन ने वक्फ संशोधन विधेयक का समर्थन करते बयान दिया था। इस पर ओवैसी और मसूद ने कहा था कि दरगाह दीवान सरकार के नौकर हैं।
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'अंतरात्मा की आवाज सुनें', वक्फ बिल पर BJD ने बदला रुख; सांसदों को मनमर्जी से वोट करने को कहा
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। बीजू जनता दल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर अपना रुख बदल दिया है। लोकसभा में बिल के पेश किए जाने के बाद बीजेडी ने इसके खिलाफ स्टैंड लिया था। लेकिन बावजूद इसके बिल लोकसभा से पारित हो गया।
अब संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा में बिल पर बहस हो रही है। अब बीजेडी ने भी अपना स्टैंड बदल लिया है और पार्टी के सांसदों को अंतरात्मा की आवाज सुनने को कहा है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि वोटिंग के लिए कोई व्हिप जारी नहीं किया जाएगा।
विवेक का इस्तेमाल करने को कहाबीजू जनता दल के वरिष्ठ नेता सस्मित पात्रा ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर इस संबंध में पोस्ट कर कहा, 'बीजू जनता दल ने हमेशा धर्मनिरपेक्षता और समावेशिता के सिद्धांतों को कायम रखा है तथा सभी समुदायों के अधिकारों को सुनिश्चित किया है। हम वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 के बारे में अल्पसंख्यक समुदायों के विभिन्न वर्गों द्वारा व्यक्त की गई विविध भावनाओं का गहराई से सम्मान करते हैं।'
उन्होंने आगे लिखा, 'हमारी पार्टी ने इन विचारों पर सावधानीपूर्वक विचार करते हुए राज्य सभा में हमारे माननीय सदस्यों को न्याय, सद्भाव और सभी समुदायों के अधिकारों के सर्वोत्तम हित में अपने विवेक का प्रयोग करने की जिम्मेदारी सौंपी है। यदि विधेयक मतदान के लिए आता है, तो अपनी अंतर्आत्मा की आवाज सुनें। पार्टी इसके लिए कोई व्हिप जारी नहीं करेगी।'
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Waqf Bill: सत्तापक्ष के भरे हाथ, विपक्ष का रह गया खाली
आशुतोष झा, नई दिल्ली। वक्फ विधेयक पर हुई चर्चा ने एक बार फिर से साबित कर दिया कि विरोध सिर्फ राजनीतिक हो तो तथ्य वैसे ही गायब होते हैं जैसे गधे के सिर से सींग। विधेयक को पारित कराने के लिए संसद के दोनों सदनों में 20 घंटे से ज्यादा चर्चा हुई। विपक्ष की ओर से कई विद्वान सदस्यों ने भी अपनी बात रखी लेकिन हर कोई मूल मुद्दे से भटकता रहा।
विपक्षी सदस्यों में से किसी ने भी वक्फ बोर्ड के अंदर चल रही घपलेबाजी और लाखों करोड़ की संपत्तियों के सही प्रबंधन पर बोलना जरूरी नहीं समझा। जबकि यह विधेयक लाया ही इसी उद्देश्य के लिए गया था। पर उससे भी ज्यादा रोचक यह रहा कि विपक्ष में राजनीति के लिए भी लड़ने का जज्बा धीरे धीरे गायब होता दिख रहा है।
संसद के दोनों सदनों में विपक्ष की तैयारी आधे मन से दिखी। ऐसे में इस विरोध का जमीन पर उन्हें कितना अतिरिक्त लाभ मिल पाएगा यह देखना होगा। वैसे भाजपा 'सबका विश्वास' के मोर्चे पर एक कदम आगे बढ़ती दिखी। सहयोगी दलों की ओर से जिस मजबूती से विधेयक का समर्थन किया गया वह इसी का संकेत है।
यह अच्छी बात है कि विपक्ष को इसका अहसास था कि बहुमत सरकार के पक्ष में है और विधेयक पारित होना ही है लिहाजा शोर शराबे की कोशिश नहीं की। लेकिन चेहरे पर थकान और हार दिखना खतरनाक होता है। गुरुवार को जब राज्यसभा में लोकसभा से आया पारित विधेयक पेश किया गया तो कई विपक्षी कुर्सियां खाली थीं।
यह इसलिए अहम है क्योंकि मात्र सात आठ महीने पहले ही विपक्ष का व्यवहार और उत्साह कुछ ऐसा था जैसे लोकसभा चुनाव वही जीतकर आए हो और साथ मिलकर सरकार पर दबाव बनाने में सफल हो सकते हैं। लेकिन अब उन्हें अहसास हो गया कि वह न सिर्फ विपक्ष में हैं बल्कि टूटे हुए विपक्षी विपक्षी दल हैं। याद रहे कि पांच छह महीने पहले जब वक्फ पेश हुआ था तो शिवसेना उद्धव ने विरोध में वाकआउट किया था।
महाराष्ट्र में मुस्लिमों ने इसपर आपत्ति जताई थी दिल्ली चुनाव के वक्त से इसकी शुरूआत हुई थी और आगे यह कायम रहने वाला है। इसीलिए हर प्रयास यही रहा कि विधेयक पर चर्चा को मुस्लिम धर्म से जोड़ कर रखा जाए। वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली और उसमें सुधार की जरूरत पर किसी विपक्षी सदस्य ने मुंह नहीं खोला। यानी न तो बोर्ड में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से काबिज मुट्ठी भर रसूखदार मुस्लिमों का बचाव किया और न ही यह समझाने में कामयाब हुए कि इस विधेयक से आम मुस्लिमों के जीवन में परेशानी बढ़ेगी।
दूसरी तरफ राजग के सहयोगी दलों में एकजुटता और वक्फ की कमाई बढ़ने से होने वाले लाभ का संदेश देकर यह बताने में सफल रहे कि वक्फ बोर्ड के प्रबंधन में कुशलता लाकर मुस्लिमों की बड़ी आबादी को लाभ ही मिलने वाला है। दरअसल पिछली सरकार में सीएए(नागरिकता कानून) को लेकर विपक्ष ने जो माहौल बनाया था उसका लाभ इस बार सरकार को मिला भी और आगे मिलने वाला भी है। दिल्ली के शाहीनबाग में दो वर्ष तक राजनीतिक प्रश्रय में आंदोलन चला था और डराया गया था कि मुस्लिमों की नागरिकता पर खतरा है।
दो साल होने को हैं लेकिन ऐसा एक भी मामला सामने नहीं आया। वक्फ में तो सरकार ने उन पिछडे मुस्लिमों को जोड़ने की कवायद की है जिन्हें वक्फ तक फटकने नहीं दिया जाता था। इनकी संख्या बहुत बड़ी है। वह अब वक्फ संपत्तियों से सीधे तौर पर लाभान्वित ही नहीं होंगे बल्कि खुद को सशक्त भी समझेंगे। ध्यान रहे कि पिछले कुछ वर्षों से सरकारी योजनाओं का लाभ भी इन्हें मिल रहा है।
दरअसल यही वह मुद्दे हैं जिसके कारण भाजपा टीडीपी, जदयू जैसे दूसरे सहयोगी दलों को साथ खड़ा करने में सफल रही है। अगर यह रुझान पिछड़े पसमांदा मुस्लिमों और महिलाओं में गहरे पैठ गया तो फिर अल्पसंख्यक राजनीति करने वालों के हाथ खाली हो जाएंगे। जबकि विपक्षी नेता भी मानने लगे हैं कि धीरे धीरे ही सही नरेन्द्र मोदी मुस्लिमों का विश्वास हासिल करने लग गए हैं।