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MUDA Land Scam: ईडी ने मुडा जमीन आवंटन मामले में क्लोजर रिपोर्ट को दी चुनौती, इस केस में सीएम सिद्दरमैया भी आरोपित
पीटीआई, बेंगलुरु। ईडी ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया और अन्य से जुड़े मुडा जमीन आवंटन मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी है। ईडी ने मंगलवार को एमपी, एमएलए स्पेशल कोर्ट के समक्ष लोकायुक्त पुलिस के खिलाफ विरोध याचिका दायर की, जिसमें कहा गया कि वह इस मामले में पीड़ित पक्ष है।
याचिका में पीएमएलए-2002 के उद्देश्यों और कारणों का हवाला दियाकेंद्रीय एजेंसी ने अपनी याचिका में पीएमएलए-2002 के उद्देश्यों और कारणों का हवाला दिया, जिसमें कहा गया है कि दुनिया भर में यह महसूस किया जा रहा है कि मनी लांड्रिंग न केवल देश की वित्तीय प्रणालियों के लिए बल्कि उनकी अखंडता और संप्रभुता के लिए भी गंभीर खतरा है।
पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट पर कही ये बातईडी ने कहा कि देश मनी लांड्रिंग अपराध के पीड़ित की परिभाषा के अंतर्गत आता है। इसने आगे कहा कि एजेंसी को एक पीड़ित व्यक्ति के रूप में माना जाना चाहिए, क्योंकि वे मनी लांड्रिंग निवारण अधिनियम के तहत अभियोजक हैं और इस प्रकार जांच एजेंसी को लोकायुक्त पुलिस द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट पर कोई आदेश पारित करने से पहले विरोध करने या सुनवाई करने का अधिकार या अधिकार है।
गौरतलब है कि मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (मुडा) जमीन आवंटन मामले की जांच कर रही लोकायुक्त पुलिस ने उल्लेख किया था कि सुबूतों के अभाव में सीएम सिद्दरमैया और उनकी पत्नी पार्वती के खिलाफ आरोप साबित नहीं हो सके।
क्लोजर रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी हैजांच अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने क्लोजर रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंप दी है। इस मामले में सीएम सिद्दरमैया और उनकी पत्नी पार्वती के अलावा उनके साले और जमीन के मालिक देवराजू भी आरोपित हैं।
हाई कोर्ट ने दी ईडी जांच की अनुमतिकर्नाटक हाई कोर्ट ने ईडी को मुडा जमीन आवंटन मामले में पूर्व एमयूडीए आयुक्त डीबी नटेश को छोड़कर सभी आरोपितों की जांच करने की अनुमति दे दी।
मुख्य न्यायाधीश एनवी अंजारिया और जस्टिस केवी अरविंद की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि ईडी कानून के अनुसार अन्य आरोपित व्यक्तियों के खिलाफ जांच आगे बढ़ाने का हकदार है। इससे सीएम सिद्दरमैया की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
पीठ के आदेश पर रोक लगाने के लिए खंडपीठ का दरवाजा खटखटायाईडी ने एकल न्यायाधीश की पीठ के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए खंडपीठ का दरवाजा खटखटाया था। दूसरी ओर, मुडा घोटाले की जांच सीबीआइ को सौंपने की स्नेहमयी कृष्णा की याचिका खारिज कर दी गई।
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Karnataka: शंकराचार्य भारती स्वामी के खिलाफ दुष्कर्म का मामला खारिज, कर्नाटक हाईकोर्ट का बड़ा फैसला
आइएएनएस, बेंगलुरु। गोकर्ण स्थित श्री रामचंद्रपुरा मठ के श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री राघवेश्वर भारती स्वामी के खिलाफ दुष्कर्म के मामले को खारिज करते हुए कहा कि कथित घटना की शिकायत करने में नौ वर्ष की देरी को लेकर शिकायतकर्ता के पास कोई सही स्पष्टीकरण नहीं था।
मठ की एक पूर्व शिष्या ने शंकराचार्य पर लगाए आरोपमठ की एक पूर्व शिष्या ने आरोप लगाया था कि 2006 में 15 वर्ष की आयु और फिर 2012 में 21 वर्ष की आयु में हिंदू संत ने दो बार उसके साथ दुष्कर्म किया।
स्वामी ने एक ट्रायल कोर्ट द्वारा इस संबंध में की गई पूरी कार्यवाही को चुनौती देते हुए इसे रद करने की मांग संबंधी एक याचिका 2021 में हाई कोर्ट के समक्ष दायर की थी। जस्टिस एम नागप्रसन्ना की पीठ ने इस संबंध में आदेश जारी किया।
याचिकाकर्ता के खिलाफ पूरी कार्यवाही प्रभावितआदेश में कहा गया कि आरोप पत्र को लेकर बेंगलुरु के प्रथम अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित कार्यवाही समेत सभी कार्यवाही को रद किया जाता है।
आदेश में कहा गया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ पूरी कार्यवाही प्रभावित है। मामले में आगे के ट्रायल की अनुमति देना निस्संदेह कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग होगा और न्याय की विफलता होगी। इस मामले में मजिस्ट्रेट द्वारा दिमाग का इस्तेमाल नहीं किया गया।
महिला ने स्वामी जी पर लगाए गंभीर आरोपआरोप-पत्र सीआइडी अधिकारी ने दाखिल किया है, जिसे इसका अधिकार नहीं था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि 2006 में स्वामी जी ने अपने कमरे में भगवान का डर दिखाकर उसका यौन उत्पीड़न किया और किसी को बताए जाने पर पाप लगने की बात कही। इसके बाद स्वामी जी द्वारा मठ के ही एक सदस्य से उसकी शादी तय कर देने के बाद उसके साथ दुष्कर्म किया गया।
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फर्जी पासपोर्ट या वीजा पर 7 साल की सजा...Immigration & Foreigners Bill 2025 राज्यसभा में पारित, विपक्ष ने किया वॉकआउट
पीटीआई, नई दिल्ली। विदेशियों के आव्रजन, भारत में प्रवेश और ठहरने को विनियमित करने वाला 'आव्रजन और विदेशी विधेयक, 2025' बुधवार को राज्यसभा में भी पारित हो गया। यह विधेयक 27 मार्च, 2025 को लोकसभा में पारित किया गया था। विधेयक में विपक्षी सदस्यों द्वारा सुझाए गए कई संशोधनों को अस्वीकार किए जाने के बाद राज्यसभा ने इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया।
विधेयक में एक प्रमुख प्रविधान यह है कि भारत में प्रवेश करने या देश में रहने या देश से बाहर जाने के लिए फर्जी पासपोर्ट या वीजा का उपयोग करते हुए पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को सात साल तक की जेल की सजा और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
कड़ी निगरानी का भा प्रविधान?विधेयक में भारत आने वाले प्रत्येक व्यक्ति पर कड़ी निगरानी रखने का भी प्रविधान है। प्रस्तावित कानून में होटल, विश्वविद्यालय, अन्य शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों और नर्सिंग होम द्वारा विदेशियों के बारे में अनिवार्य रूप से सूचना देने का प्रविधान है, ताकि निर्धारित अवधि से अधिक समय तक रहने वाले विदेशियों पर नजर रखी जा सके।
बहरहाल, इस विधेयक पर चर्चा का जवाब देते हुए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने पिछली कांग्रेस सरकार और पश्चिम बंगाल की तृणमूल सरकार पर अवैध प्रवासियों को देश में प्रवेश करने में ''मदद'' करने और मतदाता सूची तथा राशन कार्ड में उनके नाम शामिल करके उनके ठहरने को ''सुविधाजनक'' बनाने का आरोप लगाया।
हालांकि, इस पर कांग्रेस और तृणमूल के सदस्यों ने कड़ी आपत्ति जताई और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों के साथ सदन से वाकआउट कर गए।चर्चा के दौरान राय ने कहा, ''26 सदस्यों ने विधेयक पर अपने विचार व्यक्त किए। हमारे विश्वविद्यालयों, शिक्षा प्रणाली और अर्थव्यवस्था को विश्वस्तरीय बनाने के लिए यह विधेयक लाना आवश्यक था।'' उन्होंने कहा कि देश में उन सभी लोगों का स्वागत है जो शिक्षा, शोध और विकास कार्यों के लिए यहां आते हैं। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि उन सभी विदेशी नागरिकों से निपटने की जरूरत है जो राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं।
विधेयक को स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए: सिंघवीकांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस विधेयक से यह संदेश जाता है कि सभी विदेशी ''संभावित अपराधी'' हैं, जिन्हें भारत द्वारा गंभीर संदेह की दृष्टि से देखना चाहिए। विधेयक का विरोध करते हुए उन्होंने मांग की कि इसे स्थायी समिति को भेजा जाना चाहिए क्योंकि यह निम्न अधिकारियों को अत्यधिक शक्ति प्रदान करता है और इसमें अपील, निगरानी और जवाबदेही के प्रविधानों का अभाव है।
उन्होंने कहा कि सरकार का दृष्टिकोण केवल उस मानसिकता को दर्शाता है जिसमें विदेशियों को सम्मान और गरिमा वाले व्यक्ति के रूप में नहीं, बल्कि ''अवमानना और घृणा की वस्तु'' के रूप में देखा जाता है। समानता, जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार जैसे संवैधानिक प्रविधानों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि संविधान नागरिकों के समान ही गैर-नागरिकों को भी कई अधिकारों की गारंटी देता है।
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पीटीआई, नई दिल्ली। भारतीय नौसेना के अग्रणी युद्धपोत आइएनएस तरकश ने पश्चिमी हिंद महासागर में 2,500 किलोग्राम से अधिक ड्रग्स जब्त की है। 31 मार्च को नौसेना को कुछ जहाजों की संदिग्ध गतिविधियों के बारे में सूचना मिली थी। इसके बाद अभियान चलाकर ये ड्रग्स जब्त किया गया। इस ड्रग्स में 2,386 किलोग्राम हशीश और 121 किलोग्राम हेरोइन शामिल है। यह सीलबंद पैकेटों में भरी हुई थी।
नौसेना के प्रवक्ता ने बताया कि आसपास के सभी संदिग्ध जहाजों से पूछताछ करने के बाद आइएनएस तरकश ने भारतीय नेवी की तीसरी आंख कहे जाने वाले पी8आइ समुद्री निगरानी विमान और मुंबई में समुद्री परिचालन केंद्र के साथ मिलकर एक संदिग्ध जहाज को रोका। इस दौरान संदिग्ध जहाज की गतिविधियों पर नजर रखने और क्षेत्र में संभावित रूप से संचालित अन्य जहाजों की पहचान करने के लिए अपने हेलीकॉप्टर को भी भेजा।
तलाशी और पूछताछ में सामने आई जानकारीअधिकारी ने बताया कि मरीन कमांडो के साथ एक विशेषज्ञ टीम ने जब संदिग्ध जहाज पर सवार होकर उसकी गहन तलाशी ली तो उसमें कई सीलबंद पैकेट बरामद हुए। उन्होंने बताया कि तलाशी और पूछताछ में पता चला कि जहाज पर विभिन्न कार्गो होल्ड और कंपार्टमेंट में 2,500 किलोग्राम से अधिक मादक पदार्थ रखा हुआ था।
आइएनएस तरकश भारतीय नौसेना का एक प्रमुख फ्रिगेटप्रवक्ता ने बताया कि संदिग्ध जहाज को बाद में आइएनएस तरकश के नियंत्रण में लाया गया और चालक दल के सदस्यों से उनकी कार्यप्रणाली और क्षेत्र में अन्य समान जहाजों की मौजूदगी के बारे में विस्तृत पूछताछ की गई। बता दें कि आइएनएस तरकश भारतीय नौसेना का एक प्रमुख फ्रिगेट है, जो पश्चिमी नौसैनिक कमान के तहत आपरेट किया जा रहा है।
यह जब्ती समुद्र में मादक पदार्थों की तस्करी सहित अवैध गतिविधियों को रोकने और नियंत्रित करने में भारतीय नौसेना की प्रभावशीलता एवं कार्यकुशलता को दर्शाती है। भारतीय नौसेना का लक्ष्य ¨हद महासागर क्षेत्र (आइओआर) में सुरक्षा, स्थिरता एवं समृद्धि को बढ़ावा देना है।
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'पिछड़े मुस्लिम-महिलाओं की वक्फ में भागीदारी से परेशानी क्यों', बीजेपी सांसद ने Waqf Amendment Bill के समझाए कानूनी प्रविधान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वक्फ संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान लोकसभा में दोनों ओर से जमकर तर्क-बाण चले। विपक्ष की ओर से इसका विरोध किया गया तो सत्ता पक्ष की ओर से संविधान का हवाला और मुस्लिम पिछड़ों और महिलाओं की भलाई का हवाला दिया।
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस सदस्य गौरव गोगोई द्वारा उठाए गए बिंदुओं का जिक्र करते हुए स्पष्ट करना चाहा कि संविधान के मौलिक अधिकार में धारा 15 है, जिसमें लिखा है कि महिलाओं के साथ कोई भी भेद नहीं होगा और सरकार महिलाओं के विकास के लिए कोई भी कानून बना सकती है। यदि यह वक्फ बिल खवातीनों के लिए, वक्फ में उनकी भूमिका के लिए लाया जा रहा है तो असंवैधानिक कैसे हो गया? वहीं, संविधान की धारा 15 में यह भी लिखा हुआ है कि सामाजिक रूप से पिछड़े वर्ग के विकास के लिए सरकार कार्यवाही कर सकती है। पिछड़े मुसलमानों को अभी वक्फ के मैनेजमेंट में अवसर नहीं मिलता। संशोधन बिल में इसका प्रविधान किया जा रहा है कि पिछड़े मुसलमानों को भी वक्फ में जगह दी जाएगी तो इसमें विपक्ष को परेशानी क्यों है?
Wafq is not a religious body and just a statutory body: Ravi Shankar Prasad#WaqfAmendmentBill #WaqfBill #WaqfBoard pic.twitter.com/DxL1AsNJp9
— DD News (@DDNewslive) April 2, 2025 वक्फ धार्मिक नहीं, वैधानिक संस्था: बीजेपी सांसद रविशंकर प्रसादसांसद रविशंकर ने तर्क दिया कि वक्फ धार्मिक नहीं, वैधानिक संस्था है। मुतवल्ली को सिर्फ मैनेजर बोलते हैं। यह वक्फ बोर्ड की आठ लाख की संपत्ति के मैनेजर हैं। यह संपत्ति लूटी जा रही है तो क्या सरकार खामोश रहेगी? उन्होंने सवाल किया कि आठ लाख संपत्ति में कितने अस्पताल, स्कूल, स्किल सेंटर या अनाथालय बने? विधवा-बेटियों को सिलाई-कढ़ाई सिखाने के लिए क्या व्यवस्था की गई?
#WaqfAmendmentBill
BJP MP Ravi Shankar Prasad says, "Today, I want to raise this question before Parliament—how many schools have been built on Waqf property? How many hospitals, skill centres, and orphanages have been established on Waqf land?..."#WaqfBill | #Waqf | #LokSabha… pic.twitter.com/7ruhz9iCpw
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि देश जितना हिंदुओं का है, उतना ही मुस्लिमों का है, लेकिन मुस्लिमों के आदर्श क्या वोटों की दलाली करने वाले होंगे? हमें लगा था कि वोटों की सौदागरी बंद होगी, लेकिन बंद नहीं हुई। देश बदल रहा है। कांग्रेस कहां थी, कहां आ गई। राजीव गांधी को 400 सीटें मिली थीं, लेकिन शाहबानो केस के बाद आज तक बहुमत नहीं मिला।
वक्फ बन गया था अत्याचार और भ्रष्टाचार का अड्डा: अनुराग ठाकुरइसी तरह अनुराग ठाकुर ने कहा कि वक्फ को बदलने का वक्त आ गया है, क्योंकि यह अत्याचार और भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। भारत को वक्फ के खौफ से आजादी चाहिए। यह हिंदुस्तान है, पाकिस्तान या तालिबान नहीं है। यहां बाबा साहेब का संविधान चलेगा, मुगलिया फरमान नहीं चलने वाला।
उन्होंने आरोप लगाया कि वक्फ बोर्ड का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय के लिए संपत्तियों का प्रबंधन करना था, लेकिन कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों ने इस भूमि को वोटबैंक का एटीएम बनाकर रख दिया। अपने तेवर और तीखे करते हुए आरोप लगाया कि 1947 का विभाजन देश ने देखा, जो कि एक परिवार और पार्टी के कारण हुआ। आज लैंड जिहाद के नाम पर दूसरा विभाजन नहीं होने देंगे। राहुल गांधी और अखिलेश यादव से पूछा कि क्या मुस्लिम समुदाय में भी भेदभाव या छुआछूत है? फिर कहा कि यह विधेयक कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण का अंतिम संस्कार करने वाला है।
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Waqf Amendment Bill: 'आप हाथ छोड़कर चले गए...', अखिलेश ने मोदी सरकार के इस मंत्री को दिया साथ आने का खुला ऑफर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार को पेश हुए Waqf Amendment Bill की चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अलग भाजपा और उसके सहयोगी दलों पर जमकर निशाना साधा।
लोकसभा चुनाव 2025 के पहले तक जेडीयू विपक्षी गठबंधन 'इंडिया' का हिस्सा थी, लेकिन बाद में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एनडीए के खेमे में चले गए। अब समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हल्के-फुल्के अंदाज में लेकिन बड़े राजनीतिक संकेतों के साथ केंद्रीय मंत्री और जेडीयू नेता ललन सिंह को साथ आने का खुला ऑफर दे दिया।
अखिलेश का जेडीयू पर तंजयह वाकया तब हुआ जब जेडीयू सांसद राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) ने संसद में अपना बयान दिया। उनके बोलने के बाद अखिलेश यादव ने मुस्कुराते हुए तंज कसा, "आप हमें छोड़कर चले गए। सभापति महोदया, देखिए राजनीति कैसी होती है! हमने इनका हाथ पकड़ा और यहां तक आए, लेकिन इन्होंने हमारा हाथ छुड़ा लिया और वहां चले गए। हो सकता है, कल फिर हमारा और इनका हाथ मिल जाए!"
वक्फ बिल को लेकर क्या बोले अखिलेश यादव?सपा अध्यक्ष ने कहा, "यह वक्फ बिल जो लाया जा रहा है ये अपने वोट बैंक को संभालने के लिए और समाज को बाटने के लिए है। जो इससे पहले फैसले लिए सरकार ने क्या उससे देश और प्रदेश में बड़ा बदलाव आ गया?"
"यह वक्फ बिल जो लाया जा रहा है ये अपने वोट बैंक को संभालने के लिए और समाज को बाटने के लिए है। जो इससे पहले फैसले लिए सरकार ने क्या उससे देश और प्रदेश में बड़ा बदलाव आ गया?"
- माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी pic.twitter.com/l2vJCyySqd
वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ बोलते हुए अखिलेश ने भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में हो रही देरी को लेकर सवाल उठाते हुए तंज किया।
अखिलेश ने कहा, जो पार्टी ये कहती हो कि वो दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है, वो अब तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं चुन पाई हैं।
#WATCH | Samajwadi Party chief and MP Akhilesh Yadav takes jibe at BJP; he said, "The party that calls itself the world's largest party has not yet been able to choose its national president."
Replying to him, Union HM Amit Shah said, "All the parties in front of me, their… pic.twitter.com/9zX6mAejzz
हालांकि इस तंज पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि विपक्ष में जो भी पार्टी बैठी है, वहां परिवार में से ही किसी को अध्यक्ष चुनना होता है। जबकि हमारे यहां 12-13 करोड़ सदस्य हैं, चुनाव की प्रक्रिया होती है, इसीलिए देर लगती है।
अमित शाह बोले, "आपके यहां चुनाव नहीं होता इसीलिए देर नहीं लगती। मैं कह देता हूं कि आप अगले 25 साल तक अपनी पार्टी के अध्यक्ष हो, और कोई नहीं बन सकता। अमित शाह के इस जवाब पर अखिलेश यादव हाथ जोड़ते नजर आए।
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'शादी का भरोसा देकर बनाए शारीरिक संबंध', महिला ने SC में लगाई गुहार तो जज साहब ने की अहम टिप्पणी
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को यौन उत्पीड़न मामले पर सुनवाई करते हुए एक अहम टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि असफल रोमांटिक रिश्ते का मतलब हमेशा यह नहीं होता कि दोनों पक्षों पर यौन संबंध जबरन बनाए गए थे।
दरअसल, एक महिला ने याचिका दायर किया था कि उसके पूर्व मंगेतर ने उसके साथ शादी का वादा कर यौन संबंध बनाए। लड़की ने कोर्ट में दलील दी कि उसे उम्मीद थी कि लड़का उसके साथ शादी करेगा, इसलिए उसने यौन संबंध बनाए।
युवाओं के बीच नैतिकता की भावना अलग हो चुकी है: कोर्टकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि महिला बालिग है। ऐसा नहीं हो सकता कि आपको यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया गया हो कि आपकी शादी हो जाएगी, । आज के समय युवाओं के बीच नैतिकता, सद्गुणों की अवधारणा अलग हो चुकी है। अगर हम आपकी बात से सहमत हैं, तो कॉलेज में लड़के और लड़की के बीच कोई भी रिश्ता, वगैरह दंडनीय होगा।"
अदालत ने यह भी कहा कि इस तरह की शिकायतें कभी-कभी रूढ़िवादी नैतिकता और मूल्यों से प्रेरित होती हैं, जिसमें व्यवस्था में "खामियों" के कारण पुरुष को ही दोष दे दिया जाता है।
महिला की वकील ने क्या दलील दी?हालांकि, महिला के वकील ने बताया कि जिस रिश्ते पर सवाल उठाया जा रहा है, वह 'अरेंज्ड' था और 'रोमांटिक' नहीं था, इसलिए 'सहमति' का सवाल उठता है। वकील माधवी दीवान ने कहा, "यह कोई रोमांटिक रिश्ता नहीं है जो खराब हो गया। यह अरेंज्ड था। इस मामले में सहमति को 'स्वतंत्र सहमति' नहीं कहा जा सकता है।" उन्होंने स्पष्ट किया कि सगाई तोड़ना "सामाजिक वर्जना" के बराबर होगा।
दीवान ने तर्क दिया कि महिला को लगता था कि अगर वह उसे खुश नहीं करेगी तो वह उससे शादी नहीं करेगा। उन्होंने अदालत से कहा, "यह उसके लिए आकस्मिक सेक्स हो सकता है, लेकिन महिला के लिए नहीं।"
अदालत ने इस पर कहा कि स्थिति की जांच दोनों पक्षों के दृष्टिकोण से की जानी चाहिए और इसका "किसी एक लिंग से कोई संबंध नहीं है।
न्यायमूर्ति सुंदरेश ने पूछा, "मेरी भी एक बेटी है (लेकिन फिर भी) यदि वह इस स्थिति में है तो मुझे व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है। अदालत ने अंततः निर्णय लिया कि वह उस व्यक्ति की याचिका पर आगे सुनवाई करेगी।
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हैदराबाद यूनिवर्सिटी के पास विवादित 400 एकड़ जमीन पर चल रहे काम पर 24 घंटे की रोक, तेलंगाना HC का आदेश
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बुधवार को हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के पास कांचा गाचीबोवली में 400 एकड़ भूमि पर चल रहे काम को 24 घंटे के लिए रोक दिया। न्यायालय ने यह अंतरिम आदेश छात्रों और वात फाउंडेशन द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पारित किया।
यह आदेश वात फाउंडेशन और हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी (एचसीयू) के छात्रों द्वारा दायर जनहित याचिका (पीआईएल) के जवाब में आया है। अदालत ने अधिकारियों को कल यानी 3 अप्रैल तक भूमि पर काम बंद करने का निर्देश दिया है, जब अगली सुनवाई होनी है।
याचिकाकर्ताओं ने यह तर्क देते हुए रोक लगाने की मांग की थी कि तेलंगाना औद्योगिक अवसंरचना निगम (टीजीआईआईसी) सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन करते हुए बुलडोजर से पेड़ों को काट रहा है।
उन्होंने तर्क दिया कि भले ही भूमि पिछले वर्ष जून में राज्य सरकार के आदेश के अनुसार टीजीआईआईसी को आवंटित की गई हो, फिर भी कंपनी को पेड़ों को उखाड़ने और जमीन को समतल करने के लिए भारी वाहनों के उपयोग के संबंध में शीर्ष अदालत के आदेशों का पालन करना होगा।
इस खबर को लगातार अपडेट किया जा रहा है। हम अपने सभी पाठकों को पल-पल की खबरों से अपडेट करते हैं। हम लेटेस्ट और ब्रेकिंग न्यूज को तुरंत ही आप तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रारंभिक रूप से प्राप्त जानकारी के माध्यम से हम इस समाचार को निरंतर अपडेट कर रहे हैं। ताजा ब्रेकिंग न्यूज़ और अपडेट्स के लिए जुड़े रहिए जागरण के साथ।
वक्फ बोर्ड की घट जाएगी शक्ति! अभी कितनी हैं संपत्ति; कानून बना तो सरकार के हाथ में क्या-क्या जाएगा?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने बुधवार को लोकसभा में दूसरी बार वक्फ संशोधन विधेयक 2024 पेश किया। विधेयक पर कुल आठ घंटे चर्चा होगी। अगर यह लोकसभा में पारित होता है तो गुरुवार को इसे राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। बिल के समर्थन में सरकार का कहना है कि इससे जवाबदेही तय होगी। वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता आएगी। विपक्षी दल इसे संविधान के खिलाफ बताने में जुटे हैं।
वक्फ संशोधन विधेयक पर राष्ट्रव्यापी बहस के बीच आइए जानते हैं वक्फ बोर्ड क्या है, इसका गठन कब हुआ, इसके पास कितनी संपत्ति है... नए संशोधन विधेयक में क्या अलग है, सरकार और विपक्ष के तर्क क्या हैं... सरकार को किन-किन दलों का साथ मिला, पुराने कानूनों के किन प्राविधानों पर सरकार को आपत्ति है।
वक्फ क्या है?वक्फ अरबी का शब्द है। इसका मतलब खुदा के नाम पर दी जाने वाली वस्तु या संपत्ति है। इसे परोपकार के उद्देश्य से दान किया जाता है। कोई भी मुस्लिम अपनी चल और अचल संपत्ति को वक्फ कर सकता है। अगर कोई भी संपत्ति एक भी बार वक्फ घोषित हो गई तो दोबारा उसे गैर-वक्फ संपत्ति नहीं बनाया जा सकता है।
पहली बार कब बना वक्फ एक्ट?देश में पहला वक्फ अधिनियम 1954 में बनाया गया था। इसी के तहत वक्फ बोर्ड का गठन किया गया था। इसका मकसद वक्फ के कामकाज को सरल बनाना था। 1955 में पहला संशोधन किया गया। 1995 में नया वक्फ कानून बनाया गया था। इसके तहत राज्यों को वक्फ बोर्ड गठन की शक्ति दी गई। साल 2013 में संशोधन किया गया और सेक्शन 40 जोड़ी गई।
देशभर में वक्फ बोर्ड के पास कितनी संपत्ति?देशभर में सबसे अधिक जमीन भारतीय रेलवे और सशस्त्रबलों के पास है। संपत्ति के मामले में वक्फ बोर्ड तीसरे नंबर पर आता है। उसके पास आठ लाख एकड़ से अधिक जमीन है। बोर्ड की अनुमानित संपत्ति 1.2 लाख करोड़ रुपये है। 2009 में वक्फ बोर्ड के पास कुल 4 लाख एकड़ जमीन थी।
कौन करता है संपत्तियों का रख-रखाव?वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन वक्फ बोर्ड करते हैं। देशभर में कुल 32 वक्फ बोर्ड हैं। हर राज्य में एक वक्फ बोर्ड होता है। यूपी और बिहार में दो शिया वक्फ बोर्ड भी हैं। वक्फ बोर्ड एक कानूनी इकाई है। यह संपत्ति को अर्जित करने और प्रबंधन का काम देखता है। वक्फ संपत्तियों को न तो बेचा जा सकता है और न ही पट्टे पर दिया जा सकता है।
अभी वक्फ बोर्ड में कौन-कौन होता?अभी तक वक्फ बोर्ड में अध्यक्ष के अलावा प्रदेश सरकार के सदस्य, मुस्लिम सांसद, विधायक, बार काउंसिल के सदस्य, इस्लामी विद्वान और वक्फ के मुतवल्ली शामित होते थे।
वक्फ अधिनियम में संशोधन क्यों?कानून में संशोधन करने के पीछे सरकार का तर्क है कि वक्फ बोर्ड के कामकाज को सुव्यवस्थित बनाना और वक्फ संपत्तियों का कुशल प्रबंधन सुनिश्चित करना है। वक्फ संशोधन विधेयक 2024 का उद्देश्य वक्फ अधिनियम- 1995 में संशोधन करना है। इससे वक्फ संपत्तियों का रेगुलेशन और प्रबंधन करने में आसानी होगी।
- पिछले अधिनियम की कमियों को दूर करना।
- अधिनियम का नाम बदलने जैसे बदलाव करके वक्फ बोर्डों की कार्यकुशलता को बेहतर करना।
- वक्फ की परिभाषाओं को अपडेट करना।
- पंजीकरण प्रक्रिया में सुधार करना।
- वक्फ रिकॉर्ड के प्रबंधन में तकनीक का दखल बढ़ाना।
सरकार का मानना है कि मौजूदा वक्फ कानून ने कई तरह के विवादों को जन्म दिया है। वक्फ के 'एक बार वक्फ... हमेशा वक्फ' के सिद्धांत से विवाद उपजे हैं। बेट द्वारका के द्वीपों पर दावों को अदालतों ने भी उलझन भरा माना। सरकार का तर्क है कि वक्फ अधिनियम 1995 और 2013 में इसमें किया गया संशोधन अब प्रभावकारी नहीं है। इससे कुछ समस्याएं पैदा हुई हैं।
अभी क्या समस्या आ रही थी?- वक्फ भूमि पर अवैध कब्जा।
- कुप्रबंधन और स्वामित्व विवाद।
- संपत्ति पंजीकरण और सर्वेक्षण में देरी।
- बड़े पैमाने पर मुकदमे और मंत्रालय को शिकायतें।
- अभी तक वक्फ न्यायाधिकरणों के निर्णयों को हाई कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी।
- इससे वक्फ प्रबंधन में पारदर्शिता और जवाबदेही तय नहीं होती थी।
- कुछ राज्य वक्फ बोर्डों ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया है। इस वजह से सामुदायिक तनाव पैदा हुआ।
- वक्फ अधिनियम की धारा 40 का सबसे अधिक दुरुपयोग किया गया। इसके तहत निजी संपत्तियों को वक्फ घोषित किया गया। इसने मुकदमेबाजी को जन्म दिया।
वक्फ अधिनियम केवल एक धर्म पर लागू होता है। किसी अन्य धर्म के लिए ऐसा कोई कानून नहीं है। दिल्ली उच्च न्यायालय में दाखिल एक जनहित याचिका में वक्फ बोर्ड की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाए गए थे।
क्या है विवादित सेक्शन 40?वक्फ अधिनियम के सेक्शन 40 पर बहस छिड़ी है। इसके तहत बोर्ड को रिजन टू बिलीव की की ताकत मिली है। अगर बोर्ड का मानना है कि कोई संपत्ति वक्फ की संपत्ति है तो वो खुद से जांच कर सकती है और वक्फ होने का दावा पेश कर सकता है। अगर उस संपत्ति में कोई रह रहा है तो वह अपनी आपत्ति को वक्फ ट्रिब्यूनल के पास दर्ज करा सकता है। अगर कोई संपत्ति एक बार वक्फ घोषित हो गई तो हमेशा वह वक्फ रहेगी। इस वजह से कई विवाद भी सामने आए हैं। नए कानून में इस सेक्शन को हटा दिया गया है।
विपक्ष क्यों कर रहा विरोध?वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ विपक्षी दलों का तर्क है कि यह मुस्लिमों की धार्मिक आजादी पर हमला है। वक्फ की संपत्तियों पर कब्जा करने के उद्देश्य से विधेयक लाया जा रहा है। विपक्षी दलों का तर्क यह भी है कि कानून संविधान के खिलाफ है। तानाशाही तरीके से लाया गया है। संयुक्त संसदीय कमेटी में शामिल विपक्ष के सदस्यों के संशोधनों को शामिल नहीं किया गया है।
सरकार के साथ कौन-कौन दल?वक्फ बिल पर सरकार को जेडीयू, टीडीपी, जेडीएस, हम, लोजपा (रामविलास) शिवसेना, रालोद और पवन कल्याण की पार्टी जनसेना का साथ मिला है।
वक्फ संशोधन विधेयक 2024 में क्या-क्या बदलाव?- अधिनियम का नाम वक्फ अधिनियम- 1995 से बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम- 1995 करने का प्रस्ताव।
- वक्फ के रूप में पहचानी गई सरकारी संपत्तियां वक्फ नहीं होगी। विवादों का समाधान कलेक्टर द्वारा किया जाएगा।
- वक्फ निर्धारण की शक्ति वक्फ बोर्ड के पास नहीं होगी।
- वक्फ का सर्वेक्षण, सर्वेक्षण आयुक्तों और अपर आयुक्त द्वारा संचालित कलेक्टरों को संबंधित राज्यों के राजस्व कानूनों के अनुसार करने का अधिकार होगा।
- केंद्रीय वक्फ परिषद: दो गैर-मुस्लिम होंगे। सांसदों, पूर्व न्यायाधीशों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों का मुस्लिम होना जरूरी नहीं है। दो महिला सदस्यों का होना भी जरूरी। मुस्लिम संगठनों के प्रतिनिधि, इस्लामी कानून के विद्वान, वक्फ बोर्डों के अध्यक्ष मुस्लिम समुदाय से होंगे।
- राज्य वक्फ बोर्ड: राज्य सरकार दो गैर-मुस्लिमों, शिया, सुन्नी, पिछड़े वर्ग के मुसलमानों, बोहरा और आगाखानी समुदाय से एक-एक सदस्य को मनोनीत कर सकती। कम से कम दो मुस्लिम महिलाओं का होना जरूरी है।
- वक्फ न्यायाधिकरण: अपर जिला मजिस्ट्रेट शामिल होंगे। मुस्लिम कानून विशेषज्ञ के प्रावधान को हटाया गया है। इसमें जिला न्यायालय के न्यायाधीश और एक संयुक्त सचिव (राज्य सरकार) शामिल होंगे। न्यायाधिकरण के आदेश के खिलाफ 90 दिनों के भीतर अदालत में अब अपील कर सकेंगे।
- केंद्र सरकार की शक्तियां: राज्य सरकारें कभी भी वक्फ खातों का ऑडिट कर सकती हैं। केंद्र सरकार को वक्फ पंजीकरण, खातों और लेखा परीक्षा पर नियम बनाने का अधिकार दिया गया है। शिया वक्फ 15 फीसदी से अधिक होने पर शिया और सुन्नी के अलग-अलग वक्फ बोर्ड होंगे। बोहरा और अगाखानी वक्फ बोर्ड को भी अनुमति दी गई है।
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साल 2026 के लिए H-1B वीजा का शुरुआती सेलेक्शन प्रोसेस खत्म, जिन भारतीयों का हुआ चयन, वो अब क्या करें?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। वित्त वर्ष 2026 के लिए एच-1बी वीजा लॉटरी के लिए प्रारंभिक सेलेक्शन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 31 मार्च को 85,000 की वार्षिक लिमिट पूरी हो चुकी है। बता दें कि एक साल में 65,000 एच-1बी जारी की जाती है। लॉटरी के जरिए सेलेक्शन प्रक्रिया पूरी की जाती है। इसके अलावा 20 हजार वीजा उन छात्रों को दिया जाता है, जिन्होंने अमेरिका के कॉलेज-यूनिवर्सिटी से डिग्री हासिल की है।
बता दें कि अमेरिका में नौकरी के लिए H-1B वीजा बेहद जरूरी होता है। अगर आप भी अमेरिका में नौकरी हासिल करना चाहते हैं, तो फिर आपको H-1B वीजा हासिल करने पर जोर देना चाहिए।
जिन लोगों का सेलेक्शन हुआ, वो अब क्या करें...जिन लोगों ने लॉटरी अप्लाई की है वो अपने USCIS अकाउंट में जाकर ये देख सकते हैं कि उनका सेलेक्शन हुआ है या नहीं। USCIS ने आवश्यक कोटा पूरा करने के लिए उचित रूप से प्रस्तुत पंजीकरणों में से पर्याप्त लाभार्थियों का चयन किया है। अब जबकि प्रारंभिक चयन प्रक्रिया पूरी हो गई है वो चयनित लाभार्थी H-1B कैप-विषय याचिका दायर करने के लिए पात्र है।
H-1B वीजा रजिस्ट्रेशन के बारे में जरूरी बातेंआवेदकों को प्रत्येक लाभार्थी को इलेक्ट्रॉनिक रूप से रजिस्टर करने के लिए USCIS ऑनलाइन अकाउंट का इस्तेमाल करना होगा। प्रत्येक लाभार्थी के लिए 215 डॉलर (आज की करेंसी के हिसाब से 18,730.84 रुपये) H-1B रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान किया जाएगा। USCIS ने H-1B पंजीकरण शुल्क को प्रति लाभार्थी 10 डॉलर से बढ़ाकर 215 डॉलर किया है।
भरनी होती है बेसिक जानकारीH-1B कर्मचारियों को रोजगार देने के इच्छुक संभावित याचिकाकर्ताओं को पंजीकरण प्रक्रिया पूरी करनी होती है। प्रत्येक वित्त वर्ष में प्रारंभिक पंजीकरण अवधि 14 दिनों तक चलती है। जिन लोगों ने चयनित पंजीकरण कराया होगा, केवल वे ही H-1B कैप-विषय याचिका दायर करने के पात्र होंगे।
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सिद्धिविनायक मंदिर को एक साल में मिला इतने करोड़ का दान, अगले साल की कमाई लेकर भी की गई 'भविष्यवाणी'
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रभादेवी के सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 133 करोड़ रुपये की रिकॉर्ड वार्षिक आय की जानकारी दी है। कार्यकारी अधिकारी वीना पाटिल ने कहा कि यह रकम 2023-24 में 114 करोड़ रुपये से 15% अधिक है। प्रबंध समिति ने 31 मार्च को अपना वार्षिक बजट पेश किया। अगले वित्तीय वर्ष 2025-26 में मंदिर का राजस्व बढ़कर 154 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
सिद्धिविनायक के उप कार्यकारी अधिकारी संदीप राठौड़ ने कहा, "प्रशासन की कार्यकुशलता के कारण, हमारी आय जो 114 करोड़ रुपये होने की उम्मीद थी, वह बढ़कर 133 करोड़ रुपये हो गई, जो ट्रस्ट के अपने अनुमान से 15% अधिक है। हमने देखा है कि अगर भक्तों को सहज दर्शन की सुविधा दी जाए, अगर कतारें व्यवस्थित तरीके से तेजी से आगे बढ़ें, तो अधिक लोग दर्शन कर सकते हैं, जिससे दान में वृद्धि होती है।"
"सिद्धिविनायक में, प्रत्येक भक्त को दर्शन के लिए 10-15 सेकंड मिलते हैं, जो मेरे अनुसार, अन्य बड़े मंदिरों की तुलना में बेहतर है, जो 5-7 सेकंड देते हैं। नतीजतन, लोगों का दिल अधिक दान करने के लिए इच्छुक है।" संदीप राठौड़, उप कार्यकारी अधिकारी, सिद्धिविनायक ट्रस्ट
कैसे आता है मंदिर का राजस्व?राजस्व का आकलन 'दान पेटी' आय, पूजा अनुष्ठानों, लड्डू और नारियल वाड़ी प्रसाद की बिक्री, ऑनलाइन दान और सोने-चांदी के चढ़ावे से किया जाता है। यह धनराशि ट्रस्ट की कल्याणकारी गतिविधियों में जाती है। राठौड़ ने कहा, "हम मुद्रास्फीति के लिए राजस्व मूल्यांकन को समायोजित करते हैं। हालांकि खाद्य पदार्थों और सोने की कीमतों में वृद्धि हुई है, फिर भी हमने देखा है कि हमारे सोने-चांदी में अधिक वस्तुओं की नीलामी की जा रही है। प्रसाद को बिना लाभ-हानि के आधार पर बेचा जाता है।"
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Poshan Tracker: कुपोषण के खिलाफ जंग में कारगर साबित हुई ये तकनीक, इस ऐप के जरिए Nutrition को कर सकते हैं ट्रैक
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कुपोषण के खिलाफ सामूहिक प्रयास भारत में कुपोषण को समाप्त करने के लिए एकीकृत प्रयास की आवश्यकता को देखते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 2018 में 'पोषण अभियान' की शुरुआत की। यह अभियान समाज के सबसे कमजोर वर्गों को बेहतर स्वास्थ्य और पोषण सेवाएं प्रदान करने के लिए विभिन्न हितधारकों को एकजुट करता है।
2022 में इस अभियान के दूसरे चरण को 'मिशन सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0' नाम दिया गया। वर्तमान में यह मिशन देशभर के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 772 जिलों में लगभग 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से संचालित किया जा रहा है।
डिजिटल तकनीक से मजबूत हुआ पोषण अभियानभारत में डिजिटल तकनीक का तेजी से विस्तार हो रहा है और सरकारी योजनाओं में इसका इस्तेमाल बढ़ाया जा रहा है। इसी दिशा में 2021 में 'पोषण ट्रैकर' नामक एक डिजिटल ऐप लॉन्च किया गया, जिसने मैनुअल रिपोर्टिंग की जगह रियल टाइम निगरानी, रिपोर्टिंग और योजना निर्माण को आसान बनाया। यह ऐप आंगनवाड़ी केंद्रों को देश के डिजिटल इकोसिस्टम का हिस्सा बनाता है।
इस ऐप के जरिए अब बच्चों की वृद्धि दर और गर्भवती महिलाओं के पोषण स्तर की निगरानी संभव हो पाई है। गर्भवती महिलाओं के लिए बॉडी मास इंडेक्स (BMI) की सुविधा और बच्चों की वृद्धि ट्रैकिंग वक्र (Growth Chart) की मदद से पोषण संबंधी जोखिम वाले मामलों की पहचान की जा सकती है। इसके अलावा, यह ऐप आंगनवाड़ी केंद्रों की अवस्थिति, पूर्व-विद्यालय उपस्थिति और बुनियादी ढांचे की जानकारी को भी रिकॉर्ड करता है।
आंगनवाड़ी सेवाओं तक पहुंच अब और आसानपोषण ट्रैकर ऐप को समय-समय पर अपडेट किया जाता रहा है। हाल ही में इसमें 'लाभार्थी मॉड्यूल' नामक एक नया इंटरफेस जोड़ा गया है, जिससे नागरिक खुद को नजदीकी आंगनवाड़ी केंद्र में पंजीकृत कर सकते हैं। इस सुविधा का लाभ उन लोगों को मिलेगा, जो किसी कारणवश आंगनवाड़ी कार्यकर्ता तक नहीं पहुँच पाते थे।
लखनऊ की गर्भवती महिला रोली वर्मा ने इस ऐप के जरिए पंजीकरण किया और बताया, "आंगनवाड़ी दीदी ने मेरा पंजीकरण स्वीकार कर लिया। अब मैं केंद्र की सभी सेवाओं का लाभ उठा सकती हूं।"
"इस एप्लिकेशन से हमें राज्य स्तर पर निगरानी आसान हो गई है और अब शहरी इलाकों में भी अधिक लोगों तक सेवाएं पहुंच सकेंगी।" संगीता लोंधे, उपायुक्त, महिला एवं बाल कल्याण, महाराष्ट्र
7वें पोषण पखवाड़े में जागरूकता पर रहेगा जोरपोषण ट्रैकर के सार्वजनिक डैशबोर्ड के अनुसार, अब तक आईसीडीएस (ICDS) योजना के तहत लगभग 10 करोड़ लाभार्थियों ने पंजीकरण कराया है। इसके अलावा, 25 लाख से अधिक लोगों ने इस ऐप को डाउनलोड किया है और करीब 40,000 नागरिकों ने इस ऐप या वेब इंटरफेस के जरिए पंजीकरण किया है।
8 अप्रैल 2025 से शुरू होने वाले 7वें राष्ट्रीय पोषण पखवाड़े के दौरान, इस ऐप के प्रति जागरूकता बढ़ाने और कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षित करने पर खास ध्यान दिया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक लोगों तक आंगनवाड़ी सेवाएं पहुंचाई जा सकें।
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यूनिसेफ इंडिया की पोषण विशेषज्ञ डॉ. ऋचा सिंह पांडे ने कहा, "पोषण ट्रैकर का लाभार्थी मॉड्यूल माता-पिता और देखभाल करने वालों को स्वस्थ पोषण और स्वास्थ्य संबंधी आदतें अपनाने के लिए प्रोत्साहित करेगा। जैसे-जैसे डिजिटल साक्षरता बढ़ रही है, यह पहल सेवाओं को आम लोगों के करीब लाने का महत्वपूर्ण कदम साबित होगी।"
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अब ज्यादा गर्मी नहीं झेल पाएगा इंसान का शरीर, कब बढ़ेगा खतरा? कनाडा की रिसर्च में चौंकाने वाला खुलासा
पीटीआई, नई दिल्ली। देशभर में इस वक्त मौसम का मिजाज तेजी से बदल रहा है। जल्द ही लोगों को भयंकर गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। अब रिसर्चर ने गर्मी को लेकर अलर्ट किया है, उन्होंने कहा है कि मनुष्यों में पहले की तुलना में अत्यधिक गर्मी सहने की सीमा कम हो सकती है।
यह जानकारी दुनिया में मनुष्यों की अत्यधिक गर्मी को झेलने की सीमाओं को समझने में मदद कर सकती है। एक रिसर्च के परिणाम से उन्होंने कहा कि यह शहरों को गर्म दुनिया में गर्मियों के लिए तैयार होने में मदद कर सकता है।
ओटावा विश्वविद्यालय की टीम ने की रिसर्चकनाडा के ओटावा विश्वविद्यालय में गर्मी को लेकर एक एक्सपेरिमेंट किया गया। कनाडा के ओटावा विश्वविद्यालय की टीम ने 12 स्वयंसेवकों को अत्यधिक गर्मी और ह्यूमिडिटी के संपर्क में रखा, ताकि उस बिंदु की पहचान की जा सके, जिस पर धमौरेग्यूलेशन में कैसे कोई व्यक्ति स्थिर शरीर का तापमान बनाए रखने में सक्षम होता है।
प्रतिभागियों को 57 प्रतिशत ह्यूमिडिटी के साथ 42 डिग्री सेल्सियस के संपर्क में रखा गया, जो 62 डिग्री सेल्सियस के ह्यूमिडेक्स या 'सच्चे अनुभव' को दर्शाता है।
क्या कहता है डाटा?ओटावा विश्वविद्यालय के प्रमुख शोधकर्ता राबर्ट डी मीड ने कहा कि इसके परिणाम स्पष्ट थे। प्रतिभागियों का मुख्य तापमान लगातार ऊपर की और बढ़ता रहा और कई प्रतिभागी नौ घंटे का एक्सपोजर पूरा नहीं कर पाए। यह डाटा थर्मल स्टेप प्रोटोकाल की पहली प्रत्यक्ष मान्यता प्रदान करते हैं, जिसका इस्तेमाल लगभग 50 सालों से धमौरेग्यूलेशन की ऊपरी सीमाओं का अनुमान लगाने के लिए किया जाता रहा है।
ज्यादा तापमान पर की गई रिसर्चप्रोसीडिंग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेज पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में लेखकों ने लिखा, यह अनुमान लगाया गया था कि हीट स्ट्रोक (40.2 डिग्री सेल्सियस) से जुड़े कोर तापमान 10 घंटे के अंदर हो जाएंगे।
घर्मल स्टेप प्रोटोकाल में व्यक्तियों को उनके धीरेग्यूलेशन और जीवित रहने की सीमाओं का आकलन करने के लिए नियंत्रित, बढ़ते तापमान और आर्द्रता के संपर्क में लाना शामिल है। टीम ने कहा कि यह रिसर्च मनुष्यों की अत्यधिक गर्मी को झेलने की सीमाओं को समझने में मदद कर सकती है, जिससे स्वास्थ्य नीतियों और सार्वजनिक सुरक्षा उपायों का मार्गदर्शन हो सकता है और शहरों को अधिक गर्म गर्मियों के लिए तैयार होने में मदद मिल सकती है।
अधिक गर्मी और ह्यूमिडिटी के अनुभव होने का अनुमान: मीड ने कहा, हमारे निष्कर्ष विशेष रूप से समय पर हैं क्योंकि धर्मरिग्यूलेशन के लिए अनुमानित सीमाओं को बड़े पैमाने पर जलवायु माडलिंग में तेजी से शामिल किया जा रहा है। वे अत्यधिक गर्मी के लंबे समय तक संपर्क के दौरान अनुभव किए जाने वाले शारीरिक तनाव को भी रेखांकित करते हैं, जो जलवायु परिवर्तन के कारण अधिक आम होता जा रहा है।
गर्मी से संबंधित समस्याओं के लिए भविष्यवाणीओटावा विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य विज्ञान संकाय में फिजियोलाजी के प्रोफेसर और सह प्रमुख रिसर्चर ग्लेन केनी ने कहा, जलवायु मॉडल के साथ शारीरिक डाटा को एकीकृत करके हम गर्मी से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के लिए बेहतर भविष्यवाणी और तैयारी करने की उम्मीद करते हैं। दुनिया के कई क्षेत्रों में मनुष्यों के लिए सुरक्षित माने जाने वाले तापमान से अधिक गर्मी और आर्द्रता का अनुभव होने का अनुमान लगाया गया है।
लंदन के किंग्स कालेज के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि दुनिया की लगभग छह प्रतिशत भूमि पर युवा वयस्कों के लिए सहनीय सीमा से अधिक गर्मी की स्थिति देखी जा सकती है, जबकि वृद्धों को अधिक जोखिम होगा। फरवरी में नेचर रिव्यूज अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, दक्षिण एशिया सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में से एक होने की उम्मीद है।
वक्फ संशोधन बिल लोकसभा में आज होगा पेश, विरोध की तैयारी में विपक्ष; जानिए क्या-क्या होंगी चुनौतियां
अरविंद शर्मा, नई दिल्ली। सभी दलों से व्यापक विमर्श के बाद वक्फ संशोधन विधेयक बुधवार को लोकसभा में पेश किया जाएगा। लगभग तय माना जा रहा है कि यह बुधवार को ही पारित हो जाएगा। इस दौरान भारी हंगामा होने के आसार हैं, क्योंकि विपक्ष के कई दल इसके पक्ष में नहीं हैं।
जदयू-तेदेपा सरकार के साथहालांकि सत्तारूढ़ राजग के प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) एवं तेलुगु देसम पार्टी (तेदेपा) समेत अन्य पार्टियां भी सरकार के साथ मजबूती से खड़ी हैं और विधेयक के समर्थन में मतदान करेंगी। सदन में सत्ता पक्ष के पास संख्या भी पर्याप्त है। ऐसे में माना जा रहा है कि विधेयक को दोनों सदनों में आसानी से पारित करा लिया जाएगा।
संसदीय कार्य एवं अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि विधेयक के समर्थन में राजग के सभी दल पूरी तरह एकजुट हैं। यहां तक कि उन्होंने विपक्ष के भी कई सांसदों का समर्थन प्राप्त होने का दावा किया। रिजिजू ने बताया कि 12 बजे प्रश्नकाल समाप्त होने के तुरंत बाद वह विधेयक पेश करेंगे।
गृह मंत्री अमित शाह रहेंगे सदन में मौजूदलोकसभा स्पीकर ओम बिरला की अध्यक्षता में मंगलवार को सदन की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे चर्चा के लिए सहमति बनी है, जिसे सदन की भावना के अनुरूप बढ़ाया भी जा सकता है। हालांकि कांग्रेस एवं कई अन्य विपक्षी दलों ने अपनी आवाज दबाने का आरोप लगाते हुए बैठक से बहिर्गमन किया। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह समेत भाजपा के कई वरिष्ठ नेता विधेयक पर चर्चा में हिस्सा ले सकते हैं।
सरकार ने पिछले वर्ष आठ अगस्त को वक्फ संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश किया था, लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण इसे जगदंबिका पाल के नेतृत्व में बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास विचारार्थ भेज दिया गया था। वक्फ संशोधन विधेयक में जेपीसी ने राजग के सहयोगी दलों द्वारा दिए गए सुझावों को शामिल किया है।
सांसदों के लिए व्हिप भी जारीइसी का नतीजा है कि तेदेपा, जदयू, शिवसेना, लोजपा (रामविलास) हम, रालोद जैसे सभी सहयोगी दलों ने विधेयक के समर्थन की घोषणा कर दी है और अपने-अपने सांसदों के लिए व्हिप भी जारी कर दिए हैं। जेपीसी ने मूल वक्फ संशोधन विधेयक में कुल 14 बदलावों का सुझाव दिया था, जिन्हें नए संशोधन विधेयक में शामिल कर लिया गया है।
संशोधनों के बाद अब इसे फिर लोकसभा में पेश किया जा रहा है। चूंकि यह सामान्य विधेयक है, इसलिए सत्ता पक्ष को इसे पारित कराने के लिए सदन में उपस्थित सदस्यों के सिर्फ बहुमत की ही जरूरत होगी।
आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर का मत स्पष्ट नहींसदन में सदस्यों की संख्या के हिसाब से राजग के पक्ष में स्पष्ट बहुमत दिख रहा है। लोकसभा में कुल सदस्यों की संख्या अभी 542 है, जबकि एक सीट रिक्त है। सदन में अकेले भाजपा के 240 सदस्य हैं और सहयोगी दलों को मिलाकर कुल 293 सदस्य हैं। जबकि विपक्षी खेमे के सदस्यों की संख्या सिर्फ 237 है। कुछ ऐसे भी दल और निर्दलीय सदस्य हैं, जिन्होंने अभी तक अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। इनमें आजाद समाज पार्टी के चंद्रशेखर शामिल हैं।
वॉकआउट कर सकता है विपक्षभाजपा का दावा है कि इनमें से भी अधिकतर का समर्थन उसे हासिल है। देखना रोचक होगा कि विपक्षी दलों में संख्या कितनी पहुंचती है क्योंकि माना जा रहा है कि विपक्ष के कुछ सदस्य सदन से वॉकआउट कर सकते हैं। विधेयक पेश करने की सरकार की घोषणा के बाद विपक्षी नेताओं ने मंगलवार शाम संसद भवन में एक बैठक की।
आइएनडीआइए के दलों ने संयुक्त बैठक के बाद कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार के विभाजनकारी एजेंडे को परास्त करने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट है। कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दलों ने अपने सांसदों को अगले तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने का व्हिप जारी कर दिया है।
राज्यसभा में गुरुवार को हो सकता है पेशलोकसभा से पारित होने के बाद राज्यसभा में विधेयक गुरुवार को पेश किए जाने की संभावना है। उच्च सदन की कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में भी इस पर चर्चा के लिए आठ घंटे निर्धारित किए गए हैं। राज्यसभा में वर्तमान में कुल 236 सदस्य हैं। विधेयक पारित कराने के लिए सत्ता पक्ष को कुल 119 सदस्यों के समर्थन की जरूरत होगी।
भाजपा के 98 सदस्यभाजपा के 98 सदस्य हैं, जबकि सहयोगी दलों के 19 सदस्य हैं। इसके अतिरिक्त छह मनोनीत सदस्य हैं। दो निर्दलीय सदस्यों का भी समर्थन भाजपा के पक्ष में है। इस तरह सत्तापक्ष को कुल 125 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है, जो बहुमत से छह ज्यादा हैं। दूसरी ओर विपक्षी खेमे में कांग्रेस के 27 सदस्य हैं और अन्य दलों के 60 सदस्य हैं।
विपक्ष की संख्या पहुंच रही 88एक निर्दलीय को मिलकर कुल संख्या 88 तक ही पहुंच पा रही है। इसके अतिरिक्त वाईएसआर के सात, बीजद के नौ एवं अन्य छोटे दलों के सात सदस्यों ने अभी अपना पक्ष स्पष्ट नहीं किया है। उधर, कैथोलिक बिशप्स कान्फ्रेंस ऑफ इंडिया के बाद चर्च ऑफ भारत ने भी मंगलवार को विधेयक को अपना समर्थन दे दिया।
लोकसभा में वर्तमान सदस्य -542सत्ता पक्ष दल सदस्यों की संख्या भाजपा 240 तेदेपा 16 जदयू 12 शिवसेना 07 लोजपा(आर) 05 जदएस 02 जनसेना 02 रालोद 02 अन्य 07 कुल 293 विपक्ष दल सदस्य कांग्रेस 99 समाजवादी पार्टी 37 तृकां 28 द्रमुक 22 शिवसेना (यूबीटी) 09 वामदल 08 राकांपा (शरद) 08 राजद 04 आप 03 झामुमो 03 आइयूएमएल 03 नेशनल कान्फ्रेंस 02अन्य- 11
कुल- 237
(कुल दलों ने अभी पक्ष या विपक्ष में जाने का निर्णय नहीं लिया है। उनकी संख्या 12 है।)
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दिल्ली-यूपी, राजस्थान समेत इन राज्यों में पारा 40 के पार, कुछ में आंधी-बारिश का अलर्ट; पढ़ें IMD का अपडेट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देशभर में मौसम का मिजाज बदल रहा है। कहीं तेज हवा, कहीं गर्मी, कहीं बूंदाबांदी तो कहीं लू देखने को मिल रही है। वहीं मौसम विभाग ने गर्मी को लेकर अपडेट जारी किया है। मौसम विभाग के अनुसार 2 अप्रैल 2025 को उत्तर भारत के कई हिस्सों में गर्मी बढ़ने का अनुमान है।
दिल्ली NCR के लोगों पर गर्मी का सितम बढ़ रहा है। तापमान 2 से 3 डिग्री तक बढ़ सकता है। दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश,राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में अगले कुछ दिनों में पारा 30 ही नहीं बल्कि 40 डिग्री तक जा सकता है, जिसके चलते अप्रैल में ही लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ सकता है। महाराष्ट्र, गोवा, केरल समेत 6 राज्यों में तेज बारिश की संभावना है।
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— India Meteorological Department (@Indiametdept) April 1, 2025इन राज्यों में चलेंगी तेज हवाएं- अगले 24 घंटे के दौरान विदर्भ, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट, गोवा, ओडिशा, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में 40-60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तेज हवाएं चलेंगी।
- इनमें से कई राज्यों में तेज बारिश का अलर्ट जारी किया गया है, वहीं 3-6 अप्रैल के बीच केरल और कर्नाटक में भारी बारिश हो सकती है।
उत्तर प्रदेश में धीरे-धीरे गर्मी बढ़ती जा रही है। आने वाले दिनों में अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी होने से दिन के समय गर्मी और बढ़ सकती है। बुधवार को भी प्रदेश में मौसम साफ रहने के कारण गर्मी पड़ सकती है। हालांकि 24 घंटे बाद प्रदेश का मौसम पूरी तरह से बदल सकता है।
दो दिन में होगी बारिश3 अप्रैल को प्रदेश के दोनों हिस्सों में बूंदाबांदी के साथ ही हल्की बारिश होने की संभावना जताई गई है। लेकिन इसके बाद फिर से प्रदेश में गर्मी का सिलसिला जारी हो सकता है।
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Waqf Bill: वक्फ बिल पर उद्धव ठाकरे की पार्टी का क्या है स्टैंड? विपक्षी नेताओं की संयुक्त बैठक में बना सीक्रेट प्लान
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विपक्षी आइएनडीआइए गठबंधन वक्फ संशोधन विधेयक पर लोकसभा में बुधवार को सियासी संग्राम के लिए तैयार है। वक्फ संशोधन बिल पेश करने की सरकार की घोषणा के बाद संसद में विपक्षी दलों के नेताओं की मंगलवार शाम हुई बैठक में तय हो गया कि संसदीय समिति में अपने खारिज हुए प्रस्तावों को विपक्ष सदन के पटल पर बिल में संशोधन के लिए देगा।
आइएनडीआइए गठबंधन वक्फ बिल का विरोध करेगाभाजपा-एनडीए सरकार सदन में विपक्षी सांसदों के संशोधनों को स्वीकार नहीं करेगी तो स्वाभाविक रूप से आइएनडीआइए गठबंधन वक्फ बिल का विरोध करेगा। कांग्रेस समेत विपक्ष के कई दलों ने अपने सांसदों को अगले तीन दिनों तक सदन में उपस्थित रहने का व्हिप जारी कर साफ संकेत दे दिया है कि इस मसले पर आइएनडीआइए गठबंधन सरकार को आसान राह नहीं देगा।
आइएनडीआइए के दलों ने संयुक्त बैठक के बाद ताल ठोकते हुए कहा है कि वक्फ बिल पर मोदी सरकार के विभाजनकारी एजेंड़े को परास्त करने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट है।
सरकार द्वारा ला जा रहे वक्फ बिल पर अपने विपक्षी दलों ने अपना एतराज जाहिर करते हुए साफ कहा है कि अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के धार्मिक मामलों में सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाते हुए वक्फ पर नियंत्रण के मकसद से सरकार संशोधन बिल को पारित करना चाहती है।
विपक्षी नेताओं ने बैठक में बनाई रणनीतिसंसदीय कार्यमंत्री की ओर से वक्फ बिल लोकसभा में पेश करने की आधिकारिक घोषणा के बाद कांग्रेस अध्यक्ष तथा राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की अध्यक्षता में संसद परिसर में विपक्षी नेताओं की शाम को संयुक्त रणनीति बनाने के लिए बैठक हुई।
बजट सत्र के दूसरे चरण में विपक्षी दलों की संसद में संयुक्त रणनीति के लिए यह पहली बैठक थी जिसमें वक्फ बिल पर आइएनडीआइए के दलों ने दोनों सदनों में पूरे समन्वय के साथ एकजुट होकर बिल के मौजूदा पारूप का विरोध करने का फैसला किया।
मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पर पोस्ट कर साधा निशानाविपक्षी नेताओं की बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खरगे ने एक्स पोस्ट में इसका एलान करते हुए कहा 'सभी विपक्षी दल एकजुट हैं और वक्फ संशोधन विधेयक पर मोदी सरकार के असंवैधानिक और विभाजनकारी एजेंडे को हराने के लिए संसद में मिलकर काम करेंगे।'
विपक्षी नेताओं के संग वक्फ बिल पर विस्तृत चर्चा हुईराहुल गांधी ने बैठक के बाद एक पोस्ट में केवल इतना कहा कि विपक्षी नेताओं के संग वक्फ बिल पर विस्तृत चर्चा हुई। विपक्षी पार्टियों की इस बैठक में लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव, तृणमूल कांग्रेस के नदीम उल हक, द्रमुक के टीआर बालू, राजद के मनोज झा, शिवसेना यूबीटी की प्रियंका चुतर्वेदी समेत आइएनडीआइए के लगभग सभी घटक दलों के नेता शामिल हुए।
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अदालतों के पास ब्याज दर तय करने का अधिकार, सुप्रीम कोर्ट ने कराया 52 साल लंबी कानूनी लड़ाई का खात्मा
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि अदालतों को ब्याज दर तय करने और यह कब से देय होगा तय करने का अधिकार है। यह अधिकार हर मामले के तथ्यों पर निर्भर करता है कि ब्याज मुकदमा दायर करने की तारीख, या इससे पहले या डिक्री की तिथि से देय होगा।
52 साल लंबी कानूनी लड़ाई का हुआ खात्माजस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने यह टिप्पणी 52 साल लंबी कानूनी लड़ाई का खात्मा करने के दौरान आदेश में की, जिसमें राजस्थान सरकार बनाम आइके मर्चेंट्स प्राइवेट लिमिटेड समेत निजी पक्षों के बीच राज्य सरकार को दिए गए शेयर के मूल्यांकन पर विवाद था।
लागू ब्याज दरों को भी संशोधित कियापीठ ने शेयरों के मूल्य को लेकर भुगतान में की गई देरी पर लागू ब्याज दरों को भी संशोधित किया। 32 पन्नों के फैसले में जस्टिस महादेवन ने कहा कि यह पूरी तरह साफ है कि अदालतों के पास कानून के अनुसार सभी तथ्यों और परिस्थितियों पर विचार करते हुए उचित ब्याज दर निर्धारित करने का अधिकार है।
निजी फर्म ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील दायर की थी, जिसमें मेसर्स रे एंड रे द्वारा शेयरों के 640 रुपये प्रति शेयर की कीमत को बरकरार रखते हुए पांच प्रतिशत प्रति वर्ष का साधारण ब्याज दर प्रदान किया था। निजी फर्म ने ब्याज में बढ़ोतरी की मांग की, तो राज्य सरकार ने कीमत को चुनौती दी।
1973 में दायर किया गया था मुकदमा1973 के इस विवाद में राजस्थान राज्य खान और खनिज लिमिटेड के शेयर अपीलकर्ताओं द्वारा राज्य को हस्तांतरित किए गए थे। सुप्रीम कोर्ट ने भुगतान में देरी पर विचार किया और आदेश दिया कि अपीलकर्ता ब्याज के रूप में उचित मुआवजे के हकदार हैं।
छह प्रतिशत साधारण ब्याज देने का आदेश दिया थाकोर्ट ने 8 जुलाई 1975 से डिक्री की तारीख तक छह प्रतिशत साधारण ब्याज देने का आदेश दिया। इसने आगे कहा कि भुगतान प्राप्ति तक डिक्री तिथि से नौ प्रतिशत प्रतिवर्ष साधारण ब्याज का भुगतान किया जाएगा। राजस्थान सरकार दो महीने के भीतर बढ़ी हुई मूल्यांकन राशि का भुगतान करे।
घरों को मनमाने ढंग से गिराना अमानवीय और गैरकानूनी : सुप्रीम कोर्टसुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज में बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए घरों को गिराने की कार्रवाई पर गहरी नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे अमानवीय और गैरकानूनी करार दिया है।
शीर्ष कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार की बुलडोजर कार्रवाई ने हमारे आत्मा को झकझोर दिया है। विकास प्राधिकरणों को याद रखना चाहिए कि आश्रय का अधिकार और कानून की उचित प्रक्रिया भी कोई चीज होती है।
पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेशकोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को निर्देश दिया है कि वह छह सप्ताह के भीतर उन छह पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा प्रदान करे, जिनके घर मार्च 2021 में अवैध निर्माण के नाम पर ढहा दिए गए थे।
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Waqf Bill: लोकसभा में आज पेश होगा वक्फ बिल, क्या है संसद का नंबर गेम?
जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक प्रत्यक्ष तौर पर वक्फ संपत्ति से जुड़ा मुद्दा है, लेकिन राजनीतिक दल बारीकी से इस पर भी नजर जमाए हैं कि वोटों के गुणा-भाग पर यह कितना असर डाल सकता है। पाला खींचकर निस्संकोच खड़ी भाजपा का तार्किक पक्ष है कि वह वक्फ कानून की विसंगतियों को दूर कर गरीब और पिछड़े मुस्लिमों का भला चाहती है।
इस तर्क से सहमति जताते हुए राजग सरकार के प्रमुख सहयोगी जनता दल यूनाइटेड (जदयू) और तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) सरकार का समर्थन तो कर रहे हैं, लेकिन सधे शब्दों में दलों की पुरानी ''सेक्युलर छवि'' को बचाए-बनाए रखने की चिंता झलकती है।
मुस्लिम वर्ग को विपक्ष क्या देना चाहता संदेश?वहीं, विपक्षी खेमे से विधेयक के विरोध का सुर साझा है। निस्संदेह उनका दमखम विधेयक के बहुमत से पारित की राह में कोई रोड़ा नहीं बन सकता, लेकिन मुस्लिम वर्ग को यह संदेश देने का प्रयास संभावित है कि कौन कितना लड़ा, क्योंकि वोटों की तराजू में तेवरों की तौल से ही आस है।
मुस्लिम वोट बैंक पर हर पार्टी की निगाहलोकसभा और राज्यसभा का अंक गणित स्पष्ट है कि वक्फ संशोधन विधेयक की राह दोनों सदनों में निर्बाध है। अब सभी की नजरें राजनीतिक दलों के रुख पर है, क्योंकि देश के अधिकतर दलों के लिए मुस्लिम वोट बैंक एक बड़ा सहारा है। केंद्र सरकार या कहें कि भाजपा चाहती है कि इस विधेयक पर अधिक से अधिक चर्चा हो। अल्पसंख्यक व संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू ने स्पष्ट कहा है कि देश जानना चाहता है कि वक्फ संशोधन विधेयक पर किस दल का क्या स्टैंड है। हजारों वर्षों तक यह रिकार्ड में भी रहेगा।
नीतीश-नायडू पर दबाव बनाना चाहते थे विपक्षइसके पीछे भाजपा की मंशा विपक्षी दलों को मुस्लिम तुष्टिकरण के कठघरे में खड़ा करने की दिखती है। मगर, विधेयक तो राजग सरकार ला रही है, जिसके प्रमुख घटक दल जदयू और तेदेपा भी हैं। इनमें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हों या आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडु, दोनों की छवि सेक्युलर नेताओं की रही है। विपक्षी इन्हीं दोनों पर दबाव बनाना चाह रहा था।
चूंकि, गठबंधन धर्म भी निभाना है, इसलिए दोनों दलों ने यह रुख तो स्पष्ट कर दिया कि वह पूरी तरह सरकार के साथ हैं और बिल का समर्थन करेंगे, लेकिन अपने शब्दों से मुस्लिम वर्ग को संदेश भी देने का प्रयास किया। जैसे कि लोकसभा में जदयू संसदीय दल के नेता ललन ¨सह ने कहा कि जदयू या नीतीश को कांग्रेस के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है। मुस्लिमों के लिए जितना काम नीतीश सरकार ने किया है, उतना किसी ने नहीं किया, जबकि विपक्ष के लिए सेक्युलर सिर्फ नारा है।
इसी तरह तेदेपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम कुमार जैन ने बयान जारी किया कि तेदेपा विधेयक का समर्थन करेगी। साथ ही जोड़ दिया कि सीएम नायडु हमेशा कहते हैं कि मुस्लिमों के हितों की रक्षा करेंगे। हिंदू और मुस्लिम उनकी दो आंखें हैं। आशा है कि सरकार ने बिल में उनकी पार्टी के सुझावों को शामिल किया होगा। अब बचा विपक्षी खेमा तो इसमें होड़ दिख रही है कि कौन मुस्लिमों के पक्ष में कितनी मजबूती से खड़ा दिख सकता है।
गौरव गोगोई ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी का किया बहिष्कारकांग्रेस खुले विरोध का ऐलान कर चुकी। सांसद गौरव गोगोई ने बिजनेस एडवाइजरी कमेटी का बहिष्कार कर इसका संकेत दे दिया है। सपा मुखिया अखिलेश यादव हों या प्रमुख राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव, वह कह चुके कि विधेयक का विरोध करेंगे, क्योंकि भाजपा सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ना चाहती है।
मुस्लिम राजनीति के प्रमुख चेहरे एआईएमआईएम के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि नीतीश हों, नायडु हों, चिराग पासवान या जयंत चौधरी, जो भी बिल का समर्थन करेगा, उसे खामियाजा भुगतना पड़ेगा। डीएमके सांसद कनिमोझी ने कहा है कि संसद में बिल का पुरजोर विरोध करेंगे।
वहीं, उत्तर प्रदेश में दलित-मुस्लिम गठजोड़ को अपनी राजनीति का आधार बनाना चाह रहे भीम आर्मी प्रमुख के सांसद चंद्रशेखर ने संसद से सड़क तक संघर्ष का ऐलान किया है। ऐसे में तय है कि लोकसभा में यह मौका हंगामेदार होगा, लेकिन किसके तेवर कितने तीखे होंगे, यह देखने वाला होगा।
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भ्रष्टाचार के अड्डे बने हरियाणा की बार काउंसिलों के वकीलों के चैंबर्स, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंजाब और हरियाणा की बार काउंसिलों पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि ये शर्मनाक कृत्यों और दुराचारों में लिप्त हैं। साथ ही भ्रष्टाचार के मामलों में भी शामिल हैं।
जांच के लिए किया जा सकता है एसआइटी का गठनजस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह की पीठ ने संकेत दिया कि यदि आवश्यक हुआ तो एक विशेष जांच दल (एसआइटी) का गठन किया जाएगा जो इन काउंसिलों के मामलों की जांच करेगा, विशेषकर हरियाणा में बार काउंसिलों के बैंक खातों की।
पीठ ने कहा- ''इन राज्य बार काउंसिल के वकीलों के कार्यालय और चैंबर प्रॉपर्टी डीलरों और भ्रष्टाचार का केंद्र बन गए हैं। यह हमारे संज्ञान में आया है और हम इसे हल्के में नहीं लेंगे।'' यह सुनवाई एक वकील की याचिका पर हो रही थी, जिसने करनाल बार एसोसिएशन के चुनावों में अपनी अयोग्यता को चुनौती दी थी।
पीठ ने बार संघों को नोटिस जारी कियापीठ ने बार संघों को नोटिस जारी किया और करनाल बार एसोसिएशन के वरिष्ठ वकील आरएस चीमा से कुछ अन्य प्रतिष्ठित वकीलों के नाम सुझाने को कहा, जो अस्थायी रूप से पद संभाल सकें। वरिष्ठ वकील नरेंद्र हुड्डा ने कहा कि चुनाव अधिकारी ने बिना वोटिंग के उम्मीदवारों को निर्विरोध चुना हुआ घोषित कर दिया।
मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगीअधिवक्ता संदीप चौधरी ने कहा कि यह उनके अधिकारों का उल्लंघन है। हुड्डा ने कहा कि उनके मुवक्किल को चुनाव में भाग लेने से रोका गया है। चौधरी ने बार काउंसिल आफ इंडिया में अपील की, जिसने उनकी अयोग्यता के आदेश को स्थगित कर दिया। पीठ ने कहा कि हरियाणा राज्य बार काउंसिल ''शर्मनाक संघ'' बन गई है। मामले की अगली सुनवाई 15 अप्रैल को होगी।
देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए विधेयक को संसद की मंजूरी, अमित शाह ने जताई खुशी
पीटीआई, नई दिल्ली। संसद ने देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए विधेयक को मंजूरी दे दी है। गुजरात के आणंद में त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने संबंधी विधेयक को राज्यसभा ने मंगलवार को ध्वनिमत से पारित किया। यह विधेयक लोकसभा से 26 मार्च को पारित हो चुका है।
विश्वविद्यालय का इनके नाम पर रखाविश्वविद्यालय का नाम त्रिभुवनदास किशिभाई पटेल के नाम पर रखा गया है, जो भारत में सहकारी आंदोलन के अग्रदूतों में से एक थे और अमूल की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि यह सहकारी क्षेत्र के लिए पहला विश्वविद्यालय होगा और इस क्षेत्र में कार्यरत श्रमबल के क्षमता निर्माण तथा कुशल पेशेवरों की आवश्यकता को पूरा करेगा।
प्रतिवर्ष लगभग आठ लाख प्रशिक्षित प्रोफेशनल तैयार होंगे'त्रिभुवन' सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र में शिक्षा और प्रशिक्षण देना, क्षमता निर्माण करना, डिग्री कार्यक्रम, दूरस्थ शिक्षा और ई-लर्निंग पाठ्यक्रम वाले उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना और प्रतिवर्ष लगभग आठ लाख प्रशिक्षित प्रोफेशनल तैयार करना है।
अमित शाह ने जताई खुशीअमित शाह ने एक्स पर पोस्ट किया कि आज का दिन देश के सहकारी क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक है। मोदी जी के विजनरी नेतृत्व में ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025’ लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में भी पारित हो गया। सहकार, नवाचार और रोजगार की त्रिवेणी लाने वाले इस महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए मैं सभी सांसदों को बधाई देता हूँ।
देशभर के युवाओं को प्रशिक्षित करेंगेआगे कहा कि अब सहकारी शिक्षा भारतीय शिक्षा व पाठ्यक्रम का अभिन्न अंग बनेगी और इस विश्वविद्यालय के माध्यम से देशभर के प्रशिक्षित युवा सहकारी क्षेत्र को अधिक व्यापक, सुव्यवस्थित और आधुनिक युग के अनुकूल बनाएँगे। सहकारी क्षेत्र से जुड़े सभी बहनों-भाइयों की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बहुत-बहुत आभार।
आज का दिन देश के सहकारी क्षेत्र के लिए ऐतिहासिक है।
मोदी जी के विजनरी नेतृत्व में ‘त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय विधेयक, 2025’ लोकसभा के बाद आज राज्यसभा में भी पारित हो गया। सहकार, नवाचार और रोजगार की त्रिवेणी लाने वाले इस महत्त्वपूर्ण कार्य के लिए मैं सभी सांसदों को बधाई देता…