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पटना यूनिवर्सिटी छात्रसंघ चुनाव में बनेंगे 42 बूथ, रहेगी कड़ी सुरक्षा; चुने जाएंगे 22 काउंसिल सदस्य
जागरण संवाददाता, पटना। पटना विश्वविद्यालय की ओर से 29 मार्च को आयोजित होने वाले छात्रसंघ चुनाव के लिए 14 क्षेत्र बांटकर पांच सेंट्रल पैनल सहित 22 काउंसिल सदस्यों का चुनाव होगा।
कॉलेज काउंसिल मेंबर के लिए एक हजार विद्यार्थी पर एक काउंसिल सदस्य होंगे। जिन कॉलेजों और फैकल्टी में 1,501 से अधिक मतादाता होंगे, वहां दो काउंसिल सदस्य होंगे। इसी आधार पर विद्यार्थियों की संख्या के अनुसार काउंसिल सदस्य चुने जाएंगे।
पटना वीमेंस कॉलेज से चुने जाएंगे चार काउंसिल सदस्यपटना विश्वविद्यालय में सबसे अधिक चार काउंसिल सदस्य पटना वीमेंस कॉलेज में चुने जाएंगे। वहीं, पटना साइंस कॉलेज में दो, पटना कॉलेज में दो, बीएन कॉलेज में दो, मगध महिला कॉलेज में दो और फैकल्टी ऑफ सोशल साइंस में दो काउंसिल सदस्य चुने जाएंगे।
इसके अलावा पटना लॉ कॉलेज, वाणिज्य महाविद्यालय, पटना ट्रेनिंग कॉलेज, वीमेंस ट्रेनिंग कॉलेज, कॉलेज ऑफ आर्ट्स एंड क्राफ्ट, फैकल्टी ऑफ कॉमर्स, एजुकेशन एंड लॉ, फैकल्टी ऑफ साइंस और फैकल्टी ऑफ ह्यूमैनिटीज में एक-एक काउंसिल सदस्य होंगे।
छात्र संघ चुनाव के लिये तैयार किए जाने वाले कुल 42 बूथों पर होने वाले खर्च का वहन कॉलेज की ओर से किया जाएगा।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न हुआ कैतुका नंदन पैक्स का चुनाववहीं, दूसरी ओर सारण प्रखंड के कैतुका नंदन पैक्स का चुनाव शनिवार को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच संपन्न हो गया। मतदान के लिए मध्य विद्यालय कैतुका नंदन मे चार मतदान केंद्र बनाए गए थे। जहां सुबह सात बजे से शाम के 4:30 बजे तक 59 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
मतदान के दौरान शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए दंडाधिकारी रंजीत कुमार के साथ मकेर थाना में पदास्थापित अपर थानाध्यक्ष अखिलेश कुमार, एसआई रामनिवास कुमार, चंदा कुमारी एवं कामेश्वर सिंह के अलावा जवान मौजूद थे।
मालूम हो की मकेर के आठ पैक्स में से सात पैक्स का चुनाव नवंबर मे पूरा हो गया। कैतुका नंदन पैक्स के चुनाव का मामला प्राधिकार में चले जाने के कारण स्थगित कर दिया गया था।
चुनाव प्राधिकार से आदेश निर्गत होते ही शनिवार को मतदान कराया गया। जिसमें मुख्य मुकाबला निवर्तमान पैक्स अध्यक्ष सुमित रंजन एवं रामजन्म शर्मा के बीच है।
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Bihar News: कैंसर मरीजों को नीतीश सरकार ने दे दी एक और बड़ी खुशखबरी, इलाज को लेकर आया नया अपडेट
जागरण संवाददाता, पटना। स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने शनिवार को प्रदेश के सभी 38 जिलों के लगभग 45 हजार गांवों की 8387 पंचायतों के लिए निशुल्क ग्रामीण कैंसर जांच कार्यक्रम का लोकार्पण किया।
डॉ. प्रभात रंजन डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर से ग्रामीण कैंसर स्क्रीनिंग कार्यक्रम के लिए समर्पित नए एप और बिहार के पहले स्लीप इंस्टीट्यूट के साथ ओंको-मीट 2025 का भी उद्घाटन किया।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में कैंसर के खिलाफ अभियान की सख्त जरूरत है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और सुदूर इलाकों में कैंसर को लेकर जागरुक करने की बहुत जरूरत है।
निशुल्क चलेगा अभियानडॉ. प्रभात रंजन डायग्नोस्टिक एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. प्रभात रंजन ने इस अभियान को निशुल्क चलाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि यदि शुरुआत में कैंसर का पता चल जाए तो इलाज संभव है।
निशुल्क ग्रामीण कैंसर जांच कार्यक्रम का उद्घाटन करते स्वास्थ्य मंत्री।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि राज्य के विभिन्न अस्पतालों में कैंसर समेत अन्य गंभीर बीमारियों की रोकथाम की समुचित व्यवस्था की गई है। 2005 के बाद स्वास्थ्य सेवा में काफी काफी सुधार हुआ है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकसित भारत की सोच को पूरा करने में स्वास्थ्य सेवाओं का अहम योगदान है। मौके पर मेयर सीता साहू, पद्मश्री डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह, डॉ. सहजानंद प्रसाद सिंह, डॉ. दिवाकर तेजस्वी, डॉ. रूपम, आइएएस गंगा कुमार आदि उपस्थित थे।
स्वामी सहजानंद के विचारों को आम जन तक पहुंचा रहे पीएम मोदी: मंगल पांडेयपटना के बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन सभागार में आज स्वामी सहजानंद सरस्वती पखवारा पर संवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। संवाद कार्यक्रम में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के अतिरिक्त कई गणमान्य लोग मौजूद रहें।
किसानों की दशा और दिशा विषय पर आयोजित इस कार्यक्रम में मंगल पांडेय ने स्वामी सहजानंद सरस्वती की विचारधारा और सामाजिक दृष्टिकोण पर चर्चा करते हुए कहा कि सहजानंद सरस्वती ने हमेशा भारतीय किसानों को जागरूक किया, ताकि उन्हें अपने श्रम का महत्व मिले, उन्हें ताकत मिले एवं उनका आर्थिक लाभ बढ़े।
अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहजानंद की नीतियों को आगे बढ़ा रहे हैं। जिसका उदाहरण राज्य में मखाना बोर्ड स्थापित करना एवं बजट में किसानों को दिया जाने वाला लाभ है। हमें स्वामी सहजानंद सरस्वती के सपनों को परिश्रम के माध्यम से साकार करना है। तभी जाकर हमारा देश और हमारा बिहार विकसित होगा।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल, उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा, राज्यसभा सदस्य भीम सिंह ने भी इस दौरान लोगों को संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता एजुकेशनल रिसर्च एंड डेवलपमेंट संस्थान के अध्यक्ष विनोद शर्मा ने की।
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क्रिप्टोकरेंसी को लेकर अमेरिकी नीति से प्रभावित नहीं होगा भारत, दुनिया के रुख पर केंद्र सरकार की नजर
जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने क्रिप्टोकरेंसी के वैश्विक उद्यमियों से मुलाकात की और अपनी बात दोहराई कि वह अमेरिका को क्रिप्टो दुनिया का सरताज देश बनाएंगे। क्रिप्टोकरेंसी में अमेरिका ने अपनी विदेशी मुद्रा रिजर्व भी बनाने की संभावनाएं तलाशने की बात कही है। इससे भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी करने वाले उद्यमी काफी उत्साहित हैं। लेकिन आरबीआई का विचार क्रिप्टो को लेकर बिल्कुल भी नहीं बदला है।
भारत का केंद्रीय बैंक अभी भी मानता है कि वित्त मंत्रालय भी क्रिप्टोकरेंसी को वैधानिक मान्यता देने के लेकर कोई कदम जल्दबाजी में उठाने नहीं जा रही है। इस बारे में कोई भी कदम आरबीआई की तरफ से गठित कार्यसमूह की रिपोर्ट का विस्तार से आकलन के बाद ही किया जाएगा। इस कार्य समूह की रिपोर्ट जल्द ही आने की संभावना है।
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार चिंतितक्रिप्टोकरेंसी को लेकर सरकार की नीतियों की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार की या आरबीआइ की इस करेंसी को लेकर जो चिंताएं हैं वह तथावत हैं। जिस आधार पर हम क्रिप्टोकरेंसी को भारत में लागू करने का विरोध कर रहे हैं उसमें कोई बदलाव नहीं आया है। हमारा विरोध है कि क्रिप्टोकरेंसी किसी तरह की करेंसी हैं ही हीं क्योंकि इसको जारी करने वाला कोई नहीं होता और ना ही इसका उत्तरदायित्व लेने वाला कोई होता है। इसलिए इसे ना तो करेंसी माना जा सकता या ना ही वित्तीय परिसंपत्तियां।
क्रिप्टोकरेंसी पूरी इकोनमी को चला सकती है?शेयर, बांड्स, केंद्रीय बैंकों की तरफ से जारी होने वाले नोट को वित्तीय परिसंपत्तियां या करेंसी इसलिए माना जाता है कि, इसका उत्तरदायित्व किसी न किसी के पास होता है। मसलन, कागत की करेंसी भी केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी होती है।
दूसरा, अभी तक कोई ऐसी शोध रिपोर्ट नहीं है जो यह साबित करे कि क्रिप्टोकरेंसी पूरी इकोनमी को चला सकती है। तीसरा, क्या निजी करेंसी के तौर पर इसका इस्तेमाल हो सकता है? हमारे इस विचार में तभी बदलाव होगा जब कोई यह साबित कर दे कि ये पूरी तरह से गलत हैं। वैसे भी दुनिया काफी तेजी से बदल रही है। दरअसल, यह आरबीआइ का यह रूख काफी पुराना है।
क्रिप्टोकरेंसी को भारत के लिए खतरनाक- पूर्व आरबीआइ गवर्नरपूर्व आरबीआइ गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने कई मौकों पर क्रिप्टोकरेंसी को भारत के लिए खतरनाक बताया। अक्टूबर, 2024 में पीटरसन इंस्टटीयूट फॉर इंटरनेशनल इकोनोमिक्स में एक व्याख्यान में कहा था कि, “मेरा विचार है कि क्रिप्टोकरेंसी को कभी भी वित्तीय व्यवस्था में प्रभुत्व नहीं मिलना चाहिए। क्योंकि इसके साथ बहुत ही ज्यादा वित्तीय जोखिम है। इसका मौद्रिक जोखिम काफी ज्यादा है। यह बैं¨कंग व्यवस्था के लिए भी खतरा है। इससे ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है कि केंद्रीय बैंक का मुद्रा आपूर्ति पर नियंत्रण समाप्त हो सकता है।''
दरअसल, आरबीआइ के कड़े विरोध के कारण ही केंद्र सरकार को भी क्रिप्टोकरेंसी पर अपने विचार बदलने पड़े थे। इसके पहले केंद्र सरकार की तरफ से पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग की अध्यक्षता में गठित एक अंतर-मंत्रालीय समिति ने भी वर्ष 2019 में क्रिप्टोकरेंसी जैसे वर्चुअल मुद्राओं को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बनाने का सुझाव दिया था।
अमेरिका सरकार की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने पर बातदैनिक जागरण सरकार के कुछ प्रतिनिधियों से अमेरिका सरकार की तरफ से क्रिप्टोकरेंसी को बढ़ावा देने पर बात की है। सभी यह मान रहे हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियों से नहीं सरकार आरबीआइ के सुझाव पर कदम बढ़ाएगी। अब देखना होगा कि अगर आरबीआइ की समिति वर्चुअल करेंसी को लेकर कोई बीच का रास्ता अपनाने का सुझाव देती है या कोई और रास्ता अपनाने का सुझाव देती है।
यह भी देखना होगा कि अमेरिका जैसी बड़ी इकोनमी किस तरह से बिटक्वायन या दूसरे वर्चुअल करेंसी को अपने देश में प्रचलन में लाने का रास्ता निकालती है। अमेरिका ने अपने रिजर्व को भी क्रिप्टोकरेंसी में संरक्षित रखने की बात कही है। इस बारे में उक्त प्रतिनिधियों का कहना है कि अभी यह स्पष्ट नहीं है। क्रिप्टोकरेंसी की प्रकृति को देखते हुए इसे किसी देश के विदेशी मुद्रा रिजर्व में कैसे समायोजित किया जा सकता है, यह समझ से परे है।
क्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल मुद्राक्रिप्टोकरेंसी एक वर्चुअल या डिजिटल मुद्रा है। यह डिजिटल रूप में ही होता है। इस पर किसी सरकार या केंद्रीय बैंक या किसी देश की नियामक एजेंसी का कोई जोर नहीं होता। इसे जिस प्रक्रिया से संचालित किया जाता है उसे तकनीकी भाषा में माइनिंग कहा जाता है जो विशेष तौर पर निर्मित सॉफ्टवेयर व हार्डवेयर पर आधारित होते हैं।
भारत में इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहींबिटक्वायन, डोजक्वायन, इथेरियम इसके उदाहरण हैं। चूंकि इस पर किसी सरकार या नियामक एजेंसी की निगरानी नहीं है, इसलिए इसमें निवेश का जोखिम पूरी तरह से निवेशकों के उपर होता है। भारत में इस पर पूरी तरह से प्रतिबंध नहीं है। केंद्र सरकार ने आय कर अधिनियम के तहत इसकी खरीद-बिक्री से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसद का टैक्स लगा रखा है।
'स्वावलंबी और सशक्त नारी के बल पर होगा विकसित भारत का निर्माण', अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बोलीं राष्ट्रपति मुर्मु
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि यह दिवस मनाने की परंपरा के पचास वर्ष पूरे हो रहे हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस कालखंड में नारी समुदाय ने अभूतपूर्व प्रगति की है। मैं अपनी जीवन यात्रा को भी इसी प्रगति की कड़ी मानती हूं।
विकसित भारत का संकल्प हम सब का संकल्प है- राष्ट्रपतिमहिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में ''''नारी नेतृत्व से विकसित भारत'''' विषय पर आयोजित इस राष्ट्रीय में उन्होंने कहा कि स्वावलंबी, स्वाभिमानी, स्वतंत्र और सशक्त नारी के बल पर ही विकसित भारत का निर्माण हो सकता है। विकसित भारत का संकल्प हम सब का संकल्प है, जिसे हम सभी को मिलकर पूरा करना है।
राष्ट्रपति ने कहा कि देश की नारी-शक्ति राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बने और विकसित भारत के हमारे संकल्प को नेतृत्व प्रदान करे, इसके लिए भारत सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। ''''नारी शक्ति वंदन अधिनियम'''' के द्वारा लोक सभा और विधान सभाओं में महिलाओं के लिए आरक्षण का प्रविधान उनके राजनीतिक सशक्तीकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम है।
हमारी बेटियों के लिए अच्छा वातावरण होना चाहिए- राष्ट्रपतिसरकार की महिला केंद्रित योजाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि ये सभी प्रयास विभिन्न स्तरों पर महिलाओं में आत्मविश्वास पैदा कर रहे हैं और उन्हें जीवन में नई ऊंचाइयां छूने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हमारी बेटियां विकसित भारत के सपने को साकार करने में अपना पूरा योगदान दे सकें, इसके लिए जरूरी है कि समाज उन्हें आगे बढ़ने के लिए और भी अच्छा वातावरण प्रदान करे। उन्हें एक ऐसा वातावरण मिलना चाहिए, जिसमें वे बिना किसी दबाव या भय के अपने जीवन के बारे में स्वतंत्र निर्णय ले सकें।
भयमुक्त सामाजिक वातावरण का निर्माण करेगाराष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने आव्हान किया कि हमें एक ऐसे आदर्श समाज का निर्माण करना है, जहां कोई भी बेटी या बहन किसी भी समय, कहीं भी अकेले जाने में और कहीं भी रहने में डरे नहीं। महिलाओं के प्रति सम्मान का भाव ही भयमुक्त सामाजिक वातावरण का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि यह भी एक कटु-सत्य है कि कुछ सामाजिक पूर्वाग्रह, रीति-रिवाज और प्रथाएं महिलाओं की प्रगति में बाधक रही हैं। इसमें महिला को कम करके आंकने वाली मानसिकता का दोष है।
भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर- राष्ट्रपतिसंविधान सभा की सदस्य रहीं महिलाओं को याद करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आज जब भारत विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, तब देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी तेजी से बढ़नी चाहिए। इसके लिए उन्हें शिक्षा और नौकरी में समान अवसर प्रदान करना महत्वपूर्ण है।
कार्यक्रम में ये लोग रहे मौजूदइस अवसर पर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर और केंद्रीय कानून राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल भी उपस्थित थे। सम्मेलन में अलग-अलग तकनीकी सत्रों में पंचायत से पार्लियामेंट तक महिला नेतृत्व सहित अलग-अलग विषयों पर तकनीकी सत्र भी हुए।
Digantara ने लॉन्च किया पहला कॉमर्शियल अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह, पांच सेंमी की चीज भी ट्रैक करने में सक्षम
पीटीआई, नई दिल्ली। देश की बेंगलुरु स्थित सैटेलाइट कंपनी दिगंतारा ने दुनिया का पहला वाणिज्यिक अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह लॉन्च किया। जो पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे पांच सेंटीमीटर तक के छोटे ऑब्जेक्ट को ट्रैक करने में सक्षम है, इसको शनिवार को लॉन्च किया गया। सैटेलाइट ने शनिवार को परिचालन शुरू किया।
अंतरिक्ष में छिपने की जगहें खत्म हो गई हैं- दिगंतारादिगंतारा ने 14 जनवरी को स्पेसएक्स के ट्रांसपोर्टर-12 रॉकेट पर अंतरिक्ष निगरानी उपग्रह एससीओटी (ऑब्जेक्ट ट्रैकिंग के लिए स्पेस कैमरा) लॉन्च किया था। सैटेलाइट ने शनिवार को परिचालन शुरू किया। स्टार्ट-अप ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि अंतरिक्ष में छिपने की जगहें खत्म हो गई हैं।
अंतरिक्ष यान की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अंतरिक्ष की बाहरी निगरानी महत्वपूर्ण है क्योंकि पृथ्वी के चारों ओर की कक्षाएं कृत्रिम उपग्रहों के साथ-साथ अंतरिक्ष मलबे से भरी हैं। ‘पिक्सल’ के तीन ‘फायरफ्लाई’ उपग्रह 30 मीटर मानक से छह गुना अधिक दक्ष हैं। ‘फायरफ्लाई’ इस समय दुनिया का सर्वाधिक रिजॉल्यूशन वाला व्यावसायिक स्तर का हाइपरस्पेक्ट्रल उपग्रह समूह है।
दिगंतारा के सीईओ अनिरुद्ध शर्मा ने कहा कि यह हमारी टीम की मेहनत और आने वाली पीढ़ियों के लिए पृथ्वी की कक्षाओं की सुरक्षा के लिए अटूट प्रतिबद्धता का प्रतीक है। एससीओटी की पहली छवि एक तकनीकी मील का पत्थर से अधिक है।
मोबाइल कर रहा आपके दिमाग को बीमार, रिसर्च में सामने आए हैरान कर देने वाले नतीजे; पढ़ें पूरी रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अगर कोई आपसे पूछे कि क्या आपको फोन का एडिक्शन है? तो शायद आप एक झटके में इसे नकार देंगे। लेकिन अगर आप रात को सोने से पहले अपना फोन चेक न करें, तो शायद आपको नींद भी नहीं आएगी।
दरअसल सच्चाई ये है कि आज की तारीख में हर दूसरा शख्स फोन का एडिक्ट हो गया है। आप चाहें दोस्तों-यारों के बीच बैठे हों या कहीं शॉपिंग करने गए हों। नजर उठाकर देखेंगे, तो हर कोई फोन में घुसा नजर आएगा। अब एक रिसर्च में भी फोन एडिक्शन पर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
नोटिफिकेशन के प्रति सेंसिटिव दिमागये स्टडी अमेजन किंडल ने ऑस्ट्रेलिया में की है। इस रिसर्च के नतीजों से पता चलता है कि हमारा दिमाग फोन के नोटिफिकेशन को लेकर कितना सेंसिटिव हो चुका है। कई बार तो ऐसा भी हो जाता है कि फोन में बिना कोई नोटिफिकेशन आए भी हमें उसकी आवाज सुनाई देती है और हम फोन चेक करने लगते हैं।
(फोटो: मेटा एआई)
इसकी तुलना इवान पावलोव के डॉग्स पर किए एक एक्सपेरिमेंट से की जा रही है। दरअसल पावलोव ने डॉग्स को इस तरह ट्रेंड कर दिया था कि घंटी की आवाज सुनते ही वह समझ जाते थे कि अब खाना मिलने की बारी है। इंसानों के लिए भी फोन कुछ इसी तरह का हो गया है।
रिसर्च में क्या पता चला?- रिसर्च में हिस्सा लेने वाले 78 फीसदी लोगों ने माना है कि वह हर घंटे एक बार अपना फोन जरूर चेक करते हैं।
- इसमें से कई लोग ऐसे भी है, जो कम से कम 50 बार अपना स्क्रीन अनलॉक करते हैं।
- 86 फीसदी लोगों ने माना है कि फोन चेक करने की आदत की वजह से वह शाम होने तक तनाव महसूस करने लगते हैं।
- 69 फीसदी लोगों ने माना कि हर रात फोन चेक करने के कारण अपने निर्धारित समय से लेट सोते हैं।
विशेषज्ञ मानते हैं कि फोन चेक करने की आदत हमारे अंदर इतना बस चुकी है कि कोई वाइब्रेशन, पिंग या फोन की लाइट ऑन होते ही हम उसे तुरंत चेक करने लगते हैं। इससे किसी भी एक चीज पर ध्यान लगाना मुश्किल हो जाता है।
(फोटो: मेटा एआई)
इससे न सिर्फ हमारी नींद पर असर पड़ता है, बल्कि मेंटल हेल्थ भी बुरी होती चली जाती है। समय के साथ इससे प्रोडक्टिविटी कम होती है, बेचैनी बढ़ती है और फिर स्थिति बिगड़ती चली जाती है।
कैसे बनाएं फोन से दूरी?यूं तो आज के डिजिटल दौर में फोन से दूर रह पाना आसान नहीं है, क्योंकि सुबह दूध की दुकान में पेमेंट करने से लेकर रात में न्यूज पढ़ने तक सब कुछ फोन से ही हो रहा है। लेकिन फिर भी कुछ आदतों में बदलाव करके इसे एडिक्शन को कम किया जा सकता है।
नियम बना लें कि सुबह उठने के एक घंटे बाद और सोने के एक घंटे पहले फोन का इस्तेमाल नहीं करेंगे और इसका कड़ाई से पालन करें। सप्ताह में किसी एक दिन बिना फोन के रहने की आदत डालें। सोशल मीडिया एप्स के नोटिफिकेशन को बंद कर दें। अगर आस-पास कहीं जा रहे हों, तो फोन को घर पर ही छोड़ दें।
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Bihar News: शराब के ठिकानों पर छापामारी करने गई पुलिस टीम पर हमला, DGP के नए आदेश से मची खलबली!
संवाद सूत्र, बिक्रम। रानीतालाब थाना क्षेत्र के राघोपुर मुसहरी में शनिवार को शराब के ठिकानों पर छापेमारी करने गई पुलिस की टीम पर बदमाशों ने ईंट-पत्थर से हमला कर दिया।
इस दौरान छापामारी का नेतृत्व कर रहे एसआइ शिव शंकर सहित आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए। अचानक हुई पत्थरबाजी से अफरातफरी मच गई।
कई पुलिसकर्मियों ने छिपकर जान बचाई। घटना की जानकारी थाने को दी गई और अतरिक्त पुलिस बल को बुलाया गया। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए पत्थरबाजी करने के पांच आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया।इस मामले में 21 नामजद और 18 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
जानकारी के अनुसार, रानीतालाब थाने के अपर थानाध्यक्ष शिव शंकर के नेतृत्व में शिव कुमार, आफताब आलम, मुमताज अंसारी, मदन झा, ममता कुमारी, आकाश और विकाश सहित अन्य पुलिसकर्मियों ने होली को लेकर अवैध रूप से शराब बनाने वाले अड्डे पर छापामारी की।
इसी दौरान कुछ लोगों द्वारा ईंट-पत्थर चलाया जाने लगा। पथराव में पुलिस की एक बोलेरो गाड़ी का शीशा फूट गया। वहीं, डायल 112 वाहन भी क्षतिग्रस्त हो गया।
हमले में यह पुलिसकर्मी हुए घायल- पथराव में घायल दारोगा शिव शंकर ने बताया कि इस हमले में दो दारोगा समेत मदन झा, ममता कुमारी, आफताब आलम, मुमताज अंसारी, शिव कुमार समेत आठ पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। जख्मी पुलिस कर्मियों का अस्पताल में प्राथमिक उपचार कराया गया।
- घटना के संबंध में थानाध्यक्ष प्रमोद कुमार ने बताया कि राघोपुर मुसहरी में छापामारी करने गई पुलिस पर पत्थरबाजी करने के आरोप में विकास कुमार, नंदलाल मांझी, संजू मांझी, गणेश मांझी, लंकेश मांझी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। वहीं 21 लोगों को नामजद और 18 अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
उधर, डीजीपी विनय कुमार ने पुलिस पर हमला करने वालों पर त्वरित कार्रवाई का निर्देश दिया है। इस तरह के पुराने मामलों का भी प्राथमिकता के आधार पर निष्पादन कर दोषियों को सजा दिलाने का टास्क पुलिस अधिकारियों को दिया गया है।
इसके साथ ही सभी थानों को पर्याप्त बल के साथ घटनास्थल पर जाने का निर्देश दिया गया है। डीजीपी ने शनिवार को पत्रकारों के सवाल के जवाब में बताया कि पुलिस पर हमले के जिस तरह के कांड हो रहे हैं, उसमें गिरफ्तारियां भी हो रही हैं।
अपर पुलिस महानिदेशक (विधि-व्यवस्था) इस तरह के कांडों की गंभीरता से मानीटरिंग कर रहे हैं। पुलिस पर हमले के जो लंबित कांड हैं, उनमें भी कार्रवाई हो रही है।
सभी पुलिस पदाधिकारियों को यह निर्देश दिया गया है कि जब भी घटनास्थल पर जाएं तो जिस तरह की समस्या है, उसके अनुपात में पर्याप्त पुलिस बल में वृद्धि करके जाएं।
दरअसल, कई बार पुलिसकर्मी घटना की जानकारी मिलते ही अविलंब पहुंचने की कोशिश करते हैं। इसका उद्देश्य बेहतर रिस्पांस टाइम भी होता है, मगर जब बड़ी संख्या में असामाजिक तत्वों के होने की सूचना हो तो पर्याप्त पुलिस बल का इंतजाम कर घटनास्थल पर जाने का निर्देश दिया गया है।
डीजीपी ने कहा कि हम यह भी कोशिश कर रहे हैं कि पुलिस बल की संख्या में और वृद्धि हो, ताकि पुलिस और मजबूती से कार्रवाई कर सके।
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Voter ID को आधार कार्ड से करना पड़ेगा लिंक? गड़बड़ियों को रोकने के लिए EC कर रहा बड़ी तैयारी
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। मतदाता सूची में गड़बड़ियों के लगातार आरोपों से घिरे चुनाव आयोग के पास अब उसे आधार से जोड़ने के सिवाय और कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा है। यही वजह है कि आयोग नए सिरे से इसे अनिवार्य रूप से आधार से जोड़ने का मन बनाया है।
इसे लेकर जल्द ही वह सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रख सकता है। वैसे भी मतदाता सूची में गड़बड़ियों के मुद्दे पर राजनीतिक दल पहले से ही सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हुए है। माना जा रहा है कि इस मौके पर चुनाव आयोग की ओर से मतदाता सूची को आधार से जोड़ने को लेकर नए सिरे से मजबूती के साथ अपना पक्ष रख सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोकमतदाता सूची को मौजूदा समय में आधार से अनिवार्य रूप से जोड़ने पर रोक सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ही लगी हुई है। हालांकि कोर्ट ने चुनाव आयोग को इसे स्वैच्छिक विकल्प के रूप में रखने को था। जिसमें मतदाता स्वेच्छा से इसे आधार से लिंक करा सकते है।
पिछले कुछ सालों में स्वैच्छिक रूप से करीब 65 करोड़ मतदाताओं ने इसे आधार से लिंक करा दिया है। ऐसे में मौजूदा समय में कुल करीब 99 करोड़ मतदाताओं में से सिर्फ 34 करोड़ ही आधार से अब तक नहीं चुके है, जो पूरी मतदाता सूची में गड़बड़ी की मुख्य वजह है।
निजता में दखल पर विवाद- आयोग से जुड़े सूत्रों की मानें, तो अब जब आधार सभी बैंक खातों से लेकर स्कूलों और मकान की रजिस्ट्री तक में अनिवार्य कर दिया गया है, तो फिर इसे मतदाता सूची से जोड़ने में क्या दिक्कत है। रही बात निजता की तो यदि बैंक और स्कूलों में आधार देने से किसी तरह की निजता का हनन नहीं होता है, तो चुनाव आयोग को देने में कैसे होगा।
- वह भी तब जब आयोग अपने किसी डाटा को सरकार या किसी दूसरे के साथ साझा नहीं करता है। सूत्रों की मानें तो आयोग ने मतदाता सूची को आधार से जोड़ने से जुड़ी अपनी तैयारी में एक नया सॉफ्टवेयर भी तैयार कराया है।
- जिसमें आधार का कोई डाटा नहीं लिया जाएगा, सिर्फ मतदाता सूची के नाम को ही आधार से प्रमाणित किया जाएगा। ताकि एक नाम के दो मतदाता हो तो उनकी पहचान की जा सके।
यह फिर एक मतदाता के नाम जो जगह से जुड़े है तो उन्हें भी पहचान कर हटाया जा सके। आयोग से वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो मतदाता सूची से जुड़े विवाद को खत्म करने का सिर्फ एक रास्ता है, वह उसे आधार से लिंक करना है।
गौरतलब है कि चुनाव आयोग ने मतदाता सूची को आधार से जोड़ने की पहल 2015 में की थी, जिस पर कुछ काम भी हुआ था लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 2017 में इसे निजता का मामला बताते हुए रोक लगा दी थी।
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