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केरल में शराब पीने वाले नेताओं पर गिरेगी गाज, इन दो दलों ने बनाया गजब का प्लान
आईएएनएस, तिरुवनंतपुरम। केरल की दो कम्युनिस्ट पार्टियों-माकपा और भाकपा ने शराब पीने वाले पार्टी नेताओं के लिए अपने नियम बनाए हैं। माकपा ने कहा है कि अगर मीडिया ने हमारे किसी भी साथी को शराब पीते हुए दिखाया तो उसे पार्टी से निकाल दिया जाएगा।
उधर, भाकपा ने कहा है कि उनकी पार्टी के किसी भी सदस्य को सार्वजनिक रूप से नशे की हालत में नहीं होना चाहिए। वे अपने घरों में शराब पी सकते हैं और घर के अंदर ही रह सकते हैं। सत्तारूढ़ पिनाराई विजयन के नेतृत्व वाली वामपंथी सरकार में माकपा सबसे बड़ी पार्टी है, जबकि भाकपा दूसरी सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है।
पार्टी ने नेताओं के लिए बनाए नियमसोमवार को माकपा के राज्य सचिव, वरिष्ठ विधायक एवं पूर्व आबकारी मंत्री एमवी गोविंदन ने शराब पीने वालों के प्रति पार्टी के रुख पर खुलकर बात की। गोविंदन ने कहा कि हम एक ऐसी पार्टी हैं जिसकी विचारधारा बहुत स्पष्ट है कि हमारे साथियों को धूम्रपान नहीं करना चाहिए या शराब नहीं पीना चाहिए। अगर आप (मीडिया) हमारे किसी साथी को शराब पीते हुए दिखाते हैं तो उसे पार्टी से निकाल दिया जाएगा।
भाकपा ने भी नियम बनाएगोविंदन इस सप्ताह के अंत में होने वाले पार्टी सम्मेलन से पहले संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। पार्टी के राज्य सचिव के रूप में उन्हें एक और कार्यकाल मिलने वाला है। गौरतलब है कि भाकपा के राज्य सचिव बिनय विश्वम ने इस साल की शुरुआत में यह कहकर हलचल मचा दी थी कि अपने साथियों के लिए उनकी पार्टी का रुख यह है कि वे शराब पी सकते हैं, लेकिन किसी भी कीमत पर उन्हें सार्वजनिक रूप से नहीं पीना चाहिए।
सार्वजनिक स्थान पर कोई नशे में ना रहेबहरहाल, उन्होंने कहा है कि उनकी पार्टी के किसी भी सदस्य को सार्वजनिक रूप से नशे की हालत में नहीं होना चाहिए। वे अपने घरों में शराब पी सकते हैं और घर के अंदर ही रह सकते हैं। यह साल 1964 की बात है जब भाकपा विभाजित हुई थी और माकपा का गठन हुआ था। उसके बाद माकपा ने कम्युनिस्टों के बीच लंबे समय तक राज किया। माकपा ने तीन दशकों से अधिक समय तक पश्चिम बंगाल में शासन किया और लगभग इसी तरह का प्रदर्शन त्रिपुरा में भी देखा गया। लेकिन, बाद में इन दोनों ही राज्यों में पार्टी के लिए चीजें आसान नहीं रह गईं।
माकपा और भाकपा में कई बार हुईं झड़पेंवर्तमान में अब उनका एकमात्र गढ़ केरल है जहां पिनाराई विजयन ने 2021 के विधानसभा चुनावों में सत्ता बरकरार रखते हुए इतिहास रच दिया। पिछले नौ वर्षों में माकपा और भाकपा के बीच छोटी-मोटी झड़पें होती रही हैं। पहली विजयन सरकार में भाकपा ने तब हलचल मचा दी थी, जब उसके चारों मंत्रियों ने विजयन के साथ मतभेद होने के बाद साप्ताहिक कैबिनेट बैठक का बहिष्कार कर दिया था। हालांकि, यह मुद्दा जल्द ही सुलझा लिया गया था।
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क्या कुछ बड़ा होने वाला? चिकन नेक की सुरक्षा मजबूत करने में जुटी सेना; टी-90 टैकों के साथ बड़ा अभ्यास
एएनआई, गुवाहाटी। सेना की त्रिशक्ति कोर ने सिक्किम और सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा मजबूत करने के लिए एक महीने तक ऊंचाई वाले क्षेत्र में लाइव-फायरिंग अभ्यास किया। इस दौरान सेना ने टी-90 टैंकों की शक्ति को परखा।
गौरतलब है कि सिलीगुड़ी कॉरिडोर रणनीतिक रूप से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे चिकन नेक के नाम से भी जाना जाता है। यह कॉरिडोर पूर्वोत्तर भारत के सात राज्यों को शेष भारत से जोड़ता है।
एक महीने तक चला लाइव फायरिंग अभ्यासपीआरओ (रक्षा) ने बयान में कहा कि टी-90 टैंकों के साथ एक महीने तक चलने वाला लाइव-फायरिंग अभ्यास आयोजित किया गया। इस अभ्यास का मुख्य उद्देश्य सेना की युद्ध क्षमता और मजबूत करना और बख्तरबंद युद्ध रणनीतियों को परखना था। इस दौरान सेना ने आधुनिक हथियारों और तकनीकों के साथ अभ्यास किया।
क्यों खास है टी-90 टैंक?टी-90 टैंक भारतीय सेना के अत्याधुनिक मुख्य युद्धक टैंकों में से एक है। यह उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम और मजबूत सुरक्षा क्षमताओं से लैस है। यह एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) दागने में सक्षम है, जिससे यह दूर से ही दुश्मन के बख्तरबंद वाहनों को नष्ट कर सकता है। इसमें थर्मल इमेजिंग और आधुनिक सेंसर लगे हैं। इस कारण यह किसी भी मौसम में चौबीसों घंटे युद्ध के लिए सक्षम है।
अभ्यास में सेना ने क्या-क्या किया?अभ्यास में सटीक हमले की क्षमता का परीक्षण, उन्नत गोला-बारूद और गाइडेड मिसाइलों का उपयोग, ड्रोन के साथ समन्वय बनाने, मानव और मशीन के बीच तालमेल बढ़ाने, ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध की तैयारी को बेहतर करने की तैयारी परखी गई। सेना ने इस अभ्यास के माध्यम से 'आत्मनिर्भर भारत' को भी बढ़ावा दिया, जिसमें स्वदेशी रक्षा तकनीकों और स्थानीय स्तर पर निर्मित गोला-बारूद का अधिक उपयोग किया गया।
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'कुछ लोग खुद को ओवर स्मार्ट समझते हैं', समय रैना पर SC की तल्ख टिप्पणी; रणवीर इलाहाबदिया को सशर्त राहत
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने इंडिया गॉट लेटेंट शो में अभिवावकों के बारे में अश्लील टिप्पणी करने के आरोपी यूट्यूबर रणवीर इलाहाबदिया को सशर्त शो चलाने की इजाजत दे दी है।
रणवीर की ओर से सोमवार को जब स्वयं और 280 अन्य कर्मचारियों की रोजी रोटी की दुहाई देते हुए शो पर लगी रोक हटाने की गुहार लगाई गई, तो कोर्ट ने इजाजत तो दी, लेकिन शर्त लगाई की उसे अंडरटेकिंग देनी होगी कि शो में शालीनता और नैतिकता के मानकों को बनाए रखा जाएगा।
केंद्र से रेगुलेशन के उपाय करने को कहाइसके साथ ही कोर्ट ने अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर हो रही अभद्रता और अश्लीलता पर अंकुश की जरूरत बताते हुए कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी के मौलिक अधिकार के साथ कर्तव्य भी जुड़ा है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि हम सेंसरशिप नहीं चाहते लेकिन फ्री फॉर ऑल (खुली छूट) भी नहीं हो सकता। कोर्ट ने केंद्र सरकार से इसके नियमन के उपाय करने और सभी हितधारकों से परामर्श कर एक प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई का दायरा बढ़ा दिया है।
सॉलिसिटर जनरल ने किया विरोध- ये आदेश सोमवार को न्यायमूर्ति सूर्यकांत और एनके सिंह की पीठ ने रणवीर इलाहाबदिया और उसके साथी आशीष चंचलानी की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिये।
- पिछली सुनवाई गत 18 फरवरी को कोर्ट ने इलाहाबदिया को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत तो दे दी थी, लेकिन शो में उसके द्वारा प्रयुक्त भाषा को अभद्र और विकृत बताते हुए कड़ी फटकार लगाई थी।
- इतना ही नहीं कोर्ट ने इलाहाबदिया और उसके साथियों के आगे शो करने पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने विदेश जाने की अर्जी पर फिलहाल आदेश नहीं दिया।
- सुनवाई के दौरान केंद्र के अलावा असम और महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रोक हटाने का विरोध करते हुए कहा कि रणवीर द्वारा शो में प्रयुक्त की गई भाषा सिर्फ अश्वलील ही नहीं बल्कि विकृत थी।
- लेकिन पीठ ने इस संबंध में कुछ दिशा-निर्देश तय करने की मेहता की दलील से सहमति जताई। सरकार इस पर विचार करे और ड्राफ्ट तैयार करे जिसमें सभी हितधारकों से परामर्श किया जाए।
कोर्ट ने शो के एक अन्य साथी द्वारा विदेश जाकर कोर्ट में लंबित मामले की चर्चा करने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि कुछ युवा स्वयं को ओवर स्मार्ट समझते हैं लेकिन हमें उन्हें डील करना आता है।
पीठ ने कहा संभवत: वे इस अदालत का क्षेत्राधिकार नहीं जानते । कोर्ट ने कहा कि वह सुधर जाएं वरना उन्हें डील करना आता है। कोर्ट ने रणवीर से कहा कि वह लंबित मामले पर शो में कोई टिप्पणी नहीं करेगा।
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महिला दिवस पर महिलाएं संभालेंगी पीएम मोदी का सोशल मीडिया अकाउंट, जीवन यात्राएं साझा करने का अनुरोध
पीटीआई, नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना इंटरनेट मीडिया अकाउंट आधी आबादी को सौंपने का फैसला लिया है। उन्होंने इस बारे में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी।
पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक एक्स हैंडल पर एक पोस्ट में लिखा कि मैं नमो एप ओपन फोरम पर बहुत ही प्रेरणादायक जीवन यात्राएं साझा होते देख रहा हूं, जिसमें से कुछ महिलाओं को आठ मार्च को महिला दिवस पर मेरे डिजिटल इंटरनेट मीडिया अकाउंट्स को संभालने के लिए चुना जाएगा। मैं ऐसी और भी जीवन यात्राएं साझा करने का महिलाओं से अनुरोध करता हूं।
पीएम ने किया था ये एलानपीएम मोदी ने मन की बात कार्यक्रम में कहा था कि ये सफल महिलाएं उनके इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर अपने काम और अनुभव के बारे में बात करेंगी। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी की सराहना करते हुए कहा था कि आइए हम महिलाओं की अदम्य भावना का जश्न मनाएं और उसका सम्मान करें।
पहले भी पीएम ने किया था ये ऐलानप्रधानमंत्री ने आठ मार्च, 2020 को इसी तरह के एक कदम के तहत अपने इंटरनेट मीडिया अकाउंट अलग-अलग क्षेत्रों की सात अग्रणी महिलाओं को सौंपे थे। एक्स, यूट्यूब और इंस्टाग्राम सहित अन्य प्लेटफार्म पर करोड़ों फालोअर्स के साथ मोदी इंटरनेट मीडिया पर सबसे ज्यादा फॉलो किए जाने वाले वैश्विक नेताओं में से एक हैं।
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शादी के 2 साल बाद हुई दुल्हन की मौत, सास-ससुर को हाईकोर्ट से मिली जमानत तो सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देश में जारी दहेज हत्याओं पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। साथ ही अदालतों से कहा कि ऐसे मामलों में जमानत मंजूर करने से पहले परिस्थितियों की गहराई से जांच की जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि दहेज हत्या के मामलों में अदालतों को इतने घृणित अपराध के सामाजिक पहलुओं पर विचार करते हुए सोच-समझकर ही कोई फैसला लेना चाहिए। चूंकि यह अपराध हमारे समाज के जड़ों की गहराई तक पैंठ रखता है और समानता पर सवाल खड़े करता है।
सास-ससुर की जमानत रदजस्टिस विक्रम नाथ और संदीप मेहता की खंडपीठ ने सोमवार को दहेज हत्या के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से मंजूर मृतका के सास-ससुर की जमानत को रद करते हुए कहा कि अपने ससुराल में शादी के कुछ ही समय बाद मारी जाने वाली युवती के मामले में न्यायिक जांच की आवश्यकता है। खासकर तब जब इस बात के दस्तावेजी साक्ष्य हैं कि उसे शादी के बाद दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित किया जाता रहा है।
सास-ससुर को आत्मसमर्पण करना होगाउल्लेखनीय है कि जनवरी, 2024 में विवाहिता अपने ससुराल में शादी के दो साल बाद मृत पाई गई थी। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि दहेज के लिए उसके सास-ससुर उसका उत्पीड़न और क्रूरता करते थे। अदालत ने आरोपित सास-ससुर को स्थानीय अदालत या पुलिस प्रशासन के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा है।
न्यायपालिका को सतर्क रहना चाहिएकोर्ट ने कहा कि आईपीसी में दहेज हत्या की धारा 304बी के तहत इस अपराध को बहुत गंभीर प्रकृति का माना गया है। इसके जरिये षड्यंत्र करके अपराध को अंजाम दिया जाता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसे अपराधों में न्यायिक आदेश के जरिये सामाजिक संदेश जाना चाहिए कि जब एक नवविवाहिता की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में होती है तो न्यायपालिका को मामले की गंभीरता को समझते हुए और सतर्क रहना चाहिए।
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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील ने दी आत्महत्या की धमकी, पीठ ने कहा- 7 मार्च तक माफी मांगे नहीं तो...
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक असामान्य स्थिति देखने को मिली, जब न्यायालय के समक्ष उपस्थित एक वकील ने धमकी दी कि यदि आपराधिक मामले में उसकी याचिका स्वीकार नहीं की गई तो वह आत्महत्या कर लेगा। जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुयान की पीठ ने वकील से कहा कि वह सात मार्च तक लिखित माफीनामा दाखिल करें अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें।
बिना शर्त माफी मांगेसोमवार सुबह जब याचिका (रमेश कुमारन और अन्य बनाम पुलिस निरीक्षक और अन्य) पर सुनवाई हुई। इस दौरान याचिकाकर्ता बार के सदस्य रमेश कुमारन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग (वीसी) के माध्यम से उपस्थित हुए और कहा कि अगर प्रतिवादी संख्या दो के खिलाफ एफआईआर रद कर दी जाती है तो वे आत्महत्या कर लेंगे। यह सुनकर सुनवाई कर रही पीठ पहले स्तब्ध हो गई, इसके बाद उनसे बिना शर्त माफी मांगने को कहा।
आप अदालत को धमकी कैसे दे सकते हैं?जस्टिस ओका ने कहा कि आप अदालत को कैसे धमकी दे सकते हैं कि अगर हम आपकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करेंगे तो आप आत्महत्या कर लेंगे? आप एक वकील हैं.. हम बार काउंसिल से आपका लाइसेंस निलंबित करने और एफआइआर दर्ज करने के लिए कहेंगे। इसके बाद वकील ने कथित तौर पर अपना वीसी लिंक बंद कर दिया। हालांकि, दोबारा वीसी के जरिए पेश हुए वकील रमेश कुमारन ने कहा मैं दिल से माफी मांगता हूं। मैं भावुक हो गया था।
सात मार्च को अगली सुनवाईइस पर जस्टिस ओका ने कहा कि हम सात मार्च तक लिखित माफी चाहते हैं। मामले की अगली सुनवाई सात मार्च को होगी। कुमारन ने राघवेंद्रन नामक व्यक्ति के खिलाफ एक आपराधिक मामले में अदालत का रुख किया था। इस मामले में दोनों पक्षों की ओर से क्रास एफआईआर दर्ज की गई थी।
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Budget: 'डीजल-पेट्रोल पर...', बजट को लेकर विपक्ष की आई प्रतिक्रिया; कांग्रेस-VIP सहित तमाम दलों ने बोला हमला
राज्य ब्यूरो, पटना। विकासशील इंसान पार्टी के संस्थापक और पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने सोमवार को विधानसभा में पेश बजट को निराशाजनक बताया और कहा कि इस बजट में न रोजगार की चर्चा है न ही किसानों की चिंता। इस चुनावी वर्ष में बजट से बिहार के लोगों को काफी उम्मीद थी, लेकिन सरकार ने निराश किया।
उन्होंने कहा कि बजट में किसानों की आय वृद्धि को लेकर भी कोई उपाय नहीं दिख रहा है। इस बजट से लोगों को भरमाने की कोशिश की गई है।
बजट के पहले ही विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने महिलाओं को 2500 रुपये प्रतिमाह देने को लेकर मांग की थी, लेकिन सरकार ने बजट में इसका कोई प्रविधान नहीं किया।
यह बजट सिर्फ झूठ का पुलिंदा- मुकेशउन्होंने कहा कि सही अर्थों में पुरानी घोषणाओं को ही नया करने की कोशिश की गई है। सरकार पहले भी प्रखंडों में स्टेडियम बनाने की बात करती रही है, पर बताती नहीं कितने प्रखंडों में स्टेडियम बने हैं, जो खेलने लायक हैं।
बजट से न ही महिलाओं को कोई फायदा होने वाला है, न युवाओं को फायदा होगा, न किसानों को कोई फायदा होने वाला है। यह बजट सिर्फ झूठ का पुलिंदा है।
बेजान, बेअसरदार और उम्मीद के प्रतिकूल है बिहार सरकार का बजट : डॉ. अखिलेशबिहार कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने सोमवार को पेश बिहार बजट को बेजान, बेअसरदार और उम्मीद के प्रतिकूल बताया है।
उन्होंने कहा कि चुनावी साल के बजट में उम्मीद थी कि इसमें रोजगार की बात होगी, मंहगाई को कम करने की कम से कम तात्कालिक कोशिश होगी, युवाओं के लिए रोजगार युक्त प्रशिक्षण की बात होगी, महिलाओं को 500 रुपये में गैस सिलेंडर देने की बात होगी, डीजल-पेट्रोल पर वैट घटाकर मंहगाई पर नकेल कसने की बात होगी, किसान के लिए एमएसपी की बात होगी लेकिन सब के सब ढाक के तीन पात।
डॉ. सिंह ने कहा कि डबल इंजन की सरकार का यह आखिरी बजट है इसलिए बड़ी उम्मीद थी कि बिहार वासियों को कम से कम मंहगाई और बेरोजगारी की मार से कुछ राहत मिलेगी।
उन्होंने कहा कि मंहगाई को कम करने के बजाय सरकार तरकारी आउटलेट के जरिए मुनाफा कमाने की कोशिश में लग गई है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके अलावा नीतीश के सात निश्चय का कतरा भी बजट से गायब है।
बजट पर राजनीतिक दलों की प्रतिक्रियाएं- रालोजपा के मुख्य प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने कहा कि बजट में गरीबों के लिए कुछ नहीं, सिर्फ जुमलेबाजी है। चुनावी वर्ष के इस बजट से सभी को बहुत उम्मीदें थीं, लेकिन यह पूरी तरह निराशाजनक साबित हुआ।
- उन्होंने सवाल उठाया कि बजट में जिन योजनाओं की चर्चा की गई है, उनके लिए धनराशि कहां से आएगी, इस पर सरकार पूरी तरह मौन है।
भाकपा (माले) के राज्य सचिव कुणाल ने बजट को बेहद निराशाजनक और दिशाहीन करार दिया है। उन्होंने कहा कि यह बजट पूरी तरह से जनविरोधी है और संघर्षरत तबकों की मांगों को अनसुना करता है।
आशा, जीविका, रसोइया, आंगनवाड़ी, माइक्रोफाइनेंस कंपनियों से जुड़ी महिलाओं की कर्ज माफी, आउटसोर्सिंग पर काम कर रहे सफाईकर्मी, कार्यपालक सहायक और अन्य स्कीम वर्करों सहित ठेका पर काम कर रहे लाखों लोगों की लोकप्रिय मांगों को बजट में कोई जगह नहीं मिली है।
केवल चुनावी जुमला है : माकपामाकपा के राज्य सचिव ललन चौधरी ने कहा कि बजट नहीं, केवल चुनावी जुमला है। गरीबों, छात्रों, नौजवानों के भविष्य के प्रति यह बजट मजाक है।
खास कर यह बजट स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, कृषि उद्योग की स्थापना सहित किसी भी जरूरत के क्षेत्र की बुनियादी विकास से काफी दूर है। आमलोगों की क्रय शक्ति वृद्धि की कोई योजना एवं दृष्टि सरकार के पास नहीं है।
जनविरोधी बजट : भाकपाभारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव रामनरेश पाण्डेय ने बजट को जनविरोधी करार दिया है। उन्होंने कहा कि चुनावी साल में सरकार ने लोकलुभावन नारा देकर राज्य की जनता को दिग्भमित करने का कार्य किया है।
योजनाकार में मामूली बढ़ती की गई है जबकि प्रतिबद्ध व्यय बढ़कर दो लाख करोड़ रुपये का हो गया है।
मुख्यमंत्री आवास योजना को लेकर कोई विशेष उपबंध नहीं किया गया है। सामाजिक सुरक्षा योजना के एक करोड़ लाभार्थियों के पेंशन की बढ़ोत्तरी की कोई बातें नहीं की गई।
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'मई में होगी एशियाई शेरों की गणना', पीएम मोदी का बड़ा एलान; तमिलानाडु को भी मिला तोहफा
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में वन्यजीवों की तेजी से बढ़ती आबादी पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुशी जताई और कहा है कि यह देश के लिए गर्व का विषय है। इसके साथ ही उन्होंने वन्यजीवों के बेहतर प्रबंधन और मानव के साथ उनके बढ़ते संघर्ष को थामने के लिए देश में एक्सीलेंस सेंटर बनाने का एलान किया है।
यह सेंटर तमिलनाडु के कोयंबटूर स्थित सलीम अली पक्षी विज्ञान एवं प्राकृतिक इतिहास केंद्र (एसएसीओएन) में स्थापित होगा। तमिलनाडु को साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह पीएम की ओर से बड़ा तोहफा मिला है।
एशियाई शेरों की गणना की घोषणायही नहीं, इस दौरान पीएम ने इसी वर्ष मई में एशियाई शेरों की गणना कराने की भी घोषणा की। इससे पहले सुबह मोदी ने गिर में टाइगर सफारी का आनंद लिया। उन्होंने एक पोस्ट में कहा कि सामूहिक प्रयासों के कारण एशियाई शेरों की जनसंख्या में लगातार वृद्धि हुई है और एशियाई शेरों के आवास को संरक्षित करने में आसपास के क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों और महिलाओं के योगदान सराहनीय है।
पीएम मोदी ने किए अन्य बड़े एलानप्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को गुजरात के गीर अभयारण्य में आयोजित सातवीं राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड की बैठक में देश में वन्यजीवों की स्थिति और उनसे जुड़े प्रोजेक्टों की समीक्षा की है। इसके साथ ही कई बड़े ऐलान भी किए हैं।
पीएम ने ली चीता प्रोजेक्ट की जानकारीपीएम ने बोर्ड की बैठक में चीता प्रोजेक्ट की प्रगति की भी जानकारी ली और देश में चीतों को आने वाली नई खेप को अब मध्य प्रदेश के गांधी सागर अभयारण्य और गुजरात के बन्नी स्थित घास के मैदानों में बसाने को मंजूरी दी है। चीतों की पहली दो खेप को अभी मध्य प्रदेश के कूनो अभयारण्य में रखा गया है। जहां उनका कुनबा तेजी से बढ़ रहा है। बैठक में वन्यजीवों के साथ मानव के संघर्ष को थामने के लिए सेंटर खोलने के ऐलान को काफी अहम माना जा रहा है।
वैसे भी देश में यह समस्या दिनों-दिन काफी गंभीर रूप ले रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में अकेले हाथियों के साथ संघर्ष में हर साल छह सौ से अधिक लोगों की मौतें हो रही है, जबकि करीब सौ हाथियों को भी इस संघर्ष और आपसी झगडे में जान गंवानी पड़ रही है।
डॉल्फिन की संख्या में उत्तर प्रदेश शीर्ष परदेश में डॉल्फिन की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। जो दो हजार से बढ़कर अब 6327 हो गई है। आठ राज्यों में डॉल्फिन को लेकर कराए गए व्यापक सर्वेक्षण ने यह जानकारी सामने आयी है। पीएम मोदी ने सोमवार को गीर में इस सर्वेक्षण रिपोर्ट को जारी किया है। डॉल्फिन की बढ़ी संख्या में नदियों की सुधर रही सेहत से जोड़कर देखा जाता है।
माना जाता है कि स्वच्छ नदियों में ही डॉल्फिन का विकास होता है। रिपोर्ट के मुताबिक देश में डॉल्फिन मुख्य रूप से गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों में पाई जाती हैं। वर्ष 2020 में शुरू किए गए प्रोजेक्ट डॉल्फिन के बाद यह सफलता मिली है। भारत में डाल्फिन की मीठे पानी की दो प्रजातियां पाई जाती हैं। इनमें गंगा डॉल्फिन और सिधु डॉल्फिन है। यह सर्वेक्षण आठ राज्यों की 28 नदियों में 8,507 किमी के क्षेत्र में किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 2,397 डॉल्फिन पायी गई है जबकि बिहार में 2,220 और पश्चिम बंगाल में 815 डॉल्फिन मिली है। वहीं असम में 635, झारखंड में 162, राजस्थान और मध्य प्रदेश में 95 डॉल्फिन दर्ज की गईं। पंजाब में सबसे कम सिर्फ तीन डॉल्फिन पाई गईं।
पीएम ने बैठक में किए कुछ और अहम ऐलान- गीर में शेरों की बढ़ती आबादी को देखते हुए उसके पास बरडा अभयारण्य को भी उनके नए ठिकाने के रूप में विकसित किया जाएगी। पीएम ने इस लेकर मंजूरी दी है। इसके साथ एशियाई शेरों के इस साल सर्वेक्षण को भी मंजूरी दी गई है।
- ग्रेड इंडियन बस्टर्ड ( सोनचिरैया) के संरक्षण, घडियाल संरक्षण के नए प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दी गई है। देश में मौजूदा समय में सोनचिरैया विलुप्त होने की कगार पर है।
- गीर में शेरों और तेंदुओं के बेहतर रहवास और विकास की सफल कहानी का दस्तावेजीकरण करने को भी मंजूरी दी गई है।
- जूनागढ़ में वन्यजीवों के रेफरल सेंटर की भी आधारशिला पीएम ने रखी है। जहां देश भर के गंभीर रूप से बीमार व घायल वन्यजीवों की उपचार किया जाएगा।
- वन्यजीवों के संरक्षण में अपने पुराने तौर-तरीकों और पद्धतियों का भी दस्तावेजीकरण करने को मंजूरी दी गई है।
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आखिर क्यों अधिक कर्ज ले रही महिलाएं, पिछले पांच साल में 22 प्रतिशत की बढ़ोतरी; रिपोर्ट पर नहीं होगा यकीन
पीटीआई, नई दिल्ली। भारत में कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या पिछले पांच सालों में 22 प्रतिशत की चक्रवृद्धि दर से बढ़ी है। इनमें से अधिकांश अर्ध शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से संबंध रखती हैं।
दरअसल, नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम द्वारा 'भारत की वित्तीय विकास की कहानी में महिलाओं की भूमिका संबंधी' एक रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि कर्ज का एक बड़ा हिस्सा महिलाओं ने उपभोग मांग को पूरा करने के लिया। इसकी तुलना में महिलाओं ने कारोबार के लिए उन्होंने कम कर्ज लिया।
लोन लेने में इन राज्यों की महिलाएं आगेनीति आयोग ने कहा कि राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित उत्तरी और मध्य भारत के राज्यों में पिछले पांच वर्षों के दौरान कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या में सबसे अधिक चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (सीएजीआर) दर्ज की गई।
क्या कहती है रिपोर्ट?रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में कारोबार के लिए कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या कुल कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या की तुलना में केवल तीन प्रतिशत है जबकि व्यक्तिगत वित्त उत्पादों जैसे पर्सनल लोन, कंज्यूमर ड्यूरेबल लोन, होम लोन के लिए 42 प्रतिशत और सोने के बदले कर्ज लेने वाली महिलाओं की संख्या 38 प्रतिशत थी।
व्यावसायिक खातों की संख्या में इजाफारिपोर्ट में कहा गया है कि 2019 से व्यावसायिक उद्देश्य के लिए खोले गए खातों की संख्या में 4.6 गुना वृद्धि हुई है। सरकारी थिंक टैंक नीति आयोग ने कहा कि भारत में अधिक महिलाएं कर्ज लेना चाहती हैं और सक्रिय रूप से अपने क्रेडिट स्कोर की निगरानी कर रही हैं। दिसंबर 2024 तक, 2.7 करोड़ महिलाएं अपने कर्ज की निगरानी कर रही थीं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 42 प्रतिशत अधिक है। यह महिलाओं के बीच बढ़ती वित्तीय जागरूकता को संकेत देता है।
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