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सरकार संवेदनशील मुद्दों पर विमर्श के लिए बुला सकती है लोकसभा की गुप्त बैठक, पहले कभी नहीं हुआ ऐसा

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 8:17pm

पीटीआई, नई दिल्ली। संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा के लिए केंद्र सरकार नियमों के अनुसार लोकसभा की गुप्त बैठक बुला सकती है, लेकिन इस प्रविधान का अब तक इस्तेमाल नहीं हुआ है।

एक संवैधानिक विशेषज्ञ के अनुसार, वर्ष 1962 में चीनी आक्रमण के दौरान कुछ विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सदन की गुप्त बैठक बुलाने का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू इस पर सहमत नहीं हुए थे।

कैसे बुलाई जाती है ऐसी बैठक? 

उल्लेखनीय है कि 'लोकसभा में प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियम' के अध्याय-25 में सदन के नेता के अनुरोध पर गुप्त बैठकें आयोजित करने के लिए सक्षम प्रविधान हैं। नियम-248 के उपखंड एक के अनुसार, सदन के नेता के अनुरोध पर अध्यक्ष सदन की गुप्त बैठक के लिए कोई भी एक दिन तय कर सकते हैं।

उपखंड दो में कहा गया है कि जब सदन की गुप्त बैठक चलेगी तो किसी भी अजनबी को कक्ष, लाबी या गैलरी में उपस्थित होने की अनुमति नहीं होगी। लेकिन, कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हें ऐसी बैठकों के दौरान अनुमति दी जाएगी।

क्या कहते हैं नियम?

इसी अध्याय में एक अन्य नियम के अनुसार, अध्यक्ष यह निर्देश दे सकते हैं कि गुप्त बैठक की कार्यवाही की रिपोर्ट उसी तरीके से जारी की जाए जैसा अध्यक्ष उचित समझें। लेकिन कोई भी अन्य उपस्थित व्यक्ति गुप्त बैठक की किसी भी कार्यवाही या निर्णय का नोट या रिकार्ड नहीं रखेगा, चाहे वह आंशिक हो या पूर्ण, या ऐसी कार्यवाही की कोई रिपोर्ट जारी नहीं करेगा या उसका वर्णन करने का दावा नहीं करेगा।

जब यह माना जाता है कि किसी गुप्त बैठक की कार्यवाही के संबंध में गोपनीयता बनाए रखने की आवश्यकता समाप्त हो गई है और अब यह अध्यक्ष की सहमति के अधीन है तो सदन का नेता या कोई अधिकृत सदस्य यह प्रस्ताव पेश कर सकता है कि ऐसी बैठक के दौरान की कार्यवाही को अब गुप्त नहीं माना जाए। यदि प्रस्ताव पारित हो जाता है तो लोकसभा महासचिव गुप्त बैठक की कार्यवाही की एक रिपोर्ट तैयार करेंगे और इसे जल्द से जल्द प्रकाशित करेंगे।

निर्णयों का नहीं कर सकते खुलासा

हालांकि, नियमों में चेतावनी दी गई है कि किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी भी तरीके से गुप्त कार्यवाही या बैठक की कार्यवाही या निर्णयों का खुलासा करना सदन के विशेषाधिकार का घोर उल्लंघन माना जाएगा। संविधान विशेषज्ञ एवं पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी अचारी ने कहा कि सदन की गुप्त बैठक आयोजित करने का अब तक कोई अवसर नहीं आया है।

उन्होंने पुराने लोगों के साथ अपनी बातचीत का हवाला देते हुए कहा कि वर्ष 1962 में चीन-भारत युद्ध के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों ने संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा करने के लिए गुप्त बैठक का प्रस्ताव रखा था। लेकिन, नेहरू इससे सहमत नहीं हुए और कहा कि जनता को यह बात पता होनी चाहिए।

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'कठिन समय में काम करने के लिए मार्गदर्शन देता है संविधान', SC के जज कोटिस्वर सिंह की मणिपुर के लोगों से खास अपील

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 7:55pm

पीटीआई, इंफाल। सुप्रीम कोर्ट के जज कोटिस्वर सिंह ने रविवार को कहा कि यदि लोग संविधान का पालन करें तो मणिपुर में चुनौतियों से निपटा जा सकता है। वहीं, जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि संवैधानिक तरीकों से सभी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है। जब संवाद होता है तो समाधान पहुंच में होता है।

जस्टिस गवई के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की टीम शनिवार से मणिपुर के दो दिवसीय दौरे पर है। टीम में शामिल जस्टिस कोटिस्वर सिंह ने मणिपुर हाई कोर्ट की स्थापना की 12वीं वर्षगांठ के अवसर पर आयोजित समारोह में कहा कि मणिपुर एक छोटा राज्य है, लेकिन सौभाग्य से हमारे पास संविधान है जो हमें कठिन समय में काम करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करता है।

देश को मजबूत करने के लिए करें काम 

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों की टीम ने शनिवार को चूड़चंदपुर और बिष्णुपुर जिलों के दौरे के दौरान लोगों में काफी उत्साह और आशा देखी। चुनौतियां भी हैं जिनसे संवैधानिक मूल्यों का पालन करके निपट सकते हैं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे देश को मजबूत बनाने के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास करें और इसे कमजोर करने वाला कोई काम न करें।

जस्टिस गवई ने कहा,

संवैधानिक तरीकों से हर चीज का समाधान किया जा सकता है। अगर बातचीत होगी तो समाधान दूर नहीं होगा। राहत शिविरों में रह रहे लोग अपने घर लौटना चाहते हैं। मुझे यकीन है कि राज्यपाल के प्रयासों से मणिपुर में जल्द ही शांति और सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी।

जज ने कहा कि उन्होंने और उनके सहयोगियों ने तय किया था कि मणिपुर की यात्रा के दौरान वे उन लोगों से बातचीत करेंगे जो पिछले दो वर्षों से संघर्ष के कारण पीडि़त हैं। हमने चूड़चंदपुर और बिष्णुपुर में राहत शिविरों का दौरा किया और दोनों समुदायों से बातचीत की। एक बात जो हम समझ पाए, वह यह है कि हर कोई शांति की बहाली चाहता है। किसी की भी मौजूदा स्थिति जारी रखने में दिलचस्पी नहीं है। हम सभी संवैधानिक तरीकों से राज्य में सामान्य स्थिति वापस लाने के लिए एकजुट होकर काम कर सकते हैं।

मणिपुर में शांति प्रयासों में हुई प्रगति : मेघवाल

केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कार्यक्रम से इतर पत्रकारों से वार्ता में कहा कि मणिपुर की स्थिति में सुधार हो रहा है। शांति बहाली की प्रक्रिया में प्रगति हुई है और आगे भी इस दिशा में काम किए जाने की जरूरत है।

राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद इस मामले पर संसद के दोनों सदनों में चर्चा की गई और शांति बहाल करने की आवश्यकता पर बल दिया गया। केंद्र सरकार राज्य में जल्द ही शांति वापस लाने के लिए प्रतिबद्ध है। दिल्ली हाई कोर्ट के जज यशवंत वर्मा के आवास पर कथित रूप से नकदी मिलने के मामले पर मेघवाल ने कहा, ''सुप्रीम कोर्ट इस मामले की जांच कर रहा है.. समिति की रिपोर्ट आने दीजिए.. हम उसके बाद बात करेंगे।''

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कांग्रेस ने वक्फ संशोधन बिल को संविधान पर हमला बताया, BJP पर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने का आरोप

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 7:31pm

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के बाद वक्फ संशोधन बिल इसी सत्र में लाने की सरकार की तैयारियों के बीच मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस विधेयक को देश के संविधान पर हमला बताते हुए आरोप लगाया है कि प्रस्तावित कानून के जरिए हमारे सदियों पुराने सामाजिक सद्भाव के बंधनों को भाजपा लगातार नुकसान पहुंचाने में जुटी हुई है। साथ ही कांग्रेस ने यह आरोप भी लगाया है कि यह विधेयक दुष्प्रचार और पूर्वाग्रह पैदा करके अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने के भाजपा के प्रयासों का भी हिस्सा है।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने रविवार को वक्फ संशोधन बिल पर पार्टी का रूख साफ करते हुए बयान जारी कर कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर करना है जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और सुरक्षा की गारंटी देते हैं, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनावी लाभ की खातिर समाज को स्थायी ध्रुवीकरण की स्थिति में रखने के लिए अल्पसंख्यक समुदायों की परंपराओं और संस्थाओं को बदनाम करने का भाजपा का रूख उसकी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा है।

विपक्षी सांसदों के सुझावों को दरकिनार करने का आरोप

जयराम रमेश ने वक्फ बिल पर गठित जेपीसी की रिपोर्ट में विपक्षी सांसदों के सुझावों को दरकिनार किए जाने की ओर इशारा करते हुए कहा कि वक्फ संशोधन बिल 2024 मुख्य रूप से पांच कारणों की वजह से गंभीर रूप से दोषपूर्ण है। पहला पूर्ववर्ती कानूनों के तहत वक्फ प्रबंधन के लिए बनाए गए सभी संस्थानों की स्थिति, संरचना और अधिकार को सुनियोजित तरीके से कम करने का प्रयास किया गया है। ताकि अल्पसंख्यक समुदाय को अपनी धार्मिक परंपराओं और धार्मिक संस्थाओं के प्रशासनिक अधिकार से वंचित किया जा सके।

कांग्रेस महासचिव ने दूसरी त्रुटि गिनाते हुए कहा कि अपनी भूमि को कौन वक्फ मकसदों के लिए दान कर सकता है, इसे तय करने में जानबूझकर अस्पष्टता लायी गई है और इस वजह से वक्फ की परिभाषा ही बदल गई है। तीसरा दोष यह है कि देश की न्यायपालिका द्वारा लंबे समय से निर्बाध चली आ रही परंपरा के आधार पर विकसित किए गए “वक्फ-बाई-यूजर'' की अवधारणा को समाप्त किया जा रहा है।

'अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए जा रहे'

चौथी बात यह है कि वक्फ प्रशासन को कमजोर करने के लिए बिना किसी कारण के मौजूदा कानून के प्रावधानों को हटाया जा रहा है। साथ ही वक्फ की जमीनों पर अतिक्रमण करने वालों को बचाने के लिए अब कानून में और अधिक सुरक्षा के उपाय किए जा रहे हैं।

पांचवी त्रुटि गिनाते हुए जयराम ने कहा कि वक्फ संपत्तियों से जुड़े विवादों और उनके पंजीकरण से जुड़े मामलों में कलेक्टर और राज्य सरकार के अन्य नामित अधिकारियों को व्यापक अधिकार दिए गए हैं। राज्य सरकार के अधिकारियों के पास अब किसी की शिकायत पर या वक्फ संपत्ति के सरकारी संपत्ति होने के आरोप मात्र पर अंतिम निर्णय होने तक किसी भी वक्फ की मान्यता रद्द करने का अधिकार होगा।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि यह याद रखना आवश्यक है कि 428 पृष्ठों की रिपोर्ट को संयुक्त संसदीय समिति में बिना किसी विस्तृत अनुच्छेद-दर-अनुच्छेद चर्चा के संसदीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन कर जबरन पारित कर दिया गया।

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'BJP- JDU की सरकार ने बिहार को बीमार कर दिया', पवन खेड़ा ने CM नीतीश के स्वास्थ्य को लेकर कह दी ये बात

Dainik Jagran - March 23, 2025 - 7:22pm

राज्य ब्यूरो, पटना। अखिल भारतीय कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा कि बिहार जो राष्ट्र को दिशा दिखाता था, उस बिहार को भाजपा-जदयू की सरकार ने बीमार कर दिया है।

इस सरकार ने इसका एक्स-रे तो किया परंतु इलाज नहीं कर पाई। उन्होंने कहा कि बिहार को बदलना है तो पहले सरकार को बदलना होगा। खेड़ा ने नारा दिया कि सरकार बदलो तभी बिहार बदलेगा।

पवन खेड़ा रविवार को पटना में थे। यहां उन्होंने बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू, नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार और अन्य नेताओं के साथ संयुक्त रूप से प्रेसवार्ता की।

कांग्रेस के पास हर तबके के लिए विजन

पवन खेड़ा ने कहा कि बिना सरकार बदले बिहार का विकास नहीं हो सकता है। कांग्रेस के पास हर वर्ग हर तबके के लिए विजन है, विकास का रोड मैप है। जिसे वह जनता को बताएगी।

उन्होंने कहा हम सिलसिले वार तरीके से बिहार में शिक्षा, स्वास्थ्य, पलायान, नौकरी, रोजगार, पेपर लीक, भ्रष्टाचार, पुलों के टूटने, खराब विधि-व्यवस्था का एक्स-रे आप सबके सामने रखेंगे और बताएंगे के इस सरकार से चूक कहां पर हुई। इसके साथ ही हम इसका समाधान भी बताएंगे।

जाति आधारित गणना पर सरकार को घेरा

जाति आधारित गणना के बाद बढ़े आरक्षण को लेकर सरकार के फैसलों पर भी पवन खेड़ा ने सरकार को घेरा। उन्होंने कहा आरक्षण रोकने के लिए ये लोग कोर्ट तक गए।

सीएम नीतीश कुमार के स्वास्थ्य को लेकर पवन खेड़ा ने कसा तंज

मुख्यमंत्री के स्वास्थ्य को लेकर कहा कि उनका स्वास्थ्य चिंता का विषय है और बिहार भी इसके लिए चिंतित है। पता नहीं भाजपा क्या षडयंत्र कर रही होगी, कौन से कागजों पर उनके हस्ताक्षर कराए जा रहे होंगे।

वहीं, बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावारू ने कहा कि बिहार और केंद्र में एनडीए की सरकार है। इस सरकार ने बिहार की बीमारी का एक्स-रे तो किया, परंतु उसका इलाज नहीं किया। तेलंगाना में कांग्रेस की सरकार ने न सिर्फ एक्स-रे किया, बल्कि बीमारी का इलाज भी किया।

प्रेस कांफ्रेंस में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश कुमार, मीडिया समन्वय अभय दुबे, पूनम पासवान, राजेश राठौड़, आनंद माधव के साथ ही दूसरे कई पार्टी नेता-कार्यकर्ता उपस्थित रहे।

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Bihar Diwas 2025: 3D में देखिए बिहार के ऐतिहासिक स्थलों की कहानी, गांधी मैदान में सरकार ने दी है ये सुविधा

Dainik Jagran - March 23, 2025 - 6:43pm

जागरण संवाददाता, पटना। बिहार दिवस को लेकर पटना के गांधी मैदान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। पहली बार यहां पर सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के स्टॉल में आम लोगों के लिए 3डी में राज्य के प्रमुख और ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण कराने की व्यवस्था की गई है।

इसके लिए स्टॉल में वीआर उपकरण लगाए गए हैं। इसकी मदद से सामान्य लोग सभी स्थलों का आभासीय तरीके से भ्रमण कर सकेंगे। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के पवेलियन का मंत्री महेश्वर हजारी ने उद्घाटन किया।

कार्यक्रम में मंत्री का किया गया स्वागत।

इसमें पटना का बापू टॉवर, सभ्यता द्वार, पटना साहिब का गुरुद्वारा के अलावा राजगीर का ग्लास ब्रिज, घोड़ा कटोरा, हाल में वहां बना जरासंध का अखाड़ा एवं पार्क, गुरुद्वारा, पावापुरी का जल मंदिर जैसे अन्य प्रमुख और लोकप्रिय स्थल शामिल हैं।

ऐतिहासिक मैदान के 1 लाख वर्ग फीट से अधिक के क्षेत्रफल में इसे लगाया गया है, जहां अनेक विभागों के स्टॉल में राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं को प्रदर्शित किया गया है।

बिहार डायरी की भी बिक्री की व्यवस्था

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के स्टॉल में राज्य सरकार की सभी प्रमुख योजनाओं को प्रदर्शन के माध्यम से दर्शाया गया है। साथ ही बिहार डायरी की बिक्री की भी व्यवस्था की गई है।

मंत्री ने किया उद्घाटन।

अगर किसी ने बिहार डायरी नहीं खरीदी है, तो वे यहां से खरीद सकते हैं। इसके अलावा कई महत्वपूर्ण पुस्तक, पत्र, पत्रिका की बिक्री की भी व्यवस्था की गई है। इसके लिए अलग से बिक्री केंद्र बनाया गया है।

बिहार दिवस के राज्यस्तरीय आयोजन में जिले के एक शिक्षक का चयन

वहीं, दूसरी ओर बिहार दिवस पर राज्य स्तरीय आयोजन पटना के गांधी मैदान में हुआ। इस आयोजन में शिक्षा विभाग के पवेलियन में कला संस्कृति, खेल, विज्ञान, गणित, भाषा, क्रिएटिव लर्निंग आदि की विभिन्न गतिविधियों और प्रदर्शनी लगाकर प्रदर्शित किया जा रहा था।

राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा अरवल जिले के सदर प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय अहियापुर के शिक्षक डॉ. विनोद कुमार उपाध्याय को 22 से 24 मार्च तक स्मार्ट क्लास के प्रदर्शनी में व्याख्याता के रूप में चयन किया गया है।

स्मार्ट क्लास से बच्चों को क्या फायदा होता है और इसका संचालन कैसे किया जाता है, इसके बारे में राज्य भर से आए शिक्षकों, छात्रों और बुद्धिजीवियों को बताना है।

साथ ही आधुनिक युग में स्मार्ट क्लास क्यों जरूरी है, इसके बारे में बताने के लिए उनकी प्रतिनियुक्ति की गई है। स्मार्ट क्लास के उपयोगिता बताने के लिए राज्य भर में अरवल जिले के शिक्षक का चयन होना बड़ी उपलब्धि है।

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RSS के 100 वर्ष: राष्ट्र निर्माण की नई रणनीति, नए संकल्प; क्या क्या बोले सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले?

Dainik Jagran - National - March 23, 2025 - 5:49pm

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा बैठक के अंतिम दिन मीडिया से बातचीत के दौरान सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले जी ने स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में उनके योगदान को किया और समाज से उनके बलिदान से प्रेरणा लेने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि देश की आज़ादी के लिए दिए गए उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता और हर नागरिक को उनके संघर्ष से सीख लेनी चाहिए।

महारानी अब्बक्का को किया याद

होसबोले ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में रानी अब्बक्का को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि यह भारत की महान महिला स्वतंत्रता सेनानी थीं, जिन्होंने दक्षिण कन्नड़ (कर्नाटक) के छोटे से राज्य उल्लाल की बहादुरी से रक्षा की और विदेशी ताकतों को चुनौती दी। भारत सरकार ने 2003 में उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया और 2009 में एक गश्ती पोत का नाम उनके नाम पर रखा। उन्होंने राष्ट्र निर्माण के लिए उनके साहस और नेतृत्व से प्रेरणा लेने की अपील की।

संघ के 100 वर्षों का सफर और आगे की योजनाएं

दत्तात्रेय होसबोले ने मीडिया को जानकारी देते हुए कहा कि इस वर्ष विजयादशमी के दिन संघ 100 वर्ष पूरे कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि संघ इस उपलब्धि को केवल जश्न के रूप में नहीं देखता, बल्कि इसे आत्मचिंतन और पुनःसमर्पण का अवसर मानता है। संघ तीन प्रमुख बातों पर केंद्रित रहेगा

1. आत्मविश्लेषण और सुधार

2. समाज के समर्थन को स्वीकार करना

3. राष्ट्र सेवा के लिए स्वयं को पुनः समर्पित करना

संघ के शताब्दी वर्ष में होंगी विशेष गतिविधियां

संघ ने अपनी शताब्दी के अवसर पर कई महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की योजना बनाई है:

विजयादशमी 2025 से होगी शुरुआत

विजयादशमी 2025 को संघ के गणवेश में स्वयंसेवकों के नगर और खंड स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जहां सरसंघचालक स्वयंसेवकों को संबोधित करेंगे।

घर-घर संपर्क अभियान

नवंबर 2025 से जनवरी 2026 तक तीन सप्ताह तक संघ का साहित्य वितरित किया जाएगा और "हर गांव, हर बस्ती-घर-घर" अभियान के तहत व्यापक जनसंपर्क किया जाएगा।

हिंदू सम्मेलन और सामाजिक सद्भाव बैठकें

हर मंडल या बस्ती में हिंदू सम्मेलन आयोजित होंगे, जिनमें समाज में एकता और समरसता का संदेश दिया जाएगा। इसके अलावा, शहर स्तर पर सामाजिक सद्भावना बैठकों का आयोजन किया जाएगा, जहां भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत बनाए रखने और आधुनिक जीवन के संतुलन पर चर्चा होगी।

राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका

संघ युवाओं को विशेष रूप से जोड़ने के लिए 15-30 वर्ष के आयु वर्ग के लिए कार्यक्रम तैयार करेगा। इन कार्यक्रमों का फोकस राष्ट्र निर्माण, सेवा कार्य और समाज में सकारात्मक बदलाव पर होगा।

राष्ट्रीय मुद्दों पर संघ का दृष्टिकोण

वक्फ कानून को निरस्त करने की हिंदू संगठनों की मांग पर दत्तात्रेय होसबोले जी ने कहा कि वक्फ द्वारा जमीन के अतिक्रमण से कई किसान प्रभावित हैं। सरकार इस समस्या के समाधान पर काम कर रही है और इसमें जो भी त्रुटियां हैं, उन्हें दूर किया जाना चाहिए।

औरंगज़ेब पर पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि राष्ट्र और समाज की बेहतरी के लिए जो लोग प्रेरणास्रोत हैं, उन्हें ही आदर्श माना जाना चाहिए, न कि वे जो असहिष्णुता के प्रतीक रहे हैं। उन्होंने मानसिक उपनिवेशवाद के खतरे को रेखांकित करते हुए कहा कि 1947 में राजनीतिक आज़ादी मिली, लेकिन मानसिक उपनिवेशवाद अब भी एक वास्तविकता है, जिसे खत्म करना ज़रूरी है।

मणिपुर की स्थिति और हिंदू समाज का नवजागरण

मणिपुर की स्थिति पर होसबोले जी ने कहा कि सरकार अपने आकलन के आधार पर कदम उठा रही है और संघ का मत यही है कि हर संभव प्रयास किए जाएं ताकि वहां स्थिति सामान्य हो सके और लोग शांति से रह सकें।

संघ के पिछले 100 वर्षों के एजेंडे पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि संघ का मुख्य उद्देश्य हिंदू समाज का नवजागरण रहा है। उन्होंने माना कि अस्पृश्यता जैसी सामाजिक बुराइयों के कारण यह कार्य चुनौतीपूर्ण रहा, लेकिन संघ की शाखाएं और गतिविधियां इसे दूर करने के लिए लगातार काम कर रही हैं।

संघ का लक्ष्य-एक संगठित और सशक्त राष्ट्र

दत्तात्रेय होसबोले जी ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि संघ केवल संगठन नहीं, बल्कि एक विचारधारा है जो समाज को जोड़ने और सशक्त बनाने के लिए काम कर रही है। उन्होंने कहा कि शताब्दी वर्ष में संघ अपनी गतिविधियों को और व्यापक बनाने का संकल्प लेता है ताकि राष्ट्र के पुनर्निर्माण में हर नागरिक की भूमिका सुनिश्चित हो।

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