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पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की राष्ट्रपति से शिकायत, एक मामले में अतिसक्रियता दिखाने का आरोप
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश के पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के खिलाफ राष्ट्रपति को एक शिकायत भेजकर सीबीआइ जांच की मांग गई है। शिकायतकर्ता पटना हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त जज राकेश कुमार का आरोप है कि कथित तौर पर पूर्व सीजेआइ चंद्रचूड़ ने एक मामले को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने में अतिसक्रियता दिखाई थी।
अवकाश वाले दिन भी अर्जेंट मामलों की सुनवाई हुईहालांकि ज्ञात हो कि किसी भी मामले को कब और किस पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगाया जाएगा यह तय करने का अधिकार चीफ जस्टिस को ही होता है। चीफ जस्टिस मास्टर ऑफ रोस्टर होता है और किसी भी मामले की सुनवाई की अर्जेंसी को देखते हुए वह पीठ गठित करते हैं और कई बार अवकाश वाले दिन भी अर्जेंट मामलों की सुनवाई हुई है।
जस्टिस राकेश कुमार ने आठ नवंबर 2024 को राष्ट्रपति को शिकायती पत्र भेजा था। जबकि जस्टिस चंद्रचूड़, सीजेआइ के पद से 10 नवंबर 2024 को सेवानिवृत्त हुए थे। जस्टिस कुमार ने जागरण से खास बातचीत में राष्ट्रपति को शिकायत भेजने और मामले की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की पुष्टि की है।
2019 में हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार के बारे में फैसला दिया थाजस्टिस राकेश कुमार वही हैं जिन्होंने पटना हाई कोर्ट के जज रहते हुए अगस्त 2019 में हाई कोर्ट में भ्रष्टाचार के बारे में फैसला दिया था। उस फैसले के बाद काफी विवाद हुआ था और दो महीने बाद उनका तबादला आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट कर दिया गया था।
जस्टिस राकेश ने पत्र में आरोप लगाया है कि पूर्व सीजेआइ चंद्रचूड़ ने कथित तौर पर एक जुलाई 2023 को फर्जी दस्तावेज सृजित कर किसी को दोषी ठहराने का प्रयास करने की आरोपित अभियुक्त तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर सुनवाई के लिए एक ही दिन में दो बार विशेष पीठ गठित की थी।
शिकायत में कही गई है ये बातशिकायत में कहा गया है कि एक जुलाई 2023 को छुट्टी थी। गर्मियों की छुट्टियों के बाद सोमवार 3 जुलाई 2023 को नियमित रूप से सुप्रीम कोर्ट खुलना था। आरोप है कि छुट्टी के दिन एक जुलाई को तत्कालीन सीजेआइ चंद्रचूड़ ने पहले दिन में सीतलवाड़ की जमानत पर सुनवाई के लिए विशेष पीठ गठित की।
उस पीठ ने सुनवाई की लेकिन पीठ सीतलवाड़ को अंतरिम राहत देने के मुद्दे पर एकमत नहीं हुई और उसने मामला बड़ी पीठ को भेज दिया। विशेष पीठ ने आदेश दिया कि केस सीजेआइ के समक्ष पेश किया जाए ताकि वे सुनवाई के लिए बड़ी पीठ का गठन करें।
अभियुक्त को अंतरिम राहत दीविशेष पीठ ने रजिस्ट्रार ज्युडिशियल कोतत्काल मामला सीजेआइ के सामने पेश करने का आदेश दिया था। यह पहला आदेश होने के बाद उसी दिन शाम को सीजेआइ ने मामले की सुनवाई के लिए बड़ी पीठ का गठन कर दिया। गठित की गई बड़ी पीठ ने उसी दिन सुनवाई की और अभियुक्त को अंतरिम राहत दी।
राष्ट्रपति को भेजा गया यह पत्र कानून मंत्रालय पहुंचा थाहालांकि जस्टिस कुमार ने पत्र में कहा है कि वह विशेष पीठ द्वारा विवेकाधिकार का इस्तेमाल कर दिए गए आदेश पर कोई सवाल नहीं उठा रहे हैं। उनका सवाल सिर्फ विशेष पीठ गठित करने में अतिसक्रियता दिखाए जाने के संबंध में है। राष्ट्रपति को भेजा गया यह पत्र कानून मंत्रालय पहुंचा था और अब बताया जा रहा है कि वहां से पत्र उचित कार्रवाई के लिए आगे भेजा गया है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक बने मांगी लाल जाट, केंद्र ने जारी की अधिसूचना
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कृषि विज्ञानी एवं वर्तमान में इक्रीसेट में डीडीजी (रिसर्च) डॉ. मांगी लाल जाट को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) का महानिदेशक एवं कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेअर) का सचिव नियुक्त किया गया है।
कृषि विज्ञानी के रूप में जाट का लंबा अनुभवकृषि विज्ञानी के रूप में जाट का लंबा अनुभव है। नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट में उन्होंने ग्लोबल लीडर के रूप में पहचान बनाई है। आइसीएआर में वह हिमांशु पाठक की जगह लेंगे, जिन्हें हाल में ही अंतरराष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान का महानिदेशक नियुक्त किया गया है।
केंद्र ने शुक्रवार को डॉ. जाट की नियुक्ति से संबंधित अधिसूचना जारी कर दी है। उनकी नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने के बाद तीन वर्ष के लिए प्रभावी होगी। सात मार्च को हुए साक्षात्कार में पांच विज्ञानियों ने भाग लिया था।
मूल रूप से राजस्थान के रहने वाले हैं डॉ. जाटमूल रूप से राजस्थान के रहने वाले डॉ. जाट का चयन कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में बनी विज्ञानियों की एक समिति ने किया है। इसके पहले वह हैदराबाद स्थित इंटरनेशनल क्राप रिसर्च इंस्टीट्यूट फार द सेमी एरिड ट्रापिक्स (इक्रीसेट) में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद पर कार्यरत थे।
आइसीएआर में लगभग 14 वर्षों तक काम कर चुके हैंयह अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जो शुष्क भूमि कृषि और कृषि खाद्य प्रणालियों में सुधार के लिए काम करता है। इसके पहले आइसीएआर में लगभग 14 वर्षों तक काम कर चुके हैं। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मक्का और गेहूं सुधार केंद्र और धान अनुसंधान संस्थान में भी लंबे समय तक काम किया है।
DGCA: कैसे हुई एअर इंडिया एक्सप्रेस के पायलट की मौत? डीजीसीए ने दिए जांच के आदेश
पीटीआई, नई दिल्ली। विमानन निदेशालय (डीजीसीए) ने एअर इंडिया एक्सप्रेस के एक पायलट की अचानक मौत के मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
पायलट की नौ अप्रैल को श्रीनगर से उड़ान भरने के तुरंत बाद दिल्ली हवाई अड्डे पर मौत हो गई थी। डीजीसीए के अनुसार, जांच टीम को अंतिम रिपोर्ट छह महीने के अंदर जमा करनी होगी।
मौत किन परिस्थितियों में हुई, होगी जांचइस जांच में यह देखा जाएगा कि मौत किन परिस्थितियों में हुई, पायलट की पुरानी मेडिकल रिपोर्ट कैसी थी और ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए जो नियम हैं, क्या वे ठीक हैं या बदलाव की जरूरत है।
मृत पायलट की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करेगी17 अप्रैल को जारी डीजीसीए के आदेश के अनुसार, जांच टीम न सिर्फ मृत पायलट की मेडिकल हिस्ट्री की जांच करेगी, बल्कि यह भी देखेगी कि क्या ऐसे पायलटों की ड्यूटी लगाते समय सावधानी बरती गई थी, जिन्हें मेडिकल कारणों से उड़ान भरने की पाबंदी थी।
इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या ऐसे पायलटों के लिए कोई विशेष मेडिकल जांच जरूरी है, जो उड़ान से पहले कराई जानी चाहिए। साथ ही यह भी देखा जाएगा कि जब पायलट ने अस्वस्थ महसूस होने की बात कही, तो क्या बाकी क्रू मेंबर्स ने सही समय पर कार्रवाई की या नहीं।
हर चीज की बारीकी से होगी जांचडीजीसीए के अनुसार, जांच में यह भी देखा जाएगा कि अस्वस्थ पायलट को हवाई अड्डे के स्वास्थ्य केंद्र तक पहुंचाने में कितना समय लगा। साथ ही, टीम यह भी जांचेगी कि एयरपोर्ट का स्वास्थ्य केंद्र ऐसी आपात स्थिति से निपटने के लिए कितना तैयार था।
मौजूदा नियमों और दिशा-निर्देशों की समीक्षा की जाएगीमौजूदा नियमों और दिशा-निर्देशों की समीक्षा की जाएगी और जरूरत हो तो बदलाव के सुझाव भी दिए जाएंगे। इस जांच के लिए एयर सेफ्टी के उप निदेशक विशाल यादव को प्रमुख जांच अधिकारी बनाया गया है और ग्रुप कैप्टन मुर्तजा एक विशेषज्ञ के रूप में जांच में शामिल होंगे।
Rain Alert: अगले कुछ घंटों में बदलने वाला है मौसम, दिल्ली-NCR समेत इन जगहों पर भारी बारिश के साथ पड़ेंगे ओले
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राजधानी दिल्ली समेत आस पास के क्षेत्रों में शुक्रवार दिन में जहां भीषण गर्मी देखने को मिली। वहीं, शाम के समय झमाझम बारिश के कारण तापमान में अचानक कमी देखने को मिली, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली।
इस बीच मौसम विभाग ने ताजा पूर्वानुमान जारी किया है। ताजा अलर्ट के अनुसार, आने वाले तीन घंटों के भीतर दिल्ली एनसीआर समेत आसपास के कई जिलों में भारी बारिश के साथ ओलावृष्टि होने की संभावना है।
कहां-कहां बारिश का अनुमान?अगले तीन घंटों में अमरोहा, बागपत, बिजनौर, बुलंदशहर, जी.बी.नगर, गाजियाबाद, हापुड़, मेरठ, मुजफ्फरनगर जिलों और आसपास के इलाकों में अलग-अलग स्थानों पर गरज के साथ बारिश और ओलावृष्टि होने की संभावना है।
दिल्ली में झमाझम बारिशराजधानी दिल्ली में शुक्रवार शाम अचानक मौसम बदल गया। देश की राजधानी दिल्ली और आसपास के इलाकों में तेज हवाओं के साथ बारिश हुई। बारिश के कारण तापमान में काफी कमी देखने को मिली है। जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। इससे पहले शुक्रवार दिन में तीखी धूप खिली रही। तापमान भी अधिक रहा, जिससे सड़कों पर निकलने से पहले लोगों को सोचना पड़ा।
यूपी के कई जिलों में आंधी-तूफान का अलर्टबता दें कि भारतीय मौसम विभाग ने बताया है कि शनिवार को उत्तर प्रदेश के 40 से अधिक जिलों में आंधी-पानी और वज्रपात का प्रकोप देखने को मिल सकता है। IMD के अनुसार, नए पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने के कारण शुक्रवार रात और शनिवार को कई जिलों में गरज-चमक से साथ बारिश होने की संभावना है। इसके अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मेघ गर्जन के साथ वज्रपात का अलर्ट जारी किया गया है।
राजस्थान में हीट वेव का अलर्टगौरतलब है कि भारत मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने प्रारंभिक पूर्वानुमान में अप्रैल के पहले हफ्ते से ही देश के कई हिस्सों में हीट वेव (लू) की चेतावनी जारी की थी। हालांकि, राजस्थान एवं गुजरात के कुछ हिस्से में ऐसा देखा भी गया, लेकिन पहाड़ों पर हिमपात ने शुक्रवार से फिर मौसम को पलट दिया।
उत्तर-पश्चिम भारत में आंधी-तूफान का अलर्टमौसम विभाग के ताजा पूर्वानुमान में देश के पश्चिमी हिस्से को 20 अप्रैल तक लू से मुक्ति मिलने की संभावना नहीं है। हिमालयी क्षेत्र एवं उत्तर-पश्चिम भारत के मैदानी क्षेत्रों में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा, गरज के साथ तूफान, बिजली चमकने एवं तेज हवाएं चलने की संभावना है। इस दौरान जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित, बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद एवं हिमाचल प्रदेश में कहीं-कहीं भारी वर्षा हो सकती है।
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Patna High Court: दहेज हत्या मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट की याचिका खारिज, हाई कोर्ट ने CBI को सौंपा मामला
जागरण संवाददाता, पटना। पटना हाई कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण निर्णय से रोहतास जिला के निलंबित न्यायिक पदाधिकारी प्रतीक शैल की याचिका को खारिज करते हुए न केवल प्राथमिकी को बरकरार रखा, बल्कि पूरे प्रकरण की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंपने का आदेश भी दिया।
यह निर्णय न्यायमूर्ति विवेक चौधरी की एकलपीठ ने प्रतीक शैल की क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिकाकर्ता ने अपनी पत्नी की मृत्यु के संबंध में दर्ज की गई प्राथमिकी (आलमगंज थाना कांड संख्या 747/2023) को निरस्त करने की मांग की थी, जिसमें दहेज हत्या (आईपीसी 304B) का आरोप था।
कोर्ट ने इस प्रकरण की तकनीकी प्रकृति, चिकित्सीय दस्तावेज़ों के आधार तथा राज्य पुलिस द्वारा भारतीय दंड संहिता की धारा 498A एवं दहेज निषेध अधिनियम की धाराएं 3 और 4 सम्मिलित न करने की चूक को देखते हुए, मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो को सौंप दिया।
कोर्ट ने अन्वेषण अधिकारी को निर्देशित किया है कि वह मामले की केस डायरी, जब्त की गई वस्तुएं और दस्तावेजों को दिनांक 19 अप्रैल 2025 तक सीबीआई के संबंधित प्राधिकारी को सौंप दे।
साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को निर्देशित किया कि वह आदेश की तिथि से तीन दिनों के भीतर पटना के एसीजेएम-6 के समक्ष आत्मसमर्पण करें। यदि ऐसा नहीं किया गया तो उनके विरुद्ध जारी गैर-जमानती वारंट निष्पादित किया जाएगा।
कोर्ट ने सीबीआई को अनुमति दी है कि वह आलमगंज थाना कांड संख्या 747/2023 के संदर्भ में भारतीय दंड संहिता की धारा 304A या वैकल्पिक रूप से धारा 304 भाग-II के साथ धारा 498A तथा दहेज निषेध अधिनियम की धाराएं 3 और 4 याचिकाकर्ता और अन्य अभियुक्तों के विरुद्ध जोड़े।
याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता निवेदिता निर्विकार ने दलील दी कि याचिकाकर्ता की पत्नी की मृत्यु पेट की टीबी से हुई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट, एफएसएल रिपोर्ट और अस्पताल द्वारा जारी की गई चिकित्सा का सारांश प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि मृत्यु के पीछे याचिकाकर्ता का कोई हाथ नहीं था।
मृतक चंदनी चंद्रा के पिता अशोक कुमार की ओर से वरीय अधिवक्ता चितरंजन सिन्हा ने दलील दी कि विवाह के बाद से याचिकाकर्ता की बेटी को दहेज के लिए प्रताड़ित किया गया। उन्होंने यह भी बताया कि पहले से 30 लाख रुपये नकद, कार, आभूषण और अन्य उपहार दिए गए, परंतु ससुराल पक्ष द्वारा 20 लाख रुपये और मांगते हुए उत्पीड़न किया गया।
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World Liver Day: बढ़ती बीमारियों के बीच कैसे रखें लिवर का ध्यान? एक्सपर्ट्स ने बताए खास टिप्स
टीम जागरण, नई दिल्ली। बेतरतीब खानपान, जंक फूड और गतिहीन जीवन शैली सदैव जवान बने लिवर को भी बीमार बना देती है। मौजूदा दौर में लिवर से संबंधित बीमारियां तेजी से बढ़ी हैं। कई अध्ययन इसकी पुष्टि करते हैं। इस बीच लिवर रोग के विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ खानपान की आदतों में सुधार लाकर ही लिवर से संबंधित आधी परेशानियों से निजात पाई जा सकती है।
विश्व लिवर दिवस के अवसर पर इस बार डॉक्टर इसी बात पर ज्यादा जोर भी दे रहे हैं कि खाना ही दवा है। लिवर ट्रांसप्लांटेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डॉ. संजीव सैगल के अनुसार खराब खानपान, शराब, प्रोसेस्ड फूड, गतिहीन जीवनशैली के कारण लिवर को हुए नुकसान को ठीक किया जा सकता है। क्योंकि लिवर में स्वयं को स्वस्थ रखने की अद्भुत क्षमता होती है।
सही जीवनशैली और पोषणयुक्त आहार के जरिए लिवर को दोबारा स्वस्थ किया जा सकता है। ताजे फल, हरी सब्जियां साबुत अनाज और प्रोटीन युक्त डाइट लिवर से संबंधित बीमारियों को रोकती हैं। साथ ही लिवर के रिजेनरेशन में भी मदद करती हैं।
चीनी युक्त पेय पदार्थों से लिवर में जमा होती है चर्बीडॉ. सैगल ने कहा कि डॉक्टरों के रूप में, हमने देखा है कि जब मरीज साफ सुधरा आहार लेना शुरू करता है तो उसके लिवर में एंजाइम का स्तर सुधरता है। लंबी अवधि में इसके काफी अच्छे परिणाम होते हैं। बच्चों पर भी बढ़ा खतरा न्यूट्रियंट्स जर्नल में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में बच्चों में मेटाबोलिक डिस्फक्शन को लेकर चिंता जाहिर की गई है। अध्ययन में सामने आया है कि चीनी युक्त पेय पदार्थों और स्नैक्स मोटापे को बढ़ाने के साथ लीवर में भी चर्बी जमा करते हैं।
अच्छे खानपान की लिवर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिकाडॉ. संजीव सैगल के अनुसार खाने पीने की चीजों में अब लेबलिंग सुधार लाना बेहद जरूरी है। साथ ही स्कूलों में भी पोषण युक्त खानपान के लिए अभियान चलाया जाना चाहिए। हर तीन में से एक भारतीय को फैली लिवर डिजीज का खतरा फ्रंटियर ऑफ न्यूट्रिशियन जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार अच्छे खानपान की लिवर को स्वस्थ रखने में अहम भूमिका है। यूके बायोबैंक में 1.21 लाख लोगों के डाटा का विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ताओं को पता चला है कि 16 प्रतिशत लोगों में क्रोनिक लिवर डिजीज का खतरा है।
जंक फूड से दूरी लिवर संबंधी बीमारियों के खतरे से कमवहीं, लिवर ट्रांसप्लांटेशन सोसाइटी ऑफ इंडिया के निर्वाचित अध्यक्ष डॉ. अभिदीप चौधरी के अनुसार हर तीन में से एक भारतीय को फैटी लिवर डिजीज का खतरा है। काफी लोगों को इसका पता भी नहीं चलता। क्योंकि उनमें इसके लक्षण काफी देरी से सामने आते हैं। हालांकि कई अध्ययनों में यह सामने आया है कि कम उम्र में लिवर को हुए नुकसान को जीवन शैली में बदलाव लाकर ठीक किया जा सकता है। इसके लिए ताजा घर में बना खाना खाने से इसके अलावा उच्च शर्करा वाले पेय पदार्थ व जंक फूड से दूरी लिवर से संबंधित बीमारियों के खतरे को कम करती है।
बिगड़ती जीवन शैली बड़ी वजह पीजीआई चंडीगढ़ के हेप्टोलॉजी विभाग में हुए एक अध्ययन में करीब 1000 स्वस्थ रक्त दाताओं में 53 प्रतिशत लोगों में नान-एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (एनएएफएलडी) के लक्षण पाए गए। विशेषज्ञों को कहना है कि जीवनशैली में आए बदलाव के कारण लिवर संबंधित बीमारियां बढ़ी हैं। हेप्टोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. अजय डुसेजा ने बताया कि तनाव, मोटापा और हाई बीपी, फैटी लिवर के मुख्य कारण हैं। बिगड़ती जीवनशैली के चलते लोग इस बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि शुरुआत में इसके कोई लक्षण सामने नहीं आते। जब तक इसका पता चलता है यह बीमारी लिवर को 80 प्रतिशत तक खराब कर चुकी होती है, जिससे हेपेटाइटिस, फाइब्रोसिस, सिरोसिस और लिवर कैंसर तक का खतरा बढ़ जाता है।
ऐसे रखें लिवर को स्वस्थ- संतुलित खाना खाएं।
- प्रोसेस्ड फूड और ज्यादा चीनी से बचें।
- शराब पूरी तरह छोड़ दें।
- बिना डाक्टर की सलाह के सप्लीमेंट, दवा और जड़ी-बूटियां न लें।
- रोज व्यायाम करें।
- हेपेटाइटिस बी और सी की जांच जरूर कराएं।
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'स्पीकर किसी पार्टी का प्रवक्ता नहीं हो सकता', उपराष्ट्रपति के 'सुप्रीम' बयान के बाद छिड़ी बहस; किसने क्या कहा?
पीटीआई, नई दिल्ली। राष्ट्रपति और राज्यपाल द्वारा विधेयकों को मंजूरी देने में तीन माह की समयसीमा तय करने के मामले में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ द्वारा सार्वजनिक रूप से सुप्रीम कोर्ट की आलोचना किए जाने के एक दिन बाद राजनीतिक और कानूनी विशेषज्ञों के बीच बहस तेज हो गई है।
वरिष्ठ राज्यसभा सदस्य और पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल ने जहां उपराष्ट्रपति के बयान की निंदा की है, सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने इसका समर्थन करते हुए इसकी वैधानिकता का आधार बताया है।
DMK ने धनखड़ के बयान पर जताई आपत्तिवहीं, कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने किसी को भी कानून या संविधान से ऊपर नहीं होने की बात कही है। जबकि द्रमुक ने धनखड़ के बयान पर आपत्ति जताई है। सिब्बल ने कहा कि सभी को पता है कि लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी बीच में होती है। वह सदन के अध्यक्ष होते हैं। वह वोट भी नहीं देते हैं और उनका वोट तभी पड़ता है जब बराबरी की स्थिति आती है। ऐसा ही उच्च सदन में होता है।
उन्होंने कहा कि आप विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी से समान दूरी पर होते हैं। कोई भी स्पीकर किसी पार्टी का प्रवक्ता नहीं हो सकता। मैं यह नहीं कहता कि वह (धनखड़) हैं, लेकिन सैद्धांतिक रूप से कोई भी स्पीकर पार्टी का प्रवक्ता नहीं हो सकता। अगर ऐसा होता है तो पद की गरिमा गिरती है।
जेठमलानी ने की धनखड़ के दमदार कदम की तारीफजेठमलानी ने धनखड़ के इस दमदार कदम की तारीफ करने के साथ इसकी कानूनी व्याख्या करते हुए एक्स पर लिखा कि जहां कुछ लोग सरकार के दो अंगों (कार्यपालिका और विधायिका) के बीच संघर्ष के बीच में देश के दूसरे प्रमुख (उपराष्ट्रपति) के आने के औचित्य पर सवाल उठा सकते हैं, लेकिन बिल्कुल स्पष्ट संवैधानिक दोष की ओर इशारा करना (उपराष्ट्रपति एक कुशल कानूनविद भी हैं) कि संविधान के अनुच्छेद 145(3) के अनुसार संवैधानिक प्रविधान की व्याख्या से संबंधित सवाल पर केवल पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा विचार किया जाना चाहिए और दो न्यायाधीशों की पीठ का फैसला अमान्य था, यह निश्चित रूप से संविधान की मर्यादा बनाए रखने की उपराष्ट्रपति के शपथबद्ध दायित्व का निर्वहन होगा।
सुरजेवाला ने उपराष्ट्रपति के बयान पर जताई असहमतिवहीं, सुरेजवाला ने एक्स पर लिखा कि मैं उपराष्ट्रपति की बुद्धिमत्ता और वाक्पटुता का बहुत सम्मान करता हूं, लेकिन उनके कथन से सम्मानपूर्वक असहमत हूं। कोई भी कानून या संविधान से ऊपर नहीं है, चाहे वह भारत का राष्ट्रपति हो या कोई और अधिकारी। जबकि द्रमुक के उप महासचिव और राज्यसभा सदस्य तिरुचि शिवा ने एक्स पोस्ट पर लिखा कि संविधान के अनुसार शक्तियों के पृथक्करण के तहत कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के पास अलग-अलग शक्तियां हैं। उपराष्ट्रपति की सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर टिप्पणियां अनैतिक हैं।
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