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The Story Of Raj And Uddhav: How The Thackeray Cousins' Breakup Was Triggered By Murder Mystery- News18 - News18
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US Vice President JD Vance Visit: परिवार संग भारत आ रहे जेडी वेंस, पीएम मोदी के साथ डिनर टेबल पर होगी अहम बातचीत
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस (JD Vance) अपनी पत्नी और तीन बच्चों के साथ आज यानी सोमवार को तीन दिवसीय भारत दौरे पर नई दिल्ली पहुंचेंगे। इस दौरान वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात में भारत-अमेरिका के बीच जारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चर्चा की संभावना है।
हालांकि दौरे का मुख्य फोकस सांस्कृतिक कार्यक्रमों और पर्यटन स्थलों की यात्रा पर रहेगा। वेंस की पत्नी उषा की जड़ें भारत से जुड़ी हैं और यह यात्रा उनके तीन बच्चों इवान, विवेक और मिराबेल को भारतीय संस्कृति से परिचित कराने का एक अवसर भी मानी जा रही है।
मोदी से मुलाकात और आधिकारिक रात्रिभोजवेंस के कार्यक्रम में फिलहाल एकमात्र बड़ा आधिकारिक कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात और उनके आधिकारिक आवास पर होने वाला रात्रिभोज है। सूत्रों के अनुसार, इस रात्रिभोज में विदेश मंत्री एस. जयशंकर समेत कई केंद्रीय मंत्री और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के वरिष्ठ नेता भी शामिल होंगे।
वेंस के दिल्ली आगमन में कुछ घंटों की देरी के चलते कई अन्य नेताओं से संभावित मुलाकातें रद्द कर दी गई हैं। प्रधानमंत्री मोदी भी इस सप्ताह काफी व्यस्त रहेंगे, क्योंकि वे 22-23 अप्रैल को सऊदी अरब यात्रा पर जाएंगे।
नई दिल्ली पहुंचने पर वेंस को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाएगा। कुछ घंटे विश्राम के बाद वे और उनका परिवार दिल्ली के एक हैंडीक्राफ्ट और टेक्सटाइल शोरूम में खरीदारी करेंगे।
भारत दौरे से पहले इटली पहुंचे थे वेंसभारत, वेंस के एक सप्ताह के दो-देशीय दौरे का दूसरा चरण है, जो 18 अप्रैल को इटली से शुरू हुआ था। यह वेंस की भारत की पहली आधिकारिक यात्रा है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी और वेंस की मुलाकात फरवरी में पेरिस में AI एक्शन समिट के दौरान हुई थी।
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर चल रही बातचीत और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए प्रतिशोधात्मक टैरिफ, जो फिलहाल जुलाई तक स्थगित हैं, वेंस के आधिकारिक संवाद का अहम हिस्सा रहेंगे।
रणनीतिक साझेदारी पर होगी चर्चाविदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बीते सप्ताह एक प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि भारत और अमेरिका के बीच वैश्विक रणनीतिक साझेदारी है और वेंस के दौरे के दौरान “सभी प्रासंगिक मुद्दों” पर चर्चा होगी। उन्होंने कहा, “हमारे संबंध इतने व्यापक हैं कि जो भी मानवीय प्रयास से जुड़ा है, वह चर्चा में शामिल होता है।हमें पूरा विश्वास है कि यह दौरा द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करेगा।”
यह यात्रा भारत और अमेरिका के बीच 13 फरवरी को जारी संयुक्त वक्तव्य में लिए गए फैसलों की प्रगति की समीक्षा का भी अवसर होगी। इसके अलावा दोनों देश क्षेत्रीय और वैश्विक घटनाक्रमों पर भी विचार-विमर्श करेंगे।
जयपुर और आगरा में भी रहेंगे वेंस और परिवारप्रधानमंत्री मोदी के साथ रात्रिभोज के बाद, वेंस और उनका परिवार सोमवार रात को जयपुर के लिए रवाना होंगे। 22 अप्रैल को वेंस को राजस्थान के राज्यपाल और मुख्यमंत्री द्वारा औपचारिक स्वागत दिया जाएगा। इसके बाद वे आमेर किला, जंतर मंतर, सिटी पैलेस और हवा महल जैसे प्रमुख दर्शनीय स्थलों का भ्रमण करेंगे।
दोपहर में वेंस राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर में एक भाषण देंगे और फिर राजनीतिक और कारोबारी नेताओं से मुलाकात करेंगे। 23 अप्रैल को वेंस और उनका परिवार ताजमहल देखने आगरा जाएंगे।
इससे पहले तुलसी गबार्ड आई थीं भारतउल्लेखनीय है कि वेंस से पहले अमेरिकी खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड मार्च में भारत आई थीं। वे ट्रंप सरकार की ओर से भारत आने वाली पहली कैबिनेट मंत्री थीं और उन्होंने सिक्योरिटी कॉन्क्लेव और रायसीना डायलॉग में हिस्सा लिया था।
यह उपराष्ट्रपति वेंस की तीसरी अंतरराष्ट्रीय यात्रा है। फरवरी में वे पेरिस और म्यूनिख गए थे, जहां उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और रक्षा खर्च पर यूरोपीय देशों की आलोचना की थी। मार्च में उन्होंने अपनी पत्नी और प्रतिनिधि वॉल्ट्ज के साथ ग्रीनलैंड की यात्रा की थी, लेकिन वहां ट्रंप प्रशासन की उस भूभाग पर नियंत्रण की इच्छा के कारण उन्हें ठंडी प्रतिक्रिया मिली थी।
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Vivah Muhurat: कैसे तय होते हैं शुभ मुहूर्त; कब से लग्न पर लगेगा विराम? 4 महीने नहीं होंगी शादियां
जागरण संवाददाता, पटना। खरमास के खत्म होने के साथ शादी-ब्याह कार्यक्रम आरंभ हो गया। अप्रैल से लेकर जून तक लग्न की भरमार है।
जून के बाद चार मास के लिए मांगलिक कार्य पर विराम लग जाएगा चार मास के बाद एक नवंबर शनिवार को देवोत्थान एकादशी के बाद से लग्न शुरू होगा।
बनारसी पंचांग के अनुसार 18 नवंबर से छह दिसंबर तक 13 लग्न है। जिसमें नौ नवंबर में तथा दिसंबर में चार दिन है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त का होना बड़ा महत्वपूर्ण होता है।
वैवाहिक बंधन को सबसे पवित्र रिश्ता माना गया है। इसलिए इसमें शुभ मुहूर्त का होना जरूरी है। शास्त्रों में शादी के शुभ योग के लिए नौ ग्रहों में बृहस्पति, शुक्र एवं सूर्य का शुभ होना जरूरी है।
रवि-गुरु का संयोग सिद्धिदायक और शुभ फलदायी होते हैं। इन तिथियों पर शादी-विवाह को बेहद शुभ माना गया है। मिथिला पंचांग में चातुर्मास तक कुल 22 लग्न मुहूर्त है। बनारसी पंचांग में 38 मुहूर्त है।
विश्वविद्यालय पंचांग के मुताबिक अप्रैल में सात, मई में 11 व जून में चार मुहूर्त है। बनारस के महावीर पंचांग के अनुसार अप्रैल में बारह, मई में 19 तथा जून में सात वैवाहिक लग्न है। इसके बाद चार महीने के लिए चातुर्मास लग जाएगा।
ऐसे तय होते हैं शुभ लग्न-मुहूर्तशादी के शुभ लग्न व मुहूर्त निर्णय के लिए वृष, मिथुन, कन्या, तुला, धनु एवं मीन लग्न में से किसी एक का होना जरूरी है।
नक्षत्रों में से अश्विनी, रेवती, रोहिणी, मृगशिरा, मूल, मघा, चित्रा, स्वाति, श्रवणा, हस्त, अनुराधा, उत्तरा फाल्गुन, उत्तरा भाद्र व उत्तरा आषाढ़ में किन्ही एक का रहना जरूरी है।
अति उत्तम मुहूर्त के लिए रोहिणी, मृगशिरा या हस्त नक्षत्र में से किन्ही एक की उपस्थिति रहने पर शुभ मुहूर्त बनता है। यदि वर और कन्या दोनों का जन्म ज्येष्ठ मास में हुआ हो तो उनका विवाह ज्येष्ठ में नहीं होगा।
तीन ज्येष्ठ होने पर विषम योग बनता है और ये वैवाहिक लग्न में निषेध है। विवाह माघ, फाल्गुन, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ एवं अगहन मास में हो तो अत्यंत शुभ होता है।
शादी-विवाह के शुभ लग्न मुहूर्तमिथिला पंचांग के अनुसार
- अप्रैल: 21,23,25,30
- मई: 1,7,8,9,11,18,19,22,23,25,28
- जून-जुलाई: 10,11,12
- अप्रैल: 21,25,26, 29,30
- मई: 1,5,6,7,8,9,10,11,12,13,14,15,16,17,18,22,23,24,28
- जून: 1,2,3,4,5,7,8
- नवंबर: 18,19,21,22,23,24,25,29,30
- दिसंबर: 1,4,5,6
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पिता करुणानिधि की राह पर 50 साल बाद सीएम स्टालिन, तमिलनाडु की स्वायत्तता के लिए 1974 में पेश किया था प्रस्ताव
पीटीआई, चेन्नई। राज्यों के लिए स्वायत्तता को मजबूती देने के उपाय सुझाने के लिए पिछले दिनों तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज कुरियन जोसेफ की अध्यक्षता में समिति गठित करने की घोषणा की थी।
इसी स्वायत्तता के लिए उनके पिता एम. करुणानिधि ने भी 50 से अधिक वर्ष पहले संघर्ष किया था, जब वह राज्य के मुख्यमंत्री थे।करुणानिधि ने राज्य की स्वायत्तता की पैरवी करते हुए 16 अप्रैल, 1974 को राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया था और जिसे पारित कर दिया गया था।
सीएन अन्नादुरई भी रहे राज्य की स्वायत्तता के प्रबल समर्थकइस मुद्दे पर द्रमुक के संस्थापक सीएन अन्नादुरई (1909-1969) उनके प्रेरणास्त्रोत थे जो 1967 से 1969 तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे थे और राज्य की स्वायत्तता के प्रबल समर्थक थे। प्रस्ताव पेश करते हुए करुणानिधि ने कई बार अन्नादुरई को उद्धत किया था। करुणानिधि ने इस बात की भी याद दिलाई थी कि उन्होंने 19 अगस्त, 1969 को पीवी राजामन्नार की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति गठित करने की घोषणा की थी जिसमें एएल मुदालियर और पी. चंद्रा रेड्डी सदस्य थे।
22 सितंबर, 1969 को राज्यों की स्वायत्तता के आधार पर केंद्र व राज्यों के बीच रिश्तों के सवाल की पड़ताल के लिए समिति गठित कर दी गई थी। 1971 के चुनावी घोषणापत्र में भी द्रमुक ने अधिकतम स्वायत्तता के लिए संवैधानिक संशोधन की मांग की थी।
27 मई, 1971 को प्रदेश सरकार को राजामन्नार समिति की रिपोर्ट मिल गई थी और इसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भेज दिया गया था। उन्होंने 22 जून, 1971 को इसके मिलने की पुष्टि की थी। इंदिरा गांधी का कहना था कि प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी इस सवाल पर विचार किया था और उसकी रिपोर्ट केंद्र के विचाराधीन है।
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