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Bihar Politics: पीके ही नहीं, अब केके भी बढ़ा रहे तेजस्वी की चिंता; बिहार में शुरू हुआ सियासी 'खेल'
विकाश चन्द्र पाण्डेय, पटना। तेजस्वी यादव की चिंता अभी तक जन सुराज पार्टी के सूत्रधार पीके (प्रशांत किशोर) बढ़ाए हुए थे, लेकिन अब केके (कृष्णा अल्लावरु और कन्हैया कुमार) भी छकाने लगे हैं। पीके की जुगत तो सीधे राजद के वोट बैंक में सेंध लगाने की है, जबकि केके संभावना वाली उन सीटों को झटकना चाह रहे, जिनसे कांग्रेस को राजद अभी तक वंचित रखे हुए है।
ऐसी लगभग चार दर्जन सीटें हैं, जिन पर राजद की संभावना कांग्रेस से गठजोड़ के बाद और मजबूत हो जाती है। इस मजबूती में कांग्रेस अपने जनाधार की छवि देख रही, जो उसे उन सीटों पर दावे के लिए बाध्य किए हुए है। बिहार कांग्रेस के प्रभारी का दायित्व मिलने के बाद से ही कृष्णा की बढ़ी सक्रियता राजद को बेचैन किए हुए है।
आरा में स्वामी सहजानंद सरस्वती के जयंती समारोह में वे स्पष्ट कह चुके हैं कि कांग्रेस विधानसभा का चुनाव ए-टीम की तरह लड़ेगी, वह राजद की बी-टीम नहीं। उनके इस बयान से पहले ही पटना में कन्हैया की प्रशंसा मेंं पोस्टर लग चुके थे। चर्चा है कि विधानसभा चुनाव में कन्हैया कांग्रेस के प्रमुख चेहरों में होंगे।
लालू के कारण कन्हैया को दिल्ली जाना पड़ा!लोकसभा चुनाव में उन्हें कांग्रेस बेगूसराय के मैदान में उतारना चाहती थी, लेकिन लालू प्रसाद की अनिच्छा के कारण दिल्ली जाना पड़ा। लालू नहीं चाहते कि तेजस्वी के सामने महागठबंधन में कोई दूसरा युवा चेहरा आगे हो। संयोग से कन्हैया के साथ कृष्णा भी युवा ही हैं। तेजस्वी की चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि विधानसभा की 70 सीटों की मांग कर चुकी कांग्रेस ''नौकरी दो यात्रा'' निकालने जा रही है। इसके सूत्रधार कृष्णा हैं तो नायक कन्हैया।
''नौकरी दो यात्रा'' 16 मार्च से 14 अप्रैल के बीच 20 जिलों से होकर गुजरेगी। कभी उन क्षेत्रों में कांग्रेस का मजबूत जनाधार था। समय के साथ उस जनाधार के अधिसंख्य सवर्ण भाजपा के साथ हो लिए और मुसलमान आदि राजद के। अनुसूचित जाति के साथ कांग्रेस उस वोट को दोबारा पाना चाहती है। महागठबंधन में सीट बंटवारे में भी उन क्षेत्रों में उसे अब तक हुई अपेक्षा की टीस है। ऐसे में इस यात्रा को राजद अधिक सीटों पर दावेदारी के लिए माहौल बनाने का उपक्रम मान रहा।
दरअसल, इस यात्रा के जरिये कांग्रेस का प्रयास शिक्षा, रोजगार और पलायन आदि मुद्दों पर जनमत बनाने का होगा। इन मुद्दों पर तेजस्वी भी मुखर हैं। समग्रता मेंं यह महागठबंधन की आवाज लग रही, लेकिन अंदरखाने की राजनीति वर्चस्व की है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर राजद के एक पदाधिकारी का कहना है कि कांग्रेस का यह उपक्रम सीट और समीकरण के साथ मुद्दों पर भी राजद से बढ़त लेने का है। फिर भी उन्हें इत्मीनान है कि समय रहते गठबंधन के पचड़े सुलझा लिए जाएंगे, अन्यथा विधानसभा चुनाव का हश्र उप चुनाव से भी बदतर होगा।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा की चार सीटों पर हुए उप चुनाव मेंं महागठबंधन उन तीन सीटों को भी गंवा बैठा था, जिन पर 2020 में उसे सफलता मिली थी। जसुपा के खाते में गए लगभग 10 प्रतिशत वोट ने महागठबंधन की मिट्टी पलीद कर दी थी।
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Bihar Bhumi: नीतीश सरकार को लगा बड़ा झटका, भूमि सर्वे के बीच सामने आई नई जानकारी से बढ़ेगी टेंशन
राज्य ब्यूरो, पटना। चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में भी भू लगान (Bihar Bhumi Lagan) उगाही का लक्ष्य पूरा नहीं होने जा रहा है। राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष में 31 जनवरी तक चार सौ 35 करोड़ 78 लाख रुपये की उगाही हुई है। यह छह सौ करोड़ रुपये के लक्ष्य का 66.14 प्रतिशत है।
राशि के हिसाब से यह पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 के चार सौ दस करोड़ पांच लाख रुपये से अधिक है, लेकिन पिछले वित्तीय वर्ष का लक्ष्य ही साढ़े पांच सौ करोड़ रुपया रखा गया था। वह लक्ष्य का 74.55 प्रतिशत था।
90 प्रतिशत से ज्यादा टारगेट कभी हासिल नहीं हुआमंत्री की ओर से विधानसभा में प्रस्तुत वक्तव्य के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2017-18 से अबतक राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग कभी शत प्रतिशत या 90 प्रतिशत तक भी लक्ष्य हासिल नहीं कर पाया। हां, वित्तीय वर्ष 2017-18 में विभाग की उपलब्धि यह रही कि उगाही की कुल राशि 526 करोड़ रुपये थी।
यह छह सौ करोड़ के लक्ष्य का 87.81 प्रतिशत था। उससे उत्साहित होकर सरकार ने 2018-19 में लक्ष्य हजार करोड़ रुपया रख दिया। वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर 476 करोड़ की वसूली हो पाई।
टारगेट फिक्स करने में विभाग ने दिखाया बड़ा दिलयह लक्ष्य का 47.68 प्रतिशत था। मगर लक्ष्य निर्धारित करने में विभाग ने बड़ा दिल दिखाया। उसने अगले वित्तीय वर्ष 2019-20 में 11 सौ करोड़ का लक्ष्य तय कर दिया। यह बुरी तरह विफल हुआ। महज 208 करोड़ (18.97 प्रतिशत) की उगाही हो पाई।
2020-21 में लक्ष्य संशोधित कर 11 सौ करोड़ से सीधे पांच सौ करोड़ कर दिया गया। 253 करोड़ (50.66 प्रतिशत) की उगाही हुई। 2021-22 में 284 करोड़ (56.08 प्रतिशत) की उगाही हुई। लक्ष्य पांच सौ करोड़ था।
उसके अगले वित्तीय वर्ष 2022-23 में लक्ष्य पांच सौ करोड़ रुपया ही रखा गया। तीन सौ करोड़ (60.16 प्रतिशत) की उगाही हुई। 2023-24 में लक्ष्य साढ़े पांच सौ करोड़ रखा गया था।
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Bihar News: जननायक पुस्तकालय प्रवेश परीक्षा की डेट बदली,अब 26 मार्च को होगी परीक्षा
राज्य ब्यूरो, पटना। पिछड़ा एवं अति पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा पटना स्थित जननायक पुस्तकालय एवं राज्य डिजिटल अध्ययन केंद्र में प्रवेश के लिए 26 मार्च को परीक्षा आयोजित की जाएगी। पूर्व में यह परीक्षा 23 मार्च को निर्धारित थी। बिहार दिवस समारोह में पदाधिकारियों और कर्मचारियों की व्यस्तता के कारण परीक्षा की तारीख में संशोधन किया गया है।
विभाग द्वारा जारी सूचना के अनुसार, प्रवेश पत्र अगले दो-तीन दिनों में जारी कर दिए जाएंगे। परीक्षा के एक सप्ताह के भीतर परिणाम घोषित कर दिया जाएगा। नया सत्र एक अप्रैल 2025 से शुरू होगा।
150 अंकों की होगी परीक्षाविभाग के प्रवक्ता के अनुसार परीक्षा कुल 150 अंकों की होगी, जिसमें वस्तुनिष्ठ और सब्जेक्टिव प्रश्न शामिल होंगे। वस्तुनिष्ठ प्रश्नों में 50 बहुविकल्पीय प्रश्न होंगे। प्रत्येक प्रश्न दो अंकों का होगा। कुल 100 अंक की परीक्षा होगी। गलत उत्तर पर अंक नहीं कटेंगे।
कुल 15 सब्जेक्टिव प्रश्न होंगे, जिनमें से उम्मीदवारों को 10 प्रश्नों का उत्तर देना होगा। प्रत्येक प्रश्न पांच अंकों का होगा। परीक्षा की अवधि दो घंटे होगी।
परीक्षा दोपहर 12 बजे शुरू होकर दोपहर दो बजे समाप्त होगी। उम्मीदवारों को उत्तीर्ण होने के लिए न्यूनतम 40 प्रतिशत अंक (60 अंक) प्राप्त करना अनिवार्य है।
परैया : पंचायत स्तर पर खुलेंगे पुस्तकालयपुस्तक प्रेमियों के लिए ग्रामीण क्षेत्र में सरकार द्वारा लाइब्रेरी का निर्माण किया जा रहा है। सभी पंचायत में एक लाइब्रेरी बनना है। लंबे समय से पुस्तक प्रेमियों की समस्या थी, जिसके समाधान के लिए शानदार पहल शुरू की गई है। हर पंचायत में आम जनता के लिए लाइब्रेरी खुलेगी।
पंचायती राज विभाग के अपर सचिव ने इसके लिए पत्र जारी किया है। विभाग द्वारा जारी पत्र में यह बताया गया है कि पष्टम राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के आलोक में ग्राम पंचायतों में सार्वजनिक लाइब्रेरी खोलने का प्रावधान है।
15वें वित्त आयोग से ग्राम पंचायतों द्वारा यूनाइटेड निधि से पंचायत भवनों या पंचायत सरकार भवनों में इसका निर्माण कराया जाएगा। इसके लिए विधिवत गाइडलाइन भी विभाग द्वारा जारी कर दी गयी है।
लाइब्रेरी में बिहारी लेखक की रहेगी 50 प्रतिशत पुस्तकें- लाइब्रेरी में राज्य के लेखकों की 50 प्रतिशत पुस्तकें होंगी, इसके लिए पंचायती राज विभाग ने अनुशंसित पुस्तकों व लेखकों की सूची भी जारी कर दी है। विभाग के निर्देशानुसार लाइब्रेरी में 50 प्रतिशत पुस्तकें राज्य के प्रसिद्ध लेखकों की होंगी।
- 40 प्रतिशत पुस्तकें देश के अन्य लेखकों की होंगी। 10 प्रतिशत पुस्तकें अन्य भाषाओं के लेखकों की होंगी। लाइब्रेरी में साहित्य के पुस्तकों की प्रधानता होगी। विभाग द्वारा साहित्य के किताबों पर ही सबसे अधिक राशि खर्च करने का निर्देश दिया गया है।
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हिंदी से इतनी नफरत! बजट से तमिलनाडु सरकार ने हटाया रुपये का चिह्न, पिछले साल किया था इस्तेमाल
एएनआई, चेन्नई। हिंदी के खिलाफ अभियान चला रही तमिलनाडु सरकार ने एक नया कदम उठाया है। अब तमिलनाडु सरकार ने अपने बजट से रुपये के प्रतीक को हटा दिया है। इसकी जगह तमिल भाषा के प्रतीक का इस्तेमाल किया है।
पिछले साल तमिलनाडु सरकार ने अपने बजट में भारतीय रुपये का प्रतीक (₹) इस्तेमाल किया था। तमिलनाडु सरकार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का विरोध कर रही है। उसका तर्क है कि इस नीति के तहत त्रिभाषा फॉर्मूले से हिंदी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस बीच उसने रुपये के चिह्न को हटाने का कदम उठाया है।
केंद्र पर स्टालिन ने बोला हमलाबुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को भारत के विकास के बजाय हिंदी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से बनाया गया है। यह शिक्षा नहीं बल्कि भगवा नीति है।
स्टालिन का आरोप है कि नई शिक्षा नीति से तमिलनाडु की शिक्षा प्रणाली नष्ट हो जाएगी। केंद्र सरकार का तर्क है कि एनईपी का उद्देश्य बहुभाषावाद और भाषा शिक्षा में लचीलेपन को बढ़ावा देना है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने हिंदी थोपने के आरोपों का खंडन किया और कहा कि नीति राज्यों को अपनी भाषा चुनने की अनुमति देती है।
नई शिक्षा नीति को लागू करना असंभव: त्यागराजनतमिलनाडु के राज्य मंत्री पलानीवेल त्यागराजन का कहना है कि केंद्र की नई शिक्षा नीति को लागू करना असंभव है, क्योंकि इसके समर्थन के लिए कोई फंडिंग या बुनियादी ढांचा नहीं है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति 2020 एक एलकेजी छात्र और एक उच्च शिक्षा छात्र को एक ही तरह से पढ़ाने जैसा है।
उन्होंने दावा किया कि 1968 के बाद शुरू की गई शिक्षा नीतियों में दक्षिण भारतीय भाषाओं को सीखने की सिफारिश की गई थी। मगर योग्य शिक्षकों की कमी के कारण यह नीति 20 साल के भीतर हिंदी भाषी राज्यों में विफल हो गई। भाजपा के तमिलनाडु अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने मंत्री त्यागराजन की आलोचना की। उन्होंने दावा किया कि त्यागराजन के बेटों ने अंग्रेजी और एक विदेशी भाषा में पढ़ाई की तो वे इस नीति को रोकने का नाटक क्यों कर रहे हैं?
Tamil Nadu government replaces the Rupee symbol with a Tamil language symbol representing the same on its Tamil Nadu Budget 2025-26. The previous Budget carried the Indian currency symbol ₹
(Photo source for pic 1: TN DIPR) pic.twitter.com/Mb2ruTtDFV
— ANI (@ANI) March 13, 2025NASA, SpaceX Delay Flight that Was to Retrieve Stuck Astronauts - Asharq Al-awsat - English
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